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(१५) नहीं एज आत्मानुं काम .ए दशामां रहे एटले अबत सहेजे टली जाय. अव्रत सर्वथा कषायनो नाश थवाथी सर्वथा टली जाय . अंशे अंशे देश विरति गुणस्थान पामेले. त्यांची टलवू शरु थाय ले.नगवंतने सर्वथा अव्रत टब्युठे तेथीनगवान श्रया ले.
१७ राग नामा पुषण. ए. रागना घरनां माया अनेलोनले. ए राग परिणति अनादि कालनी , धन नपर राग, कुटुंब नपर राग, स्त्री पुत्रपर राग, स्वजन उपर राग, घर हाट बाग बगीचा उपर राग, राग मलेली वस्तु नपर श्राय , अने नहीं मलेली वस्तुपर पण राग थाय . दीठेल वस्तु नपर, अण दीली वस्तु नपर राग पाय ठे. सोनलेली वस्तु नपर, वांचेली वस्तु नपर राग श्राय . एम अनेक प्रकारे राग दशा , अने राग दशाने प्रत्नावेज पापी जीवनो संजोग मले ने एवा खराब मा. पसनो संग मलवाथी पागे ष जागे . पर वस्तु नपर राग श्रवानाज कारणथी जीव अनादिनो रोलाय . अनेक प्रकारे जन्म मरण करवां पमे . पर स्त्री नपर राग होय ते पोते मरे तो पण तेनी छा बुटे नहीं. एवा अधर्मी जीवने मनुष्य जन्म तो आवे नहीं पण तेना शरीरमां कीमो वा करमीयो शरमीयो थाय एवा नवने पामे ए रागनो प्रत्नाव जे. जे जे कर्मबंध प्राय ने ते राग अधीज थाय ने. ने जीव संसारमा रोलाय . क्ष पण रागथी थाय ने पोतानी वस्तु मानी जे ते वस्तु कोइ लर जाय तो आ वस्तु नपर राग ने तेथी लश् जनार नुपर ष थाय ने.क्ष करनारने को कहेनार मले के तमो समजु अश्ने कषाय करोगे पण रागनी बाबतमां मुनि महाराजजी सीवाय कोइ समजावनार नश्री.श्रा जम पदार्थ उपर राग करवाथी आत्माना गुणनो राग थतो नथी. तेम तेनां कारण जे ज्ञान दर्शन चारित्र तेना नपर पण राग यतो नश्री. रागना बशे जीव लजाने मुकी