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(५०) नाश थाय , ते वातनो योगशास्त्रमा हेमचं प्राचार्य महा. राजे विस्तारे निषेध करेलो . एटलुंज नहि, पण हरिजइ सूरि महाराजे पंचाशक वगेरे ग्रंथोमां मांसादिकनो निषेध कर्यो . मांसाहारी जीव ले तेने निर्दयपणुं तो अवश्य होय. जो दयाना परिणाम होय तो जेमा घणा जीवनी हिंसा श्राय एवी वस्तु वापरवाना नाव थायज नहि. पनवणाजीमां जघन्य श्रावक कह्या , ते ए चार महाविगयना त्यागीज कह्या , वली नपाशक दशांगमां आणंदजीए मांसादीकनो त्याग कर्यो . वली मांसना आहारथी मीजाज चीमायेलो थाय, एQ हालना माकटरो पण कहे , वली मदीरा थकी आत्मानी ज्ञानशक्ति अवराई जाय . माह्यो होय ते गांमो थाय अने ते गांमाश्थी धन धान्यादिकना वेपारमां पण नुकशान थाय, वली जगतमां पण निंदानुं स्थानक थाय ने, वली परलोके नरकादिक गति पामे, तेथी उत्तम पुरुषो, साधु, तथा ग्रहस्थ एनो त्याग करे ने. वली दालना वखतमा इंग्रेजो तथा पारशी, पण केटलाक मांसाहारनो त्यांग करे , केटलाक नगी टेव थाय तेम करे , आम अनार्य लोक ज्यारे त्याग करे तो आर्य लोकने त्याग होय तेमांशी नवाईनी वात ने, माटे महाविगयनो त्याग कह्यो . बीजी र विगय ते उध, दही, तेल, मोल, पकवान तथा घी, एउ विगयमांथी जेटली विगय त्याग थाय एटली करे; कारण के विगय खावाथी विकारनी वृद्धि थाय , तेथी काम दीप्त थाय बे, माटे मुनि महाराजो विगयनो त्याग करे . पण हाल कालमां विगय वापस्या विना शरीर टकी शके नही तेथी शरी. र निन्नाव जेटली वापरी बाकीनी विगयनो त्याग करे. श्रावक तेपण रोज एक एक विगयनो त्याग करे, कारण के मुनि महाराज तो सर्व कामना त्यागी ने तेथी बने तो सर्वथा त्याग करे, पण