Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनिराज श्री जम्बूविजयजी महाराज द्वारा प्राप्त अनेक ज्ञानभंडारों के हस्तलिखित ताडपत्रीय एवं कागजीय ग्रंथों की फोटोकॉपीयों की प्रत नाम के अकारादि क्रम से सूचि भाग १ला AARA. * संपादक * पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीपट्टालङ्कार पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरशिष्यरत्न पूज्यपादगुरुदेवमुनिराजश्रीभुवनविजयान्तेवासी मुनि जम्बूविजयः N Apai>ROTROParam AS Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग १ ला मुनिराज श्री जम्बूविजयजी महाराज द्वारा प्राप्त अनेक ज्ञानभंडारों के हस्तलिखित ताडपत्रीय एवं कागजीय ग्रंथों की फोटोकॉपीयों की प्रतक्रमांक से सूची * संपादक पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीपट्टालङ्कार पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरशिष्यरत्न पूज्यपादगुरुदेवमुनिराजश्रीभुवनविजयान्तेवासी मुनि जम्बूविजयः Page #3 --------------------------------------------------------------------------  Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || श्री सिद्धाचलमंडन श्री ऋषभदेवस्वामिने नमः ।। श्री शान्तिनाथस्वामिने नमः। श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नमः। श्री नाकोडापार्श्वनाथाय नमः । श्री महावीरस्वामिने नमः। श्री गौतमस्वामिने नमः । __||श्री नाकोडाभैरवाय नमः ।। पूज्यपादाचार्यमहाराजश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीपादपोभ्यो नमः । पूज्यपादाचार्यमहाराजश्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरजीपादपोभ्यो नमः । पूज्यपादसद्गुरूदेवमुनिराजश्रीभुवनविजयजीपादपद्मभ्यो नमः। प्रस्तावना विक्रम संवत् २०५८नुं अमारूं चातुर्मास नाकोडातीर्थमां थयुं ते वखतना नाकोडातीर्थना अध्यक्ष पारसमलजी भणसाली हता तेमनी उंची भावना के नाकोडातीर्थ बधी रीते समृद्ध छे मात्र ज्ञानना क्षेत्रे त्रूटी छे। आप एवं आदर्श ज्ञान- संशोधन केन्द्र उभुं करवा मार्गदर्शन आपो तो अमारी बधी रीते सहकार आपवा तैयारी छ। ज्ञानमंदिर तथा संशोधन करवानी अनुकूळता वाळू मोटुं मकान बनाववानो पण निर्णय कर्यो। त्यारे अमने पण थयु के अहीं आq केन्द्र उभुं थाय तो सारु तेथी अमारी पासे जे हस्तलिखित ताडपत्रीय अने कागळ उपरना ग्रंथभंडारोना ग्रंथोनी फोटोकॉपीओ हती तेनी फोटोकॉपीओ त्यां मूकवी एबुं मनमा नक्की कर्यु। साथे साथे अमने एम पण थयु के सकळ श्री संघमां अनेक साधु-साध्वीजी तथा विद्वानों आ क्षेत्रमा कार्य करवानी इच्छा वाळा छे परन्तु मूळ हस्तलिखित ग्रंथो सरळताथी प्राप्य नथी अने कदाच क्यांकथी प्राप्य होय तो पण मूळ प्रतिओ मोटा भागे जीर्ण अवस्थामां होवाथी तेनो उपयोग करवा जतां फाटवानी-तूटवानी संभावना होइ भविष्यमां ए ग्रंथ खोई बेसवानो वारो आवे। अने मोटाभागना ग्रंथ भंडारोमांथी ग्रंथ बहार नहीं लई जवानो ठराव पण होय छे। साधु-साध्वीजी विहारमां होय, दूर होय, घणा साथे संकळायेला होय तेथी काम करवा माटे अनेक महिनाओ सुधी ग्रंथ भंडारमा मात्र ग्रंथने माटे बेसी रहे के पहोंचवू पण पालवे नहीं। तेथी आ क्षेत्रमा काम करनार साधु-साध्वीने विद्वानोने आ मूळ ग्रंथो मळवा प्रायः अशक्य हता अने क्यांय मळे तो पण ग्रंथनी अवस्थाने कारणे उपयोग करवो फावे तेम न हतो। घणा साधु-साध्वीजी भगवंतो तेमज विद्वानो अमारी पासे रहेला ग्रंथनी फोटोकॉपीनी मांगणी करता हता। पण अमारी पासे एवं कोई तंत्र नहीं अने अमे फरता राम तेथी तेओ मांगे त्यारे अमे तेमने फोटोकॉपी आपी शकता न हता। अमने घणुं मनमां थतुं के आपणा पूर्वाचार्योए आ ज्ञाननो वारसो पछीनी पेढीने उपयोगमां आवे ते माटे तेमना काळमां आजना जेवी छापकामनी मशीनरी के साधनो न होवा छतां तनतोड महेनत करी दरिया जेवडा शास्त्रो लाखो रूपियानो व्यय करी लहियाओ पासे लखाव्या एटलुंज नहिं तेने पाछा संशोधन करी शुद्ध स्वरूपमा मुक्या। आपणे अत्यारे वर्तमानमा तेने ताळाकुंचीमां कोईने पण नहीं आपवाना ठराव साथे भंडारमा ज मूकी राखीए अने तेने सुरक्षित साचवी राख्यानुं गौरव पण लईए। सारी वात छे के आ रीते साचव्या तेथी आजे पण जे बच्युं ते आपणा कब्जामा छे. आटलुं कर्या पछी हवे जो तेनो उपयोग ज न थाय तो तो पुद्गलना स्वभाव मुजब ५-५० वर्षे ते ज्यां छे त्यां ज सडीने के उधई लागीने नाश पामी जशे. त्यारे जैन संघने राते पाणीए रोवानो वारो आवशे के आपणा समस्त संघनी जीवादोरी समान आ अमूल्य मुडीनो आपणे उपयोग कर्या विना ज नाश करी नाख्यो अने जेने आ ज्ञाननी जरुर हती तेने पण जडबेसलाक सुरक्षाने कारणे तेमना ज्ञानमां अंतरायभूत बनी फोगट ज ज्ञानावरणीय कर्म बान्धी ग्रंथ न आप्या। तेथी अमने विचार आव्यो के आ अमूल्य शास्त्रवारसो नाश पामी जाय ते पहेला तेने वधु सुरक्षित अने उपयोगी पण बनाववानी जरूर छे। आ क्षेत्रमा काम करता साधु-साध्वीओने उपयोगी बनाववानी दृष्टिए तेमज संघने भविष्यमां ग्रंथनी जरूरीयात माटे मारी पासे मांगणी करवा आवQ ज न पडे माटे जे मारी पासे हस्तलिखित ग्रंथोनी फोटोकॉपीओ छे तेमांथी जे भंडारो आ ग्रंथोनी झेरोक्ष कॉपी करी जोईए तेने आपे छे तथा आपवानी संमति आपे छे ते ज भंडारोना ग्रंथोनी कॉपीओना १०/१२ सेटो बनावी जुदा जुदा संघो, ज्ञानभंडारोमा मूक्या होय तो भविष्यमां साधु-साध्वी के विद्वानोने सरळताथी मळी शके। तेमज कोईक एक ठेकाणे कोईपण कारणसर ग्रंथ भंडार नाश पामे तो पण तेनी Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपूर्ण कॉपी कोईक ठेकाणे तो उपलब्ध थई ज जाय जेथी ग्रंथ भंडार चिरकाळ सुधी सुरक्षित पण बने। बीजु कागळनुं लांबु आयुष्य होतुं नथी। २५/३० वर्षे कागळ पण नाश पामी जाय तेथी जो मात्र कागळ पर झेरोक्ष कॉपी ज बनाववामां आवे तो तेनी दर २५/३० वर्षे नवी कॉपी कराववी पडे। पण झेरोक्ष उपरथी पाछी कॉपी एटली स्पष्ट न आवे केटलुक भंसाई जाय। तेथी तेनो वारसो लांबाकाळ सुधी टकाववा माटे तेनी सीडी (कोम्प्युटर स्केनर द्वारा) जो बनावी होय तो तेनी कॉपी वारंवार गमे तेटलीवार करो तो पण ते जेवी होय तेवी ज आवे छे अने तेनी कॉपी बनाववी सरळ अने अत्यंत सस्ती पण छे. तथा घणी ओछी जग्यामां ते रही शके छे. उपयोग माटे हस्तांतरण पण सहेलुं छे। अने एना उपरथी कागळ उपर प्रीन्ट पण ज्यारे जोईए त्यारे स्पष्ट नीकळी शके छे। वळी तेमा प्रूफ रीडींग विगेरेनी पण कोई माथाकूट नहीं. जेवू होय तेवू ज रहे। जेथी लहिया द्वारा शास्त्रालेखनमा जे नवी भूलो गमे तेटलुं प्रूफ रीडींग करवा छता उमेराय छे ते न बने अने शास्त्रो मूळ स्वरूपमा चिरकाळ सुरक्षित अने उपयुक्त बनी जाय। आ भावनाथी नाकोडा तीर्थमां दरेक ग्रंथोना केटलाक सेटो बनाववामां आव्या तेनी सी.डी. पण बनाववामां आवी। जे संघोए, ज्ञानभंडारोए तथा साधु भगवंतोए आ सेट राखवानी तथा वहिवट करवानी अने तेनो खर्च आवे ते आपवानी तैयारी बतावी तेमने आ ग्रंथोनी कॉपीओनो सेट आपवामां आव्यो छे। तेमां मात्र खर्च ज लीधो छ। अमे तो अपार समय, शक्ति अने द्रव्यनो भोग आप्यो छे छतां श्रुतसेवा कर्यानो घणो संतोष छ। झेरोक्षना संपूर्ण एक सेटमां लगभग बे लाख कागळोनी संख्या छ। आ कार्यमां श्री नाकोडा जैन तीर्थे खूब खूब सहकार आप्यो छे। आ काम लगभग ७ (सात) महिना सुधी चाल्यु। त्यां सुधी आ तीर्थना ट्रस्टे आ काम माटे २२ (बावीस) तो रुमो होल विगेरे फाळवी आप्या। पोष सुद दशम मेळाना त्रण दिवसोमां हजारो यात्रिकोनी अत्यंत भीड होवा छतां अने तेमने रुमोनी अत्यंत आवश्यकता होवा छतां तेमने आ भगीरथ कार्यमां रोकायेली २२ रूमोमाथी एक पण रुम खाली करी आपवा मागणी करी नथी। तेमज पांच झेरोक्ष मशीनो, सात कोम्प्युटरो, चार स्केनरो, ए.सी. आदि माटे वधु पावरनी इलेक्ट्रीक लाईननी व्यवस्था पण नाकोडातीर्थे उभी करी आपी। आ काममां काम करनारा कर्मचारीओ तथा सेवा करनारा मळी लगभग १०/२० जणानी ७ महिना सुधी खावा-पीवानी रहेवानी तमाम जवाबदारी तीर्थ उपाडी लीधी। __नाकोडातीर्थना अध्यक्ष स्व. पारसमलजी भणसाली तथा नवा अध्यक्ष चंपालालजी पारख, प्रकाशजी वडेरा, रीखबचंदजी मालू, चंपालालजी मुथा मांडवला वाला आदि ट्रस्टीगण तथा बालोतरा वाला गणपतचंदजी पटवारी आदि महानुभावोनो सिंहफाळो रह्यो छे तेमज नाकोडातीर्थना मेनेजर श्री महेता साहेब तथा श्री पी. सी. जैन आदि तमाम स्टाफे पण खूब ज उदारताथी कार्यमां संपूर्ण सहकार आप्यो छे। ते माटे ते सहुने खूब खूब धन्यवाद घटे छ। आ ग्रंथोनी कॉपीओ उपर लगाववा माटेना लेबलो तैयार करवा तेना हेडींगो तैयार करवा विगेरे कामोमां कोबा (गांधीनगर)ना ज्ञानभंडार ना संचालनमां जेमनुं मुख्य नाम छे एवा प. पू. पद्मसागरसूरिजी महाराज साहेबना शिष्यरत्न मुनिराज श्री अजयसागरजी महाराज साहेब श्री ए तो आ कार्यमां खूब खूब जहमत उठावी छे। आ ग्रंथो जुदा जुदा भंडारना हता। तेथी ते ते ग्रंथनी विस्तृत माहिती अमारी पासे न हती। तो ते बधी अधूरी माहितीने पूर्ण करवा माटे आ मुनिराजश्रीए महिनाओ सुधी केटकेटला ठेकाणेथी माहितीओ एकठी करी। भारे महेनत बाद पोते पोताना कामां अत्यंत व्यस्त होवा छता समयनो भोग अने एमनी कोठासूजनो उपयोग करी आ सर्वांगसुंदर सूचीपत्र बनाववानो तमाम यश एमने फाळे जाय छ। अने एमनी पासे कोम्प्यूटरनुं पण तलस्पर्शी ज्ञान होवाथी समये समये आ कार्यना कोम्प्युटर, स्केनर विगेरेना काममां सी.डी. बनाववामां, सोफ्टवेर नक्की करवामां एमणे जे मार्गदर्शन आप्युं छे ते दाद मांगी ले तेवु छ। तेमने मारा अंतरना खूब खूब धन्यवाद आपुं छु। जितेन्द्र मणिलाल संघवी अने अशोकभाई संघवी, अजयभाई शाहे पण वारंवार ठेठ अमदावाद थी नाकोडा आवी आ कार्यने सारी रीते संभाळ्यु हतुं। मुंबई बोरीवलीथी नीतिनभाई बगडीया पण आ कार्यमा सारो एवो रस लई तेमां बधो ज सहकार आपता हता। तेमज लाकडीया (वागड-कच्छ) ना नानालालभाईए पण सी.डी. तेमज सी.डी.राईटरनी खरीदीमां खूब ज सहकार आप्यो छे। तेमज अमदावादना वतनी प्रशांतभाई सुबोधभाई चिनुभाई (हाल - साउथ अमेरिका) ए पण सीडीराईटर भेट आपीने घणुं योगदान आप्यु छ। नाकोडातीर्थनी ज्ञानशाळाना संचालक श्री नरेंद्रभाई कोरडीया तथा तेमना अनेक विद्यार्थिओ पण आ कार्यमा जोडाई गया हता। अमदावादना जयेशभाई तथा सतलासणाना गुणवंतभाई Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तथा धीरुभाई आदिए पोताना झेरोक्ष मशीनो लावीने आ कार्यने समय के पैसानो विचार कर्या विना सारी रीते पार पाड्युं हतुं। अनेक वार मशीनो खोटवाय त्यारे ठेठ अमदावादथी मीकेनीक लावीने पण काम पार पाड्युं हतुं। अंते मारा मातुश्री साध्वी श्री मनोहरश्रीजी (सरकारी उपाश्रयवाळा) ना शिष्या साध्वीश्री सूर्यप्रभाश्रीजी ना शिष्या साध्वीश्री जिनेन्द्रप्रभाश्रीजी आदि शिष्या प्रशिष्या परिवार तथा मारा सहवर्ति साधुओए ग्रंथोना व्यवस्थित पेकींग, लीस्टींग, प्रुफरीडींग आदि दरेक कार्योमां खूब खूब जहमत उठावी छ। आ काममां अनेकानेक विघ्नो आवतां हतां छतां श्री नाकोडापार्श्वनाथ भगवाननी कृपा अने श्री नाकोडाभैरवदेवनी दैवी सहायथी अने उपरोक्त नामी, अनामी, जाणीता अने अजाण्या एवा अनेकना सक्रिय सहकारथी आ भगीरथ कार्य पार पड्युं छे। ते सर्वनो आ तके हुं खूब खूब आभारी छु। आ फोटोकॉपीओ करवाना काममा प्रथम चरणथी मांडी अंतिम चरण सुधीनुं बधुं ज कार्य मारा शिष्य मुनिश्री धर्मचन्द्रविजयजीना शिष्य मुनिश्री पुंडरीकरत्नविजयजीए ज संभाळ्युं छे तथा धर्मघोषविजयजी महाराजनो तमाम कामोमां संपूर्ण सहकार हतो तेथी मारा तेमने अनेक अनेक धन्यवाद घटे छे।। लि. पूज्यपादाचार्यमहाराजश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीपट्टालंकारपूज्यपादाचार्यमहाराजश्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरजीशिष्यपूज्यपादसद्गुरुदेवमुनिराजश्रीभुवनविजयान्तेवासी मुनि जम्बूविजय श्री स्तंभन पार्श्वनाथ जैन तीर्थ C/o श्री शान्तिनाथ ताडपत्रीय जैन ज्ञानभंडार भोयरापाडो, त्रण दरवाजा पासे, मु.पो.खंभात, जिला-आणंद, गुजराज राज्य पीन नं.३८८६२० ता. २४-०८-२००५, बुधवार विक्रम संवत् २०६१ श्रावण वदि ५ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आ फोटोकॉपीओनो संपूर्ण सेट जेमणे राखेल छे तेमनी यादी १. नमस्कारमंत्राराधक पू. पं. श्री भद्रंकरविजयजी महाराजना प्रशिष्य पं. वज़सेनविजयजी महाराज तथा पं. श्री हेमप्रभविजयजी महाराजनी प्रेरणाथी वर्धमान तत्त्वज्ञान जैन विद्यालय मु. वांकीतीर्थ, तालुको - मुन्द्रा, जिलो - कच्छ, पीन नं.३७० ४२५ फोन नं. (०२८३८) २७८२४०, २७८२८४ २. फूलचंद कल्याणचंद जैन पौषधशाळा लालबंगला, अठवालेन्स, सूरत फोन नं.c/o संजयभाई (०२६१) ३२२१९२६ ३. आ. म. श्री अशोकचंद्रसूरिजी महाराज तथा आ. म. श्री चंद्रोदयसूरिजी महाराजनी प्रेरणाथी श्री नेमिसूरि आराधना भवन मोटी पोळ, गोपीपुरा, सूरत फोन नं.c/o अश्विनभाई (R) ७४१२८३३, (0/७४२०४१५ ४. नमस्कारमंत्राराधक पू. पं. श्री भद्रंकरविजयजी महाराजना प्रशिष्य पं. वज्रसेनविजयजी महाराज तथा पं. श्री हेमप्रभविजयजी महाराजनी प्रेरणाथी आराधना धाम - हालार तीर्थ पोस्ट - वडालीया सिंहण, जिलो - जामनगर, पीन-३६१३०५ फोन नं. (०२८३३) २५४१५६, २५४१५७ ५. श्रेयस्कर श्री अंधेरी गुजराती जैन संघ शेठ करमचंद जैन पौषधशाळा १०६, एस.वी.रोड, ईला ब्रीज, विलेपार्ले (वेस्ट) मुंबई - ४०० ०५६ फोन नं. (०२२) २६७१९३५७, २६७१२६३१ ६. आ. म. श्री पद्मसागरसूरिजी महाराजनी प्रेरणाथी श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र मु. कोबा, जिलो - गांधीनगर, पीन नं.३८२००९ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फोन नं. २३२७६२५२, २३२७६२०४, २३२७६२०५ ७. पंकज सोसायटी जैन संघ पंकज सोसायटी, भट्ठा, पालडी अमदावाद ३८०००७ फोन नं. ८. श्रुतानंद ट्रस्ट शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढी बंगला नं.-२४, वसंतकुंज सोसायटी, नवा शारदामंदिर रोड पालडी, अमदावाद, फोन नं. (०७९) २६६०८२४४ ९. रत्नाकरसूरिजी महाराज साहेब C/o श्री रंजनविजयजी जैन पुस्तकालय मु. मालवाडा जिला जालोर, राजस्थान पीन नं. ३४३०३९ ०७९२८६०२४७ फोन नं. C/o अमदावाद - पारसगंगा ज्ञानमंदिर १०. श्री नाकोडा जैन तीर्थ मु.पो. मेवानगर, वाया बालोतरा जिला बाडमेर, राजस्थान पीन नं. ३४४ ०२५ फोन नं. (०२९८८) २४०००५ २४००९६ २४०७६१ ११. प. पू. भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराजना प्रशिष्य आ. म. श्रीहेमचंद्रसूरिजी महाराज साहेबनी प्रेरणाथी श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट C/o पंडित चंद्रकान्त सरूपचंद संघवी B / ६, अशोका कोम्प्लेक्ष, रेल्वेगरनाळा पासे, पाटण, पीन नं. ३८४ २६५ फोन नं. (०२७६६) २३१६०३ १२. शेठ मोतीशा लालबाग जैन चेरीटीझ २१२ / पांजरापोल स्ट्रीट, सी.पी. टेन्क माधवलाग, मुंबई ४०० ००४ फोन नं. C/o राजेशभाई (०२२) २२४२८३३५. २२४२१८२९ - Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जेमणे संपूर्ण नहिं पण आंशिक सेट राखेल छे तेमनी यादी १. भोगिलाल लहेरचंद इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्डोलॉजी २०वाँ किलोमीटर, जी.टी.करनाल रोड, पोस्ट-अलीपुर, दिल्ली-११००३६ फोन नं. (०११) ७२०२०६५, ७२०२२२५ २. आचार्यमहाराज श्री मुनिचंद्रसूरिजी महाराज c/o श्री भद्रसूरि ज्ञानभण्डार, पार्श्वभक्ति नगर मुं. भीलडीया, वाया डीसा । ३. आचार्यमहाराजश्री प्रद्युम्नसूरिजी महाराज c/o कीर्तिभाई, दर्शन फ्लेट, पले माळे अमूल सोसायटी, सुखीपुरा गार्डननी सामे पालडी, अमदावाद फोन नं. (०७९) २६६३४३०८ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. अपभ्रं २. अभं ३. आदिवा ४. कृ. वि. ५. कृति ६. गा. ७. ग्रं. ८. झे. पत्र ९. डतामुक्ता १०. डी.वी.डी. ११. डीवीडी ओरिजिनल अपभ्रंश अज्ञात भंडार आदि वाक्य कृति विशेष १४. तालाद १५. पाकाभा १६. पाकाम संकेत सूची व्यक्ति, स्थान, वस्तु, प्रसंग आदि को लक्ष्य में रखकर स्वकथ्य अथवा अपने मनोभाव को रचनात्मक शैली में प्रस्तुत की जानेवाली वस्तु को कृति अथवा रचना कहते है। रचना का क्षेत्र वटवृक्षवत् विशाल होता है। अर्थात् विद्वान जीवन में उपयुक्त विविध क्षेत्रों की कार्यप्रणाली, सैद्धान्तिक व्यवस्था तथा अपने वैचारिक दृष्टिकोण को जीवंत रखने हेतु आलेखन करते है। उसकी विविध शाखाये होती है। मूल तौर पर तथा मूलगत विषय को सुस्पष्ट करने की रचनात्मक क्रिया भी कृति कहलाती है। यह गद्य /पद्य/चम्पू/नाटक आदि रूपमें होती है। टीका, व्याख्या, अनुवाद, कथा, टबार्थ, बालावबोध आदि विविध कृति प्रकार इसके अंदर समाविष्ट है। गाथा ग्रंथाग्र झेरोक्ष (फोटोस्टेट) पत्र संख्या (डभोई) ताडपत्रीय मुक्ताबाई जैन ज्ञानमंदिर के ग्रंथ डीवीडी का अनुक्रम नंबर इस डीवीडी में मूल ताडपत्रीय या कागजीय ग्रंथ की जैसी स्थिति है वैसे हि प्रतिबिंबित कीया गया है। इसमें कोई कोई ग्रंथ के पन्ने धब्बे आदि वाले होने से उनकी तस्वीरे साफ पढने लायक नहीं भी हो ऐसा संभव है। फिर भी उसे डीवीडी में सुरक्षित रखा गया है जिससे जिज्ञासु मूल चित्र देखकर अपनी शंका का निराकरण कर सकता है। डीवीडी ओरिजिनल याने उस डीवीडी का अनुक्रम क्रमांक । १२. डीवीडी क्लिन / ओरिजिनल इस कॉलम में पहले छपा नंबर क्लीन डीवीडी का है तथा बादमें छपा नंबर ओरिजिनल डीवीडी का है तथा उसके बाद छपा नंबर झेरोक्ष (फोटोकॉपी) के पत्रों की कूल संख्या का है १३. डीवीडी क्लीन मूल ताडपत्रीय या कागजीय ग्रंथ धब्बे वाले हो या तो जिसके मूल में धब्बे आदि के कारण अक्षर साफ पढने लायक नहीं दीखते हो उन्हें स्केन करके कोम्प्यूटरीय तकनीक द्वारा धब्बे आदि साफ कर अक्षरों को पढने लायक साफ किया गया हो उसका प्रतिबिंब (इमेज) जिस डीवीडी में लिया गया हो उस डीवीडी का अनुक्रम नंबर इसमें कभी कभी अक्षर को साफ करते समय संभव है की किसी जगह का अक्षर अनुस्वार काना मात्रा आदि भी मिट गये हो इसलिये ऐसे पन्नों में जहाँ शंका पडे वहां उसी पन्ने का ओरीजिनल में प्रतिबिंब देख लेना चाहिए। डीवीडी क्लिन याने डीवीडी का अनुक्रम क्रमांक । ताडपत्रीय लालभाई दलपतभाई विद्यामंदिर (अमदावाद) के ग्रंथ पाटण कागजीय भाभा के पाडा का भंडार पाटण कागजीय हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानभंडार Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७. पाताखेत १८. पातासंपा १९. पातासंपाजी २०. पाताहे २१. पृ. २२. पे. २३. पे. पत्र २४. पे. पृ. २५. पे.वि. २६. प्रत २७. प्रा. २८. भांका २९. भांता ३०. र. सं. ३१. लिंता ३२. ले.सं. ३३. वताकान्ति ३४. वताहंस ३५. वि. ३६. सं. पाटण ताडपत्रीय खेतरवसीय के पाडा का भंडार पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का भंडार पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का जीर्ण त्रुटक भंडार पाटण ताडपत्रीय हेमचंद्राचार्य संघ भंडार पृष्ठ संख्या पेटांक पेटांक पत्र संख्या पेटांक पृष्ठ संख्या पेटांक विशेष एक या एकाधिक कृति रचनाओं को व्यवस्थित लिपिबद्ध करके लोकभोग्य की दृष्टि से तैयार की हुई वस्तु प्रत या प्रति कहलाती हैं। इसे विविध संसाधनों के द्वारा तैयार की जाती है। इसे आवश्यकतानुसार विविध साधनों पर तैयार की जाती है जैसे कि तालपत्र पर लिखी प्रति को तालपत्र अथवा ताडपत्र, भोजपत्र पर लिखी प्रत को भोजपत्रीय प्रति काजग पर लिखी प्रत को कागद या सीधे प्रत भी कहते हैं। इसी प्रकार अन्य भी इसके साधन है। प्रतियाँ कालक्रमानुसार विविध शैलियों में लिखी जाने की परंपरा रही है। जैसे- गंडी, कच्छली, मुष्टिका आदि । प्राकृत भांडारकर इन्स्टीट्यूट पूणे कागजीय ग्रंथ भंडार भांडारकर इन्स्टीट्यूट पूणे ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार रचना संवत् (विक्रम) लिमडी ताडपत्रीय एवं कागजीय ग्रंथ भंडार लेखन संवत् (विक्रम) वडोदरा ताडपत्रीय कान्तिविजयजी का भंडार वडोदरा ताडपत्रीय हंसविजयजी का भंडार विक्रमसंवत् संस्कृत भाषा Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमणिका ग्रंथ भंडारनुं हुंकु नाम (भंडार कोड) पृष्ठ .भांता.. .....१ से ३० भांका...... ३१ से ६६ पातासंपा.. ............ से १६० .................पाताहेसं... ................ से २०९ ..पाताखेत... ..पातासंपाजीर्ण... ग्रंथ भंडारनुं नाम १. भांडारकर इन्स्टीट्यूट-पूणे ताडपत्रीय ज्ञानभंडार... २. भांडारकर इन्स्टीट्यूट-पूणे कागजीय ज्ञानभंडार.......... ३. पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का ताडपत्रीय ज्ञानभंडार.. ४. पाटण ताडपत्रीय हेमचंद्राचार्य संघभंडार................... ५. पाटण ताडपत्रीय खेतरवसीपाडा का ज्ञानभंडार................ ६. पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का जीर्ण त्रुटक ग्रंथों का ज्ञानभंडार.. ७. ताडपत्रीय लालभाई दलपतभाई विद्यामंदिर - अमदावाद भंडार.. ८. वडोदरा ताडपत्रीय कांतिविजयजी महाराज का ज्ञानभंडार......... ९. वडोदरा ताडपत्रीय हंसविजयजी महाराज का ज्ञानभंडार. १०. डभोई ताडपत्रीय मुक्ताबाई का ज्ञानभंडार........ ११. अन्य ताडपत्रीय एवं कागजीय ग्रंथ.......... १२. लींमडी कागजीय ग्रंथ भंडार.. १३. पुण्यविजयजी कृत प्रेसकॉपीयाँ.. १४. पाटण कागजीय भाभा के पाडा का ज्ञानभंडार.. १५. पाटण कागजीय हस्तलिखितों का ज्ञानभंडार. तालाद.... से २७२ वताकान्ति...... २७३ से २७७ ........... वताहंस... ..................... २७९ डतामुक्ता.... अताका..... लीता. ............. २८१ से २८२ .................. २८३ से २९० २९१ से २९२ .२९३ से ३०० ......... पुप्रे........... .पाकाभाभा.... .............३०१ से ३०८ ..............पाकाहेम.. ३०९ से ५६२ Page #13 --------------------------------------------------------------------------  Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -: प्रत माहिती से कृति माहिती :यह सूची प्रत क्रमांक के अनुक्रम से है. इसमें सूचनाएँ दो स्तरों पर दी गई हैं. (1) प्रत माहिती (2) संबद्ध कृति माहिती. • प्रत माहिती स्तर इस स्तर पर प्रत संबंधी सूचनाएँ विस्तार से दी गई हैं. प्रथम पंक्ति (क) प्रत क्रमांक : प्रत्येक प्रत का यह स्वतंत्र क्रमांक है. (ख) प्रतनाम : प्रत में मात्र एक ही कृति या संयुक्त कृति परिवार के अंश हों (पेटा कृति का मामला न बनता हो) तो इसमें कृतिनाम यथा नियम/यथायोग्य सह आदि से युक्त आएगा. यथा कल्पसूत्र हेतु 'बारसासूत्र' या पर्युषणा कल्प' ऐसा नाम प्रत में दिया हो तो वही नाम यहाँ पर आएगा. जब कि द्वितीय कृति स्तर पर तो कृति का जो प्रधान नाम- 'कल्पसूत्र' होगा वही आएगा. इसी तरह 'अइमुत्तारास' की जगह 'एमंता रास' यह नाम होगा तो वही नाम प्रतनाम के रूप में आएगा. इसी तरह कोई टीका विशेष का बृहत टीका के रूप में उल्लखित हो तो वह नाम इसी तरह से लिखा जाएगा. कई बार बालावबोध या टवार्थ हेतु कर्ता/प्रतिलेखक वार्तिक, टीका जैसी पहचान देते हैं ऐसे में कृति स्वरूप की स्पष्टता हो उस हेतु कल्पसूत्र का (मा. गु.) वार्तिक (बालावबोध) इस तरह से नाम मिलेगा. जब कि द्वितीय स्तर पर कृति स्वरूप' में तो बालावबोध/टबार्थ इसी तरह का स्वरूप मिलेगा. प्रत में यदि एकाधिक पेटाकृति/संयुक्तकृति परिवारांश हो तो यह नाम यथा योग्य विविध प्रकार का मिलेगा. (अ) प्रत में एक कृति/कृतियाँ अंत के पत्रों में गौण रूप से हो तो यह नाम निम्नरूप से मिलेंगे. कल्पसूत्र सह (मा. गु.) टबार्थ व पट्टावली गजसुकुमाल रास व स्तवन संग्रह (आ) कृति में अनेक कृतियाँ गौण मुख्य भेद के बिना संग्रहित हो तो नाम निम्न रूप से सामान्य प्रकार के बनेंगे. स्तवन संग्रह जीवविचार कर्मग्रंथ आदि प्रकरण सह टीका - इत्यादि (ग) प्रत दशा : श्रेष्ठ, मध्यम, जीर्ण (घ) पूर्णता 1. संपूर्ण : पूरी तरह से संपूर्ण प्रत. 2. पूर्ण : मात्र अत्यल्प एक देश से अपूर्ण - 100 में से 98 पत्र उपलब्ध हो. 3. प्रतिपूर्ण : प्रतिलेखक ने ही कोई खास अध्याय अंश मात्र ही लिखा हो. 4. अपूर्ण : प्रत का ठीक-ठीक हिस्सा अनुपलब्ध हो. 5. त्रुटक : बीच-बीच के अनेक पत्र अनुपलब्ध हो. 6. प्रतिअपूर्ण :प्रतिलेखक ने ही कोई खास अध्याय मात्र ही लिखा हो और उस में भी पत्र अनुपलब्ध हो. Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत प्रकार प्रत ताडपत्र, कागज, आदि जो हो उसको प्रिन्ट किया गया है. (च) प्रतिलेखन संवत प्रत में उपलब्ध विक्रम शक आदि या लेखन शैली आदि के आधार पर अनुमानित विक्रम शतक (छ) पृष्ठ माहिती कहाँ से कहाँ तक, घटते-बढ़ते पृष्ठों की संख्या व कुल उपलब्ध पृष्ठ यथा 3 से 50-4 =56. : - (ज) क्लीन ओरीजीनल डीवीडी / झेरोक्ष पत्र प्रत का क्लीन एवं ओरीजीनल डीवीडी नंबर झेरोक्ष पृष्ठ माहिती के साथ प्रिन्ट किया गया है. (झ) प्रत विशेष प्रत से संबंधित प्रत विशेष को यहाँ प्रिन्ट किया गया है. (झ) प्रत का नाप लंबाई, चौडाई इंच में. - (झ) पंक्त्यक्षर प्रत के प्रति पृष्ट पर अंदाजित पंक्तियाँ. प्रत की प्रति पंक्ति में अंदाजित अक्षर. पंक्ति, अक्षर व कुल पृष्ठों के गुणनफल को 32 से भाग दे कर प्रत का अंदाजित ग्रंथाग्र निकाला जा सकता है. (झ) प्रतिलेखन स्थल : प्रतिलेखन पुष्पिका में प्राप्त स्थल को यहाँ प्रिन्ट किया गया है. * कृति माहिती स्तर इस स्तर पर प्रत में रही कृतियों की जरूरी सूचना होगी. (क) यदि प्रत में एक ही कृति होगी तो मात्र उसी की सूचना आएगी. (ख) यदि प्रत में संयुक्त कृति परिवारांश रूप एकाधिक कृतियाँ (यथा मूल व टीका) हो तो उन सभी की सूचनाएँ क्रमशः नीचे-नीचे आएगी. (ग) यदि प्रत में अनेक पेटा कृतियाँ हो तो पे संकेत के साथ पेटा क्रमांक से सभी कृतियाँ (उपरोक्त क, ख दोनों प्रकार की क्रमशः आएँगी.. प्रथम पंक्ति (अ) प्रत में पेटा कृतियाँ हो तो पेटा नाम प्रत नाम के ही नियमों के तहत कृति के मुख्य नाम से भिन्न प्रत में यथोपलब्ध अन्य नाम से आएगा एवं वह नाम 'सह' आदि वाला भी बनेगा. साथ मे पेटांक क्रमांक भी दिया गया है. पेटांक में 'ख' प्रकार से कृतियाँ हो तो पेटानाम बनेगा ही और अन्यथा यह खाली भी रह सकता है. ऐसे में कृतिनाम ही कृति परिचयांक के साथ इस पंक्ति में आ जाएगा (कृति नाम इसके नीचे की पंक्ति में आएगा.) (अ) यदि पेटांक नाम न हो तो पेटांक क्रमांक के साथ उसकी कृति का नाम प्रिन्ट किया गया है. (आ) यदि पेटांक नाम न हो तो कर्ता माहिती प्रिन्ट की गई है. (इ) यदि पेटांक नाम न हो तो कृति की भाषा प्रिन्ट की गई है. (ई) यदि पेटांक नाम न हो तो परिमाण माहिती को प्रिन्ट किया गया है... (उ) यदि पेटांक नाम न हो तो कृति का रचना वर्ष प्रिन्ट किया गया है. (ऊ) यदि पेटांक नाम न हो तो कृति का आदिवाक्य प्रिन्ट किया गया है. Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) यदि पेटांक नाम न हो तो कृति प्रकार प्रिन्ट किया गया है. (ऐ) इसके बाद वह पेटांक प्रत में किस पृष्ठ से किस पृष्ठ तक है वे पृष्ठांक आएँगे. यथा (10-15) (10A-15B) यहाँ A, B यह पृष्ठ की अगली-पिछली तरफ के सूचक है. क्योंकि हस्तप्रतों में सामान्यतः पृष्ठ के एक ही ओर पूरे पृष्ठ का क्रमांक होता है. यदि पेटा विशेष उपलब्ध हो तो पेटा विशेष आएगा. (ऐ) यदि पेटांक का केस न हो तो कृति विशेष प्रिन्ट किया गया है. नोंध - यदि पेटांक का नाम हो तो उपर प्रिन्ट की गई सारी माहिती तृतीय लाईन में प्रिन्ट की गई है. जिसमें पेटांक नंबर एवं पेटांक नाम के स्थान पर कृति का नाम तथा ऊपर दिए गये क्रमानुसार कर्ता, भाषा, परिमाण, रचनावर्ष, आदिवाक्य, कृति प्रकार तथा कृति विशेष आदि प्रिन्ट किया गया है. * सूचनाओ लीस्टोमां कृति संबंधी नाम, भाषा, कर्ता, आदिवाक्य, रचनासंवत के कृतिविशेष आदि विगतो जे ते छपाएला सूचीपत्र करतां घणी जग्याए जुदी पडशे. केमके आ विगत जुदा-जुदा सूचीपत्रोमांथी भेगी करीने भरवामां आवी छे. सामान्यपणे गायकवाडी केटलोग, भांडारकर, खंभात अने जेसलमेरना प्रथम सूचीपत्रनो आमां विशेष आधार लेवामां आव्यो छे. केटलीक विगतो कोबा ज्ञानभंडारमाथी जे ते कृतिनी मुद्रित पुस्तको जोईने पण उमेरवामां आवी छे. जेमके महावीर विद्यालयवार्छ पइन्नय सुत्ताई. जे प्रत के पेटांक माटे पृष्टनी विगत नथी मळी त्यां ? करी देवामां आव्यां छे. पेटांकमा क्यारेक अमुक पेटांको माटे भेगी एक सरखीज पृष्ट माहिती मळी छे त्यां ते माहिती ते बधा पेटांकोमा आपी देवामां आवी छे. * जे कृतिओ माटे नाम सिवाय कांईज माहिती मळती नथी त्यां अने कृतिनाम बाबते कोई शंका रही जती होय त्यां घणे अंशे कृतिनामना छेडे ?' करी देवामां आव्यो छे. • ज्ञानभंडार ताडपत्रीय होय पण एमाय जो कोई प्रत कागळनी होय तो प्रतस्वरूपमा एनो ए रीते उल्लेख कयों छे. जेसलमेर ताडपत्रीय भंडारमा आधुं धणी वखत बन्युं छे.. * दरेक सूचीओमां सर्वप्रथम जे माहिती माटेना मथाळाओ आपवामां आव्या छे ते पैकीनी जे लागू पडती माहिती उपलब्ध हती तेटलीज नीचे सूचीमां प्रिन्ट करवामां आवी छे.जे माहिती नथी ते माटे अलगथी कोई खाली जग्या विगेरे राखवामां आवी नथी. Page #17 --------------------------------------------------------------------------  Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतिपूर्ण ताडपत्र ६५/७४(३६८) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार श्रेष्ठ व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका- उद्देशक-१-३ (जुनो नं. १८८१-८२/१२)सूचीपत्र नं.१-४७२/१-४६४. :/पत्र-६+४८५+३=४९४./३५A-३५०,३६५A-३६५४,३६६.१.३६६-२.३६६-३ घटे छे. व्यवहारसत्र प्रा. भद्रबाहुस्वामी व्यवहारसूत्र-वृत्ति : मलयगिरिसुरि व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका मूल-श्रेष्ठ सम्पूर्ण, टीका-उद्देशक-४-१० ग्रं.६८८ ग्रं. १३७१९ ताडपत्र जे भिक्खू मासियं प्रणमत नेमिजिनेश्वर :४३९ गद्य ६५/७४(२८१) प्रतिपूर्ण वि.१४१२ (जुनो नं. १८८१-८२/१३११३२)भंडार संदर्भाक-१३१३२/८१-८२, सूचीपत्र नं.१-४६३/४७४./१००-१,१००२.१००-३,१००-४ डबल छे. लेखन स्थल: स्तंभतीर्थ भद्रबाहस्वामी .६८.. गं१३७१९. जे भिक्खु मासिय प्रणमत नेमिजिनेश्वर :४०१-१(१८५)-४०० व्यवहारसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसरि व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक-१: श्रेष्ठ गद्य अपूर्ण ताडपत्र वि. १३४४ ६५/७४(१५२) (जुनो नं. १८८१-८२/१४)सूचीपत्र-नं.१-४७१. /प्रतिलेखनस्थल-सिंहपुरी शाकम्भरी देशे मथुरान्वये. /पत्र-१०+४०१+१=४१२. /मूलपत्र-१-३, १४९०.१४९B,१४९० आ रीते बेवडाएल छे./४५ नंबरर्नु पत्र घटे छे... (३३४२) लेखन स्थल : सिंहपुरी मलयगिरिसूरि । ग्रं. १३७१९ प्रणमत नेमिजिनेश्वर व्यवहारसूत्र-वृत्ति व्यवहारसूत्र भाष्यटीका जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र ६५/७४(१४०) (जुनो नं. १८८१-८२/१६)सूचीपत्र-नं.१-४७०./अतिजीर्णत्रुटित. /झे.पत्र १२३ नथी., (२५.५४१.५) :सं ग्रं. १३७१९ ताडपत्र प्रणमत नमिजिनेश्वर ४८५ श्रेष्ठ संपूर्ण ६५/७४(३५६) (जुनो नं. १८८१-८२/१२)सूचीपत्र-नं.१-४६४, पत्र ३०-६३ आडा अवळा छे../पत्र-६+४८५+३=४९४. व्यवहारसूत्र-वृत्ति : मलयगिरिसरि व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीकाउद्देशक-१-३ व्यवहारसुत्र भद्रबाहुस्वामी व्यवहारसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसूरि व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक श्रेष्ठ प्रा. ग्रं.६८८ ग्रं. १३७१९ जे भिक्खू मासियं प्रणमत नेमिजिनेश्वर प्रतिपूर्ण ताडपत्र वि. १३९१ ३४५ ६६/७५(२८२) (जुनो नं. १८८१-८२/१३)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. सूचीपत्र नं.१-४६५, १-४७३, पत्र २७-४२, ८७-९४, १३११३६, २०५-२०८ नंबर सेट थया नथी./पत्र।४+३४५+३+२-३५४. लेखन स्थल: स्तम्भतीर्थ व्यवहारसत्र व्यवहारसुत्र-वृत्ति .. भद्रबाहूस्वामी मलयगिरिसूरि .... प्रा. सं. जे भिक्खु मासियं प्रणमत नेमिजिनेश्वर ग्रं.६८८.. ग्रं. १३७१९.......... गद्य Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतिपूर्ण ताडपत्र ६६/७५(८२) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक- मध्यम ७-९ (जुनो नं. १८८१-८२/१५)सूचीपत्र नं.१-४७५. (पत्र-७११४९ सारा छे. बाकी खराब छे.)/पत्र-५११४९८९९+3=१०२.. (३२४२....६४......... गद्य व्यवहारसूत्र-वृत्ति उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ सं. अपूर्ण ग्रं.१३७१९ ताडपत्र वि. १३४२ प्रणमत नेमिजिनेश्वर :३९४-१(३०३)=३९३ (जुनो नं. १८८०-८१/५)सूचीपत्र-नं.१-६६३./पत्र३९३+१+१-२-३९३.. (३३४२.५, ३-६४) उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधावृत्ति उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति नेमिचन्द्रसूरि श्रेष्ठ सं.,प्रा.,अपभ्रं. गं. १२०००वि . ११२९ अपणे ताडपत्र वि. ११६४ प्रणम्य विघ्नसघात :३४१ ६६/७५(२२०) (जुनो नं. १८८१-८२/४)सूचीपत्र-नं.१-६६२., (२६४१.५, ३-५४) लेखन स्थल : आमलेश्वर. नेमिचन्द्रसरि सं.प्रा.अपभ्र.: ग्रं. १२००० : वि. ११२९ :प्रणम्य विघ्नसङघात उत्तराध्ययनसत्र-सुखबोधावृत्ति उत्तराध्ययन सुखबोधा सह संपूर्ण ताडपत्र ४२५ ६६/७५(३२७) (जुनो नं. १८८१-८२/३)सूचीपत्र-नं.१-६५४./पत्र४२५+२+३-२०-४१०, पण सम्पूर्ण छे./पत्र ११३ नथी., (३३.५४१.५, ३-५४) उत्तराध्ययनसत्र सुधर्मास्वामी अध्याय ३६ ग्र. सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग २०९५ उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधावृत्ति नेमिचन्द्रसूरि सं.,प्रा.,अपनं.: . १२००० संपूर्ण ताडपत्र उत्तराध्ययनसुत्र श्रेष्ठ वि. ११२९...प्रणम्य विघ्नसङघात.. वि. १३३२ १७५-१०(१२७ थी १३६)=१६५. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य ६६/७६(५६) (जुनो नं. १८८०-८१/३)सूचीपत्र-नं.१-६४५./पत्र-१७५१०=१६५., (१५४२,३-५४४५-५५) सुधर्मास्वामी प्रा. अध्याय ३६ ग्रं. संयुक्त प+ग २०१५ ! उत्तराध्ययनसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ६६/७६(४६) (जुनो नं. १८८०-८१/४)सूचीपत्र-नं.१-६४९. /ग्रन्थान| २३००.. (१३.५४३ ., ५४४५-५६) सधास्वामी जागाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ ताडपत्र उत्तराध्ययनसुत्र श्रेष्ठ संपूर्ण वि.१३४० ६६/७६(४८) (जुनो नं. १८८०-८१/२)सूचीपत्र-नं.१-६४६.. (३२.५४१.५, ४-५४) सुधर्मास्वामी प्रा. अध्याय ३६ ग्रं. सजोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग *4.POR १४ शिष्यहिता-विशेषावश्यकभाष्यवृत्ति जीर्ण .. ३४४- ..........................६७/७६(२७५).....(जुनो नं. १८८०-८१/५८)सूचीपत्र-नं.१-१११२. ग्रंथ खराब Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष : कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका./पत्र २ थी २५ खूटे छ... (२७.५४२, ५-७४) विशेषावश्यकमहाभाष्य-शिष्यहिता सं. ग्रं.२८००० : वि. ११७५ श्रीसिद्धार्थनरेन्द वृत्ति हेमचन्द्रसूरि मलधारी जीर्ण विशेषावश्यकभाष्य संपूर्ण ताडपत्र ६७/७६(८६) (जुनो नं. १८८०-८१/५६)सूचीपत्र-नं.१-११०५. ग्रंथ खराब छे. /गाथा-४३३६.. (२५४२, ४-६४) विशेषावश्यकमहाभाष्य जिनभद गणि प्रा. गा. ४३१४ क्षमाश्रमण :श्रेष्ठ :विशेषावश्यकभाष्य व्याख्यान सहित संपूर्ण : ताडपत्र वि. ११३८ ३३२ ६७/७६(२३०) (जुनो नं. १८८०-८१/५७)सूचीपत्र-नं.१-११०६. नंबर आडा अवळा छे...(२५.५४२... ५-७४). विशेषावश्यकमहाभाष्य : जिनभद्र गणि :गा. ४३१४ पद्य कोल्याचा गं. १3900 कयपवयणप्पणामा वच्छ विशेषावश्यकमहाभाष्य-वृत्ति : निशीथसूत्र संपूर्ण ताडपत्र ६७/७६(३०६) । (जुनो नं. १८८०-८१/३५). भद्रबाहस्वामी गा./१२ जे भिक्ख हत्थकम्म निशीथसूत्र श्रेष्ठ संपर्ण ताडपत्र ६७/७६(१२) (जुनो नं. १८८०-८१/३५)सूचीपत्र-नं.१-४३७.. (२६४२., भद्रबाहस्वामी निशीथसूत्र सह चूर्णि-उद्देशक १-श्रेष्ठ १० :गा.८१२ ताडपत्र :जे भिक्खू हत्थकम्म ३४१ प्रतिपूर्ण ६७/७६(३०८) (जुनो नं. १८७२-७३/११३-११)भंडार-संदर्भाक-११३११४/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-४३८, १-४४५./पत्र२३९+१+१=२४१., (३२.५४२.५, ५-६४). (पे.पू. १०५:११५........ (पे. पृ. ११६-३४३). भद्रबाहस्वामी.....प्रा........ गा.८१२ ............ जे भिक्खू हत्थकम्म पद्य (पे.) निशीथसुत्र (पे.२) निशीथसूत्रचूर्णि निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि श्लोक २८००० णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध : जिनदास गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ गं. १७८८४ निशीथसूत्रचूर्णि-उद्देशक-१-१० प्रतिपूर्ण ताडपत्र वि. १३५९ :३२६ ६८/७६(२४८) (जुनो नं. १८८०-८१/३७)सूचीपत्र-नं.१-४४६.. (३०.५४२., ४-७) प्रथमखण्ड निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध :जिनदास गणि क्षमाश्रमण श्लोक २८००० ग्रं. १७८८४ Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम २१ २२ २३ २४ स्थिति कर्ता निशीथसूत्र चूर्णि सह विंशोदेशक श्रेष्ठ व्याख्या उद्देशक-११-२० द्वितीयखण्ड (पे. 9) निशीथसूत्र की विशेषचूर्णि निशीथसूत्र- विशेष चूर्णि (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. २) निशीथसूत्रनी विशेषचूर्णीनी विंशोदेशक व्याख्या निशीथसूत्र - विशेषचूर्णीनी विंशोद्देशक व्याख्या निशीथसूत्र भाष्य, विशेषचूर्णिउद्देशक-१४-२० (पे. १) निशीथसूत्रनी (प्रा.) चूर्णि निशीथसूत्र - विशेष चूर्णि (पे. २) निशीथसूत्र-भाष्य उपदेशमाला सह दोघट्टीवृत्ति उपदेशमाला उपदेशमालाप्रकरण- दोघट्टीवृत्ति उपदेशमालाप्रकरण आदि (पे. १) उपदेशमाला (पे. २) भक्तामर स्तोत्र (पे.३) स्थविरावली नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली जिनदास गणि क्षमाश्रमण श्रीचन्द्रसूरि श्रेष्ठ जिनदास गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ धर्मदास गणि रत्नप्रभसुरि श्रेष्ठ धर्मदास गणि मानतुङ्गसूरि देववाचक (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार आदिवाक्य ६८/७७ (३६०) ३५३-९ (५४ थी ५५,८७,११७,१२७, १३९.१५६ . १८८ थी १८९) ३४४ णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध भाषा प्रतिअपूर्ण प्रा. सं. प्रतिपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. सं. परिमाण प्रा. ताडपत्र श्लोक २८००० ग्रं. १७८८४ श्लोक ११०० संपूर्ण प्रा. गा. ५४४ सं. प्रा. अपभ्रं ग्रं. ११७६४ पूर्ण ताडपत्र ताडपत्र श्लोक २८००० ग्रं. १७८८४ गा. ६४३९ ग्रं. ८४०० ताडपत्र गा. ५४४ का. ४४ गा. ५० रचना वर्ष वि. १२९४ वि. ११७४ वि. ११४६ वि. १२९३ वि. १२३८ प्रणम्य वीरं सुरवन्द ४१६ णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध णवबम्भचेरमइओ अट्ठारस २९९ नमिऊण जिणवरिन्दे यस्यारघटस्य घनोपदे १८६-२ (१,१८४) =१८४ नमिऊण जिणवरिन्दे भक्तामर प्रणतमौलिमणि जयइ जगजीवजोणी. पद्य पद्य ६८/७७ (३१३) 9-393/803 पद्य पद्य ६८/७७ (२४३) पद्य गद्य ६८/७७ (४७) पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ. पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (जुनो नं. १८८०-८१/३८) सूचीपत्र नं. १-४५१ १-४४७. / १५२ खुटे छे, २५२ डबल छे. (३२.५५३, ४-६५) लेखन स्थल स्तंभतीर्थ (पे. पू. १-३३४) (पे. पृ. ३३५-३५३) (जुनो नं. १८८०-८१/३६) सूचीपत्र नं. १-४४१, १-४४८. (पे. पू. १-३३४) (पे.पृ. २३५-४१४) (जुनो नं. १८८१-८२ / ५) सूचीपत्र नं. २-२४३ / पत्र२९९+१=३००., (३३X२. ५) लेखन स्थल पाटण गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १८८०-८१/७३) सूचीपत्र नं. २-२३३.. ( १२.५४२.०) 2 (पे. पृ. १-५७१) पे.वि. सूचीपत्रांक-२-२३३. [कृ.वि.: गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे. पृ. ५७B- ६४A) पे.वि. सूचीपत्रांक-३-३५७ [कृ. वि. अमुक प्रतोमां ४८ काव्य पण छे] (पे. पृ. ६७A- ७०A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-६२६. Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम २५ (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.४) श्रावकविधि (पे. ५) धम्मोवग्गह दोणो दिज्झइ दानविधिकुलक (पे.६) नवकारफलकुलक (पे. ७) प्रब्रज्याविधान प्रव्रज्याविधानकुलक (पे.८) ऋषभपञ्चाशिका (पे.९) गौतमपृच्छा प्रकरण (पे. १०) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे. ११) धर्मलक्षण (पे. १२) विवेकमञ्जरी (पे. १३) एकविंशतिस्थानप्रकरण (पे. १४) अजितशान्तस्तव अजितशान्तिस्तोत्र (पे. १५) वीतरागस्तोत्र (१-२) वीतरागस्तोत्र (पे. १६) योगशास्त्र उपदेशमालाप्रकरण आदि (पे. १) उपदेशमाला (पे. २) भवभावनाप्रकरण १ (पे. ३) योगशास्त्र १-४ प्रकाश योगशास्त्र (पे. ४) धर्मोपदेशमाला स्थिति कर्ता धनपाल विमलसूरि सिद्धसेनसूरि नन्दिषेण हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ धर्मदास गणि हेमचन्द्रसूरि मलधारी हेमचन्द्रसूरि (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर इन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. सं. सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. सं. सं. गा. २५ गा. १४ गा. ३० गा. ५० गा. ५३ का. २८ गा. ६६ गा. ४० अध्याय २० ग्रं. १८७ अध्याय १२प्रका ताडपत्र गा. ५४४ गा. ५३१ अध्याय १२प्रका वि. ११७० 5 धम्मोवग्गहदाणं दिज्ज संसारविसमसायरभवजलपडि जय जन्तुकप्पपायव ! नमिऊण तित्थनाहं जाण कः खलु नालक्रियते चवण विमाणा नयरी जणया अजियं जियसव्वभयं यः परात्मा परज्योत नमो दुर्वाररागादिवैर २०३ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य पद्य नमो दुर्वाररागादिवैर पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य ६९/७७ (६७) पद्य नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउपय पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे.पू. ६७A-७०A) (पे. पू. ७04-७०A) पे.वि. अपूर्ण. (पे.पू. ७२B(?)-७५A) (पे. पू. ७५A ७७B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१३७३. कृ. वि. गाथा २४ थी ३५ सुधी मळे छे.. (पे.पू. ७७B-८४A) पे.वि. सूचीपत्रांक-३-४९. (पे. पृ. ८४-९०4) [कृ.वि. गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.] (पे.पू. ९०-९३). पंचपाठ), i ( पे. पू. ९३-९४B) [कृ. वि. (पे.पू. ९४B- ११०B) (कृ.वि. आसड कृत ? (पे.पू. १११-१२१) पे.वि. सूचीपत्रांक-२-२९०. (पे. पृ. १२१B-१२८B) पे. वि. गाथा- १४. सूचीपत्रांक-999४६ कृ. वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. (पे. पृ. १२८B-१२९B) कृ. वि. प्रकाश-२०. (पे. पू. १३२A १८६B) पे. वि. संपूर्ण ? (जुनो नं. १८८०-८१/७४) भण्डार संदर्भाक-७४(A)/८०८१. सूचीपत्र-नं.२-२३२ (१३.६४१.७, ३-५४५०-५५) (पे. पृ. १-५२०) पे.वि. सूचीपत्र नं. २-२३२. [कृ.वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे.पू. ५२A १०६A) (पे. प्र. १०६A-१४४B) (पे.पू. १४५A- १५४B) Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम २६ २७ २८ २९ ३० (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.५) जीवदयाप्रकरण (पे.६) नवपदप्रकरण (पे.७) एकविंशतिस्थानप्रकरण 1. (पे.८) समयक्षेत्रसमास (पे.९) श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे. १०) अतिचारगाथा आयरिय उवज्झाय साथ. (पे. ११) गीतमपृच्छा (2) गौतमपृच्छा प्रकरण निशीथ भाष्य निशीथसूत्रभाष्य आचाराङ्गसूत्र आचाराङ्गसूत्रनिर्युक्ति आचाराङ्गसूत्र-निर्युक्ति आचाराङगसूत्रनिर्युक्तिटीका आचाराङ्गसूत्र-वृत्ति आचाराङ्गसूत्रचूर्णि आचाराङ्गसूत्र- चूर्णी स्थिति कर्ता जिनचन्द्रसूरि देवगुप्तसूरि सिद्धसेन सूरि मध्यम श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी श्रेष्ठ शीलाङ्काचार्य श्रेष्ठ (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. पूर्ण प्रा. पूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. परिमाण गा. ११६ गा. १३८ गा. ६६ गा. ५० गा. १२ गा. ५३ ताडपत्र गा. ६४३९ ग्रं. ८४०० ताडपत्र ग्रं. २६४४ ताडपत्र गा. ३६५ ग्रं. ४७० ताडपत्र ग्रं. १२००० ताडपत्र ग्रं. ८३०० वि. १३४८ वि. १३४८ वि. १३४८. शक. ७९८ वि. १४५० 6 आदिवाक्य संसयतिमिरपयङ्गं भविय नमिउण बद्धमाणं मिच्छ चवण विमाणा नयरी जणया वन्दित्तु सव्वसिद्धे नमिऊण तित्थनाहं जाण १९७ णवबम्मचेरमइओ अट्ठारस ४२७ सुयं मे आउ तेणं १६ वन्दित्तु सव्वसिद्धे ३४९ जयति समस्तवस्तु २७८ मङगलादीणि सत्याणि पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य ६९/७७ (१६६) पद्य ६९/७७ (३७०) संयुक्त प+ग ६९/७७ (१३) पद्य ६९/७८ (११७) गद्य ६९/७८ (१८८) गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पू. १५४B-१६५A) (पे.पृ. १६५-१७८B) [कृ.वि. कर्त्ता तरीके सूचीपत्रोमां बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे.] (पे. पृ. १७८B- १८४B) पे.वि.: सूचीपत्र नं. २-२९१. (पे. पृ. १८४B - १९२B) (पे. पृ. १९३-१९७B) पे. वि. सूचीपत्र नं. १-९१९. (पे. पृ. १९७B- १९८B) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-११८६. (पे. पृ. १९८B-२०३B) कृ. वि. गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे. (जुनो नं. १८८१-८२/८ ) सूचीपत्र नं. १-४४२ / निशीथसूत्र मूल पण होवु जोईये. आदिवाक्य- जे भिक्खू हत्थ ..... (३१.५४२., ६x) (जुनो नं. १८७२-७३ / ७८) भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३. सूचीपत्र नं. १-२ (३३.५४२.५, ३-५४) भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३ सूचीपत्र नं. १-७. भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३ सूचीपत्र नं. १-१२. प्रथम श्रुतस्कन्ध टीका ग्रन्थाग्र- ९६६१. बाहरी साधु सहायेन कृता टीका. ( जुनो नं. १८८१-८२ / २ ) सूचीपत्र नं. १-९ / कुल ८७४० श्लोक.. (२२४१.५, ५-६x८०-८५) Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य संपूर्ण ताडपत्र ६९/७८(८) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार आचारागसूत्र नियुक्ति (जुनो नं. १८८०-८१/११)सूचीपत्र-नं.१-८.(१३४२.. ३६४४८). आचारागसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. वन्दित्तु सच्चसिद्धे पद्य गा.३६५ग्रं. ४७० ताडपत्र कल्पसूत्र : श्रेष्ठ संपूर्ण :१३१ भद्रबाहस्वामी प्रा गं. १२८०... देवचन्द्रसूरि ग्रं.३९५ [वि. ११४६ (पे.). (पे.२) कालिकाचार्यकथामुलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता :कल्पसूत्र ६९/७८(५३) (जुनो नं. १८८०-८१/१४)सूचीपत्र-नं.१-४९९.. (१५४२.५, :३-५४४४) नमो अरिहन्तार्ण.. संयुक्त प+ग...... .. १-९८).पे.वि... सूचीपत्रांक-१-४९९. अस्थि इहेव जम्बू (पे.पृ. ९९-१३१) पं.वि. : सूचीपत्रांक-४-११२. [कृ.वि. : ग्रंथान ३६० थी ४०० सुधी मळे छे.]. ९५-४(१ थी २.५३.६६)=९१ : ६९/७८(२७) (जुनो नं. १८९१-९५/१२४८)सूचीपत्र-नं.१-५०१., :(११.५४२., ४-६४३६) .. नमो अरिहन्ताणं... संयुक्त प+ग (प.पू. ३-९५/अणुसरि आगमवयणं सिरि (पे.पृ.) पे.वि. : सूचीपत्रांक-४-१११. श्रेष्ठ ताडपत्र भद्रबाहस्वामी ग्र.१२८० (प.) (पे.२) कालिकाचार्यकथा गा. १३२ ग्रं. १६९ जीतकल्पसूत्र चूर्णि ताडपत्र वि. १३मी ६९/७८(२२) (जुनो नं. १८८०-८१/२४)सूचीपत्र-नं.१-५९६.. (१२.५४२.. ४-६४५० : सिद्धसेनसरि : ग्रं.११०० सिद्धत्थसिद्धसासण जीतकल्पसूत्र-चूर्णी जीतकल्पूसत्रचूर्णि गद्य ६९/७८(१९) अष्ट संपूर्ण ताडपत्र वि. १श्मी ८५ (जुनो नं. १८८०-८१/२३)सूचीपत्र-नं.१-५९५., (१२.५४२.. ३-५४३८) गं. ११०० सिद्धत्थसिद्धसासण : सिद्धसेनसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ६९/७८(८) जीतकल्पसूत्र-चूणी जीतकल्पसूत्र व सिद्धत्थेत्यादिविवरण (पे.१) जीतकल्पसूत्र प्रा. . कयपवयणप्पणामो वोच्छं जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण गा.१०५ १३० (जुनो नं. १८८०-८१/७५)सूचीपत्र-नं.१-५९१, 4-५९७.. (१४४२.:.५४४०-४५). (पे.पृ. १-१२) पे.वि. : गाथा-१०३. सूचीपत्रांक-१-५९१. [कृ.वि. हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओं रहेल छे.] (पे.पू. १२-१३). (पे.पृ. १३-१८) पे.वि. : सुचीपत्रांक-१-५९७. [कृ.वि. कर्ता? /चूर्णिनो हिस्सो छे?] (पे.२/ श्रावकप्रायश्चित.. (पे.३) जीतकल्पसूत्रचूर्णिगतसिद्धत्थेत्यादि शास्त्रारम्भे विघ्नो Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रत प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार -विवरण पाक्षिकसूत्र सह वृत्ति अपूर्ण ताडपत्र :६९/७८(७२) (जुनो नं. १८८०-८१/४५ोसूचीपत्र-नं.१-११५०..(१४४२., ५-६४४५) पाक्षिकसूत्र पाक्षिकसूत्र-वृत्ति ३८पाक्षिकसूत्रवृत्ति संयुक्त प+ग १८९-१२(१५८ थी १६९)-१७७ तित्थड़करे य तित्थे शिवशर्मकनिमित्तं २५९ :यशोदेवसरि श्रेष्ठ पद्य ग्र.३५० श्लोक २७००:वि. ११८० ताडपत्र । वि.१२७५ :सं........ संपूर्ण ६९/७८(८०) (जुनो नं. १८९१-९५/१२८३)सूचीपत्र-नं.१-११५६., (१४४२., ३-४४४४) लेखन स्थल : अणहिल्लपाटक श्लोक २७०० पद्य पाक्षिकसूत्र-वृत्ति यशोदेवसूरि बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, चूर्णिश्रेष्ठ सं. अपूर्ण वि. ११८० वि. १३३४ शिवशर्मकनिमित्तं ४६६-१(३०८)=४६५ : ताडपत्र ७०/७९(४०४) (2.9) बृहत् कल्पसूत्र ।(पे.२) बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य भद्रबाहुस्वामी प्रा. अध्याय ६उद्दे. सङ्घदास गणि प्रागा .६६०० क्षमाश्रमण : णो कप्पइणिरगन्थाण काऊण नमोक्कारं तित्थ पद्य (जुनो नं. १८७२-७३/१२८-१३०)भंडार-संदर्भाक-१२८१३०/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-५६९, १-५७६, १-५८१.. (३२४२.५.६-७४).......... (पे.पू. १-32 ये.वि... सूचीपत्रांक-१-१६९: (पे.पृ. १०-१५८) पे.वि. : सूचीपत्रांक-9-410६. भंडारसंदर्भाक-१२९/७२-७३ आपेल छे. (पे.पृ. १५९-४६६) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-५८१. भण्डार संदर्भाक-१३०/७२-७३. (जुनो नं. १८८३-८४/२८२)सूचीपत्र-नं.१-५७०, १-५७७., (३५४२., ४-६४) (पे.पू. १-१२) पै.वि. : सूचीपत्रांक-4-4100.. (पे.पृ. १३-१८७) पे.वि. : सूचीपत्रांक-9-4100. (पे.३) बृहत् कल्पसूत्र-कल्पचूर्णी ग्र.१४७८४ मङगलादीणि सत्थाणि गद्य बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र واج ७०/७९(१५२) भद्रबाहस्वामी प्रा. अध्याय उद्दे :णो कप्पड णिग्गन्थाण (4.9) बृहत् कल्पसूत्र (प.२) बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य गा.६६०० काऊण नमोक्कारं तित्थ सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ अपुर्ण ताडपत्र १०५-१(७६)=१०४ :७०/७९(८६) (जुनो नं. १८८१-८२/६)सूचीपत्र-नं.१-५५५.. (३५४२., ५ ६x) बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, टीका उद्देशक-२ बृहत् कल्पसूत्र बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य अध्याय ६उद्दे. :णो कप्पड णिग्गन्थाण प्रा. प्रा. गा.६६०० :काऊण नमोक्कारं तित्थ :पद्य भद्रबाहुस्वामी सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति श्रेष्ठ बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति सं.प्रा. :प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद गद्य क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मां परिपूरित. ४२ बृहत्कल्पसूत्र चूर्णि संपूर्ण ......ताडपत्र.....वि. १२१८.२८१-३(५१,१८३ थी.. ७०/७९(२४५)...(जुनो नं. १८८०-८१/१३)ग्रन्थान-१६०००./सूचीपत्र-नं.-1 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार १८४)-२७८ ५८०./प्रतिलेखनस्थल-चाहरपल्ली. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका...(२९४२.५, ५-७४) लेखन स्थल : अणहिलपाटक ग्र.१४७८४ बृहत् कल्पसूत्र-कल्पचूर्णी सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह मलयगिरीयटीका मङगलादीणि सत्थाणि १९६ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १४९० ७०/७९(१४४) (जुनो नं. १८८६-९२/१३९०) ग्रन्थान-३७८०. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०? लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे. प्रा. गा.९१ पद्य सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रर्षि महत्तर सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ- मलयगिरिसूरि टीका सिद्धपएहिं महत्थं अशेषकर्माशतमः समूह ग्रं.३७८० गद्य संपण ताडपत्र २०६ :७०/८०(६०) (जुनो नं. १८८०-८१/६६)मात्र अंतिम गाथा की टीका का अंतिम आंशिक भाग एवं टीका प्रशस्ति नहीं है. चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे. :पय सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह :श्रेष्ठ मलयगिरीयटीका सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रर्षि महत्तर सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ- मलयगिरिसूरि टीका :बन्धशतक, बन्धशतकलघुभाष्य व: श्रेष्ठ विनेयहिता टीका गा.९१ ग्रं.३७८० सिद्धपएहिं महत्थं अशेषकांशतमः समूह गिद्य ताडपत्र : वि.१४९० :१५० ७०/८०(१२०) :(जुनो नं. १८८६-१२/१३९२)सर्वग्रन्थाग्र-३८६६. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०? लेखन : स्थल : स्तम्भतीर्थ (पे.पृ. १-६A) पे.वि. : गाथा-११०. जेरोक्ष पत्र-१-८. प्रकृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे.] (ये. पृ. ६A-GA) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र-८ वा. :शिवशर्मसूरि गा.१११ अरहन्ते भगवन्ते अणु : पद्य (प.१) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ गा.२५ नमिऊण जिणं बुच्छामि :/पे.पू.04-9408) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र-८-१२०. (पे.२) शतकभाष्य शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थलघुभाष्य (पे.३) बन्धशतक की विनेयहिताटीका शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ- विनेयहिता टीका शतक प्राचीन कर्मग्रन्थ की ग्र.३७०० हेमचन्द्रसूरि मलधारी श्रेष्ठ ताडपत्र वि. १५वी २०० ७०/८०(७६) . (जुनो नं. १८८०-८१/५९)सं. १४७१ में खरतरगच्छीय Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रत प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति प्रकार विनेयहिता टीका जिनराजसूरि के पट्ट अन्तर्गत जिनभद्रसूरि की यह प्रत है का उल्लेख है. सं. : ग्र.3000 हेमचन्द्रसूरि मलधारी जयत्यभिप्रेतसमृद्धि गद्य श्रेष्ठ अपर्ण ताडपत्र वि. १२६२ :१८४ ७१/८०(१८४) (जुनो नं. १८८१-८२/९)प्रत दो भागों में लिखी गयी है. मूलगाथा ८६६ व द्वारगाथा १३१ की टीका से आरंभ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थविनेयहिता टीका प्रवचनसारोद्वार की तत्त्वज्ञानविकाशिनी टीका - उत्तरार्द्ध प्रवचनसारोद्धारतत्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति संवेगरङ्गशाला हुआ है. सिद्धसेनसूरि सं. ग्रं. १८००० वि. १२४८ सन्नद्धरपि यत्तमोभि पाटन नवा सूचीपत्रमा कर्ता सिद्धर्षि लख्या छे. अपूर्ण ताडपत्र २१४ ७१/८०(१६४) (जुनो नं. १८८०-८१/७१)गाथा-७५३० तक है. अन्त भाग अपूर्ण है..... गा. १००५३. वि. ११२५ रेहइजेसि पयमह परम प्रा.... अपर्ण श्रेष्ठ ३९१ ७१/८०(३९६) (जुनो नं. १८८१-८२/७)सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण छे./१३९ अने १७२ खुटे छे. जिनचन्द्रसूरि तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका तत्त्वार्थाधिगमसूत्र उमास्वाति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-सम्बन्धकारिका-देवगुप्तसूरि टीका तत्वार्थाधिगमसूत्र-स्वोपज्ञभाष्य नी: सिद्धसेन सम्यग्दर्शनज्ञानचारि : वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ सं. ग्रं. २२२८२ वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ :गद्य वृत्ति भाष्य उपर पण छे. टीका ५० भगवतीसूत्र वृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ४१५ ७१/८०(३२७) (जुनो नं. १८८१-८२/१०)सूचीपत्र-नं.१-९३./१ अने ३ खूटे छे. /३८,३८०,१०४०,१०४B डबल छे., (३४४२.५, सं. प्र.१८६१६.........वि.११२८..... सर्वज्ञमीश्वरमनन्त.......... प्रतिपूर्ण : ताडपत्र :२८२ ७१/८०(९६) (जुनो नं. १८८०-८१/१६)दो भागों में यह प्रत लिखी गयी है. इस भाग में गाथा-३०३ से अन्त तक है. भगवतीसूत्र-टीका अभयदेवसूरि बृहत्क्षेत्रसमास सह मलयगिरीयटीका - उत्तरार्द्ध बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण बृहत क्षेत्रसमासप्रकरण-टीका मलयगिरिसुरि ५२....जाताधर्मकथागसूत्र, वृत्ति-....... प्रा. पद्य गा.६४० ग्रं. ८७५ ग्रं.७६६० ताडपत्रवि . १२९३ नमिऊण सजलजलहरनिभस्सण जयति जिनवचनमवितथमित :३०२ गद्य ७१/८१(२३३)......:(जुनो नं. १८८०-८१/२६)सूचीपत्र-नं.१-१२५. १-१३१...... संपर्ण 10 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार सधर्मास्वामी ग्रं.५००० सचित्र (प.) ज्ञाताधर्मकथागसूत्र (पे.२) ज्ञाताधर्मकथाङगसूत्र-वृत्ति प्रमेयकमलमार्तण्ड ? वि. ११२० अभयदेवसरि श्रेष्ठ गद्य तेणं कालेणं तेणं नत्वा श्रीमन्महावीर :२०० ग्रं. ४३६६ ताडपत्र (३१.५४२.५) (पे.पू. ५-१६५) पे.वि. : सुचीपत्रांक-१-१२५. (पे.पू. १६६-३०२).पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१३१...... :(जुनो नं. १८८७-९१/१०६१)सूचीपत्र नं.-८६६. प्राचीन कानडी लिपी. परिमाण-परिच्छेद-६. दिगंबर न्याय. ७२/८१(१६२) अध्याय सिद्धेर्धाम महारिमोह गद्य ताडपत्र ૨૬૦ ७२/८१(२५०) (जुनो नं. १८८७-९१/१०५६)सूचीपत्र-नं.-२-७०. परीक्षामुखसूत्र-प्रमेयकमलमार्तण्ड प्रभाचन्द्रसूरि टीका (दिगम्बर) लघीयस्त्रय सह टीका श्रेष्ठ संपूर्ण न्यायकुमुदचन्द्र लघीयस्त्रयप्रकरण : अकलकदेवसूरि :सं. (दिगम्बर) लघीयस्त्रयप्रकरण-न्यायकुमुदचन्द्र प्रभाचन्द्रसूरि । टीका । सूर्यप्रज्ञप्तिटीका जीर्ण संपूर्ण धर्मतीर्थकरेभ्योस्तुप्रकटिता गद्य सिद्धिप्रदं ५५ ताडपत्र वि.१३८९ ७२/८१(१०८) (जुनो नं. १८८१-८२/१९)सूचीपत्र नं.१-२३५. पृष्ठ माहिती अप्राप्य...(३३४४.५). यथास्थितं जगत्सर्व ग्रं.९१२५ :ताडपत्र संपूर्ण १०० सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति...--------- मलयगिरिसूरि प्रमाणनयतत्त्वालोकालड़कार सह श्रेष्ठ वृत्ति प्रमाणनयतत्त्वालाकालाकार वादिदेवसरि ७२/८१(४४) (जुनो नं. १८८०-८१/४९)सूचीपत्र-२-३९. ग्रन्थ खराब छे. टीका कई छे ए नक्की नथी. वादिदेवसूरि ग्र.७२८४ प्रमाणनयतत्त्वालोकालड़कार- स्याद्वादरलाकरवृत्ति वन्दित्तुसूत्र सह टीका जीर्ण ताडपत्र ७२/८१८) (जुनो नं. १८८०-८१/४३)सूचीपत्र-नं.१-१०००. ग्रन्थ । नथी., (१२.५४३.. ४-७४५५-६०) आवकप्रतिक्रमणसत्र गा.५० वन्दित्तु सव्वसिद्धे पद्य आवकप्रतिक्रमणसूत्र-वृत्ति ........ उपदेशकन्दलीविवरण सह टीका श्रेष्ठ ताडपत्र २५० ७२/८१(३८) (जुनो नं. १८८०-८१/६)सूचीपत्र-? /साचो भंडारसंदर्भाक-६/८०-८१ अने सूचीपत्र नं.२-१९१ जणाय उपदेशकन्दली :आसड ........ प्रा..........गा. १२५ ........... तिहुयणमङ्गलतिलयं पद्य 1 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार यन्नाभीनासिकाभूदृग बालचन्द्रसूरि जीर्ण सं. संपूर्ण ग्रं.७६०० ताडपत्र :३०० ७२/८१(१४०) उपदेशकन्दली-वृत्ति नन्दीसूत्र सटीक + अनुयोगद्वारना थोडा पाना (4.9) नन्दीसूत्र विस्तृत रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १८८१-८२/१)सूचीपत्र-नं.१-६४१., (३०.५४२, ५x) (पे.पृ.?) पे.वि. : पानाओ अस्त-व्यस्त छे. [कृ.वि. : आनुं अने आवश्यकनियुक्तिनुं आदिवाक्य समान छे] देववाचक प्रा. ग्रं.७०० :जयइ जगजीवजोणीवियाणओ संयुक्त प+ग नन्दीसूत्र-वृत्ति (पे.२) अनुयोगद्वारसूत्र-वृत्ति ...... मलयगिरिसरि हेमचन्द्रसूरि मलशारी सं. सं. ग्रं.७७३२ ग्रं.५८८८ :जयति भुवनैकभानुः सम्यक्सुरेन्द्रकृत गद्य (पे.पृ. ?) पे.वि. : पानाओ अस्त-व्यस्त छे.रचना स्थल धवलक्ककनगर (जुनो नं. १८८०-८१/७०)सूचीपत्र-नं.१-५९. ग्रन्थ नथी.. (१३४२... ४-६४५५) स्थानाङ्गसूत्र जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र २१० ७२/८१(७५) सुघमास्वामी .3300 सुय में आउस तण शान्तिनाथचरित्र संपूर्ण ताडपत्र ३०० ७२/८१(१०५) (जुनो नं. १८८०-८१/६५)सूचीपत्र-नं.४-६१., (१६.५४२.५, ४-५४५५-६० शान्तिनाथचरित्र श्रेष्ट संपूर्ण ताडपत्र १५५ ७२/८१(१०५) (जुनो नं. १८८१-८२/१७)सूचीपत्र-नं.४-७२२., । (२९.५४२.३) शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य श्लोक ५५७४ माणिक्यचन्द्रसरि: सं. श्रेष्ठ संपूर्ण तेपि ब्रह्मादयो यस्य १९० कुमारपालचरित ताडपत्र ७२/८१(७९) (जुनो नं. १८८०-८१/२सूचीपत्र नं.४-१२४ (१२२A), /सर्ग-२०, ग्रन्थान-२८२८./पत्र-१८३+२+४+७=१९६., (१६.१४२.१, ५-६४५५-६०) हेमचन्द्रसूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह (पे.१) उबएसमालापगरण सर्ग २० ग्रं. ૨૮૨૮ हस्तप्रत ६४ संपण ७२/८१(६२) (पे. पृ.) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-५४३. प्रारंभ के पत्र नहीं है. गाथा-३५ तक नहीं है. ताडपत्रीय पत्रांक झेरोक्ष में नहीं आया है. झेरोक्ष पत्र-१-११. कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (पे. पू.?-90६/पे.वि. : झेरोक्ष पत्र ११-२७. ताडपत्रीय। उपदेशमाला धर्मदास गणिप्रा . नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.२) भवभावणा Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष :आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार पत्रांक प्रारंभ के झेरोक्ष पत्रों में नहीं आया है. भवभावनाप्रकरण प्रा. गा.५३१ वि. ११७० नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ पद्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी :/पे.३) योगशास्त्र-१से४ प्रकाश (पे. पृ. १०६A-१४४B) पे.वि. : प्रतिपूर्ण, झेरोक्ष पत्र-२७ हेमचन्द्रसूरिसं. अध्याय १२प्रका नमो दुर्वाररागादिवैर (प. पू. १४५4-१५४०) प्र.वि. : झेरोक्ष पत्र-३९-४४.. (पे.४) धम्मोवएसमाला धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.५) जीवदयापगरण जयसिंहसरि गा.१०१ सिज्झउ मज्झविसुयदेवि पद्य (पे. पृ. १५४B-१६५० मे.वि. : गाथा-११२. झेरोक्ष पत्र जीवदयाप्रकरण संसयतिमिरपयङगं भविय (पे.६) नवपदसूत्र नवपदप्रकरण गा. १३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ पद्य जिनचन्द्रसूरि. देवगुप्तसूरि (पे. पू. १६५4-१७८०) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र-४१०-५२... कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे. (पे.पू. १७८B-१८४४) पे.वि. : गाथा-६४. झेरोक्ष पत्र-५२ (पे.५) एकविंशतिस्थानप्रकरण सिद्धसेनसूरि गा.६६ चवण विमाणा नयरी जणया पद्य ५४. (पे.८) खेत्तसमास :/पे.पू. १८४B-१९२०) पे.वि. : अन्तिम पत्र का अक्षर घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र-५४-५६. :गा.८५ बृहत् क्षत्रसमासप्रकरणसक्षिप्तक्षेत्रसमासप्रकरण जिनभद्रगणि क्षमाश्रम नमिऊण सजलजलहरनिभस्सण पि.९) साधुप्रतिक्रमणसूत्र :गा. ५३ (प.90) अतिचारगाथा पद्य गा.८ :गा. ५३ नाणम्मि दंसणम्मि नमिऊण तित्थनाहं जाण (पे.११) गौतमपृच्छा प्रकरण प्रा. पद्य (पे.पृ. १९३०-१९७०) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र-५५-५८. [कृ.वि. अ.वा.-खमामि सबस्स अहियंपि] (पे.प्र. १९७-१९८०) पे.वि.: झेरोक्ष पत्र-५८. (पे.पृ. १९८४-२०३४) पे.वि. : अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं है. गाथा-५३ तक है. झेरोक्ष पत्र-५८-६०. [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.] :(जुनो नं. १८८०-८१/४८)सूचीपत्र नं.१-२२१./ता.पत्र:१-७ आडा अवळा छे.. (२३४१.५, ५४) प्रज्ञापनासूत्र टीका संपूर्ण ताडपत्र :७२/८२(५५) Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम ६६ ६७ ६८ ६९ (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम प्रज्ञापनासूत्र- लघुवृत्ति ललितविस्तरापञ्जिका आवश्यक सूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र की ललितविस्तराटीका पञ्जिका टीका द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका १ - २० द्वात्रिंशिका द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका सूक्ष्मार्थविचारसार सह विवरण सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण- विवरण आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि (पे.१) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति (पे. २) आवश्यकसप्ततिका (पे.३) आशातनासमास (पे.४) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण (पे.५) पिण्डविशुद्धिप्रकरण (पे.६) जीवगुणस्थान १४ प्रभेद निरूपण (पे.७) कालविचारशतक स्थिति कर्ता हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ मुनिचन्द्रसूरि श्रेष्ठ सिद्धसेन दिवाकर सूरि श्रेष्ठ जिनवल्लभ श्रेष्ठ जिनवल्लभ (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य गद्य ७२/८२ (५०) जिनवल्लभ भाषा सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. मुनिचन्द्रसूरि प्रा. मुनिचन्द्रसूरि प्रा. जिनवल्लभ प्रा. प्रा. मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि प्रा. प्रा. परिमाण ग्रं. ३९३८ ताडपत्र ग्रं. २०५० ताडपत्र अध्याय ३२बत्री ताडपत्र गा. १६४ ताडपत्र गा. ८६ गा. ७० गा. ७३ गा. १६४ गा. १०४ गा. १०१ 14 २४८ नत्वानुयोगवृद्धेभ्य ९० स्वयम्भुवं भूतसहस्र १२८ सयलन्तरायवीरं वन्दिय नाणज्झाणबलेण जेण १८९-२ (६२ थी ६३ ) = १८७ निच्छिन्नमोहपासं देविन्दविन्दवन्दियपय आसायणायणासण सोहिय सयलन्तरायवीरं वन्दिय देविन्दविन्दवन्दियपय सव्वगुणार्ण ठाण भुवण नमियजियकालकीलङ्काल गद्य ७२/८२ (२२) पद्य ७२/८२ (५२) पद्य गद्य ७२/८२ (४०) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ. पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( जुनो नं. १८८०-८१ / २१) सूचीपत्र नं. १-८४६., ( १२.३४१.५, २-४९४५) (जुनो नं. १८८०-८१/३२) ग्रन्थाग्र-८३०. (जुनो नं. १८८०-८१ / ५५ ) अन्तिम पत्र नहीं है परन्तु ग्रन्थ संपूर्ण है. गाथा १२३ थी १६४ सुधी जुदी-जूदी प्रतोमां मळे छे. (जुनो नं. १८८०-८१ / ७७) सूचीपत्र नं. २- १३३, ( १०.५४१.७, ३-६४४५-५०) (पे. पृ. १-१०B) पे.वि. सूचीपत्रक्रम-२-१३३. [कृ.वि. गाथा १०४ सुधी मळे छे.] (पे.पू. १०B-१७B) (पे.पू. १७B-२६B) पे. वि. कृतिनाम आपेल नथी. (पे.पू. २६A-४३A) पे.वि. गाथा- १५५. [कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जुदी-जूदी प्रतोमां मळे छे.] 8 सूचीपत्र नं. १-४११. [कृ.वि... (पे. पृ. ४३B-५४B) पे.वि. गाथा १०५ सुधी मळे छे.] (पे. पृ. ५५B-६१B) (पे. पू. ६४A-७६B) (कृ.वि. यशोधवल की पुत्री Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम ७० (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.८) रत्नत्रयकुलक (पे.९) जीवसत्तरी जीवसप्तति i ( पे. १०) अशोकचन्द्र वर्णन ( पे. ११) अशोकचन्द्र गुणकीर्तन (पे.१२) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे. १३) पञ्चसूत्र (पे. १४) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनासूत्र (पे. १५) अष्टप्रवचनमातागाथा (पे. १६) नेमिपञ्चाशिका (पे. १७) नाभेयस्तोत्र (पे. १८) मुनिसुव्रतस्वामिस्तोत्र (पे. १९) चैत्यवन्दनाधिकारस्तोत्र (पे. २०) हितोपदेशकुलक (पे.२१) उपदेशकुलक (पे.२२) कर्मोपदेश (पे. २३) विषयानुशासनाङ्कुश (पे. २४) सुबाहुकुमारकथा (पे. २५) चतुःशरणप्रकीर्णक (पे. २६) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक 1. (पे. २७) मुनिचन्द्रसूरि विरह - अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी स्थिति कर्ता मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि वादिदेवसूरि श्रेष्ठ (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर इन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण गा. ३१ गा. ७१ गा. २१ गा. १३ गा. ५० अध्याय ५सूत्र गा. २० गा. ४९ गा. २८. गा. ३० गा. १४ गा. २५ गा. २५ गा. २५ गा. २५ गा. २१५ नं. २७६ गा. २७ गा. २६ गा. ५५ ताडपत्र वि. १३७८ 15 चन्दद्धसमनिडाल उसभाइए जिणिन्दे पद्य सङ्खक्खमालधणुबाणचउकर पद्य नमिर सुरासुरमहियं वन्दित्तु सव्वसिद्धे पद्य नमो वीतरागाणं सव्व सज्झायसमत्तीए अभउ... कुवलयदलसच्छायं तिहु जो पामीयरकन्तीकाय. मरुयच्छलच्छिवच्छत्थ नमिऊण सयलतियसिन्दा भो भव्वा सवणञ्जलीहिं निसुणन्तुखणं परि सुणेह भो भव्यजणा विसमो विसयविसद्मो अत्थेत्थ भरहवासम्मि चउसरणगमण दुक्कडगरहा अरहन्ता मङगलं मज्झ निव्वाणगमणकल्लाणवासर पद्य २५२ पद्य गद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य ७२/८२ (७६) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष परमश्राविका रुक्मिणी के प्रोत्साहन से इसकी रचना हुई ] (पे.पू. ७७A-COA) (पे. पृ. ८०A-८७A) (पे.पू. ८७A-८९B) पे.वि. सूचीपत्रांक-३-२२१. (पे. पू. ८९B-९१A) पे.वि. सूचीपत्रांक-३-२००५. (पे.पू. ९१-९६B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-९२०. (पे.पू. ९६B-१२०B) (पे. पृ. १२०B-१२५A) पे.वि. सूचीपत्रमां आपेल १३ थी २४ सुधीना पेटांक चैत्यवन्दनासूत्र अन्तर्गत लई लीधा छे (पे.पू. १२५A - १२७A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१३३४. (पे. पू. १२७A-१३२A) पे.वि. सूचीपत्रांक-३-२८८.. (पे.पू. १३२A १३८A) पे. वि. सूचीपत्रांक-३-२७५. (पे.पू. १३८A- १४०B) पे.वि.: सूचीपत्रांक-३-४२१. (पे. पू. १४०B- १४२A) पे. वि. सूचीपत्रांक- ३-७१५. (पे.पू. १४२B-१४५A) (पे.पू. १४५ १४७B) पे. वि. सूचीपत्रांक-२-१९२. . (पे.पू. १४०-१५०A) (पे.पू. १५०B- १५३A) (पे. पृ. १५३B- १७५A) पे. वि. सूचीपत्रांक-४-८४६. [कृ. वि. गद्यपद्यमय.] (पे.पू. १७५७ - १७८A) पे. वि. सूचीपत्रांक-१-१२१०. (पे.पू. १७८A- १८२A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-३७०. (पे.पू. १८२A -१८९B) (जुनो नं. १८९१-९५ / १३९२ ) सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र२५२+२-१-२५३. / पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १) अर्हत्स्तोत्र (पे. २) अरिहाणस्तोत्र (पे.३) आमेरु महामन्त्र (पे.४) सूरिविजय महामन्त्र (पे. ५) वर्धमानविद्या (पे.६) पार्श्वनाथस्तव (पे.७) चैत्यवन्दनगाथा (पे.८) वन्दनकगाथा (पे.९) प्रत्याख्यानगाथा (पे. १०) उपवासगणना (पे. ११) योगविधि (पे. १२) भगवतीसूत्र भगवत्यङगयन्त्र (पे.१३) स्थिति कर्ता मानदेवरि पूर्णचन्द्रसूरि चक्रेश्वरसूरि कुलप्रभसूरि (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण गा. ३७ गा. १० गा. १३ गा. १२ श्लोक १३ गा. ५९ गा. ४६ गा. ३२ गा. ६४ 16 अरिहाण णमो पूयं अरह रेगोपुण..... इय एए उवएसो सम्म ॐनमो जिणाणं मना विलसन्तजोइवीए परम नत्वोपासितचरणं कमठेन भावजिणे दव्वजिणे मुहणन्तयदेहावसस्स (ए) पुरिमड्ढएगभत्तुय नमिऊण जिणे पयओ जग पठमसए उद्देसा १० सक्करकासारक्खोयरसखीर पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (१३.२४२.२.५1७४५५) (पे.पू. १A-३A) पे.वि.: सूचीपत्रांक-३-१५. (पे.पू. ३A-3B) पे.वि. सूचीपत्रांक-३-१६. (पे. पृ. ४A-४B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१३७९ [कृ. वि. अंतिमवाक्य- (१) ॐ बउ निबऊ समणे सोमणासे महुरे महुरे स्वाहा. / (२)ॐ किरिकिरि.] (पे. पृ. ४B-५A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१३८०. [ कृ. वि. अन्तिमवाक्य-ॐ वगु (ग्गु ? ) वगु मह महरे प्राकार.] (पे. पृ. ५A-५B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४०१ [कृ. वि. अंतिमवाक्य इय वद्धमाणविज्जा चक्केसरपहुपसायसंपत्ता.) (पे.पू. ५B-६A) पे.वि.: सूचीपत्रांक-३-३३०. (पे. पृ. ६A-CB) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१२७८. सूचीपत्रांक-१-१३१८ मां पण आनी विगत बेवडाई छे. [कृ.वि. अंतिमवाक्य तत्तो य कम्मनासं पणट्ठकम्मोय निव्वाणं.] (पे. पृ. ८B-११A) पे.वि. सूचीपत्रांक- १-१३०२. [कृ.वि. अन्तिमवाक्य वंदण आलोयण खामणे सुवन्नाण परिसंखा.] (पे. पू. ११B-१३A) (पे. पृ. १३A) पे.वि. गाथा- ३२. सूचीपत्रांक-१-१२५४. [कृ.वि. अंतिमवाक्य अहवा दोहि वि भणिउ तयभावे पुव्वसूरींहि .] (पे.पृ. १३-१७4) [कृ.वि. अन्तिमवाक्य - ( १ ) अणुन्नाए समं धारेज्जह अन्नेसि ज पविज्जह. / ( २ ) वासनिक्षेपानंतरं नित्थारगपारगा होइ... गुरुगुणेहिं वट्टेज्जाहि .] (पे.पृ. १७B-१८A) (पे.पू. १८B-१९A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१२०० [कृ.वि. Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार गणियोगवाहिकल्प्याकल्प्यविधि 15 (पे.१४) योगवाहिसत्ताकल्प (पे.१५) आउत्तकप्पजोगवाही थिरकट्ठकवाडाई विगइ आउत्तकप्पजोगवाही (पे.१६) योगिप्रायश्चित्तविधि उस्सघट्ट पुञ्जह जोगं पुण उक्खिप्पड़ (पे.१७) योगारम्भदिनशुद्ध्युपाङ्गयोगविधि : अन्तिमवाक्य-संजईणं उद्देसं समुद्देसं वा पडिक्कमियवं वासया पाउरियपरिहियाणं] (पे.पू. १९०-१९ (पे.पृ. १९०-१९०) [कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-तित्थपरेहि इयाणि...ते तेतमन्नयरं तस्स पच्छित्तं.] (पे.पृ. २००-२००) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१३१०. [कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-गाढा अक्कासणगं ओहियं न पडिलहेइ न पमज्जइ...अभत्थत्थट्ठो.] (पे.पृ. २०४-२१०) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१२८७. [कृ.वि. अन्तिमवाक्य-जइ किमवि अस्थित्तो...आयाराइ अंगा. तेर्सि उ इमा उवंगाणि]. (पे.पृ. २१०-२२ पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१४०६. [कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-एयरिसाणं पुरओ विणयं पुचसयसमुद्दनीसंद.] :(पे.पृ. २२०-२७०/ पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१३५९. [कृ.वि. अन्तिमवाक्य-एए सामन्नयरे...मिच्छत्तविराहणं पावे.] (पे.पृ. २७4-२९०) ये.वि. : सुचीपत्रांक-१-१३९७. [कृ.वि. : पाउसि उद्धरत्ते उत्तरदिसि...पुब्बदिसा पच्छिमे कालो. (पे.१८) सक्षिप्तयोगविधि :गा.९ नमिऊण वराणं गणहराणं पद्य :(पे.१९) प्रथमकालग्रहणविधि गा.८४ :सिरिवीरजिणं नमिठ पद्य (पे.२०) द्वितीयकालग्रहणविधि शीलचन्द गा.८४ चउरासीगाहाण वाणायरिय पद्य (पे.२१) योगोत्क्षेपनिक्षेपविधि पडिक्कमणपज्जते जइ (पे.२२) वसतिकालप्रवेदनविधि सुरे उग्गए पमज्जिए (पे.२३) स्वाध्यायप्रस्थापनविधि तयाणन्तरं वाणायरिओ (पे.पृ. २९B-३००/ [कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-विगइ लेसु...इत्थं खमासमणं दाऊण काउस्सगं करेड... (पे.पृ. ३००-३००) पं.वि. : सूचीपत्रांक-१-१४२३. (कृ.वि. : उद्दामदण्डकछन्दोमयी (पे.पृ. ३००-३१) पे.वि. : सूचीपत्रांक-9-१३८८. [कृ.वि. अन्तिमवाक्य-तओ वंदर्ण दाऊण...एसा सज्झायपट्ठवणविही (पे.पृ. ३२४-३५० पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-६१२. [कृ.वि. : नित्थारगो नियपइन्नाए पारगो संसारसमुदस्स नाणदंसणचरित्तलक्खणेहिं गुरूणेहिवटेज्जाहि.] (प.पू. ३२४-३५4) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१३७१. कृ.वि.. (पे.२४) योगनन्दिविधि गुरू आसणसुवगओ अप्प (पे.२५) नन्दीसूत्र.. Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.२६) प्रव्रज्याग्रहणविधि (पे. २७) शिष्यानुशास्ति (पे. २८) प्रव्रज्यायोग्यायोग्यविचार (पे.२९) लोचप्रवेदनविधि (पे.३०) उत्थापनविधि (पे.३१) उत्थापनाकथा (पे.३२) नन्दिस्तुति (पे.३३) मुद्रागाथा (पे ३४) आचार्य प्रतिष्ठा विधि (पे. ३५) आचार्यस्तुति (पे.३६) आचार्यस्तुति (पे. ३७) सम्यक्त्वारोपण विधि (पे.३८) सम्यक्त्वदण्डक (पे. ३९) मिथ्यात्वगाथा (पे. ४०) सम्यक्त्व देशनागाथा (पे ४१) सामायिकग्रहणविधि (पे.४२) पौषधग्रहणविधि (पे. ४३) सामायिकपौषधपारणविधि (पे.४४) पौषधाश्रितविचार (पे.४५) उपासकप्रतिमा (पे.४६) यतिप्रतिमा स्थिति कर्ता (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य भाषा सं. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. सं. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा.सं. सं. प्रा. सं. प्रा. सं. प्रा. सं. प्रा. परिमाण गा. २० का. ८ गा. २ गा. २३. श्लोक १३ गा. २१ गा. ६ गा. १३ 18 प्रथमं चैत्यभुवने धन्नोसि तुमं सुन्दर अट्ठारसपरसेस् वीसं सक्कत्थएण चेइयाणि उठावणविही एसो आढवइ सम्ममेसो तहा श्रुतकेवलीदंष्ट्रं दहण पलावण पडिजीवणं, सिहिजोगम्मि पसत्थे धन्य स्वयं येन पञ्चविह आयारं आयरमाण प्रथमं चैत्यभुवने अहं भन्ते तुम्हाणं मित्थत्तवेय तह राग सम्मत्तदायगाणं पुप्प सामायिकमुखवस्त्रिका मुंहपोति पडिलहेऊण पौषधधारणके प्रथमं सव्वेवि खलु गिहत्था उपसकानां प्रतिमा मासाई सत्तन्ता पदमा पद्य गद्य गद्य गद्य गद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ. पेटा विशेष आनुं अने आवश्यकनिर्युक्तिनुं आदिवाक्य समान छे.] (पे.पृ. ३५-३६B) [कृ.वि. अन्तिमवाक्य पाउंछणपूठाय पवेयणं पवेयह प्रत्याख्यानं करोति ] (पे. पृ. ३६B-३७B) (पे.पू. ३७७-३८A) (पे.पू. ३८A-३८B) (पे. पृ. ३८B-४०A) (पे.पू. ४०A-४०B) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१३६१. (पे.पू. ४०B-४१A) (पे. पृ. ४१-४१B) (पे. पृ. ४१-४२8) पे. वि. सूचीपत्रांक-३-२६. (पे.पू. ४३A-४३B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४१५. (पे. पृ. ४३B-४५A ) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४१४. (पे. पृ. ४५A-४५B) (कृ.वि. अंतिमवाक्य तदनंतर वासा दीयंते प्रदक्षिणात्रयं च ततो वन्दनपूर्व प्रत्याख्यानं ] (पे. पृ. ४५B-४६A) (कृ.वि. अंतिमवाक्य-बलाभयोगेणं देवयामिओगेणं गुरुनिग्गहेणं चित्तीकंवारेणं वोसिरामि . ] (पे. पू. ४६A-४६B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४२०. (पे.पू. ४६B-४७A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१३६४. (पे. पृ. ४७4-४७B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४२१. [कृ.वि. अन्तिमवाक्य- पुणरवि खमासमणं दाऊण भणइ इच्छाकारेण संदिसह सज्झाउ करइ. (पे. पृ. ४04) (कृ.वि. अंतिमवाक्य तस्स भन्ते पडिक्कमामि गरहामि अप्पाणं वोसिरामि] (पे. पू. ४७-४८A) (कृ.वि. अन्तिमवाक्य ततः छउमत्थो मुढमणो इत्यादि गाथाकदंबकमुद्धायीत.] (पे.पू. ४८A-४९A) 1. (पे. पू. ४९A - ४९B) पे. वि. सूचीपत्रांक-१-१३५३. (पे. पृ. ४९B-५०B) पे. वि. सूचीपत्रांक-१-१४११. Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक: प्रत नाम । (पेटा नंबर).पेटा नाम :कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (पे.४७) उपासकप्रतिमानन्दि नन्दिः प्रथमं क्रियत (पे.४८) श्रावकवतारोपनन्दि गा. १८ चीवन्दणवन्दणयं गिहिपद्य (पे.४१) उपधाननन्दि अक्षताञ्जलिं भृत्वा (ये.५०) वर्धमानविज्जा . उपधान विधि पञ्च नमोक्कारे किर (.५१) वर्धमानविद्या (प.५२) मालारोपणविधि i/पे.५३) पञ्चपरमेष्ठिस्तव (पे.५४) मालारोपणसमयवाच्यगाथा : मानदेवसूरि ॐ नमो अरहन्ताणं ॐ नन्दिः पुनरित्थं अर्हयस्त्रिभुवन तत्तो जिणपडिमाए पूया (पे.पृ. ५०४-५१B) पं.वि. : सूचीपत्रांक-१-१३४८. [कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-भावउ णं जाव गहेणं...पुवपडिमाणुट्ठाणसहिया वन्निया.. (पे.पृ. ५१-५२६) पे.वि. : सूचीपत्रांक-9-१३५०. [कृ.वि. अन्तिमवाक्य-अहगहियभंगएहि परिहरामि अईयं निंदामि शेषं पूर्वदंडकवत (पे.पृ. ५२४-५३०) [कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-तुम्हाणं पाव इयं सल्लेणं...सागरवरगंभिरेत्यादि चिन्तनं. ततो अनुष्ठान.]. (पे. पृ. ५३६-५६A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१३८५.. कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-एवमभिग्गहबंध...धण्णो सलक्खणो जंपिरो त्ति निक्खिवइ से गंथे. (पे.पू. ५६०-५६०) पे.वि. : सूचीपत्रांक-३-२९४... (पे.पृ. ५६-५७A) पे.वि. : सुचीपत्रांक-१-१३८७. (प.पू. 494-५८B) पं.वि. : सूचीपत्रांक-१-१३४९... (पे.पृ. ५८४-५९) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१३८६- [कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-सुहज्झाणानलनिद्दढघाइ...वयणा उयहाणमिण साहेह महानिसीहस्स] (पे.पृ. ५९०-६२०) [कृ.वि. : अन्तिमवाक्यसुलभवोधिलाभनिमित्तेणं एवं चेइयाइ अकुब्बममाणे अप्पाराहिए महानिशीथे.] (पे.प्र.६२४-६३) पे.वि. : आवश्यक उपवास चक्रादि सहित. [कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-एवं महानिशीथग्रंतोपि...विधेयमिति]. (पे.पू. ६३4-६८) (प.पू. ६८०-७३B) (प.पू. ७३B-७८) (पे.पृ. ७८-७९) पे.वि. सूचीपत्रांक-२-३०४. प्रा. गा.४३ :पद्य :(पे.५५) उपधानविधि निशीथोक्त सुयं में आउसे...एवम :(पे.५६) मालारोपणविधि अथ महानिशीथ प्रामाण (पे.५) विविध तपश्चर्याविधि (प.५८) तपोरत्नमालिकाप्रकरण (प.५२) प्रतिष्ठाविचार /पे.६०) पिण्डस्थ पदस्थादि ध्यानगाथा पुरिम उपवास. पढमन्तिमे जिणिन्दे इह हिश्रावकेणव पिण्डत्थोय पदत्थोय प्रा. गा.१३ पद्य Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.६१) जिनगृहबिम्बविचार (पे.६२) आयतनगाथा (पे.६३) सधस्वरूप (पे.६४) गच्छस्वरूप (पे.६५) साध्वीलोचविधि (पे.६६) आयतनस्वरूप (ये.६७) आमाव्यानाभाव्यविचार (पे.६८) पर्युषणाविचार (पे.६९) आभाव्यानाभाव्यविचार (पे.७०) आर्य अनार्यदेशगाथा (पे.७१) दशाश्चर्यविचार अमावास्या पूर्णिमा विचार (पे.७३) मासकल्पविचार ग्रामादिविचार (पे ७५) गुरुमहिमादर्शकगाथा (पे. ७६) स्थापनाचार्य प्रतिष्ठा विधि (पे.७७) कर्पूरप्रतिष्टा (पे.७८) दण्डकप्रकरण- व्याख्या (पे ७९) आञ्चलिकमतनिरास स्थिति कर्ता (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष पद्य पद्य भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा.सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. परिमाण गा. १० गा. १० गा. १७ गा. १० गा. १२ गा. १२ 20 आदिवाक्य निस्सकड निस्सकडेवावि जइ समणाण ण कप्पइ सुहसीलतेण गहिए भव जहिं णत्थि सारणो अहसा भमरसन्निमे. वज्जेत्तु अणाययणं खेत्ताण अणुन्नवणा पर्यायाझ तुवद्विका दो मासा पोसपुन्निमाए रायगिहमगहवण्ण अङ्गा सिरिरिसहसीयलेसु एक्क जहा गेहं पइदिवसपि अप्पडिवड्ढेण सया गामं नगरं खेडं गुरुसक्खिओहु धम्मो करेमि भन्ते सामाइयं सयलसुरासुरमाणुसवन्तर तित्थं भन्ते इत्यादि जइ चेइयपरिठविया वेला पद्य पद्य गद्य गद्य पद्य गद्य पद्य गद्य पद्य पद्य गद्य गद्य गद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पू. ७९-७९B) (पे. पृ. ७९B-८१A ) [कृ.वि. अंतिमवाक्य-नीयाई सुरलोए भत्तिकथाए...तथा सो वयसु निच्चं . ] (पे.पू. ८9A-८9B) (पे.पू. ८१-८२B) पे.वि. सूचीपत्रांक-२-३०५. (पे.पू. ८२A-८२B) पे.वि. सूचीपत्रांक-२-१५८. (पे.पू. ८२B-८३A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-५६६. सूचीपत्रांक-१-१४३६ मां पण आज विगत छे. [कृ. वि. अन्तिमवाक्य जत्थ साहम्मिया बहवे... आययणं वियाणाहि .] (पे.पृ. ८३A-८४A) पे.वि. सूचीपत्रांक-२-१५९. [कृ.वि. : अ. वाक्य-संभोगविसुकरणं इयरअलंभं न पेल्लंति] (पे.पू. ८४A-८७4) [कृ.वि. अं. वाक्य वासावासं इत्यादि... (पे. पृ. ८७-८८A) (कृ.वि. अं. वाक्य से आणाअणवत्थं मिच्छात्थविराहणं पावे.]. (पे.पू. ८८A-८९A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१२९१. (पे.पू. ८९A) (पे. पृ. ९१-९५4) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४३३. सूचीपत्रांक-२१४१ [कृ.वि.अं. वाक्य सेसोमासो जोगपरिक्खेवंसि ... निग्गंथीण मासं वत्थए. (पे. पृ. ९५-९६A) (पे.पू. ९६-९७A) (पे.पू. ९७५ ९७B) (पे. पृ. ९७B) (कृ.वि.अं. वाक्य- कीर्णश्च क्षमादिगुणैर्व्याप्तश्चतुवर्णाकीर्णः तित्थं भन्ते...] (पे. पृ. ९७B- १०३B ) (कृ.वि. अं. वाक्य से अप्पबियाए वा अप्पतइयाए वा... निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा.] Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार वर्तमानसूरि पद्य (पं.८०) मुखस्त्रिका कुलक (पे.८१) श्रावकवर्णन (पे.८२) पुद्गलपरावर्त. (पे.८३) साधुवर्णन (प.८४) पार्श्वस्थादिगाथा .... (ये.८५) सम्यक्त्वद्वादशव्रतातिचार (पे.८६) सम्यक्त्वगाथा (पे.८७) पञ्चचारित्रस्वरूप (पे.८८) उपशमश्रेणी (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष :आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) गा. २८ ......... मोहतिमिरोहसूरं नमिठ अहिगय जीवाजीवे उवल इरियासमिया जाव परि एतेय सरीरवायर वणफड असञ्जयं नवं दिज्जा श्रीवीरं देशकं नत्वा एगविहाई दसविहं समत एवं सम्यग्दर्शन लाभो तच्च छद्मस्थवीतराग गद्य REFEREF गा.१९ पर गय गध (पे.प्र. १०३8-904A) पे.वि.: सूचीपत्रांक-२-२८४. (पे.पू. 9044-9048 (पे.पू. 9048-१०६०) पे.वि. : सूचीपत्रांक-२-१७५. (पे.पू. १०६B) (पे.पू. १०६8-900 (पे.पू. 9098-990 (पे.पृ. 9904-999) (पे.पू. 9994-9१३ (पे.पृ. ११३8-११६A) पे.वि. : सूचीपत्रांक-9-१२३७. [कृ.वि. : अ.वाक्य-सव्वस्स दाहमग्गी दिति कसाया भवमणंतं...करणेनोक्तं] .... (पे.पू. ११६०-१२६) (पे.पृ. १२६०-१२७B) (कृ.वि. : अ.वाक्य-नारकानां दशधनुर्मानमुत्रवैनियं (पे.पू. १२७९-१२८०) (पे.पृ. १२८B-१३०B) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१२३६. : गद्य (पे.८९.गुणस्थानादि. (पे.९०) इतरसमुद्घात सं.प्रा. सं.प्रा. इदानी क्षपकण्यङ. केवलकसायमरणे वेयणा गद्य सं.प्रा. गद्य विध्वस्यते तु योनिः समयप्रसिद्ध सङ्ख्ये गद्य (पे.९१) योनिविचारगर्भविचार (प.९२) सड़ख्येयासड़ख्येयानन्तविचार (4.९३) पनकस्वरूप (पे.९४) दशविधावस्थितकल्प योजनसहस्रमानो आचेलक्कुद्देसियसेज्ज . प्रा.स. (पे.९५) दशविधसामाचारीस्वरूप पुवफागुणी नळून (पे.पू. १३08-१३१) पे.वि. : सूचीपत्रांक-9-98519. (पे.पृ. १३१B-१३२०) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४४१. [कृ.वि. : अं.वाक्य-आद्यंतिमतीर्थकरसाधवश्चोभयकाले प्रतिक्रमणं कुर्वन्ति...पुरिमपश्चिमतीर्थकराणां तु नियतः..... (पे.पृ. १३३-१३३६) [कृ.वि. : अं.वाक्य-चारित्रोपसंपदापि द्विधा वैयावृत्त्यविषया क्षेपणविषया च इति] ... (पे.पृ. १३३8-१३५०) [कृ.वि. : अं.वाक्य-छठें छठेण तबोकम्मेणं विज्जाए...खमासमणविज्जा वारणलद्धी भवति.] (पे.पृ. १३५4-१३५8) पे.वि. : सूचीपत्रांक-9-१४३२. [कृ.वि. : अं.वाक्य-एसा अनामगाणं वीरेण पहूण पिडिआ संखा ताणं पुण परिवारो अनामगोयल्लिउ चेव.] (ये.९६) सर्वलब्धिविचार आमोसहि १ विप्पोसहि (पे.९७) वीरजिनतीर्थस्वरूप चउसटिवरिससत्तरिसए पद्य 21 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार गा.४ पद्य गा.२६ पद्य (पे.१८) वैरस्वाम्याधुत्पत्तिकाल (पे.९९) दुःषमाव्यवच्छेदस्वरूप (2.9002 पञ्चस्थावर निरूपण... (पे.१०१) तमस्काण्डस्वरूप पञ्चसए किन्तणे झद्धित्तुमियसमिद्धं किमयं भन्ते तसुक्काए. तमस्कायस्य सर्वथैवा (पे.पू. १३५8-१३६A/ पे.वि.: सूचीपत्रांक-२-७२. (पे.पू. १३६A-१३७B) (प.पू. १३७8-93CA...... (पे.पृ. १३८०-१३९A/ पं.वि. सूचीपत्रांक-२-१७४. [कृ.वि. : अं.वाक्य-हंता असइ अदुवा अणंतखुत्तो नो चेव गंदवित्ताए स्थापना (पे.पृ. १३९०-१३९०) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४४४. कृ.वि. : अं.वाक्य-यद्भव्ये त एव च त्रिकचतुष्कसंयोगगतिभेदात् पंचदशधा प्रदेशान्तरेभिहिता इति] (पे.पृ. १३९०-१४०) (पे.पू. १४0A-988A) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१४४०. असीयसर्य किरयाणं (पे.१०२) अक्रियावाद्यादिसर्वनयादिविचार तत्रौदयिको भाव एक इत्थं पुण जिणमग्गे (ये.१०३) औदयिकादिभावस्वरूप (ये.१०४) बोटिकोच्चाटनवादस्थानक (पे.१०५) वोदिकोच्चाटनवादस्थानक आहारोपधिशय्या भावाधिकरणविचार (पे.प्र.988A-9885) पे.वि.: सूचीपत्रांक-9-१४५१. आहारउवाहिसिज्जा एयस्स गद्य कृ.वि. : अं.वाक्य-आहारे उवगरणे वि २७ सेज्जाए वि २९ सम्बे ८१ भंगा बायालसि आहारदोसे एएहिं भंगेहि साहू परिहरइ. (पे.पृ. १४४४) संरम्भो समारम्भो गद्य (प.१०६) संरम्भाद्यष्टोत्तरशतभङ्गविचार (4.9०७) नवकोटिविहार (पे.१०८) द्विचत्वारिंशद्दोषविवरण (ये.१०९) शय्यान्तरविचार गद्य हन्ति पचति झापयत्येव द्विशतेसप्तत्यधिके असइ वसहीएवी मुञ्चरु गद्य (पे.पू. १४४8-9844) (पे.पू. १४५4-१४८) पं.वि. : सूचीपत्रांक-१४४९. (पे.पृ. १४८०-१४८B) [कृ.वि. अं.वाक्य-आयारेओ तस्स छायं वज्जति जत्थ आयरिओ वसई स सेज्जायरो सेसो असिज्जायरा (प.पू. १४८-१४८B) (पे.पृ. १४८४-१४९B) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१४४५. [कृ.वि. अं.वाक्य-पंचमवर्गेण गुणितो जघन्येन मनुष्यसंख्या गद्य (पे.११०) सुरनारकषड्लेश्याविचार (4.999) मनुष्यसङ्ख्या सुरनेरइयाण छल्लेसा द्वयो वर्गश्चत्वारो Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. ११२) मण्डलविचार (पे. ११३) द्वात्रिंशल्लक्षण (पे. ११४) मानोन्मानादिविचार (पे. ११५) प्रतिलेखनागाथा (पे. ११६) सप्रपञ्चकालचक्र (पे. ११७) शीलाङ्गरथस्थापनाक्रम (पे. ११८) जम्बुद्वीपसङ्ग्रहणी (पे. ११९) जम्बुद्वीपगतविचारलेश (पे. १२० ) जम्बूद्वीपपदार्थसङ्ग्रह (पे. १२१) लोकनालिका गाथा (पे. १२२) जम्बुद्वीपपगतिविचारलेश चतुर्दश राजलोकवर्णनगाथा (पे. १२३) अनानुपूर्वीयन्त्र (पे. १२४) चतुर्दशचतुर्दशकगाथा (पे. १२५) सिद्धश्चतुर्दशकव्याख्या (पे. १२६) भङ्गकगाथा 1. (पे. १२७) सविचारस्थण्डिलचक्र (पे.१२८) समवसरणगाथा - टीका (पे. १२९) समवसरणगाथा (पे. १३०) समवसरणस्तवन : (पे. १३१) समवसरणस्थापना ! ( पे. १३२) नन्दीश्वरविचार स्थिति कर्ता हरिभद्रसूरि कुलप्रभसूर (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर इन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीसी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष गद्य भाषा प्रा.सं. सं. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. : सं. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. सं. : प्रा. परिमाण मा. ५ गा. २३ गा. ३१ ग्रं. १५० गा. १५ गा. ३२ गा. १८ गा. ६० गा. १० गा. १२ गा. २५ 23 आदिवाक्य इगुणवन्न मण्डलाई त्रिषु विपुलो गम्भीर माणुम्माणपमाणादिलक्ख आसाढे मासे दुपया नमिऊण जिणं सुयदेवयं करणे जोए सन्ना इन्दि वन्दिवि जिणं सव्वनु विक्खम्भवग्गहह गुणकर वर्ष ४२६ काञ्चनगिरि तिरियं सत्तावन्नं तिरिय सत्ता० बत्तीसं पुव्वाणुपुव्विहिट्ठा गुणमग्गणजीव अजीव उवओगे आहारे इत्यस्या पढमवए छब्भगा बी अहियासियाए अन्तो समोसरणेत्यादि द्वार जत्थ अवो सरणं अइसयलच्छिसणाहं सिरि जे जम्मि जुगे तणु नन्दीसरवरस्स बहमज्झ गद्य गद्य पद्य पद्य पद्य पद्य गद्य पद्य पद्य यंत्र पद्य गद्य पद्य पद्य गद्य पद्य पद्य गद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. १४९B- १५०A) (कृ.वि. अं. वाक्यएकोनपंचाशन्मंडलानि बुध्यंते इति वृद्धास्तत्त्वं तु केवलिनो विदंति आवश्यक टिप्पणके.] (पे.पू. १५०A- १५०B) (पे.पू. १५०B- १५१A) (पे. पृ. १५१A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४२६. [कृ.वि. अं. वाक्य अट्ठाइयदिवसेहिं चडइ पडइ अंगुलं एक्के आसाढाओ पोसो पोसाओ जाव आसाढो .] (पे. पू. १५१-१५३A) (पे.पू. १५३A) (पे.पू. १५३-१५६B) (पे.पु. १५६B- १६०A) (पे. पृ. १६०A- १६१A ) पे. विं. गाथा-२६. सूचीपत्रांक-१ १४३९. (पे.पू. १६१-१६२A) (पे. पू. १६२A - १६४A) (पे.पू. १६४A - १६७B) पे.वि. सूचीपत्रांक-३-५२८. (पे.पू. १६७ - १६९) (पे.प्र. १६९ - १६९B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४३४. (पे.पृ. १६९A - १७४B) पे.वि. सूचीपत्रांक-२-२८६. [कृ.वि. अं. वाक्य अणवायम संलोए अणवाय चैव होइ संलोए आवायम संलोए आवाए चैव संलोए.] (पे.पू. १७४B- १७५A) पे. वि. सूचीपत्रांक- १-१४४२. (पं.पू. १७५A - १७८A) पे. वि. सूचीपत्रांक-१-१४२८. (पे.पू. १७८B-१७९A) (पे.पू. १७९A १८०B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४२७. (पे.पृ. १८०B-१८१B) (पे. पू. १८१B-१८३B) [कृ.वि. अं. वाक्य-ईसाणस्स Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १३३) समवसरण की टीका ऋषभादिजिन परिवार (पे. १३४) वैक्रिय वादिप्रमाण (पे. १३५) अन्तराव्याख्यान (पे. १३६) अन्तरप्रमाण (पे. १३७) जन्ममहेशशक्रपञ्चरूप (पे. १३८) वसुधाराप्रमाण (पे. १३९ ) भगवतीसूत्र आलापकसङ्ग्रह (पे. १४०) आचार्यषट्त्रिंशद्गुण (पे. १४१) महावीरकालीन भावी तीर्थङ्कर, जिन मोक्षकाल व प्रमादकाल (पे. १४२) अक्षौहिणीसेनाप्रमाण (पे. १४३) नव निधि नाम (पे. १४४) दस कल्पद्रुम (पे. १४५) पत्त्यादिसेनाविशेष एकादशरूद्र (पे. १४६) नव निधय अष्टादशविधरसवती (पे. १४७) अष्टादशप्रसूति स्थिति कर्ता (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य भाषा सं. प्रा. प्रा. सं. प्रा.सं. प्रा. प्रा. सं. सं. प्रा. EEEE प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. परिमाण गा. ७ गां. १४ 24 श्रीउसहनाथस्य गणधर श्रीउसभ १ वेउब्विय उसम भरह थ ५०० पूर्व श्री ऋषभदेवान् सागारो वसुधारा बुट्ठा आहयाओ अरहन्त सिद्ध पवयण आयाराई अट्ठओ तह चैव सेणिय सुपास पुट्टिल गयरहहयजोहाणं सव्वेसि नेसप्पे पण्डुयए मत्तगयाय मिङगा भीमाउली जियसत्तए सुओ दाणा... भलनं कुशलं तर्जा गद्य गद्य गद्य गद्य गद्य पद्य पद्य गद्य गद्य पद्य पद्य गद्य गद्य गद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ. पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष चत्तारि समाओ जंबुद्दीवसमाणाओ अग्गमहिसीणं पन्नत्ताओ तथा पश्चिमायामित्यादि . ] (पे. पृ. १८४८-१८५B) (पे.पू. १८५६-१८६B) 1 (पे. पृ. १८६B-१८८B) [कृ.वि. अं. वाक्य चक्किदुगं हरिपणगं पणगं चक्कीस केसवो चक्की केसव चक्की केसब दु चक्की केसब चक्की य.] (पे. पृ. १८८B) [कृ.वि. अं. वाक्य-चन्दप्पहाउ संती तदंतरालंमि सत्तसु जिणेसु एक्केक्क दुन्नि य दुगेग एक्केह पल्लेहि] (पे.पू. १८९८-१९०B) (पे.पू. १९०B) (पे. पृ. १९०B- १९५B) (पे. पृ. १९५-१९६A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१४२९. / प्रारंभिक पाठ अवाच्य होने से आदिवाक्य नहीं भरा गया (पे. पृ. १९६ - १९६B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-१२८६. (पे.पू. १९६B- १९७A) (पे. पृ. १९७५-१९८A) पे. वि. आगमिक परचूरन कृतियां. (पे. पृ. १९८०-१९८B) 1. (पे. पू. १९८B) (4.9. 9828-9884) (पे.पू. १९९८-१९९B) Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा झे.पत्र/झे.पत्र) परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (पे.१४८) वीरजिनदृष्टदशस्वप्नार्थ जेन तालपिसायं पराजिय। गद्य (प.१४९) गौतमवर्णनादण्डक तेणं कालेणं तेर्ण गद्य (पे.पू. १९९९-२०००) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१४४६. [कृ.वि. : आदिवाक्य का प्रथम अक्षर संदिग्ध है। (पे.पृ. २०००-२००B) [कृ.वि. : अं.बाक्य-अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी.] (पे. पृ. २०१०-२०२०) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१४४३. पय REFEE: अहाकम्मणं भुञ्जमाणे खुहा पिवासासीउण्हें क्षुधातेः शक्तिमान पुरिमन्तिम अठ्ठट्ठ :श्लोक पद्य (पे.पू. २०२०) (पे.पू. २०२९-२०३8 (पे.पृ. २०४०-२०४०) जेणेग पञ्चनवसिरसुनाग गद्य (पे.पृ. २०४B-२०४B) (प.१५०) अष्टादशधा रसवती : भगवतीसूत्र-दण्डक. (पे.१५१) २२परीसह नाम (पे.१५२) साघुलक्षण (पे.१५३) तीर्थव्यवच्छेदाव्यवच्छेदस्वरूप# (पे.१५४) पार्श्वपार्श्वयोः फणसख्यास्वरूप (पे.१५५) कालव्यवहार (पे.१५६) पुद्गलपरावर्त .. (पे.१५७) वनस्पतिविचारप्रज्ञापनागत (पे.१५८) पृथ्वीकायादिविचारगाथा (पे.१५९) सप्रपञ्चपृथ्वीकायादिविचार (पे.१६०) सम्मूछितमनुष्योत्पत्तिस्थान में (पे.१६१) शय्यान्तरविचार :समय आवलिका उच्छवास पोग्गल परियटठाविह पद्य (प.पू. २०४७-२०५७) (प.पू.२०५४) पं.वि. : सूचीपत्रांक-२-१८८. (पे.पृ. -२०७4-२०८) पद्य पुढवीकाउतिविहो सच्चि कोठय पत्तय चम्पय (प.पू. २०८०-२०९४) (पे.पृ. २०१४-२१२६) गद्य कहं भन्ते सम्मुच्छिम : गद्य सागारिओ त्ति का (को) गद्य (पे.पू. २१२४) [कृ.वि. : अं.वाक्य-समग्मेहिं पज्जत्तीहिं अपज्जत्तगा अंतोमुहत्तद्धाओ या चेव कालं करेंति] (पे.पृ. २१३०-२१५०) [कृ.वि. : अं.वाक्य-निमंतिते य भणंति बालादीणं कज्जे प्पिच्छामो अलाघंवद्धारानंतरं इदं द्वारं ज्ञेयमिति. (पे..पू. २१५-२१६०/ पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१४५०. (पे.१६२) भगवतीत्यादि दंडकाः..... : राजपिण्ड आदि विचार (पे.१६३) वसतिविचार (पे.१६४) विनस्पतिविचार :जो मुद्धा अहिसित्तोगर । मूलुत्तरगुणसुद्ध (प.पू. २१६A-२१८) (पे. पृ.२१८A-२२५४) ये.वि. पूर्ण. पत्रांक ६ नहीं है. प्रज्ञापनाया Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम ७१ ७२ (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम उपकरणविचार (पे. १६५) प्रायश्चित विचार (पे. १६६) नष्टग्लानबद्धनक्षत्रफल (पे. १६७) यतिआराधनाविधि (पे. १६८) महापरिस्थापनिकाविधि (पे. १६९ ) राजावलीवक्तव्यता (पे. १७०) तीर्थङ्करनामकर्मबन्धकनाम (पे. १७१) सुविहितकुलक (पे. १७२) त्रयोविंशत्युदययुगप्रधान सूरिंसङ्ख् T# (पे. १७३) आगमादि विविध ग्रन्थों के सूत्रवृत्ति आदि का ग्रन्थपरिमाण चैत्यवन्दनकुलक विवृत्ति सह स्थिति कर्ता जीर्ण चैत्यवन्दनकुलक चैत्यवन्दनकुलक- विवृत्ति कथासहित दशवैकालिकसूत्रनिर्युक्ति आदि सङ्ग्रह (पे. १) दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष पद्य श्रेष्ठ भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. सं.प्रा. सं. प्रा. प्रा. सं. सं. जिनदत्तसूरि प्रा. जिनकुशलसूर सं. अपूर्ण संपूर्ण प्रा. परिमाण गा. ३४ ताडपत्र गा. ३० ग्रं. ४४०० ताडपत्र गा. ४४० ग्रं. ४४६ वि.] १३८८ वि. १३८३ 26 आदिवाक्य उवगरणम्मि धरेज्जा न निस्सल्लो जह हवई पुव्वतियमसल्लेसासाई पूर्व ग्लानसमीपे इयाणि अचित्त सञ्जय श्रीमहावीरकल्याणके समणस्स भगवओ महावीर सिद्धत्थपत्थिवसु १६८ नमिऊणमणन्तगुणं चउवयण श्रेयांसि बहुविघ्ना १९३ सिद्धगतिमुवगयाणं पद्य गद्य गद्य गद्य गद्य गद्य पद्य कोष्टक गद्य ७२/८२ (७२) पद्य गद्य ७३/८२ (७२) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृ.वि. अं. वाक्य पृथुत्वेन दुहत्तेत्यादिना भणिता दीहत्तणेण कप्पमाणा चउहत्था वा. 2 (पे. पृ. २२५B- २३२B) पे. वि. अपूर्ण. पत्रांक २०६ नहीं है. [कृ.वि. अं. वाक्य पणगं मासलहुं चिय पुरु मासो चउ गुरू य चउलहूयं नीपुरि एक्कायामं अब्भत्तट्ठे होइ पंचमगं.] (पे.पू. २३२B-२३४A) ...(पे.पू. २३४A-२३६A) (पे.पू. २३६-२३८B) (पे.पू. २३८B-२४०A) (पे. पृ. २४०B) पे. वि. अपूर्ण, पत्रांक २३३ नहीं है. (पे.पू. २४१-२४३B) (पे.पृ. २४४A २४६B) (पे. पृ. २४७-२४९A) (जुनो नं. १८८०-८१ / १९ ) सूचीपत्रांक-१-१२१६. पा. नं. ५८ वे वखत छे. ५८ अने ५८A. पत्र २ मां साधुनुं चित्र., (१३.२४२.३, ४-६४४५) (जुनो नं. १८८०-८१/७६ ) सूचीपत्र नं. १-७११. (१४x२ ३-६४४०-४५) (पे. पृ. १-४२A ) (कृ.वि. गाथा संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे] Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक: प्रत नाम । (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (पे.२) नवतत्त्वविचारसारोद्धार सह वृत्ति (प.पू.४२०-५५8) पे.वि.: अपूर्ण. पत्रांक३७०-४२B का झेरोक्ष पत्र नहीं है अर्थात् ३७-४२ के एक भाग का संपूर्ण झेरोक्ष नहीं है :अरहन्ता भगवन्तो सच :5FERE गा.४ गुरुचित्ता. वित्थरिय धम्मघोसं (पे.पू. ५५०/(पे.पू. ५६A-५८B) पे.वि. : सूचीपत्र नं.१-१३८२. (पे.प्र.५८B-६१) मा.१२ नवतत्त्वविचारसारोद्धार नवतत्त्वविचारसारोद्धार-वृत्ति .... (पे.३) गुरुस्तुति (पे.४) परिग्रहप्रमाण (पे.५) कलश महावीरकलश (पे.६) महावीरजिन परिग्रहप्रमाण (पे.५) जिनजन्माभिषेक .... (पे.) गुरुस्तुति (पे.९) अष्टादश दोषरहित पुरुष संसारस्वामिश्लोक (पे.१०) संसारनिस्तारक गुरुगुण श्लोक (पे.११) गुरुस्तुति व यतिस्तुति गा.३२ गा.१८ भुवणमण्डण लच्छिआ. श्रीसिद्धार्थनरेन्द नमिवि चउवीसजिणजणिय नरसुरअसुर नमंसिय अज्ञानारतिमानलोभरतयः (पे.प्र. ६५A-६६७) (पे.पू. ६६०-६८०) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-३७१... (पे.पू. ६८०-६९०) पे.वि. : सूचीपत्रांक-३-४२४.. (पे.पृ. ६९०) गा.११. पद्य श्लोक १ :पय श्लोक २ त्रित्रेधाव्रतषट्कपा (पे.पृ. ६९B-30Aपे.वि. : सूचिपत्र नं.-१३६५./सुचिपत्र नं.-१२९०. (पे. पृ. 1904-७१B) पे.वि. : गाथा-२१. गाथांक-१७ का दो बार क्रम दिया गया है. दोनो स्तुतियों की गाथा क्रमशः है. गुरुस्तुति-१-९ गाथा तथा यतिस्तुति-१०-२१ गाथा. :गा.२३ गम्भीरो महविओ.... पद्य पद्य गा.५ गुरुस्तुतिकुलक (पे.१२) पौषधविधिप्रकरण.... (पे.१३) मनहजिणाणं सज्झाय (पे.१४) प्रश्नोत्तररलमालिका.... विमलसार (पे.१५) धर्मलक्षणप्रकरण :विमलसरि (ये.१६) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र क्षमाश्रमणं दत्वा : मन्नह जिणाण आणमिच्छं कः खलु नालक्रियते धर्मार्थ क्लिश्यते सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य पद्य का.२८ श्लोक २२ गा.६३ पद्य (पे.प्र.७१B-७३०) (पे.प्र.७३-७४A) पे.वि. : गाथा-७. सूचिपत्र नं.-१२११. (पे.पू. ७४-७६B) पे.वि. : सूचिपत्र नं.-११९१. (पे.पू. 984-७८) पे.वि. : सचिपत्र नं.-९४४. (प.पू. ७८8-७९8) पे.वि. : गाथा-१०. प्रारंभ में चार मंगल गाथा के साथ वीरभद्रगणि कृत चतुःशरण की छूटक गाथाएँ संकलित है. दोनो का गाथाक्रम क्रमश: है. कि.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे] पद्य Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १७) अष्टादशपापस्थानक (पे. १८) सागारप्रत्याख्यान (पे. १९) जिनभवनादिगाथा (पे. २०) राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र राजप्रश्नीयसूत्रावतरण (पे.२१) पार्श्वजिनस्तुति (पे. २२) योगशास्त्र -१ से ४ प्रकाश योगशास्त्र (पे.२३) वीतरागस्तोत्र (पे.२४) भक्तामरस्तोत्र (पे. २५) प्रशमरसपद्य (पे.२६) भयहरस्तव भयहरस्तोत्र (पे. २७) वर्द्धमानस्तव वर्धमानस्तृति (पे.२८) त्रिषष्ठिध्यान कथानककुलक त्रिषष्टिध्यानकथानकप्रकरण (पे.२९) भयहरस्तोत्र (पे. ३०) चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र (पे.३१) अजितशान्तिस्तोत्र (पे.३२) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण स्थिति कर्ता हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि मानतुङ्गसूरि मानतुङ्गसूरिं नन्दिषेण जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष पद्य पद्य पद्य भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. सं. सं. सं. सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण गा. १७ गा. ५ गा. ४ श्लोक १ अध्याय १२प्रका अध्याय २० ग्रं. १८७ का. ४४ श्लोक १ गा. २३ गा. १८ गा. ३७ गा. १४ गा. १३ गा. ४० गा. ८६. 28 आदिवाक्य सव्वं भन्ते पाणाइवाय एस करेमि पणामं जिणवर नियदव्य मउव्व जिणि जेणेव सिद्धाययणे दशावतारों व पायात्कम नमो दुर्वाररागादिवैर यः परात्मा परज्योत भक्तामरप्रणतमौलिमणि प्रशमरसनिमग्नं नमिऊण सखसत्थियचक्क पद्य थोस्सामि जिणवरिन्दे अजियं जियसव्वमयं पद्य नमिऊण पणयसुरगणचूडामण : पद्य नमिउण सजल जलहर पद्य पद्य नमिऊण जिणं वीरं पद्य जमजरमरणदररोयभयदलणयं पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ. पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पू. ७९B-८०B) पे.वि. सूचिपत्र नं. १-१२९५. (पे.पू. ८०B-८१A) पे. वि. संपूर्ण ? (पे.पू. ८१A-८२A) (पे. पृ. ८२A-८३A) पे.वि. गाथा-४४. सूचीपत्रांक-३ ३६०. (पे.पू. ८३A) (पे. पृ. ८३B-१२२B) पे. वि. गाथा-२३. सूचीपत्रांक-३३८९. (पे. पृ. १२२B-१३९A) पे.वि. सूचीपत्रांक-३-४७२. [कृ.वि. प्रकाश - २०.] (पे. पृ. १३९B-१४५B) [कृ.वि. अमुक प्रतोमां ४८ काव्य पण छे.] (पे. पृ. १४५B) पे. वि.: सूचीपत्रांक-३-४०३. (पे. पू. १४५A - १४८A) पे. वि. सूचीपत्रांक-३-१५९. कृ. वि. गाथा २१ थी २४ मळे छे. (पे. पृ. १४८A-१५०A) पे. वि. गाथा-२१. सूचिपत्र नं. १११६५. (पे. पृ. १५०B- १५४B) (पे. पृ. १५४B- १५६B) पे. वि. सूचीपत्रांक-२-२९२. [कृ.वि. : अन्तवाक्य-कम्मतुट्ठिहिं अनुसंपज्जइ परमपउ.] (पे.पू. १५६B-१५८A) (पे. पृ. १५८A १६४B) (कृ.वि. गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे.] (पे. पृ. १६४B- १७४A) पे.वि.: गाथा ९०. [कृ. वि. गाथा८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झ.पत्र) कति प्रकार सिद्धसेनसूरि प्रा. गा.६६ (पे.३३) एकविंशतिस्थानप्रकरण (पे.३४) गौतमपृच्छा प्रकरण चवण विमाणा नयरी जणया पद्य नमिऊण तित्थनाहं जाण पद्य प्रा. गा.५३ अपभ्र. :गा.१४ :पद्य (पे.३५अरिहन्तविनती. (पे.३६) सीमन्धरजिनस्तुति देव पुच्छिउ दुत्थ केवलनाणसहाणं... अपभ्रं. पद्य संक्षेप छ.] (पे.पृ. १७४०-१८१) पे.वि. : गाथा-६८. (पे.पू. १८%A-१८६०) पे.वि. गाथा-4४.कृ.वि.: गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.] (पे.पू. १८६९-१८९६. (पे.पृ. १८९४-१९१४१) पं.वि. : पत्र का पार्श्वभाग, पत्रांकवाला हिस्सा एवं पाठ का अनुसंधान भाग खंडित होने से पत्रांक संदिग्ध है. (पे.पृ. १९१(2)) पे.वि. : पत्र का पार्श्वभाग, पत्रांकवाला हिस्सा एवं पाठ का अनुसंधान भाग खंडित होने से पाठ कहाँ से प्रारंभ होता है वह अस्पष्ट है.. । (जुनो नं. १८८०-८१/७२)सूचीपत्र नं.१-१८२, १-१८५, ११९०, १-१९७. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., (.४-9x) (पे.३७) मिच्छत्तकुलय औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि श्रेष्ठ ७३/८२(१७९) २२६-१०(२२१,२२३ थी २२४.७१ थी ७२.२११ थी २१५)=२१६ नमो अरिहन्ताणं नमो (ये.१) राजप्रश्नीयोपागसूत्र ग्रं.२०७१ गं 31000 (पे.२) राजप्रश्नीयोपागसूत्र-वृत्ति: मलयगिरिसरि (पे.३) औपपातिकोपाङगसूत्र...... (पे.४) औपपातिकोपाङ्गसूत्र- अभयदेवसूरि (पे.पृ. १-५०) पे.वि. - सूचीपत्रांक-१-१९०. [कृ.वि. : अष्टभाषामय पंचपाठ (पे.पू. ५१-१२८) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१९७. (पे.पू. १२९४-१५३/ पे.वि... सूचीपत्रांक-१-१८२.. (पे.पृ. १५४-२२६) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१८५. प्रणमत वीरजिनेश्वर तेणं कालेणं तेणं श्रीवर्द्धमानमानम्य प्र.११६७ ग्रं.४३०० टीका ७४ पिण्डनियुक्ति सह शिष्यहिता वृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र २२६ ७३/८२(१३७) (जुनो नं. १८८०-८१/४६)सूचीपत्र नं.१-१११५. /विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., (२९४२,४४) लेखन स्थल : अणहिल्लपाटकपुर गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. हरिभद्रसूरि प्रारब्धा. (जुनो नं. १८८०-८१/४७)सूचीपत्र नं.१-४१६., (१८४२.. प्रा. गा.६९७ ........ :पिण्डे उगम उप्पायण पिण्डनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी पिण्डनियुक्ति-शिष्यहिता टीका.... पिण्डविशुद्धि सुबोधा सहित :श्रेष्ठ परा ग्र.9619 गद्य नम्रामरेश्वरकिरीट :१४२ संपूर्ण ताडपत्र वि.१३०० ७३/८२(५४) ६-७X६५-Gol पद्य गाथा १०५ सुधी मळे छे. पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-सुबोधा टीका यशोदेवसूरि गा. १०४ ग्रं.२८००वि . ११७६ देविन्दविन्दवन्दियपय यदुदितलवयोगाद्देहिनःगद्य Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम ७६ ७७ ७८ (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम उपमितिभवप्रपञ्चकथा ८० उपमितिभवप्रपञ्चा कथा संवेगरङ्गशाला ओघनिर्युक्ति ७९ पञ्चवस्तुप्रकरण पञ्चवस्तुकप्रकरण कर्मस्तवटीका कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ वृत्ति स्थिति कर्ता जीर्ण सिद्धर्षि गणि जीर्ण जिनचन्द्रसूरि श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी जीर्ण हरिभद्रसूरि जीर्ण देवेन्द्रसूरि (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य ७३/८२ (१४८) भाषा अपूर्ण सं. संपूर्ण SIT. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. परिमाण ताडपत्र अध्याय ८ ग्रं. १६००० ताडपत्र गा. १००५३ ताडपत्र गा. ११६३ ग्रं. १४३२ ताडपत्र गा. १९०० ताडपत्र ग्रं. ८३० वि. ९६२ वि. ११२५ 30 १७८ नमो निर्नाशिताशेषमहा ३१० रेहइ जेसि पयमह परम ११० दुविहोवक्कमकालो सामा ९८ ४७ बन्धोदयोदीरणसत्पदस्थ ७३/८२ (२४८) पद्य ७३/८३ (२८) पद्य ७३/८३ (४०) पद्य ७३/८३ (२०) गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ. पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (जुनो नं. १८८०-८१/७ (A))भण्डारसंदर्भाक-७(A)/१९८०८१. सूचीपत्रांक-४-७३ ता. प. ७ नथी. पूर्णताराजकुमारभोजन गृद्धिनो अधिकार अधुरो., (३०.३x२.७, ५-७४१२-१३) प्रस्ताव ८ / विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १८८१-८२/१८) (जुनो नं. १८८०-८१/९) गाथा - ११६२. सूचीपत्र नं. १११२५., (१२x२, ४-५४५० ) गाथा - ११४० थी ११९० सुधी मळे छे. (जुनो नं. १८८०-८१/४१ ) (जुनो नं. १८८०-८१/४२) Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल मेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- ओ.पत्र/ओ.पत्र) कति प्रकार ७३/८३(१०) गद्य संपर्ण ताडपत्र (जुनो नं. १८८४-८७/११९२).. ग्र.६६२७ या स्फारकेवलकरैर्जगत जीर्ण जीवसमासप्रकरण टीका जीवसमासप्रकरण-बृहद्वृत्ति हेमचन्द्रसुरि मलधारी दशवैकलिकसूत्र चूलिकायुगलावचूरि आदि जीर्ण ताडपत्र ८४(१४) (पे.१) दशवकालिकसूत्र-अवचूरि जयति विजितान्यतेजाः. (जुनो नं. १८८४-८७/११८२ सूचीपत्र क्रमांक-१-७२८, १-११५९, १-९६१. पत्र १,२ नथी..(१०.१८४४.३८, २०४६५) (पे.पृ. १-१४) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-७२८. [कृ.वि. हारिभद्री टीका आधारित] (पे.पू. १४8-२२.प.वि.: सूचीपत्रांक-१-११५९. (पे.पू. २२A-B) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-९६१. :(जुनो नं. १८८४-८७/११६०)सूचीपत्र नं.१-३६३., (१०.१४४.३, १५४५०) गद्य (पे.२पाक्षिकसूत्र-अवचूर्णि (पे.३) क्षामणकसूत्र-अवचूर्णि : अङ्गचूलिका गद्य यशोभद्रसरि जीर्ण । वि. ११८१ वि. १६०७ : संपूर्ण ताडपत्र :१६ ८४(१) प्रा..... नमो अरिहन्तार्ण० साहू त्रिषष्टिस्मृति टिप्पणी सहित जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र :वि.१५९४ ८४(३८) (जुनो नं. १८८४-८७/११०७)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. नेमिचन्द्राचार्य ने यह प्रति लिखवायी. पदच्छेद, संधिसूचकादि चिहनों से युक्त, विशिष्ट रचना प्रशस्ति.रचना स्थल नलकच्छपुर त्रिषष्ठिस्मृति आशाधर :वि. १२९२ वीरं नत्वेन्द्रभूति अध्याय २४ ग्रं. ५०५ रचना स्थल नलकच्छपुर (जुनो नं. १८८४-८७/६४७) ८५ ताडपत्र :वि.१८३१ ८४/२६) श्लोक४४ स्तोष्ये भक्त्या स्वयम्प्रकाशस्वामि । सं नित्यं निजानन्द सदद पद्य त्रिषष्ठिस्मृति-टिप्पण हरिमीडेस्तोत्र सह टीका हरिमीडेस्तोत्र हरिमीडेस्तोत्र-टीका : नमस्कारमन्त्र व्याख्या नवकार-व्याख्या श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण सह दिक्प्रदा टीका :आवकप्रज्ञप्तिप्रकरण जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र ८४(२०). (जुनो नं. १८८४-८७/१२४१) जीर्ण संपर्ण वि. १५९३ ८४(१६) (जुनो नं. १८८४-८७/१२३३). उमास्वाति अरहन्तव पद्य ररिभटसरि स्मरणं यस्य आवकप्रज्ञप्तिप्रकरण-दिक्प्रदा टीका विचारामृत सङ्ग्रह विचारामतसङग्रह जीर्ण ८४(२४) (जुनो नं. १८८४-८७/१२२५) कलमण्डनसरि गं.२२०० वि.१४४३ 31 Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता स्थिति प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कृति प्रकार ८४(२) गद्य जीर्ण संपूर्ण (जुनो नं. १८८४-८७/१२०२). पञ्चनिन्थ सग्रहणी अवचूरी पञ्चनिन्थसग्रहणीप्रकरण-अवचूरि आदिनाथ देशनादि दृष्टान्तकथासङ्ग्रह (पे.१) आदिनाथदेशना-उल्लास आदिनाथ देशना :जीर्ण संपर्ण कागज 3.८४(२०) (जुनो नं. १८८४-८७/१२५९). (पे. पृ. 9-994) सोममण्डन अध्याय श्रीमानादिजिनः पद्य ५उल्लास (ये.२) यशोधरचरित्र गा.२५६ पयडिय दइक्कथम्म (प.३) वसुकथा गा.६५ कोसम्बी अस्थिपुरी (पे.४) पुरन्दरराजकथा ।प्रा..सं. कालम्मि अणाइए दोसेहि (पे.५) रोहिणीकथानक प्रा. इह कुण्डणित्ति पवरा :पद्य (पे.पृ. 994-१८B) पे.वि. - सामान्य पूर्वभूमिका सहित. सामान्य टिप्पण. पद्य (पे.पृ. १८B-२०B) पे.वि. : सामान्य पूर्वभूमिका सहित. सामान्य टिप्पण. (पे.पृ. २०४-२६B) पे.वि. : सामान्य पूर्वभूमिका सहित. सामान्य टिप्पण. पद्य (पे.पृ. २६४-२८०) पे.वि. : सामान्य पूर्वभूमिका सहित (पे.पू. २८-२९०) ८४(३६) (जुनो नं. १८८४-८७/१२२०) पद्य ८४(६). .......(जुनो नं. १८८४-८७/१३६४) पद्य ८४(१२)...........(जुनो नं. १८८४-८७/१२४५). गद्य प्रा..सं. :गा.४२ भवजलहिम्मि अपारे तपय ९१ संपर्ण कागज प्रा. संपूर्ण (पे.६) पशुपालकथा सड़ग्रहणी नियुक्ति सड़ग्रहणीप्रकरण-नियुक्ति योगशास्त्रान्तर्गतश्लोकाः योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक सिद्धहेम प्राकृतव्याकरण टीका सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-बृहद्धत्ति धनमित्रादिकथा धनमित्रादिकथा-विविधप्रसङगे हण्डीपत्र जीणं हेमचन्द्रसूरि जीर्ण हेमचन्द्रसूरि संपूर्ण सं.प्रा. अथ प्राकत... हेमचन्द्रसूरि :सं. ग्रं.२५०० अथ शब्द आनन्तर्यार्थ गद्य सपूर्ण ८४()............. (जुनो नं. १८८४-८७/१२८८).. ज्ञानवान ज्ञानदानन ९५ २१ 1८४(१४)......(जुनो नं. १८८४-८७/१४०१).. गद्य ८४(२२). (जुनो नं. १८८४-८७/१२७३)सूचीपत्रक्रम-४-९९. :९६ कथासङ्ग्रह कागज वि. १४९७:३४ Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम ९७ ९८ ९९ 900 १०१ १०२ १०३ (पेटा नंबर) पेटा नाम कृति नाम १०५ बलिनरेन्द्राख्यान मलयसुन्दरी चरित्र मलयसुन्दरीचरित्र - ज्ञानरत्नोपाख्यान कुमारपालप्रबन्ध संवेगशतक व सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह (पे. 9) संवेगशतक (पे. २) सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह दृष्टान्तशतक अवचूरी दृष्टान्तशतक - अवचूरि १०४ सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि कर्मग्रन्थ अवचूरि कर्मग्रन्थषट्क- अवचूरि पाहू दोहापाहड सूत्रकृताङगसूत्र- चूर्णी सम्बोधप्रकरण १०६ पार्श्वनाथचरित्र स्थिति कर्ता जीर्ण जीर्ण जयतिलकसूरि जीर्ण जीर्ण जीर्ण (भांका) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (कागळ) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष जीर्ण वीरचन्द्र शिष्य जीर्ण श्रेष्ठ जीर्ण हरिभद्रसूरि जीर्ण भावदेवसूरि भाषा सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. अपूर्ण सं. संपूर्ण अपभ्रं सं. प्रा. मारुगुर्जर संपूर्ण सं. संपूर्ण अपभ्रं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. परिमाण कागज कागज अध्याय ४ ग्रं. २४३० कागज कागज गा. १०७ कागज कागज गा. ३३३ कागज कागज श्लोक ९५०० कागज कागज सर्ग ८ ग्रं. वि. १४९८ वि. १४४५ वि. १४८२ वि. १४८१ 33 आदिवाक्य यत्रकामपि कामिनीं. ४२ बलिरिद्धिरूवजोवणपत 33 चतुरङ्गो जयत्यर्हन ३३ इह लोईयम्मिक जे जीवो ६५ १९ ४ २४५ णमो अरहन्ताणं. ८२ नमिऊण वीयरायं सव्व १३८ नाभेयाय नमस्तस्मै क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र/ओ. पत्र) कृति प्रकार पद्य ८४ (२८) ८४ (२२) ८४ (१६) पद्य ८४ (४) पद्य पद्य ८४ (४२) गद्य ८४ (१४) पद्य ८४(४) गद्य ८४ (१६२) पद्य ८४ (५४) पद्य ८४ (९५) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ८४ अन्तर कथा. (जुनो नं. १८८४-८७/१२५५) सूचीपत्रक्रम-४-४३७. (जुनो नं. १८८४-८७ / १२८५) सूचीपत्रक्रम-३-४६४. (जुनो नं. १८८४-८७ / १२७५) सूचीपत्रक्रम-४-१४५. / विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. १२, २३, २५, २९... ( १०.१४४.१, १७५२) (जुनो नं. १८८४-८७/१३२७) (पे.पू. १B-६A) (पे. पृ. ६A) पे.वि. श्लोक-२ [कृ. वि. विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे.] (जुनो नं. १८८४-८७/१२४०) (जुनो नं. १८८७-९१/०) भण्डारसंदर्भाक-२ / ८७-९१ (जुनो नं. १८८७-९१/०) भण्डारसंदर्भाक-२/८७-९१ (जुनो नं. १८८७-९१ / १२८८) सूचीपत्र नं. १-५२, ( ११४४., १३४५४) (जुनो नं. १८८७-९१ / १२७८ ) सचित्र यन्त्र सहित. (जुनो नं. १८८७-९१ / १३२१) ग्रं. पा. १०५ नथी. ७५ नंबर २ छे. सूचीपत्रक्रम-४-३८२. ग्रन्थाग्र- ६४००. Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता स्थिति प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य colg षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि जीण :कागज वि. १५१८ :८४(४) (जुनो नं. १८८७-९१/१४१३) ग्रन्थान-२५०. शुद्ध प्रति. लेखन स्थल: पत्तन षडदशनसमुच्चय :हरिभद्रसरि श्लोक ८७ सहर्शनं जिन नत्चा षड्दर्शनसमुच्चय-अवचूरि श्रीमद्वीरजिनं नत्वा : पद्य पद्य ८४(१८) सङ्घपटटक जीर्ण कागज (जुनो नं. १८८७-९१/१२७६). सङघपटटक : ग्र. ७५ जिनवल्लभ जीर्ण १०९सडधपटटक ८४(१६).............जुना नं. १८८५-९१/१२७७).. जिनवल्लभ जीर्ण ८४(२) (जुनो नं. १८८७-९१/११५७)लिखावट सुन्दर है. सड़घपटक ११० मिथ्यात्वपरिहार, एगुणतीसी भावना व जीवसम्बोध कुलक (पे.१) संसारतारयाणास्तवन (पे. पृ. 9A-२B) पे.वि. : गाथा-३५. प्रतिलेखक गाथाक्रम २१-२२ देना भूल गया है. नमिऊण महावीरं मिच्छ ।(ये. पू. २४-३B) पे.वि. : गाथा-२९.. संसारम्मि असारे मिथ्यात्वपरिहारकुलक (पे.२) भावनाकुलं एगुणतासी भावना (पे.३) जीवसंबोधकुलं जीवसम्बोधकुलक आचारागसूत्रावचूरि (ये.प्र.३०-४A) रे जीव किं सुमिरिहि । संपुर्ण कागज ८४(२४) (जुनो नं. १८८७-९१/१०८३)सूचीपत्र नं.१-२२.. (१०x४.५, २४४८६) आचाराङगसूत्र-अवचूरि ११२ आचाराङ्गसूत्रदीपिका श्रेष्ठ अपूर्ण :कागज ८४(१६५) (जुनो नं. १८८७-९१/१०८४)सूचीपत्र नं.१-२१. /परिमाण-९००० श्लोक., (१०x४., १३४४८) इह हि रागद्वेषमोहा........ २५७६(७१,१९६,२०५,१५९ थी १६१)=२५१ श्रीआचारानुयोग आरभ्य २० :ग्र.९००० आचाराड़गसूत्र-दीपिका टीका उत्तराध्ययनसूत्रकथा गद्य ८४(१४) ११३ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १५२० शीलांकीय टीकाना आधारे. (जुनो नं. १८८७-९१/१२९५)सूचीपत्र नं.१-६९३., (११४४., १७४६०) लेखन स्थल : मंडपदुर्गे सं. मुनिसुन्दरसूरि- शिष्य : अर्हतः सर्वसिद्धाश्च । 34 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रतिलखनवप। प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्राी .पत्र) कृति प्रकार ८४(१६) आदिवाक्य ११४ उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि श्रेष्ठ संपर्ण कागज (जुनो नं. १८८७-९१/११५८)सूचीपत्र नं.-१-६९१., ६(१०४५::२३४९६). सजागा.सयोगान्मा. गद्य उत्तराध्ययनसूत्र-अवचूरि उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति ११५ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ८४(१०) (जुनो नं. १८८७-९१/१०९४)सूचीपत्र नं.-१-६८१. /गाथा-६००+४=६०४.. (१०,५४४.५, १७४५२) उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा. ५९६ ग्रं. पद्य ११६ गच्छाचार विवृत्ति सहित श्रेष्ठ अपूर्ण कागज ८४(१०४) १५५-२(१४९ थी १५):१५३. (जुनो नं. १८८७-९१/११४०)सूचीपत्र नं.१-३८४, १३७९., (१०४५., १५४४८), (पे. पृ. १-१४५) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३८४. गा.939 (पे.१) गच्छाचारप्रकीर्णक सह (सं.)विवृत्ति गच्छाचारप्रकीर्णक गच्छाचारप्रकीर्णक-विवृत्ति ... (पे.२) गच्छाचारप्रकीर्णक जीतकल्पसूत्र विवरणलवसहित विजयविमल गणिसं. श्लोक ५८५०: वि. १६३४ नमिऊण महवीर तिय उदबोधो विदधेब्जानाम नमिळण महवीरं तिय गा.१३७ संपूर्ण कागज वि. १६११ ८४४२) विशिष्ट रचना प्रशस्ति... (प.पू. १५१-१५५) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३७९. (जुनो नं. १८८७-९१/११५३)सूचीपत्र नं.१-५९२. वृत्तिकर्ता श्री श्रीतिलकसरि आपेल छे.. (१०x४ ., १३४३५) हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने आवकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. जीतकल्पसूत्र कयपवयणप्पणामो वोच्छ। पद्य जिनभद्रगणिप्रा . क्षमाश्रमण गा. १०५ ग्रं. १३० तिलकसरि ग्रं. १८०० जीतकल्पसूत्र-वृत्ति : यतिजीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह-त्रिपाठ ११८ श्रेष्ठ अपूर्ण कागज ८४(५५) वि. १२७४ वन्दे वीरं तपोवीरं वि. १७००८४-५(१,५९थी ६१,३९)-७९ कयपवयणप्पणामो वुच्छे (जुनो नं. १८८७-९१/१२३४)सूचीपत्र नं.१-६०६., ९.५४४.५१.३४३५)... जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी. यतिजीतकल्पसूत्र नव्य सोमसूरि प्रा. गा.३३३ पद्य श्लोक ५०० वि.१४५६ साघुरत्नसूरि जीर्ण जयति महोदयशाली भास्व पद्य ८४(१४) संपूर्ण कागज (जुनो नं. १८८७-९१/१२२६) यतिजीतकल्पसूत्र नव्य-वृत्ति भवभावना अवचूरि भवभावनाप्रकरण-अवचूरि १२० कर्मप्रकृतिसङ्ग्रहणी टीका वि.११७० कागज २२४ ८४(१५१) (जुनो नं. १८८७-९१/११२२)४९,५०, पाना नं. भेगा छे. पाना नं. ५५ अने ५५A बे वखत छे. Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्राओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य मलयगिरिसूरि जीर्ण संपूर्ण कागजा प्रणम्य कर्मद्रुम ३०. नमो वीतरागाणं सब ८५(२०) कर्मप्रकृति-टीका पञ्चसूत्र सटीक पञ्चसूत्र पञ्चसूत्र-टीका दशवैकालिकसूत्रादि बृहद्धृत्यवचूरी (जुनो नं. १८८७-९१/११९४) अध्याय ५सत्र गद्य हरिभद्रसुरि :ग्र.८८० गद्य ८५(१०) अपूर्ण कागज वि. १५१० १७-३(१३ थी १५)=१४ (जुनो नं. १८८७-९१/११६९)सूचीपत्र नं.१-७१२., (१०x४.५, २१४७६) लेखन स्थल : पत्तननगर इहार्थतः वीरकृतस्य गद्य दशवकालिकसूत्र-बृहद्धृत्तिनी अवचूरि संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह १२३ संपर्ण वि. १४९१ ८५(२७) (2.9) संस्तारकप्रकीर्णक गा.१२४ पद्य काऊण नमोक्कार जिणवर (जुनो नं. १८८७-९१/११६८)सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. लेखन स्थल : देउलवाडा (ये.प्र. 9A-२६) पे.वि. : गाथा-१२१. सूचीपत्रांक-9३१७ (प.प्र.२४-६A) पे.वि.: गाथा-१७१. ग्रन्थान-१७१. सूचीपत्रांक-१-३०४. कृ.वि.: गाथा १७१ थी १७३ सूची मळे छे. (पे.२) भत्तपरिन्नाप्रकरण भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र गा.१७२ ग्र. नमिऊण महाइसयं महाणु पद्य (पे.३) आउरपच्चक्खाण देसिक्कदेसविरओ सम्म : पद्य आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत ....... (पे.४) कुसलाणुबन्धिज्मयण (पे. प्र.६A-94) पे.वि. : गाथा-८४. सूचीपत्रांक-9२८९... कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे. (पे. पृ. 84-८B) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-२७३. प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. प्रतिलेखन वर्ष १४९१. कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. (प. पू. ८B-१३) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३३०. सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य गा 384 निज्जरियजरामरणं पद्य चतुःशरणप्रकीर्णक (पे.५) तन्दुलवेयालियन्नाम पइन्नगं तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक (पे.६) चन्दाविज्झयणं चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक (पे.७) देविन्दत्थओ (प. पू. १३4-१६A) मे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३३८... गा.910४ जहमत्थगच्छयाणं विगासि : पद्य (पे.पृ. १६A-२००) ये.वि. : गाथा-२९२. सूचीपत्रांक१-३४३. कृवि. : गाथा-३०० थी ३११ मळे छे. देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक ऋषिपालित प्रा. गा.३८० अमरनरवन्दिए वन्देिऊण. पद्या. 36 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पर्णता प्रतिलेखन व ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (प.८) गणविद्यानामप्रकीर्णक (पे. पृ. २००-२१) .वि. : गाथा-८५. सूचीपत्रांक:१-३४८......... गणिविद्याप्रकीर्णक (पे.९) महापच्चक्खाण :-गा.१४3 महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (ये.१०) वीरथउ वीरस्तवप्रकीर्णक (पे.१9) पुद्गलपरावर्तस्वरुपप्रकरण (पे.१२) संसत्तयनिजुत्ती संसक्तनियुक्ति (पे.१३) गच्छायारं (पे.प्र.२98-२३) पे.वि. : गाथा-१४३. सूचीपत्रांक १-३५४. एस करेमि पणामं तित्थ पद्य (प. पू.२३४-२४० मे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३५८.. नमिऊण जिणं जय जीव पद्य उरालिविउबातेयकम्मपद्य (ये.पू. २४ा ... (पे. पृ. २४०-२५) पे.वि. : सुचीपत्रांक-4-१३२४. उसभाय वीरचरिमोसरा पद्य (पे. पृ. २५०-२७A) पे.वि. : गाथा-१३८. सूचीपत्रांक १-३७६. नमिऊण महवीरं तिय..... पद्य ८५८)........... (जुनो नं. १८८७-९१/१३१४). गा ५० गच्छाचारप्रकीर्णक गा.१३७ धुताख्यान जीर्ण संपूर्ण कागज धूताख्यान गद्य षड्दर्शनसमुच्चय संपूर्ण कागज (जुनो नं. १८८७-९१/१४१४). श्लोक८७ सद्दर्शनं जिनं नत्वा हरिभद्रसूरि जीर्ण हरिभद्रसूरि जीर्ण वादिदेवसरि जीर्ण ८५(४) पद्य ८५(२)....... १२६ : प्रमाणनयतत्त्वालाकालकार संपण कागज (जुनो नं. १८८७-९१/१३८३). १२७ : चन्द्रप्रभचरित्र संपूर्ण कागज ८५(५०) (जुनो नं. १८८७-९१/१३०३)सूचीपत्रक्रम-४-१३०३. लेखन स्थल : अणहिल्लपुर रचना स्थल सोमेश्वरपुर चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकगाथाबद्ध देवेन्द्रसूरि सं.प्रा. वि. १२६४ दृष्टोपि इष्टजनलोचन पद्य अध्याय २ परि. ग्रं. ५३२५ कागज :गा.१३७ १२८ आइजीतकल्प वृत्ति सह जीर्ण ...... ८५(४२) (जुनो नं. १८८७-९१/१२६३)सूचीपत्रक्रम-१-६०७.... आन्दजीतकल्पसत्र धर्मघोषसरि कयपवयणप्पणामो.... श्रीवीर सगणधरं नत्व गद्य आद्धजीतकल्पसूत्र-वृत्ति १२९ : शिक्षाशतक कागज ८५(६) (जुनो नं. १८८७-९१/१२२०) 37 Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांका प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष रचना वर्ष (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- भाषा झे.पत्र/ओ.पत्र) परिमाण आदिवाक्य किति प्रकार गा. १०० वि. १६मी केवल अप्पसरूवं..... :पद्य संपूर्ण कागज । वि. १४८२.८९ ८५(६०) जयसिंहसूरि सं. सर्ग १०. वि. १४२२ : चिदानन्दककन्दाय... १३० कुमारपालचरित्र जीर्ण .......... (जुनो नं. १८८७-९१/१३००)सूचीपत्रक्रम-४-१३५.... पद्य ६३० १३१ प्रायश्चित समुच्चय संपूर्ण कागजवि .२०वी श्लोक ४२२ सपूर्ण संवेगचूडामणिप्रकरण सह टवार्थ (पे.9) संवेगचूडामणि सह टबार्थ संवेगचूडामणिप्रकरण संवेगचूडामणिप्रकरण-टवार्थ (मे.२) पार्श्वजिनस्तव :गा.५२ मारुगर्जर प्रा. (ये.३) पार्श्वजिन मन्त्र १३३: प्रवचनविचारसार २३ ८५(१६)........... जुनो नं. १८८५-९१/१०२३)... संयमामलसद्रल गम्भी पद्य चूलिका सहित. ८५(२). ...........(जुनो नं. १८८७-९१/१२८०). (ये. प्र. 94-३०) नमीऊण तित्थनाहं भगवउ : पद्य तीर्थनाथ श्रमण भगवन गद्य चउकसाय पडिमल्लइ पद्य (पे.पृ. ३४) लुरण नमो जिणपास विसहर गद्य (ये.पृ. ३8) ८५(२०) । (जुनो नं. १८८७-९१/१२१५). श्रीशान्तिः शान्तये विविध विषयों पर आगमादि संदों के साथ प्रवचनविचारसारसंग्रह संकलित है. ........ ८५(१२६)....... (जुनो नं. १८८७-९१/११९३). पद्य ८५(५०) । (जुनो नं. १८८७-९१/१०४५)प्रथम पंक्ति उखड़ जाने से आदिवाक्य अवाच्य है. पद्य जीर्ण कागज संपूर्ण प्रा.,सं. नयकुजर गद्य १३४ । पञ्चसङ्ग्रह चन्द्रषि महत्तर संपूर्ण प्रा. संपूर्ण :१३५ चन्द्रप्रभपुराण कागज : वि. १८६२ सगे १० ग्रं. शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर) जीर्ण १५६० संपूर्ण :कागज वि.१६४९ १३६ चरित्रशुद्ध सञ्ज्ञा चारित्रशुद्धि सज्ञा ..गुरुतत्वसिद्धि :गुरुतत्त्वसिद्धि १३८: जल्पमञ्जरी :४१ चतुर्दशरचहिंसार्थ .......... ८५(२८) ...... (जुनो नं. १८८७-९१/९९५). अंग(भेद)-१२३४. 1८५(९)............(जुनो नं. १८८७-९१/११४३)... ......... संपूर्ण १५........ सं. संपूर्ण ८५(६) गद्य जिनसूरि वि. १५२९ वसुधानन्दनरूपं वसुधा । (जुनो नं. १८८७-९१/०)भण्डारसंदर्भाक-१1८७-९५ रचनाप्रशस्ति नहीं है तथा कृति में कहीं भी रचनाकार का उल्लेख नहीं है. परन्तु संयोजित प्रत Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) प्रत नाम स्थिति प्रतिलेखन वर्षा पत्र (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य भांताका-१३८ की पुष्पिका में 'इति श्री जल्पमंजरी कृता तपागच्छाधिराज श्रीसोमसुन्दरसूरिशिष्य पूज्य श्रीसुधानन्दनसूरिशिष्येण" एवं जिनरलकोश में सुधानन्दनसूरि शिष्य जिनसूर का स्पष्ट उल्लेख है. जैन आत्मानन्द सभा भावनगर से प्रकाशित पुस्तक में प्राच्यमुनिपुंगवविरचिता (?) तथा प्रस्तावना में कर्ता अज्ञात का संपादक श्री ने जिक्र किया है. (जुना नं. १८८६-९२/१२१३).(१०.१४४.३, १४४५२)... गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. जीर्ण संपूर्ण १६२ १३९ । ओघनियुक्ति टीका सहित ओघनियुक्ति कागजवि . १४३६ गा. ११६३ :गं. १४३२ ८५(१०९)...... :पद्य भद्रबाहुस्वामी दविहोवक्कमकालो सामा ग्र.७००० गद्य ओघनियुक्ति-वृत्ति १४०: पञ्चकल्पसूत्रवृहद्भाष्य द्रोणाचार्य जीर्ण संपूर्ण कागज ८५(५८) (जुनो नं.१८८६-९२/१२७९)सूचीपत्रक्रम-१-५८८. गाथा-२५७४ व श्लोकग्रन्थान-३१८५..(१०.१४४.१, १३४४४) पञ्चकल्पसूत्र-महाभाष्य : सयदास गणि प्रा. वन्दामिभहवाह पद्य क्षमाश्रमण गा.२५७४ ग्रं.३१२५ कागज १४१ दशवैकालिकसूत्रचूलिकायुगलावचूर्णि संपूर्ण ८५(१४) (जुनो नं. १८८६-९२/१२६२)सूचीपत्र नं.१-७२७., (१०x४, १९४५६) धम्मो. धर्म उत्कृष्ट गद्य दशवैकालिकसूत्र-चूलिकायुगलावचूर्णि अक्षरार्थगमनिका १४२ दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति श्रेष्ठ संपूर्ण कागजवि . १४९२ १० ८५(६) (जुनो नं. १८८६-९२/१२६१)सूचीपत्र नं.१-७१०. गाथा-४४८. श्लोक-५५८., (१०x४.५, १७४५६) गाथा संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे. दशवैकालिकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा.४४० ग्रं. सिद्धगतिमुवगयाणं पद्य १४३ : संयममञ्जरी जीर्ण संपूर्ण कागज १४८ ८५(१०१) नथी. ग्रन्थ (जुनो नं. १८८६-९२/१३५९)४५,४७, नथी. महेश्वरसूरि गा.३५ नमिऊण नमिरतियसिन्द अपनं. प्रतिपूर्ण पद्य ८५(१०) जीर्ण कागज १३ (जुनो नं. १८८६-९२/०)भण्डारसंदर्भाक-?/८६-९२ संयममञ्जरीप्रकरण १४४ : उत्सर्गापवादवचनैकान्तोपनिषत्सुविद्यातत्वे भारतीयोपदेश - १२ से १३ अध्याय उत्सर्गापवादवचनैकान्तोपनिषत्सुविद्यातत्वे.. समुलसत्वन्दनाचलति गद्य Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम : कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीडी (सीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रबना वर्ष आदिवाक्य देवेन्द्रसूरि भारतीयोपदेश वन्दारूवृत्ति अवचूरी सह .. श्रावकषडावश्यकसूत्र-वन्दारु वृत्ति.. श्रावकषडावश्यकसूत्र-बन्दारूवृत्तिनी अवचूरि मूलदेवकथा वृन्दावन्दारक. इह तावदास्तिकेनापि ८५(१५)..........(जुनो नं. १८८६-१२/१३४६)सूचीपत्रक्रम-१-१८७... गद्य .............मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर? गद्य १४६ संपूर्ण ८५(२६) (जुनो नं. १८८६-१२/१३१०)ग्रंथ नंबर सेट थता नथी./सूचीपत्रक्रम-४-४९१. : मलदेवकथा आदि ३५ कथा प्रा.स. १४७ धर्मोपदेश संपूर्ण १४८ चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित (पे.१) चैत्यवन्दनभाष्य सह अवचूरि चैत्यवन्दनभाष्य चैत्यवन्दनभाष्य-अवचूरि (पे.२) वन्दनकभाष्य सह अवचूरि वन्दनकभाष्य देवेन्दसार ८५(१६) (जुनो नं. १८८६-९२/१२६९)सूचीपत्रक्रम-१-७२५. प्रारंभ में दो काव्य मन्त्र दिया गया है. प्रतिलेखक पं. मनसुख. धम्मो मङगलमुक्किट्ठ... पद्य विविध संग्रह. ८५(१०) (जुनो नं. १८८६-९२/१२४०)सूचीपत्रक्रम-१-१२२७. १-१३१०,१-१२६२. i(ये. प्र. 9-2A) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१२२७. वन्दित्त वन्दणिज्जे कृ.वि. : देवेंद्रसूरि कृत भाष्य करतां अन्य कृति. वन्दित्वा वन्दनीयान गद्य । (पे. . CA-१२4) पं.वि. : सूचीपत्रांक-१-१३१०... नमिऊण महावीरं कृ.वि. : प्रचलित भाष्यत्रय करतां भिन्न. बाणउयस अथेत्यानन्तर्यार्थे (प.पू. १२A-१६8) पं.वि. : ग्रन्थान-७५५. सुचीपत्रांक-१-१२६२. सदपच्चक्खाण चउविहिपद्य अथ प्रत्याख्यानभाष्य गद्य वि. १४८७ :८५(२) (जुनो नं. १८८६-१२/१३२७)सूचीपत्रक्रम-६६४., .....(१०.१४४.३.१८-२०४५८-६२).. । अह नौमि. :पद्य वि. १६४६ ...९. .................८५(६)............(जुनो नं. १८८६-९२/१२३३)सूचीपत्र नं.१-३८६..... पद्य वन्दनकभाष्य-अवचूरि (पे.३) प्रत्याख्यानभाष्य सह अवचुर्णि प्रत्याख्यानभाष्य प्रत्याख्यानभाष्य-अवचूर्णि वासुपूज्यचरित्र सर्थनकं देवेन्द्रसूरि प्रा. सोमसुन्दरसूरि ......सं. संपूर्ण १४९ जीर्ण :कागज वर्द्धमानसूरि १५० गच्छाचार सह अवचूरि संपर्ण ...... कागज 40 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पर्णता ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (१०x४., ५-७४४६). गा.१३७ गच्छाचारप्रकीर्णक गच्छाचारप्रकीर्णक-अवचूरि १५१ : सङ्ग्रहणी चूर्णि सग्रहणीप्रकरण-चूर्णि १५२ उपसर्गहरस्तोत्र वृत्ति सह नमिऊण महवीरं तिय नमिऊ.आदी शास्त्रकार : गद्य ८५(१६)... संपण कागज २५ (जुनो नं. १८८६-९२/१३५७) जीर्ण देवानन्दसूरि जीर्ण संपूर्ण कागजवि . १६९७ ८५(४) (जुनो नं. १८८६-९२/१२०५)सूचीपत्रक्रम-१-७८०. लेखन स्थल : शालदुर्ग उवसग्गररं उपसर्गहरस्तोत्र उपसर्गहरस्तोत्र-टीका दशाश्रुतस्कन्ध, नियुक्ति व चूर्णि भद्रबाहस्वामी ..... प्रा... द्विजपार्श्वदेव गणि: सं. श्रेष्ठ संपूर्ण धरणेन्द्र नमस्कत्य कागज वि. १६६१ ८५(५६) (जुनो नं. १८८६-९२/१२६३)सूचीपत्र नं.-१-४८३.११४८६, १-४८९..(११४५.. १७४४८) (पे.पू. १-३७) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-४८३.. (पे.पृ. ३०-४१) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-४८६. २०९६ (प.१) दशाश्रुतस्कन्ध (पे.२) दशाश्रुतस्कन्ध-नियुक्ति भद्रबाहस्वामी भद्रबाहुस्वामी नमो अरहन्तार्ण. वन्दामि भद्दबाहूं प्रा. गा. १५४ ग्रं. १८० ग्रं. २२२५ कागज मङगलादीणि सत्थाणि प्रतिपूर्ण गद्य ८५(९२) :वि.१२९९ ९१ (पे.३) दशा तस्कन्ध-चूर्णी १५४ : त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र पर्व-८ सर्ग-१-१२ जीर्ण नेमिनाथचरित्र त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति श्रेष्ठ (पे.पू. ४१-८३) ये.वि. : सूचीपत्रांक-१-४८९. :(जुनो नं. १८८६-९२/१२५९)सूचीपत्रक्रम-४-२६८., (१३.१४५,१, १५४५८) पर्व-१०. (जुनो नं. १८८६-९२/११८७)सूचीपत्र नं.१-६६५., (१०४५.. १३४४० सर्ग १० संपूर्ण कागज वि.१७१० २८४ ८५(१९०) उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग : अध्याय ३६ ग्रं.२०९५ श्लोक ८२६०: वि. १५२५ कागज वि.१८३९ अहं निक्षोविनयं :पया उत्तराध्ययनसूत्र-वृत्ति : विचारशतक कीर्तिवल्लभ गणिसं. जीर्ण संपूर्ण ८५(४०) वि. १७७४ पार्श्वनाथं जिनं पद्य (पे.) समयसुन्दरजी गणि (पे.२) विचारशतक-बीजक १५७ यतिजीतकल्पसूत्र सह विवृत्ति ......... विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १८९५-१९०२/८)भण्डारसंदर्भाक-८३७/९५१९०२./पं. मुनि रंगस्य पुस्तकमिदम्. (पे.पृ. १B-३९) [कृ.वि. : र.सं. वेदमुनिदर्शनेन्दु रचना स्थल मेडतानगर. (पे.पू. ३९०-४०B) रचना स्थल मेडतानगर (जुनो नं. १८९५-१९०२/७)भंडार-संदर्भाक-७८४/९५ वि. १९७७४ ८५(२७).... 41 Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रतनाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीडी (सीवीडी- झे पत्र/ओ.पत्र) किति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष । आदिवाक्य १९०२, सूचीपत्र नं.१-६०४. /पत्र-७९-३३=३९.. (१०x४.५, १९४६६)... जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी. यतिजीतकल्पसत्र नव्य सोमवार गा.३३३ वयणप्पणामा वच्छ पय यतिजीतकल्पसूत्र नव्य-वृत्ति साधुरलसूरि जीर्ण चन्द्रप्रभचरित्र संपूर्ण सं.प्रा. श्लोक ५७०० वि. १४५६ कागज वि. १४९४ अध्याय वि. १२६४ परि.ग्रे. जयति महोदयशाली भास्व: पद्य ८८ दृष्टोपि इष्टजनलोचन पद्य (जुनो नं. १८९५१९०२/७८२)सूचीपत्रक्रम-४-२१२.. रचना स्थल सोमेश्वरपुर चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकगाथाबद्ध देवेन्द्रसूरि १५९ वर्धमानचरित्र जीर्ण कागज वि. १४५४ १३४ ८६(९१) (जुनो नं. १८९५१९०२/८३२)सूचीपत्रक्रम-४-१०९४. अधिकार-१९. ग्रन्थान-३०३५., (११०.५४४.