________________
सूयगडम्मि [1.2. 2. 32एवं मत्ता महन्तरं धम्ममिणं सहिया बहू जणा। गुरुणो छंदाणुवत्तगा विरयां तिण्ण महोघमाहियं ॥ ३२ ॥
ति बेमि ॥ वेयालियज्झयणम्मि बिइयुद्देसो
1.2.3. संवुडकम्मस्स भिक्खुणो जं दुक्खं पुढे अबोहिए । तं संजमओऽवचिजई मरणं हेच्च वयन्ति पण्डिया ॥१॥ जे विनवणाहिनोसिया संतिण्णेहि समं वियाहिया । तम्हा उडे ति पासहा अदक्खु कामाइँ रोगवं ॥ २॥ अंग्गं वणिएहि आहियं धारेन्ती राइणिया इहं । एवं परमा महन्वया अक्खाया उ सराइभोयणा ॥ ३ ॥ जे इह सायाणुगा नरा अज्झोववन्ना कामेहि मुच्छिया । किवणेण समं पगब्भिया न वि जाणन्ति समाहिमाहियं ॥ ४ ॥ वाहेण जहा व विच्छए अबले होइ गवं पचोइए । से अन्तसो अप्पथामए नाइवहे अबले विसीयइ ॥ ५ ॥ एवं कामेसण विऊ अज सुए पयहेज संथवं । कामी कामे न कामए लद्धे वा वि अलद्ध कण्हुई ॥ ६ मा पच्छ असाधुता भवे अञ्चेही अणुसास अप्पगं । आहियं च असाहु सोयई से थणई परिदेवई बहुं ॥७॥ इह जीवियमेव पासहा तरुणे वा ससयस तुट्टई । इत्तरवासे य बुज्झह गिद्ध नरा कामेसु मुच्छिया ॥ ८॥ जे इह आरम्भनिस्सिमा आयदण्ड एगन्तलूसगा । गन्ता ते पावलोगयं चिररायं आसुरियं दिसं ॥९॥