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ने विचित्र said वर्त्ते वे अने अंतराय कर्म कय प्रवाश्री सर्वथा पुद्गल पदार्थनी इवान नाश थो, तेनी श्रगान अंशे अंशे इच्छान रोकाशे, एटलुं एटलुं तप लक्षण प्रगट थशे, पांचमुं वीर्यनामा लक्षण ते श्रात्मानी अनंती वीर्य शक्ति बे, पण ते श्रवराई गई a. जेटलो जेटलो वीतरायनो क्षयोपशम थाय बे तेटली तेटली श्रात्मानी वीर्य शक्ति शरीरमां रहने वाले बे. जेमके श्रीमत् महावीर स्वामी जगवाने एक दीवसनी नमरमां टचली
गली मेरु कंपान्यो एटली शक्ति शाथी जागी ठे? तो के कोई पण जीवोने दुःख दीघां नथी, ने पोताने कोई दुःख दे बे तो सदन करे बे, ने तेनी पण दया चींतवे बे के मने दुःख दईने आ जीव कर्म बांधे बे, एवी तेनी दया चींतवी तेने प्रतिबोध करे a; जेमके चंमकोशी सर्पे मंश दीघो तो तेने प्रतिबोध दई अनBान करावी देवलोके वैमानीक देव बनाव्या. श्रावी रीते दयाना प्रणामश्री शक्ति प्रगट थई बे. आपली शक्ति हणाई गई बे, ते दयाना प्रणाम नष्ट थई हिंसानी प्रवृति करवाथी वीर्य बल नष्ट थई गयं बे, ते पाना दया जावमां वर्तीए तो वीर्य शक्ति जागे ते दया प्रकारे करवी जोईए. एक व्य दया ते एकेंडी जीवी ते पंचें जीव सुधी कोई पण जीवने हणवो नदि, तेम कोई पण प्रकारनुं दुःख देवुं नहि, ते व्य दया बे. बीजी जाव दया एवा जीवने दुःख देवानी वर्त्तना करवी, ते श्रात्मानो धर्म नथी. श्रात्माने आत्माना स्वभावमां रहेवुं, ते न रहेवाथी श्रामाना जाव प्राणनी हानि थाय बे. श्रात्माना नाव प्राण ज्ञान, दर्शन, चारित्र, वीर्य ए चार कह्या बे, ते जेटली विज्ञाव दशानी वर्त्तना थशे, तेटली दणाशे. जेटली जेटली विज्ञाव दशा त्याग थो, तेटली जाव दया थशे; ते एवी नाव दया जेटली प्रगट थशे तेटली तेटली वीर्य शक्ति जागशे अने संपूर्ण वीर्य गुण
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