१, 90X3७ जिनेशे विश्वनाथाय :पद्य अधिकार-१९ अध्याय १९अधि. ग्रं. सकलकीर्ति भट्टारक (दिगम्बर) जीर्ण 3034 १६० आश्चर्ययोगमाला विवृत्ति सहित :कागज ८६(६) (जुनो नं. १८९५-१९०२/७)भण्डारसंदर्भाक-७६५/९५१९०२. सूचीपत्रक्रम-२-१७३. कौतुक ग्रन्थ. नागार्जुन श्लोक १४o. विमलमतिकिरणनिकर... पद्य गणाकरसरि गुरुचरणकमलममलां वि.१२९६ वि. १७८९ :कागज २० :८६(१४) आश्चर्ययोगमाला आश्चर्ययोगमाला-सुखबोधा विवृत्ति प्रवचनसन्दोह, जीवदयाप्रकरण व गाथाकोश (पे.१) पवयणसंदोहपगरण प्रवचनसन्दोह (जुनो नं. १८९५-१९०२/८)भण्डारसंदर्भाक-८२०/९५1.१९०२ लेखन स्थल : पाटणमहानगर (पे. प्र. 9-994) अध्याय नमिऊण वद्धमार्ण ववगय : पद्य पद गा. ३३४ (पे. पृ. 994-94A... गा.११६ (पे.२) जीवदयापगरण जीवदयाप्रकरण (पे.३) गाथाकोश स्याद्वादपुष्पकलिका m.१५३ संसयतिमिरपयङ्गं भवियपद्य निजरियजरामरणं ८६(४) ..पद्य દુર कागज वि.२०वी (प.पू. १५4-२०) (जुनो नं. १८९५-१९०२/८)भण्डारसंदर्भाक-८६९/९५१९०२. श्लोक-१३९ तक है. Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्षा पत्र प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य नत्वा संयमवामेयं श्लोक १४६ कागज १६३ आवश्यकसूत्र-निर्युक्त्यवचूर्णि श्रेष्ठ संपूर्ण ८६(५६) (जुनो नं. १८८४-८६/५७७)सूचीपत्र नं.१-१०९३., (१०x४., २०४६४) जयति इन्द्रियविषय गय आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनी अवचूर्णी १६४ : उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि ज्ञानसागरसूरि श्रेष्ठ ग्रं. ९००५ वि. १४४० कागजवि . १५१२ अपूर्ण :८६(२२) (जुनो नं. १८८४-८६/५७२)सूचीपत्र नं.१-६९०.. (१०x४.५..११४८...... उत्तराध्ययनसूत्र-अवचूरि १६५ द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी सञ्जोगा. संयोगान्मा ७-१(५)-६ संपूर्ण गद्य ८६(४) श्रेष्ठ कागज (जुनो नं. १८८४-८६/६००)सूचीपत्र नं.१-३९८. /गाथा-२२३./५ मुं पत्र नथी..(१०४५., १५४४६). प्रा. गा.२२५ ग्रं. पुक्खरवरदीवड्ढे परिपद्य २०० ૧૬. यतिप्रतिक्रमणसूत्र-वृत्ति संपूर्ण कागज वि. १४९७ ८६(४) (जुनो नं. १८८४-८६/६४६)सूचीपत्र नं.१-९७३.. (१०x४.५. १९४८२. पगामसज्झाय-वत्ति नत्वा श्रीवीरजिनं १७ प्रबोधसार जीर्ण संपर्ण कागज ८६(१३) (जुनो नं. १८८४-८६/५३६)५ मुं पत्र नधी. गं. ५७८ अकारादि णकारान्तान यशोकीर्ति जीर्ण १६८ चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि कागज ८६(६) (जुनो नं. १८८४-८६/६४५)सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १२९२, १-३०६. १-३१९.. (प. पू.१-२4) पं.वि. : सूचीपत्रांक-१-२७५. कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य (पे.१) चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)अवचूरि. चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र चतुःशरणप्रकीर्णक-अवचूरि (पे.२) आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.)अवचूरि आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-अवचूरि । भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसरिशिष (१.३. भक्तपरिज्ञा सह (सं.)अवचूरि भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक (पे.पू. २०-३०) पे.वि.: सूचीपत्रांक-१-२९२. कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे. वीरभद्र गा.७१ देसिक्कदेसविरऔ सम्म :पद्य सं. श्लोक८५० नत्वा वीरजिनं वक्ष्य पद्य (प. पू. ३०-६०) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३०६. कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे. वीरभद्र गा. १७२ ग्रं. नमिऊण महाइसयं महाणु पद्य भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-अवचूरि भृञ् धातुर्धारणे 43 Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (पे.४) संस्तारकप्रकीर्णक सह(सं.)अवचूरि संस्तारकप्रकीर्णक .......(पे. पृ. ६B-८B) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३१९.. प्रा. :गा.१२४ तपय काऊण नमोक्कार जिणवर वसन्तपुरे गायनः संस्तारकप्रकाण गा. १०० 'पद्य संस्तारकप्रकीर्णक-अवचरि शीलोपदेशमाला की पञ्जिका टीका . ...." गुणरत्नसूरि जीर्ण संपूर्ण : कागज वि. १५५५ ८६(४) (जुनो नं. १८८४-८६/६३६)सूक्ष्माक्षर लिपि में लिखित पुण्यकीर्ति सर्वसिद्धिप्रदां गद्य संपूर्ण शीलोपदेशमाला-पञ्जिका टीका १७०: नव्यबृहत क्षेत्रसमास जीर्ण नव्यबहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सोमतिलकसूरि । द्विसन्धानमहाकाव्य सह पादकौमुदी टीका जीर्ण ८६(६) .......... (जुनो नं. १८८४-८६/६०५). सिरिनिलयं... संपूर्ण ८६(२२०) (जुनो नं. १८८४-८६/५११)सूचीपत्रक्रम-४-९८६. पत्र२१५+२+४=२२१./ग्रन्थान-१२०००./३थी ९.२२ थी ९९, २१९ एम कुल ८६ पत्र खूटे छे., (१२.३४५.३, १४४४८).. दिसन्धानमहाकाव्य धनञ्जय द्विसन्धानमहाकाव्य-पादकौमुदी टीका ग १0000 श्रीमान् शिवानन्दन पद्य नेमिचन्द्र (दिगम्बर). जीर्ण परिशिष्टपर्व कागज वि. १४७६ ८६(३३) (जुनो नं. १९०२-०७/२३८)ग्रन्थान-३४६०. सुन्दर लिपि हेमचन्द्रसूरि श्रीमते वीरनाथाय : पद्य सर्ग १३ श्लोक3५०० 9102संवेगदमकन्दली जीण (जुनो नं. १९१९-२४/१२१).. ८६(२२). पद्य :८६(५२) १७४.नत्य नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ संपूर्ण कागज वि. १६२४ :५४ (जुनो नं. १८६६-६८/१६८)प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थान-३०००. लेखन स्थल : देवास-मालवदेशे (पे.पृ. १-८) श्रियाष्ट्राप्रातिहार गद्य (2.9) कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थअवचरि (पे.२) कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थअवचूरि (पे.३) बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ तथा तेन प्रकारेण गद्य (पे.पृ.८-१४) ............. बन्धस्य विधानं मिथ ग द्य (ये.प्र. १४-१८) Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल मेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य श्रीजिनं नत्वा जीव गद्य (पे.पू. १८-२९) अवचूरि (पे.४) षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ:अवचुरि (पे.५) शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-अवचूरि १७५ प्रशमरति प्रशमरतिप्रकरण जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति विवृत्ति नत्वा जिन ध्रुवबन्ध पच (पे.पू. २९-१४ (जुनो नं. १८६९-७०/५६) जीर्ण संपण कागज 1८६(४) उमास्वाति श्रेष्ठ श्लोक ३१४ :वि. ११८५ कागज नाभेयाद्याः सिद्धा २३५-१(१७७)-२३४ अपूर्ण वि.१६७० ८६(१६०) (जुनो नं. १८८३-८४/२७२ सूचीपत्र नं.१-२५०, (१०x४.५, १७४६२) लेखन स्थल : अकबरपुर ब्रायणमान अपारे किल संसारे जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-विवृत्ति १७७: भगवती आराधना सटीक जाण संपूर्ण कागज ८६(४०४) (जुनो नं. १८९१-९५/१११३)ग्रं. पा.३०३.३०४, B नथी. पा. स.३०४ नथी. भगवती आराधना भगवती आराधना-टीका १७८ : नलायन महाकाव्य जीर्ण संपर्ण कागज ८६(७९) (जुनो नं. १८९१-९५/०)८८-९१ A साइड./पा. सं. १५ नथी. ग्रं. ४७२४ । नलायन - कुबेरपुराण पर्युषण कल्पसूत्र सचित्र माणिक्यदेव जीर्ण :१७९ संपूर्ण कागज वि. १५१५ ८६(६२) (जुनो नं. १८९९-१९१५/७)भण्डारसंदर्भाक७६१/१८९९-१९१५ /सूचीपत्रक्रम-१-५००. ५२ चित्र. ल्पसत्र गं. १२८० नमो अरिहन्ताणं... संयुक्त प+ग भद्रबाहुस्वामी जीर्ण १८० व्रतकथाकोष संपूर्ण कागज वि. १७७३ 1८० ८६/८०) (जुनो नं. १८९१-९५/१४२०) सूचीपत्रक्रम-४-११०२. पत्र-५७.५९,७५. नथी. /ग्रन्थान-२२५०. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., (१२.५४५.५, १३४३२) लेखन स्थल : अम्बावती दुर्ग श्रुतसागर(दिगम्बर): सं... ज्येष्टं जिनं प्रणम् श्लोक ५० ग्रं.२२५० कागजवि .१५७२ (जुनो नं. १८९१-९५/७८८)सूचीपत्रक्रम-३-२२. परिमाण-१८(१९) स्तवन.. १८१ : युष्मदस्मद्स्तोत्र अष्टादशी अवचूर्णि सहित जीर्ण : संपूर्ण युष्मदस्मदष्टादशस्तवी सोमसुन्दरसूरि सं. युष्मदस्मदष्टादशस्तवी-अवचूरि .............. सोमदेव गणिसं.. १८२ चतुशरण अवचूर्णि जीर्ण .........संपूर्ण स्तुवे पार्श्व जिना बहुबीहेरेकवचने ......... .................... कागज .. ८७(४)........(जुनो नं. १८९१-९५/०). 45 Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता स्थिति प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्राओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रबना वर्ष आदिवाक्य :गद्य जीर्ण संपूर्ण चतुःशरणप्रकीर्णक-अवचूरि १८३ प्रज्ञाप्रकाशषत्रिशका प्रज्ञाप्रकाशषट्त्रिाशिका नयप्रकाश स्तवन-स्वोपज्ञवृत्ति सहित यशस्वीगणि-शिष्य :सं. जीर्ण संपूर्ण कागज ८७(२) (जुनो नं. १८९१-९५/०) श्लोक ३७ प्रज्ञाप्रकाशाय नवीन पद्य कागज ८७(२०) (जुनो नं. १८९१-९५/१३८३)सूचीपत्रक्रम-१४. .... प्रारंभना थोडा पत्रो नथी. श्लोक ७४०वि.१६३३ तस्मै नमः श्रीजिनशासपद्य वि. १६७३ : प्रमाणवाक्यं नयवाक्य :गद्य ८७(१०)........... (जुनो नं. १८९१-९५/१३८९)...... : ग्रं.८७५ वि. १४५५ नयप्रकाशस्तव पदमसागर सिं . पदमसागर नयप्रकाशस्तव-स्वोपज्ञ टीका वेधगोष्टी विद्यगोष्ठी १८६ अजितशान्तिस्तोत्र सह बोधदीपिकाटीका मुनिसुन्दरसूरि जीर्ण कागज नन्देिषेण अजितशान्तिस्तोत्र अजितशान्तिस्तोत्र-बोधदीपिका वृत्ति....... १८७ पिण्डविशुद्धि अवचूरी जिनप्रभसरि जीर्ण कागज पिण्डविशुद्धिप्रकरण-अवचूरि १८८: शीलोपदेशमाला संपूर्ण जयकीर्तिसरि गा.११६ वि. १४७६ १० ८७(७) (जुनो नं. १८९१-९५/१२२८)सूचीपत्रक्रम-३-११७६. ग्रन्थान-७४१./खोखटसुत कुंपा लिखितं., (१०.५४४.७, १७४६४) लेखन स्थल : इलदुर्ग जिय जियसव्वभय :पद्य गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. गं (koवि .936५ : गद्य रचना स्थल दाशरथिपुर ....... ८७(४) (जुनो नं. १८९१-९५/१२८४)सूचीपत्रक्रम-१-११३१. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. ग्रन्थान-८३८५. गद्य ८७(२).............. (जुनो नं. १८९१-९५/१३०४).. आबाल बम्भयारि नेमिपद्य वि. १८३२ : ९९ ८७(६६).... (जुनो नं. १८९१-९५) लक्ष्मीनिरस्तनिखिला....... : पद्य कागज वि. १९वी :८७(६) (जुनो नं. १८९१-९५/१३१६)पदच्छेद व अन्वयदर्शक चिहनयुक्त. कुग्राहनिवारणे पटुतर पद्य पद्य वि. १६२१ १५ :८७(१०) (जुनो नं. १८९१-९५/१३०५)सूचीपत्र नं.१-६०३. (गाथा-३०६....९x४...१३४४०) कयपवयणप्पणामो वुच्छ पद्य जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी. १८९ धर्मरत्नाकर श्रेष्ठ संपर्ण कागज अध्याय २१ जयसेन जीर्ण १९० : सिद्धान्तरत्नावली सह टिप्पण संपूर्ण हेमसूरि-शिष्य :श्लोक ३२ : सिद्धान्तरत्नावली सिद्धान्तरत्नावली-टिप्पन १९१ यतिजीतकल्पसूत्र श्रेष्ठ कागज यतिजीतकल्पसूत्र नव्य सोमसूरि गा.333 46 Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष ग्रंथांकः प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार ८७(९) आदिवाक्य १९२ चतुःशरणविषमपद-विवरण आदि श्रष्ट संपर्ण कागज (जुनो नं. १८९१-९५/१३६४)सूचीपत्र नं.१-२८४, १२९७.१:३०८.१-३२२..(१०x४...१९४६२). (पे.पू. 9A-4A) .वि. : सूचीपत्रांक-१-२८४. (पे.पृ. 4B-९०) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-२९७. गा.६३ अहें चतः देशस्य त्रसकायस्य (पे.१) चतुःशरणप्रकीर्णक-विषमपदविवरण (पे.२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्विवरण (पे.३) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-अवचूरि. (पे.४) संस्तारकप्रकीर्णक-अवचूरि भूत धातुर्धारणे वसन्तपुरे गायन: गद्य पद्य गुणरलसूरि सं.. गा. १२२ (पे.पू. ९०-११/पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३०८.. (पे.पृ. ११A-१३०) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३२२. कर्ता-गणरत्नसुरि. (जुनो नं. १८९१-९५/०)६६, नथी. जीर्ण १९३ : भगवति आराधना मूल भगवती आराधना संपूर्ण कागज १३५ .......... ८७(६८) ..... १९४ : चरित्रसार सह टिप्पण जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १५५० २७ ८७(१८) (जुनो नं. १८९१-९५/०)ग्रन्थान-१८००. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पदच्छेद, संधिसूचकादि संशोधनात्मक चिहनों के साथ. प्रारंभिक कुछ अंश नहीं है. पत्रांक-२४-५० है. दिगम्बरमतमान्य कृति. लेखन स्थल : हिंसार चारित्रसार चामुण्डराय गं.१८०० अरिहननरजोहननरहस्यहरं गद्य जीर्ण कागज वि. १८९४ ८७(६) (जुनो नं. १८९२-९५/८६८) चारित्रसार-टिप्पण षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि व सत्तानिरूपण (पे.१) षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि (प. पृ. 9A-RA/ पे.वि. : अवचूरि टबार्थ शैली में लिखी गयी है. षडदर्शनसमच्चय हरिभटसरि लाक/ सहर्शनं जिनं नत्वापद्य श्रीमद्वीरजिनं नत्वा षड्दर्शनसमुच्चय-अवचूरि (पे.२) सत्तानिरूपण आवश्यकसूत्रनियुक्ति श्रेष्ठ : संपूर्ण कागजवि . १४८३ ३५ ८७(२५) (प.पू. ९०-९ (जुनो नं. १८९२-९५/६२९)सूचीपत्र नं.१-१००२. :/गाथा-३२९४..(१०४४.२४४६०) आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा. २५०० ग्रं.३१०० कागज जयइ जगजीवजोणी वियाणओ १९७ : सुगुणकुमारकथानक संपूर्ण .......... ८७(४).. (जुनो नं. १८९२-९५/८९९)सूचीपत्रक्रम-४-८३९...... Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्राओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य धर्माद धनं धनत एव । पद्य संपूर्ण कागज १३ ८७(११) (जुनो नं. १८९२-९५/८०३). १९८यतिशिक्षापञ्चाशिका यतिशिक्षापञ्चाशत १९९ सर्वज्ञशतक जयइ जिणसासणमिणं... जीण संपूर्ण :कागज १८७(२) (जुनो नं. १८९२-९५/८९२)संशोधित प्रति. टिप्पण सहित. घमसागर प्रा. पणमिय सिरिवीरजिणं पद्य २०० श्रावकवतभड्ग ८७(२)............ (जुनो नं. १८९२-९५/८५५).. आतुरप्रत्याख्यान सह अवचूर्णि पञ्चपाठी श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ८७(४) (जुनी नं. १८९२-९५/६२ सूचीपत्र नं.१-२९३.. (१०x४.५, १०४३८) गाथा ६०थी८० सुथी मळे छे. वीरभद्र :गा.७१ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-अवचूरि देसिक्कदेसविरओ सम्म नत्वा वीरजिनं वक्ष्य पद्य पद्य श्लोक ८५० भुवनतुगसूरि (महेन्द्रसूरिशिष जीर्ण नमस्कार (३ स्मरण) सटीक :कागज :८७(१०) (जुनो नं. १८९२-९५/८८५)सूचीपत्रक्रम-३-३९६.३५२५.३-७४० (प. पू. २५-३०) पे.वि. : सूचीपत्रक्रम-३-३९६. भद्रबाहुस्वामी उवसग्गहर. पद्य : गद्य (पे. पृ.३8-98) पे.वि. : सूचीपत्रक्रम-३-५२५. (पे.१) उपसर्गहरस्तोत्र सह (सं.)टीका.. उपसर्गहरस्तोत्र उपसर्गहरस्तोत्र-टीका (पे.२) सप्ततिशतस्तोत्र सह (सं.)टीका तिजयपहुत्तस्तोत्र तिजयपहत्तस्तोत्र-टीका. (पे.३) भयहरस्तोत्र सह (सं.)टीका ...... भयहरस्तोत्र तिजयपहत्त... पद्य गद्य (पे. पृ. 84-१३B) पे.वि. : सूचीपत्रक्रम-३-७४०. कृ.वि.: गाथा २१थी २४ मळे छे. मानतुगसूरि गा.२३ नमिऊण पणयसुरगणचूडामण गद्य भयहरस्तोत्र-टीका पिण्डविशुद्धि दीपिका सह :२०३ वि.१४८१ :१८ :८७(१०) (जुनो नं. १८९२-९५/७५५)सूचीपत्र नं.१-४१७.. (१०x४...१५४४४ लेखन स्थल...पत्तन गाथा १०५ सुधी मळे छे. ...यशोदेवसूरि कृत टीका आधारित. गा १०४ पद्य पिण्डविशुद्धिप्रकरण | पिण्डविशुद्धिप्रकरण-दीपिकावृत्ति देविन्दविन्दवन्दियपय तं नमत श्रीवीरं उ दयप्रभसूरि वि. १२९५ 48 Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति क्लिन/ओरिजिनल ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीपरिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य अपूर्ण कागज वि.२०वी ८७(१८) प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर. प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष माषा झे.पत्र/ो.पत्र) कृति प्रकार २०४ जीर्ण २१ प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. अध्याय-१ की गाथा-४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता है. :प्रवचनसार कृपदाचार्य पद्य प्रवचनसार-छाया एस सुरासुरमणुसिन्द एष सुरासुरमनुष्येन् सिद्ध सदन बुधि वदन पद्य : पद्य प्रवचनसार-टीकानो पद्यानुवाद हिन्दी :अमृतचन्द्राचार्याय सं. टीका की हेमराज पांडे कृत भाषाटीका के अनुसार. (जनो नं. १८९२-९५/७६०).. । संपूर्ण.. ८७(१४)....... पद्य नेमिचन्द्रसूरि प्रा. गा. १५२५ ग्र.१८100 जयइ जुगाइजिणिन्दो जीण संपूर्ण कागज :वि.१५०७६४ सिरि० कर्मणं विपाको ८७(४२) गद्य (जुनो नं. १८९२-९५/६५६)प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. (पे.पृ.१-७) (पे...५-१२/.... तह० मिथ्यात्वादिभिर गद्य (पे.प्र.१३-१६) बन्ध० बन्धकर्माणूनां २०५ : पूजाष्टक अष्टप्रकारीपूजाकथा अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत २०६ नव्यकर्मग्रन्थावचूरि (पे.१) कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थअवचूरि (प.२) कर्मस्तवावचूरि कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-अवचूरि (पे.३) बन्धस्वामित्वस्यावरि बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-अवचूरि (पे.४) षडशीतिकोद्धार षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ-अवचूरि (पे.५) शतकस्योद्धार शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-अवचूरि. (प.६) सप्ततिकावचूरि... सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-अवचूरि दशवैकालिकसूत्र, चूलिका युगल सह अवचूरि दशवैकालिकसूत्र. दशवैकालिकसूत्र-अवचूरि २०८ : सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सह (पे. पू. १६-२८). नमि० तत्र जीवन्ति गद्य (पे. पृ. २८-४९). निजहेतु सद्भावे यासा (पे. पृ.४९-६४) सिद्ध० सिद्धानि थायि पद्य ८७(१२) श्रेष्ठ संपर्ण :कागज :वि. १५१५ १६ (जुनो नं. १८९२-९५/७१३)सूचीपत्र नं.१-७२०.. (१०x४.८४५८) गं. ७०० ग्रं. २१४३ कागज धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ । संयुक्त प+ग इहार्थतः श्रीमहावीर २१२ ८७(१०५) संपण हारिभद्री टीका आधारित. (जुनो नं. १८९२-९५/९०४)सूचीपत्र नं.१-४५., (१०x४, १३४५२) 49 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रतनाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीडी (सीवीडी- झे.पत्र/डो.पत्र) किति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता परिमाण रबना वर्ष आदिवाक्य सुधमोस्वामी बुज्झिज्ज तिउटेज्ज ... उपाध्याय नमः श्रीवर्धमानाय साधुरङ्ग श्रेष्ठ ८७(४) गं. २२०० सूत्रकृतागसूत्र सूत्रकृतागसूत्र-दीपिका टीका ग्र.१३४१६ गद्य २०९ नन्दीसूत्रविवरण दुर्गपदव्याख्या संपण :कागज (जुनो नं. १८९२-९५/७३०)सूचीपत्र नं.१-६२०., (९x४.. १५४५४) नन्दीसूत्र-दुर्गपदवृत्ति २१० दशवकालिकसूत्र-चूलिकायुगलावचूर्णि श्रीचन्द्रसूरि. श्रेष्ठ ग्रं.३३००.. कागज सम्यगित्येवं गुर्च ... १२ संपूर्ण गद्य. ८७(८) वि. १४९२ (जुनो नं. १८९२-९५/७११ सूचीपत्र नं.१-७२६., (१०x४.. २६४८०) शय्यम्भवसूरि प्रा. ग्रं. ७00 संयुक्त प-ग दशकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-अवचूरि.. २११ महानिशीथसूत्र :ग्र. १७00 धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ .. इहार्थतः श्रीवीरकृत.... ६८ गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण :कागज ८७(६८) (जुनो नं. १८९२-९५/७९२ सूचीपत्र नं.१-४५८., ।१२४४.. १५४६६) अध्ययन-८ प्रा. अध्याय८ग्र. ॐनमो तित्थरस... ४५४४ २१3 चन्द्रप्रभचरित्र जीर्ण संपूर्ण :कागज वि. १५८७ यशोकीर्ति अध्याय ११सन्धि १२ अग्निशीतत्वादिवादस्थलसङ्ग्रह (प.9) अग्निशीतत्वव्यवस्थापकस्थल अग्निशीतत्वस्थापनवादस्थल :(ये.२) सर्वानुमानोत्थापनस्थल (पे.३) सर्वज्ञत्वसिद्धिवादस्थल (पे.४) शब्दाम्बरगुणत्वनिर्लोचनस्थल (पे.५) एकेन्द्रियाणां जीवत्वस्थापना (प.६) परहेतुतमोभास्करन्नामस्थल. (पे.७) अनुमानदूषणानि अनुमानदूषणवादस्थल (पे.८) परमब्रह्मोत्थापनवादस्थल । ९० ८७(६०) (जुनो नं. १८९५-९८/६५९)सूचीपत्रक्रम-४-९३९./पत्र २४.२५, नथी., (१०.५४४.५, १०४३७) नमिऊण विमलकेवललच्छी ८७(८). ............(जुनो नं. १८९५-९८/५९५). (पे. पृ. 24-242 शीतोवहिनर्दाहकत्वा .. ननु भोः कोविदकुलावचू :गद्य (पे.पृ. २०-२०) इह केचिदहड़कारशिखरि (पे.प्र.२8-JA) ये केचन श्रोत्रेन्द गद्य (पे.प्र. ४A-YE वनस्पतयो जीवाजातिजरा गद्य (पे.पू. ४) इह हि सकलतार्किकचक्र गद्य (प.पू. ४B-GB) (पे.प्र.७B-CA) अग्निमान यं पर्वतः गद्य श्रीवीरं जिनमानम्यगद्य (पे.प्र. ८A-१२B) भुवनसुन्दरसूरि सं. 50 Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष माषा परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्राी .पत्र) कृति प्रकार ८७(१०)..... आदिवाक्य जीर्ण संपर्ण कागज (जुनो नं. १८९५-९८/५९०). २१५ क्षेत्रसमास अवचूरि क्षेत्रसमासप्रकरण-अवचूरि २१६ : कवचद्वार गद्य जीर्ण संपूर्ण कागज ८७(२) (जुनो नं. १८९५-९८/५७९)अन्त के मात्र दो पेज है. /सूचीपत्रक्रम-? प्रा.... गा.२९ २१७ परमसुखद्वात्रिंशिका संपूर्ण .. (जुनो नं. १८९५-९८/५८९) जीर्ण जिनप्रभसूरि (आगमिक) कागज श्लोक ३२ ८७(२) पद्य धर्माधर्मान्तरं २१८:जीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ८७(८१) जीतकल्पसूत्र कयपवयणप्पणामो वोच्छं पद्य जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाश्रमण गा.१०५ ग्रं. १३० (जुनो नं. १८९५-९८/५७३)सूचीपत्र नं.१-५९३. /गाथा-१०७. टीका ग्रन्थान-६७५३..(११४४., १६४५५) हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने आवकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. यतिजीतकल्पनी साधुरत्लसूरि कृत टीकार्नु अने आनुं आदिवाक्य भिन्न छ पण ग्रन्थान जुदा छे. (जुनो नं. १८९१-९५/१२१०)सूचीपत्रक्रम-४-७९७. , (१२.५४५.१, १०४४८). जीतकल्पसूत्र-वृत्ति ग्र. ६७७३ जयति महोदयशाली... गद्य २१९ : सम्भवनाथचरित्र जाण अपूण कागज ८७(६६) तेजपाल : अपभ्र. अध्याय पद्य इसंधि २२० आवश्यकसूत्रनियुक्तिदीपिका संपूर्ण कागज वि.१६३३ ४२३ ८७(२१३) (जुनो नं. १८७९-८०/३७३)सूचीपत्र नं.१-१०९६... (१०.५४४., ११४४२) आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनी दीपिका टीका माणिक्यशेखरसरिसं. श्री.आवश्यकसत्र तीथोदगालिक श्रेष्ठ संपूर्ण :कागज वि. १६१२ ८८(१४) :(जुनो नं. १८७९-८०/३८६)सूचीपत्र नं.१-३९६., (१२४४., १७४६८) तीर्थोदगालिक प्रकीर्णक जयइससिपायनिम्मलतिह गा. १२३३ ग्रं.१५६५ कागज गुणवर्मकथा संपूर्ण वि. १४८६ ३६ ८८(२४) (जुनो नं. १८७९-८०/४०१)सूचीपत्रक्रम-४-१८७.. (११.३४४.५, १५४५८) लेखन स्थल : अणहिल्लपत्तन अं.वाक्य-गुणवर्मगुरूर्योग्य. /विशिष्ट रचना प्रशस्ति... गुणवर्माचरित्र माणिक्यसुन्दरसूरि सं. । सर्ग . :वि. १४८४ विजयतां जिनवाक्यसुधा पद्य 51 Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम २२३ (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम संस्तारक सह विवरण (अवचूरी) संस्तारकप्रकीर्णक संस्तारकप्रकीर्णक- विवरण २२४ चैत्यवन्दनभाष्यावचूर्णि आदि (पे. १) चैत्यवंदनभाष्यावचूर्णि चैत्यवन्दनभाष्य-अवचूर्णि (पे. २) वन्दनकभाष्य सह (सं.) अवचूर्णि वन्दनकभाष्य-अवचूर्णि (पे.३) प्रत्याख्यानभाष्य- अवचूर्णि २२५ तत्त्वार्थवृत्ति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-वृत्ति २२६ पिण्डनिर्युक्ति सह विवेचन पिण्डनिर्यक्ति पिण्डनिर्युक्ति-विवेचन २२७ चतुःशरणप्रकीर्णक आदि (पे. १) चतुःशरणप्रकीर्णक (पे. २) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् (पे.३) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक स्थिति कर्ता श्रेष्ठ श्रेष्ठ भुवनतुङ्गसूरि सं. ( महेन्द्रसूरिशिष श्रेष्ठ श्रेष्ठ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (कागळ) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष वीरभद्र भाषा ज्ञानसागरसूरि सं. सोमसुन्दरसूरि सं. सोमसुन्दरसूरि सं. जीर्ण वीरभद्र संपूर्ण वीरभद्र प्रा. भद्रबाहस्वामी प्रा. माणिक्यशेखरसूरि सं. संपूर्ण संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण १८०८ कागज गा. १२४ ग्रं. १२०९ कागज कागज कागज गा. ६९७ कागज गा. ६३ गा. ७१ गा. १७२ ग्रं. १७१ वि. १६६९ वि. १५६२ 52 आदिवाक्य १८ काऊण नमोक्कार जिणवर शमित निःशेषकर्मणे १६ वन्दि वन्दनीयात गुरुवन्दण. अथेत्या अथ प्रत्याख्यानभाष्य २०८ १०२ पिण्डे उग्गम उप्पायण श्री आचारागे द्विती १३२ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार ८८ (१२) देसिक्कदेसविरओ सम्म पद्य गद्य ८८ (१०) गद्य गद्य गद्य ८८ (१३८) गद्य ८८ (६९) पद्य गद्य ८८ (९२) सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य पद्य नमिऊण महाइसयं महाणु परा प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (जुनो नं. १८७९-८० / ३९८ ) सूचीपत्र नं. १-३१८.. ( १०४४., ४४४८) लेखन स्थल पत्तननगर (जुनो नं. १८७९-८० / ३९०) सूचीपत्र नं. १-१२२५, ११३०८, १-१२६५., (१०४४. १९४४८) (पे. पू. १-७) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-१२२५. (पे. प्र. ७4-99A) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-१३०८. (पे.पू. ११A - १६B) पे. वि. सूचीपत्र नं. १-१२६५. (जुनो नं. १८७९-८०/३६९) (जुनो नं. १८७९-८० / ३८९ ) सूचीपत्र नं. १-१११६ / १लु पत्र डबल छे., (१०x४. ५x२७) गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. (जुनो नं. १८७९-८० / ३८५) सूचीपत्र नं. १-२६८. कुल गाथा - १२३३. श्लोक-१५६५. (पे. पृ. १-३B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-२६८. [ कृ. वि. गाथा - ६२ थी ९१ सुधी मळे छे.] (पे. पृ. ३B-६B) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-२८६. / सूचीपत्र नं. २९९ [कृ.वि. गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे.] (पे. पृ. ६B-१२B) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-२९९. [कृ. वि. गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे.] Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर) पेटा नाम कृति नाम (पे.४) संस्तारकप्रकीर्णक (पे.५) तन्दुलवैचारिक प्रकीर्णक (पे.६) चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक (पे.७) देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक (पे.८) गणिविद्याप्रकीर्णक (पे.९) महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे. १०) वीरस्तवप्रकीर्णक ( पे. ११) अजीवकल्पप्रकीर्णक (पे. १२) गच्छाचारप्रकीर्णक (पे. १३) मरणसमाधि प्रकीर्णक (पे. १४) तीर्थोद्गालिक प्रकीर्णक २२८ आचाराङ्गसूत्रचूर्णि आचाराङ्गसूत्र-चूर्णी २२९ ज्योतिष्करण्डक सह टीका ज्योतिष्करण्डकसूत्र ज्योतिष्करण्डकसूत्र - वृत्ति २३० सन्मतितर्कप्रकरण- सिद्धसेनदिवाकर सन्मतितर्कप्रकरण स्थिति कर्ता ऋषिपालित श्रेष्ठ (भांका) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (कागळ) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष श्रेष्ठ पादलिप्तसूर मलयगिरिसूरि जीर्ण सिद्धसेन दिवाकर सूर भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा.सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. परिमाण गा. १२४ गा. ३४५ गा. १७४ गा. ३८० गा. ८६ गा. १४३ गा. ४३ गा. ४५ गा. १३७ गा. ६६१ गा. १२३३ ग्रं. १५६५ कागज ग्रं. ८३०० कागज ग्रं. ४०५ ग्रं. ५००० कागज वि. १६४० 53 आदिवाक्य काऊण नमोक्कार जिणवर निज्जरियजरामरणं जहमत्थगच्छयाणं विगसि अमरनरवन्दिए वन्दिऊण. वोच्छं बलाबल विहिं .... एस करेमि पणामं तित्थ नमिऊण जिणं जय जीव आहारे उवहिम्मि अ नमिऊण महवीरं तिय तिहुअणसरारविन्दं २१७ मङ्गलादीणि सत्थाणि १४५ कातूण णमोक्कारं जिण स्पष्टं चराचरं विश्व क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (पत्र) कृति प्रकार पद्य ४ सिद्धं सिद्धट्ठाणं पद्य पद्य पद्य पद्य जयइ ससिपायनिम्मलतिहु पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य ८८ (१४४) गद्य ८८ (९४) गद्य ८८(४) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. १२B-१७A) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-३१३. 8 (पे. पू. १७A-३०A) पे.वि. (पे. पृ. ३०-३६B) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-३२७. सूचीपत्र नं. १-३३४. (पे. पृ. ३६B-४७A) पे.वि. 3 सूचीपत्र नं. १-३३९. / गाथा-३०० [कृ.वि. गाथा ३०० थी ३११ मळे छे.] (पे. पृ. ४७4-५०A) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-३४६. गाथा-८५. (पे. पृ. ५०A-५४B) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-३५०. गाथा-१४३. (पे. पृ. ५४B-५६A) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-३५६. (पे. पृ. ५६A-५७A) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-३६६. / सूचीपत्रानुसार पेटाक्रम-११. (पे.पू. ५७B- ६१B) पे. वि. सूचीपत्र नं. १-३७५. (पे. पृ. ६२A-CCA) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-४२५. [कृ. वि. : गाथा ६५२ थी ६६१ सुधी मळे छे.] (पे.पृ. ८८A-१३२A) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-३९७. (जुनो नं. १८७९-८० / ३७२ ) सूचीपत्र नं. १-१०., ( १०४४., १३४५० ) (जुनो नं. १८८०-८१/३७८ ) सूचीपत्र नं. १-३९३. ग्रन्थाग्र-५५०० (१०४४., १३४४६) (जुनो नं. १८८०-८१/४०८). Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम भाषा २३१ कर्मप्रकृतिटीका कर्मप्रकृति-टीका २३२... प्रश्नोत्तररत्नमालिका (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन ओरिजिनल प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल सीवीसी (सीवीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रखना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्राओ.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार जीर्ण संपूर्ण १०१ ८८(३३) .... (जुनो नं. १८८०-८१/०)... मलयगिरिसूरि प्रणम्य कर्मद्रुम गद्य जीर्ण संपर्ण १०७ ८८(१०८)......... (जुनो नं. १८८१-८२/१६४). विमलसूरि कः खलु नालड़िक्रयते । जीर्ण संपणे १५. 1८८(१६). .. (जुनो नं. १८८१-८२/०).. जिनदत्तसूरि वि.१४९३ संपूर्ण कागज ८८(५५) (जुनो नं. १८८१-८२/१६५)सूचीपत्र नं.१-४५७., (१३४५... १७४६६) :अध्याय ८ ग्रं. ॐनमो तित्थस्स... अध्ययन-८ :४५४४ जीर्ण कागज (जुनो नं. १८८१-८२/१७८) २३३ विवेकविलास २३४ महानिशीथसूत्र श्रेष्ठ २३५ शास्त्रवार्तासमुच्चय ८८(१०२.. हारभद्रसरि जीर्ण :कागज ........... (जुनो नं. १८८१-८२/०) १२३६ कर्मविपाकावचूरि कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ-अवचूरी २३७ ओघनियुक्ति सह अवचूर्णि ८८(१६) गद्य ८८(२८) श्रेष्ठ संपण :कागजवि . १५२७ :४३ (जुनो नं. १८८१-८२/१४७)सूचीपत्र नं.१-११३४, (१०x४...१२-१५४४०), गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. ओघनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य गा.११६३ ग्रं. १४३२ ज्ञानसागरसूरि ओघनियुक्ति-अवचूरि २३८ व्यवहारसूत्रचूर्णि वि. १४३९ प्रकान्तोयमावश्यकानु : वि. १५६६:२१९ श्रेष्ठ गद्य ८९(२१५) संपूर्ण :कागज द्रोणाचार्यवृत्यानुसारिणी. (जुनो नं. १८८१-८२/१५२ सूचीपत्र नं.१-४७६. /परिमाण-१०३६० ग्रन्थान., (१३४५.. १५४५०) परिमाण-उद्देशक-१०. व्यवहारसूत्र-चूर्णी प्रा. उक्तः कल्पः अधुना गद्य अध्याय १० गं. १२००० २३९ चन्द्रप्रभचरित्र अपूर्ण कागज वि. १४६२ ९६ ८९(४८) (जुनो नं. १८७१-७२/३४७)सूचीपत्रक्रम-४-२११. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रारंभना १२० पानाओ नथी. ग्रन्थान-५८१७..(११.५४३.७, ११४४०) लेखन स्थल : कंथमहादुर्ग रचना स्थल सोमेश्वरपुर चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकगाथाबद्ध देवेन्द्रसूरि स.,प्रा. अध्याय परि. ग्रं. वि. १२६४ दृष्टोपि इष्टजनलोचन : पद्य 54 Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य ५३२५ कागज विद्वानशतक सह टवार्थ TOT संपर्ण : वि.१७६८ ८९(२) (जुनो नं. १८७१-७२/३१२) लेखन स्थल : सुरतिबिंदर :विहानशतक तेजसिडघ श्लोक २६ अणु विद्वान शतं हे राजन पण्डितनो पद्य विद्वानशतक-टबार्थ :२४१ बद्रिसागर जीर्ण मारुगुर्जर : संपूर्ण सं. कागज ८९(८). पद्य सड़ग्रामसिंह वि. १५२० मोहध्वान्तकभानवे ४तरंग पंचपाठ (जुनो नं. १८७१-७२/२९६) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.रचना स्थल प्रतिस्थानपुर (जुनो नं. १८७१-७२/२९५)सुन्दर लिपियुक्त शुद्ध प्रति. पदच्छेद, संधिसूचक व क्रियापदसूचक संकेत सहित. विविध चक्रबंध रचना है. प्रश्न-१६१..... २४२ प्रश्नशत सह अवचूरि जीर्ण संपूर्ण कागज ८९(१०) प्रश्नशतक श्लोक १६१ क्रमनखदशकोट्यद्दीप्रपद्य जिनन् हानि गच्छत् कागज ८९१४) (जुनो नं. १८७१-७२/२७२) (पे. पृ. १-44) ये.वि. : सूचीपत्रांक-१-0004. प्रश्नशतक-अवचूरि उपसर्गहरस्तोत्र लघुवृत्ति सह (पे. उपसर्गहरस्तोत्र सह (संलघुवृत्ति उपसर्गहरस्तोत्र उपसर्गहरस्तोत्र-टीका (पे.२) नमिऊणस्तोत्र सह वृत्ति अपूर्ण....... भयहरस्तोत्र भद्रबाहस्वामी पूर्णचन्द्रसरि नमस्कृत्य पर (पे. पृ. 45/ पे.वि.: सूचीपत्रांक-३-३९८...... कृ.वि. ! गाथा २१थी २४ मळे छे. मानतुगसूरि गा.२३ नमिऊण पणयसुरगणचूडामण गद्य भयहरस्तोत्र-टीका अजितस्तव सह टीका जीर्ण संपूर्ण कागज ८९(६) (जुना नं. १८७१-७२/२६६)सूचीपत्रक्रम-१-११७९. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. गाथा संख्या ३८ थी४७ सुधी मळे छे. गा.४० पद्य... अजितशान्तिस्तोत्र अजितशान्तिस्तोत्र-टीका सङ्ग्रहणीप्रकरण की अवचूर्णि सङ्ग्रहणीप्रकरण-अवचूर्णि नन्दिषेण गोविन्दाचार्य जीर्ण सं........ ग्रं.३५० कागजवि . १४८९ अजियं जियसवभयं प्रणिपत्याजितशान्ती । १२ पद्य 1८९(८) संपूर्ण (जुनो नं. १८७१-७२/४१७) श्रीचन्द्रसूरिशिष्य श्रीदेवभद्रसूरिविनिर्मित : विवरणानुसारेण संग्रहण्यवचूर्णिः. (जुनो नं. १८७१-७२/२४७), (११४४,५, १७४७०) २४६ चतुःशरण सह टिप्पणक आदि कागज वि. १४६८७ ८९(८) ... 55 Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रतनाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्र/ो.पत्र) प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रखना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार (ये. प्र. १-२) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-२७९. क्र.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. (पे.) चतुःशरणप्रकीर्णक सह टिप्पण चतुःशरणप्रकीर्णक चतुःशरणप्रकीर्णक-टिप्पणक (4.२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य कुशलस्य पुण्यानुबन्ध.... : गद्य देसिक्कदेसविरओ सम्मपद्य गा.७१ (ये.३) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक नमिऊण महाइसयं महाण: पद्य गा. १७२ ग्रं. १७१ :गा.१२४ (ये.पृ. २०-३) पं.वि. : सूचीपत्र नं.१-२८८. [कृ.वि. : गाथा ६० थी.८० सुधी मळे छे.. (ये.पृ. ३०-६A/ पे.वि. सूचीपत्र क्रम-१-३००. कि.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ६०-७B) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३१०. (पे.४) संस्तारकप्रकीर्णक : पद्य काऊण नमोक्कार जिणवर २४७ प्रवचनसारोद्वार-विषमपदावबोध टिप्पनक जीर्ण संपूर्ण कागज ४५ :८९(३०) प्रवचनसारोद्धार-विषमपदपर्याय टीका उदयनमसूरि ग्रं.३२०३ प्रवचनसारोद्धारे गद्य २४८ वारिविचारपत्र जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १७१९ ८९(२) (जुनो नं. १८७१-७२/२३७) ग्रन्थाग-३३०३. सुन्दर लिपि व यन्त्रस्थापना सहित. प्रतिलेखन पुष्पिका. सूचीपत्र नं.?. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. जयप्रभ के सहयोग से रची गयी है. (जुनो नं. १८७१-७२/२३२)भक्तिना लिखितं. लेखन स्थल: साबराइ रचना स्थल स्तम्भतीर्थ (जुनो नं. १८७१-७२/२२८)सूचीपत्र नं.१-४६०.. (११:५४४.५, १५४५६) लेखन स्थल: अणहिल्लपुरपत्तन अध्ययन-८ प्रासुकाम्बुविचार २४९ महानिशीथसूत्र मेरुतुड्गसुरि श्रेष्ठ ग्रं.१८७वि . १४६७ कागज वि. १५६६ इह किल प्रासुकोदकं ७५ गद्य ८९(५०) ॐनमो तित्थस्स... अध्याय८. ४५४४ जम्बूस्वाम्यध्ययन सह टबार्थ :कागज ८९(२५) (जुनो नं. १८७१-७२/१९१)सूचीपत्र नं.१-३८७., (९.५४४, ६४३८) - अध्याय २१ तेणं कालेणं. रायगिहे. :जम्बूस्वामी अध्ययन जम्बूस्वामी अध्ययन-टवार्थ भद्रबाहुचरित्र मारुगजर गद्य ८९(२२) २५१ जीर्ण वि.१७९७ । २ (जुनो नं. १८८३-८४/२७२)सूचीपत्रांक-४-१०४३. पृष्ठांक ११ कीटखादित./अधिकार-४..(११.५४४.७, ११४३९) अं.वाक्य-भद्रदोश्चरित./अधिकार-४. रत्ननन्दि : अध्याय ४ सद्बोधभानुना... पद्य । Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीटी (डीवीडी- झे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कतों परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (दिगम्बर उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि कागज ८९(१४) (जुनो नं. १८७१-७२/१६५)सूचीपत्र नं.१-६८९., :(१०x४., १९४७८) गद्य 1८९(७) .........(जुनो नं. १८७१-७२/३७८).. आवद्धमानमानम्य : उत्तराध्ययनसूत्र-अवचूरि २५३: विचारश्रेणि जीर्ण संपूर्ण कागज तं १०८ वाणि २५४. अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक.... जीर्ण कागजवि .१४७५ । संपूर्ण .... प्रा. ८९(१०)..........(जुनो नं. १८७१-७२/३५१).. वरगन्धधूअचुक्खक्खएहि पद्य अध्याय ७कथानक गा104x ५५ :न्यायानेकार्थभाष्य संपूर्ण :कागज ८९(२६) (जुनो नं. १८७१-७२/४०९)सूचीपत्रक्रम-२-१७. प्रतिलेखन पुष्पिका..(१०.१४४.१, २२४५८).. न्यायशास्त्र-अनेकार्थभाष्य मिलन्मन्दाकिनीमल्ली शतपादका कागज ८९/७४) (जुनो नं.१८७२-७३/१३५) जीर्ण धर्मघोषसूरि : सं प्रा शतपदाप्रकरण २५७ भगवतीसूत्रावचूर्णि संपूर्ण कागज ५५ ८९(३७) (जुनो नं. १८७२-७३/१२२)सूचीपत्र नं.१-११८., (१०x४, १५४५०) प्र.३११४ तेणं कालेणं.. अथ ! गद्य २५८ जीर्ण कागज ८९(२) भगवतीसूत्र-अवचूर्णि आराधनापताकाभगवती व सारावली प्रकीर्णक (पे.१) आराधनापताका-भगवती : (जुनो नं. १८७२-७३/१४१) ... पद्य आराधनापताका भगवती (पे.२) सारावलीपयण्णय सारावली प्रकीर्णक (पे. पृ. -९२०-९२०) पे.वि. : गाथा-९०३ तक के पाठ नहीं है. गा.९३२ सम्म नरिन्ददेविन्द (प. पू.९२९-९५७ प्रा. गा. ११६ आरम्भेसु नियत्ता पद्य कृ.वि. : खंभात सूचिपत्र भाग-२ में कर्ता-जिनयश का उल्लेख है. : संपूर्ण कागज :वि. १४७४ १७० ८९(१४२) (जुनो नं. १८७२-७३/१०९)सूचीपत्र नं.१-६०९, १ ६१९. उभयग्रन्थान-८५३५ . सं......... ७७३२................ जयति भुवनकभानुः.......... गद्य ...............(पे.पू. १-१५५) पे.वि. : सुचिपत्रांक-१-६१९. ग्रन्थान-. :नन्दीसूत्र, टीका (4.9) नन्दीसूत्र-वृत्ति ............... मलयगिरिसुरि 57 Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम २६० २६१ (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पे. २) नन्दीसूत्र सियाचरित्र सूत्रकृतागसूत्र दीपिका सहित सूत्रकृताङगसूत्र सूत्रकृतागसूत्र- दीपिका टीका २६२ दशवैकालिकसूत्र चूलिकायुगल तथा टीका दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र - लघुवृत्ति २६३ | उत्तराध्ययनसूत्र दीपिका उत्तराध्ययन सूत्र - दीपिकाटीका २६४ सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि सूत्रकृताङ्गसूत्र-चूर्णी २६५ चन्द्रप्रज्ञप्ति सह विवरण चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति स्थिति कर्ता देववाचक जीर्ण श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी हर्षकुलगणि श्रेष्ठ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (कागळ) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष शय्यम्भवसुरि सुमतिसूरि श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ मलयगिरिसूरि भाषा प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. सं. परिमाण ग्रं. ७०० कागज कागज ग्रं. २२०० श्लोक ६६०० कागज ग्रं. ७०० ग्रं. २६५० कागज ग्रं. ८६७० कागज श्लोक ९५०० कागज ग्रं. १८३१ ग्रं. ९५०० वि. १६०० वि. १६५९ वि. १५८३ वि. १७४५ वि. १२२० 58 आदिवाक्य जयइ जगजीवजोणीवियाणओ ६१ कमनहकन्तिजलेण वखालिय ७४ बुज्झिज्ज तिउटेज्ज प्रणम्य श्रीजिनं ६२ धम्मो मङगलमुक्किट्ठ जयति विजितान्यतेजाः १९० णमो अरहन्ताणं. २३८ जयति क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार संयुक्त प+ग नवनलिणिकुवलयविय मुक्ताफलमिव करतलकलित ८९ (४०) पद्य ८९ (५०) गद्य श्रीउत्तराध्ययनस्य १५९-२ (६५ थी ६६) = १५७९० (१६१ ) पद्य ८९ (४३) संयुक्त प+ग गद्य ८९ (९६) पद्य ९० (४) गद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ७८३२. (पे. पृ. १५५-१७०) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-६०९. [कृ.वि. आनुं अने आवश्यकनिर्युक्तिनुं आदिवाक्य समान छे.] 14 (जुनो नं. १८७२-७३ / १७७) सूचीपत्रक्रम-१-८२४. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (११.१४४.१, १५४५२ ) लेखन स्थल अलवरगढ़ दुर्ग अं. वाक्य एवं सीयाचरियं... सूरीहि निवेइयं किचि. / कर्त्ता ? (जुनो नं. १८७२-७३ / १४४ ) सूचीपत्र नं. १-३८. ग्रन्थाग्र-८६००., (११४४. २०-२२४५४-६२) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १८७२-७३ / १०४ ) सूचीपत्र नं. १-७१६., (९.५०४, ६५५३) हारिभद्री बृहद्वृत्तिना मूल सूत्र व्याख्याभागनो उद्धार. (जुनो नं. १८७२-७३/८९) सूचीपत्र नं. १-६७२... ( ११४४., १४४६०) (जुनो नं. १८७२-७३ / १४३ ) सूचीपत्र नं. १-५१. (१३४५, १५९६८) (जुनो नं. १८७३-७४ / १४७ ) सूचीपत्र नं. १-२५४., (१०४४., १३४५०) Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति क्लिन/ओरिजिनल प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीरचना वर्ष आदिवाक्य संपूर्ण कागज वि. १५११ १११ ९०(७१) प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर. प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण झे.पत्र/ो.पत्र) कृति प्रकार २६६ जीवसमासप्रकरण सह वृहद्वृत्ति जीर्ण (जुनो नं. १८७३-७४/१५१)गाथा-२८६. झेरोक्ष पत्रांक१ना मूलपत्र २४-३४ नुं उन्धु झेरोक्ष थएल छे. झेरोक्ष पत्र १३-१४ नथी. झेरोक्ष पत्र ११-१२ डुप्लिकेट छे. जीवसमासप्रकरण प्रा. पद्य :गा.२७० ग्रं.६६२७ दस चोदस य जिणवरे यः स्फारकेवलकरैर्जगत । जीवसमासप्रकरण-बृहद्वृत्ति हेमचन्द्रसूरि मलधारी २६७ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णि श्रेष्ट संपूर्ण कागज :वि. १६२५ ३० ९०(३०) (जुनो नं. १८७३-७४/१४९)सूचीपत्र नं.१-२४६. ग्रन्थान-२०२३., (१३४४., १५४६६) लेखन स्थल: अहम्मदाबाद जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी प्रा. ग्रं. १८६९ णमिऊण गद्य विणयविरतियकर संपूर्ण ............: कागज.... २६८ वर्णनासार व सुभाषितश्लोक (पे.१) वर्णनासार (पे.२) सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह ९०(१६)...... गद्य सर्वजीवनिकायस्य सर्व सं.प्रा. मारुगूर्जर पद्य (जुनो नं. १८७३-७४/२५२).. (पे.पू. 98-२४) (पे.पृ. २४० [कृ.वि. : विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे] (जुनो नं. १८७३-७४/२३४)इस प्रत के अन्दर दो प्रतियां है./१लुं पार्नु नथी. विविध चक्रबंध रचना है. प्रश्न-१६१. : प्रश्नशत सह टिप्पण जीर्ण संपूर्ण कागज ९०(६) प्रश्नशतक जिनवल्लभ श्लोक ११ कमनखदशकोटहीप्रपद्य प्रश्नशतक-टिप्पण २७० विंशतिविंशिका प्रकरण जीर्ण संपूर्ण कागज १० ९०(६) (जुनो नं. १८७३-७४/२१९)पत्रानुक्रम व्यवस्थित किये बिना ही झेरोक्ष हुआ है. हरिभद्रसूरि प्रा. नमिऊण वीयरायं सव्व अध्याय २०विशि कागज २७१ जनहिता (दशाश्रुतस्कन्धसूत्र टीका) श्रेष्ठ संपूर्ण १६२-१(१२३)=१६१ ९०(१०९) (जुनो नं. १८७३-७४/१५६)सूचीपत्र नं.१-४९३./१०, 100वे वखत छे..(१०x४.५, १३४४४) ब्रह्मर्षि ग्रं. ५१५२ दशाभूतस्कन्ध-जनहिता टीका महानिशीथसूत्र यथास्थिताशेषपदार्थ.... गद्य १२९ ९०८६) २७२ कागज वि. १५९४ (जुनो नं. १८७३-७४/१७८)सूचीपत्र नं.१-४५९. /१२k पानु डबल छे.(१०x४...१३४४८). Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रतनाम (पेटा नंबर). पेटा नाम : कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य ॐनमो तित्थस्स... अध्ययन-८ अध्याय ८ ग्रं. ४५४४ आतुरप्रत्याख्यान विवरणसहित श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ९०(१८) (जुनो नं. १८७३-७४/१२४)सूचीपत्र नं.१-२९१.. (१०x४.५, १३४४२) गाथा ६० थी ८० सुथी मळे छे. वीरभद्र गा.७१ | आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-अवचूरि देसिक्कदेसविरओ सम्म नत्वा वीरजिनं वक्ष्य पद्य पद्य :श्लोक ८५० भुवनतुगसूरि (महेन्द्रसूरिशिष जीर्ण ..................... :.९०(२८).........(जूनो नं. १८७३-७४/२०९) २७४ सयपटकवृत्ति सयपट्टक-टीका ২৪/৭ सन्देहदोलावली सह टीका गद्य जीर्ण संपणं :कागज वि. १६३७ १०५ ९०९६९) (जुनो नं. १८७३-७४/०)१,१०,११ पाना डबल छे. लेखन स्थल : विक्रमनगर पद्य सन्देहदोलावलीप्रकरण सन्देहदोलावलीप्रकरण-टीका जिनदत्तसुरि प्रबोधचन्द्र गणि पडिबिम्बिय पणयजयं श्रीवर्द्धमानं प्रभु ग्रं.४७५० : वि.१३२० गद्य विशिष्ट रचना प्रशस्ति. र.सं.अम्बरकरशिखिरूपमिते-१३२०.रचना स्थल प्रल्हादनपुर (जुनो नं. १८७३-७४/१६२)सूचीपत्र नं.१-५८७./२४ नंबरर्नु पेज डबल छे. (१०x४, १५४६०) २७६ पञ्चकल्पसूत्रचूर्णि ९०(४०) मङगलादीणि सत्थाणि गद्य पञ्चकल्पसूत्र-चूणी पिण्डनियुक्तिअवचूरि कागज वि. १९३१ ८५ ९०(८४) (जुनो नं. १८७३-७४/१६९)सूचीपत्र नं.१-१११७./२४, ७४ पाना डबल छे... (११४५.. १५४४२) श्रीपिण्डनियुक्ति अष्ट कागज ९०(४२) (जुनो नं. १८७३-७४/१९९)सूचीपत्र नं.१-९२५. /३३, ४० पाना डबल छे..(१३४५., २२४८४) पिण्डनियुक्ति-अवचूरि. वन्दित्ताचूर्णि (श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-जूर्णि आवश्यकसूत्र-नियुक्ति चूर्णि विजयसिंहसूरि प्रा. पथ श्रेष्ठ अपूर्ण गा.५० वन्दित्तु सब्बसिद्धे पद्य श्लोक ४५९०: वि. ११८३ सिद्ध सिद्धत्थसुर्य कागज वि. १७७४ २३५१-५(९०,३३ थी ९०(१७५) ३६:३४६ ग्र.१८००० काऊण नमोक्कार तिथयर : गद्य (जुनो नं. १८७३-७४/१२९)सूचीपत्र नं.१-१०९०.. (१०.५४४...१५४६०). नियुक्ति ऊपर पण. आवश्यकसूत्र-चूर्णी जिनदास गणि प्रा. :क्षमाश्रमण Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/ो.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष माषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य जीर्ण संपर्ण कागज (जुनो नं. १८७५-७६/७३६)७-९७ नथी. ९०(२७) गद्य २८० पञ्चवस्तु पर्याय पञ्चवस्तुकप्रकरण-पर्याय २८१ : संवादसुन्दर अवचूर्णि संवादसुन्दर-अवचूर्णि २८२ जिनदत्तकथा समुच्चय : जीर्ण संपर्ण कागज ९०(६). (जनो नं. १८७५-७६/७३४) :वि.१६३८ जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १६१११०४ ९०(५२) (जुनो नं. १८७५-७६/७१९)सूचीपत्रक्रम-४-९५३. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. ग्रन्थान-१०९०./पत्र ४४ नथी..(१०.७४३.५, ७२४) लेखन स्थल : चासू अं.वाक्य-अत्र प्रमाणं प्रथितं समस्त..निःसंशयं विद्भिरमुख्यसारं. (जुनो नं. १८७५-७६/७१०) : जिनदत्तकथासमुच्चय महामोहतमश्छन्नभुवना : पद्य गुणभद्रसूरि (दिगम्बर) जीर्ण सर्ग ९ ग्रं. :१०९० कागज संपूर्ण ............. . वि.२०वी । ९०(४)......... गद्य ॐ ऋषभ पवित्र २८३ वेदपुराणमध्ये जैनशास्त्रश्लोक वेदपुराणोक्त ऋषभादिजिनोल्लेख सन्दर्भश्लोक : स्याबादचूलिका सटीक २८४ जीर्ण कागज १९१(२८) श्लोक ३२ अत्र स्याद्वादशुद्ध पद्य (जुनो नं. १८७५-७६/६९६)ग्रन्थान-७८४. अन्त में श्लोकानुक्रमणिका दी गयी है. कुन्दकुन्दाचार्य रचित समयससार की समाप्ति विषयक उठे विचारस्वरूप यह कृति बनायी गयी है. भाषा-प्राचीन हिन्दी. (जुनो नं. १८७५-७६/६५८). हीरविजयसूरि विजयराज्ये विरचितं. भयः अपि मनाक जीर्ण संपर्ण कागज स्याद्वादचूलिका अमृतचन्द्राचार्यसं. (दिगम्बर) स्थाद्वादचूलिका-भाषाटीका २८५ युक्तिप्रकाशसूत्र स्वोपज्ञवृत्ति सह युक्तिप्रकाश युक्तिप्रकाश-स्वोपज्ञ विवरण २८६ : दृष्टिवाद, षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका जीर्ण संपूर्ण व तर्कसङ्ग्रह की तर्कदीपिका टीका .... (पे.१) दृष्टिवाद ९१४) श्लोक २८ प्रणपत्यज्यक्तभक्त्य पदमसागर प्रणम्य श्रीमहावीर कागज ४२ ९१(४२) (जुनो नं. १८७५-७६/६१०) वन्दित्वा परमात्मानं (पे.पृ. १) पे.वि. : अपूर्ण, प्रतिलेखक की भूल से इसमें प्रारंभिक मंगलाचरण पाठ के बाद षड्दर्शनसमुच्चय-लघुटीका संलग्न हो गयी है. दृष्टिवाद प्रारंभमात्र ही है. (पे. पृ. १-३१०) पे.वि. : पूर्ण. प्रतिलेखक की भूल से इस कृति में दृष्टिवाद का प्रारंभिक भाग लिखा गया है. प्रस्तुत कृति की तीसरी कारिका की आधी टीका एवं चौथी कारिका सटीक से अन्त तक का । (पे.२) षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता स्थिति प्रतिलेखन वर्ष पत्र शांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार पाठ क्रमशः मिलता है. श्लोक८७ :पय षड्दर्शनसमुच्चय षड्दर्शनसमुच्चय-लघुवृत्ति (पे.३) तर्कसङ्ग्रह-तर्कदीपिका टीका हरिभद्रसुरि सोमतिलकसूरि अन्नं भट्ट सद्दर्शनं जिनं नत्वा । सज्ज्ञानदर्पणतले २८७ धर्मरसायण जीर्ण : संपणं वि. १८१२ : १६ :९१(८) (पे.पृ.३२०-४२B) पे.वि. : पूर्ण. प्रारंभिक भाग का पाठ नहीं मिलता है. (जुनो नं. १८७५-७६/०)प्रतिलेखक की भूल से गाथाक्रम ११० की जगह १ दिया गया है. इस प्रकार से कुल गाथा-२०४. पदमनन्दिदेव गा.१९५ णमियूण वढमाणं परम २८८ धर्मरसायण वि.१८१२ 193 पद्य ९१(७) पद्य णमिऊण देवदेवं धरणि धर्मपरीक्षा कागज वि. १५९५ १३७ २१(९२) (जुनो नं. १८७५-७६/०) अ.वा.-पावइ सासयं ठाणं. (जुनो नं. १८७५-७६/०)संशोधित प्रति. पदच्छेद, टिप्पणादि से युक्त. प्रतिलेखन पुष्पिका. कर्मचन्द राज्य प्रवर्तमाने. इसके संपादन में जिनरत्नकोश का मदद लिया गया है. हरिषेण अपभ्रं. वि.१०४४ सिद्धिपुरन्धिहिकन्तु अध्याय ११सन्धि ग्रं. :२०७० २९० धर्मपरीक्षा जीर्ण सपूर्ण कागज १०१ ९१(६८) मनोहर (दिग.) हिन्दी गा.१०८3 आचाराङ्गसूत्रप्रदीपिका पण, अरहन्तदेव गुरु.... :पद्य १९७-३(६७ थी ६९)=१९४ : ९१(१३१) श्रेष्ठ अपूर्ण कागज वि. १६१२ (जुनो नं. १८७५-७६/०)पत्रांक-४३.५७ अवास्तिवक घटते पत्र है. भाषा-प्राचीन हिन्दी.रचना स्थल :दादुर (जुनो नं. १८८२-८३/२३७A)सूचीपत्र नं.१-१८., (१०x४, १५४५२) लेखन स्थल : देवराजपुर, विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १८८२-८३/०)..................... (पे. पृ. 98-६8....... ग्रं.१०५०० वि. १५७३ शासनाधीश्वरो जीयाद जिनहंससूरि जीर्ण गद्य ९१(२०).... संपण .................. आचाराड़गसूत्र-दीपिका टीका २९२ प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसग्रह (4.9) प्रमाणनमेकलिका प्रमाणप्रमेयकलिका (ये.२) सर्वार्थनिराकरणवादस्थल नरेन्द्रसेन :गद्य ननु भवतां प्रमाणशास यः कश्चिदिहविपश्चित (ये.प्र. ८A-RA) पे.वि. : प्रतिलेखक की भूल से पत्र लिखने की जगह ८ लिखा गया है. .........।(.पू. ९4-908).... (पे.३) अपशब्दनिराकरणवादस्थल प्रमाण स्वपरव्यवसाय गद्य Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (पे. पृ. १०8-994) (पे.४) सर्वज्ञवादस्थल सर्वज्ञत्वसिद्धिवादस्थल (पे.५) सक्षेप सर्वज्ञसिद्धि " :5 गद्य इह केचिदहड़कारशिखरि इह हि विमलकेवलालोकसम सकल प्रत्यक्ष लक्षय नैयायिकदर्शने तावत इह हि केचिदज्ञानमहा। इह केचिदनादिमहा किं पुनरीश्वरसद्भावे ... इह केचित्सदनुष्टान तमोनामेत्यादितमो 5 : (पे.पृ. 998-१२/ पे.वि. : प्रतिलेखन पुष्पिका श्लोक-तैलाद्रक्षेद् (पे.पू. १२९-१३० (प.पू. १३४-१५A) (पे.पू. 944-968) :(पे.पू. १७-१८A) (पे.पू. १८A-१९ (पे.पू. १९७-२३) (पे.पू. २३४-२५०/(पे.पू. २५०-२७B) (प..पू. २७-२८०). (प.52. सर्वज्ञवादस्थल. (पे.४) नैयायिक प्रमाणप्रमेयवादस्थल :(पे.८) सर्वज्ञव्यवस्थापनावादस्थल (पे.९) जीवास्तिवादस्थल (पे.१०) ईश्वरवादस्थल (पे.११) गणधरवाद (पे.१२) तमोवादस्थल... (पे.१३) तैजसवादस्थल :/पे.१४) अग्निशीतत्वस्थापनावाद अग्निशीतत्वस्थापनवादस्थल (पे.१५) विप्रवक्त्रमुद्गर (पे.१६) स्त्रीनिर्वाणसिद्धि-रत्नावतारितायां स्त्रीनिर्वाणसिद्धिवादस्थल अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह : तेजसैवापवत्य स्कन्ध शीतोवास केवलज्ञानसिद्धी (पे.पू. २८४-२९०) (पे. पू. २९४-३२० सर्व वाक्यं सावधारण कागज वि. १४६१ ९१(२२) गद्य (पे.१) मण्डपप्रतिष्ठाविधान (पे.२) लेश्याप्रकरण (पे.३) पार्श्वनाथपद्मावती मन्त्र ..... (पे.४) जयतिहअणस्तोत्र (पे.५) शुक्लरौद्रआादि धर्मध्यान विवेचन ॐ परमब्रह्मणे नमो कृष्णनीलकपोतपीत. सर्वसत्वहितकराय जयतिवण कप्परुक्ख ...बुद्धिमानपि गुरुः गद्य अभयदेवसूरि अपर्भ. गा.30 पद्य पद्य (जुनो नं. १८८२-८३/०)अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. (पे.पू. 9A-६A/ पे.वि. : प्रारंभिक पत्र नहीं ह. (पे.पू. ६A-६०) (पे.प्र.६B-GA) (पे.पू. 64-९) (पे.पू. १००-३५०) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र-३-९. बीचबीच के कुछ पत्र नहीं होने से कौन कृति कहाँ से प्रारंभ व कहाँ पर पूरी हुई है उसका ठीक-ठीक पता नहीं चलता है. (पे. प्र.३५4-३७०) (पे.६) तत्वधर्मोपदेशामृत धर्मोपदेशामत पदमनन्दिदेव श्लोक ३४ नि:शेषामलशीलसदगणमय पद्य 63 Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) स्थिति पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांका प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रबना वर्ष आदिवाक्य पड़कजनन्दि पद्य सन्माल्यादियदीय मदमदनकषाया... गद्य बाह्याभ्यन्तरभेदेन. गया (ये.) स्नानाष्टक (4.2) द्वादशानुप्रेक्षा (2.8) द्विविध तप निरूपण (पे.१०) कर्मप्रकृतित्रोटन (पे.११) शास्त्रसारसमुच्चय (पे.१२) विविध क्रियासङग्रह. (ये.१३) बालपुस्तिका पाण्डवचरित्र गद्य गद्य सीमं नमामरस्तोम क्रियासं पृथक पृथक शून्यागारे देवकुले :१६६ (प.पू. ३७-३८B) (पे.पू. ३८B-४६A/ [कृ.वि. : दिगम्बर कृति] (पे.पू. ४६A-40A/ (प.पू. ५०4-498) ।(पे.पू. ५08-५९) (पे.पू. ५९०-६१०/(प.पू. ६१-६१) (जुनो नं. १८८२-८३/४४३)सूचीपत्रक्रम-४-३७८. प्रतिले.व.१४५१? विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रथम पत्र नथी..(१०.१४४.३, १६४५०) लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पद्य :२९४ :वि.१४५१ ९१(११०) पाण्डवचरित्रमहाकाव्य स. : सगे १८ ग्रं. श्रियं विश्वत्रय देवप्रभसूरि मलधारी जीर्ण ९८८४ संपर्ण कागज ९१(४१) (जुनो नं. १८८२-८३/०) सङ्ग्रहणी सग्रहणीप्रकरण गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य श्रीचन्द्रसूरि मलधारि जीर्ण :२९६ : श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण सपण कागज गा.४१ ९१(२) .... (जुनो नं. १८८२-८३/३४३). पद्य ९१(९)............: (जुनो नं. १८८२-८३/३२०).. संपूर्ण :कागज २९७... सयपटक सयपटक २९८ पिण्डविशुद्धि सह वृत्ति जिनवल्लम संपूर्ण कागज ९१(५८) (जुनो नं. १८८२-८३/३०१)सुचीपत्र नं.१-४१४., (१०x४, १५४५६) गाथा १०५ सुधी मळे छे.. प्रा :गा.१०४ देविन्द्रविन्दवन्दियपय पद्य पिण्डविशुद्धिप्रकरण पिण्डविशुद्धिप्रकरण-टीका २९९ धन्यशालीचरित्र - दानकल्पद्रुमगत जिनवल्लभ श्रीचन्द्रसूरि जीर्ण पशिगय गं.४४०० संपूर्ण नम्रानेकसुरासुराराधि २७ कागज वि. १४९७ ९१(१८) (जुनो नं. १८८-८३/०)प्रतिलेखन पुष्पिका./१ थी८ पाना खूटे छे. दानकल्पद्रुम-धन्यचरित्र पद्य जिनकीर्तिसरि अध्याय स श्रेयस्त्रिजगद पद्य ९पल्लव ग्रं. । १२९२ 64 Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीपरिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता झे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार ३०० चतुःशरण सह अवचूरि श्रेष्ठ संपण कागज वि. १६४५ ९१(६) (जुनो नं. १८८२-८३/२६०/सूचीपत्र नं.१-२७६., (१०x४., २२४५५). गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. वीरभद्र गा.६३ चतुशरणप्रकीर्णक चताशरणप्रकीणेक-अवचार : आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि गुणरलसरि श्रेष्ठ सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य इदमध्ययनं परमपद गद्य ९२(६) अपूर्ण कागज (पे.१) चतुःशरणप्रकीर्णक-अवचूरि गद्य (जुनो नं. १८८२-८३/२६१)सूचीपत्र नं.१-२८३.१२९६.१-३०७.१-३२१...(१०x४::.२१४७२-७४) (पे.पृ. २०-४B) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-२८३. १४मा गाथा थी प्रारंभ. अन्तवाक्यथी आ कृति कोई अन्य कांनी लागे छे. 'अत' निवृत्ते सुखानि तेषामित्यर्थः (प.पृ.४8-94) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-२९६. देशस्य त्रसकायस्य गद्य (पे.२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्:विवरण (पे.३) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-अवचूरि (पे.४) संस्तारकप्रकीर्णक-अवचुरि योनिपाहुड भूत्र धातुर्धारणे गणरत्नसरि जीर्ण वसन्तपुरे गायनः.. (पे.पू. 184-८B) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३०७. (पे.पृ. 48-१०४) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-३२१. (जुना नं. १८८२-८३/२६६)... ३०२ ९२(३८)..... योनिप्राभत तिथं जलवत्थवक्कल ३०३ आवश्यकसूत्रनियुक्त्यवचूर्णि श्रेष्ठ अपूर्ण कागज ९२(५४) (जुनो नं. १८८३-८४/२५६)सूचीपत्र नं.१-१०९८. आदि अने अन्तनी पत्रो नथी., (१०x४., २१४७०) आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनी अवचूर्णि उत्तराध्ययनसूत्रावचूर्णि 3०४ :सपूर्ण कागज ९२(३०) पूर्वाचायो उत्तराध्ययनसूत्र-अवचूरि ३०५ : ओघनिर्युक्त्यवचूरि श्लोक ५२५० : वि. १४४१ । कय.एषा कागज : वि. १३३३ (जुनो नं. १८८३-८४/२८४/सूचीपत्र नं.१-६८८.. (१०x४.. २३४८). मूल, नियुक्ति बन्ने पर, पाइअटीकानुसारिणी (जुनो नं. १८८३-८४/२८६A/सूचीपत्र नं.१-११३९. /१५ अने १६ पार्नु डबल छे.. (१०x४.५.२३४६२) : संपूर्ण २४ ९२(१६) गद्य ओघनियुक्ति-अवचूरि३०६ मल्लिनाथस्वामिचरित्र प्रक्रान्तोयमावश्यका कागजवि . १४९११८१ जीर्ण अपूर्ण ९२(९१) (जुनो नं. १८८४-८७/१३०६)सूचीपत्रक्रम-४-४७१. ग्रन्थान-४७५०. सर्ग-८. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.. (९.५४३.७...१३४३५). सर्ग-८. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. कर्ता-चन्द्रगच्छीय. मल्लिनाथचरित्र महाकाव्य विनयचन्द्रसूरि अध्याय पद्य ४७५० Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- भाषा झे.पत्र/ओ.पत्र) परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार प्रतिपूर्ण कागज वि. १४५४ १११ ९२८२) प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ३०७ त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र पर्व-७, सर्ग-4 जीर्ण 8. (जुनो नं. १८८४-८७/१२८६)सूचीपत्रक्रम-४-२५८.. :विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., (१०.३४४.१,१४४४४) पर्व-१०. । (जुनो नं. १८८४-८७/१३५४)६०मुं पान डबल छे. सगे १० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य ३०८ पञ्चलिड़गीप्रकरण पद्य १९२(६३) सपूर्ण हेमचन्द्रसूरि जीर्ण जिनेश्वरसूरि जीर्ण :कागज गा.१०१ उवसम संवेगो विय पद्य ।३०९ वासुपूज्यचरित्र संपूर्ण कागज वि. १४६९ ९२(७२) ग्रं.५४९४ । वासुपूज्यस्वामिचरित्र पद्य हरिवंशपुराण वर्द्धमानसूरि .....सं. जीर्ण वि. १२९९ मत्ये पतिर्दध्यौ वि. १४४१ : ९३ ३१० संपूर्ण कागज ९२(९६) (जुनो नं. १८८४-८७/१३१३)सूचीपत्र संख्या-४-६६१. पेज-१ नहीं है. श्लोक-५४४२./विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका...(१०.३४४.३, १७४५६). कर्ता-नागेन्द्रगच्छ (जुनो नं. १८८४-८७/११३५)सूचिक्रम-४-११६२. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. ग्रन्थान-११५००., (१२.३४५.५-५.५, ११४४०) लेखन स्थल : मधूकपुरनगर अं.वाक्य-सुविहिहिं अरुहहो नित्यं करहो...विविह :जम्मभम्म हरई. अपभ्र. ग्रं. ११५०० पणवेवि गुरूपयइ भब्बह पद्य Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) प्रतिपूर्ण ताडपत्र वि. १४८९२५२ २०/३९(२२९) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, पाईयटीका पूर्वार्ध श्रेष्ठ (जुनो नं. ३३३)डुंगरपुरमां गजपाल राजाना राज्यमा लखाव्युं छे...(३३.५४२).. (पे.पू. १-१७) पं.वि. : गाथा-६०७, ग्रन्थान-0५०. (पे.१) उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा. ५९६ ग्रं. ६०७ (पं.२) उत्तराध्ययनपाईयटीका पूर्वार्द्ध उत्तराध्ययनसूत्र-बृहद्वृत्ति (पे. पृ. १-२३५). कृ.वि. : मुल साथे ग्रन्थान-१८०००. सं.प्रा. श्लोक १३३४५ शान्तिसुरि वादिवेताल शिवदाः सन्तु तीर्थेश पद्य उत्तराध्ययनपाईयटीका उत्तरार्ध श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १४८९ :२२७ २०/३९(२१४) (जुनो नं. ३३३), (३३.५४२) लेखन स्थल : डूंगरपुर. मूल साथे ग्रन्थान-१८०००. उत्तराध्ययनसूत्र-बृहद्वृत्ति सं.प्रा. :श्लोक १३३४५ शिवदाः सन्तु तीर्थेश पद्य शान्तिसूरि वादिवेताल श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र । वि.१३७२ १६८ २०/३९(१६७) । (जुनो नं.३९२)प्रथम त्रण पत्रना टुकडा छे. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र दशमपर्व (महावीर चरित्र) पाष्टशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य दशवकालिकटीका ..... दशवैकालिकसूत्र-लघुवृत्ति हेमचन्द्रसूरि सगे १० पद्य भेष्टा संपूर्ण वि. ११८८.....११५ वि. १२२० जयति विजितान्यतेजाः २०/३९(५९)....... पर्व-१०. (जुनो नं. १०(92)..... हारिभद्री बृहदृत्तिना मूल सूत्र व्याख्याभागनो सुमतिसूरि सं. ग्रं. २६५० उद्धार. उत्तराध्ययनसूत्र ताडपत्र । वि. ११७९ श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी संपूर्ण प्रा. १०६ सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य २०/३९(४६) ...... । (जुनो नं. १०(२)) लेखन स्थल : कर्णावती : संयुक्त प+ग अध्याय ३६ ग्रं. श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र वि. १४९७ ६१४ २०/३९(३१४) (जुनो नं. ४०२)पे. २. संपूर्ण सारी छे./पत्र३०५+३०५-६१४....३४४२). (पे. पृ. १-३०७). भद्रेश्वरसूरि .. प्रा. गं. १२६०० नमिऊण नाहिजणियं देवं कथावली प्रथम खण्ड-प्रथम तथा द्वितीय विभाग (पं.१) कथावली प्रथमखण्ड-प्रथमविभाग कथावली (पे.२) कथावली प्रथमखण्ड द्वितीय विभाग कथावली कथावली प्रथम खण्ड-प्रथम विभाग तथा द्वितीय विभाग (पे....१.३०७).. :ग्रं. १२६०० भद्रेश्वरसूरि श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र । वि. १४९७ 13०२ नमिऊण नाहिजणियं देवं: १-३०१/४६१ २१/३९(३०१) ... (जुनो नं. ४०३), (३४४२) (पे.१) कथावली प्रथमखण्ड प्रथमविभाग Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीबीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार भद्रेश्वरसूरि ग्रं. १२६०० नमिऊण नाहिजणियं देवं (प.पृ. १५२३०२). ग्रं. १२६०० नमिऊण नाहिजणियं देवं भद्रेश्वरसरि. श्रेष्ठ ताडपत्र २१/४०(१९३) कथावली (पे.२) कथावली प्रथम खण्ड द्वितीय विभाग कथावली जीवाभिगमसूत्र तथा वृत्ति (पे.१) जीवाभिगमसूत्र (मे.२) जीवाभिगमसूत्र-वृत्ति उत्तराध्ययनसूत्र सुवोधावृत्ति (ये.१) उत्तराध्ययनसूत्र ग्र.४७०० गद्य ग्रं. १४००० गद्य मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी (जुनो नं. ३८३), (३३.५४२) (पे.पृ. १-१२३) (प.पू. १२४-३७१). पे.वि. : अपूर्ण हे-वचमां जीर्ण.. (जुना नं.३८७), (३५४२.५) (पे.पृ.१-४७) पे.वि.: ग्रन्थान-२०५६./सारी. ताडपत्र वि.१४०० २७६ २१/४०(३३०) संयुक्त प+ग सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ (पे..पू..१-१६०० नेमिचन्द्रसूरि सं.प्रा.अपनं.: ग्रं. १२०००......: वि. ११२९... प्रणम्य विघ्नसङघात... गद्य (पे.२) उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग-9 उत्तराध्ययनसत्र-सुखबोधावृत्ति (पे.३) उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग-२... उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधावृत्ति पुष्पमाला (कुसुममाला) वृत्ति (पे. पृ. १६१-२७६). ग्रं. १२००० प्रणम्य विघ्नसघात गच नेमिचन्द्रसूरि श्रेष्ठ सं.प्रा.अपभ्रं. संपूर्ण वि. ११२९ : वि. १३१३ ताडपत्र ३४८ २१/४०(३७५) (जुनो नं. ३७३)वचमां घणा पानाना टुकडा छे तेम सर्वथा पण नथी. /विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. /गाथा-४१.. (३१४२.५). पुष्पमालाप्रकरण-वृत्ति सं. ग्रं. १३८६८ येन प्रबोधपरिनिर्मित गद्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी श्रेष्ट संपूर्ण :ताडपत्र सं. ग्रं.७२५० मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ २२/४०(१८३) गद्य २२/४०/५........ पिण्डनियुक्तिवृत्ति पिण्डनियुक्ति-बृहद्धृत्ति शतकचूर्णि शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-चूर्णि अनुयोगद्वारचूणि अनुयोगद्वारसूत्र-चूर्णी (जुनो नं. ३५३) ग्रन्थान-७०००. सारी. ग्रन्थान ७००० थी ७५०० सुधी मळे छे (जुनो नं. २२०)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. संपूर्ण ताडपत्र गं. २०२२ निदयकम्मो गद्य संपूर्ण ताडपत्र २२/४०(६६) (जुनो नं. १७५)सारी.. श्रेष्ठ जिनदास गणि ग्रं.२२६८ : विमी किञ्चि पञ्चविहायार गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र २२/४१(२१५)....... (जुनो नं. ३५५).. द्रोणाचार्य ग्रं. ७००० ओघनियुक्तिटीका ओघनियुक्ति-वृत्ति १७-२ . ओघनियुक्ति तथा पिण्डनियुक्ति i/पे.१) ओघनियुक्ति अष्ट संपर्ण ताडपत्र २२/४१(२३०).....(जुनो नं. १८७) दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य ...........(पे.पृ. 9-99) [कृ.वि. : गाथा-११४० थी ११९०.... भद्रबाहस्वामी :गा. ११६३ . Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कर्ता कति प्रकार १४३२ गा.६९७ (पे.२) पिण्डनियुक्ति भद्रबाहस्वामी प्रा. पिण्डे उगम उप्पायण पद्य ताडपत्र १७.३... ओघनियुक्ति आदि (पे.१) ओघनियुक्ति ....... संपूर्ण. भद्रबाहुस्वामी प्रा. :२२/४१ दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष सुधी मळे छे] (प.पू. ७५-१३०) कृ.वि.: गाथा ६९७ थी ७२० सुधी मळे छे] (जुनो नं. २९७)त्रुटक-अपूर्ण... (पे.पृ. १३१-१७८) पे.वि. : गायकवाड केटलोंगमां पत्र-४५-१0८. [कृ.वि. : गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. (पे.पृ. १७९-१८८) [कृ.वि. : गाथा ६९७ थी ७२० सुधी मळे छे. (ये......... गा.११६३ग्रं. १४३२ (पे.२) पिण्डनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा. ६९७ पिण्डे उग्गम उप्पायण :पद्य (पे.३) भगवती आलापक भगवतीसूत्र-हिस्सा सन्मतितर्कटीका द्वितीय-तृतीय काण्ड सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ प्रा. प्रतिपूर्ण :वि.१४४६ ३३५ २२/४१(२७५) (जुनो नं. ३६९)सारी-३३४-३३५ बेना टुकडा छे.. 5.(३३.५४१.५) लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ अभयदेवसूरि ग्र.२५००० सन्मतितर्कप्रकरण-तत्वबोधविधायिनीवृत्ति महानिशीथसूत्र आदि (पे.१) महानिशीथसूत्र सं. संपर्ण ताडपत्र वि. १४५६..... ३५८ : २२/४१(८८)...... ॐनमो तित्थस्स... (जुनो नं. ३४४), (३३४१.७) (पे.पृ. १-१११) [कृ.वि. : अध्ययन-८] अध्याय ८ ग्रं. :४५४४ (पे.२) दशाश्रुतस्कन्ध-नियुक्ति भद्रबाहस्वामी गा. १५४ ग्रं. वन्दामि भद्दबाहूँ पद्य (पे.३) दशाश्रुतस्कन्ध-चूर्णी ग्रं.२२२५ मडगलादीणि सत्थाणि गय (पे.पृ. ११२-११५) पे.वि. : गाथा-१५४./झेरोक्ष पत्रः१-७२.सीडी.नं.४८८ (पे.पृ. ११६-१६१) पे.वि. : ग्रन्थान-२२२५./झेरोक्ष पत्र-१-४२..सीडी नं.४८८ (ये.पू. १६१-२०४) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र-१-७२, सीडी नं.४८८. (पे.पू. २०५-२५८) पे.वि. : ग्रन्थ नथी. (पे.४) दशाश्रुतस्कन्ध भद्रबाहस्वामी ग्रं.२०१६ नमो अरहन्ताणं... (पे.५) पञ्चकल्पसूत्र-महाभाष्य वन्दामि भद्दबाहुं पद्य सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण गा.२५७४ ग्रं. ३१२५ (पे.६) पञ्चकल्पसूत्र-चूर्णी मा. मङ्गलादीणि सस्थाणि गद्य (पे.पृ. २५९-३१५) पे.वि. : घणा पानानी कोरो कपाई गई छ./ झेरोक्ष पत्र-१-४४, सीडी नं.४८८. प.पू..३१६-३२३).पे.वि. : नकाम-फाटी गय छे.. (पे.पृ. ३२४-३५८) पे.वि. : वचला अने छेल्ला (प... बृहत् कल्पसूत्र (पे.) जीतकल्पसूत्र-वृत्ति भद्रबाहस्वामी .....प्रा......... । तिलकसूरिसं. अध्याय ६उद्दे. . १८००वि . १२७४ .णो कप्पड़ णिग्गन्थाण..... वन्दे वीरं तपोवीरंगद्य 69 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष : भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (पे.९) जीतकल्पसूत्र कयपवयणपणामोवोच्छं: पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण गा. १०५ ग्रं. १३० पानाना टुकडा छे./लेखन संवत-१४५६. स्तम्भतीर्थे. (पे.पृ. ३५८-३६१?) पे.वि.. गायकवाड केटलॉगमा आनी विगत नथी./वचमां फाटी गयेला टुकडा छे. [कृ.वि. : हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने आवकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओं रहेल छे] (जुनो नं. ३३१)२९६, २९७, २९९.३०१,३०६, ३०९ ना टुकडा छे. २९२, २९५, ३०४ नथी. /माईक्रोफिल्म माहिती आपेली नथी.. (३३४२) लेखन स्थल : अणहिल्लपाटक २१ स्याद्वादरत्नाकर प्रथम खण्ड प्रतिपूर्ण ताडपत्र ताडपत्र वि.१४७६३११ २२/४१(२३९) वादिदेवसूरि ग्र.७२८४ गद्य प्रमाणनयतत्त्वालोकालड़कारस्याद्वादरत्नाकरवृत्ति पञ्चाशक, वृत्ति (ये.१) पञ्चाशक-१९ :संपर्ण ताडपत्रवि .१४४२.. ...३६६ ..................-- २३/४१ (जुनी नं. ३६६) लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ (पे.पृ. १-४४) ये.वि. : वचमा पत्रो त्रुटक छे अने सारी छे. कृ.वि. : पञ्चाशक-१-१९. पञ्चाशकप्रकरण हरिभद्रसूरि नमिऊण वद्धमाणं सावग पद्य अध्याय १९ गा. १००० ग्रं. ११८२ ग्रं. १४४२ :अभयदेवसरि गद्य २३/४१(१८८) ताडपत्र (पे.२) पञ्चाशकप्रकरण-वृत्ति । आवश्यक लघुवृत्ति (पे.१) आवश्यकसूत्र-लघुवृत्ति (पे.२) आवश्यकसूत्र-वृत्ति आवश्यकचूर्णि वि. ११२४ वि. १४८६......३६. वि. १२९६ यो मन्दरागेण न तिलकसरि श्लोक १२३२५ तिलकसरि (प.पू. ४५-३६६). पे.वि. : सारी छे. (जुनो नं. ३९६)प्रति सारी छे. (प.पृ.१-१८) (पे.पृ. १८१-३६. (जुनो नं.३९०)श्रावक अंबडनी खरीदेली. गायकवाड केटलॉगमां लेखन संवत १३६७., (३३४२.५) लेखन स्थल : जलंधराला नियुक्ति ऊपर पण. संपूर्ण ताडपत्र वि.१३७७ ४०३ २३/४२(४७२) आवश्यकसूत्र-चूर्णी जिनदास गणि ग्रं. १८००० :गद्य काऊण नमोक्कार तिथयर :२७७ अरिष्टनेमिचरित्र श्रेष्ठ वि. १४७० २३/४२(२५७) (जुनो नं. ४११)संपूर्ण सारी. /झेरोक्ष पत्रांक-१०४ बेवडाएल छे.. (३१४२.५) लेखन स्थल : Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण चना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पष्ट पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा कति प्रकार रत्नप्रभसूरि ग्र.१३६00 जयइ निरञ्जणमिच्च वि. १२३३ वि. १४८१ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र टीका संपूर्ण ताडपत्र २३७ २४/४२(३०३) स्तम्भतीर्थ विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. ३७६(३-४)). (३२४२) लेखन स्थल : अणहिल्लपत्तन (प.पू. १-५०.. (पे.पृ. १-२३७) (जुनो नं. ३४९). नमो अरिहन्तार्ण... गद्य .ग्र. २२०० ग्रं.९१२५ ......... सं. संपूर्ण ताडपत्र यथास्थितं जगत्सर्व ૨૩૬ तियणमड़गलतिलयं यन्नाभीनासिकाभूदग २८४ २४/४२(२४५) पद्य :गा.१२५ गं.७६०० गद्य विस्तृत रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. ३५८). (३३४२) लेखन स्थल : डूंगरपुर प्रतिपूर्ण ताडपत्र वि. १४८५ २४/४२(२३८) सं. पद्य (पे.२) सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र (पे.२) सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसूरि उपदेशकन्दली वृत्ति सह श्रेष्ठ उपदेशकन्दली : आसड उपदेशकन्दली-वृत्ति बालचन्द्रसूरि दव्याश्रय महाकाव्य सह वृत्ति- सर्ग १-११ खण्ड -१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत हेमचन्द्रसूरि महाकाव्य सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत । अभयतिलक महाकाव्य-वृत्ति व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्ति सर्ग १२ थी श्रेष्ठ सम्पूर्ण-खण्ड-२ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत । हेमचन्द्रसूरि महाकाव्य सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत अभयतिलक महाकाव्य-वृत्ति चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र सर्ग २० ग्रं. २८२८. ग्रं. १७५७४ वि.१३१२ गद्य रचना स्थल प्रहलादनपत्तन प्रतिपर्ण ताडपत्र वि. १४८६ २४/४३(१८१) (जुनो नं. ३५०(१))ग्रन्थान-८८५८. /सारी. सर्ग २० ग्रं. :पया २८२८ ग्रं. १७५७४ वि. १३१२ गद्य रचना स्थल प्रहलादनपत्तन ताडपत्र वि. १४८० संपूर्ण प्रा. २४/४३(४४)........ (जुनो नं. ३८९(922. गद्य ग्रं.१८३१ जयति नवनलिणिकुवलयविय आचारागवृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण वि. १४६७ ३६७ आचाराङ्गसूत्र-वृत्ति शीलाड़काचार्य ग्रं. १२००० शिक.७९८ जयति समस्तवस्तु २४/४३(२८८) (जुनो नं. ३५६(३))कोई कोई पानुं चोंटेलुं छे. /सं.१४८५-त्रुटितं समारचितं.. (३२.५४१.७) प्रथमश्रुतस्कन्ध टीका ग्रन्थान-२६६१. बाहरी साधु सहायेन कृता टीका. २५/४३(७१).... (जुनो नं. ३५६(१-२))............. गय ३१-१. आचारागनियुक्ति तथा आचाराङ्गसूत्र श्रेष्ठ ............. संपूर्ण .......... ताडपत्र Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (ये.१) आचाराङ्गसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा.३६५ ग्रं. वन्दित्तु सव्वसिद्धे पद्य (पे.पृ.१-१४) Vigo सुधर्मास्वामी ग्रं.२६४४ सुयं मे आउर्स तेणं (ये.२) आचाराङ्गसूत्र स्थानाड़गसूत्र श्रेष्ठ । संयुक्त प+ग (पे.पू. १-७६). २५/४३(९०)........(जुनो नं. ३५९(२). ताडपत्र १०० ग्रं. 3300 सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी संपूर्ण ताडपत्र २५/४३. ग्रं.२२०० सुयं मे आउसं तेणं... :वि. १४६८ ५४ बुज्झिज्ज तिउद्देज्ज तित्थयरे य जिणवरे :वि. १४८०२२३ भद्रबाहस्वामी गा.२०८ सूत्रकृताङ्ग मूल, नियुक्ति (2.) सूत्रकृताङ्गसूत्र (पे.२) सूत्रकृताङगसूत्र-नियुक्ति अनुयोगद्वारसूत्र वृत्ति (4.9) अनुयोगद्वारसूत्र (पे.२) अनुयोगद्वारसूत्र-वृत्ति पय (जुनो नं. ३९७(१-२)) लेखन स्थल : पत्तन (पे.पृ. १-४८). (प...४१-982 (जुनो नं. ३६७)सारी. पूर्ण.. (३२.५४२) (पे.पृ.१-४३) पे.वि. : ग्रन्थान-२००५. (पे.पृ. ४४-२२३) रचना स्थल धवलक्ककनगर श्रेष्ठ २५/४३(१७३) आर्यरक्षितसरि ताडपत्र :ग्रं.२००५ ग्रं.५८८८ नाणं पञ्चविरं पण्णत सम्यक्सुरेन्द्रकृत गद्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी उपासकदशाङ्ग आदि श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १४५५ २२६ २५/४३(१८९) (पे.१) उपासकदशाङ्गसुत्र सुधर्मास्वामी ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं (पे.२) अन्तकृद्दशाङगसूत्र सुधर्मास्वामी (पे.३) अनुत्तरोपपातिकदशाङ्गसूत्र. सुधर्मास्वामी (प.) प्रश्नव्याकरणसूत्र : सुधर्मास्वामी (पे.५) विपाकसूत्र सुधर्मास्वामी (पे.६) उपासकदशाङ्गसुत्र-वृत्ति अभयदेवसूरि (पे.७) अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र-अभयदेवीय वृत्ति : अभयदेवसूरि ग्रं.८९० ग्रं. १९२ नं. १३५. ग्रं. १३१६ तेणं कालेणं तेणं तेणं कालेणं तेणं नमो अरहन्ताणं। जम्बू तेणं कालेणं तेणं (जुनो नं. ३९५)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ, (पे.पृ. १-१७) पे.वि. : सारी छे./ [कृ.वि.: पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णिमां 'सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे] (प.पृ. १७-३१) पं.वि. : सारी छ./ (पे.पू. ३१-३४). पे.वि. : सारी छे... (पे.पृ. ३४-५९). मे.वि. : सारी छे... (पे.पृ. ५९-८५) पे.वि. : सारी छे./ (पे.पू.८५-१०५) पे.वि. : सारी छे./ (पे.पू. १०५-११२) पे.वि. : ग्रन्थान-१३००. सारी गद्य ग्र.९०० श्रीवडेमानमानम्य गा ग्रं. १३५६ अथान्तकृद्दशासु किम गया छे..... अथानुत्तरीपपातिकदशा गद्य (पे.) अनुत्तरोपपातिकदशागसूत्र-वृत्ति (पे.२) प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्ति अभयदेवसुरि अभयदेवसूरि ग्रं. १०५ ग्रं.४६३० (पे.पृ. ११२-११४) पे.वि. : सारी छे./ (पे.पू. ११४-२०७) पे.वि. : ग्रन्थान-५६३०. सारी गद्य नत्वा श्रीव माना गद्य (ये.१०) विपाकसूत्र-वृत्ति दशवैकालिकसूत्र अभयदेवसूरि श्रेष्ठ ग्रं.९०० ताडपत्र (प.पू.२०८-२२६) पे.वि. : सारी छे. २५/४३.......(जुनो नं. १७४(४)). । ३३-३ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ३४-१ ३४-२ ३५-१ ३५-२ ३६ ३७ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम चन्द्रप्रज्ञप्तिटीका चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र- वृत्ति पद्मप्रभचरित्र पदमप्रभस्वामिचरित्र दशवैकालिकसूत्र, निर्युक्ति, वृत्ति (पे. १) दशवेकालिकसूत्र (पे. २) दशवैकालिकसूत्र-निर्युक्ति (पे.३) दशवैकालिकसूत्र - बृहद्वृत्ति पाक्षिकसूत्र आदि (पे. 9) पाक्षिकसूत्र (पे. २) दशवैकालिकसूत्र (पे.३) पिण्डविशुद्धिप्रकरण कल्पचूर्णी, भाष्य (पे. १) बृहत् कल्पसूत्र - कल्पचूर्णी (पे. २) बृहत् कल्पसूत्र- बृहत्कल्पभाष्य नन्दीसूत्र तथा नन्दी सूत्रवृत्ति (पे. १) नन्दीसूत्र (पे. २) नन्दीसूत्र-वृत्ति स्थिति कर्ता शय्यम्भव सूर श्रेष्ठ मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ देवसूरि# श्रेष्ठ श्रेष्ठ शय्यम्भवि जिनवल्लभ श्रेष्ठ (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष श्रेष्ठ देववाचक भाषा प्रा. अपूर्ण शय्यम्भवसूरि प्रा. भद्रबाहुस्वामी प्रा. हरिभद्रसूरि सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. मलयगिरिसूरि सं. परिमाण ग्रं. ७०० ताडपत्र ग्रं. १५०० ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. ७०० गा. ४४० ग्रं. ४४६ ग्रं. ७५५० ताडपत्र ग्रं. ३५० ग्रं. ७०० गा. १०४. ताडपत्र ग्रं. १४७८४ ग्रं. ६६०० ताडपत्र ग्रं. ७०० ग्रं. ७७३२ वि. १४७९ वि. १२५४ वि. १४८९ 73 आदिवाक्य धम्मो मगलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग ९६ २५/४४ (९९) मुक्ताफलमिव करतलकलित १८१ मङ्गलमाइजिणेसरभुअ १९० धम्मो मगलमुक्किट्ठ सिद्धगतिमुवगयाणं जयति विजितान्यतेजाः ८० तित्थङ्करे य तित्थे धम्मो मगलमुक्किट्ठ देविन्दविन्दवन्दियपय २६७ मङ्गलादीणि सत्याणि २२६ जयइ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार जगजीवजोणीवियाणओ जयति भुवनैकभानुः गद्य २५/४४ (१२४) २५/४४ (१७३) संयुक्त प+ग पद्य गद्य २५/४४ (५०) संयुक्त प+ग संयुक्त प+ग पद्य २५/४४ (१८८) गद्य पद्य २५/४४ (१०८) संयुक्त प+ग गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (जुनो नं. ३६४) १२ मां प्राभृतथी छे आदिभाग नथी. (जुनो नं. ३४६ ) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. /कोई ठेकाणे चोंटेली छे. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. ३४३) (पे.पृ. १-१६) (पे.पू. १७-२८) (कृ.वि. गाथा संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे.] (पे. पृ. २९-१९० ) [ कृ. वि. वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे] (जुनो नं. २३०) (पे.पू. १-३२) (पे.पू. ३३-६७) (पे.पू. ६८-८०) पे. वि. गाथा-१०४. ग्रन्थ नथी. [कृ.वि.: गाथा १०५ सुधी मळे छे.] (जुनो नं. ३७९) पे. १ त्रुटक छे. जीर्णप्राय / पे. २. त्रुटक छे. जीर्णप्राय (३२४२.५) (पे.पू. २-८१) (पे. पृ. २१-२०८) (कृ.वि. लघुभाष्य के बृहदुभाष्य (जुनो नं. ३७८) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.. (३१.५४२) H (पे. पृ. १-१५) पे. वि. सारी पूर्ण. [कृ. वि. आनं अने आवश्यकनियुक्तिनुं आदिवाक्य समान छे.] (पे.पू. १६-२२६) पे.वि. सारी-पूर्ण. Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार संपूर्ण ताडपत्र ३६८ २६/४४(३१५) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ३८ स्थानाङ्गसूत्रवृत्ति श्रेष्ठ (जुनो नं.३५९(१)) /प्रत वळेली छे-पण सारी.. अभयदेवसूरि श्रेष्ठ सं. अपूर्ण सं. : संपूर्ण गद्य २६/४४(२८६)... स्थानाड़गसूत्र-वृत्ति सूत्रकृताङ्गवृत्ति सूत्रकृताड़गसूत्र-वृत्ति व्यवहारचूर्णि व्यवहारसूत्र-चूणी विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. ३९७(१) अपूर्ण..... शीलाडकाचार्य श्रेष्ठ ग्रं. १४२५०वि . ११२० श्रीवीरं जिननार्थ ताडपत्र २८३ ग्रं.१२८५३............... स्वपरसमयार्थसूचक ताडपत्र वि.१४७०२७१ अध्याय १० ग्रं. उक्तः कल्पः अधुना २६/४५(२४८). गद्य (जुनो नं. ३८४(२)सारी छे., (३०x२) परिमाण-उद्देशक-१०. १२००० व्यवहारभाष्य ताडपत्र १२७ २६/४५(१४३) (जुनो नं. ३८४(१))सारी छे. पत्र ७० तूटेलुं छे. पत्र ६९-७०नी एक एक कंडीका छे. व्यवहारसूत्र-भाष्य जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति मूल, चूर्णि ग्र.६००० ताडपत्र :४१-२ संपर्ण वि.१४७९ १३९ (१४३) (जुनो नं. ३७६(१-२))१मां ९९पेज छे अने मां ४० पेज छे.८९ पत्र नथी. लेखन स्थल : पाटण (पे.पू.१-९९) पे.वि. : प्रतिलेखन वर्ष-१४१७८. (पे.पृ. १-४०) पे.वि. : प्रतिलेखन वर्ष-१४७९. गं.४१४६ नमो अरहन्ताणं... (पे.१) जम्बद्वीपप्रज्ञप्तिसत्र (ये.२) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी : ग्रं. १८६९ गद्य णमिऊण विणयविरतियकर मकथाङ्गसूत्र, वृत्ति श्रेष्ठ २६/४५(१३२) ग्र. ५००० (2.9) ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र (पे.२) ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-वृत्ति ....... उत्तराध्ययनसुखबोधावृत्ति सुधर्मास्वामी अभयदेवसूरि श्रेष्ठ तेणं कालेणं तेणं नत्वा श्रीमन्महावीरं (जुनो नं. ३७२)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. /झेरोक्ष पत्र-२,६,१०,१०, १३, ४२ अने८१ डबल छे..(३२४२).. (प.पू. १४४) पे.वि. : सारी छे. (प.पू. १२३) पे.वि. : सारी छे. (जुनो नं. ३८५)वचमां त्रुटक छे. अंत नथी. ताडपत्रना पानामां लखेलो अंकवाला पत्रो नथी.. (३०४२.५) गं.४3६६ : वि. ११२० गद्य अपण ताडपत्र 3४७ २७/४५(३२५) नेमिचन्द्रसरि. प्रणम्य विघ्नसड़घात . उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधावृत्ति......... ४४चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र, वृत्ति (पे.१) चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र सं.प्रा.,अपभ्रं. ग्रं. १२०००वि . ११२९ संपूर्ण ताडपत्र :वि.१४७९ श्रेष्ठ ३१९ गद्य २७/४५(२५९)..... गद्य (जुनो नं. ३२८)बने सारी अने पूर्ण छे.. (३२४२) (पे.पृ.५४) पे.वि. : ग्रन्थान-२०५४. ग्र. १८३१ जयति नवनलिणिकुवलयविय . मुक्ताफलमिव (पे.२) चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति ............... मलयान सरि ग्रं. ९५०० गद्य ..........(पे.पू. २६५) पे.वि. : प्रतिलेखन वर्ष-१४८०. 74 Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ४५ ४६ ४७ ४८ ४९ ५० प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम धर्मसङ्ग्रहणीवृत्ति प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारस्याद्वादरत्नाकरवृत्ति सुपार्श्वनाथचरित्र धर्मसङ्ग्रहणीप्रकरण-वृत्ति स्याद्वादरत्नाकर पञ्चम, षष्ठादि परिच्छेद श्रेष्ठ सुपार्श्वनाथचरित्र गाथाबद्ध श्रेयांसजिनचरित्र सिद्धहेमवृहद्वृत्ति आदि स्थिति कर्ता (पे. १) सिद्धहेम बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ पर्यन्त श्रेष्ठ वादिदेवसूरि श्रेष्ठ मलयगिरिसूरि सं. लक्ष्मण गणि श्रेष्ठ देवप्रभसूरि श्रेष्ठ सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्ति हेमचन्द्रसूरि (पे. २) सिद्धहेम बृहद्धत्ति अध्याय ३ थी ५ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्ति हेमचन्द्रसूरि (पे.३) सिद्धहेमशब्दानुशासन उणादिगणसूत्र हेमचन्द्रसूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन - उणादिगणसूत्रविवरण हेमचन्द्रसूरि उपदेशमाला दोघट्टीवृत्तिसहित (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार रचना वर्ष श्रेष्ठ भाषा संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. सं. सं. संपूर्ण परिमाण ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. ७२८४ ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. ११००० ताडपत्र ताडपत्र वि. १४३७ वि. १४७० वि. १२९३ 75 आदिवाक्य करतलकलित ३२९ यथास्थिताशेषपदार्थ ३४१ २७५ २३७ ३४४ श्रीसिद्धहेमचन्द्र ३४६ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार २७/४६ (२४७) गद्य २७/४६ (२५३) गद्य २७/४६ (२५६) पद्य २८/४६ (२३६) २८/४६ (३१७) गद्य गद्य गद्य गद्य २८/४७ (३४८) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (जुनो नं. ३८१ ) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका, सारी, तद्दन वळी गयेली. मुश्केलीथी बांधी छे.. ( ३१x२) लेखन स्थल स्तम्भतीर्थ (जुनो नं. ४०७ ) वचमा ८५ पत्र क्रमांक लख्यो नथी. तेमज घणे ठेकाणे पत्रो लखवानां छे. (३३.७४२.२) (जुनो नं. ३८०) प्रत सारी-पदच्छेद करेली... (३२.५४२.५) (जुनो नं. ४०४ ) सारी छे.. (३०.५४२.५) प्रथम आदर्श लेखक गणि विमलचन्द्र. (जुनो नं. ४१३ ) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. (पे. पृ. १-१९४) (पे. प्र. १-१५०) (पे. पृ. 2) (जुनो नं. ३४०) सारी, चंद्रावतीमां पं. मलयचंद्रे लखेली छे पहेला बीजा पानामां ३-३ नथी. बे पानामा एक १-१ नथी. (३०x२. ५) लेखन स्थल Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतिलेखन वर्षा पत्र प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ट, पेटा विशेष कति प्रकार उपदेशमाला धर्मदास गणि रत्नप्रभसूरि । उपदेशमालाप्रकरण-दोघट्टीवृत्ति..... चन्द्रप्रभचरित्र सं.प्रा. अपलं संपर्ण श्रेष्ठ । चन्द्रावती :गा.५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. प्र.११७६४.....वि. १२३८..... यस्यारघट्टस्य घनोपदे... गद्य विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ताडपत्र :वि. १२२३ २६५ २८/४७(२४२) ..... (जुनो नं. ४१२)आदिना १३ पाना नथी., (२९४२). ग्रं.८०३२ सहलियसयलसुयासो विशिष्ट रचना प्रशस्ति. सुवाण ३०५-५०(१थी २८/४७(२०४) (जुनो नं.३३०)५३, ५४, ५९, १६१, १६२. पत्रो ५०)२५५ नथी. अन्तमां पण पत्रो नथी./ हरिभद्रसूरि प्रा. ५२ कुमारपालप्रतिबोध श्रेष्ठ अपूर्ण ताडपत्र सोमप्रभसरि श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र २२१ २९/४७(४९) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र प्रथम पर्व (श्री आदिनाथचरित्र) (जुनो नं.३५१)छो सर्ग अपूर्ण छे. २०६,२१२, २१८ पत्रो नथी. प्रथम पत्र (त्रुटक) नथी.. (३०x१.५ सर्ग १० पर्व-१०. ५४-१ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य हेमचन्द्रसूरि त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र दशम पर्व (श्री श्रेष्ठ महावीरचरित्र) प्रतिपूर्ण ताडपत्र वि. १२९४ २२० २९/४७(१७५) (जुनो नं.३३९)पत्र १०-११-१३-१४-१८-१२११३८-१३९-१८६-१९१ नथी. २१८ त्रुटक छे. कुमारपालनी ने २२०मां देवीनी मूर्ति चीतरेली छे. (श्रीदेवी श्राविका) :हेमचन्द्रसूरि :सर्ग१० पर्व-१०. ५४-२ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य सग्रहणी आदि (पे.१) बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण श्रेष्ठ संपू ताडपत्र : वि.१२८४ ११० २९/४७(२४) :गा.३७८ (जुनो नं. २११(२-६)).. (पे.पृ. १-४६) पे.वि. : गाथा-३६६. नवा सूचीपत्रमा आने श्रीचन्द्रीया तरीके लखी चे पण गा.के. मां नी गाथा संख्या पर थी अहीं लीधी छे. [कृ.वि. : गाथा २७१ थी ३८३ सुधी मळे छे] .. (प.पू. ४६-४९)........ (मे. पृ. १-१९) ये.वि. : गाथा-११२. कृ.वि.: गाथा-८३-१०४ सुधी मळे छे. गा. २८........ ...... सिरिवीरजिणं नमिउं..... पद्य..... (पे.२) बत्रीस जीव परिमाण (पे.३) दुसमगण्डिया दुषमगण्डिका नमिऊण जिणवराणं गा.८१ ग्रं. १०४ (पे.४) वोच्छेयगण्डिया.. (पे.५) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण गा. १७३..... :गा.८६ अह पूण सरत्थुवन्तो........पद्य. नमिउण सजल जलहर पद्य जिनभद्र गणि प्रा. . (पे... १९.४६.. (पे.पृ. ४०-६१) पे.वि. : अपूर्ण. (कृ.वि. : गाथा-.. __76 Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कर्ता भाषा झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार क्षमाश्रमण प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (जुनो नं. २४४). (पे.पृ. १-४८) ५४-३ श्रेष्ठ ताडपत्र सङ्ग्रहणी तथा यमकस्तुति वृत्ति ... (पे.१) सङ्ग्रहणीप्रकरण ५६-४७(१थी ४७)-९ :२९/४७(२०) नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य प्रा. गा.२७३ श्रीचन्द्रसूरि मलद्यारि (पे....५६५) पे.वि. : अन्तिम पत्र खण्डित. सोमसूरि पद्य गद्य २९/४७(४४).........(जुनो. नं.२००................. श्रेष्ठ अध्याय १२प्रका (पे.२) यमकस्तुति सह वृत्ति यमकस्तुति यमकस्तुति-वृत्ति योगशास्त्र आदि (पे.१) योगशास्त्र (पे.२) प्रश्नोत्तररलमालिका (पे.३) थर्मलक्षण (पे.४) पुराणगतश्लोकसङ्ग्रह (पे.५) स्थविरावली (पे.६) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि : विमलसूरि जाड्यध्वंसकृते नत्वा १६२-७६(१थी ७६८६ नमो दुर्वाररागादिवैर कः खलु नालक्रियते सितं चित्तं. (प.पू. १ का.२८ पद्य (पे.पृ. ७७-८१) मे.वि. : श्लोक-२९. (पे.पृ. ८२-८४).[कृ.वि. : भाषा?].. (पे.पृ. ८४-९७) पे.वि. : वर्णोत्पत्ति, वर्णाश्रम. (प.पू. ९७-१०५).. (पे.पृ. १०५-१३७) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] हेमचन्द्रसूरि अध्याय २० यः परात्मा परमज्योत धनपाल प्रा.... गा.५० सोमप्रभसूरि .(पे.७) ऋषमपञ्चाशिका (पे.८) सिन्दूरप्रकर आराधना कुलक आदि (पे.१) आराधनाकुलक प...१३७-१४६. ।(पे.पृ. १६-३१). (जुनो नं. १४८) (पे.पृ. ७२-८४) श्रेष्ठ संपूर्ण जय जन्तुकप्पपायव! ...पद्य सिन्दूरप्रकरस्तपः.... पद्य १२१-७१(१ थी ७१)=५०२९/४७(१०)...... नमिऊण भणइ एवं :पद्य भयवं! ताडपत्र सोमसूरि गा.६९ अपर्भ पय अपभ्रं (पे.२) जीवानुसट्ठि सन्धि (पे.३) अनाथिसन्धि (पे.४) अवन्तिकुमार सन्धि क्रियारत्नसमुच्चय (प.पू.८५-९२. (पे.पृ. १२-१०१).. (प.पू..१०१-१२92. (जुनो नं. ३४७) लेखन स्थल : श्रीपत्तननगर अपभ्रं. ५६-१ वि.१४९२ २९/४८(१९९) : संपूर्ण गुणरत्नसरिसं.. श्रेष्ठ संपूर्ण वि.१४६६ :५६-२ उपदेशमाला आदि ताडपत्र वि. १३वी १८५ २९/४८(२२) (जुनो नं. २४३)पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा .उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. ...पे.पू..१-७७) मे.वि. : गाथा-१४१. झेरोक्ष. (पे) उपदेशमाला धर्मदास गणि :प्रा. ........: गा.५४४ Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (ये.२) सङग्रहणीप्रकरण :गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य श्रीचन्द्रसूरि मलधारि. अव्यवस्थित व उलटे क्रम में किया गया है. झेरोक्षपत्र-१-१३(१३-१). [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (पे.पृ. १-४५) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-२७३. झेरोक्ष पत्र-१३-२२..... (पे. पृ. १००-१०४) पे.वि. : संपूर्ण. गाथा-३३. झेरोक्ष पत्र-१३-१४. (पे.३) सकलतीर्थस्तोत्र प्रा. तीर्थमाला स्तोत्र (पे.४) श्रावकविधिप्रकरण सिद्धसेनसूरि धनपाल गा.३५.... :गा.२२ संसारतारयाणं तियसा जत्थ पुरे जिणभवणं पद्य पद्य (पे.५) धर्मोपदेश अपभ्र. :श्लोक ७ पद्य (पे.६) आत्मशुद्धिस्तव श्लोक ९ (पे.७) जिनस्तव हरिभद्रसूरि श्लोक २० त्वत्सेवानिरतांस्त्व पद्य (पे.८) कायस्थितिस्तव यदर्शनमप्राप्ता पद्य (पे.९) साधुगुण श्लोक १३ पद्य (पे.पृ. १०५-१०८) पं.वि. : संपूर्ण. गाथा-२३. झेरोक्ष पत्र-१३:१४.. (पे.पृ.?) पे.वि. : यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. (पे.पू.?) पे.वि. : यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. (पे.पू.?) पे.वि. : यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. (पे.पू.?) पे.वि. : यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. (पे..?) पे.वि. : यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. (जनो नं. २३(१-800 (पे.पृ. १-४८) पे.वि. : अपूर्ण. (प.पू.३७-६०). (पे.पृ.६०-७४).. (पे.पृ. ७५-८६) [कृ.वि. : छन्दोविषयक ग्रन्थ.] (जुनो नं. ३३८) (पे. पृ. १-१५८) पे.वि. : १५८ पेज अने द्वितीय मा १५९-३१६ सुधी छे. ३१५मुं पत्र तुटी गयुं छे, वचमां कोईक पत्र भंसाई गयं छे. कागज . वृत्तरत्नाकरवृत्ति आदि (पे.१) वृत्तरत्नाकर-वृत्ति (ये.२) हैमधातुपाठ (ये.३) हैमलिङगानुशासन (मे.४) वृत्तरत्नाकर शान्तिनाथचरित्र प्रथम, द्वितीय भाग.. (4.9) शान्तिनाथचरित्र प्रथम भाग श्रीकण्ठ पण्डित हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि केदार भट्ट ८६-४७(१ थी ४७)=३९.२९/४८(२६).... गद्य भू सत्तायाम। पां गद्य पद्य ग्रं.३३८४. ५७-१ श्रेष्ठ ताडपत्र वि.१४७०३१६ .. २९/४८(११२) Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक पूर्णता पित नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार माणिक्यचन्द्रसूरि सं........ | श्लोक ५५७४ तेपि ब्रह्मादयो यस्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य (पे.२) शान्तिनाथचरित्र द्वितीय भाग (पे. पृ. १५९-३१६) पे.वि. : ग्रन्थान-५५००. E/३१५मुं पत्र तूटी गयुं छे, वचमां कोईक पत्र भुसाई गयुं छे... : माणिक्यचन्द्रसरि सं. श्लोक ५५७४। : तेपिब्रह्मादयो यस्य शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य उत्तराध्ययनसूत्र आदि (पे.१) उत्तराध्ययनसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १३८१.२६२ सजागाविप्पमुक्कस्य २९/४८(४७)........ संयुक्त प+ग (जनो नं. ९१(१-२ कागळमां. सुधर्मास्वामी (पे.पू. १-१५९) अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ श्लोक/ (पे.पृ. १५९-१६२). (पे.पृ. १६२-१९०) (पं.२) सामुद्रिकशास्त्र (पे.३) वन्दनफल-गणघरवाद-श्रावकव्रतभंगउत्तराध्ययन सुभाषित विगेरे वन्दनफल आदि जीतकल्पसूत्र सह स्वोपज्ञ भाष्य ५८-१ २९/४८(८७) १७७-४८(१थी ४८)=१२९ (जुनो नं. ४०६)पुण्यविजयजी द्वारा संपादित मुद्रित प्रत की तुलना में इस प्रत में मूल व भाष्यगाथाक्रम कम है. इनकी प्रस्तावना से स्पष्ट होता है कि पुण्यविजयजी ने इस प्रत का उपयोग संपादन में नहीं किया है. आद्यन्त भाग अपूर्ण. मूलगाथा-८ से मिल रही है. हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने :आवकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. जीतकल्पसूत्र प्रा. :कयपवयणप्पणामों वोच्छ: पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण गा.१०५ ग्रं. १३० जीतकल्पसूत्र-स्वोपज्ञ भाष्य जिनभद्र गणि प्रा. :गा.२६०६ :पय पवयण दुवालसङ्गं सामा ५८-२ श्रेष्ठ ताडपत्र सन्मतितर्क वृत्ति-अपूर्ण सन्मतितर्कप्रकरण-तत्वबोधविधायिनीवृत्ति १८८-२(१ थी २:१८६.... २९/४८(१६०)....... (जुनो नं. ३६०)वटक-अपूर्ण अभयदेवसरिसं गं. २५000 गद्य पञ्चाशक सूत्र श्रेष्ठ :संपर्ण ताडपत्र :(जुनो नं.२११(१)) २९/४८ नमिऊण वद्धमाणं सावग: पद्य पञ्चाशकप्रकरण हरिभद्रसूरि प्रा. पञ्चाशक-१-१९. अध्याय १९ गा. १००० ग्रं. ११८२ Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीकर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र १५८ २९/४८ जिनदास गणि प्रा. ग्रं.२२६८ वि.७मी किञ्चि पञ्चविहायार गद्य क्षमाश्रमण श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र : वि. १४६३ २५१-१(१)=२५० २९/४८(२४९) :५८-४ (जुनो नं. २२९) अनुयोगद्वारचूणि अनुयोगद्वारसूत्र-चूर्णी ५९-१ पार्श्वनाथचरित्र (जुनो नं.३५०)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पत्र ३९-२१२-२२८-२४० नथी. पत्र २०८-२११-१८२२० ना टुकड़ा छे./गायकवाड केटलॉगमा संवत १४३६ छे. :ग्र.६०७४ : वि.१४१२ श्रेष्ठ ताडपत्र २९/४८(२८)........ (जूनी नं.२०२).. (पे.पृ. १-८). :श्लोक ५१ शुद्धध्यानलवित्रण (पे. पृ.८-१६). गा. ५० गा.२५ : पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य श्लोकबद्धभावदेवसूरिस. मोक्षोपदेशपञ्चाशत आदि संपर्ण (ये.१) मोक्षोपदेशपंचाशत मोक्षोपदेशपञ्चाशिका मुनिचन्द्रसूरि. (पे.२) विशुद्धधर्मयोग्य जीवोपदेशपंचाशिका जीवोपदेशपञ्चाशिका मुनिचन्द्रसूरि ... (ये.३) उपदेशकुलक मुनिचन्द्रसूरि (2.5) हितोपदेशकुलक मुनिचन्द्रसरि (पे.५) हितोपदेशकुलक (पे.६) विषयानुशासनाकुश (पे.) उपदेशरसायन (पे.८) धर्मोपदेशलेश थर्मोपदेशकुलक... मुनिचन्द्रसूरि प्रा. (पे.१) सम्यक्त्वोपायविधि मुनिचन्द्रसूरि ..... (ये.१०) शुभभावना उपदेश मुनिचन्द्रसूरि गा.२५.. गा.२५ गा.२५ गा.२५. जिणिन्दचन्दाणकमारपद्य निसुणन्तु खणं परिपद्य सणेहभो भबजणापय भो भव्वा सवणञ्जलीहिं पद्य विसमो विसयविसदुमो पद्य निघालीयविसमसरं (प.पू. १६-१२) (प.पू..१९:२२... (पे.पृ. २२२५) (पे.पृ. २५-२९) (पे.पू. २९-३३. (पे. पृ. ३३-३६) पा. भुवणजणवन्दणिज्ज... पद्य गा.२५ गा..२९. गा.३३ (प.पू. ३६-४०.. (पे.पू. ४०-४५) पे.वि. : गाथा-३३. पद्य गा.३२ पद्य मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसरि मुनिचन्द्रसरि का.१० (4.99) उपदेशामृतप्रकरण (प.१२) धर्मोपदेशकुलक (पे.१३) रत्नत्रयकुलक.. (ये.१४) पञ्चपर्वादिकुलक (प.१५) भावनालेशकलक (पे. १६) चतुःशरणप्रकीर्णक भुवणजणवन्दणिज्ज.... पद्य सुहभावणावसाओ सोयपिसा वरहेमसमसरीरो वीरो लद्धत्तममाणुसत्तणमि चन्दद्धसमनिडालं....... सुयनाणपञ्चमी अट्ठमी पद्य एत्तं परम्परोवणिहिया पद्य चउसरणगमण ... (प.पू.४६-५०) (पे.पृ. ५०-५३.. (प.पू.५३:१८.. (पे.पृ.५८-६०) गा.३१ :गा. ११ मुनिचन्द्रसूरि गा.१२ गा. २७ पद्य (प.पू.६२-६६) पे.वि. : गाथा-२५. Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार दुक्कडगरहा (प. पृ.६६-७०) गा.२५. नेमिकुमार विमलसूरि .. यशोघोषसूरि गा.२५ तपय (पं.१७) उपदेशकुलक जीवोपालम्भकुलक... (पे.१८) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (4.१९) क्षमाकुलक (पे.२०) पश्चाताप (पं.२१) पत्थियसमत्थस्थानकस्तवन (पे.२२) सड़क्षेप आराधना (पे.२३) प्राभातिक जीवानुशासन FFFFE FF धम्मोवएसतं. कः खलु नालड़िक्रयते पद्य नमिऊण पुचपुरिसाण हा हा दुल कयं...... पत्थियसमत्थवत्थूण :पद्य परमपयपत्ताणं जिणाण तिहुअणपणमियचलणं पणमि नाणु चरण सम्मत्त निव्वाणगमणकल्लाणवास (प.पृ. ७१-७४) (पे.पृ. ७४-७७) (पे.पू.109-692 (पे.पृ.८१-८३). (पे.पृ. ८४-८७) (ये.पृ. ८७-९१) पद्य वादिदेवसूरि गा.२३ पय (पे.२४) मुनिचन्द्रसूरिस्तुति (पे.२५) मुनिचन्द्रसूरि विरह वादिदेवसरि वादिदेवसरि गा.२५ गा. ५५ म: पद्य (पे...११-१४ (पे.पृ. १४-१०२) मुनिचन्द्रसूरि का.९. गा.२१. प्रा. अपभ्र. गा.५७ (पे.२६) प्राभातिक स्तुति (प.२७) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.२८) शान्तिजिन स्तुति (पे.२१) श्रावकव्रत कर्मस्तववृत्ति आदि. (पे.१) कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-वृत्ति. (पे.२) सङ्ग्रहणीप्रकरण पद्य (प.पू. १०२-१०४) (प.पू..१०४-११).. (पे.पू. ११०-११४) (प.पृ. ११४-१२३) पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. (पे.पृ. १-९३) पे.वि. : वृत्ति ग्रन्थान-८३२. प्रा. संपूर्ण येईन प्रभातसमये अरहन्ता मड़गलं मज्झ: पद्य देव दसविहधम्मधुरधवल: पद्य तिहअणकयबहुमाणे १५५............... :२९/४८(३२)... तह थुणिमो वीरजिणं... पद्य बन्धोदयोदीरणसत्पदस्थ गद्य नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य देवसूरि-शिष्य श्रेष्ठ देवेन्द्रसूरि देवेन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि ताडपत्र गा.३४ ग्रं.८३० गा.२७३ (ये.पृ. १-२७) पे.वि. : गाथा-२७३. मलधारि (4.32 क्षेत्रसमास जम्बूद्वीपसमासप्रकरण : जिनभद्र गणिप्रा . गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य (प....१प.वि.: गाथा-८५.. कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहक्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. (ये. पृ.१-३). क्षमाश्रमण (पे.४) धर्मलक्षण अने बेतालीस दोष साधु आहार एषणादि दोषगाथा पय आहाकम्मदेशीय परियट्ट धर्मार्थ क्लिश्यते (पे.५) धर्मलक्षणप्रकरण ..................: श्लोक २२................. :पद्य (प...३-४) 81 Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थति ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष | आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार गा. ५० उसभाय वीरचरिमो सुरा पद्य (प.पृ.१-४). (पे. पृ. १-३... आसराज श्लोक ३२.. तिथिक्रमाज्जिनेन्द्र......... पद्य.. नमिऊण महियमोहं.... पद्य जयघोषसूरि गा.४५ (पे.पू. १-4) पे.वि. : गाथा-३०. (पे. पृ. 4.८... (पे.६) संसक्तनियुक्ति (पे.७) कल्याणिकस्तव कल्याणकस्तोत्र (पे.८) दानकुलक (पे.२) जीवाणुसदिठकुलय क्षमाकलक (ये.१०) भवभावनाकुलक (ये.११) भव्यजीवमनोरथ (पे.१२) चारित्रमनोरथमाला धर्मशर्माभ्युदय पद्य यशोघोषसरि सोमदेव गा.२५... गा.२४ नमिऊण पुचपुरिसाण .. नमिऊण नरिन्दसुरिन्द गा.१२ (प.पृ.८-११).. (पे.पृ. ११-१२) (पे.पृ.१२-१६).. (जुना नं. १७६) लेखन स्थल : विद्यापुर :धनेश्वरसरि संपूर्ण हरिचन्द्र (दि.) श्रेष्ठ भद्रबाहस्वामी 1.६०-२ ताडपत्र सर्ग २१ ताडपत्र गा.८१२ ग्रं.६८८ ताडपत्र ३०/४८(१३४) पद्य ३०/४८(३२... संपूर्ण १४८ श्रीनाभिसूनोश्चिरम ११० जे भिक्खू हत्थकर्म जे भिक्खू मासियं १३० पद्य (जुनो नं.२१६).. (प.पृ.१-६८). (पे.पू.६९-११०) पे.वि. : अपूर्ण.. (जुनो नं. २९०) भद्रबाहस्वामी ६०-३ श्रेष्ठ संपूर्ण ३०/४८(३६) । निशीथसूत्र एवं व्यवहारसूत्र ........ (4.9) निशीथसूत्र (ये.२) व्यवहारसूत्र मासकल्पादि अनेक आगमोद्धृत विचारो आदि (पे.१) मासकल्पादि अनेक आगमोद्धृत विचारो (पे.२) प्रणष्टलाभ आदि ज्योतिष (ये.३) अंगलक्षण फलकथन प्रा.स. गद्य (प.पृ. 98-१२५४ गा २९ सिद्धे सत्ताण हिए पद्य (पे.पू. १२५०-१२९०/(पे. पृ. १२९-१३०) पे.वि. : अपूर्ण. श्लोक-१४ तक है. :श्लोक १८ सामुद्रिकशास्त्र कर्मग्रन्थ ५-६ सटीक ६१-१ ताडपत्र ३०६-१(१)-३०५ ३०/४९(२४५) (जुनो नं.३४५)पत्र २४४-२८३ नथी, अंतमां छेल्ली गाथानी टीका अने प्रशस्ति नथी. (पे.पृ.) (पे.) पञ्चम कर्मग्रन्थ नव्य सह स्वोपज्ञ (सं.)टीका शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-वत्ति देवेन्द्रसूरि... :नमिअ जिणं धवबन्यो पद्य देवेन्द्रसूरि (ये.२) सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह (सं.)टीका: Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ६१-२ ६२-१ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ- टीका उपदेशमाला आदि (पे. १) उपदेशमाला (पे. २) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे. ३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (पे.४) सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे.५) एकविंशतिस्थानप्रकरण (पे.६) नवपदप्रकरण (पे.७) पोसहविधिप्रकरण (पे.८) सुबाहुचरित्र आवश्यक नियुक्ति आदि (पे.१) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति (पे. २) आरात्रिक भ्रमणविधि (पे.३) धर्मरत्नप्रकरण स्थिति कर्ता चन्द्रर्षि महत्तर मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ धर्मदास गणि गर्मर्षि जिनचन्द्रसूरि देवगुप्तसूरि (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष देवभद्रसूरि मलधारी श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी शान्तिसूरि भाषा प्रा. श्रीचन्द्रसूरि मलधारि सिद्धसेनसूरि प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. SHT. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. अपभ्रं प्रा. परिमाण गा. ९१ ग्रं. ३७८० ताडपत्र गा. ५४४ गा. ५८ गा. १६७ गा. २७३ गा. ६६ गा. १३८ गा. ११८ गा. २१९ ताडपत्र गा. २५०० ग्रॅ. ३१०० गा. १४५ 83 आदिवाक्य सिद्धपएहिं महत्थे अशेषकर्माशतमः समूह १९२ नमिऊण जिणवरिन्दे नमिऊण जिणवरिन्दे चवण विमाणा नयरी जणया नमिउण वद्धमाणं मिच्छ नमिऊण जिणं वीरं ससुर चवगयकम्मकलङ्कं वीरं नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव परा ७३ जयइ जगजीवजोणी वियाणओ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य नमिउण सयल गुणरयणकुल गद्य ३०/४९ (६१) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पय पद्य ३०/४९ (२८) पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृ.वि. चन्द्रमहत्तरीयानुसार गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे. (जुनो नं. २१२ ) (पे. पृ. १६५) (कृ.वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे. पृ. ६६-७२) पे.वि.: गाथा ५७. [ कृ. वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे.]. (पे. पृ. ७३-९१) पे. वि. गाथा- १६८. कृ. वि. गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.] (पे. पृ. ९२-१२६) (पे. पृ. १२६-१३३) पे.वि. गाथा- ६४. (पे.पृ. १३३-१५०) पे.वि.: गाथा - १३७. [कृ.वि. कर्त्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे (पे.पू. १५०-१६५) (पे. पृ. १६६-१९२ ) [ कृ. वि. गाथा २१७ थी २२८ सुधी मळे छे.] (जुनो नं. १०४ (२-५)) (पे. पृ. १-७३) (कृ.वि. आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे.] (पे.पृ. 2) पे.वि. पत्रो अस्तव्यस्त छे. छतां पूर्ण छे. [कृ.वि. पाटण नवा केटलोगमां 'आरात्रिक अने भ्रमण विधि आम नाम छे ] (पे.पू. ?) पे.वि. त्रुटक Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (ये.४) सङग्रहणीप्रकरण प्रा. पद्य ६२-२ सामाचारी आदि श्रेष्ठ ताडपत्र ३०/४९(५२) (पे.पृ.?) [कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ५२७ सुधी मळे छे... (जुनो नं. १८०)अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. (पे.पृ. 9-404/ ........गा.३८ सिरिवीरजिणं नमिउंपद्य (पे.) विधि, तप, पच्चक्खाण आदि विविध आगमिक विचारसंग्रह श्रावकसामाचारीप्रकरण ..................तिलकसूरि श्रावकसामाचारीप्रकरण-बीजक (पे.२) आराधना आराधनाकुलक सोमसूरि कृ.वि....प्रायश्चित्त................. ......(पे. पृ. ५००-५४) पे.वि. : गाथा-100. गा.६९ पद्य नमिऊण भणइ एवं भयवं! अरहन्ता मडगल मज्जा पद्य (4.३) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.४) चतुःशरणप्रकीर्णक गा.२६ गा.२७ (प.पू. १४०-५६A/ (पे.पृ. ५६-५७) ये.वि. : गाथा-२९. यशोघोषसरि गा. ३० गा. २५. गा.२५ गा.२२ (पे.५) महासतीकुलक. (4.६) क्षमाकुलक (पे.७) जीवोपालम्भकुलक (पे.८) धर्मोपदेशकुलक (पे. श्रावकधर्मकुलक. (पे.१०) कर्मविपाककुलक. (पे.११) महर्षिकुलक चउसरणगमण दुक्कडगरहा तियणनमंसियाणं पद्य नमिऊण पुचपुरिसाण पद्य धम्मोवएसजुत्तं जम्मजरामरणजले नाणा: पद्य निसाविरामे परिभावयाम पद्य तियलुक्किक्कमल्लस्स....पद्य. निज्जियवम्महमहरिसिस पद्य (पे.पृ. ५७-५२) (प.पू. ५९-६ (पे.पृ. ६०-६२) पद्य देवेन्द्रसरि गा.२१ गा. २२.. (पे.पू.६३-६४) (पे..६४-६५. (प.पृ.६५-६७) गा.३२ (प.१२) जीवानुशास्तिकुलक जिनसूर गा.३३ पद्य (पे.पृ.६७-६९) जिणेसरार्ण पयपड़कयायि सावज्जजोगविरई उक्कित (पे.१३) चतुःशरणप्रकीर्णक : वीरभद्र प्रा. गा.६३ पद्य (पे.पृ. ७०-७४) [कृ.वि. गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे.] (पे.पृ.७४-९६) (पे. १४) स्थानाङ्गसूत्रनो हिस्सो ठाणाङ्गगत पाठ (ये.१५) साधुजीत (प.पृ. १६-१०१). Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार जिनभद्र गणि प्रा. गा. १०५ ग्रं. कयपवयणप्पणामो वोच्छं पद्य क्षमाश्रमण १३० प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष जीतकल्पसूत्र धर्मघोषसूरि गा.१३७ कयपवयणप्पणामो... पद्य (पे.१६) आद्धजीतकल्पसूत्र (पे.१७) हस्तिपालस्वप्नफल प्रा.... सं. :श्लोक ५० पद्य कृ.वि. : हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी बखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. (पे.पू. १०१-१०६) (पे.पृ. १०६-११०) पे.वि. : अक्षर अवाच्य होने से आदिवाक्य नहीं भरा गया है. (प.पू. १०९6/.. (ये.पृ. ११०-१४२) पे.वि. : पत्र १२१,१२५.१२६,१२७,१३६,१४२ नथी. गा.१० पद्य चिन्तइज... मग्गे नाणाण सिवं .......... (५.१८) स्वप्नफल. (पे.१९) सिद्धपूजाप्रक्रम, नैवेद्यप्रक्रम, प्रदीपारात्रिकप्रक्रम, पूजाप्रक्रम, मातरपूजाप्रक्रम, स्थापनाचार्यप्रक्रम, षड्विधावश्यकप्रक्रम, आर्यिकाप्रक्रम (पे.२७) काव्यानुशासनसूत्र (पे.२१) छन्दोनुशासनोद्धार (पे.२२) प्रमाणमीमांसोद्धार (पे.२३) दार्शनिकग्रन्थ-अज्ञात मस्त्रिगलास्त्रलघु : : प्रणम्य शम्भु जगतः। (प.पू...१४3-989) पे.वि. : पत्र. १४४ नथी. (पे.पू. १४१७-१५०). (प.पू. १५०-१५४)... (पे.पृ. १५५-१६०) पे.वि. : अपूर्ण. गायकवाड केटलॉगमां नाम-प्रमाणमीमांसोद्धार./पत्र १५६ थी १५९ नथी. (प.पू..१६९-१६२. (पे.पृ. १६२-१६६) पे.वि. : पत्र १६३ थी १६४ नथी. (पे.पृ. १८०-१८३) पे.वि. : पत्र १६७, १७२ नथी. प्रा. (पे.२४) प्रज्ञापनातृतीयपदसड़ग्रहणी (पे.२५) न्यायप्रवेशसूत्र :अभयदेवसूरि दिग्नाग (पे.२६) जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी हरिभद्रसूरि !प्रा. गा.३१ ग्रं. वन्दिवि जिणं सवन पद्य १५० (पे.२२०) लघुसंघयणी (पे. पृ. १८४-१८९) पै.वि. : गाथा-२७. यन्त्र सहित. काव्यप्रकाशसूत्र कारिका (पे.२८) संसक्तनियुक्ति नियतिकृतिनियमरहितां पद्य उसभाय वीरचरिमो सुरा पद्य गा.५० (पे.२१) विशेषणवती जिनभट गणिप्रा . उस्सेहङ्गुलमेगं... पद्य (पे.पू. १८९०-१९४०) पं.वि. : पत्र १९५, १९७ थी २०० नथी. (ये.पू. २०१४-२१९०) पे.वि. : अपूर्ण गाथा-४६ : अपूर्ण तक है. गा.३४८ ग्रं. :४१९ क्षमाश्रमण Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार संपूर्ण ताडपत्र वि. १३३५.३६० ३०/४९(८०) हेमचन्द्रसूरि सर्ग २० ग्रं. पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष श्रेष्ठ । (जुनो नं. १८६) लेखन स्थल : श्रीपत्तन व्याश्रय सस्कृत (महाकाव्य) सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य सं. २८२८ कुमारपालप्रबन्ध श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ५८... स्वयं कृतार्थः पुरूष ३०/४९(३१)........ (जुनो नं. १६)कागळ उपर रचना स्थल देवलपाटक ३०/४९(३३).... (जुनो नं.३०३)पत्र पहेलानो टुकडो गयो छे, ६२५ छन्दोवृत्ति अमृतसञ्जीवनी श्रेष्ठ संपूर्ण १९१ हलायुध भट्ट श्लोक १२३४ पद्य :श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३०४..... ३०/४९(१२५)...... (जनो नं. ३०५)पत्र १लं नथी.. ६३-१. सप्तशती छाया गाथा सप्तशती-छाया ६३-२ निरयावली आदि जल्हणदेव पद्य श्रेष्ठ ताडपत्र २०७ ३०/४९(४६) :ग्र.११०० (4.9) निरयावलिकादिपञ्चापागसूत्र. (पे.२) निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र-वृत्ति तेणं कालेणं तेणं पार्श्वनाथं नमस्कृत (जुनो नं. १९४)पत्र-१०२+१०५-२०७. झेरोक्ष पत्र४६ बेवडाएल छे. (पे.पृ. 98-१०२०). पे.वि. : १०२ पेज छे. (पे.पृ. 98-008) पे.वि. : ग्रन्थान-६५०. लेखन संवत १३१०. लेखन स्थल-गंभुका. (पे. पृ. 998-७७B) पे.वि. : गाथा-५६. १०५ पेज श्रीचन्द्रसूरि ग्रं.६४० वि. १२२८ गिद्य (पे.३) संसत्तयनिजुत्ती गा.५० संसक्तनियुक्ति (पे.४) द्वीपसागरप्रज्ञप्तिप्रकीर्णक उसभाय वीरचरिमो सुरा पद्य पुक्खरवरदीवड्दं परिपद्य गा.२२४ ग्रं. (पे.पृ. 1998-9048) कर्मविपाकवृत्ति संपूर्ण ताडपत्र ३०/४९(४२) (जुनो नं. १५८)पत्र २८-२९-४९-५०-८६-८७-१og.१२५-१६५-१६८-१७० नथी.. कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ सं. :गा.६१ ग्रं. १७८२ ताडपत्र.. देवेन्द्रसूरि देवेन्द्रसूरि.. : श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण माणिक्यचन्द्रसूरि सं. संपूर्ण अभयतिलक : सिरिवीरजिणं वन्दिपद्य गद्य वि. १२१६... १९४ .३०/४९(४१)..... वि. १२६६ वर्णनाविषयीचक्रे :३६० ३०/४९(२६७) वि. १३१२ गद्य गद्य कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-वृत्ति काव्यप्रकाशसड़केत द्वितीय खण्ड काव्यप्रकाश-काव्यप्रकाशसड़केत टीका ६४- १ दव्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग ९थी सम्पूर्ण ........ ... ................ ... सिद्धहेमशब्दानुशासन-दव्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-वृत्ति । ६४-२ । आवश्यकनियुक्ति आदि (जुनो नं.६७)पत्र १थी २२ पाना टुकडा छे. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं.२७५) रचना स्थल प्रहलादनपत्तन :श्रेष्ठ ताडपत्र ग्रं. १७५७४ ताडपत्र ............. ३०/४९(१३०) (जुनो नं. १४१). 86 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पष्ट पेटा विशेष कृति विशेष. पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा (पे.१) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार भद्रबाहुस्वामी गा.२५०० ग्रं. जयइ जगजीवजोणी पद्य वियाणओ शय्यम्भवसूरि प्रा...... ग्रं.७०० धम्मो मङगलमुक्किट्ठ : संयुक्त प+ग भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा.११६३ ग्रं. दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य १४३२ जिनवल्लभ प्रा. गा. १०४ देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य ३१०० (पे.२) दशवकालिकसूत्र (पे.३) ओघनियुक्ति (पे.४) पिण्डविशुद्धिप्रकरण (पे.५) उपदेशमाला (पे.पृ. १-११७) [कृ.वि. : आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छ। (पे.पू. ११८-१३९) (पे.पृ. १४०-१८०) [कृ.वि. : गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे] (पे.पृ. १८१-१८५) पे.वि. : गाथा-१०५. [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे.. (पे.पृ. १८५-२०६) कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे). (पे.पृ. २०७-२१०) पे.वि. : गाथा-१००. (ये.प्र. २१०-२१८) (क्र.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे] (पे.पू. २१८-२२३.. (पे..पू. २२३-२४०.. धर्मदास गणिप्रा . गा.५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य जयसिंहसुरि :प्रा. :गा १०३ भयवंदसन्नभदा. (पे.६) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.७) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसूरि गा.२१४ वन्दामि सच्चन्नुजिणि आसद्ध ....... गा.१४४ वि.१२८८ सिद्धिपुर सत्थवाहं (प.८) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे.२) योगशास्त्र प्रकाश योगशास्त्र (पे.१०) वीतरागस्तोत्र अध्याय १२प्रका हेमचन्द्रसूरिसं.... हेमचन्द्रसूरि नमो दुर्वाररागादिवैर . यः परात्मा परज्योत अध्याय २० ग्रं. :पद्य (पे.पृ. २४१-२४९) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] १८७ (पे.११) आत्मानुशासन श्लोक ७७ वि.१०४२ सकलत्रिभुवनतिलकं पद्य (पे.पृ. २४९-२५१) [कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे].. (प.पृ.२५१-२५१). (जुनो नं. १२५) अपक्ष. गा.८ गमअवयारि सोहम्मसुर पार्श्वनाग (दिगम्बर) वीरगणि श्रेष्ठ शान्तिसूरि श्रेष्ठ भद्रबाहस्वामी पद्य ३०/४९(२४) संपूर्ण ताडपत्र वि.१०५० (पे.१२) लघुअजितशान्तिस्तव तिलकमञ्जरीटीप्पण तिलकमञ्जरी-टीप्पण कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा (4.१) कल्पसूत्र (पे.२) कालिकाचार्यकथा श्लोक १०५० वि. १३६० संपूर्ण प्रा. ताडपत्र ग्रं. १२८० गा.९२ ग्रं. १५० सम्यक नत्वा महावीर :१३६ नमो अरिहन्ताणं. : पडिसिद्धम्पि कुणन्तो :३०/४९(३६)...... (जुनो नं. ११२) संयुक्त प+ग (प.पू. १-११४). (पे.पू. ११५-१३६) पद्य षडशीति प्राचीन कर्मग्रन्थवृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १२५८ :१३३ ३०/४९(३६) (जुनो नं. ५५)आदिना पत्र-२ खराब छे. पाछला १२० थी खराब छे. भीमदेवराज्ये लिखिता. आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन मलयगिरिसूरि 87 Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्षा पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार ६५-३ प्रतिपूर्ण ताडपत्र १९६---- ३०/४९(५०). :श्रेष्ठ हेमचन्द्रसरि श्रेष्ठ पद्य सर्ग १०.. :ताडपत्र (जुनो नं. १२३) पर्व-१० (जुनो नं. २९५())पत्र ७७मुं नथी. ६५-४ संपूर्ण ३०/४९(२०) चतुर्थ कर्मग्रन्थ घड़शीति-वृत्ति त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रे नवम पर्व त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य. सम्यक्त्वोपरि विक्रमसेन चरित्र अघट कथा पर्यन्त-४ कथाओ सम्यक्त्वोपरि विक्रमसेनचरित्र आदि कथाओ उपदेश पद उपदेशपदप्रकरण पद्मचन्द्रसूरि शिष्य तिसकुच्छिसरोवरकलहंस ६५-५ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र :गा. १०४० १६९ नमिऊण महाभार्ग | ३०/४९(३८)....(जुनो नं. १८४). पद्य हरिभद्रसूरि तिलोय ६६-१ संपूर्ण ताडपत्र श्रेष्ठ, हेमचन्द्रसूरि ३०/४९(७०)..........(जुनो.नं..२१३६१)... गद्य उणादिगणसूत्रविवरण । सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्रविवरण लीलावती कथा श्रीसिद्धहेमचन्द्र जीर्ण ताडपत्र १39 ३०/४९(५७) (जुनो नं.३१६)प्रथमनां पत्र पनी कोरो खरी गई छे. सारी./पत्र १३१ नथी. गाथा-१३१९ सुधी छे. संशोधित प्रति. भाषा मरहट्ठ देशी छे. लीलावती भूषणभट्टसुत :अपभ्रं. : श्लोक १८०० नमह पद्य ६६-३ अष्ट पुष्पमाला आदि ताडपत्र सरोससुअरिसणसव्व. ।३०/४९(६७) सिद्धमकम्ममविग्गहमकल (जुना नं. १६६). (पे.पू.१-४७) (पे.१) पुष्पमालाप्रकरण पा. हेमचन्द्रसूरि मलघारी :गा. ५०५ पद्य जयसिंहसूरि गा.१०३ भयवं दसन्नभद्दो... (पे.पू. ४०-५६) पे.वि. : गाथा-900. (पे.पृ.६१-७२).पे.वि.: पंचसुत्र-प्रथम सूत्र..... (पे.२) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) पापप्रतिघातगुणवीजाधानसूत्र ...... पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र ... (पे.४) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसूरि प्रा. गा.२१४ बन्दामि सम्वन्नुजिणि पद्य (पे.पू. ६१-७२) [कृ.वि. : गाथा २१२ थी सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३.पण मळे छे... (पे.पृ. ७९-९२) [कृ.वि. : कर्ता? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छेल्ली गाथाओमां तफावत होय (पे.५) पञ्चकल्याणकप्रकरण प्रा. गा. १३७ तित्थं पवयण सुयदेवयं Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ६६-४ ६७-१ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.६) जीवविचारप्रकरण (पे.७) शीलोपदेशमाला (पे.८) धर्मरत्नप्रकरण (पे.९) सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे. १०) अतिचार अष्टगाथा अतिचारगाथा आयरिय उवज्झाय साथे (पे. 99 ) नवपदप्रकरण वसन्तराजशाकुन वर्ग ३ थी १८ वसन्तराज शाकुनिकशास्त्र उपदेशमाला आदि (पे. १) उपदेशमाला (पे. २) बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे. ३) दर्शनशुद्धिप्रकरण (पे.४) युगप्रधान सत्तरी-संताण सत्तरी गणधरसत्तरी (पे. ५) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (पे. ६) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (पे.७) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ स्थिति कर्ता शान्तिसूरि जयकीर्तिसूरि शान्तिसूरि श्रीचन्द्रसूरि मलधारि जिनचन्द्रसूरि देवगुप्तसूर श्रेष्ठ वसन्तराज श्रेष्ठ धर्मदास गणि जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य गर्मर्षि शिवशर्मसूरि चन्द्रर्षि महत्तर भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण सं. संपर्ण प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण गा. ५१ गा. 996 गा. १४५ गा. २७३ गा. १२ गा. १३८ ताडपत्र ताडपत्र गा. ५४४ गा. ५७९ गा. २८० गा. ७१ गा. १६७ गा. १११ गा. ९१ वि. १२३७ 89 भुवणपईवं वीरं नमिऊण आबाल बम्भयारिं नेमि नमिउण सयल नमिउण वद्धमाणं मिच्छ गुणरयणकुल नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य १३० २८१ नमिऊण जिणवरिन्दे नियट्ठवियअट्ठकम्मं क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार अरहन्ते भगवन्ते अणु पद्य पद्य पद्य सिद्धपएहिं महत्वं पद्य पद्य ३०/४९ (५७) ३०/४९ (११२) पद्य पद्य पद्य ववगयकम्मकलङ्कं वीरं पथ पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष छे.] (पे.पू. ९२-९७) (पे.प्र. ९७-१०९) (पे.पू. १०९-१२४) (पे.पू. १२४-१४७) (पे. पृ. १४७-१५५) • (पे.पू. १५५-१६९) (कृ.वि. कर्त्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे.] (जुनो नं. २६० ) गायकवाड केटलॉग प्रमाणे वर्ग ३ १८. (जुनो नं. ३५) (पे. पृ. १-५४) पे.वि.: गाथा ५४१. [ कृ. वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.]. (पे.पृ. ५४-१०७) पे.वि.: गाथा - ५३४. [कृ.वि. गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे.] (पे. पृ. १०७-१३४) (पे. प्र. १३५-१३८) (पे. पृ. १३८-१५६) [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.]. (पे.पृ. १५६-१७१) (कृ.वि. गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे] (पे. पृ. १७१-१८०) पे.वि.: गाथा ८९. [कृ. वि. Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम माषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गा. १०३ भयवं दसन्नमहो. पद्य (पे.८) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.९) नवपदप्रकरण जयसिंहसूरि जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे] (प.पू. १८०-१९92. (पे.पृ. १९१-२०७) कृ.वि. कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे] (पे.प्र.२०७-२२०) कृ.वि.: गाथा १०५ सुधी मळे प्रा. गा. १३८ नमिउण वद्धमाणे मिच्छ (पे.१०) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ गा.१०४ देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य छ] (पे.११) मूलविशुद्धि (ये.१२) श्रावकसामाचारी (पे...२२०-२५६८....... (पे.पृ. २६५-२८१) ये.वि. : पत्र २५७ थी २६४ : जिनचन्द्र गणि नथी (पे. पृ. १-४) (ये.१३) पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र प्रथमसूत्र पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र (पे.१४) अजितशान्तिस्तोत्र गा.४० अजिये जियसव्वभयं । पच (पे.प.५-१) कृ.वि.: गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] (जुनो नं. १३२(१-२)) ६७-२ श्रेष्ठ संपूर्ण : ताडपत्र ६७ ३०/४९(२९) भवभावनाप्रकरण तथा एकवीससस्थानप्रकरण (पे.9) भवभावनाप्रकरण गा. ५३१ :वि.११७० पद्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी (प.पृ. १-६०) नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ. चवण विमाणा नयरी (पे.२) एकविंशतिस्थानप्रकरण सिद्धसेनसूरि गा.६६ पद्य (पे.पृ.६०-६७) जणया ६७-3 उत्तराध्ययनसुत्र संपर्ण ताडपत्र (जुनो न.२५२). श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी १६१ सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य ३०/४९(८५)..... संयुक्त प+ग अध्याय ३६ ग्रं. २०१५ ६७-४ नीतिवाक्यामृत ताडपत्र.... श्रेष्ठ : सोमदेवसुरि(दि.) सं. ....... १५.................... Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) संपूर्ण ताडपत्र । वि. १२९८ १९२ ३०/४९(७४) :श्लोक ३१४ : वि.११८५ : नाभेयाद्याः सिद्धा सं...... श्लोक १८०० उदयस्थितमरुणकरं दिन: पद्य संपूर्ण वि. १४८७ :३०० ३०/४९(७८) श्रेष्ठ (जुनो नं. १४४)गाथा-३१४. सं. ६८-१... प्रशमरति सवृत्तिक.. प्रशमरतिप्रकरण प्रशमरतिप्रकरण-वृत्ति ६८-२ प्रशमरतिवृत्ति उमास्वाति हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ ताडपत्र (जुनो नं. १७९)पाछळां कागळनां पानानी एक बाजु उधई खाई गई छे. गं.२५०० प्रशमस्थितेन येनेयं प्रशमरतिप्रकरण-टीका सिद्धप्राभृतटीका आदि ६८-३ संपूर्ण ताडपत्र वि. १४४४ :१६७ ३०/४९(५२) (पे.१) सिद्धप्राभृतसूत्र-वृत्ति ग्रं.८१५ सकलभुवनेशभूतान्निखिल गद्य प्रा. ....... गा.१२१ तिहुयण पणए तिहुयण पद्य (पे.२) सिद्धप्राभूतसूत्र (पे.३) जीवाभिगमसूत्र-लघुवृत्ति ....... आवश्यकनियुक्ति (जुनो नं. १९५)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. लेखन स्थल । अणहिल्लपाटक (पे.पू. १-६८) [कृ.वि. : ससूत्र ग्रन्थान-९५०. अग्गेणियपूब्वनिस्संद] (पे.पृ. ६९-८१) पे.वि. : गाथा-१२०. (पे.पृ.८२-१६७). : (जुनो नं. २३१)गायकवाड केटलॉगमा लेखन संवत ११९१ आप्यो छे. आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. गं.१२०० हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ ६८-४ संपूर्ण ताडपत्र वि. १२१२ २०२ :३०/४९(१०३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहस्वामी :प्रा. गा.२५०० ग्रं. पद्य जयइ जगजीवजोणी वियाणओ 3900 पञ्चाशकसुत्र श्रेष्ठ ताडपत्र वि. १२८८ : १५४ ३१/४९(५४) (जुनो नं. १४३)पत्र १५३-१५४ टुकड़ा छे./ लेखन स्थल : चन्द्रावती पञ्चाशकप्रकरण हरिभद्रसूरि पञ्चाशक-१-१९. श्रेष्ठ अध्याय १९ गा. नमिऊण वद्धमाणं सावग पद्य १००० ग्रं. ११८२ ताडपत्र ३१/४९(६५) ग्रं.३२४४ वि. १२६६ :वर्णनाविषयीचके .....ताडपत्र..........वि. १२९६......१८५. ३१/४९(९४)...... प्रतिपूर्ण माणिक्यचन्द्रसूरि सं. संपूर्ण माघ संपूर्ण च न्द्रर्षि महत्तर : चन्द्रषि महत्तर :प्रा... काव्यप्रकाशषडुल्लास सङ्केत काव्यप्रकाश-काव्यप्रकाशसड़केत टीका शिशुपालवध (माघ काव्य) शिशुपालवध विजयचन्द्रकेवली चरित्र आदि (4.9). विजयचन्द्रकेवली चरित्र (पे.२) पर्युषणाकथा (जुना नं. ७९)ग्रन्थान-१५६३, विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. २२६)... श्रेष्ठ ताडपत्र :१०५ श्लोक १०६० :वि.११२७ (जुनो नं. १७)... (प.पू..१.१०५...... (पे.पू. १०६-११३) पे.वि. : गायकवाड केटलॉगमां कालिकाचार्यकथा एम नाम आप्यु छे. गा. ९६ अस्थि जम्बूदीचे भारह 91 Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्षा पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ट, पेटा विशेष कति प्रकार (पे.३) प्रायश्चित्तविधि ज्ञानपञ्चमी कथा प्रा.सं पूर्ण (प.पू. १-९. (जुनो नं.२९)अंतमा थोडा पत्र नथी. ७०- १ श्रेष्ठ ताडपत्र २०७ ३१/४९(१०७) प्रा. गा.२००० पच महेश्वरसूरि श्रेष्ठ ७०-२ उपदेशमालाकथासमास संपूर्ण ताडपत्र १७१ ३१/४९(६७) (जुनो नं. १३१)प्रथमथी १५ पत्र सुधी एकबाजुनी कोरो खरी गई छे. जिनभद्रसूरि अरहन्तमरिहमरुहं पणमि पद्य गा.२८९० ग्रं. ३६१३ ताडपत्र संपर्ण ११७ गुरुं प्रणम्य लोकेश १४५-१(१)=१४४ | ३१/४९(५७)...(जुनो नं. २९१)प्रथम पत्रनो टुकडो नथी. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. दिगंबरीय.. ३१/४९(५९) (जुनो नं. १३४) गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ७०-३... अध्यात्मतरङ्गिणी टीका श्रेष्ठ अध्यात्मतरड़िगणी-टीका धर्मसूरि दि०) ७०-४ हैमआख्यातलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय-चतुर्थ पाद सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति हेमचन्द्रसूरि प्रवचनसारोद्धारवृत्ति ६३ थी १५१ द्वार सुधी द्वितीयखण्ड प्रवचनसारोद्धार-तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति .. । सिद्धसेनसरि. योगशास्त्रतृतीयप्रकाशविवरण श्रेष्ठ प्रणम्य परमात्मान गद्य ग्रं.३३०० ताडपत्र श्रेष्ठ संपर्ण ३१७ ३१/५०(१६१) (जुनो नं. १०२)पत्र १५-१६-१७ना टुकडा उधईथी खवाया छे ग्रं. १८००० वि. १२४८ सन्नद्धैरपि यत्तमोभि २०६ पाटन नवा सूचीपत्रमा का सिद्धर्षि लख्या छे. (जुनो नं.९०) ग्रन्थान-३८००. /प्रथम पत्रनो टुकडो संपर्ण ताडपत्र ३१/५०(१०४) नथी. हेमचन्द्रसूरि : ग्रं. १२००० प्रणम्य सिद्धाद्भुत गद्य श्रेष्ट संपूर्ण ताडपत्र योगशास्त्र-स्वोपज्ञ वृत्ति ७१-३.... जीवविचार आदि (4.9) जीवविचारप्रकरण... (पे.२) पञ्चकल्याणकप्रकरण शान्तिसूरि जिनेन्द्रइन्द्र गा. ५१. गा. १३७ भुवणपईवं वीरं नमिऊण तित्थं पवयण सुयदेवयं ३१/५०(२६). पद्य पद्य (जुनो नं. १३२४४-७)).. (प.पू.२८ (पे.पृ.८-२९) [कृ.वि. : कर्ता? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छेल्ली गाथाओमां तफावत होय प्रा. (पे.३) आत्मानुशासन सं. श्लोक ७७ वि. १०४२ सकलत्रिभुवनतिलकं पद्य पार्श्वनाग (दिगम्बर) जिनवल्लभ (पे.पृ. २९-४०) पे.वि. : गाथा-७६. कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे]. (पे.पृ. ४०-६३) ये.वि. : गाथा-१५५. [कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमां मळे (पे.४) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण प्रा. गा.१६४ सयलन्तरायवीर वन्दिय पद्य ७२-१ सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरि प्रथमाध्यायथी श्रेष्ठ ............ प्रतिपूर्ण ....... ताडपत्र ..................... ३१/५०(७८).........(जुनो नं. २५४)........ 92 Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार वीजा अध्यायना तृतीय पाद सुधी. सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्तिनी अवचूरि सर्वज्ञं सवेदेवाचे गद्य संपूर्ण जयानन्दसूरिशिष्य अमरचन्द्रकृत? रचना संवत१२६४? (जुनो नं. ४७(३-८). (पे.पृ. १-८) एकवीसठाण प्रकरण आदि (पे.१) एकविंशतिस्थानप्रकरण ताडपत्र १०९ चवण विमाणा नयरी ३१/५०(४०) : पद्य सिद्धसेनसूरि गा.६६ जिनवल्लभ गा.१४० पद्य (पे.२) आवश्यकविधि प्रकरण (पे.३) नाणाचित्तप्रकरण (पे.पृ.८-२४) (पे.पृ. २४-३३) प्रा. गा.८१ नमिऊण जिर्ण जगजीवबन्ध गा.१२३ (पे.४) क्षपक शिक्षा प्रकरण (पे.५) आत्मानुशासन जिनचन्द्रसूरि...प्रा........... पार्श्वनाग (दिगम्बर) श्लोक ७७ वि. १०४२ सकलत्रिभुवनतिलक पद्य (पे...३३-४७).... (पे.पू. ४०-५५) पे.वि. : गाथा-७६./दव्यर्गल चत्वारिंशत्समधिकवत्सरसहस्र संख्यामां. [कृ.वि.: परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे.. (पे.पू. १-५४) पे.वि. : गाथा-४५२. कि.वि. संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे.]. (जुनो नं. ३११(१-२२)) (पे.६) दशवैकालिकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा.४४० ग्रं. सिद्धगतिमुवगयाणं पद्य बृहत् सङ्ग्रहणी आदि श्रेष्ठ ताडपत्र ३१/५०(९०) २७८-२८(१थी २८)=२५० नियट्ठवियअट्ठकम्म (प.१) बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण : जिनभद्रगणि प्रा. गा. ५७९ : पद्य क्षमाश्रमण (पे.२) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र गा.६३ पद्य सावज्जजोगविरई उक्कित नमिऊण भणइ एवं भयवं! (पे.प्र. २९-६१) पे.वि. : गाथा-५३०. कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे] (पे.पृ. ६१-६४) पे.वि. : गाथा-६२. [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे.] (पे.पृ. ६४-६८) पे.वि. : गाथा-६८. (पे.३) आराधनाकुलक सोमसूरि गा.६९ :पय (पे.४) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि अध्याय २० ग्रं. यः परात्मा परज्योत (पे.पृ. ६८-८२) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] (प.५) आत्मानुशासन श्लोक ७७ वि. १०४२ सकलत्रिभुवनतिलकं पद्य पावनाग (दिगम्बर) मानतुगसूरि (प.पू. ८२-८७) [कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे! (पे.पू. ८७-९१) (कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. (पे.६) भक्तामरस्तोत्र सं. का.४४ भक्तामरप्रणतमौलिमणि पद्य Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार जिनभद्र गणि गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य क्षमाश्रमण प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पे.७) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण गा.७१ वि. १३६८ पद्य (2.2) नर्मदासुन्दरीसन्धि :/पे.९) छ वयणाणि : जिनप्रभसूरि जिनेन्द्रप्रभसूरि अपनं. प्रा. अज्जवि जस्स पहावो बपु रि कन्दप्प-सप्पि (पे.पृ.९१-९९) पे.वि. : गाथा-१९९. [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.... (पे.पृ. ९९-१०६) (पे.पृ. १०६-१०८) पे.वि. : गायकवाड केटलॉगमां आना पछी जिनप्रभसूरिकृत जिनमहिमा, अपभ्रंश, आदिवाक्य-जावह जिनवर...वाली कृतिओ छे. पत्र-९९-१०६.. (पे.पृ. १०८-११०). (प.पू. १११-११४). (पे.पू. ११४-११९) :देवेन्द्रसूरि गा.२२ जम्मजरामरणजले नाणा: पद्य (पे.१०) धर्मोपदेशकुलक........... (पे.११) दुहामात्रिका (पे.१२) शालिभद्रकारक अपक्ष गा.५८८ भले भणेविण पणमियइपद्य अपर्ध. :गा.६९ भलि भञ्जण पय कम्मारिकल (पे.१३) संवेगमाई अपभ्र. :गा.६१ (पे.पू. ११९-१२४) पे.वि. : पत्र १२० थी १२३ (ये.१४) वयरसामिचरित्र जिनप्रभसरि अपभ्रं. गा.६० वि.१३१६ (पे.पृ. १२४-१२९) भले भणउ जाणउपद्य परमत्थु नमवि जिणवर पद्य निज्जियाण तिहुयणमङ्गलतिलयं देवहं देवु सु जगी आसल गा. १२५.. गा.११३. (पे.१५) उपदेशकन्दली (4.96) ज्ञानप्रकाशकुलक (पे.१७) आवश्यक आदि विचारगाथा (पे.१८) शाश्वताशाश्वतचैत्यमाला (पे.१९) मातृका (पे.२०) जिनगणधर नमस्कार (पे.पू. १३०-१३७) (प.पू..१३-१४३). (प.पू. १४३-१५३). (पे.पृ. १-४) (प.पू.४-१०).. (पे.पृ. ११-१२) जिनप्रभसरि अपभ्र ......... गा.२४ PIPE अपभ्र गा.६३.... गा.९ अपभ्र. त्रिभुवन सरणु सुमरि चुलसिय गणहर पढमजिणि जयइ जगजीवजोणी वियाणओ (पे.२१) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा.२५०० ग्र. पद्य ३१०० (पे.पृ. १-१६५) मे.वि. : पत्र ३८ थी ६४, ६६ थी १५०(2) [कृ.वि. : आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे] (जुनो नं. ४७(१)) ग्रन्थान-१०५५...... ताडपत्र .............. | ३१/५०(४०)..... ७२-४ । विजयचन्द्रचरित्र । विजयचन्द्रकेवली चरित्र ७३ योगशास्त्र विवरणसहित ................ संपूर्ण चन्द्रर्षि महत्तर.प्रा. श्रेष्ठ संपूर्ण श्लोक १०६०.वि. ११२७.. ताडपत्र ................... ३६५ ................. ३१/५०(३६०). (जुनो नं. ४०८)पत्र ९.२२७, ३६० नथी १ थी ३.. 94 Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ७४ ७५ ७६ ७७ ७८-१ ७९-१ ७९-२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम योगशास्त्र योगशास्त्र - विवरण दशवैकालिकनियुक्ति वृत्तिसह दशवैकालिकसूत्र-निर्युक्ति दशवैकालिकसूत्र बृहद्वृत्ति पार्श्वनाथचरित्र निशीथचूर्णी प्रथमखण्ड दशमोदेशपर्यन्त निशीथसूत्र - विशेष चूर्णि निशीथचूर्णी द्वितीय खण्ड ११ थी वीसमां उद्देशपर्यन्त निशीथसूत्र - विशेष चूर्णि वन्दारुवृत्ति (श्रावकानुष्ठानविधि) श्रावकषडावश्यकसूत्र - वन्दारु वृत्ति प्रव्रज्याविधानवृत्ति प्रव्रज्याविधानकुलक-वृत्ति हैमलघुवृत्ति चतुष्क सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति स्थिति कर्ता हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार रचना वर्ष देवप्रभसूर श्रेष्ठ जिनदास गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी प्रा. हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ जिनदास गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ देवेन्द्रसूरि श्रेष्ठ प्रद्युम्नसूरि जीर्ण हेमचन्द्रसूरि भाषा सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रतिपूर्ण प्रा. प्रतिपूर्ण प्रा. संपूर्ण संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. परिमाण अध्याय १२प्रका ताडपत्र गा. ४४० ग्रं. ४४६ ग्रं. ७५५० ताडपत्र ग्रं. ९००० ताडपत्र श्लोक २८००० ग्रं. १७८८४ ताडपत्र श्लोक २८००० ग्रं. १७८८४ ताडपत्र ग्रं. २७७० ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. ३३०० वि. १४८९ बि. ११९९ वि. ११६५ वि. ११५७ वि. ११५७ 95 आदिवाक्य नमो दुर्वाररागादिवैर ३११ सिद्धगतिमुवगयाणं जयति विजितान्यतेजाः ३११ ३६० णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध ३१८ णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध २४६ वृन्दारुवृन्दारक २२० १३७ प्रणम्य परमात्मानं क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य ३१/५० (२९०) पद्य गद्य ३१/५० (३१७) ३१/५० (३६५) पद्य ३१/५० (२४६) पद्य ३१/५० (९८) गद्य ३१/५० (८६) गद्य ३१/५०(६०) गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ८, १०, ३२७, ३२९, ३३०, ३५४ थी ३५६ना टुकड़ा छे. (जुनो नं. ३३६ ) सारी, प्रथम २१ पत्रो नथी., (२७४२) गाथा संख्यामां थोक वैविध्य मळे छे. वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे. (जुनो नं. ३६५) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. / वचमा केटलांएक पत्रो नथी. / प्रत सारी.. (२९४२) (जुनो नं. ३५२), (२७४२) (जुनो नं. ३३४) जयसिंहदेव राज्ये देवप्रसाद श्रावकेण लिखिता संशोधिता प्रतिः चित्रशोभनयुक्ता (२७४२) लेखन स्थल भृगुकच्छ (जुनो नं. ४३) मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर? (जुनो नं. ५७ ) प्रथमना त्रीजा अने २२० मां पानाना टुकडा नथी. (जुनो नं. २८७) Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार संपूर्ण ताडपत्र २४४-१(१)-२४३ ३१/५०(१२३) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिशिष्ट पर्व सचित्र श्रेष्ठ (जुनो नं.