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________________ ML सूयगडम्मि [1. 4. 1. 27जउकुम्भे जोइउवगूढे आसुभितत्ते नासमुवयाइ । एवित्थियाहि अणगारा संवासेण नासमुवयन्ति ॥ २७ ॥ कुव्वन्ति पावगं कम्म पुट्ठा वेगेवमाहिंसु । नो हं करेमि पावं ति अंकेसाइणी ममेस त्ति ॥ २८ ॥ बालस्स मन्दयं बीयं जं च कडं अवजाणइ भुजो । दुगुणं करेइ से पावं पूयणकामो विसनेसी ॥ २९ ॥ संलोकणिजमणगारं आयगयं निमन्तणेणाहंसु । वत्थं च ताइ पायं वा अन्नं पाणगं पडिग्गाहे ॥ ३० ॥ नीवारमेवं बुज्झेजा नो इच्छे अगारमागन्तुं । बढे विसयपासेहिं मोहमावजइ पुणो मन्दे ॥ ३१ ॥ त्ति बेमि ॥ इत्थिपरिन्नज्झयणे पढमुद्देसे ___1. 4. 2. ओए सया न रजेजा भोगकामी पुणो विरजेजा । भोगे समणाण सुणेह जह भुञ्जन्ति भिक्खुणो एगे ॥१॥ अह तं तु भेयमावन्नं मुच्छियं भिक्खु काममइवढें । पलिभिन्दिया णं तो पच्छा पादुटु मुद्धि पहणन्ति ॥ २॥ जइ केसिया णं मए भिक्खु नो विहरे सह णमित्थीए । केसाणवि हं लुचिस्सं नन्नत्थ मए चरेजासि ॥३॥ अह णं से होइ उवलद्धो तो पेसन्ति तहाभूएहिं । अलाउच्छेयं पेहेहि वग्गुफलाई आहराहि त्ति ॥ ४ ॥ दारूणि सागपागाए पजोओ वा भविस्सई राओ । पायाणि य मे रयावेहि एहि ता मे पिडओमद्दे ॥ ५ ॥
SR No.002352
Book TitleSuyagadam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherMotilal Sheth
Publication Year1928
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size10 MB
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