________________
सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः
१४९ इरियावहसंमत्ते सम्मामिच्छा य मिच्छत्ते ॥ १६६ ॥ नामं ठवणा दविए खेत्तेऽद्धा उड्ड उवरई वसही । संजमपग्गहजोहे अचलगणण संधणा भावे ॥१६७ ॥ समुयाणियाणिह तओ सम्मपउत्ते य भावठाणम्मि । . किरियाहि पुरिस पावाइए उ सव्वे परिक्खेजा ॥ १६८ ॥
Introduction to 2. 3. नामंठवणादविए खेत्ते भावे य होइ बोदव्यो । एसो खलु आहारे निक्खेवो होइ पञ्चविहो ॥ १६९ ॥ दव्वे सञ्चित्ताई खेत्ते नयरस्स जणवओ होइ। भावाहारो तिविहो ओए लोमे य पक्खेवे ॥ १७०॥ सरीरेणोयाहारो तयाय फासेण लोमआहारो । पक्खेवाहारो पुण कावलिओ होइ नायव्यो ।। १७१ ॥ ओयाहारा जीवा सब्चे अप्पजत्तगा मुणेयव्वा । पञ्जत्तगा य लोमे पक्खेवे होन्ति नायव्वा ।। १७२ ।। एगिन्दियदेवाणं नेरझ्याणं च नत्थि पक्खेवो । सेसाणं पक्खेवो संसारत्थाण जीवाणं ॥ १७३ ॥ एकं च दो व समए तिण्णि व समए मुहुत्तमद्धं वा । साईयमनिहणं पुण कालमणाहारगा जीवा ॥ १७४ ॥ एकं च दो व समए केवलिपरिवज्जिया अणाहारा । . मन्थम्मि दोणि लोए य पूरिए तिण्णि समया उ ॥ १७५ ॥ अन्तोमुहुत्तमद्धं सेलेसीए भवे अणाहारा । साईयमनिहणं पुण सिद्धा यणहारगा होन्ति ॥ १७६ ॥ जोएण कम्मएणं आहारेई अणन्तरं जीवो । तेण परं मासेणं जाव सरीसस्स निष्फत्ती ॥ १७७ ॥ णामं ठवणपरिन्ना दबे भावे य होइ नायव्वा । दव्वपरिन्ना तिविहा भावपारिन्ना भवें दुविहा ॥ १७८ ॥