Book Title: Adhar Dushan Nivarak
Author(s): Anopchand Malukchand Sheth
Publisher: Anopchand Malukchand Sheth

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Page 230
________________ ( २३ ) ध्यान , अहिंसा ए नत्तम तप , अहिंसा ए नत्तम ज्ञान , अहिंसा ए नत्तम पद , अहिंसा ए उत्तम दान , अहिंसा ए. उत्तम दम बे, अहिंसा ए उत्तम जप , अहिंसा एज नत्तम शुन्न , अहिंसा रूप धर्म करवो एज नत्तम धर्म , ते धर्मनुं जे महात्मान आचरण करे ले ते विष्णु लोकमां जाय ॥३॥ ॥ ययुक्तं नागपझल ग्रंथे॥ युधिष्टिरं प्रति कृष्णः ॥ अनदयाणि ननदयाणि, कंदमूलानि नारत ॥ नूतनोद्गम पत्राणि, वर्जनीया निसर्वतः ॥१॥ अर्थः-नागपमल ग्रंथमा धर्मराजाने कृष्णें कडं डे के धर्मराजा कंदमूल अन्नदय ते न खावां तथा नविन गेला अंकुरादिनां पांदमां विगेरे पण त्याग करवां आ रोते कह्या उतां कंदमूल जे सूरण शकरियां विगेरे एकादशी करीने खाय तेनुं केटलुं पाप ते बुदिवाने विचारवं. ॥ मधुपाने विशेषमाद ॥ ___मधुपाने मातबंशो, नराणां जायते खलु । धर्मेण तेन्योदातणां, नध्यानं न च सक्रिया॥१।। मद्यपाने कृते क्रोधो,मानं लोनश्च जायते॥मोहश्च मत्सरश्चैव, उष्टनाषणमेव च ॥॥ अन्यदप्युक्तं ॥ मद्यमांसे मधुनि च,नवनी ते बहिःकृते॥ नत्पद्यते विलीयंते, सुसूक्ष्म जंतु राशयः॥ . अर्थः-मदिरा पीवामां मनुष्योने बुझिनो बंश थाय ने तेथी पापाचरण करे , माटे तेनने आपनारने धर्म थतो नयी ने मदिरा पीनारने ध्यान तथा सतक्रिया फल रहित थाय ने ॥१॥ मदिरा पीवाथीक्रोध,मान, लोन, मोह, मत्सर श्राय डे, तथा इष्ट नाषण बोलाय ॥२॥बीजुं पण कडं ले के मदिरा, मांस, मध तथा गसमांथी बार काढेला मांखरामां, झीणा जंतुन्ना समुह मुत्पन्न थाय ने नाश थाय ॥ मांखणनो दोष कह्यो पण दिरा पीनारनामा क्रोध, मान पण कमु काणा जंतुना पण

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