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________________ ९४ सूयगडम [2.2. 20. 47 वा भुजयरो वा कालं भुञ्जितु भोग भोगाई पविसुइत्ता वेराययणाई सचि णित्ता बहूई पावाई कम्माई उस्सन्नाई संभारकडेण कम्मुणा से जहा - नाम अयगोले इ वा सेलगोले इवा उदगांस पक्खित्ते समाणे उदग यलमवत्ता अहे धरणिय पहाणे भवइ, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए वजबहुले धूयबहुले पङ्कबहुले वेरबहुले अप्पत्तियबहुले दम्भबहुले नियsिबहुले साइबहुले अयसबहुले उस्सन्नतसपाणघाई कालमासे कालं किच्चा धरणियलमइवइचा अहे नरगयलपहाणे भवइ ॥ २० ॥ ते णं नरगा अन्तो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिया निच्चन्धकारतमसा ववगयगहचन्दसूरनक्खत्तजोइसप्पहा मेदवसामंसरुहिरपूयपडलचिक्खिल्ललिताणुलेवणयला असुई वीसा परमदुब्भिगन्धा कण्हा अगणिवण्णाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरसु वेयणाओ || नो चेव नरपसु नेरइया निद्दायन्ति वा पयलायन्ति वासुवा र वा विईं वा मई वा उवलभन्ते । तेणं तत्थ उज्जलं विउलं पगाढं कडुयं कक्कसं चण्डं दुक्खं दुग्गं तिव्वं दुरहियास नेरइया ari पचणुभवमाणा विहरन्ति ॥ २१ ॥ से जहानाम रुक्खे सिया पव्वयग्गे जाए मूले छिन्ने अग्गे गरु जओ निणं जओ विसमं जओ दुग्गं तओ पवडइ, एवामेव तहप्पगारे पुरिसजाए गभाओ गर्भ जम्माओ जम्मं माराओ मारं नरगाओ नरगं दुक्खाओ दुक्खं दाहिणगामिए नेरइए कण्हपक्खिए आगमिस्साणं दुल्लहबोहि याव भव । एस ठाणे अणारिए अकेवले जाव असव्वदुक्ख पहमिणग्गे एगन्तमिच्छे असाहू | पढमस्स ठाणस्स अधम्म - पक्खस्स विभङ्गे एवमाहिए ॥ २२ ॥ अहावरे दोस ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिजइ । इह खलु पाईणं वा ४ सन्तेगइया मगुस्सा भवन्ति । तं जहा - अणारम्भा अपरिग्गा धम्मिया धम्माणुगा धम्मिट्ठा जाव धम्मेणं चैव वित्तिं कप्पेमाणा
SR No.002352
Book TitleSuyagadam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherMotilal Sheth
Publication Year1928
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size10 MB
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