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अद्दइजज्ज्ञयणे न किंचि रूवेण भिधारयामो सदिडिमग्गं तु करेनु पाउं । मग्गे इमे किट्टिएँ आरिएहिं अणुत्तरे सप्पुरिसेहि अञ्जू ॥ १३ ॥ उ8 अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा । भयाहिसंकाभि दुगुञ्छमाणा नो गरहइ बुसिमं किंचि लोए ॥१४॥ आगन्तगारे आरामगारे समणे उ भीए न उवेइ वासं । दक्खा हु सन्ती बहवे मणुस्सा ऊणाइरित्ता य लवालवा य॥१५॥ मेहाविणो सिक्खिय बुद्धिमन्ता सुत्तेहि अत्थेहि य निच्छयन्ना । पुच्छिसु मा णे अणगार अन्ने इइ संकमाणो न उवेइ तत्थ ॥१६॥ नाकामकिच्चा न य बालकिच्चा रायाभियोगेण कुओ भएणं । वियागरेज पसिणं न वा वि सकामकिच्चेणिह आरियाणं ॥ १७ ॥ गन्ता च तत्था अदुवा अगन्ता वियागरेजा समियासुपन्ने । अणारिया दसणओ परित्ता इइ संकमाणो न उवेइ तत्थ ॥१८॥ पण्णं जहा वणिए उदयट्टी आयस्स हेउं पगरेइ सङ्गं । तयोवमे समणे नायपुत्ते इच्चेव मे होइ मई वियको ॥ १९॥ नवं न कुजा विहुणे पुराणं चिच्चामई ताइ यमाह एवं । एयावया बम्भवइ त्ति वुत्ता तस्सोदयही समणे त्ति बेमि ॥२०॥ समारभन्ते वणिया भूयगामं परिग्गहं चेव ममायमाणा । ते नाइसंजोगमविप्पहाय आयस्स हेउं पगरेन्ति सङ्गं ॥२१ ।। वित्तेसिणो मेहुणसंपगाढा ते भोयणहा वणिया वयन्ति । वयं तु कामेसु अज्झोववन्ना अणारिया पेमरसेसु गिद्धा ॥ २२ ॥ आरम्भगं चेव परिग्गहं च अविउस्सिया निस्सिय आयदण्डा । तोसि च से उदए जं बयासी चउरन्तणन्ताय दुहाय नेह ॥ २३॥ नेगन्ति नचन्ति य ओदए सो वयन्ति ते दो विगुणोदयम्मि । से उदए साइमणन्तपत्ते तमुदयं साहयइ ताइ नाई ॥ २४ ॥ अहिंसयं सव्वपयाणुकम्पी धम्मे ठियं कम्मविवेगहेउं । तमायदण्डेहि समायरन्ता अबोहिए ते पडिरूवमेयं ॥ २५ ॥