Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 429
________________ आचारांग सूत्र - द्वितीय श्रुतस्कन्ध हैं। वह पाठ वृत्तिकार शीलांकाचार्यसम्मत पाठ से कुछ भिन्नता रखता है। चूर्णिकारसम्मत क्रम इस प्रकार है - (१) ईर्यासमिति युक्त हो, (२) आलोकित पान-भोजन-भोजी. (३) आदानभाण्ड-मात्रनिक्षेपणासमिति से युक्त हो, (४) मन:समिति से युक्त हो, (५) वचनसमिति से युक्त हो। तत्त्वार्थसूत्र में अहिंसा महाव्रत की पाँच भावनाओं का क्रम इस प्रकार है-१. वचनगुप्ति, २. मनोगुप्ति, ३. ईर्यासमिति, ४. आदाननिक्षेपणसमिति और ५. आलोकित पान-भोजन। द्वितीय महाव्रत और उसकी पाँच भावनाएँ ७८०. अहावरं दोच्चं [भंते!] महव्वयं पच्चक्खामि सव्व मुसावायं वइदोसं।से कोहा वा लोभा वा भया वा हासा वाणेव सयं मुसं भासेज्जा, णेवऽण्णेणं मुसं भासावेज्जा अण्णंपि मुसं भासंतं ण समणुजाणेजा तिविहं तिविहेणं मणसा वयसा कायसा। तस्स भंते! पडिक्कमामि जाव वोसिरामि। ७८१. तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति [१] तत्थिमा पढमा भावणा-अणुवीयि भासी से णिग्गंथे, णो अणणुवीयि भासी। केवली बूया- अणणुवीयि भासी से णिग्गंथे समावजेज मोसं वयणाए। अणुवीयि भासी से निग्गंथे, णो अणणुवीयि भासि त्ति पढमा भावणा। [२] अहावरा दोच्चा भावणा-कोधं परिजाणति से निग्गंथे, णो कोधणे सिया। केवली बूया-कोधपत्ते कोही समावदेजा मोसं वयणाए। कोधं परिजाणति से निग्गंथे, णो य कोहणाए१० सि [य] त्ति दोच्च भावणा। [३] अहावरा तच्चा भावणा-लोभं परिजाणति से णिग्गंथे, णो य लोभणाए ११ सिया। केवली बूया-लोभपत्ते लोभी समावदेज्जा मोसं वयणाए। लोभं परिजाणति से णिग्गंथे, णो य लोभणाए सि [य] त्ति तच्चा भावणा। १. आचारांग चूर्णि मू० पा० टि० पृ० २७९... ईरियासमिए से निग्गंथे , आलोइयपाणभोयणभोयी से निग्गंथे .....आदाण-भंडमत्त-निक्खेवणासमिए से निग्गंथे ..... मणसमिए से निग्गंथे ...... वइसमिए से निग्गंथे। २. वाङ्मनोगुप्तीर्यादाननिक्षेपणसमित्यालोकित-पान-भोजनानि पंच। -तत्वार्थ० अ० ७/४ मू. आ. ३३७ ३. दशवैकालिक सूत्र ३-४ के पाठ से तुलना कीजिए। ४. 'पच्चक्खामि' के बदले पाटान्तर है-'पच्चइक्खामि।' ५. 'समणुजाणेजा' के बदले पाटान्तर हे ...- 'समणुमन्ने'। ६. 'तिविहेण 'के बदले 'तिविहं' पाठान्तर ? ७. 'वयसा' के बदले पाठान्तर है- 'वायसा ८. 'अणुवीयि' के बदले पाठान्तर है -'अणवापी।' अर्थ समान है। ९. 'कोधपत्ते' के बदले पाठान्तर है-'कोधं पने। १०. 'कोहणाहे' के बदले पाठान्तर है-'कोहणाः।' ११. ' लोभणाए' के बदले पाटान्तर है- 'लोणए।'

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