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________________ २६ सुयगडम्मि [1. 4. 1.3पासे भिसं निसीयन्ति अभिक्खणं पोसवत्थं परिहिन्ति । कायं अहे वि दंसन्ति बाहू उद्दट्ट कक्खमणुव्वए ॥ ३ ॥ सयणासणेहि जोगेहि इथियो एगया निमन्तेन्ति । एयाणि चेव से जाणे पासाणि विरूवरूवाणि ॥ ४ ॥ नो तासु चक्खु संधेजा नो वि य साहसं समभिजाणे । . नो सहियं पि विहरेजा एवमप्या सुरक्खिओ होइ ॥ ५ ॥ आमन्तिय उस्सविया भिक्खुं आयसा निमन्तेन्ति । एयाणि चेव से जाणे सदाणि विरूवरूवाणि ॥ ६ ॥ मणबन्धणेहि णेगेहिं कलुणविणीयमुवगसित्ताणं । अदु मञ्जुलाइँ भासन्ति आणवयन्ति भिन्नकहाहिं ॥ ७ ॥ सीहं जहा व कुणिमेणं निभयमेगचरं ति पासेणं । एवित्थियाउ बन्धन्ति संवुडं एगइयमणगारं ॥ ८ ॥ अह तत्थ पुणो नमयन्ती रहकारो व नेमि आणुपुब्बीए । बद्धो भिए व पासेणं फन्दन्ते वि न मुच्चए ताहे ॥ ९ ॥ अह सेऽणुतप्पई पच्छा भोचा पायसं व विसमिस्सं । एवं विवेगमायाय संवासो न वि कप्पए दविए ॥ १० ॥ तम्हा उ वजए इत्थी विसलितं व कण्टगं नच्चा । ओए कुलाणि वसवत्ती आघाए न से वि निग्गन्थे ॥ ११ ॥ जे एयं उञ्छं अणुगिद्धा अन्नयरा होन्ति कुसीलाणं । सुतवास्सिए वि से भिक्खू नो विहरे सह णमित्थीसु ॥ १२ ॥ अवि धूयराहि सुण्हाहिं धाईहिं अदुव दासीहिं । महईहि वा कुमारीहिं संथवं से न कुजा अणगारे ॥ १३ ॥ अदु नाइणं च सुहीणं वा अप्पियं दडु एगया होइ । '', गिद्धा सत्ता कामेहिं रक्खणपोसणे मणुस्सोऽसि ॥ १४ ॥
SR No.002352
Book TitleSuyagadam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherMotilal Sheth
Publication Year1928
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size10 MB
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