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(२१७) आगल तो प्रनुनी आज्ञाथ। विरुह लखायुं होय तेनुं मन वचन कायाये करी मिहामि उक्कम दन बुं.
प्रश्न-जेम जैनमां अन्नक्ष्य पदार्थ मांस मदीरामधमांखण मूला प्रमुख अनंतकाय वीदल बेगण रात्री नोजन अन्नदय कह्यां ने तेम अन्यदर्शनीनए कह्यां ?
नतर--श्रीचं केवलीना रासमां पुराणोमां कहेला श्लोक टांकेलाले ते श्लोक नीचे ल , तेथी खात्री थशे. जे जे प्रा. स्मार्थी माणसो ले ते तो वीचारशे पण विषयी जीवो ने ते लोक तो जे धर्म माने ने तेना पण शासन नपर नरोंसो नराखे एटले इलाज नश्री. अन्यदर्शनीप्रोना धर्म प्रकाशनारज पोताना शास्त्रमा अलक्ष्य कहेलु डे ते वांचीने तेदनोत्याग करे नही ए. टटुं श्रोताना गलामां नतरे एहवो नपदेश पण दशके नदी, एटले हालमां एह अयुं ले के श्रावक राते खाय नहीं को द. यालु ब्राह्मण राते न खाय तेने कहे जे तुं तो श्रावक थ गयो ने आवी दशा बनी ; ए बधुं योग्य गुरु नही मलवानां फल ने माटे जैनीनाइओए तेहनी दया चीतववी तेज नत्तम बे, पण जैनी थश्ने हालमां केटलाएक शेहेरमा नलो श्रयाने तेथी न ले चीथरां बांध्यां एटले पाणी गलइ गयुं अने संखारो पण साचवता नथी, आ कां थोमी अफसोसनी वात ! के अन्यदर्शनी कहे जे जैनीओ पाणी गलीने वापरे ने जैनीनाओ आ वात गेमता जाय तो दीर्घकाले अन्यदर्शनी जेवू ज थशे. केटला एकने कहीए जीए के नलमांथी पाणी लश् तेने गाली नाखी तेनो संखारो जो नल तलावमाथी होय तो तलावमां नांखवो ने कुवामांथी नल होय तो कुवामां नांखवो पण तेम करनार घणा ज थोमा , माटे जैनन्नाइनो जीव दया प्रतिपाल कहेवाय तोते नाम साचेसाचुंक्यारे थाय के ज्यारे जीवनी जतना करे त्यारे माटे
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