Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आर्हतमतप्रभाकरस्य पञ्चमो मयूखः सू य ग डं (सूत्रकृताङ्गम् ) वैद्यवंशोद्भवेन परशुरामशर्मणा नियुक्ति पाठान्तर-टिप्पन्यादिभिः परिष्कृतम् तस्यायं मूल भद्रबाहुविरचिता नियुक्तिश्चेत्येतावान् प्रथमः खण्डः पुण्यपत्तनस्थश्रेष्ठिमोतीलालेन प्रकाशितः Page #2 --------------------------------------------------------------------------  Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SUYAGADAM "The Second Book of the Sacred Canon of the Jains For the first time Critically edited WINE The Text of Niryukti, Various Readings Notes and Appendices BY DR. P. L. VAIDYA, M. A.; D. Litt. ( Paris ) Professor of Sanskrit and Ardhamagadhi Willingdon College, Sangli Springer Research Scholar, Bombay University PARTI (Text and Niryukti ) 1928 Page #4 --------------------------------------------------------------------------  Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PREFACE The Sacred Books of the Svetambara Jains were published in two or three editions in Calcutta, Bombay and Hyderabad, but they soon became very rare. Since the introduction of Ardhamagadhi in the Bombay University many of these books are being appointed as texts for several examinations and students always experienced great difficulty in procuring them. The published editions, moreover, could hardly claim to be critical in any sense of the term and as such were unfit to be used by a critical University Student. I therefore undertook, at the suggestion and support of Shet Motilal Ladhaji of Poona, the task of preparing the first critical edition of the Sutrakrtanga, the Second Book of the Jain Canon, of which I am just publishing the first part. The second part, which it is hoped will be published without much delay, will contain an introdụction, critical apparatus, word-index, notes and several appendices. I very much regret that for some reasons I am not able to bring out the complete edition in one volume and am thus compelled to crave the indulgence of the reader for its being issued in parts. Willingdon College, 1st August 1928. ] P. L. V. Page #6 --------------------------------------------------------------------------  Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडं पढमे सुयखन्धे Page #8 --------------------------------------------------------------------------  Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समयज्झयणे पढमे 1. 1.1. बुझिज ति तिउट्टिजा बन्धणं परिजाणिया । किमाह बन्धणं वीरो किं वा जाणं तिउट्टइ ॥१॥ चित्तमन्तमचित्तं वा परिगिज्झ किसामवि । अन्नं वा अणुजाणाइ एवं दुक्खा न मुच्चई ॥ २॥ सयं तिवायए पाणे अदुवन्नेहि घायए । हणन्तं वाणुजाणाइ वेरं वड्ढेइ अप्पणो ॥ ३ ॥ . जस्सि कुले समुप्पन्ने जेहिं वा संवसे नरे । ममाइ लुप्पई बाले अन्ने अन्नेहि मुच्छिए ॥ ४ ॥ वित्तं सोयरिया चे सव्वमेयं न ताणइ । संखाएँ जीवियं चेवं कम्मुणा उ तिउट्टइ ॥ ५ ॥ एए गन्थे विउक्कम्म एगे समणमाहणा । अयाणन्ता विउस्सित्ता सत्ता कामेहि माणवा ॥ ६॥. सन्ति पञ्च महब्भूया इहमेगेसिमाहिया । पुढवी आउ तेऊ वा वाउ आगासपञ्चमा ॥ ७ ॥ एए पश्च महब्भूया तेब्भो एगो त्ति आहिया । अह तेसिं विणासेणं विणासो होइ देहिणो ॥ ८ ॥ जहा य पुढवीथूभे एगे नाणाहि दीसइ । एवं भो कसिणे लोए विन्न नाणाहि दीसइ ॥ ९॥ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 1. 1. 10एवमेगे त्ति जम्पन्ति मन्दा आरम्भनिस्सिया ।। एगे किच्चा सयं पावं तिव्वं दुक्खं नियच्छइ ॥ १० ॥ पत्तेयं कसिणे आया जे बाला जे य पण्डिया । सन्ति पिच्चा न ते सन्ति नत्थि सत्तोववाइया ॥ ११ ॥ नत्थि पुण्णे व पावे वा नत्थि लोए इओवरे । सरीरस्स विणासेणं विणासो होइ देहिणो ॥ १२ ॥ कुव्वं च कारयं चेव सव्वं कुव्वं न विजई । एवं अकारओ अप्पा एवं ते उ पगन्भिया ॥ १३ ॥ जे ते उ वाइणो एवं लोए तेर्सि कओ सिया । तमाओ ते तमं जन्ति मन्दा आरम्भनिस्सिया ॥ १४ ॥ सन्ति पञ्च महन्भूया इहमेगेसिमाहिया । आयछटा पुणो आहु आया लोगे य सासए ॥ १५ ॥ . दुहओ न विणस्सन्ति नो य उप्पजए असं। . सव्वे वि सव्वहा भावा नियत्तीभावमागया ॥ १६ ॥ पञ्च खन्धे वयन्तेगे वाला उ खणजोइणो । अन्नो अणन्नो नेवाहु हेउयं च अहेउयं ॥ १७ ॥ पुढवी आउ तेऊ य तहा वाऊ य एगओ। चत्तारि धाउणो रूवं एवमाहंसु आवरे ॥ १८ ॥ अगारमावसन्ता वि अरण्णा वा वि पव्वया । इमं दरिसणमावन्ना सव्वदुक्खा विमुच्चई ॥ १९ ॥ ते नावि संधिं नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा। जे ते उ वाइणो एवं न ते ओहंतराहिया ॥ २० ॥ ते नावि संधिं नचा णं न ते धम्मविऊ जणा। जे ते उ वाइणो एवं न ते संसारपारगा ॥ २१ ॥ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 1. 2. 4] समयज्झयणे ते नावि संधि नचा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइणो एवं न ते गब्भस्स पारगा ॥ २२ ॥ ते नावि संधिं नचा णं न ते धम्मविऊ जणा। जे ते उ वाइणो एवं न ते जम्मस्स पारगा ॥ २३ ॥ ते नावि संधिं नचा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइणो एवं न ते दुक्खस्स पारगा ॥ २४ ॥ ते नावि संधि नच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा। जे ते उ वाइणो एवं न ते मारस्स पारगा ॥ २५ ॥ नाणाविहाइ दुक्खाइं अणुहोन्ति पुणो पुणो। संसारचकवालम्मि मनुवाहिजराकुले ॥ २६ ॥ उच्चावयाणि गच्छन्ता गब्भमेस्सन्ति णन्तसो । नायपुत्ते महावीरे एवमाह जिणुत्तमे ॥ २७ ॥ त्ति बेमि ॥ समयज्झयणे पढमुद्देसो 1. 1. 2. आघायं पुण एगेसिं उववन्ना पुढो जिया । वेदयन्ति सुहं दुक्खं अदु वा लुप्पन्ति ठाणओ ॥ १॥ न तं सयंकडं दुक्खं को अन्नकडं च णं । सुहं वा जइ वा दुक्खं सेहियं वा असेहियं ॥ २ ॥ सयंकडं न अन्नेहिं वेदयन्ति पुढो जिया। संगइयं तं तहा तेर्सि इहमेगेसिमाहियं ॥ ३ ॥ एवमेयाणि जम्पन्ता बाला पण्डियमाणिणो । निययानिययं सन्तं अयाणन्ता अबुद्धिया ॥ ४ ॥ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 1.2.5एवमेगे उ पासत्था ते भुजो विप्पगम्भिया । एवं उवडिया सन्ता न ते दुक्खविमोक्खगा ॥ ५ ॥ जविणो मिगा जहा सन्ता परियाणेण वञ्जिया । असङ्कियाई सङ्कन्ति सङ्कियाइँ असङ्किणो ॥ ६ ॥ परियाणियाणि सङ्कन्ता पासियाणि असङ्किणो । अन्नाणभयसंविग्गा संपलिन्ति तहिं तहिं ॥७॥ अह तं पवेज बझं अहे बज्झस्स वा वए । मुच्चेज पयपासाओ तं तु मन्दे न देहई ॥ ८॥ अहियप्पाहियपन्नाणे विसमन्तेणुवागए । स बद्धे पयपासेणं तत्थ घायं नियच्छइ ॥ ९ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्ठी अणारिया। असङ्कियाई सङ्कन्ति सङ्कियाइँ असङ्किणो ॥ १० ॥ धम्मपन्नवणा जा सा तं तु सङ्कन्ति मूढगा। आरम्भाई न सङ्कन्ति अवियत्ता अकोविया ॥११॥ सव्वप्पगं विउक्कस्सं सव्वं नूमं विहूणिया । अप्पत्तियं अकम्मंसे एयम मिगे चुए ॥ १२ ॥ जे एयं नाभिजाणन्ति मिच्छादिही अणारिया। .. मिगा वा पासबद्धा ते घायमेस्सन्ति पन्तसो ॥ १३॥ माहणा समणा एगे सव्वे नाणं सयं वए । सव्वलोगे वि जे पाणा न ते जाणन्ति किंचण ॥ १४ ॥ मिलक्खू अमिलक्खुस्स जहा वुत्ताणुभासए । न हेउं से वियाणाइ भासियं तणुभासए ॥ १५ ॥ एवमन्नाणिया नाणं वयन्ता वि सयं सयं । . निच्छयत्थं न जाणन्ति मिलक्खु व्व अबोहिया ॥ १६ ॥ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 1. 2. 28 ] समयज्झयणे अन्नाणियाणं वीमंसा अन्नाणे न नियच्छइ । अप्पणो य परं नालं कुतो अन्नाणुसासिउं ॥ १७ ॥ वणे मूढे जहा जन्तू मूढे नेयाणुगामिए । दो वि एए अकोविया तिव्वं सोयं नियच्छई ॥ १८ ॥ अन्धो अन्धं पहं नेन्तो दूरमद्धाण गच्छइ । आवजे उप्पहं जन्तू अदु वा पन्थाणुगामिए ॥ १९ ॥ एवमेगे नियागट्टी धम्ममाराहगा वयं । अदु वा अहम्ममावले न ते सव्वजयं वए । २० ।। एवमेगे वियकाहिं नो अन्नं पजुवासिया । अप्पणो य वियकाहिं अयमञ्जू हि दुम्मई ॥२१॥ एवं तत्काइ साहेन्ता धम्माधम्मे अकोविया । दुक्खं ते नाइतुट्टेन्ति सउणी पञ्जरं जहा ॥ २२ ॥ सयं सयं पसंसन्ता गरहन्ता परं वयं । जे उ तत्थ विउस्मन्ति संसारं ते विउस्सिया ॥ २३॥ अहावरं पुरक्खाय किरियावाइदरिसणं । कम्मचिन्तापणहाणं संसारस्स पवड्डणं ॥ २४ ॥ जाणं काएगणाउट्टी अबुहो जं च हिंसइ । पुट्ठो संवेयइ परं अवियत्तं खु सावजं ॥ २५ ॥ सन्तिमे तउ आयाणा जेहिं कीरइ पावगं । अभिकम्मा य पेसा य मणसा अणुजाणिया ॥ २६ ॥ एए उ तउ आयाणा जेहिं कीरइ पावगं । एवं भावविसोहीए निव्वाणमभिगच्छई ॥ २७ ॥ पुत्तं पिया समारब्भ आहारेज असंजए । भुञ्जमाणो य मेहावी कम्मुणा नोवलिप्पई ॥ २८ ॥ Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि ... [1. 1. 2. 29मणसा जे पदुस्सन्ति चित्तं तेसिं न विजइ ।।... अणवजमतहं तेसिं न ते संवुडचारिणो ॥ २९ ॥ इच्चेयाहि य दिट्ठीहिं सायागारवनिस्सिया । सरणं ति मन्नमाणा सेवन्ती पावगं जणा ॥ ३० ॥ जहा अस्साविणिं नावं जाइअन्धो दुरूहिया ।। इच्छई पारमागन्तुं अन्तरा य विसीयई ॥ ३१ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्टी अणारिया । संसारपारकंखी ते संसारं अणुपरियट्टन्ति ॥ ३२ ॥. ... . त्ति बेमि ॥ समयज्झयणे विइयुद्देसो 1. 1. 3. जं किंचि उ पूइकडं सड्ढीमागन्तुमीहियं । सहस्सन्तरियं भुजे दुपक्खं चेव सेवई ॥ १॥ तमेव अवियाणन्ता विसमंसि अकोविया । मच्छा वेसालिया चेव उदगस्सभियागमे ॥ २ ॥ उदगस्स पहावेणं सुकं सिग्यं तमेन्ति उ । ढङ्केहि य कङ्केहि य आमिसत्थेहि ते दुही ॥ ३ ॥ एवं तु समणा एगे वट्टमाणसुहेसिणो । मच्छा वेसालिया चेव घायमेस्सन्ति णन्तसो ॥ ४ ॥ इणमन्नं तु अन्नाणं इहमेगेसिमाहियं । देवउत्ते अयं लोए बम्भउत्ते इ आवरे ॥ ५॥ . ईसरेण कडे लोए पहाणाइ तहावरे । जीवाजीवसमाउत्ते सुहदुक्खसमनिए ॥ ६ ॥ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 1. 3 16.] समयज्झयणे संयंभुणा कडे लोए इइ वुत्तं महेसिणा । मारेण संथुया माया तेण लोए असासए ॥७॥ माहणा समणा एगे आह अण्डकडे जए। असो तत्तमकासी य अयाणन्ता मुसं वए ॥ ८ ॥ सएहिं परियाएहिं लोग बूया कडे त्ति य । तत्तं ते न वियाणन्ति न विणासी कयाइ वि ॥ ९॥ : अमगुन्नसमुप्पायं दुक्खमेव वियाणिया । समुप्पायमयाणन्ता कहं नायन्ति संवरं ॥ १० ॥ सुद्धे अपावए आया इहमेगेसिमाहियं । पुणो किड्डापदोसेणं सो तत्थ अवरज्झई ॥ ११ ॥ इह संवुडे मुणी जाए पच्छा होइ अपावए । वियडम्बु जहा भुञ्जो नीरयं सरयं तहा ॥ १२ ॥ एयाणुवीइ भेहावी बम्भचेरेण ते वसे । पुढो पावाउया सव्वे अक्खायारो सयं सयं ॥ १३ ॥ सए सए उवहाणे सिद्धिमेव न अन्नहा । अहे इहेव वसवत्ती सबकामसमप्पिए ॥ १४ ॥ सिद्धा य ते अरोगा य इहमेगेसिमाहियं । सिद्धिमेव पुरो काउं सासए गढिया नरा ॥ १५ ॥ असंवुडा अणाईयं भमिहिन्ति पुणो पुणो । कप्पकालमुवञ्जन्ति ठाणा आसुरकिब्बिसिय ॥ १६ ॥ त्ति बेमि ॥ समयज्झयणे तइयुद्देसो Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 1. 4: 1-- 1. 1.4. एए जिया भो न सरणं बाला पण्डियमाणिणो । हिचा णं पुवसंजोयं सिया किच्चोवएसगा ॥१॥ तं च भिक्खू परिनाय वियं तेसु न मुच्छए ।' अणुक्कस्से अप्पलीणे मज्झेण मुणि जावए ॥ २ ॥ सपरिग्गहा य सारम्भा इहमेगेसिमाहयं । अपरिग्गहा अणारम्भा भिक्खू ताणं परिव्वए ॥ ३ ॥ कडेसु घासमेसेजा विऊ दत्तेसणं चरे । अगिद्धो विप्पमुक्को य ओमाणं परिवजए ॥ ४ ॥ लोगवायं निसामेजा इहमेगेसिमाहियं । विवरीयपन्नसंभूयं अन्नउत्तं तयाणुयं ॥ ५ ॥ अणन्ते निइए लोए सासए न विणस्सई । अन्तवं निइए लोए इइ धीरो तिपासई ॥६॥ अपरिमाणं वियाणाइ इहभेगेसिमाहियं । सव्वत्थ सपरिमाणं इइ धीरो तिपासई ॥ ७॥ जे केइ तसा पाणा चिट्ठन्ति अदु थावरा । परियाए अत्थि से अचू जेण ते तसथावरा ॥ ८॥ उरालं जगओ जोगं विवञ्जासं पलेन्ति य। सव्वे अकन्तदुक्खा य अओ सव्वे अहिंसिया ॥९॥ एवं खु नाणिणो सारं जं न हिंसइ किंचण। अहिंसासमयं चेव एयावन्तं वियाणिया ॥ १० ॥ बुसिए य विगयगेही आयाणं सम्म रक्खए । चरियासणसेजासु भत्तपाणे य अन्तसो ॥ ११ ॥ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 2. 1.7] वेयालियज्झयणे एएहिं तिहि ठाणेहिं संजए सययं मुणी । उक्कसं जलणं नूमं मज्झत्थं च विगिश्चए ॥ १२ ॥ समिए उ सया साहू पञ्चसंवरसंवुडे । सिएहि आसिए भिक्खू आमोक्खाए परिव्वएजासि ॥ १३ ॥ त्ति बेमि ॥ समयज्झयणं पढम वेयालियज्झयणे बिइए 1.2.1. संबुज्झह किं न बुज्झह संबोही खलु पेच्च दुल्लहा । नो हूवणमन्ति राइयो नो सुलभं पुमरावि जीवियं ॥१॥ डहरा बुड्डा य पासह गब्भत्था वि चयन्ति माणवा । सेणे जह वट्टयं हरे एवं आउखयम्मि तुई ॥ २ ॥ मायाहि पियाहि लुप्पई नो सुलहा सुगई य पेचओ।' एयाइ भयाइ पहिया आरम्भा विरमेज सुव्वए ॥३॥ जमिणं जगई पुढो जगा कम्मेहिं लुप्पन्ति पाणिणो । सयमेव कडेहि गाहई नो तस्स मुच्चेञ्जपुट्ठयं ॥ ४ ॥ देवा गन्धब्बरक्खसा असुरा भूमिचरा सरीसिवा । राया नरसेहिमाहणा ठाणा ते वि चयन्ति दुखिया ॥ ५ ॥ कामेहि य संथवेहि गिध्दा कम्मसहा कालेण जन्तवो । ताले जह बन्धणचुए एवं आयुखयम्मि तुट्टई ॥ ६॥ जे यावि बहुस्सुए सिया धम्मिय माहण भिक्खुए सिया । ... अभिनूमकडेहि मुच्छिए तिवं ते कम्मेहि किचई ॥७॥ Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ सूयगडम [.. 2. 1. 8 अह पास विवेगमुgिe अवितिष् इह भासई धुवं । नाहिस आरं कओ पर वेहासे कम्मेहि किच्च ॥ ८ ॥ जइ विय नगिणे किसे चरे जइ वि य भुजिय मासमन्तसो । जे इह मायाहि मिजई आगन्ता गन्भाय णन्तसो ॥ ९॥ पुरिसोरम पावकम्मुगा पलियन्तं मणुयाग जीवियं । सन्ना इह काममुच्छिया मोहं जन्ति नरा असंबुडा || १० ॥ जययं विहराहि जोगवं अगुपागा पन्था दुरुत्तरा । असासमेव पकमे वीरेहिं सम्मं पवेइयं ॥ ११ ॥ . विरया वीरा समुट्ठिया कोहकायरिया पीसणा । पाणे न हणन्ति सव्वसो पावाओ विरयाभिनिव्बुडा ॥ १२ ॥ विता अहमेव लुप्प लुप्पन्ती लोगंसि पाणिणो । एवं सहिएहि पास अनि से पुट्ठे हियास || १३ ॥ 'घुणिया कुलियं व लेववं किस देहमणासणा इह । अविहिंसामेव पव्व अणुधम्मो मुणिणा पवेइयो | १४ ॥ सणी जह पंगुण्डिया विहुगिय धंसयई सियं रयं । एवं विवहावं कम्मं खवइ तवस्सि माहणे ।। १५ ।। उडियमणगारमेसणं समणं ठाणठियं तवस्सिणं । डहरा बुड्ढा य पत्थए अव सुस्सो न य तं लभेज नो ॥ १६ ॥ जड़ कालुणियाणि कासिया जड़ रोयन्ति य पुत्तकारणा । दवियं भिक्ख समुट्टियं नो लब्भन्ति न संठवित्तवे ॥ १७ ॥ जयि कामेहि लाविया जड़ ने जाहि ण बन्धिउं घरं । जड़ जीवि नाव नो लब्भन्ति न संठवित्तए ।॥ १८ ॥ सेहन्ति य णं ममाइणो माय पिया य सुया य भारिया । पोसाहि ण पासओ तुम लोग परं पि जहासि पोसणो ॥ १९ ॥ Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेयालियज्झणे अने अन्नेहि मुच्छिया मोहं जन्ति नरा असंबुडा | विसमं विसमेहि गाहिया ते पावेहि पुणो पगब्भिया ॥ २० ॥ 1. 2. 2.7] तम्हा दवि इक्ख पण्डिए पावाओ विर भिनिव्डे | पण वीरं महाविहिं सिद्धिपहं नेयायं धुवं ॥ २१ ॥ वेयालियमग्गमागओ मणवयसा कारण निव्वुडो | चिच्चा वित्तं च नायओ आरम्भं च सुसंवुडं चरे ॥ २२ ॥ तिमि ॥ वेयालियज्झयणे पढमुद्देसो १३. 1. 2. 2. तय संव जहाइ से रयं इइ संखाय मुणी न मजई । गोयन्नतरेण माहणे अहसेयकरी असि इंखिणी ॥ १ ॥ जो परिभवई परं जणं संसारे परिवत्तई महं । अदुखिया उपाविया इइ संखाय मुणी न मजई ॥ २ ॥ जे यावि अणायगे सिया जे वि य पेसगपेसगे सिया । जे मोणपयं उवट्टिए नो लज्जे समयं सया चरे ॥ ३॥ सम अन्यरम्भ संजमे समुद्धे सम परिव्वए । जे आवा समाहि दविए कालमकासि पण्डिए ॥ ४ ॥ दूरं अणुपस्सिया मुणी तीयं धम्ममणागयं तहा । पुढे फरसेहि माह अहिष्णू समयम्मियइ ॥ ५ ॥ पनसमते सया जए समताधम्ममुदाहरे मुणी । हमे उसया अलूस नो कुज्झे नो माणि माहणे ॥ ६॥ बहुजणनमणम्मि संवुडो सव्वद्वेहि नरे अणिस्सिए । हरए व सया अणाविले धम्मं पादुरकासि कासवं ॥ ७॥ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ [ 1. 2. 2.8 सूयगड बहवे पाणा पुढो सिया पत्तेयं समयं समीहिया । जे मोगपयं उवडिए विरहं तत्थ अकासि पण्डिए ॥ ८ ॥ धम्मस्स य पारगे मुणी आरम्भस्स य अन्तर ठिए । सोयन्ति य णं ममाइणो नो लब्भन्ति नियं परिग्गहं ॥ ९ ॥ इहलो दुहावहं विऊपरलोगे य दुहं दुहावहं । विद्वंसणधम्ममेव तं इह विअं को गारमावसे ॥ १० ॥ महयं पलिगोव जाणिया जा विय वंदणपूयणा इहं । सुहुने सल्ले दुरुद्धरे विउमंता पयहि संथवं ॥ ११ ॥ एग चर ठाणमासणे सयणे एग समाहिए सिया । भिक्खु उवहाणवीरिए वइगु अज्झत्तसंवुडो ॥ १२ ॥ नो पीहे न यावपंगुणे दारं सुन्नघरस्स संजए । पुढे न उदाहरे वयं न समुच्छे नो संथरे तणं ॥ १३ ॥ जत्थत्थमिए अणाउले समविसमा मुणी हियासए । चरगा अदुवा विभेखा अदु वा तत्थ सरीसिवा सिया ॥ १४॥ तिरिया मणुया य दिव्वगा उवसग्गा तिविहा हियासिया । लोमादीयं न हारिसे सुन्नागारगओ महामुनी ।। १५ ।। नो अभिकखे जीवयं नो वि य पूयणपत्थणे सिया । अभत्थमुवन्ति भेरवा सुन्नागारगयस्स भिक्खुणो ॥ १६ ॥ उवणीयतरस्स ताइणो भयमाणस्स विविकमासणं । सामाइयमाहु तस्स जं जो अप्पाण भए न दंसए ॥ १७॥ उसिणोद्गतत्तभोइणो धम्मठियस्स मुणिस्स हीमतो | असा राहिं असमाही उ तहागयस्स वि ॥ १८ ॥ अहिगरण कडस्स भिक्खुणो वयमाणस्स पसज्झ दारुणं । अ परिहायई बहू अहिगरणं न करेञ्ज पण्डिए । १९ ॥ Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 2. 2. 31] वेयालियज्झयणे . १५ सीओदग पडि दुगुंछिणो अपडिन्नस्स लवावसप्पिणो । सामाइयमाहु तस्स जं जो गिहिमत्तेऽसणं न भुञ्जई ॥ २० ॥ न य संखयमाहु जीवियं तह वि य बालजणो पगभई । बाले पावेहि मिजई इइ संखाय मुणी न मजई ॥ २१ ॥ छंदेण पले इमा पया बहुमाया मोहेण पावुडा । वियडेण पलन्ति माहणे सीउण्हं वयसा हियासए ॥ २२ ॥ कुजए अपराजिए जहा अक्खेहिं कुसलेहि दीवयं । कडमेव गहाय नो कलिं नो तीयं नो चेव दावरं ॥ २३ ॥ एवं लोगम्मि ताइणा बुइए जे धम्मे अणुत्तरे । तं गिह हियं ति उत्तम कडमिव सेस वहाय पण्डिए ॥ २४ ॥ उत्तर मणुयाण अहिया गामधम्म इइ मे अणुस्सुयं । जसी विरया समुडिया कासवस्स अणुधम्मचारिणो ॥ २५ ॥ जे एय चरन्ति आहियं नाएणं महया महेसिणा । ते उद्रिय ते समुट्टिया अन्नोन्नं सारेन्ति धम्मओ ॥ २६ ।। मा पेह पुरा पणामए अभिकंखे उवहिं धुणित्तए । ज दूमण तेहि नो नया ते जाणन्ति समाहिमाहियं ॥ २७ ॥ नो काहिए होज संजए पासणिए न य संपसारए । नचा धम्म अणुत्तरं कयकिरिए न यावि मामए ॥ २८ ॥ छन्नं च पसंस नो करे न य उक्कोस पगास माहणे। तेसिं सुविवेगमाहिए पणया जेहि सुजोसियं धुवं ॥ २९ ॥ अनिहे सहिए सुसंवुडे धम्मट्टी उवहाणवीरिए। विहरेज समाहिइंदिए अत्तहियं खु दुहेण लब्भइ ॥ ३० ॥ न हि नूण पुरा अणुस्सुयं अदु वा तं तह नो समुट्टियं । मुणिणा सामाइ आहियं नाएणं जगसव्वदंसिणा ॥ ३१ ॥ Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1.2. 2. 32एवं मत्ता महन्तरं धम्ममिणं सहिया बहू जणा। गुरुणो छंदाणुवत्तगा विरयां तिण्ण महोघमाहियं ॥ ३२ ॥ ति बेमि ॥ वेयालियज्झयणम्मि बिइयुद्देसो 1.2.3. संवुडकम्मस्स भिक्खुणो जं दुक्खं पुढे अबोहिए । तं संजमओऽवचिजई मरणं हेच्च वयन्ति पण्डिया ॥१॥ जे विनवणाहिनोसिया संतिण्णेहि समं वियाहिया । तम्हा उडे ति पासहा अदक्खु कामाइँ रोगवं ॥ २॥ अंग्गं वणिएहि आहियं धारेन्ती राइणिया इहं । एवं परमा महन्वया अक्खाया उ सराइभोयणा ॥ ३ ॥ जे इह सायाणुगा नरा अज्झोववन्ना कामेहि मुच्छिया । किवणेण समं पगब्भिया न वि जाणन्ति समाहिमाहियं ॥ ४ ॥ वाहेण जहा व विच्छए अबले होइ गवं पचोइए । से अन्तसो अप्पथामए नाइवहे अबले विसीयइ ॥ ५ ॥ एवं कामेसण विऊ अज सुए पयहेज संथवं । कामी कामे न कामए लद्धे वा वि अलद्ध कण्हुई ॥ ६ मा पच्छ असाधुता भवे अञ्चेही अणुसास अप्पगं । आहियं च असाहु सोयई से थणई परिदेवई बहुं ॥७॥ इह जीवियमेव पासहा तरुणे वा ससयस तुट्टई । इत्तरवासे य बुज्झह गिद्ध नरा कामेसु मुच्छिया ॥ ८॥ जे इह आरम्भनिस्सिमा आयदण्ड एगन्तलूसगा । गन्ता ते पावलोगयं चिररायं आसुरियं दिसं ॥९॥ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 2. 2. 21.] वेयालियज्झयणे न य संखयमाहु जीवियं तह वि य बालजणो पगभई ॥ पचुप्पन्नेण कारियं को दटुं परलोगमागए ॥ १० ॥ अदक्खुव दक्खुवाहियं तं सद्दहसु अदक्खुदंसणा। हंदि हु सुनिरुद्धदंसणे मोहणिएण कडेण कम्मुणा ॥ ११ ॥ दुक्खी मोहे पुणो पुणो निम्विन्देज सिलोगपूयणं । एवं सहिए हिपासए आयतुलं पाणेहि संजए ॥ १२ ॥ गारं पि य आवसे नरे अणुपुव्वं पाणेहि संजए। समता सव्वत्थ सुव्वए देवाणं गच्छे सलोगयं ॥ १३ ॥ सोचा भगवाणुसासणं सच्चे तत्थ करेजुवक्कम । सव्वत्थ विणीयमच्छरे उञ्छं भिक्खु विसुद्धमाहरे ॥ १४ ॥ एवं नच्चा अहिट्ठए धम्मट्टी उवहाणवीरिए । गुत्ते जुत्ते सया जए आयपरे परमायतहिए ॥ १५ ॥ वित्तं पसवो य नाइओ तं बाले सरणं ति मन्नई । एए मम तेसु वी अहं नो ताणं सरणं न विजई ।। १६ ॥ अब्भागमियम्मि वा दुहे अहवा उक्कमिए भवन्तिए। एगस्स गई य आगई विदुमन्ता सरणं न मन्नई ॥ १७ ॥ सव्वे सयकम्मकप्पिया अवियत्तेण दुहेण पाणिणो । हिण्डन्ति भयाउला सढा जाइजरामरणेहि भिडुया ॥ १८ ॥ इणमेव खणं वियाणिया नो सुलभं बोहिं च आहियं । एवं सहिए हिपासए आह जिणे इणमेव सेसगा ॥ १९ ॥ अभविंसु पुरा वि भिक्खुवो आएसा वि भवन्ति सुव्वया । एयाइँ गुणाई आहु ते कासवस्स अणुधम्मचारिणो ॥ २० ॥ तिविहेण वि पाण मा हणे आयहिए अणियाण संवुडे । एवं सिद्धा अणन्तसो संपइ जे य अणागयावरे ॥ २१ ॥ सूयगडं-२ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ सूयगडम्म [1. 2. 3. 22 एवं से उदा अणुतराणी अणुत्तरदंसी अणुत्तरनाणदंसणधरे । अरहा नायपुत्ते भगवं वेसालिए वियाहिए ।। २२ ।। त्ति बेमि ॥ वेयालिज्झयणं बिइयं उवसग्गज्झयणे तइए 1. 3. 1. सूरं मन्नई अप्पाणं जाव जेयं न परसाई । .. जुज्झन्तं दढधम्माणं सिसुपालो व महारहं ॥ १ ॥ पयाया सूरा रणसीसे संगामम्मि उवट्टिए । माया पुत्तं न जाणाइ जेएण परिविच्छए || २ || एवं सेहे व अपुढे भिक्खायरियाअकोविए । सूरं मन्न अप्पाणं जाव लुहं न सेव ॥ ३ ॥ जया हेमन्तमासम्म सीयं फुसइ सव्वगं । तत्थ मन्दा विसीयन्ति रज्जहीणा व खत्तिया ॥ ४ ॥ फुडे गिम्हहितावेणं विम सुपिवासिए । तत्थ मन्दा विसयन्ति मच्छा अप्पोदए जहा ॥ ५ ॥ सया दत्तेसणा दुक्खा जायणा दुप्पणोल्लिया । कम्मत्ता दुब्भगा चेव इच्चाहंसु पुढोजणा ॥ ६ ॥ एए सद्दे अचायन्ता गामेसु नगरेसु वा । तत्थ मन्दा विसयन्ति संगामम्मि व भीरुया ॥ ७ ॥ अप्पे खुधियं भिक्खु सुणी डंसइ लसए । तत्थ मन्दा विसीयन्ति तेउपुट्ठा व पाणिणो ॥ ८ ॥ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 3. 2.2.] उवसग्गज्झयणे अप्पेगे पडिभासन्ति पडिपन्थियमागया । पडियारगया एए जे एए एवजीविणो ॥९॥ अप्पेगे वइ जुञ्जन्ति नगिणा पिण्डोलगाहमा । मुण्डा कण्डूविणहङ्गा उजला असमाहिया ॥ १० ॥ एवं विप्पडिवन्नेगे अप्पणा उ अजाणया । तमाओ ते तमं जन्ति मन्दा मोहेण पावुडा ॥ ११ ॥ पुट्ठो य दंसमसगेहिं तणफासमचाइया । । न मे दिढे परे लोए जइ परं मरणं सिया ॥ १२ ॥ संतत्ता केसलोएणं बम्भचेरपराइया । तत्थ मन्दा विसीयन्ति मच्छा विट्ठा व केयणे ।। १३॥ आयदण्डसमायारे मिच्छासंठियभावणा । हरिसप्पओसमावन्ना केई लूसन्तिनारिया ॥ १४ ॥ अप्पेगे पलियन्तेसिं चारो चोरो त्ति सुव्वयं । बन्धन्ति भिक्खुयं बाला कसायवयणेहि य ॥ १५ ॥ तत्थ दण्डेण संवीते मुट्टिणा अदु फलेण वा । नाईणं सरई बाले इत्थी वा कुद्धगामिणी ॥ १६ ॥ एए भो कसिणा फासा फरुसा दुरहियासया । हत्थी वा सरसंवित्ता कीवावस गया गिहं ॥ १७॥ ति बेमि ॥ उवसग्गज्झयणे पढमुद्देसे 1. 3. 2. अहिमे सुहुमा संगा भिक्खूणं जे दुरुत्तरा । जत्थ एगे विसीयन्ति न चयन्ति जवित्तए ॥१॥ अप्पेगे नायगा दिस्स रोयन्ति परिवारिया । पोस णे ताय पुट्टो सि कस्स ताय जहासि णे ॥ २ ॥ Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [].3.2.3 पिया ते थेरओ ताय ससा ते खुड्डिया इमा । भायरो ते सगा ताय सोयरा किं जहासि णे ॥३॥ मायरं पियरं पोस एवं लोगो भविस्सइ । एवं खु लोइयं ताय जे पालेन्ति य मायरं ॥ ४ ॥ उत्तरा महुरुल्लावा पुत्ता ते ताय खुड्या । भारिया ते नवा ताय मा सा अन्नं जणं गमे ॥५॥ एहि ताय घरं जामो मा य कम्मे सहा वयं । बिइयं पि ताय पासामो जामु ताव सयं गिहं ॥ ६ ॥ गन्तुं ताय पुणो गच्छे न तेणासमणो सिया । अकामगं परिक्कम्मं को ते वारिउमरिहइ ॥ ७ ॥ जं किंचि अणगं ताय तं पि सव्वं समीकयं । हिरण्णं ववहाराइ तं पि दाहामु ते वयं ॥ ८ ॥ इच्चेव णं सुसेहन्ति कालुणीयसमुडिया । विबद्धो नाइसंगेहिं तओ गारं पहावइ ॥९॥ जहा रुक्खं वणे जायं मालुया पडिबन्धइ । एवं णं पडिबन्धन्ति नाइओ असमाहिणा ॥ १० ॥ विबद्धो नाइसंगेहिं हत्थी वा वि नवग्गहे । पिडओ परिसप्पन्ति सुय गो व्य अदूरए ॥ ११ ॥ एए संगा मणूसाणं पायाला व अतारिमा । कीवा जत्थ य किस्सन्ति नाइसंगेहि मुच्छिया ॥ १२॥ तं च भिक्खू परिनाय सव्वे संगा महासवा । जीवियं नायकंखिजा सोचा धम्ममणुत्तरं ॥ १३ ॥ अहिमे सन्ति आवट्टा कासवणं पवेइया । बुद्धा जत्थावसप्पन्ति सीयन्ति अबुहा जहिं ॥ १४ ॥ Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 3. 3. 2.] उवसग्गज्झयणे रायाणो रायमचा य माहणा अदु व खत्तिया । निमन्तयन्ति भोगेहिं भिक्खुयं साहुजीविणं ॥ १५ ॥ हत्थस्सरहजाणेहिं विहारगमणेहि य । भुञ्ज भोगे इमे सग्धे महरिसी पूजयामु तं ॥ १६॥ वत्थगन्धमलंकारं इत्थीओ सयणाणि य । भुञ्जाहिमा भोगाई आउसो पूजयामु तं ॥ १७ ॥ जो तुमे नियमो चिण्णो भिक्खुभावम्मि सुव्वया । अगारमावसन्तस्स सव्यो संविजए तहा ॥ १८ ॥ चिरं दृइजमाणस्स दोसो दाणिं कुओ तव । इच्चेव णं निमन्तेन्ति नीवारेण व सूयरं ॥ १९ ॥ चोइया भिक्खचरियाए अचयन्ता जवित्तए । तत्थ मन्दा विसीयन्ति उजाणंसि व दुबला ॥ २० ॥ अचयन्ता व लुहेणे उवहाणेण तजिया । तत्थ मन्दा विसीयन्ति उजाणंसि जरग्गवा ॥ २१ ॥ एवं निमन्तणं लद्धं मुच्छिया गिद्ध इत्थिसु । अज्झोववन्ना कामेहिं नोइजन्ता गया गिहं ॥२२॥ ति बेमि ॥ उवसग्गज्झयणे बिइयुद्देसे 1. 3. 3. जहा संगामकालम्मि पिट्ठओ भीरु वेहइ । वलयं गहणं नूमं को जाणइ पराजयं ॥१॥ मुहुत्ताणं मुहुत्तस्स मुहुत्तो होइ तारिसो। पराजिया वसप्पामो इइ भीरू उवेहई ॥ २॥ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 3. 3. 3एवं उ समणा एगे अबलं नचाण अप्पगं । अणागयं भयं दिस्स अवकप्पन्तिमं सुयं ॥ ३ ॥ को जाणइ विऊयायं इत्थीओ उदगाउ वा । चोइजन्ता पवक्खामो न नो अत्थि पकप्पियं ॥ ४ ॥ इच्चेव पडिलेहन्ति वलया पडिलेहिणो । वितिगिच्छसमावन्ना पन्थाणं च अकोविया ॥ ५ ॥ जे उ संगामकालम्मि नाया सूरपुरंगमा । नो ते पिडमुवेहिन्ति किं परं मरणं सिया ॥ ६ ॥ एवं समुट्टिए भिक्खू वोसिजा गारबन्धणं । आरम्भ तिरियं कट्टु अत्तत्ताए परिव्यए ॥ ७ ॥ तमेगे परिभासन्ति भिक्खुयं साहुजीविणं । जे एवं परिभासन्ति अन्तए ते समाहिए ॥ ८ ॥ संबद्धसमकप्पा उ अन्नमन्नेसु मुच्छिया। पिण्डवायं गिलाणस्स जं सारेह दलाह य ॥ ९ ॥ एवं तुब्भे सरागत्था अन्नमन्त्रमणुव्बसा । नदृसप्पहसब्भावा संसारस्स अपारगा ॥ १० ॥ अह ते परिभासेजा भिक्खु मोक्खविसारए । एवं तुब्भे पभासन्ता दुपक्खं चेव सेवह ॥ ११ ॥ तुब्भे भुञ्जह पाएमु गिलाणो अभिहडम्मि य । तं च बीओदगं भोचा तमुदिस्सादि जं कडं ॥ १२ ॥ लित्ता तिव्वाभितावेणं उझिया असमाहिया । नाइकण्डूइयं सेयं अरुयस्तावरज्झई ॥१३॥ तत्तेण अणुसिहा ते अपडिन्नेण जाणया । न एस नियए मग्गे असमिक्खा वई किई ॥ १४ ॥ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ 1. 3. 4. 3.] उवसग्गज्झयणे एरिसा जा वई एसा अग्गवेणु व्व करिसिया । गिहिणो आभिहडं सेयं भुजिउं न उ भिक्खुणं ॥ १५ ॥ धम्मपन्नवणा जा सा सारम्भा न विसोहिया । न उ एयाहि दिट्ठीहिं पुवमासिं पगप्पियं ॥ १६ ॥ सव्वाहिं अणुजुत्तीहिं अचयन्ता जवित्तए । तओ वायं निराकिच्चा ते भुजो वि पगाब्भया ॥ १७ ॥ रागदोसामिभूयप्पा मिच्छत्तेण अभिया । आउस्से सरणं जन्ति टंकणा इव पव्वयं ॥ १८ ॥ बहुगुणप्पगप्पाइं कुञ्जा अत्तसमाहिए । जेणन्ने न विरुज्झेजा तेण तं तं समायरे ॥ १९ ॥ . इमं च धम्ममायाय कासवेण पवेइयं । . . . कुजा भिक्खू गिलाणस्स अगिलाए समाहिए ॥ २० ॥ संखाय पेसलं धम्मं दिहिमं परिनिव्वुडे । उवसग्गे नियामित्ता आ मोक्खाए परिव्वएजासि ॥ २१ ॥ . त्ति बेमि ॥ उवसग्गज्झयणे तइयुद्देसे 1. 3. 4. आहेसु महापुरिसा पुट्विं तत्ततवोधणा । उदएण सिद्धिमावन्ना तत्थ मन्दो विसीयइ ॥१॥ . अभुञ्जिया नमी विदेही रामगुत्ते य भुञ्जिया। बाहुए उदगं भोचा तहा नारायणे रिसी ॥ २ ॥ आसिले देविले चेव दीवायण महारिसी। पारासरे दगं भोचा बीयाणि हरियाणि य ॥ ३ ॥ .. Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૪ सूयगडम एए पुव्वं महापुरिसा आहिया इह संमया । भोचा बीयोदगं सिद्धा इइ मेयमणुस्सुयं ॥ ४ ॥ तत्थ मन्दा विसीयन्ति वाहच्छिन्ना व गद्दभा । पिओ परिपन्ति पिसप्पीय सभमे ॥ ५ ॥ मेगे उ भासन्ति सायं सारण विजई । जे तत्थ आरियं मग्गं परमं च समाहियं ॥ ६॥ मा एयं अवमन्नन्ता अप्पेणं लुम्पहा बहुं । एयस्स उ अमोक्खाए अयोहारि व्व ज्ररह || ७ || पाणाइवा वट्टन्ता मुसावाए असंजया । अदिन्नादाणे वट्टन्ता मेहुणे य परिग्गहे ॥ ८ ॥ एवमेगे उपासत्था पन्नवन्ति अणारिया | इत्थवसं गया बाला जिणसासणपरंमुहा ॥ ९ ॥ [ 1. 3. 4. 4 जहा गण्डं पिलागं वा परिपीलेज मुहुत्तगं । एवं विनवत्थी दोसो तत्थ कओ सिया ॥ १० ॥ जहा मन्धादणे नाम थिमियं भुञ्जई दगं । एवं विन्नवणित्थी दोसो तत्थ कओ सिया ॥। ११ ॥ जहा विहंगमा पिङ्गा थिमियं भुञ्जई दगं । एवं विभवात्थी दोसो तत्थ कओ सिया ॥ १२ ॥ एवमेगे उपासत्था मिच्छदिट्ठी अणारिया । अज्झोववन्ना कामेहिं पूयणा इव तरुण || १३ || अणागयमपस्सन्ता पच्चुप्पन्नगवेसगा | ते पच्छा परितप्पन्ति खीणे आउम्मि जोव्वणे ॥ १४ ॥ जेहिं काले परिक्कन्तं न पच्छा परितप्पए । धीरा बन्धमुक्का नावखन्ति जीवियं ॥ १५ ॥ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 4. 1. 2.] इत्थिपरिन्नज्झयणे २५ जहा नई वेयरणी दुत्तरा इह संमया । एवं लोगंसि नारीओ दुत्तरा अमईमया ॥ १६ ॥ जेहिं नारीण संजोगा पूयणा पिडओ कया । सव्वमेयं निराकिच्चा ते ठिया सुसमाहिए ॥ १७ ॥ एए ओघं तरिस्सन्ति समुदं ववहारिणो । जत्थ पाणा विसन्नासि किच्चन्ती सयकम्मुणा ॥ १८ । तं च भिक्खू परिनाय सुव्वए समिए चरे । मुसावायं च वजिजा अदिन्नादाणं च वोसिरे ॥ १९ ॥ उड्डमहे तिरियं वा जे केई तसथावरा । सम्वत्थ विरई कुजा सन्ति निव्वाणमाहियं ॥ २० ॥ इमं च धम्ममायाय कासवेण पवेइयं । कुजा भिक्खू गिलाणस्स आगिलाए समाहिए ॥ २१ ॥ संखाय पेसलं धम्मं दिहिमं परिनिव्वुडे । उवसग्गे नियामित्ता आ मोक्खाए परिषएजासि ॥ २२ ॥ त्ति बेमि ॥ उक्सग्गज्झयणं तइयं इत्थिपरिनन्झयणे चउत्थे 1. 4. 1. जे मायरं च पियरं च विप्पजहाय पुव्वसंजोगं । एगे सहिए चरिस्सामि आरयमेहुणो विवित्तेसु ॥ १ ॥ सुहुमेणं तं परिकम्म छन्नपएण इथिओ मन्दा । उब्वायं पि ताउ जाणंसु जहा लिस्सन्ति भिक्खुणो एगे ॥२॥ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ सुयगडम्मि [1. 4. 1.3पासे भिसं निसीयन्ति अभिक्खणं पोसवत्थं परिहिन्ति । कायं अहे वि दंसन्ति बाहू उद्दट्ट कक्खमणुव्वए ॥ ३ ॥ सयणासणेहि जोगेहि इथियो एगया निमन्तेन्ति । एयाणि चेव से जाणे पासाणि विरूवरूवाणि ॥ ४ ॥ नो तासु चक्खु संधेजा नो वि य साहसं समभिजाणे । . नो सहियं पि विहरेजा एवमप्या सुरक्खिओ होइ ॥ ५ ॥ आमन्तिय उस्सविया भिक्खुं आयसा निमन्तेन्ति । एयाणि चेव से जाणे सदाणि विरूवरूवाणि ॥ ६ ॥ मणबन्धणेहि णेगेहिं कलुणविणीयमुवगसित्ताणं । अदु मञ्जुलाइँ भासन्ति आणवयन्ति भिन्नकहाहिं ॥ ७ ॥ सीहं जहा व कुणिमेणं निभयमेगचरं ति पासेणं । एवित्थियाउ बन्धन्ति संवुडं एगइयमणगारं ॥ ८ ॥ अह तत्थ पुणो नमयन्ती रहकारो व नेमि आणुपुब्बीए । बद्धो भिए व पासेणं फन्दन्ते वि न मुच्चए ताहे ॥ ९ ॥ अह सेऽणुतप्पई पच्छा भोचा पायसं व विसमिस्सं । एवं विवेगमायाय संवासो न वि कप्पए दविए ॥ १० ॥ तम्हा उ वजए इत्थी विसलितं व कण्टगं नच्चा । ओए कुलाणि वसवत्ती आघाए न से वि निग्गन्थे ॥ ११ ॥ जे एयं उञ्छं अणुगिद्धा अन्नयरा होन्ति कुसीलाणं । सुतवास्सिए वि से भिक्खू नो विहरे सह णमित्थीसु ॥ १२ ॥ अवि धूयराहि सुण्हाहिं धाईहिं अदुव दासीहिं । महईहि वा कुमारीहिं संथवं से न कुजा अणगारे ॥ १३ ॥ अदु नाइणं च सुहीणं वा अप्पियं दडु एगया होइ । '', गिद्धा सत्ता कामेहिं रक्खणपोसणे मणुस्सोऽसि ॥ १४ ॥ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 4. 1. 26.] इत्थिपरिनज्झयणे समणं पि दुदासीणं तत्थ वि ताव एगे कुप्पन्ति । अदु वा भोयणेहि नत्थेहिं इत्थीदासं संकिणो होन्ति ॥ १५ ॥ कुम्वन्ति संथवं ताहिं पन्भट्ठा समाहिजोगेहिं । तम्हा समणा न समेन्ति आयहियाए संनिसेजाओ ॥ १६ ॥ बहवे गिहाई अवहट्ट मिस्सीभावं पत्थुया य एगे। . धुवमग्गमेव पवयन्ति वायावीरियं कुसीलाणं ॥ १७ ॥ सुद्धं रखइ परिसाए अह रहस्सम्मि दुकडं करेन्ति । जाणन्ति य णं तहाविऊ माइल्ले महासढेऽयं ति ॥ १८ ॥ सयं दुक्कडं च न वयइ आइहो वि पकत्थइ बाले । वेयाणुवीइ मा कासी चोइजन्तो गिलाइ से भुञ्जो ॥ १९ ॥ ओसिया वि इत्थिपोसेसु पुरिसा इत्थिवेयखेयन्ना। पन्नासमन्निया वेगे नारीणं वसं उवकसन्ति ॥ २० ॥ अवि हत्थपायछेयाए अदु वा वद्धमंसउक्कन्ते । अवि तेयसाभितावणाणि तच्छिय खारसिंचणाइँ य ॥ २१ ॥ अदु कण्णनासछेयं कण्ठच्छेयणं तिइक्खन्ती । इइ एत्थ पावसंतत्ता न वेन्ति पुणो न काहिन्ति ॥ २२ ॥ सुयमेयमेवमेगेसिं इत्थीवेय ति हु सुयक्खायं । एयं पिता वइत्ताणं अदु वा कम्मुणा अवकरेन्ति ॥ २३ ॥ अन्नं मणेण चिन्तेन्ति वाया अन्नं च कम्मुणा अन्नं । तम्हा न सद्दहे भिक्खू बहुमायाओं इथिओ नच्चा ॥ २४ ॥ जुवई समणं बूया विचित्तलंकारवत्थगाणि परिहित्ता। . विरया चरिस्सहं रुखं धम्ममाइक्ख णे भयन्तारो ॥ २५ ॥ अदु सावियापवाएणं अहमसि साहम्मिगी य समणाणं । जउकुम्भे जहा उवजोई संवासे विऊ विसीएजा ॥ २६॥ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ML सूयगडम्मि [1. 4. 1. 27जउकुम्भे जोइउवगूढे आसुभितत्ते नासमुवयाइ । एवित्थियाहि अणगारा संवासेण नासमुवयन्ति ॥ २७ ॥ कुव्वन्ति पावगं कम्म पुट्ठा वेगेवमाहिंसु । नो हं करेमि पावं ति अंकेसाइणी ममेस त्ति ॥ २८ ॥ बालस्स मन्दयं बीयं जं च कडं अवजाणइ भुजो । दुगुणं करेइ से पावं पूयणकामो विसनेसी ॥ २९ ॥ संलोकणिजमणगारं आयगयं निमन्तणेणाहंसु । वत्थं च ताइ पायं वा अन्नं पाणगं पडिग्गाहे ॥ ३० ॥ नीवारमेवं बुज्झेजा नो इच्छे अगारमागन्तुं । बढे विसयपासेहिं मोहमावजइ पुणो मन्दे ॥ ३१ ॥ त्ति बेमि ॥ इत्थिपरिन्नज्झयणे पढमुद्देसे ___1. 4. 2. ओए सया न रजेजा भोगकामी पुणो विरजेजा । भोगे समणाण सुणेह जह भुञ्जन्ति भिक्खुणो एगे ॥१॥ अह तं तु भेयमावन्नं मुच्छियं भिक्खु काममइवढें । पलिभिन्दिया णं तो पच्छा पादुटु मुद्धि पहणन्ति ॥ २॥ जइ केसिया णं मए भिक्खु नो विहरे सह णमित्थीए । केसाणवि हं लुचिस्सं नन्नत्थ मए चरेजासि ॥३॥ अह णं से होइ उवलद्धो तो पेसन्ति तहाभूएहिं । अलाउच्छेयं पेहेहि वग्गुफलाई आहराहि त्ति ॥ ४ ॥ दारूणि सागपागाए पजोओ वा भविस्सई राओ । पायाणि य मे रयावेहि एहि ता मे पिडओमद्दे ॥ ५ ॥ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 4. 2. 17.] इत्थिपरिन्नज्झयणे वत्थाणि य मे पडिलेहेहि अनं पाणं च आहराहि त्ति । गन्धं च रओहरणं च कासवगं च मे समणुजाणाहि ॥ ६ ॥ अदु अञ्जणिं अलंकारं कुक्ययं मे पयच्छाहि । लोद्धं च लोद्धकुसुमं च वेणुपलासियं च गुलियं च ॥ ७॥ कुटुं तगरं च अगलं संपिडं सम्म उसिरेणं । तेल्लं मुहमिञ्जाए वेणुफलाई संनिहाणाए ॥ ८ ॥ नन्दीचुण्णगाई पाहराहि छत्तोवाणहं च जाणाहि । सत्थं च सूबच्छेञ्जाए आणीलं च वत्थयं रयावेहि ॥९॥ सुफणिं च सागपागाएं आमलगाई दगाहरणं च । तिलगकरणिमञ्जणसलागं प्रिंसु मे विहूणयं विजाणेहि ॥ १० ॥ संडासगं च फणिहं च सीहलिपासगं च आणाहि । आदंसगं च पयच्छाहि दन्तपक्खालणं पवेसाहि ॥ ११ ॥ पूगफलं तंबोल्लयं सूइ सुत्तगं च जाणाहि । कासं च मोयमेहाए सुप्पुक्खलगं च खारगालणं च ॥ १२ ॥ चन्दालगं च करगं च वच्चघरं च आउसो खणाहि । सरपाययं च जायाए गोरहगं च सामणेराए ॥ १३ ॥ घाडगं च सडिण्डिमयं च चेलगोलं कुमारभूयाए । वासं समाभिआवण्णं आवसहं च जाण भत्तं च ॥ १४ ॥ आसन्दियं च नवसुत्तं पाउल्लाई संकमहाए । • अदु पुत्तदोहलहाए आणप्पा हवन्ति दासा वा ॥ १५ ॥ जाए फले समुप्पन्ने गेण्हसु वा णं अहवा जहाहि । अह पुत्तपोसिणो एगे भारवहा हवन्ति उट्टा वा ॥ १६ ॥ राओ वि उहिया सन्ता दारगं च संठवन्ति धाई वा । सुहिरामणा वि ते सन्ता वत्थधोवा हवन्ति हंसा वा ॥ १७॥ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 4. 2. 18एवं बहुहिं कयपुव्वं भोगत्थाए जेभियावन्ना । दासे मिए व पेसे वा पसुभूए व से न वा केई ॥ १८ ॥ एवं खु तासु विनप्पं संथवं संवासं च वजेज्जा । तजातिया इमे कामा वजकरा य एवमक्खाए ॥ १९ ॥ एयं भयं न सेयाए इइ से अप्पगं निरुम्भित्ता । नो इत्थं नो पसुं भिक्खु नो सयं पाणिणा निलिजेजा ॥२०॥ सुविसुद्धलेसे मेहावी परकिरियं च वजए नाणी । मणसा वयसा काएणं सव्वफाससहे अणगारे ॥ २१॥ इच्चेवमाहु से वीरे धुयरए धुयमोहे से भिक्खु । तम्हा अज्झत्तविमुद्धे सुविमुक्के आ मोक्खाए परिव्वएज्जासि ॥२२॥ ति बेमि ॥ इत्थिपरिन्नज्झयणं चउत्थं निरयविभत्तियज्झयणे पञ्चमे 1. 5.1. पुच्छिस्सहं केवलियं महेसिं कहं भितावा नरगा पुरत्था । अजाणओ मे मुणि बूहि जाणं कहिं नु वाला नरगं उवेन्ति ॥१॥ एवं मए पुट्ठ महाणुभावे इणमोऽब्बवी कासवे आसुपन्ने । पवेयइस्सं दुहमदृदुग्गं आईणियं दुक्कडिणं पुरत्था ॥२॥ जे केइ बाला इह जीवियही पावाइँ कम्पाइँ करेन्ति रुद्दा । ते घोररूवे तमिसन्धयारे तिव्वाभितावे नरगे पडन्ति ॥ ३॥ तिव्वं तसे पाणिणों थावरे य जे हिंसई आयसुहं पडुच्चा । जे लुसए होइ अदत्तहारी न सिक्खई सेयवियस्स किंचि ॥४॥ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निरयविभत्तियज्झयणे पाभि वाणे बहुणं तिचाई अनिव्वु घायमुवे बाले । निहो निसं गच्छइ अन्तकाले अहोसिरं कट्टु उवेइ दुग्गं ॥ ५॥ हण हिन्दह भिन्दह णं दहेति सदे सुन्ता परधम्मियाणं । ते नागाओ भयभिन्नसन्ना कंखन्ति कं नाम दिसं वयामो || ६ || इङ्गालरासिं जलियं सजोईं तत्तोमं भूमिमणुकमन्ता | उज्झमाणा कणं थणन्ति अरहस्सरा तत्थ चिरट्टिईया || ७ || जड़ ते सुया वेयरणी भिदुग्गा निसिओ जहा खुर इव तिक्खसोया । तरन्ति ते वेयरणिं भिदुग्गं उसुचोइया सत्तिसु हम्ममाणा ॥ ८ ॥ कीलेहि विज्झन्ति असाहुकम्मा नावं उवेन्ते सहविप्पहृणा । अन्ने उ मूलाहि तिमूलियाहिं दीहाहि विद्रूण अहे करेन्ति ॥ ९ ॥ केसिं च बन्धिन्तु गले सिलाओ उदगंसि बोलेन्ति महालयंसि । कलंबुयावालुमुम्मुरे यलोलन्ति पञ्चन्ति य तत्थ अन्ने ॥ १० ॥ आसूरियं नाम महामितावं अन्यंत दुप्पतरं महन्तं । उड्डुं अहे यं तिरियं दिसासु समाहिओ जत्थगणी झियाइ ॥ ११ ॥ जंसी गुहाए जलणेऽति अविजाणओ उज्झइ लुत्पन्नो । सया य कलणं पुण धम्मठाणं गाठोवणीयं अइदुक्खधम्मं ॥ १२ ॥ चत्तारि अगणीओं समारभेत्ता जहि क्रूरकम्मा भितवेन्ति बालं । ते तत्थ चिन्तमितप्पमाणा मच्छा व जीवन्तों व जोइपत्ता ॥ १३ ॥ संतच्छृणं नाम महाभितावं ते नारगा जत्थ असाहुकम्मा । हत्थे हि पाहि यबन्धिऊणं कलगं व तच्छन्ति कुहाडहत्था १४ रुहिरे पुणो वच्चसमुस्सियंगे भिन्नत्तमंगे परिवत्तयन्ता । पयन्ति णं नेरइए फुरन्ते सजीवमच्छे व अयोकवले ॥ १५ ॥ नो चैव ते तत्थ मसीभवन्ति न भजई तिव्वभिवेयणाए । तमाणुभागं अणुवेययन्ता दुक्खन्ति दुक्खी इह दुकडेणं ॥ १६ ॥ 1. 5. 1. 16.] ३१ Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ सूयगडम [ 1. 5. 1. 17 तहिं च ते लोलणसंपगाढे गाढं सुततं अगणिं वयन्ति । न तत्थ सायं लहई भिदुग्गे अरहियाभितावा तह वी तवेन्ति ॥ १७ ॥ से सुच्चई नगरवहे व्व सद्दे होवणीयाणि पयाणि तत्थ । उदिष्णकम्माण उदिष्णकम्मा पुणो पुणो ते सरहं दुहेन्ति ।। १८ ।। पाणेहिणं पाव वियोजयन्ति तं मे पवक्खामि जहातहेणं । दण्डेहि तत्था सरयन्ति बाला सव्वेहि दण्डेहि पुराकएहिं ॥ १९ ॥ ते हम्ममाणा नरगे पडन्ति पुण्णे दुरूवरस महाभितावे | ते तत्थ चिट्ठन्ति दुरूभक्खी तुट्टन्ति कम्मोवगया किमीहिं ॥ २० ॥ सया कसिणं पुण घम्मठाणं गाठोवणीयं अइदुक्खधम्मं । अन्सु पक्खिप्प विहतु देहं वेहेण ससिं सेऽभितावयन्ति ॥ २१ ॥ छिन्दन्ति वालरस खरेण नक्कं ओडे वि छिन्दन्ति दुवे विकण्णे । जिब्भं विणिक्कस्स विहत्थिमेत्तं तिक्खाहि सूलाहि मितावयन्ति ॥ २२ ॥ ते तिप्पमाणा तलसंपुढं व राईदियं तत्थ थणन्ति बाला । गलन्ति ते सोणिय यमंसं पजोइया खारपइद्धियंगा ॥ २३ ॥ जड़ ते सुया लोहियपूयपाई बालागणी तेअगुणा परेण । कुम्भी महन्ताहियपोरसीया समूसिया लोहियपूयपुण्णा ||२४|| पक्खिप्प तासुं पययन्ति वाले अट्टस्सरे ते कलणं रसन्ते । तन्हाइया ते तउतम्बततं पजिजमाण यरं रसन्ति ॥ २५ ॥ अप्पेण अप्पं इह वञ्चत्ता भवाहमे पुव्वस सहस्से । चिहन्ति तत्था बहुकरकम्पा जहा कडं कम्म तहासि भारे ॥ २६ ॥ समणित्ता कसं अणजा हि कन्ते हि य विष्पहूणा | दुब्भगन्धेकसि य फासे कम्मोचगा कुणिमे आवसन्ति ॥ २७ ॥ त्ति वेमि ॥ निरयविभत्तियज्झणे पढमुद्दे से Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 5. 2. 11.] निरयविभत्तियज्झयणे ____ 1. 5. 2. अहावरं सासयदुक्खधम्मं तं भे पवक्खामि जहातहेणं । बाला जहा दुक्कडकम्मकारी वेयन्ति कम्माइँ पुरेकडाइं ॥ १॥ हत्थेहि पाएहि य बन्धिऊणं उयरं विकत्तन्ति खुरासिएहिं । गिण्हित्तु बालस्स विहत्तु देहं वद्धं थिरं पिहउ उद्धरान्त ॥ २॥ वाहू पकत्तन्ति य मूलओ से थूलं वियासं मुहे आडहन्ति । रहंसि जुत्तं सरयन्ति बालं आरुस्स विज्झन्ति तुदेण पिढे ॥ ३॥ अयं व तत्तं जलियं सजोइ तऊवमं भूमिमणुकमन्ता। ते डज्झमाणा कलुणं थणन्ति उसुचोइया तत्तजुगेसु जुत्ता ॥४॥ वाला बला भूमिमणुक्कमन्ता पविजलं लोहपहं च तत्तं । जंसी भिदुग्गंसि पवजमाणा पेसे व दण्डेहि पुरा करेन्ति ॥ ५ ॥ ते संपगाढंसि पवजमाणा सिलाहि हम्मन्ति निपातिणीहिं । संतावणी नाम चिरदिईया संतप्पई जत्थ असाहुकम्मा ॥ ६॥ कन्दसु पक्खिप्प पयन्ति बालं तओ वि दड्डा पुण उप्पयन्ति । ते उड्ढकाएहि पखजमाणा अवरेहि खजन्ति सणफएहिं ॥ ७॥ समूसियं नाम विधूमठाणं जं सोयतत्ता कलुणं थणन्ति । अहोसिरं कटु विगत्तिकणं अयं व सत्येहि समोसवेन्ति ॥ ८ ॥ समूसिया तत्थ विसूणियंगा पक्खीहि खजन्ति अयोमुहेहिं । संजीवणी नाम चिरदिईया जंसी पया हम्मइ पावचेया ॥ ९ ॥ तिक्वाहि सलाहि निवाययन्ति वसोगयं सावययं व लद्धं । ते मूलविद्धा कलुणं थणन्ति एगन्तदुक्खं दुहओ गिलाणा ॥१०॥ सया जलं नाम निहं महन्तं जंसी जलन्तो अगणी अकहो । चिट्ठन्ति बद्धा बहुकूरकम्मा अरहस्सरा केइ चिरहिया ॥११॥ सूयगड-३ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लूयगडम्मि [1. 5. 2. 12 - चिया महन्तीउ समारभित्ता छुब्भन्ति ते त कलुणं रसन्तं । आवई तत्थ असाहुकम्मा सप्पी जहा पडियं जोइमझे ॥१२॥ सया कसिणं पुण धम्मठाणं गाढोवणीयं अइदुक्खधम्म । हत्थेहि पाएहि य बन्धिऊणं सत्तु व्व दण्डेहि समारभन्ति ॥१३॥ भञ्जन्ति बालस्स वहेण पुट्ठी सीसं पि भिन्दन्ति अयोधणेहिं । ते भिन्नदेहा कलगं व तच्छा तत्ताहि आराहि नियोजयन्ति॥१४॥ अभिजंजिया रुद्द असाहुकम्मा उसुचोइया हस्थिवहं वहन्ति । एगं दुरूहित्तु दुवे तओ वा आरुस्स विज्झन्ति ककाणओ से ॥१५ बाला बला भूमिमणुकमन्ता पविजलं कण्टइलं भहन्तं । विवद्धतप्पेहि विवण्णाचिते समीरिया कोट्टबलिं करन्ति ॥१६॥ वेयालिए नाम महाभितावे एगायए पव्वयमन्तलिक्खे । हम्मन्ति तत्था बहुकूरकरमा परं सहस्साण मुहुरगाणं ॥१७॥ संवाहिया दुकडिणो थणन्ति अहो य राओ परितप्पमाणा । एगन्तकूडे नरगे महन्ते कूडेण तत्था विसमे हया उ ॥ १८ ॥ . भञ्जन्ति णं पुवमरी सरोसं समुग्गरे ते मुसले गहेडं । ते भिन्नदेहा रुहिरं वमन्ता ओसुद्धगा धरणितले पडन्ति ॥१९॥ अणासिया नाम महासियाला पागब्मिणो तत्थ सयावकोवा । खजन्ति तत्था बहुकूरकम्मा अदूरगा संखलियाहि बद्धा ॥२०॥ सयाजला नाम नई भिदुग्गा पविजलं लोहविलीणतत्ता । जंसी भिदुग्गसि पवजमाणा एगायताणुकमणं करेन्ति ॥ २१ ॥ एयाइँ फासाइँ फुसन्ति बालं निरन्तरं तत्थ चिराहिईयं । न हम्ममाणस्स उ होइ ताणं एगो सयं पञ्चगुहोई दुक्खं ॥२२॥ जं जारिसं पुचमकासि कम्म तमेव आगच्छइ संपराए । एगन्तदुक्खं भवमञ्जणित्ता वेयन्ति दुक्खी तमणन्तदुक्खं ॥२३॥ Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 6. 7.] सिरिवीरत्थुइयज्झयणे एयाणि सोचा नरगाणि धीरे न हिंसए किंचण सव्वलोए । एगन्तदिट्टी अपरिग्गहे उ बुझिज लोगस्स वसं न गच्छे।।२४॥ एवं तिरिक्खे मणुयामरेसुं चउरन्तणन्तं तयणुविवागं । स सव्वमेयं इइ वेयइत्ता कंखेज कालं धुयभायरेज ॥ २५॥ ति बेमि ॥ निरयविभत्तियज्झयणं पञ्चमं सिरिवीरत्थुइयज्झयणे छठे 1. 6. पुच्छिस्सु णं समणा माहणा य अगारिणो या परतित्थिया य । से केइ नेगन्ताहियं धम्ममाहु अणेलिसं साहुसमिक्खयाए ॥१॥ कहं च नाणं कह सणं से सीलं कहं नायसुयस्स आसि । जाणासि णं भिक्खु जहातहणं अहासुयं ब्रूहि जहा निसन्तं ॥२॥ खेयन्नए से कुसलासुपने अणन्तनाणी य अणन्तदंसी । जसंसिणो चक्खुपहे ठियस्स जाणाहि धम्मं च धिइंच पेहि ॥३॥ उर्ल्ड अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा । मे निश्चनिचेहि समिक्ख पन्ने दीवे व धम्म समियं उदाहु।।४॥ से सव्वदंसी अभिभूयनाणी निरामगन्धे धिइमं ठियप्पा । अणुत्तरे सव्वजगसि विजं गन्था अईए अभए अणाऊ ॥५॥ से भूइपन्ने अणिएअचारी आहेतरे धीरे अणन्तचक्खू । अणुत्तरं तप्पइ सूरिए वा वइरोयणिन्दे व तमं पगासे ॥ ६॥ अगुत्तरं धम्ममिणं जिणाणं नेया मुणी कासव आसुपन्ने । इन्दे व देवाण महाणुभावे सहस्सणेया दिवि णं विसिढे ॥७॥ Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ सूयगडम्मि [1.6.8से पन्नया अक्खयसागरे वा मदोदही वा वि अणन्तपारे । अणाविले वा अकसाइ मुक्के सके व देवाहिवई जुईमं ॥ ८ ॥ से वीरिएणं पडिपुण्णवीरिए सुदंसणे वा नगसव्वसेटे। सुरालए वा सि मुदागरे से विरायए नेगगुणोववेए ॥ ९ ॥ सयं सहस्साण उ जोयणाणं तिकण्डगे पण्डगवेजयन्ते । से जोयणे नवनवते सहस्से उद्भुस्सियो हेतु सहस्समेगं ॥ १०॥ पुढे नभे चिढइ भूमिवहिए जं सूरिया अणुपरिवट्टयन्ति । से हेमवण्णे बहुनन्दणे य जंसी रई वेययई महिन्दा ॥ ११ ॥ से पव्वए सद्दमहप्पगासे विरायई कञ्चणमढवण्णे । अणुत्तरे गिरिसु य पव्वदुग्गे गिरीवरे से जलिए व भोमे ॥१२॥ महीइ मज्झम्मि ठिए नगिन्दे पन्नायए सूरियसुद्धलेसे । एवं सिरीए उ स भूरिवण्णे मणोरमे जोयइ अचिमाली ॥१३॥ सुदंसणस्सेव जसो गिरिस्स पवुच्चई महओ पव्वयस्स । एओवमे समणे नायपुत्ते जाईजसोदसणनाणसीले ॥ १४ ॥ गिरीवरे वा निसहाययाणं रुयए व सेहे वलयाययाणं । तओवमे से जगभूइपन्ने मुणीण मझे तमुदाहु पन्ने ॥ १५ ॥ अणुत्तरं धम्ममुदीरइत्ता अणुत्तरं झाणवरं झियाइ । सुसुक्कसुकं अपगण्डसुकं संखिन्दुएगन्तवदायसुकं ॥ १६ ॥ अणुत्तरग्गं परमं महेसी असेसकम्मं स विसोहइत्ता । सिद्धिं गए साइमणन्तपत्ते नाणेण सीलेण य दंसणेण ॥ १७ ॥ रुक्खेसु नाए जह सामली वा जस्सिं रई वेययई सुवण्णा । वणेसु वा नन्दणमाहु सेई नाणेण सीलेण य भूइपन्ने ॥ १८॥ थणियं व सद्दाण अणुत्तरे उ चन्दो व ताराण महागुभावे । गन्धेसु वा चन्दणमाहु सेहँ एवं मुणीणं अपडिनमाहु ॥१९॥ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 6. 29.] सिरिवीरत्थुइयज्झयणे जहा सयंभू उदहीण सेढे नागेसु वा धरणिन्दमाहु सेहूँ । खोओदए वा रस वेजयन्ते तवोवहाणे मुणि वेजयन्ते ॥ २० ॥ हत्थीसु एरावणमाहु नाए सीहो मिगाणं सलिलाण गङ्गा । पक्खीसु वा गरुळे वेणुदेवो निव्वाणवादीणिह नायपुत्ते ॥२१॥ जोहेसु नाए जह वीससेणे पुप्फेसु वा जह अरविन्दमाहु । खत्तीण सेटे जह दन्तवक्के इसीण सेढे तह बद्धमाणे ॥२२॥ दाणाण सेहँ अभयप्पयाणं सच्चेसु वा अणवजं वयन्ति । तवेसु वा उत्तमं बम्भचेरं लोगुत्तमे समणे नायपुत्ते ॥२३॥ ठिईण सेट्ठा लवसत्तमा वा सभा सुहम्मा व सभाण सेट्टा । निव्वाणसेट्ठा जह सव्वधम्मा न नायपुत्ता परमत्थि नाणी ॥२४॥ पुढोवमे धुणइ विगयगेही न संनिहिं कुब्वइ आसुपन्ने । तरिउं समुदं व महाभवोघं अभयंकरे वीर अणन्तचक्खू ॥२५॥ कोहं च माणं च तहेव मायं लोभं चउत्थं अज्झत्तदोसा। एयाणि वन्ता अरहा महेसी न कुबई पाव न कारवेइ ।। २६ ॥ किरियाकिरियं वेणइयाणुवायं अन्नाणियाणं पडियच्च ठाणं । से सव्ववायं इइ वेयइत्ता उवहिए संजमदीहरायं ॥ २७॥ से वारिया इत्थि सराइभत्तं उचहाणवं दुक्खखयट्टयाए । लोगं विदित्ता आरं परं च सव्वं पभू वारिय सव्ववारं ॥ २८ ॥ सोचा य धम्मं अरहन्तभासियं समाहियं अहपदोवसुद्धं । तं सद्दहाणा य जणा अणाऊ इन्दा व देवाहिव आगमिस्सन्ति ॥ २९ ॥ त्ति बेमि ॥ सिरिवीरत्थुइयज्झयणं छटुं Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1. 7. 1 सूयगडम्मि कुसीलपरिभासियज्झयणे सत्तमे 1. 7. पुढवी य आऊ अगणी य वाऊ तण रुक्ख बीया य तसा य पाणा.। जे अण्डया जे य जराउ पाणा संसेयया जे रसयाभिहाणा ॥१॥ एयाइँ कायाइँ पवेड्याई एएसु जाणे पडिलेह सायं । एएण कारण य आयदण्डे एएसु या विप्परियासुवेन्ति ॥२॥ जाईपहं अणुपरिवट्टमाणे तसथावरेहिं विणिघायमेइ । से जाइ जाई बहुकूरकम्मे जं कुबई भिजइ तेण वाले ॥ ३ ॥ अस्सि च लोए अदु वा परत्था सयग्गसो वा तह अन्नहा वा । संसारमावन परं परं ते बन्धन्ति वेयन्ति य दुन्नियाणि ॥ ४ ॥ जे मायरं वा पियरं च हिचा समणबए अगणि समारभिजा । अहाहु से लोएँ कुसीलधम्मे भूयाइँ जे हिंसइ आयसाए ॥ ५ ॥ उजालओ पाण निवायएजा निव्वावओ अगणि निवायवेजा । तम्हा उ मेहावि समिक्ख धम्मं न पण्डिए अगणि समारभिजा ॥ ६॥ पुढवी वि जीवा आऊ वि जीवा पाणा य संपाइम संपयन्ति । संसेयया कहसमस्सिया य एए दहे अगणि समारभन्ते ॥ ७ ॥ हरियाणि भूयाणि विलम्बगाणि आहार देहा य पुढो सियाइ । जे छिन्दई आयसुहं पडुच्च पागब्भि पाणे बहुणं तिवाई ॥ ८॥ जाइं च बुद्धिं च विणासयन्ते बीयाइ अस्संजय आयदण्डे । अहाहु से लोएँ अणजधम्मे बीयाइ से हिंसइ आयसाए ॥ ९ ॥ गब्भाइ मिजन्ति बुयाबुयाणा नरा परे पञ्चसिहा कुमारा । जुवाणगा मज्झिम थेरगा य चयन्ति ते आउखए पलीणा ॥ १० ॥ Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 7. 22.] कुसील परिभासियज्झयणे संबुज्झहा जन्तवो मागुसतं दहं भयं बालिसेणं अलम्भो । एगन्तदुक्खे जरिए व लोए सकम्मुणा विप्परियासुवेइ ॥ ११ ॥ हे मूढा पवयन्ति मोक्खं आहारसंपजणवञ्जणेणं । एगे य सीओ सेवणं हुए एगे पवयन्ति मोक्खं ॥ १२ ॥ पाओसणाणासु नत्थि मोक्खो खारस्स लोणस्स अणासणेणं । ते मज लसुणं च भोच्चा अन्नत्थ वासं परिकप्पयन्ति ॥ १३ ॥ उदगेण जे सिद्धिमुदाहरन्ति सायं च पायं उदगं फुसन्ता । उदगस्स फासेण सिया य सिद्धी सिज्झिस पागा बहवे दसि ॥ १४ ॥ मच्छा य कुम्मा य सिरीसिवा य मग्गू य उड्डा दगरक्खसा य । अडाणमेयं कुसला वयन्ति उदगेग जे सिद्धिमुदाहरन्ति ॥ १५ ॥ उदगं जई कम्ममलं हरेजा एवं सुहं इच्छामित्तमेव । अन्धं व नेयारमणुस्सरिता पाणाणि चैवं विणिहन्ति मन्दा ॥ १६ ॥ पावाइँ कम्माएँ पकुव्वओ हि सिओदगं ऊ जड़ तं हरेजा । सिज्झि एगे दगसत्तधाई मुखं वयन्ते जलसिद्धिमा || १७ ॥ हुएण जे सिद्धिमुदाहरन्ति सायं च पायं अगणिं फुसन्ता । एवं सिया सिद्धि हवेज तम्हा अगणि कुसन्ताण कुकम्मिणं पि ॥ १८ ॥ अपरिक्ख दिहं न हु एव सिद्धी एहिन्ति ते वायमवुज्झमाणा । भूहि जाणं पडिलेह सायं विजं गहायं तस्थावरेहिं ॥ १९ ॥ थणन्ति लुप्पन्ति तसन्ति कम्मी पुढो जगा परिसंखाय भिक्खू । तम्हा विऊ विरओ आयगुते दहुं तसे या पडिसंहरेजा ॥ २० ॥ जे धम्मल विहाय भुञ्जे वियडेण साहट्ट य जे सिगाई । जे धोवई लसयई व वत्थं अहाहू ते नागणियस्स दूरे ॥ २१ ॥ कम्मं परिन्नाय दसि धीरे वियडेण जीवेज य आदिमोक्खं । सेबीकन्दा अमाणे विरए सिणाणाइसु इत्थियासु ॥ २२ ॥ ३९ Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 8. 23 जे मायरं च पियरं च हिच्चा गारं तहा पुत्तपसुं धणं च । कुलाइँ जे धावड़ साउगाई अहाहु से सामणियस्स दूरे ॥ २३ ॥ कुलाइँ जे धावइ साउगाई आधाइ धम्मं उयराणुगिद्धे । अहाहु से आयरियाण सयंसे जे लावएजा असणस्स हेऊ ॥ २४ ॥ निक्खम्म दीणे परभोयणम्मि मुहमङ्गलीए उयराणुगिद्धे । नीवार गिद्धे व महावराहे अदूरए एहि घायमेव ॥ २५ ॥ ४० अन्नस्स पाणस्सिहलोइयस्स अणुप्पियं भासइ सेवमाणे । पासत्थयं चेव कुसीलयं च निस्सारए होइ जहा पुलाए ॥ २६ ॥ अन्नायपिण्डेण हियासएजा नो पूयणं तवसा आवहेजा । सहि रूवेहि अजमाणं सव्वेहि कामेहि विणीय गेहिं ॥। २७ ॥ सव्वाइँ संगाइँ अइच्च धीरे सव्वाइँ दुक्खाइँ तितिक्खमाणे । अखिले अगिद्धे अणिएयचारी अभयंकरे भिक्खु अणाविलप्पा ॥ २८ ॥ भारस्स जाओ मुणि भुञ्जएञ्जा कंखेज पावस्स विवेग भिक्खू | दुक्खेण पुढे धुमाइएजा संगामसीसे व परं दमेजा ।। २९ ।। अवि हम्ममाणे फलगावतट्टी समागमं कखइ अन्तगस्स । निधूय कम्मं न पवञ्चुवे अक्खक्खए वा सगडं ति बेमि ॥ ३० ॥ कुसलपरिभासियज्झयणं सत्तमं । Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 8. 11.] वीरियज्झयणे वीरियज्झयणे अहमे 1. 8. दुहा वेयं सुयक्खायं वीरियं ति पवुच्चई । किं नु वीरस्स वीरत्तं कहं चेयं पवुच्चई ॥ १ ॥ कम्ममेगे पवेदेन्ति अकम्मं वा वि सुचया । एएहिं दोहि ठाणेहिं जेहिं दीसन्ति मचिया ॥ २ ॥ पमायं कम्ममाहंसु अप्पमायं तहावरं । तब्भावादेसओ वा वि बालं पण्डियमेव वा ॥ ३॥ सत्थमेगे तु सिक्खन्ता अइवायाय पाणिणं । एगे मन्ते अहिज्जन्ति पाणभूयविहेडिणो ॥ ४ ॥ मायिणो कट्ट माया य कामभोगे समारभे । हन्ता छेत्ता पगभित्ता आयसायाणुगामिणो ॥५॥ मणसा वयसा चेव कायसा चेव अन्तसो। आरओ परओ वा वि दुहा वि य असंजया ॥ ६ ॥ वेराइं कुबई वेरी तओ वेरेहि रजई । पावोवगा य आरम्भा दुक्खफासा य अन्तसो ॥७॥ संपरायं नियच्छन्ति अत्तदुक्कडकारिणो । रागदोसस्सिया बाला पावं कुव्वन्ति ते बहुं ॥ ८ ॥ एवं सकम्मविरियं बालाणं तु पवेइयं । इत्तो अकम्मविरियं पण्डियाणं सुणेह मे ॥९॥ दविए बन्धणुम्मुक्के सव्वओ छिन्नबन्धणे । पणोल्ल पावगं कम्मं सल्लं कन्तइ अन्तसो ॥ १० ॥ नेयाउयं सुयक्खायं उवायाय समीहए । भुजो भुजो दुहावासं असुहत्तं तहा तहा ॥ ११॥ Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 8. 12ठाणी विविहठाणाणि चइस्सन्ति न संसओ। अणियए अयं वासे नायएहि सुहीहि य ॥ १२ ॥ एवमायाय मेहावी अप्पणो गिद्धिमुद्धरे । आरियं उवसंपजे सम्बधम्ममकोवियं ॥ १३ ॥ सहसंमइए नचा धम्मसारं सुणेत्तु वा । समुवहिए उ अणगारे पञ्चक्खायपावए ॥ १४ ॥ जं किंचुवकमं जाणे आउक्खेमस्स अप्पणो । तस्सेव अन्तरा खिप्पं सिक्खं सिक्खेज पण्डिए ॥ १५ ॥ जहा कुम्मे सअङ्गाई सए देहे समाहरे । एवं पावाइँ मेहावी अज्झप्पेण समाहरे ॥ १६ ॥ साहरे हत्थपाए य मणं पश्चिन्दियाणि य । पावगं च परीणामं भासादासं च तारिसं ॥ १७ ॥ अणु माणं च मायं च तं परिनाय पण्डिए । सायागारवणिहुए उवसन्ते निहे चरे ॥ १८ ॥ पाणे य नाइवाएजा अदिन्नं पि य नायए । साइयं न सं बूया एस धम्मे बुसीमओ ॥ १९ ॥ अइक्कम्मन्ति वायाए मणसा वि न पत्थए । सव्वओ संवुडे दन्ते आयाणं सुसमाहरे ॥ २० ॥ कडं च कञ्जमाणं च आगमिस्सं च पावगं । सव्वं तं नाणुजाणन्ति आयगुत्ता जिइन्दिया ॥ २१ ॥ जे याबुद्धा महाभागा वीरा असमत्तदंसिणो । असुद्धं तेसिं परक्वन्तं सफलं होइ सब्यसो ॥ २२ ॥ जे य बुद्धा महाभागा वीरा सम्मत्तदंसिणो। . सुद्धं तेसिं परकन्तं अफलं होइ सव्वसो ॥ २३ ॥ Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 9.6.] धम्मज्झयणे तेसि पि न तवो सुद्धो निक्खन्ता जे महाकुला। जं नेवन्ने वियाणन्ति न सिलोगं पवेजए ॥ २४ ॥ अप्पपिण्डासि पाणासि अप्पं भासेज सुब्बए । खन्ते भिनिव्वुडे दन्ते वीयगिद्धी सया जए ॥ २५ ॥ झाणजोगं समाहट्ट कायं विउसेज सव्यसो । तितिक्खं परमं नचा आमोक्खाए परिवएजासि ॥ २६ ॥ त्ति बेमि ॥ वीरियज्झयणं अट्ठमं धम्मज्झयणे नवमे 1.9. कयरे धम्म अक्खाए माहणेण मईमया । अञ्जु धम्मं जहातचं जिणाणं तं सुणेह मे ॥ १ ॥ माहणा खत्तिया वेस्सा चण्डाला अदु बोक्कसा । एसिया वेसिया सुद्दा जे य आरम्भनिस्सिया ॥२॥ परिग्गहनिविहाणं पावं तेसिं पवड्डई। आरम्भसंभिया कामा न ते दुक्खविमोयगा ॥३॥ आघायकिच्चमाहेउं नाइओ विसएसिणो । अन्ने हरन्ति तं वित्तं कम्मी कम्मेहि किचई ॥ ४॥ माया पिया ण्हुसा भाया भजा पुत्ता य ओरसा । नालं ते तव ताणाय लुप्पन्तस्स सकम्मणा ।। ५ ॥ एयम सपेहाए परमाणुगामियं । .. निम्ममो निरहंकारो चरे भिक्खू जिणाहियं ॥६॥ Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1.9.7चिच्चा वित्तं च पुत्ते य नाइओ य परिग्गहं । चिच्चा ग अन्तगं सोयं निरवेक्खो परिव्वए ॥ ७॥ पुढवी अगणी वाऊ तणरुक्ख सबीयगा। अण्डया पोयजराऊ रससंसेयउब्भिया ॥८॥ एएहिं छहिं काएहिं तं विजं परिजाणिया । मणसा कायवक्केणं नारम्भी न परिग्गही ॥ ९ ॥ मुसावायं बहिद्धं च उग्गहं च अजाइया । सत्थादाणाइ लोगसि तं विजं परिजाणिया ॥ १० ॥ पलिउश्चणं च भयणं च थण्डिल्लुस्सयणाणि य । धूणादाणाइ लोगसि तं विजं परिजाणिया ॥११॥ धोयणं रयणं चेव बत्थीकम्मं विरेयणं । वमणञ्जणपलीमंथं तं विजं परिजाणिया ॥१२॥ गन्धमल्लसिणाणं च दन्तपक्खालणं तहा । परिग्गहित्थिकम्मं च तं विजं परिजाणिया ॥ १३ ॥ उद्देसियं कीयगडं पामिचं चेव आहडं । पूयं अणेसणिजं च तं विजं परिजाणिया ॥ १४ ॥ आसूणिमक्खिरागं च गिद्धवघायकम्मगं । उच्छोलणं च ककं च तं विजं परिजाणिया ॥ १५ ॥ संपसारी कयकिरिए पसिणाययणाणि य । सागारियं च पिण्डं च तं विजं परिजाणिया ॥१६॥ अट्ठावयं न सिक्खिज्जा वेहाईयं च नो वए । हत्थकम्मं विवायं च तं विजं परिजाणिया ॥ १७॥ पाणहाओ य छत्तं च नालीयं वालवीयणं । परकिरियं अन्नमन्नं च तं विजं परिजाणिया ॥ १८ ॥ Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 9. 30.] धम्मज्झयणे उच्चारं पासवणं हरिएमु न करे मुणी । वियडेण वा वि साहट्ट नावमजे कयाइ वि ॥ १९ ॥ परमत्ते अन्नपाणं न भुञ्जज कयाइ वि । परवत्थं अचेलो वि तं विजं परिजाणिया ॥ २०॥ आसन्दी पलियङ्के य निसिजं च गिहन्तरे । संपुच्छणं सरणं वा तं विजं परिजाणिया ॥ २१॥ जसं कित्तिं सिलोगं च जा य वन्दणपूयणा । सव्वलोयांसि जे कामा तं विजं परिजाणिया ॥ २२ ॥ जेणेहं निव्वहे भिक्खू अन्नपाणं तहाविहं । अणुप्पयाणमन्नेसिं तं विजं परिजाणिया ॥ २३ ॥ एवं उदाहु निग्गन्थे महावीरे महामुणी । अणन्तनाणदंसी से धम्मं देसितवं सुयं ॥ २४ ॥ भासमाणो न भासेजा नेव वम्फेज मम्मयं । माइहाणं विवज्जेजा अणुचिन्तिय वियागरे ॥ २५ ॥ तथिमा तइया भासा जं वइत्तागुतप्पई । जं छन्नं तं न वत्तव्वं एसा आणा नियाण्ठिया ॥ २६ ॥ होलावायं सहीवायं गोयावायं च नो वए । तुमं तुमं ति अमणुन्नं सव्वसो तं न वत्तए ॥ २७॥ अकुसीले सया भिक्खू नेव संसग्गिय भए । सुहरूवा तत्थुवस्सग्गा पडिबुज्झेज ते विऊ ॥ २८ ॥ नन्नत्थ अन्तराएणं परगेहे न निसीयए । गामकुमारियं किडं नाइवलं हसे मुणी ॥ २९ ॥ अणुस्सुओ उरालेसु जयमाणो परिच्चए । चरियाए अप्पमत्तो पुट्ठो तत्थ हियासए ॥ ३० ॥ Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1,9. 31हम्ममाणो न कुप्पेज वुच्चमाणो न संजले । सुमणे अहियासेजा न य कोलाहलं करे ॥ ३१ ॥ लद्धे कामे न पत्थेजा विवेगे एवमाहिए । आयरियाई सिक्खेजा बुद्धाणं अन्तिए सया ॥ ३२ ॥ सुस्सूसमाणो उवासेजा सुप्पन्नं सुतवस्सियं । वीरा जे अत्तपन्नेसी धिइमन्ता जिइन्दिया ।। ३३ ॥ गिहे दीवमपासन्ता पुरिसादाणिया नरा । ते वीरा बन्धणुम्मुक्का नावकंखन्ति जीवियं ॥ ३४ ॥ अगिद्धे सद्दफासेसु आरम्भेसु अनिस्सिए । सव्वं तं समयातीयं जमेयं लवियं बहु ॥ ३५ ॥ अइमाणं च मायं च तं परिन्नाय पण्डिए । गारवाणि य सव्वाणि निव्वाणं संधए मुणि ॥३६॥ त्ति बेमि ॥ धम्मज्झयणं नवमं ।। समाहियज्झयणे दसमे 1. 10. आघ मईमं अणुवीइ धम्म अञ्चू समाहिं तमिमं सुणेह । अपडिन्न भिक्खू उ समाहिपत्ते अणियाण भूएमु परिव्यएजा ॥ १ ॥ उड्ढे अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा । हत्थेहि पाएहि य संजमित्ता अदिन्नमन्नेसु य नो गहेजा ॥ २ ॥ सुयक्खायधम्मे वितिगिच्छतिण्णे लाढे चरे आयतुले पयासु । आयं न कुजा इह जीवियही चयं न कुजा सुतवस्सि भिक्खू ॥३॥ Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 10. 15.] समाहियज्झयणे सव्विन्दियाभिनिव्वुडे पयासु चरे मुणी सव्वउ विप्पमुक्के । पासाहि पाणे य पुढो वि सत्ते दुक्खेन अट्टे परितप्पमाणे ॥ ४ ॥ . एएसु बाले य पकुव्वमाणे आवई कम्मसु पावएसु । अइवायओ कीरइ पावकम्मं निउञ्जमाणे उ करेइ कम्मं ॥ ५ ॥ आदीणवित्ती व करेइ पावं मन्ता उ एगन्तसमाहिमाहु । बुद्धे समाहीय रए विवेगे पाणाइवाया विरए ठियप्पा ॥६॥ सव्वं जगं तू समयागुपेही पियमप्पियं कस्स वि नो करेजा । उहाय दीगो य पुणो विसष्णो संपूयणं चेव सिलोयकामी ॥ ७ ॥ आहाकडं चेव निकाममीणे नियामचारी न विसण्णमेसी । इत्थीसु सत्ते य पुढो य बाले परिग्गहं चेव पकुवमाणे ॥८॥ वेरागुगिद्धे निचयं करेइ इओ चुए से इहमदृदुग्गं । तम्हा उ मेहावि समिक्ख धम्मं चरे मुणी सव्वउ विप्पमुक्के ॥ ९ ॥ आयं न कुजा इह जीवियही असञ्जमाणो य परिचएजा । निसम्मभासी य विणीय गिदि हिंसन्नियं वा न कह करेजा ॥ १० ॥ आहाकडं वा न निकामएजा निकामयन्ते य न संथवेजा। धुणे उरालं अणुवेहमाणे चिच्चा न सोयं अणवेक्खमाणो ॥ ११॥ . एगत्तमेयं अभिपत्थएजा एवं पभोक्खो न मुसं ति पासं । एस प्पमोक्खो अमुसे वरे वि अकोहणे सञ्चरए तबस्सी ॥ १२ ॥ इत्थीसु या आरय मेहुणाओ परिगहं चेव अकुव्वमाणे । उच्चावएसुं विसएसु ताई निस्संसयं भिक्खु समाहिपत्ते ॥ १३ ॥ अरई रई च अभिभूय भिक्खू तणाइफासं तह सीयकासं । उण्हं च दंसं चहियासएज्जा सुभि व दुभि व तितिक्खएजा ॥ १४ ॥ गुत्तो वईए य समाहिपत्तो लेसं समाहट्टु परिव्वएजा । गिहं न छाए न वि छायएज्जा संमिस्सभावं पयहे पयासु ॥ १५ ॥ Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૪૮ सूयगडम्मि [1. 11. 16जे केइ लोगम्मि उ अकिरियआया अन्नेण पुट्ठा धुयमादिसन्ति । आरम्भसत्ता गढिया य लोए धम्मं न जाणन्ति विमोक्खहउँ ॥ १६ ॥ पुढो य छन्दा इह माणवा उ किरियाकिरीयं च पुढो य वायं । जायस्स बालस्स पकुव्व देहं पवड्डई वेरमसंजयस्स ॥ १७ ॥ आउक्खयं चेव अबुज्झमाणे ममाइ से साहसकारि मन्दे। अहो य राओ परितप्पमाणे अट्टेसु मूढे अजरामरे व्व ॥ १८॥ जहाहि वित्तं पसवो य सव्वं जे बन्धवा जे य पिया य मित्ता । लालप्पई से वि य एइ मोहं अन्ने जणा तसि हरन्ति वित्तं ॥ १९ ।। सीहं जहा खुडमिगा चरन्ता दूरे चरन्ति परिसंकमाणा । एवं तु मेहावि समिक्ख धम्मं दूरेण पावं परिवजएजा ॥ २० ॥ संबुज्झमाणे उ नरे मईमं पात्राउ अप्पाण निवट्टएजा । हिंसप्पसूयाइँ दुहाइँ मत्ता वेरानुबन्धीणि महब्भयाणि ॥ २१ ॥ मुसं न बूया मुणि अत्तगामी निव्वाणमेयं कसिणं समाहिं । सयं न कुजा न य कारवेजा करन्तमन्नं पि य नाणुजाणे ॥ २२ ॥ सुद्धे सिया जाएँ न दूसएजा अमुच्छिए न य अज्झोववन्ने । धिइमं विमुक्के न य पूयणही न सिलोयगामी य परिवएजा ॥ २३ ॥ निक्खम्म गेहाउ निरावकंखी कायं विउस्सेज नियाणछिन्ने । नो जीवियं नो मरणाभिकंखी चरेज भिक्खू वलया विमुक्के ॥ २४ ॥ त्ति बेमि ॥ समाहियज्झयणं दसम Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 11. 10. ] गझ मज्झणे यार हमे 1. 11. करे मग्ग अक्खाए माहणेणं मईमया । जं मग्गं उञ्जु पावित्ता ओहं तर दुत्तरं ॥ १ ॥ जं मग्गं णुत्तरं सुद्धं सव्वदुक्खविमोक्खणं । जाणासि णं जहा भिक्खू तं णो ब्रूहि महामुनी || २ | जड़ णो के पुच्छिा देवा अदुव माणुसा । तेसिं तु कयरं मग्गं आइक्वेज कहाहि णो ॥ ३ ॥ जइ वो के पुच्छिजा देवा अदुव माणुसा । तेसिमं पडिसाहेजा मग्गसारं सुह मे ॥ ४ ॥ अणुपुब्वेण महाघोरं कासवेण पवेइयं । जमायाय इओ पुव्वं समुदं ववहारिणो ॥ ५ ॥ अतरिंसु तरन्तेगे तरिस्सन्ति अणागया । तं सोचा पडिवक्खामि जन्तवो तं सुणेह मे ॥ ६ ॥ पुढवीजीवा पुढो सत्ता आउजीवा तहागणी | वाउजीवा पुढो सत्ता तणरुक्खा सवीयगा ॥ ७ ॥ अहावरा तसा पाणा एवं छकाय आहिया । एयावर जीवकार नावरे कोइ विजई ॥ ८ ॥ सव्वाहिं अजुनीहिं ममं पडिलेहिया । सव्वे अक्कन्तदुक्खा य अओ सध्धे न हिंसया ॥ ९ ॥ एवं खु नागिणो सारं जं न हिंसइ कंचण । अहिंसा समयं चैव यावन्तं वियाणिया ।। १० ॥ सूयगडं-४ Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 11. 11उड्डे अहे य तिरियं जे केइ तसथावरा । सव्वत्थ विरई विआ सन्ति निव्वाणमाहियं ॥ ११ ॥ पभू दोसे निराकिच्चा न विरुज्झेज केण वि । मणसा वयसा चेव कायसा चेव अन्तसो ॥ १२ ॥ संवुडे से महापन्ने धीरे दत्तेसणं चरे । एसणासभिए निच्चं वज्जयन्ते अणेसणं ॥ १३ ॥ भूयाई च समारम्भ तमुद्दिस्सा य जं कडं । तारिसं तु न गिण्हेजा अन्नपाणं सुसंजए ॥ १४ ॥ पूईकम्मं न सेवेजा एस धम्मे वुसीमओ। जं किंचि अभिकंखेजा सव्वसो तं न कप्पए ॥ १५ ॥ हणन्तं नाणुजाणेजा आयगुत्ते जिइन्दिए । ठाणाइँ सन्ति सड्ढीणं गामेसु नगरेसु वा ॥ १६ ॥ तहा गिरं समारब्भ अत्थि पुण्णं ति नो वए । अहवा नत्थि पुण्णं ति एवमेयं महब्भयं ॥ १७ ॥ दाणया य जे पाणा हम्मन्ति तसथावरा । तेसिं सारक्खणहाए तम्हा अस्थि त्ति नो वए । १८ ।। जेसि तं उवकप्पन्ति अन्नपाणं तहाविहं । तेसिं लाभन्तरायं ति तम्हा नस्थि ति नो वए ॥ १९ ॥ जे य दाणं पसंसन्ति वहमिच्छन्ति पाणिणं । जे य णं पडिसेहन्ति वित्तिच्छेयं करन्ति ते ॥ २० ॥ दुहओ वि ते न भासन्ति अस्थि वा नत्थि वा पुणो । आयं रयस्स हेच्चा णं निवाणं पाउणन्ति ते ॥ २१ ॥ निव्वाणं परमं बुद्धा नक्खत्ताण व चन्दिमा । तम्हा सया जए दन्ते निव्वाणं संधए मुणी ॥ २२ ॥ Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 11. 34.] मग्गज्झयणे वुज्झमाणाण पाणाणं किञ्चन्ताण सकम्मणा । आघाइ साहु तं दीवं पइटेसा पवुचई ॥ २३ ॥ आयगुत्ते सया दन्ते छिन्नसोए अणासवे । जे धम्मं सुद्धमक्खाइ पडिपुण्णमणेलिसं ॥ २४ ॥ तमेव अवियाणन्ता अबुद्धा बुद्धमाणिणो । बुद्धा भो त्ति य मन्नन्ता अन्त एए समाहिए ॥ २५ ॥ ते य बीयोदगं चेव तमुदिस्सा य जं कडं । भोचा झाणं झियायान्त अखेयन्नासमाहिया ॥ २६ ॥ जहा ढंका य कंका य कुलला मग्गुका सिही । मच्छेसणं झियायन्ति झाणं ते कलुसाधर्म ।। २७ ॥ एवं तु सभणा एगे मिच्छदिही अणारिया । विसएसणं झियायन्ति कंका वा कलुसाहमा ॥ २८ ॥ सुद्धं मग्गं विराहित्ता इहमेगे उ दुम्मई। उम्मग्गगया दुक्खं घायमेसन्ति तं तहा ॥ २९ ॥ जहा आसाविणिं नावं जाइअन्धो दुरूहिया । इच्छई पारमागन्तुं अन्तरा य विसीयइ ॥ ३० ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्टी अणारिया । सोयं कसिणमावन्ना आगन्तारो महन्मयं ॥ ३१ ॥ इमं च धम्ममायाय कासवेण पवेयं । तरे सोयं महाघोरं अचत्ताए परिव्वए ॥ ३२ ॥ विरए गामधम्मोहिं जे केइ जगई जगा । तेसिं अवुत्तमायाए थामं कुव्वं परिव्वए ॥ ३३ ॥ अइमाणं च मायं च तं परिन्नाय पण्डिए । सव्वमेयं निराकिच्चा निव्वाणं संधए मुणी ॥ ३४ ॥ Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि . [1. 11. 35संधए साहुधम्मं च पावधम्मं निराकरे। उवहाणवीरिए भिक्खू कोहं माणं न पत्थए ॥ ३५ ॥ जे य बुद्धा अतिक्कन्ता जे य बुद्धा अणागया । सन्ति तेसिं पइटाणं भूयाणं जगई जहा ॥ ३६ ॥ अह णं वयमावन्नं फासा उच्चावया फुसे । न तेसु विणिहण्णेजा वाएण व महागिरी ॥ ३७॥ संवुडे से महापन्ने धीरे दत्तेसणं चरे । निव्वुडे कालमाकंखी एवं केवलिणो मयं ॥ ३८ ॥ ति बेमि ॥ मग्गज्झयणं एयारहमं ॥ समोसरणज्झयणे बारहमे 1. 12. चत्तारि समोसरणाणिमाणि पावादुया जाइँ पुढो वयन्ति । किरियं अकिरियं विणयं ति तइयं अन्नाणमाहंसु चउत्थमेव ॥ १॥ अन्नाणिया ता कुसला वि सन्ता असंथुया नो वितिगिच्छतिण्णा । अकोविया आहु अकोवियेहिं अणाणुवीइत्तु मुसं वयन्ति ॥ २॥ सच्चं असचं इति चिन्तयन्ता असाहु साहु त्ति उदाहरन्ता । जेमे जणा वेणझ्या अणेगे पुट्ठा वि भावं विणइंसु नाम ॥ ३ ॥ अणोवसंखा इइ ते उदाहु अहे स ओभासइ अम्ह एवं । लवावसंकी य अणागएहिं नो किरियमाहंसु अकिरियवाई ॥ ४ ॥ संमिस्सभावं च गिरा गहीए से मुम्मुई होइ अणागुवाई । इमं दुपक्खं इममेगपक्खं आहंमु छलाययणं च कम्मं ॥ ५॥ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 12. 17.] समोसरणज्झयणे ते एवमक्खन्ति अबुझमाणा विरूवरूवाणि अकिरियवाई । जे मायइत्ता बहवे मणूसा भमन्ति संसारमणोवदग्गं ॥ ६ ॥ नाइचो उदेइ न अत्थमेइ न चन्दिमा वढइ हायई वा । सलिला न सन्दन्ति न वन्ति वाया वझो नियओ कसिणे हु लोए ॥७॥ जहा हि अन्धे सह जोइणा वि रूबाइँ नो पस्सइ हीणनेत्ते । सन्तं पि ते एवमकिरियवाई किरियं न पस्सन्ति निरुद्धपन्ना ॥ ८ ॥ संवच्छरं सुविणं लक्षणं च निमित्तदेहं च उप्पाइयं च । अहङ्गभेयं बहवे अहित्ता लोगसि जाणन्ति अणागयाइं ॥ ९ ॥ केई निमित्ता तहिया भवन्ति केसिंचि तं विप्पडिएइ नाणं । ते विजभावं अणहिजमाणा आहेसु विजापरिमोक्खमेव ॥ १० ॥ ते एवमक्खन्ति समिञ्च लोगं तहा तहा समणा माहणा य । सयंकडं ननकडं च दुक्खं आहेसु विजाचरणं पमोक्खं ॥ ११ ॥ ते चक्खु लोगसिह नायगा उ भग्गाणुसासन्ति हियं पयाणं । तहा तहा सासयमाहु लोए जंसी पया माणव संपगाढा ॥ १२ ॥ जे रक्खसा वा जमलोइया वा जे वा सुरा गंधव्या य काया । आगासगामी य पुढोसिया जे पुणो पुणो विपरियासुवेन्ति ॥ १३ ॥ जमाहु ओहं सलिलं अपारगं जाणाहि णं भवगहणं दुमोक्खं । जंसी विसण्णा विसयङ्गणाहिं दुहओ वि लोयं अणुसंचरन्ति ॥ १४ ॥ न कम्मुणा कम्म खवेन्ति वाला अकम्मुणा कम्म खवेन्ति धीरा । महाविणो लोभभयावईया संतोसिणो नो पकरेन्ति पावं ॥ १५ ॥ ते तीयउप्पन्नमणागयाई लोगस्स जाणन्ति तहागयाई । नेयारो अन्नेसि अणन्ननेया बुद्धा हु ते अन्तकडा भवन्ति ॥ १६ ॥ ते नेव कुव्वन्ति न कारवेन्ति भूयाहिसंकाइ दुगुच्छमाणा । सया जया विप्पणमन्ति धीरा विन्नत्ति धीरा य हवन्ति एगे ॥१७॥ Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . सूयगडम्मि [1. 12. 18डहरे य पाणे वुड्ढे य पाणे ते अत्तओ पासइ सव्वलोए । उब्वेहई लोगमिणं महन्तं बुद्धेपमत्तेसु परिव्वएजा ॥ १८ ॥ जे आयओ परओ वा वि नच्चा अलमप्पणो होन्ति अलं परेसिं । तं जोइभूयं च सयावसेजा जे पाउकुजा अणुवीइ धम्मं ॥१९॥ अत्ताण जो जाणइ जो य लोगं गई च जो जाणइ नागई च । जो सासयं जाण असासयं च जाइं च मरणं च जणोववायं ॥ २० ॥ अहो वि सत्ताण विउट्टणं च जो आसवं जाणइ संवरं च । दुक्खं च जो जाणइ निजरं च सो भासिउमरिहइ किरियवायं ॥ २१ ॥ सद्देसु रूवेसु असजमाणे गन्धेसु रसेसु अदुस्समाणे । नो जीवियं नो मरणाहिकंखी आयाणगुत्ते वलया विमुक्के ॥ २२ ॥ त्ति बेमि ॥ समोसरणज्झयणं बारहम आहत्तहीयज्झयणे तेरहमे 1. 13. आहत्तहीयं तु पवेयइस्सं नाणप्पकारं पुरिसस्स जायं ।। सओ य धम्मं असओ असील सन्तिं असन्ति करिस्सामि पाउं ॥ १ ॥ अहो य राओ यू समुट्ठिएहिं तहागएहिं पडिलभ धम्म । समाहिमाघायमजोसयन्ता सत्थारमेव करुसं वयन्ति ॥ २॥ विसोहियं ते अणुकाहयन्ते जे आयभावेण वियागरेज्जा । अट्टाणिए होइ बहुगुणाण जे नाणसंकाइ मुसं वएजा ॥ ३ ॥ जे यावि पुट्टा पलिउञ्चयन्ति आयाणमहं खलु वञ्चइत्ता । असाहुणो ते इह साहुमाणी मायणि एस्सन्तिं अणन्तघायं ॥४॥ Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 13. 16.] आहत्तहीयज्झयणे जे कोहणे होइ जयभासी विओसियं जे उ उदीरएजा । अन्धे व से दण्डपहं गहाय अविओसिए धासइ पावकम्मी ॥ ५ ॥ जे विग्गहीए अन्नायभासी न से समे होइ अझञ्झपत्ते । ओवायकारी य हिरीमणे य एगन्तदिट्टी य अमाइरूवे ॥ ६ ॥ से पेसले सुहुमे पुरिसजाए जच्चन्मिए चेव सुउजुयारे । बहुं पि अणुसासिएँ जे तहच्चा समे हु से होइ अझञ्झपते ॥ ७ ॥ जे यावि अप्पं वसुमं ति भत्ता संखाय वायं अपरिक्ख कुजा । तवेण वाहं सहिउ त्ति मत्ता अन्नं जणं पस्सइ बिम्बभूयं ॥ ८ ॥ एगन्तकूडेण उ से पलेइ न विजई मोणपयसि गोत्ते । जे माणणडेण विउक्कसेज्जा वसुमन्नतरेण अवुज्झमाणे ॥ ९ ॥ जे माहणे खत्तियजायए वा तहुग्गपुत्ते तह लेच्छई वा । जे पवईए परदत्तभोई गोत्ते न जे थब्भइ माणबद्धे ॥ १० ॥ न तस्स जाई व कुलं व ताणं नन्नत्थ विजाचरणं सुचिण्णं । निक्खम्म से सेवइ गारिकम् न से पारए होइ विमोयणाए ॥ ११ ॥ निकिंचणे भिक्खु सुलहजीवी जे गारवं होइ सिलोगकामी । आजीवमेयं तु अबुज्झमाणो पुणो पुणो विपरियासुवेन्ति ॥ १२ ॥ जे भासवं भिक्खु सुसाहुवाई पडिहाणवं होइ विसारए य । आगाढपन्ने सुविभावियप्पा अन्नं जणं पन्नया परिहवेजा ॥ १३ ॥ एवं न से होइ समाहिपत्ते जे पन्नवं भिक्खु विउकसेजा । अहवा वि जे लाहमयावलित्ते अन्नं जणं खिसइ बालपन्ने ॥ १४ ॥ पन्नामयं चेव तवोमयं च निन्नामए गोयमयं च भिक्खू । आजीवगं चेव चउत्थमाहु से पण्डिए उत्तमपोग्गले से ॥ १५ ॥ मयाइँ एयाइँ विगिश्च धीरा न ताणि सेवन्ति सुधीरधम्मा। ते सव्वगोत्तावगया महेसी उच्चं अगोत्तं च गतिं वयन्ति ॥ १६ ॥ Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 13. 17भिक्खू मुयच्चे तह दिधम्मे गामं च नगरं च अणुप्पविस्सा । से एसणं जाणमणेसणं च अन्नस्स पाणस्स अणाणुगिद्धे ॥ १७ ॥ अरई रइं च अभिभूय भिक्खू बहूजणे वा तह एगचारी । एगन्तमोणेण वियागरेजा एगस्स जन्तो गइरागई य ॥ १८ ॥ सयं समेचा अदुवा वि सोचा भासेज धम्मं हिययं पयाणं । जे गरहिया सणियाणप्पओगा न ताणि सेवन्ति सुधीरधम्मा ॥ १९ ॥ केसिंचि तक्काइ अबुज्झ भावं खुदं पि गच्छेज असदहाणे । आउस्स कालाइयारं वघाए लद्धाणुमाणे य परेसु अहे ॥ २० ॥ कम्मं च छन्दं च विगिश्च धीरे विणइज ऊ सव्वउ आयभावं । रूवेहि लुप्पन्ति भयावहेहिं विजं गहाया तसथावरेहिं ॥२१॥ न पूयणं चेव सिलोयकामी पियमप्पियं कस्सइ नो करेजा । सव्वे अणहे परिवजयन्ते अणाउले या अकसाइ भिक्रवू ॥ २२ ॥ आहत्तहीयं समुपेहमाणे सव्वेहि पाणेहि निहाय दण्डं । नो जीवियं नो मरणाहिकंखी परिव्वएज्जा वलया विमुक्के ॥ २३॥ त्ति बेमि ॥ आहत्तहीयज्झयणं तेरहम गन्थन्झयणे चोदहमे 1.14. गन्थं विहाय इह सिक्खमाणो उट्ठाय सुबम्भचेरं वसेजा। ओवायकारी विणयं सुसिक्खे जे छेय से विप्पमायं न कुजा ॥१॥ जहा दियापोयमपत्तजायं सावासगा पविउं मन्नमाणं । तमचाइयं तरुणमपत्तजायं ढंकाइ अव्वत्तगमं हरेजा ॥२॥ Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 14. 14] एवं तु सेहं पि अपुट्ठधम्मं निस्सारियं बुसिमं मन्नमाणा । दियस्स छायं व अपत्तजायं हरिंसु णं पावधम्मा अणेगे ॥ ३ ॥ ओसाणमिच्छे मणुए समाहिं अणोसिए णन्तकरिं ति नच्चा । भासमाणे दवियस्स वित्तं न निकसे बहिया आसुपन्नो ॥ ४ ॥ जे ठाणओ य सयणासणे य परकमे यावि साहुजुत्ते । समिसु गुत्ती य आयपन्ने वियागरिं ते य पुढो वएञ्जा ॥ ५ ॥ सदाणि सोच्चा अदु भेरवाणि अणासवे तेसु परिव्वज्जा । निदं च भिक्खू न पमाय कुजा कहंकहं वा वितिगिच्छति ॥ ६ ॥ ज्य ५७ डहरेण बुट्टेणसासिए उ राइणिएणावि समव्वणं । सम्मं तयं थिरओ नाभिगच्छे निज्जन्तए वावि अपारए से ॥ ७ ॥ विणं समयास डहरेण बुद्वेण उ चोइए य । अच्चुडिया घडदासिए वा अगारिणं वा समयाणुसिदे ॥ ८ ॥ न ते कुज्झे न य पव्वज्जा न यावि किंची फरुसं वएजा । तहा करिस्सं ति पडिस्सुणेज्जा सेयं खु मेयं न पमाय कुञ्जा ॥ ९ ॥ वर्णसि मूढस्स जहा अमूढा मग्गागुसासन्ति हियं पयाणं । व मज्झं इणमेव सेयं जं मे बुहा समणुसासयन्ति ॥ १० ॥ अह ते मूढे अमूढगस्स कायव्य पूया सविसेसजुत्ता । एओवमं तत्थ उदाहु वीरे अणुगम्म अत्थं उवणेइ सम्मं ॥ ११ ॥ या जहा अन्धकारंसि राओ मग्गं न जाणाइ अपस्समाणे । से सूरियस अभुग्मेण भग्गं वियाणाइ पगासियंसि ॥ १२ ॥ एवं सेहे विधम्मे धम्मं न जाणाइ अबुज्झमाणे । नु से कोचिए जिणवणेण पच्छा सरोदए पासड़ चक्खुणेव ॥ १३ ॥ उङ्कं अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा | सयाजए तेसु परिध्वजा मणप्पओसं अविकम्पमाणे ॥ १४ ॥ Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 14. 15कालेण पुच्छे समियं पयासु आइक्खमाणो दवियस्स वित्तं । तं सोयकारी य पुढो पवेसे संखा इमं केवलियं समाहिं ॥ १५ ॥ अस्मि सुठिच्चा तिविहेण तायी एएसु या सन्ति निरोहमाहु । ते एवमक्खन्ति तिलोगदंसी न भुजमेयन्ति पमायसंगं ॥ १६ ॥ निसम्म से भिक्खु समीहिय पडिभागवं होइ विसारए य । आयाणअही बोदाणमोणं उवेच्च सुद्धेण उवेइ मोक्वं ॥ १७ ॥ संखाइ धम्मं च वियागरन्ति बुद्धा हु ते अन्तकरा भवन्ति । ते पारगा दोण्ह वि मोयणाए संसोधियं पण्हमुदाहरन्ति ॥ १८ ।। नो छायए नो वि य लूसएजा भाणं न सेवेज पगासणं च । न यावि पन्ने परिहास कुजा न यासियावाय वियागरेजा ॥ १९ ॥ भूयाभिसंकाइ दुगुञ्छमाणे न निव्वहे मन्तपएण गोयं । न किंचिमिच्छे मगुए पयासुं असाहुधम्माणि न संवएजा ॥ २० ॥ हासं पि नो संधइ पावधम्मे ओए तईयं फरुसं वियाणे । नो तुच्छए नो य विकंथइजा अगाइले या अकसाइ भिक्खू ॥२१॥ संकेज यासंकियभाव भिक्खू विभजवायं च वियागरेजा। भासादुयं धम्मसमुट्टिएहिं वियागरेजा समयासुपन्ने ॥ २२ ॥ अणुगच्छमाणे वितहं विजाणे तहा तहा साहु अकक्कतेणं । न कत्थई भास विहिंसइजा निरुद्धगं वा वि न दीहइजा ॥ २३ ॥ समालवेजा पडिपुण्णभासी निसाभिया समियाअनुदंसी । आणाइ सुद्धं वयणं भिउञ्जे अभिसंधए पावविवेग भिक्खू ॥ २४ ॥ अहावुझ्याई सुसिक्खएजा जइजया नाइवेलं वएज्जा । से दिटिमं दिहि न लुसएजा से जाणइ भासिउं तं समाहिं ॥२५॥ अल्सए नो पच्छन्नभासी नो सुत्तमत्थं च करेज ताई । सत्थारभत्ती अणुवीइ वायं सुयं च सम्म पडिवाययन्ति ॥ २६ ॥ Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९. 1. 15. 8.] आयाणियज्झयणे से सुद्धसुत्ते उवहाणवं च धम्मं च जे विन्दइ तत्थ तत्थ । आएजवके कुसले वियत्ते स अरिहइ भासिउं तं समाहि ॥ २७ ॥ ति बेमि ॥ गन्थज्झयणं चोदहमं आयाणियज्झयणे पण्णरहमे ___1. 15. जमईअं पडुप्पन्नं आगमिस्सं च नायओ । सव्वं मन्नइ तं ताई देसणावरणन्तए ॥१॥ अन्तए वितिगिच्छाए से जागइ अणेलिसं । अणेलिसस्स अक्खाया न से होइ तहिं तहिं ॥ २ ॥ तहिं तहिं सुयक्खायं से य सच्चे सुआहिए । सया सच्चेण संपन्ने मेत्तिं भूएहि कप्पए ॥३॥ भूएहि न विरुज्झेजा एस धम्मे वुसीमओ । बुसि जगं परिनाय अस्सिं जीवियभावणा ॥ ४ ॥ भावणाजोगसुद्धप्पा जले नावा व आहिया । नावा व तीरसंपन्ना सव्वदुक्खा तिउट्टइ ॥ ६ ॥ तिउट्टई उ मेहावी जाणं लोगसि पावगं । तुट्टन्ति पावकम्माणि नवं कम्ममकुव्वओ ॥६॥ अकुचओ नवं नत्थि कम्मं नाम विजाणइ । विनाय से महावीरे जेण जाई न भिजई ॥ ७॥ न मिजई महावीरे जस्स नत्थि पुरेकडं । वाउ व्य जालमचेइ पिया लोगंसि इत्थियो ॥ ८ ॥ Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 15. 9इथियो जे न सेवन्ति आइमोक्खा हु ते जणा। ते जणा बन्धणुम्मुक्का नावकंखन्ति जीवियं ॥९॥ जीवियं पिडओ किच्चा अन्तं पावन्ति कम्मुणं । कम्मुणा संमुहीभूया जे भग्गमणुसासई ॥ १० ॥ अणुसासणं पुढो पाणी वसुमं पूयणासु ते । अणासए जए दन्ते दढे आरयमेहुणे ॥ ११ ॥ नीवारे व न लीएजा छिन्नसोए अणाविले । अणाइले सया दन्ते संधि पत्ते अणेलिसं ॥ १२ ॥ अणेलिसस्स खेयन्ने न विरुज्झेज केणइ । मणसा वयसा चेव कायसा चेव चक्खुमं ॥ १३ ॥ से हु चक्खू मणुस्साणं जे कंखाए य अन्तए । अन्तेण खुरो वहई चकं अन्तेण लोहई ॥ १४ ॥ अन्ताणि धीरा सेवन्ति तेण अन्तकरा इह । इह माणुस्सए ठाणे धम्ममाराहिउं नरा ॥ १५ ॥ निष्ठियष्ठा व देवा वा उत्तरीए इयं सुयं । सुयं च मेयमेगेसि अमगुस्सेसु नो तहा ॥ १६ ॥ अन्तं करन्ति दुक्खाणं इहमेगेसिमाहियं । आघायं पुण एगेसिं दुल्लभेयं समुस्सए ॥ १७॥ इओ विद्धंसमाणस्स पुणो संबोहि दुल्लहा । दुल्लहाओ तहचाओ जे धम्मटुं वियागरे ॥ १८ ॥ जे धम्मं सुद्धमक्खन्ति पडिपुण्णमणेलिसं । अणेलिसस्स जं ठाणं तस्स जम्मकहा कओ ॥ १९ ॥ कओ कयाइ मेहावी उप्पञ्जन्ति तहागया । तहागया अप्पडिन्ना चक्खू लोगस्सगुत्तरा ॥ २० ॥ Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 16. 1.] गाहज्य अणुत्तरे य ठाणे से कासवेण पवेइए । जं किया निव्बुडा एगे नि पावन्ति पण्डिया ॥ २१ ॥ पण्डिए वीरियं लद्धुं निग्वायाय पवत्तगं । धुणे पुण्वक कम्मं नवं वा वि न कुव्वई ।। २२ ।। न कुवई महावीरे अणुपुचकडं रयं । रयसा संमुहीभूया कम्मं चाण जं मयं ॥ २३ ॥ जं मयं सव्वसाहूणं तं मयं सलगत्तणं । साहइताण तं तिष्णा देवा वा अभविसु ते ॥ २४ ॥ अभविसु पुरा धीरा आगमिस्सा वि सुव्वया । दुनिवोस मग्गस्स अन्तं पाउकरा ति ।। २५ ॥ त्ति बेमि ॥ आयाणियज्झयणं पण्णरहमं गाहज्झयणे सोळसमे ६१ I. 16. अहाह भगवं - - एवं से दन्ते दविए वोसहकाए ति वचे माहणे त्ति वा १ समणेति वा २ भिक्खुत्ति वा ३ निग्गन्थे ति वा ४ । पडिआह-मन्ते कहं नु दन्ते दविए बोसडकाए ति बच्चे माहणे तिवा समणेति वा भिक्खुत्ति वा निग्गन्थे त्ति वा । तं नो ब्रूहि महामुनी || इति विर साम्मे हिं पिजदोसकलह अभक्खाण० पेमुन्न० परपरिवाय० अरहर० मायामोस० मिच्छादंसण सह्यविरए समिए सहिए सया जर नो कुज्झे नो माणी माहणेति वच्चे ॥ १॥ एत्थ व समणे अनिस्सिए अणियाणे आयाणं च अवायं च मुसावायं च वहिद्धं च कोई च माणं च सायं च लोहं च पिजं च Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [1. 16. 4दोसं च इच्चेव जओ जओ आयाणं अप्पणो पदोसहेऊ तओ तओ आयाणाओ पुब्वं पडिविरए पाणाइवाया सिआ दन्ते दविए वोसहकाए समणे ति बच्चे ॥२॥ एत्थ वि मिक्खू अणुनए विणीए नामए दन्ते दविए वोसहकाए संविधुणीय विरूवरूवे परीसहोवसग्गे अज्झप्पजोगसुद्धादाणे उवहिए ठिअप्पा संखाए परदत्तभोई भिक्खु ति वच्चे ॥३॥ ___ एत्थ वि निग्गन्थे एगे एगविऊ बुद्धे संछिन्नसोए सुसंजए सुसमिए सुसामाइए आयवायपत्ते विऊ दुहओ वि सोयपलिछिन्ने धम्मट्टी धम्मविऊ नियागपडिवन्ने समियं चरे दन्ते दविए वोसहकाए निग्गन्थे त्ति वच्चे ॥ ४ ॥ से एवमेव जाणह जमहं भयन्तारो ॥ त्ति बेमि ॥ गाहज्झयणं सोळसमं पढमे सुयक्खन्धे समत्ते ॥ Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडं विइये सुयक्खन्धे Page #70 --------------------------------------------------------------------------  Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पोण्डरियज्झयणे पढमे 2. 1. सुयं मे आउसं तेणं भगवया एवमक्खायं । इह खलु पोण्डरीए नामज्झयणे तस्स णं अयमहे पन्नत्ते । से जहानामए पुक्खरिणी सिया बहुउदगा बहुसेया बहुपुक्खला लद्धट्टा पुण्डरिकिणी पासादिया दरिसणिया अभिरूवा पडिरूवा। तीसे णं पुक्खरिणीए तत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे पउमवरपोण्डरीया वुझ्या, अणुपुबुढिया ऊसिया रुइला वण्णमन्ता गन्धमन्ता रसमन्ता कासमन्ता पासादिया दरिसणिया अभिरूवा पडिरूवा। तीसे णं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगे महं पउमवरपोण्डरीए बुइए, अणुपुबुढ़िए असिए रुइले वण्णमन्ते गन्धमन्ते रसमन्ते फासमन्ते पासादीए जाव पडिरूवे । सव्वावन्ति च णं तीसे पुक्खरिणीए तत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे पउमवरपोण्डरीया बुझ्या अणुपुबुढिया ऊसिया रुइला जाव पडिरूवा । सव्वावन्ति च णं तीसे गं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगे महं पउमवरपोण्डरीए बुइए अगुपुब्बुट्टिए जाव पडिरूवे ॥ १॥ अह पुरिसे पुरिन्थिमाओ दिसाओ आगम्म तं पुस्खरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासइ तं महं एगं पउमवरपोण्डरीयं अणुपुबुडियं ऊसियं जाव पडिरूवं । तए णं से पुरिसे एवं क्यासी-अहमंसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पण्डिए वियत्ते मेहावी अबाले मग्गडे मग्गविऊ मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू । अहमेयं पडमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामि त्ति कट्ट इइ बुया से पुरिसे अभिक्कमेइ तं पुक्खरिणं । जावं जावं च णं अभिक्कमेइ तावं तावं च णं महन्ते उदए महन्ते सेए पहाणे तीरं अपत्ते पउमवरपोण्डरीयं नो हव्याए नो पाराए अन्तरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसण्णे पढमे पुरिसजाए ॥ २ ॥ सूयगडं-५ Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 1. 3. 1अहावरे दोचे पुरिसजाए । अह पुरिसे दक्खिणाओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासइ तं महं एगं पउमवरपोण्डरीयं अणुपुव्बुट्टियं पासादीयं जाव पडिरूवं । तं च एत्थ एगं पुरिसजायं पासइ पहीणतीरं अपत्तपउमवरपोण्डरीयं नो हव्याए नो पाराए अन्तरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसणं । तए णं से पुरिसे तं पुरिसं एवं वयासी-अहो णं इमे पुरिसे अखेयन्ने अकुसले अपण्डिए अवियत्ते अमेहावी बाले नो मग्गडे नो मग्गविऊ नो भग्गस्स गइपरिक्कमन्नू जंणं एस पुरिसे । अहमंसि खेयन्ने कुसले जाव पउमवरपोण्डरीयं उनिक्खिस्सामि । नो य खलु एयं पउभवरपोण्डरीयं एवं उन्निस्खेयव्वं जहा णं एस पुरिसे भन्ने । अहमसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पण्डिए वियत्ते मेहावी अबाले मग्गढे मग्गविऊ मग्गस्थ गइपरिकमन्न, अहमेयं पउमवरपोण्डरीयं उनिक्खिस्सामिति कटु इ बुया से पुरिसे अभिक्कमे तं पुश्वरि । जावं जावं च णं अभिकोइ ताव तावं च णं महन्ते उदए महन्ते सेए पहीणे तीरं अपत्ते पटवरपोण्डरीयं नो हवाए नो पाराए अन्तरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसण्णे दोचे पुरिसजाए ॥ ३॥ अहावरे तच्चे पुरिसजाए । अह पुरिसे पञ्चस्थिाओ दिखाओ आगम्म तं पुक्खरिणिं तीसे पुश्चरिणीए तीरे ठिच्चा पासई तं गं पउमवरपोण्डरीयं अणुपुव्वुढियं जाब पडिरूवं । ते तत्थ दोणि पुरिसजाए पासई पहीणे तीरे अपत्ते पउमवरपोण्डरीयं नो हब्बाए नो पाराए जाव सेयंसि निसणे । तए णं से पुरिसे एवं क्यासी-अहो गं इसे पुरिसा अखेयन्ना अकुसला अपाण्डया अवियना अमेहावी वाला नो मग्गहा नो मग्गविऊ नो मग्गस्स गइपरिकभन्न अंणं एए पुरिमा एवं मन्नेअम्हे एयं पउमबरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सानो नो य खलु एयं परमवरपोण्डरीयं एवं उनिक्वेयध्वं जहा एए पुरिमा भन्ने । अहमसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पण्डिए वियत्ते मेहावी अबाले मग्गहे मागविऊ Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 1. 6. 9.] पोण्डरियज्झयणे मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू अहमेयं पड़मवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामि त्ति कट्ठ इति वुच्चा से पुरिसे अभिकमे तं पुक्खरिणिं । जावं जावं च णं अभिक्कमे तावं तावं च णं महन्ते उदए महन्ते सेए जाव अन्तरा पुक्खरिणीए सेयसि निसण्णे तच्चे पुरिसजाए ॥ ४ ॥ अहावरे चउत्थे पुरिसजाए । अह पुरिसे उत्तराओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासइ तं महं एगं पउमवरपोण्डरीयं अणुपुव्बुट्टियं जाव पडिरूवं । ते तत्थ तिणि पुरिसजाए पासइ पहीणे तीरं अपत्ते जाव सेयंसि निसणे । तए णं से पुरिसे एवं वयासी-अहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना जाव नो मग्गस्स गइपरिक्कमन्नू जं णं एए पुरिसा एवं मन्ने अम्हे एयं परमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामो नो य खलु एयं पउमवरपोण्डरीयं एवं उनिक्खेयव्वं जहा णं एए पुरिसा मन्ने । अहमंसि पुरिसे खेयन्ने जाव मग्गस्स गइपरिकमन्नू, अहमेयं पउमवरपोण्डरीयं एवं उन्निक्खिस्सामि त्ति कटु इतिचा से पुरिसे अभिकमे तं पुक्खरिणिं । जावं जावं च णं अभिक्कमे तावं तावं च णं महन्ते उदए महन्ते सेए जाव निसण्णे चउत्थे पुरिसजाए ॥५॥ ___ अह भिक्खू लुहे तीरडी खेयन्ने जाव गइपरिकमन्नू अन्नयराओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा आगम्म तं पुक्खरिणं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासइ तं महं एगं परमवरपोण्डरीयं जाव पडिरूवं । ते तत्थ चत्तारि पुरिसजाए पासइ पहीणे तीरं अपत्ते जाव पउमवरपोण्डरीयं नो हव्वाए नो पाराए अन्तरा पुक्खरिणीए सेयसि निसण्णे । तए णं से भिक्खू एवं वयासी-अहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना जाव नो मग्गस्स गइपरिकमन्नू जं एए पुरिसा एवं मन्ने अम्हे एयं पउमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामो, नो य खलु एयं पउमवरपोण्डरीयं एवं उन्निक्खेयव्वं जहा णं एए पुरिसा मन्ने । अहमंसि भिक्खू लुहे तीरडी खेयन्ने Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 1. 6. 10जाव गइपरिक्कमन्नू अहमेयं पउमवरपोण्डरीयं उन्निक्खिस्सामि त्ति कट्टु इति वुच्चा से भिक्खू नो आभिकमे तं पुक्खरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा सदं कुजा-उप्पयाहि खलु भो पउमवरपोण्डरीया उप्पयाहि । अह उप्पइए से पउमवरपोण्डरीए ॥६॥ किट्टिए नाए समणाउसो, अहे पुण से जाणियब्वे भवइ । भन्ते त्ति समणं भगवं महावीरं निग्गन्था य निग्गन्थीओ य वन्दन्ति नमंसन्ति वन्दित्ता नमंसित्ता एवं क्यासी-किट्टिए नाए समणाउंसो, अहं पुण से न जाणामो समणाउसो ति । समणे भगवं महावीरे ते य बहवे निग्गन्थे य निग्गन्थीओ य आमन्तेत्ता एवं वयासी-हन्त समणाउसो आइक्खामि विभावेभि कित्तेमि पवेएमि सअहं सहेडं सनिमित्तं भुजो भुजो उवदंसेमि । से बेमि ॥ ७ ॥ लोयं च खलु भए अप्पाहट्ट समणाउसो पुक्खरिणी बुझ्या । कम्म च खलु मए अप्पाहटु समगाउसो से उदए वुइए । कामभोगे य खलु मए अप्पाहमु समणाउसो से सेए बुइए । जणजाणवयं च खलु मए अप्पाह१ समणाउसो ते बहने पउमवरपोण्डरीए वुइए । रायाणं च खलु मए अप्पाहट्ट समणाउसो से एगे महं पउमवरपोण्डरीए बुइए । अन्नतित्थिया य खलु मए अप्पाहट्ट समणाउसो ते चत्तारि पुरिसजाया बुइया । धम्मं च खलु मए अप्पाहट्ट समणाउसो से भिक्खू बुइए । धम्मतित्थं च खलु भए अप्पाहट्ट समणाउसो से तीरे वुइए । धम्मकहं च खलु भए अव्याहमु समणाउसो से सदे बुइए । निव्वाणं च खलु भए अप्पाह१ समणाउसो से उप्पाए वुइए । एवमेयं च मए अप्पाहटु समणाउसो से एवमेयं बुझ्यं ॥ ८ ॥ इह खलु पाईणं वा पडीगं वा उदीगं या दाहिण वा सन्तेगड्या मणुस्सा भवन्ति अशुपुत्रेणं लोग उववन्ना । तं जहा-आरिया बेगे Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 1. 9. 28. ] पोण्डरियज्झयणे ६९ अणारिया वेगे उच्चागोता वेगे जीयागोया वेगे कायमन्ता वेगे रहस्समन्ता वेगे सुवण्णा वेगे दुव्वण्णा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे । तेसिं च णं मणुवाणं एगे राया भवड़ महया हिमवन्तमलय मन्दरमहिन्दसारे अच्चन्तविसुद्ध रायकुलर्वसप्प निरन्तररायलक्खणविराइयङ्गमङ्गे बहुजणच पाणपूए सव्वगुणसमिद्धे खत्तिए मुदिए मुद्धाभिसिने भाउपिडसुजाय दयप्पिर सोनेकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे मणुस्सिन्दे जणवयपिया जणवयपुरोहिए सेउकरे केउकरे नरपवरे पुरिसपवरे पुरिससीहे पुरिसआसीवसे पुरिसवरपोण्डरीए पुरिसवरगन्धहत्थी अड्डे दिने वित्ते वित्थणविडल भवणस्यणासणजाणवाहणाणे बहुधणबहुजायरूवर आओगप ओग संपडते विच्छड्डियपउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेल गप्प भए पडिपुण्ण कोस कोडा गाराउहागारे बलवं दुब्बलपच्चामि ओहयकण्टयं निहयकण्टयं मलियकण्टयं उद्वियकण्ट्यं अकण्टयं ओहरातू हियसत्तू मलियसत्तू उद्वियसत्तू निजियसत्तू पराइयसत्तू ववगयदुभिक्खमारिभयविष्पमुक्कं ( रायवण्णओ जहा ओववाइए ) जाव पसन्तडिण्वडमरं रजं पसासेमाणे विहरइ । तस्स णं रनो परिसा भवइउग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता इक्खागाइ इक्खागाइपुत्ता नाया नायपुत्ता कोरव्या कोरव्यपुत्रा भट्टा भट्टपुचा माहणा माहणपुत्ता लेच्छइ लेच्छइपुत्ता पसारो पत्थपुता सेणावई सेणावइपुत्ता । तेसिं चणं एगइसी भइ कामं तं समणा वा माहणा वा संपहारिंस गमणाए । तत्थ अन्नयरणं धम्मेणं पन्नत्तारो वयं इमेणं धम्मेणं पनवइस्सामो से एवमायाह भयन्तारो जहा भए एस धम्मे सुयक्खाए सुपनत्ते भवइ । तं जहा - उड्डुं पायतला अहे केसरगमत्थया तिरियं तयपरियन्ते जीवे एस आयापञ्जवे कसिणे एस जीवे जीवइ, एस मए नो जीव, सरीरे घरHas as नो धरई । एयं तं जीवियं भवइ, आदहणाए परेहिं निजइ, अगणिझामिए सरीरे कवयवण्णाणि अट्ठीणि भवन्ति, आसन्दीपञ्चमा पुरिसा गामं पच्चागच्छन्ति, एवं असन्ते असंविज्ज य Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 1. 