Book Title: 20 Vi Shatabdi Ke Jain Manishiyo Ka Yogdan
Author(s): Narendrasinh Rajput
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

Previous | Next

Page 297
________________ 276 242. भावनाशतकम् पद्य 3 243. श्रमणशतकम् पद्य 45 244. सुनीति शतकम् पद्य 49 245. काव्य शास्त्रदीपिका सं. विश्वनाथ भट्टाचार्य एवं मिश्र प्रकाशक रामनारायण बेनीप्रसाद माधव इलाहाबाद-2 1978 ई. पृष्ठ 62 पर से संदर्भित 246. अनुष्टुप् छन्द के सम्यक् विवेचन के लिए दृष्टम छन्दोमञ्जरी पृष्ठ 151 247. ज्ञानोदय पद्य 98 248. काव्यप्रकाश, नवम् उल्लास कारिका 104 249. निरञ्जनशतकम् पद्य 43 250. श्लेष दो प्रकार का है - शब्द श्लेष और अर्थ श्लेष, यहाँ शब्द श्लेष का विवेचन है क्योंकि यही निरंजन शतक में प्रस्तुत हुआ है । 251. विस्तृत परिचय के लिए देखिये काव्य प्रकाश नवम उल्लास 252. निरञ्जन शतकम् पद्य 83 253. काव्यप्रकाश टीकाकार डॉ. सत्यव्रतसिंह चौखम्बा विद्या भवन वाराणसी नवम उल्लास कारिका 117 254. निरञ्जन शतकम् पद्य 64 255. काव्य प्रकाश दशम उल्लास कारिका 125 256. निरञ्जन शतकम् पद्य 92 257. काव्यप्रकाश, दशम् उल्लास, कारिका 137 निरञ्जन शतकम् पद्य 10 __ काव्य प्रकाश दशमउल्लास कारिका 146 निरञ्जन शतकम पद्य 14 261. काव्य प्रकाश, दशम उल्लास, कारिका 166 262. निरञ्जन शतकम् पद्य 99 263. तच्चित्र यत्र वर्णानां खङ्गाकृति हेतुता । अर्थात् चित्र वह अलङ्कार है जिसे वर्ण विन्यास में खङ्गादि वस्तुओं की आकृतियों का प्रकाशन कहा करते हैं । काव्यप्रकाशन नवम उल्लास कारिका 121 264. भावना शतकम् पद्य क्रं. 10 265. यह सामान्य मुरजबन्ध का चित्र है । इसमें पूर्वार्ध के विषम संख्या के अक्षरों के उत्तरार्ध के सम संख्याक अक्षरों के क्रमशः साथ मिलाकर पढ़ने से श्लोक बन जाता है । अनुस्वार विषम का अन्तर मान्य नहीं होगा । 266. भावना शतकम् पद्य 8 267. भावना शतकम् पद्य 1 268. भावना शतकम् पद्य 86 269. काव्यप्रकाश दशम् उल्लास कारिका 139 भावना शतकम् पद्य 28 . 271. श्रमण शतकम् पद्य 1 272. सुनीति शतकम् पद्य 24 273. ज्ञानोदय पद्य 36 259. 270.

Loading...

Page Navigation
1 ... 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326