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सूयगडम्मि कुसीलपरिभासियज्झयणे सत्तमे
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पुढवी य आऊ अगणी य वाऊ तण रुक्ख बीया य तसा य पाणा.। जे अण्डया जे य जराउ पाणा संसेयया जे रसयाभिहाणा ॥१॥ एयाइँ कायाइँ पवेड्याई एएसु जाणे पडिलेह सायं । एएण कारण य आयदण्डे एएसु या विप्परियासुवेन्ति ॥२॥ जाईपहं अणुपरिवट्टमाणे तसथावरेहिं विणिघायमेइ । से जाइ जाई बहुकूरकम्मे जं कुबई भिजइ तेण वाले ॥ ३ ॥ अस्सि च लोए अदु वा परत्था सयग्गसो वा तह अन्नहा वा । संसारमावन परं परं ते बन्धन्ति वेयन्ति य दुन्नियाणि ॥ ४ ॥ जे मायरं वा पियरं च हिचा समणबए अगणि समारभिजा । अहाहु से लोएँ कुसीलधम्मे भूयाइँ जे हिंसइ आयसाए ॥ ५ ॥ उजालओ पाण निवायएजा निव्वावओ अगणि निवायवेजा । तम्हा उ मेहावि समिक्ख धम्मं न पण्डिए अगणि समारभिजा ॥ ६॥ पुढवी वि जीवा आऊ वि जीवा पाणा य संपाइम संपयन्ति । संसेयया कहसमस्सिया य एए दहे अगणि समारभन्ते ॥ ७ ॥ हरियाणि भूयाणि विलम्बगाणि आहार देहा य पुढो सियाइ । जे छिन्दई आयसुहं पडुच्च पागब्भि पाणे बहुणं तिवाई ॥ ८॥ जाइं च बुद्धिं च विणासयन्ते बीयाइ अस्संजय आयदण्डे । अहाहु से लोएँ अणजधम्मे बीयाइ से हिंसइ आयसाए ॥ ९ ॥ गब्भाइ मिजन्ति बुयाबुयाणा नरा परे पञ्चसिहा कुमारा । जुवाणगा मज्झिम थेरगा य चयन्ति ते आउखए पलीणा ॥ १० ॥