Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 441
________________ (४१६ आचारांग सूत्र - द्वितीय श्रुतस्कन्ध बहु वा अणुं वा थूलं वा चित्तमंतं वा अचित्तमंतं वाणेव सयं परिग्गहं गेण्हेज्जा, णेवण्णेणं परिग्गहं गेण्हावेजा, अण्णं वि परिग्गहं गेण्हतं ण समणुजाणेजा ताव वोसिरामि। ७९०. तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति. (१) तत्थिमा पढमा भावणा-सोततो णं जीवे मणुण्णामणुण्णाई १ सद्दाइं सुणेति, मणुण्णामणुण्णेहिं सद्देहिं णो सज्जेज्जा णो रज्जेजा णो गिज्झेजा णो मुज्झेजाणो अज्झोववजेजा। केवली बूया-निग्गंथे णं मुणाण्णामणुण्णेहिं सद्देहिं सज्जमाणे रजमाणे जाव विणिघायमावजमाणे संतिभेदा संतिविभेगासंतिकेवलिपण्णत्तातो धम्मातो भंसेजा। ण सक्का ण सोउं सद्दा सोत्तविसयमागया। राग-दोसा उ जे तत्थ ते भिक्खू परिवजए॥१३०॥ सोततो जीवो मणुण्णामणुण्णाई सद्दाइं सुणेति, पढमा भावणा। (२) अहावरा दोच्चा भावणा-चक्खूतो जीवो मणुण्णामणुण्णाई रूवाइं पासति, मणुण्णामणुण्णेहिं रूवेहिं (णो सजेजा णो रज्जेजा जावणो विणिघातमावजेजा। केवली बूया-निग्गंथे णं मणुण्णामणुण्णेहिं रूवेहिं ) सजमाणे रजमाणे जाव संघा (विणिघा) यमावज्जमाणे संतिभेदा संतिविभंगा जाव भंसेजा। ण सक्का रूवमदटुं' चक्खूविसयमागतं। राग-दोसा उ जे तत्थ ते भिक्खू परिवज्जए॥१३१॥ चक्खूतो जीवो मणुण्णामणुण्णाई रूवाइं पासति त्ति दोच्चा भावणा। (३) अहावरा तच्चा भावणा-घाणतो जीवो मणुण्णामणुण्णाइं गंधाइं अग्घायति, मणुण्णामणुण्णेहिं गंधेहिं सजमाणे रज्जमाणे जाव विणिघायमांवजमाणे संतिभेदा संतिविभंगा जाव भंसेज्जा। ण सक्का ण गंधमग्घाउं णासाविसयमागयं। राग-दोसा उजे तत्थ ते भिक्खू परिवजए॥१३२॥ घाणतो जीवो मणुण्णामणुण्णाइं गंधाई अग्घायति त्ति तच्चा भावणा। (४) अहावरा चउत्था भावणा-जिब्भातो 'जीवो मणुण्णामणुण्णाइं रसाई अस्सा१. मण्णुण्णामण्णुण्णाइं सदाइं के बदले पाठान्तर हैं—"मणुण्णामणुण्णसद्दाई, मणुण्णाई २ सदाइं, मणुण्णाइंमणुण्ण सद्दाई, मणुण्णाई सद्दाई।" २. अज्झोववजेजा के बदले पाठान्तर हैं- अज्झोवजेजा, अज्झोवदेजा। ३. सोत्तविसय के बदले पाठान्तर हैं—'सोयविसय .....' 'सोत्तविसय।' ४. 'भंसेजा' के बदले 'भासेज्जा' पाठान्तर है। ५. 'मदटुं' के बदले पाठान्तर है - 'मद्दटुं।' । ६. 'अग्घायति' के बदले 'अग्घाति' पाठान्तर है। ७. जाव विणिग्घाय के बदले पाठान्तर है-'जाव णिग्घाय'... । ८. 'जिब्भातो' के बदले पाठान्तर है- 'जीभातो',' रसणतो।'

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