२७०)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. /हेमचंद्राचार्य-कुमारपाळ-भूपालदेवी अने बे साधुओनी मूर्तिओ चितरेली छे...(१७४२).. परिशिष्टपर्व हेमचन्द्रसूरि सर्ग १३ श्लोक श्रीमते वीरनाथाय पद्य 3400 श्रेष्ठ अपूर्ण ताडपत्र आवश्यकचूर्णी आवश्यकसूत्र-चूर्णी | ३२/५०(१४०) गद्य (जुनो नं. २७८)अपूर्ण, (१७४२.२). नियुक्ति ऊपर पण. प्रा. ग्रं.१८००० जिनदास गणि क्षमाश्रमण काऊण नमोक्कारं तिथयर अनेकार्थसड़ग्रह .. श्रेष्ठ संपर्ण १३१ ध्यात्वार्हता कतैका ३२/५०(७८)...... (जुनो.नं. १३९). :हेमचन्द्रसरि गं. १८२७ ८२-२ सिद्धहेमलघुवृत्ति आख्यात श्रेष्ठ प्रतिपर्ण ताडपत्र ३२/५०(७०) (जुनो नं. ३३)पत्र १२४ उपर अंको लखेला छे. बाकीना ७ पाना उपर अंको नथी,आ साथे अनेकार्थना १६ पाना अने ४ पाना कोई बीजा ग्रंथना छे. ग्रं. 3300 प्रणम्य परमात्मानं हेमचन्द्रसूरि :श्रेष्ठ 60 ताडपत्र (जुनो नं.७४)ग्रन्थान-५०५०... । सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका षष्ठ पाद ..... कातन्त्रव्याकरणनी दुर्गसिंहवृत्तिनुं पञ्जिकाविवरण कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका अष्टम पाद १०७-१(9)=१०६... प्रणम्य सर्वकार : त्रिलोचनदास गद्य ८३-२ श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र १८८ (७८) ताङपत्र मूल पत्रांक-१ का पाठ पाद-६ के प्रारंभिक पाठ से मिलता है. पत्रांक-२ से पाठ में भिन्नता मिलती है. :त्रिलोचनदास प्रणम्य सर्वेकत्तार गद्य कातन्त्रव्याकरणनी दुर्गसिंहवृत्तिनुं पञ्जिकाविवरण दशवैकालिकटीका श्रेष्ठ वि.१३२६ ३३९ ३२/५०(१२१) ग्रं.७५५० जयति विजितान्यतेजाः गद्य हरिभद्रसूरि :श्रेष्ठ (जुनो नं.२०४)पत्र १०२ नो टुकडो छे. (१९.५४१.७) लेखन स्थल : सरलपुर-अण.पाटके वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे. (जुनो नं. १०१)पत्र ३३३नो टुकडो छे.१ थी ३५ सुधीना पत्रनी कोरो खरी गई छे..(१५४२), पर्व-१०. ८५ प्रतिपूर्ण दशवकालिकसूत्र-बृहद्धति त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र दशम पर्व (श्रीमहावीर चरित्र) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य ताडपत्र ३२/५०(१६८) हेमचन्द्रसूरि सं. सर्ग १० पद्य Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ८६ ८७ ८८ ८९ ९० ९१ प्रत नाम (पेटा नंबर) पेटा नाम कृति नाम त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र षष्ठ पर्व, सप्तम पर्व ( श्रीमहावीर चरित्र) (पे. १) त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र षष्ठ पर्व ( महावीर चरित्र) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य (पे. २) त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र सप्तम पर्व ( श्री महावीर चरित्र). त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य सङ्घाचार भाष्य चैत्यवन्दनभाष्य-सङ्घाचारटीका उपदेशमालावृत्ति पूर्वार्ध धर्मोपदेशमाला-वृत्ति उपदेशमालावृत्ति उत्तरार्ध धर्मोपदेशमाला-वृत्ति आवश्यक नियुक्ति आदि (पे.१) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति (पे. २) ओघनियुक्ति (पे.३) पिण्डनिर्युक्ति वासूपुज्यचरित्र स्थिति कर्ता श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ धर्मघोषसुरि श्रेष्ठ मुनिदेवसूरि श्रेष्ठ मुनिदेवसूरि (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य श्रेष्ठ भाषा प्रतिपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी प्रा. अपूर्ण संपूर्ण प्रा. प्रा. परिमाण ताडपत्र सर्ग १० सर्ग १० ताडपत्र ग्रं. ७८०८ ताडपत्र ताडपत्र ताडपत्र गा. २५०० ग्रं. ३१०० गा. ११६३ ग्रं. १४३२ गा. ६९७ ताडपत्र 97 २४७ २५६ देवेन्द्रवृन्दस्तुत ३१४ ६२८-३१४ (१ थी ३१४) = ३१४ ३३४ जयइ जगजीवजोणी वियाणओ दुविहोवक्कमकालो सामा पिण्डे उग्गम उप्पायण ३१२ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार ३२/५० (१३२) पद्य पद्य ३२/५० (१२८) गद्य ३२ / ५१ (१२२) गद्य ३२ / ५१ (९४) गद्य ३२/५१ (१४२) पद्य पद्य पद्य ३२/५१ (१५२) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (जुनो नं. १२९) पत्र ३-८ नथी. (१७४२.५) (पे. पृ. १-४०) कृ.वि. पर्व १०. (पे. पृ. १-२०७) कृ.वि. पर्व १०. (जुनो नं. १३८) पत्र १नो टुकडो छे अने अंतना छ पत्रना टुकड़ा छे., (१८.५४२.५) (जुनो नं. १६९ ) छेवटनी प्रशस्ति त्रुटक छे.. (१६.२४१.७) विशिष्ट रचना प्रशस्ति /जयसिंहसूरि कृत ? आमां धर्मादि चतुर्विध मिथ्यात्व स्वरूप वि. ९३ विषयों आवे छे. (जुनो नं. १६९) (१६.२४१.७) विशिष्ट रचना प्रशस्ति /जयसिंहसूरि कृत ? आमां धर्मादि चतुर्विध मिथ्यात्व स्वरूप वि. ९३ विषयो आवे छे. (जुनो नं. १७४(१-३)) (१७. ५४२.२) (पे. पृ. १-१६७ ) [ कृ. वि. आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे.] (पे. पृ. १६७-२७९) पे.वि.: गाथा - ११६२. [कृ.वि. गाथा - ११४० थी ११९० सुधी मळे छे.] (पे. पृ. २८०-३३४) पे.वि. गाथा- ७९०. [कृ.वि. गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे]. (जुनो नं. २१० ) अंत नथी, अपूर्ण (१६.५४२) Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ९२ ९३ ९४ ९५ ९६ ९७ ९८-१ ९८-२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम वासुपूज्यचरित्र उपदेशकन्दलीवृत्ति उपदेशकन्दली - वृत्ति धातुपारायण सह वृत्ति धातुपारायण धातुपारायण-स्वोपज्ञ विवरण धर्माभ्युदय (सङ्घपति) चरित्र द्व्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग-८ सचित्र सिद्धहेमशब्दानुशासन- व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-वृत्ति बृहत्सङ्ग्रहणी वृत्ति बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण- टीका उपमितिभवप्रपञ्चा कथा-उत्तर खण्ड उपमितिभवप्रपञ्चा कथा सिद्धहेमबृहद्वृत्ति ९-१० पाद सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्ति उत्तराध्ययनसूत्र स्थिति कर्ता चन्द्रप्रभोपाध्याय श्रेष्ठ बालचन्द्रसूर श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ उदयप्रभसूरि श्रेष्ठ अभयतिलक (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष श्रेष्ठ मलयगिरिसुरि श्रेष्ठ सिद्धर्षि गणि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी भाषा प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. अपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. परिमाण ताडपत्र ग्रं. ७६०० ताडपत्र ग्रं. ५५०० ताडपत्र ग्रं. ५२०० ताडपत्र ग्रं. १७५५७४ ताडपत्र ग्रं. ५००० ताडपत्र अध्याय ८ ग्रं. १६००० ताडपत्र ताडपत्र अध्याय ३६ ग्रं... वि. १३१२ वि. १२९० वि. ९६२ 98 आदिवाक्य सुहसिद्धिवहुवसीकरण २८९ यन्नाभीनासिकाभ्रुदृग २६७ ४१६ अहल्लक्ष्मी स्तु २८४ २९८ २४८ नमो निर्नाशिताशेषमहा १३९ १३९ सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार ३२/५१ (२५७) गद्य ३२/५१ (१०८) गद्य ३२/५१ (१६३) ३२/५१ गद्य ३३/५१ (७२) गद्य ३३/५१ (१२६) ३३/५१(१४५) गद्य ३३/५१(५६) संयुक्त प+ग प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( जुनो नं. २४९) १६०मां पानाना अंक पछी जीर्ण छे. केटलाकना टुकडा छे. (१९४२. ५ ) विस्तृत रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. २१९ ) पत्र १०१-१०३-१०४-१११-१२७२०२-२०४-२६१-२६३ पत्र नथी. (१५.२४२) ( जुनो नं. १४ ) पत्र १-३-२०६ना टुकडा छे. १२५१२७ घसाई गया छे. १९५ २२४ २२८, २४४ थी २५४, २५९, ३०१ थी ३०६, ३०९ ३१२ थी ३२१, ३२३, ३२४, ३२६, ३२७, ३३०, ३५३ थी ३५५, ३६२, ३६३, ३६७ थी ४११, ४१४ नथी. (१७५२) छाया नाटक. (जुनो नं. २३२ ) हेमचन्द्राचार्य अने कुमारपालना चित्रो. रचना स्थल प्रहलादनपत्तन ( जुनो नं. १३७ ) पत्र १९१थी एकबाजुनी कोरो खरी गई छे. ( जुनो नं. २७४ ) पत्र २४३ थी एकबाजुनी कोरो खरी गई छे. (१६x२) प्रस्ताव ८ / विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ( जुनो नं. २५८) पाद-९-१०. (जुनो नं. ३२) Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार २०९५ ताडपत्र सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि श्रेष्ठ संपूर्ण । वि. १३४५ :२६७ ३३/५१(१२३) (जुनो नं.२०५)२९.३०, ५३ पत्रमां चित्रो छे.. :(१६४२) (पे. पृ. १-५३) पे.वि. : पत्र ५० थी ५२ नथी. (पे.१) सुबाहु आदि कथा सचित्र सुबाह आदि कथासङ्ग्रह (पे.२) सीता चरित्र प्रा. गा.४४१ पद्य (पे.पृ. ५४-८४) पे.वि. : पत्र १४ नथी. भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसूरिशिष भुवनतुगसूरि (महेन्द्रसूरिशिष जस्स पयपउमनहचन्दजुह भणियं सीयाचरियं (पे.३) राम-लक्ष्मण चरित्र गा. २०८ पद्य (पे.पृ. ८५-१९) मे.वि. : पत्र ९८ नथी. .प्रा.......... गा.१०५ इक्खागरायवसभो पडि (पे.४) मल्लिनाथचरित्र .(पे.५) प्रद्युम्नचरित्र गद्य (पे.६) कल्पसूत्र भद्रबाहस्वामा प्रा. ग्रं.१२८० नमो अरिहन्ताणं... : ग्र.goo : सम्बन्धो सत्तमासिर्य गद्य ग्र. १३.. श्लोक १३५ (पं.७) कल्पसूत्र-चूणी (4.८आर्द्रकुमार कथानक - गद्य (पे.९) खुड्डककुमार कथानक भावनायां त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र २-३ पर्व श्रेष्ठ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य. हेमचन्द्रसरि प्रवचनसारोद्वारवृत्ति २२१मा द्वारथी सम्पूर्ण श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण : नवगुत्तीहि विसुद्ध २९५ ताडपत्र सगे १० पद्य प्रतिपूर्ण ताडपत्र २५२ पद्य (प....११.१०७).प.वि.: पत्र.९९..१०७ नथी. (पे... १०५-१३४.पे.वि..:.पत्र.१००-१०८ नथी. संयुक्त प+ग (पे.पृ. १३५-२००) पे.वि. : पत्र १३५-१३६-२०० नथी. १३६मा पत्रनो टुकडो छे. पत्र १९२ नथी. (प.पू. २०१-२३९). (प.पू. २४०-२५१) पे.वि. : पत्र २४१ नथी.. (प.पू. २५१-२६७). ३३/५१(१५३) ....(जुनो नं. २०९), (१८.२४२). पर्व-१. ३३/५१(९४) (जुनो नं. २५३)छेल्ला पत्रनो टुकडो छे., (१६.५४२) पाटन नवा सूचीपत्रमा कर्ता सिद्धर्षि लख्या छे. :३३/५१(८२) (जुनो नं. ५०)पत्र ४-५-७-१३-१५ थी १८-२१-२९ थी ३१-४७ थी ५०-५२-५७-५९-६६-६७-७१-७२१००-१०१-१०५ थी ११०-११६-१३७ थी १३९१४१-१५० थी १५६-१५८-१६०-१७३-१७४-१८३१८४-१८८-१९०-१९१-१९६-१९७-१९९-२००-२०३२०५-२०७-२०९-२११-२१८-२३१-२४३-२४४-२४७ थी २४९-२५८-२६०-२६४-२६५-२६७ थी २७१२७३-२७५-२७६-२७८-२८१ थी २८४-२८६-२८८.. ग्रं.१८००० वि. १२४८ प्रवचनसारोद्धार-तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति सरस्वतीकण्ठाभरणवृत्ति सिद्धसेनसुरि.सं...... संपूर्ण सन्नदैरपि यत्तमोभि ३०५-१(9)-३०४ १०२-१ ताडपत्र 99 Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १०२-२ 903 प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम १०४-१ सरस्वतीकण्ठाभरण सरस्वतीकण्ठाभरण - पदप्रकाश वृत्ति कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ- टीका बृहत्सङ्ग्रहणी वृत्ति बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण- टीका सिद्धमलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय सिद्धहेमशब्दानुशासन- लघुवृत्ति १०४-२ प्रवचनसन्दोह आदि कर्मविपाकटीका (पे. १) प्रवचनसन्दोह (पे. २) सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे. ३) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (पे. ४) गौतमपृच्छा प्रकरण (पे. ५) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (पे.६) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे. ७) धर्मलक्षणप्रकरण (पे.८) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे.९) पञ्चनवकार (पे. १०) प्रव्रज्याविधानकुलक स्थिति कर्ता भोजदेव महाराजा अम्बड (भाण्डशाली पार्श्वचन्द्र श्रेष्ठ श्रेष्ठ मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि जीर्ण श्रीचन्द्रसूरि मलधारि जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण देववाचक (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष विमलसूरि विमलसूरि भाषा सं.प्रा. सं., प्रा., अपभ्रं संपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. परिमाण ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. ५००० ताडपत्र ग्रं. ३३०० ताडपत्र गा. ३५५ गा. २७३ गा. ८६ गा. ५३ गा. ५० गा. ५० श्लोक २२ का. २८ गा. ३० वि. १२७५ 100 आदिवाक्य ६९ रागादिवर्गहन्तारं २५९ १४९ प्रणम्य परमात्मानं २३५-९४१ थी ९४) = १४१ सारस्सयमाइच्चा विण्ह नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव नमिउण सजल जलहर नमिऊण तित्थनाहं जाण जयइ जगजीवजोणी. वन्दितु सव्वसिद्धे धर्मार्थं क्लिश्यते कः खलु नालड़िक्रयते क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार पडि गद्य ३३ / ५१ (२४) गद्य ३३/५१ (१२३) गद्य ३३/५१(५९) गद्य ३३/५१ (५४) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य संसारविसमसायर भवजल पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष थी २९० २९३ २९५ थी २९८-३०१-३०२ नथी. ( जुनो नं. २० ( १ ) ) वचन पत्र ४, ११, १६ ५५ ६९ नथी. (जुनो नं. १७७), (१८x२.२) (जुनो नं. १०९). (जुनो नं. १०५) (पे. पृ. ९५-१०६) पे.वि. अपूर्ण. (पे. पृ. १०६-१२३) (पे. पृ. १२३-१२९) [कृ.वि. गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (पे.पृ. १२९-१३२) [कृ.वि. गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे] (पे.प्र. १३२-१३५) (पे.पू. १३५.१३८), (पे. पृ. १३८-१३९) पे.वि. श्लोक-१९. (पे. पृ. १३९-१४०) पे.वि.श्लोक-२९. (पे.पू. १४०-१४१) (पे. पृ. १४१-१४२) पे.वि. गाथा-३३. [कृ.वि. गाथा - २४ थी ३५ सुधी मळे छे.] Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) यशोघोषसूरि प्रा. गा.२५ नमिऊण पुचपुरिसाण - प्रा. गा.२६ अरहन्ता मड़गलं मज्झ गा. १४४........वि. १२८८...सिद्धिपुर सत्थवाहं... प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार पद्य (4.99) क्षमाकुलक (पे.१२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.१३) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे.१४) योगशास्त्र प्रकाश योगशास्त्र (पे.१५) वीतरागस्तोत्र (पे.पृ. १४२-१४५). (पे.पृ. १४५-१४१) (पे.पू. १४९-१५६.. (पे. पृ. १५६-१८५) हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि अध्याय १२प्रका अध्याय २० ग्रं. १८७ नमो दुर्वाररागादिवैर यः परात्मा परज्योत (पे.पृ. १८५-१९८) [कृ.वि. : प्रकाश-२०.] (पं.१६) आत्मानुशासन : सं. श्लोक ७७ : सकलत्रिभुवनतिलक पद्य पावनाग (दिगम्बर) मानतुगसूरि (पे.१७) भक्तामरस्तोत्र का.४४ भक्तामरप्रणतमौलिमणि पद्य श्लोक ४० गा.३६..३९. :देवसरि (पं.१८) गम्भीर स्तव (पे.१९) धरणोरगेन्द्रस्तव (पे.२०) पार्श्वनाथ अष्टक मन्त्रगर्मित (पे.२१) आदि-वीरस्तुति (पे.२२) चतुर्विशतिजिनपञ्चकल्याणकस्तोत्र (पे.पू. १९७-२०२) [कृ.वि.: परिमाण आर्या रूपे आष्णु छे (पे.पृ. २०-२०६) [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे] (पे.पृ. २०६-२०८० (प.पू.२०८-२११). (पे...२११-२१२).पे.वि... श्लोक-१.. (पे.पृ. २१२-२१३) (ये.पू. २१४-२१६) श्लोक... पादलिप्तसूरि मुनिचन्द्र अथ गम्भीरनिर्घोषः धरणोरगेन्द्रसुरपति श्रीमन्नागेन्द्र सयलसुरासुरनमियं नमिवि सिरिवीरजिणपाया चवण विमाणा नयरी प्रा. अपभ्रं. पद्य (पे.२३) एकविंशतिस्थानप्रकरण सिद्धसेनसूरि पद्य (प.पृ. २१६-२२१) जणया (५.२४जीवविचारप्रकरण (पे.२५) अजितशान्तिस्तोत्र शान्तिसरि नन्दिषेण प्रा...... प्रा. गा.५१ गा.४० भुवणपईवं वीरं नमिऊण : पद्य अजिथं जियसव्वभयं पद्य ग ५० (१.२६) पगामसज्झाय (पे.२७) आवकप्रतिक्रमणसूत्र न्यायावतारवृत्ति टिप्पण इच्छामि पडिक्कमिउं वन्दित्त सव्वसिद्धे (ये...२२१-२२४ (पे.पृ. २२४-२३२) [कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] (पे.पृ. २२९-२३२) (पे...२३२-२३५.... (जुनो नं. ७०(९))पत्र १२-४६-५१-५९ अने अंत नथी. मा.५० अपूर्ण ताडपत्र ७२ (२८) न्यायावतारसूत्रनी वृत्तिनुं टिप्पण नत्वा श्रीवीरमेकान्त क्रियारत्नसमुच्चय :१८५-२(१ थी २)=१८३ (५२) :(जुनो नं. १०६)पत्र १२-७७ नथी. गुणरत्नसूरिसं. ग्रं. ५७७८ वि. १४६६ 101 Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम स्थिति कर्ता (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) संपूर्ण ताडपत्र वि. १४६६४२८-३१८(१थी (३२) ३१८)=११० प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार १०६-१ क्रियारत्नसमुच्चय सवीजक श्रेष्ठ (जुनो नं. १०६)ग्रन्थान सबीजक-५७७८./पत्र १८६ थी ३१८ नथी. नं. ३३९ ना वे पत्र छे. ३५५ ने बदले १५५. छे... गुणरत्नसूरि ग्रं.१७७८ वि. १४६६ क्रियारत्नसमुच्चय क्रियारत्नसमुच्चय-बीजक १०६२ घड़िवधावश्यकविवरण गय श्रेष्ठ संपर्ण हेमचन्द्रसरि ताडपत्र............वि. १२९५......१३५................. .३३/५१(५०)..... श्लोक १300 २७०-४(१ थी ४)=२६६ ... ३३/५१(५६).... श्रेष्ठ संपूर्ण कागज सुकोशलकथा आदि (4.9) सुकोशलकथा (पे.२) प्रत्येकबुद्धकथा (पे.३) प्रदेशी कथा .. .(पे.४) धन्यसुन्दरी कथा .. (पे.५) सिद्धसेनदिवाकरचरित्र तिलकमञ्जरी- प्रथम खण्ड (जुनो नं. ३७)पत्र ३१ नथी. योगशास्त्रान्तर्गत तृतीय प्रकाशान्तर्गत. (जुनो नं. २३(५-२) अपूर्ण (प.पू. १-42. .वि. : अपूर्ण.. (पे.पृ.१-४६). (पे.पृ. १-५५).. (प.पू.८०-११2.. (पे.पू. १-२९) (जुनो नं. ४६)पत्र २३६ नथी. प्रत सारी छे.. (१४.५४१.७) सिरिसिसेण पालित्त श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण २३६ ३३/५१(९९) धनपाल सवः पातु जिनः... :१०८ तिलकमञ्जरी उपदेशमाला आदि (पे.१) उपदेशमाला संपूर्ण ताडपत्र ३३/५२(१२४). २४१ नमिऊण जिणवरिन्दे धर्मदास गणि गा. ५४४ (जुनो नं. ९३). (पे.पृ. १-४८) पे.वि. : गाथा-५४३. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (पे.पृ. ४९-१०२) (पे.२) पुष्पमालाप्रकरण गा. ५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी जयसिंहसूरि (प.३) धोपदेशमालाप्रकरण गा.१०३ भयव दसन्नभहा. (प.पू. १०२-११२). पे.वि. : गाथा-१००. (पे. पृ. ११३-१५५) (पे.४) योगशास्त्र ४ प्रकाश योगशास्त्र हेमचन्द्रसूरि : अध्याय १२प्रका नमो दुर्वाररागादिवर तित्थं पवयण सुयदेवयं (पे.५) पञ्चकल्याणकप्रकरण गा.१३७ : पद्य (पे.पृ. १५६-१७०) कृ.वि. : कर्ता? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छेल्ली गाथाओमां तफावत होय (पे.६) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसूरि गा.२१४ वन्दामि सव्वनुजिणि (पे.पृ. १७१-१९०) [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे] 102 Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कृति प्रकार (पे.७) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरिसं. अध्याय २० ग्रं. यः परात्मा पर ज्योत पद्य (पे.पू. १९१-२०९) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] १८७ प्रा........... ।गा.५० वन्दित्तु सबसिद्धे पद्य (पे.पृ. २०९-२१४)...... :/ये. प्र.२१५-२१८) अध्याय ५सत्र नमो वीतरागाणं सब गद्य (पे.८) आवकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.९) पापप्रतिघातगुणवीजाधानसूत्र.... पञ्चसूत्र पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणवीजाधान प्रथमसूत्र (पे.१०) अजितशान्तिस्तोत्र गद्य नन्टिषेण प्रा. गा.४० अजियं जियसव्वभयं (पे.११) भक्तामरस्तोत्र मानतुगसूरि सं. ।का.४४ भक्तामरप्रणतमौलिमणि पद्य (पे.१२) गौतमपृच्छा प्रकरण :गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण : पद्य (पे.पृ. २१८-२२४) [कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. (पे.पू. २२५-२३१) [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे.] (पे.पृ. १-६) [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे. (ये.पू. ६)... (प.पू. ६-१०). (जुनो नं. ८१), (१५.५४१.५). श्लोक२२ विमलसूरि का.२८ धर्मार्थ क्लिश्यते कः खलनालडिक्रयते पद्य ३३/५२(१२६). सपुर्ण ताडपत्र मलयगिरिसरि गं. ५००० (पे.१३) धर्मलक्षणप्रकरण (पे.१४) प्रश्नोत्तररत्नमालिका बृहत्सङ्ग्रहणीवृत्ति बृहत् सग्रहणीप्रकरण-टीका ११०-१ सिद्धहेमआख्यातबृहद्वृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्ति प्रवचनसन्दोह तथा छन्दोनुशासनविवरण (पे.१) प्रवचनसन्दोह श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र २७५ ३३/५२(१०४) । (जुनो नं. ९८). हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण प्रा. ३३/५२(२६).........(जुनो नं. ४(३)... नमिऊण वद्धमाणं ववगय: पद्य (पे.पृ. १-१६) अध्याय पद गा.३३४ (पे. पृ. १-४२) पे.वि. : जूनो नं. १८३(२)... (पे.२) छन्दानुशासन सह (सं. विवरण... छन्दोनुशासन छन्दोनुशासन-विवरण विभु नाभेयमानस्य प्रणिपत्य प्रभु वाग्भट ग्र.५४० गद्य स्याद्वादमञ्जरी । वि. १३५७ २०८ ३३/५२(८६) (जुनो नं. १७२) छेल्लुं पार्नु एक बाजुए खराब छे. अंक पासे कोई कोई पानुं चोटेलुं छे., (१५४२) लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ 103 Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ११२ ११३-१ योगशास्त्रविवरण योगशास्त्र स्वोपज्ञ वृत्ति ११३-२ सार्धशतकवृत्ति सह ११५ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम ११६ अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिकास्याद्वादमञ्जरी टीका उपमितिभवप्रपञ्चाकथासारोद्धार उपमितिभवप्रपञ्चकथासारोद्धार ११४-१ सार्धशतकवृत्ति ११७-१ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-वृत्ति सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-वृत्ति प्रवचनसारोद्धारवृत्ति तृतीयखण्ड प्रवचनसारोद्धार-तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय ६-७ सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्ति आराधनापताका भगवती आदि (पे. 9) आराधनापताका भगवती (पे. २) सागारप्रत्याख्यान विधि (पे.३) कुशलाणुबन्धज्झयण चतुःशरणप्रकीर्णक (पे.४) आउरपच्चक्खाण स्थिति कर्ता भाषा मल्लिषेणाचार्य सं. श्रेष्ठ देवेन्द्रसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ जिनवल्लम श्रेष्ठ श्रेष्ठ सिद्धसेनसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र वीरभद्र संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण श्लोक २८०० ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. १२००० ताडपत्र गा. १६४ ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. १८००० ताडपत्र ताडपत्र गा. ९३२ गा. ९ गा. ६३ रचना वर्ष वि. १३४९ वि. १३०० बि. १२४८ 104 आदिवाक्य २९३ १८३ प्रणम्य सिद्धा २७३-१५९ (१ थी १५९) =११४ सयलन्तरायवीरं वन्दिय ३१८ सन्नद्धैरपि यत्तमोभि ३४८ २२० सम्मं नरिन्ददेविन्द पडवज्जसु निस्सेसं क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य १८६-४ ( १ थी ४ = १८२ ३३ / ५२ (८६) सावज्जजोगविरई उक्कित ३३ / ५२ (१४७) ३३/५२(३२), गद्य ३३/५२ (४६) पद्य गद्य ३३/५२ (१५८) गद्य ३३/५२ (१७६) गद्य ३४ / ५२ (१०४) पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( जुनो नं. ६०) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. / पत्र १९१-१९२ नथी. प्रत सारी.. (१५.५x२.२) कर्ता ? (जुनो नं. २८) पांचमांथी १२ प्रकाश (५-१२ ).. (जुनो नं. २६४ (२)) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पत्र १५९ नथी. बाकी छे ते सारां छे, पत्र २२० नथी. गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमां मळे छे, (जुनो नं. २६९) पत्र ६ टुकडो छे. पत्र १८३ नथी. पत्र १८४ना बे टुकड़ा छे. पत्र १८६नो एक टुकडो नथी. ( जुनो नं. ११० ) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका... (१५x२) पाटन नवा सूचीपत्रमां कर्त्ता सिद्धर्षि लख्या छे ( जूनो नं. ७३ ) घणी सारी छे. (१५.५x२.२) (जुनो नं. ११५), (x) (पे. पृ. १-५१) पे. वि. गाथा- ९३१. (पे. पृ. ५१-५२) (पे. पृ. ५२-५५) कृ.वि. गाथा ६२ थी ९१ सुधी मळे छे. (पे. पृ. ५५-६०) पे.वि.: गाथा - ६०. Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् (पे. ५) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक (पे.६) संस्तारकप्रकीर्णक (पे. ७) ऋषिमण्डलस्तव (पे.८) द्वादशभावना (पे.९) परित्यागकुलक (पे. १०) आराधनासार (पे. ११) विषयनिन्दापञ्चाशत् (पे. १२) शीलप्रशंसाकुलक (पे. १३) क्षामणककुलक (पे. १४) जीवानुशासनाकुलक एगुणतीसी भावना (पे. १५) आत्मसम्बोधकुलक धर्मोपदेशकुलक (पे. १६) श्रावकधर्मकुलक (पे. १७) दानशीलतपोभावनाकुलक दानकुलक ( पे. १८) गौतमपृच्छा प्रकरण (पे. १९) उत्तराध्ययने अध्ययन-९ नमि प्रव्रज्या उत्तराध्ययन सूत्रनो हिस्सो (पे. २०) उत्तराध्ययने अध्ययन १० दुमपत्तय उत्तराध्ययन सूत्रनो हिस्सो स्थिति कर्ता वीरभद्र वीरभद्र धर्मघोषसूरि गुणसूरि देवेन्द्रसूरि जयघोषसूरि (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष आदिवाक्य पूर्णता प्रत प्रकार भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण गा. ७१ गा. १७२ ग्रं. १७१ गा. १२४ गा. १६२ गा. १३२ ग्रं. १५७ गा. १६ गा. ४८ गा. ५० गा. ४४ गा. ४० गा. ३० गा. २२ गा. २१ गा. ४५ गा. ५३ 105 देसिक्कदेसविरओ सम्म नमिऊण महाइसर्य महाणु काऊण नमोक्कारं जिणवर भत्तिभरनमिरसुरवर... तित्थयरे भगवन्ते पडिवज्जसु सव्वन्नंं. सिवसुह सिरीए हेउ पणमिय वीयरायं.. संसारम्मि असारे क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य जम्मजरामरणजले नाणा निसाविरामे परिभावयाम पद्य पद्य पद्य पद्य तिलोयपुज्जाण जिणेसरा पद्य जो कोइ मए जीवो पद्य चउगई पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य नमिऊण महियमोहं. पद्य नमिऊण तित्थनाहं जाण पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृ. वि. गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे. (पे. पृ. ६०-६७) पे.वि.: गाथा - १७३. [ कृ. वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ६७-७३) पे.वि.: गाथा - २४. पत्र १८ (७८ ?)मुं नथी. (पे. पृ. ७३-८०) पे.वि. पूर्ण. पत्र ८१ नहीं है. गाथा - १५७ तक है. (पे. पृ. ८१-८७) पे.वि. गाथा-१३३. प्रारंभिक-१७ गाथाएँ नहीं है. (पे. पृ. ८७-८८) पे.वि.: गाथा - १५. (पे.पू. ८८-९०) (पे. पृ. ९१-९३) (पे.पू. ९३-९५). (पे.पृ. ९६-९७ ) (पे. पृ. ९७-९९) पे.वि. गाथा-२९. (पे. पृ. ९९-१००) (पे.पु. १००-१०१) पे.वि. गाथा-२१. (पे. पृ. १०१-१०३) पे.वि. गाथा-४४. (पे. पृ. १०३-१०६) पे.वि. गाथा- ६४. [कृ.वि. गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.]. (पे. पृ. १०६-१०९) पे.वि. गाथा- ६०. (पे. पृ. १०९-११०) पे.वि. गाथा-३७. Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्षा पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (पे. पृ. ११०-११३) पे.वि. : गाथा-89. (पे..११३-११५) पे.वि. : गाथा-३५. (पे.२१) उत्तराध्ययने अध्ययन-१२ हरिकेशी उत्तराध्ययनसूत्रनो हिस्सो (ये.२२) उत्तराध्ययने अध्ययन-१३ चित्तसम्भूईज्ज उत्तराध्ययनसूत्रनो हिस्सो' (पे.२३) महानिण्ठिज्ज-अध्ययन अध्ययन (पे. पृ. ११५-११७) पे.वि. : गाथा-१७. 20 (पे.पू. ११७-११८) पे.वि. : गाथा-२४. उत्तराध्ययनसूत्रनो हिस्सो' (पे.२४) उत्तराध्ययने अध्ययन-१८ समिइओ संजइय उत्तराध्ययनसूत्रनो हिस्सो" (पे.२५) उत्तराध्ययने अध्ययन-२६ सामाचारी (पे.पू. ११८-१३६) पे.वि. : १३१ना बे टुकडा छे. /गायकवाड केटलॉगमा उत्तराध्ययन अध्याय-३६सामाचारी एम आपेल छे. आगमोद्धृत अनेक विचार (पे.२६) सामाचारी (पे.पृ. १३६-१५०) पे.वि. : १४९ना बे टुकडा छे. पत्रांक-१५० नथी. सग्रहणीप्रकरण गा. २७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य श्रीचन्द्रसूरि मलधारि (पे.२७) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण :गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पे.पृ. १५१-१७०) पे.वि. : गाथा-११९./अन्य परचूरण कृतिओ पण छे. [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप महेन्द्रसिंहमूरि (प.२८) विचारसप्ततिकाप्रकरणी (ये.२९) उपदेशमाला पडिमा मिच्छा कोडी नमिऊण जिणवरिन्दे धर्मदास गणि :गा. ५४४ पद्य (पे.३०) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (प... १७०-999.. (पे.पृ. १७१-१९६) पे.वि. : गाथा-५४२. कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (पे.पृ. १९६-२००) पे.वि. : गाथा-१०३./२००मुं पत्र नथी. (पे.पृ. २०१-२०४). जयसिंहसूरि गा.१०१ सिज्झउ मज्झविसुयदेवि पद्य (ये.३१) तपविधि स..प्रा. 106 Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रा. गा. ४० अजियं जियसवभयं पद्य कर्ता भाषा (पे.३२) अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण (पे.३३) जीवविचारप्रकरण (पे.३४) पिण्डविशुद्धिप्रकरण शान्तिसूरि जिनवल्लभ प्रा......... गा. ५१ गा.१०४ भुवणपईवं वीरं नमिऊण : पद्य देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पू. २०४-२०८) कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७.सुधी मळे छे.. (पे.पृ. २०९-२११) पे.वि. : पत्र २०५, २०८ नथी... (पे.पृ. २११-२१५) [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे.पृ.२१५-२२०... पत्र ७-१४-१६-२२-२४-३० नथी. ४८ पत्रनो टुकडो छे. आसड गा. १४४.......वि. १२८८...सिद्धिपुर सत्थवाहं...... पद्य (५.३५) विवेकमञ्जरीप्रकरण.. बन्धस्वामित्व सटीक ११७-२ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३४/५२(१४) बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ-वृत्ति हरिभद्रसूरि सं. ११८-१: प्रकरणसङ्ग्रह श्रेष्ठ सपण ताडपत्र : वि. १२९२ :१९३ ३४/५२(१२८) (जुनो नं. १३)आ संग्रहमां नाना मोटा विमलस्तव, योगशास्त्र, थिरावली, उपदेशमाला, दर्शनसप्तति, आत्मानुशासन, जीवानुशासन आदि ६३ प्रकरणों छे. पत्रोना अंको बरोबर न होवाथी नामवार लखी शक्या नथी. (अक्षरांक परिचय) ३४/५२(४८) ..... (जुनो नं. २३९). (पे. पृ. 98-८ अप्पं पि भावसल्लं प्रकरण सड़ग्रह ११८-२ आर्द्रकुमारकथा पद्य आदि (4.9) आर्द्रकुमारकथानक आर्द्रकुमारकथा पद्य (पे.२) वकचूलकथा सचित्र वडकचूलकथा (पे.३) मणथिरकरण मनास्थिरीकरण प्रकरण (पे. पृ. ९०-१६० :थेवो विकओ नियमो गद्य (पे. प्र. 994-२६०) पे.वि. : सचित्र. महेन्द्रसिंहसूरि प्रा. :गा.१६७ नमिऊण वद्धमाणं :पद्य (पे. पृ. २६४-३२ (पे.४) आउसड़गहों आयुःसङ्ग्रह :(पे.५) विचारसप्ततिकाप्रकरण प्रा. गा.८२ महेन्द्रसिंहसूरि महेन्द्रसिंहसूरि वि. १२८४ सट्ठी कम्माभावे सो पडिमा मिच्छा कोडी पद्य (ये.पृ. ३२०-३६8) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-100 तक (पे.६) आगमोद्धृत आहारशुद्धयादि अनेक सं.प्रा..मारुगू जीवा सुहेसिणो तं... (पे.पू. १२८4-१६७९) पे.वि. : अपूर्ण............. 107 Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष जात आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार विचार त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र अष्टमपर्वश्रेष्ठ ११९-१ प्रतिपूर्ण ताडपत्र वि. १२७५ ३४१ ३४/५२(१७१) (जुनो नं.२१७)ग्रन्थान-४९१४./विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. मूलपत्र-३३८ पछीना अलगथी ३ पत्रो आमां नथी. झेरोक्ष पत्र ८,४६, ६२ अने १६७ नथी तथा १६६ बेवडाएल छे...(१४.७४२१. पर्व-१०............... पाटण ताडपत्रीय केटलॉग में तथा माइक्रोफिल्म रजिष्टर में इस कृति का उल्लेख नहीं है. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य ११९- २बन्धस्वामित्व प्राचीन कर्मग्रन्थ सटीक हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ सर्ग १० ताडपत्र संपूर्ण (१४) गा.५४ पा. ग्रं. ५६० गद्य बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ-वृत्ति हैमीनाममालावृत्ति सह अभिधानचिन्तामणिनाममाला हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि वि.११७२ वि. १२७५ अपन ताडपत्र ३४/५२(११२)..(जुनो नं. २२५)अपूर्ण छे सारी..(१५४२) २४० प्रणिपत्याहेत: अध्याय ६काङ गं.२६30 हेमचन्द्रसूरि गं. १0000 गद्य अभिधानचिन्तामणिनाममाला-टीका रामचरित्र-सर्ग १९-३६ धर्मतीर्थकृतां वाचं २३८ १२१-१ श्रेष्ठ ताडपत्र ३४/५२(८०) उभय ग्रन्थान-१००००. टीका ग्रन्थान-४६८५. (जुनो नं.२८६)१९ थी ३६ सर्ग सुधी, पत्र बीजु (२) नथी, पत्र १-४-५ ना टुकडा नथी. वचमा पण केटलांकना टुकड़ा नथी.. (x) :रामचरितमहाकाव्य :आभनन्द पद्य चित्यवन्दनपत्याख्यानलघवत्ति आदि संपूर्ण ताडपत्र ३४/५२(३८) गद्य (जुनो नं. १९८(१-२)) (पे.पू. १-५०) ग्रं. ५५० श्रीवीरजिनवरेन्द्र ग्रं.२०० प्रणिधाय श्रीवीरें तिथिक्रमाज्जिनेन्द्र आसराज श्लोक ३२ (पे.१) चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यान तिलकसूरि लघुवृत्ति (पे.२) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-लघुवृत्ति :तिलकसूरि (ये.३) कल्याणकस्तोत्र उपदेशमालावृत्ति-हेयोपादेयानाम्नी. उपदेशमालाप्रकरण-हेयोपादेया टीका-कथा | सिद्धर्षि गणि रहित आवश्यक टिप्पण जीर्ण आवश्यकसूत्रना शिष्यहितावृत्तिनुं हेमचन्द्रसूरि प्रदेशव्याख्या टिप्पण : मलधारी गद्य (पे.पृ. ५१-७०) पद्य (प.पू.१-४३). ३४/५२(१३८)........(जुनो नं.६४)ग्रन्थाग-४१६०...(१४४२).. प्रतिपूर्ण :वि. १२३६. ३६० ताडपत्र...... ग्रं.४०६१ हेयोपदेयार्थोपदेश गद्य संपूर्ण ताडपत्र वि.१२५८ ५८१८९ ३४/५२(१०२)...(जुनो नं. २७६)जीर्ण थई गई छे.... सं. ग्रं.४६४० जगत्रयमतिक्रम्य गद्य 108 Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक कति प्रकार ताडपत्र ... गं/२० (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत नाम स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीचीडी (डीवीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष १२३-२ उपदेशमाला (पुष्पमाला) अने सङ्ग्रहणी श्रेष्ठ संपूर्ण ३४/५२(३६) (जुनो नं. १४०) (पे.१) पुष्पमालाप्रकरण हेमचन्द्रसूरि प्रा. :गा. ५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य :(पे.पू. १-३२) पे.वि. : पत्र १-३नी कोरो खरी गई मलधारी २. पत्र बे(२) नो टुकड़ो नथी. (पे.२) सङ्ग्रहणीप्रकरण जिनभद्र गणि प्रा. गा.३६७ निट्ठवियअट्ठकम्म पद्य (पे.पृ. १-३७) ये.वि. : पत्र ५-६ना बब्बे टुकडा छे. क्षमाश्रमण १२४-१ उपासकदशाङ्गसूत्र आदि पञ्चोपाग... श्रेष्ठ संपूर्ण ............ ताडपत्र. १५२-५(१ थी ५:१४७.... ३४/५२(७०)...... (जुनो नं. १२४)... (पे.१) उपासकदशाङ्गसूत्र सुधर्मास्वामी प्रा. ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं (पे.पृ. ६-४५) पे.वि. : पत्र ५ नथी. [कृ.वि. : पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे.. (पे.२) अन्तकृदशाङ्गसूत्र सधर्मास्वामी प्रा तेणं कालेणं तेणं (पे.पृ. ४६-८४) (4.३) अनुत्तरीपपातिकदशाङ्गसूत्र सुधर्मास्वामी तेणं कालेणं तेणं (प.पृ.८४-९१). (पे.४) प्रश्नव्याकरणसूत्र सुधर्मास्वामी ग्रं. १३५० नमो अरहन्ताणं। जम्बू (पे.पृ. १२-१५२) पे.वि. : पत्र १११ मांनो टुकडो नथी. (पे.५) विपाकसूत्र..... सुधमास्वामी ग्रं. १३१६. : तेर्ण कालेणं तेणं (मे.पू. १५२मुं.मे.वि.: पाछळनो भाग नथी. १२४-२ । तीर्थोद्गालिकप्रकीर्णक श्रेष्ठ व. १४५२ ११३ ३४/५२(३२).....! (जुनो नं. १९२)सारी छे. लेखन स्थल : पत्तन तीर्थोद्गालिक प्रकीर्णक गा. १२३३ ग्रं. जयइ पद्य ससिपायनिम्मलतिह दव्याश्रय संस्कृत २० सर्ग ३४/५२(१३९)......(जनो नं. ३०६)पत्र २४३-२४५ नथी...(१४.५४२.२.. सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत हेमचन्द्रसूरि सर्ग २० ग्रं. पद्य महाकाव्य शतपदी संपूर्ण ताडपत्र ३४/५२(१२१) (जुनो नं.२०६)२२८ मां पानाथी टुकड़ा छे.. (१४.५४२) शतपदीप्रकरण धर्मघोषसूरि सं.प्रा. १२७-१. कर्मस्तव सटीक आदि ताडपत्र वि. १२८८......१६१. 1.३४/५२(७४)..... (जुनो नं. १९(212. (ये.१) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ गा.५८ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.पृ. १-६८) पे.वि. : अपूर्ण-सारी [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे.. कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-वृत्ति गोविन्दाचार्यसं.. कर्मबन्धोदयोदीर्या (पे.२) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गर्षि :गा.१६७ (पे.पृ. ६९-११७) पे.वि. : गाथा-१६६. सारी [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] ताडपत्र प्रा. १५६५. ताडपत्र १२५ अष्ट ૨૮૨૮ १२६ श्रेष्ठ श्रेष्ट संपर्ण गं.१०९० गद्य 109 Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) परमानन्दसूरि । ग्रं. ९२२ निःशेषकर्मोदयमेघजाल गद्य : जिनवल्लभ प्रा. :गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं : पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (पे.प्र.११७-१६१) पे.वि. : छेल्लां अने वचला पत्र नथी. [कृ.वि.: गाथा १०४ सुधी मळे छे]] हरिभद्रसूरि सं. ग्रं.८५० : वि. ११७२ नत्वा जिनं विधास गद्य कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ-वृत्ति (ये.३) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-वृत्ति षडशीति सटीक आदि (2.9) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति संपूर्ण ... श्रेष्ठ जिनवल्लभ ताडपत्र.........: वि. १३३२...... १५१-१(9)-१५०...........३४/५२(५२....... गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं प्रा. पय (जुनो नं. २०(२-३)..... (पे.प्र.२-१२०) ये.वि. : वचमा २३ पत्र नथी-तेनी नोंध साथे ज छे. [कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे] मलयगिरिसूरि आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति-वृत्ति (पे.२) बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ गा. ५४ (पे.पृ. १२१-१५१) पे.वि. : वचमा ७ पत्र अने पाछलां पण पत्रो नथी. तेनीनोध साथेज छे. हरिभद्रसरि ग्रं.५६० .वि. ११० गद्य १ संपूर्ण ताडपत्र बन्धस्वामित्व प्राचीन ततीय कर्मग्रन्थ-वृत्ति नवपदलघुवृत्ति (श्रावकानन्दी).. नवपदप्रकरण-श्रावकानन्दि टीका दशवैकालिकाटीका :वि.१०७3 जिनचन्द्रसूरि जीर्ण १२८-२ संपूर्ण ताडपत्र हरिभद्रसूरि .ग्र.७५५० दशवकालिकसूत्र-बहद्धत्ति सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि १२९ संपूर्ण ताडपत्र वि. १३३९ श्लोक २२३ श्लोक ९९ पद्य ३४/५२(५०........ । (जुनो नं. ३०). नत्वेच्छायोगतो योग २०४ ३४/५२(८०) (जुनो नं. १२१)केटलेक ठेकाणे पत्रो वळी गयां छे. जीर्ण छे. जयति विजितान्यतेजाःगद्य वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे. २३४ ३४/५२(११७) (जुनो नं. २९८)कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? (प.पृ.१-२२). (पे.पू. २२.३०) (प.पू..३०-३१. (पे.पृ. ३९-४७) अस्तीह भरतक्षेत्र (पे.पृ. 819-८४) पे.वि. : श्लोक-४४५. [कृ.वि. : अन्तवाक्य-गतवति विततायुःकर्मणि शांतर्मतःकरमशरणवैरिध्वंसनादात्तकीर्ति...] ... ..........(पे.पू.८४-९३). पद्य (4.9) सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा (ये.२) सम्यक्त्वविषये यन्त्रप्रकरणकथा (ये.३) जीवदयाविषये दामन्तककथा (पे.४) सत्यव्रतविषये ऋषिदत्ताकथा (ये.५) ऋषिदत्ताकथा अलिकविषये . श्लोक १०४ श्लोक ९९. पद्य श्लोक ४५१ (पे.६) परद्रव्यापरहारविषये नागदत्ताकथा .. .........श्लोक १२० 110 Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीমাগী परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार श्लोक २१ पद्य श्लोक ७८ (पे.७) ब्रह्मचर्यविषये गजसुकुमारकथा .... (पे.८) परिग्रहप्रमाणविषये चारूदत्तकथा ... (पे.१) रात्रिभोजनविषये वसुमित्र कथा. (पे.१०) दानविषये कृतपुण्यकथा (पे.99) शीलविषये नर्मदासुन्दरीकथा .... (पे.१२) शीलविषये विलासवतीकथा (पे.१३) शीलविषये सीताचरित्र महाकाव्य ४ "P:"P"FEEP श्लोक ७९. श्लोक १४५ श्लोक ३२०५ श्लोक ५५२ (प.पृ. ९३-९५) (पे.पृ. ९५-१०२).. (पे.पू. १०२-१०९) कृ.वि. : विविधछन्दोबद्ध (पे.पृ. १०९-१२१) (प.पू. १२१-१३७) (पे...१३॥५-१७९.. (प.पू. १८०-२२५) : अध्याय ४का. सर्ग ५५५ : श्लोक ५१ श्लोक६८ (पे.१४) तपोविषये दृढप्रहारीकथा (पे.१५) भावनाविषये ईलातीपुत्रकथा सङ्ग्रहणी आदि (पे.१) संग्रहणीरत्न संपूर्ण ताडपत्र ३४/५२(६२)...... (पे.पृ. २२१-२३०).... (पे.पृ. २३०-२३४). (जुनो नं. १४९)झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. (ये. पृ. १-२०) पे.वि. : गाथा-२७३./पत्र १-२मा चित्रो छे. सग्रहणीप्रकरण प्रा. गा.२७३ नमिउ अरहन्ताइ ठिडभव:पद्य श्रीचन्द्रसूरि मलधारि (पे.२) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जिनभद्रगणि गा.८६ नमिउण सजल जलहर :पद्य क्षमाश्रमण (ये.पृ. २०-२८) पे.वि. : गाथा-990. कृ.वि.. गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (पे..१.२८:३2.प.वि. : गाथा-३१: (पे.३) लघुसंग्रहणी. जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी हरिभद्रसूरि प्रा. गा.३१ ग्रं. वन्दिवि जिणं सवनु ԿԿՕ (पे.४) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ गा. ५८ (पे.५) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गर्षि प्रा गा. १६७ नमिऊण जिणवरिन्दे :पद्य (पे.प्र.३०-३३) पे.वि.: गाथा-५४. कृ.वि.: गाथा ५४ थी ५८ मळे छे] ववगयकम्मकलकं वीरं (पे.पू. ३३-४४) पे.वि. : गाथा-१६८./पत्र ४० थी ४४ सुधी टुकडा थयेला छे. [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छ नमिऊण तित्थनाहं जाण: पद्य (पे.पृ. ४४-४१) पे.वि. : गाथा-६४. [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.]. .............. भुवणपईवं वीरं नमिऊण पद्य............. ...४९-१२)............... (पे.६) गौतमपृच्छा प्रकरण प्रा. गा.५३ (पे.७) जीवविचारप्रकरण शान्तिर Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीकर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) जिनवल्लभ :प्रा. गा. १०४ देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (पे.८) पिण्डविशुद्धिप्रकरण (प.९) अजितशान्ति सह टिप्पण नन्देिषेण :गा.४० अजियं जियसबभर्यपद्य गद्य अपभ्र गा.८ अजितशान्तिस्तोत्र अजितशान्तिस्तोत्र-टिप्पण ण (पे.१०) लघुअजितशान्तिस्तव वीरगणि (पे.११) मिथ्यात्वपरिहारकुलक....... सिद्धिसेनसूरि . (पे.१२० सम्यक्त्वकुलक (ये.१३) सम्यक्त्वविषये उपदेश गाथा गमअवयारि सोहम्मसुर पद्य नमिऊण महावीरं मिच्छ पद्य (पे.पू. ५२-६१) मे.वि. : गाथा-१०४. [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे. पृ.६१-६५) पे.वि. : गाथा-४३, गायकवाड केटलॉगमां गाथा-४० लखेल छे. कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. भाषा? (पे.पृ. ६५-६६)............ (प.पृ.६६-६८ (पे.पृ.६८:582.पे.वि..: गाथा-१६: (पे.पृ.६९-७१) मे.वि. : पूर्ण. गाथा-१ नथी. झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. (पे.पृ. ७१-७२) (जुनो नं. १७०).. (पे..पू. १-५०)..वि.: श्लोक-४६० :गा.३० गा 910 चउसद्दहण तिलिड़गं गा.२६ (पे.१४) नवतत्त्वविचार संपर्ण गा. १६ जीवाजीवापन्नम्पावासपद्य .ताडपत्र..........वि. १३३०..... १९८ .३४/५२८०..... योगशास्त्र चार प्रकाश आदि (4.9) योगशास्त्र.४ प्रकाश योगशास्त्र (ये.२) प्रव्रज्याविधानकुलक अध्याय १२प्रका गा.३० नमो दुर्वाररागादिवर, संसारविसमसायरभवजल पद्य पडि (पे.पृ. ५१-५३) पे.वि. : गाथा-२७. [कृ.वि. : गाथा-२४थी ३५ सुधी मळे छे.] (पे.पृ.५३-५६) मे.वि. : गाथा-२१.. (पे.पृ. ५६-६९) पे.वि. : गाथा-८४. गा.२१ (ये.३) नवतत्त्वप्रकरण (पे.४) चैत्यवन्दन प्रत्याख्यान श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.५) सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे.प्र.६९-११९) पे.वि.: गाथा-३७५.कृ.वि.: गाथा ३६६ थी ५२७ सुधी मळे छे.] (पे.पृ. ११९-१२३) पे.वि. : गाथा-२७. (पे.६) चतुःशरणप्रकीर्णक गा. २७ पद्य चउसरणगमण दुक्कडगरहा वीरं नमेउण तिलोयभाणु पद्य (पे.७) आद्धदिनकृत्य :गा.३४० (पे.पृ. १२३-१६०) [कृ.वि. : गाथा-३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामां मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य?] (पे.पृ. १६०-१७४) पे.वि. : गाथा-११४. (पे.८) जीवदयाप्रकरण :गा. ११६ संसयतिमिरपयङ्गं भविय पद्य 112 Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रा. गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण: पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पे.९) गौतमपृच्छा प्रकरण (पे.पू. १७४-१८०) कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे. (पे.पृ. १८०-१८९) (पे.१०) मणसंवरणकुलक गा.७६ हियय तुमे एस ओ पद्य भव (4.99) आराधना नैषध महाकाव्य सर्ग १ थी ९ सुधी आदि प्रा..मारुगूर्जर संपूर्ण गा.७६ ताडपत्र (प.पू. १८९-१९८) (जुनो नं.२८८)प्रथमनां अने अंतनां पत्रो फाटेलां १३१-१ श्रेष्ठ १८५ ३४/५२(६२) रर्ष कवि सं प्रिया दियालदाध्य (प.पू..१.१५). (ये.पू. १-९०) पे.वि. : २२ मो सर्ग अपूर्ण छे. प्रिया हियालडध्य १७१ ३४/५२(६०) जुनो नं. ४२) हर्ष कवि सं जीर्ण संपूर्ण हेमचन्द्रसूरिसं प्रतिपूर्ण ... (पे.१) नैषधचरितमहाकाव्य (पे.२) नैषधचरितमहाकाव्य योगशास्त्र प्रथमप्रकाशविवरण स्वोपज्ञ योगशास्त्र-स्वोपज्ञ वृत्ति प्रवचनसारोद्धारवृत्ति ६२ द्वार सुधी (भाग१/२) प्रवचनसारोद्धार-तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति ............. प्रणम्य सिद्धादभुत २३१ श्रेष्ट ताडपत्र ३४/५२(११८) (जुनो नं. २०७)सारी छे. . (१७४२) सिद्धसेनसरि सं. ग्रं.१८००० वि.१२४८ सन्नदैरपि यत्तमोमि गद्य उतराध्ययन सत्र श्रेष्ठ सपण पाटन नवा सूचीपत्रमा कर्ता सिद्धर्षि लख्या छे... :३४/५२(६४)........(जुनो नं. १०७)पे. १. अंतनुं पत्र तुटेल छे. संयुक्त प+ग उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी प्रा. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य अध्याय ३६ ग्रं. २०२५ 933-२ लक्षणसमुच्चय श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र :३४/५२(५४) २४४-११४(१ थी ११४)-१३० लक्षणसमच्चय शिल्पशास्त्र विरोचन ... ताडपत्र मनःस्थिरीकरणप्रकरण आदि (पे.१) मनःस्थिरीकरण प्रकरण श्रेष्ठ महेन्द्रसिंहसूरि संपूर्ण..... :प्रा. वि.१०४ .....१९४ नमिऊण वद्धमार्ण चलस्स ३४/५२(९५)..... :पद्य :(जुनो नं. २६६)१२मी विधिथी २७मी विधि सुधी छे। पत्र ३ जानो टुकडो त्रुटक छे. शिल्पनो ग्रंथ छे. शिवमंदिरादिनी विधि छे. (जुनो नं. १). (पे.पृ. १-१६) पे.वि. : कर्तानाम महेन्द्रसिंहसुरि आपेल छे. (पे.पृ.१-१७८) पे.वि. : सारी. पत्र ७९{ नथी. गा. १६७ महेन्द्रसिंहसूरि सं. गं.२३०० प्रणिपत्य जिनं वीरं (पे.२) मनःस्थिरीप्रकरणवृत्ति मनःस्थिरीकरण प्रकरण-वृत्ति । उपदेशमाला आदि (पे.१) उपदेशमाला श्रेष्ठ संपूर्ण धर्मदास गणिप्रा . गा. ५०४ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (जुनो नं. २२० (पे.पू. १-६७) पे.वि. : गाथा-५४१. कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (पे.पृ. ६८-९३) मे.वि. : गाथा-२३२. [कृ.वि... (पे.२) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसूरि प्रा. गा.२१४ वन्दामि सबन्नुजिणि पद्य 113 Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष माषा परिमाण रचना वर्ष डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार आदिवाक्य गाथा २१२थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.] (प.पृ.१-८). (पे.पृ.८-१२) [कृ.वि.: परिमाण आर्या रूपे आप्यु पद्य (प.३) ऋषिमण्डलस्तव (पे.४) आत्मानुशासन धर्मघोषसूरि पाश्वेनाग (दिगम्बर) गा.१६२ श्लोक ७७ भत्तिभरनमिरसुरवर... सकलत्रिभुवनतिलकं :वि. १०४२ पद्य १३५-१ आचाराङगसूत्र आदि. (पे.१) आचारागसूत्र (ये.२) आचाराङ्गसूत्र-नियुक्ति संपूर्ण प्रा. सुधर्मास्वामी भद्रबाहुस्वामी ताडपत्र ग्रं.२६४४ गा.३६५ ग्रं. ४७० ताडपत्र १६३. .............. सुयं मे आउसं तेणं वन्दित्तु सब्वसिद्धे ३४/५३५८३)...... संयुक्त प+ग पद्य (जुनो नं. १६८)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (पे.पू. १-१२७) पे.वि. : सारी (पे.पृ. १-३६) पे.वि. : गाथा-२७३./सारी. १३५-२: स्त्रीनिर्वाण आदि श्रेष्ठ संपूर्ण ३४/५३(५४) (जुनो नं.३) १५९-१०(१ थी १०)=१४९ प्रणिपत्य मुक्ति (पे.१) स्त्रीनिर्वाण श्लोक ४५ : पद्य शाकटायन भदन्तपाद (प.पृ. ११-१३) (ये.२) केवलीभुक्ति शाकटायन सं. श्लोक ३३ पद्य (पे.पृ. १३-१५) भदन्तपाद : मुनिचन्द्रसरि :.श्लाक ५१ शुद्धध्यानलवित्रेण पद्य श्रीमत्परमगम्भीर चन्द्रप्रभ (पे.३) मोक्षोपदेशपञ्चाशिका (पे.४) प्रमाणसङ्ग्रह (पे.५ईश्वरकर्तृत्वप्रकरण (पे.६) ब्राह्मणज्ञातिनिराकरण (प.) बोटिकप्रतिषेध (ये.८सर्वज्ञव्यवस्था प्रकरण, (पे.२) क्षणिकवादनिरास प्रकरण (ये.१०) गणकारिका सह(सं.)रत्नटीका (पे.पृ. १५-१८). (पे.पू. ६०-९२ (पे.पृ.९३-९८).. (प.पू. ९८-१०४) (पे.पृ. १०४-१०८). (पे.पृ.१०८-१२१2. (प.पृ. १२२-१२७) (पे. पृ. १२८-१५५. हरिभद्रसूरि गणकारिका :भासर्वज्ञ गणकारिका-रत्नटीका (पे.११) यमप्रकरण गा.२१ (पे.पृ. १५५-१५६) विशुद्धमुनि षड़गोचर-शिष्य (2.१२) बकुलिशप्रार्थना (पे.१३) कारणपदार्थ श्लोक १३ श्लोक ३६.... (पे.पू. १५७-१५७) (प.पू..१५.१५९... 114 Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीমাগী। परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कृति प्रकार पद्य (प.१४) पुराणोक्तस्कन्दनामानि १३६-१: परिशिष्ट पर्व परिशिष्टपर्व गा.७ : ताडपत्र (पे.पृ. १५९) (जुनो नं. २६४(१)). संपूर्ण सं. १६२ ३४/५३(८५)... हेमचन्द्रसुरि श्रीमते वीरनाथाय सर्ग १३ श्लोक ३५०० १३६-२ संपूर्ण .... ताडपत्र...........वि. १२९१... १०५ ३४/५३(३०)....... सिद्धसेनदिवाकरचरित्र आदि (पे.१) सिद्धसेनदिवाकरचरित्र (पे.२) पादलिप्ताचार्यकथा सिरिसिद्धसेण पालित्त मा (जुनो नं. ३१७१-४..... (पे.पृ. 9-99) मे.वि. : पत्र ४-५-१० नथी. (पे.पृ. ११-४३) पे.वि. : पत्र १२-१३-१५-१६-३५३९-४० नथी.३७ पत्रनो एक टुकडो नथी. अस्थि इह भरहवासे (१.३८ मल्लवादी कथा (पे.४) बप्पभट्टीकथा गा.६८५ १३७-१ कथारत्नसागर-सचित्र संपूर्ण ताडपत्र वि. १३३९ ३५/५३(६०) (पे.प्र.४९-१०५) पे.वि.: पत्र ५१-७-७६-७७-७८१०४ नथी. (जुनो नं. १५)प्रथमना १० पत्रो तूटेलां छे. १६३मां पत्रमा श्री पार्श्वनाथ प्रभुनी अने १६४मां पत्रा श्रोताओनी मूर्ति चितरेली छे. लेखन स्थल : श्रीपत्तन. विशिष्ट रचना प्रशस्ति./तरंग-१५. अध्याय १५ प्रतिपण :३५/५३(५४) २०१-१(9)=२०० .. प्रणम्य परमात्मानं (जुनो नं. २७) १3८-१ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र १९८ ३५/५३(७६)... (जुनो नं. २७३). (पे. पृ. १-१९३). कथारत्नसागर नरचन्द्रसूरि मलधारी सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय श्रेष्ठ सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति हेमचन्द्रसूरि... अष्टकप्रकरण सटीक आदि (पे.१) अष्टक सटीका अष्टकप्रकरण ......... हरिभद्रसूरि अष्टकप्रकरण-टीका जिनेश्वरसूरि (पे.२) ब्रह्मा लूनशिरा इति वृत्तद्वयव्याख्या चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि. (पे.१) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो यशोदेवसूरि चैत्यवन्दनासूत्र-चूर्णी (पे.२) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो वन्दनकसूत्र-यशोदेवसूरि का.२५६ :गद्य गद्य ब्रह्मालूनशिरा इत्ये ताडपत्र........वि. १४१४. १७८ ग्रं.८४० । वि. ११७४ इच्छामि पडिक्कमिउं :कर्ता? (पे.पू. १९३-१९८).. ३५/५३(५२).......जुनो नं. १२७)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.... गद्य (ये.पृ. १-१७८) ग्रं. ७०७ गद्य (पे.पृ.?) चूर्णी सुयसागरपारगए अणुओगधर 115 Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) यशोदेवसूरि प्रा. गा. ३२९ ग्रं. तवझाणानलनिघड्ढ़ गद्य कर्ता प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पृ.) कति प्रकार (पे.३) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो प्रत्याख्यानसूत्र-चूर्णि ऋषभचरित्र ४०० १३९-१ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र २२५ : ग्रं.११००० वि.११६० नमह जगाइजिणिन्दं आदिनाथचरित्र गाथाबद्ध पञ्चावसरमय प्रशमरति वर्द्धमानसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण ३५/५३(१०६) (जुनो नं. २८५)केवलज्ञान पछीनुं वृतांत छे. २२५मो टुकडो छे. प्रत सारी. पद्य ३५/५३(१७)..... । (जुनो नं. १३२९३............... पद्य ३५/५३(२००)......(जुनो नं. ३१०). (१४.५४२)... ताडपत्र प्रशमरतिप्रकरण उमास्वाति वि. ११८५ नाभेयाद्याः सिद्धा श्रेष्ठ श्लोक ३१४ ताडपत्र संपूर्ण पद्य चन्द्रषि महत्तर मलयगिरिसूरि गद्य पञ्चसङ्ग्रह सूत्र, वृत्ति (4.9) पञ्चसङ्ग्रह (पे.२) पञ्चसड़ग्रह-टीका सिद्धहेमशब्दानुशासन वृत्ति-बीजा अध्यायना प्रथमपाद सुधी सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति उपदेशमाला आदि ग्रं.४६३१ ताडपत्र (पे.पृ. १-३५०) (जुनो नं. १६४) १४१-१ श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण १४४ ३५/५३(५८) हेमचन्द्रसरि.. प्रणम्य परमात्मानं गद्य ग्रं.३३०० ताडपत्र १४१-२ श्रेष्ठ संपूर्ण १५९ ३५/५३(८२) (2.9) उपदेशमाला धर्मदास गणि गा.५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे (ये.२) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) मूलशुद्धिप्रकरण जयसिंहसूरि प्रद्युम्नसूरि :गा.१०३ गा.२१४ भयवं दसन्नभद्दो वन्दामि सव्वन्नुजिणि (जुनो नं.५६)प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे../दशवीशी भावना- गाथा-२०५: (पे.पृ. १-४१) पे.वि. : गाथा-५४३. कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (प.पृ.४१-४९) पं.वि. : गाथा-१००. (पे.पृ. ४८-६५) [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.. (पे.पृ.६५-८३.पे.वि... गाथा-२०५. (प.पृ.८३-९३) पद्य (पे.४) दशवीशी भावना. (पे.५) जीवदयाप्रकरण गा.२०८. :गा. ११६ पद्य संसयतिमिरपयङ्गं भविय चवण विमाणा नयरी जणया (पे.६) एकविंशतिस्थानप्रकरण सिद्धसेनसूरि गा.६६ पद्य (पे.पृ. ९४-900) सालण अपभ्र :गा.३८ जिण चउवीस नमेविण पद्य वन्दित्तु सव्वसिद्धे गा.५० (पे.19) चच्चरिउ (पे.८) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.९) चतुर्विशतिजिनकल्याणकानि (ये.१०) वइरसामिचरिउ 1(पे.पृ. १००-१०३) (प.पू. १०३-११02.. (प.पू. १-९).... (प.पृ.९-३०)........ अपक्ष गा.१3 वरदत्त :अपभ्र. :गा. ९९ ग्रं. अह जण! निसुणेज्जहो: पद्य 116 Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार 300 अपर्स गा.४७ (4.99) महावीरस्वामीपारगुं (पे.१२) ऋषभजिनस्तुति-सिद्धस्वरूपगर्मित। (पे.१३) नवकारकुलक अपभ्रं. प्रा. (पे.पू. ३०-३५). (ये...३५:३५. (पे.पृ. ३७-३९) :गा.२० अपर्थ. गा.३० गा.२२ कन्नु घरविण एक्कमण :पद्य पणमवि परमेसरु रिसह पद्य........ घणघायकम्ममुक्का पद्य अरहन पणमेवि पाय परमेसराण पद्य जत्थ पुरे जिणभवणं निसुणह लोयवावलाहकपद्य पूरवि दसरथु जाणियएपद्य १६९ ३५/५३(८६) प्रा. अपर्य गा.२६ (प.पृ. ३९-४२). (प.पू. ४२-४४ (प.पृ.४४-४७) (प.पू. ४७-४९). :(जुनो नं. १६७)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. 1अपभ्र. गा.२० प्रतिपूर्ण ताडपत्र (4.१४) नमस्कारफल कुलक (पे.१५) श्रावकविधिप्रकरण (पे.१६) ऋषभजिनस्तुति (पे.१७) सीतासत त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र पञ्चम पर्व (श्री शान्तिनाथ चरित्र) आदि (पे.) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य (पे.२) योगशास्त्र १२ मो प्रकाश योगशास्त्र व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य आदि हेमचन्द्रसूरि......सं.. सर्ग प.पू..१-१४६८.कृ.वि.:पर्व-१०). (पे. पृ. १-२३) पे.वि. : पत्र २३नो एक टुकडो छे.. नमो दुर्वाररागादिवैर। हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ अध्याय १२प्रका ताडपत्र १४२-२ संपूर्ण २०३ ३५/५३(६५) (जुनों नं. १२६)आ ग्रंथमा जुदे जुदे ठेकाणे २३ पानां खूटे छे. (पे.पू. १-७६) पे.वि. : ग्रन्थान-९५०. हेमचन्द्रसूरि श्लोक ९५० पध सं. गद्य (प.पू. १-१२७) नरचन्द्रसूरि मलधारी (पे.१) सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन-व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य (पे.२) सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण प्राकृतप्रबोधवृत्ति १४३-१ श्राद्धप्रतिक्रमणवृत्ति आवकप्रतिक्रमणसूत्र-वृत्ति १४३-२ धातुपारायण स्वोपज्ञ विवरण प्रथमखण्ड श्रेष्ट संपर्ण । वि. १२९९ ग्रं.१९५०वि . १२२२ ३५/५३(७५) : १५४ श्रीवर्धमानमानम्य सं. श्रीचन्द्रसरि श्रेष्ठ (जुनो नं. ८)............... विशिष्ट रचना प्रशस्ति...... (जुनो नं. ७२)पत्र १५७ थी १७९ सुधी एक बाजुनी कोरो खरी गई छे. माटे अंकोमा फरक छे. संपूर्ण १७९ ३५/५३(६८) धातपारायण । हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि सं घातुपारायण-स्वोपज्ञ विवरण न्यायकन्दली तथा पदार्थधर्मसङ्ग्रह (न्यायकन्दली सूत्र श्रेष्ठ संपर्ण । वि. १२४२ २०० ३५/५३(११६) (जुनो नं. २२३) 117 Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीकर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) श्रीधर भट्ट सं. ग्रं.३७१६ शक. ९१३ अनादिनिधनं देवं जगतगद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (पे.पृ. १-१५५) ये.वि. : ग्रन्थान ६००० (2.9) वैशेषिकदर्शन-पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की न्यायकन्दलीटीका (ये.२) वैशेषिकदर्शन-पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका १४४-२: योगशास्त्र प्रथमप्रकाशविवरण प्रशस्तपादाचार्य श्लोक ७७७ प्रणम्य हेतुमीश्वरं पद्य (पे.पृ. १५६-२००) श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण :ताडपत्र : वि.१२५५ १२८ ३५/५३(८८) (जुनो नं.२२४)ग्रन्थान-१८००. लेखन स्थल : पत्तन योगशास्त्र-स्वोपज्ञ वृत्ति हेमचन्द्रसरि ग्रं. १२००० ayu- १ चउसरण आदि श्रेष्ठ संपूर्ण (2.9) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र :गा.६३ प्रणम्य सिद्धादभुत.........गय. २२९ ६.३५/५३(९४)...... सावज्जजोगविरई पद्य उक्कित देसिक्कदेसविरओ सम्मपद्य (पे.२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् वीरभद्र गा.७१ (जुनो नं. ९५(१०-३४)).. (पे.पू. ७३-७६) पे.वि. : पत्र १ उपर टिप्पण पण छे. कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे]. (पे.पृ. ७६-८०) पे.वि. : गाथा-६०. [कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे] (पे.पृ.८०-९२) पे.वि. : गाथा-१७१. [कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे] (पे....९२-९१).पे.वि. : गाथा-१२१. (ये.३) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र गा. १७२ ग्रं. पद्य नमिऊण महाइसयं महाणु (पे.४) सन्थारओ. संस्तारकप्रकीर्णक गा. १२४ काऊण नमोक्कार जिणवर पडिवज्जसु निस्सेसं (प.पृ. ९९-१००). (पे..पू. १००:१०३०.. प्रथमं गुरोद्वादशाव (पे.५) सागारप्रत्याख्यान विधि (पे.६) आराधनापताका प्रत्याख्यानसूत्र (पे.७) १६ व्रतोच्चारद्वार, २५ कायोत्सर्गद्वार, २८ अनशनद्वार व ३२आराधनाफलद्वार षोडशव्रतोच्चारादि ४ द्वार (पे. पृ. १०४-१०८) सिद्धसेनसरि गा.११२ (प.८) आराधनाकलक ------ ----- (प.९) आराहणपगरण आराधनाप्रकरण (पे.१०) आराधनाकुलक भयवं भवजलहीए पद्य दहजलयर सिद्धिपत्ते नमिय (पे.पू. १०८-११७) पे.वि.: गाथा-६१. (पे..पृ. ११५-१२४............ मयणग्गि समणमेहं पास । पद्य ...........नमिऊण भणइ एवं ...... पद्य . ..........(पे.पू. १२४-१२८) पे.वि. : गाथा-६१.. :गा.१०० यशोघोषसरि सोमसूरि प्रा .......... गा. ६९.. 118 Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- মাগী। परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार भयव! जिणे सिद्धे नमंसित्त (पे.११) चतुःशरण प्रकीर्णक-वृद्ध देवेन्द्रसूरि प्रा. गा.९० पद्य (पे.पू. १२८-१३३) पे.वि. : गाथा-९१. नवा सूचीपत्रमा गा.९१ छे अने गा.के. मां १९ आपेल छ ज्यारे पत्र संख्या जोतां गाथा ७० नी आसपास होवी जोईए.. (पे.पृ. १३३-१३४). (ये. प्र. १३४-१३७) पे.वि. : गाथा-४६. प्रा............गा. १६ .. पडिवज्जसु सम्वन्नु० पद्य (पे.१२) परित्यागकुलक (पे.१३) खामणाकुल क्षामणककुलक गा.४० :पद्य प्रा........ गा.५ पद्य (पे.१४) भावनाकुलक (पे.१५) आराधनाकुलक (प.पू. १३७-१३८). (पे.पृ. १३८-१३९) गा.१६ पद्य जो कोइ मए जीवो चउगड रे जीव पावकम्मयह नमिऊण महावीरें लोयालो जइवि गुणसालिणो हियय तित्थयरे भगवन्ते (पे.१६) शोकपरिहारकुलक :गा.२४ : पद्य (पे.पृ. १३९-१४१) (पे.१७) द्वादशभावना गा. १३२ ग्रं. पद्य (पे.पृ. १४१-१५०) (पे. पृ.१५१-१६१).. : गा.१६२ भत्तिभरनमिरसरवर... (प. पू. १६१-१६३) पे.वि. : गाथा-२९. गा.३० संसारम्मि असारे (पे. पृ. १६३-१६५) पे.वि. : गाथा-२६. (पे.१८) महरिसिस्तवन ऋषिमण्डलस्तव (पे.१९) आत्मसम्बोधनकुलक एगुणतीसी भावना (पे.२०) भाववर्धनकुलक भवभावनाकलक (पे.२९) आत्मसम्बोधकुलक धर्मोपदेशकुलक. (पे.२२) आत्मसम्बोधकुलक (पे.२३) आवकधर्मकुलक (पे.२४) योगशास्त्र से४ प्रकाश सोमदेव गा. २४. नमिऊण नरिन्दसुरिन्द (ये. पृ. १६५-१६७) पे.वि. : श्लोक-३५. देवेन्द्रसरि गा.२२ गा.२१ जम्मजरामरणजले नाणा: पद्य तेलोक्के कलमल्लस्स पद्य निसाविरामे परिभावयामपद्य गा.२१ (प.पू. १६७-१६८2. (पे.पू. १६८-१७०) (पे. पृ. 90०-२००) पे.वि. : प्रति अपूर्ण. पत्रांक १८४ नहीं है, योगशास्त्र हेमचन्द्रसरिस. अध्याय १२प्रका नमो दुर्वाररागादिवैर 119 Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीकर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) पार्श्वनाग श्लोक ७७ वि. १०४२ सकलत्रिभुवनतिलक पद्य (दिगम्बर).. प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (ये.२५) आत्मानुशासन (पे.पृ. २००-२०६) [कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे] (पे. पृ. २०६-२०९) ये.वि. : श्लोक-३५.. देवसूरि गा.३६ ग्रं.३९. धरणोरगेन्द्रसुरपति पद्य मानतुड़गसूरि :का.४४ पद्य भक्तामरप्रणतमीलिमणि अथ गम्भीरनिर्घोषः श्लोक ४० पद्य (पे.२६) धरणोरगेन्द्रसमा धरणोरगेन्द्रस्तव (पे.२७) भक्तामरस्तव भक्तामरस्तोत्र (पे.२८) गम्भीर स्तव (पे.२९) सिन्दूरप्रकर 1(पे.३०) सर्वज्ञोक्तविध धर्मलक्षण धमेलक्षणप्रकरण (पे.३१) प्रश्नोत्तररत्नमालिका पञ्चाशकसूत्र आदि (2.9) पञ्चाशकप्रकरण (पे..पृ. २०९:२१३/.. कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. (पे.पू. २१३-२१६८. (पे.पू. २१५-२२५.. (पे. पृ. २२८-२२९) .. सोमप्रभसरि सिन्दरप्रकरस्तपः.... पद्य विमलसरि श्लोक२२ पद्य विमलसरि का.२८ धर्मार्थ क्लिश्यते का खलु नालडिक्रयते । पद्य ३५/५३(५३).... नमिऊण बद्धमाणं सावग: पद्य 1१४५-२ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र १२९ (प.पू. २२९-22 मे.वि.: अपूर्ण. (जुनो नं. २६८) (पे.पू. १-८३) [कृ.वि.: पञ्चाशक-१-१९] हरिभद्रसूरि : अध्याय १९ गा. : १००० ग्रं. :११८२ गा. ५८ (पे.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.पृ.८४-९१) [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे (ये.३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गर्गर्षि :गा.१६७ ववगयकम्मकलङ्क वीरं पद्य (पे.४) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ : शिवशर्मसुरि :गा.१११ अरहन्ते भगवन्ते अणु पद्य (पे.५) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रषि महत्तर :प्रा. :गा.९१ सिद्धपएहि महत्थं पद्य (पे.पृ.९१-१०७) पे.वि. : गाथा-१६८. [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८.सुधी मळे छे]. (पे.पृ. १०७-११९) पे.वि. : गाथा-११०. [कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे.).. (पे.पृ. ११९-१३९) पे.वि. : गाथा-९१. [कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार| गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे]... (जुनो नं. ७०(१-७)). ।(प.पृ.4-4६).पे.वि.: बौद्ध... प.पू. १५-422 (प.पू.८८-१०१) (प.पू. १०१-११४) पे.वि. : कर्ता तरीके :श्रेष्ठ ताडपत्र | १४८-४(१ थी ४)=१४४ : ३५/५३(६६)... मोक्षाकर गप्त श्लोक८७० १४६-१ तर्कभाषा आदि (पे.) तकभाषा (ये.२) न्यायकलिका (ये.३) योगसङ्ग्रहसार (ये.४) नवतत्त्व सह (प्रा.)भाष्य :नमः स्वमायामाहात्म्य श्रीनन्दिनं गुरूं नान्दवच्छ 120 Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- মাগী परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार जिनचन्द्रगणि आपेल छे. नवतत्त्वप्रकरण पद्य गा.१३९ गा. १५२ इय पुबसूरिविरझ्य. नवतत्त्वप्रकरण-भाष्य (पे.५) प्रमाणनयतत्त्वालोकालड़कार (पे.६) न्यायावतारसूत्र प्रा...... प्रा. (प.पृ. ११५-१३३) (पे.पू. १३३-१३४) स. श्लोक ३२ प्रमाणं स्वपराभासि पद्य देवगुप्तसूरि अभयदेवसरि..... वादिदेवसूरि सिद्धसेन दिवाकर सूरि शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर) श्रेष्ठ देववाचक (पे.) ज्ञानार्णव (पे.पृ. १३-१४८) संपूर्ण ताडपत्र १४६:२. नन्दीसूत्र आदि (पे.१) नन्दीसूत्र ग्रं.७०० पद्य मा. (पे.२) आचार्यप्रतिष्ठा विधि (पे.३) पञ्चाशकप्रकरण हरिभद्रसूरि प्रा. गा.२३ अध्याय १९ गा. १००० ग्रं. ११८२ १४७-१ प्रवचनसारोद्धार अपण ताडपत्र .३५/५३(७२).........(जुनो नं. ४(१.२.४)). जयड संयुक्त प+ग (पे.पृ. १-८२) पे.वि. : गाथा-७०. [कृ.वि. : आनुं जगजीवजोणीवियाणओ अने आवश्यकनियुक्तिनुं आदिवाक्य समान छे]. सिहिजोगम्मि पसत्थे (प.पृ. ८२८९). नमिऊण वद्धमाणं सावग: पद्य (ये.प्र. १-५९) ये.वि. : ग्रन्थान-११८४, गायकवाड केटलॉगमा पत्र १-११७ आष्या छे. कृ.वि. : पञ्चाशक-१-१९] ३५/५३(७८) (जुनो नं. १८९)अपूर्ण पत्र ४-२१-२२-२४-११५ १४०-१७०-१८८ नथी. १७मां पानानो टुकडो नथी. ELL... नमिऊण जुगाइजिणं :पद्य वोच ८४ ३५/५३(४१).........(जुनो नं. ३१७/५/2... अस्थि कलाविकुलदं .. २८२ ३५/५३(१४०) (जुनो नं. ५)गायकवाड केटलॉगमा प्रतिलेखन संवत १२२४ छे. /सारी..(२९.५४१.७) नत्वा श्रीवर्द्धमाना विमलगणिकृत टीकाना आधारे. ३५/५३(१२०) (जुनो नं. २०८)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., नेमिचन्द्रसूरि गा. १५९९ ग्रं. २००० १४७-२. कलावती कथा श्रेष्ठ ताडपत्र १४८ दर्शनशुद्धिप्रकरणविवरणोद्धृति श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि.१२४४ .. दर्शनशुद्धिप्रकरण-टीका . सूक्तरत्नाकर देवभद्रसुरि श्रेष्ठ सं. संपूर्ण श्लोक ३८००... ताडपत्र वि. १३४७ २६८ सं. श्लोक ४३४० जीयाज्जगन्मङ्गलदीपक पद्य मन्मथ सिंहविद्यासिंहपुत्र 121 Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १५० १५१ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम वन्दारुवृत्ति (श्रावकानुष्ठानविधि) व प्रवचनाद्धार (पे. १) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह (सं.) वन्दारुवृत्ति श्रावकषडावश्यकसूत्र - वन्दारु वृत्ति (पे. २) प्रवचनसारोद्धार उपदेशमाला आदि (पे. १) उपदेशमाला (पे. २) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे. ३) पञ्चकल्याणक स्तुति (पे.४) मूलशुद्धिप्रकरण (पे. ५) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (पे.६) जीवदयाप्रकरण (पे. ७) नवपदप्रकरण (पे.८) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.९) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे. १०) योगशास्त्र ४ प्रकाश योगशास्त्र स्थिति कर्ता श्रेष्ठ देवेन्द्रसूरि नेमिचन्द्रसूरि श्रेष्ठ धर्मदास गणि जयसिंहसूरि प्रद्युम्नसूरि जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण जिनचन्द्रसूरि देवगुप्तसूरि आसड हेमचन्द्रसूरि (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा संपूर्ण सं. प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. परिमाण ताडपत्र ग्रं. २७७० गा. १५९९ ग्रं. २००० ताडपत्र गा. ५४४ गा. १०३ गा. २१४ गा. ८६ गा. ११६ गा. १३८ गा. ५० गा. १४४ अध्याय १२ प्रका वि. १२८८ 122 आदिवाक्य २६६ वृन्दारुवृन्दारक नमिऊण जुगाइजिणं बोच २१८ नमिऊण जिणवरिन्दे भयवं दसन्नभदो चवणं जम्मण निक्कमण वन्दामि सव्वन्नुजिणि नमिउण सजल जलहर संसयतिमिरपथग भविय नमिउण वद्धमाणं मिच्छ वन्दित्तु सव्वसिद्धे सिद्धिपुर सत्थवाहं नमो दुर्वाररागादिवैर क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार ३५/५३ (९४) गद्य पद्य ३५/५३ (९०) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (जुनो नं. २८३), (१४४२) (पे. पृ. १८४-२६६) पे.वि. ग्रन्थान- २७००, २७७०. सारी कृ. वि. मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर? (पे.पू. १८४-२६६) (जुनो नं. २८३) आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. (पे. पृ. १-४९) पे.वि.: गाथा - ५४२. [ कृ. वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे.पू. ४९-५५) पे.वि.: गाथा १००. (पे.पु. ५५-७०) (पे. पृ. ७०-८६) पे. वि. गाथा-२१२. [ कृ. वि. गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.], (पे. पृ. ८६-९६) (कृ.वि.: गाथा ८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.].. (पे. पृ. ९६ १०५) पे.वि. गायकवाड केटलॉगमां पत्र ९४ थी १०५ छे, (पे. पृ. १०५-११९) (कृ.वि. कर्त्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे.] (पे.पृ. ११९-१२४) (पे.पू. १२४-१३७) (पे. पु. १-३९) Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कृति प्रकार (पे.११) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि अध्याय २० ग्रं. यः परात्मा पर ज्योत पद्य (पे.पृ. ३९-५४) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] १८७ उमास्वाति वि. ११८५ पद्य (पे.१२) प्रशमरतिप्रकरण पञ्चाशकसूत्र तथा उपदेशपद श्लोक ३१४ ताडपत्र (पे.पृ. ५५-८१) पं.वि. : गाथा-३१४. (जुनो नं. ६२(२-३)) १५२-१ संपूर्ण नाभेयाद्याः सिद्धा १६४-२५(१ थी ३५/५३(६६) २५)-१३९. नमिऊण वद्धमाणं सावग: पद्य (पे.१) पञ्चाशकप्रकरण हरिभद्रसूरि प्रा. अध्याय १९ गा. १००० ग्रं. ११८२ (पे.पृ. २६-७९) पे.वि. : ६४ थी ६६ पत्र नथी. कृ.वि. : पञ्चाशक-१-१९] (पे.२) उपदेशपदप्रकरण हरिभद्रसूरि प्रा. गा.१०४० पद्य नमिऊण महाभार्ग तिलोय (पे.पृ. ७९-१६४) पे.वि.: पत्र १०८-१३३-१३४१४५-१४७ नथी. अंत पण नथी. (जुनो नं.८४) लेखन स्थल : भूगकच्छ श्रेष्ठ वि१२९/ ११४ :३५/५३(२८) हेमचन्द्रसूरि संपर्ण ताडपत्र वि.१२२१ १ ३५/५३(७२)..........(जनो नं. १४५)पत्र २.थी.९ नथी. अशेषकर्माशतमः समूह गद्य १५२-२:देशी नाममाला देशीनाममाला १५३-१: सप्ततिकाटीका सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-टीका पञ्चाशकसूत्र २०, उपधानपञ्चाशक पञ्चाशकप्रकरण-हिस्सो उपधानविधिपञ्चाशकप्रकरण-२० १५४-4 वार्तिकसूत्र/वृत्ति (पे.१) प्रमाणवार्तिकसूत्र मलयगिरिसूरिसं श्रेष्ठ हरिभद्रसूरि १२९ ३५/५३९६६)....(जुनो नं. १५६) :कर्ता? गा.५० नमिऊण वद्धमाणं तवो :पद्य श्रेष्ठ ३५/५३(७३)........। जुनो नं. ५३). (पे.पृ. १-६) नमो हितार्थसम्प्राप सिद्धसेन दिवाकर सूरि शान्तिसुरि (पे.२) प्रमाणवार्तिकसूत्र-वृत्ति नमः स्वतः प्रमाणाय गद्य (पे.पृ.७-१८४) पे.वि. : केटलांक पानानी कोरो खरी गई छे. तेमज पानाना टुकड़ा थई गया छे. (जुनो नं. ५४)कर्ता-विनयचन्द्र ?/एक तरफनी कोर खरी गई छे. एटले अस्त व्यस्त छे. १५४-२ कथानुकोष सटीक श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. ११६६ १९३ ३५/५३(८०) ग्रं. ५१४० वन्दित्तु भुवणनाहे. आसां व्याख्या वन्दि कथानक कोश कथानक कोश-टीका देशीनाममालावृत्ति देशीनाममाला देशीनाममाला-स्वोपज्ञ रत्नावली वृत्ति विनयचन्द्र प्रा. : विनयचन्द्र श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि प्रा. हेमचन्द्रसुरि.सं... संपूर्ण :गद्य कर्ता विनयचन्द्रजी? । ३५/५३(८५).....(जुनो नं. १९९(१))रत्नावली नामनी ताडपत्र Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १५५-२ १५६-१ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम तर्कभाषा उपदेशमाला आदि (पे. १) उपदेशमाला (पे. २) मूलशुद्धिप्रकरण (पे.३) द्वादशभावनाकुलक (पे.४) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (पे. ५) सुबाहुचरित्र (पे.६) शालिभद्रचरित्र (पे. ७) गीतमभाषित (पे.८) जीवदयाप्रकरण (पे. ९) श्रावकधर्मविधितन्त्रप्रकरण (पे. १०) वीरजिनविज्ञप्ति (पे. ११) पञ्चाशकप्रकरण (पे. १२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ भाष्य १५६-२ | सिद्धहेमलघुवृत्ति तद्धित ६-१ थी ७ मां ना ४ पाद सुधी स्थिति कर्ता श्रेष्ठ मोक्षाकर गुप्त श्रेष्ठ धर्मदास गणि प्रद्युम्नसूरि जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण हरिभद्रसूरि हरिभद्रसूरि (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष श्रेष्ठ भाषा संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. अपभ्रं. प्रा. प्रा. प्रतिपूर्ण परिमाण ताडपत्र श्लोक ८७० ताडपत्र गा. ५४४ गा. २१४ गा. २१० गा. ८६ गा. २१९ गा. १७५ गा. ४० ग्रं. ५५ गा. ११६ गा. १२० गा. १३ अध्याय १९ गा. १००० ग्रं. ११८२ गा. २५ ताडपत्र 124 आदिवाक्य ७५ १६३ नमिऊण जिणवरिन्दे वन्दामि सव्वनुजिि पढममणिच्चयमसरणय संसा नमिउण सजल जलहर नरिन्द देविन्दनमंसिय संसयतिमिरपथग क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार ३५/५३ (३२) पद्य ३६/५३(७६) अहिणवगहणं बन्धो उदओ १० पद्य पद्य पद्य नमिऊण जिणं वीरं ससुर सुरवरकयमाणं नट्ठनीसे पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य भविय नमिऊण वद्धमाणं सावग सिरिवीरजिणेसर तिजय पद्य नमिऊण वद्धमाणं सावग पद्य पद्य ३६/५३(५८) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( जुनो नं. ३१४ ) प्रथम पत्र ३ना टुकड़ा छे. (जुनो नं. १३३).. (पे. पृ. १-३९) पे.वि.: गाथा ५४२. [ कृ. वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.. (पे.पू. ३९-५५) पे.वि. गाथा-२१४. [कृ. वि. गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.]. (पे.पृ. ५५-७०) (पे. पृ. ७१-७७) पे.वि.: गाथा ८४. [ कृ. वि. गाथा - ८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (पे. पृ. ७७-९१) पे.वि.: गाथा २१८. [ कृ. वि. गाथा २१७ थी २२८ सुधी मळे छे.] (पे. पृ. ९१-१०४) (कृ.वि. गाथा १७५ थी १७९ सुधी मळे छे.] (पे.पू. १०४-१०९) (पे. पृ. १०९-११८) (पे.पू. ११८-१२८) (पे.पृ. १२८मुं). (पे. पृ. १-३१ ) [ कृ. वि. पञ्चाशक- १-१९] (पे. पृ. १-४) पे.वि. गाथा-२५. (जुनो नं. १७३) पत्रांक नथी. Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- মাগী परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) हेमचन्द्रसूरि ग्रं.३३०० प्रणम्य परमात्मानं श्रेष्ठ संपर्ण ताडपत्र १५४ ३६/५३(६६) गा.१४१ प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार गय १५७-१ (जुनो नं. ४८) (प...१-१३2. (प.पू. १४-२३). (प.पू. २३-४३). गा.८०. गा.८९ गा... गा.१२६ सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण (पे.१) थनदेवधनदत्तकथा दानविषये. (पे.२) धन श्रेष्ठिकथा सम्यक्त्वविषये (पे.३) चन्द्रगोपालकथानक दानविषये (पे.४) कृपणश्रेष्ठिकथा दानविषये (पे.५) जयलक्ष्मीदेवीकथा शीलविषये (पे.६) पुरन्दरीदेवीकथा शीलविषये (१.७) मृगाडकलेखाकथानक तपविषये (पे.८) अघटकथानक तपविषये (पे.९) धनदत्तकथानक भावनाप्रभावे (५.१०) बहुबुद्धिकथानक भावनाप्रभावे (पे.99) सौभाग्यसुन्दरीकथा नमस्कारप्रभावे (पे.१२) समुद्रदत्तकथा अनित्यताविषये (पे.१३) विभक्तिप्रकरण..... :प्रवचनसारोद्धारसूत्र PEEEEEEEEEEE: गा.१०२ गा. १३७ गा. १२२ गा.११२ गा.११८ पद्य (पे.पृ. ४३-१७) (प.पू. १७-६९). (प.पू..६१-४२.. (पे.पृ.८३-१६). (पे.पू. १६-१०६). (प.पू. १०६:११८2.. (प.पू. ११८-१३० (प.पृ. १३१-१४१). (पे.पू..१४१-१५४).. (जुनो नं.२९४)अंत नथी, १६३ पाना पछी एक बाजुनी कोर खरी गई छे. पद्य गा. १२० गा.११८ गा.१४१ निम्मलनाणपयासियवत्थ:पय अमरचन्द्रसूरि श्रेष्ठ प्रा. : अपूर्ण ताडपत्र १७२ ३६/५३(७०) प्रवचनसारोद्धार नेमिचन्द्रसूरि प्रा. पद्य गा. १५९९ ग्रं. नमिऊण जुगाइजिणं वोच ...... वि. १३९३.३००-१(१)-२९९ ........ १५८ प्रतिपूर्ण ३६/५३(११८) ....(जुनो नं. २८२), (१३.५४२.२)..... वराहमिहिरसंहिता- अध्याय ७४ सुधी वराहमिहिरसंहिता धातुपारायणवृत्ति वराहमिहिर : सं श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १३०७ २६३ ३६/५३(१०६) (जुनो नं. २५९)२६२ अने २६३ पत्रना टुकडा छे. विशलदेवना राज्यमा लखेलुं छे., (१३.७४२) धातुपारायण-स्वोपज्ञ विवरण सङ्ग्रहणी आदि हेमचन्द्रसूरिसं श्रेष्ठ संपूर्ण १६०-१ ३६/५३(५१) (जुनो नं. १८८)झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. (पे...१-३६) पे.वि. : गाथा-३५६. (पे.१) सङगहणी सड़ग्रहणीप्रकरण प्रा. जिनभद्र गाण क्षमाश्रमण Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्षा पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. १-४६) कति प्रकार (पे.२) सावयपण्णत्ती श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण (पे.३) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण प्रा. उमास्वाति जिनवल्लभ गा. ४०१ गा. १६४ अरहन्ते वन्दित्ता सयलन्तरायवीरं वन्दिय : पद्य पद्य प्रा. (पे.पृ. ४६-६४) पे.वि. : गाथा-१५५. [कृ.वि. : . गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे (पे.४) उपदेशसारप्रकरण देवभद्रसूरि प्रा. का. १०१ पद्य नमिऊण विजियदुज्जयमोह. कयवयकम्मयभावो सीलत्त (पे.पृ. ६४-७४) [कृ.वि. : अन्तिम गाथामां कर्तानाम सांकेतिक रीते.. (पे.पृ.७४-८५) पे.वि. : गाथा-१०१. [कृ.वि. : खरा कर्ता कोण?]. (पे.५) श्रावकवक्तव्यताप्रकरण अभयदेवसूरि गा. १०३ पद्य गद्य कयवयकम्मयभावा.... श्रावकवक्तव्यताप्रकरण-व्याख्या (पे.६) षड़िवध प्रवचनकौशल १६०-२. यतिप्रतिक्रमणवृत्ति आदि (पे.१) पगामसज्झाय-वृत्ति १४४ ३६/५३(४६) गद्य पावसायु शक.८२१ अथ प्रतिक्रमणमिति (पे.पृ.८५-८६)...... (जुनो नं. १८).. (पे.पृ. १-७७) [कृ.वि. : गांभूमां रची छे. जंबूश्श्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे]. (पे.पृ. ७८-१४४) [कृ.वि. : गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे] (जुनो नं. ५८(२))प्रथम अङधुं पत्र नथी. बीजाना बे टुकडा छे. (ये.२) आवकप्रतिक्रमणसूत्र-वृत्ति : पाश्वसाधु सं. श्लोक ५७७ वि. ९५५ देवेन्द्रवन्धचरणान पद्य १६१-१ १८ पापस्थान उपर कथाओ श्रेष्ठ अपूर्ण :ताडपत्र ३६/५३(२८) अढार पापस्थान उपर कथाओं १६१-२ प्रकरण सङ्ग्रह आदि (ये.१) उपदेशमाला श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र पाणिवहालियअदत्तगहण १५६ नमिऊण जिणवरिन्दे ३६/५३(७२) पद्य धर्मदास गणि प्रा. गा.५४४ (पे.२) धर्मोपदेशमालाप्रकरण.. (ये.३) मूलशुद्धिप्रकरण जयसिंहसूरि प्रद्युम्नसूरि गा.१०३ गा.२१४ भयवं दसन्नभद्दो... बन्दामि सव्वन्नुजिणि पद्य पद्य प्रा. (जुना नं.३८) (पे.पू. १-१६) पे.वि. : गाथा-५४४. कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (पे.पू.५६-६८) पे.वि.: गाथा-१०३. (पे.पू.६८-९०) पे.वि. : गाथा-१०३. कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.] (पे.पृ. ९१-९९) पे.वि. : गाथा-८४. गा. के. मां जम्बूद्वीपनकरण ग्रं. १८४ आपेल छे. कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. (पे.४) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण प्रा. :गा.८६ नमिउण सजल जलहर : पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण 126 Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झो.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार | ग्रं.३५० तित्थडकरे य तित्थे : संयक्त प+ग (पे.५) पाक्षिकसूत्र (पे.६) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.७) प्रव्रज्याविधानकुलक ...गा..५०.... गा.३० वन्दित्तु सवसिद्धे पद्य संसारविसमसायरभवजल: पद्य बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (पे.पृ. ९९-१०३). (.पू. १०३-१०१... (पे.पृ. १०९-१११) पे.वि. : गाथा-२५. कृ.वि. : गाथा- २४ थी ३५. सुधी मळे छे]. (पे.पृ. १११-११७) पे.वि. : गाथा-५३. [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.] (प.पू. ११७-११८) (पे. पृ. ११८-१५६............... (प.८) गौतमपृच्छा प्रकरण गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण पद्य प्रा........... गा.१० हेमचन्द्रसूरि अध्याय १२प्रका ताडपत्र ३६/५३(१०६). (जुनो नं. २७९)पत्र १५४ अने १७१मुं नथी. यशोदेवसूरि.. ग्र. २८०० (पे.९) शीलरक्षाकुलक (पे.१०) योगशास्त्र-४ प्रकाश योगशास्त्र पिण्डविशुद्धिवृत्ति ... पिण्डविशुद्धिप्रकरण-सुबोधा टीका... ललितविस्तरापज्जिका आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र की ललितविस्तराटीका-पञ्जिका टीका उपदेशमाला आदि (पे.१) उपदेशमाला .....११७६ नमो दुर्वाररागादिवैर २७३ यदुदितलवयोगादेहिनः २७१ नत्वानुयोगवृद्धेभ्य श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १२८९ (जुनो नं. १७१), (१४४१.७) ३६/५३(९४) ..... गद्य मुनिचन्द्रसूरि ग्रं.२०५० ताडपत्र संपूर्ण प्रा. धर्मदास गणि गा.५४४ :पद्य २७४ ३६/५३(११०)....... जुनो.नं. १५५६१-१२)...(१२.५४२)..... नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.पू. १-६०) मे.वि. : गाथा-५४३. कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे]... सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य (पे.पृ. ६०-१२०) (पे.२) पुष्पमालाप्रकरण प्रा. गा. ५०५ हेमचन्द्रसूरि मलधारी गा.३१७ (पे.३) आवश्यक स्वरूप (पे.४) सङ्ग्रहणीप्रकरण जह गणहरेहि भणियं पद्य नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव : पद्य (प.पू. १२१-१५५ (पे.पृ. १५५-१८०) पे.वि. : गाथा-२७३. श्रीचन्द्रसूरि प्रा. गा. २७३ मलधारि (पे.५) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण प्रा. गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य जिनभद्रगणि क्षमाश्चमण गा. १४४ वि. १२८८ पद्य (पे.६) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे.७) उपदेशकन्दली सिद्धिपुर सत्थवाहं तिहुयणमङ्गलतिलयं (पे.पृ. १८०-१८८) पे.वि. : गाथा-११२. [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे] (पे.पृ. १८९-२०१).पे.वि. : गाथा-१४५. (पे.पृ. २०१-२१५) पे.वि. : भीनमालमां. गाथा१२५. आसड गा.१२५ 127 Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (पे.८) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ प्रा. गा. १०४ देविन्दविन्दवन्दियपय । पद्य (पे.९) धोपदेशमालाप्रकरण (पे.१०) ज्ञानप्रकाशकुलक (पे.११) आत्मानुशासन जयसिंहसूरि जिनप्रभसूरि पार्श्वनाग (दिगम्बर) प्रद्युम्नसूरि गा. १०३. गा. ११३. श्लोक ७७ भयर्व दसन्नभद्दो... देवहं देवु सु जगी सकलत्रिभुवनतिलकं पद्य वि.१०४२ पद्य (पे.पृ.२१५-२२४) पे.वि. : गाथा-१०४. [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे.पू. २२५-२३४) पे.वि. : गाथा-१०२. (पे.पृ. २३४-२४६) पे.वि. : गाथा-११४. (पे.पृ. २४७-२५६) कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे.. (पे.पृ. २५६-२७४) कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.]. (जुनो नं. २६१), (१३.५४२)..... (पे.पृ. १-५७) पे.वि. : गाथा-५४३. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१-२३. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे (प.१२) मूलशुद्धिप्रकरण गा.२१४ वन्दामि सव्वन्नुजिणि पद्य ताडपत्र उपदेशमाला आदि (पे.9) उपदेशमाला श्रेष्ठ धर्मदास गणि २४९ नमिऊण जिणवरिन्दे ३६/५४(९०) .. पद्य गा.५४४ छे. (पे.२) उपदेशमाला (पे. पृ. ५७-११४) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२३ पुष्पमालाप्रकरण :गा. ५०५ सद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य (ये.३) दिनकृत्यसूत्र श्राद्धदिनकृत्य :गा.३४० वीरं नमेउण तिलोयभाणु पद्य (पे. पृ. ११४-१५३) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-३४४. झेरोक्ष पत्र-४६-१९.. कृ.वि. : गाथा-३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामां मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य? (पे. पृ. १५३-१६९) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र६०-६८. (पे.४) विवेकमंजरीपकरण गा. १४४वि . १२८८ सिद्धिपुर सत्थवाहं। पद्य विवेकमञ्जरीप्रकरण (ये.५) आराधना (पे. पृ. १७०-१७६) पं.वि. : संपूर्ण झेरोक्ष पत्र६७-६९. आराधनाकुलक सोमसूरि :गा.६९ नमिऊण भणइ एवं भयवं! (पे.६) गौतमप्रच्छाप्रकरण (पे.पृ. १७६-१८२) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-५४. 128 Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष. पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झेरोक्ष पत्र-६९-७१. कृ.वि. : गाथा ५१थी १४९ सुधी पण मळे छे. (ये.प्र. १८२-१९९) पे.वि. : संपूर्ण. चैत्यवन्दभाष्य गाथा-६३. गुरुवन्दभाष्य-४१व प्रत्याख्यानभाष्यय गाथा-३९. झेरोक्ष पत्र-७२-७८... गीतमपच्छा प्रकरण गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण: पद्य (पे.७) चैत्यवन्दन, वन्दनकव प्रत्याख्यानभाष्य प्रा. गा.१२२ चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय (पे.८) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण वन्दित्तु वन्दणिज्जे .... नमिउण सजल जलहरपद्य प्रा. गा.८६ जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पे.पृ. १९९-२११-) पे.वि. : अपूर्ण, गाथा १११ तक है. अन्त के पत्र २१२-२१३ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-७८-८२. [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.. (पे. पृ. -२१४-२१५) पे.वि. : अपूर्ण, गाथा-२१. गाथा-१० तक नहीं है. झेरोक्ष पत्र-८१-८२.. कृ.वि. : गाथा २१थी २४ मळे छे. :(पे.९) पार्श्वनाथजिनभयहरस्तोत्र भयहरस्तोत्र मानतुगसूरि नर्मिऊण पय पणयसुरगणचूडामण (पे.१०) संजममंजरी (पे. पृ. २१५-२१८) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र८१-८४. झेरोक्ष पत्र ८३ के दो पन्ने है. संयममञ्जरीप्रकरण मलेश्वरसरिअपभ्रं. :गा.३५ :नमिऊण नमिरतियसिन्द: पद्य संसारविसमसायरभवजल पद्य (पे.११) प्रव्रज्याविधानकुलक गा.३० पडि (पे.प्र. २१८-२१९-) पे.वि.: अपूर्ण. गाथा-१८ तक है. प्रतिलेखक की भूल से गाथा १५-१६ के बजाय १९-२० लिखा गया है परन्तु पाठ क्रमशः है. झेरोक्ष पत्र-८३-८४. सूचीपत्र में इसे प्रकीर्णक कृति अन्तर्गत ली गयी है. [कृ.वि. : गाथा-२४ थी ३५ सुधी मळे छे] .... (पे. पृ. -२२२) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-३०. गाथा २६ तक नहीं है. झेरोक्ष पत्र-८५ पर. सूचीपत्र में इसे प्रकीर्णक कृति अन्तर्गत ली गयी है. (पे.१२) इगुणतीसी भावना जिनपूजागाथा (पे.१३) अजितशान्तिस्तव (पे. पृ. -२२५) पे.वि. : गाथा-४१. संपूर्ण, झेरोक्ष पत्र-८५-८७. कर्मबन्धगाथा Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार गा.३० संसारम्मि असारे प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (ये.१४) एगुणतीसी भावना (ये.१५) पावपडिग्धायगुणबीजाहाणसुतं नन्दिषेण :गा.४० अजितशान्तिस्तोत्र (पे.१६) आराधनाकुलक अजियं जियसव्वभयपद्य नमिऊण भणइ एवं पद्य सोमसूरि गा.६९ (पे.पृ.?-२३०० मे.वि. : अपूर्ण. त्रुटक रूप में गाथा है. झेरोक्ष पत्र ८-९०. इसका उल्लेख सूचीपत्र में नहीं है. (पे. पृ. २३०-२४२) पे.वि. : अपूर्ण झेरोक्ष पत्र८९-९०. कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. (पे.पृ. २३८-२४४-) पं.वि. : अपूर्ण, ताडपत्रीय पत्रांक २२२,२२५, २२७ व २२८ की कृतियां अस्पष्ट है. (पे.पू. २४८-२४२) (जुनो नं. १६५)प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे.(८+१९४) (पे. पृ. १-५)...... भयवं! :/पे १०) पञ्चसत्र :अध्याय ५सत्र नमो वीतरागाणं सब गद्य चैत्यवन्दन आदि ताडपत्र २०२ ३६/५४(१०२) (पे.9) चैत्यवन्दनक आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनावन्दनक-प्रत्याख्यान (पे.२) प्रभातिकाष्टक (पे.३) शाश्वतजिनस्तव (पे.४) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण शय्यम्भवसार ग्र.७०० (पे.५) पगामसज्झाय (2.5) दशवैकालिकसूत्र.. (पे.५) पाक्षिकसूत्र (ये.८) अजितशान्तिस्तोत्र सर्वज्ञ सर्वहित सर्व (प.पू. .. :गा.१४ (प.पृ.५). ! गा.८६ नमिउण सजल जलहर (पे.पृ.६-८) [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे] ग्रं. ५० इच्छामि पडिक्कमि (प.पृ.१-३). धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग... (प.पू..३.१८.. ग्रं.३५० तित्थड़करे य तित्थे संयुक्त प+ग (प.पू. १८-२५ अजियं जियसव्वभयं पद्य (पे.पू.२५-२७) कृ.वि. गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. गा.१०४ देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य (पे.पृ. २७-३०) पे.वि. : गाथा-१०४. [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छ.] गा.२५०० ग्रं. जयइ जगजीवजोणी पद्य (पे.पृ. ३३-९९) [कृ.वि. : आनुं अने नंदिसूत्रनुं ३१०० वियाणओ आदिवाक्य समान छे... गा. ११६३ ग्रं. : ................ दुविहोवक्कमकालो सामा : पद्य .........(पे.पृ. ९९-१२९) पे.वि. : गाथा-११४०. [कृ.वि. नन्दिधण प्रा. गा.४० (पे.१) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ प्रा. (पे.१०) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी :प्रा. (ये.११) ओघनियुक्ति : भद्रबाहस्वामी प्रा. 130 Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार १४३२ गा.६९७ (पे.१२) पिण्डनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी । प्रा. पिण्डे उग्गम उप्पायण पद्य गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे.] (पे.पृ. १२९-१४७) पं.वि. : गाथा-७१६. [कृ.वि. : गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे] (पे.पू. १४७-१९४) पे.वि. : ग्रन्थान-३५००. (पे.१३) उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी अध्याय ३६ग्र. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग २०९५ श्रेष्ठ .३६/५४(४०).. ११३ नाभेयाद्याः सिद्धा वि. ११८५ पद्य १६७-१: प्रशमरतिप्रकरण आदि (पे.१) प्रशमरतिप्रकरण (पे.२) अष्टकप्रकरण (पे.३) षोडशकप्रकरण (पे.४) धर्मलक्षणप्रकरण (पे.५) आत्मानुशासन उमास्वाति हरिभद्रसूरि हरिभद्रसूरि विमलसूरि पार्श्वनाग (दिगम्बर) ताडपत्र श्लोक ३१४ का.२५६. श्लोक २९६. श्लोक २२ श्लोक ७७ पद्य स धर्मार्थ क्लिश्यते : सकलत्रिभुवनतिलक : वि.१०४२ (जूनी नं. २९५(४). (पे.पृ. १-२१). (प.पू. १-१९) (पे.पू..१९-३९) (प.पू. ४०) (पे.पृ. १-८) पे.वि. : श्लोक-७६./प्रथम वे पानाना टुकडा छे. (कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे] (पे.पृ. ८-१०). (पे.पृ. १-१५) [कृ.वि. : श्लोक२४+२७५२०५३६३... (प.पू.१६:१८.. (पे.पृ. १८-२०).. (प...२०-२२) कृ.वि. : भाषा-संस्कृत?] (पे. पृ. १-२०) पे.वि. : खामणा पण साथे छे. विमलसरि का.२८ (पे.६) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे.७) पञ्चाणुव्रतकथा कः खलु नालक्रियते पद्य सिद्धिमार्गोपदेष्टार श्लोक १४५ पद्य जीवादिपदाशी या का.३१. श्लोक २८ श्लोक ३२ महात्मना सत्यवशाद. तित्थडकर य तित्थे सयक्त प+ग (2.42 पात्रपरीक्षा (प.९) ज्ञानाडकुश (पं.१०) महादेवलक्षण (पे.११) पाक्षिकसूत्र खामणा साथे पाक्षिकसूत्र सिद्धहेमलघुवृत्ति-तृतीयाध्यायतृतीयपाद थी श्रेष्ठ पञ्चमाध्याय पर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति. वन्दारुवृत्ति आदि (पे.१) श्रावकषडावश्यकसूत्र-वन्दारु वृत्ति देवेन्द्रसरि ग्रं.३५० ताडपत्र १६७-२ प्रतिपूर्ण १६२ ३६/५४(५८) (जुनो नं. १५३)छेल्ला पानाना बे टुकडा छे. हेमचन्द्रसार गं.3300 प्रणम्य परमात्मानं श्रेष्ठ ताडपत्र २३८ वृन्दारुवृन्दारक ३६/५४ गद्य ग्रं.२७७० (जुनो नं. १२), (१३४२) (पे.प्र.-८४) पे.वि. : ग्रन्थान-२७२०. कृ.वि. : मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर?] (प.पू.८५. (पे...८५-८६).पे.वि. : गाथा-३०...... देवेन्टसरि प्रा.......... गा.२२. (पे.२) धर्मकुलक (पे.३) चउसरण लघु 131 Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार चतु:शरण (पे.४) आउरपच्चक्खाण लघु आतुरप्रत्याख्यान लघु (प. पृ.८६-८७) पं.वि.: गाथा-७४. गायकवाड केटलॉगमां गाथा-४०. आपेल छे. कृ.वि. : गाथा परिमाणमा ४० थी ९४ सुधीनुं वैविध्य जोवा मळे छे. आनी साथे संकळाएल केटलीक प्रतो वीरभद्र गणि वाला आउर पच्चक्खाणनी अगर 'अरहन्ता मंगलं मज्झ..." आदिवाक्यवाला के पछी "कुससत्थरे निसन्नो...'वाला आदिवाक्य वाला आउर पच्चक्खाणनी पण होई शके (महावीर जैन विद्यालयथी आ बन्ने छपाया छे). (प.पृ.८७-९०) (पे.५) आराधनाकुलक सामसार :गा.६९ नमिऊण भणइ एवं (4.६) चउसरण बृहत् चतुःशरणप्रकीर्णक (पे. पृ. ९०-९१) पे.वि. : गाथा-६९.. कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. वीरभद्र गा.६३ पद्य सावज्जजोगविरई उक्कित (पे.७) आउरपच्चक्खाण बृहत्..... आतुरप्रत्याख्यानप्रकीणेकबृहत (पे.८) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक गा.७१ देसिक्कदेसविरओ सम्म पद्य नमिऊण महाइसयं गा. १७२ ग्रं. (पे..पृ.९१-९४) कृ.वि.: गाथा ६० थी८०.सुधी मले छे.... (पे.पृ. ९४-900) पे.वि. : गाथा-१७३. [कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे.] (पे.पृ. १००-१०३) पे.वि. : गाथा-१२१. :४१ महाण (पे.९) संस्तारकप्रकीर्णक गा. १२४ पद्य काऊण नमोक्कारं जिणवर वीरं नमेउण तिलोयभाणु पद्य (पे. १०) श्राद्धदिनकृत्य : गा.३४० श्लोक ८२ (4.११) देवत्वे स्थविराकथा (पे.१२) धर्मपाल-वस्तुपालकथा (ये.१३) दिवाकरकथा उत्तमसेवायाम (ये.१४) धन्य-शालिभद्रकथा दाने (पे.पृ. १०४-११५) [कृ.वि.: गाथा-३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामां मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य?] (प.पू. ११५-११८2.. (पे.पू. ११८-११82..वि. : अक्षरो भंसाई गया छे.. (प.पू. ११९-१२४) पे.वि. : उत्तम सेवा उपर (पे.पू. १२४-१३०) पे.वि. : दान विषे. गा. १३९ श्लोक २१८ E 132 Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार पद्य (पे.१५) एलकाक्षकथा (पे.१६) मरुक दृष्टान्त रात्रिभोजने (पे.१७) कालिकाचार्यकथा (पे.१८) आराधना (पे.१९) उत्तराध्ययनसूत्र गा. ५० श्लोक ५५ गा. १८० (प.पू. १३१-१३२) पे.वि. : रात्रि भोजन उपर (पे.पृ. १३२-१३४) पे.वि. : रात्रि भोजन उपर (प.पू.१३४-१३७).. (पे.पृ. १३७). (पे.पू. १३७-१९५) गा.८ परा नाणे दंसण चरणे तव सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य सुधर्मास्वामी अध्याय 36गं संयुक्त प+ग २०९५ (पे.२०) उपदेशमालाविवरण बृहद्वृत्ति उद्धार । ६९.१. कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा (पे.१) कल्पसूत्र भद्रबाहुस्वामी अपूण ताडपत्र १२१ .३६/५४(३०)...... संयुक्त प+ग ग्र.१२८० नमो अरिहन्ताणं... (पे.पू. १९६-२३८) पे.वि. : अपूर्ण (जनो नं. १३५).... (पे.पृ. १-११६) पे.वि. : पत्र ४२-५३-६३-६५-६६६९-७०-८२-८५ थी ९२-९४ नथी. (ये.पृ. ११६-१२१) पे.वि. : पाछळनो भाग त्रुटक (पे.२) कालिकाचार्यकथा १६९ संपूर्ण १२३ .३६/५४(६०)...... संयुक्त प+ग द्रबाहस्वामी नमो अरिहन्ताणं. कल्पसूत्र आदि (प.) कल्पसूत्र (पे.२) कालिकाचार्यकथा (पे.३) कल्पसूत्र-टिप्पण सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण प्राकृतविवरण गद्य विनयचन्द्रसूरि श्रेष्ठ सं. संपूर्ण सौवर्णः सूत्रभूभि ११९ (जनो नं. १००).. (प.पू..१-८३.. (पे.पृ. ८९-९१) पे.वि. : अपूर्ण. (प.पू...१:३२).कृ.वि. : र.सं.-वाण..खेंदुवर्षे] (जुनो नं. ५८(१))अंतमा अपूर्ण-आ विवरण : मुनिचंद्रसूरिकृत चूर्णि होवी जोईए.. गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे ताडपत्र ३६/५४(६०) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण जिनवल्लभप्रा . गा. १६४ सयलन्तरायवीरं वन्दिय पद्य नाणज्माणबलेण जेण गद्य सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-विवरण योगशास्त्रद्वादश प्रकाश आदि श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३६/५४(६९).......(जुनो नं. २२७(१-३))... (पे. पृ. १-१२९) ............. (पे.१) योगशास्त्र १२ मो प्रकाश योगशास्त्र (पे.२) वीतरागस्तोत्र अध्याय १२प्रका हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसुरि नमो दुवोररागादिवर यः परात्मा परज्योत सं. अध्याय २० ग्रं. (पे.पृ. १३०-१५६) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] १७१-१ (पे.३) साम्यशतक आवश्यकनियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्ति विजयसिंहसूरिसं श्रेष्ठ भद्रबाहस्वामी प्रा. श्लोक ३०४ (मे.पू. १५-999).पे.वि. : पत्र.५९मुं.नथी. ताडपत्र ......वि. १२९७... १७५-२(१ थी २)-१७३३६/५४(४६).....(जुनो नं. ६२(१)) गा.२५०० ग्रं. जयइ जगजीवजोणी पद्य आर्नु अने नंदिसूत्रनु आदिवाक्य समान छे. 133 Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार ३१०० वियाणओ १७१-२ न्यायावतारसूत्र आदि श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३६/५४(६९) (जुनो नं. २४१(१-३))कोई पानानी कोरो खरी गई (ये.१) न्यायावतारसूत्र श्लोक ३२ प्रमाण स्वपराभासि पद्य (पे.पृ.१-२) सिद्धसेन दिवाकर सूरि दिग्नाग हरिभद्रसूरि (मे.२) न्यायप्रवेशसूत्र (पे.३) न्यायप्रवेशसूत्र-टीका सं. ग्रं. ५०० सम्यग् न्यायस्य गद्य (पे.४) न्यायावतारसूत्र-टीका सिद्ध साधु गद्य संपूर्ण ताडपत्र १७२-१ । सङ्ग्रहणी आदि (ये.१) सङ्ग्रहणीप्रकरण .......... २१९-२(१ थी २)-२१७ । ३६/५४(४६). पद्य (ये.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ गा. ५८ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गा.१६७ ववगयकम्मकलड़कं वीरं पद्य (पे.पृ.२-६. (पे.पृ. १-२३) पे.वि. : गायकवाडी नंबर १२२११) आपेल छे. (पे.पृ. १-६८) पे.वि. : गायकवाडी नंबर १२२११) अने २४१(३) आपेलो छे./त्रुटक, अपूर्ण, कोरो एक बाजूनी खरी गई छे.. (जुनो नं. ६६(१-३)). (पे.पृ. ३-५२) पे.वि. : गाथा-४०२. [कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ५२७ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ५२-६०) ये.वि. : गाथा-५७. कृ.वि. : गाथा ५४.थी ५८ मळे छे]. (पे.पृ.६१-९०) ये.वि. : गाथा-१६६. /गायकवाड केटलॉग प्रमाणे छेल्ले बंधशतक संग्रहणी(?)नी साढा पांच गाथाओ छे. आदिवाक्य- अरहंते भगवंते अनुत्तर परक्कमे... [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] (पे.पृ.९१-१२८) पे.वि. : गायकवाडी नंबर ५१ आपेलो छे./नवा सूचीपत्रमा गाथा-१९१./गा. के. प्रमाणे कृति अपूर्ण. (कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे].. (पे.पृ. १२९-१५९) पे.वि. : गायकवाडी नंबर ५१ आपेलो छे./गाथा-८६. [कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे] (पे.पृ. १५९-१९१) पे.वि. : गायकवाडी नंबर ५१ (4.४) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ :गा.९१ सिद्धपएहि महत्थं पद्य जिनवल्लभ गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं पद्य (पे.५) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति (पे.६) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण जिनवल्लभप्रा. :गा. १६४ सयलन्तरायवीर वन्दिय : पद्य .. 134 Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (प.) नवपदप्रकरण प्रा. गा.१३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ पद्य जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि १७२-२: शान्तिनाथचरित्र (कागळमां छे) श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १३२२ :१६३ ३६/५४(१६३) ......... श्लोक ५०५५ । वि.१३२२ वेश्मरत्ननिशारत्ननभो मुनिदेवसूरि श्रेष्ठ १७२-३ संपूर्ण ताडपत्र २०० ३६/५४(३०)........ श्लोक ९ फूलोक चक्रेश्वरसूरि चक्रेश्वरसूरि श्लोक ९ वाचावाचां पतिरपिनयं पद्य आपेलो छे./गाथा-१५५. कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे छे] (पे.पृ. १९२२१९) पं.वि. : गायकवाडी नंबर ५१ आपेलो छे. [कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमां बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमा पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे.. (जुनो नं. १९६)छेल्लुं पार्नु फाटवा मांडयुं छे. /ग्रन्थान-४८५५... विशिष्ट रचना प्रशस्ति. अस्तव्यस्त-त्रुटक../कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि.. (प...२०-३8. (पे.पू. ४4-2B) (पे.प्र.९०-१३०) (पे.पृ. १४०-२८०) (पे.पृ. २९०-३९०) (प.पू. ४००-४३8/. (प.पू. ४४०-४१4.. (पे.पृ. ५००-५६A/ (प.पू. 494-६३०) (प.पृ.६४०-६६६ (ये.पृ. ६७4-008 (पे.पृ. 994-984 [कृ.वि. : अन्त वाक्य-संथुय पय परमेसर वीर लहं देहि मेसि.] (पे. .७५4-९००) शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह (पे.) समस्यास्तवन (पे.२) तीर्थङ्करस्तुति (पे.३) चन्द्रप्रभस्तुति (पे.४) नेमिजिनस्तुति (पे.५) नेमिनाथस्तवन (पे.६) नेमिनाथस्तुति (पे.७) पार्श्वजिनस्तुति (पे.८) पार्श्वनाथस्तुति (पे.१) वीरजिनस्तुति (पे.१०) वीरजिनस्तुति (पे.११) वीरजिनस्तुति (पे.१२) वीरजिनस्तुति श्लोक २४ गा.३० कान्तः स्तोतुं कवीना वसुमइ सिरिसुर... सुथिरसुरासुर. जय श्रीस्तम्भनकपर । गा...... चक्रेश्वरसूरि.. अपभ्रं, चक्रेश्वरसूरि. चक्रेश्वरसूरि चक्रेश्वरसूरि चक्रेश्वरसूरि चक्रेश्वरसूरि चक्रेश्वरसूरि अपभ्रं. श्लोक २४ श्लोक ११ श्लोक १४ श्रीनागराजफणिरत्न सकलसुरासुरपूजिताय... पथ भक्तिसारकली.. श्लोक १० गा.१२ गा. १२ जय जय वीरजिणेसर.... :पद्य पद्य (पे.१३) पंचपरमेष्ठिस्तुति नवकारसारस्तव मानतुगसूरि गा.३१ भत्तिभरअमरपणयं पद्य पणमिय विलसन्तजोइवीए परमपद्य (पे.१४) वर्धमानविद्या चक्रेश्वरसूरि ।गा.१२ (ये.पृ. ९५०-९७B) [कृ.वि. : अंतिमवाक्य-इय वद्धमाणविज्जा चक्केसरपहुपसायसंपत्ता] (पे.पृ. ९८०-१०२B) (पे.१५) पार्श्वनाथस्तव कलप्रभसरिसं. श्लोक १३ नत्वोपासितचरणं कमठेन: पद्य 135 Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीकर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) मुनिचन्द्रसूरि श्लोक १० नमामि श्रीपार्श्व चक्रेश्वरसूरि सं. नाभेयादिजिनाः प्रनष् प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार पिय (ये.१६) कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन (पे. १७) पञ्चपरमेष्ठिस्तुति पद्य वीरगणि :अपन्न. पद्य गठमअवयारि सोहम्मसुर ॐनमो भगवते पार्श्व पद्य (पे.१८) लघुअजितशान्तिस्तव (पे.१९) पार्श्वनाथस्तोत्र मन्त्रगर्भित. (पे.२०) पञ्चमहाव्रत (पे.२१) तीयसपगाथा (ये.२२) अज्ञात-अपभ्रंशस्तोत्रादि सड़ग्रह (पे.पू. १०३4-१०९०) पे.वि. : श्लोक-८. (पे.पू. 990A-99२०) पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त होने से अन्तिम गाथा नहीं मिलती है. (पे.पू. ११३०-2) पे.वि.: पत्र अस्त-व्यस्त है. (पे.पृ. ७.?).पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त है.. (पे.पृ.?) पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त है. (पे.पू.?) पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त है. (पे.पृ.?) पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त है. [कृ.वि.: कृतियों त्रुटक व अपूर्ण है. अनुसंधान पाठ नहीं मिलता है. ज्यादातर कृति चक्रेश्वरसूरि रचित अपर्श तीयसप्पदुव्वतीय...... चक्रेश्वरसरि चक्रेश्वरसूरि अपभ्र. है। संपण ३/५४(४२) (जुनो नं. १५२)पत्र-८०+६२. १७३-१ : सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरिका सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्तिनी अवचूरि १७३-२ प्रबोधचन्द्रोदयनाटक धनचन्द्र ३६/५४(४२) (जुनो नं. २४)पहेलुं ने छेल्लुं पानुं जुटक ने चोटेलां छे. कृष्णमिश्र योगशास्त्र चार प्रकाश आदि श्रेष्ठ ४६९-३(१थी ३)=४६६ ३६/५४(१५४) (जुनो नं. १६१)झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है., (१४.५४२ (पे.पु.४-३१) पे.वि.: अपूर्ण प्रारंभिक पत्र (श्लोक १-३९)नथी. झेरोक्ष पत्र-१-१२. (पे.१) योगशास्त्र ४ प्रकाश योगशास्त्र अध्याय १२प्रका हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि नमो दुर्वाररागादिवैर यः परात्मा परञ्ज्योत (ये.२) वीतरागस्तोत्र अध्याय २० ग्रं. १८७ (पे.३) बोधप्रदीप (पे.पृ. ३२-४५) ये.वि. : अपूर्ण, पत्र ४४नो १ टुकडो नथी. झेरोक्ष पत्र-99-१८. [कृ.वि. : प्रकाश-२०] (पे.पृ.४५-५२) पे.वि. : अपूर्ण. त्रुटक पत्र ४५४६-५०-५१ नथी. झेरोक्ष पत्र-१८-२०. कृ.वि... काव्य-५१.... (पे.पृ. ५२-५७) ये.वि. : अपूर्ण, पत्र ५३ अने ५५ नथी. ५६ना बे टुकड़ा छे. झेरोक्ष पत्र-१९-२२... :का.५० बोधप्रदीपपञ्चाशिका (पे.४) आत्मानुशासन चूडोत्तंसितचारुचन्दपद्य सकलत्रिभुवनतिलक पद्य श्लोक ७७ वि.१०४२ पाश्चनाग (दिगम्बर) 136 Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झझे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार (पे.५) मोक्षोपदशेशपंचाशत् कृ.वि. परिमाण आयर्या रूपे आप्यु छे] (पे. पृ. ५०-६१) पे.वि. : अपूर्ण. पत्र ५८-६० नथी. गाथा-६-५० नथी. झेरोक्ष पत्र-२१-२२. :श्लोक ५१ मोक्षोपदेशपञ्चाशिका (पे.६) प्रशमरतिप्रकरण मुनिचन्द्रसूरि.सं...... उमास्वाति सं. शुद्धध्यानलवित्रेण वि. ११८५ :नाभेयाद्या सिद्धा श्लोक ३१४ (पे.प्र.६१-८३) पे.वि. : श्लोक-३१०. अपूर्ण पत्र:६४,६६,७८,८० अन ८१ नथा. झक्षि पत्र-२१ (4.७) ज्ञानांकुशप्रकरण (पे. पृ.८४-८६) पे.वि. : अपूर्ण. पत्रांक ८५ (श्लोक-११से२०) नहीं है. झेरोक्ष पत्र:३१-३२.. पद्य ज्ञानाबकुश (पे.८) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ श्लोक २८ गा.५८ महात्मनां सत्त्ववशाद नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.९) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गर्गर्षि :गा.१६७ ववगयकम्मकलड़कं वीरं :पद्य (पे.१०) बन्धशतकपंचम कर्मग्रन्थ (पे.पृ. ८५-९०) पं.वि. : अपूर्ण, पत्र-८८ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-३१-३४. कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे.] (पे.पृ. ९०-९९) पे.वि. : अपूर्ण. पत्रांक-१५-१६ व : १०० नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र-३४-३६. [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] (पे. पृ.-१०२-१०८) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-990. पत्र-१०० व १०४ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-३७-४०.. कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे. (पे. पृ. १०८-११५) पं.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र४०-४३. कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे. (पे. पृ. ११५-१२२) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र४४-४६./ शिवशर्मसूरि प्रा............: गा. १११. अरहन्ते भगवन्ते अणू .....पथ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (पे.११) सत्तरिया सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रर्षि महत्तर सिद्धपएहि महत्थं :पद्य (पे.१२) षडशीति प्राचीन कर्मग्रन्थ आगमिकवस्तुविचारसार प्रकरण षडशीतिभाष्य आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति (पे.१३) गुणस्थानक जिनवल्लभप्रा . गा.८६ निच्छिन्नमोहपास पद्य कृ.वि.: गाथा १०४ सुधी मळे छे. गा.१६ जीवाइपयत्थेसु जिणोवइ पद्य (ये.प्र. १२२-१२३) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-१३. झेरोक्ष पत्र-४-४७. प्रारंभिक कुछ गाथाएं Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीपरिमाण भाषा रचना वर्ष नाव आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (ये.१४) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण जिनवल्लभ गा.१६४ सयलन्तरायवीर वन्दिय पद्य (ये.१५) प्रवचनसन्दोह नमिऊण वदमाण ववगय पद्य षडशीतिभाष्य से मिलती है. (पे.पृ. १२३-१३३-) पे.वि. : अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र-19-५२. [कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे छे] (पे.पृ. १३६-१५६) पे.वि. : पूर्ण. पत्र-१४३ नहीं है. /झेरोक्ष पत्र-49-६१............... (पे.पृ. १५६-२२५) पे.वि. : अपूर्ण. पत्र-१५८-१५९. 90८, १८०, १८९ व १९२ नहीं है. झेरोक्ष पत्र६१-९४. कृ.वि.: पञ्चाशक-१-१९] (पे.पृ.६-६१) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-५४५. झेरोक्ष पत्र-९३-१२१. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे (पे.१६) पञ्चाशकप्रकरण महिसार अध्याय ६ पद गा.३३४ अध्याय १९ गा. १००० . ११८२ गा. ५४४ नमिऊण वद्धमाणं सावग पद्य (पे.१७) उपदेशमाला धर्मदास गणि नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.१८) संगहणी (पे. पृ.६१-१०४) पे.वि. : पूर्ण, गाथा-३७०. पत्रांक-६९ नहीं है. झेरोक्ष पत्र १२१-१४२. कृ.वि.: गाथा ३६६थी३८० बच्चे पण मळे छे. बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण जिनभद्र गणि प्रा. गा. ५७९ नियट्ठवियअट्ठकम्मपद्य (ये.१९) दशवैकालिकसूत्र शय्यम्भवसूरि ग्रं.७०० धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग (पे.२०) अध्यात्मोपनिषद् (पे.पृ. १०५-१०७) पे.वि. - अपूर्ण. अध्ययन-१ की गाथा ३० तक है. झेरोक्ष पत्र-१४२-१४५. (पे.पृ. २३२-२५०) पे.वि. : अपूर्ण, बीच के पत्र है. प्रकाश-२ श्लोक-३२ से प्रकाश-३ श्लोक-१९ तक है. झेरोक्ष पत्र-१४५.१५४... योगशास्त्र अध्याय १२प्रका नमो दुर्वाररागादिवर हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र श्रावकदिनकृत्यवृत्ति श्राद्धदिनकृत्यप्रकरण-बहत्ति .३५७ (जनो नं. २६२)..(१४.५४२.५)... गा.१२८० पद्य देवेन्द्रसूरि श्रेष्ठ गोभिर्येन जगत्रये १८२-१(१)=१८१ पञ्चवस्तुकप्रकरण संपूर्ण ताडपत्र । ३६/५४(८६) (जुनो नं.२३३)पत्र १४-१५-१७-३९-४३-५८-७२ थी ८०-८४-८८ टुकडा नथी. १८-२२-२४-४५-१६.६२-७१ पत्रो नथी. गाथा-१९०० या १७००: हरिभद्रसार गा. १९०० पद्य १७६-२ कावशिक्षा संपर्ण ताडपत्र ३६/५४(८४) (जुनो नं. ५९)टित पत्रांकानि ७३-७६-८५-९५१३०-१३५-१४३-१४७-१४८-१५७-१७१-१७३ने १७७ Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कर्ता झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पछीनां पत्रो नथी एवं संख्या बार (१२) नास्ति इत्येवं शेषमपि नास्ति. विनयचन्द्र नत्वा श्रीभारती १२७ १७७-१ पञ्चवस्तुसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १२६२ ३६/५४(६५) :(जुनो नं.२७७)पत्र २२थी२७ सुधीनां एक कोरथी खरी गया छे. सरि प्रा. गा.१९०० हारभद्रसूरि श्रेष्ठ २१७ संपूर्ण सं. ताडपत्र ग्रं.२३९० ३६/५४(११२) ..... गद्य (जुनो नं. ६) (पे.पृ. १-१५९) [कृ.वि. : निमित्तनो ग्रन्थ] करकमलकलित... पञ्चवस्तुकप्रकरण प्रश्नव्याकरण-चूडामणिटीका आदि (पे.१) प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायङ चूडामणिटीका (पे.२) प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायङलीलावत्यां मयूरवाहिनी (पे.३) प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायङ चूडामणिटीका की प्रश्नचूडामणिसार टीका १७८-१ अनेकार्थसङ्ग्रह गद्य (पे.पृ. १५९-१६३) भटट लक्षण गद्य (पे.पू. १६०-२१७) ३६/५४(६८)....(जुनो नं. १६०). भेष्ट संपूर्ण हेमचन्द्रसूरिसं. श्रेष्ठ १८२७ ध्यात्वाहेता कतैका १७८-२ तत्त्वोपप्लव.. 1.सपूर्ण १७६ ३६/५४(७३)..........(जुना..... (जुनो नं. २७२) लेखन स्थल : धवलक्क.. . ... जयरााशा तत्त्वापप्लवासहपथविष १७९-१ श्रेष्ठ ३६/५४(९२) (जुनो नं. २२७(४-१२)) २५८-७२(१थी ७२)-१८६ (पे.पृ.७३-१६२) योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय आदि (पे.१) योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय (पे.२) अभिधानचिन्तामणी प्रथम काण्ड हेमचन्द्रसुरि सं. गा.४३७ E(ये. प्र. १६३-१६९) पे.वि. : श्लोक-८६. प्रथम २३ श्लोक छोडीने. अभिधानचिन्तामणिनाममाला हेमचन्द्रसुरि अध्याय ६कांड प्रणिपत्याहंतः पद्य ग्र.२६३० (पे.३) त्रिषष्टीय महावीरचरित्रान्तर्गत हस्तिपालस्वप्न (पे. पृ. १६९-१७३) पे.वि. : श्लोक-३४. 139 Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १७९-२ १८०-१ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य (पे.४) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे. ५) धर्मलक्षणप्रकरण (पे.६) प्रशमरतिप्रकरण (पे. ७) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र 1. (पे.८) आप्तपरीक्षाद्वात्रिंशिका (पे. ९) अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका दमयन्तीकथा मूल दमयन्तीकथा सिद्धहेमआख्यात वृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन- लघुवृत्ति १८०-२ त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाश त्रण आदि (पे. १) त्रिभुवनसार योगशास्त्र (पे. २) सप्तविचार (पे. ३) शकुनविचार प्रकरणमां गमनागमन जीवित-मरण-शकुनविचार प्रकरणो (पे.४) शनिचक्र 1. (पे. ५) गर्गीक्त संहितानो ४७मो ध्वजाध्याय (पे. ६) गर्भलक्षण, वर्षालक्षण, उत्पातदर्शन (पे.७) सिद्धादेश (पे.८) गणधर होरा (पे.९) नारदीय सामुद्रिकशास्त्र (पे. १०) सउण उवस्सुई-छाया-नाडि निमित जोइस सुविणय- रिट्ठदार ( पे. ११) सर्वव्यसायविधिकरणप्रक्रम स्थिति कर्ता हेमचन्द्रसूरि विमलसूरि विमलसूरि उमास्वाति उमास्वाति हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष नारद देवर्षि भाषा सं. सं. सं. हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि सं. श्रेष्ठ त्रिविक्रम भट्ट श्रेष्ठ सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. प्रा. प्रा. सं. प्रा. सं.प्रा. प्रा. सं. परिमाण सर्ग १० का. २८ श्लोक २२ श्लोक ३१४ अध्याय १० का. ३२ का. ३२ ताडपत्र ग्रं. २५०० ताडपत्र ग्रं. ३३०० ताडपत्र श्लोक ६२ गा. २९ श्लोक ७६ गा. १९१ वि. ११८५. 140 आदिवाक्य का खलु नालक्रियते धर्मार्थ क्लिश्यते नाभेयाद्याः सिद्धा सम्यग्दर्शनज्ञानचारि १७२ २३० प्रणम्य परमात्मानं १७० पुनर्जन्म न जायेत सिद्धादेश जीवाजीवयपयत्थवत्थु आदिदेवं प्रणम्यादौ जालयभमरीगिहधन्नकीडि य क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य पद्य परा पद्य ३६/५४ (८७) ३६/५४ (८७) गद्य ३६/५४ (६५) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृ.वि. पूर्व १०. (पे.पृ. १७४-१९७७) (पे.पृ. १७७-१७९). (पे. पृ. १८०-२२१) पे. वि. प्रतिलेखन वर्ष-१३०३.. (पे.पू. २२२-२४९) (पे.पृ. २५०-२५३), (पे.पृ. २५३-२५८) (जुनो नं. २५७ (१)) (जुनो नं. ९७ ) पाछळ त्रुटक छे. वचमां ने ठेकाणे कागळना पत्रो छे ते उधईथी खवाई गया छे. (जुनो नं. ११६) (पे. पृ. १-१९) पे.वि.: त्रीजा प्रकाशना ४५ श्लोक सुधी छे, अपूर्ण. पत्र २० थी ३४ नथी. पत्र ३८-४० नथी. पत्र ४५ ने ४८ थी ५६ (पे. पृ. ३५-४२) पे.वि. (पे. पृ. ४२-५७) पे.वि. नथी. त्रुटक अपूर्ण. (पे. पृ. ५८मुं) पे.वि. पत्र ५८मां संपूर्ण थाय छे. पण आद्य भाग नथी.. (पे. पृ. ५८-५९). (पे.पृ. ६०-६७) (पे.पू. ६७-७२) (पे.पु. ७२-७५) (पे.पू. ७५-८२) (पे. पृ. ८४-१०६) पे.वि. पत्र ८३मुं नथी. आद्यंत पण नथी. (पे. पृ. १२०-१३८) पे.वि. गायकवाड केटलॉगमां विवेकवलास उ. १-२ आपेल छे. आ ग्रंथमां Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १८१-१ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम ( पे. १२) गमनागमनप्रकरण उपदेशमाला आदि (पे. १) उपदेशमाला (पे. २) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) मूलशुद्धिप्रकरण (पे.४) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (पे. ५) दर्शनशुद्धिप्रकरण (पे.६) पिण्डविशुद्धिप्रकरण (पे. ७) चार्चिकप्रकरण (पे.८) एकविंशतिस्थानप्रकरण (पे.९) प्रवचनसन्दोह (पे. १०) गौतमपृच्छा प्रकरण (पे. ११) चतुःशरणप्रकीर्णक (पे. १२) आतुरप्रत्याख्यान लघु स्थिति कर्ता श्रेष्ठ धर्मदास गणि जयसिंहसूर प्रद्युम्नसूरि जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण जिनवल्लभ सिद्धसेनसूरि (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य भाषा सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. सं.प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण ताडपत्र गा. ५४४ गा. १०३ गा. २१४ गा. ८६ गा. २८० गा. १०४ गा. २३२ गा. ६६ गा. ३५५ गा. ५३ गा. २७ गा. ६० वि. १२७९ 141 १९५-३५१ थी ३५) १६० नमिऊण जिणवरिन्दे भयवं दसन्नभद्दो.... वन्दामि सव्यन्नुजिणि नमिउण सजल जलहर देविन्दविन्दवन्दियपय चवण विमाणा नयरी जणया सारस्सयमाइच्चा विण्ह नमिऊण तित्थनाहं जाण चउसरणगमण दुक्कडगरहा क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार ३७/५४ (४६) पद्य • पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष पटेलांना ११९ पत्र ने अंतनो भाग नथी. (पे.पू. १३८-१७०) पे.वि. गायकवाड केटलॉगमां विवेकविलास उ. ३-५ आपेल छे. (जुनो नं. २१) (पे.पू. ३६-४२) पे.वि. गाथा - ५४३. / प्रथमना ३५ पत्र नथी. [कृ.वि.: गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.]. (पे. पृ. ४२-५०) पे.वि. गाथा- १०१. (पे. पृ. ५०-६५) पे.वि. गाथा १०१. / पत्र ६३-६४ नथी. [ कृ. वि. गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.]. (पे. पृ. ६५-७०) (कृ.वि. गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.]. (पे. पृ. ७०-९०) पे. वि. गाथा-८८. /पत्र ७१ थी ७५ नथी. (पे.पृ. ९०-९८) पे.वि. गाथा-१०४. / पत्र ८६-८७ पण नथी. [कृ.वि.: गाथा १०५ सुधी मळे छे ] (पे.पृ. ९९-११५) (पे.पृ. ११५-१२१) पे.वि. ग्रन्थाग्र-८१. (पे. पृ. १२१-१४०) पे.वि. पत्र १३९मुं नथी. (पे.पू. १४०-१४४) पे.वि. गाथा-५४. पत्र १३९मुं नथी. [कृ. वि. गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे] (पे. पृ. १४४-१४६) पे.वि. गाथा-२८. (पे. पृ. १४६-१४९) पे. वि. : गाथा ४०. [कृ. वि. गाथा परिमाणमा ४० थी ९४ सुधीनुं वैविध्य जोवा मळे छे. आनी साथै संकळाएल कैटलीक प्रतो वीरभद्र गणि वाला आउर पच्चक्खाणनी अगर Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार "अरहन्ता मंगलं मज्झ..'आदिवाक्यवाला के पछी "कुससत्थरे निसन्नो...'वाला आदिवाक्य वाला आउर पच्चक्खाणनी पण होई शके (महावीर जैन विद्यालयथी आ बन्ने छपाया छे)] (पे.पृ. १४९-१५३) पे.वि. : गाथा-४०. (ये.१३) आवकप्रतिक्रमणसूत्र आयरिय उवज्झाय अने अतिचार गाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.१४) भावनाप्रकरण (पे.१५) आत्मानुशासन वन्दित्तु सव्वसिद्ध गा. ५०..... गा. १८५ ... श्लोक ७७ पद्य पद्य वि. १०४२ सकलत्रिभुवनतिलकं पद्य पार्श्वनाग (दिगम्बर) जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि (ये.१६) नवपदप्रकरण :प्रा. गा.१३८ नमिउण बद्धमार्ण मिच्छ : पद्य (प.पू. १५३-१६७) पे.वि. : पत्र १६४मुं नथी. (पे.पृ. १६७-१७२) पे.वि. : गाथा-७५. पत्र १७०मुं नधी. [कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे... (पे.पृ. १८८-१९१) पे.वि. : गाथा-१३८./पत्र १७३ थी १८७ सुधीनथी आदिनी९४ गाथा नथी. [कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे] (पे.पृ. १९२-१९३) प.पू..१९३-१९५..... (जुनो नं.४१) गा.२५ गा.३०.. ताडपत्र १८१-२ १९० ३७/५४(९६) (पे.१७) नमस्कारफल कुलक :/पे.१८) धर्ममतिभावनाकुलक सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय प्रकाशिका नाम्नी वृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-बृहद्वृत्ति दशवैकालिक आदि. (पे.१) दशवैकालिकसूत्र हेमचन्द्रसूरि ग्रं.२५०० अथ शब्द आनन्तर्यार्थ गद्य १८२-१ संपूर्ण ताडपत्र ३७/५४(८०)...... संयुक्त प+ग शय्यम्भवसूरि प्रा. ग्रं.७०० धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ (जुना नं. ९५(१-९)) (पे.पू. १-५३) पे.वि. : पहेला बे पानामां चित्रो छे. पण खराब छे ने ते वे पानी किनारो खरी गई छे. इच्छामि पदिक्कमिसं (पे.२) पगामसज्झाय (पे.३) अतिचारगाथा आयरियसाथे यं. ५.. :गा. १२ (प.पू.१३:५२. (पे.पृ. ५९-६०) (ये.४) पाक्षिकसूत्र ग्रं.३५० तित्थकरे य तित्थे संयुक्त प+ग (प.पू..६०-८२). Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार पि.५) क्षामणकसूत्र (पे.६) अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण प्रा. :गा.४० :अजिर्य जियसव्वभयं :पद्य :गा.३२ (पे.५) पार्श्वनाथस्तव-द्वात्रिंशिका (प.८) उपदेशमाला देवभद्रसूरि धर्मदास गणि प्रा. गा. ५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (प.पृ.८२-८३) (पे.पृ. ८३-८९) [कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] (ये.पृ. ८९-१४) (पे.पृ. १५-१४३) [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (ये.पृ. १४३-१५२) पे.वि. : पत्र १४९ थी १५२ सुधीना इकडा छे. (जुनो नं. ४०)विशलदेवना राज्यमा नागड मंत्रीना वखते लखी छे. (पे.९) धर्मोपदेशमालाप्रकरण जयसिंहसूरि :गा.१०३ भयवं दसन्नभद्दो... पद्य ज्ञानपञ्चमीकथा श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि.१३१३ २१४ ३७/५४(७२) ज्ञानपञ्चमी कथा महेश्वरसूरि गा.२००० श्रावकसामाचारी व्याख्यान श्रेष्ता ३७/५४(२८... (जनो नं. ८७(२))अपूर्ण प्रायश्चित्त. आवकसामाचारीप्रकरण तिलकसरि गा.३८ सिरिवीरजिणं नमिर आवकसामाचारीप्रकरण-टीका येन ध्यान समन्वितेन गद्य क्षेत्रसमास सटीक श्रेष्ठ संपर्ण १८३-२ ताडपत्र. : वि. १२७४ २४६ ३७/५४(८२)...(जुनो नं.४४)मूलगाथा-३५५, कुल ग्रन्थान-३०००.. बृहत क्षेत्रसमासप्रकरण जिनभद्र गणिप्रा . गा.६४० ग्रं. पद्य क्षमाश्रमण 204 नमिऊण सजलजलहरनिभस्सण नत्वा वीरं वक्ष्ये ग्रं. ३००० वि.११९२ : गद्य बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण-बृहत् टीका उपदेशमाला आदि (पे.१) उपदेशमाला सिद्धसूरि श्रेष्ठ १८४-१ संपूर्ण प्रा. ताडपत्र गा. ५४४ :१५३................. नमिऊण जिणवरिन्दे ३७/५४(७९).... :पद्य धर्मदास गणि गा. १०३ :पय (पे.२) थमोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) मूलशुद्धिप्रकरण जयसिहसूरि प्रद्युम्नसूरि प्रा. प्रा. भयवं दसन्नभद्दो... वन्दामि सब्वन्नुजिणि गा.२१४ (जुनो नं. २५१)............. (पे.पृ. १-५०) ये.वि. : गाथा-५४०. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.. (पे.पृ. ५१-६०) पे.वि. : गाथा-१०१. (पे.पृ.६१-७२) पे.वि. : गाथा-२१२. कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे] (पे.पृ. ८०-८७) ये.वि. : गाथा-९०. कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहक्षेत्रसमासनो संक्षेप छे] (पे.प्र. ८८-900) पे.वि. : गाथा-१४० कि.वि. (पे.४) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण प्रा. गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पे.५) नवपदप्रकरण.......................जिनचन्द्रसूरि... प्रा.............गा. .. नमिउण वद्धमाणं मिच्छ पद्य 143 Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीमाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) देवगुप्तसूरि प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (पे.६) भावनाप्रकरण (ये.७) सुबाहुचरित्र गा.२०८ गा.२१९ पद्य नमिऊण जिर्ण वीरं ससुर संसयतिमिरपयड़गं भविय का तरीके सूचीपत्रोमां बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे... (पे.पू. १०१-१२१. (पे.पृ. १२२-१४२) पे.वि. : गाथा-२१७. कृ.वि. : गाथा २१७ थी २२८ सुधी मळे छे] (पे.पृ. १४३-१५३) पे.वि. : गाथा-१११ सुधी छे. अपूर्ण.. (जुनो नं. १६२)छेल्लुं पार्नु नथी एटले तेमा प्रशस्ति टूटे छे. (पे.८) जीवदयाप्रकरण गा. ११६ १८४-२ पिण्डविशुद्धिवृत्ति श्रेष्ठ : संपूर्ण ताडपत्र १५८ ३७/५४(८२) पिण्डाविशदिप्रकरण-सबोशा टीका :यशोदेवसरि : ग्रं.२८००. गद्य वि. ११७६ वि.१३१४ यदुदितलवयोगाद्देहिनः । ।१६१ १३७/५४(८२) अभिधानचिन्तामणिनाममाला श्रेष्ठ ताडपत्र (जुनो नं. ९९)छेवटे कोईक ग्रंथना १२ पत्र नकामां छे, पण आंक वगरनां छे. लेखन स्थल: चित्रकूट दूर्ग हेमचन्द्रसूरि अध्याय ६काड प्रणिपत्याहेतः पद्य ग्र.२६३० १८५-२ संपूर्ण ताडपत्र : वि. १३०९ :२४२ 3७/५४/७०) ओघनियुक्ति आदि (पे.१) ओघनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य गा.११६३. १४३२ (जुनो नं.५२) (पे.पृ. १-१०६) ये.वि. : अपूर्ण पत्र १०७ थी १५४ नथी [कृ.वि. : गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे (प.पू. १५५-१५६... (पे. पृ. १७७-१८५) (पे.२) कापालिक अध्ययन उत्तराध्ययनसूत्रनो हिस्सो' (पे.३) उरभ्रीय अध्ययन उत्तराध्ययनसूत्रनो हिस्सो (पे.) केशी गौतमीय अध्ययन-३३ उत्तराध्ययनसूत्रनो हिस्सो (ये.५) दशवीशी भावना.. (पे.६) आवकवर्षाभिग्रह (पे.9) शीलागरथ विधि............... (पे. पृ. १८५-१९६). :गा.२०...... ............ प.पू..१९६:२२१2. वर्षा चतुर्मासकानि...... (पे.पृ.२२१-२२४). .............गोयमसामि नमिउं जईण पद्य ...............(पे.पृ. २२४-२२७) पे.वि. : अपूर्ण. ..........: गा.९ ........ 144 Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १८६-१ धर्मशर्माभ्युदय प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.८) दुषमगण्डिका १८६-२ आचारनिर्युक्ति आदि १८७-१ १८७-२ (पे. १) आचाराङ्गसूत्र-निर्युक्ति (पे. २) दशवैकालिकसूत्र- निर्युक्ति (पे.३) उत्तराध्ययनसूत्र- नियुक्ति (पे.४) सूत्रकृतागसूत्र (पे. ५) दिनकृत्य श्रावकसामाचारी वार्त्तिक आदि (पे. १) प्रमाणवार्त्तिकसूत्र (पे. २) प्रमाणवार्तिकसूत्र-वृत्ति (पे.३) वामनीय काव्यालङ्कार वामनीय काव्यालङ्कार-वृत्ति नैषध महाकाव्य १४ सर्ग सुधी नैषधचरितमहाकाव्य १८८-१ बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि (पे. १) बृहत् क्षेत्रसमास सह वृत्ति बृहत क्षेत्रसमासप्रकरण स्थिति कर्ता श्रेष्ठ हरिचन्द्र (दि.) श्रेष्ठ श्रेष्ठ सिद्धसेन दिवाकर सूरि शान्तिसूर वामन वामन श्रेष्ठ (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भद्रबाहुस्वामी प्रा. भद्रबाहुस्वामी प्रा. भद्रबाहुस्वामी धर्मास्वामी हर्ष कवि श्रेष्ठ जिनभद्र गणि भाषा प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण सं. सं. सं. सं. प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. परिमाण गा. ८१ ग्रं. १०४ ताडपत्र सर्ग २१ ताडपत्र गा. ३६५ ग्रं. ४७० गा. ४४० ग्रं. ४४६ गा. ५९६ ग्रं. ६०७ ग्रं. २२०० गा. ४९७ ताडपत्र ताडपत्र ताडपत्र गा. ६४० ग्रं. वि. १२८७ वि. ११८७ वि. ११७८ 145 आदिवाक्य नमिऊण जिणवराणं १९५ श्रीनाभिसूनोश्चिरम १५३ वन्दित्तु सव्वसिद्धे सिद्धगतिमुवगयाणं बुज्झिज्ज तिउटटेज्ज वीरं णमिऊण तिलोगभाणु १३७ नमो हितार्थसम्प्राप नमः स्वतः प्रमाणाय प्रणम्य परमं ज्योति १९८ प्रिया हियालबध्य १२८ नमिऊण क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य ३७/५४(५८) पद्य ३७/५४ (७६) पद्य पद्य पद्य पद्य ३७/५४ (७०) गद्य गद्य ३७/५४ (८४) पद्य ३७/५४ (३४) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. २२७-२४२) (कृ.वि. गाथा-८३-१०४ सुधी मळे छे.]. (जुनो नं. ३६) पत्र १ थी २१ पानानी कोरो खरी गई छे. (जुनो नं. ११). (पे.पृ. १-२५) (पे.पू. २६-५५ ) पे.वि.: गाथा - ५५० ( ? ) [कृ.वि. : गाथा संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे.] (पे.पू. ५६-९७ ) (पे.पू. ९७-११२) (पे.पृ. ११३-१५३) (जुनो नं. १२२ (३-४)) (पे.पू. १-३) (पे.पू. ४-१०१). (पे. पृ. १-३६) पे.वि. जीर्ण ने कोरो खरी गयेली (जुनो नं. १७८) (जुनो नं. २५) (पे. पृ. १-६४ ) पे.वि. बृहत् क्षेत्रसमास वृत्तिः प्रथमाधिकारान्तर्गत विवरणे लघुक्षेत्रसमाससूत्र व्याख्यानं सविशेषं समुद्धृतमिति. Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम १८९-१ बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण-लघुटीका (पे. २) जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी सह स्वोपज्ञ टीका जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी - टीका (पे.३) भावनासार (पे.४) १११-१२०. स्थविरावलि (पे. ५) ऋषभपञ्चाशिका १८८-२ पिण्डविशुद्धिवृत्ति पिण्डविशुद्धिप्रकरण-सुबोधा टीका चैत्यवन्दना-बन्दनक- प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि (पे. १) चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यानलघुवृत्ति (पे. २) कायोत्सर्गना २१ दोष (पे.३) पिण्डविशुद्धिप्रकरण ( पे. ४) शय्यान्तरपिण्डविचारणा (पे. ५) राजपिण्ड आदि विचार (पे.६) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र- वृत्ति स्थिति कर्ता क्षमाश्रमण सिद्धसूरि हरिभद्रसूरि हरिभद्रसूरि हरिभद्रसूरि धनपाल श्रेष्ठ यशोदेवसूरि श्रेष्ठ तिलकसूरि जिनवल्लभ पार्श्वसाघु १८९-२ सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति तृतीयाध्याय- श्रेष्ठ द्वितीयापादावचूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन- लघुवृत्ति हेमचन्द्रसूरि (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा सं. प्रा. सं. अपभ्रं. प्रा. प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. प्रा. सं. प्रा. सं. प्रतिपूर्ण सं. परिमाण ८७५ ग्रं. ११९० गा. ३१ ग्रं. १५० गा. ८६ गा. ५० ताडपत्र ग्रं. २८०० ताडपत्र ग्रं. ५५० गा. १०४ श्लोक ५७७ ताडपत्र ग्रं. ३३०० वि. ११९२ वि. ११७६ वि. १२९८ वि. ९५५ 146 आदिवाक्य सजलजलहरनिमस्सण वन्दिवि जिणं सव्वनु जय जन्तुकप्पपायव ! २१९ १६१ श्रीवीरजिनवरेन्द्र देविन्दविन्दवन्दियपय सागारि उत्ति कोपुण जो मुद्धा अहिसित्त देवेन्द्रवन्द्यचरणान १५२ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार यदुदितलवयोगादेहिनः गद्य प्रणम्य परमात्मानं गद्य पद्य गद्य पद्य पद्य पद्य ३७/५४ (१००) ३७/५४ (६२) गद्य गद्य पद्य गद्य गद्य पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. ६४-८५) (पे.पू. ८७-१११) (पे. पृ. १११-१२०) (पे.पृ. १२०-१२८) (जुनो नं. ६९ ) वचमां पानां जे छूटे छे ते पाछळ मूक्यां छे (जुनो नं. १९० ) (पे.पू. १-५८) (पे.पू. ५८-६०) (पे.पृ. ६१-७२) पे.वि.: गाथा - १०४. [कृ. वि. गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे.पू. ७२-८१) (पे. पृ. ८१-१०७) (पे. पृ. १०९-१६१) पे.वि. १०८मुं पत्र नथी. : [कृ.वि. गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे] ( जुनो नं. १९३ ) प्रथम वृत्ति Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- মাগী। परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष १९०-१ श्रेष्ठ संपूर्ण (३४) :पय सिद्धहेमशब्दानुशासन-अवचूरि उक्तिव्यक्तिकारिका तथा उक्तिव्यक्तिवृत्ति .. (प.) उक्तिव्यक्तिकारिका... (पे.२) उक्तिव्यक्तिकारिका-वृत्ति.. उपदेशमाला आदि (पे.१) उपदेशमाला नानाप्रपञ्चरचनाबहिः गणानां नायकं नत्वा .... १९०-२ श्रेष्त संपूर्ण २४२ नमिऊण जिणवरिन्दे ३७/५४(१५२) : पद्य (जुनो नं. १९९(२-३)). (प.पू..१-४).. (पे.पू. ४-६१) .वि. : अपूर्ण./. (जुनो नं. १०३). (पे.पृ. १-३८) पे.वि. : गाथा-५४४. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (प.पू. ३८-८४) धर्मदास गणि प्रा. गा.५४४ (पे.२) पुष्पमालाप्रकरण गा. ५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल :पद्य (पे.३) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.४) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण हेमचन्द्रसूरि प्रा. मलधारी जयसिंहसूरि.प्रा....... जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाश्रमण गा. १०३ गा.८६ भयवं दसन्नभद्दा... नमिउण सजल जलहर पद्य आसड प्रा. पय (पे.५) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे.६) मूलशुद्धिप्रकरण गा. १४४वि . १२८८ :गा.२१४ सिद्धिपुर सत्थवाह वन्दामि सचन्नुजिणि (पे.पृ.८४-१५) पे.वि. : गाथा-१०१.... (पे.पृ. ९५-१०४) पे.वि.: गाथा-८९. [कृ.वि. गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (पे.प्र.१०४-११८) (पे.पृ. ११९-१४१) [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.] (पे.प्र. १४१-१५५) कृ.वि. : कर्ता? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छेल्ली गाथाओमां तफावत होय प्रद्युम्नसूरि प्रा. पद्य (पं.७) पञ्चकल्याणकप्रकरण जनेन्द्रइन्द्र गा. १३७ तित्थं पवयण सुयदेवयं के.. (पे.८) सङ्ग्रहणीप्रकरण श्रीचन्द्रसूरि गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव: पद्य (ये.पू. १५५-१८४) पे.वि. : गाथा-२७३. मलधारि (पं.९) नवपदप्रकरण गा.१३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ पद्य जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसरि (पे.पू. १८४-१९९) पे.वि. : गाथा-१३९. कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे].. (प.पृ. १९९-२०२)......... (पे.पृ. २०२-२०५) पे.वि. : आदि-धम्मोवएस । गुत्त.... (पे.पृ. २०५-२०६). प्रा. :पद्य (पे.१०) एगुणतीसी भावना (पे.११) जीचोपालम्भकुलक गा.३० गा.२५ संसारम्मि असारे धम्मोवएसजुत्तं नेमिकुमार (पे.१२) गुरुवेयणकुलक .. थिनेश्वरसूरि प्रा. गा.१५ पद्य 147 Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (पे.१३) प्रव्रज्याविधानकुलक प्रा. गा.३० महेश्वरसूरि अपभ्रं. गा. ३५... (पे.१४) संयममञ्जरीप्रकरण (पे.१५) ऋषभपञ्चाशिका (पे.१६) भयहरस्तोत्र धनपाल गा.५० मानतुङ्गसूरि गा. २३ संसारविसमसायरभवजल पद्य पडि नमिऊण नमिरतियसिन्द पद्य जय जन्तुकप्पपायव! पद्य नमिऊण पणयसुरगणचूडामण वन्दित्तु सव्वसिद्धे जयइ जगजीवजोणी... पद्य नमिऊण जिणं जगजीवबन्ध १८३ ३७/५४(१६२) (पे.पृ. २०६-२०९) पे.वि. : गाथा-२५. [कृ.वि. : गाथा..२४ थी ३५ सुधी मळे छे... (पे.पृ. २०९-२१३)... (प.पू. २१३-२१९. (पे.पृ. २१९-२२१) [कृ.वि. : गाथा २१ थी २४ मळे छे. (पे.पृ. २२१-२२७) पे.वि. : गाथा-६०..... (प.पृ.२२८-२३३). (पे.पृ. २३४-२४२) पे.वि. : छेल्लां पानानां वे टुकड़ा छे. (जुनो नं.३१३)अपूर्ण-चोटेली-अलभ्य गा.५० पद्य (ये. १७) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.१८) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (ये.१९) नाणाचित्तप्रकरण गा. ५० गा.