9. 20माणे । जेसिं तं असन्ते असंविजमाणे तेसिं तं सुयस्खायं भवइ-अन्नो भवइ जीवो अन्नं सरीरं, तम्हा ते एवं नो विपडिवेदेन्ति-अयमाउसो आया दीहे त्ति वा हस्से त्ति वा परिमण्डले ति वा बट्टे त्ति वा तंसे त्ति वा चउरंसे त्ति वा आयए त्ति वा छलंसिए ति वा अहंसे ति वा किण्हे त्ति वा नीले त्ति वा लोहियहालिदे त्ति वा सुकिल्ले ति वा सुब्भिगन्धे त्ति वा दुब्भिगन्धे ति वा तिते त्ति वा कडुए ति वा कसाए त्ति वा अम्बिले त्ति वा महुरे ति वा कक्खडे त्ति वा मउए त्ति वा गुरुए त्ति वा लहुए ति वा सीए ति वा उसिणे ति वा निद्धे त्ति वा लुक्खे त्ति वा । एवं असन्ते असंविजमाणे । जेसिं तं सुयक्खायं भवइअन्नो जीवो अन्नं सरीरं, तम्हा ते नो एवं उवलब्भन्ति । से जहानामए--केइ पुरिसे कोसीओ असिं अभिनिवट्टित्ता णं उवदंसेजा अयमाउसो असी अयं कोसी, एवमेव नत्थि केइ पुरिसे अभिनिवट्टित्ता णं उबदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । ले जहानामएकेइ पुरिसे मुञ्जाओ इसियं अभिनिवट्टित्ता णं उवदंसेजा अयमाउसो मुजे इयं इसियं, एवमेव नत्थि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे मंसाओ अहिं अभिनियट्टित्ता णं उवदंसेजा अयमाउसो मंसे अयं अट्ठी, एवमेव नत्थि केइ पुरिसे उबदसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे करयलाओ आमलकं अभिनिव्वट्टित्ता णं उबदंसेजा अयमाउसो करयले अयं आपलए, एवमेव नथि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे दहीओ नवणीयं अभिनिव्वट्टित्ता णं उबदंरोजा अयमाउसो नवणीयं अयं तु दही, एवमेव नथि केइ पुरिसे जाव सरीरं। से जहानामए केइ पुरिसे तिलहिन्तो तेलं अभिनिव्वट्टित्ता गं उवदंसेजा अयमाउसो तेल्लं अयं पिण्णाए, एवमेव जाव सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे इक्वओ खोयरसं अभिनिव्वट्टित्ता Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 1. 9. 79. ] पोण्डरियाणे ७१ णं उवदंसेजा अयमाउसो खोयरसे अयं छोए, एवमेव जाव सरीरं । से जहानामए - केइ पुरिसे अरणीओ अगि अभिनिव्वट्टित्ताणं उवसेजा अयमाउसो अरणी अयं अग्गी, एवमेव जाव सरीरं । एवं असन्ते संविजमाणे । जेसिं तं सुयक्खायं भवइ तं जहा - अन्नो जीवो अनं सरीरं । तम्हा ते मिच्छा || से हन्ता तं हणह खणह छE SEE यह आलुम्पह विलुम्पह सहसकारेह विपरामुसह, एयावया जीवे नत्थि परलोए । ते नो एवं विप्पडिवेदेन्ति, तं जहा - किरिया इ वा अकिरिया इ वा सुक्कडे इ वा दुक्कडे इ वा कलाणे इ वा पावए इ साहुइ वा असाहुइ वा सिद्धी इ वा असिद्धी इ वा निरए इ वा अणिरए ३ वा । एवं ते विरूवरूवेहिं कम्मसमारंभेहिं विरूवरूवाई कामभोगाई समारभन्ति भोयणाए || एवं एगे पागब्भिया निक्खम्म मामगं धम्मं नवेन्ति । तं सद्दहमाणा तं पत्तियमाणा तं रोएमाणा साहु सुयक्खाए समणेति वा माहणेति वा कामं खलु आउसो तुमं पूययामि, तं जहा - असणेण वा पाणेण वा खाइमेण वा साइमेण वा वत्थे वा डिग्गहेण वा कम्बलेण वा पायपुञ्छणेण वा । तत्थेगे पूयणाए समाउहिंसु तत्येंगे पूयणाए निकाइंसु । पुव्यमेव तेसिं नायं भवइ - समणा भविस्सामो अणगारा अकिंचना अपुत्ता अपसू परदत्तभोणो भिक्खुणो पावं कम्मं नो करिस्सानो समुडाए । ते अप्पणा अपडिविरया भवन्ति, सयमाइयन्ति, अन्ने वि आइयावेन्ति अन्नं पि आययन्तं समगुजाणन्ति । एवमेव ते इत्थिकामभोगेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववन्ना लुद्धा रागदोसवसट्टा । ते नो अप्पाणं समुच्छेदेन्ति ते नो परं समुच्छेदेन्ति ते नो अन्नाई पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई समुच्छेदेन्ति, पहीणा पुब्धसंजोगं आयरियं मग्गं असंपत्ता इति ते नो हव्वाए नो पाराए अन्तरा कामभोगेसु विसण्णा । इति पढमे पुरिसजाए तञ्जीवतच्छरीरए ति आहिए ॥ ९ ॥ Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ सूयगडम्मि [2. 1. 10. 1अहावरे दोचे पुरिसजाए पञ्चमहब्भूइए त्ति आहिज्जइ । इह खलु पाईणं वा ६ सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति अणुपुव्वेण लोयं उववन्ना, तं जहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे एवं जाब दुरूना वेगे। तेसिं च णं महं एगे राया भवइ भहया एवं चेव निरवसेसं जाव सेणावइपुत्ता । तेसिं च णं एगइए सड्डा भवान्त कामं तं समणा य माहणा य पहारिंसु गमणाए । तत्थ अन्नयरेणं धम्मेणं पन्नत्तारो वयं इमेणं धम्मेणं पन्नवइस्सामो से एवमायाणह भयन्तारो जहा मए एस धम्मे सुअक्खाए सुपन्नत्ते भवइ । इह खलु पञ्चमहब्भूया जेहिं नो विजइ किरिया त्ति वा अकिरिया त्ति वा सुक्कडे ति वा दुक्कडे त्ति वा कल्लाणे त्ति वा पावए त्ति वा साहु त्ति वा असाहु त्ति वा सिद्धि त्ति वा निरए त्ति वा अनिरए ति वा अवि अन्तसो तणमायमवि ॥ तं च पिहुद्देसेणं पुढोभूयसमवायं जाणेजा । तं जहा पुढवी एगे महब्भूए, आऊ दुच्चे महन्भूए, तेऊ तच्चे महन्भूए, वाऊ चउत्थे महब्भूए, आगासे पञ्चमे महब्भूए । इच्चेए पञ्च महब्भूया अनिम्मिया अनिम्माविया अकडा नो कित्तिमा नो कडगा अणाइया अणिहणा अवञ्झा अपुरोहिया संतता सासया आयछटा । पुण एगे एवमाहु-सओ नत्थि विणासो असओ नत्थि संभवो। एयावया व जीवकाए एयावया व अस्थिकाए एयावया व सव्वलोए, एयं मुहं लोगस्स करणयाए, अवि अन्तसो तणमायमवि । से किणं किणावेमाणे हणं घायमाणे पयं पयावेमाणे अवि अन्तसो पुरिसमवि कीणित्ता घायइत्ता एत्थं पि जाणाहि नत्थित्थ दोसो। ते नो एवं विप्पडिवेदेन्ति । तं जहा-किरिया इ वा जाव अनिरए इ वा । एवं ते विरूवरूवेहि कम्मसमारंभेहिं विरूवरूवाई कामभोगाइं समारभन्ति भोयणाए । एवमेव ते अणारिया विप्पडिवन्ना तं सद्दहमाणा तं पत्तियमाणा जाव ते नो हव्वाए नो पाराए अन्तरा कामभोगेसु विसण्णा । दोच्चे पुरिसजाए पञ्चमहन्भूइए त्ति आहए ॥ १० ॥ Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३ 2. 1. 11. 26.] पोण्डरियज्झयणे अहावरे तच्चे पुरिसजाए ईसरकारणिए त्ति आहिजइ । इह खलु पाईणं वा ६ सन्तेगड्या मगुस्सा भवन्ति अणुपुवर्ण लोयं उववन्ना । तं जहाआरिया वेगे जाव तेसिं च णं महन्ते एगे राया भवइ जाव सेणावइपुत्ता । तेसिं च णं एगइए सड्ढी भवह, काम तं सभणा य माहणा य पहारिंसु गमणाए जाव जहा नए एस धम्मे सुयक्खाए सुपाते भवइ । इह खलु धम्मा पुरिसादिया पुरिलोचरिया पुरिसप्पणीया पुरिससंभूया पुरिखपोइया पुरिसअभिसमभागया पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठन्ति । से जहानालए-गण्डे सिया सरीरे जाए सरीरे संवुढे सरीरे अभिसमन्नागए सरीरमेव अभिभूय चिडइ, एवमेव धम्मा पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिन्ति । से जहानामए-अरई सिया सरीरे जाया सरीरे संवुड्डा सरीरे अभिसमन्त्रागया सरीरमेव अभिभूय चिइ, एवमेव धम्मा वि पुरिमादिया जान पुरिममेव अभिभूय चिहन्ति । से जहानामए-वम्मिए सिया पुढविजाए पुढविसंबुढे पुढविअभिसभन्नागए. पुढविमेव अभिभूय चिटइ, बुरिसभेव अभिभूय चिन्ति । एवमेव धम्माधि पुस्लिादिया जाव से जहानामए-रुखे सिया पुढविजाए पुढविसंबुढे पुढविअभिसमबागए पुढविमेव अभिभूय चिढइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभय चिट्ठन्ति । से जहानामए-पुक्खरिणी सिया पुढविजाया जाव पुढविमेव अभिभूय चिहइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्टन्ति । से जहानामए-उदगपुक्खले सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिट्टइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिटन्ति । से जहानाभए-उदगबुब्बुए सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठन्ति । जंपि य इस समणाणं निग्गन्थाणं उदिदं गणीयं वियञ्जियं दुवालसङ्गं गणिपिडगं, तं जहा-आयारो सूयगडो जाव दिहिवाओ, सव्यमेवं मिच्छा, न एयं तहियं न एयं आहातहियं, इमं सर्च इमं तहियं इमं आहातहियं । ते एवं सन्नं कुब्बन्ति, ते एवं सन्नं संठवेन्ति, Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ सूयगडम्मि [2. 1. 11. 27ते एवं सन्नं सोववन्ति । तमेवं ते तज्जाइयं दुक्खं नाइउद्दन्ति सउणी पञ्जरं जहा। ते नो एवं विप्पडिवेदन्ति तं जहा-किरिया इ वा जाव अणिरए इवा, एवामेव ते विरूवरूवेहिं कम्मसमारम्भेहिं विरूवरूवाई कामभोगाई समारम्भन्ति भोयणाए । एवामेव ते अणारिया विप्पडिवन्ना एवं सदहमाणा जाव इति ते लो हबार नो पाराए, अन्तरा कामभोगेसु विसण्णे ति, तच्चे पुरिसजाए ईसरकाराणए त्ति आहिए ॥ ११ ॥ अहावरे चउत्थे पुरिसजाए नियइवाइए ति आहिजइ । इह खलु पाईणं वा ६ तहेव जाव सेणावइपुत्ता वा । तेसिं च णं एगइए सड्ढी भवइ, कामं तं समणा य माहणा य संपहारिंसु गमणाए जाव मए एस धम्मे सुअक्खाए सुपनत्ते भवइ । इह खलु दुवे पुरिसा भवन्ति-एगे पुरिसे किरियमाइक्खइ एगे पुरिसे नोकिरियमाइक्खइ । जे य पुरिसे किरियमाइक्खइ जे य पुरिसे नोकिरियमाइक्खइ दो वि ते पुरिसा तुल्ला एगट्ठा कारणभावन्ना । बाले पुण एवं विप्पडिवेदेन्ति कारणमावन्ने-अहमंसि दुक्खामि वा सोयामि वा जूरामि वा तिप्पामि वा पीडाभि वा परितप्पामि वा अहमेयमकासि, परो वा जं दुकावइ वा सोयइ वा जूरइ वा तिप्पइ वा पीडइ वा परितप्पड वा परो एवमकासि । एवं से वाले सकारणं वा परकारणं वा एवं विपडिबेदेन्ति कारणमावन्ने । मेहावी पुण एवं विप्पडिवेदेन्ति कारणमावन्ने-अहमसि दुक्खामि वा सोयामि वा जूरामि वा तिप्यामि वा पीडामि वा परितप्यामि वा, नो अहं एवमकासि । परो वा जं दुक्खइ वा जाव परितप्पइ वा नो परो एवमकासि, एवं से मेहावी सकारणं वा परकारणं वा एवं विप्पडिवेदेन्ति कारणमावन्ने । से बेमि पाईणं वा ६ जे तसथावरा पाणा ते एवं संघायमागच्छन्ति ते एवं विप्परियासमावञ्जन्ति ते एवं विवेगमागच्छन्ति ते एवं विहाणमागच्छन्ति ते एवं संगइयन्ति उवेहाए । नो एवं विप्पडिवेदेन्ति, तं जहा-किरिया इ वा जाव निरए इ वा अनिरए इ वा । एवं ते विरूवरूवेहिं कम्मसमारम्भेहिं विरूवरूवाई कामभोगाई समारभन्ति भोयणाए । एवमेव ते Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 1. 13. 19.] पोण्डरियज्झयणे अणारिया विप्पडिवन्ना तं सदहमाणा जाव इति ते नो हव्वाए नो पाराए अन्तरा कामभोगेसु विसण्णा । चउत्थे पुरिसजाए नियझ्वाइए त्ति आहिए। इच्चेए चत्तारि पुरिसजाया नाणापन्ना नाणाछन्दा नाणासीला नाणादिही नाणाई नाणारम्भा नाणाअज्झवसाणसंजुत्ता पहीणपुव्वसंजोगा आरियं मन्गं असंपत्ता इति ते नो हवाए नो पाराए अन्तरा कामभोगेसु विसण्णा ॥ १२ ॥ से बेमि पाईणं वा ६ सन्तेगड्या मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोया वेगे नीयागोया वेगे कायमन्ता वेगे हस्समन्ता वेगे सुवण्णा वेगे दुवण्णा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे । तेरिं च णं जणजाणवयाई परिग्गहियाइं भवन्ति, तं जहा अप्पयरा भुजयरा वा । तहप्पगारहि कुलेहिं आगम्भ अभिभूय एगे भिक्खायरियाए समुठिया । सओ वा वि एगे नायओ (अणायओ) य उवगरणं च विष्णजहाय भिक्खायरियाए समुट्टिया । असओ वा वि एगे नायओ ( अणायओ ) य उवगरणं च विप्पजहाय भिक्खायरियाए समुडिया । [जे ते सओ वा असओ वा नायओ य अणायओ य उवगरणं च विष्पजहाय भिक्खायरियाए समुढिया ] पुव्वमेवं तेहिं नायं भवइ । तं जहाइह खलु पुरिसे अन्नमन्नं ममहाए एवं विप्पडिवेदेन्ति । तं जहा- खेत्तं मे क्त्थू मे हिरणं मे सुवष्णं मे धणं मे धन्नं मे कंसं मे दूसं मे विपुलघणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलपवालरत्तरयणसन्तसारसावएयं मे । सदा में रूवा मे गन्धा मे रसा मे कासा मे। एए खलु मे कामभोगा अहमवि एणसिं । से मेहावी पुब्बामेव अप्पणो एवं समभिजाणेजा । तं जहा-इह खलु मम अन्नयरे दुक्खे रोगायके समुप्पजेजा अणि? अकन्ते अप्पिए असुभे अमणुन्ने अमणामे दुक्खे नो सुहे। से हन्ता भयन्तारो कामभोगाई मम अन्नयरं दुक्खं रोगायक परियाझ्यह अणिडं अकन्तं अप्पियं असुभं अमणुन्नं अमणामं दुक्खं नो सुहं । ता अहं Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 1. 13. 20दुक्खामि वा सोयामि वा जूरामि वा तिप्पामि वा पीडामि वा परितप्पामि वा इमाओ मे अन्नयराओ दुवखाओ रोगायंकाओ पडिमोयह अणिट्टाओ अकन्ताओ अप्पियाओ असुभाओ अमगुन्नाओ अमणामाओ दुक्खाओ नो सुहाओ। एवामेव नो लद्वपुव्वं भवइ । इह खलु कामभोगा नो ताणाए वा नो सरणाए वा । पुरिसे वा एगया पुचिं कामभोगे विप्पजहइ, कामभोगा वा एगया पुट्विं पुरिसं विप्पजहन्ति । अन्ने खलु कामभोगा अन्नो अहमंसि । से किमंग पुण वयं अन्नमन्नेहिं कामभोगेहिं मुच्छामो । इति संखाए णं वयं च कामभोगेहिं विष्पजहिस्सामो । से मेहावी जाणेजा बहिरङ्गमेयं इणमेव उवणीययरागं । तं जहा-माया मे पिया मे भाया मे भगिणी मे भजा मे पुत्ता मे धूया मे पेसा मे नत्ता मे सुण्हा मे सुहा मे पिया मे सहा मे सयणसंगन्थसंथुया मे । एए खलु मम नायओ अहमवि एएसिं । एवं से मेहावी पुयामेव अप्पणा एवं समभिजाणेजा। इह खलु मम अन्नयरे दुक्खे रोगायके समुप्पज्जेज्जा आणिढे जाव दुक्खे नो सुहे । से हंता भयन्तारो नायओ इमं मम अन्नयरं दुक्खं रोगायक परियाइयह अणिडं जाव नो सुहं । ता अहं दुक्खामि वा सोयामि वा जाव परितप्पामि वा, इमाओ मे अन्नयराओ दुक्खाओ रोगायंकाओं परिमोएह अणिडाओ जाव नो सुहाओ, एवमेव नो लद्धपुवं भवइ । तेसिं वा वि भयन्ताराणं मम नाययाणं अन्नयरे दुक्खे रोगायक समुप्पजेजा अणिढे जाव नो सुहे, से हन्ता अहमेएसिं भयन्ताराणं नाययाणं इमं अन्नयरं दुक्खं रोगायकं परियाइयामि आणि] जाव नो मुहे, मा मे दुक्खन्तु वा जाव मा मे परितप्पन्तु वा, इमाओ णं अन्नयराओ दुक्खाओ रोगायंकाओ परिमोएमि अणिहाओ जाव नो सुहाओ, एवमेव नो लद्धपुव्वं भवइ । अन्नस्स दुक्खं अन्नो न परियाझ्यइ अन्नेण कडं अन्नो नो पडिसंवेदेइ पत्तेयं जायइ पत्तेयं मरइ पत्तेयं चयइ पत्तेयं उववजइ पत्तेयं झंझा पत्तेयं सन्ना पत्तेयं मन्ना एवं विन्नू वेयणा । इइ खलु नाइसंजोगा नो ताणाए वा नो सरणाए वा । पुरिसे वा एगया पुचिं नाइसंजोगे Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 1. 11. 14.] पोण्डरियज्झयणे ७७ विप्पजहइ, नाइसंजोगा वा एगया पुधिं पुरिसं विष्पजहन्ति, अन्ने खलु नाइसंजोगा अन्नो अहमंसि, से किमंग पुण वयं अन्नभन्नेहिं नाइसंजोगेहिं मुच्छामो, इति संखाए णं वयं नाइसंजोगं विप्पजहिस्सामो । से मेहावी जाणेजा बहिरङ्गमेयं, इणमेव उवणीययरागं । तं जहा-हत्था मे पाया मे बाहा मे उरू मे उयरं से सीसं मे सील मे आऊ मे बलं मे वणो मे तया में छाया मे सोयं मे चक्खू मे घाणं मे जिब्भा मे फासा मे प्रमाइजइ, वयाउ पडिजूरइ । तं जहा-आउओ बलाओ वण्णाओ तयाओ छायाओ सोयाओ जाव कासाओ। सुसंधिओ संधी विसंधीभवइ, वलियतरंगे गाए भवइ, किण्हा केसा पलिया भवन्ति । तं जहा-जंपि य इमं सरीरगं उरालं आहारोवइयं एयं पि य अणुपुव्वेणं विप्पजहियव्वं भविस्मइ । एवं संखाए से भिक्खू भिक्खायरियाए समुट्ठिए दुहओ लोगं आणेजा, तं जहा-जीवा चेव अजीवा चेव, तसा चेव थावरा चेव ॥१३॥ इह खलु गारत्था सारम्भा सपरिग्गहा, सन्तेगड्या समणा माहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, जे इमे तसा थावरा पाणा ते सयं समारभन्ति अनेण वि समारम्भावेति अन्नं पि समारभन्तं समगुजाणन्ति । इह खलु गारत्था सारम्भा सपरिग्गहा, सन्तेगइया समणा माहणा वि सारम्भा सपरिगहा, जे इमे कामभोगा सचित्ता वा अचित्ता वा ते सयं परिगिण्हन्ति अन्नेण वि परिगण्हावेन्ति अन्नं पि परिगिव्हन्तं समणुजाणन्ति । इह खलु गारत्था सारम्मा सपरिग्गहा, सन्तेगड्या समणा माहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, अहं खलु अणारम्भे अपरिग्गहे, जे खलु गारत्था सारम्भा सपरिगहा, सन्तेगड्या समणा भाहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, एपसिं चेव निस्साए बम्भचेरवास वसिस्सामो । कस्स णं तं हेडं ? जहा पुयं तहा अबरं जहा अवरं तहा पुर्व, अजू एए अणुवरया अगुवहिया पुणरवि तारिसगा चेव । जे खलु गारत्था सारमा सपरिगहा, सन्तेगड्या लममा माहगा वि सारमा सपरिग्गहा, दुहओ पावाई कुव्बन्ति शति सवार दोहि वि अन्तेहिं अदिस्समागो इति भिक्खू रीएजा । से Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 1. 14. 15बेमि पाइणं वा ६ जाव एवं से परिन्नायकम्मे, एवं से ववेयकम्मे, एवं से विअन्तकारए भवइ त्ति-मक्खायं ॥ १४ ॥ तत्थ खलु भगवया छज्जीवनिकायहेऊ पन्नत्ता । तं जहा-पुढवीकाए जाव तसकाए । से जहानामए-मम अस्सायं दण्डण वा अट्ठीण वा मुट्ठीण वा लेलण वा कवालेण वा आउट्टिजमाणस्स वा हम्ममाणस्स वा तजिजमाणस्स वा ताडिज्जमाणस्स वा परियाविजमाणस्स वा किलामिजमाणस्स वा उद्दविजमाणस्स वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारगं दुक्खं भयं पडिसंवेदेमि, इच्चेवं जाण सव्वे जीवा सव्वे भूया सव्वे पाणा सव्वे सत्ता दण्डेण वा जाव कवालेण वा आउट्टिजमाणा वा हम्ममाणा वा तजिजमाणा वा ताडिजमाणा वा परियाविजमाणा वा किलामिजमाणा वा उद्दविजमाणा वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारगं दुक्खं भयं पडिसंवेदेन्ति । एवं नच्चा सव्वे पाणा जाव सत्ता न हन्तव्वा न अञ्जावेयव्वा न परिघेयव्या न परितायव्वा न उद्दवेयव्या । से बेमि जे य अईया जे य पडुप्पन्ना जे य आगमिस्सा अरिहन्ता भगवन्ता सव्वे ते एवमाइक्खन्ति एवं भासन्ति एवं पन्नवन्ति एवं परूवेन्ति सव्वे पाणा जाव सत्ता न हन्तव्वा न परिधेयव्वा न अञ्जावेयव्वा न परितावेयव्वा न उद्दवेयव्वा । एस धम्मे धुवे नीइए सासए समिञ्च लोग खेयन्नेहिं पवेइए । एवं से भिकरबू विरए पाणाइवायाओ जाब विरए परिगहाओ नो दन्तपक्खालणेणं दन्ते पक्खालेजा नो अञ्जणं नो वमणं नो धूवणे नो तं परिआविएजा ॥ से भिक्खू अकिरिए अल्सए अकोहे अमाणे अमाए अलोहे उवसन्ते परिनिव्वुडे नो आसंसं पुरओ करेजा इमेण में दिटेण वा सुएण वा भएण वा विनाएण वा इमेण वा सुचरियतवनियमबम्भचेरवासेण इमेण वा जायामायावुत्तिएणं धम्मेणं इओ चुए पेच्चा देवे सिया कामभोगाण वसवत्ती सिद्धे वा अदुक्खमसुभे एत्थ वि सिया एत्थ वि नो सिया । से भिक्खू सद्देहिं अमुच्छिए रूवेहिं अमुच्छिए गन्धेहिं अमुच्छिए रसेहिं अमुच्छिए फासेहिं अमुच्छिए विरए Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 1. 15. 50.] पोण्डरियज्झयणे कोहाओ मागाओ मायाओ लोभाओ पेजाओ दोसाओ कलहाओ अब्भक्खाणाओ पेसुन्नाओ परपरिवायाओ अरइरईओ मायामोसाओ मिच्छादसणसल्लाओ इति से महओ आयाणाओ उवसन्ते उवहिए पडिविरए से भिक्खू । जे इमे तसथावरा पाणा भवन्ति ते नो सयं समारम्भइ नो वन्नेहिं समारम्भावेइ अन्ने समारम्भन्ते वि न समणुजाणइ इति से महओ आयाणाओ उवसन्ते उवहिए पडिविरए से भिक्खू । जं पि य इमं संपराइयं कम्मं किजइ, नो तं सयं करेइ नो अन्नाणं कारवेइ अन्न पि करेन्तं न समगुजाणइ, इति से महओ आयाणाओ उवसन्ते उवहिए पडिविरए । से भिक्खू जाणेजा असणं वा ४ अस्सि पडियाए एगं साहम्मियं समुदिरस पाणाई भ्याई जीवाई सत्ताई समारम्भ समुहिस्स कीयं पामिचं अच्छिजं अनिसहं अभिहडं आहहुदेसियं तं चेइयं सिया तं ( अप्पणो पुत्ताइणट्टाए जाव आएसाए पुढो पहेणाए सामासाए पायरासाए संनिहिसंनिचओ किजइ इह एएसिं माणवाणं भोयणाए ) नो सयं भुञ्जइ नो अन्नेणं भुञ्जावेइ अनं पि भुञ्जन्तं न समगुजाणइ, इति से महओ आयाणाओ उवसन्ते उवहिए पडिविरए । तत्थ भिक्खू परकडं परनिडियमुग्गमुपायणे सणासुद्धं सत्थाईयं सत्थपरिणामियं अविहिसियं एसियं वेसियं सामुदागियं पत्तमसणं कारणहा पमाणजुत्तं अक्खोवजणवणलेवणभूयं संजमजायामायावत्तियं बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेजा अन्नं अन्नकाले पाणं पाणकाले वत्थं वत्थकाले लेणं लेणकाले सयणं सयणकाले । से भिक्ख मायन्ने अन्नयरं दिसं अणुदिसं वा पडिवन्ने धम् आइक्खे विभए किट्टे उबटिएसु वा अणुवट्टिएसु वा सुस्मसमासु पवेयए, सन्तिविरई उपसमं निव्याणं सोयवियं अञ्जवियं महावियं लाघवियं अणइवाइयं सव्वेसिं पाणाणं सव्वेसि भूयाणं जाव सत्ताणं अणुवाई किट्टए धम्म । से भिक्खू धम्म किट्टमाणे नो अन्नस्स हेडं धम्ममाइक्खेजा, नो पाणस्स हे धम्ममाइक्वेजा, नो वत्थस्स हेडं धम्ममाइक्खेजा, नो लेणस्स हेडं धम्ममाइक्खेजा, नो Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 1. 15. 51 सयणस्स हे धम्ममाइक्खेजा, नो अन्नेसिं विरूवरूवाणं कामभागोणं हे धम्मम इक्खेजा, अगिला धम्ममाइक्खेजा, नन्नत्थ कम्मनिजरट्ठा धम्ममाइक्खेजा । इह खलु तस्स भिक्खुरस अन्ति धम्मं सोचा निसम्म उडाणं उट्ठाय वीरा अस्सिं धम्मे समुट्ठिया । जे तस्स भिक्खुस्स अन्ति धम्मं सोचा निसम्म सम्म उहाणेण उडाय वीरा अस्सि धम्मे समुडिया ते एवं सव्वोवगया ते एवं सव्वोवरया ते एवं सव्वोवसन्ता ते एवं सव्वत्ताए परिणिव्वुड त्ति बेमि । एवं से भिक्खू धम्मट्ठी धम्मविऊ नियागपडिवने से जहेयं बुइयं अदुवा पत्ते पउमवर पोण्डरीयं अदुवा अपने पउमरपोण्डरीयं, एवं से भिक्ख परिन्नायकम्मे परित्रायसंगे परियहवासे उवसन्ते समिए सहिए सयाजए। सेवं वयणिजे तं जहा - समति वा माहणे ति वा खन्ते त्ति वा दन्ते त्ति वा गुत्ते तिवा मुतेति वा इसित्ति वा मुणित्ति वा कइत्ति वा विवा भिक्खुति वा लुहे ति वा तीरहित वा चरणकरणपाराविउ त्ति बेमि ।। १५ ।। ८० पोण्डरियज्झयणं पढमं किरियाठाणझणे विये 2. 2. सुयं मे आउस तेणं भगवया एवमक्खायं । इह खलु किरियाठाणे नामज्झयणे पन्नते, तस्स णं अयमडे । इह खलु संजू हेणं दुवे ठाणे एवमाहिञ्जन्ति । तं जहा । धम्मे चैव अधम्मे चेव उवसन्ते चेव अणुवसन्ते चैव । तत्थ णं जे से पढमस्स ठाणस्स अहम्मपक्खस्स विभ 1 सणं अस पत्ते । इह खलु पाईणं वा ६ सन्तेगइया मगुस्सा • भवन्ति । तं जहा - आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोया वेगे नीयागोया वेगे कायमन्ता वेगे हस्समन्ता वेगे सुवण्णा वेगे दुव्वण्णा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे । तेसिं च णं इमं एयारूवं दण्डसमादाणं । Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___८१ 2. 2. 3. 12.] किरियाठाणज्झयणे संपेहाए । तं जहा-नेरइएमु वा तिरिक्खजोणिएसु वा मणुस्सेसु वा देवेसु वा जे यावन्ने तहप्पगारा पाणा विन्नू वेयणं वेयन्ति ॥ तेसिं पि य णं इमाई तेरस किरियाठागाई भवन्तीतिमक्खायं । तं जहा-अहादण्डे १, अणटाइण्डे २, हिंसादण्डे ३, अकम्हादण्डे ४, दिडिविपरियासियादण्डे ५, मोमवत्तिए ६, अदिन्नादाणवत्तिए ७, अज्झत्थवत्तिए ८, माणवत्तिए ९, मित्तदोसवत्तिए १०, मायावत्तिए ११, लोभवत्तिए १२, इरियावहिए १३॥ १॥ पढमे दण्डसमादाणे अट्ठादण्डवत्तिए ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे आयहेउं वा नाइहेउं वा अगारहेडं वा परिवारहेउं वा मित्तहे वा नागहउँ वा भूयहे वा जक्खहेउं वा तं दण्डं तसथावरेहि पाणेहि सयमेव निसिरइ अन्नेग वि निसिरावेइ अन्नं पि निसिरन्तं समणुयागइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । पढमे दण्डसमादाणे अहादण्डवत्तिए ति आहिए ॥ २॥ अहावरे दोचे दण्डसमादाणे अणहादण्डवत्तिए त्ति आहिजड् । से जहानामए-केइ पुरिने जे इमे तसा पागा भवन्ति ते नो अचाए नो अजिगाए नो मंसाए नो सोगियाए एवं हिययाए पित्ताए वसाए पिच्छाए पुच्छाए वालाए सिंगाए विसाणाए दन्ताए दाढाए नहाए हारुगिए अट्टीए अहिभञ्जाए नो हिसिंसु मे त्ति नो हिंसन्ति मे त्ति नो हिंसिस्सन्ति मे ति नो पुत्तपोसणाए नो पसुपोसणाए नो अगारपरिवहणयाए नो समणमाहणवत्तणाहेउं नो तस्स सरीरगस्स किंचि विपरियाइत्ता भवन्ति । से हन्ता छेत्ता भेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उदवइना उझिउं वाले वेरस्स आभागी भवइ अणहादण्डे । से जहानामए के पुरिसे जे इसे थावरा पाणा भवन्ति । तं जहा-इकडा इ वा कडिणा इ वा जन्तुगा इ वा परगा इ वा मोक्खा इ वा तणा इ वा कुसा इ वा कुच्छगा इ वा पव्वगा इ वा पलाला इ वा, ते नो पुत्तपोस मूयगड-६ Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 2. 3. 13णाए नो पसुपोसणाए नो अगारपरिवहणयाए नो समणमाहणपोसगयाए नो तस्स सरीरगस्स किंचि विपरियाइत्ता:भवन्ति । से हन्ता छेत्ता भत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता उज्झिउं बाले वेरस्स आभागी भवइ अणहादण्डे ॥ से जहानामए केइ पुरिसे कच्छांस वा दहसि वा उदगंसि वा दवियसि वा वलयांस वा नूमसि वा गहणंसि वा गहणविदुग्गसि वा वर्णसि वा वणविदुग्गसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा तणाई ऊसविय ऊमविय सयमेव अगणिकायं निसिरइ अनेण वि अगणिकायं निसिरावेइ अन्नं पि अगणिकायं निसिरन्तं समणुजाणइ अणद्वादण्डे । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । दोचे दण्डसमादाणे अणडादण्डवत्तिए त्ति आहिए ॥ ३॥ अहावरे तचे दण्डासमादाणे हिंसादण्डवत्तिए ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे ममं वा ममि वा अन्नं वा अन्निं वा हिंसिंसु वा हिंसइ वा हिंसिस्सइ वा तं दण्डं तसथावरेहिं पाणेहि सयमेव निसिरइ अन्नेग वि निसिरावेइ अन्नं पि निसिरन्तं समगुजाणइ हिंसादण्डे, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । तचे दण्डसमादागे हिंसादण्डवत्तिए त्ति आहिए ॥ ४ ॥ अहावरे चउत्थे दण्डसमादाणे अकम्हाइण्डवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे कच्छंसि वा जाव वणविदुग्गांस वा भियवत्तिए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गन्ता एए मिय त्ति काउं अन्नयरस्स मियस्स वहाए उसुं आयामेत्ता णं निसिरेजा, स मियं वहिस्सामि त्ति कहु तित्तिरं वा वट्टगं वा चडगं वा लावगं वा कवोयगं वा कविं वा कविंजलं वा विन्धित्ता भवइ, इह खलु से अन्नस्स अट्टाए अन्नं फुसइ अकम्हादण्डे । से जहानामए केइ पुरिसे सालीणि वा वीहीणि वा कोदवाणि वा कंगूणि वा परगाणि वा रालाणि वा निलिजमाणे अन्नयरस्स तणस्स वहाए सत्थं निसिरेजा, से सामगं Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 2. 8.5.] किरियाठाणज्झयणे तणगं कुमुदुगं वीहोऊसियं कलेसुयं तणं छिन्दिस्सामि त्ति कटु सालिं वा वीहिं वा कोदवं वा कंगुं वा परगंवा रालयं वा छिन्दित्ता भवइ । इति खलु से अन्नस्स अट्टाए अन्नं फुसइ अकम्हादण्डे । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं :आहिजइ । चउत्थे दण्डसमादाणे अकम्हादण्डवत्तिए आहिए ॥५॥ अहावरे पञ्चमे दण्डसमादाणे दिडिविपरियासियादण्डवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए केइ पुरिसे माईहिं. वा पिईहिं वा भाईहिं वा भगिणीहिं वा भजाहिं वा पुत्तेहिं वा धूयाहिं वा सुण्हाहिं वा सद्धिं संवसमागे भित्तं अमित्तमेव मन्नमाणे मित्ते हयपुव्वे भवइ दिडिविपरियासियादण्डे । से जहानामए-केइ पुरिसे गामघायांस वा नगरपायसि वा खेडघायांस कब्बडधायंसि मडंबधायसि वा दोणमुहघायांस वा पट्टणघायसि वा आसमघायंसि वा संनिवेसवायसि वा निग्गमघायसि वा रायहाणिघायंसि वा अतेणं तेणमिति मन्नमाणे अतेणे हयपुवे भवइ दिद्विविपरियासियादण्डे । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । पञ्चमे दण्डसमादाणे दिडिविपरियासियादण्डवत्तिए त्ति आहिए॥६॥ __ अहावरे छट्टे किरियहाणे मोसावत्तिए ति आहिजइ । से जहानामए केइ पुरिसे आयहेउं वा नाइहेउं वा अगारहेउं वा परिवारहेडं वा सयमेव मुसं वयइ मुसं वयन्तं पि अन्नं समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । छठे किरियहाणे मोसावत्तिए त्ति आहिए ॥ ७॥ __ अहावरे सत्तमे किरियहाणे अदिन्नादाणवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे आयहउँ वा जाव परिवारहेडं वा सयमेव अदिन्नं आदियइ अन्नेणं वि अदिन्नं आदियावेइ अदिन्नं आदियन्तं अन्न समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । सत्तमे किरियहाणे अदिन्नादागवत्तिए ति आहिए ॥ ८॥ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [2.2.9.1 अहावरे अट्टमे किरियाणे अज्झत्थवत्तिए त्ति आहिजड़ । से जहानामए - केइ पुरिसे नत्थि णं के. किंचि विसंवादेइ सयमेव हीणे. द दुडे दुम्मणे ओहयमण संकष्पे चिन्तासोगसागरसंपविट्टे करयलपल्हत्थमुहे अट्टज्झाणो गए भूमिगयदिडिए झियाइ, तस्स णं अज्झत्थया आसंसइया चत्तारि ठाणा एवमाहिञ्जन्ति । तं जहा- कोहे माणे माया लोहे | अज्झत्थमेव कोहमाणमाया लोहे । एवं खलु तरस तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । अमे किरिया अज्झत्थवत्तिए त्ति आहिए ॥ ९ ॥ ૮૪ सूड अहावरे नवमे किरियाणे माणवत्तिए ति आहिजड़ से जहा - नाम - केइ पुरिसे जाइएण वा कुलमण वा बलमएण वा रूवमएण वातवरण वा सुयमएण वा लाभमएण वा इस्सरियमएण वा पन्ना - मण वा अन्नयरेण वा मयहाणेणं मत्ते समाणे परं हीलेइ निन्देइ खिंसह गरहइ परिभवइ अवमनेर, इत्तरिए अयं, अहमंसि पुण विसिहजाइकुलबलाइगुणोववेए | एवं अप्पाणं समुकस्से, देहचुए कम्मबिइए अवसे पयाइ । तं जहा - गन्भाओ गब्र्भ ४ जम्माओ जम्मं माराओ मारं नरगाओ नरगं चण्डे थद्वे चवले माणी यावि भवइ । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजड़ | नवमे किरियाणे माणवत्ति ति आहिए ।। १० ।। अहावरे इसमे किरियाणे मित्तदोसवत्तिए त्ति आहिजड़ । से जहानामए - केइ पुरिसे माहिं वा पिईहिं वा भाईहिं वा भइणीहिं वा भजाहिं वा धूयाहिं वा पुत्तेहिं वा सुम्हाहिं वा सद्धिं संवसमाणे तेसिं अन्नयरंसि अहालहुगंसि अवराहंसि सयमेव गरुयं दण्डं निवत्तेइ । तं जहा सीओदगवियसि वा कार्य उच्छोलित्ता भवइ, उसिणोदगवियडेण वा कार्य ओसिञ्चित्ता भवइ, अगणिकायेणं कार्यं उवडहित्ता भवद्द, जोतेण वा वेत्तेण वा नेत्तेण वा तयाइ वा [ कण्णेण वा छियाए वा ] लयाए वा Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 2. 