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________________ ૪ सूयगडम एए पुव्वं महापुरिसा आहिया इह संमया । भोचा बीयोदगं सिद्धा इइ मेयमणुस्सुयं ॥ ४ ॥ तत्थ मन्दा विसीयन्ति वाहच्छिन्ना व गद्दभा । पिओ परिपन्ति पिसप्पीय सभमे ॥ ५ ॥ मेगे उ भासन्ति सायं सारण विजई । जे तत्थ आरियं मग्गं परमं च समाहियं ॥ ६॥ मा एयं अवमन्नन्ता अप्पेणं लुम्पहा बहुं । एयस्स उ अमोक्खाए अयोहारि व्व ज्ररह || ७ || पाणाइवा वट्टन्ता मुसावाए असंजया । अदिन्नादाणे वट्टन्ता मेहुणे य परिग्गहे ॥ ८ ॥ एवमेगे उपासत्था पन्नवन्ति अणारिया | इत्थवसं गया बाला जिणसासणपरंमुहा ॥ ९ ॥ [ 1. 3. 4. 4 जहा गण्डं पिलागं वा परिपीलेज मुहुत्तगं । एवं विनवत्थी दोसो तत्थ कओ सिया ॥ १० ॥ जहा मन्धादणे नाम थिमियं भुञ्जई दगं । एवं विन्नवणित्थी दोसो तत्थ कओ सिया ॥। ११ ॥ जहा विहंगमा पिङ्गा थिमियं भुञ्जई दगं । एवं विभवात्थी दोसो तत्थ कओ सिया ॥ १२ ॥ एवमेगे उपासत्था मिच्छदिट्ठी अणारिया । अज्झोववन्ना कामेहिं पूयणा इव तरुण || १३ || अणागयमपस्सन्ता पच्चुप्पन्नगवेसगा | ते पच्छा परितप्पन्ति खीणे आउम्मि जोव्वणे ॥ १४ ॥ जेहिं काले परिक्कन्तं न पच्छा परितप्पए । धीरा बन्धमुक्का नावखन्ति जीवियं ॥ १५ ॥
SR No.002352
Book TitleSuyagadam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherMotilal Sheth
Publication Year1928
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size10 MB
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