________________
1. 3. 2.2.] उवसग्गज्झयणे
अप्पेगे पडिभासन्ति पडिपन्थियमागया । पडियारगया एए जे एए एवजीविणो ॥९॥ अप्पेगे वइ जुञ्जन्ति नगिणा पिण्डोलगाहमा । मुण्डा कण्डूविणहङ्गा उजला असमाहिया ॥ १० ॥ एवं विप्पडिवन्नेगे अप्पणा उ अजाणया । तमाओ ते तमं जन्ति मन्दा मोहेण पावुडा ॥ ११ ॥ पुट्ठो य दंसमसगेहिं तणफासमचाइया । । न मे दिढे परे लोए जइ परं मरणं सिया ॥ १२ ॥ संतत्ता केसलोएणं बम्भचेरपराइया । तत्थ मन्दा विसीयन्ति मच्छा विट्ठा व केयणे ।। १३॥ आयदण्डसमायारे मिच्छासंठियभावणा । हरिसप्पओसमावन्ना केई लूसन्तिनारिया ॥ १४ ॥ अप्पेगे पलियन्तेसिं चारो चोरो त्ति सुव्वयं । बन्धन्ति भिक्खुयं बाला कसायवयणेहि य ॥ १५ ॥ तत्थ दण्डेण संवीते मुट्टिणा अदु फलेण वा । नाईणं सरई बाले इत्थी वा कुद्धगामिणी ॥ १६ ॥ एए भो कसिणा फासा फरुसा दुरहियासया । हत्थी वा सरसंवित्ता कीवावस गया गिहं ॥ १७॥
ति बेमि ॥ उवसग्गज्झयणे पढमुद्देसे
1. 3. 2. अहिमे सुहुमा संगा भिक्खूणं जे दुरुत्तरा । जत्थ एगे विसीयन्ति न चयन्ति जवित्तए ॥१॥ अप्पेगे नायगा दिस्स रोयन्ति परिवारिया । पोस णे ताय पुट्टो सि कस्स ताय जहासि णे ॥ २ ॥