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(२००) राक तेनी दुकाने आवे ए बाबतमां सुरतमां कल्याणनाइ क. रीने नत्तम श्रावक हता तेमनी शाख एव। पमी इती जे टोपीनना वेपारमा रुपिया बेत्रण हजार दर वरसे पेंदा करता हता. वळी पिता पासे पुजी मोहोती ते उतां पोते आशरे चालीश हजारनी पुंजी मेलवी हती. ते त्रण नाश्न तथा पिताए वहेंची लीधी. त्यार बाद पोते वेपार करवानो बंध को तो पठी नाइन पुकान चलावी न शक्या. अने पेंदाश नहीं थवाथी . कान बंध करवानो वखत आव्यो. नरुचमां एक पारसीनी उका. न ले ते एकज रीतनो नाव राखे तेमां तेने त्यां घणो वकरो थाय ने. मुंवाइमां नफीसोवाला म्होटा वेपारी एक रीत राखे ठे तो तेमां सुखी श्रयेला जोइए बीए, माटे वेपारमा अन्याय जो बंध करे तो म्होटी साख पमी जाय अने पुन्यानुसारे सारी - दाश थाय. गया कालमां सत्यवादी श्रावको थर गया ले ते एटली बधी गप मारी गया ले के श्रावक गेर व्याजबी रीते चाले नहीं, तेथी हालमां श्रावक बुरु काम खूञ्चाइ करे एटला अर्थमां श्रावक लुच्चा न करे आ गप चाली आवे , तेना बदलामां हमणांना समयमां धर्मी नाम धरावोने पण केटलाक गाइ करता जोवामां आववाथी बीजा धर्मी श्रावकने त्यां कोई जलामण करे ले तो धनवान ग्रहस्थो तेनो विश्वास नथी करता अने धर्म ठगनी नपमा आपे ले. ते में पण सांजली व् आ वामां धनवाननी नूल नथी पण धर्मी श्रश्ने उगाइनो धंधो करे त्यारे लोकमां सर्व धर्मीनी निंदा थाय अने वेपार रोजगारमा विश्वास नग्वाथी पेंदाश थाय नहीं अने सुखी थवानो वखत मले नहीं माटे जेम बने तेम श्रावकोए गप सारी पामवी जोइए. केटला एक वेपारी वेपार करे ने तेमां नुकशान लागे जे त्यारे देवामांथी छूटवा सारु सरकार पासे लाय ले एटले कायदानो फायदो लश्ने