८१ १९१-१ : रघुविलास ताडपत्र :वि. १३४२ ताडपत्र रामचन्द्रसूरि : श्रेष्ठ वामेश्वरध्वज श्रेष्ठ । १९१-२ न्यायकुसुमाञ्जलिटीका यकुसमाजालप्रकरण-टीका १९२-१ ऋषभपञ्चाशिकावृत्ति १५५. यद योगिमुख्यरपि .३७/५४(७८)...... (जुनो नं. १५७)पहेला ४-५ पत्रो बगडेलां छे. गद्य १६६ ३७५४(५४) (जुनो नं.२५०)पत्र २-६०-१३० ना बे टुकडा छे. पत्र ६-७-१४-२५-७९-११३-१२२-१२८ एक एक टुकडा छे. पत्र ३८-४६-४७-४९-८५-१०२-१३९१४८ पत्र नथी. १६३ पत्रना त्रण टुकडा छे. श्लोक १००० ताडपत्र जयति विजितान्तरारि २२९ प्रणम्य भुवनालोकं ३७/५४(८२) गद्य ऋषभपञ्चाशिका-वृत्ति प्रमानन्दसार ललितविस्तरा तथा ललितविस्तरापञ्जिका श्रेष्ठ (पे.१) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो हरिभद्रसूरि चैत्यवन्दनसूत्र-ललितविस्तरावृत्ति (पे.२) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो मुनिचन्द्रसूरि चैत्यवन्दनसूत्र की ललितविस्तराटीका पञ्जिका टीका १९३-१: पञ्चाशक आदि श्रेष्ठ (पे.) पञ्चाशकप्रकरण हरिभद्रसूरि (जुनो नं. १९७) लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ (पे.पृ. १-८८) पे.वि. : पत्र ४-५९-१५-१६-४०-६४ थी ६६-६८-७३-८० नथी. (पे.पृ. ८९-२२९) पे.वि. : पत्र ९८-९९-१२०-१३६१४३-१५३ थी १६७ नथी. :ग्रं.२०५० नत्वानुयोगवृद्धेभ्य :गद्य संपूर्ण ताडपत्र ૧૮૬ । ३७/५४(८२) नमिऊण वद्धमार्ण सावग: पद्य प्रा. अध्याय १९ गा. १००० ग्रं. ११८२ (जुनो नं. १४२(२-९)). (पे.पृ. १-६८) पे.वि. : गाथा-१०८२. [कृ.वि.: पञ्चाशक-१-१९] 148 Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रा. गा. ५८ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे.३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गर्गर्षि । गा.१६७ ववगयकम्मकलकं वीरं पद्य (पे.४) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ शिवशर्मसूरि प्रा. :गा.१११ अरहन्ते भगवन्ते अणु पद्य (पे.प्र.६९-७४) पे.वि. : गाथा-५७. कृ.वि.: गाथा ५४ थी ५८ मळे छे. (पे.पृ.७४-८६) पे.वि. : गाथा-१६६. कृ.वि. गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] (ये.पृ. ८७-९५) पे.वि. : गाथा-999. [कृ.वि.. गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे. (पे....१६:१०१).पे.वि. : गाथा-९१.. कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे. (पे.पृ. १०२-१२३) (पे.प्र. १२४-१५१) पे.वि.: गाथा-३६६.. (पे.५) सत्तरिया. सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रषि महत्तर प्रा. गा.९१ सिद्धपएहि महत्थं पद्य गा.३३९ पद्य (पे.६) पञ्च आराधना प्रकरण (पे.७) सङ्ग्रहणीप्रकरण मणिरहकमारसाह१ निट्ठवियअट्ठकम्म जिनभद्रगणि प्रा. गा.३६७ पद्य (पे.८) ऋषिमण्डलस्तव प्रा. गा.२७१ ग्रं. इसिमण्डलस्स गणमण्डल 3४० (पे.पृ. १५२-१६४) पे.वि. : अपूर्ण, गाथा-१४५ तक है. [कृ.वि. : धर्मघोषसुरिकृतथी अन्य.] (जुनो नं. ३०८)१०४-१२२ थी १२६ ने १७७ एम ७ पत्र नथी... उपमितिभवप्रपञ्चसारोद्धार गद्य संपूर्ण ताडपत्र १८४ ३७/५४(९०) नत्वा श्रीमन्महावीर ग्रं. २३२८ ! ताडपत्र संपूर्ण १७९ देवसूरि श्रेष्ठ भद्रबाहस्वामी देवचन्द्रसूरि प्रा. उपमितिभवप्रपञ्चसारोद्धार कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा .(पे.) कल्पसूत्र.... (पे.२) कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा ..... ग्रं. १२८० ग्र.३९५ नमो अरिहन्ताणं... अस्थि इहेव जम्बू । ३७/५४(७३) ...... : संयुक्त प+ग..... गद्य प्रा. वि. ११४६ (जुनो नं. २४५). पे...१:१३८.. (पे.पृ. १३९-१७९) पे.वि. : गाथा-३६०. [कृ.वि. : ग्रंथान.३६० थी ४०० सुधी मळे छे... (जुनो नं. २३४)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३७५४(६६) १५५-१४४(१थी १४४)-११ नमो अरिहन्ताणं : ग्र.१२८० (4.9) कल्पसूत्र (पे.२) कालिकाचार्यकथा भद्रबाहस्वामी प्रा. प्रद्युम्न श्रेष्ठीसं. सयुक्त प+ग पद्य श्लोक ७४ वि. १३२५ पर्वेदं भाद्रपञ्चम्य (पे.पृ. १-१४५) (पे.पृ. १४६-१५५) [कृ.वि. : मोढगुक हरिभद्रसूरिनी प्रार्थनाथी प्रद्युम्न श्रेष्ठीए रची छे.. (जुनो नं. ११३)पत्र १-२नो टुकडो एक एक छे. छेल्ला पत्र नथी. दिगम्बरकृत.... : भावनासङ्ग्रह श्रेष्ठ अपूर्ण ताडपत्र १९५-२(१थी २)=१९३ :३७/५४(६२) 149 Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीकर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार संपूर्ण ताडपत्र ३७/५५(५६).. धर्मदास गणि प्रा. गा. ५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष १९५-२ श्रेष्ठ १५६ उपदेशमाला आदि (पे.१) उपदेशमाला :प्रा. पद्य (पे.२) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) मूलशुद्धिप्रकरण जयसिंहसूरि प्रद्युम्नसूरि गा. १०३ गा.२१४ भयवं दसन्नभद्दो... वन्दामि सव्वन्नुजिणि (जुना नं.३९). (पे.पू.9-09) पे.वि. : गाथा-५४०.कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (प.पू.७१-८३) (पे.पृ.८३-१०७) पे.वि. : सर्वैक्यं ग्रन्थान-२०१. /प्र.३. पत्र १०१ नथी. [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे पद्य :/पे.४) जम्नदीपसमास जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जिनभट गणि :गा.८६ नमिउण सजल जलहर :पद्य (पे.५) विवेकमञ्जरी (पे....१०५-११८)..वि... गाथा-१४.. कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. (पे.पू. ११८-१३६) पं.वि.: ऐक्यं गाथा-9४४./ [कृ.वि. : आसड कृत। (प.पू. १३६-१५82. (पे...१५१-१५६८.. (जुनो नं. १५९) लेखन स्थल : अणहिलपाटक (पे..)२४ जिनना पञ्चकल्याणक स्तव :गा.१३६ ताडपत्र वि.१२२८ :११९ (प.) आवकप्रतिक्रमणसूत्र १९६-१ योगशास्त्र द्वादश प्रकाश तथा वीतरागस्तव (पे.१) योगशास्त्र १२ मो प्रकाश ३७/५५(५०) (पे.प्र. 9-900) पे.वि. : पत्र पहेलानां बे टुकडा छे. तेमज केटलाक पत्रो खवायां छे. अध्याय १२प्रका योगशास्त्र (ये.२) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि नमो दुर्वाररागादिवर यः परात्मा परञ्ज्योत अध्याय २० ग्रं. पद्य १८७ (पे.पृ. १०१-११९) पे.वि. - कुमारपालना विद्यमानपणे कोई प्राग्वाटे लखावी छे. लखावनारना प्रशस्ति त्रुटक छे. [कृ.वि. : प्रकाश २०].... श्रेष्ठ १९६२। उपदेशमणिमाला आदि (ये.१) उपदेशमणिमालाकुलक : जिनेश्वरसूरि संपूर्ण ताडपत्र.......वि. १३८८. २४१ ३७/५५(७०)... (जुनो नं. २१८)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. :प्रा. गा. १५ जीवदयाइ रमिज्जइ... पद्य (पे.पृ. १-२) पे.वि. : पत्र (१) पहेलामा श्री तीर्थकरनु, पत्र (२) बीजामां साधुनुं ने पत्र ४७मा देवीन चित्र छे... ...........गा.९......................... चित्तद्धिमि मह न ....... पद्य ........... (पे.पृ.) (पे.२) मिथ्यात्वकुलक 150 Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र झे.पत्र) कति प्रकार अपभं. गा. ५... जय चिन्तामणि जयनाह पद्य धर्मदास गणि प्रा. गा. ५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे : पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.३) नवफणा श्रीपाश्चनाथनमस्कार (पे.४) उपदेशमाला (पे.५) गौतमपृच्छा प्रकरण गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण: पद्य (पे.पृ.२-१) (पे.पू. १-४७) पे.वि. : गाथा-५४२. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (ये.पू. ४0-49) [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे] (पे.पृ. ५१-५३) पे.वि. : गाथा-२७ सुधी./पत्र ५४५५ नथी. (पे.पृ. ५६-६२) (प.६) चतुःशरणप्रकीर्णक प्रा. गा.२७ पद्य चउसरणगमण दुक्कडगरहा नमिऊण भणइएवं भयवं! (पं.७) आराधनाकुलक सोमसूरि :गा.६९ पद्य (पे.८) अणसण पच्चक्खाण (पं.९) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे.१०) पुष्पमालाप्रकरण आसड गा.१४४ : सिद्धिपुर सत्थवाहें सिद्धमकम्ममविग्गहमकल: पद्य (पे.पृ.६२). (प.पू.६३-७५) पे.वि.: पत्र ७६ थी १४१ नथी. (पे.पृ. १४२-१८७) हेमचन्द्रसुरि गा. ५०५ मलधारी (पे.११) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण :गा.८६ नमिउण सजल जलहरपद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण श्रीमत्तीर्थपतिप्रणी (पे.१२) देवभद्रगुरुस्तुति (पे.१३) चैत्यवन्दनक अने प्रतिक्रमणसुत्रादि (ये.पृ. १८८-१९६) पे.वि. : गाथा-११२. [कृ.वि. गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.. (प.पू. १९६-१९७) (पे. पृ. १९८-२२५) पे.वि. :बे स्तोत्रो पण छे ते पेटांक २०.२१ पर छे. आवकषडावश्यकसूत्र (पे.१४) लघुअजितशान्तिस्तव (पे.१५) गौतमपृच्छा प्रकरण ......... नमो अरहन्ताणं नमो संयुक्त प+ग गभअवयारि सोहम्मसुर : पद्य नमिऊण तित्थनाहं जाण: पद्य गा. ५३ : गा.३१ जस्स न भिन्न हिययं.. गा.१३ (प...२२५:२२६.. (पे.पृ. २२६-२३०) पे.वि. : गाथा-१२- [कृ.वि. ! गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे] (पे.पृ. २३०-२३३) पे.वि. : गाथा-३५.. (पे.. २३३/.. (पे.पृ. २३३-२३७) पे.वि. : गाथा-२९. (प.पू. २३७-२३९) (प.पू.. १९८-२२५).. (पे.पृ. १९८-२२५)...... (पे.१६) शीलकुलक (पे.१७) लघुरलत्रय (पे.१८) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे.१९) धर्मलक्षणप्रकरण (पे.२०) जिनस्तोत्र (पं.२१) नयगमस्तव का.२८ विमलसूरि । विमलसूरि श्लोक २२ कः खलु नालक्रियते धर्मार्थ क्लिश्यते हेव सूसमु हुअ मह नयगमभङ्गपहाणा अपनं. गा.९ । जिनप्रभसूरि प्रा......... गा.११ 151 Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार विराहि श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३७/५५(७४) भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा.११६३ग्रं. दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य १४३२ भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा.६९७ पिण्डे उग्गम उप्पायण :पद्य १९३ ओघनियुक्ति तथा पिण्डनियुक्ति (पे.१) ओघनियुक्ति (पे.२) पिण्डनियुक्ति संपूर्ण ताडपत्र १४८ १९८-२ श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि (2.9) श्रावकधर्मविधितन्त्रप्रकरण श्रेष्ठ हरिभद्रसूरि ३८/५५(७०)... पद्य गा. १२० नमिऊण वद्धमार्ण सावग (जुनो नं. १४६) (पे.पृ. १-११२) ये.वि. : गाथा-११९०. [कृ.वि. : गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. (पे.पृ. ११३-१९३) पे.वि. : ग्रन्थान-७३०. [कृ.वि. गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे.. (जुनो नं. १५५(१३-२४)). (पे.पृ. १-८) पे.वि. : गायकवाडी नंबर आपेलो नथी./गाथा ७८ थी १२० सुधी नथी. (पे.पृ.२-७) ये.वि. : गायकवाडी नंबर १४२(१) आपेलो छे./पत्र नथी. बीजानो टुकडो छे. (पे.पृ. १-९) पे.वि. : गायकवाडी नंबर २२(४६) आपेलो छे./अपूर्ण. (पे. पृ. १-६) पं.वि. : गायकवाडी नंबर २४१४४) आपेलो छे./पत्रना टुकड़ा थयेला छे. /गायकवाडी केटलोगमां अन्ययोगव्यवच्छेद द्वात्रिंशिका-अपूर्ण हेमचन्द्रसूरिकृत लखेल छे. (पे.२) एकविंशतिस्थानप्रकरण :सिद्धसेनसूरि :गा.६६ चवण विमाणा नयरी (पे.३) नीतिवाक्यामृत सोमदेवसूरि(दि.) : सं. (पे.४) द्वात्रिशिका सिद्धसेनीया प्रथम द्वात्रिशिका द्वात्रिंशदद्वात्रिंशिका अध्याय ३२बत्री स्वयम्भुवं भूतसहस्र सिद्धसेन दिवाकर सरि (ये.५) योगशास्त्र४ प्रकाश योगशास्त्र (प. पृ. १-३४) अध्याय १२प्रका हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि नमो दुर्वाररागादिवैर यः परात्मा परञ्ज्योत (पे.६) वीतरागस्तोत्र अध्याय २० ग्रं. (पे.पृ. ३४-४८) [कृ.वि. : प्रकाश-२०.] १८७ (पे.७) भक्तामरस्तोत्र मानतुगसूरि का.४४ भक्तामरप्रणतमीलिमणि पद्य (ये.८) नवतत्त्वप्रकरण :गा.५३ (पे.पृ.४८-५३) [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छ.] (पे.पृ. ५४-५८) पे.वि. : गाथा-५३. [कृ.वि. गाथा-४९.पण मळे छे. (पे.पृ.५८-६२) पे.वि. : गाथा-६४. (ये.९) एकविंशतिस्थानप्रकरण सिद्धसेनसूरि गा.६६ पद्य चवण विमाणा नयरी | जणया 152 Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार पद्य (पे.पृ. ६३-६५) (पे.पृ.६५-६७) पे.वि. : श्लोक-४२. धर्माधर्मान्तरं पद्य (पे.१०) लघुरत्नत्रय गा. १३. (पे.११) परमसुखद्वात्रिंशिका जिनप्रभसूरि सं. श्लोक ३२ :(आगमिक) (पे.१२) धर्मलक्षणप्रकरण विमलसरि श्लोक२२ (पे.१३) प्रश्नोत्तररत्नमालिका विमलसूरि.........स............. का.२८ (पे.१४) दशवैकालिकसूत्र अध्ययन चार ... दशवैकालिकसूत्र शरयम्भवसा रिप्रा. (पे.१५) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र धर्मार्थ क्लिश्यते कः खलु नालडिक्रयते ... पद्य . ............ (पे.पृ. ६७-६८ (पे...६८-190) पं.वि.:.का.२९. (ये. पृ. १-२) पे.वि. : कागळमां. 100 प्रा. धम्मो मङगलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग सावज्जजोगविरई :पद्य उक्कित पद्य नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य प्रा..........-- +गा.२१ (पे.१६) साधारणजिनस्तव (पे.१७) सङ्ग्रहणीप्रकरण प्रा. गा.२७३ श्रीचन्द्रसूरि मलद्यारि (पे.पृ. ९-१२) [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे] (पे.पृ. १३) (पे.पृ. २-३८) पं.वि. . गायकवाडी नंबर ३९(७) आपेलो छे./गाथा-६-२४६./अपूर्ण छे. (जुनो नं. १८५)प्रथम ५ पत्र चोटेला छे. छेवटना पानां नथी. वचमां पण कोई कोई पत्र त्रुटक छे. अपूर्व छे. प्रायः मळतुं नथी, जीर्ण छे. मूल अने टीकाकार अज्ञात छे. विद्वाननाम अज्ञात है. :१९९-१ : ऋषिमण्डलस्तव सह बृहद्वृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३८/५५(११३) ऋषिमण्डलप्रकरण श्रेष्ठ संपूर्ण १२६ पणमह सन्तिजिणिन्द ३८/५५(५३) .......(जुनो नं. ९). ऋषिमण्डलप्रकरण-बृहद्वत्ति - कथासहित दमयन्तीचरित्र वीस उद्देसा दमयन्तीचरित्र जीवसमास आदि........................ (पे.१) जीवसमासप्रकरण (पे.२) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति संपर्ण ...ताडपत्र :गा.२७० भद्रबाहुस्वामी गा.२५०० ग्रं. पद्य 3900 श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र...........वि.१२१:. १६६ ३८/५५(७५)....... (जुनो नं. २०१)पत्र ३५ पछी नथी. दस चोदस य जिणवरे :पद्य (पे.पृ. १-३५) जयइ जगजीवजोणी (पे.पृ. १-१३१) [कृ.वि. : आनुं अने नंदिसूत्रनुं वियाणओ आदिवाक्य समान छे. ३८/५५(४५)........(जुनो नं. २१५)... धम्मो मड़गलमुक्किट्ठ : संयुक्त प+ग पे....१-७२).... (पे. पृ. १-३१) पे.वि. : खामणा पण साथे छे. तित्थबकरे य तित्थे संयुक्त प+ग ३८/५५(८६).....(जुनो नं. ३०२) शय्यम्भवसार दशवैकालिकसूत्र आदि (पे.) दशवैकालिकसूत्र (पे.२) पाक्षिकसूत्र खामणा साथे पाक्षिकसूत्र हेतुविन्दु तर्क सह टीका ग्र.७०० २०१-२ 153 Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार हेतुबिन्दु हेतुबिन्दुतर्क-टीका यः सञ्जात महाकृपों गद्य बौद्ध न्यायनो ग्रन्थ. टीका आदिवाक्यमां 'जिनवरविर्मुना नमस्यामि' शब्द आवे छे. (जुनो नं. १९१).(११.५४१.७) (पे.पृ. १-५०) संपूर्ण ताडपत्र पुष्पमाला आदि (पे.१) पुष्पमालाप्रकरण ३५२ .३८/५५(१५६)... सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य प्रा. :गा. ५०५ (पे.२) भवभावनाप्रकरण प्रा. गा.५३१ वि. ११७० (पे.पृ.५१-०७) हेमचन्द्रसूरि मलधारी हेमचन्द्रसूरि मलधारी श्रीचन्द्रसूरि मलधारि नमिऊण पद्य नमिरसुरवरमणिमउ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य (पे.३) सङ्ग्रहणीप्रकरण गा.२७३ (पे.पू. १०८-१३८) (पे.४) श्राद्धदिनकृत्य गा.३४० वीरं नमेउण तिलोयभाणु पद्य (पे.पू. १३८-१७५) पे.वि. : गाथा-३३९. कृ.वि. : गाथा-३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामां मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य (प.पू. १७५-१९३) (ये.५) धर्मरत्नप्रकरण शान्तिसूरि प्रा. गा.१४५ पद्य नमिउण सयल गुणरयणकुल (पे.६) मृगापुत्रमहर्षिकुलक. (4.9) जिनस्तुति गा. ४२ गा. २७ (पे.पृ. १९३-२०१) (पे.पृ. २०१-२०७) (पे.८) संस्तारकप्रकीर्णक गा. १२४ (पे.पृ. २०८-२२०) जयपयडपहावं मेघगम्भीर काऊण नमोक्कार जिणवर भत्तिभर नमिर. तिण्णि निसिही.. गा.२०८ गा. ६३.. पद्य गा.३९. पद्य गा.४१ (पे.९) ऋषिमण्डलप्रकरण (ये.१०) चैत्यवन्दनभाष्य (पे.99) प्रत्याख्यानभाष्य (पे.१२) वन्दनक भाष्य (पे.१३) नमस्कार (पे.१४) जीबविचारप्रकरण (ये.१५) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे.१६) बृहत आराधना (पे.पृ. २२०-२४३) पे.वि. : गाथा-२०८, (प.पू..२४४-२५३८.. (प.पू. २५३-२५७.. (पे.पृ. २५८-२६४). (पे.पृ. २६४-२७३/.. (पे.पू. २७३-२८०).. (पे.पृ. २८१-३००) ............(पे.पृ. ३०१-३०८). गा.९ पद्य :गा.५१ शान्तिसूरि आसड सोमसुरि... वि. १२८८ भुवणपईवं वीरं नमिऊण : पद्य सिद्धिपुर सत्थवाहं . पद्य ............. पद्य गा. १४४ गा. ६९.. प्रा. 154 Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पे. 90) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रा. गा. १७२ ग्रं. नमिऊण महाइसर्य पद्य १११ महाण सावज्जजोगविरई : पद्य उक्कित गा.६० :पद्य (पे.१८) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र (पे.१९) आतुरप्रत्याख्यान लघु (पे.पू. ३०८-३२५) पे.वि. : गाथा-१७१. [कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे]. (पे.प्र.३२५-३३३) कृ.वि.: गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे] (ये.प्र. ३३३-३४१) पे.वि. : गाथा-७१. कृ.वि. : गाथा परिमाणमा ४० थी ९४ सुधीचं वैविध्य जोवा मळे छे. आनी साथे संकळाएल केटलीक प्रतो वीरभद्र गणि वाला आउर पच्चक्खाणनी अगर :"अरहन्ता मंगलं मज्झ..."आदिवाक्यवाला के पछी "कुससत्थरे निसन्नो..."वाला आदिवाक्य वाला आउर पच्चक्खाणनी पण होई शके (महावीर जैन विद्यालयथी आ बन्ने छपाया छे) (पे.पृ. ३४१-३५२) पे.वि.. गाथा-१०४. [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे] (जुनो नं. १५४)आ प्रतमा पत्रांक १८३,२-१५ छे. अपूर्ण जेवू-पाछला बे पत्रना टुकडा छ. ने २-१२ पानां खवायेलां छे.बे प्रतो छे. (पे.२०) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभप्रा . :गा.१०४ देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य २०३-१ शुम्भलीमत (अलभ्य) श्रेष्ठ अपूर्ण ताडपत्र १५-१(१)=१४ :३८/५५(५८) कुट्टनीमत-शुम्भलीमत दामोदर श्लोक १०३९ गं. १२९० स जयति सङ्कल्पभवो पद्य ताडपत्र योगशास्त्र चार प्रकाश आदि (पे.१) योगशास्त्र४ प्रकाश योगशास्त्र (पे.२) वीतरागस्तोत्र ३८/५५(४०)........ जुनो नं. २४६).. (पे. पृ. १-६६) पे.वि. : श्लोक-४६५. हेमचन्दसरि अध्याय १२प्रका नमो दाररागादिवैर हेमचन्द्रसूरि अध्याय २० ग्रं. यः परात्मा परज्योत (पे.पृ. ६७-९५) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] १८७ उमास्वाति श्लोक ३१४ वि.११८५ (पे.पृ. १-३७) पे.वि. : गाथा-३१४. नाभेयाद्याः सिद्धा वन्दित्तु सव्वसिद्धे गा. ५० (पे.३) प्रशमरतिप्रकरण (पे.४) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.५) अतिचारगाथा आयरिय उवज्झाय साथै अतिचारगाथा आयरिय-उवज्झाय साथे (पे. पृ. ४०मुं) पे.वि. : गाथा-८. गा.१२ 155 Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक २०४-१ २०४-२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.६) लघुशान्तिस्तोत्र (पे.७) धरणोरगेन्द्रस्तव (पे.८) भयहरस्तोत्र (पे.९) संसारदावास्तुति विवेक विलास विवेकविलास योगशास्त्र चार प्रकाश आदि (पे. १) योगशास्त्र ४ प्रकाश योगशास्त्र (पे.२) उपदेशमालाप्रकरण पुष्पमालाप्रकरण २०५१ पुष्पवतीचरित्र आदि (पे. १) पुष्पवतीचरित्र (पे. २) सुलसाचरित्र (पे.३) सगरचक्रवर्ती आख्यान (पे.४) उमसिरिचरित्र (पे. ५) अञ्जनासुन्दरीचरित्र (पे.६) महावीरजिन जन्माभिषेक (पे.७) दानादिप्रकरण स्थिति कर्ता श्रेष्ठ जिनदत्तसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि मलधारी जीर्ण मानदेवसूरि देवसूरि मानतुङ्गसूरि प्रा. हरिभद्रसूरि (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष अभयदेवसूरिशिष्य धाहिल सूराचार्य भाषा सं. सं. सं.प्रा. संपर्ण सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. अपभ्रं. प्रा. अपभ्रं अपभ्रं. अपभ्रं सं. परिमाण गा. १७ गा. ३६ ग्रं. ३९ गा. २३ का. ४ ताडपत्र ताडपत्र अध्याय १२ प्रका गा. ५०५ ताडपत्र गा. ६४३ अध्याय ७अवसर श्लोक : वि. १४९३ वि. १३२९ वि. ११९१ 156 आदिवाक्य शान्ति शान्तिनिशान् धरणोरगेन्द्रसुरपति नमिऊण पणयसुरगणचूडामण संसारदावानलदाहनीरं.. पद्य १६३ १७६ T १११ मुत्तममुत्तं सुद्ध पणमवि तित्थेसरु वीर क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य नमो दुर्वाररागादिवैर सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य सुरवरकयमाणं नट्ठनीसे धाहिल दिव्यदिहि कुलभयविहवंसम्पुन्नि कम्पिउ रयणासणु तव पद्य ३८/५५(५७) ३८/५५(४८) _३८/५५(६१) पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. ४१-४३) (पे. पृ. ४३-४८) पे.वि.: श्लोक-३५, गायकवाड केटलॉगमा कर्ता वादिदेवसुरि. (पे. पृ. ४८-५१) (कृ.वि. गाथा २१ थी २४ मळे छे.] (पे. पृ. ५१-५२ ) [कृ.वि. भाषा समसंस्कृतप्राकृत.... (जुनो नं. ६१ ) चेल्लुं १ पत्र नथी. (जुनो नं. ६५ ) पेटांक - १मां ७३ अने २मां पत्र १०३ छे बन्ने मलीने कुल १७६ पत्रो छे. लेखन स्थल : युवराजपाटकनगर (पे. पृ. १७३) पे.वि. श्लोक-४६२. (पे. पृ. १-१०३), (जुनो नं. ३०७) लेखन स्थल धवलकक्कनगर (पे.पू. ४३) (पे.पृ. १-४३) पे.वि. पत्र १२-१३B उपर एकाक्षर स्तुति छे ते पेटांक-८ उपर लीची छे. (पे.पृ. १-५) (पे.पृ. १-५३) (पे. पृ. ५४-५५) पे.वि. अपूर्ण जीर्ण- आंक वगरनां पाना. (पे.पृ. १-८) (पे.पृ. ४-७५) Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीचीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार ५२६......... (पे.८) एकाक्षरस्तुति देवचन्द प्रा. : जय अमरनय पद्य (पे.पृ. १२-१३) चरणमय ताडपत्र वि. १२८६ :२०५-२: गाडयध महाकाव्य गउडवहोमहाकाव्य संपूर्ण प्रा. :१४५ पढम चिय ३८/५५(६१)..(जुनो नं. ९२)आंकनी बाजुनी कोरो खरी गई छे.. पद्य वाक्पतिराज गा.११६८ ग्रं. १४९० धवलकओवीस २०६-१ सिद्धहेमशब्दानुशासन आख्यात लघुवृत्ति श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र २०४ . ३३०० प्रणम्य परमात्मानं । सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति योगशास्त्र चार प्रकाश आदि (पे.१) योगसास्त्र४ प्रकाश ...हेमचन्द्रसूरि सं.............. ....... संपूर्ण ........ श्रेष्ठ ३८/५५(८४) :(जुनो नं.८०)पाछलां अने वचला केटलांक पानानी कोरो खरी गई छे... गद्य .३८/५५(१०६).......(जुनो नं. २२) (पे. पृ. १-१५) पं.वि. : पत्र ५-६-१ नथी. १४ मानो इकडो छ... ताडपत्र सं. अध्याय १२प्रका योगशास्त्र (पे.२) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि नमो दुर्वाररागादिवैर यः परात्मा परज्योत पद्य अध्याय २० ग्रं. १८७ (पे.३) प्रशमरतिप्रकरण उमास्वाति श्लोक ३१४ वि.११८५ नाभेयाद्याः सिद्धा पद्य (पे.४) उपदेशमाला धर्मदास गणि प्रा. गा.५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे पय (ये.पू. १५-२०) पे.वि. : ग्रन्थान-२००. पत्र १७१९मुंनथी ने २० मानो टुकडो छे./ [कृ.वि. : प्रकाश-२० (पे.पृ. २१-३०) पे.वि. : श्लोक-३१६. पत्र २६२७नो १-१ टुकडो छे./ (पे.पृ. ३१-४७) पे.वि. : गाथा-५४०. पत्र ३७नो आंक तुटेलो छे. ३८नो आंक तुटेलो छे. ३९, ४०ना अक्षरो घसायेला छे. ४१नो टुकडो छे. ४४मुं पत्र नथी./ [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (पे.पू. ४७-५१) पे.वि. : गाथा-१०१. (पे.पृ. ५१-१७) पे.वि. : ६७मुंटूटेलु ने ६९-७०-७१ पत्र नथी./ [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे] (प...५८.६८.. (पे.पृ. ७२-७९) पे.वि. : ७३ थी ७८ सुधी पत्र नथी. पद्य (पे.५) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.६) मूलशुद्धिप्रकरण जयसिंहसूरि प्रद्युम्नसूरि प्रा. प्रा. गा.१०३ गा.२१४ : भयवं दसन्नभदो. वन्दामि सञ्चन्नुजिणि पद्य :गा.२८० (पे.७) दर्शनशुद्धिप्रकरण (पे.८) सङ्ग्रहणीप्रकरण श्रीचन्द्रसरि प्रा. :गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य मलद्यारि Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.९) पिण्डविशुद्धिप्रकरण (पे. १०) विवेकमञ्जरी (पे. ११) तपसमास (पे. १२) छत्रीस ठाण ( पे. १३) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (पे. १४) गौतमपृच्छा प्रकरण (पे. १५) दशवैकालिकसूत्र (पे. १६) पाक्षिकसूत्र खामणा साथे पाक्षिकसूत्र (पे. १७) अजितशान्तिस्तोत्र सह (सं.) अवचूरि अजितशान्तिस्तोत्र अजितशान्तिस्तोत्र - अवचूरि (पे. १८) आत्मानुशासन (पे.१९) जीवानुशासन (पे. २०) भावभावक लक्षण ( पे. २१) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे. २२) धर्मलक्षणप्रकरण (पे.२३) उपदेशकुलक (पे.२४) विधवाकुलकविधवामहिलासामाचारी प्रकरण (पे. २५) जम्बूस्वामीकुलक स्थिति कर्ता जिनवल्लभ जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण य्यम्भवसूरि नन्दिषेण (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष विमलसूरि विमलसूरि भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. सं. पार्श्वनाग (दिगम्बर) वीरदेवसूरि प्रा. मुनिरत्नसूरि प्रा. सं. सं. प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण गा. १०४ गा. ८८ गा. ७८ गा. ८६ गा. ५३. ग्रं. ७०० ग्रं. ३५० गा. ४० श्लोक ७७ गा. २५ गा. २९ का. २८ श्लोक २२ गा. १५ गा. १० गा. १९ वि. १०४२ 158 आदिवाक्य देविन्दविन्दवन्दियपय नमिउण सजल जलहर नमिऊण तित्थनाहं जाण धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ तित्थङकरे य तित्थे अजियं जियसव्वभयं सकलत्रिभुवनतिलकं का खलु नालङिक्रयते धर्मार्थ क्लिश्यते क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य संयुक्त प+ग संयुक्त प+ग पद्य गद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. ७९-८२) पे.वि. ८०-८१ पत्र नथी. [कृ. वि. गाथा १०५ सुधी मळे छे]. (पे.पृ. ८२-८७) पे.वि.: ८३-८४-८५ पत्र नथी. [कृ.वि.: आसड कृत ? ] (पे.पू. ८७-९०) (पे. पृ. ९०-९३) पे.वि. ९३नो टुकडो छे. (पे. पृ. ९३-९५ ) पे. वि. गाथा-८७. [कृ. वि. गाथा - ८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. ] (पे.पृ. ९५-९७) पे.वि. ९६ मानो टुकडो ९७मुं नथी. [कृ. वि. गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे. (पे.पृ. ९८-१०१) (पे. पु. १०२-१०८) (पे. पृ. १०८-११०) पे.वि. गाथा- ४०. .कृ.वि.: गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. (पे. पृ. ११०-११२ ) [कृ.वि. परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे.] (पे.पृ. ११२-११३).. (पे.पृ. ११३मुं) (पे.पू. ११४मुं) (पे. पृ. ११४-११५). (पे.पू. ११५मुं) (पे. पृ. ११५मुं) पे.वि. गाथा-९. (पे. पृ. ११६मुं) Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक पित नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) जिनेश्वरसूरि अपभ्रं. गा. ३२. घणु जुव्वणु जीविउपद्य गा.२९ जहिं जिणधम्मु न जाणि: पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार .. (पे.२६) द्वादशभावनाकुलक. (पे.२७) दाङ्गडउ अपभ. (पे.२८) प्रव्रज्याविधानकुलक गा.३० संसारविसमसायरभवजल: पद्य पडि (पे.पू. ११६-११७) (पे.पृ. ११७) कृ.वि. : भावनाकुलक- भाषाअपभ्रंश, गाथा-२१ नुं पण समान आदिवाक्य छे.]. (पे.पृ. ११८-११९) पे.वि. : गाथा-३५. [कृ.वि. : गाथा- २४ थी ३५ सुधी मळे छे] (प.पू. ११२मुं.. (पे.पृ. ११९-१२१) पे.वि. : पत्र १२०-१२१ माना अक्षरो घसाई गया छे. पण १२१ पत्नी बीजी पुठीमा आराधना समाप्त छे. (पे. पृ. १२१)................ :पय (पे.२९) चतुर्धर्म कुलक (पे.३०) आराधना गा. ३०.... गा.७ गा.१२ (पे.३१) अतिचार अष्ट्र गाथा अतिचारगाथा आयरिय-उवज्झाय साथे (पे.३२) ऋषभपञ्चाशिका (पे.३३) शालिभद्रमाई * जय जन्तकप्पपायवा अपभ्रं. गा.५५ का.८ पय (4.३४) वे स्तुतिओ (पे.३५) स्तुति द्वात्रिंशिका (पे.३६) स्तुति द्वात्रिंशिका (पे.३७) भक्तामरस्तोत्र गा.३२ का.४४ विणनयरा नाभि मरुदेवि पद्य भक्तामरप्रणतमौलिमणि मानतुगसूरि पद्य बिलण (प.पू..१२१-१२२............. (पे.पृ. १२३-१२४) पे.वि. . पण केटलाक अक्षरों घसायेला छे. तेनी गाथा ५५ कुल छे. [कृ.वि. : First २५ versesAre oBliterAted.]. (पे.पृ. १२४) (प.पू. १२४-१२६). (पे....१२५-१२८.. (ये.पृ. १२९-१३०) [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. (पे.पृ. १३०-१३१) पे.वि. : १३१ म पत्र टूटेलु छे. (पे.पू. १३१-१३२) (पे.पृ. १३२मुं) (पे.पृ. १३३). (पे... १३३.पे.वि. : गाथा-१४ (पे.पृ. १३३-१३४) पे.वि. : गाथा-२१. कृ.वि. : गाथा २१ थी २४ मळे छे.] (प.पू. १३५) पे.वि. : गाथा-९. (पे.पृ. १३५-१३६) पे.वि. : गाथा-३४... का . ८ पद्य गा.१० (पे.३८) जिनपति स्तोत्र अष्टक (पे.३९) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.४०) पार्श्वनाथाष्टक (पे.४१) सिद्धचक्र स्तुति (पे.४२) जयतिहअणस्तोत्र (पे.४३) भयहरस्तोत्र का.८. का. १२ अभयदेवसरिअपभ्रं. जयतिहवण कप्परुक्रव गा.३० गा.२३ EEE मानतुगसूरि (प.४४) पार्श्वनाथ अष्टक मन्त्रगर्मित। (पे.४५) धरणोरगेन्द्रस्तव नमिऊण पणयसुरगणचूडामण श्रीमन्नागेन्द्र धरणोरगेन्द्रसुरपति श्लोक८ गा.३६ ग्रं.३९ देवसरि :पद्य 159 Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.४६) लघुशान्तिस्तोत्र (पे. ४७) सर्वसामान्य स्तोत्र (पे. ४८) वीतरागस्तोत्र (पे. ४९) नन्दीश्वर पञ्चपरमेष्ठि स्तोत्र (पे. ५० ) मङ्गलस्तव (पे.५१) नेमिजिन बिरुदावली ... (पे. ५२) नेमिनाथ बोली (पे.५३) आचार्यांनी स्तुति (पे. ५४) कल्याणकस्तोत्र 1. (पे. ५५) कल्याणकस्तोत्र (पे. ५६) उपधान तप ने तेना यन्त्रो (पे.५७) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र 1 (पे.५८) चैत्यवन्दन वन्दनक विवरण वृत्ति आवश्यकसूत्र आवश्यक सूत्र- लघुवृत्ति (पे.५९) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो प्रत्याख्यानसूत्र-वृत्ति (पे.६०) काउसग्गना एकवीस दोष (पे.६१) चैत्यवन्दन स्थान (पे.६२) आवकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.) लघुवृत्ति श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र - लघुवृत्ति (पे.६३) विवेकविलास (पे.६४) दर्शनशुद्धिप्रकरण स्थिति कर्ता मानदेवरि विमलसूरि आसराज (पातासंघवी ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा चन्द्रप्रभसूरि सं. सं. सं. सं. सं. अपभ्रं सं. प्रा. प्रा. सुधर्मास्वामी तिलकसूरि सं. सं. तिलकसूरि सं. जिनदत्तसूरि सं. प्रा. परिमाण गा. १७ गा. २२ गा. ९. गा. १३ श्लोक ५ का. ४५ गा. २४ श्लोक ३२ गा. ३२ गा. ५० श्लोक १२३२५ वि. १२९६ ग्रं. ५५० गा. २१ ग्रं. २०० वि. १४९३ 160 आदिवाक्य शान्ति शान्तिनिशान् जय श्रीनेमिजिनवर। जयतु जयतु शश्वन्नेमि तिथिक्रमाज्जिनेन्द्र वन्दित्तु सव्वसिद्धे यो मन्दरागेण न प्रणिधाय श्रीवीरं पत्तभवन्नवतीरं दुहदव क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य संयुक्त प+ग पद्य गद्य पद्य गद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. १३६मुं) (पे.पृ. १३७मुं) (पे.पृ. १३७-१३८), (पे.पृ. १३८मुं) (पे.पू. १३८मुं) पे.वि. अक्षरो घसायेला छे. (पे. पृ. १४०-१४१) पे.वि. पत्र १३९मुं नथी. पत्र १४० मानी पुंठी घसायेली छे. (पे.पृ. १४१-१४२) (पे. पृ. १४२-१४४) पे.वि. पत्र १४५ नथी (पे. पृ. १४६.मुं.) (पे. पृ. १४७मुं) (पे.पू. १४८-१५०) (पे. पृ. १५१-१६४) पे. वि. अक्षरो घसायेला. (पे. पृ. १६५-१७९) (पे. पृ. १७९-१८४) (पे.पू. १८५मुं) (पे.पृ. १८५-१८६) (पे. पू. १८७-१९३) (पे. पृ. १९४-२२८) पे.वि. पत्र १९४-१९५-१९७१९८ घसायेला पत्र २०४, २०६-२०७, २१४, २१५ नो १-१ टुकडो छे, छेवटे १ चित्र हतुं ते घसाई गयुं छे. (पे.पू. ६४) Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर) पेटा नाम कृति नाम आचाराङगसूत्रचूर्णि अपूर्ण आचारागसूत्र- चूर्णी सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति .. (पे. १) सूत्रकृताङ्गसूत्र (पे. २) सुत्रकृताङ्गसूत्र- नियुक्ति (पे.३) सूत्रकृतागसूत्र-वृत्ति ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र सह टीकाअपूर्ण (पे. १) ज्ञाताधर्मकथागसूत्र (पे. २) ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-वृत्ति पञ्चाङ्गीसूत्रटीका (पे. १) अनुत्तरीपपातिकदशाङ्गसूत्र (पे. २) प्रश्नव्याकरणसूत्र (पे.३) विपाकसूत्र (पे.४) उपासकदशासूत्र की टीका उपासकदशाङ्गसूत्र- वृत्ति (पे. ५) अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र की टीका अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र- अभयदेवीय वृत्ति (पे.६) अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र की टीका अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र- वृत्ति (पे.७) प्रश्नव्याकरण की टीका प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्ति अनुयोगद्वारसूत्र, चूर्णि व वृत्ति (पे. १) अनुयोगद्वारसूत्र स्थिति कर्ता श्रेष्ठ श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी अभयदेवसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी प्रा. प्रा. भद्रबाहुस्वामी शीलाड़काचार्य सं. श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी अभयदेवसूरि अभयदेवसरि अभयदेवसूरि अभयदेवसूरि श्रेष्ठ (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष आर्यरक्षित सूरि भाषा अपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण अपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. सं. सं. सं. सं. संपूर्ण प्रा. परिमाण ताडपत्र ग्रं. ८३०० ताडपत्र ग्रं. २२०० गा. २०८ ग्रं. १२८५३ ताडपत्र ग्रं. ५००० ग्रं. ४३६६ ताडपत्र ग्रं. १९२ ग्रं. १३५० ग्रं. १३१६ ग्रं. ९०० ग्रं. १३५६. ग्रं. १०५ ग्रं. ४६३० ताडपत्र ग्रं. २००५ वि. १४५४ वि. ११२० वि. १४५६ 161 आदिवाक्य १५९-७३(१ थी ७३)=८६ मङ्गलादीणि सत्याणि ३०३ बुज्झिज्ज तिउटटेज्ज तित्थयरे य जिणवरे स्वपरसमयार्थसूचक २१७-३१(१ थी ३१ ) = १८६ तेणं कालेणं तेणं नात्वा श्रीमन्महावीरं २४०-४७ (१] थी ४७)=१९३ तेणं कालेणं तेणं नमो अरहन्ताणं जम्बू तेणं कालेणं तेणं श्रीवर्द्धमानमानम्य अथान्तकद्दशासु किम अथानुत्तरीपपातिकदशा ४३० नाणं पञ्चविहं पण्णत क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (१००) गद्य १/११ (२६७) पद्य गद्य १/११ (१५२) गद्य (200) गद्य गद्य गद्य गद्य गद्य १/११ (२३२) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (जुनो नं. २७(१-२ )) (जुनो नं. ४६ (१,२,३ ) ) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., ( ३३x२) लेखन स्थल स्तम्भतीर्थ (पे.पू. १-४१) (पे. पृ. ४१-४५) (पे. पू. ४६-३०३) (जुनो नं. ५०) (३१.५x२) (पे.पू. ३२-१५९) (पे. पृ. १६०-२१७) मुल- पत्र-४७थी १२३, टीका पत्र १२३थी २४०. (पे. पृ. ४७५-५०B) पे.वि. अपूर्ण. शरुआतनो भाग अपूर्ण छे. (पे. पृ. ५०B-CGA) (पे. पृ. ८७4-१२३A) (पे. पृ. १२३A-१५०B) (पे. पु. १५०B-१५९B) (पे. पृ. १५९B-१६३A) 2 (पे. पृ. १६३-२४०B) पे.वि. अपूर्ण. अध्ययन-५ तक है. (जुनो नं. ३६ (१,२,३ )) (३४x२) लेखन स्थल : स्तम्मतीर्थ (पे. पृ. १-४३) Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण स्चना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष जिनदास गणिप्रा . ग्रं. २२६८ वि.७मी गद्य किञ्चि पञ्चविहायार (पे.पृ. ४४-२१८) भाषा कति प्रकार (पे.२) अनुयोगद्वारसूत्र-चूर्णी क्षमाश्रमण (पे.३) अनुयोगद्वारसूत्र-वृत्ति हेमचन्द्रसूरि ग्रं.५८८८ सम्यक्सुरेन्द्रकृत गद्य (पे.पृ.२१८-४३०) रचना स्थल धवलक्ककनगर मलधारी बृहत् कल्पसूत्र तथा कल्पलघुभाष्य श्रेष्ठ सपूर्ण ताडपत्र २२९ १/११(१८०) (जुनो नं. १)कृति माहिती गायकवाडी केटलोग प्रमाणे लीधी छे. नवा सूचीपत्रमा कल्पसूत्र लखेल छ.. (३२.५४२) (पे.पू. १-१३) पे.वि. : उद्देश-६. (पे.पृ. १४-२१७) :भदबाहस्वामी प्रा. अध्याय ६उद्दे. णो कप्पड णिरगन्थाण (4.१.बृहत् कल्पसूत्र (पे.२) बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य सडधदास गणि गा.६६०० काऊण नमोक्कारं तित्थ पद्य क्षमाश्रमण बृहत् कल्पसूत्रचूर्णि तथा मूल :ताडपत्र ३९३ १/११(३७२) (जुनो नं. २५)कृति माहिती गायकवाडी केटलोगक्रम-२५ प्रमाणे लीधी छे. नवा सूचीपत्रमा कल्पसूत्र लखेल छे. (पे.पू. १-३८४). (पे.पू. ३८५-३९३) ग्रं.१४७८४ मङगलादीणि सत्थाणि गद्य अध्याय ६उद्द :णो कपड णिग्गन्थाण श्रेष्ठ :ताडपत्र ४२० .(१९०) सं.,प्रा. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद गद्य क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मा परिपूरित. श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र 33५ (4.9) बृहत् कल्पसूत्र-कल्पचूणी .... (पे.२) बृहत् कल्पसूत्र भद्रबाहस्वामी बृहत् कल्पवृत्ति द्वितीय खण्ड- त्रुटित.. बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति कल्पवृत्ति तृतीय खण्ड बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति व्यवहारसूत्र भाष्य-वृत्तिसहित द्वितीय खण्ड चतुर्थ उद्देशथी अष्टम उद्देश पर्यन्त व्यवहारसूत्र-भाष्य जिनदास गणि २/१२(२८५)... गद्य ग्रन्थान-९५२१. प्रतिलेखन पुष्पका सहित. क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मा परिपूरित. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र २/१२(३३२) (जुनो नं. २८). (२९.५४२.५) पद्य क्षमाश्रमण मलयगिरिसरि :१३ व्यवहारसूत्र-वृत्ति निशीथसूत्रलघुभाष्य (पे.१) निशीथसूत्र ग्रं. १३७१९ संपर्णताडपत्रवि . १३३० ----------- गा.८१२ प्रणमत नेमिजिनेश्वर :३०४ २/१२(३६०) .... (जुनो नं. २४(१.२.३). (३२.५४२.५). जे भिक्खू हत्थकम्मपद्य ... . (पे.पू. १-0) पे.वि. : बीजा सूचिपत्रमा... भदवारस्वामी 162 Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार पद्य (पे.२) निशीथसूत्र-लघुभाष्य (पे.३) निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध पद्य श्लोक २८००० ग्रं.१७८८४ जिनदास गणि: प्रा. क्षमाश्रमण संपूर्ण ..... भद्रबाहस्वामी प्रा. ४०५. २/१२(३३६).... निशीथसूत्रलघुभाष्यचूर्णि.. (पे.१) निशीथसूत्र ताडपत्र गा.८१२ 'निशीथचूर्णि पंचमोद्देश पर्यंत प्रथम खंड' आ प्रमाणे नाम छे. (पे.पृ. 9-100) (पे.पृ. १-३०४) पे.वि. : प्रथम खण्ड (गायकवाड केटलॉग). (जुनो नं. ३२(१-३!!..(३१४२). (पे.पृ. १०) पे.वि. : बीजा सूचिपत्रमा 'निशीथसूत्रचूर्णि' ८ उद्देशथी १४ उद्देश पर्यंत किंचिद् अपूर्ण आ प्रमाणे नाम छे. (पे.पृ. ८-१४) पे.वि. : द्वितीय खण्ड-उ. ८-१४.. (पे.पृ. १०३-४०५) जे भिक्खू हत्थकम्म पद्य (पे.२) निशीथसूत्र-लघुभाष्य (पे.३) निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि जिनदास गणि प्रा. श्लोक २८००० णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध पद्य क्षमाश्रमण गं १७८८४ प्रतिअपर्ण ताडपत्र २६४ २/१२(२१६).....(जुनो नं. ४२). (३३४२.५)... गद्य नियुक्ति ऊपर पण. :प्रा. ग्रं. १८००० काऊण नमोक्कार तिथयर आवश्यकसूत्रचूर्णि प्रथम खण्ड अपूर्ण श्रेष्ठ आवश्यकसूत्र-चूणी जिनदास गणि क्षमाश्रमण आवश्यकवृत्ति श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र २/१२(३२८) (जुनो नं. ४३)प्रत्याख्यान पर्यन्त. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. ह रिभद्रसूरि गद्य :आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति आवश्यकवृत्ति प्रथम खण्ड सं.प्रा. प्रतिपूर्ण ग्रं.२२००० ताडपत्र प्रणिपत्य जिनवरेन ३२८ २/१२(२९२) (जुनो नं. ३७)गा. के. नं. ३७मां विशेषावश्यकवृत्ति एम लखेल छे.. (३१४२) गय .२२००० ताडपत्र आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति......... आवश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति आवश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड हरिभद्रसूरि........ सं.प्रा. श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण हरिभद्रसूरि सं.प्रा. श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण प्रणिपत्य जिनवरेन ४५२ प्रणिपत्य जिनवरेन २/१२(३९६) : २२००० गद्य ताडपत्र : वि. १४४२ :२७७ २/१२(२६८) (जुनो नं. २२). (३३.५४२.२) लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ प्रणिपत्य जिनवरेन । गद्य २८७ ३/१२(२८८) (जुनो नं. २९), (३१.५४२.५) आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति हारिभद्रसूरिसं ..प्रा. ग्रं.२२००० आवश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र प्रत्याख्यान नियुक्ति विवरण आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति ............ हरिभद्रसूरि ......... सं.प्रा......... २२००० ..... ............. प्रणिपत्य जिनवरेन्ग द्य 163 Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक २२ २३ २४ २५ २६ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड विशेषावश्यकमहाभाष्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण विशेषावश्यकमहाभाष्य - शिष्यहिता वृत्ति हेमचन्द्रसूरि मलधारी विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम श्रेष्ठ खण्ड विशेषावश्यकमहाभाष्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण विशेषावश्यकमहाभाष्य- शिष्यहिता वृत्ति हेमचन्द्रसूरि मलधारी श्रेष्ठ पाक्षिकसूत्रवृत्ति व त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र द्वितीय पर्व (पे. 9) पक्षप्रतिक्रमणवृत्ति पाक्षिकसूत्र-वृत्ति (पे.२) - स्थिति कर्ता श्रेष्ठ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य दशवैकालिकसूत्र वृत्ति सह दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र - टीका उत्तराध्ययनसूत्र पाईयटीकासहित उत्तराध्ययनसूत्र यशोदेवसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ शय्यम्भवसूरि तिलकसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी (पाताहेसं ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष भाषा प्रतिपूर्ण प्रा. सं. प्रतिपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. 44.. सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. ताडपत्र गा. ४३१४ ग्रं. २८००० ताडपत्र गा. ४३१४ ग्रं. २८००० ताडपत्र श्लोक २७०० सर्ग १० ताडपत्र ग्रं. ७०० ग्रं. ७००० ताडपत्र अध्याय ३६ ग्रं. वि. ११७५ वि. ११७५ बि. १३२७ वि. ११८० वि. १३०४ 164 आदिवाक्य ३६३ श्रीसिद्धार्थनरेन्द ४३६ श्रीसिद्धार्थनरेन्द ११९ शिवशमैकनिमित्तं २४० धम्मो मगलमुक्किट्ठ अर्हन्तः प्रथयन्तु ४०१ सञ्जोगाविप्यमुक्कस्य क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार ३/१३ (३००) पद्य गद्य ३/१३ (३५६) पद्य गद्य ३/१३ (१८२) पद्य पद्य 3/93(230) संयुक्त प+ग गद्य ३/१३ (३३२) संयुक्त प+ग प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (जुनो नं. ४७), (३३.५x२) आज ग्रंथने गा.के. नं. ३५मां आवश्यकवृत्ति कर्ता -हरिभद्रसूरि एम लख्युं छे. (३१.५x२.२) (जुनो नं. २ (२)) दो प्रतों को एक साथ रखी गयी है. दोनो का पत्रानुक्रम स्वतंत्र है तथा झेरोक्ष पत्रानुक्रम क्रमशः दिया गया है., ( २९४२). (पे. पृ. १९१) पे. वि. / झेरोक्ष पत्र १-६८. संपूर्ण ग्रंथाग्र- २७००. (पे. पृ. १-११९) पे. वि. प्रतिपूर्ण / झेरोक्ष पत्र ६९१८२ / अंतिम सर्ग की श्लोकसंख्या ६९२ से अंत तक एवं बीच-बीच में भी अनुपूरित पाठ लिखकर विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. / आचार्य हरिषेणसूरिजीने इस प्रति को पढ़ा. [कृ.वि. पर्व१०] (जुनो नं. ४४), (३०x२.२) लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिभाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार पद्य : मूल साथ ग्रन्थान-१८०००. श्रेष्ठ ३/१३(३०८)....... (जुनो नं. १३). (३१४२) लेखन स्थल : वीजापुर संयुक्त प+ग (प.पृ. १-५४) पद्य (पे.पृ. १-३६८) पे.वि. : त्रुटित. [कृ.वि. : मूल साथे ग्रन्थान-१८०००. ३/१३(३४२) .. संयुक्त प+ग प्रा. (जुनो नं. ९).(३३४२.५).... ३/१३(२२०) संयुक्त प+ग २०१५ उत्तराध्ययनसुत्र-बृहद्वृत्ति शान्तिसूरि सं.प्रा. श्लोक १३३४५ शिवदाः सन्तु तीर्थेश वादिवेताल उत्तराध्ययनसूत्र पाईय टीका संपूर्ण वि. १३४३ ३६८. (पे.१) उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी प्रा. अध्याय ३६ ग्रं. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य २०९५ (पे.२) उत्तराध्ययनसूत्र-बृहद्वृत्ति शान्तिसूरि सं.,प्रा. श्लोक १३३४५ शिवदाः सन्तु तीर्थेश वादिवेताल उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित .. श्रेष्ठ संपर्ण ताडपत्र २८९ उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी अध्याय ३६ ग्रं. सजोगाविष्पमुक्कस्य २२०९५ उत्तराध्ययनसुत्र-सुखबाधावृत्ति नेमिचन्द्रसरि :सं.प्रा..अपभ्रं.:.१२००० वि. ११२९ प्रणम्य विघ्नसड्यात उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित श्रेष्ठ संपर्ण ताडपत्र वि. १२२८ उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी अध्याय ३६ ग्रं. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य २०९५ उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधावृत्ति सं.प्रा.अपभ्रं. गं. १२०००...वि. ११२९. प्रणम्य विघ्नसङघात. श्रेष्ठ संपण उपदेशमाला वृत्ति, कथा सहित...... ताडपत्र वि. १२७९. २४६. उपदेशमाला धर्मदास गणिप्रा . गा.५४४ निमिऊण जिणवरिन्दे उपदेशमालाप्रकरण-बृहद्वृत्ति सिद्धर्षि गणि, सं.प्रा. ग्र.९५०० हेयोपादेयार्थोपदेश हेयोपादेयाटीका-कथा सहित वर्द्धमानसुरि उपदेशमाला वृत्ति सह. श्रेष्ट : संपर्ण ताडपत्र वि. १३३१.. २८४. धर्मदास गणि गा. ५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे उपदेशमालाप्रकरण-बृहद्वृत्ति सिद्धर्षि गणि, सं.प्रा. ग्रं. ९५०० हेयोपादेयार्थोपदेश हेयोपादेयाटीका-कथा सहित वर्द्धमानसूरि धर्मउपदेशमाला सटीक धर्मोपदेशमालाप्रकरण जयसिहसार गा १०3 भयवं दसन्नभदो... धर्मोपदेशमालाप्रकरण-टीका विजयसिहसार :स. ग्रं. १४४७१ नृपत्वतीर्थाधिपतित्व संपर्ण धर्मउपदेशमाला सटीक ताडपत्र :धर्मोपदेशमालाप्रकरण जयसिंहसूरि...प्रा.......... :गा.१०३ भयवं दसन्नभद्दा.. 165 गद्य गया १४/१३(२६८.........जुना नं. १७)..२९:५४२लेखन स्थल...वटप्रदक. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. आ. वर्धमानसूरिजीए टीकामा सामान्य संस्कार करी प्राकृत कथाओ उमेरी छे. :४/१३(२४४). (जुनो नं. ४० प्रतिलेखन पुष्पिका...(३१४२.२).. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.. आ. वर्धमानसूरिजीए टीकामां सामान्य संस्कार करी प्राकृत कथाओ उमेरी छे. ४/१४(२९८)... (जुनो नं. ३३), (३३४२). उपदेशमाला............... प्रा. संपर्ण ताडपत्र ३२० विस्तृत रचना प्रशस्ति. ४/१४(३६०)...(जुनो नं. ५).(२८४२.५)...... Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार गं १४४७१ गय विजयसिंहसूरि श्रेष्ठ । विस्तृत रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. ६). (३०x२) ताडपत्र ४/१४(२३०) आसड गा. १२५ बालचन्द्रसूरि गं.७६०० गद्य विस्तृत रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १५), (३२४२.५). अष्ट ताडपत्र वि. १२९६ ४/१४(२७८). आसड गा १२५ प्रय बालचन्द्रसूरि ग10500 धर्मोपदेशमालाप्रकरण-टीका उपदेशकन्दली वृत्ति सह उपदेशकन्दली उपदेशकन्दली-वृत्ति उपदेशकन्दली वृत्ति सह ......... उपदेशकन्दली उपदेशकन्दली-वृत्ति योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह योगशास्त्र योगशास्त्र-स्वोपज्ञ वृत्ति योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह. योगशास्त्र योगशास्त्र-स्वोपज्ञ वृत्ति पुष्पमालाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह । पुष्पमालाप्रकरण नृपत्वतीर्थाधिपतित्व :२३३ तिहयणमड़गलतिलयं यन्नाभीनासिकाभूदृग ।२८४ तियणमड़गलतिलयं यन्नाभीनासिकाभूदृग :३१९ नमो दुर्वाररागादिवैर प्रणम्य सिद्धाद्भुत :३०८ नमो दुर्वाररागादिवैर प्रणम्य सिद्धाद्भुत गद्य ४/१४(३२४) विस्तृत रचना प्रशस्ति. । (जुनो नं. १८). (३१४२) लेखन स्थल : दर्भावति श्रेष्ठ ताडपत्र वि.१४९२ अध्याय १२प्रका हेमचन्द्रसरि हेमचन्द्रसूरि गं. १२००० गद्य श्रेष्ठ ताडपत्र वि. १४०७ ५/१४(३१६)... (जुनो नं.३०), (३१४२.५).. अध्याय १२प्रका। ग्र.१२००० गद्य ताडपत्र :वि. १४२५ ३९८ हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि मलधारी हेमचन्द्रसूरि मलधारी ५/१४(३३६). (जुनो नं. १२) ग्रन्थान-१४०००.. (३२४३), पद्य गा.५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पुष्पमालाप्रकरण-वृत्ति :ग्रं. १३८६८ येन प्रबोधपरिनिर्मित गद्य नवपदप्रकरण वृहदृत्ति सह श्रेष्ठ ताडपत्र २३९ शं. ९५०० गद्य (4.9) नवपदप्रकरण-बृहद्दत्ति .... (पं.२) नवपदप्रकरण यशोदेवसूरि जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि गा.१३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ ५/१४(२०८) (जुनो नं. २६(१))गायकवाड केटलॉगमां वृत्ति अपूर्ण अने नाम पण बृहद्धृत्ति नथी लख्यु.पृ.१२३७. मूल पृ.२३७-२८०...(३१४२).. (प.पू. १-२३७)......... पद्य (प.पू. २३७-२८०) [कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे] 1५/१४(२७६)....! (जुनो नं.४१) लेखन स्थल: प्रहनादनपुर ताडपत्र आदिनाथचरित्र पञ्चावसरमय आदिनाथचरित्र गाथाबद्ध पञ्चावसरमय श्रेष्ठ वर्द्धमानसूरि संपूर्ण प्रा. ! वि.१२८९ वि. ११६० २९७ नमह जुगाइजिणिन्दं ग्रं. ११००० 166 Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक कर्ता कति प्रकार ताडपत्र ३१३. प्रा. प्रा. पद्य श्रेष्ठ ३४८ श्रेष्ट (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार : प्रत नाम स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष शान्तिनाथचरित्र श्रेष्ठ संपूर्ण ५/१४(३१८) (जुनो नं. २३), (३०४२.५) शान्तिनाथचरित्र देवचन्द्रसूरि श्लोक १२१००वि.११६० मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र संपूर्ण ताडपत्र ४५१ ५/१५(३६०)......जुनो नं. ५)...(२६४२).. मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र गाथाबद्ध श्रीचन्द्रसूरि गा. १०९९४ वि. ११९३ महावीरस्वामीचरित्र संपर्ण ताडपत्र ५/१५(२८४). (जुनो नं. ४९), (३१४२)... महावीरचरित्र गुणचन्द्रसूरि.....प्रा. ग्रं. १२०२५ वि. ११३९ त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र ७-८-९ पर्व संपूर्ण ताडपत्र ५/१५(२७२) (जुनो नं. २०(५))पत्र १थी १६१ अष्टम पर्व, १६२थी १९७ नवम पर्व, १८ थी ३२१ सप्तम पर्व., (२५.५४२). त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य हेमचन्द्रसुरि सगे १० पर्व-१०. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र १० मुं पर्व श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र : वि. १३६८ २०३ 4/१५(१८४) (जुनो नं. ३८)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.. । (२८x२) लेखन स्थल : कोलापुर विषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य... हेमचन्द्रसरि सगे १० समराइच्चकहा श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ५/१५(२८८) (जुनो नं. ३१)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., (३२४२.. हरिभद्रसूरि ... प्रा. पणमह विजियसदज्जयणि संयक्तप+ग : कुमारपालप्रतिबोध संपूर्ण वि.१४५८ ५/१५(१९६)...... (जुनो नं. १६), (२१४२) लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ सोमप्रभसूरि अरिष्टनेमिचरित्र संपर्ण ५/१५(१३८). पद्य पर्व-१०. ३५४ गं १०००० श्रेष्ठ ताडपत्र २५५ श्रेष्ठ ताडपत्र श्रेष्ठ त्रुटक ताडपत्र ६/१५(१०६) योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां (पे.१) योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण (पे. पृ.?) पं.वि. : त्रुटक. पाठानुसन्धान असम्बद्ध है. झेरोक्ष पत्र-६५.?.. योगशास्त्र अध्याय १२प्रका हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसरि नमो दुर्वाररागादिवैर प्रणम्य सिद्धादभुत योगशास्त्र-स्वोपज वत्ति ग्र.१२००० (पे.२) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र- पर्व (पे..?) पे.वि. : त्रुटक. झेरोक्ष पत्र २५-४४, ४९-५६. पत्रानुसन्धान असम्बद्ध है. कृ.वि.: पर्व-१०. :त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य हेमचन्द्रसूरि सं. सर्ग १० 167 Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ५२ ५३ ५४-१ ५४-२ ५५ ५६ ५७ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.३) ओघनिर्युक्ति (पे.४) अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र (पे. ५) सूत्रकृतांग-पुंडरीक अध्ययन सुत्रकृताङगसूत्र (पे.६) अनुयोगद्वारसूत्र दमयन्ति कथा चम्पू दमयन्तीकथा मल्लीनाथचरित्र महाकाव्य मल्लिनाथचरित्र महाकाव्य धर्मसार मृगावती चरित्र (अपूर्ण) धर्मसार मृगावतीचरित्र सचित्र त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र द्वितीय पर्व त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य उपदेशमालाप्रकरण दोघट्टीवृत्तिसह (पे. १) उपदेशमाला स्थिति कर्ता (पे. २) उपदेशमालाप्रकरणदोघट्टीवृत्ति शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र अष्टम पर्व- श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी प्रा. सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ त्रिविक्रम भट्ट श्रेष्ठ विनयचन्द्रसूरि श्रेष्ठ देवप्रभसूरि मलधारी सुधर्मास्वामी प्रा. आर्यरक्षितसूरि (पाताहेसं ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार परिमाण प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष आदिवाक्य दुविहोवक्कमकालो सामा ते काणं तेणं हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसरि श्रेष्ठ धर्मदास गणि रत्नप्रभसूरि भाषा श्रेष्ठ प्रा. प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. अपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. गा. ११६३ ग्रं. १४३२ ग्रं. १९२ ग्रं. २२०० ग्रं. २००५ ताडपत्र ग्रं. २५०० ताडपत्र अध्याय ८ ग्रं. ४७५० ताडपत्र ताडपत्र सर्ग १० ताडपत्र सर्ग १० ताडपत्र गा. ५४४ सं., प्रा., अपभ्रं ग्रं. ११७६४ संपूर्ण ताडपत्र वि. १४३६ बि. १३९४ वि. १२३८ बि. १३८४ 168 बुज्झिज्ज तिउटेज्ज नाणं पञ्चविहं पण्णत १३७ ३०० ५३ ८७ १२० २४७ नमिऊण जिणवरिन्दे यस्यारघट्टस्य घनोपदे १७० क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य ६/१५ (११४) ६/१५ (२६४) पद्य ६/१५ (२६०) ६/१५ पद्य ६/१५ (१६४) पद्य ६/१५ (१६९) पद्य गद्य ६/१५ (१७०) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. ?) पे.वि.: त्रुटक. झेरोक्ष पत्र - ७- ? [कृ.वि. गाथा - ११४० थी ११९० सुधी मळे छे.] (पे. पृ. ?) पे.वि. त्रुटक, झेरोक्ष पत्र-२१-१ /* जतिणं भंते कुल का पाठ, (पे. पृ. 2) पे.वि.: त्रुटक. झेरोक्ष पत्र-४१-४४. इन पत्रों के अलावे भी दूसरे पत्र होने संभव है. (पे. पृ. 2) पे. वि. अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र- ६९-१०४. (जुनो नं. ३) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (जुनो नं. ४८) सर्ग-८. विशिष्ट रचना प्रशस्ति कर्त्ता - चन्द्रगच्छीय. ५४/१ अने ५४ / २ भेगा छे. (जुनो नं. ४८ ) सचित्र विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.. कोरंटगच्छीय नन्नसरि उपदेशात. पर्व- १०. पर्व- १०. (जुनो नं. ११(१)) लेखन स्थल मडवाडा ग्राम (पे. पृ. २४७) (कृ. वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे.पू. २४७) (कृ.वि. विशिष्ट रचना प्रशस्ति ] + (जुनो नं. ११ ( २ ) ) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रतिट्ट सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कति प्रकार (पे.१) शान्तिनाथचरित्रमहाकाव्य सह टिप्पण (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. १-१६५अ) पे.वि. : संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-9१६२.टिप्पणयुक्त पाठ. प्रत की लिपि सुन्दर व सुवाच्य तथा पदच्छेद, अलंकरण, संधिसूचकादि लाक्षणिकताओं के साथ.. अध्याय ६प्रस्त: वि. १३०७ श्रेयोरनाकरोद्भूता पद्य श्लोक १६३३. शान्तिनाथचरित्र अजितप्रभसुरि :वि.930७ शान्तिनाथचरित्र-टिप्पण (पे.२) क्षमापनाश्लोक श्लोक हे सभ्याः श्रृणुतः पद्य (पे.पृ. १६५आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६११६२. (पे.पृ. १६५आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६१ (पे.३) शान्तिनाथ १२भव नोन्ध मारुगुर्जर गद्य (पे.४) सङ्घाधिपतिपदप्रदानप्रशस्ति श्लोक १५ विश्वसेनकुलोत्तंसोचि पद्य (पे.पृ. १६६वा) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६३१६६. कृ.वि. : श्रीमाल वंश के रत्न श्रावक की संघपतिपदप्रदान प्रसंग पर.] (पे.पृ. १६६आ) ये.वि. : परचूरन अन्य दूसरे भी संबंधित श्लोक है. झेरोक्ष पत्र-१६५-१६६.. (पे.पृ. १६७आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६५ (पे.५) पोलवालसड़यप्रशस्ति ...पोलवालः कनकगिरि पद्य (पे.६) चौरासी आशातनागाथा गा.४ खेल केलि कला कुललयं पद्य (पे.७) व्याख्यानारम्भ मङ्गलश्लोक श्लोक ११ जनः सुखाभिलाषी पद्य (पे.पू. १६८अ-१६८आ) पं.वि.: संपूर्ण. सटिप्पण. झेरोक्षपत्र-१६३-१६६. (पे.पृ. १६८आ) ये.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६५ (पे.८) व्याख्याने अष्टमङ्गल सविवरण श्लोक २ दधिचन्दनदुर्वा. १६६.......... (पे.९) शास्त्रप्रकारविवरण (पे.पृ. १६९अ-१६९आ) पे.वि. . संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र१६४-१६६.. (पे. पृ. १७०-१७०आ) .वि. : पूर्ण. झेरोक्ष पत्र१६७-१७० (पे.१०) ५६ दिक्कुमारिकृत शुचिकर्म मारुगजेर परमेश्वर छप्पन दिक्कुमारीकृत शुचिकर्म. (पे.११) आवक अतिचार वर्णन उत्तराध्ययनसूत्र आदि ...ताडन बन्धोरज्वादि :पच :प्रा.मारुगूर्जर संपूर्ण (पे.पू.) पे.वि. : पूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६७-१00... ६/१५(१०८).....। जुनो नं. ६६(२-४)). कागज ३०८ 169 Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार (पे.१) उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग (प.पृ.२१५८) (पे.२) ओघनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. अध्याय ३६ ग्रं. २०९५.. गा. ११६३ग्रे. १४३२ :गा.६९७ दुविहोवक्कमकालो सामा (ये.३) पिण्डनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. पिण्डे उग्गम उप्पायण । पद्य (पे.पृ. १५९-२४०) [कृ.वि.: गाथा-११४० थी 1 ११९० सुधी मळे छे] पद्य (ये.पृ. २४१-३०८) [कृ.वि. : गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे.. 1.६/१५(१८).........कागळनी प्रतो.. बज्जालग. श्रेष्ठ संपूर्ण कागज १८..-- ............... कागज ६/१५(३८) ग्र.१२८० संयुक्त प+ग नमो अरिहन्ताणं... अत्थित्थ भारहे वासे :गं. १०० (पे.पृ.???) (पे...2222......... ।(पे.पू. ???) पे.वि.:/ प्रतिपूर्ण कागज १०३ ६/१५(१०३) :सर्ग १० पर्व-१०. प्रतिपूर्ण कागज ६/१५(३३) कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा श्रेष्ठ दीपालीकाकल्प (4.9) कल्पसूत्र भद्रबाहस्वामी (पे.२) कालिकाचार्यकथा भावदेवसरि (पे.३) दीपालीकाकल्प त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र प्रथम पर्व श्रेष्ठ ऋषभदेवचरित्र त्रिषष्टिशलाकापरुषचरित्रमहाकाव्य हेमचन्दसरि .. ........... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य श्रेष्ठ षष्ठ पर्व कुन्थुनाथचरित्र त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य... हेमचन्द्रसूरि. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र सप्तम पर्व मुनिपतिचरित्र त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य हेमचन्द्रसूरि त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र दशमपर्व महावीरचरित्र त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य. हेमचन्द्रसूरि पाण्डवचरित्र महाकाव्य श्रेष्ठ पाण्डवचरित्रमहाकाव्य देवप्रभसूरि सर्ग १० पर्व-१० सं. प्रतिपूर्ण श्रेष्ठ कागज ६/१५(७६) (१४.५४२) पर्व-१०. सर्ग १० :कागज प्रतिपूर्ण :११६ ६/१५(११६) सर्ग १० पय पर्व-१०. कागज ६/१५(१८८) पद्य : श्रियं विश्वत्रय विशिष्ट रचना प्रशस्ति. : सर्ग १८ ग्रं. ९८८४ कागज ।६६पाण्डवचरित्र महाकाव्य ६/१६(२३१) 170 Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कति प्रकार पाण्डवचरित्रमहाकाव्य देवप्रभसूरि मलधारी श्रेष्ट । उत्तराध्ययनसूत्र कागज सुधर्मास्वामी (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन यर्थ पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष सं. सर्ग १८ ग्रं. श्रियं विश्वत्रय पद्य विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ९८८४ संपूर्ण ६/१६(४२) . प्रा. अध्याय ३६ ग्रं. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग २०९५ संपूर्ण कागज .६/१६(५)........ (जुनो नं. ५६(०७?). नमिउण सजल जलहर पद्य गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. संपर्ण २५२ ६/१६(२५२) . मत्ये पतिर्दध्यौ कर्ता-नागेन्द्रगच्छ. ६/१६(९५). श्रेष्ठ जम्बूदीपक्षेत्रसमास प्रकरण जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जिनभद्र गणि प्रा. :गा.८६ क्षमाश्रमण श्रेष्ठ कागज वासुपूज्यचरित्र महाकाव्य पद्य वासुपूज्यस्वामिचरित्र पद्य हरिविक्रमचरित्र वर्द्धमानसरि ग्र.५४९४ संपर्ण कागज ! जयतिलकसरि संपूर्ण ताडपत्र भद्रबाहस्वामा गं. १२८० नमो अरिहन्ताण... सयक्तप+ग कल्पसूत्र..कालिकाचार्यकथा.. (4.22 कल्पसूत्र.. (पे.२) कालिकाचार्यकथा कल्पसूत्रचूर्णि नियुक्ति 2C65 ताडपत्र २१२-२०५(१ थी २०५) 1.भद्रबाहुस्वामी प्रा. गं. १२८० नमो अरिहन्ताण... प्रा.... ग्र.1900 सम्बन्यो सत्तमासियं गद्य (4.9) कल्पसूत्र.. पे.२) कल्पसूत्र-चूर्णी. (पे.३) कल्पसूत्र-नियुक्ति कल्पसूत्र सचित्र कालिकाचार्यकथा गद्य गा.६७ पज्जोसमणाए अक्खराई भद्रबाहस्वामी श्रेष्ठ प्रा. संपूर्ण ६/१६(४०)...... (जनो नं. ६५(१)?2.(१४.५४२.. (प.पू..???). (प.पू.???). (जुनो नं. ७०(०७))त्रुटित. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. गायकवाड केटलॉगमां पर्युषणाकल्पसूत्र (सभाष्य)एम लखेल छे. संयक्त प+ग (पे.पू..??22. (पे.पू..???.. पद्य (पे.पू.???). ६/१६(५८) (जुनो नं. ६१(०६,७))पत्र ११०+३३. गायकवाड केटलॉगमा मूल पत्र ५३-११० कालकाचार्यकथा १११-१४३. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (१३४२) संयुक्त प+ग (पे.पू. १-११८)..... प.पू..११९-१४३).... ६/१६(६०) (जुनो नं. ६१(१.२))विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. । (नवा केटलॉगमा पत्र १०७ ज आप्या छे.) संयुक्त प+ग (पे.पू. १०७) ताडपत्र वि. १३४४ 1१४३ भद्रबाहस्वामी प्रा. ग्रं. १२८० नमो अरिहन्तार्ण..... ग्रं. 3GE (पे. कल्पसूत्र..... (पे.२) कालिकाचार्यकथा कल्पसूत्र टिप्पणी सहित कालिकाचार्यकथा गद्य (पे.१) कल्प सूत्र ताडपत्र भद्रबाहुस्वामी प्रा. ग्रं.१२८० नमो रिहन्ताण... 171 Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार देवचन्द्रसूरि प्रा. ग्रं. ३९५ वि. ११४६ अत्थि इहेव जम्बू गद्य (पे.२) कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा गद्य-पद्य श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १३३६ : १५२ प्रा. गं. १२८० भद्रबाहुस्वामी ... देवचन्द्रसूरि नमो अरिहन्ताणं... अस्थि इहेव जम्बू ग्रं.३९५ वि. ११४६ श्रेष्ठ १२० भद्रबाहस्वामी . गं. १२८० (4.9) कल्पसूत्र (पे.२) कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता. कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा गद्य-पद्य (पे.१) कल्पसूत्र (पं.२) कालिकाचार्यकथा कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा पद्य (4.9) कल्पसूत्र (पे.२) कालिकाचार्यकथा. कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा लघुपर्युषणा कल्प श्लोक८७ ताडपत्र नमो अरिहन्ताण...... उत्पत्तिविगमध्रौव्य :१४४ नमो अरिहन्ताणं... जो कुणइ ससत्तीए.. १५१-१३८(१थी १३८)=१३ i(पे.पू. १०७-१४४) [कृ.वि. : ग्रंथान ३६० थी ४०० सूची मळे छे] ६/१६(५०) (जुनो नं. ६४(०२.३)). (१५.५४२) लेखन स्थल : अणहिल्लपुर (प.पू. १-११३). गद्य (प.पृ. ११४-१५२) [कृ.वि. : ग्रंथान ३६० थी ४०० सुधी मळे छे.. ७/१६(४२).... (जुनो नं. ५९(२.३.22..(१३४२).. संयक्त प+ग (प.प्र.9-99६) (प.पू. ११६-१२०) ७/१६(५२) (जुनो नं. ६५(३.४))....... (प.पू. १-१२४). (प.पू. १२५-१४४.. ७/१६(७०) (जुनो नं. ६४(०७.८))अन्त-समाप्तोयं लघुपर्युषणाकल्पः परं कथाया दिङ्मानं नवा सूचीपत्रमा कर्तानाम विनयचन्द्रसूरि आप्यु छे-कोना कतो?, (१५४२) संयुक्त प+ग (पे.पू. १-१३९) (प.पू. १३९-१५१) पे.वि. : गाथा-८५. ७/१६(६४) (जुनो नं. ६८(२))..(१३.५४२). गद्य ग्रंथान ३६० थी ४०० सुधी मळे छे. भद्रबाहस्वामी ग्रं. १२८० ...२११ ताडपत्र ग्रं. १२८० :गा.७८ पथ भद्रबाहुस्वामी विनयचन्द्र श्रेष्ठ देवचन्द्रसूरि (4.22. कल्पसूत्र (पे.२) कालिकाचार्यकथा कालिकाचार्यकथा गद्य (अपूर्ण) कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता कल्पसूत्र नमो अरिहन्ताणं... देविन्दविन्द नमियं १३१-१०२(१थी १०२)=२९ :अस्थि इहेव जम्बू अपूर्ण ताडपत्र ग्रं.३९५ वि. ११४६ ताडपत्र गं. १२८० श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी कल्पसूत्र. ताडपत्र ७/१६(४०) ....(जुनो नं. ५७(०१), (१४.५४२) नमो अरिहन्ताण... .. संयुक्त प+ग १०७ ७/१६(२६).........(जुनो नं. ६३४)(१२४२!..... नमो अरिहन्ताण...... संयुक्त प+ग १९५-१०(१ थी १०)=१८५७/१६(६६)....(जुनो नं. ७०(०२)).(१४४२.२) :सुयं मे आउसं तेणं १६२ ७/१६(८०).... (जुनो नं. ६५(२)). (१४४२) लेखन स्थल : ....... स्थानाङ्गसूत्र अपूर्ण श्रेष्ठ ताडपत्र स्थानाडगसत्र सधर्मास्वामी :ग्र.3300 ८८... दशवैकालिक लघुटीका श्रेष्ठ ताडपत्रवि . १२४८ 172 Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक गद्य ३३८. ९२ १५३ (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत नाम पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार आशापल्ली दशवैकालिकसूत्र-लघुवृत्ति सुमतिसूरि सं. ग्रं.२६५० वि. १२२० जयति विजितान्यतेजाः हारिभद्री बृहद्वत्तिना मूल सूत्र व्याख्यामागनो उद्धार आवश्यकसूत्रनियुक्ति संपर्ण ताडपत्र ७/१६(८२) (जुनो नं. ६७(०२).(९.५४१.५). आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी :प्रा. गा.२५०० ग्रं. जयइ जगजीवजोणी पद्य : आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. ३१०० वियाणओ ओघनियुक्ति जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र : वि. ११५४ ७/१६(२५). (जुनो नं. ६१(०१), (१३४१). भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा. ११६३ ग्रं. दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. १४३२ ओघनियुक्ति-पिण्डनियुक्ति श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ७/१६(५२)...(जुनो नं. ६२(२७))पत्र-६२+९१.. (१२४१.५). (पे.१) ओघनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा. ११६३ . दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य (पे.पू. १-६२) [कृ.वि. : गाथा-११४० थी ११९० १४३२ सुधी मळे छे] (पे.२) पिण्डनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा. ६९७ पिण्डे उग्गम उप्पायण (पे.पृ. १-९१) [कृ.वि.: गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे] पञ्चसङ्ग्रहटीका द्वितीय खण्ड प्रतिपर्ण ताडपत्र ७/१६(९२) (जुनो नं. ५८(०१)). (१५४१.५).. पञ्चसङग्रह-टीका. मलयगिरिसरि । कर्मस्तव सटीक कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ नमिऊण जिणवरिन्दे गाथा ५४थी ५८ मळे छे. कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-वृत्ति गोविन्दाचार्य कर्मबन्धोदयोदर्या कर्मस्तव सटीक १५४ ७/१६(४६) (जुनो नं. ६०(३)).(११४२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ नमिऊण जिणवरिन्दे गाथा ५४ थी ५८ मळे छे. कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-वृत्ति गोविन्दाचार्य .. ग्रं. १०९०. कर्मबन्धोदयोदीर्या ............. गद्य आगमिकवस्तुविचारसार प्रकरण वृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र १८१ ७/१६(५०) (जुनो नं. ७०(१९)). (१४४१.५) सहित आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन जिनवल्लभ गा.८६ निच्छिन्नमोहपार्स गाथा १०४ सुधी मळे छे. चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन यशोभद्रसूरि आगमिकवस्तुगोचर विचार गद्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-वृत्ति सप्ततिकाप्रकरणचूर्णि संपूर्ण ७/१६(३२) (जुनो नं. ६७(०५)) पद्य ग्र. ४६३१ श्रेष्ठ संपण ताडपत्र ७/१६(५४). गा.५८ ग्र.१०९० संपर्ण ताडपत्र गा.५८ पद्य प्रा पद्य ताडपत्र 173 Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार ग्रं.२००० गद्य कतो? :ताडपत्र (जुना नं.५८(०३)?) ७/१६(१००) पद्य साहूण अणुग्गह. ग्रं.३८०० गद्य संपूर्ण ७/१६(२०) ....(जुनो नं. ७०(०८))... गद्य ग्रं.२०५० नत्वानुयोगवृद्धभ्य ताडपत्र । १६२-२१(१ थी २१)=१४१....७/१६(५२).........(जुनो नं. ५९(५.(१२.५४१.७). नियट्ठवियअट्ठकम पद्य गाथा ३६६ थी ३८० वच्चे पण मळे छे. गा. ५७९ ग्र.२५०० ! वि.११३९ :कैवलविमलज्ञानावलकि गद्य १०१ :ताडपत्र १६२ ७/१६(६६) (जुनो नं. ६७/०३)).(१५४२) गा.५४४ :नमिरुण जिणवरिन्दे गाथा ५४० थी ५४ मळे के सप्ततिकाप्रकरण-चूर्णी मलयगिरिसूरि सप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसहित जीर्ण सप्ततिकाप्रकरण जिनवल्लभ. सप्ततिकाप्रकरण-वृत्ति यशोभद्रसूरि ललितविस्तरापञ्जिकावृत्ति अपूर्ण .... श्रेष्ठ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र : मुनिचन्द्रसूरि की ललितविस्तराटीका-पञ्जिका टीका सङ्ग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित :श्रेष्ठ संपूर्ण बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाश्रमण बृहत सड़ग्रहणीप्रकरण-टीका शालिभद्रसूरि । सं......... उपदेशमालाप्रकरण हेयोपादेयाटीका श्रेष्ठ संपूर्ण सह उपदेशमाला धर्मदास गणि प्रा उपदेशमालाप्रकरण-हेयोपादेया टीका- सिद्धर्षि गणि कथा रहित प्रवचनसारोद्धारटीका खण्ड-२, ४२-७२ श्रेष्ठ पर्यन्त प्रवचनसारोद्धार सिद्धसेनसूरि तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति जीवानुशासनप्रकरण स्वोपन टीका श्रेष्ठ संपूर्ण सहित जीवानुशासनप्रकरण जीवानुशासनप्रकरण-स्वोपज्ञ टीका वादिदेवसुरि .. शतपदीप्रकरणवृत्ति टीप्पणीसह ... श्रेष्ठ शतपदीप्रकरण-वृत्ति शतपदीप्रकरणवृत्ति-टिप्पणी स्थविरावलिवृत्तिसह आदि । (पे.१) स्थविरावली सह वृत्ति .. ग्रं.४०६१ हेयोपदेयार्थोपदेश ! गद्य प्रतिपूर्ण ताडपत्र १७७ ७/१६(६२) :(जुनो नं. ६७/०७)).(१५४२) ग्रं. १८०००वि . १२४८ सन्नद्धैरपि यत्तमोमि गद्य पाटन नवा सूचीपत्रमा कर्त्ता सिद्धर्षि लख्या छे. ताडपत्र २१७ ७/१६(५६) (जुनो नं. ६७/०६)).(१४४१.५) वादिदेवसूरि.. पद्य गया वि. १३०० वि १२९४ :२४४. त्रिभवनगरप्रदीपः ७/१६(११२)........(जुनो नं. ६०(३)...(१४४२... मूलनी ज पुनर्रचना गोठवण आदि. महेन्द्रसिहसरि ७/१६(४२)......(जुनो नं. ५६(१०))पत्र-३२-६५ नहीं है. (पे. पृ. १-३१) ये.वि. : त्रुटक. झेरोक्ष पत्र-१-८..... 174 Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार पाठव्यवस्थित नहीं मिलता है. हरिभद्रसूरि प्रा. स्थविरावलि स्थविराबलि-वृत्ति. (पे.२) अजितशान्ति सह टीका (पे. पृ. -६६अ-९२आ) पे.वि. : पूर्ण. प्रथम गाथा नहीं है. झेरोक्ष पत्र:९:२०. कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे.... नन्दिषेण प्रा. गोविन्दाचार्यसं. गा.४० ग्रं.३५० अजियं जियसवभयं प्रणिपत्याजितशान्ती प अजितशान्तिस्तोत्र अजितशान्तिस्तोत्र-टीका E(पे.३) ऋषभपंचाशिका सह नेमिचन्द्रीय :टीका ऋषभपञ्चाशिका ऋषभपञ्चाशिका-टीका (पे.४) वन्दित्तुसूत्र की तिलकसूरीय (पे. पृ. ९३आ-१२५आ) ये.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र१९.३२..... धनपाल गा.५० जय जन्तकप्पपायन। नेमिचन्द्र नत्वा जिनेन्द्रवीरं (पे.पू. १२६अ-१४५आ-) पे.वि. : पूर्ण. गाथा-810वी की टीका अपूर्ण तक है. झेरोक्ष पत्र-३१-४०. टीका तिलकसूार सं ग्रं.२०० आवकप्रतिक्रमणसूत्र-लघुवृत्ति .. (पे.५) चैत्यवन्दनगाथा प्रणिधाय श्रीवीरें : भावजिणे दवजिणे गा. ५९ पद्य (पे.पृ. 9818अ-१५३आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र३९-४२. [कृ.वि. : अंतिमवाक्य-तत्तो य कम्मनासं पणठकम्मोय निव्वाणं.. ७/१६(१८).. (जुना नं. ६०(9))................. साधु-श्रावक सामाचारी संपर्ण ताडपत्र साधुश्रावकसामाचारी प्रा.सं. ग्र.२००० १०७ :उपदेशपदप्रकरण संपर्ण नमिऊण तिलोयगुरुं ५७-८(१ थी ८)-४९ ..... नमिऊण महाभागं तिलोय ... ७/१६(१४) हरिभद्रसरि गा१०४० पद्य अपूर्ण ताडपत्र ७/१६(२८)... श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ७/१६(१८) द्वादशभावनास्वरूप अपूर्ण द्वादशभावनास्वरुप महावीरजिनपञ्चकल्याणक स्तवन आदि महावीरपञ्चकल्याणक स्तवन अतिचारगाथा आदि (पे.१) अतिचार की आठ गाथा अतिचारगाथा मारुगुजेर संपर्ण ताडपत्र ७/१६(३४) झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. :/पे.पु.१अ) पे.वि. : संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-9. गा.८ नाणम्मिदंसम्मिपद्य 175 Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (ये.२) कर्मस्तव गा. ५८ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे.३) कर्मस्तवभाष्य (पे.प्र. आ-६आ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-५६. झेरोक्ष पत्र-१-२. कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे.. (पे. पृ.६अ-१अ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-२७. झेरोक्षपत्र-१-४. कृ.वि. : अन्त वाक्य-अणुदय पत्तुदीरमा या. कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ गा.३३ बन्धेविसुत्तरसयं पद्य भाष्य-२ (पे.४) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम गर्गर्षि :गा.१६७ ववगयकम्मकलकं वीरं पद्य (ये.५) शतक शिवशर्मसूरि अरहन्ते भगवन्ते अणु प द्य शतक प्राचीन पञ्चम कमेग्रन्थ (पे.६) सत्तरिया (पे.पृ. ९अ-२३आ) ये.वि. : संपूर्ण. गाथा-१६८. झेरोकपत्र-३-८.कृ.वि.: गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छ.] (प. पृ. २४अ-३४अ) पे.वि. : पूर्ण, झेरोक्ष पत्र-७-९. ताडपत्रीय पत्र-३१ नहीं है. कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे. (पे. पृ. ३४अ-४२आ) पं.वि. : संपूर्ण गाथा-९४. झेरोक्ष पत्र-९-१२. कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ८३थी ९१ सुधी मळे छे. (पे. पृ. ४२आ-५२आ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-१०६. झेरोक्षपत्र-१२-१६ कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे. सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ :चन्द्रषि महत्तर प्रा. : सिद्धपएहिं महत्थं (ये.७) छायासीयं जिनवल्लभ गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति (पे.८) सार्द्धशतक सुक्ष्माथविचारसारप्रकरण गा.१६४ सयलन्तरायवीर वन्दियपद्य (पे. पृ. ५२आ-६७आ) पे.वि. : संपूर्ण, गाथा-१५२. झेरोक्षपत्र-१५-२० कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमां मळे छे. (पे. पृ.६८आ-११२आ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-५३०. झेरोक्ष पत्र-१९-३२. (ये.२) बृहत्संग्रहणी सग्रहणीप्रकरण गा.३६७ जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाश्रमण : निट्ठवियअट्ठकम्म पद्य 176 Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गंथांक स्थिति । प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा कति प्रकार (पे.१०) भौगोलिकपरिमाणगाथा गा. ५२ (पे.११) विष्कम्भपरिधिमान याय गद्य उपदेशमालाप्रकरण आदि श्रष्ट संपूर्ण ताडपत्र (पे.१) उपदेशमाला धर्मदास गणिप्रा . गा.५४४ पद्य जयसिंहसूरि प्रा. गा.१०३ (पे.२) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) योगशास्त्र (प्रकाश-४) योगशास्त्र (पे.४) भक्तामरस्तोत्र अध्याय १२प्रका हेमचन्द्रसूरि मानतुगसूरि का.४४ (4.4..श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.६) प्रव्रज्याविधानकुलक गा. ५० गा.३० सगीसा सत्तसया छासीय पद्य (पे.पृ. ११३-998-) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-५२ तक मिलती है. झेरोक्ष पत्र:३१:३४.. (पे.पृ.?) पे.वि.: पूर्ण. कोई नयी प्रत के पत्र है. झेरोक्षपत्र-३३-३४. ७/१७(५८) :(जुनो नं. ४७(१५-२४))पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.पू. १-८४) पे.वि. : पत्रांक-१७ तक के भाग त्रुटक व छिन्न-भिन्न रूप में है. कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] भयर्व दसन्नभदा.. (पे.पू.८४-९९).. (पे. पू.९९-१६३).............. नमो दुर्वाररागादिवर भक्तामरप्रणतमौलिमणि (पे.पृ. १६३-१७३) [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे] वन्दित्तु सञ्चसिद्धे (पे.पू. १७३-१४३. संसारविसमसायरभवजलपङि (पे.पृ. १८३-१८५) पे.वि. : गाथा-२४. [कृ.वि.: गाथा-२४ थी ३५ सुधी मळे छे.].. (पे. पृ. १८५-१८८) पे.वि. : गाथा-२३. घणघायकम्ममुक्का अरहन नाणाम्मदसणम्मि (पे.पू. १८८B-१८९०). जयति मुजगराज प्राज्य (प.पू. १८९-१९१० (पे. पू. १९२-१९६).पे.वि. : गाथा-२२....... निसाविरामे परिभावयामपद्य ११२ ७/१७(४६) (जुनो नं. ६५(५-१४))हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. :/झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है..(१४४१.७) लेखन स्थल : अणहिल्लपाटक.. (पे. पृ.१-४१) पं.वि. : गाथा-8049. ........कृ.वि. गाथा-४७३-४७७ सुधी मळे छे. गा.२० (पे.७) नमस्कारफलप्रकरण नवकारकूलक.. (पे.८) अतिचारगाथा (पे.२) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.१०) कुलक आवकधर्मकुलक कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि गा.८ श्लोक गा.२१ ताडपत्र ११२ संपूर्ण वि. १२५८ (पे.१) कम्मपयडी कर्मप्रकृति .....प्रा........ गा.४७५ 177 Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक कर्ता कति प्रकार (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत नाम स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय गा.५८ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (प.पू. ४२-४६) पं.वि.: गाथा-५६.कृ.वि.: गाथा कर्मग्रन्थ .५४ थी ५८ मळे छे... (पे.३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम गा. १६७ ववगयकम्मकलक वीरें पद्य (पे.पृ. ४६-५२) ये.वि. : गाथा-१६८. [कृ.वि. कर्मग्रन्थ गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.] (पे.४) सयग (प.पू.६०-६९) पे.वि. : गाथा-११०. शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ ..........: शिवशर्मसूरि....... प्रा...............गा. १११..... अरहन्ते भगवन्ते अणु ...... पद्य कृ.वि... गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे. (पे.५) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रर्षि महत्तर सिद्धपएहिं महत्थं पद्य (पे.पृ.६९-७६) पे.वि. : गाथा-९१. कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी गा.९१ मळे छे.. (ये.६) सप्ततिकाभाष्य (पे. पृ.७७-१५) पे.वि. : पत्रांक ७७ की गाथा-६ नहीं है. कृ.वि. : अन्तवाक्य- अभयपुरं इच्छमाणेणं. (प.प्र.९५-९७) गा.१९० पद्य नमिऊण महावीर कम्म सखामेत्तपयट्ठा गा.२४ (प. पृ.. ११०-११२) पे.वि. : गाथा-२३: सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-भाष्य : अभयदेवसूरि (पे.७) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थभाष्य (पे.. कर्मस्तवभाष्य....... कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-भाष्य आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन जिनवल्लभ चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति उपदेशमालाप्रकरण आदि (पे.१) उपदेशमाला धर्मदास गणि गा.२५ गा.८६ अहिणवगहणं बन्धो उदओ निच्छिन्नमोहपासं पद्य पद्य गाथा १०४ सुधी मळे छे. ........ ताडपत्र गा. ५४४ १६६. नमिऊण जिणवरिन्दे .७/१७(५२). । पद्य (पे.पृ.९-४६) पं.वि. : अपूर्ण. पत्र 9-८ (गाथा-9८९) नहीं है. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे (पे.२) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) भवभावनाप्रकरण जयसिंहसूरि हेमचन्द्रसूरि मलधारी गा.१०१ गा. ५३१ सिज्झउ मज्झविसुयदेवि नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ पद्य (प.पू. ४६-५३) (प.पृ. ५४-६९) प्रा. वि. ११७० (ये.४) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसूरि :गा.२१४ बन्दामि सब्वन्नुजिणि पद्य (पे.प्र. ७०-८६) कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे] मणिरहकुमारसाहू १........पद्य (प.पू.८७-१२०.. अरहन्ताण पणमिऊण........पद्य ............(ये.पू. १२०-१३५).. पद्य ......... (मे.५). पञ्च आराधना प्रकरण, (पे.६) आराधनाप्रकरण ......... गा.३३९..... गा. १५९ 178 Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रित नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार गा. ५० गा.२६ वन्दित्तु सब्वसिद्धे अरहन्ता मङ्गलं मज्झ धम्मोवएसजुतं (पे.पू. १३५-१५७). (प.पू. १५७-१५८). (पे.पू. १५८-१६१). (पे. पृ. १६१-१६३) नमिकमार गा.२५ :/पे.७) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.८) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक .. (पे...जीवोपालम्भकुलक.. (पे.१०) जीवभक्ति जीवविभक्ति (पे.११) चतुःशरणप्रकीर्णक (पे.१२) परिग्रहपरिमाण उपदेशमालाप्रकरण आदि (पे.१) उपदेशमाला । जिनचन्द्रगणि प्रा. गा.२५ गा.२७ धर्मघोषसूरि :गा.८४ :वि.११८६ नामऊण चलणजुयल वीर पद्य चउसरणगमण दुक्कडगरहा. पद्य पणमिय परमपयत्थं नय पद्य १९५ ७/१७(७८) नमिऊण जिणवरिन्दे श्रेष्ठ :संपर्ण ताडपत्र धर्मदास गणि :प्रा. गा.५४४ पद्य जयसिरसरि .प्रा. :गा.१०१ पद्य प.२) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) मूलशुद्धिप्रकरण सिज्झउ मज्झविसुयदेवि वन्दामि सव्वन्नुजिणि प्रद्युम्नसुरि प्रा. गा.२१४ पद्य (पे.४) पञ्चकल्याणकप्रकरण गा. १३७ तित्थं पवयण सुयदेवर्य (पे.पू. १६३:१६६८. (प.पू. १६७-995)........ (जुनो नं. ६२(०४-१४)), (१४.२४२). (पे.पृ. ५-४६) पे.वि. : गाथा-५४३. त्रुटित. प्रारंभिक दो पत्र अर्धखंडित है. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (पे.पू. ४६-१४). (पे.पृ. ५४-७१) [कृ.वि. ! गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३. पण मळे छे.. (पे.प्र.७१-८२) ये.वि. : गाथा-१३६. कृ.वि. : कर्ता? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छेल्ली गाथाओमां तफावत होय छे] (पे.पृ. ८२-८८) पे.वि. : गाथा-८८. [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे] (पे.पृ. ८९-१००) पे.वि. : गाथा-१४०. [कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे. (पे.पृ. १००-१२८) पं.वि. : गाथा-३६७. कर्ताजिनभद्र. (पे.पू. १२८-१३०) पे.वि. : गाथा-२७. (पे.पू. १३०-१३३)... (पे.पृ. १३३-१३७) पे.वि. : गाथा-४५. (पं.५) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण गा.८६ नमिउण सजल जलहर : जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पे.६) नवपदप्रकरण :प्रा. गा. १३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि (पे.७) सङ्ग्रहणीप्रकरण जिनभद्र गणि प्रा. गा.३६७ निट्ठवियअट्ठकम पद्य क्षमाश्रमण गा.२७ (पे.८) चतुःशरणप्रकीर्णक (प.१आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक......... (पे.१०) नन्दीसूत्रनो हिस्सो........... देववाचक ...... प्रा..... प्रा........... गा. २६...... चउसरणगमण दुक्कडगरहा पद्य अरहन्ता मङ्गलं मज्म मज्जा पद्य जयइ जगजीवजोणी.. ....... गा. ५०...... 179 Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ११६ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम स्थविरावली (पे. ११) अजितशान्तिस्तोत्र (पे. १२) जीवविचारप्रकरण (पे. १३) संवेगमञ्जरीप्रकरण (पे. १४) पञ्चसूत्र (पे. १५) षट्त्रिशिका प्रव्रज्याविधानकुलक ( पे. १६) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे. १७) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (पे. १८) सयगप्रकरण शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (पे. १९) सत्तरीयापगरण सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ (पे. २१) जीवदयाप्रकरण उपदेशमालाप्रकरण आदि (पे. १) उवएसमाला प्रकरण स्थिति कर्ता उपदेशमाला (पे.२) उपदेशमाला नन्दिषेण शान्तिसूरि देवभद्रसूरि गर्गर्षि चन्द्रर्षि महत्तर (पे.२०) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण जिनवल्लभ प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति शिवशर्मसूरि श्रेष्ठ धर्मदास गणि (पाताहेसं ) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा FREERRER प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. परिमाण गा. ४० गा. ५१ गा. ३२ अध्याय ५सूत्र गा. ३० गा. ५८ गा. १६७ गा. १११ गा. ९१ गा. ८६ गा. ११६ ताडपत्र गा. ५४४ 180 आदिवाक्य अजियं जियसव्वमयं भुवणपईवं वीरं नमिऊण सद्देसणमलयानिलमञ्जरि नमो वीतरागाणं सव्व चवगयकम्मकलकं वीरं अरहन्ते भगवन्ते अणु सिद्धपएहिं महत्थं संसारविसमसायरभवजलपडि पद्य नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य निच्छिन्नमोहपासं संसयतिमिरपयङ्गं भविय २५९ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य पद्य पद्य गद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य ७/१७ (९७) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पृ. १३७-१४२) पे.वि.: गाथा - ४१. [कृ. वि. गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे.] (पे.पू. १४२-१४६) (पे. पृ. १४६ १४९) (कृ. वि. उपदेश प्रकरण ? (पे.पू. १४९-१५२) पे. वि. प्रथम सूत्र ? (पे. पृ. १५२-१५५) पे. वि. गाथा-३६. कृ. वि. गाथा २४ थी ३५ सुधी मळे छे. (पे. पृ. १५५-१५९) (कृ.वि. गाथा ५४ थी ५८ मळे छे] (पे. पृ. १५९-१७२) पे.वि.: गाथा १६६. [कृ. वि. गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.] (पे. पृ. १७२-१८०) पे.वि. गाथा- ११३. कृ. वि. गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे. (पे. पृ. १८०-१८७) पे.वि.: गाथा ९१. कृ. वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे. (पे.पृ. १८७अ) पे.वि.: गाथा १ लिखकर प्रतिलेखक ने छोड़ दिया है. [कृ.वि. गाथा १०४ सुधी मळे छे.] (पे.पु. १८७-१९५) पे. वि. गाथा- ११३. पत्रांक- १६९ १९६ नहीं हैं. (पे. पृ. १-५४) पे. वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र- १-२४. संपूर्ण गाथा - ५४३ है परंतु प्रतिलेखक द्वारा गाथा५४४ का उल्लेख किया गया है. लगभग आधी प्रत के वामपार्श्व भाग कहीं कम तो कहीं अधिक रूप में खंडित है. कृ. वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (पे. पृ. ५५-१११) पे. वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२५ Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ११७ ११८ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम पुष्पमालाप्रकरण (पे.३) भुवभावनारत्न भवभावनाप्रकरण (पे.४) युगप्रधान आचार्यगाथा (पे. ५) संग्रहणीरत्न सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे.६) सद्गुरुपट्टगाथा (पे. ७) योगशास्त्र -१ से ४ प्रकाश योगशास्त्र (पे.८) वीतरागस्तोत्र योगशास्त्र आद्य प्रकाश चतुष्टय प्रवचनसन्दोह (पे. १) योगशास्त्र आद्य प्रकाश चतुष्टय योगशास्त्र (पे. २) प्रवचनसन्दोह प्रशमरतिप्रकरण आदि ६ (पे. 9) प्रशमरतिप्रकरण (पे. २) चतुःशरणप्रकीर्णक (पे.३) सङ्ग्रहणीप्रकरण स्थिति कर्ता हेमचन्द्रसूरि मलधारी हेमचन्द्रसूरि प्रा. मलधारी श्रीचन्द्रसूरि मलधारि हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ उमास्वाति (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र आदिवाक्य प्रत प्रकार रचना वर्ष जिनमद्र गणि भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. सं. प्रतिपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. प्रा. प्रा. परिमाण गा. ५०५ गा. ५३१ गा. २७३ गा. २६ अध्याय १२प्रका अध्याय २० ग्रं. १८७ ताडपत्र अध्याय १२प्रका गा. ३५५ ताडपत्र श्लोक ३१४ गा. २७ गा. ३६७ वि. ११७० वि. ११८५ 181 सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ पद्य जुगुपहाणु सिरिअभयसूर नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव हरिसउरगच्छतिलओ गुण नमो दुर्वाररागादिवैर यः परात्मा परञ्ज्योत ८८ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार नमो दुर्वाररागादिवैर सारस्सयमाइच्चा विण्ह ४६ नाभेयाद्याः सिद्धा चउसरणगमण दुक्कडगरहा निठवियअट्ठकम्मं पद्य पद्य पद्य पद्य ७/१७ (३०) पद्य ७ /१७ (२४) पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ४७. (पे. पृ. ११२-१६८) पे. वि. संपूर्ण. गाथा-५३३. झेरोक्ष पत्र-४७-७२. (पे. पृ. १६८आ) पे.वि. अपूर्ण गाथा- २ अपूर्ण तक है. झेरोक्ष पत्र - ७२वां. (पे. पृ. १६८अ ) पे.वि. अपूर्ण. मात्र अन्तिम गाथा है. गाथा-२७४. झेरोक्ष पत्र- ७१. (पे. पृ. १९७अ १९९आ) पे. वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र199-192. (पे. पृ. २००आ-२४७आ) पे. वि. प्रतिपूर्ण झेरोक्ष पत्र - ७३-९२. (पे. पृ. २४७आ-२६०) पे. वि. अपूर्ण. प्रकाश-११. तक है. झेरोक्ष पत्र- ९१ ९७. [ कृ. वि. प्रकाश २०.] (जुनो नं. ५७ ( १७ ) ) ( गायकवाड केटलॉग साथे विगत मळती नथी) (पे. पू. १) (पे. पृ. २) (जुनो नं. ६१ (०३-५)), (११x२) (पे.पू. १-३०) (पे.पू. ३०-३३) पे.वि. गाथा-२७. (पे. प्र. १-४६) पे.वि. गाथा-३६७. Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार क्षमाश्रमण श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र :२५१ ७/१७(१२४) पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण (पे.१) पुष्पमालाप्रकरण झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. (पे.पृ. १-४२) पे.वि. : गाथा-५०५. गा. ५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य हेमचन्द्रसूरि मलघारी (पे.२) सङ्ग्रहणीप्रकरण जिनभट गणि प्रा. गा.३६७ निठवियअट्ठकम्म पद्य (पे.पू. ४२-७४) पे.वि. : गाथा-३८८. (पे.३) प्रवचनसन्दोह नमिऊण वद्धमाणं ववगय पद्य (प.पू. ४-९६) ये.वि. : गाथा-३३४. अध्याय ६ पद गा.३३४ गा.१३८ (पे.४) नवपदप्रकरण नमिउण वद्धमाणं मिच्छ पद्य जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि (पे.पृ. ९६-१०७) 4.वि. : गाथा-१३९. [कृ.वि.: कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे.. (पे.पृ. १०९-११६) [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे (पे.५) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ गा.१०४ देविन्द्रविन्दवन्द्रियपय पद्य छे... भयर्व दसन्नभद्दो... (पे.६) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जयसिहसरि जिनभद्रगणि गा. १०३ :गा.८६ नमिउण सजल जलहर क्षमाश्रमण (प.पू. ११६-१२५) पे.वि. : गाथा-१००. (पे.पृ. १२५-१३१) [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (पे.पू. १३१-१३%2. (पे.पू. १३७-१४९). (पे.पृ. १५३-१५६) :सिद्धसेनसूरि गा.६६. गा. १४४ गा. ५० आसड FEEE चवण विमाणा नयरी जणया: पद्य सिद्धिपुर सत्थवाहं जयइ जगजीवजोणी... वि. १२८८ (पे.. एकविंशतिस्थानप्रकरण. (पे.१) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे.१०) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (पे.११) दुषमोद्धारप्रकरण (पे.१२) भक्तामरस्तोत्र देववाचक उदयप्रभसूरि मानतुगसूरि गा. ४७ का.४४ नमिउण भुवणवीर. भक्तामरप्रणतमौलिमणि पद्य (प.पू.१५३-१५६) (पे.पृ. १५६-१६१) [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. (प.पू. १६१-१६५). (प. पृ. १६५-१७४) :गा.५० वन्दित्तु सव्वसिद्धे .......... पद्य (प.१३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (ये.१४) प्रतिक्रमणसूत्र चैत्यवन्दनादि संग्रह । प्रतिक्रमणसूत्रसग्रह आयरिय उवज्झाए सीसे पद्य 182 Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १२० प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १५) श्रावकवक्तव्यताप्रकरण (पे. १६) श्रावकवक्तव्यताप्रकरण-भाष्य (पे. १७) नाणाचित्तप्रकरण (पे.१८) जीवदयाप्रकरण (पे. १९) धर्मघोषसुरिस्तुति (पे. २०) धर्मसूरिस्तुति (पे.२१) गाथाकोश (पे.२२) श्रावकविधिप्रकरण (पे.२३) दानविधिप्रकरण दानविधिकुलक (पे. २४) नमस्कारफलकुलक नवकार कुलक (पे. २५) प्रव्रज्याविधानकुलक (पे.२६) जीवविचारप्रकरण (पे.२७) पापप्रतिघातगुणबीजाधान सूत्र पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र (पे.२८) भयहरस्तोत्र (पे.२९) उवएसमालापगरण उपदेशमाला आवश्यक नियुक्ति (गाथोद्धार) आवश्यक नियुक्ति उद्धार स्थिति कर्ता जिनेश्वरसूरि अभयदेवसूरि रविप्रभसूरि धनपाल शान्तिसूरि मानतुङ्गसूर धर्मदास गणि श्रेष्ठ (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. अपभ्रं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. परिमाण गा. १०३ गा. ८१ गा. ११६ श्लोक ३३ गा. ५० गा. १५३ गा. २२ गा. २५ गा. २० गा. ३० गा. ५१ गा. २३ गा. ५४४ ताडपत्र 183 आदिवाक्य कयवयकम्मपभावो सीलत्त इयपुव्वसूरिविरइय पद्य नमिऊण जिणं जगजीवबन्ध पद्य संसयतिमिरपयगं भविय श्रीधर्मघोषसूरीणां तिहुयणमणिचूडामणिहिं पद्य पद्य पद्य निज्जरियजरामरणं जत्थ पुरे जिणभवर्ण धम्मोवग्गहदाणं दिज्ज क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य नमिऊण जिणवरिन्दे ८३ पद्य पद्य घणघायकम्ममुक्का अरहन संसारविसमसायरभवजलपछि परा भुवणपईवं वीरं नमिऊण पद्य गद्य नमिऊण पणयसुरगणचूडामण पद्य पद्य ७ / १७ (६६) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. १७५-१८२) पे.वि.: गाथा - १०३. [कृ. वि. खरा कर्ता कोण ? जिनेश्वरसूरिना नामनुं षट्स्थानप्रकरण १९१ गाथानुं पण मळे छे।. (पे.पू. १८२-१९४) (पे. पृ. १९४-२००) (पे. पृ. २००-२०९) पे.वि.: गाथा - ११३. (पे. पृ. २०९-२१६) (पे.पू. २१६-२२१) (पे.पू. २२१-२३२) (पे.पू. २३२-२३४) पे.वि. गाथा-२१. (पे. पृ. २३४-२३७) पे. वि. गाथा-२५. (पे. पृ. २३७-२३९) पे. वि. गाथा-२५. (पे. पृ. २३९-२४१) पे. वि. गाथा-२८. [कृ.वि.: गाथा २४ थी ३५ सुधी मळे छे.] (पे. पृ. २४१-२४६) पे.वि.: गाथा - ५१. (पे. पृ. २४६-२४९). (पे. पृ. २४९-२५१) पे.वि.: गाथा २१. माल्हण द्वारा प्रदत्त यह प्रकरण पुस्तिका वयरसेनसूरि की है, [कृ. वि. गाथा २१ थी २४ मळे छे.] (पे. पृ. ८७-१४१) पे.वि. गाथा-५४०. किसी अन्य प्रत के पत्र होने की संभावना है. कृ. वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (जुनो नं. ५७(०६)) गा.नं. ५७ / ६मां षडावश्यक उद्धार एम नाम छे. (११४१.५) Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष अपूर्ण ताडपत्र : १२३ ७/१७(७६) कर्ता कति प्रकार श्रेष्ठ बृहत्सग्रहणीप्रकरण सटीक त्रुटक अपूर्ण बृहत् सग्रहणीप्रकरण जिनभद्र गणि गा. ५७९ नियट्ठवियअट्ठकम पद्य गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे. क्षमाश्रमण बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण-टीका नवपदप्रकरण आदि (पे.१) नवपदप्रकरण संपूर्ण :११९.. श्रेष्ठ जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि ताडपत्र. गा. १३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ ७/१७(६०).........(जुनो नं. ६१(१०-१९22..(१६४२).. पद्य (पे.पृ.???) [कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमां बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे..... (प.पृ.???) [कृ.वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे (पे.२) उपदेशमाला धर्मदास गणिप्रा . :गा.५४४ निमिऊण जिणवरिन्दे पय (पे.३) पुष्पमालाप्रकरण गा. ५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल हेमचन्द्रसूरि मलधारी (पे.पृ.???) (पे.४) भवभावनाप्रकरण प्रा. गा. ५३१ वि.११७० नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ पद्य (पे.पृ.???) हेमचन्द्रसूरि मलधारी (पे.५) श्राद्धदिनकृत्य :गा.३४० वीरं नमेउण तिलोयभाणु पद्य (पे.६). विवेकमञ्जरी (पे.७) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.८) मूलशुद्धिप्रकरण :गा.१०३ भयवं दसन्नभद्दो... जयसिंहसूरि प्रद्युम्नसूरि गा.२१४ वन्दामि सम्वन्नुजिणि पद्य (ये.पृ.???) [कृ.वि. : गाथा-३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामां मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य?] (पे.पू.???2.कृ.वि. : आसड कृत?l. (प.पू.???) (पे.पृ.???) [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.] (पे.पू. ???) [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे.] (पे...??? (जुनो नं. ५७/०५))(गायकवाड केटलॉगमां सर्ग १४ अपूर्ण-एम आपेल छे.). (१४४२) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. गा. १०४ : पद्य (पे.२) पिण्डविशुद्धिप्रकरण (प.१०) जीवविचारप्रकरण पाण्डवचरित्र महाकाव्य सर्ग-३ पर्यन्त जिनवल्लभ शान्तिसूरि :श्रेष्ठ गा.५१ देविन्दविन्दवन्दियपय भुवणपईवं वीरं नमिऊण. १३२-५३(१ थी ५३)=७९ पर :१२३ प्रतिपूर्ण ताडपत्र ७/१७(३२) सर्ग १८ ग्रं. श्रियं विश्वत्रय पद्य पाण्डवचरित्रमहाकाव्य देवप्रभसरि मलधारी महावीरस्वामीचरित्र किञ्चिदपूर्ण ... श्रेष्ठ.. .९८८४ । १२४. पूर्ण ताडपत्र २६९ ................ ...७/१७(८८)......(जुनो नं. ५२(9)).(१२४१.५). 184 Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति : प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार महावीरचरित्र नेमिचन्द्रसूरि प्रा. गा.२४०० ग्रं. वि. ११४१पणमह पढमजिणिन्दं पद्य विशिष्ट रचना प्रशस्ति. చెం त्रिषष्टिशलाकापुरूषचचरित्र परिशिष्ट श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३२४ ८/१७(१६६) (जुनो नं. ५८(०४)).(१४४२) परिशिष्टपर्व हेमचन्द्रसूरि सं. श्रीमते वीरनाथाय पद्य सगे १३ श्लोक ३५०० ताडपत्र १.२०६. 1८/१७(७०).........१६.कथाओ. प्रतिपणे ताडपत्र :वि. १३७० १०४ ८/१७(११२) (जुनो नं. ६४(५)) लेखन स्थल । स्तम्भतीर्थ ग्र.3300 प्रणम्य परमात्मानं .... हेमचन्द्रसरि अहै। सिद्धिः स्याद........ २६८ (प.पू. १-११५) पं.वि. : चतुष्क वृत्ति (पे.. (जुनो नं. ६४(११))गायकवाड केटलॉग अध्याय १ थी ३..पाद-२ पर्यन्त-एम लखेल छे.(१४.५४१.७).. ८/१७(१२२) गद्य अभयश्री कथानक आदि कथानको..... श्रेष्ठ, संपूर्ण कथासङ्ग्रह सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति श्रेष्ठ अध्याय ३ पाद ३ थी अध्याय ५. :पाद-४ (पे.१) सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति हेमचन्द्रसूरि ... (4.२...सिद्धहेमशब्दानुशासन सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्दत्ति-अध्याय श्रेष्ठ २ पाद २ पर्यन्त टिप्पणी सह. सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्ति हेमचन्द्रसरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनी। टिप्पणी सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्धृत्ति अध्याय श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण २ पाद ३ थी अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त टीप्पणी सह ... सिद्धहेमशब्दानुशासन-वृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनी टिप्पणी सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण पञ्चमाध्याय कृवृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहदत्ति ....... हेमचन्द्रसूरि ... सं. सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण अवचूरी सह ताडपत्र (जुनो नं. ६३(२)) हेमचन्द्रसरि गद्य ताडपत्र ३१२-१८२(१ थी १८२)=१३०८/१७(६७) (जुनो नं. ५८(०२)).(१६४२) ताडपत्र वि. १४०३ १६६ ८/१७(८४) (जुनो नं. ६४(१०))तृतीय अध्याय द्वितीयपाद पर्यंत अवचूरि...(१३.५४२). 185 Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार स्थिति प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष हेमचन्द्रसूरिसं. ग्रं.३३०० : प्रणम्य परमात्मानं धनचन्द्र : सं. कर्ता कति प्रकार गद्य सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्तिनी गद्य अवचूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र (जुनो नं. ५९(४))लिंग-धातु-गणोणादि सहित.. (१२४२) सिद्धहेमशब्दानुशासन. गौडवधमहाकाव्यवृत्ति टीप्पणी सहित गउडवहोमहाकाव्य हेमचन्द्रसूरि. श्रेष्ठ वाक्पतिराज १९० ८/१७(७६) .... अह। सिद्धिः स्याद............ गय. २२४ ८/१७(७०).. पढम चिय धवलकओववीअ पद्य (जुनो नं. ५८(१६)), (११.७४२.५)... गा.११६८ ग्रं. १४९० । गद्य गउडवहोमहाकाव्य-टिप्पण गौडक्धमहाकाव्यवृत्ति टीप्पणी सहित श्रेष्ठ :१३४ :ताडपत्र :२०४ ८/१७(२४) त्रुटक अपूर्ण गउडवहोमहाकाव्य वाक्पतिराज पढम चिय धवलकओववीअ पद्य गा.११६८ ग्रं. १४९० गउडवहोमहाकाव्य-टिप्पण कालिकाचार्य कथानक आदि श्रेष्ठ :अपूर्ण : ताडपत्र ८/१७(२२) (जुनो नं. ५७/०२))आ नंबरनी विगत नवा : केटलॉगमा नथी. गायकवाड केटलोंग नं. ५७(२). ।(पे.... १५४-१६१०.पे.वि. : अपूर्ण......... (पे.१) कालकसरिकथा...... कालिकाचार्यकथा गा. १३२ ग्रं. अणुसरि आगमवयण सिरि पद्य १६९ हरिभद्रसुरि : गा.७० संपणं ताडपत्र (पे.२) दर्शनसप्ततिकाप्रकरण अनेकार्थनाममाला अनेकार्थसङ्ग्रह अनेकार्थ नाममाला दसणसुद्धिपयासं :२८२ ध्यात्वार्हतः कृतका ११९ (प.पू.१-६) पं.वि. : गाथा-७१. 1८/१७(६०)........ (जुनो नं. ६४(०२)) ग्रन्थान-१८२५.(१२४१.५). हेमचन्द्रसूरिसं. ग्र.१८२७ ताडपत्र श्रेष्ठ संपूर्ण 1/१७(८२) (जुनो नं. ६४(०१))आ नंबरनी विगत नवा सूचीपत्रमा नथी.- गायकवाड केटलोंग-६४(१).. हेमचन्द्रसूरि गं. १८२७ ध्यात्वार्हतः कृतका ८/१७(१४)......... (जुनो नं. ६३४३)2..(१४४२.......... अनेकार्थसड़ग्रह षट्पञ्चाशिकावृत्ति सहित...... षटपञ्चाशिका षट्पञ्चाशिका-वृत्ति पथयशा उत्पल भटट 186 Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रित नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कति प्रकार १३९ काव्यानुशासन अलङ्कारतिलक टीका सह (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष अपूर्ण ताडपत्र १८७ ८/१७(५४) (जुनो नं. ६२(०१))आ नाम उपर संघभंडारमा २६२नं. मां. १८५ पत्र लखेला छे. गा. के.नं. ११२मां १८७ पत्रनो ग्रंथ छे. पण त्यां तेनुं नाम अलंकार चूडामणि लखेलुं छे..(१२४२) यथा च कर्पूरधूलि... गद्य काव्यानुशासनसूत्र-अलङ्कारतिलक टीका वाग्भट (दिगम्बर). नागानन्दनाटक संपूर्ण ताडपत्र : वि. १२५८ ८/१७(१८) जुनो नं. ६७(१०)). (१२४१.५) लेखन स्थल : अणहिलपाटक हर्ष कवि श्रेष्ठ :प्रा.स. अपूर्ण काव्यादर्श काव्यप्रकाश सड़केत ताडपत्र २२२-१००(१ थी १००)=१२२८/१७(३०) (जुनो नं. ६७(०१))उल्लास ४-६ त्रुटित. गायकवाड केटलॉगर्मा पत्र १०१-१७९+२२०-२२२ आप्या छे.. (१६७४२) काव्यादर्श पदार्थकुमुदवातसमु.... सोमेश्वर भट्ट :काव्यमीमांसा त्रयोदश अध्याय पर्यन्त, श्रेष्ठ : अपूर्ण सं. :अपूर्ण ताडपत्र ८/१७(२२) राजशेखर गा.93 गा.२७ (पे.१) काव्यमीमांसा (पे.२) महावीरपञ्चकल्याणकस्तोत्र (पे.३दुःख-सुखविपाककुलक... (ये.४) कुलक (4.4) कन्दजातिकुलक खण्डनटीका परिच्छेद :(जुनो नं. ५८(१०-१४))गायकवाड केटलॉगमा पत्र ५०+९ आप्या छे. प्रतमां काव्यमीमांसा सिवायनी बीजी कृतिओ नथी. (प.पू. १-५०) पे.वि. : त्रुटित. (पे.पू. १-३) पे.वि. : गाथा-११.. (पे.पू. ३:52.पे.वि....गाथा-२५.. (पे.पू. ६-७) पे.वि. : गाथा-५. (पे.पृ.७-८). (जुनो नं. ५७(०४)१)आदिवाक्यप्रमाणतदाभासनिरूक्त्या द्वैततद्विरोधं परिहत्याधुना..../(२)अन्तवाक्य-इति... चतुर्थ परिच्छेदः..(१३.५४२)...... ओहिन्नाणमुणियतित्थेस पद्य अणवस्यकम्म-जललहरिहीर. पद्य इयमच्छरयभूयं पुन सव्वा य कन्दजाई सूरण.....पथ ४५२-३०३(१ थी ३०३)=१४९ ८/१७(६४) गा.५ गा.७ १४३ प्रतिपूर्ण ताडपत्र .. . ............ १४४ जीर्ण ताडपत्र ८/१७(२६) खण्डनखण्डखाद्य-शिष्यहितैषिणीवृत्ति धर्मोत्तरटिप्पनक तृतीय परिच्छेद प्रतिपूर्ण पर्यन्त न्यायविन्दुनी-टीकार्नु-धर्मोत्तरटिप्पनक... मल्लवादी ..................... ग्रं. १३०० ................ (जुनो नं. ५८(०९))गायकवाड केटलॉगमा पत्र ३८३आप्या छे...(१२४१.७). प्रणिपत्य जिना [धीशा ...... गद्य 187 Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार श्रेष्ठ अपूर्ण ताडपत्र ८/१७(१२) सं..... गय क्षमाश्रमण जिनदत्तकथा अपूर्ण जिनदत्तकथा दानविषये. कलापकव्याकरणपञ्जिकोद्योत.... कातन्त्रव्याकरण-वृत्ति नी पञ्जिका नी । त्रिविक्रम भट्ट उद्योतवृत्ति लिङ्गानुशासन वृत्तिसहित आदि। श्रेष्ठ संपर्णताडपत्र ८/१७(२२) .......(जुनो नं. ६२२०३).. गय संपूर्ण ताडपत्र वि. १२७३ ८/१७(१८) (जुनो नं. ६३४८))गायकवाड केटलॉगमा पत्र ८५ आप्या छे.. (११.७४१.५). (पे. पृ. १-४६) वामन (पे.१) वामनीय लिङ्गानुशासन सह (सं.)टीका वामनीय लिड़गानुशासन वामनीय लिङ्गानुशासन-वृत्ति ... (ये.२) धर्माभ्युदय छायानाट्यप्रबन्ध (पे.३) सूक्तमुक्तावली वृत्तरत्नाकर टीकासहित मेघप्रभाचाय :सिद्ध विबधजनेष्टं श्रेयांसं शिवमीश्वरं यः शक्रेण मुदाभिवन्द श्रीवर्द्धमानमभिनौमि १२७ मेघप्रभाचार्य परा श्रेष्ठ ८/१७(३२) (म.पू.19-492 (प.पू. ६८-८५) (जुनो नं. ६२१०२))कर्तानाम जैनाचार्य तरीके सूचीपत्रमा लख्या छे. छन्दोविषयक ग्रन्थ. वृत्तरत्नाकर पद्य वृत्तरत्नाकर-टीका केदार भट्ट त्रिविक्रम भट्ट श्रेष्ठ अपूर्ण ताडपत्र ८/१७(२४) जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटकअपूर्ण (पे.१) जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि जीतकल्पसूत्र (जुनो नं. ७७०९))गायकवाङ केटलॉगमा १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमा अहीं नाममा 'आदि शब्दथी शं ग्रहण करवू? (पे. पृ. १-१०४)................. कृ.वि. : हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. जिनभद्रगणि :गा. १०५. कयपवयणप्पणामो वोच्छं ! पद्य क्षमाश्रमण १३० : पगयवयण तिया पहाणवय गद्य ग्रं. ११२० वि. १२२७ नत्वा श्रीमन्महावीरं जीतकल्पसूत्र-चूर्णि जीतकल्पसूत्रनी चूर्णी- टिप्पनक...... :श्रीचन्द्रसार (पे.२) अज्ञात कृतिओ विगत नथी बृहत्सडग्रहणी प्रकरण त्रुटक अपूर्ण ... श्रेष्ठ (प.पू. ???) (जुनो नं. ६(१०))गायकवाड केटलॉगमां ताडपत्र ९६-६८(१थी६८)-२८ ८ /१७(३०) 188 Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १५१ १५२ १५३ १५४ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण उपदेशमालाकथासङ्क्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङग्रह (पे. १) उपदेशमालाकथासंक्षेपविवरण उपदेशमाला उपदेशमाला-विवरण- कथासङ्क्षेप (पे. २) सिद्धहेमशब्दानुशासन- व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य दुर्गमार्थबोधिनी टीका (पे.३) हैमाख्यात कृद्बृहद्वृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्ति (पे.४) अज्ञात कृतिओ विगत नथी आवश्यक निर्यक्ति आवश्यक सूत्र- नियुक्ति त्रिषष्टिशलाकापुरूषचचरित्र तृतीय त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञवृहद्वृत्ति सह अध्याय-२ पाद ३ थी अध्याय ३, पाद २ पर्व सिद्धहेमशब्दानुशासन स्थिति कर्ता जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ धर्मदास गणि सर्वानन्दसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसरि (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. सं. सं. संपूर्ण प्रा. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. परिमाण गा. ५७९ ताडपत्र गा. ५४४ ताडपत्र गा. २५०० ग्रं. ३१०० ताडपत्र सर्ग १० ताडपत्र वि. १४०० 189 आदिवाक्य नियट्ठवियअट्ठकम्मं नमिऊण जिणवरिन्दे २२७ जयइ जगजीवजोणी वियाणओ १५१ २०२ अहं सिद्धिः स्याद क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य ८/१७ (४२) पद्य गद्य गद्य गद्य ८/१७ (९२) पद्य ८/१७ (७८) पद्य ८/१८ (१०२) गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष पत्रसंख्या ९९ थी१२७ आपेल छे. / गा.के. नं. ६२ / १०मां पत्र ९१ थी १२७ छे. गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे. (जुनो नं. ७०) (पे.. पृ. 2) पे.वि. अपूर्ण. पत्र त्रुटक व अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र - १-२४. गाथा ४२९ तक मिलती है. कृ. वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (पे. पृ. ?) पे.वि. मिलता है. झेरोक्ष (पे. पृ. 2) पे.वि. अपूर्ण. ग्रन्थाग्र - २३६९. झेरोक्ष पत्र-३० पर है. त्रुटक. मात्र प्रारंभिक भाग पत्र- २४ पर है. (पे. पृ. ?) पे.वि. त्रुटित, खंडित, अपूर्ण व अस्पष्ट कृतियाँ. झेरोक्ष पत्र- १-४२. (१४४१.५) आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. (१३.७४१.७) पर्व- १०. Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक पूर्णता कति प्रकार ताडपत्र सं गद्य गद्य गद्य श्रेष्ठ :ताडपत्र (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत नाम स्थिति प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्ति ......... हेमचन्द्रसूरिसं. सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञवृहद्वृत्ति श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण :२५० ८/१८(१२६) (१५.५४२) सह अध्याय ३. पाद ३ थी अध्याय ४ पाद ३ सिद्धहेमशब्दानुशासन हेमचन्द्रसूरि अर्ह। सिद्धिः स्याद सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्धृत्ति.......... हेमचन्द्रसूरि... सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ बृहद्धत्ति: श्रेष्ठ प्रतिपर्ण ५३२-२८५(१ थी २८५)=२४७.८१८(१००) (१५४२) पञ्चमोध्याय (कृदन्त). सिद्धहेमशब्दानुशासन हेमचन्द्रसूरि अह। सिद्धिः स्याद सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्धत्ति हेमचन्द्रसूरि सिद्धहेमशब्दानुशासनवृत्तिविवरण २८७ ८/१८(९६) (जुनो नं. ६०(७)).(१५४१.५) अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति हेमचन्द्रसूरि ग्र.३३०० सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति-विवरण साधुश्रावकसामाचारी सुखबोधा :श्रेष्ठ ८/१८(१०२) सामाचारी, आगमगत अनेक विचार सङ्ग्रह (पे.१). साधुश्रावकसामाचारी. आयारमयं वीरं. (पे.पू. १-१९:).. (पे.२) सुखबोधासमाचारी श्रीचन्द्रसार (मे.पू.??? (पे.३) आगमगत अनेक विचार सग्रह (मे..??? आगमोद्भुत अनेक विचार पिण्डविशुद्धिप्रकरण दीपिका सह .... श्रेष्ठ ताडपत्र ८/१८(२०) .... (१३४१.५) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ देविन्दविन्दवन्दियपय गाथा १०५ सुधी मळे छे.. पिण्डविशुद्धिप्रकरण-टीका...... उदयसिंहाचार्य ग्रं.७०३ गद्य ललितविस्तरा चैत्यवन्दनसूत्रटीका. ८/१८(५६) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो हरिभद्रसूरि प्रणम्य भुवनालोकं चैत्यवन्दनसूत्र-ललितविस्तरावृत्ति .. दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण वि. १३८९ :३३७ ८/१८(१७०) प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे., सङ्ग्रह ।.(१२.५४२.५) प्रणम्य परमात्मानं ताडपत्र १९१ ग्र.१३११ :गा.१०४ पद्य श्रेष्ठ ताडपत्र श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र 190 Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गंथांक स्थिति प्रित नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार शय्यम्भवसरि ग्रं. ७00 संयुक्त प+ग संयुक्त प+ग ग्रं.३५० (पे.१) दशवकालिकसूत्र (पे.२) पाक्षिकसूत्र (पे.३) पगामसज्झाय (पे.४) उपदेशमाला प्रा धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ। तित्थड़करे य तित्थे इच्छामि पडिक्कमिउं. नमिऊण जिणवरिन्दे ग्र.५० गा.५४४ (पे.पू. १-३५) पं.वि.: ग्रन्थाग्र-900. (पे.प्र.३५-५०) पे.वि.: ग्रन्थान-३००. (पे.पू. ५०-५४).पे.वि. : ग्रन्थान-१०. (पे.पृ.५४-८८) पे.वि. : गाथा-५४४. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (पे.प्र.८८-१२१) पे.वि.: गाथा-५०५. धर्मदास गणि पद्य :(पे.५) पुष्पमालाप्रकरण : प्रा. गा. ५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल हेमचन्द्रसूरि मलधारी पद्य (पे.६) भवभावनाप्रकरण प्रा. गा. ५३१ हेमचन्द्रसूरि मलधारी वि. ११७०नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ पद्य (पे.पृ. १२१-१५२) पे.वि. : गाथा-५३२. (प.) सड़ग्रहणीप्रकरण श्रीचन्द्रसूरि गा. २७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य (पे.पृ. १५२-१६९) पे.वि. : गाथा-२७३. मलधारि पद्य गा. ५२ गा.३२ सगवीसा सत्तसया छासीय अहीपणमित्तु सुरिन्द (प.पू. १६९-१७२/.. (पे.प्र. १७२-१७४) पे.वि.: गाथा-३८. (पे.पू. १७४-१५) गा १५ (पे.८) भौगोलिकपरिमाणगाथा (पे.९) लोकनालिकाद्वात्रिंशिका (पे.१०) त्रिविध पल्योपमविचार पल्योपमविचार (पे.११) कृष्णराजीवविचार (पे.१२) बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरणसडिक्षप्तक्षेत्रसमासप्रकरण (पे.१३) जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी गा. १४ (पे.पू. १७५-१७५) पे.वि. : गाथा-१४. (पे.पृ. १८१-१८३) पे.वि. : गाथा-११२. : जिनमद्र गणि प्रा. अहि पलिउवम च तिविह.... पद्य जम्बुद्दीवाउ असडिख नमिऊण सजलजलहरनिभस्सण वन्दिवि जिणं सब्बनु पद्य गा.८५ क्षमाश्रमण हरिभद्रसूरि प्रा. गा.३१ ग्रं. 940 (पे.पृ. १८१-१८३) पे.वि. : गाथा-२६. गा. १९ गा.११ जम्बूणयामयं जम्बूपीढ़. पणनवइ सहस्साई ओगाहि प.पू. १८३-१८४०.प.वि.: गाथा-28. (पे.पृ. १८४-१८५) पे.वि. : गाथा-99. गा.९ पद्य (पे.१५) जम्बूवृक्षविचार. (पे.१५) पातालकलशलवणशिखाविचार (पे.१६) अन्त:पविचार (पे.१७) एकविंशतिस्थानप्रकरण (4.१८.नवतत्त्वविचार नवतत्त्वप्रकरण (पे.१९) जीवविचारप्रकरण (पे.२०) लघुउपदेशलव भुल्ल हिमवन्त पुब्बा चवण विमाणा नयरी जणया पद्य गा.६६. (पे.पू. १८५-१८६). (पे.पू. १८६-१८९० से.वि. : गाथा-६४... (पे...१८९-१९२).पे.वि.: गाथा-५३.. : गा.४९ गा.५१ गा.१४ जीवाजीवा पुन्नं पावा भुवणपईवं वीरं नमिऊण पणमिय पसमए सत्थं (पे.पू. १९२-१९५). पे.वि.: गाथा-५१.... (पे.पृ. १९५-१९६) प्रा. पद्य 191 Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता भाषा कति प्रकार (मे.२१) दरिसण चउबीसी दर्शनचतुर्विंशति (पे.२२) पिण्डविशुद्धिप्रकरण :गा.२४ जिनवल्लभ आसड गा.१२५ EE आसड वीरभद्र गा. (पे.२३) उपदेशकन्दली. (पे.२४) विवेकमञ्जरीप्रकरण (ये.२५) वृद्ध चतुःशरण चतुःशरणप्रकीर्णक (पे.२६) ऋषिमण्डलस्तव (ये.२७) शीलप्रशंसाकुलक (पे.२८) ऋषभपञ्चाशिका (पे.२९) गौतमपृच्छा प्रकरण धर्मघोषसरि गुणसूरि गा.४४ धनपाल गा ५० जय जन्तकप्पपायता (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. १९६-१९७) प्रा. :चउसद्दहण तिलड़र्ग गा. १०४ देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य (प.पू. १९७-२०३) पे.वि. : गाथा-१०४. कृ.वि.: गाथा १०५ सुधी मळे छे] तिहयणमड़गलतिलयं (म.पू. २०३:२१:2.पे.वि... गाथा-१२२.. :गा.१४४वि .२८/ : सिद्धिपुर सत्थवाह (ये.यू. २१०-२१७) पे.वि. : गाथा-१४४. (पे. पृ. २१७-२२१) पे.वि. : गाथा-६४. सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य कृ.वि.: गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. गा. १६२ भत्तिभरनमिरसुरवर... (मे.पू. २२१-२२९) पे.वि. : गाथा-१६७. तिलोयपुज्जाण जिणेसरा (पे.पू. २२९-२३२) पे.वि. : गाथा-४४. (प.पू. २१२-२३५.... गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण (ये.पृ. २३५-२३७) पे.वि. : गाथा-५२. [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छ.] :गा.३० संसारविसमसायरभवजलपाड : पद्य (पे.पृ. २३७-२३९) ये.वि. : गाथा-३२. [कृ.वि.: गाथा-२४ थी ३५ सुधी मळे छे] गा.६९ नमिऊण भणइ एवं भयवं! पद्य (प.पू. २३९-२४२) ये.वि. : गाथा-६९.. गा.२६ :अरहन्ता मङगले मज्झ (पे.पू. २४२-२४४) पे.वि. : गाथा-२०. गा.४० अजियं जियसब्वभयं पद्य (ये.पृ. २४४-२४५) पे.वि. : गाथा-४६. [कृ.वि.: गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] गा.३३ मोक्खमुक्खे मायामोहं (प.पू. २४५-२४२) पं.वि. : गाथा-३३. (पे... २४९-२५१).पे.वि... गाथा-२२.. निसाविरामे परिभावयाम अह जण निसुणिज्जउ !(प.पू. २५१-२५२) ये.वि. : गाथा-१९. (पे. पृ.. २५२-२५४) पे.वि. : गाथा-३२.. सुगरुन सेविउ जडगम (पे. पृ. २५४-२५६). वीरजिणिन्दर पयकमल गा.३२. गा.१२ मण मक्कड निअ मण सड़क पद्य (पे.पू. २५६-२५७) गा.६४ नमिऊण भुवणवीर जिणि पद्य (प.पू. २५७-२६०) पे.वि. : गाथा-२९ (पे.३०) प्रव्रज्याविधानकुलक सोमसूरि (पे.३१) आराधनाकुलक (पे.३२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.३३) अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण : जिनप्रभसूरि जिनप्रभसूरि अपभ (पे.३४) आत्मसम्बोधकुलक (पे.३५भावनाकुलक. श्रावकधर्मकुलक (पे.३६) धर्माधर्मविचारकुलक (पे.३७) सुभाषितकुलक उपदेशकुलक (पे.३८) श्रावकविधिप्रकरण श्रावकविधिकुलक. (पे.३९) द्वादशभावनाकुलक (पे.४०) दूसमपद्धति जिनप्रभसूरि ... अप जिनप्रभसूरि सोमसार Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कति प्रकार (पे.४१) एगुणतीसी भावना (पे.४२) नवकारफलकुलक (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष गा.३० संसारम्मि असारे (प.पू. २६०-२६२).. गा.१४ (पे.पृ. २६-२६४) पे.वि. : प्रारंभिक वाक्य घिसा हुआ होने से आदिवाक्य नहीं दिया गया है. नमो दुर्वाररागादिवैर (पे.पू. २६४-३१६). पे.वि.: गाथा-१९... अध्याय २० ग्र. यः परात्मा परज्योत पद्य (पे.पृ. ३१६-३२५) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] FIE हेमचन्द्रसार अध्याय १२प्रका (पे.४३) योगशास्त्र (पे.४४) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि १८ (पे.४५) आत्मानुशासन श्लोक ७७ :वि. १०४२ सकलत्रिभुवनतिलक पद्य पावनाग (दिगम्बर) विमलसूरि का.२८ प्रा.मारुगजर का खलु नालडिक्रयते नवकारेण विवोहो अनुसर धर्मार्थ क्लिश्यते वीरु पार्श्व नमी (पे.पृ. ३२५-३२९) [कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु... (प.पू. ३२९-३३१) पे.वि. : का.२९. (पे.पू. ३३१-३३२) पे.वि. : गाथा-३२. (पे.पृ. ३३२-३३३) पे.वि. : गाथा-१४. (पे.पू. ३३३-३३५....... (पे..पू. ३३४-३३६/.. (पे.४६) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे.४७) रत्नत्रय (पे.४८) धर्मलक्षणप्रकरण (पे.४९) मङ्गलस्तव (प.५०) परमसुखवत्रीसी. परमसुखद्वात्रिंशिका : विमलसरि श्लोक २२ श्लोक १४ श्लोक ३२ धर्माधर्मान्तरं जिनप्रभसूरि (आगमिक) (पे.५१) ज्ञानप्रकाश मारुगुर्जर :उत्तराध्ययन सुत्र संपूर्ण ताडपत्र :वि. १३६९ :१७८ ८/१८(४८) (पे.प्र.) पे.वि. : अन्तिम आवरण पत्र. झेरोक्ष पत्र-१७९-१८०. : गायकवाड केटलॉगमा पत्र १७८+२६ थी ४४ आप्या छे. लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ (पे.पृ. १७८) (पे.१) उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी प्रा. सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ गा. ६३ (पे.२) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र प्रा. सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य (पे.३) आतुरप्रत्याख्यान लघु गा.६० (पे.पृ. २६-?) [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ???) [कृ.वि. : गाथा परिमाणमा ४० थी ९४ सुधीनुं वैविध्य जोवा मळे छे. आनी साथे संकळाएल केटलीक प्रतो वीरभद्र गणि वाला आउर पच्चक्खाणनी अगर "अरहन्ता मंगलं मज्झ... आदिवाक्यवाला के पछी 'कुससत्थरे निसन्नो..."बाला आदिवाक्य वाला आउर. 193 Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता कति प्रकार (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पच्चक्खाणनी पण होई शके महावीर जैन विद्यालयथी आ बन्ने छपाया छे)] गा. १७२ ग्रं. नमिऊण महाइसयं महाणु : पद्य (पे.पृ.???) [कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे] गा. १२४ काऊण नमोक्कारं जिणवर पद्य (प.पू.?-४४) अपूर्ण ताडपत्र १७५-१०५(१ थी १०५)-७०/८/१८(६२) (१५.२४२) (पे.४) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र १०१ श्रेष्ठ (पे.५) संस्तारकप्रकीर्णक ओघनियुक्ति टिप्पणीसह, पिण्डनियुक्ति अपूर्ण (पे.१) ओघनियुक्ति टिप्पणीसह. ओघनियुक्ति (प. पृ. १-१०६ कृ.वि.: गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे.. भद्रबाहुस्वामी प्रा. दुविहोचक्कमकालो सामा पद्य गा.११६३ग्रं. १४३२ गद्य ओघनियुक्ति-टिप्पणी (पे.२) पिण्डनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी :प्रा. :गा.६९७ :पिण्डे उग्गम उप्पायण :पद्य (पे.पू. १०६-१७५) [कृ.वि. : गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे] १६४ श्रेष्ठ अपूर्ण ताडपत्र ११८-१०७(१ थी १०७)=११ 1८/१८(५६) (पे. पृ. १०८ नमोअरिहन्ताण... संयक्तप+ग कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा पद्य (पे.) कल्यसुत्र सह (सं.)टिप्पणी कल्पसूत्र कल्पसूत्र-टिप्पणी (मे.२) कालिकाचार्यकथा कल्पसूत्र टिप्पणी त्रुटक अपूर्ण कल्पसूत्र कल्पसूत्र-टिप्पणी कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा (पे.पृ. १०८-११८) श्रेष्ठ ताडपत्र ११० 1८/१८(२८) संयुक्त प+ग भद्रबाहस्वामी ग्रं. १२८० नमो अरिहन्ताणं........ श्रेष्ठ ताडपत्र १४६ ९/१८(६४) मूल पत्रांक-१३४+१२-१४६. / झेरोक्ष पत्रांक १ नुं बे वखत झेरोक्ष थयेलुं छे, जेना उपर पत्रांक ६६ लखेलुं छे पण खरेखर पा→ ६४ सुधी ज छे.... (प. पृ. १-१०२/ नमो अरिहन्ताणं... संयुक्त प+ग (पे.१) कल्पसूत्र सह टिप्पणी कल्पसूत्र कल्पसूत्र-टिप्पणी (पे.२) वीरजिन सिद्धिगमन पश्चात् वीरजिणे सिद्धिगए गद्य (पे.पू. १०२९) 194 Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १६७ १६८ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम मोक्षगामी गणधरों का वर्षमान (पे.३) मूलशुद्धिटीकागताकालिकाचार्यकथा कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता (पे.४) दीपावलीकल्प काव्यानुशासन सटीक किञ्चिदपूर्ण टीप्पणीसह काव्यानुशासनसूत्र काव्यानुशासन सूत्र अलङ्कारतिलक टीका काव्यानुशासनसूत्र-टिप्पणी दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्र स्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि (पे. १) दशवैतालिक दशवैकालिकसूत्र (पे. २) पक्खिसुत्त पाक्षिकसूत्र (पे.३) परचूरन मांगलिक स्तुतियां मङ्गलपाठ स्तुति (पे. ४) पञ्चपरमेष्ठि स्तुति स्थिति कर्ता देवचन्द्रसूरि श्रेष्ठ वाग्भट (दिगम्बर) वाग्भट (दिगम्बर) श्रेष्ठ शय्यम्भवसरि (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा प्रा. सं. संपूर्ण सं.. सं. सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. सं.. परिमाण ग्रं. ३९५ ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. ७०० ग्रं. ३५० वि. ११४६ 195 आदिवाक्य अस्थि इहेव जम्बू गुरोः श्रीवर्द्धमानस १८९ यथा च कर्पूरधूलि ..... ५२ धम्मो मङगलमुक्किट्ठ तित्थङ्करे य तित्थे नम्रामरेश्वरकिरीट क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य पद्य ९/१८ (५६) गद्य गद्य गद्य ९/१८ (७२) संयुक्त प+ग संयुक्त प+ग पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. १०३B- १३४B) पे. वि. कथानक संख्या३६५. ग्रन्थाग्र-४३४. कृ. वि. ग्रंथाग्र ३६० थी ४०० सुधी मळे छे. (पे. पृ. १-१२) पे.वि. अपूर्ण अन्तनो पत्र नथी. श्लोक-१३८ सुधी छे. आ पत्रो कोई बीजी प्रतनुं लागे छे. एकज पत्र नो बे वखत झेरोक्ष थएल छे, परन्तु झे. पत्रांक ६१ अने ६२ क्रमसर आपेलु छे. प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है., (१३४२ ) (पे. पृ. १-३६A) पे.वि. अपूर्ण अध्ययन १ से ३ नहीं है. झेरोक्ष पत्र १-१७. 2 (पे. पृ. ३६B-५२) पे. वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र- १८२४. (पे. पृ. ?) पे.वि. अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २६ न होने से कृतियाँ स्पष्ट नहीं हुई है. इसके अन्दर लगभग ३-४ स्तुतियाँ हैं. (पे. पृ. ?) पे.वि. अपूर्ण. श्लोक-४ तक है. झेरोक्ष पत्र-२५ पर है, Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झे.पत्र) परिमाण कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा रचना वर्ष अनिता कति प्रकार (ये.५) ऋषभनाथ स्तवन आदिजिन स्तुति श्लोक८ प्रणतनरामरभुजगेन्द्र पद्य (पे.६) सकलार्हतस्तोत्र हेमचन्दसरि : श्लोक २४ ग्रं. सकलाहेत्प्रतिष्ठानं पद्य (प.पू. १४) पं.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२७-२८... कृ.वि. : अन्तवाक्य-संबोधिलाभमतुलं ददातु भक्त्यान नाभेयः. (पे.पृ. १४) पे.वि. . अपूर्ण. श्लोक-२१ तक है. झेरोक्ष पत्र-२७-२८. ताडपत्रीय पत्र-१६ नहीं है. (पे.पृ. १७-१८) पं.वि. : अपूर्ण. श्लोक-१-६ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-२७-२८. [कृ.वि. : अन्तवाक्यसागरचन्द्र इत्यभिध० नानावृत्तनिवेशपेशलतरयुक्ताक्रियागुप्तकैः] (प.पृ. १८ आ-१९अ) मे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र सागरचन्द्र श्लोक २५ (पे.७) क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विंशतिका विविध छन्दोमयी (पे.८) पार्श्वजिन स्तुति गा.९ उद्दाममङ्गलसरोरुहसूर पद्य २७-२८. (पे.२) सर्वजिन स्तुति गा.१० असुरसुरकिन्नरदेवराय पद्य (पे. १०) शान्तिनाथदेव स्तुति (पे.पृ. १९आ-२०अ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र२७-२८. (पे. पृ. २०आ-२१आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २८:३०. वीरप्रभसूरि शान्तिजिन स्तुति (पे.११) शान्तिजिन स्तुति सन्तिजिण तुम गुणरय पणमवि परमेसर सन्तिजण गा.१४ पद्य (पे.पृ. २१आ-२३अ) पे.वि. : संपूर्ण झेरोक्ष पत्र२९-३० (पे.पृ. २३अ-२४अ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२९ (पे.१२) आदिजिन स्तुति :गा.९ अमरासुरवरवन्दिय पाय : पद्य (ये.१३) ऋषभनाथस्तोत्र (पे. पृ. २६अ-२२७अ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-२१. झेरोक्ष पत्र-२९-३१. गा.१९ आदिनाथस्तोत्र (पे.१४) शास्वतजिनभवन स्तोत्र बालत्तणम्मि सामियपद्य वन्दिय चउवीसजिणे पद्य :गा.२५ (पे.पू. २७अ-२९अ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३१ (पे.१५) सीमन्धरजिनस्तोत्र :गा.२० पद्य (प.पू. २९अ-३०आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र३१-३२. कृ.वि. : अन्तवाक्य-सासयसुहेक्कजणउ कयनाहो होउ भव्वाणं]. (पे.पृ. ३०आ-३१आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र३१-३२. (पे.१६) पाचजिन स्तुति गा.१० जय जय पासजिणेसर जय Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गंथांक स्थिति । प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कति प्रकार (पे.१७) चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन यर्थ पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष प्रा. गा. १३ थोस्सामि जिणवरिन्दे पद्य (पे.पृ.३१आ-३२आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ३.१.३२ प्रा. गा.२३ नमिऊण पणयसुरगणचूडामण: पद्य (पे.पृ. ३२आ-३४अ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ३२-३४. [कृ.वि. : गाथा २१ थी २४ मळे छे.] गा.२६ सयल सुरासुर नमिउ० : पद्य (पे.प्र. ३४अ-३६अ) पे.वि. : संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-३३ (पे.१८) भयहरस्तोत्र मानतुगसूरि (पे.१९) पार्श्वनाथ संस्तवनदशभवग्रहणनिबद्ध (पे.२०) वर्धमानस्तुति ३४.. गा. १८ नमिऊण सङ्खसस्थियचक्क पद्य (पे.२१) महावीरस्तोत्र गा.२१ जइज्जा समणे भगवं पद्य (पे.२२) कल्याणकस्तोत्र प्रा. गा.१६ (पे.पृ. ३६अ-३७अ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-२०. झेरोक्ष पत्र-३३-३४. (पे.पृ. ३७) पे.वि. : अपूर्ण, झेरोक्ष पत्र-३३-३४. ताडपत्रीय पत्र ३८-३९ नहीं है. गाथा-१० तक है. (पे.पृ. ४०अ) पे.वि. : अपूर्ण. ताडपत्रीय पत्र ३८३९ नहीं है. गाथा-१२ तक नहीं है. झेरोक्ष पत्र३३. [कृ.वि. : अन्तवाक्य-पसिय पसिय :तियणतिलय.] (पे.पृ. ४०अ-४१आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र३३-३६. (कृ.वि. : अन्तवाक्य-कम्मतुठिहिं अनुसंपज्जइ परमपउ.] (पे. पृ. ४२अ-४६आ) पे.वि. : अपूर्ण, ताडपत्रीय पत्र ४३ (गाथा-११ से १८)नहीं है झेरोक्ष पत्र-३५ (पे.२३) भयहरस्तोत्र गा.१४ जमजरमरणदररोयभयदलणयं पद्य (पे.२४) आत्मसंबोधनकुलं ............. आत्मसम्बोधनकुलक (पे.२५) दाङ्गडउ भूवनतुड़गसूरि....प्रा............ गा. ४३........ अपभ्रं. गा.२९ नमिरसुरअसुरविन्देहिं.......... पद्य जहिं जिणधम्मु न जाणिपद्य (पे.पृ. ४६आ-४९अ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-३१. झेरोक्ष पत्र-३५-३८. [कृ.वि.: भावनाकुलक- भाषाअपभ्रंश, गाथा-२१..पण समान आदिवाक्य छे... (पे.पृ. ४९अ-५२अ) पे.वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३७ (पे.२६) महासतीकुलक भुवनतुड्ग प्रा. गा.३१ पवरगुणनियरवित्तरिय (पे.२७) संसारभावनाकुलक गा.२६ संसारम्मि असारे... (पे.पृ. ५२-५४अ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-२९. झेरोक्ष पेज-३७-३९. (पे.पृ. ५४अ-५६अ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-१६. झेरोक्ष पेज-३९-४०. (पं.२८) भवभावनाकुलक : सोमदेव गा.२४ नमिऊण नरिन्दसुरिन्द पद्य 197 Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता कति प्रकार (पे.२९) धर्माधर्मविचारकुलक जिनप्रभसूरि (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष झे.पत्र/झे.पत्र) आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष अपभ्रं. गा. १९ अह जण निसुणिज्जउ पद्य (पे.पृ. ५६अ-५८ अ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-१८. झेरोक्ष पत्र:३९.४.. प्रा. गा.२० आइन्नह जिणएक्कमणेण । पद्य (मे.पृ. ५८अ-५९आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ३९-४०. प्रा. :गा.२६ पढमन्ति जिणवराणं पद्य (प.पू. ६०१-६२७) पे.वि. : संपूर्ण, झेरोक्ष पत्र-४१ (पे.३०) दानादिकुलक (पं.३१) भावनाकुलक अशोकमुनि प्रा. गा.४७ (पे.३२) दान शील तप भावना स्वाध्याय देवाहिदेवं नमिऊण पद्य (पे.पृ. ६२१-६६-१) पे.वि. : संपूर्ण.६६ नं. के पत्रांक २ है. झेरोक्ष पत्र-४१-४३. (पे. पृ.६६-६८आ) पे.वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४३ (ये.३३) दाणसीलतवभावनाकुलं पद्य दानकुलक. (पे.३४) परित्यागकुलक नमिऊण महियमोहं... पडिवज्जसु सम्वन्नु (ये.३५) खामणाकुलक (पे.पृ.६८-६९आ) पे.वि. संपूर्ण, झेरोक्ष पत्र४३-४४. (पे. पृ.६९आ-७२आ) पे.वि. : संपूर्ण गाथा-३६. झेरोक्ष पत्र-४३-४६.. जो कोइ मए जीवो चउगइ. पद्य.. क्षामणककुलक (ये.३६) आत्मसंबोधनाकुलं (पे. पृ. ७२-७४अ) पे.वि. : संपूर्णर. झेरोक्ष पत्र देवेन्द्रसूरि गा.२२ जम्मजरामरणजल नाणापय धर्मोपदेशकुलक (ये.३७) भावनाकुलक (पे. पृ. ७४अ-७६अ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र४५-४६. :निसाविरामे परिभावयाम... श्रावकधर्मकुलक (ये.३८) सिद्धि (पे. पृ. ७६-७७) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र गा. १३ ज्झायन्तो सुहज्झाणं पद्य सिद्धिकुलक (पे.३९) सम्यक्त्व (पे.पृ. ७७अ-७८ आ) पे.वि. : संपूर्ण, झेरोक्ष पत्र184-४८. .. चउसदहण तिलिङ्गं...........पद्य सम्यक्त्वकुलक (पे.४०) नवतत्त्वप्रकरण... .........गा. १७. गा.२१ पद्य (पू. ७८आ-७९आ) पे.वि. संपूर्ण गाथा-१५..... 198 Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झेरोक्ष पत्र-४७-४८. प्रा. गा.३० नमिउं वीरजिणिन्दं (पे.पृ.७९आ-८१आ) पे.वि. : संपूर्ण झरोक्ष पत्र कति प्रकार (पे.४१) मिथ्यात्वपरिहारकुलक पद्य 189-19८. (पे.४२) स्थूलिभद्रकथानक गा. १२ इत्थ भारहि... (पे.४३) कर्मविपाककुलक गा.२२ तियलुक्किक्कमल्लस्स (पे.पृ.८४अ-८६अ) पं.वि. : संपूर्ण. परन्तु पूर्णता व कृति स्पष्ट नहीं है. झेरोक्ष पत्र-819-४९. (पे.पृ. ८७आ-८८आ) मे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र४९-५०. (पे.पृ. ८८आ-८९आ) पे.वि. : संपूर्ण, झेरोक्ष पत्र (पे.४४) धर्मलक्षणप्रकरण विमलसूरि श्लोक २२ धर्मार्थ क्लिश्यते (पे.४५) गुरुस्तुतिकुलक प्रा. गा.२३ गम्भीरो मद्दविओ... पद्य (पे.पृ. ८९आ-९०आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र (पे.४६) रत्नमालिका (पे. पृ. ९०आ-९३आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र५०-५२.. कः खलु नालड़िक्रयते प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे.४७) अजितशान्तिस्तव गा.४० अजितशान्तिस्तोत्र (पे.४८) लघुअजितशान्तिस्तव .... (पे.४९) तीर्थङ्कर धनुषमान सज्झाय अपभ्रं. गा.८ गा.११ अजियं जियसव्वभयं गम्भअवयारि सोहम्मसुरपद्य पणमवि पढम जिणेसरु मारुगुर्जर (पे. पृ. ९३अ-९८अ) पं.वि. : संपूर्ण गाथा-४४. झेरोक्ष पत्र५१-५३. कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. (पे.पृ. ९८) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-५३-१४. (पे.पृ. ९८आ-१९आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र५३-५४. (पे.पृ. ९९आ-१०२आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र५३-५४. (पे. पृ. १०३-१२०) ये.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-५५ (पे.५०) अष्टापदादितीर्थस्तुति अपभ्रं. गा.१५ देव जिणवरपवरजस पसर पद्य (पे.५१) योगविधि, प्रतिक्रमण व प्रत्याख्यानादि विविधयोगविधिसङ्ग्रह (पे.५२) भक्तामरस्तव सुत्ते अत्थे भोयणे (पे. पृ. १२११-१२५आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ६१-६२. .कृ.वि...अमुक प्रतीमा ४८ काव्य पण.. (पे. पृ. १२५आ-१२६अ) मे.वि. : संपूर्ण, लिपी....... भक्तामरप्रणतमीलिमणि भक्तामरस्तोत्र (पे.५३) धर्मनाथस्तवन 199 Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष अवाच्य है. झेरोक्ष पत्र-६१-६२. कृ.वि. : अन्तवाक्य-सुखमक्षयं. (पे. पृ. १२६अ-१२७अ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र कति प्रकार श्लोक८ :अमरशेष धर्मजिन स्तवन (पे.५४) पाश्र्धनाथस्तवन :श्लोक १० : परिमौलिक... पार्श्वनाथ स्तवन (पे.५५) ऋषभनाथस्तवन आदिजिन स्तवन (पे.५६) तीर्थमालास्तव ..........(पे. पृ. १२७) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६३-६४.. श्लोक८ पय प्रणमामि युगादिजिनेन अरहन्तं भगवन्तं सव्व :गा.१०८ पद्य (पे.पृ. १२८अ-१३६अ) पे.वि. : संपूर्ण झेरोक्ष पत्र६३-६५.... (पे. पृ. १३६अ-१३९आ) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष (पे.५७) रिषभ पंचासिका गा. ५० जय जन्तुकप्पपायव! ऋषभपञ्चाशिका (पे.५८) नेमिनाथ पंचासिया (पे. पृ. १३९आ-१४३) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६७-६८.. : जिनसिंहसूरि.प्रा... गा ५२ नेमिनाथ पञ्चासिका (पे.५९) आदिजिन स्तुति पणमिय नेमिजिणिन्दं विणीय भूमीए सिरिनाभि गा.७ पद्य (पे.