13. 5.] किरियाठाणज्झयणे ( अन्नयरेण वा दवरएण ) पासाई उद्दालिता भवइ, दण्डेण वा अट्ठीण वा मुट्ठीण वा लेलण वा कवालेण वा कायं आउट्टित्ता भवइ । तहप्पगारे पुरिसजाए संवसमाणे दुम्मणा भवइ, पवसमाणे सुमणा भवइ, तहप्पगारे पुरिसजाए दण्डपासी दण्डगुरुए दण्डपुरकडे अहिए इमंसि लोगसि अहिए परंसि लागसि संजलगे कोहणे पिट्टिमंसी यावि भवइ । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । दसमे किरियहाणे मित्तदोसवत्तिए त्ति आहिए ॥ ११ ॥ अहावरे एक्कारसमे किरियहाणे मायावत्तिए त्ति आहिजइ । जे इमे भवन्ति-गूढायारा तमोकसिया उलुगपत्तलहुया पव्वयगुरुया ते आरिया वि सन्ता अणारियाओ भासाओ वि पउञ्जन्ति, अन्नहासन्तं अप्पाणं अन्नहा भन्नन्ति, अन्नं पुट्ठा अन्नं वागरन्ति, अन्नं आइक्खियव्वं अन्नं आइक्खन्ति । से जहानामए केइ पुरिसे अन्तोसल्ले तं सहं नो सयं निहरइ नो अन्नेण निहरावेइ नो पडिविद्धंसेइ, एवमेव निण्हवेइ, अविउट्टमाणे अन्तोअन्तो रियइ, एवमेव माई मायं कट्टु नो आलोएइ नो पडिक्कमेइ नो निन्दइ नो गरहइ नो विउट्टइ नो विसोहेइ नो अकरणाए अब्भुढेइ नो अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवाइ, माई अस्सि लोए पञ्चायाइ माई परंसि लोए पुणो पुणो पञ्चायाइ निन्दइ गरहइ पसंसइ निचरइ न नियट्टइ निसिरियं दण्डं छाएइ, माई असमाहडसुहलेस्से यावि भवइ । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । एक्कारसमे किरियट्टाणे मायावत्तिए त्ति आहिए ।। १२ ॥ अहावरे बारसमे किरियहाणे लोभवत्तिए त्ति आहिजइ । जे इमे भवन्ति, तं जहा-आरण्णिया आवसहिया गामन्तिया कण्हुईरहस्सिया नो बहुसंजया नो बहुपडिविरया सव्वपाणभूयजीवसत्तेहिं ते अप्पणो सच्चामोसाई एवं विउञ्जन्ति । अहं न हन्तव्यो अन्ने हन्तव्वा, अहं न अञ्जावेयव्वो अन्ने अजावेयव्या, अहं न परिघेयव्यो अन्ने परिधेयव्वा, Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६ सूयगडम [2.2. 13.6 अहं न परतावेयव्वो, अने परितावेयव्वा, अहं न उद्दवेयन्वो अन्ने उदवेयव्वा, एवमेव ते इत्थिकामेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया गरहिया अज्झोववन्ना जाव वासाईं चउपञ्चमाई छदसमाई अप्पयरो वा भुञ्जयरो वा भुञ्जि भोग भोगाई कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु आसुरिएस किब्बिसिएस ठाणे उत्तारो भवन्ति । तओ विप्पमुचमाणे भुज्जो भुजो एलमूयत्ताए तमूयत्ताए जाइमूयत्ताए पच्चायन्ति । एवं खलु तस्स तम्पत्तियं सावति हि । दुवालसमे किरियडाणे लोभवत्तिए ति आहिए । इच्चेयाइँ दुवालस किरियाणाई दविएणं समणेण वा माहणेण वा सम्मं सुपरिजाणियव्वाई भवन्ति ।। १३ । अहावरे तेरसमे किरिट्ठाणे इरियावहिए ति आहिजइ । इह खलु अत्तत्ताए संवुडस्स अणगारस्स ईरियासमियस्स भासासमियरस एसणासमियरस आयाणभण्डमत्त निक्खेवणासभियस्स उच्चारपासवणखेलसिंघाणजलपारि द्वावणियासमियस्स मणसमियस्स वयसमियस्स कायसमियस्स मणगुत्तस्स वयगुत्तस्स कायगुत्तस्स गुतिन्दियस्स गुत्तबम्भयारिस्स आउतं गच्छमाणस्स आउत्तं चिद्यमाणस्स आउत्तं निसीयमाणस्स आउतं तुयट्टमाणस्स आउत्तं भुञ्जमाणस्स आउत्तं भासमाणस्स आउत्तं वत्थं पडिग्गहं कम्बलं पायपुञ्छणं गिण्हमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा जाव चक्खुपम्हनिवायमवि अस्थि विमाया मुहुमा किरिया ईरियावहिया नाम कजइ । सा पढमसमए बद्धा पुट्ठा विईयसमए वेड्या तइयसमए निजिण्णा सा बद्धा पुट्ठा उदीरिया वेड्या निजिण्णा सेकाले अकम्मे यावि भवइ । एवं खलु तस्स तप्पत्तिर्यं साव ति आहिजड़, तेरसमे किरियाणे ईरियावहिए ति आहिजइ । से बेमि जेय अईया जे य पडुपन्ना जे य आगमिस्सा अरिहन्ता भगवन्ता सच्चे ते एयाई चैव तेरस किरियाणाई भासिंसु वा भासेन्ति वा भासिस्सन्ति वा पन्नविंसु वा पन्नवेन्ति वा पन्नविस्सन्ति वा, एवं चैव तेरसमं किरियाणं सेविंसु वा सेवन्ति वा सेविस्सन्ति वा ॥ १४ ॥ Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 2. 115. (5.] किारयाठाणज्झयणे अदुत्तरं च णं पुरिमविजयं विभङ्गमाइक्खिस्सामि । इह खलु नाणापन्नाणं नागाछन्दागं नागासीलाणं नागादिट्ठीणं नाणारूईणं नाणारम्भाणं नाणज्झवसाणसंधुत्ताणं नाणाविहपावसुयज्झमणं एवं भवइ । तं जहा---भोमं उप्पायं सुविणं अन्तलिक्खं अङ्गं सरं लक्षणं वञ्जणं इन्थिलक्षणं पुरिसलवणं हयलक्खणं गयलक्खणं गोणलक्षणं मेण्डलावणं कुक्कुडलक्षणं तित्तिरलखणं वडगलक्षणं लावयलक्षणं चकलक्खणं छत्तलखणं चम्मलक्षणं दण्डलक्षणं अमिलक्खणं भगिलक्षणं कागिणिलक्खणं सुभगाकरं दुमगाकरं गभाकरं मोहगकरं आहव्यगि पागसासणिं दबहोमं खत्तियविजं चन्दचरियं सूरचारियं सुकचरियं बहस्सश्चरियं उक्कापायं दिसादाह मियचकं बायसपरिमण्डलं पंमुत्रुटि केसवुद्धि मंसवुद्घि रुहिरवुद्घि वेयालिं अवेयालिं ओलोगि तालम्घाडणिं सोवागिं सोवारिं दामिलिं कालिङ्गिं गोरि गन्धारि ओवयागि उप्पयाग जम्भणिं थम्भणि लेसणिं आमयकरणिं विमल्लकगणं पकमणिं अन्तद्वाणिं आयामणिं, एवमाइयाओ विजाआ अन्नस्य उं, पउन्लि पाणस्स हेउं पउञ्जन्ति वत्थस्स हेडं पउञ्जन्ति लेणस्प हे पउचन्नि मयणस्म हेउं पउन्नन्ति, अन्नसिं वा विरूबरूवाणं कामभोगाग हेउं पउञ्जति । तिरिच्छं ते विजं सेवन्ति, ते अणारिया विपडियन्ना कालमासे कालं किच्चा अन्नयराई आसुरियाई किब्बिसयाई ठाणाई उबवत्तारो भवन्ति । तओ वि विप्पमुञ्चमाणा भुजा एलयूययाण तमनन्धयाए पचायन्ति ॥ १५ ॥ से एगइओ आयहउँ वा नायहेडं वा सयणहेउं वा अगारहेडं वा परिवारहेउं वा नायगं वा सहवासियं वा निस्साए अदुवा अणुगामिए १ अदुवा उपचगए २ अदुवा पडिपहिए ३ अदुवा संधिच्छेयए ४ अदुवा गठिच्छेयए ५ अदुवा उरब्भिए ६ अदुवा सोवरिए ७ अदुवा वागुरिए ८ अदुवा साउगिए ९ अदुवा माच्छए १० अदुवा गोवायए ११ अदुवा गोवालए १२ अदुवा सोवगिए १३ Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 2. 16. 7अदुवा सविाणयान्तए १४ । एगइओ आणुगामियभावं पडिसंधाय तमेव अणुगामियाणुगामियं हन्ता छेत्ता भेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ, इति से भहया पावहिं कम्नेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ उवचरयभावं पडिसंधाय तमेव उवचरियं हन्ता छेत्ता भेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ । इति से पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ पाडिपहियभावं पडिसंधाय तमेव पडिपहे ठिचा हन्ता छेत्ता भेत्ता लुम्पइता विलुम्पइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ, इति से महया पावेहिं कम्महिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ संधिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव संधि छेता भेत्ता जाव इति से महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ गण्ठिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव गण्ठिं छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावेहि कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ उराभयभावं पडिसंधाय उभं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । (एसो अभिलायो सव्वत्थ) से एगइओ सोयरियभावं पडिसंधाय महिसं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ। से एगइओ वागुरियभावं पडिसंधाय मियं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ। से एगइओ सउणियभावं पडिसंधाय सउणिं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ मच्छियभावं पडिसंधाय मच्छं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवई । से एगइओ गोपायभावं पडिसंधाय तमेव गोणं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ गोवालभावं पडिसंधाय तमेव गोवालं वा परिजविय परिजविय हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ सोवणियभावं पडिसंधाय तमेव सुणगं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ सोवणियन्तियभावं पडिसंधाय तमेव मणुस्सं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हन्ता जाव आहारं आहारेइ Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 2. 17. 25.] किरियाठाणज्झयणे इति से महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ १६ ॥ से एगइओ परिसामझाओ उहित्ता अहमेयं हणामि ति कटु तित्तिरं वा वट्टगं वा लावगं वा कवोयगं वा कविञ्जलं वा अन्नयरं वा तसं वा पाणं हन्ता जाव उवक्खाइना भवइ । से एगइओ केणइ आयागणं विरुद्धे समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणं गाहावईण वा गाहावड्पुताण वा सयमेव अगणिकाएणं सस्साई झामेइ अन्नेण वि अगणिकाएगं सस्साई झामावेइ अगणिकाएणं सस्साई झामन्तं पि अनं समगुजागइ, इति से महया पावकम्भेहिं अत्तागं उवक्खाइना भवइ । से एगइओ केणइ आयागेणं विरुद्धे समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणं गाहावईण वा गाहावड्पुताण वा उट्टाण वा गोणाण वा घोडगाण का गद्दभाग वा सयमेव घूराओ कप्पेड़ अनेण वि कप्पावेइ कप्पन्तं पि अन्नं समशुजाणइ, इति से महया जाव भवइ । से एगइओ केणइ आयाणे विरुद्धे समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणं गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा उसालाओ वा गोगसालाओ वा घोडगसालाओ वा गद्दभसालाओ वा कण्टकबोंदियाए पडिपहित्ता सयमेव अगणिकाएणं झाने अन्नण वि झामावेइ झामन्तं पि अन्नं समणुजाणइ, इति से महया जाव भवः । से एगइओ केणइ आयाणेणं विरुद्धे समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणं गाहावईण वा गाहावइपुराण वा कुण्डलं वा मणि या मोतियं वा सयमेव अवहरड़ अन्नेण वि अवहरावेइ अवहरतं पि अन्नं समगुजाणइ इति से महया जाव भवइ । से एगइओ केणइ वि आयाणेणं विरुद्वे समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणं सभणाण वा माहणाण वा छत्तगं वा दण्डगं वा भण्डगं वा मत्तगं वा लहिं वा भिसिगं वा चेलगं वा चिलिमिलिगं वा चम्मय वा छेयणगं वा चम्मकोसियं वा सयमेव अवहरइ जाव समणुजाणइ, इति से महया जाव उवक्खाइना भवइ ।। से एगइओ नो वितिगिञ्छ। तं जहा-गाहावईण वागाहावइपुत्ताण वा सयमेव अगणिकाएणं Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यगडाम्म सूयगडम्मि [2. 2. 17. 26ओसहीओ झामेइ जाव अन्नं पि झामन्तं समणुजाणइ, इति से महया जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ नो वितिगिञ्छइ, तं जहा-गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा उट्टाण वा गोणाण वा घोडगाण वा गद्दभाण वा सयमेव घूराओ कप्पेइ अन्नण वि कप्पावेइ अन्नं पि कप्यन्त समणुजाणइ । से एगइओ नो वितिगिञ्छइ, तं जहा-गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा उट्टसालाओ वा जाव गद्दभसालाओ वा कण्टकबोंदियाहि पडिपेहित्ता सयमेव अगणिकाएणं झामेइ जाव समणुजाणइ । से एगइओ नो वितिगिञ्छइ, तं जहा-गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा जाव मोत्तियं वा सयमेव अवहरइ जाव समणुजाणइ । से एगइओ नो वितिगिन्छइ तं जहा-समणाण वा माहणाण वा छत्तगं वा दण्डगं वा जाव चम्मछेयणगं वा सयमेव अवहरइ जाव समणुजाणइ । इति से महया जाव उवक्खाइत्ता भवइ । से एगइओ समणं वा माहणं वा दिस्सा नाणाविहेहिं पावकम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ, अदुवा णं अच्छराए आफालित्ता भवइ, अदुवा णं फरुसं वदित्ता भवइ, कालेण वि से अगुपविहस्स असणं वा पाणं वा जाव नो दवावेत्ता भवइ, जे इमे भवन्ति वोणमन्ता भारकन्ता अलसगा वसलगा किवणगा समणगा पव्ययन्ति ते इणमेव जीवियं धिजीवियं संपडिव्हेन्ति, नाइ ते परलोगस्स अहाए किंचि वि सिलीसन्ति, ते दुक्खन्ति ते सोयन्ति ते जूरन्ति ते तिप्पन्ति ते पिट्टन्ति ते परितप्पन्ति ते दुक्खणजूरणसोयणतिप्पणपिट्टणपरितिप्पणवहबन्धणपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया भवन्ति । ते महया आरम्भेण ते महया समारम्भेण ते महया आरम्भसमारम्भेण विरूवरूवेहिं पावकम्मकिच्चेहिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुञ्जित्तारो भवन्ति । तं जहा-अन्नं अन्नकाले पाणं पाणकाले वत्थं वत्थकाले लेणं लेणकाले सयणं सयणकाले सपुवावरं च णं ण्हाए कयबलिकम्मे कयकोउयमङ्गलपायच्छित्ते सिरसा हाए कण्ठेमालाकडे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पियमालामउली पडिबद्धसरीरे वग्घारियसोणिसुत्तगमल्लदामकलावे Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. :). 18. ).] किरियाठाणज्झयणे अहयवत्थपरिहिए चादणोविखत्तगायसरीरे महइमहालियाए कूडागारसालाए महइमहालयंमि सीहासणसि इत्थीगुम्मसंपरिकडे सब्बराइएणं जोइणा झियायमाणेणं महयाहयनदृगीयवाइयतन्तीतलतालतुडियघणमुइंगपडप्पवाइयरवेणं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुञ्जमाणे विहरइ । तस्स णं एगमवि आणवेमाणरस जाव चत्तारि पञ्च जणा अवुत्ता चेव अब्भुट्टन्ति । भणह देवाणुप्पिया कि करेमो ? किं आहरेमो ? किं उवणेमो ? किं आचिट्ठामो ? किं भे हियं इच्छियं ? किं भे आसगस्स सयइ ? तमेव पासित्ता अणारिया एवं वयन्ति–देवे खलु अयं पुरिसे, देवसिणाए खलु अयं पुरिसे, देवजीवणिजे खलु अयं पुरिसे, अन्ने वि य णं उवजीवन्ति । तमेव पासित्ता आरिया वयन्ति-अभिकन्तकूरकम्मे खलु अयं पुरिसे अइधुए अझ्यायरक्खे दाहिणगामिए नेरइए कण्हपक्खिए आगमिस्साणं दुल्लहबोहियाए यावि भविस्सइ । इच्चेयस्सा ठाणस्स उडिया वेगे अभिगिज्झन्ति अणुट्ठिया वेगे अभिगिज्झन्ति अभिझंझाउरो अभिगिज्झन्ति । एस ठाणे अणारिए अकेवले अप्पडिपुण्णे अणेयाउए असंसुद्धे असल्लगत्तणे आसद्धिमग्गे अमुत्तिमग्गे अनिव्वाणमग्गे अनिजाणमग्गे असव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तमिच्छे. असाहु । एस खलु पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिए ॥ १७ ॥ अहावरे दोच्चस्स ठाणस्स धम्मपवखस्स विभङ्गे एवमाहिजइ । इह खलु पाईणं वा पडीणं वा उदीणं वा दाहिणं वा सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोया वेगे नीयागोया वेगे कायमन्ता वेगे हस्समन्ता वेगे सुवण्णा वेगे दुवण्णा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे । तेसिं च णं खेत्तवत्थूणि परिग्गहियाई भवन्ति, एसो आलावगो जहा पोण्डरीए तहा नेयव्यो, तेणेव अभिलावेण जाव सव्योवसन्ता सव्वत्ताए परिनिब्बुडे त्ति बेमि ।। एस ठाणे आरिए केवले जाव सव्वदुवखप्पहीणमग्गे एगन्तसम्मे साहु । दोच्चस्स ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिए ॥ १८ ॥ Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्नि [2. 2. 19. 1अहावरे तच्चस्स ठाणस्स मिस्सगस्स विभङ्गे एवमाहिजइ । जे इमे भवन्ति आरणिया आवसहिया गामणियन्तिया कण्हुईग्हस्सिया जाव ते तओ विप्पमुच्चमाणा भुजो एलमूयाए तमूयत्ताए पञ्चायन्ति । एस ठाणे अणारिए अकेवले जाव असव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तभिच्छे असाहू । एस खलु तच्चस्स ठाणस्स मिस्सगस्स विभङ्गे एवमाहिए ॥ १९ ॥ अहावरे पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिजइ । इह खलु पाइणं वा ४ सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति-गिहत्था महिच्छा महारम्भा महापरिग्गहा अधम्भिया अधम्माणुया अधम्भिहा अधम्मक्खाई अधम्मपायजीविणो अधम्मपलोई अधम्मपलजणा अधम्मसीलसमुदायारा अधम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा विहरन्ति । हण छिन्द भिन्द विगतगा लोहियपाणी चण्डा रुद्दा खुद्दा साहस्सिया उक्कुश्चणवञ्चणमायानियडिकूडकवडसाइसंपओगबहुला दुस्सीला दुबया दुप्पडियाणन्दा असाहू सञ्चाओ पाणाइवायाओ अप्पडिविरया जावजीवाए जाव सञ्चाओ परिग्गहाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सब्बाओ कोहाओ जाव . मिच्छादसणसल्लाओ अप्पडिविरया, सव्वाओ व्हागुम्मदणवण्णगन्धविलेवणसदफारिसरसरूवगन्धमल्लालंकाराओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्वाओ सगडरहजाणजुग्गगिल्लिथिल्लिसियासंदमाणियासयणासणजाणचाहणभोगभोयणपवित्थरविहीओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्वाओ हिरण्णसुवण्णधणधनमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सबाओ कूडतलकूडमाणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सवाओ आरम्भसमारम्भाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्वाओ करणकारावणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्वाओ पयणपयावणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्वाओ कुट्टणपिट्टणतजणताडणवहबन्धपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया जावजीवाओ । जे यावण्णे तहप्पगारा सावजा अबोहिया कम्मन्ता परपाणपरियावणकरा जे अणारिएहिं कञ्जन्ति Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 2. 2(0). 26.] किरियाठाणज्झयणे ९३ तओ अप्पडिविरया जावजीवाए । से जहानामए केइ पुरिसे कलममसूरतिलमुग्गमासनिष्फावकुलत्थआलिसन्दगपलिमन्थगमादिएहिं अयन्ते कूरे मिच्छादण्डं पउञ्जति, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए तित्तिरवगलावगकोयकविजलमियमहिसवराहगाहगोहकुम्भसिरिसिवमादिएहिं अयन्ते कूरे मिच्छादण्डं पउञ्जन्ति । जा वि य से बाहिरिया परिसा भवइ, तं जहा-दासे ३ वा पेसे इ वा भयए इ वा भाइले इ वा कम्मकरए इ वा भोगपुरिसे इ वा तेसि पि य णं अन्नयंरसि अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गरुयं दण्डं निवत्तेइ । तं जहा-इमं दण्डेह इमं मुण्डेह इमं तजेह इमं तालेह इमं अदुयबन्धणं करेह इमं नियलबन्धणं करेह इमं हड्डिवन्धणं करेह इन चारगबन्धणं करेह इमं नियलजुयलसंकोधियमोडियं करेह इमं हत्थच्छिन्नयं करेह इमं पायच्छिन्नयं करेह इमं कण्णछिन्नहं करेह इमं नक्कओहसीसमुहछिन्नयं करेह वेयगच्छहियं अङ्गच्छहियं पक्खाकोडियं करेह इमं नयगुप्पाडियं करेह इमं दसणुप्पाडियं वसणुप्पाडियं जिभुपाडियं ओलम्वियं करेह घसियं करेह घोलियं करह सूलाइयं करेह मूलभिन्नयं करेह खारवत्तियं करेह वज्झवत्तियं करेह सीहपुच्छियगं करेह वसभपुच्छियगं कोह दवग्गिदड्डयङ्गं कागणिमंसखावियङ्गं भत्तपाणनिरुद्वगं इमं जावजीवं वहबन्धणं करेह इमं अन्नयरेण असुभेणं कुमारणं मारेह । जा वि य से अब्भिन्तरिया परिसा भवइ, तं जहा-भाया इ वा पिया इ वा भाया इ वा भगिणी इ वा भञ्जा ३ वा पुत्ता इ वा धया इ वा सुम्हा इ वा, तेसि पि य णं अन्नयरंस अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गत्यं दण्डं निवत्तेइ, सीओदगवियडसि उच्छोलित्ता मवई जहा मित्तदोसवत्तिए जाव अहिए परंस लोगसि । ते दुक्खन्ति सोयन्ति जूरन्ति तिप्पाति पिट्टन्ति परितप्पन्ति ते दुक्खणसोयणजूरणतिप्पणपिट्टणपरितप्पणवहबन्धणपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया भवन्ति । एवमेव ते इन्थिकामेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया अझोववन्ना जाव वासा चउपञ्चमाई छदसमाई वा अप्पयरो Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४ सूयगडम [2.2. 20. 47 वा भुजयरो वा कालं भुञ्जितु भोग भोगाई पविसुइत्ता वेराययणाई सचि णित्ता बहूई पावाई कम्माई उस्सन्नाई संभारकडेण कम्मुणा से जहा - नाम अयगोले इ वा सेलगोले इवा उदगांस पक्खित्ते समाणे उदग यलमवत्ता अहे धरणिय पहाणे भवइ, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए वजबहुले धूयबहुले पङ्कबहुले वेरबहुले अप्पत्तियबहुले दम्भबहुले नियsिबहुले साइबहुले अयसबहुले उस्सन्नतसपाणघाई कालमासे कालं किच्चा धरणियलमइवइचा अहे नरगयलपहाणे भवइ ॥ २० ॥ ते णं नरगा अन्तो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिया निच्चन्धकारतमसा ववगयगहचन्दसूरनक्खत्तजोइसप्पहा मेदवसामंसरुहिरपूयपडलचिक्खिल्ललिताणुलेवणयला असुई वीसा परमदुब्भिगन्धा कण्हा अगणिवण्णाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरसु वेयणाओ || नो चेव नरपसु नेरइया निद्दायन्ति वा पयलायन्ति वासुवा र वा विईं वा मई वा उवलभन्ते । तेणं तत्थ उज्जलं विउलं पगाढं कडुयं कक्कसं चण्डं दुक्खं दुग्गं तिव्वं दुरहियास नेरइया ari पचणुभवमाणा विहरन्ति ॥ २१ ॥ से जहानाम रुक्खे सिया पव्वयग्गे जाए मूले छिन्ने अग्गे गरु जओ निणं जओ विसमं जओ दुग्गं तओ पवडइ, एवामेव तहप्पगारे पुरिसजाए गभाओ गर्भ जम्माओ जम्मं माराओ मारं नरगाओ नरगं दुक्खाओ दुक्खं दाहिणगामिए नेरइए कण्हपक्खिए आगमिस्साणं दुल्लहबोहि याव भव । एस ठाणे अणारिए अकेवले जाव असव्वदुक्ख पहमिणग्गे एगन्तमिच्छे असाहू | पढमस्स ठाणस्स अधम्म - पक्खस्स विभङ्गे एवमाहिए ॥ २२ ॥ अहावरे दोस ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिजइ । इह खलु पाईणं वा ४ सन्तेगइया मगुस्सा भवन्ति । तं जहा - अणारम्भा अपरिग्गा धम्मिया धम्माणुगा धम्मिट्ठा जाव धम्मेणं चैव वित्तिं कप्पेमाणा Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 2. 23. 29.] किरियाठाणज्य विहरन्ति, सुसीला सुब्वया सुप्पडियाणन्दा सुसाहू सव्वओ पाणावायाओ पडिविरया जावजीवाए जाव जे यावन्ने तहप्पगारा सावजा अबोहिया कम्मन्ता परपाण परियावणकरा कज्जन्ति तओ वि पडिविरया जाव जीवाए | से जहानामए - अणगारा भगवन्तो ईरियासमिया भासासमिया सणासमिया आयाणभण्डमत्तनिक्खेवणसमिया उच्चारपासवणखेलसिंघाणजलपरिहाणियासमिया मणसमिया वयसमिया कायसमिया मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिन्दिया गुत्तरम्भयारी अकोहा अमाणा अमाया अलोभा सन्तापसन्ता उवसन्ता परिनिव्बुडा अणासवा अग्गन्था छिन्नसोया निवलेवा कंसयाइ व्व मुकतोया संखो इव निरञ्जना जीव व अगगगगतलं पिव निरालम्बगा बाउखि अपडिबद्धा सारदसलिलं व मुहियया पुक्खरपतं व निरूवलेवा कुम्मो इव गुत्तिन्दिया विहग व विमुकाखग्गविसाणं व एगजाया भारुण्डपक्खी व अप्पमत्ता कुञ्जरो इव सोण्डीरा वसभो इव जायत्थामा सीहोइन दुद्धरसा मन्दरो इव अप्पकम्पा सागरो इव गम्भीरा चन्दशे इव सोमलेसा सूरो इव दिसतेया जच्चकञ्चणगं व जायरूवा वसुंधरा इव सव्वासविहा सुहुहुयासोविय तेयसा जलन्ता । नत्थि णं तेसिं भगवन्तागं कत्थ वि पडिबन्धे भवइ | से पडिबन्धे चउब्विहे पन्नत्ते । तं जहा - अण्डए इ वा पोयए इ वा उग्गहे इवापग्गहे इ वाजं गं जं गं दिसं इच्छन्ति तं णं तं णं दिसं अपविद्धा सुभूया लहुभूया अप्परगन्था संजमणं तवसा अप्पाणं भामाणा विहरन्ति । तेसिं णं भगवन्तागं इमा एयारूवा जायामायावित्ती होत्था । तं जहा- चउत्थे भत्ते छठे मते अट्ठमे भत्ते दसमे भने दुवालसमे भते चउदसमे भत्ते अद्धमासिए भने मासिए भत्ते दोमातिए तिमासिए चाउम्मातिए पञ्चमासिए छम्मासिए अदुत्तरं चणं उक्खित्तचरयानिक्षितचरया उक्तिनिक्वित्तचरया अन्तचरगा पन्तचरगा लहचरगा समुदागचरगा संराइचरगा असंसडचरगा तजायसंसहचरगा दिट्ठलाभिया अदिल्लामिया पुलाभिया अपुलाभिया भिक्खलाभिया अभिक्खलाभिया ९५ Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६ सूयगड [2.2. 23. 30 1 अन्नायचरगा उवनिहिया संखादत्तिया परिमियपिण्डवाड्या सुद्धेणिया अन्ताहारा पन्ताहारा अरसाहारा विरसाहारा लहाहारा तुच्छाहारा अन्तजीवी पन्तजीवी आयम्बिलिया पुरिमड्डिया निव्विगइया अमजमंसारिणो नो नियामरसभोई ठाणाइया पडिमाठाणाइया उकडआसणिया नेसञ्जिया वीरासणिया दण्डायझ्या लगण्डसाइणो अप्पाउडा अगत्या अकण्डुया अणिहा ( एवं जोववाइए ) धुयकेसमंसुरोमनहा सव्वगायपडिकम्मविप्यमुक्का चिहन्ति । ते णं एएणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाई सामन्नपरियागं पाउणन्ति २ बहुबहु आबाहंसि उपपन्नंसि वा अणुष्पन्नंसि वा बहूई भत्ता पच्चक्खन्ति पच्चक्खाइत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति, अणसणाए छेदत्ता जस्साए कीरइ नग्गभावे मुण्डभावे अण्हाभावे अदन्तवणगे अछत्तए अणोवाहणए भूमिसेजा फलगसेजा कटुसेजा के सलए बम्भचेखासे परघरपवेसे लद्भावलद्धे माणाव माणणाओ लाओ निन्दणाओ खिसणाओ गरहणाओ तञ्जगाओ तालणाओ उच्चावया गामकण्टगा बावीसं परीसहोवसग्गा अहियासिजन्ति तम आराहेन्ति तमहं आराहिता चरमेहिं उस्सासनिस्सासेहिं अणन्तं अणुत्तरं निव्वाघायं निरावरणं कसिणं पडिपुण्णं केवलवरनाणदंसणं समुप्पाडेन्ति, समुप्पाडिता तओ पच्छा सिज्झन्ति बुज्झन्ति मुञ्चन्ति परिणिव्यायन्ति सव्वदुक्खाणं अन्तं करन्ति । एगच्चाए पुण एगे भयन्तारो भवन्ति, अवरे पुण पुव्यकम्मावसेसेणं कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्ता भवन्ति । तं जहा - महड्डिएस महज्जुइस महापरक्कमेसु महाजसेसु महावलेसु महाणुभावेसु महासुक्खेसु । ते णं तत्थ देवा भवन्ति महड्डिया मह जुझ्या जाव महासुक्खा हारविराइयवच्छा कडगतुडियथम्भियभुया अङ्गयकुण्डलमट्ठगण्डयलकण्णपीढधारी विचित्तहत्याभरणा विचित्त मालामउलिमउडा कल्लाणगन्धपवरवत्थपरिहिया कलाणगपवरमल्लाणुले वणधरा भासुरखोंदी पलम्ववणमालाधरा दिव्वेणं रुवेगं दिव्वणं वण्णेणं Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७ 2. 2. 24. 20.] किरियाठाणज्झयणे दिव्वेणं गन्धेणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघाएणं दिव्येणं संठाणेणं दिव्वाए इड्डीए दिव्वाए जुईए दिव्याए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अंचाए दिव्वणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दस दिसाओ उजओंवेमाणा पभासेमाणा गइकल्लाणा ठिकल्लाणा आगमेसिभद्दया यावि भवन्ति । एस ठाणे आरिए जाव सव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तसम्मे सुसाहू । दोबस्स ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिए ॥२३॥ अहावरे तचस्स ठाणस्स मीसगस्सं विभङ्गे एवमाहिजइ । इह खलु पाईणं वा ४ सन्तेगइया मगुस्सा भवन्ति । तं जहा-अप्पिच्छा अप्पारम्भा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया जाव धम्मेणं चे वित्तिं कप्पेमाणा विहरन्ति सुसीला सुव्वया सुपडियाणन्दा साहू एगचाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावजीवाए एगचाओ अप्पडिविरया जाव जे यावन्ने तहप्पगारा सावजा अबोहिया कम्मन्ता परपाणपरितावणकरा कजन्ति तओ वि एगचाओ अप्पडिविरया । से जहानामए समणोवासगा भवन्ति अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा आसवसंवरवेयणानिजराकिरियाहिगरणबन्धमोक्खकुसला असहेजदेवासुरनागसुवण्णजक्खरक्खसकिनरकिंपुरिसगरुलगन्धव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गन्थाओ पावयणाओ अणइक्कमणिजा, इणमेव निग्गन्थे . पावयणे निस्संकिया निकंखिया निविइगिच्छा लद्धडा गहियहा पुच्छियष्ठा विणिच्छियहा अभिगयहा अहिमिञ्जपेम्माणुरागरत्ता । अयमाउसो निग्गन्थे पावयणे अढे अयं परमटे सेसे अणडे उसियफलिहा अवंगुयदुवारा अचियत्तन्तेउरपरघरपवेसा चाउद्दसहमुद्दिडपुणिमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्म अणुपालेमाणे समणे निग्गन्थे फासुएसणिजेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकम्बलपायपुञ्छणेणं ओसहभेसजेणं पीठफलगसेजासन्थारएणं पडिलाभेमाणा बहूहिं सीलव्वयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावमाणा विहरन्ति ॥ ते णं एयारूवणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाई समणोवासगपरियागं मूयगडं-७ Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रायगडाम्म [2. 2. 24. 21 पाउणन्ति पाउणित्ता आवाहसि उप्पन्नंसि वा अणुप्पन्नसि वा बहूई भत्ताई पञ्चक्खायन्ति, बहूई भत्ताई पञ्चक्खाएत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति, बहूई भत्ताईअणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिकन्ता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवन्ति । तं जहा-महिडिएसु महइएसु जाव महासुक्खेसु सेसं तहेव जाव एस ठाणे आरिए जाव एगन्तसम्म साहू । तच्चस्स ठाणस्स मिस्सगस्स विभङ्गे एवं आहिए ॥ अविरई पडुच्च बाले आहिजइ, विरई पडुच्च पण्डिए आहिजइ, विरयाविरई पडुच्च बालपण्डिए आहिजइ । तत्थ णं जा सा सबओ अविरई एस ठाणे आरम्भट्ठाणे अणारिए जाब असव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तमिच्छे असाहू । तत्थ णं जा सा सव्वओ विरई एस ठाणे अणारम्भठाणे आरिए जाव सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे एगन्तसम्मे साहू । तत्थ णं जा सा सबओ विरयाविरई एस ठाणे आरम्भनोआरम्भहाणे एस ठाणे आरिए जाव सव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तसम्मे साह ॥ २४॥ . एवमेव समणुगम्ममाणा इमेहिं चेव दोहिं ठाणेहिं समोअरन्ति । तं जहा-धम्मे चेव अधम्मे चेव उवसन्ते चेत्र अणुवसन्ते चेव । तत्थ णं जे से पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिए, तत्थ णं इमाई तिन्नि तेवहाई पावादुयसयाई भवन्तीति मक्खायाई । तं जहा-किरियावाईणं अकिरियावाईणं अन्नाणियवाईणं वेणइयवाईणं । ते वि परिनिव्वाणमासु मोक्खमाहंसु ते वि लवन्ति, सावगा, ते वि लवन्ति सावइत्तारो॥२५॥ ते सव्वे पावाउया आइगरा धम्माणं नाणापन्ना नाणाछन्दा नाणासीला नाणादिही नाणारई नाणारम्भा नाणज्झवसाणसंजुत्ता एगं महं मण्डलिबन्धं किच्चा सव्वे एगओ चिट्ठन्ति ॥ पुरिसे य सागणियाणं इङ्गालाणं पाइं बहुपडिपुण्णं अयोमएणं संडासएणं गहाय ते सव्वे पावाउए आइगरे धम्माणं नाणापन्ने जाव नाणज्झवसाणसंजुत्ते एवं वयासी। Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2.2. 26. 