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1. 2. 2. 21.] वेयालियज्झयणे
न य संखयमाहु जीवियं तह वि य बालजणो पगभई ॥ पचुप्पन्नेण कारियं को दटुं परलोगमागए ॥ १० ॥ अदक्खुव दक्खुवाहियं तं सद्दहसु अदक्खुदंसणा। हंदि हु सुनिरुद्धदंसणे मोहणिएण कडेण कम्मुणा ॥ ११ ॥ दुक्खी मोहे पुणो पुणो निम्विन्देज सिलोगपूयणं । एवं सहिए हिपासए आयतुलं पाणेहि संजए ॥ १२ ॥ गारं पि य आवसे नरे अणुपुव्वं पाणेहि संजए। समता सव्वत्थ सुव्वए देवाणं गच्छे सलोगयं ॥ १३ ॥ सोचा भगवाणुसासणं सच्चे तत्थ करेजुवक्कम । सव्वत्थ विणीयमच्छरे उञ्छं भिक्खु विसुद्धमाहरे ॥ १४ ॥ एवं नच्चा अहिट्ठए धम्मट्टी उवहाणवीरिए । गुत्ते जुत्ते सया जए आयपरे परमायतहिए ॥ १५ ॥ वित्तं पसवो य नाइओ तं बाले सरणं ति मन्नई । एए मम तेसु वी अहं नो ताणं सरणं न विजई ।। १६ ॥ अब्भागमियम्मि वा दुहे अहवा उक्कमिए भवन्तिए। एगस्स गई य आगई विदुमन्ता सरणं न मन्नई ॥ १७ ॥ सव्वे सयकम्मकप्पिया अवियत्तेण दुहेण पाणिणो । हिण्डन्ति भयाउला सढा जाइजरामरणेहि भिडुया ॥ १८ ॥ इणमेव खणं वियाणिया नो सुलभं बोहिं च आहियं । एवं सहिए हिपासए आह जिणे इणमेव सेसगा ॥ १९ ॥ अभविंसु पुरा वि भिक्खुवो आएसा वि भवन्ति सुव्वया । एयाइँ गुणाई आहु ते कासवस्स अणुधम्मचारिणो ॥ २० ॥ तिविहेण वि पाण मा हणे आयहिए अणियाण संवुडे । एवं सिद्धा अणन्तसो संपइ जे य अणागयावरे ॥ २१ ॥ सूयगडं-२