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समयज्झयणे पढमे
1. 1.1. बुझिज ति तिउट्टिजा बन्धणं परिजाणिया । किमाह बन्धणं वीरो किं वा जाणं तिउट्टइ ॥१॥ चित्तमन्तमचित्तं वा परिगिज्झ किसामवि । अन्नं वा अणुजाणाइ एवं दुक्खा न मुच्चई ॥ २॥ सयं तिवायए पाणे अदुवन्नेहि घायए । हणन्तं वाणुजाणाइ वेरं वड्ढेइ अप्पणो ॥ ३ ॥ . जस्सि कुले समुप्पन्ने जेहिं वा संवसे नरे । ममाइ लुप्पई बाले अन्ने अन्नेहि मुच्छिए ॥ ४ ॥ वित्तं सोयरिया चे सव्वमेयं न ताणइ । संखाएँ जीवियं चेवं कम्मुणा उ तिउट्टइ ॥ ५ ॥ एए गन्थे विउक्कम्म एगे समणमाहणा । अयाणन्ता विउस्सित्ता सत्ता कामेहि माणवा ॥ ६॥. सन्ति पञ्च महब्भूया इहमेगेसिमाहिया । पुढवी आउ तेऊ वा वाउ आगासपञ्चमा ॥ ७ ॥ एए पश्च महब्भूया तेब्भो एगो त्ति आहिया । अह तेसिं विणासेणं विणासो होइ देहिणो ॥ ८ ॥ जहा य पुढवीथूभे एगे नाणाहि दीसइ । एवं भो कसिणे लोए विन्न नाणाहि दीसइ ॥ ९॥