31.1 किरियाठाणज्य हं मां पावाउया आगरा धम्माणं नाणापन्ना जाव नाणज्झवसाणसंजुत्ता इमं ताव तुभे सागणियाणं इङ्गालाणं पाई बहुपडिपुण्णं महाय मुहत्यं मुहुत्तगं पाणिणा धरेह, नो बहुसंडासगं संसारियं कुञ्जा नो बहुअग्निथम्भणियं कुञ्जानो बहुसाहम्मियवेयावडियं कुञ्जानो बहुपरधम्मियवेयावडियं कुञ्जा उज्जुया नियागपडिवन्ना अमायं कुव्यमाणा पाणि पसारेह | इति वच्चा से पुरिसे तेसिं पावादुयाणं तं सागणियाणं इङ्गालागं पाई बहुपडिपुण्णं अयोमएणं संडासएणं गहाय पाणिंसु निसिर‍ । तए णं ते पावादुया आइगरा धम्माणं नाणापन्ना जाव नाणज्झवसाणसंजुत्ता पाणिं पडिसाहरन्ति । तए णं से पुरिसे ते सच्चे पावाउए आइगरे धम्माणं जाव नाणज्झवसाणसंजुत्ते एवं वयासी । हं भो पावाड्या आगरा धम्माणं नाणापन्ना जाव नाणज्झवसाणसंजुत्ता | कम्हा णं तुभे पाणिं पडिसाहरह ? पाणिं नो हिजा, दने किं भविस्सइ ? दुक्खं दुक्खं ति मन्नमाणा पडिसाह रह । एस तुला एस प्रमाणे एस समोसरणे, पत्तेयं तुला पत्तेयं पमाणे पत्तेयं समासरणे । तत्थ णं जे ते समणा माहणा एवमाइक्खन्ति जाव परूवेन्ति सव्ये पाणा जाव सव्वे सत्ता हन्तव्वा अजावेयव्वा परिधेयव्वा परितावयल्या किलामेयव्वा उद्दवेयव्वा, ते आगन्तुच्छेयाए ते आगन्तुभयाए जाव ते आगन्तुजाइजरामरणजोणिजम्मणसंसारपुणभवगन्भवासभवपर्वचकलंकलीभागिणो भविस्सन्ति । ते बहूणं दण्डणाणं बहूणं मुण्डणाणं तजणाणं तालणाणं अन्दुबन्धणाणं जाव घोलणाणं माइमरणाणं पि मरणाणं भाइमरणाणं भगिणी मरणाणं भज्जा पुत्तधूयसुण्हामरणाणं दरिदाणं दोहरगाणं अप्पियसंवासाणं पियविप्पयोगाणं बहूणं दुक्खदोम्मणस्माणं आभागिणी भविस्सन्ति । अणाइयं च णं अणवयग्गं दीहम चाउरन्तसंसारकन्तारं भुजो भुजो अणुपरियनिस्सन्ति । ते नो सिज्झिस्सन्ति नो बुज्झिस्सन्ति जाव नो सव्वदुक्खाणं अन्तं करिस्सन्ति । एस तुला एस पमागे एक रुमोसरणे, पतेयं तुला पत्तेयं ९९ Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० सूयगडम्मि [2. 2. 26. 32पमाणे पतेयं समोसरणे । तत्थ णं जे ते समणा माहगा एवमाइक्खन्ति जाव परूवेन्ति । सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता न हन्तव्वा न अजावेयव्वा न परिघेयव्या न उद्दवेयव्वा ते नो आगन्तुच्छेयाए ते नो आगन्तुभेयाए जाव जाइजरामरणजोगिजम्मगसंसारपुणब्भवगम्भवासभवपवंचकलंकलीभागिणो भविस्सन्ति, अणाइयं च णं अगवयग्गं दीहमद्धं चाउरन्तसंसारकन्तारं भुजो भुजो नो अगुपरियट्टिस्सन्ति, ते सिज्झिस्पन्ति जाव सबदुक्खाणं अन्तं करिस्सन्ति ॥२६॥ ___ इच्चेएहिं बारसहिं किरियाठाणेहिं वट्टमाणा जीवा नो सिझिसु नो बुझिसु नो मुचिंसु नो परिणिव्वाइंसु जाव नो सव्वदुक्खाणं अन्तं करेंसु वा नो करेन्ति वा नो करिस्सन्ति वा । एयंसि चेव तेरसमे किरियाठाणे वट्टमाणा जीवा सिझिसु बुझिंसु मुश्चिंसु परिणिव्वाइंसु जाव सबदुक्खाणं अन्तं करेंसु वा करान्त वा करिस्सन्ति वा । एवं से भिक्खू आयट्ठी आयहिए आयगुत्ते आयजोगे आयपरक्कमे आयरक्खिए आयाणुकम्पए आयणिफेडए आयाणमेव पडिसाहरेजासि ति बेमि ॥२७॥ किरियाठाणज्झयणं विइयं आहारपरिनज्झयणे तइये 2. 3. सुयं मे आउसं तेणं भगवया एवमक्खायं । इह खलु आहारपरिन्ना नामज्झयणे तस्स णं अयमहे । इह खलु पाईणं वा ४ सवओ सव्वावन्ति य णं लोगंसि चत्तारि बयिकाया एवमाहिञ्जन्ति । तं जहाअग्गबीया मूलबीया पोरबीया खन्धबीया । तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इहेगइया सत्ता पुढवीजोणिया पुढवीसंभवा पुढवीवुकमा Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2.3.3. 6.] आहारपरिज्झयणे १०१ तजाणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनियारेणं तत्थबुकमा नाणाविहजोणियासु पुढवी रुकवताए विउट्टन्ति ॥ ते जीवा तेसिं नागाविहजोणियाणं पुढवीणं सिगेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढवीसरीरं आउसरीरं तेउसरीरं वाउसरीरं वणस्सइसरीरं । नागाविहाणं तसथावगणं पाणागं सरीरं अचित्तं कुव्यन्ति परिबिद्धत्थं । तं सरीरं पुयाहारियं तयाहारियं विपरिणयं सारूवियकडं सन्तं । अवरे वि य णं तसिं पुढविजोणियाणं खाणं सरीरा नाणावण्णा नाणागन्धा नाणारसा नाणाकामा नागासंठागपंठिया नागाविहसरीरपुग्गलविउब्बिया ते जीवा कम्मोववन्नगा भवन्तीति मक्खायं ॥१॥ ___ अहावरं पुरस्खायं इहेगड्या सत्ता साखजोगिया रुखसंभवा रुस्खवुकमा तजोगिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोरगा कम्पनियागं तत्थवुकमा पुढधीजोणिएहिं रुक्खेहि रुस्खत्ताए विउद्यन्ति । ते जीवा तसिं पुढवीजोगियाणं रुकवाणं सिणेहमाहारेन्ति, ते जीवा आहारेन्ति पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सइसरीरं नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचिनं कुबन्ति परिविद्वत्थं । तं सरीरं पुयाहारियं तयाहारियं विपरिणामियं सारूवियकडं सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं रुखजोणियाणं रुस्खागं सरीग नागावग्णा नाणागन्धा नागारसा नाणाकासा नाणासंठागसंठिया नागाविहमरीरपुग्गलविउविया ते जीवा कम्मोववन्नगा भवन्तीति मक्खायं ॥ २ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खबुकमा तजोगिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा रुक्खजोणिएसु रुखत्ताए विउद्दन्ति । ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सइसरीरं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुव्वन्ति परिविद्वत्थं । तं सरीरं पुव्वाहारियं तयाहारियं विपरिणामियं सारूवियकडं Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 3. 3. 7सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा नाणावण्णा जाव ते जीवा कम्मोववन्नगा भवन्तीति मक्खायं ॥३॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खवुकमा तजोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा रुक्खजोणिएसु रुक्खेसु मूलत्ताए कन्दत्ताए खन्धत्ताए तयत्ताए सालत्ताए पवालत्ताए पत्तत्ताए पुष्फत्ताए फलत्ताए बीयत्ताए विउदृन्ति । ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सइसरीरं नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुव्वन्ति परिविद्धत्थं तं सरीरगं जाव सारूवियकडं सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं रुखजोणियाणं मूलाणं कन्दाणं खन्धाणं तयाणं सालाणं पवालाणं जाव बीयाणं सरीरा नाणावण्णा नाणागन्धा जाव नाणाविहसरीरपुग्गलविउव्विया ते जीवा कम्मोववन्नगा भवन्तीति मक्खायं ॥ ४ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खवुकमा तजोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोववन्नगा कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा रुक्खजोणिएहिं रुक्खेहिं अज्झारोहत्ताए विउद्दन्ति । ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारोन्ति पुढवीसरीरं जाव सारूवियकडं सन्तं। अवरे वि य णं तेसिं रुखजोणियाणं अज्झारुहाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं ॥ ५ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगड्या सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा रुक्खजोणिएसु अज्झारोहेसु अज्झारोहताए विउट्टन्ति । ते जीवा तेर्सि रुक्खजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा पुढवीसरीरं जाव सारूवियकडं सन्तं । अवरे वि य णं Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 3. 11. 6.] आहारपरिन्नज्झयणे १०३ तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं ॥ ६॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सता अज्झारोहजोगियो अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियागणं तत्थवुकमा अज्झारोहजोगिएसु अज्झारोहत्ताए विउन्ति । ते जीवा तेसिं अज्झारोहजोणियागं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुटवीसरीरं आउसरीरं जाव सारूवियकडं सन्तं । अबरे वि य गं तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सरीरा नागावण्णा जाव मक्खायं ॥ ७॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता अझारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियागणं तत्थयुक्क मा अज्झारोहजोणिएसु अज्झारोहेसु मूल ताए जाब वीयताए विउदृन्ति । ते जीवा तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहणं सिगेहमाहारेन्ति जाव अवरे वि य णं तेसिं अज्झारोहजोणियाणं मूलागं जाव बीयाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं ॥ ८ ॥ अहावरं पुरक्वायं इहेगइया सत्ता पुढविजोणिया पुढविसंभवा जाव नागाविहजोणियासु पुढवीसु तणताए विउट्टन्ति । ते जीवा तेसिं नाणाबिहजोणियाणं पुढवीणं सिणेहमाहारोन्त जाव ते जीवा कम्मोववन्ना भवन्तीति मक्खायं ॥९॥ एवं पुढविजोणिएसु तणेसु तणत्ताए विउदृन्ति जाव मक्खाय।।१०॥ ___ एवं तणजोगिएसु तणेसु तगत्ताए विउदृन्ति । तणजोणियं तणसरीरं च आहान्ति जाव मक्खायं । एवं तणजोणिएमु तणेसु मूलत्ताए जाव बीयताए विउन्ति ते जीवा जाव मक्खायं । एवं तणजोणिएसु तणेसु मूलत्ताए जाव बीयत्ताए विउद्दन्ति ते जीवा जाव एवमक्खायं । एवं ओसहीण वि चत्तारि आलावगा ॥ एवं हरियाण वि चत्तारि आलावगा ॥ ११ ॥ Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ सूयगडम्मि [2. 3. 12. 1___ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सता पुढविजोगिया पुढविसंभवा जाव कम्मनियाणेण तत्थवुकमा नाणाविहजोगियासु पुढवीसु आयत्ताए वायताए कायत्ताए कूहणत्ताए कन्दुकत्ताए उव्वेहणियत्ताए निव्वेहणियत्ताए सछत्ताए छत्तगत्ताए वासणियत्ताए कूरत्ताए विउद्दन्ति । ते जीवा तेसिं नाणाविहजोणियाणं पुढवीणं सिणेहमाहारेन्ति । ते वि जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं पुढविजोणियागं आयत्ताणं जाव कूराणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं । एगो चेव आलावगो सेसा तिण्णि नत्थि । अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणिया उदगसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकम्मा नाणाविहजोगिएसु उदएसु रुक्खत्ताए विउट्टन्ति । ते जीवा तेसिं नाणाविहजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं उदगजोणियाणं रुक्खाणे सरीरा नाणावग्णा जाव मक्खायं । जहा पुढविजोणियाणं रुक्खाणं चतारि गमा अज्झारुहाण वि तहेव, तणाणं ओसहीणं हरियाणं चत्तारि आलावगा भाणियबा एकेके । अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणिया उदगसम्भवा जाव कम्पनियाणेणं तत्थवुकमा नाणाविहजोणिएसु उदएमु उदगत्ताए अवगत्ताए पणगत्ताए सेवालत्ताए कलम्बुगत्ताए हडताए कसेरुगताए कच्छमाणियत्ताए उप्पलताए पउमत्ताए कुमुयत्ताए नलिणत्ताए सुभगत्ताए सोगन्धियताए पोण्डरीयमहापोण्डरीयत्ताए सयपत्तत्ताए सहस्सपत्तत्ताए एवं कल्हारकोकणयत्ताए अरविन्दत्ताए तामरसत्ताए भिसभिसमुणालपुक्खलत्ताए पुक्खलच्छिभगत्ताए विउदृन्ति । ते जीवा तेसिं नाणाविहजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारोन्त । ते जीवा आहारेन्ति पुढवीसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं जाव पुक्खलच्छिभगाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्वायं । एगो चेव आलावगो ॥१२॥ Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 3. 14. 6.] आहारपरिन्नज्झयणे १०५ " " अहावरं पुरकखायं इहेगइया सत्ता तेसिं चैव पुढवजोगिएहिं स्रुक्खेहिं रुक्खजोगिएहिं रुक्खेहिं रुक्खजोगिएहिं मूलेहिं जाव वीएहिं रुक्खजोगिएहिं अज्झारोहेहिं अज्झारोह जोगिएहिं अझारोहहिं अज्झारोहजोगिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं पुढविजोणिएहिं तहिं तणजोगिएहिं तहिं तजोशिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं । एवं ओसहीहि वितिणि आलावगा एवं हरिहि वितिणि आलावगा । पुढविजोगिएहि वि आए हिं काहिं जाव करेहिं उद्गजोणिएहिं रुक्खेहिं रुक्खजोगिएहिं मूलेहिं जाब बीएहिं एवं अज्झारोहेहि वि तिष्ण । तहिं पि तिणि आलावगा । ओसहीहिं पि तिष्णि, हरिएहिं पि तिग्णि, उदगजोणिएहि, उदएहिं अव एहिं जाव पुक्खलच्छिभएहिं तसपाणत्ताए बिउवन्ति ॥ ते जीवा तेसिं पुढवी जोगियागं उदगजोगियागं रुक्खजोणियागं अज्झारोह जोणियाणं तणजोगियागं ओसही जोगियाणं हरियजोगियाणं रुक्खाणं अज्झारोहाणं तगाणं ओसहीणं हरियाणं मूलागं जाव बीयागं आयाणं कायाणं जाव कुरवाणं [क्रूरणं] उदगाणं अवगागं जाव पुक्खलच्छिभगाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारन्ति पुढवीसरीरं जाव सन्तं । अरेबिय णं तेसिं रुक्खजोणियाणं अज्झारोहजोणियाणं तगजोणियाणं ओसहिजोणियाणं हरियजोणियाणं मूलजोगियाणं कन्दजोणियाणं जाव बीयजोगियागं आयजोगियागं कायजोगियाणं जाव क्रूरजोगियाणं उदग जोगियागं अवगजोगिया गं. जाव पुक्खलच्छिभगजोणियाणं तसपाणाणं सरीरा नागावण्णा जाव मक्खा || १३ || अहावरं पुरखायं नाणाविहाणं मणुस्साणं । तं जहा- कम्मभूम गाणं अम्मभूमगाणं अन्तरदीवगाणं आरियाणं मिलवखुयागं । तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इत्थीए पुरिसरस य कम्मकडाए जोगिए एत्थ णं मेहुणवत्तियाए व नामं संजोगे समुप्पञ्जइ । ते दुहओ वि सिहं संचिणन्ति । तत्थ णं जीवा इत्थियाए पुरिसत्ताए नपुंसंगताए विन्ति, ते जीवा माओउयं पिउसुकं तं तदुभयं संस कालुसं Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६ सूयगडम्मि [2. 3.14. 7किविसं तं पढमत्ताए आहारमाहारेन्ति । तओ पच्छा जं से माया नाणाविहाओ रसविहीओ आहारमाहारेइ तओ एगदेसेणं ओयमाहारेन्ति । अणुपुत्रेण वुड़ा पलिपागमणुववन्ना तओ कायाओ अभिनिवट्टमाणा इत्थिं वेगया जणयन्ति पुरिसं वेगया जणयन्ति नपुंसगं वेगया जणयन्ति । ते जीवा डहरा समाणा माउखीरं साप्पं आहारेन्ति । आणुपुबेणं वुड्डा ओयणं कुम्मासं तसथावरे य पागे । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सारूवियकडं सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं नाणाविहाणं मणुस्सगाणं कम्मभूमगाणं अकम्मभूमगाणं अन्तरदीवगाणं आरियाणं मिलक्खूणं सरीरा नाणावण्णा भवन्तीति मक्खायं ॥ १४ ॥ अहावरं पुरक्खायं नाणाविहागं जलचराणं पश्चिन्दियतिरिक्खजोणियाणं । तं जहा-मच्छाणं जाव सुंसुमाराणं । तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इत्थीए पुरिसस्स य कम्मकए तहेव जाव तओ एगदेसेणं ओयमाहारेन्ति, अणुपुव्वेणं वुड्डा परिपालगमणुपवन्ना तओ कायाओ अभिनिवट्टमाणा अण्डं वेगया जगयन्ति पोयं वेगया जणयन्ति। से अण्डे उभिजमाणे इत्थि वेगया जणयन्ति पुरिसं वेगया जणयन्ति नपुंसगं वेगया जणयन्ति । ते जीवा डहरा समाणा आउसिणेहमाहारेन्ति अणुपुब्वेणं वुड्ा वणस्सइकायं तसथावरे य पाणे । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अबरे वि य णं तेसिं नाणाविहाणं जलचरपश्चिन्दियतिरिक्खजोगियाणं मच्छाणं सुंसुमाराणं सरीरा नागावण्णा जाव मक्खायं । अहावरं पुरक्खायं नाणाविहाणं चउप्पयथलयरपश्चिन्दियतिरिक्खजोणियाणं । तं जहा-एगखुराणं दुखुराणं गण्डीपदाणं सणफयाणं । तेसिं च णं अहाबीएणं अहावगासेणं इत्थिपुरिसस्स य कम्म जाव मेहुणवत्तिए नामं संजोगे समुप्पञ्जइ । ते दुहओ सिणेहं सांचणन्ति । तत्थ णं जीवा इत्थित्ताए पुरिसत्ताए जाव विउदृन्ति । ते जीवा माओउयं पिउसुकं एवं जहा मणुस्साणं, इत्थिं पि वेगया जण Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. ii. 15. 12.] आहारपरिन्नज्झयणे १०७ यन्ति पुरिमं पि नपुंसगं पि । ते जीवा डहरा समाणा माउक्खीरं सप्पि आहारेन्ति, अगुपुव्वेणं चुडा वणस्सइकायं तसथावरे य पागे । ते जीवा आहारन्ति पुढविसरीरं जाव मन्तं । अवरे वि य णं तेसिं नाणाविहाणं चउप्पयथलयरपश्चिन्दियतिरिक्खजोणियागं एगखुराणं जाव मणकयागं मग नाणावग्गा जाब मक्खायं । अहावरं पुरक्खायं नाणाविहाणं उम्परिसप्पथलयरपञ्चिन्दियतिरिक्खजोणियाणं । तं जहाअहीणं अयगगणं आमालियाण महोरगाणं । तसिं च णं अहाबीएणं अहावगामेणं इत्थीए पुरिम जाव एत्थ णं मेहुणे एवं तं चेव । नाणत्तं अण्डं वेगड्या जणयन्ति, पायं बंगझ्या जगयन्ति । से अण्डे उभिजमाणे इन्थि वेगइया जणयन्ति पुस्लिं पि नपुंरगं पि । ते जीवा डहरा समागा वाउकायमाहान्ति अपुचणं वुड्डा वस्सइकायं तसथावरपाण । ते जीवा आहारन्निं पुढविमर्ग जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं नाणाविहाणं उरपरिमपथलयरपश्चिन्दियतिरिक्खजोगिया । तं जहाअहाँग जाय महारगाणं मगरा नागावण्णा नाणागंधा जावमक्खायं । अहावरं पुरस्वायं नागाविहाणं भुयपरियप्पथलयरपश्चिन्दियतिरिक्खजाणियागं । तं जहा-गोहाणं नटलाणं मिहाणं सरडाणं सल्लागं सरवाणं वगणं घरकोइलियागं विसंभगणं मुसगाणं मंगुसाणं पयलाझ्याणं विगलियाणं जाहागं चउम्पाझ्यागं । तेति च णं अहावीएणं अहावगासंगं इन्थीए पुरिसम्म य जहा उरपरिसप्पाणं तहा भाणियव्वं जाव मारूवियकडं मन्तं । अबरे वि य णं तेसिं नाणाविहाणं भुयपरिसप्पपश्चिन्दियथलयतिरिक्खागं । - जहा-गोहाणं जावमक्खायं । अहावरं पुग्क्वायं नागाविहागं जलचरपश्चिन्दियतिरिक्खजोगियाणं । तं जहाचम्मपवागं लोमपकवीणं समुग्गपरवीणं विययपक्खीणं । तेसिं च अहावीएणं अहावगामेग इत्थीए जहा उरपरिसप्पाणं । नाणत्तं ते जीवा डहग समागा माउगतसिंगेहमाहारन्ति अगुपुवेग वुड्डा वणस्सइकायं तमथावरे य पागे । ते जीवा आहारान्त पुढविसरीरं जाव सन्तं । Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ सूयगडम्मि [2. 3. 15. 43अवरे वि य णं तेसिं नाणाविहाणं खहचरपश्चिन्दियतिरिक्खजोणियाणं चम्मपक्तीणं जाव अक्खायं ॥ १५ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता नाणाविहजोणिया नाणाविहसंभवा नाणाविहवुकमा तजोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनियाणणं तत्थवुकमा नाणाविहाणं तसथावराणं पोग्गलाणं सरीरेसु वा सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा अणुसूयत्ताए विउट्टान्त । ते जीवा तेसिं नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सिणेहमाहरोन्त । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं तसथावरजोणियाणं अणुसूयगाणं सरीश नाणावण्णा जाव मक्खायं । एवं दुरूवसंभवत्ताए । एवं खुरदुगत्ताए ॥ १६ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता नाणाविहजोणिया जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा तं सरीरगं वायसंसिद्धं वा वायसंगहियं वा वायपरिग्गहियं उड्डयाएसु उहभागी भवइ, अहेवाएसु अहेभागी भवइ, तिरियवाएसु तिरियभागी भवइ । तं जहा-ओसा हिमए महिए करए हरतणुए सुद्धोदए । ते जीवा तेसिं नागाविहाणं तसथावराणं पागाणं सिणेहमाहान्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अबरे वि य णं तेसिं तसथावरजोणियाणं ओसाणं जाव सुद्धोदगाणं सरीरा नाणावण्णा जावमक्खायं । अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणिया उदगसंभवा जाव कम्मनियागेणं तत्थवुकमा तसथावरजोगिएसु उदएसु उदगत्ताए विउन्ति । ते जीवा तेसिं तसथावरजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारोन्त । ते जीवा आहारोन्त पुढविसरीरं जाव सन्त । अवरे वि य णं तेसिं तसथावरजोणियागं उदगाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं । अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सता उदगजोणियाणं जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुक्कमा उदगजोगिएसु उदएसु उदगत्ताए विउट्टन्ति Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 3. 19. 6. ] आहारपरिन्नज्झयणे १०९ ते जीवा तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं सरीरा नागावण्णा जाव मक्खायं । अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणियाणं जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा उदगजोणिएमु उदएसु तसपाणत्ताए विउट्टन्ति । ते जीवा तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहरेन्ति । ते जीवा आहारोन्त पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वि णं तेसिं उदगजोणियाणं तसपाणाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं ॥१७॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता नाणाविहजोणिया जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचितेसु वा अचित्तेसु वा अगणिकायत्ताए विउट्टन्ति । ते जीवा तेसिं नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढविसरीरं जाव लन्तं । अवरे वि य णं तेसिं तसथावरजाणियाणं अगणी सरीरा नाणावण्णा जावमक्खायं । सेसा तिण्णि आलावगा जहा उदगाणं । अहावरं पुरक्खायं इहेगड्या सत्ता नाणाविहजोणियागं जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा नागाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचित्तेसु वा अचित्तेसुं वा वाउकायत्ताए विउदृन्ति । जहा अगणीणं तहा भाणियव्वा चत्तारि गमा ॥ १८ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगड्या सत्ता नाणाविहजोणिया जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचितेमु वा अचित्तेसु वा पुढवित्ताए सकारत्ताए बालुयत्ताए । इमाओ गाहाओ अणुगन्तव्वाआ-- पुढवी य सकरा वालुया य उवले सिला य लोगूसे । अथ तउय तन्ध सीसग रुप्प सुवणे य वइरे य ॥१॥ Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० सूयगडम हरियाले हिङ्गुलए मणोसिला सासगञ्जणपवाले । अब्भपडलब्भवालुयबायरकार मणिविहाणा ॥ २॥ गोमेज Tare अंके फलि य लोहियक्खे य । मरगयमसारगल्ले भुयमोयग इन्दणीले य || ३ || चन्दण गेरुय हंसगब्भ पुलए सोगन्धि य बोद्धव्वे | चन्दप्पभ वेरुलिए जलकन्ते सूरकन्ते य ॥ ४ ॥ [2.3.19.7 भणियव्वाओ गाहाओ एयाओ एए जाव सूरकन्तत्ताए विट्टन्ति । ते जीवा तेसिं नागाविहाणं तस्थावराणं पाणाणं सिणेहमाहारेति । ते जीवा आहारोन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वियणं तेसिं तसथावरजोणियाणं पुढवीणं जाव सूरकन्ताणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं । सेसा तिण्णि आलावगा जहा उदगाणं ।। १९ ।। अहावरं पुरखायं सव्वे पाणा सच्चे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता नाणाविह जोणिया नाणाविह संभवा नाणाविहवुक्कमा सरीरजोणिया सरीरसंभवा सरीरखुकमा सरीराहारा कम्मोवगा कम्मनियाणा कम्मगइया गम्मठिया कम्मणा चैव विप्परियासमुवेन्ति ॥ से एवमायाणह से एवमायाणित्ता आहारगुत्ते सहिए समिए सया जए त्ति बेमि ॥ २० ॥ आहारपरिनज्झयणं तइयं पच्चक्खाणकिरियज्झयणे चउत्थे 2. 4. सुयं मे आउ तेण भगवया एवमक्खायं । इह खलु पञ्चकखाणकिरिया नामज्झयणे । तस्स णं अयमडे पण्णत्ते । आया अपचक्खाणी यावि भवइ, आया अकिरियाकुसले यावि भवइ, आया मिच्छासंठिए Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22. 1. 2. 20.] किरियज्झयणे च उत्थे यावि भवइ, आया एगन्तदण्डे यावि भवइ, आया एगन्तवाले यावि भवइ, आया एगन्तसुत्ते यावि भवइ, आया आवयारमणवयणकायवक्के यावि भवइ, आया अप्पडिहयअपचक्खायपावकम्मे यावि भवइ । एस खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंबुडे एगन्तदण्डे एगन्तवाले एगन्तसुत्ते से बाले आवियारमणवयणकायवके सुविणमवि न पस्सइ, पावे य से कम्मे कजइ ॥१॥ __तत्थ चोयए पन्नवगं एवं वयासी । असन्तएणं मणेणं पावएणं, असन्तियाए वईए पावियाए, असन्तएणं काएणं पावएणं, अहणन्तस्स अमणक्खस्स अवियारमणवयकायवक्कस्स सुविणमवि अपस्सओ पावकम्मे नो कजइ, कस्म णं तं हेउं । चोयए एवं बवीइ । अन्नयरेणं मणेणं पावएणं मणवत्तिए पावे कम्मे कञ्जइ, अन्नयरीए वइए पावियाए वइवत्तिए पाव कम्म काइ, अन्नयरगं कायेणं पावएणं कायवत्तिए पावे कम्मे काइ, हणन्तस्स समणक्खस्स सवियारमणवयकायवक्कस्स मुविणमवि पासओ एवंगुणजाइयस्स पावे कम्मे कजइ । पुणरवि चोयए एवं बवीइ । एत्थ णं जे ते एवमाहंसु-असन्तएणं मणेणं पावएणं, असन्तियाए वइए पावियाए, असन्तएणं कारणं पावएणं, अहणन्तस्स अमणक्खस्स आवियारमणवयणकायवक्कस्स सुविणमवि अपस्सओ पावे कम्मे काइ, तत्थ णं जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु । तत्थ पन्नवए चोयगं एवं वयासी । तं सम्मं जं मए पुवं वुत्तं । असन्तएणं मणेणं पावएणं, असन्तियाए वइए पावियाए, असन्तएणं कायेणं पावएणं अहणन्तस्स अमणक्खस्स आवियारमणवयणकायवक्कस्स सुविणमवि अपस्सओ पावे कम्मे कजइ, तं सम्मं, कस्स णं तं हेडं । आचार्य आह-तत्थ खलु भगवया छज्जीवनिकायहेऊ पण्णत्ता । तं जहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया । इच्चेएहिं छहिं जीवनिकाएहिं आया अप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे निचं पसढविउवायचित्तदण्डे । तं जहापाणाइवाए जाव परिग्गहे कोहे जाव मिच्छादसणसल्ले। आचार्य आह Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ सूयगडम्मि [2. 3. 2. 21तत्थ खलु भगवया वहए दिइन्ते पण्णत्ते । से जहानामए-वहए सिया गाहावइस्स वा गाहावइपुत्तस्स वा रण्णो वा रायपुरिसस्स वा खणं निदाय पविसिस्सामि खणं लभ्रूणं वहिस्सामि पहारेमाणे से किं नु हु नाम से वहए तस्स गाहावइस्स वा गाहावइपुत्तस्स वा रण्णो वा रायपुरिसस्स वा खणं निद्दाय पविसिस्सामि खणं लद्धण वहिस्सामि पहारमाणे दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे आमित्तभूए मिच्छासंठिए निचं पसढविडवायचित्तदण्डे भवइ ? एवं वियागरेमाणे समियाए वियागरे चोयए-हंता भवइ । आचार्य आह-जहा से वहए तस्स गाहावइस्स वा तस्स गाहावइपुत्तस्स वा रप्णो वा रायपुरिसस्स वा खणं निदाय पविसिस्सामि खणं लद्रूण वहिराति ति पहारेमाणे दिया वा राओ वा.सुत्ते वा जागरमाणे वा अभित्तभूए लिच्छासंठिए निचं पसढविउवायचित्तदण्डे, एवमेव बाले वि सव्वेसिं पाणाणं जाव सव्वेसिं सत्ताणं दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूए मिच्छासंठिए निचं पसढविउवायाचित्तदण्डे । तं जहा-पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले । एवं खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरए अप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगन्तदण्डे एगन्तवाले एगन्तसुत्ते यावि भवइ । से बाले आवयारमणवयणकायवक्के सुविणमवि न पस्ताइ पावे य से कम्मे कजइ । जहा से वहए तस्स वा गाहावइस्स जाव तस्स वा रायपुरिसस्स पत्तेयं पत्तेयं चित्तसमादाए दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूए मिच्छासंठिए निचं पसढविउवायचित्तदण्डे भवइ, एवमेव वाले सव्वेसिं पाणाणं जाव सव्वेसिं सत्ताणं पत्तेयं पतेयं चित्तसमादाए दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा आमत्तभूए मिच्छासंठिए निचं पसढविउवायचित्तदण्डे भवइ ॥२॥ नो इणट्टे समठे [ चोयए ] । इह खलु बहवे पाणा० जे इमेणं सरीरसमुस्सएणं नो दिट्टा वा सुया वा नाभिमया वा विनाया वा जेसिं Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११३ 2. 4. 4. 23.] पञ्चक्खाणकिरियज्झयणे नो पत्तेयं पत्तेयं चित्तसमायाए दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अभित्तभूए मिच्छासंठिए निचं पसढविउवायचित्तदण्डे । तं जहा पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले ॥ ३॥ आचार्य आह-तत्थ खलु भगवया दुवे दिइन्ता पण्णता । तं जहा-सग्निदिद्वन्ते य असन्निदिद्वन्ते य । से किं तं सन्निदिहन्ते ? जे इमे सन्निपश्चिन्दिया पजत्तगा एएसिणं छजीवनिकाए पडुच्च, तं जहा-पुढवीकायं जाव तसकायं । से एगइओ पुढवीकारणं किच्चं करेइ वि कारवेइ वि । तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं पुढवीकारणं किचं करेमि वि कारवेमि वि, नो चेव णं से एवं भवइ-इमेण वा इमेण वा से एएणं पुढवीकाएक किचं करेइ वि कारवेइ वि । से णं ताओ पुढवीकायाओ असंजयअविरयअप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे यावि भवइ । एवं जाव तलकाए ति भाणियव्वं । से एगइओ छजीवनिकाएहिं किचं करे वि कारवेइ वि । तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु छजीवनिकाएहिं किचं करेमि वि कारवेमि वि । नो चेव णं से एवं भवइ-इमेहिं वा इमेहि वा, से य तेहिं छहिं जीवनिकाएहिं जाव कारवेइ वि । से य तेहिं छहिं जीवनिकाएहिं असंजयअविरयअप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्प, तं जहा-पाणाइवाए जाव मिच्छादसणछल्ले । एस खलु भगवया अक्साए असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सुविणमवि अपलाओ । पावे य से कम्मे कजइ । से तं सन्निदिद्वन्ते ॥ से किं तं असन्निढिन्ते ? जे इमे असन्निणो पाणा, तं जहा-पुढवीकाइया जाव वणलइकाइ छटा वेगइया तसा पाणा, जर्सि नो तक्का इ वा सन्ना इ वा पन्ना इ वा मणा इ वा वई इ वा सयं वा करणाए अन्नेहिं वा कारवेत्तए करतं वा समणुजाणित्तए, ते वि णं वाले सव्वेसि पाणाणं जाव सव्वेसि सत्ताणं डिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा आमित्तभूया मिच्छासंठिया निचं पसढविउवायचित्तदण्डा, तंजहा-पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले। इथेन जाव नो चेव मणो नो चेव वई पाणाणं जाव सत्ताणं दुक्खणयाए सूयगडं...८ Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 4. 4. 24सोयणयाए जूरणयाए तिप्पणयाए पिट्टणयाए परितप्पणयाए । ते दुक्खणसोयण जाव परितप्पणवहबन्धणपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया भवन्ति । इति खलु से असनिणो वि सत्ता अहोनिसिं पाणाइवाए .उवक्खाइजन्ति जाव अहोनिसिं परिग्गहे उवक्खाइजन्ति जाव "मिच्छादसणसल्ले उवक्खाइजन्ति [ एवं भूयवाई ] । सव्वजोणिया वि खलु सत्ता सन्निणो हुच्चा असन्निणो हन्ति असन्निणो हुच्चा सन्निणो होन्ति, होच्चा सन्नी अदुवा असन्नी, तत्थ से अविविचित्ता अविधूणित्ता असमुच्छित्ता अणणुतावित्ता असन्निकायाओ वा सन्निकाए संकमन्ति सन्निकायाओ वा असन्निकायं संकमन्ति, सन्निकायाओ वा सनिकायं संकमन्ति असनिकायाओ वा असन्निकायं संकमन्ति । जे एए सन्नि वा असन्नि वा सव्वे ते मिच्छायारा निचं पसढविउवायचित्तदण्डा । तं जहापाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले । एवं खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरए अप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगन्तदण्डे एगन्तवाले एगन्तसुत्ते से बाले अवियारमणवयणकायवक्के सुविणमवि न पासइ पावे य से कम्मे कञ्जइ ॥ ४ ॥ . चोयए – से किं कुव्वं किं कारवं कहं संजयविरयप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे भवइ ? आचार्य आह-तत्थ खलु भगवया छजीवनिकायहेऊ पन्नत्ता, तं जहा-पुढवीकाइया जाव तसकाइया । से जहानामए मम अस्सायं दण्डेण वा अट्ठीण वा मुट्ठीण वा लेलण वा कवालेण वा आतोडिजमाणस्स वा जाव उवद्दविजमाणस्स वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारं दुक्खं भयं पडिसंवेदेमि, इच्चेवं जाण सव्वे पाणा सव्वे सत्ता दण्डेण वा जाव कवालेण वा आतोडिजमाणे वा हम्ममाणे वा तजिजमाणे वा तालिजमाणे जाव उवदविजमाणे वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारं दुक्खं भयं पडिसंवेदेन्ति । एवं नच्चा सव्वे पाणा जाव सव्वे सत्ता न हन्तव्वा न उद्दवेयव्वा । एस धम्मे धुवे निइए सासए समिञ्च लोगं खेयन्नेहिं पवेइए । एवं से भिक्खू विरए पाणाइवायाओ जाव Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 5. 