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(१९४) कोमाकोसी पढ्योपमे एक सागरोपम थाय. एवां सागरोपमनां नरक तथा देवतानां आनखां ने. बीजी पण गणत्री काम सागेले. या कालनुं स्वरूप, जगतना जीवना आनखा वगेरेनी गणत्रीमां आवे , ए चं सूर्यना आधारथी काल केहेवोठे तेने काल
व्यमा स्वान्नावीक गणता नथी. हवे काल च्य कोने कहे जे के गए व्यना अगुरु लघु पर्यायनी वर्तना थाय , ते वर्तना एकथी बीजी वी तेनुं नाम समय . तेज कालव्य नपचरित . पदार्थ रूप नथी. कारण जे च्यनी वर्तना अपेक्षित ने तेश्री पदार्थ रूप नथी. कालनो गुण नवी वस्तुने जुनी करवानो ने. काले जे वस्तु बनी ते आजे जुनी कहेवाशे, आजे करी ते नवी कहेवाशे, ए काल अपेक्षित कहेवाय . काल ते अरूपी. अ. चेतन अक्रिय नवा पुराण गुण एरीते कालव्यनुं स्वरूप जाणवू.
एमो व्य पुद्ग्लास्तिकाय. तेना चार गुण. मूर्त एटले देखाय . अचेतन एटले जीवपणुं नथी, सक्रिय एटले मलवा वीखरवा रूप क्रिया करे ले वली जीवनी साथे रहीने क्रिया करे माटे सक्रिय . तथा मलन विखरण गुण जे. जे पुद्गल परमाणु ने पुद्गल व्य कहो हो ते परमाणु केवो सूक्ष्म जे ? बाल्यो बले नहि, दयो बेदाय नहि, दृष्टिने अगोचर . एवा बे परमाणु मली खंध थाय , तेने छीप्रदेशी खंध कहे .एम त्रण चार आदे परमाणु मली खंध थाय , ते खंध दृष्टीगोचर आवता नथी. अनंता परमाणु मलीने जे खंध थाय ने ते दृष्टीने गोचर
आवे ने ते व्यवहार परमाणु कहेवाय , निश्चय नये तो खंध कहीये.व्यवहारथी परमाणु कहेवार्नु कारण ए के एपण बाल्याबले नही शस्त्रथी बेदाय नही अने एक परमाणुमा एक वर्ण, एकगंध, एक रस अनेबे फरस रह्या . वर्तना प्रमाणे अने सत्ता प्रमाणे तो.पांच वर्ण,बेगंध, पांचरस,आठ फरस रह्याने तेथी परमाणुना