Book Title: Adhar Dushan Nivarak
Author(s): Anopchand Malukchand Sheth
Publisher: Anopchand Malukchand Sheth

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Page 200
________________ ( १७१) प्रागममा जैन ग्रागमधी विपरीत बे, ते विपरीत आवी जाय, श्रने जैन श्रागम जोया विना जैन श्रागममां कह्या प्रमाणे श्रक्ष याय, तेने जाव अध्यात्म प्रगट थाय छे, तेम दिगंबरने पण थाय तेमां कांइ नवाइ जेवुं नथी. वीतरामनो धर्म कांइ केवल लिंगमांनी पण यथार्थ नवे तत्वनुं तथा षट् यनुं ज्ञान जेने याय तेने नाव अध्यात्म प्रगट थाय. माटे वस्तु धर्म यथार्थ खोजवा - नो उद्यम करतो तेथी कार्य थशे. · प्रश्न - जैनमां रमवा कूटवानी रीती छे ते योग्य छे ? ● " उत्तर-- जिन एटले राग द्वेषने जाते तेहने जिन कहीए तेहना सेवक ते जैनी कद्देवाय छे तो जिननो उपदेश पण रागदेष जीतवानो छे. नृपदेशना सांभलनार राम धरीने रुदन करे छाती कूटे माथां कूटे तो तेथी प्रभुनी आज्ञानुं नलंगन करवुं थाय छे. वली रुदन करवाथी ने मरनारनी फीकर करवाथी केटलाएक माणूस मरण करे छे. जुवो लक्ष्मणजीनो संबंध ! लक्ष्मणजी ने रामचंदजी बे वच्चेना स्नेहनुं वखाण इंड महाराजे कर्यु ते कोइक देवताथी सहन न थयुं ने ते जोवा श्राव्या. मनुष्य लोकमां प्रवीने लक्ष्मण सांजले एम सीताजीनुं रूप धारण करी रामचंदजी काल करी गया एहेवुं रुदन लक्ष्मणे सांभळ्युं तेवोज मनमां अत्यंत शोक प्राप्त थयो ने ते शोकनी अत्यंतताथी तरत लक्ष्मणजी मरणने पाम्या. यावी हानी वासुदेव जेवा पुरुपने थइ तो तेमना वीर्यनी अपेक्षाये आपणामां कं पण बलशक्ति वीर्य नथी तो प्रापणा शरीरने दानी केम न पहोंचे. कदापि तेमनामां जाइनो राग इतो, तेथी नछो राग होय तो मरण न श्राय, पण शक्ति तो घटेज. रोगादीक पण वखते थाय.

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