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(७७) क्ति होय तो पण धर्म करणीमां वीर्य फोरवी न शके. धर्म क. रणी करती वखत कहेशे जे महारामां शक्ति नथी ने संसारी काम करतुं होय तेमां तत्पर थाय. जेम के तमासो जोवो होय तो बे कलाक नन्नो रही तमासो जुवे, ने प्रतिक्रमण नन्ना नन्ना करवं कडं , तेम करवामां गलीयो बलद थई बेगं बेगं करे के मारी शक्ति नथी,ने शास्त्रमा तो बेग बेग पमीकमगुं करनारने आंबिलनुं प्रायश्चित कडं बे, ते जाणतां उतां पमिक्कम| बेग वेग करे . गुरु कहे तो पण प्रमाद गेमेनही.गुरुने वंदन करवं, प्रन्नुने वंदन करवं, खमासमण देवानां जेम कह्यां तेम न देवां, देवां तो तेमां सत्तर जग्याए पुंजवा, पोताने अंगे कझुंडे तेम पुंज नही, पौषध सामायकमां ध्यान करवू ते न करे, पमिक्कम' नणावq होय तो कदेशे जे बधुं माराथीनणावी नही शकाय, एवी रीते प्रमाद करे. वली ज्ञान अभ्यास करवो दोय तो प्रमाद करे अने नरो नही, वांचे नही, वा कोई संन्नलावे तो सांनले नही. ए सर्वे वीर्याचारना लानना अंतरायनो नदय जे. वली एवी रीते प्रमाद करवाथी अथवा बीजो धर्मनो नद्यम करतो होय तेने रोकवाथी पण अंतराय कर्म नवं बंधाय छे, तेमज दे. रासर, धर्मशाला, स्वामीवत्सल, विद्याशालानां काम करवां होय तेमां प्रमाद करे, अने संसारी काममां तत्पर थाय, ए पण अं तरायनांज फल , ने जेने अंतराय तुट्यो ले ते तो जे जे काममा आत्मानुं कल्याण श्राय, आत्मगुण प्रगटे, तेमां वीर्य फोरवे, अने अति प्रसन्नताये जेम देवगुरुनो हुकम होय तेमधर्म करणी यथार्थ करे, वीर्य शक्ति गोपवे नही, जे जे काम करवां देतेमां मननी बलीष्टतानी जरूर.तपस्या करवी एउक्कर काम ,केमकेतपस्यामां शरीर थोडं के घगुं नरम पमया विना रहेतुं नथी, पण तपस्या करवामां वीर्य शक्ति फोरायमान थाय ने तो तेथी मन बलीट ..