Book Title: 20 Vi Shatabdi Ke Jain Manishiyo Ka Yogdan
Author(s): Narendrasinh Rajput
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
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ज्ञानोदय पद्य 22
ज्ञानोदय पद्य 38
277
274.
275.
276.
ज्ञानोदय पद्य 13
277.
काव्यप्रकाश, दशम उल्लास, कार्यकारिका 138 ज्ञानोदय पद्य 49
278.
279.
काव्यप्रकाश, दशम उल्लास, कारिका 165 280. ज्ञानोदय पद्य 40
281.
काव्यप्रकाश दशम उल्लास कारिका 163 ज्ञानोदय पद्य 53
282.
283.
काव्य प्रकाश दशम उल्लास कारिका 155
284.
ज्ञानोदय पद्य 12
285.
ज्ञानोदय पद्य 39
286.
ज्ञानोदय पद्य 68
287.
ज्ञानोदय पद्य 68
288. निरञ्जन शतकम् पद्य 34
289.
निरञ्जन शतकम् पद्य 3
290.
काव्यालङ्कार सूत्रवृत्ति 3, ( 1-2-3-4 )
291.
काव्यप्रकाश अष्टम उल्लास, कारिका 89
292.
आह्लादकत्वं माधुर्यं चितस्य व्रतकारणम् काव्य प्रकाश, अष्टम उल्लास निरञ्जन शतकम् पद्य 45
293.
294.
चित्तस्य विस्ताररूपदीप्तत्वजनकमौजः । काव्य प्रकाश अष्टम उल्लास
295.
निरञ्जन शतकम् पद्य 87
296. शुष्केन्धनातिनवत स्वच्छ जलवस्साह सेन यः व्योप्नोत्यन्यत्प्रसादोऽसौ सर्वत्र विहित
स्थितिः (काव्य प्रकाश अष्टम उल्लास )
297.
निरञ्जन शतकम् पद्य 92
298.
काव्यालङ्कार सूत्र वृत्ति (आचार्य वामनकृत) 1-2-6-13
299.
विस्तार हेतु देखिये, काव्यप्रकाश द्वितीय उल्लास कारिका 5, 9, 11, 12 300. व्यञ्जना का स्वरूप देखिये काव्यप्रकाश द्वितीय उल्लास कारिका 32
301. भावना शतकम् पद्य 47 302. भावना शतकम् पद्य 32 303. श्रमण शतकम् पद्य 17 304. श्रमण शतकम् पद्य 83
305.
श्रमण शतकम् पद्य 52 306. सुनीति शतकम् पद्य 60 307. सुनीति शतकम् पद्य 71 308. सुनीति शतकम् पद्य 67 309. ज्ञानोदय पद्य संख्या 9 पृष्ठ 310. ज्ञानोदय पद्य 21
311.
ज्ञानोदय पद्य 12 312. ज्ञानोदय पद्य 34
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