Book Title: Adhar Dushan Nivarak
Author(s): Anopchand Malukchand Sheth
Publisher: Anopchand Malukchand Sheth

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Page 214
________________ ( २०६ विचारता नथी अनेए चाल चलाव्या जाय बे, माटे ए चाल बंध था तो पैसा बचे अने वली बहाली अनुमोदनानुं पाप टले माटे एवाज बंध करीने तेना बचता पैसा श्रा फंरुमां लेवा. वळी मर्ण पाबळ शुभ मार्गे हजारो रुपीया कामे वे तेमांथी कंइक जाग आ खातामां लेवानो राखवो जोइए, तथा म्होटा गृहस्थाए खुशीथी म्होटी रकमनी मदद करवी जोइए श्राम थवाथी खर्चातां नाणां आ फंरुमां आवशे एटले वधारे बोजो वो नहीं ने ए सारु विद्याभ्यासना काममां या रुमाथी मदद शे. कदापि एटले नाणे बस न थाय तो पेंदाश नपर सेंकने एक एक रुपियो अथवा मधो रुपिन ठराववो जोइए एक हजार रुपिया सुधीना पैदा करनार नपर सेंकने रु॥ लेवो जोइए ने तेनी नपरनी पेंदाशवाळानो सेंकने रु १ ) वराaat जोइए. म्होटी पेंदाशवाळाने कं नारे पके एम नथी का - रण के शास्त्रमां तो हेमचंद आचार्य पेंदाशमाथी चोथो नाग शुन मार्गे वापरता कहे वे तो आतो एक रुपिन कं नारे प डवानो नथी था सिवाय न्यातोमां केटलाएक दंगो लेवानो चा ते दंमना पैसा आ फंरुमां लेवा जोइए. ग्राम थवाथी पैसानी उत्पत्ति सारी श्रवानो संभव बे अने हंमेश तेमांथी जे जे कामो करवां दो ते थयां करशे. हालमां दरेक न्यातमां न्यातनी पूंजीन ठे ते पूंजीयो आ फंरुमां जो आवे तो कामनी शरुआत सहेजे थायने कोने पैसा घरमाथी काढवा परे नहीं. अने ईमेशनी आवक शुरु थाय. पेंदाशमां लेवानुं अनुकुळ ना आवे तो घणी जातना मालना वेपार वे ते दरेक जातना माल नपर कंs लेवानो ठराव करवो एवो ठराव पांजरापोळ सारु बे तो ते सुखे ते कारखानुं चाले बे पण वस्तुपणे पैदाशनो ठराव वधारे उत्तम बे. वेपार उपर नांखवाथी वेपारमां केटलीएक हरकतो

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