पृ. १४३आ-१४४-) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र६७-६८. ताडपत्रीय पत्रांक १४५ नहीं है. गाथा-१ (पे.६०) महावीर पारणक मानसूार :गा.४३ जिणनिसुणउ एक्कगमणि (पं.६१) आदिजिन पारणा अपभ्र. गा.११ सचट्ठह जिणु अवयरिउ पद्य (पे.पृ. १५३अ-१५६आ) पे.वि. : संपूर्ण, झेरोक्ष पत्र६९-७२. (प.पू. १५६आ-१५८अ) पे.वि.: संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र७१-७२. (पे. पृ. १५८अ-१५९आ) ये.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-09-७२. (पे.६२) चउवीसी :गा.२५ पद्य २४ जिन स्तुति (पे.६३) चन्द्रप्रभजिन स्तुति अपभ्रं.... अपभ्रं. मङगलमाला पुन्नघड.. चन्दप्पह सामिय तुज्य पद्य (पे.पू. १५९आ-) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७२. गाथा-२तकहै. कागज संपूर्ण सं. प्रभावकचरित्र (कागळ) ............. प्रभावकचरित्र ...................... प्रभाचन्द्रसूरि १४३...... ............ 1९/१८(१४४) 200 Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १७१-१ १७१-२ १७१-३ १७१-४ १७१-५ १७१-६ १७१-७ १७१-८ १७१-९ १७१-१० १७१-११ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम सूत्रकृताङ्ग सूत्र सूत्रकृतागसूत्र सामाचारी अपूर्ण सामाचारी उत्तराध्ययनसूत्र सटीक पञ्चायतन उत्तराध्ययन सूत्र उत्तराध्ययनसूत्र-वृत्ति आचाराङ्गसूत्र प्रथमश्रुतस्कन्ध दीपिका सह पञ्चपाठ आचाराङ्गसूत्र आचाराङगसूत्र- दीपिका टीका अनुत्तरौपपात्तिकोपाङ्गसूत्र अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र व्यवहारचूलिका षोडश स्वप्न विचार यतिआराधनाप्रकरण श्रावक आराधनाप्रकरण (पे. 9) यतिआराधनाप्रकरण (पे. २) श्रावक आराधनाप्रकरण दशवैकालिकसूत्र सटीक पञ्चपाठ दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-टीका दशाश्रुतस्कन्ध स्थानाङगसूत्र अपूर्ण स्थानाङगसूत्र पिण्डविशुद्धिप्रकरण सटीक पिण्डविशुद्धिप्रकरण .... स्थिति कर्ता श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी जिनहंससरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ शय्यम्भवसुरि समयसुन्दरजी श्रेष्ठ भद्रबाहस्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ जिनवल्लभ (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा संपूर्ण प्रा. अपूर्ण संपूर्ण प्रा. सं. प्रतिपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण संपूर्ण प्रा. मारुगुर्जर संपूर्ण प्रा. सं.. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. परिमाण ताडपत्र ग्रं. २२०० ताडपत्र ताडपत्र अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ ताडपत्र ग्रं. २६४४ ग्रं. १०५०० ताडपत्र ग्रं. १९२ ताडपत्र ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. ७०० ताडपत्र ग्रं. २०१६ ताडपत्र ग्रं. ३३०० ताडपत्र गा. १०४ वि. १५७३ 201 आदिवाक्य 0 बुज्झिज्ज तिउटेज्ज १७ ८९ सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य ३९ सुर्य मे आउ तेणं शासनाधीश्वरो जीयाद 3 तेणं कालेणं तेणं. २ २९ धम्मो मगलमुक्किट्ठ १४ नमो अरहन्ताणं. सुर्य मे आउ तेणं देविन्दविन्दवन्दियपय क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार ९/१८ (५३) ९/१८ (३२) ९/१८ (१७८) संयुक्त प+ग गद्य ९/१८ (१५५) संयुक्त प+ग गद्य ९/१८ (५) ९/१८ (६) गद्य ९/१८ (१९) पद्य पद्य ९/१८ (४) संयुक्त प+ग गद्य ९/१८ (२७) ९/१८ (९) ९/१८ (२४) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष आ १७१ नंबरनी पोथी कागळनी छे. उपधान, मालारोपण, योगविधि आदि. दीपिकाना कर्ता आदिनी विगत आपेल नथी.. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ६. (पे.पू. ???).. (पे.पु. ???) गाथा १०५ सुधी मळे छे. Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार गद्य पिण्डविशुद्धिप्रकरण-टीका सुसढकथा श्रेष्ठ :ताडपत्र ९/१८(१४) १७१-१३ तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक ताडपत्र गा.३४५ निज्जरियजरामरणं ९/१८(११) पद्य .९/१८(४).. १७१-१४... आगम अष्टोत्तरी प्रकरण ............... श्रेष्ठ...........संपूर्ण ताडपत्र पद्य ताडपत्र ९/१८(२७) १७१-१५ । अन्तकृदशाङ्गसूत्र आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक (4.9) अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र (पे.२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् सधमोस्वामी :ग्र.८९० तेणं कालेणं तेणं देसिक्कदेसविरओ सम्म वीरभद्र गा.७१ पद्य (पे.पृ. १-१४) (प.पृ.???) [कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे] अष्ट 1९/१८(२३). उपासकदशाङ्ग सूत्र उपासकदशागसूत्र सुधमोस्वामी :ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. श्रेष्ठ ताडपत्र ९/१८/१९) । अनुकम्पादाने विशोपसर्गाधिकार सटीक पञ्चपाठ विशोपसर्गाधिकार विशोपसर्गाधिकार-टीका औपपातिकोपाङ्गसूत्र सुखबोधावृत्ति ताडपत्र ९/१८(४) सह :तेर्ण कालेणं तेणं २४७ (१२६) (90X२.२० शिवशर्मसार औपपातिकोपागसूत्र. सुधर्मास्वामी औपपातिकोपागसूत्र-सुखबोधा टीका. कर्मप्रकृति सटीक श्रेष्ठ कर्मप्रकृति कर्मप्रकृति-टीका जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो (पे.92.जीतकल्पसूत्र-वृत्ति तिलकसरि (पे.२) श्रावकसामाचारीप्रकरण तिलकसरि सिद्धं सिद्धत्थं प्रणम्य कर्मटम गाथा-४७३-४७७ सुधी मळे छे. मलयगिरिसरि श्रेष्ठ ताडपत्र :१७५ ९/१९(६६) वि.१२७४ ग्रं. १८०० गा.३८ वन्दे वीरं तपोवीरं. सिरिवीरजिणं नमिउं पद्य (प.पू. १-१४१) (ये.पृ. १५०-१५१) पे.वि. : गाथा-२०. [कृ.वि.. :प्रायश्चित्त. Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गंथांक सं. गद्य (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत नाम स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम কর परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (पे.३) श्रावकसामाचारीप्रकरण- तिलकसरि प्रणिपत्य जिनं वीरं गद्य (पे.पृ. १५१-१५९) आवकसामाचारीवृत्ति (पे.४) पौषधिकप्रायश्चित्तसामाचारी ... तिलकसूरि गा.१० पोसहिओ न करेइ आवसिअं पद्य (पे.पृ. १५१-१६१) (पे.५) पौषधिकप्रायश्चित्तसामाचारी- तिलकसूरि (पे.पृ. १६१-१६३) :वृत्ति (पे.६) जीतकल्पसूत्र जिनभद्रगणिप्रा . गा. १०५ ग्रं. कयपवयणप्पणामो वोच्छं पद्य (पे.पृ. १६४-१७५) [कृ.वि. : हस्तप्रतसूचीओमां क्षमाश्रमण १३० जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे.] श्रेष्ठ संपर्ण ताडपत्र धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति .वि.१२७११७१ Q/9 (190) .(१६४१.७ धर्मरत्नप्रकरण शान्तिसरि गा. १४५ नमिउण सयल गुणरयणकुल पद्य धर्मरत्नप्रकरण-वृत्ति शान्तिसूरि संपर्ण ताडपत्र १४3 सारस्वत व्याकरण ९/१९(५७). .(१३४२.५ सारस्वतच्याकरण अनभतिस्वरुप सं आवश्यकनियुक्ति श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १३९२ ९/१९(१२६) अन्तरंग संधिनो उल्लेख गायकवाड केटलॉगमां १७७ २३३ (पे.१) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी :प्रा. पद्य गा.२५०० ग्रं. ३१०० अध्याय ९ग्रं. जयइ जगजीवजोणी वियाणओ परमवि दुहखण्डण दुरिय (पे.पृ. १-२३२) [कृ.वि. : आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे] (प.पृ. १-१२) अपभ्रं. पद्य २०६ प्रतिपूर्ण ताडपत्र वि. १२९७ ३८६ ९/१९(६०) (१६४२-२) अहे। सिद्धिः स्याद गद्य (पे.२) अन्तरङ्गसन्धि धर्मप्रभसूरि, रत्नप्रभसूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ वृहद्वृत्ति श्रेष्ठ सह तद्धित सिद्धहेमशब्दानुशासन हेमचन्द्रसुरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहदृत्ति हेमचन्द्रसूरि दशवैकालिकसूत्र आदि (पे.9) दशवैकालिकसूत्र शरयम्भवसरि (पे.२) पाक्षिकसूत्र :(पे.३) ओघनियुक्ति भद्रबाहस्वामी ताडपत्र वि. १३७२ 1३१६............ ग्रं. ७00 गं.340 धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ तित्थड़करे य तित्थे दुविहोवक्कमकालो सामा 1९/१९(९०).........(१३४२). लेखन स्थल : स्तम्भतीर्थ संयुक्त प+ग . (पे.पू. १-३७). संयुक्त प+ग (प.पू. ३७-५४) (पे.पृ. ५५-१२२) [कृ.वि. : गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे पद्य (प.पू. १२३-१२९[कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे । :प्रा. पद्य गा. ११६३. १४३२ (पे.४) पिण्डविशुद्धिप्रकरण ........... | जिनवल्लभ प्रा ........ गा. १०४ देविन्दविन्दवन्दियपय 203 Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष जिला झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ट, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (पे.५) उपदेशमाला धर्मदास गणि गा. ५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.पृ. १२९-१६५) [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (प.पू. १६५-१९६) (पे.६) पुष्पमालाप्रकरण प्रा. गा. ५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य हमचन्द्रसूरि मलधारी (पे.७) भवभावनाप्रकरण हेमचन्द्रसूरि गा. ५३१ वि. ११७० नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ पद्य (पे.पृ. १९६-२३०) मलधारी आसड वि. १२८८ पद्य (पे.) विवेकमञ्जरीप्रकरण... (पे.२) उपदेशकन्दली (पं.१०) सङग्रहणीप्रकरण आसड गा.१४४ गा. १२५ :गा.२७३ सिद्धिपुर सत्थवाह :तियणमड़गलतिलयं नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य पद्य (प.पू. २३०-२३९) (ये.यू. २३९-२४८) (पे.पृ. २४८-२६६) : श्रीचन्द्रसूरि मलधारि हरिभद्रसूरि (पे.११) जम्बूद्वीपसङग्रहणी :गा.३१ ग्रं. बन्दिवि जिणं सव्वनु पद्य (प.पृ.२६६-२७५) १५० (पे. पृ. २७५-३०४) हेमचन्द्रसरि 'अध्याय१प्रका (ये. १२) योगशास्त्र चार प्रकाश योगशास्त्र (पे.१३) वीतरागस्तव २० प्रकाश वीतरागस्तोत्र नमो दुर्वाररागादिवर ....३०५:३१६... कृ.वि.: प्रकाश-२०. हेमचन्द्रनार अध्याय २० ग्र. यः परात्मा परज्योत पद्य सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति श्रेष्ठ :ताडपत्र : ९/१९(१७२) गायकवाड केटलॉगमा हैमबृहद्वृत्ति, अध्याय १-२, आम लख्यु छे. चार चित्रों युक्त, जेमां सिद्धराज जयसिंह हेमचन्द्रसूरिने नबुं व्याकरण रचवा विनंती: करे छे, हाथीनी अंबाडीए व्याकरण लई जाय छे विगेरे...(१२४२.२)............. ...................३02.................... अह। सिद्धिः स्याद.. प्रणम्य परमात्मानं ग्रं.३३०० (4.9). सिद्धहेमशब्दानुशासन हेमचन्द्रसरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति हेमचन्द्रसूरि (पे.२) हैमगण सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र : हेमचन्द्रसूरि बृहत्सङ्ग्रहणी सटीक शालिभद्रसूरिविरचित (पे. पृ. ३०४-३५१). श्रेष्ठ ताडपत्र २५७ १०/१९(७२) (१२.७४२) 204 Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति : प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार बृहत् सग्रहणीप्रकरण जिनभद्र गणि प्रा. गा. ५७९ नियट्ठवियअट्ठकम्म गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे. क्षमाश्रमण वि.११३९ गद्य । शालिभद्रसूरि श्रेष्ठ ग्रं.२५०० ताडपत्र केवलविमलज्ञानावलोक १६३ अपूर्ण १०/१९(६६) : (१४४१.७) बृहत् सग्रहणीप्रकरण-टीका उत्तराध्ययनसूत्र मूल (अध्ययन ३५ अपूर्ण) उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी प्रा. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग अध्याय ३६ ग्रे. २०९५ ताडपत्र शेत संपण कल्पसूत्र /चेका भटबाहस्वामी गं १२८० :वि.१३७७२१२ नमो अरिहन्ताणं. पज्जोसमणाएअक्खराई भद्रबाहस्वामी गा.६७ (पे.२) कल्पसूत्र-नियुक्ति (पे.३) कल्पसूत्र-चूर्णी (पे.४) कालिकाचार्यकथा १०/१९(१२)........(१३.५४२) लेखन स्थल : पेरंभद्वीप संयक्त प+ग /पे.प.9-990) (पे.प्र. ११८-१२७) पे.वि. : गाथा-६७. (प.पू. १२७-१९५८. पद्य (पे.पृ. १९६-२१२) गं 1900 सम्बन्यो सत्तमासियं अणुसरि आगमवयणं सिरि गा. १३२ ग्रं. १६९ ताडपत्र १८४ उपमितिभवप्रपञ्चाकथा चतुर्थ खण्ड श्रेष्ठ प्रतिपर्ण १०/१९(११२) वि. १२६१२४० : वि.९६२ नमो नि शिताशेषमहा प्रतिलेखन पुष्पिकायुक्त., (१५.५४२). प्रस्ताव-८./विशिष्ट रचना प्रशस्ति. :उपमितिभवप्रपञ्चा कथा सिद्धषि गणि सं. अध्याय ८ ग्रे. १5000 ताडपत्र वि. १३९८ २०८ १०/१९(१०७) गा.२०२ गा. 990 कथासङ्ग्रह.. (पे.१) प्रत्येकबुद्धकथा (पे.२) नलकथा चुते. पे.३.प्रदेशीचरित (पे.४) आर्द्रकुमारकथा (प.५) सिंहव्याघ्रकथा क्रोधे (पे.६) गोधनकथा-माने (पे.७) नागिनीकथा मायायाम् (पे..) सागरकथा लोभे (प.९८ देवपालकथा पूजायाम. (पे.१०) सम्प्रति अवन्तिसुकुमालकथा (4.99) प्रद्युम्न साम्बचरित्र (पे.१२) धनदेवधनदत्तकथा दानविषये (प.पू. १-२२).. (पे.पू. २१:४९. (प.पू. ४९-६२. (प.पू. ६२-७०) (पे.पू. ७०-१२ (प.पू. ९०-९८). (पे.पू. १८-१०३). (पे.पू. १०३-१०१. (पे.पू..???.... (प.पू. ?-१५२). (पे.पू. १५३-२००).. (पे.पू. २००-२०८) ग्र.११३ गा.११९ गा.८४९ नमिरसुरासुरमणिमउड गा १४१ 205 Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आडिता ....... संपूर्ण ताडपत्र कर्ता भाषा क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार १०/१९ (१५४२) ....(प.पू.१-१२३). २५२ हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि (पे.प्र. १२४-२५२) छन्दोनुशासनकाव्यानुशासन सटीक (4.9) छन्दोनुशासन सह (सं.)टीका छन्दोनुशासन......... छन्दोनुशासन-छन्दश्चूडामणिवृत्ति .. (पे.२) काव्यानुशासन सह (सं.)टीका काव्यानुशासनसूत्र काव्यानुशासनसूत्र-टीका प्रशमरति प्रशमरतिप्रकरण गौडवधादि छ ग्रन्थो गद्य हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ १०/१९ (१२.५४१.७) उमास्वाति :श्लोक ३१४ वि.११/५ पद्य श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र गा.१७६ (पे.9) गौडवध-गोडवध गाथोद्धार (पे.२) स्त्रीनिर्वाण केवलिभुक्ति (पे.३). योगविधिप्रकरण दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र १०/१९(३२) गायकवाड केटलोंगमांत्रणज ग्रन्थो छे./झेरोक्ष पत्रांक.१३:३२ कुल २० पत्रो छे. इह ते जयन्ति कइणो (पे.पू. १-२३) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र-१३-३२.. इह च ये स्त्रीनिर्वा (प.पू. २४-६६). अथ योगविधिप्रकरणं (प.पू. १.३४. :२०४ १०/१९८४) त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९-२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. (प. पृ. 98-३४/.. धम्मो मङगलमुक्किट्ठ.......संयुक्त प+ग...... (पे.प्र.३४A-848) पे.वि. : पत्रांक ४५का आधा भाग खंडित है. तित्थडकरे यतित्थे संयुक्त प+ग (पे. पृ. 9A-GA) (पे.१) दसवेयालियं दशवकालिकसूत्र (ये.२) पाक्षिकसुत्रादि संग्रह शरयम्भवसरि प्रा. .७०० पाक्षिकसूत्र (ये.३) सम्यक्त्वप्रत्याख्यान, व्रतोच्चारादि दीक्षाविधि संग्रह प्रव्रज्याग्रहणविधि प्रथमं चैत्यभुवने कृ.वि.:अन्तिमवाक्य-पाउँछणपूठाय पवेयर्ण पवेयह प्रत्याख्यानं करोति. (पे. पृ. 94-908) (पे.४) दीक्षोपरान्त विविधयोगविधि संग्रह विविधयोगविधिसड़ग्रह प्रासं सुत्ते अत्थे भोयणे गद्य 206 Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (पे.५) धम्मोवएसमालाप्रकरण (पे.प्र.804-६७8) पं.वि. : झेरोक्ष पत्रांक ३७-३८ पर बीजक दिया है. धर्मोपदेशमालाप्रकरण................ (पे.६) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जयसिंहसूरि.... प्रा... जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाश्रमण गा.१०१ गा.८६ सिज्झउ मज्झविसुयदेवि नमिउण सजल जलहर पद्य पद्य (पे.प्र.६७०) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-५ तक है. अन्त के पत्र नहीं है. [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ : सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहक्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. (पे.पृ. -५९-) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-३६ तक नहीं है. झेरोक्ष पत्र३९-४०पर बीजक दिया हुआ है. (पे.पृ. ६००-६८०) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा १५७ तक (पे.७) जीवविचारप्रकरण शान्तिसूरि प्रा. गा. ५१ भुवणपईवं वीरं नमिऊण पद्य (पे.८) ऋषिमण्डलप्रकरण प्रा. गा.२०८ भत्तिभर नमिर... पद्य (पे.९) भावनाकुलक जयघोषसूरि :प्रा. गा.४५ :पद्य (पे.पृ. ८००-८२६) ये.वि. : पूर्ण. पहली गाथा नहीं पद्य (पे.१०) आत्मसम्बोधनकुलक........... भुवनतुगसूरि. (पे.99) औपदेशिक कुलक (पे.१२) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ गा.४३ गा.२६ नमिरसुरअसुरविन्देहि नमिय जिणसिडसाहणपय देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य गा. १०४ (पे.१३) अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण प्रा. गा.४० अजियं जियसव्वभयं वीरगणि :अपर्भ गहमअवयारि सोहम्मसर गा.८ :गा.१२ (पे.पू. ८२8-८६०) (प.पू.८६B-८९A/ (पे.पृ. ८९०-९६A) ये.वि. : गाथा-१०४. [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे. (पे.पृ. ९६०-९९B) पे.वि. : गाता-४४. [कृ.वि.: गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छ.] (प.पू. ९९B-9008) (पे.पृ. १008-१०२) (पे.पू. १094-9098) (प.पू. १०२०-१०३8) पे.वि. : गाथा-२८. (पे.पृ. १०३8-90५A/ (पे.पू. १०५4-१०६4) (प. पृ. १०६A-१०७B) बम्भी महासुन्दरी. (पे.१४) लघुअजितशान्तिस्तव.. (पं.१५) महासतीकुलक (५.१६.नवतत्त्वभेद. (पे.१७) भावनाकुलक (पे.१८) धर्मोपदेशकुलक (पे.१९) आत्मसम्बोधकुलक. (पे.२०) स्वजीवानुशासनकूल आवकधर्मकुलक (पं.२१) खामणाकुलं....... संसारविसमसायर भवजल गा.२३ गा.२२ देवेन्द्रसरि जम्मजरामरणजले नाणा गा.२१ तेलोक्के कूलमल्लस्स..... गा.२१ निसाविरामे परिभावयाम पद्य (पे..पू. १०७8-998A..पे.वि....गाथा-३६.. :क्षामणककलक गाXo जो कोइ मए जीवो चउगइ सव्वं भन्ते पाणाइवाय (पे.२२) अष्टादशपापस्थानक गा.१७ (पे.प्र. 9904-999) 207 Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता भाषा कति प्रकार (पे.२३) भक्तामरस्तव भक्तामरस्तोत्र मानतडगसार (पे.२४) शाश्वताशाश्वतजिनचैत्यवन्दन ... (पे.२५) गौतमपृच्छा प्रकरण (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (प. पृ. १994-9944) का.४४ भक्तामरप्रणतमौलिमणि कृ.वि.:अमुक प्रतीमा ४८ काव्य पण छे. श्लोक नित्ये श्रीभवनाधिवास (पे.पू. ११५A-99६/.पे.वि. : गाथा-१४.. गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण पद्य (प.पृ. ११६8-१२०8) [कृ.वि. : गाथा ५१थी १४९ सुधी पण मळे छे] (पे.पृ. १२००-१२१B) सं. श्लोक २२ धर्मार्थ क्लिश्यते ... पद्य .पे..पू. १२१९-१२३६).पे.वि...श्लोक-२९...... कः खलु नालडिक्रयते (पे. पृ. १२४०-१२५) (पे.२६) सर्वज्ञोक्त दशविधधर्मलक्षण धर्मलक्षणप्रकरण (प.२७) रत्नमाला प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे.२८) उत्तराध्ययनसूत्र अध्ययन-२४ समितीओ उत्तराध्ययनसूत्र विमलसरि का.२८ सुधमोस्वामी सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग : अध्याय ३६. .२०९५. गा.२३ (पे.२९) भयहरस्तोत्र मानतडगसार नमिऊण पणयसुरगणचूडामण गा.२४ नमवि उसभाइ चउवीस नमिऊण महावीर मिच्छ (ये.पृ. १२५०-१२६०) पे.वि. : गाथा-२५- कृ.वि. गाथा २१ थी २४ मळे छे... (पे.पू. १२७4-१२९................... (प.पू. १२९०-१३ १०..... (पे....१३.9A-१३३.पे.वि. : गाथा-२९: सिद्धिसेनसूरि पद्य (मे.३०) दानशीलतपोभावनाकुलक. (4.३१) मिथ्यात्वपरिहारकुलक (पे.३२.आत्मसम्बोधनकलक. एगुणतीसी भावना (पे.३३) धर्माधर्मप्रकरण धर्माधर्मविचारकुलक. (पे.३४) उत्तराध्ययनसूत्र- अध्ययन-३, गा.30 संसारम्मि असारे (पे. पृ. १३३4-१३४०/ पे.वि. : गाथा-१८........ जिनप्रभसूरि.. अपनं..........गा. १९.. अह जण निसुणिज्जउ... (पे. पृ. १३४4-१४१) ९.१०व० उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ (पे.प्र. १४१-१४१B) पे.वि. : गाथा-१६. गा.१७ चउसद्दहण तिलिड़गं (ये.३५) सप्तषष्टि सम्यक्त्व भेदाः सम्यक्त्वकुलक (पे.३६) जीवविचारप्रकरण.. बत्रीस जीव परिमाण (प. पृ. १४२०-१४३) गा.२८ ... सिरिवीरजिणं नमिउं 208 Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति । प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष अपभ्रं. गा.२९ जहिं जिणधम्मु न जाणि (पे.पृ. १४२०-१४४8) [कृ.वि. : भावनाकुलकभाषा-अपभ्रंश, गाथा-२१ - पण समान आदिवाक्य कति प्रकार (पे.३७) दाङ्गडउ पद्य छे। (पे. पृ. १४५4-95७B) पे.वि. : गाथा-५०.. अशोकमनि देवाडिदेवं नमिऊण (पे...१४08:१५१ (पे. पृ. १५१४-१५८B) (पे.३८) दाणसीलतपभावनाकुलं दान शील तप भावना स्वाध्याय (पे.३९) विचारसत्तरिय विचारसग्रह (पे.४०) संक्षेपतो नवतत्त्वविचारसारोद्धार नवतत्त्वविचारसारोद्धार (पे.४१) मिथ्या:कृतकुलक मिथ्यादुष्कृतकूलक सार्धशतकवृत्ति सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-वृत्ति अरहन्ता भगवन्तो सन्च (पे. पृ. १५९०-१५९) गा.१६ जो को विय पाणिगणो ताडपत्र १५१ १०/१९(६६)...... संपूर्ण सं. ग्रं.३७०० वि.११७१ गद्य चक्रेश्वरसूरि, धनेश्वरसरि आवश्यकनियुक्ति टिप्पणी श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र वि. १३९१ २६१ १०/१९(९०) १४९९ पानुं नथी...(१४४२). सूचीपत्रोमा बन्ने कर्ताओना नामवाली, समान रचनासंवतवाली स्वतन्त्र प्रतो मळे छे. गायकवाड केटलॉगमा आवश्यकनियुक्ति पत्र१४८+१ अने आवश्यकपीठिकाव्याख्या पत्र १-१३ एम बे कृतिओनी विगत आपेल छे. नवा सूचीपत्रमा पत्र-१९७+६४ एम आपेल छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. लेखन स्थल : तिमिरपुर ताडपत्र २९७ १०/१९(४४) संपूर्ण सं. (२६४२) पाटन नवा सूचीपत्रमा कर्ता सिद्धर्षि लख्या छे. ग्रं.१८००० वि. १२४८ सन्नद्धरपि यत्तमोभि आवश्यकसूत्र-नियुक्ति-टिप्पणी.. प्रवचनसारोद्धारवृत्ति प्रवचनसारोद्धार सिद्धसेनसूरि तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति उत्तराध्ययन सुखबोधा नेमिचन्द्रटीका श्रेष्ठ उत्तराध्ययनसुत्र-सुखबोधावृत्ति ने मिचन्द्रसूरि संपूर्ण. । ताडपत्र सं.प्रा.,अपनं. गं. १२००० ४२८. प्रणम्य विघ्नसघात १०/१८(३५६).....(३१४२.२.. ग द्य : वि. ११२९ 209 Page #227 --------------------------------------------------------------------------  Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १-१ १-२ १-३ २-१ २-२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम कातन्त्रव्याकरण- विद्यानन्दीवृत्ति पूजाष्टक अष्टप्रकारी पूजाकथाअनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत कल्पसूत्र त्रुटक कल्पसूत्र रावणवहो त्रुटित - आश्वास ५ थी १३ । श्रेष्ठ रावणवहो कातन्त्रोत्तर जीर्ण उपदेशमाला, भवभावना, कर्मविपाक अपूर्ण (पे. १) पुष्पमालाप्रकरण (पे. २) भवभावनाप्रकरण (पे. ३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गौतमस्वामी स्तुति आदि (पे. १) गौतमस्वामिस्तुति (पे. २) विमलगिरिस्तवन (पे.३) उपदेशमाला स्थिति कर्ता ६ (पे. ४) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे. ५) पञ्चकल्याणकप्रकरण श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी विद्यानन्द श्रेष्ठ नेमिचन्द्रसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि मलधारी हेमचन्द्रसूरि मलधारी गर्मर्षि जीर्ण रत्नप्रभसूरि धर्मदास गणि जयसिंहसूर जिनेन्द्रइन्द्र ( पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार पत्र प्रतिलेखन वर्ष रचना वर्ष भाषा संपूर्ण प्रा. अपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण सं. सं. SHIT. प्रा. प्रा. परिमाण ताडपत्र ग्रं. १२८० ताडपत्र ताडपत्र ताडपत्र गा. १५२५ ग्रं. १८७० ताडपत्र गा. ५०५ गा. ५३१ गा. १६७ ताडपत्र श्लोक २५ गा. ५४४ गा. १०३ गा. १३७ वि. ११७० वि. १२९२ 211 आदिवाक्य १२१ नमो अरिहन्ताणं. 1ge ३२ १५२. जयइ जुगाइजिणिन्दो १३४ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ ववगयकम्मकलङ्कं वीरं १५६ कियद्दरे भ्रातर्विम नमिऊण जिणवरिन्दे भयवं दसन्नभद्दो तित्थं पवयण सुयदेवयं क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार ६१/६३ (१६) संयुक्त प+ग ६१/६३ (३४) ६१/६३ (३८) गद्य ६१/६३ (७५) पद्य ६१/६३ (५२) पद्य पद्य पद्य ६१/६३ (७३) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (जुनो नं. ६९) (जुनो नं. ६६ ). हरिशब्दार्थ गर्भित (जुनो नं. ७) कारक-समासतद्धितपादपंजिकायाः कातन्त्रोत्तरः. / विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (जुनो नं. ४) (जुनो नं. ६३) (पे. पृ. १-५०) (पे.पृ. ५०-१०१) पे.वि. गाथा-५३०. (पे.पृ. १३१-१३४) (कृ.वि. गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.] (जुनो नं. ३३), (१२x१.५) लेखन स्थल भृगुकच्छ (पे.पू. १-८) (पे.प्र. ?) पे.वि.: अपूर्ण. (पे. पृ. १-८०) पे.वि. ले. सं. १२९२. प्रतिलेखन स्थल भृगुकच्छ. [कृ. वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे.पू. ८१-१७) H (पे. पृ. ९८-११५) (कृ.वि. कर्ता ? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे छेल्ली गाथाओमां Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण (पे.६) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसुरि प्रा. गा.२१४ बन्दामि सचन्नजिणि (पे.७) जम्बुद्वीपसमास जम्बूद्वीपसमासप्रकरण तफावत होय छे (पे.पृ. ११५-१४०) [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे. (पे.पृ. १४१-१५६) पे.वि. : गाथा-900, कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. (जुनो नं. ६७), (१४४२) : जिनभद्रगणि प्रा. गा.८६ नमिउण सजल जलहर क्षमाश्रमण श्रेष्ठ संपूर्ण ११९ ६१/६३८०)...... गौतमन्यायसूत्रटीका अपूर्ण गौतमीयन्यायसूत्र-वृत्ति उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो एवं किलात्र शब्द्यते संपूर्ण ताडपत्र २२२ ६१/६३(९२) (4.9) उपदेशमाला धर्मदास गणि :गा.५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.२) जम्बुद्धीवपगरण जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जिनभद्रगणि 11. ८६ नमिउण सजल जलहर क्षमाश्रमण (जुनो नं. ११)श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसृरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है... (१३४२)...... (प.पृ. १-७४) ये.वि. : गाथा-५४०. प्रथम पत्र खंडित है. [कृ.वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छ.] (प... 08:452.पं.वि.: गाथा-८७. कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. (पे.पृ. ८६-९९) [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे. पृ. १००-११७) पे.वि. : गाथा-१३७. कृ.वि.: कर्ता तरीके सूचीपत्रोमां बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे. (पे..पू. ११८-१२६). (पे.३) पिण्डविशुद्धिप्रकरण : जिनवल्लभ गा.१०४ देविन्दविन्दवन्दियपय (पे.४) नवपयं नवपदप्रकरण प्रा. गा. १३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ पद्य जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि (पे.५) आराधना सोमसुरि नमिऊण भणइएवं भयव! पद्य आराधनाकुलक (ये.६) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.७) नवतत्त्वप्रकरण पद्य अरहन्ता मङ्गलं मज्झ जीवाजीवा पुन्नं पावा (पे.पू. १२७-१३१) (पे.पू. १३१-१३४) पे.वि. : गाथा-२१. 212 Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.८) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (पे.९) आवश्यकप्रतिलेखनाप्रकरण (पे. १०) अनन्तकाय (पे. ११) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे. १२) धर्मलक्षणप्रकरण (पे. १३) सम्यक्त्वकुलक (पे. १४) दशपच्चक्खाण (पे. १५) गौतमपृच्छा प्रकरण (पे. १६) श्रावकविधिकुलक (पे. १७) अजितशान्तिस्तोत्र i (पे. १८) चतुःशरणप्रकीर्णक (पे. १९) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे. २०) श्रवकविधिकुलक (पे. २१) संवेगमञ्जरीप्रकरण उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो (पे. १) दशवैकालिकपरिचयगाथा (पे. २) उवएसमालापगरण उपदेशमाला (पे.३) थिरावली नन्दी सूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (पे.४) पिण्डविशुद्धिप्रकरण स्थिति कर्ता गर्मर्षि विमलसूरि विमलसूरि जिनप्रभसूर नन्दिषेण आसड जिनप्रभसूरि देवभद्रसूरि श्रेष्ठ धर्मदास गणि देववाचक जिनवल्लभ ( पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार पत्र प्रतिलेखन वर्ष रचना वर्ष भाषा प्रा. प्रा. प्रा. सं. सं. प्रा. प्रा. प्रा. अपभ्रं. प्रा. प्रा. प्रा. अपभ्रं प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण गा. १६७ गा. २५ गा. ७ का. २८ श्लोक २२ गा. १७ गा. ५३ गा. ३२ गा. ४० गा. २७ गा. १४४ गा. ३२. गा. ३२ ताडपत्र गा. ५४४ गा. ५० गा. १०४ वि. १२८८ 213 आदिवाक्य ववगयकम्मकलङ्कं वीरं मुहणन्तयदोहावस्सएणं पञ्चुम्बरि चउगई.... का खलु नालस्क्रियते धर्मार्थं क्लिश्यते चउसदहण तिलिङगं नमिऊण तित्थनाहं जाण वीरजिणिन्दह पयकमलु अजियं जियसव्वमयं २६४ सिज्जम्भवङ्गणहरं नमिऊण जिणवरिन्दे क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य जयइ जगजीवजोणी.. देविन्दविन्दवन्दियपय CCCCCCCCCCCCC पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य गद्य पद्य चउसरणगमण दुक्कडंगरहा पद्य सिद्धिपुर सत्थवाह वीरजिणिन्दह पयकमलु सद्देसणमलयानिलमञ्जरि पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य ६१/६३(११०) पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. १३४-१५७) [कृ. वि. गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे । (पे.पू. १५७-१६१) (पे. पृ. १६१-१६२) (पे.पू. १६२-१६६) ... (पे. पू. १६६-१६८) पे. वि. श्लोक-१७. (पे.पृ. १६८-१७१) ; (पे.पू. १००) A (पे. पृ. १७३-१८०) (कृ.वि. गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे] (पे.पू. १८१-१८५) 3 (पे. पृ. १८५-१९५) (कृ.वि. गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे.]. (पे.पू. १९५-१९८) (पे.पू. १९९-२१६) (पे.पू. २१६-२१९) पे.वि. त्रुटित. (पे. पृ. २१९-२२२) (कृ.वि. उपदेश प्रकरण ? (जुनो नं. १२ ) शुद्ध प्रति (१४.५४२) (पे. पृ. ?) पे.वि. अपूर्ण. गाथा ८ तक है. पत्रांक अज्ञात है. झेरोक्ष पत्र- १. किसी अन्य प्रति का पत्र है. (पे. पृ. २५१) पे.वि.: गाथा ५४१. पूर्ण. प्रारंभिक १५ गाथा नहीं है. कृ. वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (पे. पू. ५२-५७) (पे. पृ. ५७-६७) पे.वि. पत्रांक- ६४A-B, तथा पत्र- ७३A-Dरूप में है. कृ. वि. : Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष गद्य अह जण निसुणिज्ज. मोक्खमुक्खे मायामोहं गाथा १०५ सुधी मळे छे. (प.पू. ६७-९४) प.पू..१४-१६.. (पे.पृ. ९६-९९) (प. पृ.९९-१०२). वीरजिणिन्दह.पयकमल....... (ये.५) षडावश्यक (पे.६) धर्माधर्मविचारकुलक...........जिनप्रभसूरि (पे.७) आत्मसम्बोधकुलक जिनप्रभसूरि प्रा (पे.८) आवकविधिप्रकरण श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरि......... अपनं (पे.२) सुभाषितकुलक उपदेशकुलक जिनप्रभसूरि (ये.१०) जीवानुशास्तिप्रकरण.. जीवानुशास्तिकुलक (पे.११) गौतमपूच्छाकुलक... गौतमपृच्छा प्रकरण (पे. पृ. १०२-१०६). सुगुरुन सेविउ जङगम (पे..पू. १०६-११02 मे.वि. : गाथा-३२... ....... :जिणेसराणं पयपङकयायि पद्य (पे. पृ. १११-११५) पे.वि. : गाथा-५२. कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे नमिऊण तित्थनाहं जाण धणिणो कविणो जइणो. वेसागिहेसु गमणं महा गा.२४ पद्य (प.पू. ११५-११८........... (प.पू. ११८-१२०) (पे. पू. १२१-१२३) पे.वि.: गाथा-२४. (ये.१२) विवेककुलक (ये.१३) सम्यक्त्वकुलक (पे.१४) उपशमकुलक क्षमाकुलक.. (पे.१५) दर्शनचतुर्विंशति (पे.१६) सारसमुच्चयकुलक (ये. १७) एगुणतीसी भावना (पे.१८) अजितशान्तिस्तव अजितशान्तिस्तोत्र नमिऊण पुव्वपुरिसाण चउसहहण तिलडर्ग नरनरवडदेवाणं जं FREE: संसारम्मि असारे (पे.पू. १२३-१२५). (पे.पू. १२५-१२८). (प.पू. १२९-१३१).......... (प.पृ.१३१-१३७) कृ.वि. गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे नान्देषेण अजिर्य जियसब्वभयं । (4.१९) भव्यचरित (पे.२०) भवियकुटुम्बचरित्र जिनप्रभसूरि जिनप्रभसूरि अपन ..गा.४४. :गा.३७ भविय सुणउ भवजीवहं. पढम जिणिन्दह पाय :अपसं (प.पू. १३०-१४२.. (पे.पृ. १४२-१४६) पं.वि. - कृति के अन्त में द्रविडीभाषया का उल्लेख है. द्राविडी भाषा तो नहीं परन्तु संभव है कि द्राविडी लिपि पर से ये देवनागरी लिपि लिखी गई है, क्योंकि आज भी देवाप्रभोस्तोत्र आदि. Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता :गा.३७ तित्थयरे तित्थाई पद्य गा. ५९ अमरासुरनरजगडणमयणविजय: पद्य मगहा गोवरगामि वरि तेलुगु लिपि की प्रतों में मिलते हैं. [कृ.वि. द्रविडी भाषया एम पुष्पिकामां लख्यु छे] ..... (प.पू. १४०-१५०/(पे.पू.१५०-१५६). (पे.पू. १५६:१५:2. ।(पे. पृ. १५९-१६२ गा.२८ (पे.२१) महर्षिस्तव (पे.२२) महर्षिस्तव बृहत्.. (पे.२३) गौतमचरित्रकुलक (पे.२४) जन्माभिषेकस्तुति ऋषभजिनजन्माभिषेक (पे.२५) चाचरिस्तुति :पद्य गा.१४ पय. जयइ जुगादि जिणिन्दो जयउ जयउ सिरिरिसहपहु जिनप्रभसूरि अपभ्र. गा.३६ पद्य अपस गा.१५ नन्दउ पुण्डरीउ गोयम निरूवमनाणनिहाणो पसम (पे.पू. १६२-१६५) पे.वि. : वेलाउली रागेण. .कृ.वि. : कर्ता? (पे.पू. १६५-१६७) पे.वि. : गौर्जरी रागेण. (पे.पू. १६७-१७३). (पे.... १७३-१७६.. वि.१२९७ अपभ्र गा.१३ जिनप्रभसूरि जिनप्रभसूरि जस्सज्जवि माहप्पा जस्स पहाणज्जवि तवसिर अप गा.१८ पद्य (पे.पू. १७६-१७९). ।... १७९-१८३.. अपर्श :गा.२७ पद्य (पे.२६) गुरुस्तुतिचाचरि (पे.२७) मयणरेहासन्धि (पे.२८) अणाथियासन्धि अनाथिसन्धि (पे.२२) जीवानुशास्तिसन्धि (पे.३०). युगादिजिननाथचरितकूलक. ऋषभचरितस्तवन चरितकुलक (पे.३१) नेमिनाथरास (पे.३२2. चतुर्विधभावनाकलक. भावनाकुलक (पे.३३) अन्तरङ्गरास (पे.३४) मल्लिचरित्र मल्लिनाथचरित्र (पे.३५) महावीरचरित्र जिनप्रभसूरि जिनप्रभसूरि पणमिय पढम जिणिन्दपाय नन्दउ नेमिजिणिन्दो अपभ्र. पद्य (प.पू. १८३-१८७) (प... १८५-१९:.. : अपन. गा.११ पद्य जिनप्रभसूरि जिनप्रभसूरि सुमरिवि पञ्चपरमिट्ठी पणमिउ पढमजिणिन्दू :अप गा.११ पद्य ........ (पे.पू. १९०-१९४). (पे....१९४.२.२.. जिनप्रभसूरि अपभ्र. गा.५० पणमवि सिरि उसहाइवीर .... सुमरिवि सिरिवद्धमाणु अपभ्र. गा.२४ (पे.पृ.२०२-२०६) पे.वि. : अन्त में "महावीरचरित्र रासेनापि दीयते' ऐसा उल्लेख है. (पे.पू. २०७-२०९) (प. पू..२०९२१२.. पढमभवे भवदेशे गहियवओपद्य (पे.३६) जम्बूचरित्र (पे.३७) सुकोसलचरित्र सुकोशलचरित्र (पे.३८) चैत्यपरिपाटी... वि. १३०२ जिनप्रभसूरि ..... पणमं सिरिअरहन्त जयइ जयइ जिणधम्मोपद्य (पे.पू. २१२-२१४) पे.वि. : अन्त में "इति.. 215 Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष सर्वचैत्यपरिपाटिः स्वाध्यायो रासेन दीयते वोल्लिका भण्यंते समाधिना' का उल्लेख (प.पृ.२१४-२१७). (पे.३९) मोहराजविजयोक्ति मोहराजविजय (पे.४०) साधर्मिकवात्सल्यकुलक अपभ्रं. जिनप्रभसूरि जिनप्रभसूरि तिहुअण पणमिअपाउ नासि साहम्मियवच्छलं भणामि प्रा. गा.२४ (पे.४१) अन्तरङ्गविवाह धवल जिनप्रभसूरि अपनं. पमायगुणठाणु पाटणु पद्य (पे.४२) जिनजन्ममहोत्सव जिनप्रभसूरि अध्याय ४कडव सो जयउ जस्स कल्लाण पद्य (पे.पृ. २१७-२२०) पे.वि. : संबंधित अन्य गाथाएँ भी संलग्न है. (पे.पृ. २२०-२२१) पे.वि. : वसंतरागेण भणनीय.. (पे.पृ. २२१-२२८) पे.वि. : गुंडकृतीभाषया धनासिका. [कृ.वि. : कडव-४. कडवयं १ भासरागेण गाथा-१७। कडवयं २ खंभाइथीभाषया गाथा-११। कडवयं ३ देवकृतीभाषया गाथा-१५.. (पे.पू.२२८:२३०)... (प.पू. २३०-२३१) (पे.पू. २३१-२३२..... (पे.पृ. २३२-२३४) पे.वि. : भासरागेण. अपर लयसद्दा दिणमणिणो मरगयमणिवन्नह तिन्नपय पद्य जय जय जगनायग सिवसख पद्य जयसिरिसमलकिय गयकमल :गा.१३ (ये. पृ. २३४-२३६) (पे.४३) द्वादशार्थविचार (पे.४४) नेमिनाथजन्माभिषेक जिनप्रभसूरि अपमं. (पे.४५) पार्श्वनाथजन्माभिषेक : जिनप्रभसरि ---- ------ ---- (4.४६) मुनिसुव्रतस्वामिस्तोत्र जिनप्रभसूरि अपम जन्माभिषेक (पे.४७) छप्पन दिसाकुमारि जन्माभिषेक जिनजन्माभिषेक भासरागेण जिनप्रभसूरि... अपनं. (पे.४८) षट्पञ्चाशदिक्कुमारिस्तवन जिनजन्ममहोत्सवस्तवन .............जिनप्रभसूरि......... अपनं. (पे.४९) रत्नत्रय रलत्रयकुलक (पे.५०) चउसरण चतुःशरणप्रकीर्णक (पे.५१) आउरपच्चक्खाण सुरनरखयरिन्दा दिणयर (पे. पृ.२३६-२३९०..... नमिवि सिरिपासनाहस्स .. (पे. पृ. २३९-२४१) प्रा.मारुगूर्जर गा.६ नवकारेण विबोहो अणुसर (पे..पृ.२४१-२४४).. ............: गा.२७ चउसरणगमण दुक्कडगरहा.. पद्य ..............(पे. पृ. २४४-२४७)................ 216 Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ९-१ ९-२ १० प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.५२) आराहणा संलेखनाविधि सोमसुरि (पे. ५३) आराधना कुलक (पे. ५४) आवश्यकसूत्र - शिष्यहितावृत्ति हरिभद्रसूरि महावीर चरित्र श्रेष्ठ नेमिचन्द्रसूरि महावीरचरित्र हेमशब्दानुशासनबृहद्वृत्ति अध्याय १ थी २ सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्ति कल्पसूत्र, कालकाचार्यकथा अपूर्ण (पे. १) कल्पसूत्र (पे. २) कल्पसूत्र- नियुक्ति (पे.३) कल्पसूत्र- चूर्णी (पे.४) कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता गउडवो गउडवहोमहाकाव्य उपदेशमाला सह स्वोपज्ञ वृत्ति (भाग-१ /?) • स्थिति कर्ता पुष्पमालाप्रकरण श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहूस्वामी देवचन्द्रसूरि जीर्ण वाक्पतिराज श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि मलधारी (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा प्रा. प्रा. प्रा. सं.प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रति अपूर्ण प्रा. परिमाण गा. २६ गा. ६९ ग्रं. २२००० ताडपत्र गा. २४०० ग्रं. 3000 ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. १२८० गा. ६७ ग्रं. ७०० ग्रं. ३९५ ताडपत्र गा. ११६८ ग्रं. १४९० ताडपत्र गा. ५०५ वि. ११४१ वि. ११४६ 217 आदिवाक्य अरहन्ता मङ्गलं मज्झ समणोवासगधम्मो वोच्छं नमिऊण भणइ एवं भयवं ! प्रणिपत्य जिनवरेन २०८ पणमह पढमजिणिन्द ३५७ .१६५. नमो अरिहन्तार्ण... पज्जोसमणाए अक्खराइं सम्बन्धों सत्तमासिय अत्थि इहेव जम्बू १६८ पढमं चिय धवलकओववीअ २४३ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य गद्य ६१/६३ (८८) पद्य ६१/६३ (१००) गद्य ६१/६३(६२) संयुक्त प+ग पद्य गद्य गद्य ६१/६३ (६२) पद्य ६१/६३ (११८) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. २४७-२५०) (पे.पू. २५१-२५७) (पे.पू. २५७-२६४) (जुनो नं. ३७) (१४४२) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. ३२), (१५४१.५) (जुनो नं. २०) (पे.पू. १-९२) (पे.पू. ९३-९९) (पे.पृ. ९९-१४०) (पे. पृ. १४१-१६५) (कृ.वि. ग्रंथाग्र ३६० थी ४०० सुधी मळे छे.] (जुनो नं. ४९ ) (जुनो नं. ३१) भावनायां ब्रह्मचर्ये श्रीस्थूलभद्रकथा गाथा १८ थी गुरुकुलवासविषय गाथा ३२७ सुधी उपलब्ध छे. अन्तभाग अपूर्ण. ५७मुं पानुं घटे छे. / झेरोक्ष पत्र १०२ न होवानु नोध १०३ पत्र उपर मळे छे. मूलपत्र २०९ - २१३ भागनुं झेरोक्ष नथी. (१४४२.२) Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य सं. ग्रं. १३८६८ येन प्रबोधपरिनिर्मित क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पुष्पमालाप्रकरण-वृत्ति हेमचन्द्रसूरि गद्य मलधारी बृहत्सग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो श्रेष्ठ ताडपत्र वि. १२७८ २५० ६१/६३(११२) (4.9) सङ्गहणीनाम पगरण (जुनो नं. ७२)झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४.९० कुल पांच पाना घटे छे. (पे. पृ.२-४८) पे.वि. : गाथा-५२३. प्रथम पत्र गाथा १-१२ नहीं है. कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे बृहत् सग्रहणीप्रकरण प्रा. गा. ५७२ जिनभद्र गणि :क्षमाश्रमण नियट्ठवियअट्ठकम्म पद्य प्रा. (पे.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कमेग्रन्थ (पे.३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम गर्गर्षि प्रा. पद्य कर्मग्रन्थ शिवशर्मसूरि (पे.४) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (पे.५) सत्तरी सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ :चन्द्रषि महत्तर :(पे.६) योगशास्त्र४ प्रकाश योगशास्त्र (पे.७) प्रवचनसन्दोह हेमचन्द्रसरि अध्याय १२प्रका नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.पृ. ४८-५४) पं.वि. : गाथा-५७. [कृ.वि. गाथा ५४ थी ५८ मळे छे] ववगयकम्मकलड़कं वीरं (पे.पृ. ५४-७०) पे.वि. : गाथा-१६८. [कृ.वि. गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] अरहन्ते भगवन्ते अणु (ये.पृ. ७०-८२) [कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे.]. (प.पृ.८२-९१) पे.वि. : गाथा-९२. सिद्धपएहि महत्थं कृ.वि.: चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे. (पे..पृ.९२-१३५). नमो दुर्वाररागादिवैर नमिऊण वद्धमाणं ववगय (पे.पृ. १३६-१६३) पे.वि. : अपूर्ण. पत्रांक: १६३-१६७ नहीं है. पद-६ की प्रारंभिक गाथा तक है. इय परमपवित्तं सालिभद (पे.पृ. १६८-१९८) ये.वि. : त्रुटित. पत्रांक १६३-१६७ नहीं है. नमिऊण चलणजुयलं नेमि प...१९८:२० अहु जण! निसुणेज्जहो (प.पू. २०७-२३४) विश्वेश्वर मथितमन्म (पे.पू. २३४-२४२) गुरुवियणविहरेण वि...............पद्य. (प.पू.२४२.२४५.. जय जन्तुकप्पपायव! ........... पद्य ................(पे.पू. २४५-२५०)........... अध्याय६पद गा.३३४ (पे.८) शालिभद्रचरित्र :गा.१८० :गा. ९९ .300 (2.९) देवकीसुतचरित्र (पे.१०) वइरसामिचरिउ वरदत्त (पे.99)अजितनाथस्तवन यमकबन्ध: जिनप्रभसरि (पे.१२) गुरुगुणकुलक (ये.१३) ऋषभपञ्चाशिका धनपाल. श्लोक२१ ...........गा..२४..... .........गा. ५०....... प्रा 218 Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो (पे. १) गृहस्थधर्मकुलक (पे. २) शालिभद्रकारक (पे.३) सामायिकप्रकरण (पे. ४) गुणस्थानक (पे. ५) उपदेशमाला (पे.६) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे. ७) मूलशुद्धिप्रकरण (पे.८) पञ्चकल्याणकप्रकरण (पे.९) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (पे. १०) भवभावनाप्रकरण (पे. ११) वन्दननियुक्ति आवश्यक सूत्र- नियुक्ति (पे.१२) वइरसामिचरिउ (पे. १३) आराधनाप्रकरण (पे. १४) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे. १५) धर्मलक्षणप्रकरण (पे. १६) पापप्रतिघातगुणवीजाधानसुत्र पञ्चसूत्रनो हिस्सो स्थिति कर्ता श्रेष्ठ पउम धर्मदास गणि जयसिंहसूर प्रद्युम्नसूरि जिनेन्द्रइन्द्र जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण हेमचन्द्रसूरि मलधारी भद्रबाहुस्वामी वरदत्त विमलसूरि विमलसूरि (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष प्रत प्रकार पत्र परिमाण रचना वर्ष भाषा संपूर्ण प्रा. अपभ्रं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. SIT. प्रा. प्रा. अपभ्रं प्रा. सं. सं. प्रा. ताडपत्र गा. ६९ गा. १५ गा. १६ गा. ५४४ गा. १०३ गा. २१४ गा. १३७ गा. ८६ गा. ५३१ गा. २५०० ग्रं. ३१०० गा. ९९ ग्रं. ३०० गा. २८ का. २८ श्लोक २२ वि. ११७० 219 आदिवाक्य २९५ वीरं नमिऊण गिहत्थ भलि भञ्जण कम्मारिकुल सम्मसुयसविरई चरणं जीवापयत्थेस जिणोवइ नमिऊण जिणवरिन्दे भयवं दसन्नभद्दो.. बन्दामि सव्वनुजिणि तित्थं पवयण सुयदेवयं नमिउण सजल जलहर नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार ६१/६३ (१५६) का खलु नालक्रियते धर्मार्थं क्लिश्यते पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य जयइ जगजीवजोणी वियाणओ परा अह जण! निसुणेज्जहों पद्य पद्य पद्य पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (जुनो नं. ५३) ११५ में पानुं घटे छे.. (१३.५४२) (पे.पू. १).. (पे.पू. ६) (पे.पू. १-२) (पे.पू. २-३) (पे. पृ. ३-४६) (कृ.वि.: गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे.पू. ४७-५५) पे. वि.: गाथा - १००. (पे.पृ. ५५-७३) पे.वि. गाथा-२१२. [कृ.वि. गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.] (पे. पृ. ७३-८५) पे.वि.: गाथा - १३५. [कृ.वि. कर्ता ? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छल्ली गाथाओमां तफावत होय छे] (पे. पृ. ८५-९२) पे. वि. गाथा-८८. [कृ. वि. गाथा- ८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (पे. पृ. ९२-१४०) (पे. पू. १४०-१५७) पे.वि.: गाथा - १८९. कृ.वि. आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे (पे.पृ. १५७-१७८) (पे.पू. १७८-१८१) (पे. पृ. १८१-१८४) (पे.पू. १८४-१८५) (पे. पृ. १८९-१९४) Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र (ये.१७) दर्शनसप्ततिकाप्रकरण... (पे.१८) प्रव्रज्याविधानकुलक हरिभद्रसूरि :गा.७० दसणसदिपयासं पद्य प्रा. गा.३० संसारविसमसायरभवजलपडि गर्गर्षि :5 :गा.१६७ ववगयकम्मकलड़कं वीरं (ये.१९) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कमेग्रन्थ (प.पू. १८९-१९४८ (पे.पू. १९४-१९७) पे.वि. : गाथा-२८. [कृ.वि. : गाथा-२४ थी ३५ सुधी मळे छे] (पे.पृ. १९७-२१०) पे.वि. : गाथा-१६८. कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे. (पे.पृ. २१०-२२०) [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे.] (पे.पू. २२०-२३१) पे.वि. : अत्रे गाथा ११२ (पे.२०) पिण्डविशुद्धिप्रकरण : जिनवल्लभ प्रा. :गा. १०४ देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य (पे.२१) जीवदयाप्रकरण संसयतिमिरपयड़गं भविय : सिद्धसेनसरि (पे.२२) सुकोशलचरित्र (पे.२३) एकविंशतिस्थानप्रकरण (ये.२४) पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन (पे.२५) नवपदप्रकरण अह एत्तो वीसइमे जिण चवण विमाणा नयरी जणया : पद्य परमेष्ठि नमस्कार नमिउण वद्धमार्ण मिच्छ श्लोक प्रा. :गा. १३८ जिनचन्द्रसूरि. देवगुप्तसूरि (पे.पृ. २३१-२४०) पे.वि. : गाथा-१०५. (पे.प्र.२४०-२४७) (पे.पृ. २४१७-२५०) (पे.पृ. २५०-२६४) पे.वि. : गाथा-१४२. [कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे. (पे.पृ. २६४-२६७) (प.पू. २६७-२७१). (प.१.२७१.२७३/... (पे.पृ. २७३-२७८). (प.पृ. २७९-२८३) गा.५१ :शान्तिसूरि देववाचक भुवणपईवं वीरं नमिऊण जयइ जगजीवजोणी... गा. ५० पद्य (पे.२६) श्रावककुलक (पे.२२७) प्रत्याख्यानभाष्य (पे.२८) वन्दनक भाष्य (पे.२९) जीवविचारप्रकरण (2.३०) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (ये.३१) ओघनियुक्ति-सक्षेप ओघनियुक्त्युद्धार (पे.३२) नवतत्त्वभेद (पे.३३) नवतत्त्वप्रकरण गा.५३ (प.पृ. २८४-२८६) (प.पू.२८५-२९२). जीवाजीवा पुग्नं पाया ......... पद्य ................(पे.पू. २९२-२९४). .........गा. 220 Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (सीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता गा.१७ पद्य (पे.३४) सम्यक्त्व कुलक : योगशास्त्रविवरण द्वितीय प्रकाश चउसदहण तिलिङ्गं १६५ :श्रेष्ठ प्रतिपर्ण ताडपत्र ६१/६३(५६) (प.पू.२९४-२९५ (जुनो नं. २१)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.. (१४४१.७) गं.१२००० प्रणम्य सिद्धादभुत गद्य ताडपत्र योगशास्त्र-स्वोपज्ञ वृत्ति आचारागसूत्र अने नियुक्ति (पे.१) आचाराङ्गसूत्र (पे.२) आचारागसूत्र-नियुक्ति हेमचन्द्रसूरि जीर्ण : सुधर्मास्वामी भद्रबाहुस्वामी संपूर्ण प्रा. : गं.२६४४ १७१ सुर्य मे आउसं तेणं वन्दित्तु सब्वसिद्धे ६.६१/६३(४८).......... (जुनो नं. ५६).(१४.५४२)... संयुक्त प+ग.....(पे.पू. १-१४८). (पे.पृ. १४८-१७१) मे.वि. : गाथा-३६७. गा.३६५ ग्रं. पद्य 8190 प्रतिपूर्ण ताडपत्र १८३ ६१/६३(८२) (जुनो नं. १६).(१५४१.५) गं.१२००० गद्य प्रणम्य सिद्धाद्भुत ३५३ ताडपत्र ६१/६३(१६५) (जुनो नं. ५१).(१३४२.२) योगशास्त्रविवरण स्वोपज्ञ अष्टम प्रकाश योगशास्त्र-स्वोपज्ञ वृत्ति हेमचन्द्रसूरि त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र प्रथमपर्व श्रेष्ठ त्रुटित त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य हेमचन्द्रसूरि दशवकालिक अने पाक्षिकसूत्र. (पे.१) दशवैकालिकसूत्र शरयम्भवसरि (पे.२) पाक्षिकसूत्र । उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो जीर्ण (पे.१) उपदेशमाला धर्मदास गणि सर्ग १० श्रेष्ठ गं. ७०० ग्रं.३५० धम्मो मङगलमुक्किट्ठ... तित्थड़करे य तित्थे १५१ नमिऊण जिणवरिन्दे ६१/६३(३२). संयुक्त प+ग संयुक्त प+ग .६१/६३(६०). पद्य १७२ वि. १२९५ ताडपत्र. गा. ५४४ पर्व-१०. ....जनो न..६२).. (पे.पू. १-५२).. (प.पू.५३-७५). जुनो. नं.५८. (पे.पृ. ७-५२) पे.वि. : अपूर्ण. प्रारंभिक ६ पत्र (गाथा-१ से ५६)नहीं है. [कृ.वि.. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.]... (पे.पू. ५३-६२) (पे. पृ.६३-६८) पे.वि. : करोमि भन्ते, वंदितु, आयरिय उवज्झाय व नाणमिसूत्र. जयसिंहसरप्रा . सिज्झउ मज्झविसुयदेविपद्य (पे.२) थमोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) आवश्यकसूत्रसंग्रह आवश्यकसत्र प्रा.......... सयुक्तप : सुधर्मास्वामी जिनेन्द्रइन्द्र (पे.४) पञ्चकल्याणकप्रकरण गा.१३७ तित्थं पवयण सुयदेवयं (पे.पृ.६८-८२) पे.वि. : गाथा-१३४. [कृ.वि. :कर्ता? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छेल्ली गाथाओमां तफावत होय छे.].. (पे.पू.८२-१०१) पे.वि. : प्रतिलेखन .... पं.५) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसूरि गा.२१४ बन्दामि सम्वन्नुजिणि ........... पद्य .............. 221 Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा (पे.६) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण नमिउण सजल जलहर जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (प.) नवपदप्रकरण नमिउण वद्धमार्ण मिच्छ जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि पुष्पिका.कृ.वि. गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे........ (पे.पृ. १०२-१०९) पे.वि. : गाथा-८४. [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे] (पे.पू. ११०-१२७) कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमां बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे. (प.पू. १२०-१४६)...... (प.पू. १४६-१५१). (जुनो नं. २७)अङ्क-६. ८२मुं पार्नु घटे छे.. (१४४२) :गा.२१० (पे.८) द्वादशभावनाकुलक (ये.१) अतिचारपाठ हैमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति : पढममणिच्चयमसरणय ससा :आलोयण समतं वयाई पद्य पद्य । जीर्ण प्रा.मारुगूजेर संपूर्ण ताडपत्र ૨૨૮ १६१/६३(९९) गद्य सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्दत्ति .......हेमचन्द्रसूरि. योगविन्दुवृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण ६१/६३(१३५) (जुनो नं. ३४)१०, पार्नु डबल छे.. (१३.२४२) सद्योगचिन्तामणितोनणी योगबिन्दुप्रकरण-वृत्ति अनेकार्थसङ्ग्रहटीका श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र २८६ ६१/६३(१३८) :(जुनो नं. २२)कर्ता तरीके हेमचन्द्रसूरि आपेल छे..(१४४२.७) महेन्द्रसिहसूरि सं. ग्रं. १०००० परमात्मानमानम्य निजा अनेकार्थसङ्ग्रहअनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका... अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो.. (4.9) अनेकार्थसङ्ग्रह श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३५३ ध्यात्वार्हतः कृतका ६१/६३(७०). हेमचन्द्रसूरि ग्रं. १८२७ गा.५८ नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (ये.३) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण (जुनो नं. ७३) (पे.पृ. ८२) पे.वि. : त्रुटित. पत्र २२-८० + ९६-११६. (पे.पृ. २३१-२३४) [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे] (पे.पृ. २३४-२४७) [कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमां मळे छे] (प.पू. २४०-२५३).कृ.वि. : गाथा १०४..... जिनवल्लभ प्रा. गा.१६४ सयलन्तरायवीरं वन्दिय पद्य (प.४) : जिनवल्लभप्रा . :निच्छिन्नमोहपासं ............... Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता सुधी मळे छे] आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति (पे.५) आत्मानुशासन पार्श्वनाग (दिगम्बर): सं. श्लोक ७७ वि. १०४२ सकलत्रिभुवनतिलक पद्य (प.पृ.२५३-२५८) [कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे] (प.पृ.२५८-२६२) देववाचक प्रा. गा.५० जयइ जगजीवजोणी... (पे.६) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (पे.७) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण प्रा. गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पे.८) आतुरप्रत्याख्यान लघु गा.६० पे.पू. २६२-२६५) पे.वि. : त्रुटित. [कृ.वि. गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्यक्षेत्रसमासनो संक्षेप छ.] .. (पे.पृ. ३२३-३२५) पे.वि. : त्रुटित. [कृ.वि. : गाथा परिमाणमा ४० थी ९४ सुधीनुं वैविध्य जोवा मळे छे. आनी साथे संकळाएल केटलीक प्रतो वीरभद्र गणि वाला आउर पच्चक्खाणनी अगर 'अरहन्ता मंगलं मज्झ..."आदिवाक्यवाला के पछी 'कुससत्थरे निसन्नो..."वाला आदिवाक्य वाला आउर पच्चक्खाणनी पण होई शके (महावीर जैन विद्यालयथी आ बन्ने छपाया छे)] (पे.पृ. ३२५-३२६) [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे] (पे..पू.३२८-३२९) पं.वि. : का.१... (पे.९) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र गा.६३ सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य (पे.१०) पद्मावत्यष्टक. पदमावतीमन्त्रस्तव लोक १२ गा.२४ श्लोक८ (4.99) पञ्चमी स्तोत्र (पे.१२) धर्मसूरिस्तुति (पे.१३) सर्वजिनकल्याणकस्तोत्र (पे.१४) जीवोपालम्भकुलक (पे.१५) गुरुगुणकुलक. (पे.१६) धर्मोपदेशकुलक (पे.१७) श्रावकधर्मकुलक श्रीमदगीर्वाणचक्र विगयमयमयणमुणिवइपणिवइ जय तियणसूरिमण्डण पुरन्दरपुरस्पर्धि धम्मोवएसजुतं गुरुवियणविहुरेण वि जम्मजरामरणजले नाणा निसाविरामे परिभावयाम गा.२५ (पे.पू. ३२९)........ (पे.पू. ३२.३३१... (पे.पू. ३३१-३३२). (पे.पू. ३३२-३३३)... (पे.पू. ३३३.३३४.... (प.पू. ३३४-३३५). (पे.पू. ३३५-३३७). गा.२४ गा.२२ :पद्य गा.२१ Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडीझे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता पद्य देवसरि गा.३६ ग्र.३९ संसारम्मि असारे धरणोरगेन्द्रसुरपति मुक्तालकारविकारसार ... पद्य सं प्रा. अपभ्रं (ये.१८) उपदेशकुलक (पे.१९) धरणोरगेन्द्रस्तव (ये.२०स्नात्रकुसुमाञ्जलि. (पे.२१) पर्यन्ताराधनाकुलक (ये.२२) धर्मघोषसूरिस्तोत्र (पे.२३) धर्मसूरिस्तवन (ये.२४) पार्श्वनाथजन्मकलश (प.पू. ३३७-३३८) (प.पू. ३३८-३४०) प्र.वि. : गाथा-३८. (पे.पू. ३४०:३४१) (पे.पृ. ३४१-३४५). (प.पू. ३४६-३४८). ...३४८:३५:... (पे.पृ. ३५०-३५१) अपभ्र. मारुगूर्जर अपमं. मणवञ्छियसुहड़करणों पहिलउं पणमउं वीरजिणि अरि रि भवियह भावु आनन्दसूरि (धर्मसूरिशिष्य). (पे.२५) दशपच्चक्खाण प्रवचनसारोद्धार (प.पू. ३५१-३५३). (जुनो नं. ६१) संपूर्ण ६१/६३(७२) पद्य नेमिचन्द्रसूरि प्रा. गा, १५९९ ग्रं. नमिऊण जुगाइजिणं वोच २४-२ अपण ६१/६३(५२) वच्चेना २० पाना नथी. (प. पू.१-६१)... (पे. पृ.६%A-988) भदबाहस्वामी (पे. पृ. 1988-८३B) दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह (पे.१) दसविहसामायारी दशविधसामाचारी (पे.२) उपपातनियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनो हिस्सो'.... (पे.३) नमस्कारनियुक्ति (णमोक्कार णिज्जुत्ति) आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनो हिस्सो....... भद्रबाहुस्वामी (पे.४) सामायिकनियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनो हिस्सो*. भद्रबाहस्वामी (पे.५) चतुर्विंशतिस्तवनियुक्ति (चउवीसत्थयज्मयण । आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनो हिस्सो... भद्रबाहस्वामी (पे.६) वन्दनकनियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनो हिस्सो भद्रबाहुस्वामी (2.9) प्रतिक्रमणाध्ययन (पे. पृ. ८३8-८९....... (पे. पृ. ८९०-९३ (ये..पृ. ९३4-9048)... ......(पे. पृ. १०५०-१०९4). Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (सीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य भद्रबाहुस्वामी (प्रतिक्रमणनियुक्ति) आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनो हिस्सो' । (पे.ज्झाणसय ध्यानशतकप्रकरण (पे..पू. १०९4-2998..... कृ.वि. : आवश्यकनियुक्तिमाथी उद्धृत. जिनभद्र गणि गा. १०६ वीरं सुक्कज्झाणग्गि क्षमाश्रमण ....(प. पू. १998-१३७A/ (पे.९) पारिष्ठापनिकानियुक्ति ... आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनो हिस्सो' ... (4.90) असज्झायनिज्जुत्ति भद्रबाहस्वामी (पे. पृ. १३७4-9808-) पे.वि. : अपूर्ण. अन्त भाग के पत्र नहीं है... आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनो हिस्सोभद्रबाहस्वामी अनर्घराघवरहस्यादर्श अनर्घराघवनाटक-रहस्यादर्श देवप्रभसूरि ६२/६४(८२)..... (जुनो नं. ६५), (१३४२)...... ग्रं. ७१०० टिप्पणी श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र (जुनो नं. ५९) वार्तिकवृत्ति प्रमाणवार्तिकसूत्र २६७ नमो हितार्थसम्प्राप सिद्धसेन दिवाकर सूरि नमः स्वतःप्रमाणाय शान्तिसूरि श्रेष्ठ सपण २३८ ६२/६४(१२२) (जुनो नं.४१)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., (१५४२) प्रमाणवार्तिकसूत्र-वृत्ति पञ्चाङ्गी उपासकदशाङ्गअन्तगडदशाअनुत्तरौपपातिकदशाङ्गप्रश्नव्याकरण-विपाकसूत्र (पे.१) उपासकदशाङ्गसूत्र सुधर्मास्वामी प्रा. ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं (4.२) अन्तकृशाङगसूत्र (पे.३) अनुत्तरौपपातिकदशागसूत्र (पे.४) प्रश्नव्याकरणसूत्र (पे.५) विपाकसूत्र सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी : सुधर्मास्वामी ....९०. ग्रं. १९२. ग्रं. १३५० ग्रं. १३१६ तेणं कालेणं तेणं तेणं कालेणं तेणं नमो अरहन्ता]। जम्बू... तेणं कालेणं तेणं (पे.पृ.?) [कृ.वि. : पूर्णभद्र कृत 'दशश्नावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि एम नाम लखेल छे] (पे.पू................. (पे.पू.?). (पे.पू.? (पे.पृ.?) पे.वि. : पेटाङ्क १-५ ना ना पेज : कल्पित आपेल छे. 225 Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक २८-१ २८-२ ३० ३२-१ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम जिनपूजादि उपदेश (रत्नचूडादि कथा) जिन पूजाद्युपदेश दशवैकालिकनियुक्ति ऋषभपञ्चाशिका कर्मविपाक (पे. १) दशवैकालिकसूत्र-निर्युक्ति ... (पे. २) ऋषभपञ्चाशिका (पे. ३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ चन्द्रप्रभचरित्र चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र पद्य नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो (पे. १) नवपदप्रकरण (पे. २) जंबूद्वीपप्रकरण जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (पे. ३) चतुःशरणप्रकीर्णक (पे. ४) दर्शनसप्ततिकाप्रकरण (पे. ५) प्रत्येकबुद्धचरित्र (पे.६) आराधना (पे. ७) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक स्थिति कर्ता श्रेष्ठ नेमिचन्द्रसूरि जीर्ण भद्रबाहुस्वामी धनपाल गर्मर्षि श्रेष्ठ सर्वानन्दसूरि श्रेष्ठ जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण वीरभद्र हरिभद्रसूरि (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष प्रत प्रकार पत्र भाषा संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. अपभ्रं प्रा. परिमाण ताडपत्र ग्रं. ३५०० ताडपत्र गा. ४४० ग्रं. ४४६ गा. ५० गा. १६७ ताडपत्र श्लोक ६१४१ ताडपत्र गा. १३८ गा. ८६ गा. ६३ गा. ७० ग्रं. २१४ गा. ६९ गा. २६ रचना वर्ष वि. १२०८ 226 आदिवाक्य १७२ पणमिय नमिरनरवरसरसि सिद्धगतिमुवगयाणं जय जन्तुकप्पपायव ! ववगयकम्मकलङ्कं वीरं ३०० १३३ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ नमिउण सजल जलहर सावज्जजोगविरई उक्कित दंसणसुद्धिपयासं इह जिणुसासणि भवदुह अरहन्ता मङ्गलं मज्झ क्लिन / ओरिजिनल डीवीसी (डीवीडीझे..पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार ६२ / ६४ (७२) ६२/६४ (२८) पद्य पद्य पद्य ६२/६४ (३००) पद्य ६२ / ६४ (२८) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (जुनो नं. ४०) विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (जुनो नं. ६८ ) (पे. पृ. १-३२) पे.वि.: गाथा ४५२. [ कृ. वि. गाथा संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे] (पे. पृ. १-६) पे.वि.: गाथा-५१. (पे. पृ. १-१७) पे. वि.: गाथा - १४३. [ कृ. वि. गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.] (जुनो नं. ३०), (२३x२.२) (जुनो नं. ६०) (पे. पृ. १४) पे.वि.: गाथा - १४० [कृ.वि. : कर्त्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे.] (पे. पृ. १५-२५) पे. वि. गाथा-८९. कृ. वि. गाथा ८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे, (पे. पृ. २५-२८) पे.वि.गा.के. मां गाथा २७५ आपी छे पण पत्र संख्या जोतां गाथा७५ होवी जोईए. [कृ. वि. गाथा ६२ थी ९१ सुधी मळे छे.] (पे. पृ. २८-३७) पे.वि.: गाथा-७२. (पे.पू. ३७-५४) (पे. पृ. ५४-६२ ) [ कृ. वि. सोमसूरि कृत आ बन्ने एक ? ] (पे.पू. ६२-६६) Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक 33 प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम ३२-२ उपदेशमाला, प्रतिक्रमणसूत्र, अजितशान्ति (पे. १) उवएसमालापगरण ३४-१ ((पे.८) ऋषभपञ्चाशिका (पे.९) पिण्डविशुद्धिप्रकरण (पे.१०) बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण उपदेशमाला (पे. २) आवकप्रतिक्रमणसूत्र श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.३) अजितशान्तिस्तव अजितशान्तिस्तोत्र (पे.४) लघुअजितशान्तिस्तव कादम्बरीशेष (उत्तरार्द्ध) कादम्बरी - कादम्बरीशेष आरम्भसिद्धि, शब्दब्रह्मोल्लास, चउशरण (पे. १) शब्दब्रह्मोल्लास स्थिति कर्ता धनपाल जिनवल्लभ श्रेष्ठ धर्मदास गणि नन्दिषेण जिनवल्लभ श्रेष्ठ पुलिन्द्र भट्ट श्रेष्ठ उदयप्रभसूरि (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष भाषा प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. परिमाण गा. ५० गा. १०४ गा. ३७८ ताडपत्र गा. ५४४ गा. ५० गा. ४० गा. १७ ताडपत्र खण्ड २ ताडपत्र वि. १२८२ 227 आदिवाक्य जय जन्तुकप्पपायव ! देविन्दविन्दवन्दियपय १२४ नमिऊण जिणवरिन्दे वन्दित्तु सव्वसिद्धे अजियं जियसव्वमयं उल्लसिक्कमनक्ख..... १४८ १३४ ॐनमः सकलाध्यात्म क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य ६२ / ६४ (२६) पद्य पद्य पद्य पद्य ६२/६४ (६०) गद्य ६२/६४ (२२) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. ६६-७२) (पे. पृ. ७२-८६) (कृ.वि. गाथा १०५ सुधी छे.] मळे (पे. पृ. ८६-१३३) (कृ.वि. गाथा २७१ थी ३८३ सुधी मळे छे] (जुनो नं. १०) (पे. पृ. ३-१००B) पे.वि. पत्रांक- १-२ नहीं है. १९ गाथा नहीं है. पत्रानुक्रम जमाये बिना ही झेरोक्ष किया गया है. झेरोक्ष पत्र१-१८ व १९-२२. कृ.वि.: गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (पे. पृ. १०१B- १०९B) पे. वि. पत्रानुक्रम अव्यवस्थित में ही झेरोक्ष निकाल दिया गया है. झेरोक्ष पत्र- १८-२४. (पे. पृ. ११० १२१B) पे. वि. संपूर्ण. जेरोक्ष पत्र- २३-२६. कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे (पे. पृ. १२२A १२६B) पे.वि. झेरोक्ष पत्र २१-२२ व २५-२६. (जुनो नं. ४२) (१६.५४२) (जुनो नं. १८ ) पत्र - १४+१२० १३४. चउशरण पयन्ना नथी. (पे. पृ. १आ-१४आ) पे.वि. अपूर्ण. श्लोक ४९ सुधी छे. पत्र - १४ नो झेरोक्ष झे. पत्र-२१२२ उपर उपलब्ध छे. Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र মা परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीसी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पे.२) आरम्भसिद्धि उदयप्रभसूरि (प.३) चतुःशरण अपूर्ण ३४- २नन्दिसूत्र, मङ्गळगाथा, आवश्यकनियुक्ति ६२/६४(३२) (पे.पृ. -२अ-१२०आ-) पे.वि. : अपूर्ण. प्रथम पत्र नथी. प्रारंभिक श्लोक ३ थी विमर्श-५ ना श्लोक ४९. सुधी छे. (पे.पृ.?) पं.वि. : प्रत मा आ कृतिनों उल्लेख नथी. (जुनो नं. ७)गायकवाड केटलॉगमां : आवश्यकनियुक्ति, चउसरण अने। अजितशांति-अपूर्ण-आम त्रणनी माहिती छे. (पत्र-१३५१.१५... (पे.पृ.) [कृ.वि. : आनुं अने । आवश्यकनियुक्तिनुं आदिवाक्य समान छे] (पे.पू.) (पे.पृ.) [कृ.वि. : आनुं अने नंदिसूबनुं आदिवाक्य समान छ.] (जुनो नं. ७४) (पे.१) नन्दीसूत्र देववाचक जयइ जगजीवजोणीवियाणओसंयुक्त प+ग (पे.२) मङ्गलवाद (पे.३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति । भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा.२५०० ग्रं. जयइ जगजीवजोणी वियाणओ पद्य ३४-३ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र । वि. १३५४ ६२/६४(५) बृहत्सङ्ग्रहणीगाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रादि (मे.१) बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण नियट्ठवियअट्ठकर्म जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पे.पृ. २३४-२४४) पे.वि. : गाथा-२५०-३८८. कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे] (पे.पू. १). (पे. पृ.२५६-२५९A/ वन्दित्तु सव्वसिद्धे (पे.२) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे.३) पापप्रतिघात गुणवीजाधानसूत्र -पंचसूत्र प्रथमसूत्र पञ्चसत्र :अध्याय ५सत्र नमो वीतरागाणं सब्ब ग द्य (पे.४) अजितशान्तिस्तोत्र नान्देषेण अजियं जियसवभयं i/पे.५)क्षेत्रसमासप्रकरण वीरं कणयसरीरं पणमियं (पे.पृ. २५९-२६४) पे.वि. : गाथा-४४. कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] (पे.पृ. २६४-२६८) पे.वि. : गाथा-९१. [कृ.वि. : अन्त वाक्य-एएण रज्जुमाणेण लोगो चउदस रज्जओ..... (प...२०८:२७५.पे.वि. : पत्रांक-२७०..... (ये.६) पिण्डविशुद्धिप्रकरण देविन्दविन्दव Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता गा.१०3 भयवं दसन्नभद्दो. पद्य (पं.७) धमोपदेशमालाप्रकरण बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो जयसिंहसूरि :श्रेष्ठ सपण ताडपत्र 300 દરદ8. (पे.१) बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण प्रा. गा. ५७९ नियट्ठवियअट्ठकम्म जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि (पे.२) नवपदप्रकरण गा. १३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ (पे.३) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ प्रा. गा.१०४ देविन्दविन्दवन्दियपय बढते पत्र है. कृ.वि.: गाथा १०५ सुधी मळे छे] (प.पू.२७६-२८२) पं.वि. : गाथा-१०१.. (जुनो नं. ५०)सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है.. (१५४२) (पे.पृ. १-५२) पे.वि. : गाथा-५१४. [कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे.. (पे.पृ. ५३-६८) पे.वि. : आ प्रतमां गाथा१३८ छे. [कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमां बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे] (पे.पृ.६८-८२) पं.वि. : गाथा-१०४. [कृ.वि. गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे.पृ.८२-८८) पे.वि. : गाथा-३८. [कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ८९-९६) पे.वि. : गाथा-८८. [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (पे.पृ.९६-११४) [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे] (पे.पू. ११४-१२०) पे.वि. : गाथा-६४. (पे.पृ. १२०-१२३) पे.वि. : गाथा-५१... [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे (पे.४) अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण गा. ४० अजियं जियसव्वभर्य पद्य (पे.५) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण गा.८६ नमिउण सजल जलहर पच : जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण (पे.६) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसूरि गा.२१४ वन्दामि सम्वन्नुजिणि सिद्धसेनसूरि (पे.७) एकविंशतिस्थानप्रकरण (प.८) गौतमपृच्छा प्रकरण प्रा. चवण विमाणा नयरी जणया नमिऊण तित्थनाहं जाण पद्य : पद्य गा. ५३ छ :गा.२५ गा.५८ नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.९) बन्दनक भाष्य (पे.१०) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे.99) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम (पे.पू. १२३-१२६) मे.वि. : गाथा-२४. (पे.पृ. १२७-१३१) [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छ.] (पे.पू. १३१-१४५) पे.वि. : गाथा-१६७... गर्गर्षि पा.१६७ ववगयकम्मकलड़कं वीरं पद्य 229 Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र মাথা। रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीसी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण कर्मग्रन्थ कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] चन्द्रर्षि महत्तर सिद्धपएहि महत्थं (पे.१२) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ (पे.पू. १४५-१६३) पे.वि. : गाथा-१९१(2) सत्तरिया ज छे? [कृ.वि. चन्द्रमहत्तरीयानुसार । गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे... (पे.पृ. १६३-१७३) पं.वि. : गाथा-१०४. [कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे.] जिनवल्लभ निच्छिन्नमोहपासं (पे.१३) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति (पे.१४) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण : जिनवल्लभ गा.१६४ सयलन्तरायवीरं वन्दिय (प.पू. १७४-१८६) पे.वि.. गाथा-१२३. : [कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी जूदी प्रतोमा मळे छे] (पे.पृ. १८७-२०९) (पे.१५) प्रवचनसन्दोह अध्याय ६ पद नमिऊण वद्धमाणं ववगय पद्य अपम्र पणमह तिसलासुयजिणह .... पद्य (प.पू. १). पणित्तुपायकमलं चरम २९४ (पे.पू... (जुनो नं. ३६). (१६.५४२) अपण ६२/६४(१२२) (पे.१६) मुनिमुक्तावली (पे.१७) तपोयन्त्रविचार (ये.१८) श्रावकधर्म सम्यक्त्वरल त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र पर्व ७ थी ९ अपूर्ण त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य ३८-१. ओघनियुक्ति. पिण्डनियुक्ति (पे.१) ओघनियुक्ति हेमचन्द्रसूरि पर्व-१० संपूर्ण वि. १२५९.. .:१३५ दुविहोवक्कमकालो सामा ६२/६४(४४)...... पद्य भद्रबाहुस्वामी ताडपत्र गा. ११६३ ग्रं. १४३२. गा.६९७ (जुनो नं. ७६) (पे.पू. १-८४) पे.वि. : गाथा-११५४. कृ.वि. : गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे.] (पे.पृ. ८४-१३५) पे.वि. : गाथा-७०७. (कृ.वि. : गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे (ये.२) पिण्डनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. पिण्डे उगम उप्पायण ३८-२ अष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ६२/६४(३८) (जुनो नं. ४६) कम्मपयडीसङ्ग्रहणी न्यायप्रवेशपञ्जिका (2.92) कम्मपयाडिसंग्रहणी कर्मप्रकृति (पे. पृ. ११९) कृ.वि.: गाथा-४७३-४७७ सुधी मळे छे. :शिवशर्मसूरि प्रा... :सिद्ध सिद्धत्थं ............. Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता ग्रंथांक स्थिति प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (सीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (पे.२) न्यायप्रवेशपंजिका न्यायप्रवेशसूत्र-टीकानी पञ्जिकावृत्ति : पार्श्वदेव : वि. ११६९ :दुर्वारमारकरिकुम्भतट :गद्य (प.पू. ११९) कृ.वि. : न्यायावतारनुं टिप्पण छे?/विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रहरसरूद्र संवत. /अन्तवाक्य-न्यायप्रवेशशास्त्रस्य सद्वृत्तेरिहपंजिका.......... (जुनो नं.६४)प्रथम पत्र नथी, बच्चेना केटलाक खण्डित., (१४.५४२) श्रेष्ठ २४५ :६२/६४(९६) देव: स वा स्वपदमायति गद्य विमलसूरि जीर्ण .६२/६४(५४)..........(जनो नं. ७... भारवि त्रिषष्टिशलाकापुरूषचचरित्र विमलसूरिविरचित त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र गद्य किरातार्जुनीयम् सर्ग १७ जीर्ण किरातार्जुनीयमहाकाव्य कर्पूरचरित, हास्यचूडामणि, त्रिपुरदाह, किरातार्जुनीय, (पे.१) कर्पूरचरितमाण .(पे.२) हास्यचूडामणिप्रहसन. (पे.३) त्रिपुरदाह डिम जीर्ण GIGYE १30 ६२/६४(५२) (जुनो नं.२) वत्सराज महामात्य गं. १९० संयुक्त प+ग :वत्सराज महामात्य गं.3७२ दास्येहं परिरम्भणानि कल्याण वितरन्तु .व. परिकरितमिन्दुमोलेर (पे.पू. १-२०). .(पे.पू. २०-122. (पे.पृ. ५२-१०३) [कृ.वि. : डिम.] वत्सराज महामात्य अध्याय ४अंक वत्सराज महामात्य श्लोक६१ सा पातु वस्त्र्यम्बक श्रेष्ठ (पे.पू. १०४-१३०) पे.वि. : व्यायोग... ६२/६४५५६...... .....(जनो नं.)...... ताडपत्र .वि.१२३२. (पे.४) किरातार्जुनीयव्यायोग... शतकचूर्णि शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-चूर्णि कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो १४३. गं.२३२२ सिद्धो निद्धयकम्मो Ye श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र २५१ ६२/६४(१०२) गर्गषि गा.१६७ ववगयकम्मकलड़कवीर पद्य (जुनो नं. ५५)पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी..(१४४१.२) (पे.पृ.???) [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] (पे.पृ. १-???) [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे. :(पे.पृ.१) पं.वि. : गाथा-२४. गा. ५८ नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.१) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (पे.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे.३) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-भाष्य पद्य गा.२५ अहिणवगहणं बन्धो उदओ : पद्य जिनवल्लभ गा.८६ निच्छिन्नमोहपार्स (पे.पृ.???) पे.वि. : गाथा-१०४. कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे.]. आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण.. 231 Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति (पे.५) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण । : जिनवल्लभ प्रा. गा.१६४ सयलन्तरायवीरं वन्दिय (पे.पृ. ???) पे.वि. : गाथा-१५८. [कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमां मळे छे] (पे.पृ. १) गा, २५ नमिउण वद्धमाणं कइवय पद्य :शिवशर्मसूरि गा.१११ अरहन्ते भगवन्ते अणु (पे.६) शतक प्राचीन पञ्चम कमेग्नन्थ-भाष्य (पे.७) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (पे.८) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ (पे.९) भवभावनाप्रकरण चन्द्रर्षि महत्तर प्रा. सिद्धपएहिं महत्थं पद्य (पे.पृ. १) ये.वि. : गाथा-११२. [कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे.] (पे.पृ. १) [कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ.८३.थी.९१ सुधी मळे छे.. :(पे.पृ. १) पे.वि. : गाथा-५३२. प्रा. :गा. ५३१ :वि. ११७० :नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ : पद्य :हेमचन्द्रसूरि मलधारी (पे.१०) सग्रहणीप्रकरण (4.99) प्रवचनसन्दोह (.१२.योगशास्त्र (पे.१३) श्राद्धदिनकृत्य :हेमचन्द्रसरि अध्याय १२प्रका सारस्सयमाइच्चा विण्ह नमो दुर्वाररागादिवैर वीरं नमेउण तिलोयभाणु गा.३४० (पे.पृ. १) पे.वि. : गाथा-३७९. कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ५२७ सुधी मळे छे] (प.पू.???).... (पे.पृ.??.पे.वि. : श्लोक-४६४.. (पे.पृ. १) ये.वि. : गाथा-३४१. [कृ.वि. : गाथा-३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामा मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य?]. (पे.पू...... (पे.पृ. १) पं.वि. : गाथा-८०. [कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे.] (पे.पृ. १) पे.वि. : गाथा-६४. [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे.] ...(प.पू....... (जुनो नं. ५)कुळ ७ ज कृतियो छे. :शान्तिसरि FE ....... नमिउण सयल गुणरयणकुल... पद्य देसिक्कदेसविरओ सम्म वीरभद्र गा.७१ (ये.१४) धर्मरलप्रकरण............ (पे.१५) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् (4.१६) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य पढमजिणवर जणमणाणन्द :४४-१ संपर्ण (पे. १७) चतुर्विशतिजिननमस्कार ... प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) श्रेष्ठ १७ ग्रन्थो (पे.१) सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहदृत्ति हेमचन्द्रसूरि ६२/६४(२५) सं गद्य ................(पे.पृ. १२५-२६४) पे.वि. : त्रुटक. 232 Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (सीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य गा.२७ पद्य (पे.२) चतुःशरणप्रकीर्णक (पे.३) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.४) गौतमपृच्छा प्रकरण गा.२६ चउसरणगमण दुक्कडगरहा अरहन्ता मङ्गलं मज्झ नमिऊण तित्थनाहं जाण पद्य पद्य गा. ५३ । (प.पू. ३०२-३०५) (पे.पू. ३०५-३१००.......... (पे.पृ. ३१०-१) ये.वि. : त्रुटक. (कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे] (पे.पृ.?-३३५) पे.वि. : अपूर्ण, प्रारंभिक पत्र नहीं है. (पे.पू. ३३५-३३७) (प.पू. ३३७-३४०) पे.वि. : श्लोक-२९. . (प.५) भावनाकुलक गा.२२ श्लोक २२ धर्मार्थ क्लिश्यते पद्य का खलनालकियते पद्य ६२/६४(१७)......(जुनो नं. ३९(१)) :ताडपत्र (पे.६) धर्मलक्षणप्रकरण विमलसूरि (पे.७) प्रश्नोत्तररत्नमाला प्रश्नोत्तररत्नमालिका विमलसरि शास्त्रवार्तासमुच्चय श्रेष्ठ हरिभद्रसूरि ४४-३... दशवैकालिकसूत्र श्रेष्ठ शय्यम्भवसूरि लिङ्गानुशासनविवरण, श्रेष्ठ जीतकल्पवृत्ति (4.) हेमलिड्गानुशासन-विवरण. हेमचन्द्रसुरि (पे.२) जीतकल्पसूत्र सह तिलकसुरीय टीका ग 100 धम्मो मङगलमुक्किट्ठ ३५९ वि.१२९२ सिद्धहेमचन्द्रव्याकर ६२/६४(२२)........ (जनो नं. ३९(३))चूलिका-२.. संयुक्त प+ग... ६२/६४(१२८) (जुनो नं. ४५)पत्र-२१८+१४१=३५९., (१६४२) लेखन स्थल : भृगुकच्छ ।(पे.पू. १-२१८) पे.वि. : ग्रन्थान-३२८४. (पे. पृ. 9-१४१) पे.वि. : श्रीमानतुंगसूरिना शिष्य पंडित गुणचन्द्रजीए सं.१२९२ मां आ प्रत लखावीने आचार्य श्री अभयदेवसुरिने आपेल छे. कृ.वि. : हस्तप्रतसूचीओमा जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. जीतकल्पसूत्र कयपवयणप्पणामोवोच्छं जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाश्रमण गा.१०५ ग्रं. १३० ग्रं. १८०० वि. १२७४ वन्दे वीरं तपोवीरं गद्य तिलकसूरि श्रेष्ठ चक्रेश्वरसूरि सं.......... संपूर्ण ताडपत्र १२३ ६२/६४(४०)......... (जुनो नं. ३५), (१४.५४१.५). प्रा. ग्रं. १४१३ जीतकल्पसूत्र-वृत्ति शतकवृहद्भाष्य शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थबृहद्भाष्य काव्यप्रकाशसड़केत ............. काव्यादर्श चउबन्धणुओगविहीदुवार पद्य श्रेष्ट २४४ ६.६२/६४(११३).........(जुनो नं. ३....(१४४२... सोमेश्वर भट्ट पदाथकुमुदवातसमु 233 Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य संपूर्ण वि. १२१३ १९६ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार ६२/६४(९६) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ५० बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो श्रेष्ठ ताडपत्र (पे.१) संघयणी (जुनो नं.७१)झेरोक्ष पत्र ७०-१,७०-२,७०३ आ रीते बेवडाएल छे...(१५४२.५). (पे.पृ. -२-३२) पे.वि. : गाथा-५२८. ग्रन्थान-६६०. प्रारंभ व बीच-बीच के कुछ पत्र नहीं है. प्रारंभिक पत्र अर्धखंडित है. अन्त में क्षेत्रादि परिमाण दिया है. कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण जिनभद गणि गा. ५७९ नियट्ठवियअट्ठकर्म क्षमाश्रमण :गा. ५८ नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे.३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कमेग्रन्थ SE गर्गर्षि गा.१६७ ववगयकम्मकलकं वीरं पद्य (पे.४) सयपगरण शिवशर्मसूरि शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (ये.५) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ अरहन्ते भगवन्ते अणु सिद्धपएहिं महत्थं चन्द्रर्षि महत्तर (पे.प्र.३२-३६) पे.वि.: गाथा-५७.कृ.वि.: गाथा ५४ थी ५८ मळे छे.] (पे.प्र. ३६-४६) पे.वि. : गाथा-१६८. [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.]. (पे. पृ. ४६-५३) पे.वि. : गाथा-१११. पत्रों का आधा भाग खंडित है. कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे... (पे.प्र.५३-५९) पे.वि.: पत्र का आधा भाग जहाँ-तहाँ खंडित है. पत्र-५८-६१ पत्र-६८६९ के बीच में हैं. [कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे] (पे.पू.६०-432. रचना स्थल आशावल्लि.. (पे. पृ.८४-१०२) पे.वि. : गाथा-२६९.... कृ.वि. धर्मघोषसूरिकृतथी अन्य. चन्द्रप्रभसरि गा.३५४ अन्नाणतिमिरसूरं ......... (पे.६) चित्तसमाधिप्रकरण (पे.७) रिसिमंडलस्तव ऋषिमण्डलस्तव गा.२७१ ग्रं. इसिमण्डलस्स गुणमण्डल ३४० (पे.८) पञ्च आराधना प्रकरण (पे.९) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण गा..३३९. गा. १६४ मणिरहकुमारसाहू.१.. सयलन्तरायवीरं वन्दिय 4.१.१०२.१२६).पे.वि..: गाथा-३२४.. (पे.पृ. १२७-१३८) पे.वि. : गाथा-१५३. [कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी जूदी प्रतीमां मळे छे.. (पे.पृ. १३९-१४५) पे.वि. : गाथा-९४. कृ.वि..: गाथा १०४ सुधी मळे छे.] जिनवल्लभ प्रा. निच्छिन्नमोहपासं (पे.१०) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (सीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य :पद्य प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड़शीति (पे.११) वोच्छेयगण्डिया (पे.१२नवतत्त्वप्रकरण-भाष्य....... अभयदेवसूरि (पे.१३) ध्यानशतकप्रकरण :जिनभद्रगणि गा. १७३ गा.१५२. गा.१०६ अह पुण सरत्थुवन्तो इय पुचसूरिविरड्य. वीरं सुक्कज्माणग्गि पद्य.. : पद्य (पे.पू. १४६-१५८) पे.वि. : गाथा-१७२... ।(पे.पू.१५९-१६९. (पे.पृ. १६९-१७७) मे.वि. : गाथा-१०६. .कृ.वि. : आवश्यकनियुक्तिमाथी उद्धृत... (पे.पृ. १७८-१८९) (ये.१४) बृहत् षट्स्थानक कयवीरजिणपणामो भणियाण पद्य गा. १७३ ग्रं. २०२ प्रा. गा.१०७ अह एत्तो वीसइमे जिण (पे.१५) सुकोशलचरित्र : आवश्यकनियुक्ति पद्य :६२/६४(७८) श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र १७१ (प.पू. १८९-१९६). (जुनो नं. १७)गायकवाड केटलॉगमा । कल्पसूत्र लख्यू छे. आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा.२५०० ग्रं. जयइ जगजीवजोणी वियाणओ पद्य ३१०० ५२-२ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ६२/६४(४०) (जुनो नं.९) समुद्रमथन समवकार व रुक्मिणीहरण ईहामृग (पे.१) समुद्रमथन समवकार वत्सराज महामात्य गड़गाधरो रुचिरशीतकरा अध्याय ३अंक ग्रं.६१४ (प.२) रुक्मणीहरण इहामृगः वत्सराज महामात्य अध्याय अंक दरमुकलितनेत्रा ग्रं.५०८ (पे.पृ. १३१-१८३) पे.वि. : वस्तुतः यह पेटांक-२ है. सूचीपत्र में पत्रांक-४०,४३ का उल्लेख है. कृ.वि. : समवकार प्रकारक नाटक (पे.पृ.१-४०) पे.वि. : वस्तुतः यह पेटांक-१ है. [कृ.वि. : ईहामृग । (जुनो नं. ५४)झेरोक्ष पत्रांक-२ त्रण वखत आपेल छे. (पे.पू.१-१४५. (प.पू.१.१८.. (जुनो नं.६)... ५३-१ सूयगडाङ्गसूत्रनियुक्ति श्रेष्ठ ताडपत्र १४५ ६२/६४(६७) ग्र.२२०० (५.१) सूत्रकृतागसूत्र (पे.२) सूत्रकृताडगसूत्र-नियुक्ति..... मुग्धबोध व्याकरण गा.२०८ सुधर्मास्वामी भद्रबाहूस्वामी श्रेष्ठ बोपदेव बुझिज्ज तिउटेज्ज तित्थयरे य जिणवरे १६६ ५३-२ संपूर्ण ताडपत्र ६२/६४(६८).... श्रेष्ट ६.६२/६४(१६).... ५४-१... सटीक वीतरागस्तवादि जिनस्तोत्र.. (पे.१) वीतरागस्तव देवभद्रसुरि प्रा. (जनो नं.३)पत्रांक-६०-११०: (पे.पृ. ९३-९६) [कृ.वि. : अन्तवाक्यश्रीवीतरागस्तवनादमुष्मात् पुण्यं यदाप्तं. 235 Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भवतांती में.] गद्य सम्पत्तनाणदंसणवीरिय पद्य वीतरागस्तव-टीका (पे.२) अनन्तनाथस्तोत्र ............: देवभद्रसूरि.... (पे.३) स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र.... स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र देवभद्रसूरि ......... प्रा. (पे.४) प्रमाणप्रकाश-प्रत्यक्ष प्रकाश प.पू..१६-१८)..वि.:.गाथा-२९. (पे. पृ. ९८-९९). :लच्छीलीलाभवणं थम्भणय पद्य :(पे. पृ.१००-११०) पं.वि. : अपूर्ण. परिच्छेद-२ की प्रारंभिक २ श्लोक तथा :प्रारंभ से क्रमशः ८२ श्लोक तक है. प्रमाणप्रकाश :श्लोक८२ सन्न्यायनगरारम्भमल ..........: देवभद्रसूरि हेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति-अध्याय १-श्रेष्ठ १४-२ प्रतिपूर्ण ताडपत्र २३१ ६२/६४(८९) (जुनो नं. २६)अङ्क १-२. प्रणम्य परमात्मानं सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति धातुपारायण हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ ग्रं.३३०० ताडपत्र प्रतिपूर्ण १३२ ६२/६४(९०) (जुनो नं. १४)भ्वादिगण सुधी./झेरोक्ष पत्रांक ३१-१, ३१-२.३२-१, ३२-२ आ रीते बेवडाएल छे.. (१४४१.७) हेमचन्द्रसरिसं गं.५५०० ... संपर्ण आवश्यकनियक्ति श्रेष्ठ ६२/६४(८६).......... जुनो.नं. २३)..(१५४२.५). आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहस्वामी गा,२५००गं जयइ जगजीवजोणी वियाणओ पद्य 3900 संपूर्ण ताडपत्र १७४ कल्पसूत्रमूल-कालकाचार्यकथा (पे.१) पज्जोसवणाकप्प .................... ६२/६४(७५)...... (पे.पृ. १-१३३) पे.वि. : ग्रन्थान-१२१६. ग्रन्थान १२१६ को १३१६ बनाया गया है. :भद्रबाहस्वामी :ग्र.१२८० नमा अरिहन्ताण.............. संयुक्त प+ग कल्पसूत्र... (पे.२) मूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गताकालिकाचार्यकथा कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता (पे. पृ. १३३-१७४-) 4.वि. : अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं है. कृ.वि. : ग्रंथाग्र ३६० थी ४०० सुथी मळे छे. देवचन्द्रसूरि प्रा. :वि. ११४६ अस्थि इहेव जम्बू 236 Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १ २३ २६ २७ २८ ३० ३१ प्रत नाम (पेटा नंबर) पेटा नाम कृति नाम विशेषावश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड विशेषावश्यकमहाभाष्य- शिष्यहिता वृत्ति उपदेशमालावृत्ति कर्णिका उपदेशमालाप्रकरण-कर्णिकावृत्ति प्रज्ञापनावृत्ति प्रज्ञापनासूत्र- बृहद्वृत्ति स्थानाङ्गवृत्ति स्थानाङगसूत्र-वृत्ति पार्श्वनाथचरित्र शिशुपालवधटीका (माघ काव्य ) शिशुपालवध शिशुपालवधमहाकाव्य-सन्देहविषौषधि टीका काव्यकल्पलताविवेक त्रुटित पत्र ५५ कविशिक्षा - काव्यकल्पलताटीकानी कल्पलताविवेक टीका वसन्तराज शाकुनिक शास्त्र आदि (पे. 9) वसन्तराज शाकुनिकशास्त्र (पे. २) योगसार (पातासंघवीजीर्ण) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र आदिवाक्य क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष वि. १४५३ ५६/५९ (४१९) वि. ११७५ गद्य स्थिति कर्ता जीर्ण हेमचन्द्रसूरि मलधारी जीर्ण उदयप्रभसूरि जीर्ण मलयगिरिसूरि जीर्ण अभयदेवसूरि जीर्ण सर्वानन्दसूरि जीर्ण माघ वल्लभदेव जीर्ण जीर्ण वसन्तराज भाषा त्रुटक सं. संपूर्ण सं. त्रुटक सं. त्रुटक सं. अपूर्ण सं. त्रुटक सं. त्रुटक सं. अपूर्ण सं. सं. परिमाण ताडपत्र ग्रं. २८००० ताडपत्र ग्रं. १२२७४ ताडपत्र ग्रं. १६००० ताडपत्र ग्रं. १४२५० ताडपत्र श्लोक १३०६ ताडपत्र ताडपत्र ताडपत्र श्लोक २०६ वि. १२९९ वि. १३४६ वि. ११२० वि. १३६? वि. १३०६ 237 ३१८ श्री सिद्धार्थनरेन्द २५७ अर्हस्तनोतु भुवना जयति नमदमरमकुटप्रति ४५२ ३२५ ५६/५९ (२४०) गद्य ५६/५९ (२६०) गद्य श्रीवीरं जिननाथं ३४५-१५५(१ थी १५५) =१९० | ५६/५९ (८४) पद्य ५६/५९ (२७८) १७९ - ३४ (१ थी ३४ ) = १४५ यत् पल्लवेन विवृतं १८८-२५ (१थी २५) १६३ गद्य ५६/५९ (१४२) गद्य ५६/५९(१६६) गद्य ५६/५९ (१५५) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ( जुनो नं. ३९३ ) प्रतिलेखन पुष्पिकायुक्त. (३५x२) (जुनो नं. ३८८) घणा पत्रो टूटेलां छे. (३३.५४२.५) (जुनो नं. ३३५) पेज मां टुकडा छे. दरेक पानानां टुकडा छेनकामी (जुनो नं. ३२९ ) अस्तव्यस्त - त्रुटक-नकामी. / विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका (३१x२. २) लेखन स्थल बीजापुर विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १०८ ) (१८.५४२) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ( जुनो नं. ७५) त्रुटक, पेज नं. ३५-७९, अने ४९१७९ लखेला छे. (१७.५४१.७) ( जुनो नं. २९४ ) अति जीर्णने वचमां घणा ज टुकड़ा छे-माटे नकामी. पत्र २५माना टुकड़ा छे शब्दालंकार, अर्थालंकार (परिमलना भाव), ( १६.२४२.५) (जुनो नं. १५० ) पत्र २९ थी ४५ सुधी नथी. त्रुटक अव्यवस्थित. (पे.पू. 22.2) (पे.पू. ???) (कृ.वि.: सकलसुखनिवहदानाय ] Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडीपेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (प.पृ. ४-४१,४३,४५) कर्ता (पे.३) स्थानाङ्गसूत्रनो हिस्सो ठाणाङ्गगत पाठ (ये.४) शास्त्रीयवादस्थल सिद्धहेमबृहद्वृत्ति जीर्ण त्रुटक ताडपत्र ६२२-१६५(१थी १६५)=४५७५६/५९(१५४) (पे.पृ. २९-१९५). (जुनो नं. ११४)वचमां घणुं त्रुटक, अस्तव्यस्तजीर्ण, नकामी. गद्य सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्भत्ति कल्पसूत्र हेमचन्द्रसूरिसं. जीर्ण त्रटक ताडपत्र २०४ ५६/५९(९८) (जुनो नं.४५)प्रथम पत्र १ नथी. अंतना पण नथी, वचमां पण नथी. जीर्ण नकाम..(१५.५४१.७). गं१२८० नमो अरिहन्ताणं... भद्रबाहस्वामी जीर्ण संयुक्त प+ग ५६/५९(५४) दशवैकालिकलघुवृत्ति ताडपत्र १८० (जुनो नं.२३८(१))वचमां घणा पत्र नथी ने पाछला पण नथी. गद्य ताडपत्र दशवैकालिकसूत्र-लघुवृत्ति सिद्धहेमबृहद्वृत्ति तद्धित ७मो अध्याय जीर्ण सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्धत्ति हेमचन्द्रसरिस अभिधानचिन्तामणीनाममाला टीका : जीर्ण ............. 1५८२-२९०(१ थी २९०)=२९२ ५६/५९(११२)... (जुनो नं. २०३)जीर्ण., (१५४१.७)............ गय ३६ त्रटक ताडपत्र वि.१३३७ अभिधानचिन्तामणिनाममाला-टीका आवश्यकनियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्ति हेमचन्द्रसूरि जीर्ण भद्रबाहुस्वामी :२९६ ५७/५९(१३८) (जुनो नं. १११)प्रथमनां ४ पत्र बगडेलां ने पाछलां २६४ थी पाना खवाई गया छे-जीर्ण-त्रुटक छे. /विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. लेखन स्थल : अणहिलपाटक धर्मतीर्थकृतां वाचं ...........गद्य उभय ग्रन्थान-१००००.टीका ग्रन्थान-४६८५. १५९ ५७/५९(७२) .... (जुनो नं. ६८)जीर्ण. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका... जयइ जगजीवजोणी पद्य आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. वियाणओ ८७-२(१थी २)-८५..........५७/५९(३४).....(जुनो नं. ८९)त्रुटक-अपूर्ण..(१५४१.७) अ.१०000 ताडपत्र संपूर्ण वि. ११९१ प्रा. गा.२५०० ग्रं. ३१०० जीर्ण त्रुटक ताडपत्र :धर्मघोषसरि धर्मोपदेशशत सटीक धर्मोपदेशशत धर्मोपदेशशत-टीका सामाचारी जीर्ण ताडपत्र ५७/५९(३७)......(जुनो नं.८८)चोटेली. कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यनी कथा जीर्ण ताडपत्र ५७/६०(६६) (जुनो नं. ३१२)वचमां केटलांक पत्र नथी.. (१४४१.५) 238 Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष रचना वर्ष कति प्रकार प्रा. संयुक्त प+ग भद्रबाहुस्वामी देवचन्द्रसूरि ग्रं. १२८० ग्रं.३९५ नमो अरिहन्ताणं... अस्थि इहेव जम्बू :वि. ११४६ गद्य (पं.१) कल्पसूत्र (पे.२) कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता प्रवचनसारोद्धार तथा दशवैकालिक (प.पू. १४३). (पे.पू.) [कृ.वि. : ग्रंथान ३६० थी ४०० सुधी मळे छे.] (जुनो नं. २६५). (१५४२) :जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र :वि. १२९५ २२२ :५७/६०(११२) सुत्र (पे.१) प्रवचनसारोद्धार नेमिचन्द्रसूरि प्रा. नमिऊण जुगाइजिणं चोच पद्य गा. १५९९ ग्रं. २००० (प.पू. १५६) :शय्यम्भवसरि प्रा.. ग्रं.७००.. धम्मो मडगलमुक्किट्ठ (पे.२) दशवकालिकसूत्र शब्दानुशासनवृहद्वृत्ति-पाद २.३ :जीण टक ताडपत्र संयुक्त प+ग.....(पे.पू. १-६६.. ५७/६०(९८) (जुनो नं. ९६)ताडपत्र-१३५, जीर्ण-कागळना ७८ :पत्र त्रुटक..(१५४१.७) हेमचन्द्रसूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्ति सग्रहणी आदि (पे.१) सङ्ग्रहणीप्रकरण त्रुटक :५७/६०/८९)... पद्य (जनो नं. ७७)त्रुटक-जीर्ण-नकामी.. (पे.पृ. 9-99) [कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ५२७ सुधी मळे छे.. संयक्त प+ग /पेपvab) .:३५० ग्रं.५० तित्थड़करे य तित्थे इच्छामि पडिक्कामउ नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.पृ. ५६-६०). (पे.पृ.६१-६५) [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे गा.५८ पय (पे.२) पाक्षिकसूत्र (4.3) पगामसज्याय (पे.४) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे.५) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (पे.६) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ गर्गर्षि गा.१६७ ववगयकम्मकलड़के वीरपद्य शिवशर्मसूरि गा. १११ अरहन्ते भगवन्ते अणु पद्य (पे.७) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रर्षि महत्तर प्रा. गा.९१ सिद्धपएहि महत्थं पद्य (पे.पृ. ६५-७६) [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ७६-८४) [कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे] (पे..८४-९०) कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे] (पे.प्र. ९०-१०१) [कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे छे] (पे.पृ. १०१-१०७) पं.वि. : गाथा-८६. [कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे] .पू. १०-११४) पे.वि. : गाथा-999. (पे.८) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण जिनवल्लभ गा. १६४ सयलन्तरायवीरं वन्दिय पद्य : जिनवल्लभ प्रा. गा.८६ निच्छिन्नमोहपास पद्य (पे.९) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति. (पे.१०) जीवदयाप्रकरण प्रा. गा. ११६ संसयतिमिरपयङ्गं भविय पद्य पे 239 Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता 'মাদা परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार आसङ गा.१४४ । वि. १२८८ पद्य सिद्धिपुर सत्थवाहं सारस्सयमाइच्चा विण्ह । गा.३५५ (ये.११) विवेकमञ्जरीप्रकरण (ये.१२) प्रवचनसन्दोह (ये.१३) योगशास्त्र४ प्रकाश...... योगशास्त्र (ये.१४) दर्शनशुद्धिप्रकरण सड़ग्रहणी आदि (प.पू. ११४-१२५) (प.पू. १२५-१४६) (प.पू. १७६-१८९).. :अध्याय १२प्रका हेमचन्द्रसूरि चन्द्रप्रभसूरि जीर्ण प्रा. नमो दुर्वाररागादिवैर पत्तभवन्नवतीरं दुहदव...... पद्य १९५-४६(१थी ४६)=१४९५७/६०(८०) ४६ अपूर्ण ताडपत्र वि. १२८६ (पे.पृ. १७६-१८९) (जुनो नं.२८१)पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः ११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. लेखन स्थल : अणहिल्लपुर, (पे. पृ. ४७-८१) पे.वि. : पूर्ण. गाथा-५२७. प्रक्षेप गाथा के साथ. झेरोक्ष पत्र-९-२६. मात्र ताडपत्रीय पत्र ८० नहीं है. टिप्पणयुक्त विशेषपाठ. (4.9) बृहत्संग्रहणीप्रकरण सङ्ग्रहणीप्रकरण गा.३६७ :निट्ठवियअट्ठकम्म जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाश्रमण :(पे.२) भक्तपरिन्ना प्रकीर्णक (पे. पृ. 999-२२७) पे.वि. : गाथा-१७१./अपूर्ण. पत्र ११७-२२७ के बीच दूसरी और भी कृतियाँ है. ताडपत्रीय पत्रक्रम अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र २५-८० भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक गा. १७२ ग्रं. नमिऊण महाइसयं महाणु कृ.वि. : गाथा १७१थी १७३ सुधी मळे छे. (पे.३)] आगमिकवस्तुसुक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण (पे.पृ. १२०-१२४) पे.वि. : ताडपत्रीय पत्र ८११२४ तथा झेरोक्ष पत्र-२६-३५. बीच में दूसरी भी कृतियां हैं.. कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे. प्रा. निच्छिन्नमोहपासं आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन :जिनवल्लभ चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (पे.४) महादण्डकप्रकरण (प.पू. १२५-१४१) पे.वि.: अपूर्ण. गाथा-२७४. त्रुटित. झेरोक्ष पत्र-३४ पर कृति पूर्ण हुई है. प्रारंभिक भाग अस्पष्ट है.. महादण्डकप्रकरण (पे.५) प्राचीन शतक कर्मग्रन्थ शिवशर्मसरि प्रा. :पद्य शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (पे.६) उपदेशमाला अरन्ते भगवन्ते अण .. . ... ... .. ... R नमिऊण जिणवरिन्दे धर्मदास गणि प्रा. गा.५४४ पद्य प्रा. गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं पद्य (पे.७) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण : जिनवल्लभ प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति (पे.८) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् वीरभद्र गा.७१ देसिक्कदेसविरओ सम्मपद्य (ये. पृ. १४२०-१४८) पं.वि. : अपूर्ण. गाथा-९८ तक है. पत्र 9819 व १४९ नहीं है. झेरोक्ष पत्र ३५-३८. बीच में दूसरी कृति भी है. कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे. (पे.पृ. १५०-१८१) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-४७३ तक है. बीच व अन्त के कुछ पत्र नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र३९-५०. पेटांक- आगमिकवस्तुविचारसार वाली प्रत से ये अलग प्रत के पत्र हैं. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (पे.पृ. १८२०-१८८B) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र४९-१४. [कृ.वि.: गाथा १०४ सुधी मळे छे] (पे.पृ. २०३-२१९) पं.वि. : अपूर्ण. गाथा-६४. पत्रक्रम अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र-६५-६६, ७१७२ व७३-७४ पर है. प्रारंभ पत्र-७२ व अन्त पत्र ६६ है. [कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे.] (पे.पृ. १९१-१९६) पे.वि. : गाथा-१७. झेरोक्ष पत्र अन्तर्गत कृति कहाँ से कहाँ तक है उसका स्पष्टीकरण नहीं हो सका है. [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे.पृ. १८८-१९२) पं.वि. : अपूर्ण. गाथा-१७. पत्र १९० की गाथाएँ २० से ३३ नहीं है. झेरोक्ष पत्र५३-५४. [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे] (पे.पृ. १९२-१९६) पे.वि. : गाथा-६९. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१४-१७. कृ.वि. : अन्त वाक्यसंकलिय सिरिमहिंदसूरीहिं० पाढंतु नो विवुहा]. (पे.पृ. १९६-१९७) पे.वि.: गाथा-३३. संपूर्ण. (पे.९) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ गा.१०४ देविन्दविन्दवन्दियपय गा.५८ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.१०) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ महेन्द्रसिंहसूरि प्रा. गा.७० नमिऊण वद्धमाणं अणुसर पद्य (पे.११) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-भाष्य-१ (पे.१२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय बन्धेविसत्तरसयं 241 Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कति प्रकार कमेग्रन्थ-भाष्य-२ गा.१६७ (ये.१३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (पे.१४) भावनाप्रकरण :देववाचक प्रा. (पे.१५) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (ये.१६) कुलाणुवंधज्झयण चतुःशरणप्रकीर्णक (ये.१७) क्षेत्रसमासप्रकरण (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झेरोक्ष पत्र५७-५८.कृ.वि.अन्त वाक्य-अणुदय पत्तुदीरमा या] गर्गर्षि ववगयकम्मकलड़कं वीरं पद्य (पे.पू. १९७-२२७) पे.वि. : अपूर्ण गाथा-१६८. झेरोक्ष पत्र-५७-६२ व ७३-७४. बीच के पत्र नहीं है तथा इस भाग में दूसरी कृतियां सम्मिलित है. [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] सवयरे भगवन्ते (पे.पृ. १-१२) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र १-८. शताधिक गाथा के साथ-साथ १२मी भावना अपूर्ण तक है. गा. ५० जयइ जगजीवजोणी... पद्य (पे.प्र.२) पे.वि. : अपूर्ण गाथा-२६ तक है. झेरोक्ष पत्र-७-८. (पे. पृ. २२८ मुं) ये.वि. : गाथा-६२. अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६९-७२. प्रारंभिक १० गाथाएँ नहीं हैं. वीरभद्र प्रा. ....... गा. सावज्जजोगविरई उक्कित पद्य ...... कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. (पे. पृ.) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-६५६. झेरोक्ष पत्र-९ पर है. मात्र अन्त के पत्र हैं. सूचीपत्र में इसका उल्लेख नहीं है. जिनभद्र गणिप्रा . : गा.६४० ग्रं. नमिऊण :सजलजलहरनिभस्सण (पे. पृ. 9904-२०९० पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-१२०. झेरोक्ष पत्र-२५.६१-६२ व ६५-६६. पत्रांक ६५ पर आरंभ एवं २५ पर पूर्ण हुई है. पत्रांक उलटे क्रम में है. प्रतिलेखक की भूल से गाथा ५६ की जगह ६६ लिखा गया है. सूचिपत्र में इस कृति का उल्लेख नहीं है. :गा.१२४ काऊण नमोक्कारं जिणवर पद्य विप्फरियविमलकेवल (पे.पृ. १२४-१) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-७ तक मिलती है. यह कृति झेरोक्ष पत्र ३६ पर है. इसका उल्लेख सूचीपत्र में नहीं है, जिनवल्लभप्रा . गा. १६४ .......... सयलन्तरायवीरं वन्दिय प द्य (पे.प्र. ?) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-९ तक है. झेरोक्ष: 242 बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण (ये.१८) संथारा प्रकीर्णक .... संस्तारकप्रकीर्णक (पे.१९) पैसठ द्वार मार्गणास्थानकगत जीवस्थानविवरण (पे.२०) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत प्रकार प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कति प्रकार (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पत्र-७३-७४. इसका उल्लेख सूचीपत्र में नहीं है. [कृ.वि. : गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे छे] .... संपूर्ण २७४ ५७/६०(१७६) (जुनो नं. २८०)देखावमां सारां छे पण त्रुटक छे. चोंटेला घसायेला तेथी निरुपयोगी छे. /ग्रन्थान २६४००..(१३.५४३)....... भावदेवसूरि ग्रं.६०७४वि . १४१२ जीर्ण ३५९-२७४(१ थी २७४)=८५ । ५७/६०(६२) (जुनो नं. २८०), (१३.५४३) ... गा.९६३ (पे.पृ. २७५-३२७) पं.वि. : वचमां पाना घसायेला पार्श्वनाथचरित्र : वि.१३७९ पद्य पाश्चेनाथचरित्रमहाकाव्य श्लोकबद्ध नलदमयन्ती कथा (पे.१) नलदमयन्तीकथा पद्य (पे. पृ. ३२७-३५२) (पे.२) त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र पर्व ९.सर्ग १ ब्रह्मदत्तचरित्र त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य (पे.३) ऋषिदत्ताकथा अलिकविषये हेमच सगे : लोक ४५१ अस्तीह भरतक्षेत्रे (पे.४) चारुदत्ता विगेरेनी कथाओनो सड़ग्रह उपदेशमाला आदि (पे.१) उपदेशमाला त्रुटक :५७/६०(१३३) पद्य धर्मदास गणिप्रा . नमिऊण जिणवरिन्दे कृ.वि. : पर्व-१०. (पे.पृ. २३८-२६१) पे.वि. : केटलांक पानां बगडेला छे. पत्र समुं नथी. [कृ.वि. : अन्तवाक्य-गतवति विततायुःकर्मणि शांतमंतःकरमशरणवैरिध्वंसनादात्तकीर्ति...] (पे.पृ. २९१-२९७) पं.वि. : त्रुटक पत्रो -जीर्ण, पहेला ४ पत्रो नथी. (जुनो नं. २५५), (१३.२४१.७) (पे.पृ. १-४८) [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे.पृ. ४९-५८) पे.वि. : केटलोगमा कानाम धर्मदास गणि लखेल छे. कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे]. (प.पू. १७-६९) (पे. पृ.७०-७७) कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. (पे.पू. ७०-८१). मे.वि... गाथा संख्या नथी. (पे.२) पिण्डविशुद्धिप्रकरण : जिनवल्लभ गा.१०४ देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य गा.१४४ ... :वि. १२८८ सिद्धिपुर सत्थवाह पद्य (पे.३) विवेकमञ्जरीप्रकरण आसड (पे.४) जम्बूद्धीपप्रकरण जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पे.५) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली: देववाचक ... गा.८६ नमिउण सजल जलहर। पद्य प्रा. गा. ५० ........... जयइ जगजीवजोणी. पद्य Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सामसरि पद्य (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार ग्रंथांकपत नाम स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति प्रकार आपली. (ये.६) प्रव्रज्याविधानकुलक गा.३० संसारविसमसायरभवजलपडि! पद्य (पे.प्र.८१-८४) पे.वि. : गाथा-३१.कृ.वि. : गाथा- २४ थी ३५ सुधी मळे छे.] (प.) आराधनाकुलक ......... गा.६९ नमिऊण भणइ एवं भयवं! पद्य ।(पे.पू.८४-८९). (ये.८) शीलोपदेशमाला :जयकीतिसुरि गा. ११६. आबाल बम्भयारि नेमि (पे...९०-१०००.पे.वि. : गाथा-११५. (पे.२) श्राद्धदिनकृत्य गा.३४० वीरं नमेउण तिलोयभाणु (पे.पृ. १००-१२५) पे.वि. : गाथा-३४४. [कृ.वि. : गाथा-३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामां मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य ? (ये.१०) गौतमपृच्छा प्रकरण गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण (पे.पृ. १२५-१२९) पे.वि. : गाथा-५४. [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.] (ये.११) चतुःशरणप्रकीर्णक गा.६३ सावज्जजोगविरई उक्कित (पे.पृ. १२९-१३५) [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे.] (पे.१२) धर्मोपदेशमालाप्रकरण :जयसिंहसूरि :गा. १०३ भयव दसन्नभद्दा.. (प.पू. १३५-१४४) पे.वि. : गाथा १०३.... (प.१३) महावीरस्तोत्र जइज्जा समणे भगवं (पे.पृ. १४३-१४४) पे.वि. : गाथा-२२.. (पे.१४) पुष्पमालाप्रकरण हेमचन्द्रसूरि गा. ५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल (पे.पृ. १४५-१८६) मलधारी (पे.१५) भवभावनाप्रकरण हेमचन्द्रसूरि गा. ५३१ वि. ११७० निमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ : पद्य (पे.पृ. ४३-८५) मलधारी नवपदप्रकरणवृत्ति (श्रावकानन्दि) ताडपत्र वि. १३२६ २०८ ५७/६०(८०) (जुनो नं.२)चोंटेली, जीर्ण, लिपिकृत, हेमकीर्ति. तथा कर्मविपाकादि कर्मग्रन्थ चतुष्टय नवपदप्रकरण जिनचन्द्रसूरि, नमिउण वद्धमाणं मिच्छपद्य कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने देवगुप्तसूरि कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे. नवपदप्रकरण-श्रावकानन्दि टीका....... जिनचन्द्रसूरि.. वि. १०७३ नत्वेच्छायोगतो योगं ५१ सिद्धहेमबृहद्वृत्ति (तद्धितपाद चारनी) जीर्ण प्रतिपूर्ण ताडपत्र १७५ ५७/६०(७७) (जुनो नं. १३०)जीर्ण, त्रुटक ने नकामी., वीरभद्र गा.२१ जीर्ण गा. १३८ गद्य सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्धृत्ति ५२.. विविध विषयक सुभाषितादि सङ्ग्रह हेमचन्द्रसूरि जीर्ण संपर्ण ताडपत्र ५७/६०(६०).....। (जुनो नं. ३०९)पत्र ३-४-५-६-७-१६ नथी./झेरोक्ष 244 Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक कति प्रकार प्रा.स. गद्य (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार प्रत नाम स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पत्र ५० नथी..(१४४२.२) (पे.१) धार्मिक विविध विषय (पे. पृ. (क)२-१४४) पे.वि. : त्रुटक. विचारसंग्रह विधिविधान, पर्व, तप, कल्प, पदवीप्रदानादि आगमिक विचारसग्रह (पे.२) सूक्तसङ्ग्रह. (पे...(ख१-२०......... विविध विषयक सुभाषित सङ्ग्रह नमस्कारपद्धतिः ध्यान पद्य (पे.३) योगकल्पद्रुम श्लोक ६४ अर्हन्मुनिन्दुलॊके पद्य (पे.पृ. (ख)२०-२६) पे.वि. : अपूर्ण. पत्रांक २५ ना श्लोक ४६-६० नथी. (पे.४) नीतिगत विविध सूक्तिसंग्रह (पे. पृ. (ग)४-८७) पे.वि. : त्रुटक./वचमां घणां पत्रों नथी. विविध धार्मिक विषयक :पद्य सुभाषितसड़ग्रह (पे.५) सूक्तसमुच्चय विबुधचन्द्र मलधारी सं. छायाविश्रान्तसंसार पद्य (पे.पृ. (ग)१८-१३७) पे.वि. : त्रुटक./वचमां घणां स.प्रा. गा.४२१ पत्रो नथी. (पे.६) विवेककलिका नरेन्द्रप्रभ मलधारी सं (प.७) सूक्तमाला नरेन्द्रप्रभ मलधारी प्रणिपत्य परं ज्योति टक आवश्यकनियुक्ति आदि (पे.१) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी गा.२५०० ग्रं. २०९ जयइ जगजीवजोणी वियाणओ 3१०० (पे.पृ. (ग)१३८-१६०) पे.वि. : १३८, १३९. १४१ पत्रो नथी. पद्य (पे.पृ. (ग)१६१-१६२) पे.वि. : अपूर्ण. श्लोक-२२ सुधी छे. ५७/६०(६९)...(जुनो नं. १६३)अपूर्ण-त्रुटक. पद्य (पे.पृ. १-२०९) पे.वि. : अपूर्ण. [कृ.वि. : आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे]. (पे.पू. पद्य (प.पू. 9-90). (पे.पू...पे.वि. : गाथा-४२.. ५७/६०(९७). (जुनो नं. २४७)... (पे.पू. १५७) गद्य कृ.वि. : जयानन्दसूरिशिष्य अमरचन्द्रकृत? रचना संवत-१२६४? ......... गा.३३ पद्य (पे.२) परिग्रहप्रमाण (पे.३) परिग्रहप्रमाण .(पे.४) परिग्रहप्रमाण.. हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि आदि ... (पे.१) हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्तिनी अवचुरि गा.४१ संपूर्ण ...----- ताडपत्र सं. सर्वज्ञ सर्वदेवार्च 245 Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार सर्वज्ञं सर्वदेवार्च गद्य (पे.२) हैमलघुवृत्ति आख्यात अवचूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्तिनी अवचूरि श्राद्धप्रतिक्रमणवृत्ति जीर्ण : ताडपत्र co ५७/६०(३४) ग्रं.२७७० वृन्दारुवृन्दारक गद्य संपूर्ण ताडपत्र ५७/६०(५४) गा.३७ नमिऊण जिणं वीरं पद्य श्रावकषडावश्यकसूत्र-वन्दारु वृत्ति...... देवेन्द्रसूरि.. श्रावक बार व्रत ग्रहण आदि जीर्ण (पे.9) त्रिषष्टिध्यानकथानकप्रकरण : (मे.२) चउद्दसगकुलक (पे.३) पच्चक्खाणविवरणगाथा (पे.४) पच्चक्खाणविचारगाथा (पे. पृ. ११) कृ.वि. : जयानन्दसूरिशिष्य अमरचन्द्रकृत? रचना संवत-१२६४? । (जुनो नं. ३४(२))पत्र ८०थी पण वधारे छे पण त्रुटक छे ने अपूर्ण..(१४४१.५) मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर?.. (जुनो नं. २४२). (१५४२) (पे.पृ. 9A-RA) (प.पू. २A-38 (पे.पृ. 9A-२).... (पे.पृ. २४-३६) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा १९ तक है. पच्चक्खाण संबंधी परचुरण गाथा. [कृ.वि. : परिमाण काव्य मां आपेल छे.] (पे. पृ.?) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र-६-२२./विविध परचूरण धार्मिक कृतियां गा.४० जीवगणठाणमग्गण अजीवउपद्य E: गा.८२ दुविहं पच्चक्खाणं सूरम्मि उग्गयम्मी -20 (ये.५) धार्मिक विविध विचारसंग्रह ५८-१ ५७/६०(४०) (जुनो नं. १८१)पत्र अस्त-व्यस्त हैं..(१४.५४२.२) :५८-२ प्रतिपूर्ण ताडपत्र ५७/६०(२५)... मूल पत्र४८ नथी. झेरोक्ष पत्र २४ बेवडाएल छे. अध्याय १२प्रका प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यानादि विविध धार्मिक विचारसग्रह मलयगिरिव्याकरण तथा परचुरण पत्र जीर्ण आदि मलयगिरिशब्दानुशासन मलयगिरिसूरि योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण :जीर्ण योगशास्त्र हेमचन्द्रसूरि योगशास्त्र-स्वोपज्ञ वृत्ति हेमचन्द्रसूरि प्रतिष्ठविधि व नन्द्यावर्तविधान .. जीर्ण (पे.) प्रतिष्ठाविधि (ये.२) नन्द्यावर्तविधान प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथा जीर्ण न्यायकन्दली टीका (2.9) पवयण संदोह नमो दुर्वाररागादिवर प्रणम्य सिद्धादभुत ग्र.१२००० ५८-३ संपूर्ण ........ ५७/६०५८).......(जुनो नं. १०).. (पे.पृ.१-१४2. (पे.पू. १४-१५) ५७/६०(२४) (जुनो नं. २६८(६)?)त्रुटक-नकामी-जीर्ण. गद्य २६५-१(१)=२६४ (प.प्र.२-२३) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-9-८ 246 Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे .पत्र/मे.पत्र) कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार पर है. गा.३५५ सारस्सयमाइच्चा विण्हपद्य प्रवचनसन्दोह (पे.२) खेतसमास जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जिनभद्रगणिप्रा . गा.८६ नमिउण सजल जलहरपद्य (4.३) मूलसुद्धीप्रकरण (पे. पृ. २३०-३०B) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-८४. ताडपत्रीय पत्रांक-२८ (गा.५५-६३)नहीं है. यह कृति झेरोक्ष पत्र ८-११ पर है. कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे (पे. पृ. ३००-४८B) पे.वि. : अपूर्ण पत्र-३५, ३९, ४० व ४३ नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र ११-१९ पर है. कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे. (पे. पृ. ४८B-६०B) पे.वि. : गाथा-१३८. अपूर्ण. ताडपत्रीय पत्र ५१ व ५३-५४ नहीं है. झेरोक्ष पत्र मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसार प्रा. गा.२१४ वन्दामि सब्वनुजिणि पद्य (पे.४) नवपय १९-२३ पर है. नवपदप्रकरण प्रा. गा.१३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ पद्य जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे. (पे. पृ.६०४-६८-) पे.वि. : अपूर्ण, ताडपत्रीय पत्रांक ६४,६५,६७ व अन्त के पत्र नहीं है. झेरोक्ष पत्र २३-२५ पर है. (पे.५) जीवदयापगरण :पद्य जीवदयाप्रकरण (पे.६) पञ्च सूत्र संसयतिमिरपयड़गं भविय नमो वीतरागाणं सव्व अध्याय ५सूत्र गद्य (पे.पृ.) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २५-२८ पर (पे.७) सप्तनय-विवरण जीवाजीवा चावश्च पद्य (पे.पृ.) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २७-३० पर है. श्लोक २८ तक है.. (पे.पू.) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २९-६८ पर श्रीधर भट्ट ग्रं.३७१६ :शक.९१३ अनादिनिधनं देवं जगत :गद्य (पे.८) वैशेषिकदर्शन-पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की न्यायकन्दलीटीका उणादिवृत्ति तथा वीतरागस्तव जीर्ण वि. १२३१ ५७/६०(८) (जुनो नं. २१३(३-४))गायकवाड केटलोगमां पत्र १४९ थी १६९ छे...(१४.५४२)... :/पे. पृ.१-७६) पे.वि. : कर्ता अज्ञात. (पे.१) सिद्धहेमशब्दानुशासन Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार :स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता শাখা, परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार हेमचन्द्रसूरि श्रीसिद्धहेमचन्द्र गद्य उणादिगणसूत्र सह (सं. विवरण ... सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्रविवरण (ये.२) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि अध्याय २० ग्र. यः परात्मा परज्योत कृ.वि. : जीर्ण ................त्रुटक २२८ ................... पद्य (पे.प्र. १-२२) पे.वि. : जीर्ण-त्रुटक छे./ प्रकाश-२०० ...५८/६०(४०)........ (जुनो नं. २६३) (पे. पृ. ६३) हेमचन्द्रसूरि त्रिलोचनदास प्रणम्य सर्वकार : गद्य (पे.पृ. १६५९) पे.वि. : प्रकृतिसंधि सुधी. योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आदि... (पे.) योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक (पे.२) कातन्त्रव्याकरणनी दुर्गसिंहवृत्तिनुं पञ्जिकाविवरण दमयन्तीकथाविवरण दमयन्तीकथा-विवरण भवभावना आदि (पे.१) भवभावनाप्रकरण जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र श्लोक १९०० चण्डपाल जीर्ण संपूर्ण ५८/६०५६....... (जुनो नं. २५७(२).(१३.५४२)... पद्य :३५७ ५८/६०(१००) (जुनो नं. ७६)नकामी. नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ पद्य (प.पृ.६९) ताडपत्र वि.११९१ प्रा. गा. ५३१ वि. ११७० हेमचन्द्रसूरि मलधारी हरिभद्रसूरि (पे.२) पञ्चाशकप्रकरण :नमिऊण वद्धमाणं सावग पद्य (पे.पृ.६९, १५८) कृ.वि. : पञ्चाशक-१-१९] अध्याय १९ गा. १००० ग्रं. ..११.२. :ग्रं.३५० (पे.३) पाक्षिकसूत्र (पे.४) धर्मोत्तरसूत्र तित्थङ्करे य तित्थे......संयुक्त प+ग....(पे.पू.) पे.वि.: त्रुटित. (पे.प्र. १६) न्यायबिन्दु धर्मकीर्ति (बौद्ध) (पे.५) न्यायबिन्दु न्यायबिन्दु ।(पे. पृ. ११४) धर्मकीर्ति (बौद्ध) सं. चरसरणप्रकरण आदि जी त्रटक (पे.9) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र गा.६३ ....५८/६०५६८)...... (जुनो नं. ८२)अति जीर्ण-त्रुटक...(१२४२).. सावज्जजोगविरई उक्कित (पे.पृ. १३०) (कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छ.] (पे.पृ.?) पे.वि. : गाथा-९४. [कृ.वि. : गाथा परिमाणमा ४० थी ९४ सुधीनुं वैविध्य जोवा मळे छे. आनी साथे संकळाएल केटलीक प्रतो वीरभद्र (पे.२) आतुरप्रत्याख्यान लघु गा.६० 248 Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता कति प्रकार (पे.३) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक १७१ (पे.४) संस्तारकप्रकीर्णक (पे.५) तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक (पे.६) चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक (पे.७) देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष गणि वाला आउर पच्चक्खाणनी अगर 'अरहन्ता मंगलं मज्झ...' आदिवाक्यवाला के पछी "कुससत्थरे निसन्नो...'वाला आदिवाक्य वाला आउर पच्चक्खाणनी पण होई शके (महावीर जैन विद्यालयथी आ बन्ने छपाया छे)] गा. १७२ ग्रे. नमिऊण महाइसयं महाणु पद्य (पे.पू. १लु) पे.वि. : गाथा-१७१. [कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे.] गा.१२४ काऊण नमोक्कारं जिणवर पद्य (पे.पू.) पे.वि. : गाथा-१२२. गा.३४५ निज्जरियजरामरणं : पद्य गा. १७४ जहमत्थगच्छयाणं विगसिपद्य (प.पू.... गा.३८० अमरनरवन्दिए वन्देिऊण. पद्य (पे.पृ.) पे.वि. : गाथा-३००. [कृ.वि. : गाथा ३०० थी ३११ मळे छे...... गा.८६ वोच्छं बलाबलविहि (प.पू.).पे.वि. गाथा-८५. एस करेमि पणामं तित्थ (पे.पू.) पे.वि. : गाथा-१४३. नमिऊण जिणं जयजीवबन्ध पद्य (पे.पू. 20 आहारे उवहिम्मि अ (पे.पू.).पे.वि. : गाथा-४४. नमिऊण महवीरं तिय (पे...?).पे.वि. : गाथा-१३८. तिहअणसरारविन्द पद्य (पे.पृ.) पे.वि. : गाथा-६५२. [कृ.वि. : गाथा २६५२ थी ६६१ सुधी मळे छे.. १६९-२(१थी २)=१६७ .....:५८/६०(३४)...(जुनो नं. ४९(१)/त्रुटक-नकामुं. भद्रबाहस्वामी नमो अरिहन्ताणं.. संयुक्त प+ग जीर्ण त्रुटक ३०७-१(१)-३०६ ५८/६० (जुनो नं. ८७(पने३))त्रुटक ने अपूर्ण पालित पद्य :गा.१४3 पद्य गा.४३ (पे.८) गणिविद्याप्रकीर्णक (पे.९) महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.१०) वीरजिनस्तव (पे.११) अजीवकल्पप्रकीर्णक (पे.१२) गच्छाचारप्रकीर्णक (पे.१३) मरणसमाधि प्रकीर्णक गा.४५ :पद्य गा.६६१ कल्पसूत्र ताडपत्र : मलयगिरिसरि स्पष्टं चराचरं विश्व ज्योतिष्करण्डक तथा कथाकोश व्याख्यासहित सटीक (प.) ज्योतिष्करण्डकसूत्र-वृत्ति..... (पे.२) कथाकोश कथाकोश-टीका सामाचारी गद्य ...२-३०७. (पे.पू. १९५-२४६) : गद्य संपूर्ण ५८/६०(३४) (जुनो नं. ७१(२))त्रुटक-अपूर्ण. /प्रतिष्ठाप्रभृति.. (१४.५४२) 249 Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कति प्रकार :७१ जीर्ण :ताडपत्र (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार ग्रंथांकपत नाम स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष सूक्तसङ्ग्रह संपूर्ण ताडपत्र ७८ ५८/६०(३१) (जुनो नं. ३२४)अपूर्ण. अन्तिम बे पत्रो अवाच्य छे. श्लोक-७०५ थी पण बधारे छे. /एक बाजुनी कोरो खरी गई छे. झेरोक्ष पत्र-८ नथी..(१३४२).. जयतिसरोरुहवसतिनिगम पद्य कौटिल्य अर्थशास्त्र/टीका जीर्ण संपर्ण ८२ ५८/६०(३०) (जुनो नं. २९२)अधिकरण पहेलो ने बीजाअधिकरणना अध्याय २ सुधी..(१३४२.२). (पे.9) कौटिल्यअर्थशास्त्र काटिल्यसं. (पे...६४) (ये.२) कौटिल्यअर्थशास्त्र-टीका (पे.पृ. १८) [कृ.वि. ....कौटिल्यराजसिद्धान्तटीकायां.... बृहत्सग्रहणी आदि वि.१२७२ :२३९ ५८/६०(४४) (जुनो नं.२९९)प्रति० वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है...(१३४१.५). (2.9) बृहत्सग्रहणीप्रकरण गा.५३४ (प.पू. ?) (ये.२) कालचक्र गा.३४ (पे.पृ.?) [कृ.वि. : अन्त वाक्य- ...सूरीहि संकलिया) (पे.३) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण :जिनभद्र गणि प्रा. गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य (पे.पृ.) [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे] .(पे.) प्रवचनसन्दोह गा. ३५५. सारस्सयमाइच्चा विण्ह (पे.पू.?). (पे.५) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण जिनवल्लभ गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं (पे.पृ. ?) [कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे] प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति .. (ये.६) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.पृ.?)[कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे.] कर्मग्रन्थ (पे.७) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय बन्धेविसोत्तरसयं (पे.यू. ?) कर्मग्रन्थ-भाष्य प्रथम (2.2) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रर्षि महत्तर प्रा. गा.९१ सिद्धपएहि महत्थं (पे.पृ. ?) [कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओं ८३थी ९१ सुधी मळे छे] (ये.२) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ : शिवशर्मसूरि प्रा. :गा.१११ अरहन्ते भगवन्ते अणु पद्य (पे.पृ.?) पे.वि. : गाथा-990. [कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे.] (पे.१०) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम ....गर्षि ....... प्रा.. गा. १६७ व वगयकम्मकलङ्क वीरं पद्य पे.पृ.?) पं.वि. : गाथा-१६८. [कृ.वि. : गाथा प्रा. क्षमाश्रमण गा.५८८ पच 250 Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता कति प्रकार ताडपत्र पद्य (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.] संपूर्ण ७३-१५(१थी १५)-५८ ५८/६०(३२) (जुनो नं. ३१५)२०मुं पार्नु नथी. अपर्भ (प.पू. १६-२४).. (पे.पू. १-१२) गा.३५ नमिऊण नमिरतियसिन्दपद्य (पे.पू. १३-१७) पे.वि. : अपूर्ण :अपभ्रं पद्य (प...१.१७) पे.वि. : वचमा पत्र गया छे. (पे. पृ. १८-३८). हेमचन्द्रसरि अध्याय १२प्रका नमो दुर्वाररागादिवैर (पे. पृ. १६)....... वरदत्त गा. ९९ ग्रं. अहु जण! निसुणेज्जहो पद्य :पद्य कर्मग्रन्थ अवन्तीसुकुमारसन्धि आदि (पे.2) अवन्तिकुमार सन्धि (पे.२) गिरनाररास (पे.३) संयममञ्जरीप्रकरण (पे.४) उपदेशरसायनरासक (पे.५) योगशास्त्र १२ मा प्रकाश योगशास्त्र (पे.६) वयरस्वामी चरित्र- प्रथम सन्धि वइरसामिचरिउ अपभ्र गा.८० :जीर्ण त्रुटक ताडपत्र १२० सर्वज्ञं सर्वदेवार्च ताडपत्र सिद्धहेमलघुवृत्तिअवचूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्तिनी । अवचुरि दशवैकालिकसूत्र आदि (पे.१) दशवैकालिकसूत्र (पे.२) पाक्षिकसूत्र (पे.३) पगामसज्झाय (पे.४) अजितशान्तिस्तोत्र त्रुटक प्रा. शय्यम्भवसरि ग्र.७०० ग्रं.३५० १०९ धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ तित्थड़करे य तित्थे इच्छामि पडिक्कमिडं. अजियं जियसव्वभयं ग्र.५० नन्दिघेण गा.४० अभय गणि ५८/६०(३४).... (जुनो नं. २६)त्रुटक-अपूर्ण-जीर्ण.. (११४१.५) गद्य जयानन्दसूरिशिष्य अमरचन्द्रकृत? रचना संवत १२६४? ५८/६०(५३)......(जुनो नं. २४८).... संयुक्त प+ग (पे.पू. १-५२). संयुक्त प+ग (प.पू. ६०-८५)... (पे.पू.८५-९३2. पद्य (पे.पृ. ९४-१००) [कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. (प.पू. १०१-१०१) ५८/६०(१७) :(जुनो नं.८६(१-८))वचमां घणा पानां नथी. (पे...2 (पे.पृ.) पे.वि. : इसके अन्दर दृढप्रहारी, खंधक, आर्यमंग, सागरचन्द्र, दत्तकथानक, वसुतेजः व नागकेतु कथा सम्मिलित है. [कृ.वि. : विशिष्ट रचना प्रशस्ति. /तरंग-१५.. (प.पू. (पे.पृ. १८-१२९) अपभ्रं अपर्ण जीर्ण (प.५) सुभद्राचरित्र दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह (2.9) अमृताष्टमीकथा (पे.२) कथारलसागर पणमेविणु जिणु सन्ति १५६-१(१)=१५५ श्रीवीरवदनकलश... श्लोक ९२ सं. अध्याय १५ नरचन्द्रसूरि मलधारी (पे.३) मूलशुद्धि (पे.४) अज्ञात अलड़कार ग्रन्थ Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीबीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता শাখা परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति प्रकार गा. १०३ (पे.पृ.) पे.वि. : अपूर्ण जिनभद्र गणि प्रा. गा.३६७ निवियअट्ठकम्म (पे.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण प्रा. पद्य (ये.५) क्षेत्रसमासप्रकरण (पे.६) सङ्ग्रहणीप्रकरण क्षमाश्रमण : जिनवल्लभ प्रा. गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं पद्य (पे.७) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति (पे.८) धर्मोपदेशमालाप्रकरण.... उपदेशमाला आदि (ये.१) उपदेशमाला सारिरि प्रा. गा. १०३ जयसिंहसरि जीर्ण धर्मदास गणि (प.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण. [कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे.].... (पे.पू.) (जुनो नं. ८५)नकामी.. (१०x२) (पे.पृ. १-४४) [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे त्रटक भयर्व दसन्नभद्दा... ........... पद्य २१० ५८/६०(४४) नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य ताडपत्र गा. ५४४ छे]-- गा.१०३ भयर्व दसन्नभद्दो... (पे.२) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) पञ्चकल्याणकप्रकरण जयसिंहसूरि जिनेन्द्रइन्द्र गा. १३७ तित्थं पवयण सुयदेवयं पद्य (पे.४) धर्मोपदेश (ये.५) गौतमपृच्छा प्रकरण गा..५५.. गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण (प.पू..४६-६८) पे.वि. : ४५ पत्र नथी. (पे.पृ.६८-८१) पे.वि. : पत्र ६९ थी ८० नथी. [कृ.वि. : कर्ता? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छेल्ली गाथाओमां तफावत होय छे... (मे...८१-८५2....... (पे.पृ.८५-८९) [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे] (पे.प्र. ९०-१५७) पे.वि. : पत्र-११६ थी १२३ ने १२५ थी १५६ नथी. [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे] (पे.पू. १५७-१७३) पे.वि. : आदिना५श्लोक नथी. [कृ.वि. गाथा १७५ थी १७९ सुधी मळे (पे.६) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसूरि गा.२१४ वन्दामि सन्चन्नुजिणि (पे.७) शालिभद्रचरित्र :गा.१७५ :सुरवरकयमाणं नट्ठनीसे पद्य छ. (पे.८) सुबाहुकुमारकथा गा.२१५. अत्थेत्थ भरहवासम्मि (पे.पृ. १७४-१९८) [कृ.वि. : गद्यपद्यमय.] (पे.२) दुसमगंडिया/ विषमदंडिका...... दुषमगण्डिका (पे. पृ. १९८-२०७) पे.वि... गाथा-११२: कृ.वि. : गाथा-८३-१०४ सुधी मळे छे. :नमिऊण जिणवरार्ण पद्य गा.८१ ग्रं. १०४ (पे.१०) जम्बूद्वीपसग्रहणी ह रिभद्रसूरि प्रा. गा.३१. वन्दिवि जिणं सवनु पद्य (पे.पृ. २०७-२१०) १५० 252 Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति प्रकार जीर्ण संपूर्ण २०७ ५८/६०(४४)...(जुनो नं. २३६)जीर्ण-त्रुटक, चोंटेलु-नकामुं. नेमिचन्द्रसुरि गा. १५९९ ग्रं. नमिऊण जुगाइजिणं वोच : पद्य प्रवचनसारोद्धार ताडपत्र २००० चैत्यवन्दनादिभाष्य :जीर्ण त्रुटक ताडपत्र (६०) पत्र त्रुटक है तथा अस्त-व्यस्त हालत में झेरोक्ष हुआ है. गा. १२२.. त्रुटक ताडपत्र चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि (पे.१) चैत्यवन्दनभाष्य (पे.२) प्रत्याख्यानभाष्य (पे.३) श्राद्धदिनकृत्य वन्दित्तु वन्दणिज्जे. १२० तिणि निसिही... (६०) गा.६३ गा 41 गा.३४० वीरं नमेउण तिलोयभाणु पद्य नत्वा जगदगरुदेवं.. (पे.४) आराधना महती (पे.५) स्तोत्रावली (पे.६) गुरुवन्दनकभाष्य (पे.७) मालाआदिनाथ EIERE गा.२४ (जुनो नं. ७८), (१०x१.५) लेखन स्थल : पत्तन (पं.पू. १-६)... (पे.पू. ६-११).. (पे.पृ. ११-४६) [कृ.वि. : गाथा-३३९ थी ३४४ सुधींनी संख्यामां मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य ? (पे.पृ. ४४-६६) (पे.पू.) (पे.पू... (पे.पू.?) [कृ.वि. : गायकवाड केटलॉगमां 'मालाआदिनाम(?) आ रीते छ.] (पे.पृ. 2) (पे...22. (पे.पू... (पे.पृ.) (पे... (पे.पू.) (पे.प्र.) (पे.प्र.) [कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छ.] लतसार :गा.३९ गा. १६ गा. ३९. पद्य (पे.८) शत्रुञ्जयतीर्थकल्प (पे.९) सुगरिठ्ठ (५.१०) गिरनारकल्प (पे.११) शाश्वतचैत्यस्तोत्र (पे.१२) नवकारस्तोत्र (पे.१३) कालसप्ततिकाप्रकरण (पं.१४) ऋषभपञ्चाशिका (पे.१५) अजितशान्तिस्तोत्र गा.३२ गा.३४ पद्य धर्मघोषसरि गा. ७४ गं ९० गा. जय जन्तुकप्पपायव! अजियं जियसव्वभयं नन्दिषेण गा.४० (पे.१६) सुअधम्म (पे.१७) समवसरणस्तव (पे.१८) कल्याणक. धर्मघोषसूरि थणिमो केवलिवस्थं (पे.पृ.) (प.पू.). गा.२० 253 Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ८७ ८८ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १९) सङ्ग्रहणीप्रकरण कल्पसूत्र तथा कालकाचार्य कथा (पे.१) कल्पसूत्र (पे. २) कालिकाचार्यकथा उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र (पे. १) उपदेशमाला 1 (पे. २) पार्श्वनाथाष्टक (पे.३) कर्मग्रन्थ की टीका कर्मग्रन्थ टीका (पे.४) आवश्यक नियुक्ति सह टीका आवश्यक सूत्र- निर्युक्ति आवश्यक सूत्र -निर्युक्ति टीका 1. (पे. ५) शान्तिनाथचरित्र (पे.६) पार्श्वनाथचरित्र (पे.७) कर्मप्रकृतिविषयक पाठ सह टीका कर्मप्रकृतिविषयक पाठ कर्मप्रकृतिविषयक पाठ- टीका (पे.८) बन्धुराजकथानक (पातासंघवीजीर्ण) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार परिमाण क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार कर्ता रचना वर्ष गा. २७३ पद्य श्रीचन्द्रसूरि मलधारि जीर्ण भद्रबाहु स्वामी जीर्ण धर्मदास गणि भद्रबाहुस्वामी जयसिंहसूर भाषा प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. त्रुटक प्रा. सं. सं. प्रा. सं. सं. प्रा. सं. प्रा. ताडपत्र ग्रं. १२८० गा. १५४ ताडपत्र गा. ५४४ श्लोक ८ गा. २५०० ग्रं. ३१०० गा. ७७ 254 आदिवाक्य नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव ९७ नमो अरिहन्ताणं.... नमिऊण जिणवरिन्दे द्युतमणि द्योतता जयइ जगजीवजोणी वियाणओ ५८/६० (८४) संयुक्त प+ग पद्य ५८/६० (९०) पद्य पद्य पद्य पद्य गद्य पद्य पद्य पद्य यद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पृ. १२१-१५२) (जुनो नं. १५१ ) कागळमां- जीर्ण. (पे. पृ. ९०२) (पे. पू. ७?) पे. वि. गाथा- १५४. (जुनो नं. ११९) नकामी. / झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे (पे.पू. ?) पे.वि.: गाथा ६ तक ही उपलब्ध है. झेरोक्ष पत्र २ पर यह कृति है. [कृ. वि. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे.पू. ?). (पे. पृ. 2) पे.वि. इस कृति के पत्र क्रमशः नहीं (पे. पृ. ?) पे.वि. झेरोक्ष पत्र ७-८ पर है. / यही कृति होने की संभावना है. संदर्भ पूरा-पूरा नहीं मिल पाया है. कृ. वि. आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. (पे.पु. ?) पे. वि . : . झेरोक्ष पत्र १३-१६ पर है. (पे.पृ. ?) (पे. पृ. 2) पे.वि.: त्रुटक पत्र है. झे. पत्र - १७-२२. पर है. + कृ. वि. विषय को देखकर काल्पनिक नाम दिया गया है. प्रामाणिक संदर्भ पाठ मिलने पर सही नाम दिया जाएगा. (पे. पृ. ?) पे.वि. झे. पत्र २४-३३ अन्तर्गत है. Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/ओ.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार प्राणातिपातविरतिप्रथमातिचारविपाके (पे.२) अंगारमर्दकाख्यान सह टीका (पे. पृ.?) पे.वि. : यह कृति झे.पत्र ३३-३५ अन्तर्गत है. अगारमर्दकाख्यान अङ्गारमर्दकाख्यान-टीका (पे.१०) ब्रह्मदत्तचक्रिचरित्र ग्रं.३०३० (पे.पृ.) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र ३७ पर समाप्तिसूचक पुष्पिका है. (पे.पृ.) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र ३७ से प्रारंभ होता (पे.99) उदायिनृपमारककथानक (पे.१२) प्रकीर्ण कथासंग्रह (पे. पृ.?) पे.वि. : अनिर्णित कथासंग्रह के लिये इस कृति का चयन किया गया है. कथासङग्रह (पे.१३) बृहत सड़ग्रहणीप्रकरण नियट्ठवियअट्ठकम्म जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाश्रमण (पे.१४) पिंडनियुक्ति सह टिष्पन (पे.पृ.) पे.वि. : यह कृति झे.पत्र ४१-४८ अन्तर्गत है. [कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे] (ये. पृ.) पे.वि. : क्रमबद्ध नहीं है./यह कृति झेरोक्ष पत्र ७,४८,५५,५६,५९,६० व ७२-८२ पर त्रुटित रूप में उपलब्ध है.. कृ.वि. : गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. गा.६९७ पिण्डे उगम उप्पायण पद्य गछ पिण्डनियुक्ति पिण्डनियुक्ति-टिप्पण (पे.१५) सुन्दरिदेवीकथानकशीलव्यावर्णने (पे.१६) ओघनियुक्ति गा.१०१ पद्य कमकालो सामा : पद्य :गा. ११६३ ग्रं. : १४३२ (पे.पृ.?) [कृ.वि. : अन्त वाक्य- धम्मे आयरं कुणह] (पे.पू.?) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र ६३-७८ तक क्रमशः यह कृति है. [कृ.वि. : गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे] (पे.पृ. ७२-८०) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८३८७. बृहत्सर्वज्ञसिद्धि की कारिका नं.१ ताडपत्रीय पत्रांक ७८ पर व झेरोक्ष पत्र ८६ पर मिलती है. इस प्रत में उल्लिखित पद्य बृहत्सर्वज्ञसिद्धि से मिलता है परन्तु गद्यांश भाग इससे सर्वथा भिन्न (पे.१७) सर्वज्ञसिद्धिनिरूपण Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ८९ ९० प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १८) अलङ्कारविवरण ललितविस्तरा चैत्यवन्दनटीका आदि (पे. १) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र-ललितविस्तरावृत्ति (पे. २) दानादिप्रकरण (पातासंघवीजीर्ण) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष (पे. २) व्याश्रयमहाकाव्य की अभयतिलकीय टीका स्थिति कर्ता जीर्ण हरिभद्रसूरि सूराचार्य (पे.३) सुकोशलकथा (पे.४) विपाकसूत्र कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के जीर्ण छूटक पन्ने (पे. १) कल्पसूत्र सुधर्मास्वामी भद्रबाहुस्वामी सिद्धहेमशब्दानुशासन- द्व्याश्रय संस्कृत अभयतिलक महाकाव्य-वृत्ति (पे. ३) अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक भाषा सं. त्रुटक सं. सं. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. प्रा. परिमाण ताडपत्र अध्याय ७अवसर श्लोक ५२६ ग्रं. १३१६ ताडपत्र ग्रं. १२८० ग्रं. १७५७४ वि. ११८५ वि. १३१२ 256 आदिवाक्य १२ प्रणम्य भुवनालोकं तेणं कालेणं तेणं नमो अरिहन्ताणं... क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य ५८/६० (६०) गद्य पद्य ५८/६० (३०) संयुक्त प+ग गद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष है. सर्वज्ञसिद्धि विषयक कोई नयी कृति लगती है. झेरोक्ष क्रमबद्ध नहीं किया गया है. [कृ. वि. : दिगम्बर आचार्य श्रीअनन्तकीर्ति रचित बृहत्सर्वज्ञसिद्धि नामक कृति में उल्लिखित पद्यांश भाग से इस कृति की सभी कारिकाएँ मिलती है। परन्तु गद्यांश भाग सर्वथा भिन्न है. ये पद्यांश भाग श्री कुमारिल भट्ट निरूपित पूर्वपक्ष मंडनात्मक है .] (पे. पृ. ?) पे.विं. त्रुटक. झेरोक्ष पत्र- ८७-९०. झेरोक्ष पत्र ८७ नं. एक पत्र अतिरिक्त है. कोई अलंकार ग्रन्थ है पर स्पष्ट रूप से कौन सा ग्रन्थ है वह पता नहीं. (जुनो नं. ४७ ( २ )) (पे.पृ. १२) (पे.पृ. ?) पे.वि. सप्तम अवसर, वि. सं. १२८३. (पे.पृ. ३८-६७) पे.वि. ३८ थी ६७ नं. पेज छे. चुटक (पे.पु. ?) पे.वि. वि.सं.-१२०३. (जुनो नं. ३२० ) त्रुटक - अव्यवस्थित. (पे. पृ. ?) पे.