8.] आयारसुयज्झयणे मिच्छादसणसल्लाओ। से भिक्खू नो दन्तपक्खालणेणं दन्ते पक्खालेजा, नो अञ्जणं नो वमणं नो धूवणित्तं पिआइए । से भिक्खू अकिरिए अल्सए अकोहे जाव अलोभे उवसन्ते परिनिव्वुडे । एस खलु भगवया अक्खाए संजयविरयपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे अकिरिए संवुडे एगन्तपण्डिए भवइ त्ति बेमि ॥५॥ पञ्चक्खाणकिरियज्झयणं चउत्थं आयारसुयज्झयणे पञ्चमे 2. 5. आदाय बम्भचेरं च आसुपन्ने इमं वई । अस्सि धम्मे अगायारं नायरेज कयाइ वि ॥१॥ अणाईयं परिनाय अणवदग्गे ति वा पुणो । सासयमसासए वा इइ दिहिं न धारए ॥ २॥ एएहिं दोहि ठाणेहिं ववहारो न विजई । एएहिं दोहि ठाणेहिं अणायारं तु जाणए ॥३॥ समुच्छिहिन्ति सत्थारो सचे पाणा अणेलिसा । गण्ठिगा वा भविस्सान्त सासयं ति व नो वए॥४॥ एएहिं दोहि ठाणेहिं ववहारो न विजई । एएहिं दोहि ठाणेहिं अणायारं तु जाणए ॥ ५ ॥ जे केइ खुद्दगा पाणा अदुवा सन्ति महालया । सरिसं तेहि वेरं ति असरिसं ति य नो वए ॥६॥ एएहिं दोहि ठाणेहिं ववहारो न विजई । एएहिं दोहि ठाणेहिं अणायारं तु जाणए ॥ ७॥ अहाकम्माणि भुञ्जन्ति, अन्नमन्ने सकम्गुणा । उबालित्ते त्ति जागिजा अगुवलिते ति वा पुणो ॥ ८॥ Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्मि [2. 5. .. एएहिं दोहि ठाणेहिं ववहारो न विजई । .. एएहिं दोहि ठाणेहिं अणायारं तु जाणए ॥९॥ , जमिदं ओरालमाहारं कम्मगं च तहेव य । सव्वत्थ वीरियं अत्थि नत्थि सव्वत्थ वीरियं ॥ १० ॥ एएहिं दोहि ठाणेहिं ववहारो न विजई । एएहिं दोहि ठाणेहिं अणायारं तु जाणए ॥ ११ ॥ नत्थि लोए अलोए वा नेवं सन्नं निवेसए ॥ अस्थि लोए अलोए वा एवं सन्नं निवेसए ॥ १२ ॥ नत्थि जीवा अजीवा वा नेवं सन्नं निवेसए । अस्थि जीवा अजीवा वा एवं सन्नं निवेसए ॥ १३ ॥ नत्थि धम्मे अधम्मे वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि धम्मे अधम्मे वा एवं सन्नं निवेसए ॥१४॥ नत्थि बन्धे व मोक्खे वा नेवं सन्नं निवेसए । अस्थि बन्धे व मोक्खे वा एवं सन्नं निवेसए ॥ १५ ॥ नत्थि पुण्णे व पावे वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि पुण्णे व पावे वा एवं सन्नं निवेसए ॥ १६ ॥ नत्थि आसवे संवरे वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि आसवे संवरे वा एवं सन्नं निवेसए ॥ १७॥ नत्थि वेयणा निजरा वा नेवं सन्नं निवेसए । अत्थि वेयणा निजरा वा एवं सन्नं निवेसए ॥ १८ ॥ नत्थि किरिया अकिरिया वा नेवं सन्नं निवेसए । अस्थि किरिया अकिरिया वा एवं सन्नं निवेसए ॥ १९ ॥ नत्थि कोहे व माणे वा नेवं सन्नं निवेसए । अस्थि कोहे व माणे वा एवं सन्नं निवेसए ॥ २० ॥ नत्थि माया व लोभे वा नेवं सन्नं निवेसए। अस्थि माया व लोभे वा एवं सन्नं निवेसए ॥२१॥ Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2.5.33] आयारसुयज्ज्ञयणे नत्थि पेजे व दोसे वा नेवं सन्नं निवेसए । अस्थि पेजे व दोसे वा एवं सन्नं निवेस ।। २२ ॥ नत्थि चाउरन्ते संसारे नेवं सन्नं निवेस । अत्थि चाउरन्ते संसारे एवं सन्नं निवेस ॥ १३ ॥ देवो देवी वा नेवं सन्नं निवेस । अस्थि देवो व देवी वा एवं सन्नं निवेसर || २४ ॥ सिद्धी सिद्धी वा नेवं सन्नं निवेस | अथ सिद्धी सिद्धी वा एवं सन्नं निवेस ॥ २५ ॥ नत्थ सिद्धी नियं ठाणं नेवं सन्नं निवेस । अस्थि सिद्धी नियं ठाणं एवं सन्नं निवेस ॥ २६॥ नत्थ साहू साहू वा नेवं सन्नं निवेस | । अस्थि साहू असाहू वा एवं सन्नं निवेस ॥ २७ ॥ किल्ला पावे वा नेवं सन्नं निवेस अस्थि कल्ला पावे वा एवं सन्नं निवेस ॥ २८ ॥ कल्ला पाव वा विहारो न विजइ । जं वेरं तं न जागन्ति समणा बाल पण्डिया || २९ ॥ असेसं अक्खयं वावि सव्वदुक्खे इ वा पुणो । वज्झा पाणा न वज्झत्ति इइ वायं न नीसरे ॥ ३० ॥ दीसन्ति समियायारा भिक्खुणो साहुजीविणो । एए मिच्छो जीवन्ति इइ दिहिं न धार ॥ ३१ ॥ दक्खिणा पडिलम्भो अस्थि वा नत्थि वा पुणो । न वियागरेञ्ज मेहावी सन्तिमग्गं च वूहए ।। ३२ । इच्चेहि ठाणेहिं जिणदिहि संजए । धारयन्ते उ अप्पाणं आ मोक्खाए परिव्वज्जासि ॥ ३३ ॥ तिमि ॥ आयारसुयज्झयणं पञ्चमं 19 ११७ Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८ सूयगडम्मि [2.6.1अदइजज्झयणे छठे 2.6. पुराकडं अद्द इमं सुणेह मेगन्तयारी समणे पुरासी । से भिक्खुणो उवणेत्ता अणेगे आइक्खएहि पुढों वित्थरेणं ॥१॥ साजीविया पट्टवियाथिरेणं सभागओ गणओ भिक्खुमझे । आइक्खमाणो बहुजन्नमत्थं न संधयाई अवरेणं पुव्वं ॥२॥ एगन्तमेवं अदुवा वि एण्हि दोवन्नमन्नं न समेइ जम्हा । पुट्विं च एण्डिं च अणागयं वा एगन्तमेवं पडिसंधयाइ ॥ ३ ॥ समिच्च लोगं तसथावराणं खेमंकरे समणे माहणे वा । आइक्खमाणो वि सहस्समझे एगन्तयं सारयई तहच्चे ॥४॥ धम्मं कहन्तस्स उ नत्थि दोसो खन्तस्स दन्तस्स जिइन्दियस्स । भासाय दोसे य विवजगस्स गुणे य भासाय निसेवगस्स ॥ ५ ॥ महव्वए पञ्च अणुव्वए य तहेव पञ्चासव संवरे य । विरई इह स्सामणियम्मि पुण्णे लवावसकी समणे ति बेमि ॥६॥ सीओदगं सेवउ बीयकायं आहायकम्मं तह इत्थियाओ। एगन्तचारिस्सिह अम्ह धम्मे तवस्सिणो नाभिसमेइ पावं ॥ ७॥ सीओदगं वा तह बीयकायं आहायकम्मं तह इत्थियाओ । एयाइ जाणं पडिसेवमाणा अगारिणो अस्समणा भवन्ति ॥८॥ सिया य बीयोदग इत्थियाओ पडिसेवमाणा समणा भवन्तु । अगारिणो वि समणा भवन्तु सेवन्ति ऊ तं पि तहप्पगारं ॥ ९॥ जे यावि बीयोदगभोइ भिक्खू भिक्खं विहं जायइ जीवियही । ते नाइसंजोगमविप्पहाय कायोवगा नन्तकरा भवन्ति ॥ १० ॥ इमं वयं तु तुम पाउकुव्वं पावाइणो गरिहसि सव्व एव । पावाइणो पुढो पुढो किट्टयन्ता सयं सयं दिहि करोन्त पाउ ११ ते अन्नमन्नस्स उ गरहमाणा अक्खन्ति भो समणा माहणा य । सओ य अत्थी असओ य नत्थि गरहामु दिहिं न गरहामु किंचि१२ Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११९ 2. 6. 25.] अद्दइजज्ज्ञयणे न किंचि रूवेण भिधारयामो सदिडिमग्गं तु करेनु पाउं । मग्गे इमे किट्टिएँ आरिएहिं अणुत्तरे सप्पुरिसेहि अञ्जू ॥ १३ ॥ उ8 अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा । भयाहिसंकाभि दुगुञ्छमाणा नो गरहइ बुसिमं किंचि लोए ॥१४॥ आगन्तगारे आरामगारे समणे उ भीए न उवेइ वासं । दक्खा हु सन्ती बहवे मणुस्सा ऊणाइरित्ता य लवालवा य॥१५॥ मेहाविणो सिक्खिय बुद्धिमन्ता सुत्तेहि अत्थेहि य निच्छयन्ना । पुच्छिसु मा णे अणगार अन्ने इइ संकमाणो न उवेइ तत्थ ॥१६॥ नाकामकिच्चा न य बालकिच्चा रायाभियोगेण कुओ भएणं । वियागरेज पसिणं न वा वि सकामकिच्चेणिह आरियाणं ॥ १७ ॥ गन्ता च तत्था अदुवा अगन्ता वियागरेजा समियासुपन्ने । अणारिया दसणओ परित्ता इइ संकमाणो न उवेइ तत्थ ॥१८॥ पण्णं जहा वणिए उदयट्टी आयस्स हेउं पगरेइ सङ्गं । तयोवमे समणे नायपुत्ते इच्चेव मे होइ मई वियको ॥ १९॥ नवं न कुजा विहुणे पुराणं चिच्चामई ताइ यमाह एवं । एयावया बम्भवइ त्ति वुत्ता तस्सोदयही समणे त्ति बेमि ॥२०॥ समारभन्ते वणिया भूयगामं परिग्गहं चेव ममायमाणा । ते नाइसंजोगमविप्पहाय आयस्स हेउं पगरेन्ति सङ्गं ॥२१ ।। वित्तेसिणो मेहुणसंपगाढा ते भोयणहा वणिया वयन्ति । वयं तु कामेसु अज्झोववन्ना अणारिया पेमरसेसु गिद्धा ॥ २२ ॥ आरम्भगं चेव परिग्गहं च अविउस्सिया निस्सिय आयदण्डा । तोसि च से उदए जं बयासी चउरन्तणन्ताय दुहाय नेह ॥ २३॥ नेगन्ति नचन्ति य ओदए सो वयन्ति ते दो विगुणोदयम्मि । से उदए साइमणन्तपत्ते तमुदयं साहयइ ताइ नाई ॥ २४ ॥ अहिंसयं सव्वपयाणुकम्पी धम्मे ठियं कम्मविवेगहेउं । तमायदण्डेहि समायरन्ता अबोहिए ते पडिरूवमेयं ॥ २५ ॥ Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूयगडम्म [2.6.26 पिण्णागपिण्डीमवि विद्ध सूले केई परजा पुरिसे इमे ति । अलाउयं वा वि कुमार ति स लिप्पई पाणिवहेण अहं ॥ २६ ॥ अहवा वि विद्रूण मिलक्खु सले पिण्णागबुद्धीह नरं पएञ्जा । कुमारगं वा वि अलाबु ति न लिप्पई पाणिवण अम्हं ॥ २७ ॥ पुरिसं च विण कुमारगं वा मूलंमि केई पऍ जायतेए । पिण्णागपिण्डं सइमारुहेत्ता बुद्धाण तं कप्पर पारणाए ।। २८ ।। सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियए भिक्खुयाणं । ते पुण्णखन्धं सुमहं जिणित्ता भवन्ति आरोप्य महन्त सत्ता ॥ २९ ॥ अजोगरूवं इह संजयाणं पावं तु पाणाण पसज्झ काउं । अबोहिए दो वितं असाहु वयन्ति जे यावि पडिस्सुणन्ति ॥ ३० ॥ उ अहे यं तिरियं दिसासु विन्नाय लिङ्गं तसथावराणं । भूयाभिसंकाइ दुगुञ्छमाणे वए करेजा व कुओ विहत्थि ॥ ३१ ॥ पुरिसे त्ति विन्नत्ति न एवमत्थि अणारिए से पुरिसे तहा हु । को संभवो पिण्णगपिण्डियाए वाया वि एसा बुझ्या असच्चा ॥ ३२ ॥ वायाभियोगेण जमावहेजा नो तारिसं वायमुदाहरेजा । अाणमेयं वयणं गुणाणं नो दिखिए बूय सुरालभेयं ॥ ३३ ॥ लद्धे अट्ठे अहो एव तुभे जीवाणुभागे सुविचिन्तिएव । पुव्वं समुई अवरं च पुढे ओलोइए पाणितले ठिए वा ॥ ३४ ॥ जीवाणुभागं सुविचिन्तयन्ता आहारिया अन्नविहीऍ सोहिं । न वियागरे छन्नपओपजीवी एसोऽणुधम्मो इह संजयाणं ।। ३५ ।। सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियए भिक्खुयाणं । असंजय लोहियपाणि से ऊ नियच्छई गरिहमिहेव लोए ॥ ३६ ॥ थूलं उरब्भं इह मारियाणं उद्दिभत्तं च पगप्पएत्ता । लोणतेल्लेण उवक्खडेत्ता सपिप्पलीयं पगरन्ति मंसं ॥ ३७ ॥ तं भुञ्जमाणा पिसियं पभूयं नो ओवलिप्पामु वयं रएणं । saमासु अणजधम्मा अणारिया बाल रसेसु गिद्धा ॥ ३८ ॥ १२० Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२१ 3. 6. 51.] अद्दइज्जज्ायणं ते यावि भुञ्जन्ति तहप्पगारं सेवन्ति ते पावमजाणमाणा । मणं न एयं कुसला करन्ति वाया वि एसा बुझ्या उ मिच्छा।।३९॥ सव्वेसि जीवाण दयट्याए सावञ्जदोसं परिवजयन्ता । तस्संकिणो इसिणो नायपुत्ता उदिभत्तं परिवजयान्ति ॥ ४० ॥ भूयाभिसंकाएँ दुगुञ्छभाणा सव्वेसि पाणाण निहाय दण्डं । तम्हा न भुञ्जन्ति तहप्पगार एसोऽणुधम्मो इह संजयाणं ॥४१॥ निग्गन्थधम्मम्मि इमं समाहिं अस्सि सुठिच्चा अणिहे चरेजा। बुद्धे मुणी सीलगुणोववेए अञ्चत्थतं पाउणई सिलोगं ॥ ४२ ॥ गिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियए माहणाणं । ते पुण्णखन्ध सुमहजणित्ता भवन्ति देवा इइ वेयवाओ ॥४३॥ सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियएँ कुलालयाणं । से गच्छई लोलुवसंपगाढे तिव्बाभितावी नरगाभिसेवी ॥ ४४ ॥ दयावरं धम्म दुगुञ्छमाणा वहावह धम्म पसंसमाणा । एगं पिजे भोययई अमीलं नियो निसं जाइ कुओऽसुरेहिं ॥ ४५ ॥ दुहओ वि धम्मम्मि समुट्टियामो अस्सि मुहिच्चा तह एसकालं । आयारसीले बुइएह नाणी न संपरायम्मि विसेसमाथि ॥ ४६॥ अव्बत्तरूवं पुरिसं महन्तं सणातणं अक्खयमव्वयं च । मव्येसु भूएमु वि सम्बओ से चन्दो व ताराहि समत्तरूवे ॥४७॥ एवं न मिजन्ति न संसरन्ति न माहणा खत्तिय वेस पेसा । कीडा य पक्खी य सरीसिवा य नरा य सव्वे तह देवलोगा ॥४८॥ लागं अयाणित्तिह केवलेणं कहन्ति जे धम्ममजाणमाणा । नासन्ति अप्पाण परं च नहा संसार घोराम्म अणोरपारे ॥ ४९ ॥ लोगं विजाणन्तिह केवलेणं पुण्णेण नाणेण समाहिजुत्ता। धम्म समत्तं च कहन्ति जे उ तारन्ति अप्पाण परं च तिण्णा ॥५०॥ ज गरहियं ठाणमिहावसन्ति जे यावि लोए चरणोववेया। उदाहडं तं तु समं मईए अहाउसो विप्परियासमेव ॥५१॥ Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ सूयगडम्मि [2. 6.52संवच्छरेणावि य एगमेगं बाणेण मारेउ महागयं तु । सेसाण जीवाण दयद्वयाए वासं वयं वित्ति पकप्पयामो ॥५२॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं पाणं हणन्ता अणियत्तदोसा । सेसाण जीवाण वहेण लग्गा सिया य थोवं गिहिणो वि तम्हा ॥५३॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं पाणं हणन्ता समणव्वएसु। . आयाहिए से पुरिसे अणजे न तारिसे केवलिणो भवन्ति ॥५४॥ बुद्धस्स आणाएँ इमं समाहिं अस्सि सुठिचा तिविहेण ताई। तरिउं समुदं व महाभवोवं आयाणवं धम्ममुदाहरेज ॥५५॥ ति बेमि ॥ अद्दइजज्झयणं छटुं नालन्दइजज्झयणे सत्तमे 2. 7. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था रिद्धि- . स्थिमियसामिद्धे (वण्णओ) जाव पडिरूवे । तस्स णं रायगिहस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए एत्थ णं नालन्दा नाम बाहिरिया होत्था अणेगभवणसयसंनिविट्ठा जाव पडिरूवा । तत्थ णं नालन्दाए बाहिरियाए लेवे नाम गाहावई होत्था अड्ढे दित्ते वित्ते वित्थिण्णविपुलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहुधणबहुजायरूवरजए आओगपओगसंपउत्ते विच्छड्डियपउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूए बहुजणस्स अपरिभूए यावि होत्था ॥१॥ से णं लेवे नाम गाहावई समणोवासए यावि होत्था अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ निग्गन्थे पावयणे निस्संकिए निकंखिए निविइगिच्छे लद्धडे गहियढे पुच्छियडे विणिच्छियढे अभिगहियढे अहिमिञ्जा पेमाणुरागरत्ते । अयमाउसो निग्गन्थे पावयणे, अयं अहे, अयं परमहे, सेसे अणडे, उस्सियफलिहे अप्पावयदुवारे चियत्तन्तेउरप्पवेसे चाउद्दसह Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नालन्दइजज्झयणे १२३ मुद्दिडपुण्णमामिणीसु पडिपुण्णं पोसह सम्म अणुपालेमाणे समणे निग्गन्थे तहाविहणं एसणिजेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलामेमाणे बहहिं मीलब्बयगुणविरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणे एवं च णं विहग्इ ।। २॥ नम्म णं लवस्म गाहावइस्म नालन्दाए बाहिरियाए उत्तरपुरत्थिमे दिमिभाए एल्थ णं संसदविया नामं उदगसाला होत्था अणेगखम्भमयमंनिविद्वा पामादीया जाव पडिरूवा । तीसे णं सेसदवियाए उदगमालाए उत्तरपुरन्थिमे दिसिभाए एत्थ fहत्थिजामे नामं वणसण्डे हान्था किण्हे ( वण्ण वणमण्डस्म ) ॥३॥ नम्पि च णं गिहपदमाम्भ भगवं गोयमे विहरइ, भगवं च णं अहे आगमंमि । अ णं उदए पेढालपुत्ते भगवं पासावञ्चिज्जे निगण्ठे मेयन्जे गोत्तणं जणव भगवं गायम तणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भगवं गोयमं एवं बयासी-आउसंतो गायमा, अन्थि खलु मे केइ पदेसे पुच्छियचे, तं च आउमा अहामुयं अहादगिमयं मे वियागरेहि सवायं । भगवं गायमे उदयं पढालपुनं एवं बयासी-अवियाइ आउसो, सोचा निमम्म जाणिस्मामो मवायं। उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी॥४॥ आउमा गोयमा, अन्थि खलु कुमारपुत्तिया नाम समणा निग्गन्था तुम्हाणं पवयणं पवयमाणा गाहावई समणोवासगं उवसंपन्नं एवं पञ्चस्वावन्ति । नन्नन्थ अभिआएणं गाहावइचोरग्गहणविमोक्खणयाए तसेहि पाणहिं निहाय दण्डं । एवं पहं पचक्खन्ताणं दुप्पचक्खायं भवइ । एवं ण्हें पचवावमाणाणं दुपचक्वाधियव्वं भवइ । एवं ते परं पञ्चस्वावमाणा अइयन्ति सयं पइण्णं । कस्म णं तं हेउं ? संसारिया खलु पाणा, थावग वि पाणा तसत्ताए पञ्चायन्ति, तसा वि पाणा थावरनाए पञ्चायन्ति, थावग्कायाओ विप्पमुच्चमाणा तसकायसि उववजन्ति, तसकायाआ विप्पमुच्चमाणा थावरकायसि उववजन्ति । तसिं च णं थावरकायमि उबवण्णाणं ठाणमयं धत्तं ॥ ५ ॥ Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ · सूयगडाम्म 2. 7. 6. 1• एवं ण्हं पञ्चक्खन्ताणं सुपञ्चक्खायं भवइ । एवं हं पञ्चक्खावेमाणाणं सुपचक्खावियं भवइ । एवं ते परं पञ्चखावेमाणा नाइयरन्ति सयं पइण्णं नन्नत्थ अभियोगेणं गाहावइचोरग्गहणविमोक्खणयाए तसभूएहिं पाणेहिं निहाय दण्डं । एवमेव सइ भासाए परक्कमे विजमाणे जे ते कोहा वा लोहा वा परं पञ्चक्खान्ति अयं पि नो उवएसे नो नेयाउए भवइ । अवियाइ आउसो गोयमा तुन्भं पि एवं रोयइ ? ॥६॥ ., सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी-आउसन्तो उदगा, नो खलु अम्हे एयं रोयइ । जे ते समणा वा माहणा वा एवमाइक्खन्ति जाव परूवेन्ति नो खलु ते समणा वा निग्गन्था भासं भासन्ति, अणुतावियं खलु ते भासं भासन्ति, अभाइक्खन्ति खलु ते समणे समणोवासए वा जेहिं पि अन्नेहिं जीवेहिं पाणेहिं भूएहिं सत्तेहिं संजमयन्ति ताण वि ते अब्भाइक्खन्ति । कस्स णं तं हेउं ? संसारिया खलु पाणा, तसा वि पाणा थावरत्ताए पञ्चायन्ति थावरा वि वा पाणा तसत्ताए पञ्चायन्ति तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा थावरकायंसि उववजन्ति, थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा तसकायंसि उववजन्ति, तेसिं च णं तसकायंसि उववन्नाणं ठाणमेयं अघत्तं ॥७॥ ___ सवायं उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी-कयरे खलु ते आउसन्तो गोयमा तुब्भे वयह तसा पाणा तसा आउ अन्नहा ? सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी-आउसन्तो उदगा जे तुब्भे वयह तसभूया पाणा तसा ते वयं वयामो तसा पाणा, ये वयं वयामो तसा पाणा ते तुब्भे वयह तसभूया पाणा । एए सन्ति दुवे ठाणा तुल्ला एगहा। किमाउसो इमे भे सुप्पणीयतराए भवइ तसभूया पाणा तसा, इमे भे दुप्पणीयतराए भवइ-तसा पाणा तसा । तओ एगमाउसो पडिकोसह एकं अभिनन्दह । अयं पि भेदो से नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु-सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति, तेसिं च जं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-नो खलु वयं संचाएमो मुण्डा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । सावयं ण्हं Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 7. 10. 14. ] नालन्दइजज्झयणे १२५ अणुपुत्रेणं गुत्तस्स लिसिस्साम । ते एवं संखवेन्ति, ते एवं संखं ठवयन्ति ते एवं संखं ठावयन्ति नन्नत्थ अभिओएणं गाहावइचोरग्गहण - विमोक्खणया तसेहिं पाणेहिं निहाय दण्डं । तं पितेसिं कुसलमेव भवइ ॥ ८ ॥ तसा विच्चन्ति तसा तरसंभारकडेणं कम्मुणा नामं च णं अब्भुवगयं भवइ, तसाउयं च णं पलिक्खीणं भवइ, तसकायडिया ते ओ आउयं विप्पजहन्ति । ते तओ आउयं विप्पजहित्ता थावरचाए पञ्चायन्ति । थावरा विच्चन्ति थावरा थावरसंभारकडेणं कम्मुणा नाम चणं अवयं भवइ थावराज्यं च णं पलिक्खीणं भवइ । थावरकायडिया ते तओ आउयं विप्पजहन्ति तओ आउयं विप्पजहित्ता भुजो परलोइयत्ताए पच्चायन्ति । ते पाणा वि बुच्चन्ति ते तसा वि बुच्चन्ति ते महाकाया ते चिड़िया ॥ ९ ॥ सवायं उदए पेढालपुत्ते भयवं गोयमं एवं वयासी - आउसन्तो गोयमा नणं से परियाए जं गं समणोवासगस्स एगपागाइवायfare विदण्डे निक्खिते । कस्स णं तं हेउ ? संसारिया खलु पाणा, थावरा व पाणा तसत्ताए पच्चायन्ति, तसा वि पाणा थावरत्ताए पच्चायन्ति, थावरकायाओ विष्पमुच्चमाणा सव्वे तसकायंसि उवबजन्ति, तसकायाओ विष्पमुच्चमाणा सव्वे थावरकायंसि उबवञ्जन्ति, तेसिं चणं थावर कार्यसि उववन्नाणं ठाणमेयं धत्तं । सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं क्यासी - नो खलु आउससे अम्हाकं वत्तव्वएणं तुमं चैव अप्पवाणं अस्थि गं से परियाए जे णं समणोवासगस्स सव्वपाणेहिं सव्वभूपहिं सव्वजीवहिं सव्वसनेहिं दण्डे निविखत्ते भवइ । करसणं तं हे ? संसारिया खलु पाणा, तसा वि पाणा थावरताए पञ्चायन्ति, थावरा व पाणा तसत्ताए पच्चायन्ति, तसकायाओ विष्पमुच्चमाणा सव्वे थावर कार्यसि उववज्जन्ति, थावरकायाओ विष्पमुच्चमाणा सव्ये तसकार्यसि उववजन्ति, तेसिं च णं तसकायंसि उववन्नाणं ठाणमेयं अधत्तं । Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ सूयगडम्मि [2. 7. 10. 15ते पाणा वि वुच्चान्त, ते तसा वि वुच्चन्ति, ते महाकाया ते चिरहिइया । ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ । ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ । से महया तसकायाओ उवसन्तस्स उवडियस्स पडिविरयस्स जं णं तुम्भे वा अन्नो वा एवं वयह-नत्थि णं से केइ परियाए जसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दण्डे निक्खित्ते । अयं पि भेद से नो नेयाउए भवइ ॥१०॥ भगवं च णं उदाहु नियण्ठा खलु पुच्छियव्वा । आउसन्तो नियण्ठा इह खलु सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तेसिं च एवं वुत्तपुव्वं भवइ-जे इमे मुण्डे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए एसिं च णं आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते । जे इमे अगारमावसन्ति एएसिं गं आमरणन्ताए दण्डे नो निक्खित्ते । केई च णं समणा जाव वासाइं चउपञ्चमाई छहदसमाई अप्पयरो वा भुजयरो वा देसं दुइजित्ता अगारमावसेजा ? हता-वसेजा । तस्स णं तं गारत्थं वहमाणस्स से पच्चक्खाणे भङ्गे भवइ ? नो इणहे समहे । एवमेव समणोवासगस्स वि तसेहिं पाणेहिं दण्डे निक्खित्ते, थावरेहिं पाणेहिं दण्डे नो निक्खित्ते । तस्स णं तं थावरकायं वहमाणस्स से पच्चक्खाणे नो भङ्गे भवइ । से एवमायाणह ? नियण्ठा । एवमायाणियव्वं ॥ भगवं च णं उदाह नियण्ठा खलु पुच्छियव्या-आउसन्तो नियण्ठा इह खलु गाहावई वा गाहावइपुत्तो वा तहप्पगारेहिं कुलेहिं आगम्म धम्मं सवणवत्तियं उवसंकमेजा ? हन्ता उवसंकभेजा । तेसिं च णं तहप्पगाराणं धम्मं आइक्खियव्वे? हन्ता आइक्खियव्वे । किं ते तहप्पगारं धम्मं सोचा निसम्म एवं वएजाइणमेव निग्गन्थं पावयणं सच्चं अणुत्तरं केवलियं पडिपुण्णं संसुद्धं नेयाउयं सल्लकत्तणं सिद्धिमग्गं मुत्तिमग्गं निजाणमग्गं निव्वाणमग्गं अवितहमसंदिद्धं सव्वदुक्खप्पहीणमग्गं । एत्थ ठिया जीवा सिज्झन्ति बुज्झन्ति मुच्चन्ति परिणिव्यायन्ति सव्वदुक्खाणमन्तं करोन्त । तमाणाए तहा गच्छामो तहा चिट्ठामो तहा निसीयामो तहा तुयट्टामो तहा भुञ्जामो Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 7. 11. 46.] नालन्दइजज्झयणे १२७ तहा भासामो तहा अब्भुट्टामो तहा उट्टाए उठेमो त्ति पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं संजमेणं संजमामो त्ति वएज्जा ? हन्ता वएजा । किं ते तहप्पगारा कप्पन्ति पव्वावित्तए ? हन्ता कप्पन्ति । किं ते तहप्पगारा कप्पन्ति मुण्डावित्तए ? हन्ता कप्पन्ति । किं ते तहप्पगारा कप्पन्ति सिक्खावत्तिए ? हन्ता कप्पन्ति । किं ते तहप्पगारा कप्पन्ति उवटावित्तए ? हन्ता कप्पन्ति । तेसिं च णं तहप्पगाराणं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं दण्डे निक्खित्ते ? हंता निक्खित्ते । से णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा जाव वासाई चउपञ्चमाई छट्टदसमाई वा अप्पयरो वा भुजयरो वा देसं दृइज्जेत्ता अगारं वएजा ? हन्ता वएज्जा । तस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं दण्डे नो निक्खित्ते ? नो इणहे समहे । से जे से जीवे जस्स परेणं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं दण्डे नो निक्खित्ते । से जे से जीवे जस्स आरेणं सव्वपाणेहिं जाव सत्तेहिं दण्डे निक्खित्ते । से जे से जीवे जस्स इयाणिं सबपाणेहिं जाव सत्तेहिं दण्डे नो निक्खिते भवइ, परेणं असंजए आरेणं संजए, इयाणिं असं. जए, असंजयस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सत्तेहिं दण्डे नो निक्खित्ते भवइ । से एवमायाणह ? नियष्ठा से एवमायाणियव्वं ॥ भगवं च णं उदाहु नियष्ठा खलु पुच्छियव्वा-आउसन्तो नियण्ठा इह खलु परिव्वाइया वा परिवाइयाओ वा अन्नयरेहितो तित्थाययणेहितो आगम्म धम्म सवणवत्तियं उवसंकमेजा ? हन्ता उवसंकमेजा । किं तेसिं तहप्पगारेणं धम्ने आइक्खियचे ? हन्ता आइक्वियब्वे । तं चेव उवट्ठावित्तए जाव कप्पन्ति ? हन्ता कम्पन्ति । किं ते तहप्पगारा कप्पन्ति संभुञ्जित्तए ? हन्ता कप्पंति । तेणं एयारवेणं विहारेणं विहरमाणा तं चेव जाव अगारं वएजा ? हंता वएजा । ते गं तहप्पगारा कप्पन्ति संभुजित्तए ? नो इण समझे । से जे से जीवे जे परेणं नो कप्पान्त संभुञ्जित्तए । से जे से जीव आरेणं कप्पन्ति संभुजित्तए । सेजे से जीवे जे इयाणि नो कप्पन्ति संभुञ्जितए । परेणं अस्समणे आरेणं समणे, इयाणि अस्समणे, Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ सूयगडम्मि [2. 7. 11. 47अस्समणेणं साद्धं नो कप्पन्ति समणाणं निगन्थाणं संभुञ्जित्तए । से एवमायाणह ? नियण्ठा से एवमायाणियन्वं ॥ ११ ॥ भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया समणोवासगा भवन्ति । तेसिं च णं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-नो खलु वयं संचाएमो मुण्डा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । वयं णं चाउद्दसमुदिट्टपुण्णिमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणा विहरिस्सामो । थूलगं पाणाइवायं पञ्चक्खाइस्सामो, एवं थूलगं मुसावायं थूलगं अदिन्नादाणं थूलगं मेहुणं थूलगं परिग्गहं पचक्खाइस्सामो । इच्छापरिमाणं करिस्सामो, दुविहं तिविहेणं । मा खलु ममहाए किंचि करेह वा करावेह वा तत्थ वि पञ्चक्खाइस्सामो। ते णं अभोच्चा अपिचा असिणाइत्ता आसन्दीपेढियाओ पञ्चारुहिता, ते तहा कालगया कि वत्तव्वं सिया-सम्मं कालगय ति ? वत्तव्वं सिया । ते पाणा वि बुचन्ति ते तसा वि वुच्चन्ति ते महाकाया ते चिराहिइया । ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपञ्चक्खायं भवइ । ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ । इति से महयाओ जं गं तुब्भे वयह तं चेव जाव अयं पि भेदे से नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया समणोवासगा भवन्ति । तसिं च णं एवं वृत्तपुव्वं भवइ-नो खलु वयं संचाएमो मुण्डा भवित्ता अगाराओ जाव पव्वइत्तए । नो खलु वयं संचाएमो चाउद्दसहमुदिठपुण्णमासिणीसु जाव अणुपालपाणे विहारत्तए । वयं णं अपच्छिममामरणन्तियं संलेहणाजूसणाजूसिया भत्तपाणं पडियाइक्खिया जाव कालं अणवकंखमाणा विहारस्सामो । सव्वं पाणाइवायं पचक्खाइस्सामो जाव सव्वं परिग्गहं पञ्चक्खाइस्लामो तिविहं तिविहणं मा खलु ममट्ठाए किंचि वि जाव आसन्दीपेढियाओ पचोरुहिता एए तहा कालगया, किं वत्तव्यं सिया सम्मं कालगय त्ति ? वत्तव्वं सिया । ते पाणा वि वुच्चन्ति जाव अयं पि भेदे से नो नेयाउए भवइ ॥ भगवं च णं उदाहु सन्तेगडया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-महइच्छा महारम्भा महापरिग्गहा Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२९ 2. 7. 12. 50.] नालन्दइजज्झयणे णं उदाहु सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-अणारम्भा अपरिग्गहां धम्मिया धम्माणुया जाव सबाओ परिग्गहाओ पडिविरया जावजीवाए, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते, ते तओं आउगं विप्पजहन्ति, ते तओ भुजो सगमायाए सोग्गइगामिणो भवन्ति । ते पाणा वि वुचन्ति जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्ते गइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-अप्पिच्छा अप्पारम्भा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया जाव एगचाओ परिग्गहाओ अप्पडिविरया, जेहि समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए · दण्डे निक्खित्ते । ते तओ आउगं विप्पजहन्ति, तओ भुजो सगमादाए सोग्गइगामिणो भवन्ति । ते पाणा वि वुचन्ति जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-आरणिया आवसहिया गामणियन्तिया कण्हुईरहस्सिया, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते भवइ । नो बहुसंजया नो बहुपडिविरया पाणभूयजीवसत्तेहिं । अप्पणा सच्चामोसाई एवं विप्पडिवेदेन्ति-अहं. न हन्तव्यो अन्ने हन्तव्या जाव कालमासे कालं किच्चा अन्नयराइं आसुरियाई किव्विसियाइं जाव उववत्तारो भवन्ति, तओ विप्पमुच्चमाणा भुजो एलमुयत्ताए तमोरूवत्ताए पञ्चायन्ति । ते पाणा वि वुच्चन्ति जाव नों नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया पाणा दीहाउया जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए जाव दण्डे निक्खित्ते भवइ । ते पुवामेव कालं करेन्ति करित्ता पारलोइयत्ताए पञ्चायन्ति । ते पाणा वि बुच्चन्ति, ते तसा वि वुचन्ति । ते महाकाया ते चिरहिइया ते दीहाउया ते बहुयरगा, जेहिं समणोवासगस्स सुपञ्चक्खायं भवइ, जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया पाणा समाउया, जेहिं समणोवासगस आयागसो आमरणन्ताए जाव दण्डे निक्खित्ते भवइ । ते सयमेव कालं करोन्त, करित्ता पारलोइयत्ताए पञ्चायन्ति । ते पाणा वि वुच्चान्त, तसा वि बुच्चन्ति, ते सूयगडं...९ Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रायगडम्मि [2. 7. 12. 51. महाकाया ते समाउया ते बहुयरगा जेहिं समणोवासगस्स सुपञ्चक्खायं भवइ जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया पाणा अप्पाउया, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए जाव दण्डे निक्खित्ते भवइ । ते पुवामेव कालं करेन्ति, करेत्ता पारलोइयत्ताए पञ्चायन्ति । ते पाणा वि वुच्चन्ति, ते तसा वि वुच्चन्ति, ते महाकाया ते अप्पाउया ते बहुयरगा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स सुपञ्चक्खायं भवइ, जाव नो नेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु सन्तेगइया समणोवासगा भवन्ति । तेसिं च णं एवं वुत्तपुव्वं भवइ- नो खलु वयं संचाएमो मुण्डे भवित्ता जाव पवइत्तए । नो खलु वयं संचाएमो चाउद्दसहमुदिपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं अणुपालित्तए । नो खलु वयं संचाएमो अपच्छिमं जाव विहरित्तए । वयं च णं सामाइयं देसावगासियं पुरत्था पाईगं वा पडीणं वा दाहिणं वा उदीणं वा एयावया जाव सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं दण्डे निक्खित्ते सबपाणभूयजीवसत्तेहिं खेमकरे अहमंसि । तत्थ आरेणं जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते । तओ आउं विप्पजहंति, विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं चेव जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो जाव तेमु पञ्चायन्ति, जेहिं समणोवासगस्स सुपञ्चक्खायं भवइ । ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे जाव नेयाउए भवइ ॥ १२ ॥ तत्थ आरेणं जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए दण्डे निक्खित्ते ते तओ आउं विप्पजहन्ति । विप्पजहित्ता तत्थ आरणं चेव जाव थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्टाए दण्डे अनिक्खित्ते अणहाए दण्डे निक्खित्ते तेसु पञ्चायन्ति । तेहिं समणोवासगस्स अट्टाए दण्डे अनिक्खित्ते अणहाए दण्डे निश्वित्ते, ते पाणा वि वुच्चान्त, ते तसा ते चिरहिइया जाव अयं पि भेदे से....। तत्थ जे आरेणं तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए....