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1. 1. 3 16.] समयज्झयणे
संयंभुणा कडे लोए इइ वुत्तं महेसिणा । मारेण संथुया माया तेण लोए असासए ॥७॥ माहणा समणा एगे आह अण्डकडे जए। असो तत्तमकासी य अयाणन्ता मुसं वए ॥ ८ ॥ सएहिं परियाएहिं लोग बूया कडे त्ति य । तत्तं ते न वियाणन्ति न विणासी कयाइ वि ॥ ९॥ : अमगुन्नसमुप्पायं दुक्खमेव वियाणिया । समुप्पायमयाणन्ता कहं नायन्ति संवरं ॥ १० ॥ सुद्धे अपावए आया इहमेगेसिमाहियं । पुणो किड्डापदोसेणं सो तत्थ अवरज्झई ॥ ११ ॥ इह संवुडे मुणी जाए पच्छा होइ अपावए । वियडम्बु जहा भुञ्जो नीरयं सरयं तहा ॥ १२ ॥ एयाणुवीइ भेहावी बम्भचेरेण ते वसे । पुढो पावाउया सव्वे अक्खायारो सयं सयं ॥ १३ ॥ सए सए उवहाणे सिद्धिमेव न अन्नहा । अहे इहेव वसवत्ती सबकामसमप्पिए ॥ १४ ॥ सिद्धा य ते अरोगा य इहमेगेसिमाहियं । सिद्धिमेव पुरो काउं सासए गढिया नरा ॥ १५ ॥ असंवुडा अणाईयं भमिहिन्ति पुणो पुणो । कप्पकालमुवञ्जन्ति ठाणा आसुरकिब्बिसिय ॥ १६ ॥
त्ति बेमि ॥ समयज्झयणे तइयुद्देसो