विं. त्रुटक. पत्र अस्त-व्यस्त है. झेरोक्ष पत्र-४३-५४,६०-६७. (पे. पृ. 2) पे. वि. मात्र प्रारंभिक भाग है. झेरोक्ष पत्र ५५ पर है. रचना स्थल प्रहलादनपत्तन (पे. पृ. ?) पे. वि. अपूर्ण. पत्र अस्त-व्यस्त है. Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कति प्रकार (पे.४) क्षामणकसूत्र (पे.५) पार्श्वनाथस्तुति (पे.६) वीरजिनस्तुति का.४ (पे.७) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (पे.८) दर्शनसप्ततिकाप्रकरण गा.७० (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झेरोक्ष पत्र-७४-?. (पे.पू.) पं.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-९०-९१. निष्ठरकमठमहासूर.::.. (पे.पू...पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९३ पर है. ..नौमि वीरं... पद्य (पे.पृ.?) पे.वि. : पूर्ण, श्लोक-१ का प्रथम पाद अपूर्ण है. झेरोक्ष पत्र-१२ पर है. । जिनभद्र गणिप्रा . गा.८६ नमिउण सजल जलहरपद्य (पे.पृ.) पे.वि. : अपूर्ण झेरोक्ष पत्र १२ पर है. क्षमाश्रमण [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे] हरिभद्रसूरि प्रा. दसणसुद्धिपयासं पद्य (पे.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण. मात्र अन्तिम पत्र है. झेरोक्ष पत्र ९२ पर है. हेमचन्द्रसूरि सर्ग १३ श्लोक श्रीमते वीरनाथाय पद्य (पे.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण. स्थिविरावली के दूसरे ३५०० सर्ग का अन्त भाग है. झेरोक्ष पत्र ९२-९३ पर है. ग्रं.२००० सिदिविवन्धव बन्धु (पे.पृ.) पे.वि. : अपूर्ण व त्रुटक.पत्र अस्त-व्यस्त हैं. झेरोक्ष पत्र-१-२२ व १०५-१४४. झे. पत्र १ २२ का पाठ १०५-११० पर भी मिलता है. बीच में अन्य दूसरी कृतियाँ हैं. (पे.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण. इस कृति का क्या आदिवाक्य है किस पत्र पर है आदि का कोई संदर्भ नहीं मिलता. कृ.वि. : : पार्श्वनाथचरित्राद्धृत] (पे. पृ.) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. सुधर्मास्वामी अध्याय ३६ ग्र. सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग (पे.९) परिशिष्टपर्व (पे.१०) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-चूर्णि (पे.99) सामाचारीध्यान? (पे.१२) उत्तराध्ययनसूत्र सह टीका उत्तराध्ययनसूत्र गय उत्तराध्ययनसूत्र-वृत्ति (पे.१३) सामाचारी (पे.१४) नेमिजिन स्तुति पद्य अपभ्रं. निरुवमसहतरुकन्द पद्य (प.पू.) पे.वि. पूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. (पे.पृ.) पे.वि. : अपुर्ण. गाथा-३ तक है. झेरोक्ष पत्र ८३ पर है. (क.वि. : गाथा ३से अधिक है] (पे.पृ.) पं.वि. : अपूर्ण. कृतिनाम अस्पष्ट है. झेरोक्ष पत्र८८-८९ पर है. (पे.पू.) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९९-१०० पर: (पे.१५) पढमस्सयकज्जगाथा गा.१५ पढमस्सयकज्जस्सा पढने (पे.१६) षड़िवथलेश्या .............: गा. १२ ........... जह जम्बुपायवेगों पद्य Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १७) उपदेशमाला सह टीका धर्मोपदेशमालाप्रकरण धर्मोपदेशमालाप्रकरण- टीका (पे.१८) मुनिसुव्रतजिनस्तुति (पे. १९) ज्योतिष करणादि नाम य चतुर्थ पर्व (पे. २०) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे. २१) जिनस्तुति (पे. २२) शान्तिजिनस्तुति (पे.२३) औपदेशिकगाथा ( पे. २४) नायकनायिकावर्णन (पे. २५) पुव्वाभिमुहो उत्तरमुहोगाथापार्श्वनाथचरित्रादुद्धृत (पे. २६) जम्बूद्वीपसमास (पातासंघवीजीर्ण) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र कर्ता क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष जयसिंहसूर अजितदेवसूरि भाषा प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. परिमाण गा. १०३ ग्रं. १३८६८ मा. २० गा. ५८ गा. ४ गा. ८ गा. २६ गा. ९४ 258 आदिवाक्य भयवं दसन्नभद्दो.. बवं च बालवं चैव कोल नमिऊण जिणवरिन्दे मदनधनसमीरं प्राप्त अणुरत्तो भविगओ.. पुव्वाभिमुहो उत्तर पद्य गद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ. पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष है. 8 (पे. पृ. ३११वा) पे.वि. अपूर्ण. मात्र अंतिम भाग है. झेरोक्ष पत्र- ७०-७१. (पे. पृ. ?) पे.वि. अपूर्ण. प्रारंभिक ५ गाथाएं नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र-७८-७९ [कृ. वि. अन्तवाक्य- देहि मह मोक्खसोक्खं कप्पियफल कप्परुवख तुमं.] (पे. पृ. ?) पे.वि. पूर्ण. गाथा ६ तक मिलती है. झेरोक्ष पत्र ८८-८९ पर है. (पे.पू. ?) पे.वि. अपूर्ण. गाथा-१२ तक है. झेरोक्ष पत्र ९०-९१ पर है. कृ. वि. गाथा ५४ थी ५८ मळे छे.] (पे.पृ. ?) पे. वि. अपूर्ण. संभवतः चार श्लोकवाली स्तुति का मात्र पहला श्लोक है. झेरोक्ष पत्र ९३ पर है. * 8 (पे.पू. ?) पे.वि. अपूर्ण. प्रारंभिक गाथा नहीं है. झेरोक्ष पत्र ९२-९३ पर है. [कृ.वि. अन्तवाक्यदिसउ मम सुहं बंभसंती सुकंती.] (पे.पू. ?) पे.वि.: संपूर्ण झेरोक्ष पत्र ९१ पर है. (पे. पृ. १८२-१८७) पे.वि. अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९४ ९५. पर है. H (पे. पृ. १६३-१६३B) पे. वि. अपूर्ण. प्रारंभ के पत्र नहीं है. झेरोक्ष पत्र - १०३-१०४. / झेरोक्ष पत्र६८-६९. (पे.पू. २००-२०५) पे.वि. ऐसी कृतियां जिनकी स्पष्ट पहचान न हो पायी है तथा अपूर्ण है व पन्ने अस्त-व्यस्त हैं. झेरोक्ष पत्र- २२-४२. अन्य कृतियों की स्पष्टता हेतु संपूर्ण प्रत को एक बार पुनश्च देखना आवश्यक है. [ कृ. वि. अन्तवाक्य तारागण Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता कति प्रकार (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कोडिकोडीणं] (पे.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण, संदर्भरहित, त्रुटक, संदिग्ध व परचूरन कृतियों का संग्रह. :जीर्ण सपूर्ण :५८/६०(४०) (जुनो नं. ३२२)जीर्ण-अव्यवस्थित. (पे.२७) प्रकीर्ण त्रुटित ग्रन्थसङ्ग्रह ताडपत्र तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि (पे.१) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र उमास्वाति अध्याय १० सम्यग्दर्शनज्ञानचारि (पे.२) प्रशमरतिप्रकरण उमास्वाति :श्लोक ३१४ वि. ११८५ नाभेयाद्याः सिद्धा पद्य (३) मेघराजाकथानक (पे.४) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ जो देइ दीवयं जिणवरस ववगयकम्मकलकं वीरं पद्य पद्य maig गा. ५८ नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.५) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (प.पू. -२२१8) पे.वि. : पूर्ण, ताडपत्रीय प्रथम पत्र नहीं है. प्रारंभिक से ६ कारिकाएं नहीं है. झेरोक्ष पत्र-9-१२ (पे.पृ. २२-५०) पे.वि. : पूर्ण, गाथा-३११ तक है. झेरोक्ष पत्र-११-२६. झेरोक्ष पत्रांक १२ के आधे पत्र का झेरोक्ष कट गया है.. (प.पू.22.पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्रांक २७ से है.. (पे.पृ.) पे.वि. संपूर्ण. गाथा-१६६./यह कृति झेरोक्ष पत्र ३५-२९ (२९-३५) पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. कृ.वि. : गाथा १६६ थी। १७८ सुधी मळे छे] (पे.पृ.) पे.वि. : संपूर्ण. गाथा-५२./झेरोक्ष पत्रांक ३७-३५ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष हुआ है.क्र.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे] (पे.पृ. ५-२०4/ पे.वि.पूर्ण. प्रारंभिक पाठ का त्रुटक अंश उपलब्ध है. झेरोक्ष उलटे क्रम से किया गया है. झेरोक्ष पत्र-३७-४६. (पे.पृ. १-२) पे.वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४७-४८. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. [कृ.वि. : अन्त वाक्य-सव्वेसि मवठियसहावो.].. (पे.पृ. २-३) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ४७-४८ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. कृ.वि. : अन्त वाक्य-विरल विरला तिहुयण नमियं महावीरो (पे.पू. ३०-8A) पे.वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ४७-४८ (पे.६) प्रवचनसन्दोह नमिऊण वद्धमाणं ववगय पद्य अध्याय६पद गा.३३४ (पे.७) औपदेशिक पाठ गा. १३ भो भव्वा अथिरते :पद्य (पे.८) औपदेशिक गाथा विरलासधम्मरया विरला पद्य (पं.९) थर्मप्रभावगाथा प्रा. गा. धम्मेण धणसमिद्धो प द्य 259 Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ९२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १०) पापफलप्रतिबोधकगाथा (पे. ११) मिच्छाउक्कडकुलक ओघनियुक्ति आदि अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक आदि (पे. 9) सूर्य आभ्यन्तर मण्डल विवरण (पे. २) साधु श्रावकव्रतनिरूपण (पे.३) ओघनिर्युक्ति (पे. ४) अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक (पे. ५) ढड्ढसियचरिय (पे.६) श्रेष्ठिसेनकथापञ्चमाणुव्रतेपरिपालनदृष्टान्ते (पे.७) विजयश्रेष्ठिकथा (पे.८) श्रावकधर्मोपरि कथा (पातासंघवीजीर्ण) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र कर्ता क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष जीर्ण भद्रबाहुस्वामी जिनदत्तसूरि भाषा प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा.सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण गा. १० गा. १५ ताडपत्र गा. ११६३ ग्रं. १४३२ गा. २०३ गा. ७४ 260 आदिवाक्य पावेण जक्खुडीरो पावर जे कोवीय पाणगुणो सव्वेसि सूराणं सुर्द में आउसे तो इह दुविहोवक्कमकालो सामा खेत्ते वत्थु हिरं सजुत्ते जो धरई पद्य पद्य ५८/६० (९०) प गद्य पद्य गद्य पद्य पद्य पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. [कृ.वि.: अन्त वाक्य सइमइविहवो पवित्थरइ.] (पे. पृ. ४A-४B) पे. वि. संपूर्ण झेरोक्ष पत्र ४७-४८ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. 2 [कृ.वि. - अन्त वाक्य सो धन्नो जो धम्मं सव्वन्नुमयं सया कुणइ .]. (पे. पृ. ४B-५B) पे.वि. अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ४५४८ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. /गाथा १५ तक ही उपलब्ध है. [कृ.वि. : गाथा पूर्णता अज्ञात गाथा इसके बाद भी होनी चाहिये.] (जुनो नं. ३२३) जीर्ण- त्रुटक- अव्यवस्थित / झेरोक्ष पत्र के उपर कथासूची आपेली छे. (पे. पृ. ?) पे.वि. झेरोक्ष पत्र ४ पर उपलब्ध है. (पे. पृ. १-७) पे. वि. अपूर्ण. पूर्णतासूचक संकेत अनुपलब्ध है. झेरोक्ष पत्र-११-१४. (पे. पृ. १-८) पे.वि.: गाथा ६१ तक ही उपलब्ध है. [कृ.वि.: गाथा - ११४० थी ११९० सुधी मळे छे.] (पे.पू. ?) (पे. पृ. २-२६A) पे.वि. उपलब्ध है. [कृ.वि. होओ.] झेरोक्ष पत्र ३२-३९ पर अन्तवाक्य- एयं चरियं जए (पे. पृ. २६-३६A) पे.वि. झेरोक्ष पत्र ३९-४३ पर यह कृति उपलब्ध है. (पे. पृ. ३६-४७B) पे.वि. अपूर्ण. गाथा-९३ तक है. अन्त के पत्र नहीं है. झेरोक्ष पत्र ४३- ४९ पर यह कृति उपलब्ध है. (पे. पृ. ५०-५७) पे.वि.: आद्यन्तभाग अपूर्ण है. [कृ. वि. अन्तवाक्य- सावगधम्मस्सपरमत्थो .] Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ९४ ९५ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. ९) धनदकथानक चतुर्थव्रततृतीयातिचारविपाके (पे. १०) दढधम्मकहा (पे. ११) मित्रसेनराजाकथा कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो (पे.१) कल्पसूत्र (पे. २) उत्तराध्ययनसूत्र (पे.३) कालिकाचार्यकथा (पे.४) कल्पसूत्र - टिप्पण (पे. ५) पर्युषणकल्पनियुक्ति सह चूर्णि कल्पसूत्र-निर्युक्ति कल्पसूत्र - निर्युक्तिनी चूर्णि (पे.६) कल्पसूत्र कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंही टीका, सूत्रकृताङ्गटीका व अन्य ग्रन्थों के त्रुटक पत्र (पे.१) कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्ति (पे.२) सूत्रकृताङ्गसूत्र- टीका (पातासंघवीजीर्ण) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष स्थिति कर्ता जीर्ण भद्रबाहुस्वामी सुधर्मास्वामी विनयचन्द्रसूरि भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी जीर्ण दुर्गसिंह भाषा प्रा. प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. सं. प्रा. संपूर्ण सं. सं. परिमाण गा. १०४ गा. १०१ ताडपत्र ग्रं. १२८० अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ गा. १३१ ग्रं. ४१८ गा. ६७ ग्रं. १२८० ताडपत्र 261 आदिवाक्य कक्खोरुहवयणाईरमणीणमन पद्य जिणधम्मं लहिऊणं जाण दानशीलतपः सम्पद्भावन 10 नमो अरिहन्ताणं.. सञ्जोगाविप्यमुक्कस्य सौवर्णः सूत्रभृद्भि पज्जोसमणाए अक्खराई पज्जोसवणा एतेसिं नमो अरिहन्ताणं... ० देवदेवं प्रणम्यादौ पद्य पद्य ५८/६०(१४४) संयुक्त प+ग संयुक्त प+ग पद्य गद्य पद्य गद्य संयुक्त प+ग (४८) गद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. ५७-६९A) पे.वि. यह कृति झेरोक्ष पत्र ५३-५७ पर उपलब्ध है. (पे. पृ. ६९-७९B) (पे. पृ. ७९-८५) पे.वि. अपूर्ण अन्त के पत्र नहीं है. श्लोक-६१ तक है. (जुनो नं. २८४) जीर्ण- त्रुटुक - अव्यवस्थित (पे. पृ. 2) पे.वि. (पे.पृ. ?) पे.वि. ८३-९४ पर है. झेरोक्ष पत्र १-८, २१-३४. झेरोक्ष पत्र ९-२२, ३५-४४, (पे.पृ. ?) पे.वि. झेरोक्ष पत्र १०८ पर पूर्ण हुआ है इसका संबंध पहले से चालू है. [कृ.वि.: अन्त वाक्य-जह भणियं पुव्वसूरींहि .] (पे. पृ. 2) पे.वि. झरोक्ष पत्र १०८ से अन्तिम पत्र तक है. [कृ.वि.र.सं. वाण. खेंदुवर्षे ] (पे. पृ. ?) पे.वि. झेरोक्ष पत्र ७३-८२ तक यह कृति है. (पे.पृ. ?) पे.वि. कल्पसूत्र ही होने की संभावना है. झेरोक्ष पत्र ४५-६२ एक समान तथा ६३-७२ पहले (४५-६२) से थोड़ा अलग है परन्तु कल्पसूत्र ही होना चाहिये. टिप्पण का भी किञ्चित् अंश मिलता है. (जुनो नं. २९३ ) जीर्ण- त्रुटक- अव्यवस्थित (पे. पृ. २) पे. वि. (पे.पृ. 2) पे.वि. अस्त-व्यस्त है, प्रारंभमात्र है. आकर्षक व सुन्दर लिपि. पत्र Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ९६ ९७ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.३) अज्ञात कृतिओ विगत नथी योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण आदि (पे. १) योगशास्त्र सह स्वो टीका योगशास्त्र योगशास्त्र स्वोपज्ञ वृत्ति (पे. २) कल्पसूत्र (पे.३) विपाकसूत्र (पे.४) अज्ञात कृतिओ विगत नथी उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां (पे. १) उत्तराध्ययन सूत्र सह सुखबोधा टीका उत्तराध्ययन सूत्र उत्तराध्ययन सूत्र सुखबोधावृत्ति (पे. २) नन्दीसूत्र सह टीका नन्दीसूत्र नन्दीसूत्र- लघुवृत्ति (पे.३) उपदेशमाला सह टीका पुष्पमालाप्रकरण पुष्पमालाप्रकरण-वृत्ति (पे.४) अज्ञात कृतिओ विगत नथी (पातासंघवीजीर्ण) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र कर्ता क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार रचना वर्ष जीर्ण हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि भद्रबाहस्वामी सुधर्मास्वामी जीर्ण सुधर्मास्वामी नेमिचन्द्रसूरि देववाचक हेमचन्द्रसूरि मलधारी हेमचन्द्रसूरि मलधारी भाषा संपूर्ण सं. सं. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. सं.प्रा., अपभ्रं प्रा. सं. प्रा. सं. परिमाण ताडपत्र अध्याय १२ प्रका ग्रं. १२००० ग्रं. १२८० ग्रं. १३१६ ताडपत्र अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ ग्रं. १२००० ग्रं. ७०० गा. ५०५ ग्रं. १३८६८ वि. ११२९ 262 आदिवाक्य नमो दुर्वाररागादिवैर प्रणम्य सिद्धाद्भुत नमो अरिहन्ताणं. तेणें काले तेणं सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य प्रणम्य विघ्नसडघात जयइ जगजीवजोणीवियाणओ ५८/६० (६४) येन प्रबोधपरिनिर्मित गद्य संयुक्त प+ग ५८/६० (७२) संयुक्त प+ग गद्य संयुक्त प+ग कोष्टक सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे.पृ. ?) पे. वि. विविध ग्रन्थों के छुटक पत्र स्पष्ट माहिती रहित. ( जुनो नं. ३२१ ? ) गायकवाडी सूचिपत्रमां योगशास्त्र (सविवरण) ए प्रमाणे नाम छे. (पत्र - ३६५ ) - (पे. पू. ?) पे.वि. पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. (पे. पृ. ?) पे.वि. (पे.पु. 2) पे.वि. (पे. पृ. ?) पे.वि. पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. (पे. पृ. 2) पे. वि. पत्र अस्त-व्यस्त है. (पे. पृ. ?) पे. वि. पत्र अस्त-व्यस्त है. कृ.वि. आनुं अने आवश्यकनिर्युक्तिनुं आदिवाक्य समान छे. (पे. पृ. ?) पे.वि. पत्र अस्त-व्यस्त है. (पे.पु. ?) पे.वि. पत्र अस्त-व्यस्त है. Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ३११ ३१२ ३१३ ३१४ ३१५ ३१६ ३१७ ३१८ ३१९ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम तात्पर्यपरिशुद्धिवृत्ति न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि-वृत्ति श्रीकण्ठीयटिप्पण न्यायटिप्पनक श्रीकण्ठीय तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह वृत्ति अध्याय ५ थी ८ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र तत्त्वार्थाधिगमसूत्र- स्वोपज्ञभाष्य नी टीका प्रमेयकमलमार्तण्ड परिच्छेद १ थी ६ परीक्षामुखसूत्र - प्रमेयकमलमार्तण्ड टीका वसुदेवहिण्डी ३५ वेरुलियमाला लम्भओथी ४४ मलयसेणा पर्यन्त वसुदेवहिण्डी सूर्यप्रज्ञप्ति सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र पिण्डनिर्युक्तिचूर्णि लघुवृत्ति पिण्डनिर्युक्ति-चूर्ण) पिण्डनिर्युक्ति-लघुवृत्ति ओघनियुक्ति सूत्रकृताङ्गचूर्णि सूत्रकृताङ्गसूत्र-चूर्णी स्थिति कर्ता श्रेष्ठ उदयनाचार्य श्रेष्ठ श्रीकण्ठ पण्डित श्रेष्ठ उमास्वाति सिद्धसेन श्रेष्ठ प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर) श्रेष्ठ सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण मध्यम श्रेष्ठ जीर्ण भद्रबाहुस्वामी श्रेष्ठ (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर अमदावाद पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष प्रत प्रकार भाषा संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. अपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा.सं. परिमाण ताडपत्र ताडपत्र ताडपत्र अध्याय १० ग्रं. २२२८२ ताडपत्र अध्याय ६ ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. २२०० ताडपत्र ग्रं. २९५० ताडपत्र गा. ११६३ ग्रं. १४३२ ताडपत्र श्लोक ९५०० रचना वर्ष वि. १५मी वि. १४९२ वि. १४८६ वि. १४९२ 263 वि. १५मी वि. ११५१ वि. १४९१ पत्र आदिवाक्य २१५ मातः सरस्वती पुनः.. ६४ संसारिचेतनवर्ग इति ३२५ सम्यग्दर्शनज्ञानचारि वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ २५६ सिद्धेर्घाम महारिमोह ५४ मोवियपणयसुरिन्द ६४ नमो अरिहन्ताणं. ५६ १९२ दुविहोबक्कमकालो सामा २०१ णमो अरहन्ताणं क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार ९३ / ९५ (१२४) गद्य गद्य ९३/९५(६४) गद्य ९३/९५ (२६८) गद्य ९३/९५ (२५२) गद्य ९३/९५(५६) __९३/९५ (६४) गद्य ९३/९५(५६) गद्य गद्य ९३/९५(९२) पद्य ९३/९५ (१८०) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (जुनो नं. २७५७८) १७६ नंबरनं पानुं नथी., (८२.५४६, ७४१२) (जुनो नं. २७५७९).. कया ग्रन्थ टिप्पणक (जुनो नं. २७५८०) मूल पत्रांक-३१७+८=३२५ छे. / विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका अन्ते मूलपाठ अलगथी आपेल छे. लेखन स्थल डुंगरपुर वृत्ति भाष्य उपर पण छे. (जुनो नं. २७५८१) ९२ नंबरनुं पानुं नथी. लेखन स्थल डुंगरपुर परिमाण-परिच्छेद ६. दिगंबर न्याय. (जुनो नं. २७५८२) दण्डकछन्दोमयी (जुनो नं. २७५८३) (जुनो नं. २७५८४) (जुनो नं. २७५८५) गाथा - ११४० थी ११९० सुधी मळे छे. (जुनो नं. २७५८६) लेखन स्थल स्तंभतीर्थ Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर - अमदावाद प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य संपूर्ण ताडपत्र वि. १४८९ ४११ । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार ९३/९५(३३२) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ३२० न्यायवार्तिक-तात्पर्यटीका (जुनो नं. २७५८७)१६२,१६७.१६८,१६९.१७०,१७३ नंबरना पाना नथी. गद्य सं. गद्य न्यायसूत्रना न्यायभाष्यनी न्यायवार्तिक टीका भारद्वाज न्यायसूत्रना न्यायभाष्यनी न्यायवार्तिक वाचस्पति मिश्र टीकानी तात्पर्यवृत्ति उपदेशमाला सह हेयोपदेयाटीका श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र २७४ ९३/९५(२१८) उपदेशमाला धर्मदास गणि प्रा..... नमिऊण जिणवरिन्दे ग्रं.९५०० हेयोपादेयार्थोपदेश : गद्य उपदेशमालाप्रकरण-बृहद्भत्ति हेयोपादेयाटीका-सिद्धर्षि गणि, कथा सहित वर्द्धमानसुरि प्रश्नपद्धति (जुनो नं. २७५८८)प्रथम पत्र अनुपूरित रूप है. इस प्रति में मंगलगाथा जगचूडामणिभूओ है. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. आ. वर्धमानसूरिजीए टीकामां सामान्य संस्कार करी प्राकृत कथाओ उमेरी छे. (जुनो नं. २७५९१) लेखन स्थल : अणहिलपत्तन ३२४ संपूर्ण ताडपत्र वि.१११६ ९३/९५(१५) हरिश्चन्द्र गणि संपर्ण उपदेशमाला सह बालाववोध उपदेशमाला ...वि. १५मी.......३०२ नमिऊण जिणवरिन्दे धर्मदास गणि गा.५४४ मारुगूजेर उपदेशमालाप्रकरण-बालावबाध बृहत्सग्रहणी आदि प्रकरणसग्रह (पे.१) बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण श्रेष्ठ जिनभद्र गणि संपूर्ण २१३ ताडपत्र गा. ५७९ प्रा. नियट्ठवियअट्ठकम्म : ९४/९५(१०६....... (जुनो नं. २७५९२).. पद्य गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. : गद्य ९४/९६(१०६). (जुनो नं. २७५९३).. (पे.पृ. १-३८) पे.वि. : गाथा-५२२. कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे] पद्य (पे.पृ. ३८-४६) पे.वि. : गाथा-१०४. कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ४६-५९) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] पद्य :क्षमाश्रमण (पे.२) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ गा. १०४ देविन्दविन्दवन्दियपय (ये.३) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि :अध्याय २० ग्र. यः परात्मा परज्यात १८७ धनपाल गा.२२... जत्थ पुरे जिणभवणं..... पद्य गा.२५ धम्मोवग्गहदाणं दिज्ज पया (पे.) श्रावकविधिप्रकरण. (पे.५) दानविधिकुलक (मे.६) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे.७) धर्मलक्षणप्रकरण (4.2) विवेकमञ्जरीप्रकरण पद्य विमलसूरि विमलसूरि का.२८ श्लोक २२ गा. १४४ कः खलु नालक्रियते । धर्मार्थ क्लिश्यते सिद्धिपुर सत्थवाहं (प.पू..६०-६१). (पे.पू. ६१-६२). (पे.पू. ६३-६४) (पे...६५म). (प.पृ. ६५-७६) पं.वि. : गाथा-१२२. आसड वि. १२८८ पद्य 264 Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर - अमदावाद पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (प.९) आराधनाकुलक सोमसूरि गा.६९ नमिऊण भणइ एवं भयवं! (पे.पृ. ७६-८१) ये.वि. : गाथा-६९. (पे.१०) एकविंशतिस्थानप्रकरण सिद्धसेनसूरि प्रा. गा. ६६ चवण विमाणा नयरी । पद्य (प.पृ.८१-८६) जणया (4.99) आद्धदिनकृत्य गा.३४० वीरं नमेउण तिलोयभाणु पद्य (पे.१२) नवपदप्रकरण प्रा. गा. १३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छपद्य जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि (पे.पृ. ८-१०९) पे.वि. : गाथा-३४२. कृ.वि. : गाथा-३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामां मळे छे. :देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य?] ................. (पे.पृ. ११०-११९) [कृ.वि. : कर्त्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे. (पे.पृ. ११९-१२३/२) [कृ.वि. : अमुक प्रतोमां ४८ काव्य पण छे] (प.पृ. १२३/२-१२६). (पे.पू. १२७-१३६) (पे.१३) भक्तामरस्तोत्र मानतुङ्गसूरि का.४४ भक्तामरप्रणतमौलिमणि पद्य देववाचक गा.५० पद्य (पे.१४) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (पे.१५) धर्मरत्नप्रकरण शान्तिसूरि गा. १४५ जयइ जगजीवजोणी..... नमिउण सयल गुणरयणकल गा.२१ पद्य (4.952 नवतत्त्वप्रकरण (पे.१७) आत्मानुशासन पार्श्वनाग (दिगम्बर) सं. श्लोक ७७ : वि. १०४२ सकलत्रिभुवनतिलक पद्य (पे..१३६-१३५). पे.वि..: गाथा-२१. (पे.पृ. १३७-१४१) [कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे] (पे.पू. १४२-१४६) कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप (पे.१८) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण प्रा. गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पे.१९) गौतमपृच्छा प्रकरण (पं.२०) आवकवक्तव्यताप्रकरण जिनेश्वरसूरि गा.५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण । पद्य (पे.पू. १४१०-१५०) पे.वि. : गाथा-१४१. क.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे]. गा.१०३ कयवयकम्मपभावो (पे.पृ. १५०-१५७) [कृ.वि. : खरा कर्ता कोण? सीलत्त जिनेश्वरसूरिना नामर्नु षट्स्थानप्रकरण १९१ गाथा पण मळे छे। श्लोक८५४ अचिन्तयच्च चिगिर्द पद्य (प.पू. १५८-२१३)... ... ताडपत्र......... वि. १५मी...... ३०९ १९४/९६(१५४.)......(जनो नं. २७५९४).. 265 (पे.२१) उपदेशसङ्ग्रह स्याद्वादरत्नाकरावतारिका. संपूर्ण Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर - अमदावाद प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता रत्नप्रभसूरि ग्रं. ५००० गद्य प्रमाणनयतत्त्वालोकालकाररत्नाकरावतारिका टीका उपदेशमाला सह हेयोपादेयावृत्ति । ३२८ श्रेष्ठ ताडपत्र वि. १२१९ २७२ ९४/९६(११०) (जुनो नं.२७५९५)संशोधित प्रति. लेखन स्थल : मंडली गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. उपदेशमाला :धर्मदास गणि :प्रा. पद्य गा.५४४ ग्रं. ४०६१ नमिऊण जिणवरिन्दे हेयोपदेयार्थोपदेश सिद्धर्षि गणि उपदेशमालाप्रकरण-हेयोपादेया टीका-कथा रहित सुवर्णरौप्यसिद्धिशास्त्र श्रेष्ठ संपण ताडपत्र . ९४/९६(२२)..........(जूनो.नं..२७५९६).. प्रा.सं. वि. १८मी धम्मो मङगलमुक्किट्ठ वि. १३मी. : १५० 1330 अपूर्ण ९४/९६७४) पद्य (जुनो नं. २७५९७) ... IA. पर्व-१०. हमचन्द्रसार 33२ त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र पञ्चम पर्व त्रिषष्टेिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य सड़ग्रहणीप्रकरणटीका बृहत् सङग्रहणीप्रकरण-टीका प्रकीर्णक अनेक शास्त्रीय विचार सङ्ग्रह संपूर्ण ९४/९६(९०) (जुनो नं. २७५९९). शालिभटसरि ग्र.२५०० : वि. ११३९ वि.१५मी । १९८ : केवलविमलज्ञानावलोक १५५ श्रेष्ठ गय ९४/९६७४).... 1.३३३ संपूर्ण ताडपत्र (जुनो नं. २७६००).. गद्य संपूर्ण :१२६ पञ्चाशकप्रकरण (प्रथम) सह चूर्णि पञ्चाशकप्रकरण (जुनो नं. २७६०१) ९४/९६(१२६).. नमिऊण वद्धमाणं सावग: पद्य हरिभद्रसुरि प्रा. पञ्चाशक-१-१९. ताडपत्र । वि.१३मी अध्याय १९ गा.१००० ग्रं. ११८२ वि. ११७१ ताडपत्रवि .१५मी गद्य यशोदेवसूरि. श्रेष्ठ हरिभद्रसरि संपूर्ण २७२ ९४/९६(११२)...(जुनी नं.२७६०२). अध्याय प्रणम्य परमात्मान मुनिचन्द्रसरि शुद्धन्यायवशायत्तीभू पञ्चाशकप्रकरण-चूणी धर्मबिन्दु सह टीका धर्मबिन्दुप्रकरण. धर्मबिन्दुप्रकरण-वृत्ति प्रमाणमीमांसादि (2.9) प्रमाणमीमांसा (पे.२) वीतरागस्तोत्र सह टीका वीतरागस्तोत्र श्रेष्ठ संपूर्ण ...... ताडपत्र । वि.१५मी ३१० ९४/९६(१५६) हेमचन्द्रसूरि (जुनो नं. २७६०३)८९ नंबर पार्ने नथी. (प..१:१०८2. (पे..पृ१०९-२१५. कृ.वि.: प्रकाश-२०. हेमचन्द्रसूरि $ अध्याय २० ग्रं. यः परात्मा परज्योत : पद्य वीतरागस्तोत्र-टीका :प्रभानन्दसूरि 266 Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर - अमदावाद पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य प्रत प्रकार क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा (प.पृ. २३६-२७७) नन्दिषेण गा.४० अजियं जियसव्वभयं पद्य जिनप्रभसूरि ग्र.७४० वि. १३६५ गद्य (पे.३) अजितशान्तिस्तोत्र सह बोधदीपिकाटीका अजितशान्तिस्तोत्र... अजितशान्तिस्तोत्र-बोधदीपिका वृत्ति.. (पे.४) उपसर्गहरस्तोत्र सह वृत्ति उपसर्गहरस्तोत्र उपसर्गहरस्तोत्र-वृत्ति (4.2.भयहरस्तोत्र सह वृत्ति भयहरस्तोत्र कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. रचना स्थल दाशरथिपुर (प..पू. २७७-१९३८........ वसम्गहर पय भद्रबाहुस्वामी जिनप्रभसूरि ग्रं.२७१ वि. १३६५ रचना स्थल दाशरथिपुर प....२९३:३१०). कृ.वि. : गाथा २१ थी २४ मळे छे. मानतुङ्गसूरि गा.२३ नमिऊण पणयसुरगणचूडामण वि. १३६५ . भयहरस्तोत्र-वृत्ति कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा (पे.१) कल्पसूत्र (पे.२) कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता नाणाचित्तप्रकरण, कर्मप्रकृति (पे.१) नाणाचित्तप्रकरण जिनप्रभसूरि जीर्ण भद्रबाहुस्वामी देवचन्द्रसूरि ग्रं. ३०० ताडपत्र.... ग्रं. १२८० ग्रं.३९५ .........वि. १५मी १५८ नमो अरिहन्ताणं. अस्थि इहेव जम्बू : वि. ११४६ रचना स्थल दाशरथिपुर .९४/९६(८०)..........(जनो. नं. २७६०४).. संयक्त प+ग (पे.पृ. १-११८). गद्य (पे.पृ. ११९-१५८) ये.वि. : सचित्र-पत्र-१.२. कृ.वि. : ग्रंथान ३६० थी ४०० सुधी मळे छे] ९४/९६(२०). (जुनो नं. २७६०५) पद्य (प.पू. १-१३) पे.वि.: गाथा-४५. श्रेष्ठ ताडपत्र वि.१४मी संपूर्ण प्रा. गा.८१ नामऊण जिणं जगजीवबन्ध (पे.२) कर्मप्रकृति शिवशर्मसूरि प्रा. गा.४७५ सिद्ध सिद्धत्थं पद्य श्रेष्ट ताडपत्र ९४/९६(२४) .... शान्तिसूरि गा.५१ भवणपईवं वीरं नमिऊण पद्य गा..२७ जीवविचारप्रकरणादि (4.9) जीवविचारप्रकरण (पे.२) कालचक्रकुलक (पे.३) नन्दीश्वरद्वीपजिनस्तुति (पे.४) ऋषभदेवस्तुति (पे.५) सामान्यजिनस्तुति (पे.६) बृहत् शान्तिस्तव (पे.७) अम्बाईस्तुति (पे.८) क्षेत्रपालस्तुति (प.पू. १४१-१८३) कृ.वि.: गाथा-४७३-४७७ सुधी मळे छे.. (जुनो नं. २७६०६) (प.पू.५५-५१ (पे.पू. ५९-६१) पे.वि. : गाथा-२४. (पे.पू.६१-६२). (पे.पू..६२.६३८.. (पे...६४-६५.. (पे.पू. ६५-६७). (पे.पू. ६७) ये.वि. : गाथा(प.पू. ६७). श्लोक चत्तारि सागरोवम. निज्जिय दुज्जय पञ्च येनेदं सकलं समूल... गम्भीरस्तम्भमूर्ति.. ॐ ह्रीं भो भो भव्य नेमि जिणन्दह तित्थ... जो रक्खइ जिणभुवणं... पद्य श्लोक प्रा. अपभ्रं. गा.२ पद्य 267 Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर - अमदावाद पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष गा.१+१ पद्य श्लोक। पद्य श्लोक १३ (ये.९) जिनस्तुति (पे.१०) पार्श्वनाथ अष्टक मन्त्रगर्मित (2.११) पदमावतीमन्त्रस्तव (पे.१२) अड़गलक्षणविचार (पे.१३) चैत्यवन्दनविधान (पे.१४) वोच्छेयगण्डिया (ये.१५) दुषमगण्डिका नादबिन्दु कलायुक्त श्रीमन्नागेन्द्र श्रीमद्गीर्वाणचक्र अस्थिष्यथो सुख सक्कत्थयदण्डेणं भाव पिय श्लोक १६ गा. १३ पद्य FF PREEEEEEE (पे.पृ.६७) (प.पृ. ६८-६९) (पे.पू. ७०-७१).पे.वि....श्लोक-१. (पे.पृ. ७१-७३). (पे.पृ.७४/१-७४/२/........ (प.पू.94.892 (पे.पृ. ९१-१०१) पे.वि. : गाथा-१००. कृ.वि. गाथा-८३-१०४. सुधी मळे छे. (पे.पृ. १०२-१०५) (पे. पृ. १०६-१०९).. गा. १७३ अह पुण सरत्थुवन्तो नमिऊण जिणवराणं गा.८१ ग्रं. पद्य १०४ गा.१४१ एवं अण्णाइ कालं जीवो । पद्य (ये.१६) सर्वज्ञपरीक्षा (ये.१७) महादेवलक्षणं स्तोत्रम महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका हेमचन्द्रसूरि श्लोक ३५ ग्रं. प्रशान्तं दर्शनं पद्य ३५ 3४० कारकन्यायकन्दली :जीर्ण अपणे ताडपत्र । वि.१४मी ९४/९६(३४)...(जुनो नं. २७६०७)पत्र-१,५ अने ८० नथी, यशवधन ३४१ । अभिधानचिन्तामणीनाममाला अभिधानचिन्तामणिनाममाला ८५. जीर्ण हेमचन्द्रसूरि ९४/९६३२)......... (जुनो नं. २७६०......... प्रणिपत्याहेतः ताडपत्र ......वि. १४मी. अध्याय ६कांड ग्रं.२६३० ताडपत्र । वि. ११४६ योगदृष्टिसमुच्चय सह टीका जीर्ण संपूर्ण ६९ : ९४/९६(२८) (जुनो नं.२७६०९) लेखन स्थल : अणहिलपाटक हरिभद्रसूरि गद्य योगदृष्टिसमुच्चय योगदृष्टिसमुच्चय-टीका कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो (पे.१) कर्मप्रकृति संपर्ण ताडपत्र वि.१५मी १६० सिद्धं सिद्धत्थं ९४/९६(७६).. पद्य शिवशर्मसूरि गा.४७५ कृ.वि. : (जुनो नं. २७६१०) (पे.पृ. १-७३/१) पे.वि. : गाथा-889६. गाथा-४७३-४७७ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ७३/२-११६) (पे.२) प्रवचनसन्दोह अध्याय६ पद नमिऊण वद्धमाणं ववगय पद्य गा.33४ (पे.३) जीवदयाप्रकरण गा. ११६ पद्य (पे.पृ. ११७-१३२) संसयतिमिरपयड़गं भविय :निज्जरियजरामरणं i/पे.४) गाथाकोश प्रा. ...... गा. १५३ पद्य .. १३३-१५१).. 268 Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रत प्रकार (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर - अमदावाद पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र গান্ধা। परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता अमरचन्द्रसूरि गा.३५ पद्य (प.पू. १-4). (पे.पू. १-४) (जुनो नं. २७६११). संपूर्ण. ताडपत्र वि. १३मी .७२ पतञ्जलि (पे.५) सम्यक्त्वकुलक (पे.६) ज्योतिषविषयकश्लोक पातञ्जलयोगदर्शन-व्यासभाष्य. पातञ्जलयोगसूत्र पातञ्जलयोगसूत्र-पातञ्जलयोगदर्शनभाष्य न्यायग्रन्थ दार्शनिकग्रन्थ दार्शनिकग्रन्थ-अज्ञात ओघनियुक्ति व्यास देवो धम्मो मरणो..... यस्मिन रिक्षे भवेत ९४/९६(३६)....... अथ योगानुशासनम... अथेत्ययमधिकाराथी गद्य .९४/९६८.......... प्रणम्य शम्भु जगतः ९४/९६(४९).... दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य श्रेष्ठ संपूर्ण ...... ताडपत्र ३४५ ... श्रेष्ठ ............. संपूर्ण ताडपत्र वि. १३मी १६९ (जुनो नं. २७६१२)१२ नंबरनुं पार्नु नथी...... गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहुस्वामी गा. ११६३ग्रं. १४३२ ३४६ योगबिन्दुप्रकरण जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र :वि.१३मी (१४) (जुना नं. २७६१३)प्रत नं. ३९१-A वस्तुतः ३४६ नं. की प्रत है. पत्र अस्त-व्यस्त अवस्था में झेरोक्ष हुआ है. हरिभद्रसुरि गं.35२० श्रेष्ठ संपूर्ण . ताडपत्र वि.१११६ १३१ (जुनो नं. २७६१४) लेखन स्थल : गोपगिरि धर्मोत्तरटिप्पनक न्यायविन्दुनी-टीकार्नु-धर्मोत्तरटिप्पनक ९४/९६(५८) गद्य ग्र.१300 प्रणिपत्य जिना धीशा मल्लवादी क्षमाश्रमण जीर्ण ताडपत्र :वि.१५मी ९४/९६(६ गा:१६ पद्य नेमिचन्द्रसूरि सिद्धसेनसूरि गा.७२ सिद्धन्तजुत्तीप्रकरणादि (पे.१) जीवसड़ख्याप्रकरण (पे.२) सिद्धन्तजुत्तीप्रकरण (पे.३) जिनस्तुति (पे.४) विगइ निविग्गइ प्रकरण बृहत्कल्पसूत्र पद्य नमिउं नेमि एगाइ चक्रे तीर्थडकरै.. पवयणमसदहणाए... (जनो नं.२७६१६). (पे.पू. 98-२९) (प.पू. २४-CA (प.पू.... (पे.पू. ९) (जुनो नं. २७६३३). गा.११ पद्य जीर्ण ताडपत्र ११ ९४/९६(१२). बृहत कल्पसत्र भद्रबाहस्वामी अध्यायउद्दे णो कप्पड णिग्गन्थाण आचारागसत्रना खण्डत पाना जीर्ण ताडपत्र गं. २६४४ सुर्य मे आउसं तेणं सुधर्मास्वामी श्रेष्ट ९४/९६(७४) (जुनो नं. २७६३५)....... संयुक्त प+ग ९४/९६(१२)........ (जनो न..२७६४३)... आचाराङ्गसूत्र बृहत्कल्प मूल बृहत् कल्पसूत्र तिलकमञ्जरी सह टिप्पण संपूर्ण णो कप्पड णिग्गन्थाण भद्रबाहूस्वामी जीर्ण 3199 संपूर्ण : अध्याय ६उद्दे. ताडपत्र वि. १२५५ 269 १९३ ९४/९६(१९६) । (जुनो नं. ५६६७३).. Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर - अमदावाद पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता धनपाल सवः पातु जिनः..... तिलकमञ्जरी तिलकमञ्जरी-टिप्पण सं. गद्य । आचारागसूत्र........... श्रेष्ठ सधर्मास्वामी संपूर्ण कर्मप्रकृति व पिण्डविशुद्धिटीका (पे.१) कर्मप्रकृति संपूर्ण : प्रा. शिवशर्मसूरि ताडपत्र......... वि. १२९२..... १४९.. १९४/९६(७४)........(जुनो नं. १५९५८).. ग्रं.२६४४ सुयं मे आउसं तेणं . संयुक्त प+ग ताडपत्र वि. १३मी ५० ९४/९६(२६) (जुनो नं. १५९५९) गा. ४७५ सिद्धं सिद्धत्थं : पद्य (पे.पू. ५०) पे.वि. : गाथा-४७३. [कृ.वि. : गाथा-४७३-४७७ सुधी मळे छे] ग्रं.२८००... ...वि. ११७६.यदुदितलवयोगाद्देहिना गद्य (पे... ताडपत्र । वि. १३३४ ७५ ९४/९६(३८) (जुनो नं. १५९६०) ग्रं.९५५ प्रणिपत्यविमल केवल.. यशोदेवसरि मुनिचन्द्रसूरि (पे.२) पिण्डविशुद्धिप्रकरण-सुबोधा टीका शतकचूर्णि-विषमपद टिप्पनक..... शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-चूर्णिर्नु विषमपद टिप्पण सप्ततिकाचूर्णि सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-चूणि पञ्चाशकप्रकरणादि (ये.१) पञ्चाशकप्रकरण श्रेष्ट संपूर्ण गं. २००० :३८४ :जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र :१३२ हरिभद्रसुरि (ये.२) मूलशुद्धिप्रकरण प्रद्युम्नसूरि ताडपत्र.......: वि. १३मी... ... १५६. ६९४/९६९०)........ (जुनो नं. १५९६१).. : सिद्धिविवन्धव बन्धु गद्य वि. १४मी : ९४/९६(३०) (जुनो नं. १५९६२). अध्याय १९ नमिऊण वद्धमाणं सावग: पद्य (पे.पृ. 9-७०) पे.वि. : पत्र-२०-२५ नथी. गा. १००० ग्रं. [कृ.वि. : पञ्चाशक-१-१९.] ११८२ गा.२१४ वन्दामि सन्चन्नुजिणि पद्य (पे.पृ. ७१-८५) पे.वि. : पत्र-७५-७७ नथी. [कृ.वि. : गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे] गा..८०...... नवकारिविसुयएवि........ (प.पू..१:१६). :गा.२१५ ग्रं. अत्थेत्थ भरहवासम्मिपद्य (पे.पृ. १७-२८) मे.वि. : पत्र-१८,२२,२४,२७ नथी. [कृ.वि. : गद्यपद्यमय] सीयचरिउ निसुणे...... (प.पू. २९-३६) (पे.पू. ३८-४२).पे.वि. : पत्र ३५ नथी....... गा.८१ नमिऊण जिणं पद्य (पे.पृ. ४०-४५) जगजीवबन्ध ताडपत्रवि . १४मी १६० ९४/९६(६४) (जुनो नं. १५९६३). श्लोक २७०० वि. ११८० शिवशमैकनिमित्तं सागरचन्द्र अपभ्रं...... पद्य (पे.३) सीयाहरण.. (ये.४) सुबाहुकुमारकथा :प्रा. २७६ अपभ्र. (पे.५) सीयादेवीचरिउ (पे.६) नेमिनाथचरिउ (पे.७) नाणाचित्तप्रकरण अपभ्र ३८५ पाक्षिकसूत्रवृत्ति पाक्षिकसूत्र-वृत्ति संपूर्ण यशोदेवसरि 270 Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर - अमदावाद पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य संपूर्ण वि. १४मी ९३ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार ९४/९६(३८) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ताडपत्र श्रेष्ठ उदयनाचार्य (जुनो नं. १५९६४) गद्य वामध्वज गद्य ९४/९६(५०)...(जुनो नं. १५९६५). मध्यम संपूर्ण ताडपत्र वि. १४मी गा.१२२ पद्य परिशिष्टप्रकरण सह टिप्पनक परिशिष्टप्रकरण परिशिष्टप्रकरण-टिप्पनक. चैत्यवन्दनादिक सह वृत्ति चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय-वृत्ति दशवैकालिकसूत्रादि (पे.१) दशवकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-टिप्पण (पे.२) पाक्षिकसूत्र (पे.३) अजितशान्तिस्तोत्र तमीशानं वन्दे नमिनमथ १५४ वन्दित्तु वन्दणिज्जे सूत्रं व्याख्यायते १३९ धम्मो मड़गलमुक्किट्ठ गद्य संपूर्ण ताडपत्र वि.१२६५ ९४/९६(७८)..... संयुक्त प+ग (जुनो नं. १५९६७) (पे.पृ. १-६०) शय्यम्भवसूरि ग्र.७०० गद्य संयक्त प+ग ग्रं.३५० गा.४० तित्थङ्करे य तित्थे अजियं जियसव्वभयं नन्दिषेण पद्य (पे.४) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र गा. ६३ पद्य सावज्जजोगविरई उक्कित देसिक्कदेसविरओ सम्म (प.पू. ६०-८९) (पे.पू. ९०-९६) पे.वि. : गाथा-४४. [कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ९७-१०३) [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे.. (पे.पृ. १०४-१११) पे.वि.: गाथा-६०. [कृ.वि. गाथा ६०थी ८०सुधी मळे छे.] (पे. पृ. १११-१२९) पे.वि. : गाथा-१७१. कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे. (पे.५) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् वीरभद्र गा.७१ पद्य (पे.६) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक सह टिप्पण.... भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र गा. १७२ ग्रे. नमिऊण महाइसयं :पद्य १७१ महाण गद्य भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-टिप्पण (पे.७) संस्तारकप्रकीर्णक गा. १२४ पद्य (पे.पृ. १२९-१३९) पे.वि. : गाथा-१२०. काऊण नमोक्कार जिणवर देविन्दविन्दवन्दियपय (पे.८) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ :गा.१०४ :पय :(पे.पृ. ९-१५) पे.वि. : ले.सं. १६मुं शतक. :/गाथा-१०५. [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे (पे.९) शीलकुलक गा.39 जस्स न भिन्न हिययं.. पद्य (पे.पृ. १५-१६) पं.वि. : लेखन संवत १६मु शतक. (प.पृ.१-१३). ९४/९६(४).....(जुनो नं. ३३६६४) लेखन स्थल : चित्रकूट.... पद्य (पे.११) विवेकमञ्जरीप्रकरण छन्दशेखर ...... गा. १४४ वि. १२८८ सिद्धिपुर सत्थवाहं ताडपत्रवि . ११७९८ ३९० संपूर्ण 271 Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ३९१-१ ३९१-२ ३९१-३ ३९१-४ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम आठ दृष्टि स्वाध्याय 1. (पे. 9). (पे. २) सम्यक्त्व चोपई काव्यप्रकाश सह टीका २ से ३ उल्लास आदि (पे. १) काव्यप्रकाश सह टीका २ से ३ उल्लास काव्यप्रकाश काव्यप्रकाश टीका (पे. २) अन्यथाख्यातिवाद (पे.३) सडसठ बोल समकित स्वाध्याय आर्षभीयचरित महाकाव्य अपूर्ण स्थिति कर्ता (पे. 9) आठ दृष्टि स्वाध्याय (पे. २) सम्यक्त्व चोपई राजशेखर श्रेष्ठ मध्यम (तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर अमदावाद पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष प्रत प्रकार रचना वर्ष आर्षभीयचरित्रमहाकाव्य आठ दृष्टि स्वाध्याय व सम्यक्त्व चतुष्पदिका श्रेष्ठ भाषा यशोविजयजी गणिमारुगुर्जर यशोविजयजी गणिमारुगूर्जर प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण मम्मट, अलक सं. यशोविजयजी गणि सं. जयराम भट्टाचार्य सं. यशोविजयजी गणिमारुगुर्जर श्रेष्ठ अपूर्ण सं. संपूर्ण यशोविजयजी गणिमारुगुर्जर यशोविजयजी गणि मारुगुर्जर परिमाण ताडपत्र गा. १२५ हस्तप्रत गा. ६५ हस्तप्रत हस्तप्रत गा. १२५ 272 वि. १८वी - पत्र आदिवाक्य द्विगुणो यद्यवलंवकः ४ २५ नियतिकृतिनियमरहितां १६ ११-३ (५ थी ७) =८ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार ९४/९६ (८) पद्य पद्य ९४ / ९६ (२९) गद्य गद्य पय ९४/९६ (१७) पद्य ९४/९६ (४) पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष महादुर महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित लिपिवाली प्रति (पे. पृ. १B-४A) (पे. पृ. ४,A-७A) पे.वि. त्रुटक. गाथा- ५१ तक नहीं है. (जुनो नं. ३३६६५) महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित प्रति / प्रत नं. ३९१-A वाली प्रत वस्तुतः ३४६ नं. की है अतः ३९१-A को ३४६ नं. पर रख दिया गया है. इसका पुराना नं. २७६१३. (पे. पृ. ७-३६) पे.वि. पत्र १ थी ५,१४,१५,२० थी २२ नथी. (पे.पृ. १-३), (पे.पृ. १-३) पे.वि. पत्रांक-२ नहीं है. ( जुनो नं. ४३१०४ ) सर्ग-४ श्लोक-१६६ तक है. (जुनो नं. ४३०७७) दो प्रतों को एक साथ रखा गया है जो दोनो अलग-अलग पेटांक रूप में है. / पेटांक-१ के पत्र ४ तथा पेटांक -२ के 19 पत्र है. दोनो पेटांक के पत्र को क्रमशः गिना गया है. (पे. पृ. १-४) (पे. पृ. ७-११) पे.वि. पत्र ५ से ७ नहीं है. Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ३९२ ३९३ ३९४ ३९५ ३९६ ३९७ ३९८ ३९९ ४००-१ ४००-२ ४०१ ४०२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम शान्तिनाथचरित्र शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध भगवतीसूत्र- द्वितीयखण्ड भगवतीसुत्र उपदेशमाला लघुवृत्ति उपदेशमाला- लघुवृत्ति कथारत्नकोष कहारयणकोस व्यवहारसूत्रवृत्ति व्यवहारसूत्र वृत्ति धर्म उपदेशमाला धर्मोपदेशमालाप्रकरण आवश्यकवृत्तिप्रदेश- व्याख्या, टीप्पणक आवश्यक सूत्रना शिष्यहितावृत्तिनुं प्रदेशव्याख्या टिप्पण सप्ततिका चूर्णि सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चूर्णि प्रकरणसङ्ग्रह प्रकरण सङ्ग्रह बृहत् सङ्ग्रहणी बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण शतपदी प्रश्नोत्तर सटीक शतपदीप्रकरण शतपदीप्रकरण-वृत्ति आतुरप्रत्याख्यान विवरण व स्थिति कर्ता श्रेष्ठ मुनिदेवसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ श्रेष्ठ (वताकांति) प्रवर्तक कान्तिविजयजी महाराज-ताडपत्रीयभंडार वडो पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष वि. १४१२ देवभद्रसूरि श्रेष्ठ मलयगिरिसरि श्रेष्ठ जयसिंहसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि मलधारी श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ धर्मघोषसुरि महेन्द्रसिंहसूर श्रेष्ठ भाषा संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण प्रा. संपूर्ण पूर्ण प्रा. संपूर्ण संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं.प्रा. सं. संपूर्ण परिमाण ताडपत्र श्लोक ५०५५ वि. १३२२ ताडपत्र वि. १३९६ • ग्रं. १६००० ताडपत्र ताडपत्र ताडपत्र ग्रं. १३७१९ • ताडपत्र गा. १०३ ताडपत्र ग्रं. ४६४० ताडपत्र ग्रं. २००० ताडपत्र ताडपत्र गा. ५७९ ताडपत्र ग्रं. ५२०० ताडपत्र वि. ११५८ वि. १२९४ 273 आदिवाक्य १९७ वेश्मरत्ननिशारत्ननभो १९७ नमो अरिहन्ताणं. 3019 २९५-१३८ (१ थी १३८) = १५७ पडिबिम्बियपणयजा निली ३८८ प्रणमत नेमिजिनेश्वर १०७ भयवं दसन्नमद्दो.. २१८ जगत्त्रयमतिक्रम्य ९६ सिद्धिविबन्धव बन्धु १२३ १६ नियट्ठवियअट्ठकम्मं २४५. त्रिभुवनगृह प्रदीपः २५ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार ९७ /९८ (१७८) पद्य ९७ / ९८ (२३२) गद्य _९७/९८ (२०९) गद्य ९७/९८ (१००) ९७/९८ (२९३) गद्य ९७/९८ (५४) पद्य ९७ / ९८ (१३३) गद्य ९७/९८ (३२) गद्य ९७ / ९८ ९७/९८ पद्य _९७/९८ (१२४) गद्य ९७/९८ प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ग्रन्थाग्र- ४८५५. / सचित्र विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका लेखन स्थल अणहल्लपत्तन विशिष्ट रचना प्रशस्ति. झेरोक्ष पत्र ५-१ अने ५-२ बेवडाएल छे. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. १६६ नंबरनुं पानुं नथी. मूलपत्र १३४ थी १४९ सुधी बीजी प्रतना कुल १६ पत्र वधाराना छे. / झेरोक्ष पत्र ३३ बेवडाएल छे. गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे. मूलनी ज पुनर्रचना गोठवण आदि. Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (वताकांति) प्रवर्तक कान्तिविजयजी महाराज-ताडपत्रीयभंडार - वडो (ये. पृ. १-२३) देशस्य त्रसकायस्य गद्य पद्य (पे.पू. २३-२४) श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ९७/९८(१६) ... श्लोक४६ पद्य श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ९७९८(६) सर्वानन्दसूरि सं. प्रदेशीनृपचरित (4.9) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक का विवरण आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत-विवरण (पे.२) प्रदेशीनृपचरित | निघण्टु शेष निघण्ट्सङक्षेप सर्वानन्दसूरि कृत दीपोत्सव कल्प संस्कृत दीपोत्सवकल्प आचरणशतक विचार आचरणशतकविचार ४०६-१ औपपातिकसूत्र वृत्ति सह. औपपातिकोपाडगसूत्र औपपातिकोपागसूत्र-टीका ४०६-२ राजप्रश्नीयसूत्र ......... राजप्रश्नीयोपाङगसूत्र ४०६-३ उववाईसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ९७/९८(२०)... गद्य ९७/९८(३५)...... टीका गन्थान-३१२५. संपूर्ण वि. १५९५ 134 हस्तप्रत ग्र.११६७ श्रेष्ठ सुधमोस्वामी अभयदेवसूरि श्रेष्ठ तेणं कालेणं तेणं श्रीवर्तमानमानम्य ग्र.४300 संपूर्ण हस्तप्रत गं.२०७९ नमो अरिहन्ताणं नमो गद्य । ९७/९८(३२)...(जुनो नं. २०२७)ग्रन्थान-२१२०. अष्टभाषामय,पंचपाठ ९७/९८(२४) (जुनो नं. ९७०)अन्तिम मूल पत्र-२५ अने झेरोक्ष पत्र २४ नथी. मूल पत्र ३ पण नथी. अपूर्ण हस्तप्रत २५ सुधर्मास्वामी प्रा. तेणं कालेणं तेणं औपपातिकोपाडगसूत्र राजप्रश्नीयसूत्र सस्तवक ४०६-४ संपूर्ण हस्तप्रत वि.१८१८ :१७४ ९७/९८(१७४) (जुनो नं. ३९३७)सूत्रवृत्ति ग्रन्थान-५५००. लेखन स्थल: अवरंगाबाद अष्टभाषामय,पंचपाठ ग्र.२०९ राजप्रश्नीयोपाड़गसूत्र राजप्रश्नीयोपागसूत्र-टबार्थ किष्किन्धाकाण्ड नमो अरिहन्ताणं नमो देवदेवं जिनं नत्वा मेघराज : मारुगुजेर प्रतिपूर्ण ताडपत्र ૫૮ ९७/९८(७२). रामायण किष्किन्धाकाण्ड. रामायण वालमीकि पंचपात श्रेष्ठ संपर्ण ताडपत्र १६९ नत्वेच्छायोगतो जिनचन्द्रसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र नवपद प्रकरण श्रावकानन्दि टीका नवपदप्रकरण-श्रावकानन्दि टीका प्राचीन कर्मस्तव टीका कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-वृत्ति षडशीतिका प्राकृत वृत्ति आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-टिप्पनक ९७/९८(८७) योगं ९७/९८(३६) गद्य ९७/९८(३७) सं. ग्रं. १०९० कर्मबन्धोदयोदीर्या गोविन्दाचार्य श्रेष्ठ रामदेव गणि संपर्ण ताडपत्र प्रा. 274 Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१२ संपूर्ण १०२ (वताकांति) प्रवर्तक कान्तिविजयजी महाराज-ताडपत्रीयभंडार - वडो ९७/९८(६१) ग्रं. १२८० नमो अरिहन्ताण... संयुक्त प+ग.....(पे.पृ.१) पे.पू..... ९७/९८(३०) भट्रबाहस्वामा प्रा. संपूर्ण ताडपत्र गच संपर्ण ताडपत्र ९७/९८(३४) कल्पसूत्र कालिकाचार्य कथा (4.9) कल्पसूत्र (पे.२) कालिकाचार्यकथा पर्युषणाकल्प टीप्पणक कल्पसूत्र-टिप्पणी दशवकालिक पाक्षिक सूत्र (पे.१) दशवकालिकसुत्र (पे.२) पाक्षिकसूत्र सामाचारी सामाचारी उपधानविधि-प्रकरण- मालारोपणविधि (पे.) उपधानविधिप्रकरण (पे.२) मालारोपणविधि सं यक्त प+ग (प.पू.71 धम्मो मङगलमविकटठ तित्थड़करे य तित्थे ग्र.३५० संयुक्त प+ग (पे.पू... श्रेष्ठ संपर्ण ताडपत्र ९७/९८(१४2.. उपधान, मालारोपण, योगविधि आदि. श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ९७/९८(४) मानदेवसरि गा.५४ अथ महानिशीथ प्रामाण (प.पू.... (पे.पृ.?)[कृ.वि. : अन्तिमवाक्य-एवं महानिशीथIतोपि. विधेयमिति.. प्रतिपूर्ण ९७/९८(८३) ४१७... उपमितिभवप्रपञ्चाकथा-तृतीयखण्ड .....श्रेष्ठ उपमितिभवप्रपञ्चा कथा । सिद्धर्षि गणि वि.९६२ २३९ नमो नि शिताशेषमहा प्रस्ताव-८./विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ताडपत्र अध्याय ८ ग्रं. १६००० ताडपत्र संपूर्ण 1.९७/९८(३२)... .............. ४१८... वन्दनक चूर्णी वन्दनक भाष्य-चूर्णि चन्द्रप्रभस्तुति व अमृताशीति (4.9) चन्द्रप्रभस्तुति (पे.२) अमृताशीति संपूर्ण ताडपत्र वि.११९२ ९७/९८(६) गा.४ सं. श्लोक ७९ विश्वप्रकाशिमहिमान योगीन्द्रदेव (दिगम्बर) प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है, (पे.पू..... (पे.पृ. १-७) पं.वि. : प्रतिलेखन पुष्पिका में "योगसारख्य' अथवा 'योगस्मराख्य' इस तरह कृतिनाम लिखा गया है. वस्तुतः योगीन्द्रदेव । रचित अमृताशीति नामक कृति है.सन्दर्भ देखें - १२५९ पत्र-८५.. संपर्ण ताडपत्र ९७/९८(२).. ४२१.धरणोरगेन्द्र संस्कृत धरणोरगेन्द्रस्तव श्रेष्ठ देवसूरि गा.३६ग्र. धरणोरगेन्द्रसुरपति भुगकच्छ वास्तव्य आवकद्वादश व्रत श्रेष्ठ संपर्ण ताडपत्र ९७/९८(४) स्वरुप 275 Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२५ चैत्यवन्दनसूत्रादि श्रेष्ठ (वताकांति) प्रवर्तक कान्तिविजयजी महाराज-ताडपत्रीयभंडार - वडो संपूर्ण ..... ताडपत्र ... :प्रा.सं. संपूर्ण ताडपत्र ९७/९८(४) पूजाष्टक, नवग्रहाद्वान स्तोत्र व महाभयहर स्तोत्र श्रेष्ठ पत्रांक-८७-९४. (2.9) पूजाष्टकवृत्तानि (पे. पृ. ८७-८९) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१ .........--- पूजाष्टक (पे.२) नवग्रहास्वानस्तोत्र लोक कास्मीरेमलयोदभवैर तरुणोग्रतरकरविसर तटीतटताटनत्रुटित. (प.पू.८९-९१) (पे.पू. १२-१४ श्लाक (पे.३) महाभयहरस्तोत्र कालिकाचार्यकथा ४२९ ताडपत्र k) सयलधरासपासद ४३० योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक श्रेष्ठ ताडपत्र ६.९७/९८(३६)... पद्य ९७/९८(२४) संयुक्त प+ग ४३१-१ दशवैकालिकसूत्र श्रेष्ठ : संपूर्ण हेमचन्द्रसूरि सं. संपूर्ण शय्यम्भवसूरि.. श्रेष्ठ संपूर्ण भद्रबाहुस्वामी प्रा. :ताडपत्र प्रा.... ग्रं.७०० धम्मो मङगलमुक्किट्ठ ४३१-२ ओघनियुक्ति ताडपत्र ९७/९८ पद्य गा.११६३ दुविहोवक्कमकालो सामा गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. संपूर्ण ९७/९८(१०) संपूर्ण ९७/९८(१०) हरिभद्रसूरि श्लोक८७ सहर्शनं जि ४३२-१ पुराण श्लोक सङ्ग्रह :पुराणगतश्लोकसङग्रह.. १४३२-२ षड्दर्शन समुच्चय षड्दर्शनसमुच्चय । ४३३..... योगशास्त्रान्तर्गत जीवादि स्वरूप योगशास्त्रनो हिस्सो जीवादिस्वरूप ४३४ सङ्ग्रहणी व प्रवचनसन्दोह (मे.१) बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण संपूर्ण ९७/९८४६..... हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ BEE ताडपत्र ९७/९८(१०). पद्य गा.३७८ पत्र-१४८-१८१. (पे.पृ. १४८अ) पे.वि. : गाथा-३७४. अपूर्ण. मात्र अंतिम ३ गाथाएँ हैं. [कृ.वि. : गाथा २७१ थी ३८३ सुधी मळे छे] (पे.पृ. १४८A-१८१०) मे.वि. : अपूर्ण. प्रारंभ के पत्र है. पद-६ की पहली गाथा तक है. (पे.२) प्रवचनसन्दोह नमिऊण वद्धमार्ण ववगय पद्य :अध्याय ६ पद गा.३३४ ताडपत्र ४३५ जिनदत्ताख्यान संपूर्ण : ९७/९८(२७) 276 Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (वताकांति) प्रवर्तक कान्तिविजयजी महाराज-ताडपत्रीयभंडार - वडो :४३६ ताडपत्र ९७/९८(५) फाटेलो भाग छे. श्रेष्ठ सपुर्ण ताडपत्र ९७/९८(२) पि.प्र. गायत्री मन्त्र सह टीका गायत्री मन्त्र गायत्री मन्त्र-टीका पूजाष्टक, पूर्णिमापाक्षिक बुद्धिसूरि स्तुति अपभ्रंश (4.9) पूजाष्टक अष्टप्रकारीपूजाकथाअनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत ........ (पे.२) पूर्णिमा पाक्षिक बुद्धिसूरिस्तुति+ हस्तरेखा विज्ञान प्राकृत हस्तरेखा विज्ञान कातन्त्रव्याकरण नेमिचन्द्र प्रा. :गा. १५२५ जयइ जगाइजिणिन्दो पद्य गं. १८७० पद्य ............. १९७/९८(१६)... .......... श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ४३९ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ९७/९८ ग्रन्थ नथी २८७ सिद्धो वर्णसमाम्नायः शर्ववर्मदेव गद्य संपूर्ण ताडपत्र ९७/९८(११) कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र सह दौर्गसिंही टीका कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र-टीका धर्मोपदेशमाला (अपूर्ण) धर्मोपदेशमालाप्रकरण :शर्ववर्मदेव दुर्गसिंह गद्य श्रेष्ठ ताडपत्र अपूर्ण प्रा..... सम्पूर्ण मण्डलाकार १७५ .......... ९७/९८(७१) भयवं दसन्नभदो............... जयसिंहसूरि गा. १०३ ......... 277 Page #295 --------------------------------------------------------------------------  Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (वताहंस) हंसविजयजी ताडपत्रीय भंडार ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार लेखन वर्ष पत्र प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार ९९/१००(३९७)...... आदिवाक्य ४४२ उपमितिभवप्रपञ्चा कथा श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ३९४ सिद्धर्षि गणि वि.९६२ । नमो नि शिताशेषमहा प्रस्ताव-८./विशिष्ट रचना प्रशस्ति. अध्याय ८. १६००० ४४३ हरिवाहन चरित्र श्रेष्ठ संपर्ण ताडपत्र १९९/१००(७६).. ४४४व्यवन श्रेष्ठ ९९/१००(२६०).....७५-७७, ११२-१३९ नंबरना पेज व्यवहारसूत्र वृत्ति व्यवहारसत्र-वत्ति -------- -- --- धर्मरत्नकरण्डक २६३ प्रणमत नेमिजिनेश्वर गद्य मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ वर्द्धमानसूरि श्रेष्ठ २५. श्लाक १००00 ९९/१००(२४४). पद्य ९९/१००(२७३)...... व्यवहारसुत्रवृत्ति ताडपत्र 3८८ १-१९ नंबरना पेज नथी. व्यवहारसत्र-वत्ति मलयगिरि गं939१९ प्रणमत नेमिजिनेश्वर श्रेष्ठ ताडपत्र ९९/१००(३५२) पृष्ठ माहिती नथी गद्य उत्तराध्ययनसूत्रवृत्ति उत्तराध्ययनसूत्र-वृत्ति शतकचूर्णि शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-चूर्णि ताडपत्र प्रा. ............ १२०. ९९/१००(४४).. सिद्धो निद्धयकम्मोगद्य ग्रं. २३२२........ 279 Page #297 --------------------------------------------------------------------------  Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (डतामुक्ता) मुक्ताबाई जैन ताडपत्रीय ज्ञानमंदिर - डभोई पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार १०१/१०२(२७७) गद्य प्रतविशेषमाप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भगवतीसूत्र संपूर्ण ताडपत्र २७६ पत्र १३८AB=२७६ श्रेष्ठ : सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ प्रा. गं.१६००० नमो अरिहन्ताणं. ताडपत्र जम्बूस्वामी चरित्र जम्बूचरित्र संपूर्ण... अपभ्रं. १०१/१०२(४).... पद्य गा.२० पढमभवे भवदेशे गहियवओ :संपर्ण मारुगजेर ४५१ : चैत्यवन्दन गाथार्थ चैत्यवन्दनासूत्र-गाथार्थ जिन स्तुति जिनस्तुति ४५३ :सप्ततिका सार्धशतक चर्णि १०१/१०२(२) गद्य १०१/१०२(२). संपूर्ण संपूर्ण ताडपत्र १०१/१०२(२६) सक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-चणी गद्य ४५४ संपूर्ण गं.१२८० १०१/१०२(२४). संयुक्त प-ग १०१/१०२१४१. संपूर्ण ताडपत्र ताडपत्र :प्रा. गा.२३. १०१/१०२(९) नमिऊण छन्दलक्षणघेणु: पद्य नत्वा सर्वसमीचीनं गद्य १०१/१०२(९) ग्र.२४३ का ? कल्पसूत्र भद्रबाहुस्वामी महावीर जिन स्नात्र महोत्सव...... श्रेष्ठ महावीरजिन स्नात्र महोत्सव जिनेश्वरीय छन्दोग्रन्थ सह विवरण श्रेष्ठ छन्दोनुशासन जिनेश्वरसूरि छन्दोनुशासन-विवरण । मुनिचन्द्रसूरि जिनवल्लभ कृतयः (4.9) पञ्चकल्याणकस्तव जिनवल्लभ (पे.२) सर्वजिनकल्याणकस्तव सर्वजिनकल्याणकस्तोत्र : जिनवल्लभ (प.३) भावारिवारणस्तोत्र (पे.४) पावजिनस्तोत्र जिनवल्लभ (पे.५) पार्श्वस्तुति-चक्राष्टकेन जिनवल्लभ (4.5) नाभेयस्तोत्र नाभेयजिनस्तोत्र जिनवल्लभ (पे.५) लघुअजितशान्तिस्तव ......... प्रीतटात्रिशादिन्द (पे...१.२. (पे. पृ. २) पे.वि.:/ i................ श्लोक८ पुरन्दरपरस्पर्थि पद्य जिनवल का.३० भावारिवारणनिवारणदारु पद्य (पे.प.२.१.. (पे.पू. ५-६ श्लोक १० ......... श्लोक चक्रे यस्य नतिः सदा पद्य (पे........पे.वि..: गाथा-२५... गा.२० नाभियजिणमुसभ उल्लसिक्कमनक्ख... पद्य पद्य गा.१७ (ये..?) पे.वि. : झेरोक्ष पत्र-५-६. पाठ घिसा 281 Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (डतामुक्ता) मुक्ताबाई जैन ताडपत्रीय ज्ञानमंदिर - डभोई हुआ है. प्रति.पुष्पिका में प्रतिलेखन वर्ष है किन्तु स्पष्ट पढ़ा नहीं जाता. संभवतः १२वी सदी है. (पे.पृ.२-११) पे.वि. : अपूर्ण. गाथानुसन्धान यत्र-तत्र असम्बद्ध है. (पे.८) वोच्छेयगण्डिया गा.१७३ : अह पुण सरत्थुवन्तो सर्वज्ञ व्यवस्थापन नाम प्रकाश श्रेष्ठ १०१/१०२(६). सतेजव्यवस्थापननामप्रकाश तिलक मञ्जरी १०१/१०२१८.. तिलकमञ्जरी धनपाल सवःपात जिना.... न्यायग्रन्थ न्याय प्रवेश) ताडपत्र १०१/१०२(४) दार्शनिकग्रन्थ-अज्ञात प्रणम्य शम्भ जगतः बृहत्सग्रहणी : ताडपत्र श्रेष्ठ जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण १०१/१०२(२०)... पद्य बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण गा. ५७९ नियट्ठवियअट्ठकम्म गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे. 1४६२ जिम्बा.. श्रेष्ठ शान्तिसूरि जीवविचार जीवविचारप्रकरण । आवश्यक नियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्ति 1४६३ श्रेष्ठ ताडपत्र :गा.५१ ताडपत्र :गा. २५०० :ग्रं.३१०० जम्बो १०१/१०२(४)...... भुवणपईवं वीरं नमिऊण : पद्य ६४ १०१/१०२(६३) जयइ जगजीवजोणी पद्य वियाणओ १०१/१०२(५६).... भद्रबाहुस्वामी आनुं अने नंदिसूत्रनु आदिवाक्य समान छे. ४६४. :श्रेष्ठ ताडपत्र गरा क्षेत्रसमास टीका क्षेत्रसमासप्रकरण-टीका धर्मबिन्दु (जैनन्याय) धर्मबिन्दु :४६५ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्रवि . १७मी १०१/१०२(१४). पृष्ठ माहिती नथी. 282 Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम अन्य ताडपत्रीय तथा कागळनी प्रतनी झेरोक्ष (अताका) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य संपूर्ण कर्ता श्रेष्ठ कागज तित्थ जलवत्थवक्कल क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीबीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार : १०३/१०४ .पृष्ठ माहिति नथी (प.पू.? (पे.पू..?.. १०३/१०४ (लुधियाणा थी आवेल)/पृष्ठ माहिति नथी. गद्य १०३/१०४...........(लुधिआणाथी आवेल) पृष्ठ माहिति नथी. श्रेष्ठ योनिप्राभृत अने कथारत्नाकर (पे.१) योनिप्राभूत ... (पे.२) कथारनाकर दशाश्रुतस्कन्ध टीका दिशाश्रुतस्कन्ध-टीका दशाश्रुतस्कन्ध टीका दशाश्रुतस्कन्ध-टीका सम्बोधप्रकरण संपूर्ण कागज १०३/१०४ | पृष्ठ माहिती नथी. (लवारनी पोळ-अमदावाद)... पद्य श्रेष्ठ सपण कागज आवश्यकसूत्र नियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्ति :१०३/१०४ पद्य | पृष्ठ माहिती नथी. (देवसा नो पाडो) (क्र.६०१). आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. भद्रबाहस्वामी गा.२५०० ग्रं. ३१०० जयइ जगजीवजोणी वियाणओ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज :१०३/१०४ अ.२०७९ नमो अरिहन्ताणं नमो अष्टभाषामय,पंचपाठ. मारुगजेर :गय संपण कागज १०३/१०४ (आत्मारामजी-वडोदरा) रायपसेणीय सह स्तबक राजप्रश्नीयोपाङगसूत्र राजप्रश्नीयोपागसूत्र-स्तबक उववाई सूत्र वृत्ति औपपातिकोपागसूत्र औपपातिकोपाङ्गसूत्र-टीका... तत्वार्थाधिगमसूत्र भाष्य तत्त्वार्थाधिगमसत्र-भाष्य नयोपदेश प्रकरण ३५. तेणं कालेणं तेणं सधर्मास्वामी ग्रं.११६७ अभयदेवसूरि गं.४300 श्रीवर्द्धमानमानम्य गद्य १०३/१०४......... (५९/१५२५) /पृष्ठ माहिती नथी. श्रेष्ठ संपण कागज उमास्वाति सम्यग्दर्शनशद्ध गद्य श्रेष्ठ १०३/१०४ । (१४५/५९७६) /पृष्ठ माहिती नथी नयोपदेशप्रकरण कातन्त्र व्याकरण सपण कत प्रक्रिया-पडिमात्रा श्रेष्ठ शर्ववर्मदेव सिद्धो वर्णसमाम्नायः १०३/१०४ गद्य १०३/१०४ पृष्ठ माहिती नथी . : कातन्त्रव्याकरण द्वात्रिंशद द्वात्रिशिका द्वात्रिंशद्वात्रिंशिकाप्रकरण अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२) श्रेष्ठ संपूर्ण यशोविजयजी गणि: य३२९ पद्य ৪াওও श्रेष्ठ १०३/१०४(६५) पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष. Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्य ताडपत्रीय तथा कागळनी प्रतनी झेरोक्ष (अताका) प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/क्षे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (पे.9) अभिधानचिन्तामणि शेषनाममाला पत्रांक सुधारा गया है. (पे. पृ. ८६4-९२०) पे.वि. : पूर्ण. प्रारंभिक ४ । गाथाएँ नहीं है. प्रतिलेखन वर्ष-१३८७. ग्रन्थ का अंतिम भाग व प्रतिलेखन पुष्पिका अक्षर घिसे व उखड़े होने से अवाच्य है. :अध्यायकाङ निर्वाणे स्याच्छीती अभिधानचिन्तामणिनाममालाअभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट (पे.२) अनेकार्थसङ्ग्रह सह टिप्पण (पे.पू. ९३०-१६२) पे.वि.: ग्रन्थान-१८२६. अपूर्ण. बीच-बीच के कुछ पत्र नहीं है. अनेकार्थसड़ग्रह.... ............ रेमचन्टसरि ग्रं. १८२७ ध्यात्वार्हतः कतैका ...... अनेकार्थसवग्रह-टिप्पण (पे. पृ. १६२०-१६३०) पे.वि. : संपूर्ण... श्लोक १९ कृष्णः आः स्वयम (ये.३) एकाक्षरनाममाला एकाक्षरीनाममाला (पे.४) पाययलच्छिनाममाला पाइयलच्छीनाममाला (पे.५) शब्दभेदप्रकाश नाममाला (पे. पृ. १६३५-१७३४) पे.वि. : संपूर्ण. गा.२८० पद्य नमिऊण परमपुरिसं पुरि ..... प्रबोधमाधातुमशाब्दिक महेश्वर श्लोक १९२ पद्य जिनभद्रसूरि (ये.६) पञ्चवर्गपरिहारनाममाला (पे.19) पञ्चवगे अनेकार्थ नाममाला (पे.८) पञ्चवर्गपरिहारनाममाला श्लोक २१७ श्लोक १३७ श्लोक ६१ अपवर्गपदाध्यासितमप. आर्हती भारती नत्वा अनेकार्था... पद्य (पे.पू. १७३B-१८४) ये.वि. : अन्त के पाठ अनुपलब्ध है. प.पू. १B-88..प्र.वि.:.संपूर्ण. (पे.पृ. ९B-988) (पे.पृ. १४B-१६B) पे.वि. : अपूर्ण, श्लोक-२ से ३८ नहीं है. (पे.पू.?.पे.वि..: झेरोक्ष पत्र-३०-३१... सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है. जिनभद्रसूरि पय अमरचन्द्रसूरि श्लोक १९ विश्वाभिधानकोशानि... पद्य १०३/१०४(२५) :हस्तप्रत (4.82.एकाक्षरीनाममाला ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि (ये.) ज्ञानार्णवप्रकरण सह स्वोपज्ञ विवरण ज्ञानार्णवप्रकरण ज्ञानार्णवप्रकरण-स्वोपज्ञ विवरण (पे.२) ऋषभजिनस्तवन (पे. पृ. १-३२) पे.वि. : अपूर्ण, श्लोक-३३ के विवरण तक है. ला. द. नंबर-४३०७७. यशोविजयजी गणिसं. यशोविजयजी गणिसं. य शोविजयजी गणि मारुगुर्जर गा.९ समरथ साहिब समता दरिओ पद्य .....(पे.पू. ११) पे.वि. : संपूर्ण. ला.द. नम्बर-........ 284 Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम अन्य ताडपत्रीय तथा कागळनी प्रतनी झेरोक्ष (अताका) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा गा.८ एक पुरुष अति दीपतो :पद्य (पे.३) हरियाली (पे.४) तिङन्चयोक्ति :४८१ :द्रव्यालड़कार ४३०७४. (पे.पू. १आ). (प.पू...पे.वि... अपूर्ण.ला.द..नंबर-४३०९९.... पृष्ठ माहिती नथी /(पंडित रामचंद्र गुणचंद्र)...... गद्य यशोविजयजी गणि : मारुगूर्जर यशोविजयजी गणि.. श्रेष्ठ रामचन्द्रसूरि, गुणचन्द्रसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण रामचन्द्रसूरि, गुणचन्द्रसूरि श्रेष्ठ संपर्ण ४८२ द्रव्यालङ्कार १०३/१०४ पृष्ठ माहिती नथी.(पंडित रामचंद्र गुणचंद्र) : गद्य ४८३ द्रव्यालङ्कार हस्तप्रत १०३/१०४ पृष्ठ माहिती नथी.(पंडित रामचंद्र गुणचंद्र) (संवत १४९२ नी लखेली प्रत) गद्य रामचन्द्रसूरि, गुणचन्द्रसूरि श्रेष्ठ द्रव्यालङ्कार १०३/१०४ पृष्ठ माहिती नथी. (पंडित रामचंद्र गुणचंद्र संवत १४९२नी लखेली प्रत) गद्य रामचन्द्रसूरि, गणचन्द्रसरि :श्रेष्ठ संपण १०३/१०४(३६) पृष्ठ माहिती नथी. मोहोन्मूलनवादस्थानक वाक्यार्थविचारवादस्थानक (पे.१) मोहोन्मूलनवादस्थानक अजितदेव आचार्य :वि. ११८५ महादिमोहमातङ्गकुम्भ गद्य अजितदेव आचार्य वि. ११८५ (पे.२) श्वेतपटता क्रियते मया वाक्यार्थविचारवादस्थानक इह हि नैयायिकमतानु गद्य श्रेष्ठ १०३/१०४(५४) अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदि नाममालाओ (भाग-१) (प.पू. १-२५) पे.वि. : पत्रांक झेरोक्ष पत्र का उल्लिखित है.रचना स्थल सौवर्णिकानगरी (पे.पृ.२५-३६) पे.वि. : पत्रांक झेरोक्ष पत्र का उल्लिखित है. [कृ.वि. : परिमाण काव्य स्वरूपे छ रचना स्थल तुडकेश्वर-लाटदे. पृष्ठ माहिती नथी.(जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र-५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३.पत्र ही है. (पे. पृ. १७4-८५B) 4.वि. : संपूर्ण पत्रांक-9१७ पर कोई अन्य कृति होनी चाहिये जो इस प्रत में नहीं है. (पे.१) अभिधानचिन्तामणिनाममाला सह टिप्पण Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्य ताडपत्रीय तथा कागळनी प्रतनी झेरोक्ष (अताका) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य आदिवाक्य अभिधानचिन्तामणिनाममाला हेमचन्द्रसूरि अध्याय ६कांड ग्रं. प्रणिपत्याहेत: २६३० गद्य अध्याय ६काड निर्वाणे स्याच्छीती E(पे.पू. ८५8) पे.वि. : अपूर्ण. प्रारंभिक मात्र४ श्लोक हैं. अभिधानचिन्तामणिनाममालाटिप्पण (पे.२) अभिधानचिन्तामणिनाममालाअभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट (पे.३) अनेकार्थसङ्ग्रहषट्स्वरकाण्ड पर्यन्त सह टिप्पण अनेकार्थसडग्रह अनेकार्थसङग्रह-टिप्पण कल्पसूत्र मूळ (पे. पृ. १३४०-१५९०) पे.वि. : अपूर्ण, प्रारंभ से त्रिस्वरकांड श्लोक-१०६१ तक के पाठ नहीं है. ग १/ q ध्यात्वाताकतका गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र :पृष्ठ माहिती नथी.(प्राच्य विद्या भवन) कल्पसूत्र गं. १२८० नमो अरिरन्नाणं भद्रबाहस्वामी श्रेष्ठ १०३/१०४ सयुक्त प+ग १०३/१०४ जीतकल्प संपूर्ण ताडपत्र जीतकल्पसूत्र गा. १०५ ग्रं. १३० कयपवयणप्पणामो वोच्छं पद्य जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाअमण ४८९ सुदर्शना चरित्र श्रेष्ठ ताडपत्र १०३/१०४ :पृष्ठ माहिती नथी.(प्राच्य विद्याभवन ताडपत्रीय झेरोक्ष) हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने आवकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. पृष्ठ माहिती नथी (खंभात ताडपत्रीय झेरोक्षनं.२२२) देवेन्द्रसूरिकृत करता जुईं. पृष्ठ माहिती नथी (खंभात ताडपत्रीय झेरोक्षनं.२२२).. देवेन्द्रसुरिकृत करता जुर्दू पृष्ठ माहिती नथी. (यशो वि.ए पोताना हस्ताक्षर मां लखेली प्रतनी झेरोक्ष) सुदर्शनाचरित्र सुदर्शना चरित्र ४९० ताडपत्र १०/१०४ सुदर्शनाचरित्र ज्ञानबिन्दु :४९२ हस्तप्रत १०३/१०४ ४९३...... आगम मञ्जूषानी झेरोक्ष............ श्रेष्ठ .............. संपूर्ण...... १०३/१०४..........पृष्ठ माहिती नथी. 286 Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ४९४ ४९५ ४९६ ४९७ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम पञ्चकल्पभाष्य चूर्णि पञ्चकल्पसूत्र पञ्चकल्पसूत्र - महाभाष्य पञ्चकल्पसूत्र-चूर्णी सिद्धहेमशब्दानुशासन मूळ पाठ सिद्धहेमशब्दानुशासन बैजनाथ अपूर्ण वैजनाथ प्रकरण पुस्तिका (पे. १) उपदेशमाला (पे. २) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.३) मूलशुद्धिप्रकरण (पे.४) पञ्चकल्याणकप्रकरण (पे.५) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण स्थिति कर्ता श्रेष्ठ सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ श्रेष्ठ धर्मदास गणि जयसिंहसूर प्रद्युम्नसूरि जिनेन्द्रइन्द्र जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण अन्य ताडपत्रीय तथा कागळनी प्रतनी झेरोक्ष (अताका) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र आदिवाक्य प्रत प्रकार रचना वर्ष भाषा संपूर्ण सं. प्रा. प्रा. संपूर्ण सं. अपूर्ण संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. परिमाण हस्तप्रत गा. २५७४ ग्रं. ३१२५ ताडपत्र ताडपत्र ताडपत्र गा. ५४४ गा. १०१ गा. २१४ गा. १३७ गा. ८६ वि. १३०१ 287 वन्दामि भदबाहुं मङ्गलादीणि सत्याणि 0 अर्ह सिद्धिः स्याद १ २५७ नमिऊण जिणवरिन्दे सिज्झउ मज्झविसुयदेवि वन्दामि सव्वन्नुजिणि तित्थं पवयण सुयदेवयं नमिउण सजल जलहर क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार १०३/१०४ पद्य गद्य १०३/१०४ गद्य १०३/१०४ पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पद्य पृष्ठ माहिती नथी. (नकल-३, A,B,C) (प्रेस कोपी नी झेरोक्ष) १०३ / १०४ (१२७) प्रतिलेखन पुष्पिका सचित्र पद्य पृष्ठ माहिती नथी. प्रत अपूर्ण. पू. जंबूविजयजी म.सा. नी ताडपत्री परथी लीथेली ताडपत्री झेरोक्ष) / पाटण माइक्रोफिल्म रॉल नं.३२ अनुक्रमांक ६२८ उपर पर आनी विगत मळे छे. ते माइक्रोफिल्म रॉल नं. अने शॉट नं. सांकळ्या छे. (पे. पृ. २A ५९B) पे. वि. पूर्ण. प्रथम पत्र की गाथा १ से ४ नहीं है. अंतिम पत्र पर आदिनाथ भगवान का चित्र है. [कृ.वि.: गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे. पृ. ६०-७१B) पे.वि.: गाथा - १०३. (पे. पृ. ७२A ९४B) पे.वि. गाथा-२२२. प्रथम पत्र पर चन्द्रप्रभस्वामी का चित्र है. [कृ.वि.: गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे.. (पे.पृ. ९५A १०९B) पे.वि. गाथा-१३५. अंतिम पत्र पर अजितनाथ भगवान का चित्र है. H [कृ.वि. कर्ता ? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छल्ली गाथाओमां तफावत होय छे] (पे.पृ. ११०4-११९B) पे.वि.: गाथा - ९४. [कृ.वि. गाथा - ८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्य ताडपत्रीय तथा कागळनी प्रतनी झेरोक्ष (अताका) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र :प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (पे.६) जीवदयाप्रकरण वियपद्य :गा.११६ संसयतिमिरपयङगे भविय (पे.७) नवपयं नवपदप्रकरण प्रा. गा. १३८ नमिउण वद्धमाणं मिच्छ पद्य जिनचन्द्रसूरि, देवगुप्तसूरि बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे.] (पे.पू. १२००-१३२8) पे.वि. : गाथा-999. (पे. पू. १३३4-989B).पे.वि..: गाथा-१३८..... कृ.वि. : कर्ता तरीके सूचीपत्रोमा बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए. बन्ने नाम जणाय छे. (प.पू. १४८A-१६३B). (पे.पृ. १६३४-१६६A/ पं.वि. : गाथा-२३. अन्तिम पत्र पर पद्मप्रभ भगवान का चित्र है. कृ.वि. : गाथा २१ थी २४ मळे छे.]... (पे. पृ. १६६-१७३) आसङ वि. १२८८ परा (पे.) विवेकमञ्जरीप्रकरण... (ये.९) भयहरस्तोत्र प्रा. प्रा. गा. १४४ गा.२३ सिद्धिपुर सत्थवाहं नमिऊण पणयसुरगणचूडामण पद्य मानतुङगसूरि आयरिय उवज्झाए सीसे. (पे.१०) सामायिकसूत्र, वंदितु, आयरिय-उवज्झाय व नाणमिसूत्र प्रतिक्रमणसूत्रसग्रह (पे.११) पावपडिग्यायगुणवीयाहाणसत्त. पञ्चसूत्र (पे.१२) गौतमपृच्छा प्रकरण (पे. पृ. १७३4-१७७) अध्याय ५सत्र नमो वीतरागाणं सच नमिऊण तित्थनाहं जाण गा.५३ पद्य (पे.पृ. 91998-१८५A) पे.वि. : गाथा-६७. पत्रांक १८४ पर भगवान नेमिनाथ एवं १८५ पर भगवान पार्धनाथ का चित्र है. कृ.वि. गाथा :५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे] (पं.पृ. १८५-१८/04/ (प.पू.१८84-१९०B... (पे. पृ. १९94-२३७A) ये.वि. : प्रथम पत्र पर भगवान महावीर का चित्र है. :श्लोक २२ (पे.१३) धर्मलक्षणप्रकरण : विमलसूरि (पे.१४) प्रश्नोत्तररलमालिका विमलसूरि .......... (पे.१५) योगशास्त्र प्रकाश चतुष्ट्य धर्मार्थ क्लिश्यते ............ का खलु नालड़िक्रयतेपद्य सं. का.२८........ योगशास्त्र हेमचन्द्रसूरि स नमो दुर्वाररागादिवर यः परात्मा परज्योत (ये.१६) वीतरागस्तोत्र अध्याय १२प्रका अध्याय २० ग्रं. १८७ हेमचन्द्रसूरि पद्य (पे.पृ. २३७4-२१७8) पे.वि. : पूर्ण. पत्रांक २५६ नहीं है. हेमचन्द्राचार्य व महाराजा कुमारपाल भूपाल का प्रासंगिक चित्र है. [कृ.वि. : प्रकाश२०] 288 Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम अन्य ताडपत्रीय तथा कागळनी प्रतनी झेरोक्ष (अताका) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार १०३/१०४ प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ४९८ नारचन्द्र ज्योतिष प्रथम प्रकरण श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण ताडपत्र पाटण माइक्रोफिल्म रॉल नं.३२ अनुक्रमांक-६२४ उपर पर आनी विगत मळे छे. ते माइक्रोफिल्म रॉल नं. अने शॉट नं. सांकळ्या छे..... : वि.११८० :२४९ १०३/१०४ ग्र.३५० :सयक्त प+ग नारचन्द्र ज्योतिष नरचन्द्रसूरि मलधारी पाक्षिकसूत्र यशोदेवीय वृत्ति सह श्रेष्ठ किञ्चिद् चूर्णि पाक्षिकसूत्र पाक्षिकसूत्र-वृत्ति पाक्षिकसूत्र-चूर्णी सर्वसिद्धान्त विशमपदपर्याय... सर्वसिद्धान्तविषमपदर्याय कर्मविपाकसूत्र वृत्ति यशोदेवसार लोक5000 वि११/o तित्थडकरे य तित्थे शिवशर्मकनिमित्तं नित्यं विशुद्धमनसो HUNT गद्य यशोभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारणी. पृष्ठ माहिती नथी. अष्ट हस्तप्रत १०३/१०४ ताडपत्र १०३/१०४ पृष्ठ माहिती नथी. (प्रत क्रमांक ५०१AB)(प्रेस कोपी नी झेरोक्ष)(कोवा) गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे. गा.१६७ ववगयकम्मकलड़कं वीरं रागादिवर्गहन्तारं पद्य :गद्य कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गर्गर्षि कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ-टीका कर्पूरप्रकर वृत्ति सह..... श्रेष्ठ कर्पूरप्रकर हरिषेण कर्पूरप्रकर-टीका पट्टावली तपागच्छीय सह टीका: श्रेष्ठ संपण १९३. १०३/१०४.......... डेहेला ना उपाश्रयनी प्र.नं.-६६६९.............. पद्य गद्य ५०३ संपर्ण १०३/१०४(७२) इसी प्रत की दो नकल है जिसे झेरोक्ष पत्रांक क्रमशः दिया गया है. आचार्य हीरसूरि की आज्ञा से १६४८ में वाचक कल्याणविजयजी द्वारा संशोधित प्रति./चाणस्मा भंडार की प्रति. ....... सिरिमन्तो सुहहेउ अथ गुरुपरिपाटी कथनाय पद्य पट्टावली तपागच्छीय मुनिसुन्दरसूरि...... पट्टावली तपागच्छीय-टीका धर्मसागर ५०४ औपपातिकसूत्रवृत्ति औपपातिकोपाङगसूत्र-टीका अभयदेवसूरि ५०५. राजप्रश्नीयोपाङ्ग सह वृत्ति ..... :श्रेष्ठ श्रेष्ठ ६५ श्रीवर्द्धमानमानम्य वि. १६६२११८ १०३/१०४(१२८).. गद्य १०३/१०४(२३४) टीका ग्रन्थान-३७००. लेखन स्थल: पाटण 289 Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम :प्रत प्रकार अन्य ताडपत्रीय तथा कागळनी प्रतनी झेरोक्ष (अताका) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष | आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पष्ट. पेटा विशेष का प्रा. अष्ट्रभाषामय पचपाठ राजप्रश्नीयोपागसूत्र राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र-वृत्ति... मलयगिरिसूरि ... राजप्रश्नीयोपाङ्ग सह वृत्ति श्रेष्ठ ग्रं.२०७९ ग्रं.३७०० नमो अरिहन्ताणं नमो प्रणमत वीरजिनेश्वर ८५ - ५०६ संपूर्ण कागज वि. १६१६ १०३/१०४(१६८) टीका ग्रन्थान-३७००. लेखन स्थल: अहमदाबाद गं. २०७९ अष्टभाषामय पंचपाठ राजप्रश्नीयोपाङगसूत्र राजप्रश्नीयोपाड़गसूत्र-वृत्ति पट्टावली नमो अरिहन्ताणं नमो. प्रणमत वीरजिनेश्वर मलयगिरिसूरि गं.3900 गद्य १०३/१०४(१२) श्रेष्ठ कागज वि. १८३३ चाणस्मा भंडार की प्रति. मूल पत्रांक-६ तथा झेरोक्ष पत्रांक-१२ नहीं है. गद्य शिष्य श्रीगौतमस्वामी ७६ ५०८ चौरासी गच्छनी पट्टावली श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १९१४ १०३/१०४(१५१) श्री विनयजीवन मणिविजयजी जैन पुस्तकालय चाणस्मा की प्रति. लेखन स्थल : झोटाणा स.मारुगुजर 290 Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (लिंता) लिंबडी ताडपत्रीय ज्ञानभंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष : पत्र ग्रंथांक :स्थिति : पूर्णता : प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल | पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य संपूर्ण हस्तप्रत........ वि. १५६५ .... लघीयस्त्रयप्रकरण सटीक लघीयस्त्रयप्रकरण २५ धर्मतीर्थकरेभ्योस्तु श्रेष्ठ अकलङ्कदेवसूरि (दिगम्बर) अभयचन्द्र श्रेष्ठ लघीयस्त्रयप्रकरण-टीका बृहत्कल्पचूर्णी संपूर्ण हस्तप्रत :वि. १५६३ :१५७ ग्रंथसूचि मा प्रत क्रमांक-४२ आपेल छे. प्रायः शुद्ध प्रति गं. १४७८४ बृहत् कल्पसूत्र-कल्पचूर्णी निशीथभाष्य निशीथसूत्र-भाष्य श्रेष्ठ संपर्ण मडगलादीणि सत्थाणि वि.१५६१९६ णवबम्भचेरमइओ अट्ठारस प्रा. गा.६४३९ ग्र. ८४०० श्रेष्ठ संपर्ण हस्तप्रत भद्रबाहस्वामी अध्याय ६उद्दे. णो कप्पड णिग्गन्याण श्रेष्ठ संपर्ण हस्तप्रत ११३ सं. गद्य ब्रह्मर्षि श्रेष्ट यथास्थिताशेषपदार्थ :३६७ संपूर्ण .. ग्रं. ५१५२ हस्तप्रत ग्रं.११००० । बृहत् कल्प. बृहत् कल्पसूत्र दशाश्रुतस्कन्धटीका दशाश्रुतस्कन्ध-जनहिता टीका स्थानाडगसत्रगतगाथाविवरण स्थानागसूत्र-वृत्तिगत गाथाविवरण दशाश्रुतस्कन्धटीका दशाश्रुतस्कन्ध-जनहिता टीका तत्त्वार्थसूत्रभाष्यवृत्ति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-स्वोपज्ञभाष्य नी वि. १७१४ सुमतिकल्लोल, . सं. :वि. १७०५ हनन्दन श्रेष्ठ संपर्ण हस्तप्रत १८३ यथास्थिताशेषपदार्थ ब्रह्मषि गं. ५१५२ श्रेष्ठ संपर्ण हस्तप्रत ५१० सिद्धसेन ग्रं.२२२८२ वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ वृत्ति भाष्य उपर पण छे. टीका ९४४ तत्त्वार्थभाष्य श्रेष्ठ संपूर्ण हस्तप्रत शुद्ध, मुद्रित सूचीमा पृष्ठ संख्या-८९ आपेल छे. उमास्वाति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-भाष्य ९६५.......धर्मविन्दुसटीक सम्यग्दर्शनशुद्ध ६.९९-५(१६ थी २०)-९४....... श्रेष्ठ 291 Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १४६५ २४३२-१ ३३०६ ३४१४-१ ३४१४-२ ३४१५ ३४१६ ३४१७ ३४१८ ३४१९ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम धर्मबिन्दुप्रकरण धर्मबिन्दुप्रकरण-वृत्ति न्यायसिद्धान्तद्वीप नवाणुप्रकारीपूजा शत्रुञ्जयोद्धार औपपातिकोपाङ्ग सूत्र औपपातिकोपाङ्गसूत्र राजप्रश्नीयोपाङग सूत्र राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र भवभावनाप्रकरण किञ्चिदपूर्ण भवभावनाप्रकरण पिण्डविशुद्धिप्रकरण वृत्तिसहित पिण्डविशुद्धिप्रकरण पिण्डविशुद्धिप्रकरण-वृत्ति पाक्षिकसूत्र सवृत्तिक पाक्षिकसूत्र पाक्षिकसूत्र-वृत्ति ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र ज्ञाताधर्मकथाङगसूत्रवृत्ति ज्ञाताधर्मकथाङगसूत्र-वृत्ति स्थिति कर्ता हरिभद्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि श्रेष्ठ शशधर श्रेष्ठ वीरविजय श्रेष्ठ नयसुन्दर श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि मलधारी श्रेष्ठ जिनवल्लभ सङगदेव श्रेष्ठ यशोदेवसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ अभयदेवसूरि पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण रुगुर्जर संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. अपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. अपूर्ण सं. (लिंता) लिंबडी ताडपत्रीय ज्ञानभंडार प्रतिलेखन वर्ष प्रत प्रकार पत्र परिमाण रचना वर्ष अध्याय ८ ग्रं. ३००० हस्तप्रत श्लोक २५०० हस्तप्रत हस्तप्रत ताडपत्र ग्रं. ११६७ ताडपत्र ग्रं. २०७९ ताडपत्र गा. ५३१ हस्तप्रत गा. १०४ ताडपत्र ग्रं. ३५० श्लोक २७०० ताडपत्र ग्रं. ५००० ताडपत्र ग्रं. ४३६६ वि. १६६४ वि. १८८६ बि. १६९४ वि. १६३८ वि. ११७० वि. १३०१ वि. ११८० वि. ११२० 292 आदिवाक्य प्रणम्य परमात्मानं शुद्धन्यायवशायत्तीभू ७६ १ ८ ९३ तेणं कालेणं तेणं १३० नमो अरिहन्ताणं नमो ५२ देविन्दविन्दवन्दियपय ३०६ तित्थङ्करे य तित्थे शिवशर्मेकनिमित्तं • क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (सीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य गद्य नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ पद्य २२२ १९२ तेणं कालेणं तेणं पद्य ३५३-४ (२३० थी २३३) ३४९.. नात्वा श्रीमन्महावीरं पद्य पद्य गद्य संयुक्त प+ग पद्य : गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष पृष्ठ माहिती ७ पत्रांतर्गत. रचना संवत १६३७ पण छे. अष्टभाषामय, पंचपाठ मुद्रीत ग्रंथसूचिमां पृष्ठ संख्या ५१ थी १०० आपेल छे. पत्र नं. १, ११ नथी. गाथा १०५ सुधी मळे छे. पत्र ९५. ३०६ नथी. पत्र ३३० अने ३३३ नथी. / पत्र ३३० अने ३३३ नथी. Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ४०० ४०१ ४०२ ४०३ ४०५ ४०७ • ४०८ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम लौकिकन्यायरत्नाकर लौकिकन्यायरत्नाकर लौकिकन्यायरत्नाकर लौकिकन्यायरत्नाकर स्थिति कर्ता श्रेष्ठ रघुनाथ वर्मा उदासीन सं. श्रेष्ठ (पुत्रे) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रघुनाथ वर्मा उदासीन ! सं. श्रेष्ठ प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र सह मलयगिरीय श्रेष्ठ व प्रदेश टीका प्रज्ञापनासूत्र प्रज्ञापनासूत्र - बृहद्वृत्ति प्रज्ञापनासूत्र - लघुवृत्ति दशवैकालिकसूत्र सह टीका दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र टीका दशवैकालिकसूत्र सह नियुक्ति व : श्रेष्ठ भाषा प्रतिपूर्ण श्यामाचार्य रघुनाथ वर्मा उदासीन सं. श्रेष्ठ मलयगिरिसूरि प्रतिपूर्ण हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ शय्यम्भवसूरि तिलकसूरि रघुनाथ वर्मा उदासीन सं. प्रतिपूर्ण प्रतिपूर्ण संपूर्ण प्रा. सं. सं. अपूर्ण प्रा. सं. अपूर्ण परिमाण कागज कागज कागज कागज कागज अध्याय ३६ प्रज् ग्रं. ७८८७ ग्रं. १६००० ग्रं. ३९३८ कागज ग्रं. ७०० ग्रं. ७००० : कागज रचना वर्ष ईस. १९५७ 293 ईस. १९५७ ईस. १९५७ ईस. १९५७ वि. १३०४ आदिवाक्य १७५ यस्माज्जातं निखिलभुव गद्य २११ यस्माज्जातं निखिलभुव २३३ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार (१७५) यस्माज्जातं निखिलभूव ५९० नमो अरिहन्ताणं नमो जयति नमदमरमकुटप्रति २३५ धम्मो मगलमुक्किट्ठ अर्हन्तः प्रथयन्तु १५७ (290) यस्माज्जातं निखिलभुव गद्य ४२१ (४२०) गद्य (२३२) गद्य (५९० ) गद्य गद्य गद्य (२३५) संयुक्त प+ग गद्य (१५७) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष इण्डिया ऑफिस पुस्तकालय पुस्तक प्रतिलिपि - १. / लेखन काल- १४.०८.१९५७ से १५.०९.१९५७, विक्रम १८६५ मूल प्रत पर से लिखी जाने की संभावना है. इण्डिया ऑफिस पुस्तकालय पुस्तक प्रतिलिपि२. / लेखन काल १५.०९.१९५७ से ०२.११.१९५७. . विक्रम १८६५ मूल प्रत पर से लिखी जाने की संभावना है. इण्डिया ऑफिस पुस्तकालय पुस्तक प्रतिलिपि - ३. / लेखन काल - ०२.११.१९५७ से विक्रम १८६५ मूल प्रत पर से लिखी जाने की संभावना इण्डिया ऑफिस पुस्तकालय पुस्तक प्रतिलिपि - ४ / प्रतक्रम ४०० ४०३ विक्रम १८६५ मूल प्रत पर से लिखी जाने की संभावना है. प्रज्ञापनोपाङ्गनी उपयोगी नोन्ध प्रारंभिक ११ पत्र अलग से है. प्रज्ञापना-३६. • पत्रक्रम-३०+१७+990 इस प्रकार है. Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पु) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम :क्लिन/ओरिजिनल । प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति दशकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-नियुक्ति ग्र.७०० शय्यम्भवसूरि भद्रबाहुस्वामी धम्मो मङगलमुक्किट्ठ : संयुक्त प+ग सिद्धगतिमुवगयाणं : पद्य गाथा संख्यामां थोड़क वैविध्य मळे छे. गा.४४० ग्रं. ४४६ दशवैकालिकसूत्र-बृहद्वृत्त्यनुसारिणी गद्य वृत्ति ४१० भगवतीसूत्र श्रेष्ठ कागज २४० अपूर्ण (२४०) जेसलमेर लोकागच्छीय प्रत पर से. सुधर्मास्वामी ग्रं. १६००० गद्य सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र प्रा. संपूर्ण नमो अरिहन्ताणं... १३२. नमो अरिहन्ताणं... .(१३२...... :कागज ग्रं.२२०० प्रास्ताविक ३ पत्र अलग से. गया :श्रेष्ठ अपर्ण कागज (२६१) ग्रं.४१४६ नमो अरहन्ताणं... नत्वाहेन्तं गुरु बृहद्वृत्त्यनुसारि अवचूणि. श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण कागज जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सह अवचूरि जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-अवचूर्णि प्रश्नव्याकरण सह दीपिका वृत्ति - प्रथमद्वार पर्यन्त प्रश्नव्याकरणसूत्र प्रश्नव्याकरणसूत्र-दीपिका टीका विनयपिटक सुधमास्वामी ग्रं.१३५० नमा अरहन्ताण। जम्ब गद्य नमः श्रीशान्तिनाथाया :अजितदेवसूरि श्रेष्ठ कागज ३५९ अपूर्ण पाली संपूर्ण (३५९) पद्य (७९) शतार्थी श्रेष्ठ कागज सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है. योगशास्त्र के दूसरे अध्याय के १वे श्लोक की टीका. हेमचन्द्रसूरि परिग्रहारम्भ मग्नास मानसागर प्रणम्य परमप्रीत्या योगशास्त्र-हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक योगशास्त्र के द्वितीय प्रकाश का हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक-शतार्थी टीका धर्मविलास :४१७ कागज ८७ :(८७) पद्य मतिनन्दन गणि अध्याय ४उल्लास विश्वत्रयीजन्तुहिता संघपति अष्ठिवर्य जावड आवक के आग्रह से रचना हुई है. 294 Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पुने) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र गंशांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार ..(१७२). (प. पू.१-१६३) श्रेष्ठ संपूर्ण कागज १७२ विशेषवती आदि (पे.१) विशेषणवती सह टिप्पणी विशेषणवती गा.३४८ ग्रं. उस्सेहडगुलमेगं.... पय जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण ५१९ श्लोक १४ पद्य विशेषणवती-टिप्पण (पे.२) श्रावकव्रतभङ्गभेदसङ्ख्या (पे.३) सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण-छाया (पे.४) योगविधानविंशिका (पे.५) केवलज्ञानविशिका (पे.६) सिद्धविभक्तिर्विशिका (पे.७) सिद्धसुख वर्णन श्रीपाल चरित्र उतेसेधाडगुलमिति पद्य प्रणम्य समस्तपरमार्थ पद्य सिद्धं सिद्धार्थसुतं मोक्षेण योजनाद योगः पद्य केवलज्ञानमनन्तं जीव सिद्धानां च विभक्तिः । : पद्य श्लोक२० श्लोक २० (प.पू. १६४-१६५) (पे.पू. १६७) पे.वि. : गाथा-९ तक ही है. (प.पू. १६८-१६९). (पे.पृ. १६९-१७०). (पे.पू. १७0-909) (प.पू. १७२. पद्य श्लोक२० नत्वा त्रिभवनगरूं पद्य ४१९-१ कागज (७४) ज्ञानविमलसूरि वि.१७४५ गद्य रचना स्थल उन्नतपुर सकलकुशलवल्ली सेचने :४१९-२ श्रेष्ठ कागज 30 (30) गा.५ :पय वंशाब्जश्रीकरो हंसो पद्य उपसर्गहरस्तोत्र सह वृत्ति उपसर्गहरस्तोत्र उपसर्गहरस्तोत्र-टीका+कथा शोभनस्तुति सह टीका शोभनस्तुति शोभनस्तुति-टीका भद्रबाहुस्वामी जिनसूर श्रेष्ठ शोभन सौभाग्यसागरसूरि संपूर्ण कागज १०२ .(१०२) का.९६ पद्य भव्याम्भोजविबोधनैक श्रीमज्जिनेन्द्र ग्रं.३१२५ वि. १७७८ गद्य रचनास्थल-स्तम्भतीर्थ. आचार्य ज्ञानविमलसूरि द्वारा संशोधित. श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ७५ (७५) यशोविजयजी गणि मारुगजेर दाळ२० श्रीसीमन्धर साहिब ... ४१९-४ : सीमन्धरजिन स्तवन सह बालावबोध सीमन्धरजिन स्तवन सीमन्धरजिन स्तवन-बालावबोध विजयाणन्दसूरीश्वर रास विजयानन्दसरीश्वर रास ज्ञानविमलसूरि मारुगजेर पद्य श्रेष्ठ सपण :कागज ऋद्धिविजय मारुगुजर ढाळ९ गा.१०२ वि.१६९६ सुख विलसे दोगुन्दकपद्य रचनास्थल-विजापर :कागज ३६० आचारागसूत्र सह टीका : आचारागसूत्र १६०) संयुक्त प+ग सधर्मास्वामी ग्रं.२६४४ सुयं मे आउसं तेणं 295 Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पु) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक :स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गद्य आदिवाक्य आचारागसूत्र-वृत्ति शीलाङ्काचार्य ग्रं. १२००० शक. ७९८ जयति समस्तवस्तु प्रथम श्रुतस्कन्ध टीका ग्रन्थान-२६६१. बाहरी साधु सहायेन कृता टीका.. iyoq अजितनाथ चरित्र संपूर्ण ३०१ (३०१) श्रेष्ठ देवानन्दसूरि अर्हन् पादाम्बुजध्या पद्य कागज सर्ग ७ श्लोक १७३४ कागज अध्याय ११ कागज ४२२ अरजिन चरित्र श्रेष्ठ संपूर्ण ४१८ .......... येनादौ पद्धतिधर्म ..(४१८) शुभशील :पद्य वि. १५२२ वि.१५४१ ४२३ विद्याविलास कथानक श्रेष्ठ संपर्ण (३२) उल्लिखित प्रतिलेखन वर्ष मूल प्रति का है. भांडारकर ओरियण्टल रिसर्च इंस्टिट्यूट-पूना की प्रति. शुभशील द्वीपेत्र भरतेक्षेतपद्य :४२४ श्रीधरचरित्र श्रेष्ठ संपूर्ण श्लोक ६२४ कागज अध्याय ९ श्लोक वि. १४६३ १६८९ श्रीधरचरित्रकाव्य माणिक्यसुन्दरसूरि यस्मिन्नाभिनरेन्द्र पद्य रचना स्थल सत्यपुर कुमारपालचरित्र संपूर्ण हस्तप्रत २५५ (२५५) कमारपालप्रबन्ध ति985४ स्वयं कतार्थ परूष रचना स्थल देवलपाटक कुन्थुनाथचरित्र अपूर्ण .१४८ (१४८ पदमप्रभ श्रिये देवाधिदेवस्ता :पद्य :४२७ नेमिनाथ चरित्र अपूर्ण ४१९ (४१९) नेमिनाथचरित्र कमला पद्य श्रीमद्युगादिजिनराज १९९ ४२८ पृथ्वीचन्द्रचरित्र संपूर्ण (१९९) विमलकीर्ति गणि के द्वारा लिखी गयी प्रत. अन्त में ग्रन्थान ३२६४ का भी उल्लेख मिलता पृथ्वीचन्द्रराजर्षिचरित्र जयसागर वाचनाचार्य अध्याय ११ ग्र. वि. १५०३ श्रीवीरचरणाम्भोज रचना स्थल प्रहलादनपुर २६५४ पाश्वनाथचरित्र श्रेष्ठ संपर्ण हस्तप्रत : पद्मसुन्दर :अध्याय ७ (९७) भास्वदभोगीन्द्रः.... :पद्य । (२३५) प्रबोधमाधातुमशाब्दिकपद्य ४३० संपूर्ण शब्दभेदप्रकाश सह टीका शब्दभेदप्रकाश नाममाला म हेश्वर श्लोक १९२ ........ 296 Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ४३२ ६ ४३४ ४३५ ४३८ ४३९ ४४० ४४१ ४४३ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम शब्दभेदप्रकाश नाममाला-वृत्ति रायमल्लाभ्युदयमहाकाव्य तिलकमञ्जरीटिप्पन तिलकमञ्जरी टीप्पण चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र व्यवहारसूत्रावचूरि व्यवहारसूत्र - अवचूरि व्यवहारसूत्र स्थिति कर्ता ज्ञानविमल श्रेष्ठ पदमसुन्दर श्रेष्ठ शान्तिसूरि श्रेष्ठ श्रेष्ठ सौभाग्यसागरसूरि श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति श्रेष्ठ व दृष्टान्तकथा चैत्यवन्दनभाष्य देवेन्द्रसूरि धर्मघोषसूरि चैत्यवन्दनभाष्य-सङ्घाचारटीका चैत्यवन्दनभाष्य-कथा चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति श्रेष्ठ व दृष्टान्तकथा चैत्यवन्दनभाष्य देवेन्द्रसूरि धर्मघोषसूरि चैत्यवन्दनभाष्य-सङ्घाचारटीका चैत्यवन्दनभाष्य-कथा चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति श्रेष्ठ (पुत्रे) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा सं. अपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. अपूर्ण प्रा. सं. प्रा. अपूर्ण प्रा. सं. प्रा. संपूर्ण परिमाण ग्रं. ३७०० कागज हस्तप्रत श्लोक १०५० हस्तप्रत ग्रं. १८३१ हस्तप्रत हस्तप्रत ग्रं. ६८८ हस्तप्रत गा. ६३ ग्रं. ७८०८ हस्तप्रत गा. ६३ ग्रं. ७८०८ हस्तप्रत रचना वर्ष वि. १६५४ वि. १९५८ वि. १३०९ 297 आदिवाक्य श्रीमन्तं भगवन्तमन्व २१ स श्रीमान्नाभिसूनुर ७९ सम्यक नत्वा महावीर १०४ जयति नवनलिणिकुवलयविय ७८ य इति सर्वनाम ४६ जे भिक्खु मासिय २८८ तिण्णि निसिही. देवेन्द्रवृन्दस्तुत २५४ तिण्णि निसिही. देवेन्द्रवृन्दस्तुत ४०७ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र / झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (२१) पद्य (७९) पद्य (१०६) गद्य (७६) गद्य (४६) (३२१) पद्य गद्य पद्य (२५४) पद्य गद्य पद्य (४०७) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष सर्ग-२ श्लोक-१५५ तक पाठ है. छाणी भंडार की प्रत पर से नकल की गयी है. प्रत पर हाथ से अज्ञातकर्तृकटीका व शान्तिसूरीय टिप्पन दोनो का उल्लेख है पर प्रत में कहीं भी टीका का उल्लेख नहीं मिलता है. लेखन स्थल पाटण ग्रन्थाग्र-१८५४. ( जुनो नं. १२४ ) यह अवचूरि बृहट्टीका से संकलन करके संक्षेप में बनायी गयी है. उल्लिखित प्रतिलेखन वर्ष मूल प्रति का है.. / विस्तृत प्रतिलेखन पुष्पिका. (जुनो नं. १४२ ) प्रत नं.४४१ इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. (जुनो नं. १४३) प्रत नं.४४० इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. (जुनो नं. १४५) लहिया द्वारा लिखी गयी प्रति. Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ४४४ ४४५ ४४६ ४४९ ४५० ४५१ ४५३ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम व दृष्टान्तकथा चैत्यवन्दनभाष्य चैत्यवन्दनभाष्य-सङ्घाचारटीका चैत्यवन्दनभाष्य-कथा योनिप्राभृत औपपातिकसूत्र औपपातिकोपाङ्गसूत्र उपासकदशाङ्गसूत्र शतार्थी उपदेशमाला - हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा उपदेशमाला का हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा - शतार्थी टीका उपासकदशाङ्कचूर्णि उपासकदशाङगसूत्र- चूर्णि विद्याविलासकथामल्लिनाथकाव्यादुद्धृत मल्लिनाथचरित्र महाकाव्य विद्याविलास कथा भगवतीसूत्र स्थिति कर्ता देवेन्द्रसूरि धर्मघोषसूरि श्रेष्ठ श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ धर्मदास गणि उदयधर्म गणि श्रेष्ठ श्रेष्ठ विनयचन्द्रसूरि श्रेष्ठ (पुत्रे) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य भाषा प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. अपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. अपूर्ण परिमाण गा. ६३ ग्रं. ७८०८ हस्तप्रत हस्तप्रत ग्रं. ११६७ हस्तप्रत ग्रं. ८१२ हस्तप्रत गा. १ हस्तप्रत हस्तप्रत हस्तप्रत 298 वि. १५६३ वि. १६०५ तिण्णि निसिही. देवेन्द्रवृन्दस्तुत २२१ तित्थं जलवत्थवक्कल १०४ तेणें कालेणं तेणं २४० तेणं कालेणं तेणं ५६ दोससयमूलजालं पुव्व नत्वानन्तार्थदेष्टार २३ दिसिजत्तिय गाहा २७ १९ अस्ति स्त्रीस्पर्श ६०५ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झें. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य पद्य (२३२) (904) (२४०) (५६) पद्य पद्य (२३) गद्य (१९) पद्य (६०५) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पत्र २४० व २९२ नहीं है. (जुनो नं. १४६ ) डक्कन कॉलेज की प्रति पर से नकल की गयी है. (जुनो नं. १५८) (जुनो नं. १६० ) उल्लिखित प्रतिलेखन वर्ष मूल प्रति का है. पंडित बेचरदास दोशी द्वारा संशोधित प्रति टिप्पणयुक्त प्रतिलेखन पुष्पिका मध्यम. पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णिमां 'सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित. आचार्य सौभागयनन्दिसूरि के राज्य में पं हर्षसागरगणि ने यह प्रति लिखवायी. परिमाण- श्लोक-३६३ से ५६४ तक.. डभोई जम्बूसूरि म.सा. के भंडार की मूल प्रति की प्रेस कॉपी लालजीवाली. Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पुप्रे) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक :स्थिति प्रतनाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य गं. १६000 नमो अरिहन्ताणं... गया सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ ४५५-१ : उपासकदशाडग हस्तप्रत (७२) पाठान्तरयुक्त भंडारों के संकेत एवं किस पत्र में: क्या पाठान्तर है उसकी सूची. प्रत की प्रेसकॉपी के संदर्भ में सामान्य जानकारी. पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. उपासकदशाङ्गसूत्र सुधमोस्वामी प्रा. ग्रं.८१२ तण कालेणं तेणं ४५५-२ अन्तकृदशागसूत्र हस्तपत श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी ग्रं.८९० तेणं कालेणं तेणं ४५५-३ अष्ट संपर्ण हस्तपत अनुत्तरोपपातिकसूत्र अनुत्तरीपपातिकदशाङ्गसूत्र (१४) सुधर्मास्वामी ग्रं.१९२ तेणं कालेणं तेणं ४५५-४ : प्रश्नव्याकरणसत्र हस्तप्रत सुधास्वामी गं. १३५० ४५५-५ विपाकसूत्र हस्तप्रत (७७). नमो अरहन्ताणं। जम्बू गद्य ७९ ७९) तेणं कालेणं तेणं (५) चवीस: जिनपय नमी पद्य सुधमास्वामी गं. १३१६ संपर्ण ४५५-६ : विमलसोमसूरि गुरु बारहमासा हस्तपत श्रेष्ठ ज्ञानसोम । मारुगजेर गा.३७ ४५६ उपासकदशागसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण हस्तप्रत वि.१५७५ (३४) सुधर्मास्वामी ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. (पे.पू.) प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. मूल प्रति पर से झेरोक्ष किया गया है. लेखन स्थल : कडीनगर, पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां 'सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. (जुनो नं. २०५८६)एल. डी. इंडोलोजीअहमदाबाद के मूल प्रत की झेरोक्ष. पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां 'सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. उपासकदशागसूत्र सह टीका श्रेष्ठ हस्तप्रत उपासकदशाङ्गसूत्र सुधर्मास्वामी ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं ग्रं. ९०० उपासकदशाङ्गसूत्र-वृत्ति उपासकदशागसूत्र सह टीका उपासकदशाङ्गसूत्र अभयदेवसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी हस्तपत श्रीवर्द्धमानमानम्य १११ तेणं कालेणं तेणं प्रा. गं.८१२ टिप्पण व पाठभेद सहित....... पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां ! "सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. । उपासकदशाङ्गसूत्र-वृत्ति .. अभयदेवसूरि सं. ग्रे. ९०० श्रीवर्द्धमानमानम्य गद्य 299 Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पु) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य :क्लिन/ओरिजिनल । प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (१५३) प्रश्नचूडामणि की एक दूसरी नकल भी साथ में संलग्न है. श्रेष्ठ संपूर्ण हस्तप्रत १५३ प्रश्नव्याकरण जयपायड सह प्रश्नचूडामणि टीका प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायङचुडामणिटीका ग्रं.२३९० करकमलकलित... गद्य निमित्तनो ग्रन्थ. 300 Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम भगवतीसूत्र भगवतीसूत्रवृत्ति भगवती सूत्र जम्बूद्वीपसमास प्रकरण विनेयजनहिता श्रेष्ठ टीका सह जम्बूद्वीपसमास प्रकरण जम्बूद्वीपसमास प्रकरण- टीका योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्तिसह योगशास्त्र योगशास्त्र- स्वोपज्ञ वृत्ति वसुदेवहिण्डी अढारसहस्रशीलाङ्गरथ जीवाभिगमोपाङ्गसूत्र जीवाभिगमसूत्र उपासकदशाङ्गवृत्ति, अन्तकृद्दशाङ्गवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गवृत्ति (पे. १) उपासकदशांगसूत्र की अभयदेवीय वृत्ति उपासकदशाङ्गसूत्र-वृत्ति (पे. २) अन्तकृदशांगसूत्र की अभयदेवीय वृत्ति अन्तकृद्दशाङगसूत्र- अभयदेवीय वृत्ति (पे. ३) अनुत्तरीपपातिकदशाङ्गसूत्र की अभयदेवीय वृत्ति अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र- वृत्ति स्थिति कर्ता श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ अभयदेवसूरि (पाकाभाभा ) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार भाभानो पाडो- विमलगच्छ उपाश्रय पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण उमास्वाति विजयसिंहसूर श्रेष्ठ श्रेष्ठ अभयदेवसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि जीर्ण संपूर्ण सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण : प्रा. जीर्ण संपूर्ण अभयदेवसूरि भाषा संपूर्ण प्रा. अभयदेवसूरि संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. सं. प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. सं. सं. कागज ग्रं. १६००० कागज ग्रं. १८६१६ कागज कागज अध्याय १२प्रका ग्रं. १२००० कागज कागज कागज ग्रं. ४७०० कागज ग्रं. ९०० ग्रं. १३५६ ग्रं. १०५ 301 रचना वर्ष वि. १६वी वि. १६वी वि. ११२८ वि. १५वी वि. १२१५ वि. १४६१ वि. १६वी वि. १७वी वि. १६वी वि. १६वी आदिवाक्य १५५ नमो अरिहन्ताणं... २०४+२ (१४०, १६६) २०६. सर्वज्ञमीश्वरमनन्त ५७ २०४ नमो दुर्वाररागादिवैर प्रणम्य सिद्धादभूत २७३ णमो विणयपणयसुरिन्द ९. ९१ १७ श्रीवर्द्धमानमानम्य अथान्तकृदशासु किम अथानुत्तरीपपातिकदशा क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य गद्य पद्य गद्य गद्य गद्य गद्य गय गद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (१३.७४५.२) पत्र १४० तथा १६६ डबल छे.. (१३.७४५) (१३.५४५) (१३.७४५) ( १२.७४५.५) दण्डकछन्दोमयी ( १२.५४५.५) ( १२.५४५) ( १२.५४४.७) (पे. पृ. १-१७) (पे. पृ. १७-२२) (पे. पृ. २२-२४ ) Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाभाभा) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार भाभानो पाडो-विमलगच्छ उपाश्रय संपूर्ण कागज वि. १६वी प्रश्नव्याकरणसूत्र जीर्ण प्रथम पत्रे भगवान महावीरनुं चित्र, बीजा पत्रे चतुर्विध संघर्नु चित्र छे सोनेरी...(१२.५४४.७).. ग्रं. १३५० गद्य सुधर्मास्वामी जीर्ण प्रा. संपूर्ण । अन्तकृदशाङ्गसूत्र कागज वि. १६वी प्रथम पत्रे समवसरण- चित्र छे, बीजा पत्रे चतुर्विध संघ चित्र छे.. (१२.५४४.७) गं.८९० सुधर्मास्वामी जीर्ण नमो अरहन्ताणं| जम्बू ८४९-८२६(१थी ८२६)-२३ तेणं कालेणं तेणं :८५६-८४२(१थी ८४९)-७ तेणं कालेणं तेणं अनुत्तरोपपातिकदशाङ्गसूत्र संपूर्ण :कागज वि. १६वी प्रथम पत्रे तीर्थकर अने बीजा पत्रे चतुर्विध संघ, चित्र छे...(१२.५४४.७). ग्र.१९२ सुधर्मास्वामी जीर्ण संपर्ण कागज वि.१६वी : (१२.२४५) :ग्र.४७०० जीवाभिगमोपाडगसूत्र जीवाभिगमसूत्र जीवाभिगमोपाङ्गवृत्ति जीवाभिगमसूत्र-वृत्ति अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र जीर्ण संपूर्ण कागज २५१-१(१५१)=२५०..... पत्र १४ तथा १५ मेगां छे... (१२.२४५)... ग्रं. १४००० मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण कागज (११.७४४.२) :५४०-५३६(१थी ५३६)-४ तेणं कालेणं तेणं सुधर्मास्वामी मध्यम ग्र.१९२ :कागज अनुत्तपिपातिकदशाङ्गसूत्र संपूर्ण वि. १६वी (१२.२४४.७) ...१९२ अनुयोगद्वारसूत्र वि. १६३० सुधर्मास्वामी जीर्ण आयरक्षितसूरि जीर्ण भद्रबाहुस्वामी (१२.२४४.७) संपूर्ण प्रा. तेणं कालेणं तेणं :२७ नाणं पञ्चविहं पण्णत. कागज ग्रं.२००५ वि. १६वी आवश्यकसूत्रनियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्ति कागज गा.२५०० ग्रं. जलथी भीजायेली..(१२.२४४.७)... आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. जयइ जगजीवजोणी वियाणओ 3900 :१८ श्रेष्ठ :कागज विवी :(१२.२४४.७) यथास्थित जगत्सव मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण प्रा. वि. १७वी.... (१२.५४५) नमो अरिहन्ताणं । सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रवृत्ति । सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङगसूत्र सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र भगवतीसूत्रवृत्ति भगवतीसूत्र-टीका राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र राजप्रश्नीयोपागसूत्र ग्रं.९१२५ कागज ग्रं.२२०० कागज ग्रं. १८६१६ . कागज श्रेष्ठ संपूर्ण १४६८ (१२.७४४.७) अभयदेवसूरि वि. १५६२... वि. ११२.... वि. १६वी :सर्वजमीश्वरमनन्त ।२४ श्रेष्ठ संपूर्ण (१२.७४५) ३६ नमो अरिहन्ताणं नमो प्रा. ग्रं.२०७९ अष्टभाषामय.पचपाठ 302 Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रेष्ठ 1990f (१२.५४५) निरयावलिकासूत्र निरयावलिकादिपञ्चोपाड़गसूत्र । प्रज्ञापनोपाङगसूत्र ....... प्रज्ञापनासुत्र (१२.५४४.७ प्रज्ञापना-३६. ज्ञाताधर्मकथागसूत्रवृत्ति (१२.५४४.७) मागसूत्र-वृत्ति (१२.७४५) ज्ञाताधर्मकथागसूत्रवृत्ति ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-वृत्ति ग्रं.४३६६ विपाकसूत्र ३८ १२.५४४.७) उत्तराध्ययनसूत्र श्रेष्ठ (१२.२४५) (पाकाभाभा) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार भाभानो पाडो-विमलगच्छ उपाश्रय कागजवि . १६वी ग्रं. ११०० तेणं कालेणं तेणं गद्य संपर्ण वि. १७वी १४२ श्यामाचार्य अध्याय ३६प्रज् नमो अरिहन्तार्ण नमो गद्य गं.७८८७ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६वी ९७ अभयदेवसूरि गं.४६६ वि.११२० नत्वा श्रीमन्महावीरं गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६०१.....७२ अभयदेवसूरि वि. ११२० नत्वा श्रीमन्महावीरं :जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १६वी सुधर्मास्वामी ग्रं.१३१६ तेणं कालेणं तेणं कागज वि. १७वी ४१ सुधर्मास्वामी अध्याय ३६ ग्रं. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग २०९५ मध्यम. कागज.... वि. १६२८...३. जिनवल्लभ गा.१०४ देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य श्रेष्ठ कागज : वि. १६२८ शान्तिसूरि वादिवेताल सं.प्रा. श्लोक १३३४५. शिवदाः सन्तु तीर्थेश पद्य............ श्रेष्ठ कागज ग्रं. १८६९ णमिऊण विणयविरतियकर कागज वि. १६वी : वि.१४१२ श्रेष्ठ कागज वि.१६३० हेमचन्द्रसूरि मलधारी ग्र.५८८८ सम्यक्सुरेन्द्रकृत गद्य जीर्ण संपूर्ण कागज .वि. १६वी .....४० ग्र.२२२५ मङगलादीणि सत्थाणि गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१४९२ पिण्डविशुद्धिप्रकरण गाथा-१०४./उंदरे करडेली...(१२.२४४.७).. गाथा १०५ सुधी मळे छे. (१२.२४४.७) मूल साथे ग्रन्थान-१८०००. 1३१४ उत्तराध्ययन बृहद्वृत्ति उत्तराध्ययनसूत्र-बृहदवृत्ति जम्बूद्वीपचूर्णि जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी संपूर्ण वि.१५३० नरवर्मनृपकथा (१२४४.५) लेखन स्थल : स्थंभनकपुर विनयाप्रम संपूर्ण १०५ अनुयोगद्वारसूत्रवृत्ति अनुयोगद्वारसूत्र-वृत्ति दशाभूतस्कन्ध चूर्णि दशाश्रुतस्कन्ध-चूर्णी परिशिष्टपर्व - सर्ग १-१३ (१२.५४४.७) रचना स्थल धवलक्ककनगर (१२,२४४.७) 'आ ग्रंथना कुल पेज ९३ छे परंतु आ ग्रंथनी फूटनोटमा पत्र २२०, २२१ भेगां छे ते प्रमाणेनी माहिती मळे छे. तेथी आ माहिती चेक करशो.. (१२४४.२) 303 Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाभाभा) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार भाभानो पाडो-विमलगच्छ उपाश्रय हेमचन्द्रसूरि सर्ग १३ श्लोक परिशिष्टपर्व श्रीमत वीरनाथाय 1.३५०० विपाकसूत्र संपूर्ण कागजवि . १६वी पि२४.५) गं. १३१६ तेणं कालेणं तेणं जीर्ण सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ धर्मदास गणि संपर्ण वि.१६वी उपदेशमाला प्रकरण विवरणसह :उपदेशमाला उपदेशमाला-विवरण कागज :गा.५४४ ५९-१(9):५८ नमिऊण जिणवरिन्दे प्रथम पत्र नथी..(११.७४४.५). गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. कागज वि. १६वी (१२४४.७) उपदेशमाला प्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ उपदेशमाला उपदेशमालाप्रकरण-अवचूरि । देशान्तरी छन्द धर्मदास गणि प्रा. गा.५४४ नमिकण जिणवरिन्दे पद्य गाथा ५४०थी ५४६ मळे छे. : मध्यम कागज ... वि. १८८७ (१०.५४४.७) लेखन स्थल: पालनपुर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण श्रेष्ठ कागज वि. १७वी (१०.५४४.५) सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण पञ्चपाठ बालावबाध सह सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण देवेन्द्रसूरि गा.५० सिद्ध सिद्धत्थसुयं पद्य सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण-बालावबोध प्रा. मारुगूर्जर संपूर्ण सिन्दूरप्रकर :कागज वि. १९वी (१०.७X४.७) सोमप्रभसूरि : सिन्दरप्रकरस्तपः... :भगवतीसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज. चित्र पृष्ठिका...(१२४४.२............ ग्र.१६००० ....वि. १६०५.....३५४. नमो अरिहन्तार्ण... वि. १४९५ १९० शत्रुञ्जयमाहात्म्य सपूर्ण कागज (१२४४.५) लेखन स्थल : स्थंभतीर्थ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ धनेश्वरसूरि श्रेष्ठ ग्र.८८१२ संपूर्ण कागज वि. १६वी (१२४४.५) हेमचन्द्रसूरि अध्याय १२प्रका नमो दुर्वाररागादिवैर योगशास्त्र चतुर्थप्रकाश पर्यन्त सावचूरि पञ्चपाठ योगशास्त्र योगशास्त्र-आद्यप्रकाशचतुष्क अवचूरि. प्रमाणवार्तिक स्वोपज्ञवृत्ति सह प्रथम परिच्छेद प्रमाणवात्तिकसूत्र प्रमाणवार्तिकसूत्र-स्वोपज्ञ वृत्ति श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण :कागज वि. १६वी :४० (१२४४.५) सं नमो हितार्थसम्प्राप सिद्धसेन दिवाकर सूरि सिद्धसेन दिवाकर सूरि सं. 304 Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाभाभा) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार भाभानो पाडो-विमलगच्छ उपाश्रय ५४ प्रश्नव्याकरण श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी संपूर्ण प्रा. अपूर्ण (१९ गद्य कागज ग्र. १३५० कागजवि . १६वी प्रश्नव्याकरणसूत्र भगवतीसूत्र अपूर्ण त्रूटक नमो अरहन्ताणं। जम्बू पत्र १थी १० तथा ६५म. पत्र १ तथा २६ थी। ४३ सुधी बन्ने पत्रोना अक्षरो जुदा जुदा छे., (१२४४.५) सुधर्मास्वामी ग्रं. १६000 नमो अरिहन्ताणं......... गद्य जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१४८० १५१ (११.७४४.२) H गं 1900 भगवतीसूत्र धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति धर्मरत्नप्रकरण-बृहद्धत्ति शीलोपदेशमाला शीलतरङ्गिणीवृत्तिसह किञ्चिदपूर्ण शीलोपदेशमाला शीलोपदेशमाला-शीलतरङ्गिणीवृत्ति देवेन्द्रसूरि श्रेष्ठ सज्ज्ञानलोचनविलोकित गद्य १२६ संपूर्ण कागज :वि. १६वी (१२४४) जयकीर्तिसरि :आबालबम्भयारि नेमि पद्य गा. ११६ ग्रं. १२९४ सोमतिलकसरि वि. १२९४ सोमतिलकसरिनुं आचार्य पदवी पहेलानुं नाम विद्यातिलक हतुं. प्रथम द्वितीय पत्र नथी., (११.५४४.५) ५९ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६वी १८२-२(१थी २)-१८० हेमचन्द्रसूरि सगे १० पर्व-१०. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र पर्व-१०मुं महावीरचरित्र त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य कुमारसम्भव महाकाव्य कुमारसम्भव कुमारसम्भव महाकाव्य चतर्थसर्ग श्रेष्ट संपूर्ण कागज । वि.१७वी (११.७४४.७) कालिदास श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण कागज :वि. १७वी (११.५४४.७) कमारसम्भव : कालिदास जीर्ण संपूर्ण कागज । वि.१६वी (१२४४.२) आद्धप्रतिक्रमणसूत्र अवचूरि श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-अवचुरि ओघनियुक्ति वृत्तिसह ओघनियुक्ति श्रेष्ठ संपूर्ण वि. १५२९.. (११.७X४.२ भद्रबाहुस्वामी दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. कागज गा.११६३ग्र. १४३२ .७००० द्रोणाचार्य संपूर्ण कागज..... (१२४४.५) सुधर्मास्वामी गं. ५000 ओघनियुक्ति-वृत्ति . ज्ञाता धर्मकथाङ्गसूत्र ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय त्रिपाठ वालावबोधसह भाष्यत्रय भाष्यत्रय-बालावबोध वि. १७वी...७८ तेणं कालेणं तेणं वि. १८८० ५९ :श्रेष्ठ संपूर्ण कागज (११.५४४.७) लेखन स्थल : पाटण देवेन्द्रसूरि ज्ञानविमलसूरि मारुगुर्जर Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपर्ण भद्रबाहस्वामी २२९ (पाकाभाभा) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार भाभानो पाडो-विमलगच्छ उपाश्रय क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण अवचूरिसह श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६वी (११.७X४.२ पञ्चपाठ क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण धर्मशेखर क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण-अवचूरि विपाकसूत्र... जीर्ण कागज.... सुधर्मास्वामी ग्रं.१३१६ तेणं कालेण तेणं. बृहत्कल्पसूत्र प्रथमखण्ड नियुक्ति मध्यम प्रतिपूर्ण कागज वि.१६०० ३०१ किनारी थोडी उंदरे करडेली..(११.२४४.५) टीकासह बृहत् कल्पसूत्र. - अध्याय ६उद्दे. णो कप्पइ णिग्गन्थाण बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति सं.,प्रा. . प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद क्षेमकीर्तिसूरि बड़े सं. १३३२ मां परिपूरित.. बृहत्कल्पसूत्र तृतीयखण्ड नियुक्ति : मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६०८ (११.२४४.२) टीकासह बृहत् कल्पसूत्र भद्रबाहस्वामी प्रा..... अध्याय ६उद्दे ............. णो कप्पइ णिग्गन्थाण बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति सं.प्रा. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद क्षेमकीर्तिसूरि बड़े सं. १३३२ मां परिपूरित. बृहत्कल्पसूत्र द्वितीयखण्ड नियुक्ति- मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६०७ :२८६-१(१५४)=२८५ पत्र १५४ नथी,२७८ डबल छे., (११.२४४.५) टीकासह बृहत् कल्पसूत्र भद्रबाहुस्वामी :अध्याय ६उद्दे :णा कप्पइणिग्गन्थाण बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति सं.,प्रा. :प्रकटीकतनिःश्रेयसपद गद्य ...........क्षेमकीर्तिसूरि बड़े सं. १३३२ मा परिपूरित.. कल्पसूत्र जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१६वी १०७ (११.२४४.२) :गं. १२८० नमो अरिहन्ताणं... संयुक्त प+ग ७४ दशवैकालिकसूत्र टीका सह . जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १६वी......३४. 199X४.५) दशकालिकसूत्र शय्यम्भवसूरि गं. ७०० धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ । संयुक्त प+ग. दशवैकालिकसूत्र-लघुवृत्ति सुमतिसूरि सं. ग्रं.२६५० वि. १२२० जयति विजितान्यतेजाः हारिभद्री बृहदृत्तिना मूल सूत्र व्याख्याभागनो उद्धार. लिङ्गानुशासन स्वोपज्ञवृत्तिसह :श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १५४२ :(११.५४४.२) लेखन स्थल: दशपुरनगर हैमलिड़गानुशासन हेमचन्द्रसूरि ..३३८४....... हेमलिङ्गानुशासन-विवरण हेमचन्द्रसूरि सिद्धहेमचन्द्रव्याकर ७६...... नारचन्द्रज्योतिषटिप्पनक संपूर्ण कागज..वि. १५९३.....८ (११.७X४.२ भद्रबाहुस्वामी श्रेष्ठ 306 Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाभाभा) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार भाभानो पाडो-विमलगच्छ उपाश्रय नारचन्द्र ज्योतिष-टिप्पनक सागरचन्द्रसरि कुमारसम्भव महाकाव्य संपर्ण कागज .....वि. १५२५.४३. (११.५४४.२) लेखन स्थल : लींबडीग्राम कालिदास श्रेष्ठ संपूर्ण (११.५४४.२) चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र श्रेष्ठ ११.५४४.२ समवायागसूत्रवृत्ति अपूर्ण समवायाङगसत्र-वृत्ति समवायाङ्गसूत्रवृत्ति समतायाळगसन-वत्ति कागज वि. १५४६ ... ३२ ग्रं. १८३१ जयति नवनलिणिकुवलयविय कागज वि. १७वी २४ ...३५७५.. .....वि. ११२९... :वर्द्धमानमानम्य समगद्य कागज ... वि. १६०८.. ग्रं. 34०५ :वि. ११२० विमानमानम्य सम :गद्य कागज वि. १६वी संपूर्ण ९० : अभयदेवसरि श्रेष्ठ अभयदेवसूरि जीर्ण (११.५४४.२). श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्ति संपूर्ण વર (११.२४४.२) ER सपण श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-अर्थदीपिका वृत्ति ज्ञानसार स्वोपज्ञ बालावबोधसह ज्ञानसार अष्टक ज्ञानसार अष्टक-बालावबोध योगविधि रत्नशेखरसूरि श्रेष्ठ यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि वि. १८६१....३१ ऐन्द्र श्रीसुखमग्नन । (१०.५४४.७) लेखन स्थल : सुरत बंदरे, ३२ अष्टक. कागज.........वि. १८९२.....३८............ मारुगजर संपूर्ण प्रा..सं. संपूर्ण (१०.२४४.५)....... कागज वि. १९वी (१०.२४४.७) पीस्तालीश आगमपूजा पीस्तालीस आगम पूजा वङ्कचूलिकासूत्र : उत्तमविज मारुगृर्जर :श्रेष्ठ संपूर्ण .. कागज वि. १८वी FE (१०.२४४.५) ६२८ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १७९१ लेखन स्थल: भावनगरबंदिर जम्बूस्वामी ब्रह्मगीता स्वाध्याय आदि सङ्ग्रह (पे.१) जम्बूस्वामि ब्रह्मगीता स्वाध्याय यशोविजयजी गणि मारुगूर्जर गा.२९ वि. १७३८ पद्य (पे.पृ.१-३) रचना स्थल :खम्भात (पे.२) सीमन्धरजिन स्तवन सकलचन्द्र मारुगूर्जर गा.३२ समरीय सरसती विश्वमात परममुणि झाणवणगहण. वीरजिनवर पासे पूछे सेवउ सदगुरु गुण (प.पृ.३-५) (पे.३) प्रतिक्रमणफल सज्झाय (पे.४) सदगुरु सेवन सज्झाय समतिकशल यशोविजयजी गणि मारुगूर्जर मारुगूर्जर गा.१५ गा.३९ पद्य द्य (पे.पृ. ५-६) (पे.प्र.६-८) प 307 Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाभाभा) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार भाभानो पाडो-विमलगच्छ उपाश्रय य शोविजयजी गणि मारुगूर्जर गा.४१ यशोविजयजी गणि मारुगूर्जर गा. १५ यशोविजयजी गणि मारुगूर्जर गा.९ सत्तरभेदपूजाफल साम्भ पद्य संपूर्ण कागज वि. १६५० :४५४-१(४२६)-४५३ (पे.५) सदगुरु सेवन सज्झाय (पे.६) जिनप्रतिमास्थापन सज्झाय (प.) सत्तरभेदपूजास्थापना सज्झाय जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र सटीक (पे.पू. ८-१०) (पे.प्र. १०-११) /पेप99-१२) श्रेष्ठ पत्र ४२५-४२६ भेगां छे., (१०x४.५) त्रिपाठ ग्रं.४१४६ नमो अरहन्ताण... हीरविजयसरि गं १८४०० कागज वि. १०वी श्रीधर भट्ट ग्रं.३७१६ शक.९१३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-टीका . न्यायकन्दली. वैशेषिकदर्शन-पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की न्यायकन्दलीटीका । अध्यात्मसार टिप्पणक सह अध्यात्मसार अध्यात्मसार-टिप्पणक अनादिनिधनं देवं जगत संपूर्ण कागज वि. १९वी :मध्यम : यशोविजयजी गणि 308 Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य अपूर्ण कागज ३७५ सं... ग्रं. १८६१६ :वि.११२८ सर्वज्ञमीश्वरमनन्त संपूर्ण कागज वि. १४७७ ८५ १०५. भगवतीसूत्रवृत्ति-अपूर्ण भगवतीसूत्र-टीका १०९ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र (१०x४.७) कृति प्रकार (३७५) गद्य जीर्ण अभयदेवसूरि मध्यम :८४) अन्तमां सा. पर्वते लखावेल एकादश अगनी विस्तृत प्रशस्ति छे., (१०.२४४.५) सुधर्मास्वामी ग्रं. ५000 : मध्यम :(११८) ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-वृत्ति उपासकदशागसूत्र संपूर्ण सं (१०.२४४.२) अभयदेवसूरि तेणं कालेणं तेणं वि. १६१८११७ वि. ११२० नत्वा श्रीमन्महावीरं वि. १५९७....: १९ तेणं कालेणं तेणं कागज ग्रं. ४३६६ कागज ....... .८१२ गद्य संपूर्ण सुधर्मास्वामी प्रति सांधेली छे.(१०x४.२) पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मा 'सप्तमाग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. । (१०,२४४.५) पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मा 'सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. :१३० उपासकदशाडगसत्र संपूर्ण प्रा. कागज ग्रं.८१२ सुधर्मास्वामी तेणं कालेणं तेणं श्रेष्ठ संपण कागज वि.१६०९ (१०x४.२) दशाङ्गसूत्र सह टिप्पणी : उपासकदशागसूत्र : सुधमोस्वामी गं.८१२ तेणं कालेणं तेणं पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मा 'सप्तमाड़ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. उपासकदशाङ्गसूत्र-टिप्पणी अन्तकृदशाङ्गसूत्र जीर्ण संपूर्ण कागज मूलनु परिमाण ८९५ ग्रंथान आपेल छे., (१०.२४४.२) ग्रं.८९० १५३ संपूर्ण कागज (२४).......... (१०.२४४.५) ग्र.८९० तेणं कालेणं तेणं संपूर्ण कागज १६१८ :२१ :(१०.२४४.२) सुधर्मास्वामी अन्तकृदशागसूत्र मध्यम : सुधर्मास्वामी : अन्तकृदशागसूत्र व श्रेष्ठ अनुत्तरौपपातिकसूत्र (पे.१) अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र (4.२) अनुत्तरोपपातिकदशाङ्गसूत्र सुधर्मास्वामी अन्तकृदशाङ्गसूत्रवृत्ति व मध्यम अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्रवृत्ति (पे.१) अन्तकृदशाङ्गसूत्र-अभयदेवीय : अभयदेवसूरि ......... सुधर्मास्वामी .८९० प्रा. प्रा. तेणं कालेणं तेणं तेणं कालेणं तेणं गं. १९२ (प.पू. १-१७) पे.वि. : ग्रन्थान-७२५. (पे.पृ. १७-२१) पं.वि. : ग्रन्थान-२०० (१०.५४४.२) संपूर्ण कागज ........... . १३५६ अथान्तकृद्दशासु किम गद्य (पे.पृ. १-८) 309 Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष : पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार वृत्ति (ये.२) अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्रवृत्ति अभयदेवसूरि ग्रं. १०५ अथानुत्तरौपपातिकदशा : गद्य (प.पृ. ८-99) प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्र.. मध्यम कागज वि.१६२७ (३६) अलवरनगरमां लखेली..(१०.५४४.२) प्रश्नव्याकरणसत्र सुधर्मास्वामी ग्रं. १३५० : नमो अरहन्तार्ण जम्ब गद्य प्रश्नव्याकरणदशाडगसुत्र मध्यम कागज वि.१४१६ १९ (२०) गद्य प्रति पाणीमां भीजाएली छे...(१०.२४४.५). प्रश्नव्याकरणसत्र सुधर्मास्वामी ग्रं. १३५० नमो अरहन्ताणं। जम्बु श्रेष्ठ कागज वि.१६०४ (३४) प्रश्नव्याकरणदशाड़गसूत्र प्रश्नव्याकरणसत्र पत्र२३ तथा ३० डबल,२६९ नथी.. (९.७४४.२). गं. १३५० नमो अरहन्तार्ण। जम्ब गद्य सुधर्मास्वामी मध्यम कागज वि.१६०८ (२६) (१०.५४४.५).. प्रश्नव्याकरणदशागसूत्रवृत्ति प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्ति विपाकसूत्र अभयदेवसरि गं.४६30 मध्यम कागज वि. १६२४ :(४६) समायणादुर्गमां लखेली. /प्रति शुद्ध करेली छे.. (१०.२४४.२) तेणं कालेणं तेणं... सुधर्मास्वामी मध्यम ग्रं. १३१६ कागज विपाकसूत्र सह टीका संपूर्ण ४२ :(४३) त्रिपाठ. /वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली.. .(१०:५४४.२). विपाकसुत्र ग्रं. १३१६ ग्रं. ९०० गद्य (६७) कागज तेणं कालेणं तेणं नत्वा श्रीवर्द्धमाना ... :६६ तेणं कालेणं तेणं नत्वा श्रीवर्द्धमाना वि.१६४७ टीका ग्रन्थान-९५०..(१०.२४४.२) विपाकसत्र ग्रं.१३१६ गं. ९०० संपूर्ण :कागज गद्य (४५)..............: (१०.२४४.३) .......... सुधर्मास्वामी विपाकसूत्र-वृत्ति अभयदेवसूरि विपाकसूत्र सटीक जीर्ण सुधर्मास्वामी विपाकसत्र-वत्ति अभयदेवसूरि औपपातिकउपाङ्गसूत्र जीर्ण औपपातिकोपाडगसूत्र सुधर्मास्वामी औपपातिकउपाङ्गसूत्र गुर्जरपर्याय सहित औपपातिकोपाङ्गसूत्र ..............औपपातिकोपाङगसूत्र-पर्याय....... औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति ......... औपपातिकोपाङ्गसूत्र-टीका .......... अभयदेवसूरि ...... गं.११६७ तेणं कालेणं तेणं श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ४९ (४९) :(१०.२४४.५) सुधर्मास्वामी गं. ११६७ तेर्ण कालेणं तेणं मारुगर्जर गद्य प्रति शुद्ध करेल छे. ग्रन्थान-३१२५.. (१०.२४४.२). संपूर्ण सं....... कागज ग्रं. ४३०० मानमानम्यगय . Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता २१९ : मध्यम अपूर्ण कागज ५७ कृति प्रकार (५८) गद्य । (९.७४४.२) ग्रं.४३०० श्रीवर्दमानमानम्य अभयदेवसूरि जीर्ण अभयदेवसूरि संपूर्ण कागज (९९) गद्य ग्रन्थान-३१२५...१०.२४४.२.. गं.४300 श्रीवर्द्धमानमानम्य मध्यम संपूर्ण कागज । (५६) ग्र.२०७२ नमो अरिहन्ताणं नमो औपपातिकउपागसूत्रवृत्ति औपपातिकोपाङ्गसूत्र-टीका .. १२२२.... औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति .. औपपातिकोपाङ्गसूत्र-टीका .. २२७ राजप्रश्नीयसूत्र राजप्रश्नीयोपागसूत्र राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्रवृत्ति राजप्रश्नीयोपाड़गसूत्र-वृत्ति कल्पबृहद्भाष्य बृहत् कल्पसूत्र-बृहद्भाष्य यतिजीतकल्पसूत्र सह वृत्ति यतिजीतकल्पसूत्र नव्य (१०.२४४.२) अष्टभाषामय,पंचपाठ ग्रन्थान-३७५०. प्रति सांधेली छे.. (१०.२४४.२) मध्यम संपूर्ण कागज (७६) मलयगिरिसूरि ग्र.3900 प्रणमत वीरजिनेश्वर गद्य जीर्ण अपूर्ण कागज .(१४१).. :(१०.२४४.२) पद्य जीण कागज १५७ (१०६) पद्य सोमसूरि गा.333 कयपवयणप्पणामो बुच्छं (१०.२४४.२) जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी. यतिजीतकल्पसूत्र नव्य-वृत्ति साधुरलसूरि श्लोक १७०० वि. १४५६ जयति महोदयशाली भास्व (१०.२४४.५) प्रा. पद्य : संपूर्ण (२८) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि-त्रुटक जीर्ण आवकप्रतिक्रमणसूत्र आवकप्रतिक्रमणसत्र-चूर्णि .....विजयसिंहसूरि श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र चूर्णि सहित मध्यम आवकप्रतिक्रमणसूत्र आवकप्रतिक्रमणसूत्र-चूर्णि विजयसिंहसरि ओघनियुक्ति अवचूरि ओघनियुक्ति-अवचुरि जानसागरसरि दशवैकालिकसूत्र अवचूरि अष्ट दशवैकालिकसूत्र-अवचुरि चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णक सह :जीर्ण बीजक (पे.१) चतुःशरणप्रकीर्णक कागज गा.५० वन्दित्तु सब्बसिद्धे श्लोक ४५९०.. वि. ११८३.... सिद्ध सिद्धत्थसुर्य कागज वि. १५९४ ४१ गा.५० वन्दित्तु सव्वसिद्धे श्लोक ४५९० : वि.११८३ . ......... .......... सिद्ध सिद्धत्थसूर्य कागज वि. १५०५ : ५४.. :वि. १४३९ प्रकान्तोयमावश्यकानु प्रा. संपूर्ण (३८) संपूर्ण गद्य (२२).. शाके १३७०मां लखेली प्रति..(१०.२४४.२) द्रोणाचार्यवृत्यानुसारिणी. (१०.२४४.२). सुमतिटीकानुसारिणी. (१०.२४४.५) गद्य संपूर्ण वि. १५३८ २५९ (१७४) पद्य सावज्जजोगविरई । उक्कित (पे.पृ. १-४) [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी :मळे छे.] Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता (पे.२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत वीरभद्र (ये.३) महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.४) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र महाण गा.३४५ (पे.५) तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक ... (4.६) चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक (पे..) गणिविद्याप्रकीर्णक (पे.८) मरणसमाधि प्रकीर्णक पद्य (पे.९) देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक ऋषिपालित पद्य (पे.१०) संस्तारकप्रकीर्णक (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष : पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार गा.७१ देसिक्कदेसविरओ सम्म पद्य (पे.प्र.१-४) पं.वि. : गाथा-८४. कृ.वि.: गाथा .६०.थी ८० सुधी मळे छे] गा. १४३ एस करेमि पणाम तित्थ पद्य (पे.पू. ८-१४) पे.वि. : गाथा-१४२.... गा. १७२ ग्रं. १७१ नमिऊण महाइसयं पद्य (ये.पृ. १४-२२) कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे] निज्जरियजरामरण..... (प.पू. २२.३८... गा. १७४ जहमत्थगच्छयाणं विगसि: पद्य (पे.पृ. ३८-४६) पे.वि. : गाथा-१७५. गा.८६ वोच्छबलाबलविर्जि (प.पू.४६-५०).पे.वि.: गाथा-८५. गा.६६१ तिहुअणसरारविन्दं पद्य (पे.पृ. ५०-८०) [कृ.वि. : गाथा-६५२ थी ६६१ सुधी मळे छे] गा.३८० अमरनरवन्दिए :(पे.पृ. ८०-९४) [कृ.वि. : गाथा-३०० थी ३११ वन्दिऊण. मळे छे.. गा. १२४ काऊण नमोक्कारं पद्य (पे.पृ. ९४-९९) जिणवर गा. १३७ नमिऊण महवीरं तिय पद्य (पे.पू. १००-१०६) गा.४३ नमिऊण जिणं :पद्य (पे.पू. १०६-१०८) जयजीवबन्ध गा..४५.... आहारे उवहिम्मि अ प.पू...११०:१२२.... तित्थड़करे य तित्थे । संयुक्त प+ग (प.पू. ११०-१२२) गा. २२५ ग्रं. २०० : पुक्खरवरदीवड़ढं परि पद्य (प.पू. १२२-१३१).पं.वि.: गाथा-२२०. गा.९९० नियसुचरियगुणमाहप्प पद्य (पे.पृ. १३१-१३७) पे.वि. : आदिः नियसुचरियगुणमाहप्प. [कृ.वि. : 'सम्म/पणमि नरिन्द देविंद'थी प्रारम्भ थती अज्ञातकृत-९३२ गाथानी आज नामनी अन्य कृति पण मळे छे] गा.१३..... उरालिविउन्बातेयकम्म... पद्य ....... प.पू. १८५१७८. गं. ५० इच्छामि पडिक्कमिउं: (प.पू. १७८-१८१).. गा.११६ आरम्भेसु नियत्ता पद्य (ये.पृ. १८१-१८६) [कृ.वि. : खंभात सूचिपत्र भाग-२ में कर्ता-जिनयश का उल्लेख है.] ............ गा. १२३३ ग्रं.................. ........./.पू. १८६-२४५)............. (ये.११) गच्छाचारप्रकीर्णक (पे.१२) वीरजिनस्तव ग्रं.३५० (प.१३2. अजीवकल्पप्रकीर्णक (पे.१४) पाक्षिकसूत्र (ये.१५) द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी. (पे.१६) आराधनापताका वि.१०७८ (4.१७)..पुद्गलपरावर्तस्वरुपप्रकरण... (पे.१८) पगामसज्झाय (पे.१९) सारावली प्रकीर्णक (पे.२०) तीर्थोद्गालिक प्रकीर्णक 312 Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य १५६५ ससिपायनिम्मलतिह गा.२६३ सिवसुहसिरीइ हेउं कृति प्रकार प्रा. पद्य (प.पू. २४५-२५९) (१०.५४४.२) संपूर्ण कागज महरेहिं निउणेहि श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण कागज ४१४ (४१३) ग्रन्थान-१७२५९., (११४४) भद्रबाहुस्वामी ग्रं.६८८ जे भिक्खू मासियं (पे................. (पे.२१) लघुआराधनापताकाप्रकीर्णक ज्ञाताधर्मकथाङ्गदृष्टान्तसङ्ग्रहणी सह टीका ज्ञाताधर्मकथाङ्गोपनयसग्रहणी....... ज्ञाताधर्मकथाङ्गोपनयसङ्ग्रहणी-टीका व्यवहारसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, टीका तृतीयोदेश पर्यन्त-प्रथमखण्ड.. (4.) व्यवहारसूत्र व्यवहारसूत्र-नियुक्ति (पे.२) व्यवहारसूत्र-भाष्य (पे.३) व्यवहारसूत्र-वृत्ति व्यवहारसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, टीका-खण्ड-२ (पे.१) व्यवहारसूत्र व्यवहारसूत्र-नियुक्ति. .(पे.२) व्यवहारसूत्र-भाष्य (पे.३) व्यवहारसूत्र-वृत्ति नन्दीसूत्रटीका भद्रबाहुस्वामी ग्रं.६००० मलयगिरिसरि प्रणमत नेमिजिनेश्वर अं. १३०१९. कागज (पे.पू. १-४१४) (पे.पू. १-४१४) ग्रन्थान-१७३६६..(११४४.५) प्रतिपूर्ण ३०९ (२११) भद्रबाहुस्वामी ग्रे. ६८८...... जे भिक्खू मासियं (पं.पू. १-३०९) भद्रबाहस्वामी ग्र.6000 सं. मलयगिरिसुरि श्रेष्ठ संपूर्ण ग्रं. १३७१९ कागज प्रणमत नेमिजिनेश्वर १५४ (प.पू. १-३०९). (पे.पू. १-३०९) ग्रन्थान-७७७२.. (११.५४४.५) लेखन स्थल : : अणहिल्लपुरपत्तन : वि. १५६५ (94x मलयगिरिसरि ... जयति भुवनकभानुः..... : गद्य नन्दीसूत्र-वृत्ति श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति आवकप्रतिक्रमणसूत्र-वृत्ति मध्यम सं.......... ..७७३२....... संपूर्ण कागज : श्लोक ५७७ वि.१४७० पार्श्वसाधु वि.९५५ देवेन्द्रवन्धचरणान पद्य (११.२४४.५) गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची के जीर्ण प्रतिपूर्ण कागज वि. १५३९ २३४ :(१२.७४५) निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-१ निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि (२३४) पद्य :जिनदास गणि प्रा. णमिऊण रहन्ता] सिद्ध :क्षमाश्रमण श्लोक २८००० ग्रं. १७८८४ कागज जीर्ण ७३१ . निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-२ (पे.१) निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि प्रतिपूर्ण (३०१) वि.१५४५२७७ णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध पद्य (पे.पू. १-२७७) 313 Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार क्षमाश्रमण श्रीचन्द्रसूरि ग्रं. १७८८४ श्लोक ११०० वि. ११७४ प्रणम्य वीरं सुरवन्द पद्य (पे.पृ. २७७-३००) पे.वि. : सचित्र. (पे.२) निशीथसूत्र-विशेषचूर्णीनी विशोदेशकव्याख्या उत्तराध्ययनसूत्र सह दीपिकावृत्ति मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५०१ १५६+१(१)=१५७ (१०८) : पत्र ७६ डबल, सत्यविजय गणिए पाटणना भंडारमा मुकेली प्रति., (११.५४४.५). उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी प्रा. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ j 190 संपूर्ण कागज वि. १४८७ श्रीउत्तराध्ययनस्य गद्य ४० (४२) धम्मो मड़गलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग (१२४४.५) सुमतिटीकानुसारिणी. उभय ग्रन्थाग-१८४९...(१२.२४४.५). ग्र.७०० धम्मो मलगलमक्किटठ संयक्तप+ग उत्तराध्ययनसूत्र-दीपिकाटीका दशवैकालिकसूत्र सावचूरि जीर्ण दशवकालिकसूत्र शय्यम्भवसूरि दशवैकालिकसूत्र-अवचूरि दशवैकालिकसूत्र सावचूरि जीर्ण दशवकालिकसूत्र :शय्यम्भवसरि दशवैकालिकसूत्र-अवचूरि दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र : श्रेष्ठ स्तोत्र सङ्ग्रह (2.9) दशवैकालिकसूत्र ........... शय्यम्भवसूरि (पे.२) पाक्षिकसूत्र (पे.३) पगामसज्झाय (पे.४) पिण्डविशुद्धिप्रकरण ! जिनवल्लभ संपूर्ण कागज (९०) ग्र.७०० सुमतिटीकानुसारिणी. प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८.५९ भेगा छे.. (११.७४४.५). (पे.पू. १-१३) (प..१३:१82.पे.वि....क्षामणक सहित. (पे.पू. १९-२१)............ (ये.पृ. २१-२३) [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग तित्थड़करे य तित्थे। संयक्त प+ग इच्छामि पडिक्कमिउं... देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य ग्रं.३५० ग्रं.५० गा. १०४ गा.२१ (पे.५) आवकधर्मकुलक.. (पे.६) प्रव्रज्याविधानकुलक निसाविरामे परिभावयामपद्य संसारविसमसायरभवजल: पद्य गा.३० पहि पद्य (पे.७) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली देववाचक (प.८) विवेकमञ्जरीप्रकरण आसड (ये.२) आत्मानुशासन पार्श्वनाग (दिगम्बर) /पे.पू. २३:२४.पे.वि... गाथा-२१.. (ये.पृ. २४) [कृ.वि. : गाथा- २४ थी ३५ सुधी मळे छे.. (प.पू. २४-२५). (प.पू. २५-२८). (पे.पू. २८-३०) कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे गा. ५० गा.१४४ जयइ जगजीवजोणी... सिद्धिपुर सत्थवाह सकलत्रिभुवनतिलक वि. १२८८ पद्य श्लोक ७७वि . १०४२ आप्यु छे.. (पे.१०) ऋषभजिनस्तोत्र चरित्र.......... जिनवल्लभ.............. प्रा. .............गा.२५. निमिय जिणमुसभमुभयं...: पद्य..... (ये.पृ.३० 314 Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता जिनवल्लभ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गा.३३ अप्पडिहयधम्मचक्केण.. पद्य गा. १५ मयनाहि सरिसबलसिर । पद्य गुणमणिनिहिणो जस्सुवर पद्य दुरियरयसमीरं मोहपड़क पद्य गा.४१ चरियं भणिमो चन्दप्पह पद्य जिनवल्लभ (पे.99) शान्तिनाथस्तोत्र (पे.१२) नेमिनाथस्तोत्रचरित्र (पे.१३) पार्श्वनाथस्तोत्रचरित्र (पे.१४) महावीरस्वामिचरित्र (पे.१५) चन्द्रप्रभचरित्र (पे.१६) पञ्चकल्याणिकस्तोत्र गा.१५ जिनवल्लभ जिनवल्लभ (प.पू. ३०-३१). (प.पू. ३१) (पे.पू. ३१). (पे.पू. ३१-३२) (पे.पू. ३३मुं) मे.वि. : गाथा-४०. (पे. पृ.३३.३४) पे.वि... गाथा-२६.... गा.४४ जिनेश्वरसूरि पञ्चकल्याणकस्तोत्र जिनवल्लभ गा.३३ गा.३२ B FREEEEEEEEEEEEEE गा.२५ (पे.१७) चैत्यवन्दनविधिकुलक (५.१८) नन्दीश्वरस्तवन. (पे.१९) महावीरस्तवन (पे.२०) श्रावकविधिप्रकरण । (पे.२१) दानविधिकुलक (पं.२२) नवकारकुलक जिनवर्धनसूरि (पे.पू. ३४-३५) पे.वि. : गाथा-३५(पे.पू. ३५). (पे.पू. ३५-३६). (प.पू. ३६) (4...३७).... (पे.पृ. ३७-३८) पे.वि. : गाथा-२३. :धनपाल गा. २२ गा.२५. गा.२० सम्म नमिऊण जिणे तिन्नि निसीही तिन्नि वन्दिय नन्दियलोयं... श्रीसत्यपुरपत्तन जत्थ पुरे जिणभवणं. पद्य धम्मोवग्गहदाणं दिज्ज घणघायकम्ममुक्का अरहन भय दसनभद्दो... : पद्य कम्मभमिहि पढ़म सडघ: पद्य वन्दे सहम्मा सामी :पद्य पद्य गा.३६ गा.०३ (पे.२३) पडिलेहणाकुलक ....जिनवर्धनसूरि (पे.२४) प्रभातस्मरण (पे.२५) गुर्वावली खरतरगच्छीय...... (पे.२६) उपदेशमाला धर्मदास गणि गा.९ :पद्य (4.पू. ३८) (पे.पू. ३८). (पे.पू. ३८:३९2. (पे.पृ. ३९-४९) .वि.: गाथा-५४१. [कृ.वि.: गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.] (पे.पृ. ४१-५८) गा.५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.२७) पुष्पमालाप्रकरण हेमचन्द्रसूरि मलघारी गा. ५०५ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल : पद्य गा. १०१ गा.२६ (पे.२८) धर्मोपदेशमालाप्रकरण (पे.२९) उपदेशरत्नकोष (पे.३०) शीलोपदेशमाला (पे.३१) पञ्चलिङ्गीप्रकरण.......... (पे.३२) आवकवक्तव्यताप्रकरण जयसिंहसुरि जिनेश्वरसूरि जयकीर्तिसरि जिनेश्वरसूरि. अभयदेवसूरि गा.११६ सिज्झउ मज्झविसुयदेवि पद्य उवएसरयणकोसं नासिय: पद्य आबाल बम्भयारि नेमि पद्य उवसम संवेगो विय :पद्य कयवयकम्मयभावो पद्य सीलत्त (प.पू..५८-६०) पे.वि. : गाथा-१०४. (प.पू. ६०-६१) (पे.पू. ६१-६३) .(पे.पू...६३-६५) पे.वि. : गाथा-१०२.. (पे.पृ. ६५-६७) [कृ.वि. : खरा कर्ता कोण?] गा.१०१ गा. १०३ (पे.३३) दर्शनसप्ततिका आवकधर्मविधितन्त्रप्रकरण (पे. पृ. ६७-६९)............. हरिभद्रसूरि प्रा. गा.१२० नमिरुण वद्रमाणं सावगपद्य 315 Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (ये.३४) आगमोद्धारगाथा (पे.३५) गणधरसाद्धेशतकप्रकरण (ये.३६) प्रवचनसन्दोह (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार गा.७१ एवं विसिकाला... पद्य गा. १५० गुणमणिरोहणगिरिणोपद्य अध्याय ६ पद नमिऊण वद्धमाणं ववमय पद्य गा.३३४ गा. ५७९ नियट्ठवियअट्ठकम्म पद्य जिनदत्तसूरि (पे.पृ. ६९-७०) (पे.पू. ७०-७३) पे.वि. : गाथा-१५७. (पे.पृ. ७३-७९) (पे.३७) बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण जीर्ण (पे.पृ. ७९-८९) पे.वि. : अन्त भाग अपूर्ण है. [कृ.वि. : गाथा ३६६ थी ३८० वच्चे पण मळे छे.. उत्तराध्ययनसूत्र वृत्तिगत कथा कागज वि. १५२९ :२२ : (२३) .......... ग्रं.२१५० कल्पान्तवाच्य श्रेष्ठ कागज (३४)............... .११.५४४.५. कल्पसत्र-अन्तर्वाच्य प्रा.,सं. संपूर्ण (४३) .......... .१३४४.७) अध्याय १० सम्यग्दर्शनज्ञानचारि. सम्यग्दर्शनशुद्धं :२६८ गद्य संपूर्ण कागज :वि.१५७३ (२६८) ग्रन्थान-१८२८२..(१३४४.५) अध्याय १० (पे.पृ. १-२६८................. तत्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं) भाष्य : श्रेष्ठ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र उमास्वाति तत्वार्थाधिगमसूत्र-भाष्य उमास्वाति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य जीर्ण व टीका (पे.) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र :उमास्वाति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-भाष्य उमास्वाति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-स्वोपज्ञभाष्य नी सिद्धसेन टीका (पे.२) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र उमास्वाति चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र सह बीजक अने : मध्यम पर्याय-सचित्र चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकगाथाबद्ध देवेन्द्रसूरि सम्यग्दर्शनज्ञानचारि सम्यग्दर्शनशुद्धं वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ ग्रं.२२२८२ गद्य वृत्ति भाष्य उपर पण छे. अध्याय १० सम्यग्दर्शनज्ञानचारि संपूर्ण कागज २१३ : (१५४) (प.पू... ग्रन्थान-५७२५. प्रति शुद्ध करेली छे.. (१२.७४४.७) रचना स्थल सोमेश्वरपुर : संपा अध्याय परि.ग्रं. वि. १२६४ दृष्टोपि हष्टजनलोचन पद्य चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र-बीजक चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र-पर्याय वि. १२६४ वि.१२६४ वि. १४६६ सम्यक्त्वप्रकरण सह वृत्ति आप्य नथी. (१२९) कागळ स्थूल छे, प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली..(१२.५४४.७) सम्यक्त्वप्रकरण चन्द्रप्रभसरि प्रा. पद्य 316 Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ८४२ ८५४ ८५७ ८६५ ८७२ ८७३ ८८४ ८८८ ८९३ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम सम्यक्त्वप्रकरण-वृत्ति आचाराङ्गसूत्र चूर्णि आचाराङ्गसूत्र-चूर्णी भगवतीसूत्रचूर्ण भगवती सूत्र - चूर्णी जीतकल्पसूत्र सह वृत्ति जीतकल्पसूत्र कल्पसूत्रवृत्ति शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य राजहंसकथा नियमभङ्गे हस्तकाण्ड (पे. १) हस्तकाण्ड लक्षणविषयक (पे. २) पञ्चवर्गव्याख्या नव्यकर्मग्रन्थपञ्चकावचूरि कर्मग्रन्थषट्क- अवचूरि उपदेशमालापर्याय छायारूप उपदेशमाला छाया उपदेशमालापर्याय छायारूप त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य परिशिष्टपर्व स्थिति कर्ता चक्रेश्वरसूरि तिलकाचार्य मध्यम जीर्ण श्रेष्ठ जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण तिलकसूरि श्रेष्ठ माणिक्यचन्द्रसूरि मध्यम मध्यम पार्श्वचन्द्र जीर्ण गुणरत्नसूर जीर्ण जीर्ण पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रतिपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष परिमाण कागज ग्रं. ८३०० कागज श्लोक ३००० कागज गा. १०५ ग्रं. १३० ग्रं. १८०० कागज श्लोक ५५७४ कागज श्लोक २१० कागज श्लोक ९९ कागज ग्रं. ३१०० कागज कागज वि. १४७५ वि. १२७४ वि. १४५० वि. १४८० वि. १४५९ 317 आदिवाक्य १०६ मङगलादीणि सत्थाणि ३५ ३५ कयपवयणप्पणामों वोच्छं वन्दे वीरं तपोवीरं १७१ तेपि ब्रह्मादयो यस्य १० वयस्य! विश्रुतो राज ४ २५ २८ १२१ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (१०६) गद्य पद्य (३६) पद्य गद्य (१२४) पद्य पद्य (५) पद्य गद्य (१९) गद्य (२०) पद्य (१२३) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पाद्रावास्तव्य लेखकेन लिखितम् ग्रन्थाग्र- ८६००., (१३.५४५) (१३४४.५) (१२.५४५) हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. जयमंगलपाठकने आपेली प्रति पत्र १२२ थी १७१ सुधीमा उधईए मोटु काणुं पाड्यु छे., (१२४३.५) हारिजगच्छे महेन्द्रसूरिए लखेली प्रति प्रति पाणीथी भींजायेली छे. (११.७४३.७) (११.७४३.५) (पे. पू. १-४) पे. वि. ग्रन्थाग्र- १००. (पे. पृ. ४) पे.वि.: अपूर्ण. (११.२४४.५) (११.२४४.५) जयशेखरसूरि कृत अवचूरिमांथी उद्धरेला पर्याय.. ग्रन्थाग्र-३४९२. पाणीमां भींजायेली छे. पत्र १२२ मुं डबल., ( ११.२४४.५) Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ९०२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम परिशिष्टपर्व ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णकप्रकरण कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह (पे. १) ओघनियुक्ति (पे. २) पिण्डनिर्युक्ति 1 (पे.३) दशवैकालिकसूत्र (पे.४) पाक्षिकसूत्र (पे.५) क्षामणकसूत्र (पे.६) चतुःशरणप्रकीर्णक (पे.७) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् वीरभद्र (पे.८) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक (पे.९) संस्तारकप्रकीर्णक (पे. १०) तन्दुलवैचारिक प्रकीर्णक (पे. ११) चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक (पे. १२) देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक . (पे. १३) गणिविद्याप्रकीर्णक ( पे. १४) महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे. १५) वीरजिनस्तव स्थिति कर्ता हेमचन्द्रसूरि 1. (पे. १६) अजीवकल्पप्रकीर्णक (पे. १७) गच्छाचारप्रकीर्णक जीर्ण भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी शय्यम्भवसूरि वीरभद्र वीरभद्र ऋषिपालित पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष परिमाण सर्ग १३ श्लोक ३५०० कागज गा. ११६३ ग्रं. १४३२ गा. ६९७ ग्रे. ७०० ग्रं. ३५० गा. ६३ गा. ७१ गा. १७२ ग्रं. १७१ गा. १२४ गा. ३४५ गा. १७४ गा. ३८० गा. ८६ गा. १४३ गा. ४३ गा. ४५ गा. १३७ 318 आदिवाक्य श्रीमते वीरनाथाय २५४ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य दुविहोवक्कमकालो सामापद्य सावज्जजोगविरई उक्कित देसिक्कदेसविरओ सम्म (39) पिण्डे उग्गम उप्पायण पद्य धम्मो मगलमक्किट्ठ तित्थड़करे य तित्थे नमिऊण जिणं जयजीवबन्ध आहारे उवहिम्मि अ नमिऊण महवीरं तिय संयुक्त प+ग संयुक्त प+ग पद्य पद्य नमिऊण महाइसयं महाणु पद्य काऊण नमोक्कारं जिणवर निज्जरियजरामरणं जहमत्थगच्छयाणं विगसि पद्य अमरनरवन्दिए वन्दिऊण. पद्य वोच्छं बलाबलविहिं. एस करेमि पणामं तित्थ पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ( १०.२४४) (पे. पृ. १-४०) पे.वि.: गाथा - ११६०. [ कृ. वि. : गाथा - ११४० थी ११९० सुधी मळे छे.] 3 (पे. पृ. ४०-६५ ) [कृ.वि. गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे ] (पे.पू. ६५-९०) (पे. पृ. ९० १०१ ) पे.वि.: गाथा- ३००. (पे.पू. २०-१०१) (पे. पृ. १०२-१०५) पे.वि.: गाथा - ६३. [कृ. वि. गाथा - ६२ थी ९१ सुधी मळे छे.].. (पे.पू. १०५-१०८) [कृ.वि. गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे] (पे. पृ. १०८-११५) पे.वि.: गाथा - १७३. [कृ.वि.: गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे.] (पे.पू. ११५-१२०) पे.वि. गाथा-१२२. (पे.पू. १२०-१३३) (पे. पू. १३३-१४०) (पे. पृ. १४०-१५२) पे.वि. गाथा-३००. [कृ.वि. : गाथा- ३०० थी ३११ मळे छे.] (पे.पू. १५२-१५५) पे.वि. गाथा-८४. (पे. पृ. १५५ १६०) पे. वि. गाथा - १४२. (पे.पू. १६०-१६२) (पे.पू. १६२-१६४) (पे.पृ. १६४-१६९) Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृिति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पे.१८) मरणसमाधि प्रकीर्णक गा. ६६१ तिहुअणसरारविन्दं E: (पे.१९) द्वादशभावनास्वरुप (पे.२०) अजितशान्तिस्तोत्र नन्देिषेण गा.४० अजिर्य जियसवभयं पद्य गा.८ गमअवयारि सोहम्मसुर पद्य (पं.२१) लघुअजितशान्तिस्तव (पे.२२) भयहरस्तोत्र वीरगणि मानतुङ्गसूरि गा.२३ नामऊण पणयसरगणचुडामण का.११ असुरसुरमधुपकुल. गा.६३ पद्य (पे.२३) उपसर्गहरस्तोत्र (पे.२४) सीमन्धरजिनस्तुति (पे.२५) भावनासन्धि (पे.२६) शीलसन्धि (पे.२७) दानकुलक (पे.२८) शीलकुलक भद्रबाहुस्वामी जयशेखरसूरि जीवदेवमुनि जयशेखर-शिष्य जयघोषसूरि जयघोषसूरि गा.३४ (पे.पृ. १६९-१९६) पे.वि. : गाथा-६६१. i/चतुःशरणप्रकीर्णकथी मरणसमाधिप्रकीर्णक सुधी एटले के १३ प्रकीर्णकोनी एकन्दर श्लो. सं. २,८४७ ने अक्षर १५ छे. कृ.वि. : गाथा-६५२ थी ६६१ सुधी मळे छे] (पे.पू. १९६-२०२८. मे.वि... गाथा-१३२. (पे.पृ. २०२-२०४) पं.वि. का.-४२. [कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] (पे.पू. २०४-२०५) पे.वि. : गाथा-८. (पे.पृ. २०५-२०६) [कृ.वि. : गाथा २१ थी २४ मळे छे] (पे.पू. २०६)....... (प.पू. २०६-२०७) (कृ.वि. : गेयरूपा] (प.पू. २०७-२१०) पे.वि. : कडी-६३. (पे.पू. २१०-२१२) पे.वि.: कडी-३४. (पे.पृ. २१२-२१४) पे.वि. : कुल गाथा-४५. (पे.पृ. २१२-२१४) पे.वि. : दानशीलतपभावनाकुलकचतुष्टय-२. (पे.पृ. २१२-२१४) पे.वि. दानशीलतपभावनाकुलकचतुष्टय-३. (पे.पृ. २१२-२१४) पे.वि. : दानशीलतपभावनाकुलकचतुष्टय-४. (पे.पृ.२१४-२१६) पे.वि. : गाथा-३१. कृ.वि. गाथा- २४ थी ३५ सुधी मळे छे.. (पे.पू. २१६-२१७) पे.वि.: गाथा-२६. (पे.पू. २१७-२१८) पे.वि. : गाथा-२१. (पे.पू. २१८-२१९)... (प.पू. २१९-२२२). (प.पू. २२२-२२४)....... गा.४५ नमिऊण महियमोहं... (पे.२९) तपकुलक जयघोषसूरि पद्य (पे.३०) भावनाकुलक :जयघोषसरि प्रा. गा.४५ (पे.३१) प्रव्रज्याविधानकुलक गा.३० संसारविसमसायरभवजल पद्य पडि गा. २६ गा.२१ पद्य (पे.३२) संसारभावनाकुलक (4.३३) आवकविधिकुलक .(पे.३४) क्रियाकुलक. (पे.३५) जीरापल्लीपार्श्वजिनस्तुति (पे.३६) षण्णवति जिनस्तवन संसारम्मि असारे... निसाविरामे परिभावया दुलह लहेविण माणुस प्रभु जीरिकापल्लि.. सच्चक्रलोचनसुधाञ्जन का.४५ महेन्द्रसिंहसूरि म हेन्द्रसिंहसूरि का.२२ पद्य 319 Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार सं का. १६ कस्तुरीतिलकं भुवः पद्य मारुगूर्जर गा.१६ महरं कयअवयारसारु... पद्य सिरिरिसहेसर नाभिराय पद्य. मारुगूर्जर का.८ जासु नहि अन्नाण सोग पद्य धर्मघोषसूरि (ये.३७) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.३८) पार्श्वनाथस्तुति मथुरावतार . .(पे.३९) चतुर्विंशतिजिनस्तय......... (4.४०) जिननमस्कार (प.पू. २२४-२२५) (प.पू. २२५-२२६) (प.पू. २२६-२२७.. (पे.पृ. २२७) [कृ.वि. : परिमाण कडी रूपे आप्या :जयशेखरसरि अपन, मारुगूर्जर मारुगुर्जर सखे थाम्भणइ पासुसामि: पद्य वडई वेगि वीणा भणी गा.९ मारुगर्जर गा. :अचिन्त चिन्तामणि सखे एकुं मोर भणिउं मारुगूर्जर गा ११ (4.४१) स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तुति (पे.४२) युगादिदेवस्तुति (पे.४३) चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तुति (पे.४४) महावीरस्तुति (पे.४५) जिनपूजासमयभावना .. (पे.४६) चतुर्विंशतिजिनस्तुति ... (2.80) तीर्थमालावन्दन (पे.४८) वर्धमानस्वामिस्तवन पद्य पद्य मारुगुर्जर गा.६ गा.८ पद्य (प.पू. २२५-२२८) (प.पू. २२८-२२९). पे.वि. : कडी-९. (प.प्र...२२९.प.वि..: कडी.. (प.पू. २२९-२३०) (प.पू. २३०म).. (प.पू. २३०म.. (पे.पृ. २३०-२३१) पे.वि. : कडी-१०. (ये.पृ.२३१मुं) [कृ.वि. : श्रीनेमिःपंचरुपस्तुति पादपूर्तिरुप (प...२१२-२३२.... (पे.पृ. २३२२३३) अमरनररायमहिए. जुहारि जीराउलि जयइ नवनलिणि गा.१० पद्य पद्य पादलिप्तसूरि प्रा. :गा.६ कुवलय. रत्नाकर मुनि मारुगूर्जर गा.१६ शेत्रुञ्जमण्डणसामि.. नाभिनरिन्दमलहारु... मारुगूर्जर :गा.२१ :पद्य (4.४२) आदिनाथ वीनति (ये.५०) ऋषभदेवस्तवन चउतीस अतिशयगर्भित (पे.५१) महावीरस्तोत्र (पे.५२) मङ्गलस्तोत्र तीर्थवन्दनरूप (ये.५३) आदिनाथ जन्माभिषेक प्रा. गा.२१ का.२५ गा.११ (पे.पृ. २३३मुं) पे.वि. : गाथा-२१. (प.पू. २३४). पे.वि. : का.१५.. (पे.पृ. २३४-२३५) मारुगूर्जर जइज्जा समणे भगवं पद्य नित्यश्रीभुवनाधिवासी.... पद्य वीणीयनयरि : पद्य वीणीयनयरि भुवणमण्डणु भुवणण्डणुपद्य गम्भीरो मद्दविओ.. सिरिवीरजिणेसरपट्टना :पद्य मारुगुर्जर गा.१३ (पे.48) कलश (4.५५) गुरुस्तुतिकुलक (ये.५६) गुरुप्रदक्षिणास्तुति गा.२३ (प.पू. २३५-२३६)................. (पे.पृ. २३६-२३७).. (पे.पृ. २३७-२३८) [कृ.वि. : भाषा?] मारुगूर्जर गा. १३ पद्य (पे.१७) चतुर्विशतितीर्थकरकलश....... धर्मप्रभसूरि (पे.५८) गुरुप्रदक्षिणास्तुति मारुगूर्जर मारुगूर्जर गा..१६. गा. १३ कलुस निसुणी कलुस्... सिरिवीरजिणेसरपट्टना: पद्य (पे.पू...२३८-२३९2.. (पे.पृ. २३९-२४०) पं.वि. : आ स्तुति बीजी वार आवी छे. कृ.वि. : भाषा?] (पे.पृ. २४०-२४१).. (पे.५९) धर्माधर्मविचारकुलक. मारुगर्जर गा १ चउदहपूरवमाहि जु पद्य 320 Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ९०३ ९०४ ९३७ १९३८ ९३९ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. ६०) नेमिजिनस्तवन (पे. ६१) गौतमपृच्छा प्रकरण (पे. ६२ ) आवक आवश्यकसूत्र (पे.६३) शत्रुञ्जयमण्डन युगादिदेवस्तुति (पे.६४) गिरिनारमण्डन नेमिजिनस्तुति (पे. ६५) परमसुखद्वात्रिंशिका कातन्त्रव्याकरण कातन्त्रव्याकरण- दौर्गसिंहीवृत्ति - कातन्त्रव्याकरण कृद्वृत्ति दौर्गसिंहीवृत्ति सहित कातन्त्रव्याकरण (पे.६६) पार्श्वनाथ कलश कातन्त्रव्याकरण सह आख्यात वृत्ति व श्रेष्ठ दीर्गसिंही वृत्ति कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्ति पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय १) पाणिनिव्याकरण-महाभाष्य पाणिनिव्याकरण महाभाष्य तृतीयाध्याय द्वितीयपाद थी तृतीयाध्याय सम्पूर्ण.. पाणिनिव्याकरण-महाभाष्य पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय (४) स्थिति कर्ता पाणिनिव्याकरण-महाभाष्य ९४० पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय जयशेखरसूरि जयशेखरसूरि जिनप्रभसूरि (आगमिक) शर्ववर्मदेव दुर्गसिंह श्रेष्ठ शर्ववर्मदेव दुर्गसिंह मध्यम पतञ्जलि श्रेष्ठ पतञ्जलि मध्यम पतञ्जलि मध्यम पूर्णता भाषा मारुगुर्जर प्रा. प्रा. मारुगुर्जर मारुगूर्जर मारुगूर्जर मारुगुर्जर संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष आदिवाक्य प्रत प्रकार सं. प्रतिपूर्ण परिमाण गा. ५ गा. ५३ गा. १६ गा. १६ श्लोक ३२ कागज कागज कागज कागज कागज कागज वि. १४८० वि. १४५३ वि. १५४३ वि. १५४३ वि. १५४३ 321 भली भावना भेटिवा.... नमिऊण तित्थनाहं जाण विमलगिरिवर विमलगिरि पद्य लच्छिकुलहरु लच्छिकूल पद्य धर्माधर्मान्तरं पद्य ४० सिद्धो वर्णसमाम्नायः देवदेवं प्रणम्यादौ २८ सिद्धो वर्णसमाम्नायः देवदेवं प्रणम्यादौ १२५ २८ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य ५४ ३९ (24) गद्य गद्य (२०) गद्य गद्य (१२६) गद्य (२७) गद्य (५३) गद्य (४०) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पू. २४१) (पे. पृ. २४१-२४३) [कृ.वि.: गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.] (पे.पू. २४३-२४९) (पे. पृ. २४९-२५०) पे.वि. कडी - १६. (पे.पू. २५०-२५२) पे.वि. का. १६. (पे. पृ. २५२-२५३) (पे. पृ. २५३-२५४) पे.वि. अपूर्ण. (१०X३.७) (१०X३.७) पत्र ३७-३८ भेगा छे पत्र ४२मुं नथी. (१४५४ . २ ) (१४४४. १) (१४४४.२) (१४४४-४.२) Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ९४१ ९४२ ९६६ ९७१ ९७२ पाणिनिव्याकरण-महाभाष्य ९४३ पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय ९७३ ९७४ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (५) ९७५ पाणिनिव्याकरण-महाभाष्य पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय ६) पाणिनिव्याकरण-महाभाष्य पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय19) पाणिनिव्याकरण-महाभाष्य संवादसुन्दर कातन्त्रव्याकरण सूत्रपाठ कातन्त्रव्याकरण कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्ि कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्ति कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति बालावबोधवृत्ति कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्ति कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (चतुष्कवृत्तिदुण्डिका) कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्तिनो स्थिति कर्ता पतञ्जलि मध्यम पतञ्जलि मध्यम पतञ्जलि मध्यम पतञ्जलि श्रेष्ठ जीर्ण शर्ववर्मदेव जीर्ण मेरुतुङ्गसूरि जीर्ण मेरुतुङ्गसूरि मध्यम मेरुतुङ्गसूरि टिप्पनक कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ श्रेष्ठ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष परिमाण कागज कागज कागज कागज श्लोक ३३३ कागज कागज ग्रं. ५०९ कागज ग्रं. ५०९ कागज कागज वि. १५४३ वि. १९५९ वि. १४४४ वि. १४४४ वि. १४४४ 322 आदिवाक्य 194 ४० ३२ ६८ सिद्धो वर्णसमाम्नाय १७ १४ ३० २१ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (७५) गद्य (३९) गद्य गद्य (७) पद्य i (c) गद्य (१७) गद्य (१४) गद्य (२९) गद्य (29) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (१४४४.२) पत्र ११-१२ भेगा छे. (१४४४.२ ) (१४४४. २) ( १२.५४५.५) शारदा-लक्ष्मी, गांगेय गुंजा आदि अनेक संवादोनो सङ्ग्रह. पत्र छ नथी. (१३४४.१) वृत्ति ग्रन्थाग्र ४९४ (१२.७४४. १) वृत्ति ग्रन्थाग्र ४८१ (१२.७५४.१) ग्रन्थाग्र-२१२८., (१२.७५४.१) ग्रन्थाग्र - १४३४., (१२७४४. १) Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा मेरुतुगसूरि सं. वि. १४४४ मध्यम प्रतिपूर्ण कागज :वि. १४६९११ (११) ग्रन्थान-७६७., (१२.७४४.१) मेरुतुङ्गसरि वि.१४४४ गद्य (आख्यातवृत्तिण्डिका) कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्तिनो टिप्पनक कातन्त्रव्याकरण कृवृत्ति स्वोपज्ञ वालावबोधवृत्ति टिप्पनक (कृत्तिढुण्ढिका) कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्तिनो टिप्पनक काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल कविशिक्षा-काव्यकल्पलता वृत्तिनी काव्यकल्पलता परिमल टीका देववन्दनादिभाष्यत्रय व सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे.१) देववन्दनादिभाष्य कागज (१२.२४५.५) :जीर्ण अमरचन्द्रसूरि संपूर्ण सं. (४०).............. गद्य श्रीशारदा हदि जीर्ण संपूर्ण सूचिपत्र में पत्रांक १० का उल्लेख है., (१२४४.२) (पे.पृ. १-३) पे.वि. : देवेन्द्रसूरि कृतथी जुदी. कृ.वि. : देवेन्द्रसूरि कृतथी अन्य. (गद्य?) (पे.पू.३-3) पे.वि. : गाथा-२८३.. गाथा-२८.. (१२४४.५) प्रा. गा.२७३ (पे.२) सङ्ग्रहणीप्रकरण चैत्यवन्दनकुलक वृत्तिसहित... चैत्यवन्दनकुलक श्रीचन्द्रसूरि मलधारि श्रेष्ठ संपूर्ण कागज :जिनदत्तसूरि :गा.३० नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव : पद्य (८७) नमिऊणमणन्तगुणं चउवयण श्रेयांसि बहुविघ्ना ग्रं.४४००वि . १३८३ गद्य चैत्यवन्दनकुलक-विवृत्ति कथासहित प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह जिनकुशलसूरि श्रेष्ट १०२२ संपूर्ण कागज पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है.. (१२४४.५) .. .(प.पू. २-५).... (4...६-०. (पे.पू. ७) (पे.प्र.८) कृ.वि. : आ नामथी त्रण स्तोत्रो मळे । :प्रा.स. नमो अरहन्ताणं नमो संयक्त प+ग :अप श्लाक७५ (पे.१) श्रावकषडावश्यकसूत्र .(१.२. चतुर्विंशतिजिननमस्कार (पे.३) चतुर्विंशतिजिनस्तुति (पे.४) आदिनाथ, शान्तिनाथ, सोमप्रभसरि का.२७ जनेन येन क्रियते। 323 Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य छ - सरखा हशे? नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनस्तोत्रपञ्चक (मे.५) अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण गा.४० अजियं जियसब्वभयं : पद्य गा.१७ पद्य (पे.६) लघुशान्तिस्तोत्र ...... (ये.७) भयहरस्तोत्र मानदेवसरि मानतुगसूरि गा.२३ पद्य शान्ति शान्तिनिशान नमिऊण पणयसुरगणचूडामण भक्तामरप्रणतमौलिमणि (पे.पृ. ८-१०) पे.वि. : गाथा-४२. [कृ.वि.: गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे.] (पे.पू. ११) (पे.पृ. ११) पं.वि. : गाथा-२४. [कृ.वि. : गाथा २१ थी २४ मळे छे].... (पे.पृ. ११-१३) [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे.] (पे.पृ. १३-१५) (पे.८) भक्तामरस्तोत्र मानतुङ्गसूरि का.४४ :पद्य (ये.९) कल्याणमन्दिरस्तोत्र सिद्धसेन दिवाकर का.४४ कल्याणमन्दिरमुदारमवपद्य सरि (पे.१०) उपदेशमाला धर्मदास गणि गा.५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे जयकीर्तिरि गा. ११६ आबाल बम्भयारि नेमि पद्य (पे.११) शीलोपदेशमाला (ये.१२) गौतमपृच्छा प्रकरण (ये.पृ. १५-२८) पे.वि. : गाथा-५४१. [कृ.वि. गाथा ५४०.थी ५४६ मळे छे] (प.पू. २८-३१) (पे.पृ. ३१-३२) पे.वि. : गाथा-२४. [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९. सुधी पण मळे छे.]. (ये.पृ. ३२-३३) पे.वि. : गाथा-२७. गा. ५३ नमिऊण तित्थनाहं जाण: पद्य (पे.१३) नन्दीसूत्रनो हिस्सो देववाचक जयइ जगजीवजोणी.... पद्य स्थविरावली जयइ जगजीवजोणी.... पद्य (पे.पृ. ३३-३४) (पे.पू. ३४-३५). ये.पू. ३५).... (ये.१४) नन्दीसूत्रनो हिस्सो देववाचक गा. ५० स्थविरावली (पे.१५) जीवविचारप्रकरण शान्तिसूरि गा.५१ (पे.१६) नवतत्त्वप्रकरण गा.४९.. (पे.१७) धर्मलक्षणप्रकरण विमलसुरि श्लोक २२ (पे.१८) चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय गा. १२२ (पे.१९) योगशास्त्र हेमचन्द्रसूरि अध्याय १२प्रका (पे.२०) श्रावकाराधना मारुगुर्जर गा. १४३ (पे.२१) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि अध्याय २० ग्रं. १८७ .....(पे.२२) जयतिहअणस्तोत्र............ अभयदेवरि .......... अपनं.......गा. ३०.... भुवणपईवं वीरं नमिऊण: पद्य जीवाजीवा पुन्नं पावा पद्य धर्मार्थ क्लिश्यते :पद्य वन्दित्तु वन्दणिज्जे पद्य नमो दुर्वाररागादिवैर पद्य यः परात्मा परज्योत पद्य (पे.पृ. ३६-३९). (पे.पू.३९-४४०.पे.वि... चार प्रकाश पर्यन्त. (प.पू. ४९-492 (पे.पृ. ५१-५५) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] .......... जयतिहुवण कप्परुक्ख पद्य..........(मे.पू. १५-19)................ 324 Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कळ भाषा मारुगूजेर कः खलु नालड़िक्रयते पद्य का.२८ गा.३१ गा. ५० मारुगूर्जर अपभ्रं पद्य (प.पू.५७-६०) (पे.पू. ६०-६१) मे.वि. : का.२९. (पे.पू..६१-६२ (पे.पू. ६२-६४) (प.पू. ६४-६६/ (पे...६६-६७) (पे.पृ.६७) मारुगजेर गा.६९ श्लोक १० श्लोक८ मारुगुजेर श्लोक ६७ वि.१४९४ मारुगजेर गा.४१ मारुगर्जर गा.५१ वि.१४७० (पे.२३) आवकातिचार (पे.२७) प्रश्नोत्तररत्नमालिका.. : विमलसूरि (पे.२५) समवसरणविचार रिलसिंहसूरि. (पे.२६) आवकविधिरास पमानन्दसूरि-शिष्य (पे.२७) चतुर्विधधर्मचउपई काकबन्धरलसागरसूरि (प२८) सूरिनामगर्मित नेमिनाथस्तवन (पे.२२) महत्तरानामगर्भित आदिनाथस्तवन (पे.३०) सम्यक्त्वमूलबारव्रत रास हीरानन्दसूरि (पे.३१) जीराउलारास (पे.३२) रत्नसिंहसरिरास (पे.३३) बुद्धिरास शालिभद्रसार (पे.३४) शत्रुञ्जयमण्डन उदयप्रभसूरि ऋषभजिनस्तुति .(पे.३५) पञ्चतीर्थीस्तुति (पे.३६) चतुर्विंशतिजिनस्तुति (पे.३७) मुनिसुव्रतजिनस्तुति .(पे.३८) पञ्चमीस्तुति (पे.३९) नेमिनाथस्तुति श्रीनेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप (पे.४०) स्नातस्या-वीरस्तुति प्रकरणस्तोत्रादिसड़ग्रह (पे.पृ.६७-७१) (पे.प्र.७१-७३) (पे.पू. ७३-09) (पे.पू. ७५-७६) (पे.पृ.७६-७७) मारुगुजेर श्लोक ७३ श्लोक ४ आनन्दानमक गा.४ पद्य का.४ नाभयाजितवासपज्य श्लाक४ वाचा पण्याय दीपा... (पे.पू.७७ (प.पू.७७) ।(पे.पू.७७) (पे.पू. ) (पे.पृ.७८) पञ्चेष प्रकटप्रभाव का.४ राज्यं राजिमति :पद्य का.४ (प.पू. ७८) प्रति पाणीथी भींजायेली छे., (११.७४४.५) मध्यम कागज स्नातस्या प्रतिमस्य १४४-५(११,८२ थी :(१४५) ८३.१२७,१३४)=१३९ जत्थ पुरे जिणभवणं । धम्मोवग्गहदाणं दिज्ज पणमेवि पाय परमेसराण : पद्य गा.२२ (4.9) श्रावकविधिप्रकरण (पे.२) दानविधिकुलक (पे.३) नवकारफलकुलक गा.२५ गा.३३ (पे.पू. १-२) (प.पू. २-३). (पे.पृ.३-४) [कृ.वि.: हस्तप्रतोमां गाथा २३ थी ३३ सुधी मळे छे] (पे.पू. ४-22. (पे.पृ.५-७) [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी :/पे.४)संयममञ्जरीप्रकरण अपक्ष गा.३५ नमिऊण नमिरतियसिन्दपद्य नमिऊण तित्थनाहं जाण: पद्य (पे.५) गौतमपृच्छा प्रकरण 325 Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य पण मळे छे].. (प.प्र.७-99) पं.वि. : अपूर्ण, पत्र ९९ नथी. (पे.६) जम्बूद्वीपप्रकरण संक्षिप्त क्षेत्रसमास-अपूर्ण जम्बूद्वीपसमासप्रकरण प्रा. गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (पे.७) कलशस्नानगाथा. (पे.८) शान्तिनाथकलश कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्ोत्रसमासनो संक्षेप छे. प.पू...१२..... (ये.पृ. १२-१४) अपभ्रं. जम्ममज्जणि जिणह वीर पद्य तिजगदीवउ कणय पद्य समवन्न :गा. १३ मङ्गलसूरि अपभ्रं. :गा.१७ श्रेयः पल्लवयन्तु...... पद्य (पे.९) महावीरकलश (पे.१०) प्रश्नोत्तरमालिका प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे.पू. १४-१५) (पे.....१५१६) पे.वि....गाथा-२९.. विमलसरि विमलसरि श्लोक२२ (पे.99) धर्मलक्षणप्रकरण (पे.१२) प्रश्नात्मक औपदेशिकश्लोक (प.पू. १६-१७) कः खलु नालाडक्रयते धर्मार्थ क्लिश्यते किं सुरगिरिणो गरुयं नमो अरहन्ताणं नमो 4..१७वां) संयुक्त प+ग (ये.पू. १७-२२) (पे. पृ.२३-२४) गद्य (पे.१३) श्रावकषडावश्यकसूत्र (ये.१४) पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्रप्रथमसूत्र पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र (पे.१५) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (पे.१६) पवज्जाविहाण गा.५० जयइ जगजीवजोणी... पद्य (पे.पृ. २४-२६) पे.वि. : गाथा-५१. (पे. प्र. २६-२७) पे.वि.: गाथा-२७. कर्ता नाम मुनिचन्द्रसूरि दिया है. अन्त में द्युत, व्यसनफलादि औपदेशिकश्लोक दिया है. कृ.वि. : गाथा- २४ थी ३५ सुधी मळे छे. प्रव्रज्याविधानकुलक :गा.३० संसारविसमसायरभवजल: पद्य पडि नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.१७) उपदेशमाला धर्मदास गणि गा. ५४४ (प.पू. २७-४८) पे.वि. : गाथा-१०४. कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.... (पे.पृ. ४८-५२) पं.वि. : गाथा-१०४. अन्त में स्थानांगसूत्र की दृष्टान्तगाथा दी गयी है. (पे.१८) धर्मोपदेशमालाप्रकरण जयसिंहसूरि गा. १०१ सिज्झउ मज्झविसुयदेवि पद्य 326 Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १९) योगशास्त्र प्रकाश १-४ योगशास्त्र (पे. २०) संग्रहणीप्रकरण (पे. २१) दुषमोद्धारप्रकरण (पे. २२) एकविंशतिस्थानप्रकरण (पे. २३) नाणाचित्तप्रकरण (पे.२४) पिण्डविशुद्धिप्रकरण (पे.२५) धर्मरत्नप्रकरण (पे. २६) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे. २७) शीलोपदेशमाला (पे.२८) बृहत श्रावकविधि (पे.२९) लघुसङ्ग्रहणीप्रकरण (पे.३०) अजितशान्तिस्तोत्र (पे.३१) बृहत शान्तिस्तोत्र (पे.३२) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.३३) महावीरस्तोत्र (पे. ३४) आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ महावीर पञ्चस्तवी (पे.३५) शाश्वतजिनस्तवन (पे.३६) चतुर्विंशतिजिनस्तवन (पे.३७) चतुर्विंशतिजिनस्तवन (पे.३८) पञ्चपरमेष्ठिस्तवन (पे.३९) शान्तिनाथस्तवन स्थिति कर्ता हेमचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि मलधारि उदयप्रभसूर सिद्धसेन सूरि जिनवल्लभ शान्तिसूरि आसड जयकीर्तिसुरि हरिभद्रसूरि नन्दिषेण शान्तिसुर वादिवेताल पादलिप्तसुरि नयचन्द्रसूरि पूर्णता भाषा सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. अपभ्रं. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. सं. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष आदिवाक्य प्रत प्रकार परिमाण अध्याय १२ प्रका गा. २७३ गा. ४७ गा. ६६ गा. ८१ गा. १०४ गा. १४५ गा. १४४ गा. ११६ गा. ३४ गा. २५ गा. ४० गा. ४ गा. ४ गा. ३१ गा. ७ श्लोक ४ गा. ७ गा. ९ वि. १२८८ 327 नमो दुर्वाररागादिवैर नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव : पद्य नमिउण भुवणवीरं. चवण विमाणा नयरी पद्य पद्य जणया नमिऊण जिणं जगजीवबन्ध देविन्दविन्दवन्दियपय पद्य नमिउण सयल गुणरयणकल सिद्धिपुर सत्थवाह आबाल बम्भयारिं नेमि वीरजिणिन्दहपयकमलो नमिऊण जिणममोहं जय अजियं जियसव्वभयं भो भो भव्याः श्रृणुत तं नमह पासनाहं महाजुले जि तं नमह पासनाहं... क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार नमिउणं सव्व जिणे ऋषभजिनमजितनाथं. ऋषभजिनमजितमथ सम्भव अर्हतस्त्रिजगद्वन्द यस्सजा चितनात्सद्यः पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य : पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. ५३-६९) पे.वि. गाथा-२७३. (पे.पु. ७०-८०) (पे.पू. ८०-८१) पे.वि. पत्र ८२.८३ नथी. (पे. पृ. ८१-८६) पे. वि. गाथा-८३. (पे. पृ. ८६-८८) पे.वि. गाथा-१०४. (पे. पृ. ८८-९२ ) [कृ.वि.: गाथा १०५ सुधी मळे छें] (पे. पृ. ९२-९६) . (पे. पृ. ९६ १०१) पे.वि. गाथा- ११४. (पे.पू. १०१-१०५) (पे.पू. १०५-१०६) . (पे.पू. १०६) (पे. पृ. १०७-१०९) (कृ.वि. गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे ] (पे.प्र. १०९-११०) (पं.पू. ११०) (पे. पू. ११०) (पे. पृ. ११०-११२) (कृ.वि. च्यवनादि १५ स्थान गर्मित.] (पे.पु. ११२) (पे.पू. ११२) (पे. पृ. ११२) (पे.पू. ११२) (पे. पृ. ११३) Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूर्णता ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष : पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गा.६ तियसिन्दनरिन्द नमंसिपद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा प्रा. (प.पू. ११३). (पे. पृ. ११३). (ये.४०) नवकारस्तवन (प.४१) सत्तरसयस्तवन तिजयपहत्तस्तोत्र (पे.४२) पार्श्वनाथस्तोत्र भयहरस्तोत्र गा.१४ तिजयपहत्त............... पद्य (पे. पृ. ११३-११४) कृ.वि. : गाथा २१थी २४ मळे छे. मानतुङ्गसूरि गा.२३ पद्य गा. 910 मानदेवसूरि मुनिरत्नसरि गा.१६ गा.२१ पद्य पद्य गा.९ देवसूरि वादिदेवसरि गा. पद्य पद्य श्लोक ५ श्लोक २२ सड़ग्रामसिंह पद्य नमिऊण पणयसुरगणचूडामण शान्ति शान्तिनिशान सयलसिरीण निवासं जइज्जा समणे भगवं :जयति त्रिजगद्रक्षा.. निज्जियमोहं सम्पत्त श्रीसीमन्धर प्रथमो पञ्चानुत्तरसरणा ग्रे पडिवन्नचरमतणुणो... :तिपयपयसियतिजयं नाभियजिणमसभ अप्पडिहयधम्मचक्केण. वन्दियनन्दियलोयं अइमुत्तयकेवलिणा सयलसुरासुरनमियं नमेन्द्रमण्डलमणिमय :जत्थ सिरिपुण्डरीयो गा.२३ : देवेन्द्रसूरि पद्य गा.३२ गा.२० जिनवल्लभ पद्य जिनवल्लभ गा.३३ (पे.४३) लघुशान्तिस्तोत्र (4.४४) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.४५) महावीरस्तोत्र (पे.४६) पार्श्वनाथस्तवन (पे.४७) सीमन्धरजिनस्तोत्र (पे.४८) विहरमानजिनस्तवन (पे.४२) तीर्थमालास्तवन (पे.५०) समवसरणस्तवन प्रकरण (पे.५१) शाश्वतजिनचैत्यस्तोत्र .... (प.५२) नाभेयजिनस्तोत्र (पे.५३) शान्तिनाथस्तोत्र...... (ये.५४) नन्दीश्वरस्तोत्र (ये.५५) शत्रुञ्जयमहातीर्थकल्प (4.452 शत्रुञ्जयमहातीर्थस्तोत्र (ये.५७) शत्रुञ्जयमहातीर्थस्तोत्र (पे.५८) शत्रुञ्जयमहातीर्थस्तोत्र (पे.५९) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.६०) लघुअजितशान्तिस्तव... (पे.६१) पार्श्वनाथस्तोत्र मन्त्रगर्मित (पे.६२) नेमिनाथस्तोत्र षडभाषामय (ये.६३) पार्श्वनाथ अष्टक (पे.६४) अनागतचतुर्विशतिजिनस्तोत्र पद्य (प.पू. ११४). (पे.पृ.११५2. (प.पू. ११५) (प.पू. ११५-११६) (प.पू. ११६). (पे.पू. ११६). (ये.पू. ११६-११५). (प...११८-११८. (पै.पू. ११८-११९). (प.पू. ११९) प.पू. ११९-१२०... (ये.पू. १२०-१२१). (प.पू. १२१) (प.पू.१२१-१२२.. (प.पू. १२२-१२३) (प.पू. १२३). (प.पू. १२32. (प.पू. १२३-१२४) (प.पू. १२४-१२५) म.प्र...१२.५2. (पे.पू. १२५-१२६) (पे.पू. १२६) जिनवल्लभ गा.२५ पद्य गा.२४ देवेन्द्रसूरि. गा.२५ पद्य श्लोक २४ गा.९ नयचन्द्रसूरि पद्य नम्रामरनरश्रेणे पद्य जिनवल्लभ गा.१७ गा.८ स.,अपभ्रं.:श्लोक १७ रलप्रभसूरि नयचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि ... उल्लसिक्कमनक्ख... पद्य ॐनमो भगवते पार्श्व पद्य :अमन्दमन्दोदयकन्दसार... भुजगेन्द्ररम्यं पद्य वीरवरस्स भगवओ... पद्य श्लोक ९ 328 Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. ६५) चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र (पे.६६) पार्श्वनाथचरित्रस्तोत्र (पे.६७) महावीरस्तोत्र (पे.६८) अष्टप्रकारीपूजा (पे.६९) पुण्डरीकस्तोत्र (पे. ७०) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.७१) सर्वजिनस्तोत्र एकस्वरचित्रमय (पे.७२) नेमिनाथस्तोत्र (पे.७३) आचार्यनामगर्भित स्तुति (पे. ७४) ज्ञानपञ्चमीस्तोत्र (पे.७५) ज्ञानपञ्चमीस्तोत्र (पे. ७६) ज्ञानपञ्चमीस्तोत्र (पे.७७) ज्ञानपञ्चमीस्तोत्र (पे.७८) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.७९) वैरोट्यास्तोत्र (पे.८०) चतुर्विंशतिजिन पारणकविधिस्तोत्र (पे. ८१) पार्श्वनाथस्तोत्र त्रोटक छन्द (पे.८२) युगादिजिनस्तोत्र (पे.८३) रोहिणीपर्वस्तोत्र (पे.८४) आदिनाथस्तोत्र (पे.८५) तीर्थमाला स्तोत्र (पे.८६) तीर्थमालास्तोत्र (पे.८७) वीतरागस्तोत्र (पे.८८) महावीरद्वात्रिंशिका (पे.८९) भक्तामरस्तोत्र स्थिति कर्ता जिनवल्लभ जिनवल्लभ भद्रेश्वरसूरि वादिदेवसूरि महेन्द्रसिंहसूर वादिदेवसुरि प्रसन्नचन्द्रसरि मुनिरत्नसूर वादिदेवसूरि नयचन्द्रसूरि सिद्धसेनसूरि रविसिंहसूर हेमचन्द्रसूरि मानतुङ्गसूरि पूर्णता भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. अपन प्रा. प्रा. अपभ्रं सं. सं. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष प्रत प्रकार परिमाण गा. १३ गा. १५ गा. १३ गा. ९ गा. ८ गा. ८ गा. ७ गा. १० श्लोक ७ गा. १५ गा. १०. गा. २७ गा. १५ गा. १७ गा. १७ गा. ७ श्लोक ९ श्लोक १८ गा. १९ गा. ३५ गा. २३ अध्याय २० ग्रं. १८७ गा. ३२. का. ४४ 329 आदिवाक्य थोरसामि जिणवरिन्दे वन्दे मन्दर नन्दणद भत्तिब्भरनमिरसुरवइ परिमलमिलन्तभसला सिरिभरहचक्किनन्दण निलुप्पल इह देहो जय जय जय जणवच्छल जायवकुलसरवर प्रणवहृदि यदीयं. उच्छलियविमलकिरणा लोयालोयपयासय असुरवरखयर सुरविसर नमवि सिरिनेमिजिणनाह मङ्गलकमलजलाशय.. नमिउणजिणम्पासं जय विश्वनयन... वासुपूज्जं थुणामो बालत्तणम्मि सामिय संसारतारयाणं तियसा पयतियसपणासणु संसयनास यः परात्मा परञ्ज्योत क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य स्तोष्ये जिनं महावीर भक्तामरप्रणतमौलिमणि पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य : पद्य नमवि चउवीसतित्थेसपय पद्य पद्य : पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पू. १२६) (पे.पृ. १२७-१२८) 1. (पे.पू. १२८) (पे.पू. १२८) (पे.पू. १२८-१२९) (पे.पू. १२९) (पे. पृ. १२९) . (पे.पू. १२९) (पे.पू. १२९-१३०) (पं.पू. १३०) (पे.पू. १३०) (पे.पू. १३०-१३१) (पे.पू. १३१) (पे. पृ. १३१-१३२) (पे.पू. १३२-१३३) (पे.पृ. १३३) (पं.पू. १३५) (कृ.वि.: त्रोटक छन्द] (पे.पू. १३५) (पे.पु. १३५-१३६) (पे.पू. १३६-१३७) (पे.पू. १३७-१३८) (पे.पृ. १३९-१३९) (पे. पृ. १३९-१४३) [कृ.वि. प्रकाश-२०] H (पे.पू. १४३-१४४) (पे. पू. १४४) पे. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य काव्य-99 तक है. कृ.वि.अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे] (११.७४४.५) १०३३ यतिदिनचर्या माध्यम कागज संपूर्ण प्रा. प्रतिपूर्ण भावदेवसूरि मध्यम वीरं नमिऊण जिणं... गा. १५४ :कागज (६) : पद्य :(३९) :(११.७४४.७) देवदेवं प्रणम्यादी १०३६ कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति चतुष्कवृत्ति कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्ति कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति आख्यातवृत्ति कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्ति १०५३... तत्त्वार्थाधिगमसूत्र दुर्गसिंह जीर्ण गद्य (६०) १०३७ प्रतिपूर्ण कागज (११.७४४.७) देवदेवं प्रणम्यादी दुर्गसिंह श्रेष्ठ कागज (१०.२४४.२. उमास्वाति अध्याय १० सम्यग्दर्शनज्ञानचारि १०५४ मध्यम कागज (१०.२४४.२) अध्याय १० :१०५५ संपूर्ण कागज वि. १८वी ............. (१०.२४४.२) अध्याय १० .......... तत्त्वार्थाधिगमसूत्र उमास्वाति तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित... श्रेष्ठ (4.9) तत्त्वार्थाधिगमसुत्र......... उमास्वाति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-भाष्य उमास्वाति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-स्वोपज्ञभाष्य नी सिद्धसेन टीका (पे.२) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र .... उमास्वाति बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण, जीर्ण जिनभद्र गणि सम्यग्दर्शनज्ञानचारि ५४३ ........ : सम्यग्दर्शनज्ञानचारि सम्यग्दर्शनशुद्ध वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ गद्य ग्रं.२२२८२ गद्य वृत्ति भाष्य उपर पण छे. अध्याय १० सम्यग्दर्शनज्ञानचारि (प.पू. ५३८-५४३ : गाथा-६५५., (१०.१४४.१) ११५४ कागज वि. १६वी प्रा. गा.६४०.८७५ पद्य नमिऊण सजलजलहरनिभस्सण क्षमाश्रमण ११६४ नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १५मी (१०.२४४.५) सोमतिलकसरि गा.३८६ सिरिनिलयं.. पच ११६६ श्रेष्ठ (२०) (१०.२४४.२) पद्य नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि नव्यबहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-अवचरि गुणरत्नसूरि नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि जीर्ण नव्यवहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-अवचरिगणरत्नसरि । ११६७ सपूर्ण कागज वि.१५मी श्लोक १०३६ संपूर्ण कागज. । वि. १४६२.. सं............: श्लोक १०३६..... 330 (१२.......... पद्य पत्र पसु डबल छे...(१०.२४४.२).. Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ११८१जीवसमासप्रकरण :मध्यम वि. १७मी गाथा-२८३.. (१०.२४४.२. -- कागज गा.२७० कागज गा. 100 जीर्ण .......... ....... वि. १७मी (१०.२४४.५) दस चोदस य जिणवरे पद्य १४०. दस चोदस य जिणवरे यः स्फारकेवलकरैर्जगत गद्य गं.E६२७ हेमचन्द्रसूरि मलधारी। जीर्ण कागज............ वि. १७मी गा.३७ नमिऊण जिणं वीर (१०.२४४.२) (प.प. 9-३ (प.प्र.३-४) (९.५४४.२) दिगम्बर ग्रन्थ. .वि. १६मी... जीर्ण EESEEELESEO EE EES कागज श्लोक १०१ श्रेष्ठ कागज ११८२... जीवसमासप्रकरण सटीक जीवसमासप्रकरण जीवसमासप्रकरण-बृहद्वृत्ति पुराणादिगतश्लोकसङ्ग्रह......... (प.) (पे.२) त्रिषष्टिध्यानकथानकप्रकरण समाधिशतक सटीक समाधिशतक समाधिशतक-टीका संवादशतक संवादशतक-निगममत ग्रन्थ यतिशिक्षापञ्चाशतादि (पे.१) यतिशिक्षापञ्चाशत (पे.२) संवेगमञ्जरीप्रकरण (पे.३) शिक्षाशतक (पे.४) क्षमाकुलक अकलड़कदेवाष्टकादि अष्टको (पे.१) अकलड़कदेवाष्टक (पे.२) आत्मनिन्दाष्टक (पे.३) हंसाष्टक (पे.४) चक्रवाकाष्टक (१.५) भ्रमराष्टक (पे.६) करभाष्टक (पे.७) हरिणाष्टक (प.८) सिंहाष्टक (पे.९) धवलाष्टक (१०x४.५) निगममत ग्रन्थ. । (१०.२४४.५) (पे.पू. १-22. (प.पू. २-३ (कृ.वि. : उपदेश प्रकरण?] (प.पू.३-६ गा. ५० जयइ जिणसासणमिणं...: पद्य सद्देसणमलयानिलमञ्जरि: पद्य देवभद्रसूरि गा.३२ गा.१०० वि.१०मी केवल अप्पसरूवं. REFEREFEREFEEEEEEEEEEEEEEEEEEE यशोघोषसूरि गा.२५ नमिऊण पुचपुरिसाण (१.१.६... जीर्ण कागज वि.१६मी श्लोक १० श्लोक १० श्लोक श्लोक १० (१०.२४४.२) (पे.पू. १) (पे.पू. 22.. (पे.पू. १-२) (पे.पू.२) (पे.पू. २... (पे.पू.२). (पे.पू. २३) (पे.पू. ३... (पे.पू. ३) श्लोक FESSES श्लोक श्लोक ९ श्लोक ११ श्लोक पद्य 331 Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम : क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (ये.१०) नराष्टक श्लोक ९ पद्य (पे.पृ.३-४) [कृ.वि. साचुनाम वानराष्टक लागे (ये.११) नारी अष्टक श्लोक ९ (पे.पृ. ४) [कृ.वि. : साचु नाम-वानर्यष्टक लागे श्लोक ९ श्लोक ११ श्लोक ९ श्लोक ९ लोक S.NERNAN41. ELEEEEE (पे.१२) दैवाष्टक (पे.१३) मेघाष्टक. (ये.१४) समुद्राष्टक (पे.१५) सत्पुरुषाष्टक (4.9६) गजाष्टक (पे. १७) वृक्षाष्टक (पे.१८) चातकाष्टक (पे.१९) चिन्तामण्यष्टक प्रश्नोत्तररत्नमालिका सह समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति प्रश्नोत्तररत्नमालिका प्रश्नोत्तररत्नमालिकासमासार्थप्रकाशिनी वृत्ति उपदेशपदप्रकरण सह टीका उपदेशपदप्रकरण (प.पू.४).. (प.पू.... (प.पू. ४-५) (पे.पू. ५... (पे.पू.... (प.पू. ५-६). (प.पू. ६). (प.पू...... (१०-१०.१४४.२) श्लोक १० श्लोक८ श्लोक १० पद्य मध्यम संपूर्ण कागज वि.१०मी विमलसूरि :क: खल नालविक्रयते पद्य गद्य 1१४१३ मध्यम काग पत्र ३०८ मु डबल छे... (१०.२४४.२) .......... वि. १७मी ... :गा.१०४० ३३७ नमिऊण महाभाग (३३८). :पद्य हरिभद्रसूरि तिलोय मुनिचन्द्रसूरि श्लोक ११७४ उभय ग्रन्थान-१४0002 :कागज वि. १७मी १३५ (९०) (९.५४४.२० ......... अध्याय ३खत्री उपदेशपदप्रकरण-टीका १४५८ द्वात्रिंशद् द्वात्रिशिकाप्रकरण सह स्वोपज्ञ वृत्ति (2.9) द्वात्रिंशदद्वात्रिशिकाप्रकरण (मे.२) द्वात्रिंशद्वात्रिशिकाप्रकरण स्वोपज्ञ वृत्ति १४६० हिताचरणप्रकरण सह स्वोपज्ञ टीका व बीजक त्रिपाठ हिताचरणप्रकरण यशोविजयजी गणिसं.. यशोविजयजी गणिसं. पद्य गद्य प.पू...१.३४... (पे.पृ. ३४-१३५) [कृ.वि. : उभय श्लोक-५५००] मध्यम संपूर्ण कागज । वि. १६३० !२७१ (१८२) त्रिपाठ बीजक सहित., (९.19४८.२) : सकलचन्द्र प्रा. श्लोक १२४३९ पद्य 332 Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा सकलचन्द्र सं. ग्रं. १२४३९ गद्य हिताचरणप्रकरण-स्वोपज्ञ टीका हिताचरणप्रकरण-बीजक १५२२.. जिनविम्वप्रवेशविधि ............ सं. संपूर्ण (99.७४५.२) कागज..............वि.२०मी.....७. अर्हन्तं नमस्कृत्य :वि. १७मी १६२० संपूर्ण कागज (१०.२४४.५) गा.११६ आबाल बम्भयारि नेमि पद्य (प.पू. ११-१३) पे.वि.: गाथा-११५. शीलोपदेशमालाप्रकरण तथा जीर्ण चारित्रमनोरथमाला (पे.१) शीलोपदेशमाला जयकीर्तिसूरि (पे.२) चारित्रमनोरथमाला :धनेश्वरसरि शीलोपदेशमालाप्रकरण सह वृत्ति. जीर्ण शीलोपदेशमाला जयकीर्तिसरि शीलोपदेशमाला-शीलतरङ्गिणीवृत्ति सोमतिलकसरि प्रा..स (पे.पू. १३) संपर्ण कागज (१६८) वि. १५६७२४७ :आबालबम्भयारिनेमि मूलगाथा-११५.. (१०.२४४.२). गा : ग्रं. १२९४ वि. १२९४ १६४० जैनागमविचारसारसङ्ग्रह अष्ट संपूर्ण कागज । वि. १७मी १५४ (१००) सोमतिलकसूरिनुं आचार्य पदवी पहेलानुं नाम विद्यातिलक हतुं. शुभविजय शिष्य वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली: प्रति.पत्र ७३मुं अने ७४ मुं नथी.११७ मुं तथा ११८ मुं डबल छे. सं.प्रा. श्लोक ७११३ १६६७ शान्तिनाथचरित्र गद्यपद्यबन्ध मध्यम संपूर्ण कागज वि.१७मी ३३० पत्र ७ मुं नथी अने २४५ मुंडबल छे.. १०.२४४.५) शान्तिनाथचरित्र शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध देवचन्द्रसूरि. जीर्ण श्लोक १२१०० कागज । वि.११६० :वि. १५४८ १६७० संपूर्ण १०८ (७०) मुनिदेवसूरि : मध्यम श्लोक ५०५५वि . १३२२ कागज वि. १७०२ वेश्मरत्ननिशारत्ननभो १५४ पद्य : (१०४) : ग्रन्थान-४८५०. वीरमगामना श्रावके धर्महंससूरिना : उपदेशथी लखावेली प्रति. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. सं.१७०४मां गुणविजयगणि शिष्य रत्नविजये पाटणना भंडारमा मूकेली प्रति., (१०.१४४.५) १६७२ । नेमिनाथचरित्र गद्य संपूर्ण पद्य : नेमिनाथचरित्र १६... प्रद्युम्नचरित्र श्लोकबद्ध गुणविजय. जीर्ण श्लोक ५२७५.....: वि. १६६८. हस्तप्रत वि. १६४५... श्लोक 1000 !वि. १६४५ कागज :वि. १७मी Jog) :(१०.२४४.२) रविसागर ७७१ :दृष्टान्तशतक श्लोकबद्ध (१०.२४.२] सं. प्रा.मारुग। पद्य 333 Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य र्जर १७७२ दृष्टान्तरत्नाकर श्लोकबद्ध : मध्यम संपूर्ण कागज (२४) प्रतिशुद्ध से... वि.१६मी वि. १५७१. वि. १६मी.. पद्य संपूर्ण :कागज १७७३ कल्पमञ्जरीकथाकोष श्लोकबद्ध कल्पमञ्जरी कथाकोष श्लोकबद्ध १७७४ कथारत्नाकर गद्यबन्ध अनन्तहंस.. मध्यम जयतिलकसूरि मध्यम (६) पद्य तृतीय स्तबक पर्यन्त., (१०x४.५) तृतीयस्तबक पर्यन्त : आ प्रतिमा २५८ कथानो संग्रह छे.पत्र ११ मुं १२ मुं.नथी अने १७६ मुं डबल छे...(१०४४.२.. संपूर्ण :कागज वि. १७मी २०३ (१३६) कथारत्नाकर गद्यबद्ध हेमविजय :श्लोक ७४०० पद्य वि. १६५७ वि. १७मी 90194 कथाकोश सह विवरण मध्यम संपूर्ण कागज (९४) :९३-१४० सुधीना पाना उंदरे करडेला छे., (१०.२४४.२) जिनेश्वराचार्य वि.११०८ वि. १७मी. वि. १७मी श्रेष्ठ संपूर्ण कागज (६०) कथानककोशसूत्र गाथाबद्ध कथाकोश-विवरण अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह (पे.9) अघटकुमारकथा (ये.२). वसुभूति वसुमित्रकथा धर्मप्रभावे (ये.३) मदिरावतीकथा (पे.४) देवराजादिकथा अविचारितकार्ये (मे.५) पुण्यसारकथा साधर्मिकवात्सल्ये (पे.६) शूरपालकथा दानविषये. (पे.७) धनदकथा दानविषये (पे.८) जिनदत्तकथा दानविषये (पे.२) अमरसेन वयरसेनकथा दान, देवपूजाविषये (ये.१०) रोहिणीकथा शीलविषये (पे.११) शीलवतीकथा शीलविषये (पे.१२) कलिड़गसेनाकथा शीलविषये (ये.१३) कुसुमसारकथा तपविषये (पे.१४) विद्याविलासकथा तपविषये (पे.१५) गुणवर्मकुमारकथा धर्मप्रभावे. पत्र १५ मुं डबल छे...(१०.२४४.२) (पे.पू. १-७) प.पू...-262.. (प.पू. १६). (प.पू. १६-२१) (प.पू. २१-२५/. (प.पू. २५-२८). (प.पू. २८-३०) प.पू.३०-३32. (पे.पृ. ३२-३६) [कृ.वि. : दान देवपूजा विषये] (पे.पू. ३६-३९) (प.पू. ३९-४२) (प...४२-४६. (प.पू. ४६-१४[कृ.वि. : तपविषये] (पे.पू.५४-१६.. Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष IFI (पं.पू.६१-६२) (पे.पू. ६२-६३) [कृ.वि. : उपकारविषये] (प.प्र.६३) (पे.पृ. ६३-६६) (पे.१६) भुवनकथा जीर्णोद्वारे (पे.१७) श्रीदत्तकथा उपकारविषये (पे.१८) शृङगदत्तकथा अतिलोमे .. (पे.१९) मल्लिस्वामिनी चरित्र मायाविषये. (पे.२०) रत्नशेखरराजकथा विषयपरिहारे (पे.२१) धनपालकवि-शोभनमुनिकथा.. (१.२२ ऋषिदत्तामहासतीकथा चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोक गाथावद्ध (प.पृ.६६-७५) १८७२ मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५मी १८१ (प.पू. ७५-८२)......... (4....२-८७ काइक अपूर्ण प्रतिना कागळ स्थूल छे. पहेला पानामां चन्द्रप्रभस्वामिनुं अने बीजामा आचार्य व्याख्यान वांचेछे ते स्थितिनुं चित्र छे. बन्ने चित्रों लगभग भुसाइ गया छे. पत्र ४२ मुंडबल छे.. (१२४५) :रचना स्थल सोमेश्वरपुर : चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकगाथाबद्ध : देवेन्द्रसूरि सं.प्रा. पद्य अध्याय परि.अं.: वि. १२६४ दृष्टोपिइष्टजनलोचन ५३२५ कागज ....... वि. १६मी....३२ १८८६ चतुर्विशतिजिनेन्द्रचरित्र श्लोकबद्ध ... जीर्ण संपूर्ण (२४).......... (१२४४.७) पद्य अमरचन्द्रसूरि मध्यम देवसुरिश. : संपूर्ण १८८७ पद्मप्रभस्वामिचरित्र गाथावद्ध.. पद्मप्रभस्वामिचरित्र १८९० चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकबद्ध (१६२)........... ..........वि. १५मी..... १६२.. वि. १२५४... मङ्गलमाइजिणेसरभु वि. १५मी १७८ जीर्ण (१२४४.२) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. प्रति पाणीथी भीजायेली छे. पत्र ६८-१०५ नथी अने १६५ मुं डबल छे.. (१२४४.२) संपूर्ण कागज (१४०) :संपूर्ण (905). पत्र ११ मं डबल छे..(११.9X४.५) चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र पद्य सर्वानन्दसूरि १८९५... मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र गाथाबद्ध ....... जीर्ण श्रीचन्द्रसूरि १९४० सुलसाचरित्र सम्यक्त्वसम्भवमहाकाव्य मध्यम सुलसाचरित्र सम्यक्त्वसम्भव महाकाव्य : जयतिलकसूरि १९५० : वृत्तरत्नाकर सावचूरि पञ्चपाठ जीर्ण वृत्तरत्नाकर :केदार भट्ट श्लोक ६१४१ कागज. .........वि. १६मी... २५८. गा. १०९९४ ...वि. ११९३ ... कागज वि. १५मी ८ श्लोक (१४१ वि. १६मी संपण संपूर्ण कागज (92xx.५ पद्य छन्दोविषयक ग्रन्थ. 335 Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति प्रकार गद्य (१८) संपूर्ण कागज वि. १६मी (१२४४.५) से... लोक८७ : सहर्शनं जिनं नत्वा पद्य गद्य संपूर्ण कागज वि.१६मी (११.७४४.५) सं.प्रा. (पे.पू. १)...................... सं.प्रा. संपर्ण वि.१६मी (3) बीजु पत्र नथी., (१.२-१२४). श्लोक ९९ जीर्ण (१०६) कीट खादित....११.२४४.७). कागज वि. १४७१ श्लोक ३९८५... कागज .वि.१५०७... पद्य जीर्ण (११.७४४.२) ........... गा.९३ वृत्तरत्नाकर-अवचूरि : १९५२ षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका.... जीर्ण षड्दर्शनसमुच्चय. हरिभद्रसुरि षड्दर्शनसमुच्चय-लघुटीका १९५८ मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखनाधिकार तथा श्रेष्ठ पाक्षिक प्रतिक्रमणविचार (2.9) मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखनाधिकार (प.२) पाक्षिक प्रतिक्रमणविचार १९६३ हस्तकाण्ड जीर्ण हस्तकाण्ड लक्षणविषयक पाश्वेचन्द्र । १९६८ पार्श्वनाथचरित्र महाकाव्य पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य विनयचन्द्रसूरि २००१ नन्दिताढ्य छन्दःशास्त्र सह टीका नन्दितायछन्दशास्त्र नन्दिताढ्य नन्दितायछन्दशास्त्र-टीका रलचन्द्र पार्श्वनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ जीर्ण पार्श्वनाथस्तवन यमकालड़कारमय : माणिक्यसन्दरसरि पार्श्वनाथस्तवन यमकालङ्कारमय अवचूरि २००७ पार्श्वनाथसहस्रनामस्तोत्र श्रेष्ठ कल्याणसागरसरि २०५४ आदिनाथचरित्रादि सटीक श्रेष्ठ (2.9) आदिनाथचरित्र आदिनाथचरित्र-टीका . साधुसोमगणि (पे.२) शान्तिनाथचरित्र जिनवल्लभ शान्तिनाथचरित्र-टीका साधुसोमगणि (पे.३) नेमिनाथस्तोत्रचरित्र जिनवल्लभ नेमिनाथचरित्र-टीका साधुसोमगणि कागज वि.१६मी (११.२४४.५० .. . .. ... . ..... ..... :नतसरमकटाली.. कागज .........वि. २०मी । .............. (११४४.५)..................... कागजवि . १७मी (१०.५४४.५) जिनवल्लभ गा.२० (पे.पू. १-६).. गा.२३ पद्य (ये.पू. ११-१३) पे.वि. : गाथा-३३. : मयनाहि सरिसबलसिर पद्य ------- --- गद्य .......... (प.पू.११.१३/................. 336 Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष गा.१५ वन्दे मन्दर नन्दणद्द पद्य (प.पू. १३-१५) जिनवल्लभ गा.४४ दुरियरयसमीरं मोहपड़क पद्य (पे.पू. १५-२७. FREEPF गा.४१ चरियं भणिमो चन्दप्पह पद्य (पे.पू. २७-३४) (पे.४) पार्श्वनाथचरित्रस्तोत्र..... :जिनवल्लभ पार्श्वनाथचरित्र-टीका साधुसोमगणि (पे.५) महावीरस्वामिचरित्र महावीरस्वामिचरित्र-टीका साधुसोमगणि (पे.६) चन्द्रप्रभचरित्र जिनेश्वरसूरि चन्द्रप्रभचरित्र-टीका साधुसोमगणि गणधरसार्धशतकप्रकरण सह बृहद्धत्ति: मध्यम गणधरसार्द्धशतकप्रकरण जिनदत्तसरि गणधरसार्द्धशतकप्रकरण-बहत्ति विजयप्रशस्तिमहाकाव्य जीर्ण विजयप्रदीपिका नाम सुखाववोधिका टीका सहित विजयप्रशस्तिमहाकाव्य हेमविजय, गुणविजय गद्य संपूर्ण कागज : वि.१६८५ : ३१८ (२१२) :(१०.२४४.२) गा.१५० गुणमणिरोहणगिरिणो वि१२९५ २०८० संपूर्ण कागज वि. १६९१ २७९ प्रति पाटण गामे लखी छे.पत्र २२०-२२१ भेगा छे., (१०.२४४.२) सग २१ १६ सर्ग सुधी हेमविजय गणिए रची छे अने १७ थी २१ सुधी गुणविजयजीए रची छे. गणि गं 90000 २०८८ संपूर्ण कागज :(१०.२४४.२ वि. १७मी .वि. १५२४... वि. १७मी. कागज (२) विजयप्रशस्तिमहाकाव्य-विजयप्रदीपिका : गुणविजय गणि, नाम सुखावबोधिका टीका गुणविजय गणि सोमसौभाग्य काव्य श्लोकबद्ध जीर्ण सोमसौभाग्यकाव्य श्लोकबद्ध : प्रतिष्ठासोम शत्रुजययात्राफलप्रवन्धादि जीर्ण (प.) शत्रुञ्जययात्राफलप्रबन्ध (पे.२) जगडुवणिक्सम्बन्ध इन्द्रमालपरिधाने (पे.३) भरतचक्रियात्राप्रबन्ध (प.४) विमलदण्डनायकप्रासादप्रबन्ध यशोधरचरित्र गद्य EEEEEEEEE श्लोक ३६ श्लोक ३३ (१०x४.२) (पे.पू. २). (पे.पृ.२) श्लोक 34 श्लोक ३४ पद्य (प.पू.२) (पे.पृ.२) (११४४.७) संपर्ण कागज :वि.१६०७ :१९ (99) यशोधरचरित्र....... हेमकजर २१०६ मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्घ : मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी (६५) (११.२४४.७) (पे.१) पार्श्वनाथचरित्रगत दशदृष्टान्त रत्नप्रभसूरि श्लोक ९५७ ....(पे.पू. १-२३) पे.वि. : ग्रन्थान-७२१. 337 Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य ग्रं. ११६ गद्य (प.पू. २३-२०). (प.पू. २७-३२) (पे.पृ. ३२-४६) गद्य गय (प.पू. ४६.892 (पे.पृ. ४७-१२) श्लोक १३७ पद्य श्लोक २८१ पद्य (प.पू. १२-६२)... (पे.२) ताराकथा शीलविषये (ये.३) देवपूजाविषये मणिचूडकथा गद्य (पे.४) कुरुचन्द्रनृपादिदृष्टान्त वसतिशयनादि दानविषये (पे.५) वन्दनविषये दृष्टान्तो (ये.६) भोगान्तराय-ज्ञानान्तराय विषये विद्याविलासकथा श्लोकबद्ध (पे.७) रोहिणीकथा श्लोकबद्ध (4.८) मुक्तिमार्गविषयकउपदेश (पे.९) नागदत्तकथानक २१०८ आरामशोभाकथा श्लोकबद्ध मध्यम मलयहस २१११ सुलसाचरित्र सम्यक्त्वसम्भवमहाकाव्य जीर्ण सुलसाचरित्र सम्यक्त्वसम्भव महाकाव्य: जयतिलकसूरि २१६१ सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय जीर्ण अध्याय द्वितीयपादपर्यन्त चतुष्कवृत्तिन्यास सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो कनकप्रभसूरि गद्य (पे.पू. ६३-६४).......... प्रतिशुद्ध छे.. (११४४.५) कागज वि. १७मी :श्लोक ३५... पद्य संपूर्ण वि. १६मी (१०.७४४.२) कागज : श्लोक ७४१ कागज प्रतिपूर्ण वि.१६मी १२८ पत्र १२०-१२४ नथी..(१०.२४४.५) गद्य प्रतिपूर्ण : वि. १४४१ :(३८) पत्र६३ मुं डबल.धर्मविजये, रामविजये राजनगरना भण्डारमा मुकेली प्रति..(१०.५४४.५). गद्य सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय : श्रेष्ठ अध्यायना प्रथमपाद पर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्धृत्तिना लघुन्यासनो लघुन्याससड़क्षेप देशीनाममाला उद्धार श्रेष्ठ विमलसूरि व्याश्रयमहाकाव्य सम्पूर्ण २३०० संपूर्ण कागज वि.१६४० ....... (१०x४.५) (१४) पद्य श्लोक १२०० २३०८ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी प्रतिना कागळ बहु सरस छे.आनुं सम्पूर्ण नाम सिद्धहेमचन्द्राभिधानशब्दानुशासनद्वयाश्रयमहाकाव्य सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत हेमचन्द्रसूरि .......... सर्ग २० ग्रं. 338 Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य कृति प्रकार महाकाव्य जीर्ण वीतरागस्तोत्र सह अवचूरि पञ्चपाठ वीतरागस्तोत्र संपूर्ण (६) २८२८ कागजवि . १६मी अध्याय २० ग्रे. १८७ प्रतिशुद्ध करेली छे..(१०.२४४.५) प्रकाश-२०. हेमचन्द्रसूरि यः परात्मा परज्योत अत्राद्यसाधेश्लोक वीतरागस्तोत्र-अवचूरि वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ २३२८ मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५मी (90) क (पे.१) वीतरागस्तोत्र-अवचूरि वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति., (१०.५४४.५) (पे.पृ. १-३) [कृ.वि. : अवचूरि प्रभानन्दसूरिवृत्त्यानुसारिणी]] (पे.पू. ३-०..... . गद्य (पे.पू. ५-22. (पे.२) भवभावनाप्रकरण-अवचूरि (पे.३) संसारदावास्तुति-अवचूरि (पे.४) स्थविरावलीयुगल-अवचूरि (पे.५) शीलोपदेशमाला-अवचूरि (पे.६) क्षामणकसूत्र-अवचूरि त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्यपरि श्रेष्ठ शिष्टपर्वसहित (पे.१) हेमचन्द्रसूरि त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य (पे.२) परिशिष्टपर्व हेमचन्द्रसूरि (पे.पू. ८-२) (प.पू. १२). (पे.पू. १२) ग्रन्थान-३४०००.,(१०.२४४.२) २३५७ संपूर्ण कागज वि.१७मी ८४७ (४५२) सं. सगे १० (पे.पृ. १-?) [कृ.वि. : पर्व-१०] श्रीमते वीरनाथाय (प.पू.?-280) सगे १३ श्लोक ३५०० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र प्रथमपर्व प्रतिपूर्ण कागज वि. १६४० १६० (१६१) :(१०x४.२) ऋषभदेवचरित्र सर्ग १० :पर्व-१० हेमचन्द्रसूरि मध्यम २३६० प्रतिपूर्ण कागज वि. १५६० (८८) (१०.२४४.५) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रप्रथमपर्व प्र.खण्ड ऋषभदेवचरित्र .. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रनवमपर्व प्रथमसर्ग ब्रह्मदत्तचक्रवर्तिचरित्र । त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य सगे १० :पर्व-१०. हेमचन्द्रसूरि जीर्ण २३६८ प्रतिपूर्ण कागज वि. १६मी ग्रन्थान-५८९..(१०.२४४.५) हेमचन्द्रसूरि सं..... सर्ग १० पर्व-१०. 339 Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत प्रकार प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतिपूर्ण कागज वि. १६मी ११ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (२१) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता २३६९ ग्रन्थान-५८९..(१०.२४४.५) पद्य प-१०. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रपर्व-९। मध्यम प्रथमसर्ग ब्रह्मदत्तचक्रवर्तिचरित्र त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य ... हेमचन्द्रसूरि त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र : मध्यम परिशिष्टपर्व परिशिष्टपर्व हेमचन्द्रसूरि सं. संपूर्ण सर्ग १० कागज २३७० वि. १६६० (१६) ग्रन्थान-३४९५. सर्ग १३ श्लोक श्रीमते वीरनाथाय पद्य ३५०० २४४४ जीर्ण कागज वि.१७मी (१०.२४४.५). महाविद्याविडम्बनवृत्ति टिप्पन ... महाविद्याविडम्बन-वृत्ति-टिप्पणक प्रमाणसुन्दरप्रकरण .... गद्य २४४६ मध्यम कागज (१५) (१०.२४४.५) पदमसन्दर गय २४४८ संपर्ण वि. १६मी (69) सिद्ध साथ सं. गद्य (१०.७४४.५). (प.पू.१.२८... (प.पू. २८-४१).. २४४९ न्यायावतारवृत्ति आदि जीर्ण (पे.) न्यायावतारसूत्र-टीका (पे.२) न्यायावतारसूत्र-वृत्तिनुं टीप्पणक देवभद्रसूरि मलधारी न्यायावतारवृत्तिटिप्पनक न्यायावतारसूत्र-वृत्तिनुं टीप्पणक देवभद्रसूरि मलधारी स्याद्वादरत्नाकर जीर्ण प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारटीका मध्यम संपूर्ण ........वि. १७मी २२ (१०x४.२) गद्य (२२) गद्य (२७८) सं. प्रतिअपूर्ण :२४५६ कागज वि.१६मी २८३ : पत्र १६१-१६२नथी.(१०x४.२) खण्ड-२ वादिदेवसूरि :.७२८४ २४५७ : मध्यम संपूर्ण :कागज वि.१६मी :४६ :(४६) : १०.२X४.२० ज्ञानचन्द्र ग्र.२१०४ गद्य प्रमाणनयतत्त्वालोकालकारस्याद्वादरत्नाकरवृत्ति.. रत्नाकरावतारिकावृत्ति टिप्पनक प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारसत्क रत्नाकरावतारिका-टिप्पणक न्यायसार न्यायसारप्रकरण अमरकोषतृतीयकाण्डगतनानार्थवर्ग टीका सह त्रिपाठ अमरकोष २५०२ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज............ वि. १५२३....२०..... ........ (२०)............... कर्ता नाम नथी...(१०.५४४.५................ भासर्वज्ञ श्रेष्ठ REE २५४० प्रतिपूर्ण कागज वि.२०मी १०.७X४.७) : अमरसिंह :श्लोक २००० : यस्यज्ञानदयासिन्धो पद्य 340 Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष क्रति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता गद्य २५४३ संपूर्ण कागज वि.२०मी ।६६ :(१०.५४४.७) (६५). गद्य श्रीशारदां हदि २५५८ संपूर्ण कागज । वि. १९५९ २८ (११.७४५.१) अमरकोष-टीका सिद्धिचन्द्रगणि...... कविशिक्षाकाव्यकल्पलता परिमल वृत्ति: श्रेष्ठ कविशिक्षा-काव्यकल्पलता वृत्तिनी अमरचन्द्रसुरि काव्यकल्पलता परिमल टीका कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ श्रेष्ठ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक आख्यातवृत्ति दण्डिका कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्तिनो टिप्पनक : साधुश्रावकसामाचारी आदि श्रेष्ठ (पे.१) साधुश्रावकसामाचारी (पे.२) आराधनाकुलक सोमसरि १४४४ (११.७४५.२) (पे.पू. १-२३) (पे.पृ. २३-२५) पे.वि. : गाथा-७०. आयारमयं वीर नमिऊण भणइ एवं भयवं गा.६९ अरहन्ता मङगलं मज्झ पद्य (.३आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक ... (पे.४) चतुःशरणप्रकीर्णक गा.२६ गा.२७ (4...२५-२६... (पे.पृ. २६-२७) पे.वि. : गाथा-२९. चउसरणगमण पद्य पद्य पद्य (पे.५) महासतीकुलक (पे.६) क्षमाकुलक.. (पे.७) जीवोपालम्भकुलक.. (पे.८) धर्मोपदेशकुलक (पे.९) श्रावकधर्मकुलक (पे.१०) कर्मविपाककुलक... (पे.११) महर्षिकुलक यशोघोषसूरि नेमिकुमार देवेन्द्रसूरि EEEEEEEEEEE गा. ३० गा. २५.. गा. २५ गा.२२ गा.२१ गा. २२ गा.३२ दुक्कङगरहा तियणनमंसियाणं नमिऊण पुचपुरिसाण धम्मोवएसजुतं जम्मजरामरणजले नाणा पद्य निसाविरामे परिभावयाम । पद्य तियलुक्किक्कमल्लस्स ... निज्जियवम्महमहरिसिस पद्य (पे.पू. २७-२८). (पे.पू. २८... (प.पू. २८-२९). (पे.पृ. २७ (पे.पू. २९-३० (पे.पू. ३०-३१) (पे.पृ. ३१) पद्य (पे.१२) जीवानुशास्तिकुलक जिनसूर गा.३३ पद्य (पे.पृ. ३१-३२) जिणेसराणं पयपड़कयायि ...वि. १९५९.....४४. कागज (४३) ............(११.५४५:२................ गुरुतत्वप्रदीप सह स्वोपज्ञ टीका...श्रेष्ठ गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दालधर्मसागर गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल- धर्मसागर श्लोक२४५ ग्रं.२२०८ 341 Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक २६०१ २६०६ २६२१ २६०३ विनयभुजङ्गमयूरि विनयभुजङ्गमयूरी जयन्तविजयमहाकाव्य २६३९ २६४६ २६५२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम २६५७ स्वोपज्ञ टीका पौषधविधिप्रकरण सह टीका पौषधविधिप्रकरण पौषधविधिप्रकरण- टीका मुग्धावबोध अक्तिकादि (पे. 9) मुग्धावबोध अक्तिक (पे. २) समासप्रकरण अजितशान्तिस्तव छन्दशास्त्र सह विवरण त्रिपाठ अजितशान्तिस्तोत्र अजितशान्तिस्तोत्र- छन्दशास्त्र विवरण काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल कविशिक्षा काव्यकल्पलता वृत्तिनी काव्यकल्पलता परिमल टीका वाग्भटालङ्कार सह टीका वाग्भटालहकार वाग्मटालङ्कार टीका नरनारायणानन्दमहाकाव्य नरनारयणानन्दमहाकाव्य २६५८ तिलकमञ्जरीकथासार पद्यबन्ध स्थिति कर्ता श्रेष्ठ जिनवल्लभ जिनचन्द्रसूरि श्रेष्ठ अमृतसागर गणि श्रेष्ठ अभयदेवसूर मध्यम कुलमण्डनसूरि श्रेष्ठ नन्दिषेण मध्यम अमरचन्द्रसूरि श्रेष्ठ वाग्भट (दिगम्बर) सिंहदेवगण श्रेष्ठ वस्तुपाल श्रेष्ठ पूर्णता भाषा संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. मारुगूर्जर सं. संपूर्ण प्रा. सं. अपूर्ण सं. संपर्ण सं. सं. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष सं. संपूर्ण परिमाण कागज ग्रं. ३५५५ कागज कागज श्लोक २२२० कागज कागज गा. ४० कागज कागज कागज श्लोक १२५० : कागज वि. १६५५ वि. १६१७ वि. २०मी वि. १४६८ वि. १७मी वि. १४५० वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १४७७ वि. १४७४ 342 आदिवाक्य ६८ 3 ५२ १२ ३ अजियं जियसव्वभयं ९२ श्रीशारदां हृदि ४० २५ : १९ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (६९) पद्य गद्य (8) गद्य (५२) पद्य (8) गद्य (४) पद्य गद्य (९२) गद्य (२८) गद्य (१८) पद्य (१४) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष सं १६६५मां युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरिना राज्यमां श्री जयसोममहोपाध्यायना शिष्य वाचक गुणविनय गणिए शोधेली प्रति. अतिशुद्ध (११.२४५) (११.२४४.७) प्रतिचारेबाजु सहेज पाणीथी भींजायेली छे., (११.७४५) ( १०.२४४. २) (पे.पू. १-१०) (पे.पू. १०-१२) शुभविजयशिष्य वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमां मूकेली प्रति, (१०.२४४.२) गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. अपूर्ण, (१०. २x४. २) प्रति शुद्ध छे. (१०. २४४-४.२ ) कर्तामा वसंतपालनुं पण नाम आपेल छे., (१०.19×४.५) ( १०.२४४.५) Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक तिलकमञ्जरी कथासार पराबन्ध जैनमेघदूतमहाकाव्य सह टिप्पणी जैनमेघदूतमहाकाव्य जैनमेघदूतमहाकाव्य- टिप्पण २६६२ जैनमेघदूतमहाकाव्य सह टीका जैनमेघदूतमहाकाव्य जैनमेघदूतमहाकाव्यटीका मदूतकाव्य तथा उपदेशरत्नकोष (पे. १) नेमिदूतकाव्य (पे. २) उपदेशरत्नकोष विदग्धमुखमण्डन सह टिप्पण पञ्चपाठ विदग्धमुखमण्डन विदग्धमुखमण्डन-टिप्पण विदग्धमुखमण्डन सह अवचूरि पञ्चपाठ विदग्धमुखमण्डन विदग्धमुखमण्डन-अवचूरि सुभाषितसारोद्धार २६६१ २६६४ २७०८ २७०९ २७१३ २७१५ २७१६ २७१७ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम २७१८ सुक्तावली सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह सूक्तमुक्तावलि सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह सूक्तसङ्ग्रह प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह स्थिति कर्ता लक्ष्मीधर (श्वे.) जीर्ण मेरुतुङगसूरि जीर्ण मेरुतुङगसूरि शीलरत्नसूरि मध्यम विक्रम कवि जिनेश्वरसूरि मध्यम धर्मदास मध्यम धर्मदास जीर्ण श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. प्रा. मारुगू र्जर संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. मारुग परिमाण श्लोक १२०० कागज श्लोक ४१८ कागज श्लोक ४१८ कागज श्लोक १२६ गा. २६. कागज कागज कागज श्लोक ४६५० कागज कागज कागज ग्रं. ९९ कागज रचना वर्ष वि. १२८१ वि. १७मी वि. १४९४ वि. १४९१ वि. १८मी वि. १७६० वि. १६मी वि. १७मी वि. १६१८ वि. १६१४ वि.१६मी वि. १८मी 343 आदिवाक्य १० २६ ५ 6 ११ पद्य उवएसरयणको नासिय पद्य (c) ८ ९४ ४४ १४ ८ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी ६ झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य (c) पद्य गद्य (२७) पद्य गद्य (8) गद्य (६) गद्य पद्य पद्य (१०) पद्य (६). पद्य (8) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष प्रतिशुद्ध छे. (१०.५४४.५) (१०.५४४.५) ( १०.२४४.२ ) (पे.पू. ५) (पे.पू. ५) (१०४४.२) ( १०.२४४.५) (१०.५४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.८४४.२) विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे, ( १०.२४४.२) ( १०.२४४.५) Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति प्रकार र्जर २७१९ प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह कागज कागज वि. १८मी भाषा-मात्र प्रा., मा.गु..(१०.२४४.२) पद्य संपूर्ण प्रा.,सं..मारुगू र्जर संपूर्ण २७२१. पुराणगतश्लोकसङ्ग्रह. अष्ट. वि.१७मी (१०x४.२) पद्य ।२७२२ । पुराणगतश्लोकसङ्ग्रह श्रेष्ठ कागज .......... वि. १७मी... (१०.२४४.५) ................ २७२४ चाणक्यनीति-राजनीतिशास्त्र जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०.५४४.५) श्रेष्ठ । वि. १७मी. (१०.५४४.२. श्रेष्ठ कागज वि. १७मी ...... २७२५. बृहच्चाणक्य वृद्धचाणक्य-राजनीतिशास्त्र लघुचाणक्यादि (पे.9) लघुचाणक्य-राजनीतिशास्त्र (ये.२) वृद्धचाणक्य-राजनीतिशास्त्र (पे.३) जीवविचारप्रकरण जीवविचारप्रकरण-बालावबोध (पे.४) गौतमपृच्छा प्रकरण (१०.५४४.२) प.पू..१.२.. (पे.पृ.२-५ (प.पू. ५. शान्तिसूरि गा.५१ भवणपर्डवं वीरं नमिकण पद्य मारुगर्जर : गद्य नमिऊण तित्थनाहं जाण: पद्य गा. ५३ (पे.पृ. ८-९) [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे] (१०.२४४.५) २७४० राजीमतीप्रबोधनाटक श्रेष्ठ संपूर्ण :कागज ...........वि. १६मी .... प्रा... यशश्चन्द्र जीर्ण २७४१ निर्भयभीमव्यायोग कागज । वि. १८मी .......... (१०.२४४.२) रामचन्द्र २७९१ पासाकेवली ३ अङकोथी. ...वि. १८मी... (१०x४.२). संपूर्ण सं.प्रा. संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण २७९२ पासाकेवली ४ अड़कोथी मध्यम कागज ............ वि. १८मी.. ........... (१०.५४४.२) श्रेष्ठ कागज वि. १८मी (१०.२४४.२) २७९३ वसन्तराजदिक्चक्रशकुनविचार वसन्तराज शाकुनिकशास्त्र वसन्तराज Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक २७९६ २७९७ २८०० २८०१ २८४० २८४१ २८४८ २८६९ २८७१ २८७२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम जैनसामुद्रिकशास्त्र जैनसामुद्रिकशास्त्र सह बालावबोध जैनसामुद्रिकशास्त्र जैन सामुद्रिकशास्त्र - बालावबोध आर्यवसुधाराधारिणीकल्प वसुधारा जाङ्गुलीमहाविद्या पदार्थतत्त्वतात्पर्यटीका पदार्थतत्त्वनिर्णय तात्पर्य टीका न्यायमकरन्दप्रकरण नवसंवादसुन्दर सावचूरि त्रिपाठ नवसंवादसुन्दर नवसंवादसुन्दर अवचूरि न्यायदीपिका सह टिप्पण न्यायदीपिका न्यायदीपिका-टिप्पण कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति प्रथमपाद दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावरि पञ्चपाठ कातन्त्रव्याकरण कातन्त्रव्याकरण- दीर्गसिंहीवृत्ति कातन्त्रव्याकरण- दीर्गसिंहीवृत्तिनी अवचूरि कातन्त्रव्याकरण द्वितीयपादपर्यन्त दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ स्थिति कर्ता श्रेष्ठ जीर्ण श्रेष्ठ श्रेष्ठ जीर्ण आनन्दज्ञान जीर्ण आनन्दबोध श्रेष्ठ जीर्ण अभिनवधर्मभूषण श्रेष्ठ शर्ववर्मदेव दुर्गसिंह श्रेष्ठ पूर्णता भाषा संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. मारुगूर्जर संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. त्रुटक सं. सं. संपूर्ण प्रतिपूर्ण सं. सं. प्रतिपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार आदिवाक्य परिमाण कागज श्लोक १२६ कागज श्लोक १२६ श्लोक ७०० कागज कागज कागज कागज कागज श्लोक ३५२ कागज कागज कागज रचना वर्ष वि. १६५३ वि. १७मी वि. १८मी वि. १८मी वि. १८मी वि. १४८० वि. १८मी वि. १८मी वि. १५मी वि. १६मी 345 ७ आदिदेवं प्रणम्यादी.. १९ आदिदेवं प्रणम्यादी.. १ १०८ ५८ ७ २० १४ सिद्धो वर्णसमाम्नायः देवदेवं प्रणम्यादौ ४८-१४(१ थी १४ ) = ३४ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (c) पद्य (98) पद्य पद्य (६) (२) गद्य (१२) (९) पद्य गद्य (29) गद्य (१४) गद्य गद्य गद्य (३५) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( १०.२४४.५) सामुद्रिकशास्त्र - नारदीय अने आ बन्ने एक छे? (१०.५४४.५) सामुद्रिकशास्त्र - नारदीय अने आ बन्ने एक छे? प्रथम पत्र नथी. (१० २४४. २). दण्डकछन्दोमयी पाछल कोई बीजुं मंत्रकल्प जेवुं छे.. (१०x४.२) पत्र ८०मुं नथी. (९.७x४) मूलना कर्ता अने आनंदज्ञानवाली टीकाओ विशे निर्णय बाकी. पत्र५७मुं नथी. (९.७x४.२) चुटक, (९.७५४.५) (११४४.५) पत्रांक- १५ थी ४८ द्वितीयपाद प्रत नं. २८७२ के अन्तर्गत है. (१०.७x४.१) पत्रांक- १ थी १४ प्रथमपाद प्रत नं. २८७१ के अन्तर्गत है.. (११x४.२) Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक २८७५ ३०३४ ३१४२ ३३१४ ३३३३ ३३८४ ३४७४ ३५४५ ३६१७ ३६८८ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम कातन्त्रव्याकरण कातन्त्रव्याकरण- दौर्गसिंहीवृत्ति कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्तिनी अवचूरि त्याद्यन्तप्रक्रिया भयहरस्तोत्रादि (पे. १) भयहरस्तोत्र (पे. २) सन्तिकरस्तवन (पे.३) पार्श्वनाथस्तोत्र नेमिजिनवारमासा नेमिनाथजिनबारमासा गोधूलिका श्रावकसामाचारी सटीक श्रावक सामाचारी श्रावक सामाचारी- टीका तीर्थमालास्तवन व्यवहारसूत्रचूर्णि व्यवहारसूत्र - चूर्णी नन्दीत्रवृत्ति अपूर्ण नन्दीसूत्र-वृत्ति गुणानुरागकुलक गुणानुरागकुलक स्तवन पुरातनप्रबन्धसङ्ग्रह स्थिति कर्ता शर्ववर्मदेव दुर्गसिंह श्रेष्ठ सर्वधर श्रेष्ठ मानतुङ्गसूरि मुनिसुन्दरसूरि चरणप्रमोद शिष्य मध्यम देवचन्द्र श्रेष्ठ भावप्रभसूरि श्रेष्ठ जिनचन्द्र गणि मध्यम मध्यम जीर्ण मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ जिनप्रभसूरि जीर्ण पूर्णता भाषा सं. सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण संपूर्ण प्रा. सं. प्रा. संपूर्ण प्रा. त्रुटक सं. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष प्रा. संपूर्ण सं. परिमाण कागज कागज गा. २३ गा. १४ गा. ३ कागज गा. १५ कागज कागज कागज गा. १०१ कागज अध्याय १० ग्रं. १२००० कागज ग्रं. ७७३२ कागज गा. ३५ कागज वि. १४८५ वि. १९मी वि. १९५८ वि. १५मी वि. १५९१ वि. १५वी वि. १६मी वि. १५२८ 346 आदिवाक्य सिद्धो वर्णसमाम्नायः देवदेवं प्रणम्यादी ८९ 3 नमिऊण पणयसुरगणचूडामण सन्तिकरं. 9 ४ नत्वा पार्श्वजिनेन २२ २ २०८ उक्तः कल्पः अधुना १४६ जयति भुवनैकभानुः 3 30 क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य गद्य गद्य (५८) (2) पद्य पद्य पद्य (२) पद्य (8) गद्य (१६) गद्य (93) पद्य (१३८) गद्य (१५५) गद्य (2) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ( १०.७५४.२) (१०४४.२) (पे. पृ. ३) (कृ.वि. गाथा २१ थी २४ मळे छे.] (पे.पू. ३) (पे.पू. ३) ( १०.२४४.५) गोधूलिका का ४१ अलग-अलग अर्थ दिया है. (99.9x4) ( १०.७४४.१) पत्र ८७-८८ अने ९५-९६ भेगा छे.. (१०.२४४.५) परिमाण उद्देशक- १०. ( १०.७५४.७) ( १०.२४४.५) ( १२.२४४.७) Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ३६९६ ३७०१ ३७०२ ३७०३ ३७३३ ३७३४ ३७६१ ३७७० प्रत नाम (पेटा नंबर) पेटा नाम कृति नाम चतुर्विंशतिजिनचरित्र गद्य ३७७९ कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्ति कातन्त्रव्याकरण - बालावबोधवृत्ति कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-आख्यातवृत्ति दुण्डिका कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्तिनो टिप्पनक कातन्त्रव्याकरण कृद्वृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-कृद्वृत्ति दुण्डिका कातन्त्रव्याकरण- बालावबोधवृत्तिनो टिप्पनक सुभद्रापरिणयन छायानाटक सह टिप्पणी ३७४९ लुम्पक चर्चा सुभद्रापरिणयनछायानाटक सुभद्रापरिणयनछायानाटक-टिप्पण लटकमेलक प्रहसन लटकमेलकप्रहसन विज्ञप्तिपत्रिका हानर्षिगणिए हेमविमलसूरिनी शाळामां मोकलावेल प्रश्नपत्रना उत्तरो ध्यानशतकप्रकरण सह अवचूरि स्थिति कर्ता जीर्ण श्रेष्ठ मेरुतुङ्गासुरि श्रेष्ठ मेरुतुङ्गसूरि श्रेष्ठ मेरुतुङ्गसूरि मध्यम रामदेव व्यास जीर्ण शडखधर श्रेष्ठ श्रेष्ठ उदयविजय मध्यम श्रेष्ठ पूर्णता भाषा प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिअपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण कागज कागज ग्रं. ५०९ कागज कागज कागज कागज कागज श्लोक ५६८ कागज कागज कागज रचना वर्ष वि.१६मी वि. १६मी वि. १४४४ वि. १६मी वि. १४४४ वि.१६मी वि. १४४४ वि.१६मी वि. १६मी वि. १६मी वि. २०मी वि. १६मी वि. १६मी 347 आदिवाक्य ३९ २१ २४ १३ ४ ४ २९ १९ १५ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (29) गद्य (२३) गद्य (१४) गद्य (५) गद्य (4) (30) पद्य (4) (१८) गद्य (१६) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष अजितनाथथी मल्लिनाथ पर्यन्त (१२४४.७) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रनो संक्षेप. (११.२४४.२) ग्रन्थाग्र - १४३४. पत्र ९मुं नथी. (१२.१५) ( १२.१४५) (११.७४४.७) (११.७४४.७) ( ११४४.५) (११.७×५.५) विजयप्रभसूरि उपर लखेली. ( १०.२४४.७) ( ११४४.५) Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ३७८९ ३८१३ ३८५२ ३८८१ ३८९४ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम ध्यानशतकप्रकरण ध्यानशतकप्रकरण अवचूरि सूक्तावली आदि 1. (पे. 9) सूक्तावली सूक्तावली - स्तबक (पे. २) सुभाषितावली सुभाषितावली स्तबक कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित आख्यातवृत्ति कातन्त्रव्याकरण कातन्त्रव्याकरण- दौर्गसिंहीवृत्ति कथासङ्ग्रह वसतिशयनासनादिविषयक गद्य वसतिशयनासनादिविषयक गद्य गुरुतत्त्वशुद्धि कथासङ्ग्रह उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह (पे. १) उपदेशरसायनरासक (पे. २) चर्चरीप्रकरण 1 (पे. ३) कालस्वरुपकुलक (पे.४) जीवविचारप्रकरण (पे. ५) जीवदयाप्रकरण (पे.६) संवेगमञ्जरीप्रकरण (पे. ७) सुविहाणस्तवन (पे.८) वाडीकुलक (पे.९) शिक्षाकुलक स्थिति कर्ता जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण मध्यम मध्यम शर्ववर्मदेव दुर्गसिंह मध्यम श्रेष्ठ मध्यम जिनदत्तसुरि जिनदत्तसूरि जिनदत्तसूरि शान्तिसूरि देवभद्रसूरि जिनदत्तसूरि जिनदत्तसूरि पूर्णता भाषा प्रा. सं. संपूर्ण सं.प्रा. मारुगुर्जर प्रा. मारुगुर्जर प्रतिअपूर्ण सं. सं. संपूर्ण संपूर्ण प्रा. संपूर्ण अपभ्रं अपभ्रं अपभ्रं प्रा. प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष प्रा. अपभ्रं अपभ्रं. प्रा. परिमाण गा. १०६ कागज गा. ३१. कागज कागज कागज कागज गा. ८० गा. ४७ गा. ३२ गा. ५१ गा. ११६ गा. ३२ गा. १४ गा. २५ गा. ७४ वि. १८४२ वि. १६मी वि. १७मी वि. १६ मी वि. १६मी 348 आदिवाक्य वीरं सुक्कज्झाणग्गि ११५ सिद्धो वर्णसमाम्नायः देवदेवं प्रणम्यादी ७ १५ २३ भुवणपईवं वीरं नमिऊण संसयतिमिरपयङ्गं भविय क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य (3) पद्य गद्य पद्य गद्य (994) गद्य गद्य (६) गद्य (९५) (६) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य सद्देसणमलयानिलमञ्जरि पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष आवश्यक निर्युक्तिमाथी उद्धृत ( १०.२४४.७) (पे.पु. १-४) पे.वि. मूल सं., गाथा-३२. (पे.पु. ४-७ ) ( ११५४.२) ( १०.५४४.२) (१०-२४४.५) ( १०.२४४.२ ) (पे.पू. ३४-४८) (पे.पू. ३८-४३) (पे.पू. ४३-४४) (पे.पू. ४४-४६) पे. वि. गाथा-५२. (पे.पू. ४६-५०) (पे.पू. ५०-५२) (कृ.वि. उपदेश प्रकरण ?] (पे.पू. ५२-५३) (पे.पू. ५३-५४) (पे.पू. ५४-५६) Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा कति प्रकार ३९३४ मध्यम प्रतिपूर्ण कागज वि. १७मी १३ (१०.१४४.१) कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति प्रथमसन्धि कातन्त्रव्याकरण-दीर्गसिंहीवृत्ति गाथाकोशोद्वार दुर्गसिंह देवदेवं प्रणम्यादी १० :श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१५वी ...UK३.७) पार्थपराक्रमव्यायोग श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१४२६ सं.१४२६मां जिनदेवसूरिए लखेली प्रति., (९.७४३.७) सं. श्लोक ४३२ कागज रत्ननिधान उपाध्याये शोधेली प्रति. (१०.५४३.५.... -सपूर्ण ग्र.२२०० वि. १४४३ । वि. १५मी श्रेष्ठ संपूर्ण कागज गा.९१ वि.१क्ष्मी प्रहलादन 1.३९९३.. विचारामृतसङ्ग्रह श्रेष्ठ कुलमण्डनसूरि ३९९६ । कामरूपपञ्चाशिका : योगीन्द्र ४००१ । विविधकथासङ्ग्रह (4.9) वकचूलकथा श्लोकबद्ध (पे.२) अभयाभ्युदयमहाकाव्य (पे.३) सुभद्राकथा श्लोकबद्ध (पे.४) दमदन्तकथा (पे.५) दत्त शङ्खायणकथा (पे.६) चन्दनबालाकथा (पे.७) इलापुत्रकथा (4.22 करगडुककथा (पे.९) भरतकथा (पे.१०) पुण्यसारकथा (पे.११) अमरसेनकथा गाथाबद्ध चातुर्मासिकनियमे ४२८५ आप्तमीमांसालड़कार सह अष्टसहस्री जीर्ण टिप्पणी कागज श्लोक १०९ ग्रं.२६९ श्लोक ६२ श्लोक २३ श्लोक (4 । (१०.२४३.७) योग विषयक ग्रन्थ. (१०.५४३.५) (पे.पृ. १-4) (पं.पू. ५-१४ (पे.पू. १५-१७) (पे.पू. १७-१८). (पे.पू. १८-२१. (प.पू. २१-२१ (प.पू. २५-२६८ (पं.पू. २६-२९. (पे.पू. २९-३०) (पे.पू. २९-३०). (पे.पृ. ३१-३३) श्लोक १२२ श्लोक३६ श्लोकः८ श्लोक २६ श्लोक ३१ गा. ५७ संपूर्ण कागज वि.१४५४ १४१ (१४१) प्रतिशुद्ध छे./आ प्रतमा खरेखर आप्तमीमांसा थी: अष्टसहस्त्री सुधीनी केटली कृतिओ छे ते नक्की थतुं नथी २ के ३ के ?. (१२४४.७). आप्तमीमांसा-आप्तमीमांसालड़कार विद्यान 349 Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ४२८९ ४२९४ ४४७२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम टीका आप्तमीमांसालङ्कार- अष्टसहस्री टिप्पण शीलवतीकथा-चतुर्थाणुव्रते श्लोकबद्ध शीलवतीकथा श्लोकबद्ध चतुर्थ अणुव्रते शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध टिप्पणी शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध शान्तिनाथचरित्र टिप्पण विचारषट्त्रिंशिका दण्डकप्रकरणादि (पे. १) विचारषट्त्रिशिकाप्रकरण सह (सं.) अवचूरि दण्डकप्रकरण दण्डकप्रकरण-स्वोपज्ञ अवचूरि (पे. २) लोकान्तिकस्तव सह (सं.) अवचूरि लोकान्तिकस्तव लोकान्तिकस्तव अवचूरि (पे.३) समवसरणस्तव सह (सं.) अवचूरि समवसरणस्तव समवसरणस्तव अवचूरि (पे.४) लोकनालिद्वात्रिंशिका सह (सं.) अवचूरि लोकनालिकाद्वात्रिंशिका लोकनालिकाद्वात्रिंशिका - अवचूरि (पे.५) भवस्थितिकुलक सह (मा.गु.) बालावबोध स्थिति कर्ता मध्यम मध्यम मुनिदेवसूर श्रेष्ठ गजसार गजसार धर्मघोषसूरि पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. प्रा. सं. अपभ्रं सं. प्रा. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष परिमाण कागज श्लोक ३८७ कागज श्लोक ५०५५ कागज गा. ३८. गा. १६ गा. २४ गा. ३२ वि. १५९२ वि. १६ मी वि. १३२२ वि. १६९९ वि. १५७९ 350 आदिवाक्य ८ १७२ ११ थुणिमो केवलिवत्थं क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार वेश्मरत्ननिशारत्ननभो पद्य गद्य (४) अहीपणमित्त सुरिन्द गद्य ( ९ ) पद्य (१७३) पद्य गद्य पद्य गद्य पद्य गद्य पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष प्रतिशुद्ध छे, ( १२x४.५) ग्रन्थाग्र- ४८५५ पत्र १ला ने रजामां एक एक चित्र छे / प्रति शुद्ध छे. (१२४४.७) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ( १०.५४४. २) (पे. पृ. १-३) पे.वि.: गाथा - ३८. / पञ्चपाठ. (पे. पृ. ३-४) पे.वि. गाथा- १६.. (पे. पृ. ४-७) पे.वि.: गाथा - २४. (पे. पृ. ८-१०) पे.वि. गाथा-३२. पञ्चपाठ. / पे.नं. ४मां पत्रांक १०माने बदले ११मुं अने ११ माने बदले १२मं छे. (पे. पृ. १०-११) पे.वि. गाथा-२५ Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा धर्मघोषसूरि :प्रा. गा. २५ गद्य भवस्थितिकुलक भवस्थितिकुलक-बालावबोध विधवाकुलक.. विधवाकुलक-विधवामहिलासामाचारी मारुगुर्जर संपूर्ण . मध्यम 190X४.५) कागज..............वि. १७मी.. गा.१० प्रकरण :श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.२०मी :(१०.२४४.५) विजयविमल गणि प्रा. गा.३४ : पडिलेहणाकुलक सस्तबक पडिलेहणाकुलक पडिलेहणाकुलक-स्तबक पुद्गलभङ्गयन्त्रविचार वार्षि : मारुगजेर संपूर्ण कागज वि.१८मी (१०.५४४.५) प्रा. सं. ४६४० संपूर्ण कागज वि.१६मी (१०.२४४.५) नमिऊण जिणवरिन्दे गा. ५४४ गा.२१ संपर्ण कागज ....वि. १८मी (पे.पू.८) [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छ.] : (पे.पृ.८). (१०x४.५) (पे.पृ.२) कृ.वि. : सकलसुखनिवहदानाय (पे.पृ.२) श्लोक २०६ श्लोक ३२ सं. धर्माधर्मान्तरं : संपूर्ण कागज ...........। वि.२०मी 1(१०.५४५). उपदेशमालाप्रकरण तथा जीर्ण सीमन्धरस्वामिस्तवन (पे.१) उपदेशमाला धर्मदास गणि (पे.२) सीमन्धरस्वामिस्तवन योगसार तथा परमसुखदात्रिशिका.. मध्यम... (पे.१) योगसार.. (पे.२) परमसुखद्वात्रिंशिका जिनप्रभसूरि (आगमिक) सम्यक्त्वस्तवकुलक सम्यक्त्वकलक साधर्मिककुलक आदि श्रेष्ट (पे.१) साधर्मिककुलक अभयदेवसूरि (पे.२) पडिलेहणाकुलक विजयविमल गणि (पे.३) प्रमादपरिहारकुलक (पे.४) बन्धषट्विशिका प्रकरण तपागच्छगुर्वावलि सटीक त्रिपाठ श्रेष्ठ तपागच्छगुर्वावलि धर्मसागर तपागच्छगुर्वावलि-स्वोपज्ञ टीका धर्मसागर वसतिशयनासनादिविषयककथासङ्ग्रह : मध्यम ५ चलसहहण तिलिङगं. गा.१७ पद्य ४० संपूर्ण कागज वि.२०मी गा.२६ गा.३४ (१०.७X४.७) (प.पू. १-२) (पे.पृ. २-३) ये.वि. : गाथा-३२. (प.पू. ३-४ (प.पू. ४-52. संपण (१०.५४४.५.. : संपूर्ण कागज वि. १८मी .९.७X४.५) Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य गद्य गद्य कागज वि.१६१७ .१०.२४४.२) कथासङग्रहवसतिशयनासनादिविषयक गद्य समासलक्षण सावचूरि पञ्चपाठ...... श्रेष्ठ समासलक्षण रत्नमण्डनसरि समासलक्षण-अवचूरि ४९०० नमस्कारमाहात्म्य अष्टप्रकाशात्मक श्रेष्ठ सिद्धसेनाचार्य १५०८६ । प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट जीर्ण गुणानन्द भट्टाचार्य कागज .... वि.१७मी . (१०.५४४.५)..................... गं.२१७ संपूर्ण ... कागज वि. १८३३ पत्र ३५९ अने ६१ नथी. (१०x४.५) गंगेश्वराचार्यकृत तत्त्वचिन्तामणि का हिस्सा प्रत्यक्षखंड की दीधितिटीका का गुणानन्द भट्टाचार्यकृत परिशिष्ट है. (१०.५४४.५ ५०८९ श्रष्ट संपूर्ण कागज ......वि. १४८३ :५०९४ हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ :पदमसागर संपूर्ण ग्रं. ७३० कागज ............ वि. १७मी ... श्लोक २८..... । (१०.५४४.५) हीरविजयसूरि विजयराज्ये विरचितं. पद्य प्रणपत्यव्यक्तभक्त्य प्रणम्य श्रीमहावीर पदमसागर ५१०८ अनेकान्तवाद प्रवेश प्रकरण अनकान्तवादप्रवेशप्रकरण युक्तिप्रकाश स्वोपज्ञ विविरणसहित युक्तिप्रकाश युक्तिप्रकाश-स्वोपज्ञ विवरण.. श्वेतार्ककल्प श्वेतरिङ्गिणीकल्प व हरस-मसा औषधादि (4.9) श्वेतार्ककल्प (पे.२) श्वेतरिङिगणीकल्प ... (मे.३) हरस-मसा औषधादि संवादसुन्दर मध्यम संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०x४.२ सं. गुजराती ५१४६ संपूर्ण कागजवि . १६मी श्लोक ३३३ (पे.पू. १). पे.पू.92.. (पे.पू.) (१०.५४४.५) शारदा-लक्ष्मी, गांगेय-गुंजा आदि अनेक संवादोनो सङग्रह (१०x४.५) संपूर्ण ५२०४ उपदेशसङ्ग्रह श्लोकबद्ध उपदेशसङ्ग्रह श्लोकबद्ध ५२१२ द्विवर्णरत्नमालिकास्तुति सटीक त्रिपाठ कागज ........ वि. १७मी. श्लोक ४३३ कागज वि. १८मी पद्य श्रेष्ठ संपूर्ण (९.७४४.५) 352 Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ५२३२. ५२३३ ५२४२ ५२४४ ५२५७ ५२६८ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम द्विवर्णरत्नमालिकास्तुति द्विवर्णरत्नमालिकास्तुति टीका सुभाषित श्लोकसङ्ग्रह सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह सुभाषित श्लोकसङ्ग्रह सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह शारदानन्दन पण्डित कथा शारदानन्दनपण्डितकथा संवादसुन्दर सावचूरि आदि (पे. 9) संवादसुन्दर सावचुरि संवादसुन्दर संवादसुन्दर अवचूरि (पे. २) सारस्वतव्याकरण तृतीयसन्धिगत निपातसूत्र- व्याख्या सुभाषितसङ्ग्रह सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह सुबोधसमाचारी आदि (पे. 9) सुबोधसामाचारी (पे. २) योगविधिप्रकरण (पे.३) प्रव्रज्याविधि तथा उपस्थापनाविधि (पे. ४) उपधानविधिप्रकरण (पे.५) उपधानविधिसामाचारी (पे.६) मालारोपणविधि (पे. ७) सम्यक्त्वारोपण विधि स्थिति कर्ता पुण्यरत्न रामर्षि मध्यम मध्यम मध्यम श्रेष्ठ कनककुशल मध्यम मध्यम मानदेवसूर पूर्णता भाषा सं. सं. संपूर्ण सं. प्रा. मारुगू र्जर संपूर्ण सं., प्रा.,मारुगू संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष संपूर्ण सं. प्रा. मारुगु र्जर संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. सं. परिमाण श्लोक २६ कागज कागज कागज कागज कागज कागज गा. ५८ गा. ५४ वि. १८मी वि. १८मी वि. १८मी वि. १७मी वि. १६३८ वि. १६९६ वि. १६मी 353 आदिवाक्य १० १० १ १८ १८ अथ महानिशीथ प्रामाण् प्रथमं चैत्यभुवने क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य (99) पद्य (99) पद्य (2) !(). गद्य गद्य (१४) पद्य (१४) गद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (१०४४.७) विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे, (१०४४.७) विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे. ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.२) (पे. पृ. १९) (पे. पृ. ९) ( १०.२४४.५) विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे. (१०.५४४.५) (पे.पू. १-९) (पं.पू. ९-१०) (पे.पृ. १०-१२) (पे.पू. १२-१३) (पे.प्र. १३-१५) (पे. पृ. १५-१६) (कृ.वि.अन्तिमवाक्य एवं महानिशीथग्रंतो पि... विधेयमिति ] (पे. पू. १६-१७) (कृ.वि. अंतिमवाक्य तदनंतरं Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य वासा दीयंते प्रदक्षिणात्रयं च ततो वन्दनपूर्व प्रत्याख्यानं] (पे.पू. १७-१८) पत्र मुं नथी, (१०.२४४.५) संपूर्ण कागज वि.१७मी (पे....१.८. गा.१२४ पद्य वि. १५og गद्य गा.१४ (पे........................... पध वि. १७२८ पत्र ६ठं नथी..(९.७४४.२)...... श्लोक ४२० पद्य संपूर्ण कागज वि.२०मी (११४५.२) मध्यम (१०x४.५.. (पे.८) व्रतारोपणविधि ५३०३ वाक्यप्रकाश औक्तिक सटीक पञ्चपाठ श्रेष्ठ आदि (4.9) वाक्यप्रकाश औक्तिक सह टीका. वाक्यप्रकाशऔक्तिक उदयधमें वाक्यप्रकाशऑक्तिक-टीका हर्षकुलगणि (ये.२) चतुर्विध आहारविषयकगाथा :उदयधर्म चतुर्विध आहारविषयकगाथा-टीका हर्षकुलगणि यतिदिनकृत्य प्रकरण मध्यम यतिदिनकृत्यप्रकरण हरिभद्रसूरि ५३६३ व्यवहारसूत्र बीजक मध्यम व्यवहारसूत्र-बीजक । ५४०९ नवतत्त्वनी चोपई स्तवन देवचन्द्र ५६३४ आत्मकलक सस्तबक श्रेष्ठ जयशेखरसूरि आत्मकलक-स्तबक आनन्दधनवावीसी बालावबोधसह मध्यम आनन्दघनबावीसी आनन्दघन आनन्दघनबावीसी-बालावबोध ज्ञानविमलसूरि ५९२८ राजादि आदिगुण विवरण जीर्ण राजादि रुचादिगणविवरण ५९२९ हीरविजयसूरीना १२ बोल जीर्ण हीरविजयसूरिना १२ बोल हीरविजयसूरि ५९७०... पृथ्वीचन्द्रकुमाररास. श्रेष्ट देवबन्द्र ६११४ सूक्तावली : मध्यम संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण कागज.............वि. १९मी.... गा. २०८ ग्रं.३०२ कागज वि. १९मी (१०x४.५) ....... आत्मकलक :गा.४३. ग्रं.१९६ गद्य कागज वि. १८०६ : (१०४४.५) मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर मारुगूर्जर संपूर्ण गद्य कागज वि.१६मी प्रति ऊधईए खाधेली छे..(१०.५४४.५)... ग्रं.३८०. गद्य :कागज वि.१७मी (२). पानां उंदरे करडेला छे.. (१०.२४४.५) संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण १२ (१०.५४४.५). ................ पद्य कागज ........वि. १९मी :गा. १७४ ......... वि. १६९६ .. कागज वि. १८मी 354 ४ का.१५५.. (१०.२४४.५). Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ६१९६ ६१९७ ६१९८ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम जसविलास-पदसङ्ग्रह (पे. 9) औपदेशिक पद (पे. २) औपदेशिक पद (पे.३) औपदेशिक पद (पे.४) औपदेशिक पद (पे.५) औपदेशिक पद जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह (पे. १) औपदेशिक स्वाध्याय (पे. २) जिनप्रतिमावन्दन स्वाध्याय (पे. ३) सत्तरभेदपूजास्थापना सज्झाय (पे. ४) सीमन्धरजिन स्तवन (पे.५) औपदेशिक पद (पे.६) औपदेशिक पद (पे.७) औपदेशिक पद (पे.८) औपदेशिक गीत (पे. ९) औपदेशिक गीत (पे. १०) औपदेशिक गीत (पे. ११) औपदेशिक गीत (पे. १२) औपदेशिक गीत (पे. १३) औपदेशिक गीत (पे. १४) औपदेशिक गीत यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह (पे. १) औपदेशिक पद (पे. २) औपदेशिक स्वाध्याय औपदेशिक पद स्थिति कर्ता श्रेष्ठ यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि मध्यम यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि श्रेष्ठ यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण मारुगुर्जर मारुगुर्जर मारुगुर्जर मारुगुर्जर मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर मारुगुर्जर मारुगुर्जर मारुगूर्जर मारुगुर्जर मारुगूर्जर मारुगूर्जर मारुगुर्जर मारुगूर्जर मारुगुर्जर मारुगूर्जर मारुगूर्जर मारुगुर्जर मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य मारुगुर्जर परिमाण कागज गा. ५ गा. ६ गा. ६. गा. ६ गा. ५ कागज गा. ४१ गा. १५ गा. ९ ढाळ ११ गा. १२५ गा. ७ गा. ९ गा. ५ गा. ८ गा. ७ गा. ५ गा. ७ गा. ५ गा. ५ गा. ५. कागज गा. ९ गा. ७ वि. १८मी वि. १७१४ वि. १९मी 355 ३ जब लग आवह नहीं मन चेतन ममता छारि परीरी चेतन ज्ञान की दृष्टि कन्त विण कहो कुण धर्म के विलास वास १०- २ (१थी २ ) =८ जिन जिन प्रतिमा वन्द सत्तरभेदपूजाफल साम्भ स्वामि सीमन्धर वीनती चतु नर सामाइक नय परम गुरु जैन कहो परम प्रभु सब जन सब्द चेतन जो तूं ग्यान सब लया छाक मोह मदिरा चेतन अब मोहिं दर्शन अब में साचो साहिब ४ परम गुरु जैन कहो क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी चतुर नर सामाइक नय झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य (2) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य (६) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य चेतन राह चले उलटे. पद्य अजब गति चिदानन्दघन पद्य सज्जन राख तरीत भली पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य (8) पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (१०.५४४. ५) (पे.पु. १) (पे.पू. १-२ ) (पे.पू. २) (पे.पू. २) (पे.पू. २-३) (१०४४.५) (पे. पृ. ३) पे.वि. पत्रांक- १ व २ नहीं है. गाथा- २३ तक नहीं है. (पे.पू. ३-४) (पे.पू. ४). (पे. पृ. ४-८) . (पे.पू. ८).. (पे.पू. ८-९) 1. (पे. पृ. ९) . (पे.पू. ९).. (पे. पृ. ९) . (पे.पू. ९-१०) (पं.पू. १०) (पे.पू. १०) (पे.पू. १०) (पे. पृ. १०) (१०.५४४.७) . (पे.पू. १) (पे. पू. १-२ ) Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (पे. पृ.२). गा.५ परम प्रभ सब जन सब्द: पद्य (पे.३) औपदेशिक स्वाध्याय औपदेशिक पद (मे.४) औपदेशिक गीत... (पे.५) औपदेशिक गीत यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि... यशोविजयजी गणि मारुगूर्जर मारुगुर्जर मारुगूर्जर गा.८ (प.पू.२). (पे.पृ. २३) गा.७ यशोविजयजी गणि :गा.५ गा.५ (प.६) औपदेशिक गीत (पे.७) औपदेशिक गीत (पे.८) औपदेशिक गीत (पे.१) औपदेशिक गीत (पे.१०) औपदेशिक गीत (पे.११) औपदेशिक गीत यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि यशोविजयजी गणि मारुगूर्जर मारुगुर्जर मारुगुर्जर मारुगुर्जर मारुगुर्जर गा.५ चेतन जो तु ग्यान .. पद्य सब लया छाक मोह पद्य मदिरा चेतन अब मोहिं दर्शन पद्य चेतन राह चले उलटे... सज्जन राख तरीत भली: पद्य अजब गति चिदानन्दघन: पद्य प्रभु मेरी अयसी आय अब में साचो साहिब :पद्य २१ पद्य (५४), जयइ जगजीवजोणी पद्य वियाणओ 1८० (८१) (पे.पू. ३) (ये.पृ. ३... पे.पृ.३... (प.पू. ३) (पे.पू. ३-४ (प.पू.... (१०x४.७). गा.५ मारुगर्जर गा.10 जम्बूपृच्छारास श्रेष्ठ कागज संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण देवचन्द्र श्रेष्ट भद्रबाहुस्वामी वि. १७२८ : वि.१७२८ वि. १४९३ कागज । ६५२६... आवश्यकसूत्रनियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्ति 1५३ .१२.७४४.७) गा.२५०० ग्रं. आनुं अने नंदिसूवर्नु आदिवाक्य समान छे. मध्यम संपूर्ण कागज । वि. १४९३ (१२.७४४.७) हेमचन्द्रसूरि मलधारी ग्रं. ४६४० जगत्त्रयमतिक्रम्य गद्य आवश्यकसूत्रवृत्ति प्रदेशव्याख्या टिप्पनक आवश्यकसूत्रना शिष्यहितावृत्तिनुं प्रदेशव्याख्या टिप्पण दशवैकालिकसूत्रचूर्णि दशवैकालिकसूत्र-चूर्णी जीर्ण संपूर्ण वि. १४९४ कागज ग्रं.८४०० (१४१).... गद्य .ग्रन्थान-9000.....१२.१४४.७). हस्तप्रतोमां ग्रन्थाग्न ७००० थी८४०० सुधी मळे छे. समान कृति हशे? गाथा-४५०., (१२.७४४.७) गाथा संख्यामां थोडुक वैविध्य मळे छे. ग्रन्थान-५९९०... (१२ ४४.७) ६५२९ मध्यम कागज वि.१४९४ (८). भद्रबाहस्वामी :सिद्धगतिमवगयाणं दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति दशवकालिकसूत्र-नियुक्ति ६५३०. उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णि उत्तराध्ययनसूत्र-चूर्णि :पय जीर्ण गा.४४० ग्रं.४४६ कागज ग्रं. ५८५५ वि. १४९३.. (१०८ गद्य गोपालिक महत्तर शिष्य ६५३१ । भगवतीसूत्रचूर्णि : मध्यम संपूर्ण .. :कागज १०६-४९(१थी ४९)-५७ । (५९)..... ग्रन्थान-४७०७.. (१२५४४.७) ...... वि. १४९५ 356 Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कृति प्रकार पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भगवतीसूत्र-चूर्णी भगवतीसूत्र अवचूर्णि श्लोक ३००० कागज ६५३२ मध्यम संपूर्ण वि. १५मी (५०) (१२.७४४.७) १५५-१०६(१थी १०६)=४९. ग्र.3000 श्रेष्ठ कागज ..........वि. १४९५.... १३३... .(१३४).. १२.७४४.00 संपूर्ण प्रा.,सं. संपूर्ण गं.८300 : मळगलादीणि सत्थाणि गद्य श्रेष्ठ कागज वि. १४९४ १६३ (१६३.. ...........। (१२.७४४.७) .......... भगवतीसूत्र-अवचूर्णि ६५३३. आचाराङग सूत्र चूर्णि आचाराङ्गसूत्र-चूर्णी | ६५३४ सत्रकताका । सूत्रकृन्ताङ्ग सूत्र चूर्णि सूत्रकृताङगसूत्र-चूर्णी ६५३५ । अनुयोगद्वारसूत्रटीका अनुयोगद्वारसूत्र-वृत्ति ६५३६ अनुयोगद्वारसूत्र चूर्णि अनुयोगद्वारसूत्र-चूर्णी :प्रा..सं. श्लोक २५०० णमोअरहन्ताण. कागज वि.१४९४ xx (१४५) (१२.७X४.७ संपूर्ण हेमचन्द्रसरि मलघारी : सं गं.५८८८ सम्यक्सरेन्द्रकत रचना स्थल धवलक्ककनगर संपूर्ण कागज (२७) (१२.७X४.७) .वि. १४९५.....२६ वि.मी किञ्चि पञ्चविहायार जिनदास गणि ग्र.२२६८ गद्य ६५३७ मध्यम :वि. १४९४ व्यवहारसूत्रचूर्णि व्यवहारसूत्र-चूर्णी संपूर्ण प्रा. १५८ उक्तः कल्पः अधुना (१५७) गद्य ग्रन्थान-१०,३६०., (१२.७४४.७) परिमाण-उद्देशक-१०. अध्याय १० ग्रं. १२००० श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१४९३ १२१ (१२७) । (१२.७४४.७) मलयगिरिसूरि ग्र.९१२५ यथास्थितं जगत्सर्व गद्य ६५३८.. । सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रवृत्ति सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति दशवैकालिकसूत्रबृत्ति दशवैकालिकसूत्र-बृहद्वृत्ति मध्यम संपूर्ण कागज वि. १४१ ९१ ग्रं.७५५०....... हरिभद्रसरि जीर्ण जयति विजितान्यतेजाः ! १४ निशीथसूत्र संपूर्ण कागज वि.१५मी (99४) भद्रबाहस्वामी गा.८१२ जे भिक्खू हत्थकम्म (१२.७४४.७) :वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे. पत्र ३२,३३ भेगा छे...(१२.७४४.७) (प.प्र. १-१४) (प.पू. १४-१४६).. पत्र ३२-३३ भेगां अने ६४,७४९ तेमज ७८मुं डबल छे..(१२.७४४.७) (पे.पृ. १-४५६) (पे.२) निशीथसूत्र-लघुभाष्य निशीथसूत्र चूर्णि मध्यम संपूर्ण कागज वि. १४८५ (४७४) (पे.१) निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि जिनदास गणि णमिऊण रहन्तार्ण सिद्ध : पद्य :क्षमाश्रमण श्लोक २८००० ग्रं. १७८८४ श्लोक ११०० श्रीचन्द्रसुरि वि. ११७४ प्रणम्य वीर सुरवन्द पद्य (पे.२) निशीथसूत्र-विशेषचूर्णीनी विंशोद्देशकव्याख्या (पे.पृ. ४५६-४७२) 357 Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष :आदिवाक्य भाषा संपूर्ण ६५४२ महानिशीथसूत्र मध्यम कागज । वि. १५मी. (७३)......... ७४ ॐनमो तित्थस्स... (१२.७४४.७) अध्ययन-८ अध्याय ८ ग्रं. t୪୪ ६५४३ ओघनियुक्ति कागज (४२) पत्र १४मं डबल छ..(१२४४.७) जीर्ण भद्रबाहुस्वामी वि. १४९०.... ४२-१(१)-४१. दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. गा. ११६३ ग्रं. १४३२. कागज वि. १५मी ११३ पिण्डे उग्गम उप्पायण गा.६९७ ६५४४। पिण्डनियुक्ति शिष्यहिताटीकासहित पिण्डनियुक्ति पिण्डनियुक्ति-शिष्यहिता टीका. दशवैकालिकसूत्रचूर्णि दशवैकालिकसूत्र-चूर्णी जीर्ण भद्रबाहुस्वामी हरिभद्रसूरि जीर्ण गं.७६७१ :नम्रामरेश्वरकिरीट :(११४) पद्य गद्य (११२) गद्य ६५४५ कागज वि.१५मी ११२ (१२४४.७) गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. हरिभद्रसूरि प्रारब्धा. सूचिपत्र प्रमाणे ग्रन्थान-19४००., (१२४४.७) हस्तप्रतोमां ग्रन्थान ७००० थी ८४०० सुधी मळे छे. समान कृति हशे? ग्रन्थान-५८५०. पत्र २६९ डबल छे..(१२४४.७). अं.८४०० ६५४६ वि. १४८६....८४. उत्तराध्ययनसूत्रचूणि उत्तराध्ययनसूत्र-चूर्णि संपूर्ण . प्रा. कागज ग्रं. ५८५५ गोपालिकमहत्तर गद्य शिष्य जीर्ण संपूर्ण कागज ९८ .(१२४४.७) प्रा..सं. ६५४८ मध्यम संपूर्ण कागज प्रा..सं ६५४७ आचाराङ्गसूत्रचूर्णि आचारागसूत्र-चूर्णी ... सूत्रकृतागसूत्रचूर्णि सूत्रकृताङ्गसूत्र-चूर्णी ६५४९ भगवतीसूत्रचूर्णि भगवतीसूत्र-चूर्णी ६५५० पञ्चकल्पबृहद्भाष्य पञ्चकल्पसूत्र-महाभाष्य (१०१). गद्य (१४१)... पत्र ४०९ डबल छे..(१२४४.७). पद्य (७७) ------------..१२४४.७ .............. पद्य (४२)..........: ग्रन्थान-३२१८. (१२४४.७) पद्य जीर्ण संपूर्ण श्रेष्ठ संपूर्ण वि. १४८६ . ग्रं. ८३०० मडगलादीणि सत्थाणि .....वि. १५मी :१४९ श्लोक ९५०० : णमोअरहन्ताणं... कागज वि. १५मी ७८ श्लोक ३००० कागज वि. १५मी ४२ गा.२५७४ ग्रं. वन्दामि भद्दबाएं ३१२५ वि.१५मी ४२ मडगलादीणि सत्थाणि कागज वि. १४९२. ग्र.१४७८४ मडगलादीणि सत्थाणि ....... वि. १४८९ : १४३ सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण (60) १२४४.७) गद्य :1203) ६५५१ पञ्चकल्पचूर्णि पञ्चकल्पसत्र-चणी २६५५२ कल्पचूर्णि बृहत् कल्पसूत्र-कल्पचूणी ६५५३ । कल्पविशेषचूर्णि पत्र १६८मुं डबल छे.. (१२४४.७) गद्य । (१४३).. कागज (१२४४.७) 358 Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाकर प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष क्रति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष ॐ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार गद्य (१८३) ग्र.११००० । ६५५४ बृहत् कल्पसूत्र-विशेषचूर्णी व्यवहारसूत्रचूर्णि व्यवहारसूत्र-चूर्णी जीर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. कागज :वि. १५मी :१८२ उक्तः कल्पः अधुना ग्रन्थान-१२१२७., (१२४४.७) परिमाण-उद्देशक-१०. अध्याय १० ग्रं. गद्य १२००० संपूर्ण कागज ६५५५. सिद्धप्राभृतसूत्र आदि (पे.१) सिद्धप्राभूतसूत्र (पे.२) सिद्धनाभृतसूत्र-वृत्ति गा.१२१ ग्रं.८१५ ...वि. १५मी..... १४ तियण पणए तियण पद्य सकलभुवनेशभूतान्निखिल गद्य (१२४४.७). (पे.पू. १-१४?) (पे.पृ. १-१४?) [कृ.वि. : ससूत्र ग्रन्थान-९५०. :/अग्गेणियपूवनिस्संदं. ६.५५६... आवश्यकसूत्र लघुवृत्तिसहित श्रष्ट कागज .............वि. १५मी.....२३९ (10 :/२४४.७) आवश्यकसत्र संयक्त प+ग श्लोक १२३२५ पद्य सुधर्मास्वामी तिलकसूरि "श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि मलधारी :संपण कागज आवश्यकसूत्र-लघुवृत्ति आवश्यक सूत्र वृत्तिटिप्पनक आवश्यकसूत्रना शिष्यहितावृत्तिनुं प्रदेशव्याख्या टिप्पण वि. १२९६ यो मन्दरागेण न वि. १४८१...६६ जगत्त्रयमतिक्रम्य (६६). : ग्रन्थान-४४२०.. (१२४४.७) ग्रे. ४६४० गद्य ओधनियुक्ति श्रेष्ठ ६५५८ कागज वि.१५मी संपूर्ण प्रा. (२७) दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य गाथा-११४६, ग्रन्थान-१४३२., (१२४४.७) गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहुस्वामी गा. ११६३ ग्रं. १४३२ ओघनियुक्ति वृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १४८२ १३० (१३०) पत्र १०-११ अने १०५-१०६ भेगां तेमज १२२मुं डबल छे..(१२४४.७). ओघनियुक्ति-वृत्ति पिण्डनियुक्ति वृत्तिसहित द्रोणाचार्य श्रेष्ठ सं....... ग्र.७००० कागज ६५६० संपूर्ण वि. १४८२ १२६ (१२५) प्रा. गा.६९७ पिण्डे उग्गम उपायण पद्य पिण्डनियुक्ति पिण्डनियुक्ति-बृहत्ति ... दशवैकालिकसूत्र वृत्तिग्रन्थान-9000. पत्र २७-२८ अने ७१-७२ भेगां: तेमज १८मुं डबल छे., (१२४४.७) : गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. ग्रन्थान ७००० थी ७५०० सुधी मळे छे. (१२४४.७) भद्रबाहुस्वामी मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ शय्यम्भवसरि ग्रं.७२५९ ६५६१ संपूर्ण कागज वि.१५मी ग000 धम्मो मङगलमक्किटठ संयक्तप+ग संपूर्ण ६.६५६२... दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति दशवैकालिकसूत्र-नियुक्ति... ६५६३ दशवकालिक वृहद्वृत्ति भद्रबाहस्वामी :श्रेष्ठ पद्य कागज वि.१५मी गा.४४० ग्रं.४४६ कागज वि. १४८१ 359 १० सिद्धगतिमुवगयाणं १२३ (१२४४.७). गाथा संख्यामां थोडुक वैविध्य मळे छे. .. पत्र २८मुं अने ५६मुं डबल छे.. (१२४४.७).. संपूर्ण (१२४) ..... Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ६५६४ ६५६५ ६५६६ ६५६७ ६५६८ ६५६९ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम दशवैकालिकसूत्र - बृहद्वृत्ति उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययन सूत्र नियुक्ति उत्तराध्ययन सूत्र - नियुक्ति चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति मरणविधिप्रकीर्णक आदि (पे. १) मरणसमाधि प्रकीर्णक स्थिति कर्ता (पे. २) चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक (पे.३) कुशलानुबन्धि प्रकीर्णक चतुःशरणप्रकीर्णक हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी जीर्ण निरयाबलिका उपाङगसूत्र तथा वृत्ति (पे. 9) निरयावलिकादिपञ्चोपासू (पे. २) निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र- श्रीचन्द्रसूरि वृत्ति जीर्ण मलयगिरिसूरि जीर्ण मध्यम वीरभद्र (पे.४) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् वीरभद्र (पे. ५) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र (पे.६) संस्तारकप्रकीर्णक पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष परिमाण ग्रं. ७५५० कागज अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ कागज गा. ५९६ ग्रं. ६०७ कागज ग्रं. १८३१ कागज ग्रं. ९५०० कागज ग्रं. ११०० ग्रं. ६४० कागज गा. ६६१ गा. १७४ गा. ६३ गा. ७१ गा. १७२ ग्रं. १७१ गा. १२४ वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १२२८ वि. १५मी 360 आदिवाक्य जयति विजितान्यतेजाः ३२ सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य १५ २६ जयति नवनलिणिकुवलयविय १३८ मुक्ताफलमिव करतलकलित २७ तेणं कालेणं तेणं पार्श्वनाथं नमस्कृत ३८ सावज्जजोगविरई उक्कित देसिक्कदेसविरओ सम्म क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (33) संयुक्त प+ग नमिऊण महाइसयं महाणु काऊण नमोक्कारं जिणवर : (१३८) पद्य (२६) गद्य गद्य (२८) गद्य गद्य तिहुअणसरारविन्दं जहमत्थगच्छयाणं विगसि पद्य (३९) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे. ग्रन्थाग्र - २०९५ (१२४४.७) ग्रन्थाग्र- ७०८ (१२४४.७) ग्रन्थाग्र- १८५४., (१२४४. ७) ( १२४४.७) प्रति शुद्ध छे. (१२४४. ७) (पे.पू. १-१७) पे. वि. ग्रन्थाग्र- ११०९. (पे.पृ. १७-२७) पे.वि. ग्रन्थाग्र-६३४. (१२४४.७) (पे. पृ. १-३८) पे.वि.: गाथा - ६३. [ कृ. वि. गाथा - ६५२ थी ६६१ सुधी मळे छे.] (पे.पू. १-३८) (पे. पृ. १-३८) कृ. वि. गाथा ६२ थी ९१ सुधी मळे छे. (पे. पृ. १-३८) पे.वि.: गाथा - ८४. [कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे ] (पे. पृ. १-३८) पे.वि.: गाथा - १७३. [ कृ. वि. गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे.] (पे. पृ. १-३८) पे.वि.: गाथा - १२१.. Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष निज्जरियजरामरणं पद्य पि.७) तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक (पे.८) महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.९) वीरजिनस्तव गा.३४५ गा.१४३ गा. ४३ (4.पू. १-३८). (पे.पृ.१-३८) पे.वि.: गाथा-१४२. (पे.पृ. १-३८) IEEEEEEEFES एस करेमि पणामं तित्थ पद्य नमिऊण जिणं पद्य जयजीवबन्ध वोच्छं बलाबलविहिं... पद्य सिवसुहसिरीइ हेउं गा...८६ गा.२६३ पद्य (पे.. १-३८2.. (प.पू. १-३८) पे.वि. : गाथा-३६०. (पे.प्र.१-३८) गा.२९ कागज ........... वि. १५मी......... :/१२४४.७) संपणे कागज : वि.१५मी :(१२४४.७) (पे.१०) गणिविद्याप्रकीर्णक (4.99) लघुआराधनापताकाप्रकीर्णक (पे.१२) कवचद्वार पाक्षिकसूत्रावचूरि पाक्षिकसूत्र-अवचूरि उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि उत्तराध्ययनसूत्र-अवचूरि ६५७२ ज्योतिष्करण्डक सटीक ज्योतिष्करण्डकसूत्र ज्योतिष्करण्डकसूत्र-वृत्ति आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति आचाराङगसूत्र-नियुक्ति ६५७४.. आवश्यकसूत्र नियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्ति संपूर्ण कागज वि.१४८८ ..... प्रति शुद्ध छे.. (१२४४.७) पादलिप्तसूरि मलयगिरिसूरि संपूर्ण ग्रन्थान-४००.. (१२४४.७) भद्रबाहस्वामी श्रेष्ठ :संपणे ग्रं.४०५ कातूण णमोक्कार जिण ग्र. ५००० स्पष्टं चराचरं विश्व कागज वि. १५मी गा.३६५.४७०: वन्दित्तु सब्बसिद्धे कागज : वि. १४८१.४५. गा. २५०० ग्रं. जयइ जगजीवजोणी वियाणओ कागज :वि.१५मी ११ :पिण्डे उग्गम उपायण कागज वि. १५मी ३१ (१२४४.७). आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. भद्रबाहुस्वामी प्रा. 39०० ६५७५ । पिण्डनियुक्ति संपूर्ण भद्रबाहस्वामी गाथा-७०३./.(१२४४.७). गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. (१२४५) संपणे गं.२२०० नमो अरिहन्ताणं श्रेष्ठ संपूर्ण (99४) ग्रन्थान-९५००. पत्र ६७९ डबल छे...(१२४५).. ६५७६ । सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र ६५७७. । सूर्यप्रज्ञप्तिउपागसूत्र वृत्ति सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र मलयगिरिसरि ६५७८ श्रेष्ट ग्रन्थान-२०००., (१२४५) संपूर्ण प्रा. कागज ...वि. १४८४.....११४. ग्रं.९१२५ यथास्थित जगत्सव कागज वि.१५मी २४ ग्रं. १८३१ जयति नवनलिणिकुवलयविय कागज .........: वि. १४८२....३२८ गद्य :.६५७९..: आवश्यकसूत्रचूर्णि : संपूर्ण (३२८).............. पत्र ८३९ डबल छे...(१२४५) 361 Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष : पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गद्य आदिवाक्य आवश्यकसूत्र-चूर्णी प्रा. ग्रं. १८००० काऊण नमोक्कारं नियुक्ति ऊपर पण. जिनदास गणि क्षमाश्रमण जीर्ण तिथयर.. ६५८० भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसहित संपूर्ण कागज वि.१५मी १८८ : (१९०) ग्रन्थान-१२९९०. १६६०मां जिनचन्द्रसूरिए सांधीने उद्धारेली प्रति... (१२४४.७) भवभावनाप्रकरण हेमचन्द्रसूरि मलधारी प्रा. गा.५३१ : वि.११७० पद्य नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ येनादौ नयसम्पदः । भवभावनाप्रकरण-वृत्ति उपदेशपदप्रकरण वृत्तिसहित..... उपदेशपदप्रकरण ६५८१ हेमचन्द्रसूरि मलधारी.. सं. जीर्ण हरिभद्रसूरि ग्रं. १३000वि .११७० वि. १५मी १९७ गद्य A(१६६) : पद्य (१२४४.७) :गा.१०४o नमिऊण महाभाग तिलोय मुनिचन्द्रसूरि श्लोक ११७४ पद्य उभय ग्रन्थान-१४००० पत्र २०, अने ४५ डबल छे...(१२४४.७)... :मध्यम :वि.१५मी :५२ प्रणम्य परमात्मानं हरिभद्रसूरि मुनिचन्द्रसुरि ग्रं. 3000 :शुद्धन्यायवशायत्तीभ गद्य उपदेशपदप्रकरण-टीका :६५८४धविन्दप्रकरण सटीक धर्मबिन्दुप्रकरण धर्मबिन्दुप्रकरण-वृत्ति ६५८७ पञ्चलिडिगप्रकरणवृत्ति आदि (पे.१) पञ्चलिङ्गीप्रकरण-वृत्ति (पे.२) पञ्चलिङ्गीप्रकरण-टिप्पण श्रावकधर्मविधिप्रकरण वृत्तिसहित श्रावकधर्मप्रकरण :श्रेष्ठ (११९). पद्य जिनपतिसूरि :जिनपाल श्रेष्ठ जिनेश्वरसूरि .(१२४४.७) (प.पू. १-१२०). (प.पू.१-१२०० (१२४४.७) रचना स्थल प्रहलादनपुर कागज .......वि. १५मी..... १२० श्लोक ६६०० ग्रं. २०३ ............ वि. १५मी. का.२४५ ग्रं. वि. १३१३ :भेजुर्यस રા, गं. १५339 कागज वि.१५मी पत्तभवन्नवतीरं दुहदव (२४०..... पद्य गद्य मध्यम :(१२४४.७) पद्य श्लोक 3८०० :नत्वा श्रीवमाना पद्य विमलगणिकृत टीकाना आधारे. श्रावकधर्मविधिप्रकरण-वृत्ति लक्ष्मीतिलक दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक दर्शनशुद्धिप्रकरण चन्द्रप्रभसूरि दर्शनशुद्धिप्रकरण-टीका देवभद्रसूरि घडशीतिककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक .. मध्यम आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन : जिनवल्लभ चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन हरिभद्रसूरि चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड़शीति-वृत्ति वि.१५मी (१७) (१२४४.७ गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं पद्य गाथा १०४ सुधी मळे छे. वि.११७२ नत्वा जिनं विधास गद्य 362 Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ६५९३ ६५९४ ६५९५ ६५९६ ६५९७ प्रत नाम (पेटा नंबर) पेटा नाम कृति नाम चर्चरी सटीक आदि (पे. १) चर्चरीप्रकरण सह (सं.) टीका चर्चरीप्रकरण चर्चरीप्रकरण- टीका (पे. २) उपदेशरसायनरासक सह (सं.) टीका उपदेशरसायनरासक उपदेशरसायनरासक-टीका (पे.३) कालस्वरूपकुलक सह (सं.) विवरण कालस्वरुपकुलक कालस्वरूपकुलक- विवरण श्रावकसामाचारीप्रकरण सह टीका श्रावकसामाचारीप्रकरण श्रवकसामाचारीप्रकरण- टीका पद्मनन्दीपञ्चाशिका आदि (पे. १) पद्मनन्दिपञ्चाशिका (पे. २) योगकल्पद्रुम (पे.३) योगप्रदीप कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि (पे. १) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (पे. २) स्वप्नसप्ततिकाप्रकरणगतगाथा स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण-वृत्ति (पे.३) स्वप्नाष्टकविचार स्वप्नाष्टकविचार टीका द्वादशकूलक सटीक द्वादशकुलक स्थिति कर्ता जीर्ण जिनदत्तसूरि जिनपाल जिनदत्तसूरि जिनपाल जिनदत्तसूरि जिनपाल श्रेष्ठ तिलकसूरि जीर्ण पद्मनन्दि जीर्ण गर्गर्षि सर्वदेवसूरि जिनवल्लभ जिनपाल जीर्ण जिनवल्लभ पूर्णता भाषा संपूर्ण अपन सं. अपभ्रं अपभ्रं सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. सं. सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. सं. प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार आदिवाक्य परिमाण कागज गा. ४७ गा. ८०. गा. ३२ कागज गा. ३८ कागज श्लोक ५१ श्लोक ६४ श्लोक १३४ कागज गा. १६७ गा. ३८ ग्रं. ९७० कागज गा. २३३ रचना वर्ष वि. १५मी वि. १२९४ वि १२९४ वि. १५मी वि. १५ मी वि. १५मी वि. १२८७ वि. १५मी 363 १४ १३ सिरिवीरजिणं नमिउं ७ अर्हन्मुनिन्दुलके २८ चवगयकम्मकलङ्कं वीरं किञ्चोदाहरणाई बहुजण ४२ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य पद्य गद्य पद्य गद्य (१२) पद्य गद्य (७) पद्य पद्य पद्य (१२८) पद्य पद्य गद्य गद्य गद्य (83) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (१२४४.७) (पे. पू. १?) (पे. पृ. १-?) (पे. पृ. १-?) (१२४४.७) प्रायश्चित्त, ( १२४४.७) (पे. पृ. १-७) (पे.पृ. १-७) (पे.पू. १७) ( १२४४.७) (पे. पृ. १-२८) पे.वि.: गाथा - १६८. [ कृ. वि. गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.] (पे.पू. १-२८) रचना स्थल : जेसलमेर (पे.पू. १-२८) (१२४४.७) Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार द्वादशकलक-विवरण जिनपाल ग्रं.३३६३. गद्य जीर्ण संपूर्ण :कागज वि. १५वी १६ :श्लोक-७८१.,(१२४४.७) ६५९८ सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ सप्तमाध्याय पर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन ६५९९... हैमधातुपाठसक्षेप अर्ह| सिदिः स्याद हेमचन्द्रसूरि जीर्ण संपूर्ण कागज..............वि. १५मी... । (१२४४.७) प्रतिपूर्ण कागज वि.१५मी :१७४ : (१७४) (१२४४.७) गद्य.. (१०५) संपर्ण १०४ (१२४४.७) गं.19000 वि.१५मी वि.१०८० वि. १५मी गद्य संपूर्ण कागज (६५) : (१२४४.७) ग्रं.३२०० गद्य अपण वि.१५मी (२७) (१२४४.७) ६६०३ सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्दत्ति जीर्ण पञ्चमाध्याय चतुर्थपादपर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्धत्ति हेमचन्द्रसरि ६६०८ बुद्धिसागरव्याकरण-पञ्चग्रन्थी जीर्ण बुद्धिसागरसूरि ६६०९ सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति- श्रेष्ठ चतुष्कवृत्ति अवचूरिण्डिका सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्तिनी अवचूरि दुण्डिका ६६१३ सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिदीपिका प्राकृतदीपिका सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम : हेमचन्द्रसूरि : अध्याय प्राकृतव्याकरणनी बृहद्दत्तिनी प्राकृतदीपिका वृत्ति ६६१८ हेमअनेकार्थनाममाला जीर्ण अनेकार्थकरवाकरकौमुदीवृत्तिसहित अनेकार्थसङ्ग्रह हेमचन्द्रसूरि अनेकार्थसङ्ग्रह महेन्द्रसिंहसूरि अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका : विक्रमाड़ककाव्य आदि जीर्ण (पे.१) विक्रमाङ्ककाव्य (पे.२) घटकपरकाव्य (मे.३) मेघाभ्युदयकाव्य कत्ता ? संपूर्ण कागज वि. १५मी १७१ (१५१) (१२४४.७) ग्रं. १८२७ ग्रं.१०००० ध्यात्वाहेतः कृतका परमात्मानमानम्य निजा गद्य कागज वि.१५मी बिल्हण ग्रं.२५४५... :(४४) पद्य पद्य पद्य भुजप्रभादण्ड इवो निचितं खमुपेत्य नीरद काचित् काले प्रभुदित पत्र ३६-३७ भेगां छे... (१२४४.७) (ये.पृ.). (प.पू..?........... (पे.पू.? का.२१.... का.३८ 364 Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष ক (पे.४) वृन्दावनमहाकाव्य मानाङ्क का.५२ (पे.पृ. ?) वरदाय नमो हारये पतति मुदमुपैतु बुधो मधु सा बोध्या भारती भव्य केलि पद्य का.६९ का.५५ :केलि (पे.५) मधुवर्णनकाव्य (पे.६) विरहिणीप्रलापकाव्य .(पे.७) चन्द्रदूतकाव्य काव्यमीमांसा (पे.पू.) (पे.पू.22... (प.पू..? (१२४४.७) जम्बनाग का.२३ यदतिसितशराग्रग्रस्त जीर्ण संपूर्ण कागज ......: वि.१४९१ :५६ (५८) राजशेखर रूद्रटकाव्यालङ्कार टिप्पनक :श्रेष्ठ संपूर्ण रुद्रटालडकार-टिप्पनक नमिसाधु श्लोक 3000 ...वि. १५मी..... वि.११२५ अथेदानी यमकलक्षणमाह वि. १५मी सं. ११२५मां रच्यु...(१२४४.७) उभयग्रन्थाग्र-३९५०. (१२४४.७) ६६४० रामचरितमहाकाव्य जीर्ण : संपर्ण कागज (८९) अभिनन्द ६६४१ जयन्तविजयमहाकाव्य संपूर्ण (१२४४.७) जीर्ण अभयदेवसूरि. जीर्ण (३८) पद्य : सं ६६४३. व्यक्तिविवेककाव्यालङ्कार व्यक्तिविवेक काव्यालड़कार ६६४४ । कविकण्ठाभरण :(१२४४.७) कागज वि. १५मी. श्लोक २२२० ...............वि. १५मी...... अनुमानान्तर्भावं कागज वि.१५मी ४ संपूर्ण :सं. राजानक महिम जीर्ण संपर्ण (८) (१२४४.७) :क्षेमेन्ट मध्यम संपर्ण । कागज वि. १५मी ५७ रूद्रटालङ्कार-टिप्पनकसहित रुद्रटालडकार (५७) (१२४४.७) रुद्रटालडकार-टिप्पनक नामसाध श्लोक 3000 उभयग्रन्थान-३९५०. वि.११२५.... अर्थदानी यमकलक्षणमाह: पद्य वि. १५मी २९ :.६६५० काव्यप्रकाश दीपिका संपण कागज (१२४४.७) संपूर्ण (५०) काव्यप्रकाश-दीपिका टीका :जयन्त भटट ६६५१काव्यप्रकाश सड़केत काव्यप्रकाश-काव्यप्रकाशसड़केत टीका: माणिक्यचन्द्रसूरि ६६५७ : पार्थपराक्रमव्यायोग श्रेष्ठ कागज .वि. १४८७.... ४९ ग्रं.३२४४........ वि. १२६६ वर्णनाविषयीचक्रे कागज :वि. १५मी (१२४४.७) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. :(१२४४.७) संपूर्ण :प्रहलादन श्लोक ४३२ पद्य जीर्ण संपणे कागज ६६५८ षट्कारक तथा क्रियाकलाप (पं.१) षटकारक वि. १५मी (१६) उभय श्लोक-४२०.. (१२४४.७) (प.पू. १-९) :रभसनन्द सं. 365 Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य सं. गद्य संपूर्ण .. कागज वि. १५मी (पे.पृ. ९-१६). (१२४४.७) (२१). (ये.२) कातन्त्रव्याकरण-विद्यानन्दीवृत्ति । विद्यानन्द । ६६५९ नीतिवाक्यामृत जीर्ण सोमदेवसरि(दि.) ६६६० विज्ञप्तित्रिवेणी जीर्ण संपूर्ण कागज : (१२४४.७) वि. १४८४ वि. १४८४ वि. १५मी (१७) पद्य श्लोक १०१२ :कागज ६६६१ जीर्ण प्रतिपूर्ण २०० ग्रन्थान-१२८३८..(१२४५) सन्मतितर्क तत्त्वबोधविधायिनी टीकासहित प्रथमखण्ड सन्मतितकेप्रकरण प्रा. सिद्धं सिद्धट्ठाणं :पद्य सिद्धसेन दिवाकर सरि अभयदेवसुरि सं. ग्रं.२५००० गद्य मध्यम कागज ... वि. १५मी :१४४ (१४४) ...... पद्य हरिभद्रसूरि मलयगिरिसूरि मध्यम यथास्थिताशेषपदार्थ संपूर्ण ज.......... वि. १५मी १२ गद्य (१४) (१२४५) जीर्ण संपूर्ण कागज ...........वि. १५मी. १५... (१४) । (१२४५). देवभद्रसूरि मलधारी गद्य सन्मतितर्कप्रकरण तत्वबोधविधायिनीवृत्ति । ६६६२ धर्मसङ्ग्रहणी सटीक धर्मसड़ग्रहणीप्रकरण धर्मसड़ग्रहणीप्रकरण-वृत्ति ६६६९ प्रमाणमञ्जरीटिप्पन प्रमाणमञ्जरी-टिप्पण ६६७१ न्यायावतारवृत्तिटिप्पन न्यायावतारसूत्र-वृत्तिनुं टीप्पणक... ६६७२ न्यायसारसूत्र आदि (4.9) न्यायसारप्रकरण 1(पे.२) न्यायसारप्रकरण न्यायतात्पर्यदीपिका टीका ६६७३ महाविद्याविडम्बन टिप्पणीसहित महाविद्याविडम्बन महाविद्याविडम्बन-टिप्पण ६६७४ पदार्थतत्वनिर्णय पदार्थतत्त्वनिर्णय ६६७५ प्रमेयरत्नकोष श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ..............वि. १४८५... ४९. (५०) । (१२४५) :भासर्वज प.पू..१-४१.. (ये.पृ. १-४९) जयसिंहसूरि श्रेष्ठ कागज वि.१५मी वादीन्द्र भट्ट श्रेष्ठ ...वि. १५मी .(१२४५) आनन्दभूवन श्रेष्ठ ...... चन्द्रप्रभसूरि कागज..........वि. १५मी. ग्रं. १४०० 366 Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ६६७६ ૬૬૭૮ ६६८२ ६६८४ ६६८५ ६६८६. ६६८७ ६६८९ ६६९० ६६९१ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम तर्कसङ्ग्रह न्यायतत्त्वविवेक न्यायकन्दली टीका न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या वैशेषिकदर्शन-पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीकानी न्यायकन्दली टीकानी न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या प्रशस्तपादभाष्य-वैशेषिकभाष्य वैशेषिकदर्शन-पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका प्रशस्तपादाचार्य न्यायकुसुमाञ्जलिपरिमल प्रथमस्तवक ! श्रेष्ठ न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण- परिमल श्रीदिवाकर न्यायमकरन्द-न्यायोपदेशमकरन्द न्यायमकरन्दप्रकरण पदार्थरत्नमञ्जूषा प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार स्वोपज्ञ स्याद्वादरत्नाकरवृत्तिसह प्रथमखण्ड प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारस्याद्वादरत्नाकरवृत्ति रत्नाकरावतारिकाटिप्पनक रत्नाकरावतारिका-टिप्पणक स्थिति कर्ता श्रेष्ठ प्रमाणकलिकासूत्र तथा प्रमाणकलिकावृत्ति प्रमाणकलिकासूत्र आनन्दज्ञान मध्यम उदयकर जीर्ण वोम्मीदेव श्रेष्ठ मध्यम आनन्दबोध श्रेष्ठ कृष्ण पण्डित मध्यम वादिदेवसूरि वादिदेवसूरि मध्यम ज्ञानचन्द्र श्रेष्ठ शान्तिसूरि पूर्णता भाषा संपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण कागज कागज कागज कागज श्लोक ७७७ कागज कागज कागज श्लोक ३१८ ग्रं. ३२० कागज ग्रं. ७२८४ कागज ग्रं. २१०४ कागज श्लोक ५७ रचना वर्ष वि.१५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी 367 आदिवाक्य ३० २४-२ (१२) २२ ६७ नित्यज्ञानदयैश्वर्य १२ प्रणम्य हेतुमीश्वरं १६ २९ ६ नमामः संसारोरूमिहिर १८२ ३२ ४६ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (३०) (२३). (६८) गद्य (93) पद्य (१६) गद्य (30) (७) पद्य (१८२) गद्य (३२) गद्य (४६) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (१२४५) (१२४५) ( १२४४.७) (१२४४.७) (१२४४.७) (१२४४.७) (१२४४.७) ग्रन्थाग्र-१५०००., (१२X४.७) (१२४४.७) ( १२४४.७) Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ६६९३ ६६९७ ६६९८ ६७०५ ६७०६ ६७१७ ६७१९ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम ६७०८ विवेकमञ्जरीप्रकरण सटीक विवेकमञ्जरीप्रकरण विवेकमञ्जरीप्रकरण-वृत्ति ६७२१ प्रमाणकलिकासूत्र-वृत्ति पदार्थतत्त्वनिर्णय तत्त्वविवेकविवरण पदार्थतत्त्वनिर्णय-तत्त्वविवेक विवरण त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य पञ्चमपर्व- शान्तिनाथचरित्र त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य पद्मचरित्र (पउमचरियम् ) पउमचरियं गाथाबद्ध वसुदेवहिण्डी मध्यमखण्ड वसुदेवहिण्डी - मध्यमखण्ड उपदेशमाला दोघट्टीवृत्तिसहित उपदेशमाला उपदेशमालाप्रकरण- दोघट्टीवृत्ति प्रयोगसमुच्चय सवृत्तिक आदि (पे. १) प्रयोगसमुच्चय सह वृत्तिक प्रयोगसमुच्चय प्रयोगसमुच्चय-वृत्ति ! (पे. २) समासविशेषभेद (पे.३) संवेगद्रुमकन्दली समयसारप्रकरण स्वोपज्ञटीकासहित समयसारप्रकरण समयसारप्रकरण-स्वोपज्ञ टीका सङ्घपट्टक सटीक सङ्घपटक स्थिति कर्ता श्रेष्ठ आनन्दज्ञान जीर्ण हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ विमलसूरि मध्यम धर्मसेनगणि महत्तर श्रेष्ठ धर्मदास गणि रत्नप्रभसुरि श्रेष्ठ आसड बालचन्द्रसूरि श्रेष्ठ विमलसूरि मध्यम देवानन्दसूरि देवानन्दसूरि श्रेष्ठ जिनवल्लभ पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रतिपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. प्रा. अपभ्रं संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. सं. सं. संपूर्ण सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष संपूर्ण सं. परिमाण कागज कागज सर्ग १० कागज ग्रं. १०३०० कागज ग्रं. १७००० कागज गा. ५४४ ग्रं. ११७६४ कागज गा. १४४ ग्रं. ८००० कागज गा. ५२ कागज कागज ग्रं. ७५ वि. १५मी वि. १५मी वि. १४८७ वी. ५३० वि. १४८६ वि. १५मी वि. १२३८ वि. १५मी वि. १२८८ वि. १५मी १५ वि. १४६९ वि. १५मी 368 आदिवाक्य ६१ ३८ १५३ १४९ १६२ नमिऊण जिणवरिन्दे यस्यारघटटस्य घनोपदे १२८ सिद्धिपुर सत्थवाह नाभिनन्दनविभोर्वदनं ८ ३५ ६७ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (६१) गद्य (३७) पद्य ( १९३) पद्य (१४९) (१६३) पद्य गद्य (१२९) पद्य गद्य (१०) गद्य पद्य (३६) पद्य गद्य (६८) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष प्रति ऊधईए करडेली छे. (१२४४.७) ( १२.२४४.७) पर्व- १०. ( १२.२४४.७) पत्र १५मुं डबल छे., (१२.२४४.७) भाषा प्राकृत अने पैशाचि छे. प्रतिनां पानां चोंटीने केलांक खराब थई गया छे.. (१२.२४५.२). गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ( १२.२४५.२) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (१२४४.५) (पे. प्र. १७) (पे.पू. ७मुं) (पे.पू. ७-८) सं १६५८मां रत्ननिधानउपाध्याये शोधेल प्रति (१२.२४४.७) ( १२.२४५) Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम सङ्घपट्टक टीका दमयन्तीचम्पूकथाटीका दमयन्तीकथा- विवरण ६७२४ प्रवचनसारोद्धार विषमपदपर्याय ૬૭રર ६७३० ६७३१ ६७३७ ६७३९ ६७४२ ६७३८ ऋषिभाषितसङ्ग्रहणी ६७४४ प्रवचनसारोद्धार - विषमपदपर्याय टीका ६७४५ बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण वृत्तिसहित बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण-बृहत टीका भगवतीसूत्रचूर्णि भगवतीसुत्र चूर्णी द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी तीर्थोद्गारप्रकीर्णक तीर्थोद्गालिक प्रकीर्णक अष्टकप्रकरण व टीका (पे.१) अष्टकप्रकरण (पे. २) अष्टकप्रकरण टीका षोडशकप्रकरण विवरण षोडशकप्रकरण-वृत्ति पौषधविधिप्रकरण सटीक पौषधविधिप्रकरण पौषधविधिप्रकरण- टीका स्थिति कर्ता मध्यम चण्डपाल श्रेष्ठ उदयप्रभसूरि श्रेष्ठ जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण सिद्धसूरि जीर्ण जीर्ण जीर्ण श्रेष्ठ श्रेष्ठ हरिभद्रसूरि अभयदेवसूरि श्रेष्ठ यशोभद्रसूर श्रेष्ठ जिनवल्लभ जिनचन्द्रसूरि पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण अपूर्ण प्रा. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष परिमाण कागज श्लोक १९०० कागज ग्रं. ३२०३ कागज गा. ६४० ग्रं. ८७५ ग्रं. ३००० कागज श्लोक ३००० कागज गा. २२५ ग्रं. २०० कागज कागज गा. १२३३ ग्रं. १५६५ कागज का. २५६ ग्रं. ३३७० कागज ग्रं. १५०० कागज ग्रं. ३५५५ वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. ११९२ वि. १५मी वि. १५५३ वि. १५५१ वि. १५मी वि. १५मी वि. १५मी वि. १७मी वि. १६१७ 369 आदिवाक्य ३१ ४२ प्रवचनसारोद्धारे ६० नमिऊण सजलजलहरनिभस्सण नत्वा वीरं वक्ष्ये ८० ६ पुखरवरदीवढं परि १६ २० जयइ ससिपायनिम्मलतिहु ८८ ३८ ५० क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (३२) पद्य (83) गद्य (६०) पद्य गद्य (८०) पद्य () पद्य (१६) (29) पद्य (८९) पद्य गद्य (319) गद्य (५०) पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (११.७४४.७) पत्र १०मुं डबल छे., (१२.२४४.७) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. जयप्रम के सहयोग से रची गयी है. ( १२.२४५) ग्रन्थाग्र-३५९० (१२.७४५) ( १२.५४५) (१२.५५५) वाचनाचार्य धर्मविलासगणिए शुद्ध करेली प्रति.. पत्र १२ १३मुं नथी. /गाथा १२६० (१२.५४५) ( १२.५४५.२) (पे. पू. १-७) पे. वि. गाथा-२६६ आपेल छे. (पे. पृ. ७-८८) पे.वि. ग्रन्थाग्र-३३७० आपेल छे. -नक्की करखूं.. ( १२.५४५.२) पत्र १७-१८ भेगां छे. (१२.५४५.२) Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- कर्ता परिमाण आदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पत्र १५१मुं डबल छे..(१३४५.७) रचना वर्ष वि. १५मी कति प्रकार ६७५९ गणधरसार्धशतकप्रकरण बृहत् टीका श्रेष्ठ कागज १६८ सह गुणमणिरोहणगिरिणो सुमति प्रा. सं. संपूर्ण मारुगूजर संपूर्ण गा. १५० वि. १२९५.. ............वि. १५मी. मध्यम :कागज (90) 193X५.२० गद्य _ वि. १५मी.... १३८ ... (१०) ...........(१३४५.. .................. ग्र.११००० संपूर्ण कागज । वि.१५मी ८० (१२४४.७) ...........ग्र.३३००....... प्रणम्य परमात्मानं .......: गद्य अथ प्राकृतं... (पे.पू.१-५१2. (पे.पृ.) गद्य गणधरसाद्धेशतकप्रकरण जिनदत्तसूरि गणधरसार्द्धशतकप्रकरण-बृहद्धत्ति कल्पसूत्रसक्षिप्तसार....... कल्पसूत्र-सोपसार कल्पविशेषचूर्णि जीर्ण बृहत् कल्पसूत्र-विशेषचूर्णी ६७८० सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति जीर्ण तृतीयाध्याय तृतीयपादथी सप्तमाध्यायपर्यन्त तथा सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्धृत्तिसहित (4.9) सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति.. हमचन्द्रसार (पे.२) सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो हेमचन्द्रसूरि अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम हेमचन्द्रसूरि अध्याय प्राकृतव्याकरण-बृहद्वृत्ति ..... हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित..जीर्ण सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र हेमचन्द्रसूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र- हेमचन्द्रसूरि विवरण कातन्त्रव्याकरणआख्यातवृत्तिपञ्जिको जीर्ण द्योत कातन्त्रव्याकरण-वृत्ति नी पञ्जिका नी त्रिविक्रम भट्ट उद्योतवृत्ति कातन्त्रव्याकरण पञ्जिकाप्रदीप. जीर्ण कातन्त्रव्याकरण-पञ्जिकानी प्रदीप देशल टीका ग्रं. २५०० अथ शब्द आनन्तर्यार्थ : गद्य कागज............वि. १५मी....५२....... ...(१२.२४५ (५१).......... गद्य गद्य श्रीसिद्धहेमचन्द्र ६७८२ कागजवि .१५मी २५ (२४) (१२.२४४.७) सं. गद्य संपूर्ण... कागज वि . १५मी :४८... (४८). :/१२.२४५) 370 Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज वि. १५मी १२९ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ६७८४ जीर्ण कति प्रकार (१२८) संपूर्ण (१२.२४५) दुगसिंह देवदेवं प्रणम्यादी गद्य गोल्हण गद्य कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिचतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्ति ... कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्तिनी गोल्हणवृत्ति कातन्त्रव्याकरणना दुर्गसिंहीवृत्तिनी टिप्पणी नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य तथा तटिटप्पणक (पे.१) नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य (पे.२) नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य गद्य जीर्ण अपूर्ण कागज वि.१५मी । (२९) (१२४४.५) रेमचन्द्र पद्य (प.प्र. १-२९) (पे.पृ.) पे.वि. : अपूर्ण. टिप्पणक ६७९२ संपूर्ण वि. १५मी (99) !(१२.२४४.७) विदग्धमुखमण्डनश्रवणभूषणटीका श्रेष्ठ तटिप्पनक विदग्धमुखमण्डन-श्रवणभूषण टीका.....नरहरि भट्ट उपसर्गमण्डन :जीर्ण ६८०२ संपूर्ण कागज (२१) प्रति पाणीमां पलळेली छे..(१२४५) :मण्डन पद्य ६८०३... उपसर्गमण्डन सyo .......... वि. १६मी. ११ श्लोक ४४५... कागज । वि. १६मी..... १३.... श्लोक ४४५ वि. १५०४. (१२४४.७). मण्डन :जीर्ण (१३)........... पद्य (99) ६८०४ काव्यमनोहर संपूर्ण कागज (१२४४.७) मण्डन श्रेष्ठ राजशेखर Hyo :कागज वि. १६मी १२.. स.प्रा. ६८०५.. कर्पूरमञ्जरी सट्टक लघुटीका ! कर्पूरमञ्जरीनाटिका कर्पूरमञ्जरीनाटिका-लघुटीका ६८०८ न्यायावतारविवरण न्यायावतारसन-टीका .६८०९.. प्रमाणरत्नमालाटीका प्रमाणरत्नमाला-टीका ६८१० न्यायसारटिप्पनक-न्यायकलानिधि (१३).......... (१२४४.५) संयुक्त प+ ग अनेक भाषाओ. गद्य ग्रं.२०७३.. (१२४४.७-) संपूर्ण वि. १६वी .. (३५) सिट साध संपर्ण .वि. १६मी..... (२५) (१२४४.७) अनुभूतस्वरुप श्रेष्ठ संपूर्ण (२९) (१२४४.७ कागज ........वि. १६मी .. 371 Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य :विश्वनाथाश्रम ६८५४ मध्यम प्रतिपूर्ण कागज वि. १६५२ २५ (२२५) (१२.२४५.२) न्यायसारप्रकरण-न्यायकलानिधि टिप्पण सन्मतितर्क तत्त्ववोधविधायिनीटीकासहित द्वितीयखण्ड सन्मतितर्कप्रकरण सिद्धसेन दिवाकर प्रा. सिद्धं सिद्धठाणं पद्य सुरि अभयदेवसूरि ग्रं.२५००० :गद्य सन्मतितकेप्रकरणतत्वबोधविधायिनीवृत्ति उपदेशमालाप्रकरण वृत्तिसहित उपदेशमाला उपदेशमाला-टीका श्रेष्ठ कागज वि.१५मी 132 (३२... :/१२.२४४.२ धर्मदास गणि गा.५४४ :नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य गाथा ५४०.थी ५४६ मळे छे. गद्य अमरप्रभसूरि जीर्ण ६८६२ श्रीपालचरित्र (२४) (१२.२४४.७) रत्नशेखरसरि गा.१३४१ वि.१४८७....२३ वि. १३३.८ वि. १५१४ . पद्य । ६८६३ । विक्रमचरित्रमहाकाव्य जीर्ण कागज (१४३) । (१२४४.७. देवमूर्ति श्लोक ६२६६ पद्य ૬૮૬ श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण कागज वि. १७मी सूचीपत्रमा टीकाकार-रघुनाथ शिरोमणि भट्टाचार्य मूलकार-भट्टाचार्य शिरोमणि तरीके आप्यो छे..(११.२४४.२........ संपूर्ण कागज वि.१४८५ (६७). (१२४४.२) (प.पू. १-३८. (पे.पू. ३८-६७) पे.वि. : श्लोक-२०००. पत्र ३९३{ डबल छे.. (११.२४६) :गं. १२६७ कागज वि. १६४६ तत्वचिन्तामणीनो हिस्सो आख्यातवाद गड़गेश्वर मिश्र :६८६९ क्रियाकलाप तथा स्यादिसमुच्चय । जीर्ण ।(ये.१) क्रियाकलाप जिनदेवसूरि (पे.२) स्यादिसमुच्चय अमरचन्द्रसूरि व्यवहारसूत्र नियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसहित. मध्यम व्यवहारसूत्र.. भद्रबाहस्वामी व्यवहारसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहस्वामी व्यवहारसुत्र-भाष्य व्यवहारसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसरि ६८९४ । आचारागसूत्र दीपिका मध्यम i(६१०). ।६०८... जे भिक्खू मासिर्य ग्र.६८८.. ग्र.६००० ग्रं. १३७१९ प्रणमत नेमिजिनेश्वर १२४ कागज वि. १७मी : (१२५) पत्र ६८-६९ भएगां छे..(१०.२४४.५) 372 Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार गद्य ग्रं. १०५00 शासनाधीश्वरो जीयाद वि. १५७३ वि. १७वी विशिष्ट रचना प्रशस्ति. :(१०.२४४.५) .............. :श्रष्ट कागज : संपूर्ण ७४ प्रा.... ...२२००... बुज्झिज्ज तिउटेज्ज संपूर्ण कागज (४०१) (१०.२४४.५) वि. १८मी वि. १७०५ गं. ११००० गद्य संपूर्ण कागज वि.