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सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः
Introduction to 2. 4. णामंठवणादविए अइच्छ पडिसेहए य भावे य । एसो पञ्चक्खाणस्स छबिहो होइ निक्खेवो ॥ १७९ ॥ मूलगुणेसु य पगयं पञ्चक्खाणे इह अधीगारो । होज हु तप्पञ्चझ्या अप्पचक्खाणकिरिया उ ॥ १८० ॥ .
___Introduction to 2.5. णामंठवणायारे दव्वे भावे य होइ नायव्यो । एमेव य सुत्तस्सा निक्लेवों चउविहो होइ ॥ १८१॥ आयारसुयं भणियं वजेयया सया अणायारा । अबहुसुयस्य हु होज विराहणा इत्थ जइयव् ॥ १८२ ॥ एयस्स उ पडिसेहो इहमज्झयणम्मि होइ नायव्यो । तो अणगारसुयं ति य होई नामं तु एयस्स ॥ १८३ ॥
Introduction to 2.6. नामंठवणाअई दव्वदं चेव होइ भावदं । एसो खलु अद्दस्स उ निक्लेवों चउध्विहो होइ ॥ १८४ ॥ उदगई सारदं छवियद्द वसद्द तह सिलेसदं । एवं दवई खलु भावणं होइ रागदं ॥ १८५ ॥ एगभवियबद्धाउए य अभिमुहए य नामगोए य । एए तिणि पगारा दव्वद्दे होन्ति नायव्वा ॥ १८६ ॥ अद्दपुरे अद्दसुतो नामेणं अद्दओ ति अणगारो । सत्तो समुडियंमिणं अज्झयणं अद्दइज ति ॥ १८७ ॥ कामं दुवालसङ्गं जिणवयणं सासयं महाभागं । सव्वज्ञयणा तहा सव्वक्खरसंनिवाया य ॥ १८८ ॥ तह वि य कोई अत्थो उप्पजइ तम्मि समयम्मि । पुन्यभणिओ अणुमओ य होइ इसिभासिएसु जहा ॥ १८९॥