तओ आउं विप्पजहन्ति, विप्पजहित्ता तत्थ परेणं जे तसा थावरा पाणा जेहिं सम Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३१ 2. 7. 13. 34] नालन्दइजज्झयणे णोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए....तेसुपञ्चायन्ति, तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ, ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से....। तत्थ जे आरेणं थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दण्डे अणिक्खित्ते अणट्टाए निक्खित्ते ते तओ आउं विष्पजहन्ति, विष्पजहित्ता तत्थ आरेण चेव जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए.... तेसु पञ्चायन्ति, तेसु समणोवासगस्स सुपञ्चक्खायं भवइ, ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से....। तत्थ जे ते आरेणं जे थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्टाए दण्डे अणिक्खित्ते अणट्टाए निश्वित्ते, ते तओ आउं विप्पजहन्ति विप्पजहिता ते तत्थ आरेणं चेत्र जे थावरा पाणा जेहिं समणोवासगल्स अट्ठाए दप्डे अणिक्खित्ते अणहाए निक्खित्ते तेसु पञ्चायन्ति । तेहिं समणोवासगस्स अट्टाए अणहाए ते पाणा विजाव अयं पि भेदे से लो....। तत्थ जे ते आरेणं थावरा पाणा जेहिं समणोबासगस्स अट्ठाए दण्डे अणिक्विते, अणहाए निक्खित्ते तओ आउं विधजहन्ति । विप्पजहित्ता तत्थ परेणं जे तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगरम आयाणसा आमरणन्ताए० तेसु पञ्चायन्ति । तेहिं समणोवासगस्स सुपञ्चक्खायं भवइ । ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से नो नेयाउए भवइ । तत्थ जे ते परे तसथावरा पाणा जेहिं समगोवासगस आयाणसो आमरणन्ताए ते तओ आउं विवजहन्ति, विप्पजहिता तत्थ आरेणं जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगरम आयाणसा आमरणन्ताए....तेसु पञ्चायन्ति । तेहिं ममणोवासगस्स सुपचक्खायं भवइ । ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से नो नेयाउए भवइ । तस्थ जे ते परेणं तसथावरा पागा जेहिं समणोवासगरस आयाणसो आनर गन्ताए....ते तओ आउं विष्पजहन्ति विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं जे थावरा पाणा जेहिं समगोवासगल्स आए दण्डे अणिक्खिो अगडाए निश्विते तेसु पञ्चायन्ति, जेहिं समणोवासगस्स अढाए अमिशिखत्ते अगहाए निक्खिते जाव ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से नो....! तत्थ ते परेणं तसथावरा पाणा जेहिं सभणोबासगस्स आया Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२ सूयगडाम्म [2. 7. 18. 35णसो आमरणन्ताए....ते तओ आउंविष्पजहन्ति । विष्पजहिता ते तत्थ परेणं चेव जे तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणन्ताए तेसु पञ्चायन्ति, जेहिं समणोवासगस्स सुपञ्चक्खायं भवइ । ते पाणा वि जाव अयं पि भेदे से नो....। भगवं च णं उदाहु न एयं भूयं न एयं भव्यं न एयं भविस्सइ जंणं तसा पाणा वोच्छिजिहिन्ति थावरा पाणा भविस्सन्ति, थावरा पाणा वि वोच्छिजिहिन्ति तसा पाणा भविस्सन्ति । अवोच्छिन्नेहिं तसथावरेहिं पाणेहिं जंणं तुब्भे वा अन्नो वा एवं वदह-नत्थि णं से केइ परियाए जाव नो नेयाउए भवइ ॥ १३॥ __ भगवं च णं उदाहु आउसन्तो उदगा जे खलु समणं वा माहणं वा परिभासेइ मित्ति मन्नन्ति आगमित्ता नाणं आगमित्ता दंसणं आगामित्ता चरित्तं पावाणं कम्माणं अकरणयाए से खलु परलोगपलिमन्थत्ताए चिट्टइ, जे खलु समणं वा माहणं वा नो परिभासइ मित्ति मन्नन्ति आगमित्ता णाणं आगमित्ता दंसणं आगमित्ता चरित्तं पावाणं कम्माणं अकरणयाए से खलु परलोगविसुद्धीए चिट्टइ। तए णं से उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं अणाढायमाणे जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पहारेत्थ गमणाए । भगवं च णं उदाहु आउसन्तो उदगा जे खलु तहाभूयस्स समणस्स वा माहणस्स वा अन्तिए एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं सोचा निसम्म अप्पणो चेव सुहुमाए पडिलेहाए अणुत्तरं जोगखेमपयं लम्भिए समाणे सो वि ताव तं आढाइ परिजाणेइ वन्दइ नमसइ सक्कारेइ सम्माणेइ जाव कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पञ्जुवासइ । तए णं से उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी-एएसिं णं भन्ते पदाणं पुचि अन्नाणयाए असवणयाए अबोहिए अणभिगमेणं अदिहाणं असुयाणं अमुयाणं अविनायाणं अब्बोगडाणं अविगूढाणं आवच्छिन्नाणं अणिसिहाणं अणिवूढाणं अणुवहारियाणं एयमदं नो सदहियं नो पत्तिय नो रोइयं । एएसिं णं भन्ते पदाणं एण्हि जाणयाए सवणयाए बोहिए जाव उवहारणयाए एयमदं सद्दहामि पत्तियामि रोएमि एवमेव से Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. 7. 14. 33.] नालन्दइजज्झयणं १३३ जहेयं तुब्भे वदह । तए णं भगवं गोयमे उदगं पेढालपुत्तं एवं वयासी -सदहाहि णं अजो पत्तियाहि णं अजो रोएहि णं अजो एवमेयं जहा णं अम्हे वयामो । तए णं से उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी-इच्छामि गं भन्ते तुम्भं अन्तिए चाउञ्जामाओ धम्माओ पञ्चमहव्वइयं सपडिकमणं धम्म उवसंपजित्ता णं विरहित्तए ॥ तए णं से भगवं गोयमे उदगं पेढालपुत्तं गहाय जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तए णं से उदए पेढालपुत्ते समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करित्ता वन्दइ नमसइ वन्दित्ता नमंसित्ता एवं क्यासीइच्छामि णं भन्ते तुभं अन्तिए चाउजामाओ धम्माओ पञ्चमहव्वइयं सपडिकमणं धम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहारत्तए । तए णं समणे भगवं महावीरे उदगं एवं वयासी-अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबन्धं करेहि । तए णं से उदए पेढालपुत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए चाउजामाओ धम्माओ पञ्चमहव्वयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपन्जित्ता णं विहरइ त्ति बेमि ॥ १४ ॥ ॥ नालन्दइजज्झयणं सत्तमं ॥ सूयगडं समत्तं Page #140 --------------------------------------------------------------------------  Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीभद्रबाहुविरचिता सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः Introduction:-1-32. तित्थयरे य जिणवरे सुत्तकरे गणहरे य णमिऊणं । सूयगडस्स भगवओ णिज्जुत्तिं कित्तइस्सामि ॥ १॥ सूयगडं अङ्गाणं बिइयं तस्स य इमाणि नामाणि । सूतगडं सुत्तकडं सूयगडं चेव गोण्णाई ॥२॥ दव्वं तु पोण्डयादी भावे सुत्तमिह सूयगं नाणं । सन्नासंगहवित्ते जाइणिबद्धे य कत्थाइ ॥३॥ करणं च कारओ य कडं च तिण्हं पि छकनिक्खेवो । दब्वे खेत्ते काले भावेण उ कारओ जीवो ॥ ४ ॥ दव्वं पओगवीसस पओगसा मूल उत्तरे चेव । उत्तरकरणं वञ्जण अत्यो उ उवक्खरो सव्वो ॥ ५॥ मूलकरणं सरीराणि पञ्च तिसु कण्णखन्धमाईयं । दग्विन्दियाणि परिणामियाणि विसओसहाईहिं ॥ ६ ॥ संघायणे य परिसाडणा य मीसे तहेव पडिसेहो । पडसंखसगडथूणाउड्डतिरिच्छादिकरणं च ॥७॥ खन्धेसु दुप्पएसादिएसु अब्भेसु विजुमाईसु । णिफण्णगाणि दव्वाणि जाण तं वीससाकरणं ॥ ८॥ ण विणा आगासणं कीरइ जं किं चि खेत्तमागास । वञ्जणपरियावण्णं उच्छुकरणमाइयं बहुहा ॥९॥ Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः कालो जो जावइओ जं कीरइ जम्मि जम्मि कालम्मि । ओहेण णामओ पुण करणा एकारस हवन्ति ॥१०॥ बवं च बालवं चेव, कोलवं तेत्तिलं तहा। गरादि वणियं चेव, विही हवइ सत्तमा ॥ ११ ॥ सउणि चउप्पय नागं किंसुग्धं च करणं भवे एयं । . एए चत्तारि धुवा अन्ने करणा चला सत्त ॥ १२ ॥ चाउद्दसि रत्तीए सउणी पडिवजए सया करणं । तत्तो अहकमं खलु चउप्पयं णाग किंसुग्धं ॥१३॥ भावे पओगवीसस पओगसा मूल उत्तरे चेव । उत्तर कमसुयजोवण वण्णाई भोयणाईसु ॥ १४ ॥ वण्णाइया य वण्णाइएसु जे केइ वीससामेला । . ते होन्ति थिरा अथिरा छायातवदुद्धमाईसु ॥ १५ ॥ मूलकरणं पुण सुए तिविहे जोगे सुभासुभे झाणे। । ससमयसुएण पगयं अज्झवसाणेण य सुहेणं ॥ १६ ॥ ठिइअणुभावे बन्धणनिकायणनिहत्तदीहहस्सेसु । . संकमउदीरणाए उदए वेए उवसमे य ॥१७॥ सोऊण जिणवरमयं गणहारी काउ तक्खओवसमं । अज्झवसाणेण कयं सुत्तमिणं तेण सूयगडं ॥ १८ ॥ वइजोगेण पभासियमणेगजोगंधराण साहूणं । तो वयजोगेण कयं जीवस्स सभावियगुणेण ॥ १९ ॥ अक्खरगुणमतिसंघायणाएँ कम्मपरिसाडणाए य । तदुभयजोगेण कयं सुत्तमिणं तेण सुत्तगडं ।। २०॥ सुत्तेण सुत्तिया चिय अत्था तह सूइया य जुत्ता य । तो बहुविहप्पउत्ता एय पसिद्धा अणाईया ॥ २१ ॥ .: दो चेव सुयक्खन्धा अज्झयणाई च होन्ति तेवीसं । ... तेत्तिसुदेसणकाला आयाराओ दुगुणमङ्गं ॥ २२ ॥ . Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः निक्खेवो गाहाए चउव्विहो छव्विहो य सोलससु । . निक्खेवो य सुयम्मि य खन्ध य चउबिहो होइ ॥ २३ ॥ ससमयपरसमयपरूवणा य पाऊण बुज्झणा चव । संबुद्धस्सुवसग्गा थीदोसविवजणा चेव ॥ २४ ॥ उवसग्गभीरुणो थीवसस्त णरएसु होज उववाओ । एव महप्पा वीरो जयमाह तहा जएजाह ॥ २५ ॥ परिचत्तनिसीलकुसीलसुसीलसविग्गसीलवं चेव । णाऊण वरियदुगं पण्डियवीरिए ( पयष्टिजा ) ॥ २६ ॥ धम्मो समाहि मग्गो समोसढा चउमु सव्ववाईसु । सीसगुणदोसकहणा गथम्मि सया गुरुनिवासो ॥ २७ ॥ आयाणिय संकलिया आयाणीयम्मि आययचरितं । अप्परगन्थे पिण्डियवयणेणं होइ अहिगारो ॥ २८ ॥ नाभं ठवणा दविए खेत्ते काले कुतित्थसंगारे । कुलगणसंकरगण्डी बोद्धव्यो भावसमए य ॥ २९ ॥ महपञ्चभूय एकप्पए य तज्जीवतस्सरीरे य । तह य अगारगवाई अतच्छट्टो अफलवाई ॥ ३० ॥ बीए नियईवाओ अन्नाणिय तह य नाणवाईओ । कम्मं चयं न गच्छइ चउव्विहं भिक्खुसमयम्मि ॥ ३१ ॥ तइए आहाकम्मं कडवाई जह य ते य वाईओ। किचुवमा य चउत्थे परप्पवाई अविरएसु ॥ ३२ ॥ Com. on-1. 1. 1. 8. पञ्चण्डं संजोए अन्नगुणाणं च चेयणाइगुणो । पश्चिन्दियठाणाणं ण अन्नमुणियं मुणइ अन्नो ॥ ३३॥ ___Com. on--1. 1. 1. 13. को वेएई अकयं ? कयनासो पञ्चहा गई नत्थि । देवमणुस्सगयागइ जाईसरणाइयागं च ॥ ३४ ॥ Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः ण हु अफलथोवणिच्छियकालफलत्तणमिहं अदुमहेऊ । : पादुद्धयोवदुद्धत्तणे णगावित्तणे हेऊ ॥ ३५॥ Introduction to 1. 2. 1. वेयालियम्मि वेयालगो य वेयालणं वियालणियं । तिनि वि चउकगाइं वियालओ एत्थ पुण जीवो ॥ ३६॥ दव्वं च परमुमाई दंसणणाणतवसंजमा भावे । दव्वं च दारुगाई भावे कम्मं वियालणियं ॥ ३७॥ वेयालियं इह देसियं ति वेयालियं तओ होइ । वेयालियं तहा वित्तमत्थि तेणेव य णिवद्धं ॥ ३८ ॥ कामं तु सासयमिणं कहियं अहावयम्मि उसभेणं । अट्ठाणउतिसुयाणं सोऊणं ते वि पवइया ॥ ३९ ॥ पढमे संबोहो अनिच्चया य बीयम्मि माणवजणया । अहिगारो पुण भणिओ तहा तहा बहुविहो तत्थ ॥ ४० । उद्देसम्मि य तइए अन्नाणचियस्स अवचओ भणिओ । वजेयव्यो य सया सुहप्पमाओ जइजणेणं ॥ ४१ ॥ ___Com. on--1.2.1. 1. दव्वं निदावेओ देसणनाणतवसंजमा भावे । अहिगारो पुण भणिओ नाणे तवदंसणचरिते ॥ ४२ ॥ ___Com. on--1.2.2 1. तवसंजमणाणेसु वि जइ माणो वजिओ महेसीहि । अत्तसमुक्कारसत्यं किं पुण हीला उ अन्नसिं ? ॥ ४३ ॥ जइ ताव निजरमओ पाडसिद्धो अट्ठमाणमहणेहिं । अविसेसमयद्वाणा परिहरियव्वा पयत्तेण ॥ ४४ ॥ _Introduction to 1. 3. 1. उवसग्गम्मि य छक्कं दव्ये चेयणमचेयणं दुविहं । आगन्तुगो य पीलाकरो य जो सो उवस्सग्गो ॥४५॥ Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः खत्तं बहुओघपयं कालो एगन्तसमाईओ। भावे कम्मभुदओ सो दुविहो ओघुवकमिओ ।। ४६ ॥ उवक्कमिओ संयमविग्धकरे एत्थुवकमे पगयं । दव्ये चउबिहो देवमणुयतिरियायसंवेत्तो ॥ ४७ ॥ एकका य चउविहो अट्टविहो वा वि सोलसविहो वा । घडण जयणा व तेसिं एत्तो वोच्छं अहीयारं ॥ ४८ ॥ पढमम्मि य पडिलोमा होन्ती अणुलोमगा य विइयम्मि । नइए अज्झत्तविसोहणं च परवाइवयणं च ॥ ४९ ॥ हेउमरिमेहि अहेउएहि समयपडिएहि णिउणेहिं । मीलखलियपन्नवणा का चउत्थम्मि उद्देसे ।। ५० ॥ ___C H. (1] 1. ;). 1. 12. जह णाम मण्डलग्गेण सि छनण कस्सइ मणुस्सा । अच्छा पगहुत्तो किं नाम तओ ण घेप्पेजा ॥५१॥ जह वा विसगण्डसं कोई घेतृण नाम तुहिको । अन्नण अदीमन्तो किं नाम तओ न व मज्जा ।। ५२ ॥ जह नाम सिरिघराओं कोई ग्यणाणि णाम घेत्तूणं । अच्छेञ्ज पराहुत्तो किं णाम तओ न घेप्पेजा ॥ ५३ ॥ Intro:duction to 1. 4. 1. दव्याभिलावचिन्धे वए भावे य इत्थिणिक्खयो । अहिलाव जह सिद्धी भावे वयम्मि उवउत्तो ॥ ५४ ॥ णामं ठवणादविए खेत्ते काले य पञ्जणणकम्मे । भोग गुणे य भावे दस एए पुरिमणिस्खेवा ॥ ५५ ॥ पढमे संथवसंलबमाइहि खलगा उ होइ सीलस्स । विए इहेव खलियस अवस्था कम्मवन्यो य ॥५६॥ मूग मो मन्नन्ता कइयवियाहिं उवहिप्पहाणाहिं । गहिया हु अभयपजोयकूलवालाइणो वहवे ॥ ५७ ।। Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः तम्हा ण उ वीसम्भो गन्तव्यो णिचमेव इत्थीसु । पढमुद्देसे भणिया जे दोसा ते गणन्तेणं ॥ ५८ ॥ : सुसमत्था व समत्था कीरन्ती अप्पसत्तिया पुरिसा । दीसन्ति सूरवाई णारीवसगा ण ते सूरा ॥ ५९॥ धम्मम्मि जो दढा मइ सो सूरो सत्तिओ य वीरो य । ण हु धम्मणिरुस्साहो पुरिसो सूरो सुबलिओ वि ।। ६० ॥ एए चेव य दोसा पुरिससमाए वि इत्थियाणं पि । तम्हा उ अप्पमाओ विरागमग्गम्मि तासिं तु ॥ ६१ ॥ Introduction to 1. 5. 1. णिरए छक्कं दव्वं णिरया उ इहेव जे भवे असुभा । . खेत्तं गिरओगासो कालो णिरएसु चेव ठिई ॥ ६२ ॥ भावे उ णिरयजीवा कम्मुदओ चैव णिरयपाओगो । । सोऊग गिरयदुक्खं तवचरणे होइ जइयव्यं ॥ ६३ ॥ जामंठवणादविए खेत्ते काले तहेव भावे य । एसो उ विभत्तीए णिक्खेवो छबिहो होइ ॥ ६४ ॥ पुढवीफासं अण्णागुवक्कम णिरयवालवहणं च । .. तिमु वेदेन्ति अताणा अणुभागं चेव सेसासु ॥ ६५ ॥ अम्बे अम्बरिसी चेव सामे य सबले वि य । रोद्दोवरुद काले य महाकाले ति आवरे ॥६६॥ . असिपत्ते धणुं कुम्भे वालु वेयरणी वि य । खरस्सरे महाघोसे एवं पनरसाहिया ॥ ६७ ॥ धाडेन्ति य हाडेन्ति विन्धन्ति तह णिसुम्भन्ति । मुञ्चन्ति अम्बरतले अम्बा खलु तत्थ गेरइया ॥ ६८ ॥ ओहयहए य तहियं णिस्सने कप्पणीहि कप्पन्ति । ... विदुलगचडुलगछिन्ने अम्बारिसी तत्थ परइए ॥ ६९ ॥ साडणपाडणतोडण बन्धणरजुल्लयप्पहारहिं । Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः सामा रइयाणं पवत्तयन्ती अपुण्णागं ।। ७० ।। अन्तगयफिफिसागि य हिययं कालेज फुप्फुसे वक्के | सबला रइयाणं केन्ति तर्हि अण्णाणं ॥ ७१ ॥ असिसत्तिकोन्ततोभरमूलतिले सूइचियमासु । पोयन्ति रुदकम्मा उ णरगपाला तहिं रोहा || ७२ ॥ भञ्जन्ति अङ्गमङ्गाणि ऊरुबाहूसिराणि करचरणे । कप्पेति कप्पणीहिं उवरुदा पावकम्मरया || ७३ ॥ मीरा सुण्ठ य कन्नू पयण्ड य पयन्ति । कुम्भीय लोहिए य पयन्ति काला उ णेरइए || ७४॥ कम्पन्ति कागिगीमंसगाणि छिन्दन्ति सीहपुच्छाणि । खावन्ति रइए महकाला पावकम्मरए || ७५ ॥ हत्थे पाए ऊरू बाहुसिरापायअङ्गभङ्गाणि । छिन्दन्ति पगामं तू असि पेरइए निरयपाला || ७६ ॥ कण्णोडगाराकर चरणदरुणडण फुग्गऊरुवाहणं । छेयणमेयणताडन असिपत्तवणूहि पाडन्ति ॥ ७७ ॥ कुम्भीय पयणे य लोहिय य कन्दुलहिकुम्भी । कुम्भीय णरपाला हन्ति पाडन्ति गरएम ॥ ७८ ॥ तडतडतडस्स भजन्ति भञ्जणे कलम्बुवालुगापट्टे | वाल्गा णेइया लोलन्ती अम्बरतलम्भि ।। ७९ । पूयरुहिरकेसडिवाहिणी कलकलेन्तजलसोया । वेयरणिणिरपाला रहए ऊ पाहन्ति ॥ ८० ॥ कमेति करकरहिं तच्छिन्ति परोपरं परमुएहिं । सिम्बलितरुमारुहन्ती खरस्तरा तत्थ पेरइए ।। ८१ ॥ भीए य पलायन्ते समन्ततो तत्थ ते गिरुम्भन्ति । पसुणी जहा पसुवहे महघोसा तत्थ रइए ।। ८२ । १४१. Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः Introduction to 1.6. पाहन्ने महसदो दव्वे खेते य कालभावे य । वीरस्स उ णिक्खेवो चउक्कओ होई णायव्यो ॥ ८३ ॥ थुइणिखेवो चउहा आगन्तुअभूसणेहिं दव्वथुई । भावे सन्ताण गुणाण कित्तणा जे जहिं भणिया ॥ ८४ ॥ पुच्छिसु जम्बुणामो अज सुहम्मा तओ कहेसी य । एव महप्पा वीरो जयमाह तहा जएजाहि ॥ ८५॥ Introduction to 1.7. सीले चउक्क दबे पाउरणाभरणभोयणाईसु । भावे उ ओहसीलं अभिक्खमासेवणा चेव ॥ ८६ ॥ ओहे सांल विरई विरयाविरई य अविरइ असीलं । धम्मे णाणयवाई अपसत्थ अहम्मकोवाइ ॥ ८७ ॥ परिभासिया कुसीला य एत्थ जावन्ति अविरया केई । सुत्ति पसंसा सुद्धो कुत्ति दुगुच्छा अपरिसुद्धो ॥ ८८ ॥ अप्फासुयपडिसेविय णाम भुञ्जो य सीलवाई य । फासु वयन्ति सीलं अफासुया मो अभुञ्जन्ता ॥ ८९ ॥ जह णाम गोयमा चण्डिदेवगा वारिमद्दगा चेव । जे अग्गिहोत्तवाई जलसोयं जे य इच्छन्ति ॥९०॥ Introduction to 1. 8. विरिए छकं दव्वे सच्चित्ताचित्तमीसगं चेव । दुपयचउप्पगअपयं एयं तिविहं तु सञ्चित्तं ॥ ९१ ॥ अचित्तं पुण विरियं आहारावरणपहरणाईसु । जह ओसहीण भणियं विरियं रसवीरियविवागो ॥ ९२ ॥ आवरमे कवयाई चक्काईवं च पहरणे होन्ति । खेत्तम्मि जम्मि खत्ते काले जं जम्मि कालम्मि ॥ ९३ ॥ भावो जीवस्स सीरियस्स विरियम्मि लद्धि णेगविहा । Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४३ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः ओरस्सिन्दियअज्झप्पिएसु बहुसो बहुविहीयं ॥ ९४ ॥ मणवइकाया आणापाणू संभव तहा य संभव्ये । सोत्ताईणं सद्दाइएसु विसएसु गहणं च ॥ ९५ ॥ उज्जमधिइधीरत्तं सोण्डीरत्तं खमा य गम्भीरं । उवओगजोगतवसंजमाइयं होइ अज्झप्पो ॥ ९६ ॥ सव्वं पि य तं तिविहं पण्डिय बालविरियं च मीसं च । अहवा वि होइ दुविहं अगारअणगारियं चेव ॥ ९७ ॥ Com. on-1. 8. 4. सत्थं असिमाईयं विजामन्ते य देवकम्मकयं । पत्थिववारुणअग्गेय वाउ तह भीसगं चेव ॥ ९८ ॥ Introduction to 1. 9. 1. धम्मो पुबुदिट्टो भावधम्मेण एल्थ अहिगारो। एसेव होइ धम्ने एमेव समाहिमग्गो ति ॥ ९९ ॥ णामंठवणाधम्मो दव्यधम्मो य भावधम्मो य । सञ्चित्ताचित्तमीसगनिहत्थदाणे दवियधम्मे ॥१०० ।। लोइयलोउत्तरिओ दुविहो पुण होइ भावधम्मो उ । दुविहो वि दुविहतिविहो पञ्चविहो होइ णायब्बो ॥१०१॥ पासत्थोसण्णकुसील संथवो ण किर वट्टई काउं । सूयगड अज्झयणे धम्मम्मि निकाइयं एयं ॥ १०२॥ Introduction to 1. 10. 1. आयाणपएणापं गोणं णामं पुणो समाहि त्ति । णिक्खिविऊग समाहिं भावसमाहीइ पगयं तु ॥ १०३॥ णामंठवणादविए खेत्ते काले तहेव भावे य । एसो उ समाहीए णिक्खेवो छबिहो होइ ॥ १०४ ॥ पञ्चसु विसपसु सुभेसु दवम्मि ता भवे समाहि त्ति। खेत्तं तु जम्बि खत्ते काले कालो जहिं जो उ ॥ १०५ ॥ Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ सूत्रकृताङ्गनिर्युक्तिः भावसमाहि चविवह दंसणणाणे तवे चरिते य । चउसु वि समाहियप्पा सम्मं चरणडिओ साहू ।। १०६ ॥ Introduction to 1. 11. 1. णामं ठवणा दविए खेत्ते काले तहेव भावे य । एसो खलु मग्गस्त यणिक्खेवो छन्त्रिहो होइ ॥ १०७॥ फलगलयन्दोलणवित्तरखुदवणचिलपासमग्गे य । खीलगअपक्खिप छत्तजलाकासदव्वम्मि ।। १०८ ।। खेत्तम्मि जम्मि काले कालो जहिं हवइ जो उ । भावम्मि हो दुविहो सत्थ तह अप्पसत्यो य ।। १०९॥ दुहिम वितिगो ओ तस्स उ विणिच्छओ दुविहो ।! सुगइफलदुग्गड़फलो पगयं सुगईफलेणित्थं ॥ ११० ॥ दुग्गइफलवाणं तिणि तिसट्टा सयाइ वाईणं । खेमे य खेमरूवे चउक्कगं मग्गमाइ ॥ १११ ॥ सम्मप्पणिओ मग्गो णाणे तह दंसणे चरिते य । चरगपरिव्वायाईचिण्णो मिच्छत्तमग्गो उ ॥ ११२ ॥ इरिससायगुरुया छज्जीवनिकायधाय निरया य । जे उवदिसन्ति भग्गं कुमग्गमग्गस्सिया ते उ ।। ११३॥ तवसंजम पहाणा गुणधारी जे वयन्ति सब्भावं । सव्वजगजीवहियं तमाहु सम्मप्पणीयामणं ।। ११४ ॥ पन्थो मग्गो गाओ विहि धिड़ सुगई हियं तह सुहं च । पत्थं सेयं निव्वुइ निव्वाणं सिवकरं चैव ।। ११५ ।। Introduction to 1. 12. 1. समवसरणे व छकं सच्चित्ताचित्तसगं दव्वे | खेम्म जम्मि खेते काले जं जम्मि कालम्मि ।। ११६ ॥ भावसमासरणं पुण णायव्वं छव्हिम्मि भावम्मि । अहवा कर अकिरिया अन्नाणी चैव वेणइया ॥ ११७ ॥ Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गानयुक्तिः अस्थि त्ति किरियवाई वयन्ति नत्थि त्तिकिरियवाई य । अन्नाणी अन्नाणं विणइत्ता वेणइयवाई ॥११८ ॥ आसियसयं किरियाणं अकिरियाणं च होइ चुलसीई । अन्नाणिय सत्तही वेणइयाणं च बत्तीसा ॥ ११९ ॥ तेसि मताणुमएणं पन्नवणा वण्णिया इहज्झयणे । सब्भावणिच्छयत्थं समोसरणमाहु तेणं तु ॥ १२० ॥ सम्मदिट्टी किरियावाई मिच्छा य सेसगा वाई । जहिऊग मिच्छवायं सेवह वायं इमं सच्चं ॥ १२१ ॥ Introduction to 1. 13. 1. णामतहं ठवणतहं दव्यतह चेव होइ भावतहं । दव्यतह पुण जो जस्स सभावो होइ दव्वस्स ॥१२२ ॥ भावतहं पुण नियमा णायव्वं छबिहम्मि भावम्मि । अहवा वि नाणसणचरित्तविणएण अज्झप्पे ॥ १२३ ॥ जह सुत्तं तह अत्थो चरणं चारो तह ति णायव्यं । सन्तम्मि पसंसाए असई पगयं दुगुच्छाए । १२४ ॥ आयरियपरंपरएण आगयं जो उ छेयबुद्धीए । कोवेइ छेयवाई जमालिनासं स णासिहिइ ॥ १२५ ॥ ण करेइ दुक्खमक्खिं उअममागो वि संजमतवेसुं । तम्हा अनुक्करिसो वञ्जअव्या जइजणणं ॥ १२६ ॥ Introduction to 1. 14. 1. गन्थो पुबुद्दिवो दुविहो मिस्सो य होइ णायव्यो । पव्यावण सिक्खावण पगयं सिक्खावणाए उ ॥ १२७ ॥ सो सिक्खगो य दुविहो गहणे आसेवाणाय णायव्यो । गहणम्भि होइ तिविहो मुत्ते अत्थे तदुभए य ।। १२८ ॥ आसेवणाय दुविहो मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य। मूलगुणे पञ्चविहो उत्तरगुण बारसविहो उ ॥ १२९ ॥ रायगडं...१० Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६ सूत्रकृताङ्गनिर्युक्तिः आयरिओ यि दुविहो पव्वावन्तो व सिक्खवन्तो य । सिक्खावन्तो दुवि गहणे आसेवणे चैव ॥ १३० ॥ गाहावेतो तिविहो सुत्ते अत्थे य तदुभए चेव । मूलगुण उत्तरगुणे दुविहो आसेवणाए उ ।। १३१ ॥ Introduction to 1. 15. 1. आयाणे गहणम्मि यणिक्खेवो होइ दोण्ह वि चउको । एग नागडं च हो गयं तु आयाणे || १३२ ॥ जं पढमस्सन्तिमए बिइयस्स उ तं हवेज आदिम्मि एएणायाणि एसो अन्नो वि पंजाओ ।। १३३ । णामाई ठवणाई दव्बाई चैव होइ भावाई । दव्वाई पुण दव्वस्त जो सभावो सए ठाणे ।। १३४ ॥ आगमणोआगमओ भावाई तं बुहा उवदिसन्ति । गोआगमओ भावो पञ्चवविहो होइ णायव्वो ।। १३५ ।। आगमओ पुण आदी गणिपिडगं होइ बारस तु । गन्धसिलोगो पदपाद अक्खराई च तत्थादी ।। १३६ ।। Introduction to 1. 16. 1. णामंठवणागाहा दव्वगाहा य भावगाहा य । पोत्थगपत्तगलिहिया सा होई दव्वगाहा उ ।। १३७ ॥ होइ पुण भावगाहा सागारुवओगभावणिष्फन्ना । महुराभिहाणजुत्ता तेणं गाह त्तिणं बिन्ति ।। १३८ ॥ गाहीका व अत्था अहव ण सामुद्दएण छन्देणं । एए होइ गाहा एसो अन्नो वि पजाओ ।। १३९ ॥ पण्णरससु अज्झयणेसु पिण्डियत्थेसु जो अवितह त्ति । पिण्डियवयणेण त्थं गts तम्हा तओ गाहा ।। १४० ॥ सोलसमे अज्झयणे अणगारगुणाण वण्णणा भणिया । गाहासोलसणामं अज्झयणमिणं ववदिसन्ति ।। १४१ ॥ Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः १४७ Introduction to 2 1. 1. णामंठवणादविए खेत्ते काले तहेव भावे य । एसो खलु महतम्मि निक्खेवो छविहो होइ ॥ १४२ ॥ णामंठवणादविए खेत्ते काले तहेव भावे य । एसो खलु अज्झयणे निक्खेवो छबिहो होइ ॥१४३ ॥ णामंठवणादविए खेत्ते काले य गगण संठाणे । भावे य अहमे खलु णिक्खेवो पोण्डरीयस्स ॥ १४४ ॥ जो जीवो भविओ खलुववजिकामो य पुण्डरीयम्मि । सो दव्वपुण्डरीओ भावम्मि विजाणओ भणिओ ॥ १४५ ॥ एगभविए य बद्धाउए य अभिमुहियनामगोए य । एए तिण्णि वि देसा दव्वम्मि य पोण्डरीयस्स ॥१४६ ॥ तेरिच्छिया मणुस्सा देवगणा चेव होन्ति जे पवरा । ते होन्ति पुण्डरीया सेसा पुण कण्डरीया उ ॥१४७॥ जलयर थलयर खयरा जे पवरा चेव होन्ति कन्ता य । जे य सभावेऽणुमया ते होन्ति पोण्डरीया उ ॥ १४८ ॥ अरिहन्त चकवट्टी चारण विजाहरा दसारा य । जे अन्न इड्डिमन्ता ते होन्ति पोण्डरीया उ ॥ १४९ ॥ भवणवइवाणमन्तरजोइसवेमाणियाण देवाणं । जे तेसिं पवरा खलु ते होन्ति पोण्डरीया उ ॥ १५० ॥ कंसाणं दूसाणं मणिमोत्तियसिलपवालमाईणं । जे य अचित्ता पवरा ते होन्ति पोण्डरीया उ ॥ १५१ ॥ जाई खेताई खलु सहाणुभावाइ होन्ति लोगम्मि । देवकुरुमाइयाई ताई खेत्ताइँ पवराई ॥ १५२ ॥ जीवा भवहिईए कायठिईए य होन्ति जे पवरा । ते होन्ति पोण्डरीया अवसेसा कण्डरीया उ ॥ १५३ ।। गणणाए रज्जू खलु संठाणं चेव होन्ति चउरंसं । Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .१४८ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः एयाइँ पोण्डरीयाइ होन्ति सेसाइँ इयराइं ॥ १५४ ॥ ओदइए उवसमिए खइए य तहा खओवसमिए य । परिणामसंनिवाए जे पवरा ते वि ते चेव ॥ १५५॥ अहवा वि नाणदंसणचरित्तविणए तहेव अज्झप्पे । . जे पवरा होन्ति मुणी ते पवरा पुण्डरीया उ॥१५६ ॥ . एत्थं पुण अहिगारों वणस्सइकायपुण्डरीएणं । भावम्मि य समणेणं अज्झयणे पोण्डरीयम्मि ॥ १५७.॥' . . . Summary of 2. 1. उवमा य पोण्डरीए तस्सेव य उवचएण निजुत्ती ।। अधिगारो पुण भणिओं जिणोवदेसेण सिद्धि ति ॥ १५८ ॥ सुरमणुयतिरियनिरओवङ्गे मणुया पहू चरित्तम्भि। अवि य महाजणनेय त्ति चकवट्टिम्मि अधिगारो ॥ १५९ ॥ अवि य हु भारियकम्मा नियमा उक्कस्सनिरयठिइगामी । ते वि हु जिणोवएसेण तेणेव भवेण सिज्झन्ति ॥१६० ॥ जलमालकद्दमालं बहुविहवल्लिगहणं च पुक्खरिणि । जंघाहि व बाहाहि व नावाहि व तं दुरवगाहं ॥ १६१ ॥ पउमं उल्लंघेत्तुं ओयरमाणस्स होइ वावत्ती।... किं नत्थि से उवाओ जेणुल्लंघेज अविवन्नो ॥१६२ ॥ विजा व देवकम्मं अहवा आगासिया विउव्वणया। पउमं उल्लंघेत्तुं न एस इणमो जिणक्खाओ ॥ १६३ ॥ सुद्धप्पओगविजा सिद्धा उ जिणस जाणणा विजा। , भवियजणपोण्डरीया उ जाए सिद्धिगतिमुवन्ति ॥ १६४ ॥ Introduction to 2:2. किरियाओ भणियाओ किरियाठाणं ति तण अज्झयणं । अहिगारो पुण भणिओ बन्धे तह मोक्खमग्गे य ॥ १६५ ॥ दव्वे किरिएजणया य पयोगुवायकरणिजसमुयाणे । ; Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः १४९ इरियावहसंमत्ते सम्मामिच्छा य मिच्छत्ते ॥ १६६ ॥ नामं ठवणा दविए खेत्तेऽद्धा उड्ड उवरई वसही । संजमपग्गहजोहे अचलगणण संधणा भावे ॥१६७ ॥ समुयाणियाणिह तओ सम्मपउत्ते य भावठाणम्मि । . किरियाहि पुरिस पावाइए उ सव्वे परिक्खेजा ॥ १६८ ॥ Introduction to 2. 3. नामंठवणादविए खेत्ते भावे य होइ बोदव्यो । एसो खलु आहारे निक्खेवो होइ पञ्चविहो ॥ १६९ ॥ दव्वे सञ्चित्ताई खेत्ते नयरस्स जणवओ होइ। भावाहारो तिविहो ओए लोमे य पक्खेवे ॥ १७०॥ सरीरेणोयाहारो तयाय फासेण लोमआहारो । पक्खेवाहारो पुण कावलिओ होइ नायव्यो ।। १७१ ॥ ओयाहारा जीवा सब्चे अप्पजत्तगा मुणेयव्वा । पञ्जत्तगा य लोमे पक्खेवे होन्ति नायव्वा ।। १७२ ।। एगिन्दियदेवाणं नेरझ्याणं च नत्थि पक्खेवो । सेसाणं पक्खेवो संसारत्थाण जीवाणं ॥ १७३ ॥ एकं च दो व समए तिण्णि व समए मुहुत्तमद्धं वा । साईयमनिहणं पुण कालमणाहारगा जीवा ॥ १७४ ॥ एकं च दो व समए केवलिपरिवज्जिया अणाहारा । . मन्थम्मि दोणि लोए य पूरिए तिण्णि समया उ ॥ १७५ ॥ अन्तोमुहुत्तमद्धं सेलेसीए भवे अणाहारा । साईयमनिहणं पुण सिद्धा यणहारगा होन्ति ॥ १७६ ॥ जोएण कम्मएणं आहारेई अणन्तरं जीवो । तेण परं मासेणं जाव सरीसस्स निष्फत्ती ॥ १७७ ॥ णामं ठवणपरिन्ना दबे भावे य होइ नायव्वा । दव्वपरिन्ना तिविहा भावपारिन्ना भवें दुविहा ॥ १७८ ॥ Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५० सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः Introduction to 2. 4. णामंठवणादविए अइच्छ पडिसेहए य भावे य । एसो पञ्चक्खाणस्स छबिहो होइ निक्खेवो ॥ १७९ ॥ मूलगुणेसु य पगयं पञ्चक्खाणे इह अधीगारो । होज हु तप्पञ्चझ्या अप्पचक्खाणकिरिया उ ॥ १८० ॥ . ___Introduction to 2.5. णामंठवणायारे दव्वे भावे य होइ नायव्यो । एमेव य सुत्तस्सा निक्लेवों चउविहो होइ ॥ १८१॥ आयारसुयं भणियं वजेयया सया अणायारा । अबहुसुयस्य हु होज विराहणा इत्थ जइयव् ॥ १८२ ॥ एयस्स उ पडिसेहो इहमज्झयणम्मि होइ नायव्यो । तो अणगारसुयं ति य होई नामं तु एयस्स ॥ १८३ ॥ Introduction to 2.6. नामंठवणाअई दव्वदं चेव होइ भावदं । एसो खलु अद्दस्स उ निक्लेवों चउध्विहो होइ ॥ १८४ ॥ उदगई सारदं छवियद्द वसद्द तह सिलेसदं । एवं दवई खलु भावणं होइ रागदं ॥ १८५ ॥ एगभवियबद्धाउए य अभिमुहए य नामगोए य । एए तिणि पगारा दव्वद्दे होन्ति नायव्वा ॥ १८६ ॥ अद्दपुरे अद्दसुतो नामेणं अद्दओ ति अणगारो । सत्तो समुडियंमिणं अज्झयणं अद्दइज ति ॥ १८७ ॥ कामं दुवालसङ्गं जिणवयणं सासयं महाभागं । सव्वज्ञयणा तहा सव्वक्खरसंनिवाया य ॥ १८८ ॥ तह वि य कोई अत्थो उप्पजइ तम्मि समयम्मि । पुन्यभणिओ अणुमओ य होइ इसिभासिएसु जहा ॥ १८९॥ Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः १५१ Story of Adda. अञ्जद्दएण गोसालभिक्खुबम्भवईतिदण्डीणं । जह हत्थितावसाणं कहियं इणमो तहा वोच्छं ॥ १९० ॥ गामे वसन्तपुरए सामइओ घरणिसहिओं निक्खन्तो । भिक्खायरियादिहा ओहासियभत्तवेहासं ॥ १९१ ॥ संवेगसमावन्नो माई भत्तं चइत्तु दियलोए । चद्दऊणं अद्दपुरे अद्दसुओ अद्दओ जाओ ॥ १९२ ॥ पीई य दोण्ह दूओ पुच्छणमभयस्स पहवे सो वि । तेणावि सम्मदिहि ति होज पडिमा रहम्मि गया ॥ १९३ ॥ दटुं संबुद्धो रक्सिओ य आसाण वाहण पलाओ । पव्वावन्तो धरिओ रजं न करेई को अन्नो ॥ १९४ ॥ अगणिन्तो निक्खन्तो विहरइ पडिमाइ दारिगा वरिओ। सुवण्णवसुहाराओ रन्नो कहणं च देवीए ॥ १९५ ॥ तं नेइ पिया तीसे पुच्छण कहणं च वरण दोवारे । जाणाहि वायबिम्बं आगमणं कहण निग्गमणं ॥ १९६ ॥ पडिमागयस्समीचे सप्परिवारा अभिक्ख पडिवयणं । भोगा सुयाण पुच्छण सुयबन्ध पुण्णे य निग्गमणं ॥ १९७॥ रायगिहागम चोरा रायभया कहण तेसि दिक्खा य । गोसालभिक्खुवम्भी तिदण्डिया ताबसेहि सह वाओ ॥ १९८॥ वाए पराइइत्ता सव्वे वि य सरणमभुगया ते। अगसहिया सव्ये जिणवीरसगासे निक्खन्ता ॥ १९९ ॥ ण दुक्करं वा णरपासमोयणं गयस्त मत्तस्स वणम्मि रायं । जहा उवत्तावलिएण तन्तुणा सुदुक्करं मे पडिहाइ मोयणं ॥२०॥ Introduction to 2.7. णामअलं ठवणअलं दव्यअलं चेव होइ भावअलं । एसो अलगदम्मि उ निक्खेवा चउविहो होइ ॥ २०१॥ Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः पञ्जत्तीभावे खलु पढमों वीओ भवे अलंकारे / तइयो ऊ पडिसेहे अलसद्दो होइ नायव्वो // 202 // ! पडिसेहणगारस्सा इत्थीसद्देण चेव अलसद्दो / रायगिहे नयरम्मी नालन्दा होइ बाहिरिया // 203 // नालन्दाएँ समीवे मणोरहे भासि इन्दभूइणा उ / अज्झयणं उदगस्स उ एयं नालन्दइजं. तु // 204 // Conclusion of 2. 7. पासावच्चिजो पुच्छियाइओ अजगोयमं उदगो / सावगपुच्छा धम्म सोउं कहियम्मि उवसन्ता // 205 //