Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 411
________________ (209) माएँ उसमें लटक रही थीं । १ शिविकारोहण १. आचारांग सूत्र - द्वितीय श्रुतस्कन्ध ७५५. सीया' उवणीया जिणवरस्स जर मरणविप्पमुक्कस्स । ओसत्तमल्लदामा रे जल-थलयदिव्वकुसुमेहिं ॥ १७७ ॥ ७५६. सिबिया मज्झयारे दिव्यं वररयणरूवचें चइयं । सीहासणं महरिहं सपादपीठं जिणवरस्स ॥ ११८ ॥ ७५७. आलइयमालमउडो भासुरबोंदी वराभरणधारी । खोमयवत्थणियत्थो जस्स य मोल्लं सयसहस्सं ॥ ११९ ॥ ७५८. छट्ठेणं' भत्तेणं अज्झवसाणेण सुंदरेण जिणो । प्रव्रज्यार्थ प्रस्थान ७६०. लेस्साहि विसुज्झतो आरुहई उत्तमं सीयं ॥ १२० ॥ ७५९. सीहासणे णिविट्ठो सक्कीसाणा य दोहिं पासेहिं । वीयंति चामराहिं मणि- रयणविचित्तदंडाहिं ॥ १२१ ॥ पुवि उक्खित्ता माणुसेहिं साहद्वरोमकू वेहिं । पच्छा वहति देवासुर-असुरा गरुल - णागिंदा ॥ १२२ ॥ ७६१. पुरतो सुरा वहंति असुरा पुण दाहिणम्मि पासम्मि । अवरे वहं ति गरुला णागा पुण उत्तरे पासे ॥ १२३ ॥ ७६२. वणसंडं व कुसुमियं पउमसरो वा जहा सरयकाले । सोभति कुसुमभरेणं इय गगणतलं सुरगणेहिं ॥ १२४ ॥ ७६३. सिद्धत्थवणं व जहा कणियारवणं व चंपगवणं वा । सोभति कुसुमभरेणं इय गगणतलं सुरगणेहिं ॥ १२५ ॥ (क) पाइअ - सद्द-महण्णवो पृ० ४७८, ८९७, ३८८, १२३, ५१२, ८८०, ७२० (ख) जैन सिद्धान्त बोलसंग्रह भा० २; पृ० २८८ (ग) आचारांगचूर्णि मू० पा० टि० पृ० २६८, २६९ (घ) आचारांग (अर्थागम भा० १) पृ० १५५ २. तुलना कीजिए चन्दप्पभा य सीया उवणीया जम्ममरणमुक्कस्स । आसत्तमल्लदामा जल थलयं दिव्य कुसुमेहिं ॥ ९२ ॥ - आवश्यकभाष्य गाथा (९२ से १०४ तक देखिए) ३. 'ओसत्तमल्लदामा' के बदले पाठान्तर हैं— 'उसंतमल्लदामं' उवसंतमल्लदामं । ४. 'भासरबोंदी' भी पाठान्तर मिलता है किन्तु - 'भासुरबोंदी' पाठ यत्र-तत्र आगमों में अधिक प्रचलित है। ५. 'छद्वेणं भत्तेणं' के बदले पाठान्तर है- 'छट्टेण उ भत्तेणं' । ६. 'साहट्ठरोमकूवेहिं' के बदले पाठान्तर हैं— साहद्वरोमपूलएहिं, साहद्दुरोमकूवेहिं । पहला पाठ अधिक संगत लगता है।

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