Book Title: 20 Vi Shatabdi Ke Jain Manishiyo Ka Yogdan
Author(s): Narendrasinh Rajput
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
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| 27 काव्य माला के गुच्छक 2 में प्रकाशित (निर्णय सागर प्रेस) संस्कृत साहित्य की रूपरेखा पाण्डेय एवं व्यास कृत पृ. 340 प्रकाशन-साहित्य कला, निकेतन, कानपुर 1954 । गीत गोविन्द्र 1-4 । सं. काव्यमाला ग्रन्थ संख्या 84., बम्बई 1930 । संस्कृत साहित्य का इतिहास पृष्ठ 355 डॉ. बलदेव उपाध्याय कृत काव्य माला गुच्छक 2 में प्रकाशित चौखम्बा संस्कृत सीरीज काशी से प्रकाशित, संवत् 1959 । . काव्य माला में रजानक रत्न कं. की टीका के साथ प्रकाशित सं. 1975. ट्र वासवदत्ता, भूमिका श्लोक 13. मन्दारमञ्जरी का पूर्वभाग पर्वतीय प्रकाशन मंडल वाराणसी ने 1925 ई. में प्रकाशित किया । काशी से 1901 में प्रकाशित हुआ है । श्री वाणी विलास प्रेस श्री रंगम् से प्रकाशित । यह रचना तिलक जन्मशताब्दी के अवसर पर 1956 में - संस्कृत लोकमान्य तिलक चरित प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। ऋग्वेद 7 वाँ मण्डल सूक्त 103 एवं 11वां मंडल सूक्त 108 । महाभारत-4-88 मैकडॉनेल इण्डियाज पास्ट-पृष्ठ 117 महाभाष्य पाणिनि के सूत्र 2-1-3. 2-4 - 9. 5-3-106 आदि । मैकडॉनेलः संस्कृत लिटरेचर, पृष्ठ-369 . सोमसुन्दर "देसिकर" का कृष्ण स्वामी आयंगर-स्मृतिग्रन्थ में लेख । वृहत्कथा-प्रस्तावना । जर्मन विद्वान हाइनरिशउले सम्पादित, लाइपजिश, 1884, डॉ. एमेनाउ द्वारा रोमन अक्षरों में अंग्रजी अनुवाद के साथ प्रकाशित, अमेरिकन, ओरियण्टल सोसाइटी, 1934 एडगर्टन द्वारा रोमन अक्षरों में अंग्रेजी अनुवाद के साथ दो भागों में सम्पादित हारवर्ड
ओरियण्टल सीरीज 1926 । डॉ. स्मिथ ने विवरणों का जर्मन अनुवादों के साथ लाइफजिग से प्रकाशित किया। संक्षिप्त संस्करण संवत् 1893 में विस्तृत संस्करण सं. 1898-99 में । सिन्धी जैन ग्रन्थमाला (ग्रन्थाङ्क 1) में प्रकाशित, शान्तिनिकेतन 1989 विक्रमी इसका डॉ. टॉनीकृत अंग्रेजी अनुवाद भी कलकत्ता से 1901 में प्रकाशित । गुजरती एवं हिन्दी में भी अनुवाद हुआ है। .. संस्कृत सिन्धी ग्रन्थमाला (ग्रन्थांक 6) शान्ति निकेतन 1935 ई. सम्पादक मुनि जिनविजयजी । संस्कृत साहित्य का इतिहास लेखक डॉ. बलदेव उपाध्याय, पृ. 445. डॉ. कावेल तथा नील द्वारा सम्पादित कैम्ब्रिज 1886 में । (विस्तार के लिए) साहित्य दर्पण 6-1, 6-3 । . कीथ : संस्कृत ड्रामा पृ. 12-77
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