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________________ 2. 2. 2(0). 26.] किरियाठाणज्झयणे ९३ तओ अप्पडिविरया जावजीवाए । से जहानामए केइ पुरिसे कलममसूरतिलमुग्गमासनिष्फावकुलत्थआलिसन्दगपलिमन्थगमादिएहिं अयन्ते कूरे मिच्छादण्डं पउञ्जति, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए तित्तिरवगलावगकोयकविजलमियमहिसवराहगाहगोहकुम्भसिरिसिवमादिएहिं अयन्ते कूरे मिच्छादण्डं पउञ्जन्ति । जा वि य से बाहिरिया परिसा भवइ, तं जहा-दासे ३ वा पेसे इ वा भयए इ वा भाइले इ वा कम्मकरए इ वा भोगपुरिसे इ वा तेसि पि य णं अन्नयंरसि अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गरुयं दण्डं निवत्तेइ । तं जहा-इमं दण्डेह इमं मुण्डेह इमं तजेह इमं तालेह इमं अदुयबन्धणं करेह इमं नियलबन्धणं करेह इमं हड्डिवन्धणं करेह इन चारगबन्धणं करेह इमं नियलजुयलसंकोधियमोडियं करेह इमं हत्थच्छिन्नयं करेह इमं पायच्छिन्नयं करेह इमं कण्णछिन्नहं करेह इमं नक्कओहसीसमुहछिन्नयं करेह वेयगच्छहियं अङ्गच्छहियं पक्खाकोडियं करेह इमं नयगुप्पाडियं करेह इमं दसणुप्पाडियं वसणुप्पाडियं जिभुपाडियं ओलम्वियं करेह घसियं करेह घोलियं करह सूलाइयं करेह मूलभिन्नयं करेह खारवत्तियं करेह वज्झवत्तियं करेह सीहपुच्छियगं करेह वसभपुच्छियगं कोह दवग्गिदड्डयङ्गं कागणिमंसखावियङ्गं भत्तपाणनिरुद्वगं इमं जावजीवं वहबन्धणं करेह इमं अन्नयरेण असुभेणं कुमारणं मारेह । जा वि य से अब्भिन्तरिया परिसा भवइ, तं जहा-भाया इ वा पिया इ वा भाया इ वा भगिणी इ वा भञ्जा ३ वा पुत्ता इ वा धया इ वा सुम्हा इ वा, तेसि पि य णं अन्नयरंस अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गत्यं दण्डं निवत्तेइ, सीओदगवियडसि उच्छोलित्ता मवई जहा मित्तदोसवत्तिए जाव अहिए परंस लोगसि । ते दुक्खन्ति सोयन्ति जूरन्ति तिप्पाति पिट्टन्ति परितप्पन्ति ते दुक्खणसोयणजूरणतिप्पणपिट्टणपरितप्पणवहबन्धणपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया भवन्ति । एवमेव ते इन्थिकामेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया अझोववन्ना जाव वासा चउपञ्चमाई छदसमाई वा अप्पयरो
SR No.002352
Book TitleSuyagadam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherMotilal Sheth
Publication Year1928
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size10 MB
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