________________
सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः
१४७
Introduction to 2 1. 1.
णामंठवणादविए खेत्ते काले तहेव भावे य । एसो खलु महतम्मि निक्खेवो छविहो होइ ॥ १४२ ॥ णामंठवणादविए खेत्ते काले तहेव भावे य । एसो खलु अज्झयणे निक्खेवो छबिहो होइ ॥१४३ ॥ णामंठवणादविए खेत्ते काले य गगण संठाणे । भावे य अहमे खलु णिक्खेवो पोण्डरीयस्स ॥ १४४ ॥ जो जीवो भविओ खलुववजिकामो य पुण्डरीयम्मि । सो दव्वपुण्डरीओ भावम्मि विजाणओ भणिओ ॥ १४५ ॥ एगभविए य बद्धाउए य अभिमुहियनामगोए य । एए तिण्णि वि देसा दव्वम्मि य पोण्डरीयस्स ॥१४६ ॥ तेरिच्छिया मणुस्सा देवगणा चेव होन्ति जे पवरा । ते होन्ति पुण्डरीया सेसा पुण कण्डरीया उ ॥१४७॥ जलयर थलयर खयरा जे पवरा चेव होन्ति कन्ता य । जे य सभावेऽणुमया ते होन्ति पोण्डरीया उ ॥ १४८ ॥ अरिहन्त चकवट्टी चारण विजाहरा दसारा य । जे अन्न इड्डिमन्ता ते होन्ति पोण्डरीया उ ॥ १४९ ॥ भवणवइवाणमन्तरजोइसवेमाणियाण देवाणं । जे तेसिं पवरा खलु ते होन्ति पोण्डरीया उ ॥ १५० ॥ कंसाणं दूसाणं मणिमोत्तियसिलपवालमाईणं । जे य अचित्ता पवरा ते होन्ति पोण्डरीया उ ॥ १५१ ॥ जाई खेताई खलु सहाणुभावाइ होन्ति लोगम्मि । देवकुरुमाइयाई ताई खेत्ताइँ पवराई ॥ १५२ ॥ जीवा भवहिईए कायठिईए य होन्ति जे पवरा । ते होन्ति पोण्डरीया अवसेसा कण्डरीया उ ॥ १५३ ।। गणणाए रज्जू खलु संठाणं चेव होन्ति चउरंसं ।