SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूयगडम्मि [1. 8. 23 जे मायरं च पियरं च हिच्चा गारं तहा पुत्तपसुं धणं च । कुलाइँ जे धावड़ साउगाई अहाहु से सामणियस्स दूरे ॥ २३ ॥ कुलाइँ जे धावइ साउगाई आधाइ धम्मं उयराणुगिद्धे । अहाहु से आयरियाण सयंसे जे लावएजा असणस्स हेऊ ॥ २४ ॥ निक्खम्म दीणे परभोयणम्मि मुहमङ्गलीए उयराणुगिद्धे । नीवार गिद्धे व महावराहे अदूरए एहि घायमेव ॥ २५ ॥ ४० अन्नस्स पाणस्सिहलोइयस्स अणुप्पियं भासइ सेवमाणे । पासत्थयं चेव कुसीलयं च निस्सारए होइ जहा पुलाए ॥ २६ ॥ अन्नायपिण्डेण हियासएजा नो पूयणं तवसा आवहेजा । सहि रूवेहि अजमाणं सव्वेहि कामेहि विणीय गेहिं ॥। २७ ॥ सव्वाइँ संगाइँ अइच्च धीरे सव्वाइँ दुक्खाइँ तितिक्खमाणे । अखिले अगिद्धे अणिएयचारी अभयंकरे भिक्खु अणाविलप्पा ॥ २८ ॥ भारस्स जाओ मुणि भुञ्जएञ्जा कंखेज पावस्स विवेग भिक्खू | दुक्खेण पुढे धुमाइएजा संगामसीसे व परं दमेजा ।। २९ ।। अवि हम्ममाणे फलगावतट्टी समागमं कखइ अन्तगस्स । निधूय कम्मं न पवञ्चुवे अक्खक्खए वा सगडं ति बेमि ॥ ३० ॥ कुसलपरिभासियज्झयणं सत्तमं ।
SR No.002352
Book TitleSuyagadam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherMotilal Sheth
Publication Year1928
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy