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सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः एयाइँ पोण्डरीयाइ होन्ति सेसाइँ इयराइं ॥ १५४ ॥ ओदइए उवसमिए खइए य तहा खओवसमिए य । परिणामसंनिवाए जे पवरा ते वि ते चेव ॥ १५५॥ अहवा वि नाणदंसणचरित्तविणए तहेव अज्झप्पे । . जे पवरा होन्ति मुणी ते पवरा पुण्डरीया उ॥१५६ ॥ . एत्थं पुण अहिगारों वणस्सइकायपुण्डरीएणं । भावम्मि य समणेणं अज्झयणे पोण्डरीयम्मि ॥ १५७.॥'
. . . Summary of 2. 1. उवमा य पोण्डरीए तस्सेव य उवचएण निजुत्ती ।। अधिगारो पुण भणिओं जिणोवदेसेण सिद्धि ति ॥ १५८ ॥ सुरमणुयतिरियनिरओवङ्गे मणुया पहू चरित्तम्भि। अवि य महाजणनेय त्ति चकवट्टिम्मि अधिगारो ॥ १५९ ॥ अवि य हु भारियकम्मा नियमा उक्कस्सनिरयठिइगामी । ते वि हु जिणोवएसेण तेणेव भवेण सिज्झन्ति ॥१६० ॥ जलमालकद्दमालं बहुविहवल्लिगहणं च पुक्खरिणि । जंघाहि व बाहाहि व नावाहि व तं दुरवगाहं ॥ १६१ ॥ पउमं उल्लंघेत्तुं ओयरमाणस्स होइ वावत्ती।... किं नत्थि से उवाओ जेणुल्लंघेज अविवन्नो ॥१६२ ॥ विजा व देवकम्मं अहवा आगासिया विउव्वणया। पउमं उल्लंघेत्तुं न एस इणमो जिणक्खाओ ॥ १६३ ॥ सुद्धप्पओगविजा सिद्धा उ जिणस जाणणा विजा। , भवियजणपोण्डरीया उ जाए सिद्धिगतिमुवन्ति ॥ १६४ ॥
Introduction to 2:2. किरियाओ भणियाओ किरियाठाणं ति तण अज्झयणं । अहिगारो पुण भणिओ बन्धे तह मोक्खमग्गे य ॥ १६५ ॥ दव्वे किरिएजणया य पयोगुवायकरणिजसमुयाणे । ;