१७मी ८४ (६४)....... पत्र ३१मुं डबल छे.. (१०.२४४.५), आचारागसूत्र-दीपिका टीका जिनहंससूरि ६८९५ : सूत्रकृतागसूत्र.. सुधर्मास्वामी. स्थानागसूत्र वृत्तिगतगाथाविवरण ... श्रेष्ठ स्थानागसूत्र-वृत्तिगत गाथाविवरण सुमतिकल्लोल, हर्षनन्दन ६८९७ : समवायाङ्गसूत्रवृत्ति : मध्यम समवायाङगसूत्र-वृत्ति :अभयदेवसूरि भगवतीसूत्र आलापक जीर्ण भगवतीसूत्र-हिस्सा सुधर्मास्वामी ६८९९ ज्ञाताधर्मकथाडगसत्र श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी ६९०० ज्ञाताधर्मकथागसूत्र श्रेष्ठ सुधमोस्वामी ६९०१ : ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र श्रेष्ठ :वि.११२० विमानमानम्य सम ६८९८ संपूर्ण कागज । वि. १७मी २९ (२१) 1(१०x४.५) संपूर्ण कागज (१३३................१०.२४४:५... ग्र.५००० अपूर्ण कागज ...वि. १६६४..... १३३.. तेणं कालेणं तेणं वि.१९मी : तेणं कालेणं तेणं वि. १७मी १४३ (१४).........(१०.५४४.७), ग्रं. ५००० संपूर्ण कागज (988) पत्र २५थी २९.३१थी ३३अने ११० थी१२५ नथीछे.. (१०.२४४.७) ग्र.५००० संपर्ण कागज सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ अभयदेवसूरि. श्रेष्ठ । तेणं कालेणं तेणं ..........वि. १६५६....९१. ग्रं.४३६६ वि. ११२० नत्वा श्रीमन्महावीर वि. १७मी A.१०.२४४.५). ६९१३ कागज म.ग्रन्थान-१,१७५ टीका ग्रन्थान-३१२५., (१०.५४४.५) सुधर्मास्वामी ग्र.११६७ तेणं कालेणं तेणं ग्र.४300 श्रीवमानमानम्य ६९०२.. ज्ञाताधर्मकथागसूत्र वृत्ति ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-वृत्ति औपपातिकउपाङ्गसूत्र सटीक पञ्चपाठ औपपातिकोपागसूत्र औपपातिकोपागसूत्र-टीका ६९१४. औपपातिकउपाङ्गसूत्र मूल औपपातिकोपागसूत्र ६९१५.. औपपातिकउपागसूत्र वृत्ति औपपातिकोपाड़गसूत्र-टीका ६९१७ राजप्रश्नीयउपागसूत्र वृत्ति राजप्रश्नीयोपाङगसूत्र-वृत्ति अभयदेवसूरि जीर्ण सुधर्मास्वामी कागज 1१०.२४४.५) ग्र.११७ तेणं कालेणं तेणं मध्यम संपण कागज (१०.५४४.५. गं.४300 श्रीवमानमानम्य अभयदेवसूरि मध्यम गद्य (६४) कागज वि.१६०७ (१०.५४४.५) संपूर्ण सं..... मलयगिरिसूरि ग्रं. 3900 प्रणमत वीरजिनेश्वर 373 Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ६९३२ ६९३३ पाक्षिकसूत्र अवचूर्णि पाक्षिकसूत्र-अवचूरि घडावश्यकसूत्र श्रावकषडावश्यकसूत्र ६९३५ साधुषडावश्यकसूत्र ६९३४ ६९३६ ६९३७ ६९३८ ६९३९ ६९४० प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम पाक्षिकसूत्र ६९४१ घडावश्यक सूत्रवृत्ति श्रावकषडावश्यकसूत्र-वृत्ति श्रावकषडावश्यकसूत्रवृत्ति- वन्दारुवृत्ति टबार्थसह श्रावकषडावश्यक सूत्र- वन्दारु वृत्ति श्रावकषडावश्यक सूत्र- वन्दारुवृत्तिना टबार्थ पाक्षिकसूत्र तथा साधुपाक्षिक अतिचार (पे. १) पाक्षिकसूत्र (पे. २) साधुपाक्षिक अतिचार श्रावकपाक्षिक अतिचार साधुपाक्षिक अतिचार पाक्षिकसूत्र बालावबोधसहित तथा सप्तनयविवरण (पे. १) पाक्षिकसूत्र सह (मा.गु.) बालावबोध पाक्षिकसूत्र पाक्षिकसूत्र - बालावबोध (पे. २) सप्तनय विवरण स्थिति कर्ता मध्यम श्रेष्ठ जीर्ण जीर्ण मध्यम नमिसाधु मध्यम देवेन्द्रसूरि मध्यम मध्यम मध्यम मध्यम सुखसागर पूर्णता भाषा संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा.सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. मारुगुर्जर संपूर्ण प्रा. मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण प्रा. मारुगुर्जर सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण कागज ग्रं. ३५० कागज कागज कागज कागज श्लोक १५५० कागज ग्रं. २७७० कागज ग्रं. ३५० कागज कागज कागज ग्रं. ३५० श्लोक १७०३ रचना वर्ष वि. १६मी वि. १४८५ वि. १८मी वि. १७७७ वि. १५२१ वि. ११२२. वि. १८५३ वि. १७मी वि. १८मी वि. १८मी वि. १७९१ 374 आदिवाक्य ११ तित्थङ्करे य तित्थे : ७ १० नमो अरहन्ताणं नमो १४ ३५ १३६ वृन्दारुवृन्दारक १२ तित्थङ्करे य तित्थे १० १७३ तित्थड़करे य तित्थे जीवाजीवा चाश्रवश्च क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार संयुक्त प+ग (5) गद्य (90) संयुक्त प+ग (१४) (३६).. पद्य (१३७) गद्य गद्य (१२) संयुक्त प+ग : (१०) (3) (१७४) संयुक्त प+ग पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (१०.५४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) (१०.५४४.५) ( १०.५४४.७) मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर ? ( १०.२४४.७ ) (पे.पू. ?). (पे.पू. 2). ( १०.२४४.७) (९.५४४.५) ( १०.२४४.७) (पे. पृ. १-१६७) (पे.पू. १६७-१७३) Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य संपूर्ण ..... कागज । वि. १८मी. ५० सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य २०९५. ६९४२ उत्तराध्ययनसूत्र टिप्पणीसहित उत्तराध्ययनसुत्र (१०,५४४.५) कति प्रकार (५१) संयुक्त प+ग ... मध्यम : सुधमोस्वामी अध्याय ३६ग्र. मध्यम..... संपर्ण कागज (१३)........... ............वि. १६मी..... १२... इहार्थतः श्रीमहावीर वि. १५०१६-२(१थी २)-४ गद्य हारिभद्री टीका आधारित. (१०.५४४.५) गद्य (प.प. ) (प.प. ? अकलङकदेवसरि अकलकदेवसूरि. अकलङ्कदेवसूरि ... श्रेष्ठ अपण .: वि. १६मी... :/१०.५४४.५ ६९४६ मध्यम संपूर्ण कागज :वि. पवमी !x (४३) :/१०.२४४.५) शय्यम्भवसरि धम्मो मङगलमुक्किट्ठसंयुक्त प+ग उत्तराध्ययनसूत्र-टिप्पणी दशवैकालिकसूत्रावचूर्णि दशवैकालिकसूत्र-अवचूरि चैत्यवन्दनपदपर्यायमञ्जरी त्रुटक आदि (पे.2) चैत्यवन्दनपदपर्यायमञ्जरी.... (पे.२) वन्दनकपदपर्यायमञ्जरी (पे.३) प्रत्याख्यानपदपर्यायमञ्जरी पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी .. पाक्षिकसूत्रपाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी टीका .. दशवैकालिकसूत्र टवार्थसहित दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-बालावबोध दशकालिकसूत्र मूल दशवकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र टिप्पणीसहित.. दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-टिप्पण दशर्वकालिकसूत्र टवार्थसहित दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-टबार्थ ६९५०... कर्पूरप्रकरटीका. कर्पूरप्रकर-टीका ६९५१ जीवसमासप्रकरण बृहदत्तिसहित :जीवसमासप्रकरण मारुगुर्जर ६९४७ मध्यम संपूर्ण कागज वि. १७मी १०.२४४.५) शय्यम्भवसूरि प्रा. २५-१(१)-२४ धम्मो मङगलमुक्किट्ठ :२९ धम्मो मङगलमुक्किट्ठ (२५) संयुक्त प+ग (३०) संयुक्त प+ग :श्रेष्ठ मंपर्ण वि.१७मी :(१०.२४४.५० : शय्यम्भवसरि : मारुगजेर गद्य संपूर्ण वि.१६९४ (१०x४.२ शय्यम्भवसरि ६१ (५२) धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग... गद्य मारुगर्जर अपूर्ण वामी ५२. गया जीर्ण संपूर्ण कागज टीका ग्रन्थान-६६२०./.(१०.५४४.५) प्रा...... ...........वि. १५२६... ११७ (१४१) ................ दस चोदस य जिणवरे: पद्य गा. २७० 375 Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ६९५२ ६९५३ ६९५४ ६९५५ ६९५६ ६९५७ ६९५८ ६९५९ ६९६० प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम जीवसमासप्रकरण बृहद्वृत्ति जीवसमासप्रकरण मूल जीवसमासप्रकरण जीवविचारप्रकरण सटीक जीवविचारप्रकरण जीवविचारप्रकरण- टीका नवतत्त्वप्रकरण आदि (पे. 9) नवतत्त्वप्रकरण (पे. २) जीवविचारप्रकरण (पे.३) दण्डकप्रकरण नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ नवतत्त्वप्रकरण नवतत्त्वप्रकरण अवचूरि नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ नवतत्त्वप्रकरण नवतत्त्वप्रकरण-अवचूरि नवतत्त्वप्रकरण बालावबोधसहित नवतत्त्वप्रकरण नवतत्त्वप्रकरण बालावबोध नवतत्त्वबोलविचार विचारषट्त्रिशिकाप्रकरण स्वोपज्ञ अवचूरि सहित पञ्चपाठ दण्डकप्रकरण दण्डकप्रकरण-स्वोपज्ञ अवचूरि विचारषट्त्रिंशिकाप्रकरण स्वोपज्ञ अवचूरि सहित पञ्चपाठ दण्डकप्रकरण स्थिति कर्ता हेमचन्द्रसूरि मलधारी श्रेष्ठ मध्यम शान्तिसूरि मध्यम शान्तिसूरि गजसार श्रेष्ठ साधुरत्नसूर मध्यम गुणरत्नसूर मध्यम मध्यम मध्यम गजसार गजसार श्रेष्ठ गजसार पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. पूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य यः स्फारकेवलकरैर्जगत १६ दस चोदस य जिणवरे ४ परिमाण ग्रं. ६६२७ कागज गा. २७० कागज गा. ५१ कागज गा. ४९ गा. ५१ गा. ३८ कागज गा. ४९ कागज गा. ४९ कागज गा. ४९ कागज कागज गा. ३८ कागज गा. ३८ वि. १८मी वि. १६४४ वि. १७५७ वि. १७मी वि. १५१० वि. १८३२ वि. १८मी वि. १७मी वि. १५७९ वि. १७मी 376 भुवणपईवं वीरं नमिऊण ८ जीवाजीवा पुन्नं पावा भुवणपईवं वीरं नमिऊण १५ जीवाजीवा पुत्रं पावा ३ जीवाजीवा पुत्रं पावा १६ जीवाजीवा पुत्रं पावा 3 क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (१६) पद्य (4) पद्य गद्य (c) पद्य पद्य पद्य (10) पद्य गद्य (६) पद्य गद्य (१०) पद्य गद्य (3) गद्य (६) पद्य गद्य (4) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ( १०.२४४.७) ( १०.२४४.२) ईश्वराचार्य कृत वृत्यनुसारिणी. ( १०.२४४. ५) (पे.पू. 2) (पे.पृ. ?). (पे.पू. ?) पे.वि. गाथा-३८. मूलगाथा - ३०., (१०.२४४.५) मुलगाथा - ३१., (१०.५४४.५) (९.७४४.५) (१०४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.२) Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा (१२) (१०.२४४.५) गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे. गाथा-३१४...१०.५४४.५..... गा.२७३ गाथा-३३२. चित्रो सुन्दर छे...(१०.२४४.७).... गा.२७३ ६९६४ (१०.५४४.७) (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार ग्रंथांक प्रत नाम स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी- कृति नाम परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार दण्डकप्रकरण-स्वोपज्ञ अवचूरि :वि.१५७९ गद्य बृहत्सग्रहणीप्रकरण :श्रेष्ठ संपूर्ण कागज :वि.१४७८ बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण जिनभद्र गणि प्रा. गा. ५७९ नियट्ठवियअट्ठकम्म पद्य क्षमाश्रमण सङ्ग्रहणीप्रकरण. श्रेष्ट संपूर्ण ....... कागज ....... वि. १६१७... १६. श्रीचन्द्रसूरि मलधारिप्रा . नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव: पद्य ६९६३... सङ्ग्रहणीप्रकरण यन्त्रचित्रसहित जीर्ण :अपूर्ण कागज वि. १६७१ ४५-१(१)-४४ (४६) सडग्रहणीप्रकरण श्रीचन्टसरि मलधारि :प्रा. नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव: पद्य सग्रहणीप्रकरण यन्त्रसहित अपर्ण कागज वि.१७मी (१०) सङग्रहणीप्रकरणयन्त्र ६९६५. सङ्ग्रहणीप्रकरण सावचूणि त्रिपाठ... श्रेष्ठ संपूर्ण सड़ग्रहणीप्रकरण सग्रहणीप्रकरण-अवचूर्णि ६९६६.. सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक कागज............वि. १७मी सड़ग्रहणीप्रकरण श्रीचन्द्रसूरि मलधारि प्रा. गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव: पद्य सङग्रहणीप्रकरण-टीका :देवभद्रसूरि ग्र.3५०० अत्यद्भुतं योगिभि गद्य ६९६७ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि जीर्ण अपूर्ण कागज वि. १५मी पञ्चपाठ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण रत्नशेखरसूरि प्रा. गा.२६२ वीरं जयसेहरय : पद्य पइटित लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-अवचरि ६९६८ सङ्ग्रहणीप्रकरण तथा जीर्ण कागज वि.१७मी जम्बूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण (पे.9) सङ्ग्रहणीप्रकरण श्रीचन्द्रसुरि मलधारि... गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव: पद्य (पे.२) जम्बूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण .... जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जिनभद्र गणि गा.८६ नमिउण सजल जलहर ...वि.१७मी (२७) .मूलगाथा-२८१....१०.२४४.५).. गाथा ३६६ थी ५२७ सुधी मळे छे. पय श्रेष्ठ संपूर्ण 160) टीका ग्रन्थान-३७००...(१०.२४४.५). (१०.५४४.५) टिप्पणी युक्त गद्य (१०x४.२) (पे.पू. १-१०) पे.वि. : गाथा-२७७. (प. पू. 9-90) पे.वि. : गाथा-१०९. कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. मूलगाथा-१३७, कर्तानाम आपेल नथी., (१०.५४४.५) ६९६९ संपूर्ण कागज वि.१७मी सक्षिप्तक्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ 377 Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष : पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य जम्बूद्वीपसमासप्रकरण जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. गद्य क्षेत्रसमासप्रकरण-अवचूरि लघुक्षेत्रसमासप्रकरण आदि (पे.१) लघुक्षेत्रसमासप्रकरण कागज वि.१८मी २५ (२६). जीर्ण रत्नशेखरसूरि (9०x४.५) (पे.पृ.) [कृ.वि. : टिप्पणी युक्त गा.२६२ पद्य वीरं जयसेहरय पइदिठ सिरिवीरजिणं वन्दिय (पे.२) कर्मग्रन्थषट्क देवेन्द्रसूरि :पद्य पद्य (पे.३) जीवस्थापनाकुलक कर्मग्रन्थषटक गा.२५.. कागज ६९७१ (२३) श्रेष्ठ देवेन्द्रसूरि (पे.पू.?) [कृ.वि. : १-५ देवेन्द्रसूरिना रचेला छे अने सप्ततिका कर्मग्रन्थ अन्यकृत छे], (पे.पू.?.. (९.७४४.२.. १-५ देवेन्द्रसूरिना रचेला छे अने सप्ततिका कर्मग्रन्थ अन्यकृत छे. (१०.२४४.५). सिरिवीरजिणं वन्दिय : पद्य E९७२ कर्मग्रन्थषटक अवचरि जीर्ण वि. १५९२. वि. १४५९ .६९७३ : वि. १५११... प्रतिलेखन पुष्पिका..(१०.५४४.५. (प. पृ.१-२ श्रियाष्टाप्रातिहार गद्य (पे..प्र.३-12. तह० मिथ्यात्वादिभिर गद्य (पे.पृ.५-६) कर्मग्रन्थषटक-अवचुरि गणरत्नसरि नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि (2.9) कर्मपाकावरि कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थअवचुरि (पे.२) कर्मस्तवावचूरि कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-अवरि । (पे.३) बन्धस्वामित्वावचूरि बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थअवचूरि (से.४) पडशीतिकावरि षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ-अवचूरि: कर्मविपाक-कर्मस्तव कर्मग्रन्थ सस्तबक (पे.१) कर्मविपाक कर्मग्रन्थ सह (गु.)स्तबक बन्ध० बन्धकर्माना पे....६.................. नमि० तत्र जीवन्ति ६९७४ : वि.१७०६ (१०x४.५) (पे.पृ.१३) 378 Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा प्रा. गा.६१ ... सिरिवीरजिणं वन्दिअ मारुगूर्जर (पे. पृ. १३) गा.३४ तह थुणिमो वीरजिणं... पद्य प्रा............ : मारुगर्जर संपूर्ण ट वि. १७मी २० .. (२१) (९.७४४.७) (पे.पृ.२०) कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ देवेन्द्रसूरि कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-स्तबक धनविजय (पे.२) कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ सह (मा.गु.)स्तबक कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ. :देवेन्द्रसरि कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-स्तबक धनविजय तृतीय-चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित (पे.१) तृतीय कर्मग्रन्थ बन्धस्वामीत्व सह (मा.ग.)टवार्थ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ देवेन्द्रसूरि बन्धस्वामित्व नव्य तृतीयकर्मग्रन्थटबार्थ (पे.२) षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ सह (मा.गु.)टबार्थ षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ :देवेन्द्रसार षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ-टबार्थ षष्ठकर्मग्रन्थ टबार्थसहित सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रर्षि महत्तर बन्धविहाणविमुक्क पद्य मारुगुर्जर गद्य (पे. पृ.२०) गा.८६ नमिअ जिणं जिअमरगण पद्य मारुगर्जर संपूर्ण श्रेष्ट कागज गद्य वि. १७मी...८५-५४(१ थी ५४)=३१.. (३१) सिद्धपएहि महत्थं पद्य :१०.५४४.७) प्रा. गा.९१ चन्द्रमहत्तरीयानुसार | गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे. मारुगुर्जर : गद्य (१८) ७००४ कागज वि. १६मी २४ (१०.५४४.५) प्रा. गा.१५० पडिबिम्बिय पणयजयं सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-टबार्थ सन्देहदोलावलीप्रकरण : मध्यम संपूर्ण विधिरत्नकरण्डिकानामक लघुवृत्तिसहित सन्देहदोलावलीप्रकरण । जिनदत्तसरि सन्देहदोलावलीप्रकरण :जयसागर वाचनाचार्य :सं. विधिरत्नकरण्डिका लघुवृत्ति योगप्रदीप श्रेष्ठ शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर). ग्रं. १५५० .......:.१०. 379 Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार मध्यम संपूर्ण कागज वि.१८मी मूल आर्या-३०..(१०.२४४.५) ४ :कः खलु नालड़िक्रयते विमलसूरि का.२८ पद्य मारुगूर्जर गद्य संपूर्ण कागज वि.१५२४ ७०१३ प्रश्नोत्तररत्नमाला टवार्थसहित प्रश्नोत्तररनमालिका प्रश्नोत्तररत्नमालिका-टबार्थ . दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक दर्शनशुद्धिप्रकरण दर्शनशुद्धिप्रकरण-टीका सन्देहदोलावलीप्रकरण सटीक सन्देहदोलावलीप्रकरण सन्देहदोलावलीप्रकरण-टीका पत्तभवन्नवतीरं दुहदव चञ्चच्चन्द्रमरीचि .. श्लोक १२००० जीर्ण चन्द्रप्रभसूरि विमलगणि जीर्ण जिनदत्तसूरि प्रबोधचन्द्र गणि वि. ११८४ वि.१५मी कागज :७५ (७५) गा.१५० ग्रं.४७५० पडिबिम्बिय पणयजयं श्रीवर्द्धमानं प्रभु : वि. १३२० (१८५) पत्र ५६k डबल छे.. (१०.19x4) पद्य पद्य विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (१०.७४४.७) पद्य गद्य विशिष्ट रचना प्रशस्ति.र.सं.अम्बरकरशिखिरूपमिते-१३२०.रचना स्थल प्रल्हादनपुर :/१o.gx४.७) पद्य (१११). (१०.७४४-७) पद्य .. (१८८)............. पत्र २५२मुं नथी.. (१०.७४४.७). ७०२७. योगविन्दुप्रकरण जीर्ण संपूर्ण ७०२८ मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र पद्य संपूर्ण हरिभद्रसूरि जीर्ण पदमप्रभसुरि जीर्ण गुणचन्द्रसूरि : कागज..............वि. १५१७........ ग्रं.३६२० कागज ........ वि. १६मी ... ११२ ।.वि. १२९४.. वि.१५मी १९० ग्रं. १२०२५ .वि. ११३९ कागज वि. १५मी ग्रं.५५६८..... ७०३० महावीरचरित्र संपूर्ण कागज प्रा. ७०३२ श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण (८२) अन्तमां वस्तुपालना वंशनी प्रशस्तिना केटलाक श्लोको छे...(१०.19४४.५). पर्द-१०. (११४४.५)................. :हेमचन्द्रसूरि सर्ग १० पद्य त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य पञ्चमपर्व-शान्तिनाथ चरित्र :त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य सम्यक्त्वप्रकरण सटीक दर्शनशुद्धिप्रकरण दर्शनशुद्धिप्रकरण-टीका प्रवचनविचारसार 1903४ मध्यम संपूर्ण कागज चन्द्रप्रभसूरि विमलगणि FICE वि. १५०४ १५३ : पत्तभवन्नवतीरं दुहदव ।वि. ११८४ चञ्चच्चन्द्रमरीचि वि. १६मी.. श्रीशान्तिः शान्तये (१५३) पद्य पद्य श्लोक १२००० कागज ७०३५ श्रेष्ठ (२८) नयकुजर प्रा.,सं. गद्य विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (१०.५४४.५ विविध विषयों पर आगमादि संदों के साथ प्रवचनविचारसारसंग्रह संकलित है. (१०.५४४.५). अपूर्ण ७०३६ । विचारामृतसङ्ग्रह अपूर्ण विचारामृतसङग्रह ७०३७ साधु-श्रावकसामाचारी : कुलमण्डनसूरि श्रेष्ठ कागज ग्रं. २२०० कागज .........वि. १६मी....३६. वि.१४४३ वि. १६७८ २१ गद्य (२१) संपूर्ण (१०.२४४.५) 380 Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य | आयारमयं वीरं.. साधुश्रावकसामाचारी ७०४४ : विचारसङ्ग्रह प्रा.,सं. संपूर्ण कागज वि. १७४८ (१०x४.२) 1७०४५ पर्युषणाविचार श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ....... वि. १७मी (१०.२४४.५) संपूर्ण... कागज ...........वि. १६मी...... मी ३६....... .............(१०.७४४.७) . ७०६०. मुग्धबोधव्याकरण जीर्ण मुग्धबोध व्याकरण बोपदेव :७०६१ मलयगिरिशब्दानुशासन कृवृत्तिपर्यन्त मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५२७ श्लोक-४३००. पत्र ६२मुं अने ६३मुं नथी.. (१०.७४४.७) मलयगिरिसूरि मलयगिरिसरि :श्रेष्ठ श्लोकx300 (goig 9 संपूर्ण कागज वि.१८मी 1(१०.५४४.५) मलयगिरिशब्दानुशासन मलयगिरिशब्दानुशासन-वृत्ति बोधप्रदीपपञ्चाशिका तथा सद्बोधचन्द्रोदयपञ्चाशिका (पे.१) बोधप्रदीपपञ्चाशिका (पं.२). सद्बोधचन्द्रोदयपञ्चाशिका . मूलशुद्धिप्रकरण विवरणसहित मूलशुद्धिप्रकरण का.५० चूडोत्तंसितचारुचन्द पद्य योगीन्द्र का. ५० पद्य संपूर्ण वि.१६मी २७५ . (२७५) पद्य (पे.पृ. १-४) [कृ.वि. : काव्य-५१.]. (पे.पू. १-४) १४०-१४१ भेगा छे.. (१०.२४४.५)..... गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे. प्रद्युम्नसूरि गा.२१४ वन्दामि सब्वन्नुजिणि मूलशुद्धिप्रकरण-विवरण : शतपदी । देवचन्द्रसरि :श्रेष्ठ सं............. संपूर्ण ग्रं. १३०००वि . ११४६ कागज वि. १७मी (७०७४ १५२ (१५२) : पत्र २८-२९ भेगा छे./ग्रन्थान-५३४२., (१०.२४४.७ मूलनी ज पुनर्रचना गोठवण आदि. (१०.२४४.५) महेन्द्रसिंहसूरि गं. ५२०० वि. १२९४ :वि.१७मी । त्रिभुवनगृहप्रदीपः । og श्रेष्ठ संपूर्ण कागज :धर्मसागर सं श्लोक२४५ ७१११ वि.१६मी ८३. (८४) शतपदीप्रकरण-वृत्ति गुरुतत्त्वप्रदीप-उत्सूत्रकन्दकुदाल ... गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सुत्रकन्दकुदाल. सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय (पे.१) पञ्चवस्तुकप्रकरण-पर्याय (पे.२) आचारागसूत्र-पर्याय (4.३) सूत्रकृतागसूत्र-पर्याय (पे.४) स्थानाङ्गसूत्र-पर्याय गद्य :(१०.२४५.७) (पे.पू. १-२). (पे.पू. २-३). (पे.पृ. ३-४) (प.पू. ४-५/ गद्य Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक पूर्णता प्रत प्रकार प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य गद्य (प.पू. ५-६ (प.पू. ६-६० (प.पू.६.12. गद्य गद्य पथ गद्य (ये.पृ. ७-१७) प.पू...१५-२३८. (प.पू. २३-२४) (प.पू. २४-२६) प.पू.२६:२८ (पे.पू. २८-३०) (ये.पृ. ३०-३०) गय गया गद्य (ये.पू. ३०-३२.. (प.पृ. ३२-४६) गद्य (ये.५) समवायागसूत्र-पर्याय (पे.६) प्रश्नव्याकरणसूत्र-पयोय (प.७) जीवाभिगमसूत्र-पर्याय (पे.८) प्रज्ञापनासूत्र-पर्याय (ये.९) निशीथसूत्र-पर्याय (2.90) बृहत कल्पसूत्र-पर्याय (ये.११) व्यवहारसूत्र-पर्याय (ये.१२) पञ्चकल्पसूत्र-पर्याय (मे.१३) दशाश्रुतस्कन्ध-पर्याय.. (पे.१४) जीतकल्पसूत्र-पर्याय (ये.१५) निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र-पर्याय (पे. १६) नन्दीसूत्र-विषमपदपर्याय (पे. १७) आवश्यकसूत्र-बृहदृत्तिनो विषमपद पर्याय (ये.१८) दशवैकालिकसूत्र-बृहद्वृत्तिनो विषमपदपर्याय (पे.१९) ओघनियुक्ति-पर्याय (पे.२०) पिण्डनियुक्ति तथा पिण्डनियुक्तिगत विषमगाथा विवरण पिण्डनियुक्ति-विषमगाथाविवरण (पे.२१) उत्तराध्ययनसूत्रनी बृहद्वृत्तिनो पर्याय (ये.२२) आचारागसूत्र-पर्याय (2.२२८. सूत्रकृताङगसूत्र-पर्याय । (पे.२४) स्थानाङ्गसूत्र-पर्याय (पे.२५) समवायाङ्गसूत्र-पर्याय (पे.२६) भगवतीसत्र-पर्याय ।(पे.२७) जीवाभिगमसुत्र-पर्याय गद्य (प.पू. ४६-४९) (प.पू. ४९-५०/(ये. पृ. ५०-५५) (ये.पृ. ५५-६०) गय (पे.पृ. ६०-६२ (म.पू.६२-६५.. प.पू..६५-६८.. (पे.पू. ६८-७१). (प.पू. ७१-७82 (ये.पृ. ७४७६) गद्य वि.२००० गद्य गद्य 382 Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ७१२४ ७११९ तपोटमतकुट्टन ७१३६ ७१५० ७१७७ प्रत नाम (पेटा नंबर) पेटा नाम कृति नाम ७१९० (पे. २८) प्रज्ञापनासूत्र - पर्याय (पे. २९) जीतकल्पसूत्र पर्याय (पे. ३०) निशीथसूत्र - पर्याय तपोटमतकुट्टनशत कुमारपालचरित्र (पे.१) (पे. २) श्राविकाकर्पूरदेवीपरिग्रहपरिमाण (पे.३) सुराश्रावकपरिग्रहपरिमाण पद्मावतीस्तोत्र रमतियालप्रबन्ध बालावबोधसहित रमतियालप्रबन्ध रमतियालप्रबन्ध - बालावबोध सिद्धहेमशब्दानुशासन वृहद्वृत्तिसारोद्धार-कक्षापटवृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्तिनो सङक्षेप-कक्षापट वृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहद्वृत्तिसहित तथा दुण्डिकासहित स्थिति कर्ता श्रेष्ठ जिनप्रभसूरि मध्यम मध्यम मध्यम मध्यम मध्यम त्रिपाठ (पे. १) सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो हेमचन्द्रसूरि अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम हेमचन्द्रसूरि अध्याय प्राकृतव्याकरण-बृहद्वत्ति (पे. २) सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो सौभाग्यसागर अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण दुण्डिकावृत्ति पूर्णता भाषा सं. सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. प्रा. प्रा. संपूर्ण संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण सं. संपूर्ण सं.प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष सं. परिमाण कागज श्लोक ११० कागज श्लोक २२२ गा. ३९ गा. २७ कागज का. १३ कागज कागज कागज ग्रं. २५०० वि. १९६५ वि. १५मी वि. २०मी वि. १८मी वि. १५२१ वि. १६६० वि. १५९१ 383 आदिवाक्य ५. निलठितशठकमठं ~~ ३ ४१ १२८ अथ प्राकृतं .... अथ शब्द आनन्तर्यार्थ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य गद्य गद्य (4) पद्य (c) पद्य पद्य पद्य (3) पद्य (2) गद्य (२८) गद्य (24) गद्य गद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. ७६-७८) (पे.पू. ७८-८२) (पे.पु. ८२-८३) ( १०.७४५) ( १०.७४४.७) . (पे.पू. ?) 1. (पे.पू. ?) (पे.पू. ?) (१०.५४५) ( १०.२४४.७) (१०.५४४.५) (१०.५४४.५) (पे. पृ. 2) (पे.पू. ?) Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज वि. १६६५ ३२ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (३२) ७१९१ सिद्धहमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय जीर्ण संपूर्ण : (१०.२४४.५) अवचूरि गद्य संपूर्ण वि.१६०३ : (१०.५४४.५) गद्य सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-अवचूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो हेमचन्द्रसूरि अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-बृहदत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-बृहद्वृत्ति की दोधक टीका. धातुरत्नाकर मध्यम साधुसुन्दरगणि धातुरत्नाकर-स्वोपज्ञ क्रियाकलापवृत्ति साधुसुन्दरगणि क्रियारत्नसमुच्चय सं. अपभ्रं. ७२१३ संपर्ण कागज (३२५) पत्र १७१मुं२७३मुं अने २९७मुं डबल छे., (१०४५) वि. १८मी वि.१६८० वि. १६८० वि. १५०१ ३२६ श्रीद स्तात्परम श्रीमान् स श्रीसुमति गया ७२१९ श्रेष्ठ कागज (६७) ग्रन्थान-५७०८.शरूआतनां पानां ऊथईए करडेला छे. (१०.२४४.५ गुणरत्नसरि ग्रं.५७७८ :वि. १४६६. वि.१६मी ७२२३ पाठ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज (१८) :१०.२X४.५) ग्रं.३३८४ पद्य गद्य... मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६६० (७१) (१०.५४४.५) हैमलिङ्गानुशासन सावचूरि पञ्चपाठ हैमलिङ्गानुशासन हेमचन्द्रसूरि हैमलिङगानुशासन-अवचूरि. ७२२५ देशीनाममाला स्वोपज्ञवृत्तिसहित देशीनाममाला हेमचन्द्रसूरि देशीनाममाला-स्वोपन्न रत्नावली वृत्ति हेमचन्द्रसूरि ७२२६ । शब्दरत्नाकर-शब्दप्रभेदनाममाला :जीर्ण साधुसुन्दरगणि ७२२७ छन्दोनुशासन स्वोपन्नछन्दःचूडामणि जीर्ण टीकासह सट्टिपण संपूर्ण गय (२८). कागज वि.१७६७ : (१०.२४४.५) कवि महेश्वरकृत शब्दभेदप्रकाशनी वृत्ति? १६४८मां जयविजय अने मुनिविमलगणिए शोधेली प्रति..(१०.२४४.५) अपूर्ण कागज वि. १६४८ :४१-१(१)-४० :(४१) 384 Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ग्रं. 3000 गद्य छन्दोनुशासन हेमचन्द्रसूरि छन्दानुशासन-छन्दश्चूडामणिवृत्ति .... हेमचन्द्रसूरि छन्दोनुशासन-टिप्पण जिनशतक पञ्जिकासह त्रिपाठ श्रेष्ठ जिनशतकमहाकाव्य Hiiiiii गय कागज :वि. १६४० (१०.२४४.५) जम्बू का.१०० ग्रं. ५०० श्लोक १०२५ शाम्ब साधु जीर्ण वि. १७मी.....५२... १०.५४४.५ जिनशतकमहाकाव्य-पश्जिका टीका न्यायमकरन्द टीका न्यायमकरन्दप्रकरण-टीका ७२५० :न्यायरत्न । चित्सुख मुनि :श्रेष्ठ : संपर्ण : वि.१६६५ कोई कोई पानां अतिजीर्ण छे., (१०.२४४.५) : मणिकण्ठ मिश्र श्लोक १४७५ ७२६४ जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०.२४४.२) अपशब्दव्याकरणकूटखण्डन अपशब्दव्याकरण कुटखण्डन ७२७४ कीर्तिकौमुदीमहाकाव्य संपूर्ण कागज कीर्तिचन्द्र जीर्ण सोमेश्वर भट्ट जीर्ण गज...............वि. १६मी..... १२... (१०.२४४.५ ७२७५ वसुदेवहिण्डी मध्यमखण्ड पूर्वार्ध प्रतिपूर्ण कागज वि. १६मी १२२ श्लोक-६६००. प्रतिनो एक खूणो उंदरे करडेलो छे..(१०x४.५) भाषा- प्राकृत अने पैशाचि छे.. (१०.२४४.५) ग्र 919000 वसुदेवहिण्डी-मध्यमखण्ड ७२९६ : रत्नशेखरनृपतिकथानक कागज वि.१५२२ :१२ धर्मसेनगणि महत्तर...प्रा... :श्रेष्ठ संपूर्ण जिनहर्ष संपूर्ण वज्रसेनसूरि अपभ्र अपभ्र. कागज ...वि. १५मी..... (१०x४.५) गा.3x शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह ..... (पे.१) शीलसन्धि (4.२) सुगुरुसामाचारीकुलक ... (पे.३) भवियकुटुम्बचरित्र गा. ३३. जिनप्रभसूरि अपभ्रं. गा.३७ पढम जिणिन्दह पाय (पे.पू.) (कृ.वि. : कर्ता? वज्रसेनसूरि?] (पे.पू. १-२) (पे.पृ.२-३) [कृ.वि. : द्रविडी भाषया एम पुष्पिकामां लख्य छे. (पे.पू. ३-12. (पे.पृ. ५-५) ये.वि. : गाथा-३१. [कृ.वि. : भावनाकुलक-भाषा-अपभ्रंश, गाथा-२१ नुं पण समान आदिवाक्य छे] :अपर्भ. गा. ४२ (१.४). मृगापुत्रमहर्षिकुलक.......... (पे.५) दाङ्गङउ अपभ्र. गा.२९ जहिं जिणधम्म न जाणि: पद्य 385 Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य पद्य (ये.६) भरहेसरबाहुबलिसज्झाय (ये.७) चतुःशरणप्रकीर्णक गा.१२ गा.६३ वीरभद्र सावज्जजोगविरई : पद्य उक्कित देसिक्कदेसविरओ सम्म पद्य (पे.८) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् (प.पू. म . (पे.पू. ५-६) कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे.] (पे.पृ. ६-८) पे.वि. : गाथा-६७. कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे] (पे.पृ. ८-१०) [कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी वीरभद्र गा.७१ (पे.२) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र गा. १७२ ग्रं. १७१ नमिऊण महाइसयं पद्य मळे छे. (ये.१०) संस्तारकप्रकीर्णक गा. १२४ पद्य काऊण नमोक्कारं जिणवर (पे.पू. १०-१२) गा.२३३ का.४६ नत्वा गुरुभ्यः श्रुत पद्य गा ११ (ये.पू. १२-१८) (प.पू. १९ (प.पू.१९-२०). (पे.पू. २० (पे.पू. २०.कृ.वि. : शृंखलालंकारमय . (पे. पृ. २०-२१) मा.२६ थणिमो केवलिवर्थ :गा.१८ श्लोक २५ पद्य लोक ११ पद्य (पे.११)द्वादशकुलक जिनवल्लभ (पे.१२) जैनागमस्तव जिनप्रभसूरि (पे.१३) सिद्धान्तस्तवन जयशेखरसूरि (पे.१४) समवसरणस्तव धर्मघोषसूरि (पे.१५) वर्धमानविज्ञप्तिका (पे.१६) महावीरस्तवन सूत्रकृताङ्गगत अध्ययन सूत्रकृताङ्गसूत्र-हिस्सा महावीरस्तवन सुधर्मास्व (पे.१७) नेमिनाथस्तवन । (पे.१८) मल्लिनाथस्तवन (पे.१९) भक्तिस्तोत्र (पे.२०) गौतमस्वामिस्तोत्र (4.२१) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.२२) नेमिनाथस्तोत्र (पे.२३) ऋषभदेवस्तोत्र (पे.२४) शान्तिनाथस्तवन (पे.२५) अनागतचतुर्विशतिजिनस्तव (पे.२६) भावारिवारणस्तोत्र जिनवल्लभ (4.२७) लघुअजितशान्तिस्तव जिनवल्लभ ७३११ वाक्यपदीय द्वितीयकाण्डटीका श्रेष्ठ पद्य श्लोक २० श्लोक पद्य का. पद्य पद्य श्लोक २३ श्लोक १० (प.पू. २१म) (पे...२१... (पे.पू. २१-२२८. ॐनमस्त्रिजगन्नतु...... (पे.पृ. २२) श्रीपार्श्वनाथ भवतोय । (पे.पू. २२-२३ (ये.पू. २२) (पे.पृ. २३) (पे.पृ. २४). (ये.पू. २४). :भावारिवारणनिवारणदारु पद्य (पे.पू. २४-२५) (पे.पू. २५. २१ । (२१)............. (१०x४.५).. पद्य गाव श्लोक १४ का.३० गा ११ उल्लसिक्कमनक्ख... पद्य कागज वि. १७मी 386 Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार गद्य (५५) प्रतिपूर्ण कागजवि . १७मी ५५ :(१०४४.५) भर्तृहरि प्रतिपूर्ण कागज वि.१०मी १९ (१०x४.५) प्रतिपूर्ण कागज वि.१०मी संपण वाक्यपदीय-टीका हरिवृषभ ७३१२ वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह जीर्ण चतुर्थसमुद्देशपर्यन्त वाक्यपदीय वाक्यपदीय-प्रकाश टीका हेलाराज वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह :जीर्ण अष्टम-नवम समुद्देश वाक्यपदीय भर्तृहरि वाक्यपदीय-प्रकाश टीका लाराज ७३१४ वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासहजीर्ण अगियारथी चौद समुद्देशपर्यन्त वाक्यपदीय भर्तृहरि वाक्यपदीय-प्रकाश टीका चापकसमच्चय परुषोत्तमदेव न्यायग्रन्थ अपूर्ण श्रेष्ठ न्यायग्रन्थ पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य श्लोकवद्ध मध्यम पार्श्वनाथचरित्र भावदेवसूरि प्राकृतलक्षण सारोद्धारवृत्ति अने :जीर्ण टिप्पणीसहित प्राकृतलक्षण प्राकृतलक्षणसारोद्धार-वृत्ति प्राकृतलक्षण-टिप्पण ७३७६. कर्पूरमञ्जरी सट्टक कर्पूरमञ्जरीनाटिका राजशेखर ७३८२... ज्ञानचन्द्रोदयनाटक श्लोकबद्ध १६८४ (१०x४.५० कागज .वि.१५वी १०९ :(१०४३.७) संपूर्ण कागज वि.१५मी प्रति पाणीथी भींजायेली अने शुद्ध छे.. (१२.२४५) सं... १३८ नाभेयाय नमस्तस्मै सर्ग८.८०७४ कागज संपूर्ण वि. १५मी प्रति शुद्ध छे.. (१२.२४५) : वि. १५मी १० प्रति शुद्ध छे.. (१२.२४४.७) अनेक भाषाओ संयक्तप+ ग अष्ट संपण ...वि. १६मी... (१२४५). पद्मसुन्दर ७३८५। षट्कारक-सम्बन्धोद्योत सटीक जीर्ण संपूर्ण कागज ४ (१२४४.५) वि. १६मी 387 Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार गद्य कागजवि .१६मी । (१२४४.५) (पे. पृ.१) :वाडमात्रेण वितेनिवा :पद्य सिद्धो वर्णसमाम्नायः पद्य (पे.पृ.?) टिप्पणी सहित षटकारक :रभसनन्द षटकारक-सम्बन्धउद्योत टीका....... षट्कारक-टिप्पण । पार्श्वनाथस्तवन आदि (2.9) कातन्त्रव्याकरण संधिसूत्रगर्भित विमलाचलस्तोत्र सह अवचूरि : पार्श्वनाथस्तवन (ये.२) कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित विमलाचलस्तोत्र कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्मित विमलाचलस्तोत्र-अवचूरि (पे.३) सर्वजिनस्तव धर्मघोषसरि (पे.४) युष्मदस्मद्गर्मितजिनस्तोत्र ... सोमप्रभसूरि (ये.५) यमकमयजिननमस्कार ... साधु-श्रावकसामाचारी मध्यम साधुश्रावकसामाचारी ।७३९० पुष्पमालाप्रकरण आदि मध्यम (4.9) पुष्पमालाप्रकरण हेमचन्द्रसूरि मलधारी गद्य 2..१) पद्य सस्ताशर्मावृतसुमहि पद्य श्लोक ८ श्रीमन्धर्म श्लोक २ स्तवस्तव जिनकोपि..... :पद्य कागज..............वि. १५मी...५ (प.पू. १). (ये.पू. १).. (१२४४.५.. 1.७३८९ अपूर्ण सं आयारमयं वीरें संपूर्ण प्रा. कागज ......... वि. १५मी :गा.५०५ १३ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल्प (१४) (१२४४.५). (पे.पृ. १३) द्य गा.२७ :चत्तारि सागरोवम.... पद्य.. प.पू. १३.. (१२.२४४.५) श्रेष्ठ संपूर्ण कागज (पे.२) कालचक्रकुलक उपदेशमालाप्रकरणावचूरि उपदेशमालाप्रकरण-अवचूरि सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह ७३९५ ............. संपूर्ण कागज ........... वि. १५मी .. (२६). पद्य सं.प्रा.,मारुगू र्जर संपूर्ण संस्कृत, का.१३.(१२४४.9. विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आकृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे. (११.७४४.५) मध्यम ७३९६ जिराउलापार्श्वनाथस्तुति आदि i/पे.१) जीराउलापार्श्वनाथस्तुति कागज........... वि. १५मी. श्लोक १३. श्रीवामेयं विधुमधु......... श्लोक १३. .............. :श्रीमदगीवोणचक्रप द्य L Z .. ................. स. (पे.......... 388 Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार का.७ जस्स फणिन्दफणोहो... पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृिति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पे.३) पार्श्वनाथस्तवन मन्त्रगर्मित प्रा. (पे.पृ.१) पे.वि. : केटलोगमां भाषा संस्कृत आपी: स्यात्तस्मै नम ॐ पद्य श्लोक ३ कागज ........... वि.१५मी संपूर्ण (प.पू. १) (१२४४.५) ७३९७ श्लोक १५ ग्र.२३... गद्य (पे.४) पार्श्वनाथस्तवन मन्त्रगर्भित धर्मलक्ष्मीमहत्तरास्तुति सावचूरि पञ्चपाठ धर्मलक्ष्मीमहत्तरास्तुति धर्मलक्ष्मीमहत्तरास्तुति-अवचूरि रसवत्यादिनामगर्भितजिनस्तव आदि । श्रेष्ठ (पे.१) जिनस्तोत्र शाकभोज्यादिनामगर्भितम (पे.२) मौनएकादशीकल्याणकस्तवन (पे.३) लौकिकमासकल्याणकस्तवन कागज वि.१५मी (१२४४.५) (प.पृ.१) का.१२ आम्बा रायण शलडी... अपभ्रं. : गा.९ पद्य नेमिजिणराय पणमेवि नमिअ चउवीस जिण भणस (पे.पू. १) (पे.पृ.१) गा.१० पद्य सपूर्ण कागज (२) शुद्धप्रकाशमहिमा (११.५४४.७) (पे.पू. १-२.. (प.प्र.१-२) अपाल श्रीलीलायतनं महीकुल पद्य मध्यम कागज :वि. १५वी (११.७४४.२) ७४०२ चतुस्त्रिशतिकास्तोत्र आदि (पे.) चतुस्त्रिंशतिकास्तोत्र (पे.२) चतुर्विंशतिकास्तोत्र ७४०३ पद्मप्रभजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ व पार्श्वनाथस्तवन (पे.) पदमप्रभजिनस्तुति सह अवचरि पद्मप्रभजिनस्तुति-एकस्वर चित्रबद्ध. पद्मप्रभजिनस्तुति-एकस्वर चित्रबद्धअवचूरि (पे.२) पार्श्वनाथ यमकमय स्तव ७४०४... स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तवन.. (पे. पृ. 9) पे.वि...... का.४ :धरनपतनयमनकमख... : 4. का वरसंवरसंवर... (प.पू. ) (११.७४४.२). श्रेष्ट वि.१५मी : रत्नसिंहसरिशिष्य श्लोक ९ यन्मूर्ति स्वर्गलोके ७४०६ कागज वि. १७मी (१२४४.५) :लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन मध्यम दव्याश्रय सावचूरि आदि (पे.१) लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन जिनप्रभसूरि लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन-अवचुरि सोमतिलकसूरिसं. :श्लोक १७ निस्तीर्णविस्तीर्णभव :/प.प. ? 389 Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य श्लोक १० शुभभावानतः स्तीमि... नम्रनाकिनृपवृन्द.... (प.पू. . (पे.पृ.) श्लोक १० : श्लोक ४ संसाराम्भोधौ कामपद्य :(ये.पृ.) (पे. पृ.) अमरसिहसरि श्लोक ९ भवनिदेनसुरासुर.. : पद्य ७४०७ संपूर्ण कागज वि. १६मी श्लोक-१७००., (१२४४.५) प्रा..सं.,अपभ्रं.: श्लोक २३ गद्य (२२) ७४११ (ये.२) जिनस्तवन (ये.३) महिसाणापुरमण्डनआदिजिनस्तवन प्रातिहार्याष्टकमय (पे.४) आदिनाथस्तुति कामक्रीडा छन्दोबद्ध (पे.५) साधारणजिनस्तवन सह (सं.) अवचूरि साधारणजिनस्तवन साधारणजिनस्तवन-अवचूरि विविधभाषाबद्धजिनस्तवन सावचूरि श्रेष्ठ पञ्चपाठ विविधभाषाबद्धजिनस्तवन :जयचन्द्रसरि विविधभाषाबद्धजिनस्तवन-अवचूरि बलिनरेन्द्रकथाभवभावनास्वोपज्ञवृत्त्यन्तर्गत भवभावनाप्रकरणनी वृत्तिनो हिस्सो- हेमचन्द्रसूरि मलधारी बलिनरेन्द्रकथा एकान्तनित्यानित्यवादभङ्गस्थल ... : मध्यम एकान्त नित्यानित्यवादभड़गस्थल यथाच्छन्दच्छन्दच्छेदकुद्दतिचित्तनिवृति यथाच्छन्दच्छन्दच्छेदकउदृतिचित्तनिर्वृत्ति देवकथा गद्य आदि ............... (पे.१) देवकथा गद्य (पे.२) रत्नशेखरकथा गद्य (ये.३) हंसपादकथा भगवतीसूत्र टिप्पनक श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १५मी (११.७X४.७) गद्य :७४१२ संपूर्ण (१२४४.५). कागज.............वि. १५मी.....३ :प्रत्यादयः ध्रौव्या कागज वि. १५मी १७ . ७४१३ :श्रष्ट संपूर्ण (१२४४.५) ग्रं. १३१० ।७४३३ कागज..............वि. १५१६.... १४...... (१०). गद्य ग्रं.४२० प्रणम्य श्रीमहावीरगद्य .११.५४४.५. (प.पू. 2. (प.पू.) [कृ.वि. : त्रिपाठ] /पे....... (१०.२४४.५) ७४४२ प्रतिपूर्ण कागज वि.१७मी ८६ 390 Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कता गद्य नवमशतकपर्यन्त भगवतीसूत्र-टिप्पनक ७४५०... अन्तकृदशासूत्र अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र ७४५७ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र संपूर्ण | ग्रन्थान-८२५...१०x४.१.... सुधमोस्वामी श्रेष्ठ कागज ग्रं.८९० कागज संपूर्ण ........वि. १६५..... २५... तेणं कालेणं तेणं वि.१९मी नमो अरिहन्ताणं नमो वि. १७मी १४ नमो अरहन्तार्ण नमो गं.२०७९ ७४६० आवकपडावश्यकसूत्र संपूर्ण कागज :७४६१ वि.१७मी (५) श्रावकषडावश्यकसूत्र चित्रलिपिमय आवकषडावश्यकसूत्र श्रावकषडावश्यकसूत्र नमो अरहन्ताणं नमो अपूर्ण प्रा.सं. संपूर्ण प्रा.सं. ७४६२ वि.१७मी नमो अरहन्ताणं नमो ७४६३ : श्रावकषडावश्यकसूत्र संपूर्ण : वि.१६११ :१६ नमो अरहन्ताणं नमो प्रा..सं. .७४६४.. श्रावकषडावश्यकसूत्र संपूर्ण .....वि. १८४१. । (५३)...... श्लोक-२३५०. प्रति शुद्ध छे...(१०x४.५) :अष्टभाषामय.पंचपाठ (१५) (१०.२४४.५) सयुक्त प+ग (१०.२४४.५)... संयक्तप+ग । (१०.२४४.५) ...... संयुक्त प+ग (१७) (१०.५४४.५) संयुक्त प+ग (१८).. (१०.२४४.७). संयुक्त प+ग (१०) (१०.२४४.५) संयुक्त प+ग (१७) (१०.२४४.५) संयुक्त प+ग 198) (१०.२४४.५)..... संयक्त प+ग (१०x४.५). संयुक्त प+ग (२५) : (१०.५४४.५) पद्य नमो अरहन्ताणं नमो :७४६५ श्रावकषडावश्यकसूत्र कागज ....... वि. १७मी :७४६६ आवकपडावश्यकसूत्र ७४६७... आवकषडावश्यकसूत्र अपूर्ण प्रा.सं. ७४६८ । आवकपडावश्यकसूत्र श्रेष्ठ कागज नमो अरहन्ताणं नमो वि. १६६१ . १६ नमो अरहन्ताणं नमो .वि..१६६५..... १६-१(9)=१५. नमो अरहन्ताणं नमो वि. १८मी ६ ............. नमो अरहन्ताणं नमो वि. १५३६ ... २५ वि. ११२२. वि. १४९०....७७. वृ न्दारुवृन्दारक प्रा.सं. संपूर्ण ७४६९ कागज श्लोक १५५० आवकषडावश्यकसूत्र वृत्ति जीर्ण आवकषडावश्यकसूत्र-वृत्ति नमिसाथ ७४७०... आवकषडावश्यकसूत्र वृत्ति बन्दारुवृत्ति : जीर्ण आवकषडावश्यकसूत्र-वन्दारु वृत्ति देवेन्द्रसूरि कागज संपूर्ण सं. (७८).......... गद्य (१०.२४४.५).. मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर? .२७७० 391 Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य ७४७२ मध्यम संपूर्ण कागज ........... वि. १६मी .. (१०.५४४.५) श्रावकषडावश्यकसूत्र अवचूरि श्रावकव्रतभड़गप्रकरण-अवचूरि श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र लघुवृत्ति-वन्दित्ता सं. गय ७४७३ संपूर्ण कागज वि.१६मी (१०.५४४.५) सूत्रवृत्ति ग्रं.२०० गया श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-लघुति...... श्रावकषडावश्यकसुत्र सस्तबक श्रावकषडावश्यकसूत्र तिलकसूरि :श्रेष्ठ कागजवि . १५९९ प्रणिधाय श्रीवीरं : १२ नमो अरहन्ताणं नमो संपूर्ण प्रा.सं. (१०.२४४.५) संयुक्त प+ग ... श्रावकषडावश्यकसत्र-स्तबक मारुगर्जर साधषडावश्यकसत्र वि. १७मी (१०.२४४.५). ७४८९ साधुपाक्षिकअतिचार वि. १८मी.. संपूर्ण प्रा.सं. संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर :12........... (१०x४.५ ७४९० साधुपाक्षिकअतिचार श्रेष्ठ कागज ............ वि. १६९१ ... (३)................ (१०x४.५) जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १६मी (१०.२४४.५) ........... ७४९६ श्रावकपाक्षिकअतिचार श्राविकापाक्षिकअतिचार (पे.9) श्रावकपाक्षिकअतिचार (पे.२) श्राविकापाक्षिक अतिचार ... ७५०१ : पाक्षिकसूत्र अवचूरि पाक्षिकसूत्र-अवचूरि ७५०५ नमो मारुगुर्जर मारुगर्जर (प.पू. १-४ /प.पू. ४.६). प्रति शुद्ध छे.. (१०.५४४.५) श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१६८२ स्तु वर्धमानाय सटीक श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६६१ आदि (4.9) नमो स्तुवर्धमानाय सह (सं.)टीका नमोस्तु वर्धमानाय... नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति....... नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति-टीका ... (पे.२) विशाललोचन सह (सं.)टीका... विशाललोचन वीरस्तुति विशाललोचन वीरस्तुति-टीका, गध Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य संपूर्ण कागजवि . १८९२ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष क्रति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ७५०६ नमोस्तु वर्धमानाय... पद्य नमो स्तु वर्धमानाय सावचूरिक आदि (पे.१) नमो स्तु वर्धमानाय वीरस्तुति सह (सं.)अवचूरि नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति ........... नमोस्तुवर्धमानाय चीरस्तुति-अवचुरि ... (पे.२) विशाललोचन सह (सं.)अवचूरि.. विशाललोचन वीरस्तुति विशाललोचन-अवचुरि ओघनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी (पे.पू.-२) विशाललोचनदलं पद्य गद्य ७५०८ संपूर्ण : वि.१०मी (२९) दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य ग्रन्थान-११६०.प्रति शोधेली छे..(१०.२४४.५) गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. प्रा. गा. ११६३ ग्रं. । १४३२ कागज श्रेष्ठ सपूर्ण वि.१४६३ ४१ (89) 1७५०९ । आवश्यकसूत्रनियुक्ति आवश्यकसूत्र-नियुक्ति ग्रन्थान-३३००., (१०.५४४.५) आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. भद्रबाहुस्वामी : पद्य :गा. २५०० ग्रं. 3900 जयइ जगजीवजोणी :वियाणओ संपूर्ण कागज वि. १०मी ५23 जीर्ण सुधर्मास्वामी ५२३ ग्रन्थान-२२५००., (१०x४.७) । (५२३) सयुक्त प+ग आवश्यकसूत्र हारिभद्रीया वृत्तिसहित आवश्यकसूत्र आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति दशकालिकसूत्र......... हरिभद्रसरि : प्रा. ग्र.२२००० प्रणिपत्य जिनवरेन गद्य :संपणं कागज :श्रेष्ठ शय्यम्भवसरि वि. १७मी... (२४).. संयुक्त प+ग ...: पत्र १८-१९ भेगां छे...(१०x४.५), : ग्र.७०० धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ ७५१७..दशकालिकसूत्र.. श्रेष्ठ संपर्ण कागज वि. १३010 (१५) १०.२४४.५ शय्यम्भवसरि गं (900 ७५१८ दशवैकालिकसूत्र संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०.२४४.५) गं.७०० ७५१९... दशवैकालिकसूत्र . कागज वि.१७मी धम्मो मङगलमुक्किट्ठ : संयुक्त प+ग (२१) धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ: संयुक्त प+ग ..३५. (३५).. धम्मो मङगलमुक्किट्ठसंयुक्त प+ग (२२) धम्मो मङगलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग १०.२X४.५ ग्र.७०० संपणं कागज वि.१६५७ .३१ १०.५४४.५ ७५२४ दशवैकालिकसूत्र टिप्पणीसहित दशवैकालिकसूत्र 1900 393 Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति प्रकार गद्य (१०) ७५२५ मध्यम संपूर्ण कागज । वि. १८मी :(९४४.२) दशवकालिकसूत्र-टिप्पण दशवैकालिकसूत्र पिण्डैषणाध्ययनपर्यन्त दशवकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र सटीक त्रिपाठ... दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-लघुवृत्ति शय्यम्भवसूरि गं.७०० ७५२६ अष्ट कागज वि.१७३८ (१०.२४४.५). धम्मा मङगलमुक्किठ सयुक्त प+ग ३९. (४०) धम्मो मङगलमुक्कि संयुक्त प+ग जयति विजितान्यतेजाः गद्य गं.900 :शय्यम्भवसूरि सुमतिसूरि ग्र.२६५० वि. १२२० हारिभद्री बृहद्वृत्तिना मूल सूत्र व्याख्याभागनो उद्धार. ..१०.२४४.५.... मध्यम कागज वि.१४९२ (२६), संयक्त प+ग शव्यम्भवसार ग्रं.७०० धम्मो मङगलमक्किटठ सुमतिटीकानुसारिणी. कागज .........वि. १७मी. :(9ox४.५) :५९ धम्मो मङगलमुक्किट्ठ शय्यम्भवसार ग्रं.७०० ७५२७. दशवकालिकसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ..... दशबैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-अवचूरि ७५२८ दशवैकालिकसूत्र बालवबोधसहित ... श्रेष्ठ दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-बालावबोध ७५२९ दशवैकालिकसूत्र बालावबोधसहित : मध्यम पिण्डैषणाध्ययनपर्यन्त दशबैकालिकसूत्र.. शय्यम्भवसूरि दशवैकालिकसूत्र-बालावबोध दशवैकालिकावचूरि जीणं (पे.9) दशकालिकसूत्र-अवचूरि (पे.२) पाक्षिकसूत्र-चूर्णी गद्य (६०) संयुक्त प+ग गद्य (४८) मारुगूर्जर संपूर्ण कागज वि. १६मी पत्र मुंत्रण छे., (१०.२४४.५) प्रा. ग्रं.७०० धम्मो मङगलमुक्किट्ठ मारुगुर्जर संयुक्त प+ग गद्य (३५) ७५३२ संपूर्ण :कागज .......... वि. १६मी..... ३५.... प्रा.,सं. ग्रं. ४१५ नित्यं विशुद्धमनसो गद्य (ये.३) सङ्ग्रहणीप्रकरण-अवचूरि ग्र.७०० गद्य (१०.२४४.५) (प.पू...१-११). [क.वि. : सुमतिटीकानुसारिणी, (प.५.११-१७) कृ.वि.. यशोभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारणी.] (पे.पृ. १७-२३) [कृ.वि. देवभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारिणी.] (प.पू.२३.३४. (ये.पू... (१०.२४४.५). (ये.४) उपदेशमालाप्रकरण-अवचूरि (पे.५) लोकनालिकाद्वात्रिंशिका-अवचूरि ७६५९ कर्मग्रन्थषट्कावचूर्णि कर्मग्रन्थषटक-अवचरि ७६६३ । आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण श्रेष्ठ कागज (३२) गणरत्नसरि ग्र.३१०० वि. १४६६.. वि. १४५९. वि. १७मी 394 जीर्ण कागज ६ (१०.२४४.५ Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाकर क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कता भाषा कति प्रकार गा.८६ निच्छिन्नमोहपास पद्य गाथा १०४ सुधी मळे छे. सपूर्ण पद्य .... प्रा कागज..............वि. १६मी.....६ :(१०.५४४.५) पडिमा मिच्छा कोडी . (पे.पू.? गा.७७ (प.पू.) दसणसुद्धिपयासं ....... पद्य.............. ..(पे...?... कागज वि. १६मी (१०.२४४.५) पद्य गा.७० षडशीतिप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ .. आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन जिनवल्लभ चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति-अवचूरि. विचारसप्ततिकाप्रकरण आदि.......... (पे.५) विचारसप्ततिकाप्रकरण.....महेन्द्रसिंह सूरि (पे.२) वनस्पतिसप्ततिकाप्रकरण मुनिचन्द्रसूरि (पे.३) दर्शनसप्ततिकाप्रकरण हरिभद्रसूरि लोकनालिकाद्वात्रिंशिकाप्रकरण मध्यम अवचूरि पञ्चपाठ लोकनालिकाद्वात्रिशिका .. लोकनालिकाद्वात्रिंशिका-अवचूरि चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रयावचूर्णि : मध्यम चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय-अवचूरि सोमसुन्दरसूरि विकृतिनिर्विकृतिचतुर्विशतिका आदि . श्रेष्ठ (पे.9) विकृतिनिर्विकृतिचतुर्विंशतिका ... सिद्धसेनसूरि (पे.२) कल्प्याकल्प्यविचारचतुर्विंशतिका सिद्धसेनसूरि पञ्चसंसार Gિ૬૮૬ संपूर्ण गा.३२ अहीपणमित्तु सुरिन्द संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०.२४४.५) संपूर्ण ...........वि..१८मी... श्रेष्ठ वि.१७मी उभय गाथा-५०..(९.५४४.२.... (प.पू. १-२) (पे.पू. १-२)............... (१०.५४४.५) आमां पुद्गलपरावर्तनुं स्वरूप वर्णवेलुं छे. ग्रन्थ दिगम्बराचार्यकृत अथवा दिगम्बराचार्य कृत ग्रन्थमाथी उद्धृत लागे छे. .१०.२४४.५).. बन्ने का नाम अलग-अलग मळे छे? खरा कर्ता कोण? गाथा-१६६. ग्रन्थान-२४०..(१०x४.५) बन्ने का नाम अलग-अलग मळे छे? खरा कर्ता कोण? गाथा-२५...(१०.५४४.५.. ७७५३तास्वादशिक्षाप्रकरण सपण कागज वि. sax प्रा लोक १६८ सहजकुशल, सकलचन्द्र ७७५४ :श्रुतास्वादशिक्षाप्रकरण श्रेष्ठ संपूर्ण :कागज 4D श्लोक १६८ सहजकुशल, सकलचन्द्र :७७५५.. नवकारफलप्रकरण श्रेष्ठ संपूर्ण.........कागज. .............वि. १६मी.....१ 395 Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ७७७८ ७७७९ ७७८० ७७८१ ७७८२ ७७८३ ७७८४ ७७८५ ७७८६ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम नवकारफलकुलक दान- शील-तप-भावनाकुलकचतुष्क दानशीलतपभावनाकूलक चतुष्टय दान- शील-तप-भावनाकुलचतुष्क दानशीलतपभावनाकुलक चतुष्टय नवकार कुलक आदि (पे. १) नवकारकुलक (पे. २) दानशीलतपभावनाकुलक चतुष्टय दानकुलक आदि (पे. 9) दानकुलक (पे. २) ईर्यापथिकी कुलक मिथ्यात्वकुलक बालवबोधसहित पञ्चपाठ मिथ्यात्वकुलक मिथ्यात्वकुलक-बालावबोध मिथ्यात्वस्थानाविवरणकुलक सावचूरिक पञ्चपाठ मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक- अवचूरि संविज्ञसाधुयोग्यनियमकुलक विधवाकुलक विधवामहिलासामाचारीप्रकरण विधवाकुलक - विधवामहिलासामाचारी प्रकरण अष्टप्रवचनमातृकुलक स्थिति कर्ता मध्यम देवेन्द्रसूरि मध्यम देवेन्द्रसूरि मध्यम देवेन्द्रसूरि श्रेष्ठ देवेन्द्रसरि मध्यम मध्यम मध्यम सोमसुन्दरसूरि मध्यम श्रेष्ठ पूर्णता भाषा प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. मारुगूर्जर संपूर्ण प्रा. सं. पूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष परिमाण गा. ३३ कागज गा. ८१. कागज गा. ८१. कागज गा. २० गा. ८१ कागज गा. २० गा. १३ कागज गा. २५ कागज गा. ४४ कागज गा. ४५ कागज गा. २२ कागज गा. २८ वि. १७मी वि.१७मी वि. १७मी वि.१६मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १६मी वि. १७मी 396 आदिवाक्य क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पणमेवि पाय परमेसराण पद्य ३ (४) पद्य (4) पद्य ४ घणघायकम्ममुक्का अरहन ४ नमिउण महियमोहं. १ १ (६) पद्य पद्य བླ ཟླ བཿ བླབཿཟླ བླ ༧ ཟླ བླསྱཱ བླ བླ प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष हस्तप्रतोमां गाथा २३ थी ३३ सुधी मळे छे. ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) (१०x४.२) (पे.पृ. १-५) (पे.पू. १-५) (१०-२४४.५) (पे.पू. 2).. (पे.पू. ?). (१०४४. २) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.२) ( १०-२४४.२) नारंगपुर मण्डन (१०४४.५) Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कता ७७८७ मोहकुलक श्रेष्ठ संपूर्ण (१०x४.५) (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज .... वि. १६मी २ गा.३४ ............ कागज ....वि. १८मी.....२.. गा.२० कागज ........ वि.१७मी १ गा.२.. ...गौतमकुलक श्रेष्ठ (१०.२४४.५) ७७८९ संपूर्ण गा.१२ गौतमकुलक आदि (पे.१) गीतमकुलक (पे.२) चत्तारिअगाथाविवरणकुलक (पे.३) नवचउवीसकुलक प्रत्याख्यानफलकुलक (पे.) (पे.२) सामायिकपोषधफलकुलक क्षामणककुलक आदि (पे.१) क्षामणककुलक कागज (१०.२४४.२) (4.9.9) (पे.पृ. १)... (प.पू.).... (१०.२४४.२) (पे.पू. १) (प.पू.१) (१०.२४४.५). (प.पृ.१) गा.७ विजयदानसरिशिष्य धर्मघोषसुरि मध्यम गा.१६ FREE कागज......... गा,४० जो कोइ मए जीवो पद्य (पं.२) द्वादशभावनाकुलक :सोमसरि :गा.१२ मण मक्कड निअ मण (पे.पृ. १) सडक ७७९२ गर्भकुलक मध्यम संपूर्ण कागज १०.२४४.२) गा.२२ ७७९३:प्रमादपरिहारकुलक श्रेष्ठ संपूर्ण : कागज वि.१०मी २ गाथा-३३., (१०.२४४.५) गा.३१ संपूर्ण कागज गा.२५ धम्मावगहदाणं दिज्ज दानविधिकुलक सावचूरि पञ्चपाठ......: मध्यम दानविधिकुलक दानविधिकुलक-अवचुरि ७७९५... ईर्यापथिकीकुलक CEOFREECECES संपूर्ण कागज : वि.१७मी (१०.२४४.५) संपूर्ण वि.१८मी ७७९६. देहस्वरूपकुलक देहस्वरुपकुलक. ७७९७ : संवेगकुलक-अन्नायउञ्छकुलक आदि गा. १३ कागज .गा.२३ कागज (१०.२४४.२) गर्भवासनो अधिकार. :(१०x४.२) मध्यम संपूर्ण वि. १७मी ४ 397 Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रा. पद्य गा.२८ गा. १३ पय मारुगूर्जर पद्य कमध्यम कागज वि. १0मी (२) धनपाल गा.२२ पद्य जत्थ पुरे जिणभवणं निसाविरामे परिभावयाम (प.पू. . (पे.पू. ) पे.वि. : गाथा-१२. (प.पू.? (१०,२४४.२) (प.पू.? (पे.पू......वि... गाथा-२२. (१०.२४४.५) (पे.पू. १)....... (पे.पृ. १) गा.२१ पद्य मध्यम कागज वि.१६.मी गा.५० पणमिय बीयरायं... पद्य पद्य :गा.१० गा १४ (ये.१) अन्नायउञ्छकुलक (पे.२) ईर्यापथिकीकुलक (पे.३) समवसरणविचारस्तव ........ सोमसन्दरसरि-शिष्य श्रावकविधिप्रकरण तथा भावनाकुलक (2.9) श्रावकविधिप्रकरण (पे.२) श्रावकधर्मकुलक विषयनिन्दापञ्चाशिका आदि (ये.) विषयनिन्दापञ्चाशत् (मे.२) विधवाकुलकविधवामहिलासामाचारी प्रकरण (पे.३) संवेगगाथा दानपट्त्रिशिका सावचूरि त्रिपाठ... जीर्ण दानषट्त्रिाशिका राजशेखरसूरि दानषद्विशिका-अवचूरि ७८०१ मिथ्यात्वसप्ततिकाप्रकरण :श्रेष्ठ : देवेन्द्रसूरि ७८१९ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण हरिभद्रसूरि दर्शनसप्ततिकाप्रकरण-अवचूरि ७८४२ पञ्चविधदानधर्मविचार संपूर्ण (प.पू.22. (१०.२४४.५). कागज.......... वि. १६मी.. का.३६ संपूर्ण कागज .........वि. १८मी (१०.५४४.२) गा.७४ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी मूलगाथा-७१. प्रति शुद्ध छे., (१०.५४४.५) गा.७० दंसणसदिपयासं पद्य ग्रं.३५७ गद्य मध्यम कागज .: वि.१७मी (३... (१०.२४४.५.... अमरसिंह भावसङ्ग्रहसूत्र सटीक कागज..... वि. १७मी (१०.२४४.५). भावसङग्रहसत्र भावसनहसूत्र-टीका प्रकीर्णकश्लोक आदि (4.9) प्रकीर्ण श्लोक (ये.२) योगकल्पद्रुम कागज .........वि. १५मी ६) । (१०.५४४.५) पध :श्लोक ६४ ....... अर्हन्मुनिन्दुर्लोके .. : पद्य (पे.पू. ३ 398 Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पे.३) योगसार सं. श्लोक २०६ पद्य (पे.पृ.३-५) पे.वि. : गाथा-२०४. [कृ.वि. सकलसुखनिवहदानाय. (९.७४४.२) ..... संपूर्ण वि. १८मी यशोविजयजी गणिसं अध्याय ३२ ऐन्द्रश्रीसुखमग्नेन :३२ अष्टक. ७८६३ : ज्ञानसार टिप्पणीसहित ज्ञानसार अष्टक ज्ञानसार अष्टक-टिप्पण शिक्षाशतकप्रकरण शिक्षाशतक शाम्बपञ्चाशिका सटीक जीण संपूर्ण कागज (१०.२४४.५) वि.१५४१४ वि. १६मी केवल अप्पसरूवं गा, १०० संपूर्ण कागज ..वि. १६मी.... शाम्बपञ्चाशिका शाम्ब साध श्लोक ५३ ७८९२ PA कागज वि.१६मी (१०.५४४.५) धर्मदास गणि गा.५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. संपूर्ण कागज वि. १७मी गाथा-२५.,(१०.२४४.५) शाम्बपञ्चाशिका-टीका उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि जीर्ण किञ्चिदपूर्ण उपदेशमाला उपदेशमालाप्रकरण-अवचूरि उपदेशरत्नकोश-उपदेशरत्नमाला मध्यम सावचूरि पञ्चपाठ. उपदेशरत्नकोष .. जिनेश्वरसूरि उपदेशरलकोष-अवचूरि ७९३० श्राद्धविधिविनिश्चय-अञ्चलमतसदुत्तर मध्यम वीजकसहित आद्धविधिविनिश्चय-अञ्चलमतसद्उत्तर हर्षभूषण, ७९३१ वासोन्तिकवितण्डाविडम्बनाप्रकरण मध्यम गा.२६ उवएसरयणकोसं नासिय संपूर्ण कागज वि. १६मी (१०.२४४.५) ग्रं. १२८३............वि. १४८०.. वि. १७मी । संपूर्ण कागज (१०.२४४.५) गुणरत्नसूरि साध-श्रावकसामाचारी संपर्ण : वि. १६२५...:१६ आयारमयं वीर प्रति शुद्ध छे...(१०:२४४.५).. साधावकसामाचारी प्रा.सं विनयभुजङ्गमयूरी मध्यम :सपण - वि. १७मी (१०x४.५) अमृतसागर गणि श्रेष्ठ संपण वि. १६मी (१०.२४४.२) सङ्घपट्टकप्रकरण तथा आत्मनिन्दाष्टक 399 Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य ग्र.७५ श्लोक १० पद्य (प.पू. १-२). (पे.पू. १-२). (१०:२४४.२ (ये.१) सङ्घपट्टक ........... जिनवल्लभ (ये.२) आत्मनिन्दाष्टक ७९४६ . द्विजवदनचपेटा-वेदाङ्कुश ...... हरिभद्रसूरि ७९४८ श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण आदि श्रेष्ठ (पे.१) श्रावकसामाचारीप्रकरण तिलकसूरि मध्यम कागज..............वि. १६मी.. .३......... (१०) ... कागजवि . १६०० :गा.३८ सिरिवीरजिणं नमिउं पद्य । (१०.२४४.५) (पे.पृ. १) पे.वि. : गाथा-२०. [कृ.वि.. प्रायश्चित्त] (प.पृ. ३-१३) (ये.२) श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण गद्य व्याख्या (पे. पृ. ३-१३). भुवनरत्नाचार्य मध्यम संपूर्ण कागज ..९:५४४................... (पे.३) आलोचनादान टिप्पणक आलोचनाविधि-टिप्पण :७९४९ आलोचना प्रकीर्णक आलोचनाप्रकीर्णक सिद्धसेनसूरि ७९५० व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चित्तधिकार... : मध्यम व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चिताधिकार ७९५१ : सर्वविरतिप्रायश्चितसक्षेप : माध्यम वि. १८मी. गा. १२२ कागज ........... वि. १७मी .. संपूर्ण (१०x४.५).. उद्देशक-१०... (१०-२४४.५)... कागज ......... वि. १६मी.. संपूर्ण सं. संपूर्ण जीर्ण कागज : वि.१७मी श्रीचन्द्रसूरिसामाचारीगत.. (१०.५४४.५) ७९५२ श्रावकसामाचारीप्रकरण तथा योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि सावचूरि त्रिपाठ (2.9) श्रावकसामाचारीप्रकरण .........तिलकसूरि (पे.२) योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि तिलकसरि योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि-अवचूरि ७९५३. सामाचारी-यतिदिनचर्या :सिरिवीरजिणं नमिउं. (ये.पू. १-३).कृ.वि. : प्रायश्चित्त]... !(मे.पू. १-३) कृ.वि. : श्रीचन्द्रसूरि सामाचारीगत] गा.3 पद्य गध श्रेष्ठ .१०.२४४.५) देवसरि गा.३९२ ७९५४ प्राशुकपानीयषट्त्रिंशिकाप्रकरण .. श्रेष्ठ :कागज (१०.२४४.२. ७९५५ नीरविचार सिद्धान्तोद्धत जीण संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०.२४४.५) 400 Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष क्रति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य संपूर्ण कागज ....... वि. १७मी .. मारुगूर्जर संपूर्ण कागज वि. १६मी कर्ता ७९६९ । पार्श्वचन्द्रने पूछेला बोलो.............. मध्यम (६).........---- (१०.२४४.५) (१४) (१०.५४४.५) ७९८७ त्रिदशतरङ्गिणी-तपागच्छगुर्वावली मध्यम टिप्पणीसहित त्रिदशतरडिगणी-तपागच्छगुर्वावली....... मुनिचन्द्रसूरि. ६७९८८ त्रिदशतरङ्गिणी-तपागच्छगुर्वावली. श्रेष्ठ मुनिचन्द्रसूरि ६.७९९५... पूर्वाचार्यप्रवन्धसङ्ग्रह. कागज १३ : संपूर्ण सं (१०.२४४.५) वि. १४६६... वि. १४८६ वि. १४६६ वि. १७मी.... मध्यम संपूर्ण .काग (१०.५४४.२... वर्धमानसूरि१, जिनेश्वरसूरिर, अभयदेवसूरि२, अभयदेवसृरि३, जिनवल्लभसूरि४, जिनदत्तसूरि५, जिनचन्द्रसूरि६, जिनपतिसूरिख, जिनेश्वरसूरि८, जिनसिंहसूरि९ अने जिनप्रभसूरि १० ना प्रबन्धों :७९९८.. आसराजादिप्रबन्ध संपूर्ण.......... कागज............. वि. १८मी.....७. रविवर्धन (१०४४.५.............. पं.रविवर्धन लिखित कपर्दियक्ष१, आसराजर, भर्तृहरि३, मानतुंगसूरि४, अभयदेवसूरि५, मोरनाग६, अम्बिका, नागार्जुन८, सांतुए, वसाह१०, आभङ११, यशोवर्मनृप१२, सिद्धर्षि१३, माघपण्डित१४, वादिदेवसूरि१५ अने जिनप्रभसूरि १६ना प्रवन्धो छे. (१०.२४४.५).. ८००२. कीर्तिकल्लोलिनी-विजयसेनसूरिचरित्र श्रेष्ठ :संपण ....वि. १७मी......११. हेमविजय ८००३ नेमिप्रतिमोत्पत्ति मध्यम संपूर्ण :वि. १७मी (४)...............: (१०.५४४.५) जीर्ण :संपणे कागज (१४).... (१०.५४४.५) ८००४ कर्मचन्द्रवंशप्रवन्ध गणविनय ८००५.. चतुर्विशतिप्रवन्ध-प्रबन्धचिन्तामणि .... :जीर्ण चतुर्विशतिप्रबन्ध : मेरुतुड़गसूरि 1८००६ सोमसौभाग्यकाव्य-.............. श्रेष्ठ मारुगुर्जर संपूर्ण वि. १७मी : वि. १६५५ ........वि. १७मी.....८४........ कागज (५...................(१०.२४४.५), संपणं कागज ........... वि. १७मी..... ५०................ । (५१)..........(१०x४.५) 401 Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार पद्य सं. संपूर्ण जीर्ण वि.१५२४ कागज..............वि. १७मी (२२.)................(९:४४.५) कागज वि. १८मी : (१०x४.२) सोमसुन्दरसूरिचरित्र सोमसौभाग्यकाव्य श्लोकबद्ध प्रतिष्ठासोम बप्पभट्टिकारितामराजयात्राप्रवन्ध ... आमराजयात्राप्रबन्ध बप्पभटसूरि ८००८ मेघदूतसमस्यालेख-मेधदूतपादपूर्तिरूप : मध्यम विजयप्रभसूरिविज्ञप्तिका मेघदूतसमस्यालेख-मेघदूतपादपूर्ति मेघविजय रूपविजयप्रभसूरिविज्ञप्तिका ८००९ विजयप्रभसूरिविज्ञप्तिलेख श्रेष्ठ विनयविजय ८०१०महादण्डकछन्दोबद्ध विज्ञप्तिलेख मध्यम ३९९६ वर्णात्मक श्लोक १३१ पद्य कागज .............वि. १८मी..... ...............(१०x४.५....... संपूर्ण कागज वि. १६५९ प्रति पाणीथी भीजायेली छे..(१०x४.५) संपूर्ण कागज वि.१७मी (९) (९.५४४.५) :८०११ सेवालेखकाव्य-विजयप्रभसूरि प्रत्येलखेलो लेख सेवालेखकाव्य-विजयप्रभसूरिप्रत्ये लखेलो लेख 1८०१२। विनयवर्धनलिखितपत्र श्लोक १९० पद्य संपर्ण कागज वि. १७०२ जीर्ण विनयवर्धन ९.५४४.२) मध्यम संपूर्ण कागजवि . १८मी (९.७४४.५) (प.पू. १). ८०१३ :महासतीलेखपद्धति तथा श्राविकालेखपद्धति (पे.१) महासतीलेखपद्धति (पे.२) श्राविकालेखपद्धति ८०१८ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्टपर्व परिशिष्टपर्व ये..१) जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १४९ :७२ प्रति शुद्ध छे..(१०.५४४.७) हेमचन्द्रसूरि श्रीमते वीरनाथाय :पद्य : सर्ग १३ श्लोक ३५०० कागज श्लोक ४२७८ ८०१९ आदिनाथचरित्रमहाकाव्य जीर्ण विनयचन्द्रसरि संपूर्ण वि.१६४४ १०७ (७२) .. 1170.२४.०) .( पद्य 402 Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ८०५७ ८०७४ ८०७६ ८०७७ ८०७९ ८०८० ८१२० ८१२३ ८१२५ ८१२६ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम शुकराजनृपकथा गद्य शुकराजनृपकथा-गद्य उत्तमराजचरित्रकथा गद्यवस्त्रदानोपरि उत्तमराजचरित्रकथा गय हरिश्चन्द्रराजकथानक पद्यपार्श्वनाथचरित्रान्तर्गत हनुमानविद्याधरराजर्षिचरित्र-पद्य लघुकथासङ्ग्रह स्थिति कर्ता कथासङ्ग्रह श्लोकबद्ध कथासङ्ग्रह - श्लोकबद्ध कथासङ्ग्रह गद्य-पद्य कथासङ्ग्रह गद्य पद्य मध्यम पार्श्वनाथ चरित्रमहाकाव्य श्लोकबद्ध नो भावदेवसूरि हिस्सो हरिश्चन्द्रराजकथानक कथासङ्ग्रह गद्य-पद्य माणिक्यसुन्दरसूरि कुसुमसारकथा गद्य तथा अशोकदत्तकथा गद्य (पे. १) कुसुमसारकथा तपविषये (पे. २) अशोकदत्तकथा-गद्य तेजसारनरेन्द्रकथा गद्य दीपकपूजा फलविषये तेजसारनरेन्द्रकथा - गद्य दीपकपूजाफलविषये अञ्जनासती हनुमद्विद्याधरराजर्षिचरित्र मध्यम पद्य अञ्जनासती श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ मध्यम श्रेष्ठ श्रेष्ठ मध्यम पूर्णता भाषा संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं.प्रा. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार आदिवाक्य परिमाण कागज ग्रं. ५०० कागज कागज कागज कागज ग्रं. ५०० कागज श्लोक ३०९ कागज कागज कागज कागज रचना वर्ष वि. १७मी वि. १७मी वि. १६मी वि. १४१२ वि. १५७३ वि. १७मी वि. १७मी वि.१७मी वि. १६मी वि. १५२० वि. १६मी 403 १४ १३ ८ ९ ११ ११ १ २१ ११ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (99) गद्य (90) गद्य (९) पद्य (<) गद्य (ट) गद्य (8) पय पद्य (२२) संयुक्त प+ग (२१) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (१०४४.२) (१०४४.२) वस्त्रदान उपर कथा. (१०.५४४.५) ( १०.५४४.५) (पे. पृ. 2) (कृ.वि. तपविषये (पे.पू. ?) ( १०.५४४.५) (१०.५४४.७) ( १०.२x४.२) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) आ संग्रहमां वल्लभईप्रबन्ध, मदनवर्मप्रबन्ध वगेरे ऐतिहासिक प्रबन्धो पण छे. भाषा-संस्कृत. (१०.२x४.५) Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार संयुक्त प+ग आदिवाक्य कथासङ्ग्रह गद्य पद्य सं.प्रा. आ संग्रहमा वल्लभईप्रबन्ध, मदनवर्मप्रबन्ध वगेरे ऐतिहासिक प्रबन्धो पण छे. (१०.५४४.५) ८१२७ कथासङ्ग्रह गाथावद्ध मध्यम संपूर्ण ....वि. १६मी २० (२१) प्रा. पच 1.८१२९... दानादिफलविषयक विविधकथासङग्रह श्रेष्ठ, संपूर्ण .....वि. १६मी.... (१०.२४४.५). ८१३० रात्रिभोजनादिविषयककथासङ्ग्रह गद्य मध्यम कागज ........... वि. १५मी... ..............(१०.२४४.५) रात्रिभोजनादिविषयककथासङ्ग्रह - सं.प्रा. गद्य ८१३१ प्रकीर्णकथाओ मध्यम संपूर्ण ...वि. १६मी. (२) (१०.२४४.२) संपूर्ण..... :कागज वि. १७मी (१४) /१०.२४४.५) सं. गद्य अपूर्ण वि. १६मी १७-११(१ थी ११)-६ ग्रन्थान-४००..(१०.५४४.५) संपूर्ण कागज वि.१६मी (२) (१०.५४४.५) प्रकीर्णक कथाओ ८१३२ वसति-शयनादिविषयककथासङ्ग्रह : मध्यम कथासङ्ग्रह वसतिशयनासनादिविषयक गद्य ८१३३ वसहिसयणासण गाथासम्बद्धकथासङ्ग्रह कथासङ्ग्रह वसतिशयनासनादिविषयक गद्य ८१३४ अष्टप्रवचनमाताविषयककथासङ्ग्रह मध्यम गद्य । अष्टप्रवचनमाताविषयककथासङ्ग्रह ... ८१३५ सुदर्शनष्ठिकथादिकथाओ :मध्यम सुदर्शनष्ठिकथादि कथाओ ८१३६ जिनपूजासम्बद्धउपदेशसप्तक पद्य मध्यम जिनपूजासम्बन्धउपदेशसप्तक पद्य ८१३७ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकगत त्रिषष्टिध्यानकथानकसङ्ग्रह त्रिषष्टिध्यानकथानकप्रकरण ८१३९ । सिद्धान्तालापकादि संपूर्ण :कागज वि. १७मी 10 (१०x४.५ कागज ........... वि. १७मी .... ................(१०.२४४.२... संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०.२४४.२) गा.३७ :नमिऊण जिणं वीरं ५ : पद्य (५) कागज वि. १६मी (१०.२४४.२) 404 Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ८१४२ ८१७२ ८१७५ ८१७६ ८१९८ ८१९९ ८२०० ८२०६ ८२१० ८२१२ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम सिद्धान्तगत लेखादिस्वरूप आदि (पे. १) सिद्धान्तगत लेखादिस्वरूप (पे. २) सिद्धान्तगतअनेककथासङ्ग्रह नवनिष्पन्न जिनबिम्बप्रतिष्ठादिविधि पुण्डरीकपूजाविधि उपधानविधिस्तवन जिनपञ्चकल्याणकस्तवपञ्चक साधारणजिनस्तव सावचूरि त्रिपाठ देवाः प्रभोस्तोत्र देवाः प्रभोस्तोत्र - अवचूरि साधारणजिनस्तव सावचूरि पञ्चपाठ देवाः प्रभोस्तोत्र देवाः प्रभोस्तोत्र - अवचूरि उपसर्गहरस्तोत्र पादपूर्तिस्तवन आदि (पे. १) उपसर्गहरस्तोत्र पादपूर्तिस्तवन (पे. २) पार्श्वनाथलघुस्तवन मन्त्रौषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तव सावचूरि पञ्चपाठ मन्त्रौषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तवन मन्त्रीषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तव - अवचूरि जैनसिद्धान्तस्तवावचूर्णि जैनागमस्तव टीका स्थिति कर्ता मध्यम जीर्ण जीर्ण श्रेष्ठ उत्तमचन्द्र मध्यम सोमसुन्दरसूरि श्रेष्ठ जयानन्दसूरि वार्षि मध्यम जयानन्दसूरि वार्षि मध्यम जिनचन्द्रसूरि श्रेष्ठ श्रेष्ठ विशालराजशिष्य पूर्णता भाषा प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. प्रा. सं. संपूर्ण संपूर्ण संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. सं. संपूर्ण अपभ्रं सं. संपूर्ण सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष परिमाण कागज कागज कागज कागज कागज कागज का. ९ कागज का. ९ कागज गा. २२ गा. ७ कागज श्लोक ३७ कागज वि. १७मी वि. १६मी वि. १७मी वि. १७४० वि. १७११ वि. १६मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १६५५ वि. १८मी वि. १७मी 405 आदिवाक्य २५ ५ १ ३ २ ३. देवाः प्रभो.. १ देवाः प्रभो. 19 ~ २ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (२५) (3) (8) (8) पद्य (3) (8) पद्य गद्य (२.). पद्य गद्य (2) पद्य पद्य (2) पद्य गद्य (8) गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( १०.२४४.५) (पे.पू. १-२५) (पे.पू. १-२५) ( १०.२४४.५) ( १०.२x४.२) स्तवनका पोताना हाथे लखेली प्रति., (९ ७४४.५) ( १०.२४४.२) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) (१०४४.५) (पे. पृ. १) (कृ.वि. पार्श्वनाथ लघुस्तवन समसंस्कृत-प्राकृत भाषामा छे.] (पे. पू. १) ( १०.२४४.२ ) ( १०.२४४.५) H Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ८२१८ ८२१९ ८२२० ८२२१ ८२२२ ८२२३ ८२२६ ८२२७ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम चन्द्रप्रभजिनस्तुति आदि (पे. १) चन्द्रप्रभजिनस्तृति (पे. २) आदिनाथजिनस्तुति चर्चरीस्तुति वृत्तिसहित चर्चरीप्रकरण चर्चरीप्रकरण- टीका अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय आदि का (पे. १) अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय (पे. २) सर्वज्ञदेवसहस्रनामस्तोत्र पार्श्वनाथ अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र पार्श्वनाथ अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र अष्टोत्तरशतनामगर्मितमहावीरद्वात्रिंशि मध्यम अष्टोत्तरशतनामगर्भित महावीरद्वात्रिंशिका भोज्यनामगर्भित शान्तिनाथस्तवन सारङ्गशब्दषष्टिअर्थगर्भितवीरस्तवन आदि (पे.१) सारङ्गशब्दषष्टिअर्थगर्मितवीरस्तवन (पे.२) एकस्वरचित्रगर्भितसुविधिजिनस्तवन (पे.३) स्थापनाकल्प - लघु आदिजिन शान्तिनाथ - नेमिनाथपार्श्वनाथ माहावीरजिनपञ्चकषड्भाषामयस्तवन स्थिति कर्ता जीर्ण ञ्चक आदि (पे. १) आदिनाथ, शान्तिनाथ, विद्याचन्द्र मध्यम जिनदत्तसूरि जिनपाल श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ रवि श्रेष्ठ गुणविजय गुणविजय श्रेष्ठ पूर्णता भाषा संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण अपभ्रं पूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. सं. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रा. सं., अपभ्रं. परिमाण कागज श्लोक ४ श्लोक ४ कागज गा. ४७ कागज श्लोक १११ श्लोक १२८ कागज श्लोक ३२ कागज श्लोक ३२ कागज श्लोक २० कागज का. १९ का. ८ कागज का. ३० रचना वर्ष वि.१७मी वि. १४९९ वि. १२९४ वि. १५मी वि. १७मी वि. १८मी वि.१८मी वि.१७मी वि. १७मी 406 आदिवाक्य १ १० २ १ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (2) पद्य पद्य (90) पद्य गद्य (४) पद्य पद्य i (2) पद्य (२) पद्य (२) पद्य (२) पद्य पद्य (2) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (१०४४.५) (पे.पू. १) (पे.पू. १) ( १०.२४४.२) ( १०.५४४. २) (पे.पू. १-३) (पे.पू. १-३). प्रति उंदरे करडेली छे. (१०x४.५) ( १०.२४४.५) (१०४४. ५) (१०४४.२) (पे.पू. १) (पे.पृ. १) (पे.पृ. १). ( १०.२४४.२ ) (पे. पृ. १-२ ) ( कृ. वि. प्राकृत आदि छ भाषाओ. Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता सोमसुन्दरसूरि का.२५ ॐकारः सकलत्रिलोक पद्य (प.पृ. १-२) नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनपञ्चक षड़भाषामय स्तवनपञ्चक (पे.२) ऋषभजिनकुन्तलपञ्चविंशतिकास्तवन षड्भाषामयऋषभस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ षड़भाषामयऋषभस्तोत्र षड़भाषामयऋषभस्तोत्र-अवचूरि ८२२९ । उपखाणागर्भित जिनस्तोत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१७मी (२) (१०.२४४.५) सं.,प्रा.,अपभ्रं. का. ४० श्रेष्ठ संपर्ण कागज वि.१७मी १ (१०x४.२) गा.३५ संपूर्ण कागज वि. १७मी :(१०.२४४.५) श्लोक २८ संपूर्ण कागज : वि.१४८६ :(१०.२४४.५) विश्वास ८२३० : पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध जीर्ण सावचूरि पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्धअवचूरि विविधचित्रबद्धवीरजिनस्तवन सावचूरि श्रेष्ठ पञ्चपाठ वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रवद्ध : कुलमण्डनसरि वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध-अवचूरि: ८२३२ क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन : मध्यम सावचूरि पञ्चपाठ :क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन-अवचूरि पार्श्वनाथसमस्यास्तवावचूरि श्रेष्ठ पार्श्वनाथसमस्यास्तव-अवचूरि यमकालङ्कारमय जिनस्तव सावरि मध्यम यमकालङ्कारमय जिनस्तव । देवसुन्दरसूरि शिष्य यमकालडकारमय जिनस्तव-अवचूरि साधुरलसूरि संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०.५४४.५) श्लोक 3६ ............. वि. १६८३ .. (९.७४४.५) ........... वि. १८मी.....३. 407 Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रत प्रकार (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कता कागज वि. १७मी (१०.५४४.२) ८२३५ विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव सावचूरि श्रेष्ठ पञ्चपाठ विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव-अवचूरि. ८२४०... पञ्चपरमेष्ठिस्तोत्र समस्याबद्ध........... श्रेष्ठ, श्लोक ३० पद्य कागज..............वि. १७मी.. (१०x४.५ ८२४५ श्रेष्ठ अपूर्ण कागज वि. १७मी (१०.२४४.५) मुनिसुन्दरसूरि अपनं. श्लोक २५ चन्द्रधर्मगणि सं. गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज मन्त्रौषधिकल्पगर्मित देलउलामण्डन श्रीऋषभजिनस्तवन सटीक त्रिपाठ मन्त्रीषधिकल्पगर्मित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन मन्त्रौषधिकल्पगर्मित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन-टीका मन्त्रौषधिविचारगर्भित देलवाडामण्डन ऋषभदेवस्तवन सावचूरि त्रिपाठ. मन्त्रौषधिकल्पगर्मित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन मन्त्रौषधिकल्पगर्मित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन-टीका बम्भणवाडामण्डन महावीरजिनस्तवन महावीरस्तवन बम्मणवाडामण्डन मुनिसुन्दरसूरि !अपी . : श्लोक २५ चन्द्रधर्मगणि गद्य श्रेष्ठ कमलकलशसूरि-शिष्य कागज.............वि. १७मी. गा.२१ पं. रविवर्धनलिखित..(१०x४.२.. भाषा अपभ्रंश प्रधान मारुगूर्जर. संपूर्ण अपभ्रं.मारुगू र्जर संपूर्ण ८२५२ जैनरक्षास्तोत्र श्रेष्ठ कागज (१०.२४४.५) श्लोक १८ कागज. का. २९ पद्य : प्रथम जिनवर प्रथम ॐनमस्त्रिदसवन्दित ...चतुर्विशतिजिनस्तुति तथा शारदाष्टक श्रेष्ठ (4.9) चतुर्विशतिजिनस्तुति (पे.२) शारदाष्टक जिनप्रभसूरि ८२५९. शनैश्चरस्तुति स्कन्दपुराणगत. मध्यम दशरथ राजा ८२६७ लघुशान्तिस्तव सटीक (१०x४.५) (प.पू. १-२). (प.पू. १-२) B.R.X४.५. श्लोक८ कागज श्रेष्ठ :कागज वि.१७मी टीकाकारे पोताना हाथे लखेली प्रति......... 408 Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति प्रकार .१०.२४४.२) गा.१७ शान्ति शान्तिनिशान पद्य श्रेष्ठ - (१०.२४४.५) वि. १८मी श्लोक २१५ .वि.१६५६ सपूर्ण कागज..............वि. १८मी...... पं. रविवर्धने लखेली प्रति...(१०४४.२)... A. श्रेष्ट संपूर्ण ...वि. १७मी. (१०.२४४.५) लघुशान्तिस्तोत्र मानदेवसूरि लघुशान्तिस्तोत्र-टीका गुणविनय ८२८१ बृहत् शान्तिस्तवावचूरि बृहत् शान्तिस्तव-अवचूरि हर्षकीर्तिसूरि ८३५९.. नन्दिस्तुति व्याख्यासह श्रेष्ठ नन्दिस्तुति नन्दिस्तुति-व्याख्या :गणसौभाग्य .८३७९... पञ्चाशक सटीकगतविचार .... पञ्चाशकटीकागतविचार उपदेशचिन्तामणिगत साधुअधिकार मध्यम उपदेशचिन्तामणी जयशेखरसूरि ८३८५ जीवद्रव्य तथा कालद्रव्य स्वरूपविचार श्रेष्ठ जीवद्रव्य तथा कालद्रव्य स्वरुपविचार ८३८७ द्रव्यस्तवविचार आदि :श्रेष्ठ (प.) द्रव्यस्तवविचार (पे.२) खरतर-उत्पत्तिविचार भावनात्मक देवगुर्वादिवर्णन ............श्रेष्ठ प्रा.सं. प्रतिपूर्ण ८३८३... कागज वि.१८मी (१०४४.५) संपूर्ण कागज वि. १६मी (१०.५४४.५) 'कि ..... कागज............. वि. १७मी (१०.२४४.५ (पे.पू. १-६) (पे.पू. १-६) (१०.५४४.५).. ज...........: वि. १७मी वि. १८मी (१०x४.२) (प.पू.१-4) (पे.पू. १-5). (१०.२४४.२) ८४०२ मध्यम संपूर्ण कागज । वि.१७मी पञ्चविधव्यवहारविचार तथा लब्धिविचार (पे.१) पञ्चविधव्यवहारविचार ... (पे.२) लब्धिविचार. शीलाइगरथ तथा सामाचारीरथ सचित्र शीलाड़गरथ तथा सामाचारीरथ रागदोषपृच्छाप्रकरण आदि (पे.) रागदोषपृच्छाप्रकरण :/पे.२) नवकारमन्त्रविचार संपूर्ण न.......... :वि.१७मी (१०x४.२).. (पं.. . (पे.पू. १) Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य मध्यम कागज वि.१६मी संपूर्ण प्रा. (५) पद्य :जिनवल्लभ ग्रं. १५५ 1८४९४ जिनस्तवनचतुर्विशतिका आदि..... (पे.१) जिनस्तवनचतुर्विशतिका ...... (ये.२) ध्यानविचार ८४९५ । चतुर्विशतिजिननमस्कार ..... (१०.५४४.२ (प.पू. १-४). (प.पू. ४-52.. आदिवाक्य नथी., (१०.२४४.५). सं.. गद्य मध्यम कागज वि.१७मी संपूर्ण अपभ्रं. (२) गा.२५ पढमजिणवर जणमणाणन्द्र ८४९८ श्रेष्ठ कागज वि. १७मी रत्नशेखरसरि चतुर्विशतिजिनस्तव आदि (2.2) चतुर्विशतिजिनस्तव (ये.२) समस्याकाव्यत्रय जिनस्तुतिचतुर्विशतिका चतुर्विशतिजिनस्तुति स्तोत्रकोषत्रिंशच्चतुर्विशतिकास्तुतिगर्भित (१०x४.२) (पे...22. (प.पू. १). (१०.२४४.५) शान्तिमाला गणिनी श्रेष्ठ वि१७मी जनेन येन क्रियते पद्य सोमप्रभसूरि श्रेष्ठ ८५०० संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०.२४४.२) जगमाल श्रेष्ठ वि. १६३१ वि. १७मी संपूर्ण :कागज (१०.२४४.५) क ८५०१ त्रिंशच्चतुर्विशतिका जिननामगर्भिन्तस्तुति त्रिंशच्चतुर्विशतिका जिननामगर्मितस्तुति ८५१२ स्तुतिस्तोत्रसमुच्चय :श्लोक ११२ संपूर्ण ......कागज ........... वि. १६मी ... (१०.२४४.५) सोमसुन्दरसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण ...........वि. १६मी. (पे.पू. १-१) सोमसुन्दरसूरि श्लोक३३ श्रीअर्बुदाचलविभूषण ८५१३ ...जिनस्तोत्रसङ्ग्रह .. (पे.9) अर्बुदस्थ ऋषभजिनस्तवन. ऋषभजिनस्तवन-अबुदमण्डन, (पे.२) गिरिनारगिरिमण्डन श्रीनोमिजिनस्तव नेमिनाथजिनस्तवन गिरिनारमहातीर्थमण्डन (ये.३) स्तम्भनकपार्श्वनाथ पंचविंशतिका (पे. पृ. १-२) सोमसुन्दरसूरि श्रीमदैवतकाभिधान (पे. पृ.२२) पे.वि. : पुष्पिकान्तर्गत कर्ता में सोमसुन्दरसुरि का उल्लेख है. Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता देवसुन्दरसूरि ......... सं. का.२५ स्फुरत्केवलज्ञान.... (पे. पृ. २३) स्तम्भनपाश्वनाथस्तव (पे.४) नवखंडपार्श्वनाथस्तव पार्श्वनाथस्तव-नवखण्डा (पे.५) व्यवनकल्याणकस्ता साधारण च्यवनकल्याणकस्तव सोमसुन्दरसूरि. से... श्लोक ९ स्फूर्जनागफणामणीगण पद्य (पे. पृ. ३). सोमसुन्दरसूरि सं. श्लोक गर्भावतार्ण भववाधि भुवनमोहनरूपसुसम्पदः (प.६) जन्मकल्याणकस्तव श्लोक १६ पद्य (पे.पू. ३)................. (पे.प्र.३) श्लोक १२ श्लोक १७ स्तुवे चारु चारित्र केवलालोक सङक्रान्तं : प्राप्तमुक्तिवनिताम् कल्याणकारीणि जिनेश्व FFFFF सोमसुन्दरसूरि सोमसुन्दरसूरि श्लोक १२ (पे..३.४. (प.पू. ४) (पे.पृ.) श्लोक८ पद्य (पे.७) साधारणों दीक्षाकल्याणकस्तव दीक्षाकल्याणकस्तव (प.) ज्ञानकल्याणकस्तव (पे.९) जिननिर्वाणकल्याणकस्तव (पे.१०) साधारणजिन पञ्चकल्याणकस्तव (पे.११) कार्तिकादिमासानुक्रमेण जिनकल्याणकदिनस्तुतयः जिनकल्याणकदिनस्तुतयःकार्तिकादिमासानुक्रमेण (पे.१२) शत्रुजयमंडन-युगादिदेवस्तुति शत्रुञ्जयमण्डन-युगादिदेवस्तोत्र । स्वयम्भूस्तोत्र...... (पे. पृ. ४-६) सोमसुन्दरसूरि श्लोक १०३ यथोगतः शम्भवतीर्थनाथ पद्य (ये. पू. ६-७) सोमसुन्दरसूरिसं. संपूर्ण श्रेष्ठ श्लोक १६ : यस्य स्कन्धाग्रभागे कागज ..............वि. १६मी.....५ स्वयम्भुवा भूतहितेन । वि.१७मी ..............(१०.२४४.५). समन्तभद्र हैमलिड़गानुशासन पद्यबद्ध विवरण श्रेष्ठ संपण (१६) आ ग्रन्थ अपूर्व अने अलभ्य छे.. (९.७४४.५) कल्याणसागरसार हैमलिङ्गानुशासन-विवरण प्राकृत पद्यव्याकरण अपण : वि.१८मी १०xx. प्राकतपद्यव्याकरण पद्य मव्याकरण अष्टमाध्यायानसारी. ८५६४ कातन्त्रव्याकरण सूत्रपाठ मध्यम सपूर्ण :वि.१७वी (१०) सूचिमां कानुं नाम कात्यायनमुनि आपेल छे., (१०.५४४.५) कातन्त्रव्याकरण सिद्धोवणेसमाम्नाया गद्य शर्ववर्मदेव मध्यम ८५६५ : कातन्त्रव्याकरण स्वोपज्ञ चतुष्कवृत्ति प्रतिपर्ण कागज वि. १६वी...४४ (१०.५४४.५) Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य मेरुतुङ्गसूरि वि.१४४४ बालावबोधवृत्तिटिप्पनकण्डिका .. कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्तिनो। टिप्पनक । अनिट्कारिका सटीक अनिटकारिका अनिटकारिका-टीका उक्तिसङ्ग्रह मध्यम वि. १८मी (१०.२४४.५) SS गय ८६०२ मध्यम कागज ........... वि. १६मी ........... (१०.५४४.५) ................ तिलक पण्डित जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १६७४ (१०.२४४.२) 1८६१० नन्दिताढ्यछन्दःशास्त्र वृत्ति नन्दितायछन्दशास्त्र-वृत्ति ८६३१.. मुद्रितकुमुदचन्द्र नाटक..... मुद्रित कुमुदचन्द्रनाटक १८६३५ नर्तननिर्णय वि. १६मी मध्यम यशस्वीगणि-शिष्य श्रेष्ठ (१०.५४४.५). भाषा-संस्कृत आदि. (९.७४४.५) संपूर्ण कागज वि. १८मी ......... पण्डरीक विठ्ठल ८६४१ श्रेष्ट कागज वि. १७मी (१८) (१०.२४४.५) जिनशतक पज्जिकासहित जिनशतकमहाकाव्य जम्बू का.१०० ग्रं. पद्य ५०० श्लोक १०२५ : जिनशतकमहाकाव्य-पञ्जिका टीका ८६६० । दर्पदलन शाम्ब साधु श्रेष्ट क्षेमेन्द्र कागज वि. १४८६. (१०) (१०.५४४.५) श्लोक७०० पद्य ८६६६... विल्हणपञ्चाशिका कागज ....... वि. १६मी.. प्रति पाणीथी भीजाएली छे..(१०४४.२).. बिल्हण का.५० पद्य (१०) ८६६७ भगवद्गीता श्रेष्ठ कागज वि. १६मी (१०.५४४.५). पद्य ८६६९ पद्मानन्दशतक-वैराग्यशतक श्रेष्ठ संपूर्ण कागज १०.२४४ पदमानन्द पद्य वि.१६मी का. १०३ कागज............: वि. १६मी..... १५.. ग्रं.७०० श्रेष्ठ .... हेमचन्द्राचार्यकृतिगत....१०.२४४.२. ८६७४ श्लोकसप्तशती श्लोकसप्तशती हेमचन्द्राचार्यकृतिगत श्लोकसङ्ग्रह हेमचन्द्रसूरि Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज ....... वि. १६मी २ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ८६७६ संपूर्ण गजसारमुनिलिखित., (१०.२४४.५) : एकद्विबहुवचनतुल्य (१०.५४२०.४) ८६७८. संपूर्ण... कागज EFFE ...........वि. १७मी.... ' कागज.............वि. १६मी... (१०.५४४.५) ! (प.पू.9-७) ! श्लोक २२ testing adivakya श्लोक २२ testing adivakya. अंतिमवाक्य-भत्तं पाणं वा उद्धोठिओ. (पे.पू. १-७) :(१०.५४४.५) संपूर्ण कागज वि.१४९० ग्रं.२९९ जयन्ति मुरजित्पादनख राजवर्णनशतककाव्यगत काव्यसङ्ग्रह मध्यम राजवर्णनशतककाव्यगतकाव्यसङ्ग्रह कातन्त्रविभ्रमसूत्र सटीक................ ................अष्ट कातन्त्रविभ्रमसूत्र कातन्त्रविभ्रमसूत्र-टीका हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि...... श्रेष्ठ, (पे.१) हैमविभ्रमसूत्र सह वृत्ति .... हैमविभ्रमसूत्र हैमविभ्रमसूत्र-वृत्ति (पे.२) हेमविभ्रमसूत्र अपशब्दाभासकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ :श्रेष्ठ हलायुधकाव्य कविरहस्य हलायुध भट्ट कविरहस्य-अवचूरि अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य सटीक श्रेष्ठ आदि (पे.१) अत्काशल्कयुतो कूटकाव्य अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य-टीका (पे.२) त्रयस्त्रिंशद्व्यञ्जनमयकाव्य... त्रयस्त्रिंशदव्यञ्जनमयकाव्य-टीका गुजरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि (पे.१) गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादिकाव्य गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादिकाव्यटीका (पे.२) घात्याचेवरलावसी श्लोक घात्याबरलावसी श्लोक-व्यरि (पे.३) ततार द्विजराजत्वे श्लोकनवार्थी हेमधातुपाठानुसारिणी. (१०.२४४.५) संपूर्ण कागज वि.१६मी (प.पू.१). पद्य (प.प्र. ) ८६८३ संपूर्ण कागज वि. १६मी (४) :(१०x४.५) पद्य (प.पू. १-३) गद्य .........(प.पू. १३/ ततार द्विजराजत्व.. पद्य Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ८६८४ ८६८५ ८६८६ ८६८७ ८६८८ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. ४) नैषधकाव्यमन्त्रोद्धार सटीक समस्याश्लोकसङ्ग्रह समस्याश्लोकसङग्रह समस्याश्लोकसङ्ग्रह - टीका प्रहेलिका जातिसङ्ग्रह विषमवृत्तसप्तक व्याख्यासहित विषमवृत्तसप्तक विषमवृत्तसप्तक- व्याख्या अनेककविप्रतिज्ञाकाव्यसङ्ग्रह अनेक कविप्रतिज्ञा काव्यसङ्ग्रह अष्टकानि आदि (पे. 9) अकलङ्कदेवाष्टक (पे. २) आत्मनिन्दाष्टक (पे.३) हंसाष्टक (पे.४) चक्रवाकाष्टक (पे. ५) भ्रमराष्टक (पे.६) काकाष्टक (पे.७) हरिणाष्टक (पे.८) सिंहाष्टक (पे.९) धवलाष्टक (पे. १०) नराष्टक (पे. ११) नारी अष्टक (पे.१२) दैवाष्टक (पे. १३) मेघाष्टक (पे. १४) समुद्राष्टक स्थिति कर्ता श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण पूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. सं. सं. सं. सं. सं. सं. सं. सं. सं. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष परिमाण कागज कागज कागज कागज कागज श्लोक १० श्लोक १० श्लोक ९ श्लोक १० श्लोक ९ श्लोक ८ श्लोक ९ श्लोक ११ श्लोक ९. श्लोक ९ श्लोक ९ श्लोक ९ श्लोक ११ • श्लोक ९ वि. १८वी वि. १८मी वि. १८मी वि. १८मी वि. १८मी 414 आदिवाक्य १ १ 3 क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (2) पद्य पद्य (२) (8) गद्य i (3) पद्य (६.).. पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे.पृ. १-३) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) (९.७४४.२) ( ९.७५४.२) उंदरे करडेली छे.. (९.७४४.५) (पे.पृ. १). (पे.पृ. २). (पे.पू. ३). (पे.पू. ४). (पे.पृ. ५) (पे.पू. ६).. (पे.पू. ७). (पे.पू. ८). (पे.पृ. ८).. (पे. पृ. १-८) (कृ.वि. साचुनाम वानराष्टक लागे छे.]. (पे. पृ. १-८) (कृ.वि. साचु नाम वानर्यष्टक लागे छे.] (पे.पृ. १-८) (पे.पू. १-८). (पे.पू. १-८) Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष श्लोक श्लोक पद्य श्लोक १० (पे.१५) सत्पुरुषाष्टक (पे.१६) गजाष्टक (पे.१७) वृक्षाष्टक (पे.१८) चातकाष्टक (पे.१९) चिन्तामण्यष्टक (पं.२०) काकाष्टक (पे.२१) कोकिलाष्टक (पे.२२) सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह |PREFERE श्लोक८ श्लोक १० श्लोक८ (पे.पू. १-८) (प.पू.१-८) (पे.पू. १-22. (पे.पू. १-८). (प.पू. १-८) (प.पू. २००...... (प.पू. १-40 (पे.पृ.१-२०) [कृ.वि. : विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे] भाषा-संस्कृत., (१०x४.५ श्लोक८ सं.,प्रा.मारुगू र्जर ८६९३ : प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह कागजवि . १८मी ४ संपूर्ण प्रा.,सं.,मारुगू १८६९५ प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह कागज वि.१०मी 23 १०.२४४.५) संपूर्ण प्रा.सं.,मारुगू ८६९७ कागज . सुभाषितश्लोक सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह संपूर्ण सं.प्रा.मारुगू '--1.. र्जर ८७००. सुभाषितसङ्ग्रह सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह संपूर्ण......... ताडपत्र.............वि. १८मी.....२ सं.,प्रा.,मारुगू र्जर श्रेष्ठ कागज वि.१७मी १७ सुभाषितसङ्ग्रह सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह संपूर्ण सं.प्रा.,मारुगू र्जर संपूर्ण सं.,प्रा.,मारुगू र्जर भाषा-संस्कृत, प्राकृत..(१०.२४४.५) विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे कळवामां आवी छे. प्रति उंदरे करडेली छे...(१०.५४४.५). विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे. प्रति उंदरे खाघेली छे..(१०.२४४.२) विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे. (१०.२४४.२) विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे. (१०.२४४.२) सुभाषितसङ्ग्रह सुभाषितश्लोकसड़ग्रह ८७०३ : सुभाषितसङ्ग्रह : संपर्ण कागज वि. १७मी ४ 415 Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार पद्य आदिवाक्य सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह सं.प्रा.,मारुगू र्जर संपूर्ण विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे... (१०.५४४.५) ८७०७ महाकविप्रतिज्ञाकाव्य मध्यम कागज ..........वि. १६मी ८७१५ संपूर्ण कागज ...........वि. १७मी. (E). (१०.२४४.२). पुराणश्लोकसङ्ग्रह पुराणगतश्लोकसङ्ग्रह हैमअनेकार्थसङ्ग्रह पद्य श्रष्ट कागज ......... वि. १६मी २३ B (१०.२४४.५) ................. अनेकार्थसडग्रह जेमचन्द्रसरि :ध्यात्चाहताकतका ८७२५ देशीनाममाला उद्धार मध्यम संपूर्ण कागज वि. १८मी २४ (२४) ग्रन्थान-१२७०., (१०.२४४.२). विमलसरि श्लोक १२०० ८७३१ अनेकार्थध्वनिमञ्जरी संपूर्ण कागज वि. १७मी. ग्रं.३०३.. (१०.२४४.५) क्षपणककृत अने आ बन्ने एक? प्रति पाणीथी भीजायेली छे..(१०.२४४.५) मध्यम o ८७३२ यौगिकशब्दनाममाला आदि (ये.) यौगिकशब्दनाममाला (ये.२) निघण्टुसक्षेप १८७३४ अपञ्चवर्गनाममाला पञ्चवर्गपरिहारनाममाला 1८७३५ नानार्थनामसङ्ग्रह श्रेष्ठ कागज कागजवि . १८मी. श्लोक ५३ श्लोक ४६ वि.१७मी ३ गा. १३३ नं.३६......... :नत्वा पञ्चेष पञ्चा कागज वि. १७४८ ग्रं.२५८ कागज । वि.१७४८ (प.पू. १-३). (१०.५४४.५ जिनभद्रसूरि श्रेष्ठ सिद्धिचन्द्रगणि (१०x४.५) अट ८७३६ नानार्थनामसङ्ग्रह स्वोपज्ञवृत्ति नानार्थनामसङग्रह-स्वोपज्ञवृत्ति ८७३७ एकाक्षरीनाममाला. सिदिचन्द्रगणि गद्य मध्यम (१०x४.२) अमरसिंह कागज वि.१७मी श्लोक २० कागज ........ वि. १८मी. श्लोक ११५ ८७३९ एकाक्षरीनाममाला माध्यम ardanious (१०x४.५० विश्वशम्भु मध्यम कागज ८७४०.... एकाक्षरीनाममाला ए.. एकाक्षरीनाममाला ८७४३ एकाक्षरीनाममाला आदि .. BE .9X४.५. सुधाकलश श्लोक ५० कागजवि .१७मी मध्यम संपूर्ण २ (२) (१०.२४४.५) 416 Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष अकृष्णः आः स्वयम पद्य श्लोक १९ श्लोक ४६ (प.पू.१). (पे.पृ. १-२) पद्य कागज श्लोक ७६ (पे.१) एकाक्षरीनाममाला (पे.२) एकाक्षरीनाममालामातृकाक्षरानुक्रमेण एकाक्षरकाण्ड आदि (2.2) एकाक्षरकाण्ड (पे.२) एकाक्षरीनाममाला ऋषभजिनस्तोत्र आदि (4.9) ऋषभजिनस्तोत्र (पे.२) एकाक्षरीनाममाला :शब्दभेद प्रकाश (१०x४.५) (पे.पू.22. (प.पू.) (१०.२४४.२) श्लोक १५ संपूर्ण कागज :वि. मी श्लोक (प.प. 9 श्लोक १९ कष्णाआः स्वयम (प.प्र.१) (१०.२४४.५) कागज शब्दभेदप्रकाश नाममाला श्लोक १९२ प्रबोधमाधातमशाब्दिक ८७५१ षड्दर्शनसङ्ग्रहसूत्र संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०.२४४.५) जाखराज का.३४ संपूर्ण कागज । वि. १४९१ ४४ पत्र २७मुं अने ३३मुं डबल छे.. (१०.५४४.५) सं. ग्रं. ५००० ८७५४ प्रमाणनयतत्त्वालोकालड़कार रत्नाकरावतारिकाटीकासह प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार वादिदेवसुरि प्रमाणनयतत्त्वालोकालड़कार रत्नप्रभसूरि रत्नाकरावतारिका टीका नयप्रकाशस्तव स्वोपज्ञटीकासहित....... नयप्रकाशस्तव नयप्रकाशस्तक्-स्वोपज्ञ टीका अस्पृशद्गतिवाद यशोविजयजी गणि ८७८० तर्कदीपिका कागज ........... वि. १८मी..... १५. श्लोक ७४० वि. १६३३ वि. १६७३ वि.१८मी ........... तस्मै नमः श्रीजिनशास :पद्य प्रमाणवाक्यं नयवाक्य पदमसागर ८७६२ संपूर्ण कागज अन्यत्र दुर्लभ ग्रन्थ., (१०x४.२) संपण वि.१६मी (१०x४.५) विश्वनाथाश्रम ८७९.... ईश्वरनिराकरणवादस्थल -संपण वि.१.मी (१०.२४४.५ संपूर्ण वि. मी (१०.५४४.५) ८७९१ जगत्कर्तृईश्वरनिरासवादस्थल जगत्कतईश्वरनिरासवादस्थल Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (६).. आदिवाक्य ८७९२ संपूर्ण ... कागजवि .१६मी इह केचिदित्थं प्रमाण प्रत्यादयः प्रौव्या ईश्वरजगत्कर्तृत्ववादनिरास आदि .... मध्यम (पे.१) ईश्वरजगत्कतृत्ववादनिरासस्थल (पे.२) एकान्त नित्यानित्यवादभड़गस्थल (पे.३) सर्वव्यापिआत्मवादनिरास स्थल । स्याद्वादस्थापनवादस्थल आदि जीर्ण (१०.२४४.५) (पे.पू. १-३). (पे.पृ. ३-४) आत्मा सर्वगतो न भवति गद्य : कागज वि. १६मी (पे.१) स्याद्वादविरोधपरिहारवादस्थल (ये.२) नित्यानित्यवादस्थापनावादस्थल (ये.३) सदसद्वादस्थापनावादस्थल सर्वज्ञसिद्धिप्रकरण आदि (4.9) सर्वज्ञसिद्धिप्रकरण... (पे.२) कण्टकोद्धार सर्वज्ञत्वसिद्धिवादस्थल आदि (ये.१) सर्वज्ञत्वसिद्धिवादस्थल वि.१७मी (प.प.४.2. षड्दर्शनसमुच्चयलघुवृत्तिगत आ वादस्थलो छ., (१०.५४४.५) (मे.पू. . (प.पू..?... (प.पू.?) (१०.२४४.५) (प.प.?... (प.पू.?). (१०.२४४.५) (प.पृ. १) A NNEL पद्य :८७९५ जीर्ण ...........वि. १६९८ इह केचिदहड़कारशिखरि कागज वि.१७०३ (पे.पू. १). । (१०.२४४.५) (प.पू.१.३2. (प.पृ. ३-४) (पे.२) शब्दपौदगलिकत्वसिद्धिवादस्थल: धर्मास्तित्वस्थापनवादस्थल आदि (4.9) धर्मास्तित्वस्थापनवादस्थल. (ये.२) जीवपरलोकास्तित्वस्थापनवादस्थल. (ये.३) सर्वज्ञव्यवस्थापनवादस्थल सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल उत्तराध्ययनसूत्र-बृहदवृत्तिनो हिस्सो सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल गुरुत्वत्त्वव्यवस्थापनवादस्थल. गरुतत्त्वव्यवस्थापनवादस्थल FACINEH (ये.पू. ४-६) उत्तराध्ययन-पाइयटीकागत...(९.19X४.५). ....वि. १८मी. पं. रविवर्घनलिखित...१०x४.५). साधत्वव्यवस्थापनवादस्थल वि.१८मी पं. रविवर्धनलिखित., (९.७४४.५) Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य कागज ....... वि. १८मी क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता মাদা । ८८०३ स्त्रीमुक्तिव्यवस्थापनवादस्थल जीर्ण संपूर्ण (१०x४.२) सं. संपूर्ण ...... कागज..............वि. १६मी.....२. ८८०५... षड्दर्शनस्वरूप आदि ............... अष्ट. (ये.१) षड्दर्शनस्वरूप (पे.२) जीवास्तित्ववादस्थल ... ८८०८.. अग्निशीतत्वस्थापनवादस्थल........... मध्यम HiSia.it (१०.२४४.५) (प.पू. १-२) (पे.पृ. १-२) (१०.२४४.२... ...........वि.१७मी शीतोवहिनर्दाहकत्वा ८८११ वि.१६मी वादेश्वर स उदयनाचार्य उपाधिखण्डन आदि (पे.२) उपाधिखण्डन (पे.२) उपाधिप्रकरणविडम्बन (पे.३) उपाधिप्रकरण शब्दप्रामाण्यवादस्थलादि. (पे.१) शब्दप्रामाण्यवादस्थल (पे.२) बादराकायपर्याप्ताकायप्रामाण्यवाद उपाधिस्तु साधनाव्याप (१०.५४४.५) (पे.पू. १.. (पे.पू. १-२) (प.पू.२-४) (१०.२४४.५) (पे.पू. 94-98) (पे.पृ. 98 मध्यम संपूर्ण एतेन यत्कश्चित ये वायर पज्जत्ता गद्य गद्य प्रा..सं. स्थल सामुद्रिकशास्त्र संपूर्ण काग वि. १५२६... 1(१०.२४४.५) श्लोक ११५ ८९१४ सामुद्रिकविविधसङ्ग्रह कागज वि. १७मी (१०.२४४.५) संपूर्ण मारुगूर्जर अपूर्ण मारुगुर्जर कागज ....वि. १७मी.. --22:3४४.५) ८९१५ पुरूष-स्त्री लक्षण - अपूर्ण पुरुषस्त्रीलक्षण ८९१६ : विज्ञानभैरवाक्ष संपूर्ण कागज वि. १७मी ... (१०x४.५ मन्त्रकल्पादिविषयक (१०.२४४.५) ८९१७ मन्त्रराजरहस्य श्रेष्ठ अपूर्ण कागज २३-१७(१थी १७)-६ सिंहतिलकसरि ग्रं.६३२ वि. १७मी वि. १३२७ ...वि. १७वी.... ८९१८ ..वृश्चिकोत्तारणादिमन्त्रसग्रह....... मध्यम ... .. संपूर्ण कागज (९.७X४.५) 419 Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ८९१९ ८९२१ ८९२२ ८९२३ ९०२९ ९०३२ ९०३३ ९०३४ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम सन्तिकरं स्तोत्र आम्नाय मयूरशिखाकल्प आदि (पे. १) मयूरशिखाकल्प (पे. २) श्वेतार्ककल्प 1 (पे. ३) देवीपूजा-स्थापन - विसर्जनविधि (पे. ४) श्वेतार्क गणपतिमेखलाकल्प (पे. ५) गणपतिकल्प (पे.६) हरमेखलोद्धार 1 (पे.७) मयूरशिखाकल्प मणिपरिक्षाकल्प आदि (पे. 9) मणिपरीक्षाकल्प (पे. २) मधुकरमणिकल्प ज्योतिष-मन्त्र- औषधसङ्ग्रह ज्योतिषमन्त्र औषधसग्रह केशीगोयमसन्धि केशीगोयमसन्धि आदि (पे. 9) केशीगोयमसन्धि (पे. २) अनाधिसन्धि 1. (पे.३) उपदेशसन्धि (पे. ४) आनन्द श्रावकसन्धि शीलसन्धि तथा उदेशसन्धि (पे. 9) शीलसन्धि (पे. २) उपदेशसन्धि तपःसन्धि टिप्पणीसहित तपसन्धि तपसन्धि-टिप्पणी स्थिति कर्ता श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ मध्यम श्रेष्ठ जीर्ण हेमसार विनयचन्द्र मध्यम जयशेखर-शिष्य हेमसार श्रेष्ठ विशालराजशिष्य पूर्णता भाषा संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. सं. सं. सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. मारुगुर्जर संपूर्ण अपभ्रं संपूर्ण अपभ्रं अपभ्रं. अपभ्रं अपभ्रं संपूर्ण अपभ्रं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र अपभ्रं संपूर्ण अपभ्रं परिमाण कागज कागज कागज श्लोक ३४ कागज कागज गा. ७० ग्रं. ८५ कागज गा. ७० ग्रं. ८५ गा. ३५ गा. १८ गा. ७५ कागज गा. ३४ गा. १८ कागज गा. ५२ रचना वर्ष वि. १८मी वि. १६मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १५०५ 420 आदिवाक्य ६२ ३ १२ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (3) पद्य (2) गद्य गद्य (3) पद्य (२) (8) पद्य (0) पद्य पद्य पद्य पद्य (3) पद्य पद्य (3) पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (१०x४.५) (१०.५४४.५) (पे.पू. १-२) (पे.पृ. १-२) (पे.पू. १.२). (पे. पृ. १-२ ) (पे.पू. १-२ ) (पे. पृ. १.२) (पे.पू. १-२ ) ( १०.२४४.५) (पे.पू. १.२). (पे. पृ. १-२) ( १०.२४४.५) (१०x४. २) (१०-२४४.५) (पे.पू. ?). (पे.पू. ?) (पे. पृ. 2).. (पे.पू. ?) (१०.५४४.५) (पे.पू. १.२).. (पे. पृ. १-२ ) पे. वि. : गाथा - १९. ( १०.२४४.५) Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ९०३६ । भावनासन्धि मध्यम (१०.२४४.५) पद्य जीवदेवमुनि : मध्यम जीवदेवमुनि (१०x४.५) ९०३७..भावनासन्धि टवार्थसहित भावनासन्धि भावनासन्धि-टबार्थ ९०३९ ध्यानस्वरूपनिरूपणप्रवन्ध पद्य.. ध्यानस्वरूपनिरूपणप्रबन्ध ९४१३ छोतीविचारस्वाध्याय मध्यम. भावविजयजी गाथा-१६३. ग्रन्थान-२६५..(१०४४.५). श्रेष्ठ (१०.२४४.२) :पात १०.२४४.५) (१०.२४.५] रूपकमाला वालावबोधसहित मध्यम रूपकमाला :पण्यनन्दी रूपकमाला-बालावबोध रत्नरडग रूपकमाला बालावबोधसहित पञ्चपाठ श्रेष्ठ रूपकमाला पण्यनन्दी रूपकमाला-बालावबोध रलरखग रूपकमाला बालवबोधसहित त्रुटक जीर्ण रूपकमाला रूपकमाला-बालावबोध २४२९ : छोतीमिथ्यात्वकुलक संपूर्ण कागज वि. १७मी..५ अपभ्रं. गा.६३ संपूर्ण कागज ......वि. १८मी.....५. अपभ्रं. गा.६३ मारुगूजेर संपूर्ण कागज वि. १७मी १२ :मारुगर्जर गा.300 ग्र.२७५: वि.१६९६ संपूर्ण कागज वि. १०मी मारुगूर्जर.....गा.६१ संपूर्ण कागज मारुगूजेर मारुगूर्जर संपूर्ण कागज वि.१७मी मारुगुर्जर मारुगूर्जर अपूर्ण कागज वि.१८मी २०-१६(१थी १६)-४ मारुगूजेर मारुगूर्जर संपूर्ण कागज : वि.१०वी गा.६९ संपूर्ण कागज वि. १६मी...... मारुगुर्जर गा.२९ संपूर्ण : कागज वि. १६५१ मारुगूर्जर .गा.४२. मारुगूजेरगा .९ संपूर्ण कागज वि. १८मी मारुगूर्जर गा.१५ संपूर्ण कागज ..... वि. १७मी..२ ......... :(१०.२४४.२) (१०.२४४.२) गुजराती १९४३०... इसरशिक्षाकुलक (१०.२४४.५). :मध्यम : ९४३१ ब्रह्मचर्यसमाधिकुलक तथा नमस्कार (पे.) ब्रह्मचर्यदशसमाधिस्थानकुलक... पार्श्वचन्द्र. (4.२) नमस्कार.. १९४३२ जीवदयाकुलक (१०.२४४.२) (पे...22.पे.वि. : गाथा-४१.. (प.पू.) (१०.२४४.५) १९४३४ । संवरकुलक ...........। (१०,२४४.५) 421 Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक ९४३५ ९४४६ ९४७५ ९४८७ ९४८८ ९४८९ ९४९० ९४९२ ९४९३ ९४९४ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम ९४९८ उपदेशरत्नकोशकुलक उपदेशरत्नकोष चतुर्विंशतिजिनस्तुति आनन्दघनकृतपदसङ्ग्रह आनन्दघनकृत पदसङ्ग्रह मण्डनकादम्बरीदर्पण ९४९१ अलङ्कारमण्डन अलङकारमण्डन चन्द्रविजयप्रबन्ध शृङ्गारमण्डन उपसर्गमण्डन चम्पूमण्डन काव्यमनोहर-मण्डनमन्त्रि चरित्र काव्यमनोहर - मण्डनमन्त्रीचरित्र धनदत्रिशती सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय वृहद्वृत्तिह स्थिति कर्ता मध्यम पार्श्वचन्द्र जीर्ण जयसीभाग्य श्रेष्ठ आनन्दघन जीर्ण मण्डन मन्त्री जीर्ण मण्डन जीर्ण मण्डन जीर्ण मण्डन जीर्ण मण्डन जीर्ण मण्डन जीर्ण महेश्वर जीर्ण धनद जीर्ण सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम हेमचन्द्रसूरि अध्याय प्राकृतव्याकरण सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम हेमचन्द्रसूरि अध्याय प्राकृतव्याकरण- बृहद्धत्ति पूर्णता भाषा मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. अपूर्ण सं.प्रा. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष परिमाण गा. २७ कागज गा. ४१ कागज श्लोक ३९ कागज कागज अध्याय ४परि कागज कागज श्लोक ४४५ कागज कागज कागज कागज कागज ग्रं. ३०० कागज ग्रं. २५०० वि. १७मी वि. १७७५ वि. १८४२ वि. १५०४ वि. १५०४ वि. १५०४ वि. १५०४ वि. १५०४ वि. १५०४ वि. १५०४ वि. १५०४ वि.१६मी 422 आदिवाक्य २ १४ १० सहस्रन्मङगलं नित्यं ४ ९ ९ : ४ ६९ १२ ४९-१ (१) =४८ अथ प्राकृतं ..... अथ शब्द आनन्तर्यार्थ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य (2) पद्य पद्य (94) पद्य (90) पद्य (४) ・(1) पद्य (८) (8) () (c) पद्य (99) (४९) गद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (१०४४.५) (१०.५४४.५) (१०.५४५) (१३-२४५-८) (१३.२४५.७) (१३.२४५.७) (१३.२४५.७) (१३.२४५.७) (१३.२४५.७) (१३.२४५.७) (१३.२४५.७) (१३४६) Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम स्थिति पूर्णता भाषा मध्यम संपूर्ण श्रीचन्द्रसूरि मलधारिप्रा . शान्तिसरि प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार कागज वि. १५मी १४ (१५) :गा. २७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य गा.५१ भुवणपईवं वीरं नमिऊण पद्य ९५०४ ..आ. । सङ्ग्रहणीप्रकरण आदि (पे.१) सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे.२जीवविचारप्रकरण (पे.३) देववन्दनादिभाष्य टिप्पणी सहित देववन्दनादिभाष्य .. देववन्दनादिभाष्य-टिप्पणी (पे.४) गौतमपृच्छा प्रकरण (१२४४.५) (पे.पू. १-१४) (पे.पू. १-१४) (पे. पृ.?) ये.वि. : मुलगाथा-१२०. देवेन्द्रसरिकृतभाष्यत्रयथी आ भाष्यो जुदां छे. कृ.वि. : देवेन्द्रसूरि कृतथी अन्य. (गद्य?) पद्य गद्य गा.५३ नमिऊण तित्थनाई जाण: पद्य PER गा. १४४ वि. १२८८ सिद्धिपुर सत्थवाह 'धनपाल गा.५० जयजन्तकप्पपायव (पे.५) विवेकमञ्जरीप्रकरण (पे.६) ऋषभपञ्चाशिका उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि... श्रेष्ठ (पे.१) उपदेशमाला धर्मदास गणि कागज गा. ५४४ ...:.वि. १६मी..... नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (प.पू. १-१४) [कृ.वि. : गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.] (प.पू.9-१४) ।(पे.पू. १-१४).... (६४३.२) (पे.पृ. १-३५) पे.वि. : गाथा-५४०. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे... (प.पू. ३६-५३) पं.वि.: गाथा-२७३.... (पे.पृ. ५३-१७) [कृ.वि. गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.] (पे.पृ.५७-६१) पे.वि. : गाथा-६८. :श्रीचन्द्रसरि मलधारि: गा.२७३ (पे.२) सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे.३) गौतमपृच्छा प्रकरण नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव : पद्य नमिऊण तित्थनाहं जाण पद्य गा.५३ (पे.४) आराधनाकुलक सोमसूरि गा.६९ पद्य नमिऊण भणइ एवं भयवं! पे..पू.६१-44............... (पे.५) योगशास्त्र आद्य प्रकाश चतुष्टय योगशास्त्र । हेमचन्द्रसुरि (पे.६) देववन्दनादिभाष्यत्रय अध्याय १२प्रका नमो दुर्वाररागादिवैर ...... गा.११३ पद्य :शान्तिसरि गा..५१.. गा.११६ (पे.७) जीवविचारप्रकरण (पे.८) शीलोपदेशमाला जयकीर्तिसरि (पे.९) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थचिरावली: देववाचक (4.१०) भयहरस्तोत्र मानतुङ्गसूरि भुवणपईवं वीरं नमिऊण : पद्य आबाल बम्भयारि नेमि । जयइ जगजीवजोणी... (पे.पृ.८८-९५) [कृ.वि. : देवेन्द्रसूरिकृत भाष्यथी आ भाष्य जूदा छ] (पे.पू. १५:१८2.... (प.पू. १८-१०६) (प.पू. १०९-१992 (पे.पृ. १०९-१११) [कृ.वि. : गाथा २१ थी २४ मळे छे.] (पे.प्र. 999-११८) पे.वि. : गाथा-१०४. (कृ.वि.:: गा.५० गा.२३ नमिऊण पद्य पणयसुरगणचूडामण देविन्दविन्दवन्दियपय (पे.११) पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ प्रा. गा. १०४ पद्य 423 Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (ये.१२) भक्तामरस्तोत्र मानतुङ्गसूरि का.४४ भक्तामरप्रणतमीलिमणि पद्य गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ११८-१२२) [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. (पे.पृ. १२२-१३३) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] (ये.१३) वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि अध्याय २० ग्र. यः परात्मा परज्योत : पद्य १८७ (पे. १४) अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण :गा.४० अजियं जियसब्वभयं । मारुगुर्जर (पे.१५) श्रावकपाक्षिकअतिचार (पे.१६) वैरोट्यादेवी स्तवन ९५५१ : पिण्डैषणाशतक (पे.पृ. १३३-१३७) पे.वि. : गाथा-४२. [कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे]. (प.पू. १३७-१४६) (ये.पू. १४६-१४८) (S:0X४.५). गा.३१ मध्यम संपूर्ण कागज वि.१८मी गा.१०८ शान्तिसूरि जीर्ण १९५५८ कथासङ्ग्रह संपूर्ण कागज वि. १६मी सूक्ष्माक्षरथी लखेली प्रत.. (९४३.७)......... ९५७० जैनधर्मप्राचीनताविचार मध्यम संपूर्ण कागज वि. १८मी (८.७४४.५) गद्य । ९५७८ श्रेष्ठ ९.७४४.५) महेश्वर श्लोक १९२.... कागज..............वि. १६५७....७३ :प्रबोधमाधात्मशाब्दिक : पद्य ग्रं.३७०० वि. १६५४ श्रीमन्तं भगवन्तमन्च गद्य :कागज वि. १७३६ (२७) ज्ञानविमल श्रेष्ठ : (९.५४४.५) शब्दप्रभेद वृत्तिसहित शब्दभेदप्रकाश नाममाला शब्दभेदप्रकाश नाममाला-वृत्ति रघुवंश-कुमारसम्भव-मेघदूतकिरातार्जुनीयमहाकाव्यकगत दुर्घटसङ्ग्रह रघुवंश-कुमारसम्भव-मेघदूतकिरातार्जुनीयमहाकाव्यगत दुर्घटसङग्रह :राजकुण्ड सं. श्लोक १०१६ कथाकोश श्रेष्ठ : कागज वि.१५मी १ (89) :(११.२४४.७) ९६२० कागज वि.१६मी दानविधिकुलक आदि (2.9) दानविधिकूलक (पे.२) सड़यकुलक धम्मोवग्गहदाणं दिज्ज : (११.२४४.५) (प.पू...22. (ये.प्र. ) .... गा.२१. 424 Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृिति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य भाषा प्रा. संपूर्ण गा. २३ कागजवि . १६मी (पे.पू. १) [कृ.वि. : गर्भवासनो अधिकार.] (११.२४४.५) (पे.पू. १-02. (पे.पृ.१-७) प्रा. गा. २८..... प्रतिपूर्ण कागज वि.१६वी ग्रं.-२१२८., (११.२४४.७) वि.१४४४ : संपूर्ण .... वि. १७वी .(१०.७X४.५) शर्ववर्मदेव सिद्धो वणेसमाम्नायः । प्रतिपूर्ण वि. १६०५ (१०.७४४.५) (पे.३) देहस्वरुपकुलक मुखपोतिकाकुलक आदि :श्रेष्ठ (प.) मुखपोतिकाकुलक वर्द्धमानसूरि (पे.२) सिद्धान्तसारप्रकरणआचरणोपन्यासप्रकरण कातन्त्रव्याकरणचतुष्कवृत्ति स्वोपन :जीर्ण बालावबोधवृत्तिटिप्पनकचतुष्कवृत्तिण्डिका कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्तिनो मेरुतुड़गसूरि टिप्पनक कातन्त्रव्याकरण सूत्रपाठ जीर्ण कातन्त्रव्याकरण कातन्त्रव्याकरण उणादिगण मध्यम वृत्तिसहित कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो उणादिगण: कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो :दगासह उणादिगणनी दौर्गसिंही वृत्ति कात्यायनव्याकरण कृवृत्ति जीर्ण कातन्त्रव्याकरण शर्ववर्मदेव वर्धमानविद्यास्तव आदि : मध्यम (पे.) वर्धमानविद्यास्तव (पे.२) वर्धमानविद्यास्तव सिद्धहेमद्वितीय मध्यम तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ सिद्धहेमद्वितीयतृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सिद्धहेमद्वितीयतृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन-अवचूरि :९६९९ प्रतिपूर्ण कागजवि .१६वी .......(१०.७X४.७) सिद्धी वर्णसमाम्नायः Q139 संपूर्ण कागज वि.१७मी मा.... गा.१२ गा.१७ (१०.५४४.२) (पे.पू. १-२). (प.पू. १-२) (१०.२४४.५) प्रा. ९७४२ म कागज वि. १७मी का.१० 425 Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य 098E छन्दोरत्नावलि कागजवि . १७वी १८ (१०.२४४.२) संपूर्ण अपयं..सं. पद्य जीर्ण अमरमुनि मध्यम सुधानन्दसूरि ९७४९ जीराउलापार्श्वनाथस्तवन .. संपूर्ण कागज ...... वि. १८मी. (१०.२४४.२.. गा.४५ पद्य अपभ्रं. संपूर्ण मध्यम कागज वि. १८मी २ ९७५१ सगरकथादि कथासङ्ग्रह सागरकथादिकथासङ्ग्रह सं. (१०x४.२) अम्बिका,विमलमंत्री,लूणिग,वस्तुपालादिने लगता प्रसंगो छे. :श्रेष्ठ कागज वि. १८मी [१०x४.५ इन्द्रनन्दिसूरिशिष्य गा. १२ :जीर्ण संपूर्ण ९७५७पार्श्वनाथस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ गदबदड़ां शब्दगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र गदबदडां शब्दगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र-अवचरि पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन आदि. (2.9) पञ्चषष्टियन्त्रस्तवन (पे.२) पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन (4.3) घण्टाकर्णमन्त्रस्तोत्र (पे.४) पार्श्वनाथस्तव.. चतुःपर्वीकुलक .(१०.२४४.२. (प.पू. १)... जयतिलकसरिशिष्य सं.प्रा. सं.प्रा. :कागज ..........: वि.१८मी श्लोक ८ श्लोक८ श्लोक ४ गा.२० परमीष्ठ नमस्कार घण्टाकर्णो महावीर... (पे...22. (पे.पू. १)... (१०.५४४.५). श्रेष्ठ कागज वि.१७वी मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण ............... अमररलसरि गा.६८ सरसति सामिणि समरी । पद्य ... ९८१७ प्रास्ताविकगाथासङ्ग्रह मध्यम कागज वि. १६मी । (१०.५४४.५) गा.३११ पद्य कागज वि. १८४१ (१०x४.७ (प.पू. २) पे.वि. : चित्रकाव्य. गा.११ किं कर्पूरमयं सुधारस पद्य चिन्तामणिस्तव व पार्श्वजिनअमृतध्वनि : जीर्ण (पे.१) चिन्तामणिमन्त्रगर्मित पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.२) पार्श्वजिन अमृतध्वनि य शोविजयजी गणि ९८४०... वैराग्यकुलक. मारुगुर्जर पद्य (प.पू.२). (१०.२४४.५). मध्यम संपूर्ण कागज वि.१७मी मारुगजर ૬૮૭ श्रेष्ठ संपर्ण कागज । वि.१५मी ग्रन्थान-३०००..(९.२४४) छन्दोनुशासन स्वोपज्ञटीकासहित सटिप्पनक छन्दोनुशासन हेमचन्द्रसूरि Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कृति प्रकार गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा हेमचन्द्रसूरि ग्रं.३००० छन्दोनुशासन-छन्दश्चूडामणिवृत्ति छन्दोनुशासन-टिप्पण आचाराङ्गसूत्र गद्य सं. संपूर्ण ९९८६ जीर्ण कागज वि. १६मी ४८ (४८) ग्रन्थान-२५५४. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे..(१३.५४५.२) सुधर्मास्वामी संयक्त पग :जीर्ण : संपूर्ण :(१३.५४५.२) भद्रबाहस्वामी ग्रं.२६४४. :कागज :वि.१६मी गा.३६५ ग्रं. ४७० .वि. १५७४. पद्य कागज ६९९८७ आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति आचारागसूत्र-नियुक्ति आचारागसूत्र चूर्णि आचाराङ्गसूत्र-चूर्णी आचाराङ्गसूत्र वृत्ति आचारागसूत्र-वृत्ति (१५) सुयं मे आउसं तेणं... ७ वन्दित्तु सब्वसिद्धे ११४ मङगलादीणि सत्थाणि २१९ जयति समस्तवस्तु संपूर्ण प्रा..सं. संपूर्ण ....(१३.५४५:२.. ग्र.८300 कागज (२२०) वि. १६मी :शक. ७९८ शीलाड़काचार्य ग्रं. १२००० गद्य ९९९० सूत्रकृताङ्गसूत्र आदि मध्यम संपूर्ण कागज वि.१६मी :(१३.५४५.२) प्रथमश्रुतस्कन्ध टीका ग्रन्थान-९६६१. बाहरी साधु सहायेन कृता टीका. प्रथम पत्रमा आचार्य व्याख्यान आपे छे अने चतुर्विध संघ श्रवण करे छे ते भावने सूचवतुं सुन्दर चित्र छे...(१३-५४५.२)... (प.पू.१-४४)............. (प.पू.४४-४९). (१३.५४५.२). ग२२०० सुधर्मास्वामी भद्रबाहुस्वामी जीर्ण बुज्झिज्ज तिउद्देज्ज तित्थयरे य जिणवरे गा.२०८ (4.१) सूत्रकृतागसूत्र (प.२) सूत्रकृतागसूत्र-नियुक्ति सूत्रकृतागसूत्र चूर्णि सूत्रकृताङ्गसूत्र-चूर्णी सूत्रकृतागसूत्र वृत्ति :पय :संपणं कागज वि. १६मी १५१ । (१५२). प्रा.सं श्लोक ९५०० ........ णमोअरहन्ताण... :पद्य ९९९२ जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१६मी २२९ (२२९) : प्रथम पत्रमा क्रमांक १९९०ना टिप्पणमा जणीव्या प्रमाणेनुं चित्र छे..(१३.५४५.२) शीलाडकाचार्य गं. १२८५३ स्वपरसमयाथसचक गद्य जीर्ण संपूर्ण कागज A :४१ सूत्रकृतागसूत्र-वृत्ति । सूत्रकृतागसूत्र वृत्ति सूत्रकृताङ्गसूत्र-वृत्ति स्थानागसूत्र (२४२) गद्य (१३.५४५.२) ............. शीलाड़काचार्य ग्रं. १२८५३ स्वपरसमयाथसूचक ९९९४ मध्यम संपूर्ण कागज :वि.१६मी (७०) प्रथम पत्रमा समवसरण सुन्दर चित्र छे.. (१३.५४५.२० सुधर्मास्वामी ग्रं. 3३०० सर्य मे आउसं तेणं ९९९६ समवायाङ्गसुत्र मध्यम कागज (२७)............ (१३.५४५.२) ----------.वि. १६मी ... २७ सुधर्मास्वामी ग्रं. १६७ 427 Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रत प्रकार पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य : क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ९९९७ समवायाङ्गसूत्र वृत्ति मध्यम कागज वि. १६मी (६९) ग्रन्थाग्र-३७७५. प्रथम पत्रमा अष्टमङ्गल तथा शासनाधिष्ठायक देव-देवी सहित समवसरणनुं भव्य चित्र छे...(१३.५४५.२.... गय समवायागसूत्र-वृत्ति भगवतीसूत्र अभयदेवसूरि मध्यम ग्रं.३५७५ :कागज वि. ११२० वि. १६मी वर्द्धमानमानम्य सम २७७ ९९९८ संपूर्ण (२७८) प्रथम पत्रमा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेन मनोहर चित्र छे..(१३.५४५.२) प्रा. :गं. १६000 सुधर्मास्वामी जीर्ण गद्य नमो अरिहन्ताणं... ४२ संपूर्ण कागज वि.१६मी ग्रन्थान-३११४..(१३.५४५.२.... ९९९९ भगवतीसूत्र चूर्णि भगवतीसूत्र-चूर्णी १००00 भगवतीसूत्रवृत्ति :श्लोक 3000.... पद्य मध्यम संपूर्ण कागज । वि.१५७४ :३२० प्रथम पत्रमा हस्त्यारूढ़ शासनदेव-देवी सहित समवसरणनुं आकर्षक चित्र छे., (१३.५४५.२) सर्वज्ञमीश्वरमनन्त ग द्य भगवतीसूत्र-टीका १०००१ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र अभयदेवसूरि श्रेष्ठ ग्रं. १८६१६.......... वि. ११२८ कागज वि. १६मी प्रथम पत्रमा मेघकुमारनी प्रव्रज्याना भावने सूचवता चित्र सहित समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे...(१३.५४५:२० : सुधास्वामी गं. ५000 तेणं कालेणं तेणं १०००२ : ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी 100 श्लोक-३७००. प्रथम पत्रमा प्रव्रज्याने माटे उत्सुक मेघकुमारने तेनी आठ पत्लिओ समजावी रही छे ते भावने सूचवतुं हदयंगम चित्र छे., : (१३.५४५.२) नत्वा श्रीमन्महावीरें गद्य ज्ञाताधर्मकथाड़गसूत्र-वृत्ति १०००३ उपासकदशाङ्गसूत्र :अभयदेवसूरि श्रेष्ठ ग्र. ४३६६ ...... कागज वि. ११२० ! वि. १६मी संपूर्ण :१६ (१७) सुधर्मास्वामी प्रा. ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं प्रथम पत्रमा भगवान् महावीर, तेमना दश महान श्रमणोपासको, शासनदेव-देवी, इन्द्र अने इन्द्राणीनुं भव्य चित्र छे., (१३.५४५.२) पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. प्रथम पत्रमा अन्धकवृष्णि राजानी धारणी राणीनो पुत्र गौतम भार्याओनो त्याग करीने भगवान पासे प्रव्रज्या ले छे ते भाव सूचवतुं चित्र छे., (१३.५४५.२) १०००४ अन्तकृदशाङ्गसूत्र मध्यम कागज वि.१६मी १५ Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कृति प्रकार सुधर्मास्वामी तेणं कालेणं तेणं ग्रं.८९० कागजवि . मी : १०००५ : अनुत्तरीपपातिकदशागसूत्र : मध्यम : संपूर्ण (५) : प्रथम पत्रमा पाँच अनुत्तरविमाननुं सुन्दर चित्र छे..(१३.५४५.२) गं.१९२ तेणं कालेणं तेणं सुधर्मास्वामी मध्यम :प्रा. संपूर्ण १०००६ : प्रश्नव्याकरणागसूत्र कागज वि. १५७० २५ (२६) ग्रन्थान-१३३९. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं आकर्षक चित्र छे...(१३.५४५.२).. : सुधमोस्वामी गं. 9340 नमोअरहन्ताणं जम्न गद्य प्रश्नव्याकरणसूत्र १०००७ उपासकदशाड़गसूत्रवृत्ति आदि श्रेष्ठ कागज वि. १६मी १०५ (१०६) पेटांक-१ थी३ना श्लोक-१३००. प्रथम पत्रमा क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाच्या प्रमाणेनुं भव्य चित्र छे...(१३.५४५.२). (पे.पू. १-१७) (पे.पृ. १७-२३) ग्र.९०० अभयदेवसूरि अभयदेवसूरि श्रीवर्द्धमानमानम्य अथान्तकृद्दशासु किम गद्य गद्य ग्र.१३५६ (4.) उपासकदशाङ्गसूत्र-वृत्ति .... (पे.२) अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र-अभयदेवीय उत्ति (पं.३) अनुत्तरीपपातिकदशागसूत्र अभयदेवसरि सं. ग्रं. १०५ अथानुत्तरोपपातिकदशा : गद्य (पे.पृ. २३-२५) गद्य (4.४) प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्ति ....... : विपाकसूत्र अभयदेवसरि मध्यम ग्रं. ४६३० कागज : १०००८ संपूर्ण : वि.१६मी (२२) (प.पू. २५-१०५) ग्रन्थान-१२४५. प्रथम पत्रमा मृगापुत्रना दुःखविपाकने सूचवतुं अति आकर्षक भावपूर्ण चित्र छे.. (१३.५४५.२) सुधमोस्वामी प्रा. ग्र.१३१६ तेणं कालेणं तेणं १०००९ / विपाकसूत्र वृत्ति मध्यम सपण कागज ग्रन्थान-९५०. प्रथम पत्रमा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमा जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे.. (१३.५४५.२) ग्रं.९०० नत्वा श्रीवर्द्धमाना गद्य (२०) संपूर्ण कागज वि. १६मी २० अभयदेवसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी :श्रेष्ठ (१३.५४५.२) विपाकसूत्र-वृत्ति १००१०: औपपातिकउपाङ्गसूत्र औपपातिकोपागसूत्र १००११ औपपातिकउपाङ्गसूत्र वृत्ति ...........--- :प्रा. गं.११६७ तेणं कालेणं तेणं संपूर्ण कागज :वि. १५७१ (६०) ग्रन्थान-३१२५. प्रथम पत्रमा अम्बङ परिव्राजक सुलसा श्राविकाना सम्यक्त्वनी परीक्षा करी रह्यो छे ते भावने सूचवता चित्र सहित भगवान 429 Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार कता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष महावीरना समवसरणनुं भाववाही चंगम सुमधुर चित्र छे.. (१३.५४५.२). गं.४300 श्रीवडेमानमानम्य अभयदेवसूरि : मध्यम संपूर्ण : गद्य (३४) कागज वि.१६मी :२४ औपपातिकोपाड़गसूत्र-टीका १००१२ राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र............. राजप्रश्नीयोपागसूत्र १००१३ राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र वृत्ति गं.२०७९ : नमो अरिहन्ताणं नमो मध्यम संपूर्ण कागज । वि. १५३१ ६५ (६५) (१३.५४५.२. अष्टभाषामय पंचपाठ ग्रन्थान-३६५०. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र टुं डबल छे.. (१३.५४५.२) : ग्रं. 3900 प्रणमत वीरजिनेश्वर राजप्रश्नीयोपाड़गसूत्र- वृत्ति १००१४ : जीवाभिगमउपाङ्गसूत्र म लयगिरिसूरि मध्यम गद्य (८८) संपूर्ण :कागज वि. १६मी :प्रथम पत्रमा क्र. १००००ना टिप्पण प्रमाणेनुं चित्र : छे..(१३.५४५.२) : .४1900 जीवाभिगमसूत्र प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्र गद्य.. (१४२) १००१५ जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१५७१ १४१ प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. पत्र १२३९ डबल छे.. (१३.५४५.२ प्रज्ञापना-३६ प्रज्ञापनासूत्र श्यामाचार्य नमो अरिहन्ताणं नमो गद्य : अध्याय ३६प्रज ग्रं.७८८७ कागज १००१६ : प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्र वृत्ति मध्यम संपूर्ण : वि.१५७१ :२४७ (२४८) : प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणना जेबु चित्र छे. पत्र २६मुं डबल छे., (१३.५४५.२) मलयगिरिसूरि गं. १६000 जयति नमदमरमकूटप्रति गद्य :जीणं प्रज्ञापनासूत्र-बृहवृत्ति १००१७ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपागसूत्र जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र १००१८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र चूर्णि जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी ६९ नमो अरहन्ताण... (१३.५४५.२) कागज .........वि. १६मी ग्रं.४१४६ कागज .............वि. १५७३. ग्रं. १८६९ (६९). गद्य (२९............. जीर्ण संपूर्ण २८ गद्य णमिऊण विणयविरतियकर .... श्रेष्ठ वि.१६मी :३० ग्रन्थान-२०००., (१३.५४५.२) १००१९/ चन्द्रप्रज्ञप्तिउपागसूत्र चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र कागज :ग्रं. १८३१ (३०) : गद्य जयति नवनलिणिकुवलयविय ३४ १००२० चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी (३५) ग्रन्थान-१८५४. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे...(१३.५४५.२)... 430 Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र प्रा. ग्रं. १८३१ संपूर्ण कागज वि.१६मी १००२१ चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति जयति नवनलिणिकुवलयविय १६९... मुक्ताफलमिव करतलकलित ४२ (१६९)......(१३.५४५.२) गद्य मलयगिरिसूरि ग्रं. ९५०० १००२२ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १५७२ (४२) प्रथम पत्रमा समवसरण सुन्दर चित्र छे... (१३.५४५:२). गं.२२०० नमो अरिहन्ताणं सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र १००२३ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१५७२ 1१४३ (१४४) ग्रन्थान-९५००. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. पत्र ६२-६४ मेगां छे., (१३.५४५.२) मलयगिरिसरि ग्रं.९१२५ यथास्थितं जगत्सर्व :गय सूर्यप्रज्ञप्तिसुत्र-वृत्ति १००२४ । निर्यावलिकोपाङ्गसूत्र मध्यम संपूर्ण कागज :वि. १५७२ (२१) प्रथम पत्रमा समवसरण सुन्दर चित्र छे.. (१३.५४५.२). ग्र.११०० तेणं कालेणं तेणं निरयावलिकादिपञ्चोपाङगसूत्र १००२५ निर्यावलिकोपाङ्गसूत्र वृत्ति : मध्यम संपूर्ण कागज 1१२ वि. १६मी (१३) ग्रन्थान-६५०. प्रथम पत्रमा नरकविपाक भावने सूचवतुं सुन्दर चित्र छे..(१३.५४५.२) गं.E४० निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र-वृत्ति १००२६ नन्दिसूत्र गद्य श्रीचन्द्रसुरि श्रेष्ठ वि. १२२८ . :पाश्वनाथं नमस्कृत संपूर्ण कागज वि. १५६९ (१५) ग्रन्थान-५००. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे..(१३.५४५.२), आनुं अने आवश्यकनियुक्तिनुं आदिवाक्य समान नन्दीसूत्र देववाचक प्रा. ग्र.७०० संयक्तप+ग जयइ जगजीवजोणीवियाणओ १००२७ नन्दिसूत्रचूर्णि अष्ट कागज वि.१६मी २० (२०) जुना केटलोगमा उपासकदशांगचूर्णि एम अशुद्ध छपाएल छे. जुओ नवा केटलोगनुं शुद्धिपत्र., (१३.५४५:२). नन्दीसूत्र-चूर्णि जिनदास गणि :प्रा. :शक. ५९८ क्षमाश्रमण १००२८ नन्दिसूत्रलघुवृत्ति मध्यम संपणे वि. १६मी ३१ जुना केटलोगमा उपासकदशांगसूत्र लघुवृत्ति एम: अशुद्ध छपाएल छे. जुओ नवा केटलोगर्नु शुद्धिपत्र., (१३.५४५.२) 431 Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार नन्दीसूत्र-लघुवृत्ति अनुयोगद्वारसूत्र सं. संपूर्ण १००२९ कोष्टक (३५) .......... (१३.५४५.२). श्रेष्ठ कागज :वि. १५६९ आर्यरक्षितसूरि ग्रं.२००५ नाणं पञ्चविहं पण्णत १००३० संपूर्ण कागज प्रति पाणीथी भींजायेली छे., (१३.५४५.२)... अनुयोगद्वारसूत्र चूर्णि अनुयोगद्वारसूत्र-चूर्णी वि. १५७४ वि. मी :२८ किञ्चि पञ्चविहायार ग्रं. २२६८ श्रेष्ट जिनदास गणि क्षमाश्रमण जीर्ण १००३१ दशाश्रुतस्कन्धसूत्र.. कागजवि . १५७३ :२८ ...(२९)............... ग्रन्थान-१८३०.. (१३.५४५.२).. :दशाभतस्कन्ध भदबाहस्वामी :नमोअरहन्ताण.. जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१६मी (२९) (१३.५४५.२) भद्रबाहस्वामी गा.१५४ . १८०: तुन्द्रामिभहबाह जीर्ण १००३२ दशाश्रुतस्कन्धसूत्र नियुक्ति दशाश्रुतस्कन्ध-नियुक्ति १००३३ दशाश्रुतस्कन्धसूत्र चूर्णि दशाश्रुतस्कन्ध-चूर्णी १००३४ कल्पसूत्रनियुक्ति-दशाश्रुतस्कन्ध अष्टमाध्ययनननियुक्ति संपूर्ण प्रा. संपूर्ण गं.२२२५ मध्यम (9) ...... कल्पसूत्र-नियुक्ति ..... ........ १००३५ कल्पसूत्र सन्देहविषौषधिवृत्ति भद्रबाहुस्वामी जीर्ण संपूर्ण ४५ (64) कागज वि.१६मी....३६ (३६) (१३.५४५.२) मडगलादीणि सत्थाणि गद्य :कागज वि. १६मी गाथा-६६. पत्र बीजामा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे., (१३.५४५.२). गा.६७ : पज्जोसमणाए अक्खराई पद्य कागज वि.१६मी प्रथम पत्रमा समवसरणनुं भव्य चित्र छे.. (१३.५४५.२) ग्रं. २१६८ ......... वि. १३६४ कागज वि.१६मी (१३-५४५.२. अध्याय ६उद्दे. :णो कपाणिग्गन्थाण कागज वि. १६मी । 1)..............: (१३.५४५-२ अध्याय ६उद्दे. णो कप्पइणिग्गन्थाण : कागज वि.१६३४ :१०८ 1(१०८) ग्रन्थान-५२००. पत्र ५६, डबल छे..(१३.५४५.२.. गा.६६०० काऊण नमोक्कारं तित्थ पद्य जिनप्रभसूरि मध्यम संपूर्ण भद्रबाहुस्वामी कल्पसूत्र-सन्देहविषौषधिवृत्ति 1१००३६ बृहत्कल्पसूत्र बृहत् कल्पसूत्र १००३७ बृहत्कल्पसूत्र बृहत् कल्पसूत्र १००३८: कल्पलघुभाष्य-बृहत्कल्पसूत्रलघुभाष्य बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य मध्यम भद्रबाहुस्वामी श्रेष्ट सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण जीर्ण :कागज (२१३)............ । (१३.५४५.२. १००३९ : कल्पचूर्णि-बृहत्कल्पसूत्रचूर्णि.... बृहत् कल्पसूत्र-कल्पचूर्णी |१००४० कल्पविशेषचूर्णि ग्र.१४/४ गद्य वि. १५७४२१२ मडगलादीणि सत्थाणि ........ वि. १६मी. १५२ 432 कागज । (१५३) ............ पत्र ६३-६४ भेगां छे.. (१३.५४५.२) Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम ॐog (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ग्रं. ११००० गद्य वृहत्कल्पसूत्रविशेषचूर्णि बृहत् कल्पसूत्र-विशेषचूर्णी वृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसहजीर्ण प्रथमखण्ड प्रा. प्रतिपूर्ण १००४१ कागज वि. १५७३ २४२ (२४१) प्रथम पत्रमा क्र.९९९०ना टिप्पणमा जणाच्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र १८३९ डबल छे.. (१३.५४५.२). बृहत् कल्पसूत्र अध्याय ६उद्दे. मणो कप्पड णिग्गन्थाण बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य गा.६६०० काऊण नमोक्कारं तित्थ : पद्य भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहस्वामी सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण : मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति :जीर्ण बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति :सं..प्रा. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद गद्य क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मां परिपूरित. प्रतिपूर्ण कागज वि. १५७४ :१३४ :(१३.५४५.२) १००४२ : वृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह । द्वितीय खण्ड बृहत् कल्पसूत्र बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य भद्रबाहस्वामी अध्याय ६उद्दे. गा.६६०० णो कप्पड णिग्गन्थाण काऊण नमोक्कारं तित्थ सडघदास गणि :प्रा. : पद्य क्षमाश्रमण भद्रबाहस्वामी बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति सं.प्रा. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मा परिपूरित. मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति जीर्ण प्रतिपूर्ण वि. १६मी १५१ :(१३.५४५.२) बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड बृहत् कल्पसूत्र बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य भद्रबाहस्वामी णो कप्पड णिग्गन्थाण भद्रबाहुस्वामी सङ्घदास गणि प्रा. गा. ६६०० काऊण नमोक्कार तित्थ : पद्य क्षमाश्रमण बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति सं.,प्रा. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद गद्य क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मां परिपूरित. मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति जीर्ण प्रतिपूर्ण कागज वि.१६मी १००४४ बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह चतुर्थ खण्ड ८२ ८२) प्रतक्रम-१००४१ थी १००४४ चारेय खण्डोना कुल ग्रन्थान-४२००० छे.. (१३.५४५.२) 433 Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रा. बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य :गा.६६०० काऊण नमोक्कारं तित्थ : पद्य भद्रबाहुस्वामी सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण मलयगिरिसूरि. क्षेमकीर्ति बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति सं.प्रा. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद गद्य क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मा परिपूरित. १००४५ व्यवहारसूत्र... मध्यम संपूर्ण :१०.. । (१०)................(१३.५४५:२). भद्रबाहस्वामी कागज............ वि. १६मी. ग्रं.६८८ कागजवि . १६मी. जे भिक्खू मासियं ११००४६ व्यवहारसूत्र मध्यम । (१२).............(१३.५४५-२). ................ भद्रबाहस्वामी गं.६८८ जे भिक्खू मासियं १००४७/व्यवहारसूत्र भाष्य मध्यम संपूर्ण कागज वि.१६मी (८०) ग्रन्थान-४६२९.. (१३.५४५.२)...... व्यवहारसत्र-भाष्य ग्र.६000 पद्य :१००४८ व्यवहारसूत्र चूर्णि व्यवहारसूत्र-चूर्णी संपूर्ण कागज .वि. १५७४.. १५६. उक्तः कल्पः अधुना (१५७) गिद्य ग्रन्थान-१०३६०...(१३.५४५:२... परिमाण-उद्देशक-१०. अध्याय १० ग्र. : मध्यम प्रतिपूर्ण कागज वि.१६मी २२८ (२२८) ग्रन्थान-१६८५६. प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छे.. (१३.५४५.२) भद्रबाहस्वामी पद्य १००४९ व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथम खण्ड व्यवहारसूत्र-नियुक्ति व्यवहारसूत्र-भाष्य व्यवहारसूत्र-वृत्ति १००५० व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह द्वितीय खण्ड व्यवहारसूत्र-नियुक्ति व्यवहारसूत्र-भाष्य व्यवहारसूत्र-वृत्ति १००५१ : निशीथसूत्र प्रणमत नेमिजिनेश्वर ग्रं. ६००० ग्रं. १३७१९. :कागज मलयगिरिसूरि : मध्यम :गद्य (४६७) वि.१६मी २३९ पत्र ३१६मुं डबल छे..(१३.५४५.२) भद्रबाहुस्वामी मलयगिरिसूरि ग्रं. १३७१९ प्रणमत नेमिजिनेश्वर गध मध्यम (१२) ग्रन्थान-७१५....१३.५४५:२......... भद्रबाहस्वामी गा.८१२ :जे भिक्ख हत्थकम्म पद्य मध्यम कागज वि.१६मी (१०५) पत्र २४मुं डबल छे.. (१३.५४५.२) १००५२ निशीथसूत्र भाष्य निशीथसूत्र-भाष्य गा.६४३९ ग्रं. : १०५ णवबम्भचेरमइओ अट्ठारस पद्य ८४०० 434 Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य संपूर्ण ... कागज । वि. १६मी... ३९४ प्रा. श्लोक २८००० णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध ग्रं. १७८८४ श्लोक ११०० : वि. ११५४ प्रणम्य वीरं सुरवन्द क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (३०५) १००५३ : निशीथसूत्र विशेषचूर्णि आदि (पे.१) निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि जीर्ण :जिनदास गणि (१३.५४५.२) (पे.पृ. १-३७९) : पद्य क्षमाश्रमण श्रीचन्द्रसूरि : पद्य (पं.पू. ३७९-३९४) (पे.२) निशीथसूत्र-विशेषचूर्णीनी विंशोद्देशकव्याख्या १००५४ महानिशीथसूत्र मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५७२ ६० (६०) ग्रन्थान-४५०४. प्रथम पत्रमा समवसरण सुन्दर चित्र छे..(१३.५४५.२) :अध्ययन-८ प्रा. अध्याय ८ ग्रं. ॐनमो तित्थस्स.... १००५५: जीतकल्पसूत्र संपूर्ण कागज :वि. इमा गा. १०५ ग्रं. १३० प्रा. कयपवयणप्पणामोवोच्छे जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण गाथा-१०६..(१३.५४५.२)... हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने आवकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. गाथा-२७०८..(१३.५४५.२) संपूर्ण कागज ....... वि. १६मी... ५०.... :149) गा.२७१८ संपणं कागज ....... वि. १६मी. १८ ग्रन्थान-१३००.. (१३.५४५.२).. ग्र.११०० सिद्धत्थसिद्धसासण . १००५६: जीतकल्पसूत्र भाष्य :जीतकल्पसूत्र-भाष्य १००५७ जीतकल्पसूत्र चूर्णि जीर्ण जीतकल्पसूत्र-चूर्णी सिद्धसेनसूरि १००५८ जीतकल्पसूत्र चूर्णि विषमपदव्याख्या... स्या जीर्ण जीतकल्पसूत्रनी चूर्णी- टिप्पनक... श्रीचन्द्रसुरि जीतकल्पसूत्र वृत्तिसहित :श्रेष्ठ जीतकल्पसूत्र जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण संपूर्ण 190 कागज .......... वि. १६मी ग्र.११२० वि. १२२७ कागज (२८) गद्य (१८) गद्य (२७) पद्य नत्वा श्रीमन्महावीर :१००५९ संपूर्ण प्रा. ......... वि.१६मी गा. १०५ ग्रं. १३० कयपवयणप्पणामो वोच्छं (१३.५४५.२). हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर । अस्पष्टताओ रहेल छे. :तिलकसूरि ........ गद्य जीतकल्पसूत्र-वृत्ति १००६०: नव्ययतिजीतकल्पसूत्र यतिजीतकल्पसूत्र नव्य मध्यम संपूर्ण अं.१८००............वि. १२७४...... वन्दे वीरं तपोवीरें कागज .......... वि. १६मी ८ गा.३३३ कयपवयणप्पणामो बुच्छ सोमसूरि पद्य (१३.५४५.२) जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी. (१३.५४५.२). जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित ... १००६१. नव्ययतिजीतकल्पसूत्र विवृतिसहित...... मध्यम. यतिजीतकल्पसूत्र नव्य सोमसूरि संपूर्ण .... प्रा. कागज...........: वि. १५७०..... (७९) गा.३३३ कयपवयणप्पणामो वुच्छं: पद्य 435 Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार स्थिति प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी. यतिजीतकल्पसूत्र नव्य-वृत्ति साधुरत्नसूरि श्लोक ५७००वि . १४५६ जयति महोदयशाली पद्य भास्व १००६२ श्राद्धजीतकल्पसूत्र मध्यम कागज वि. १५७ (५) गाथा-१४२...(१३.५४५.२)... धर्मघोषसरि गा.१३७ :कयपवयणप्पणामो... पद्य मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५७३ 1(४०) । (१३.५४५.२). .................. १००६३ श्राद्धजीतकल्पसूत्र वृत्ति श्राद्धजीतकल्पसूत्र-वृत्ति १००६४ : आवश्यकसूत्रनियुक्ति सोमतिलकसूरि गं.२६४७ गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी प्रथम क्र.९९९०ना टिप्पण जेवू चित्र छे., (१३:५४५:२). आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. A आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी पद्य गा.२५०० ग्रं. ३१०० मध्यम संपूर्ण कागज वि.१५७४ १००६५ आवश्यकसूत्रचूर्णि आवश्यकसूत्र-चूर्णी जयइ जगजीवजोणी वियाणओ २६१ काऊण नमोक्कार तिथयर ३७० । (२६२). (१३.५४५.२) नियुक्ति ऊपर पण. प्रा. ग्रं. १८००० जिनदास गणि क्षमाश्रमण गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१६मी (३७०) १००६६ आवश्यकसूत्रनियुक्ति-भाष्य शिष्यहितावृत्तिसह आवश्यकसूत्र-नियुक्ति ग्रन्थान-२२०००. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं चित्र छे. पत्र २८४म.डबल छे...(१३.५४५२). आनुं अने नंदिसूत्रनु आदिवाक्य समान छे. भद्रबाहस्वामी प्रा. पद्य गा.२५०० ग्रं. ३१०० जयइ जगजीवजोणी वियाणओं सं.प्रा. :प्रणिपत्य जिनवरेन आवश्यकसूत्र-भाष्य आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति हरिभद्रसूरि १००६७ : आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्याटिप्पनक: मध्यम आवश्यकसूत्रना शिष्यहितावृत्तिनुं हेमचन्द्रसूरि मलधारी प्रदेशव्याख्या टिप्पण | १००६८ ओघनियुक्ति मध्यम भद्रबाहुस्वामी संपूर्ण पद्य गद्य (६१). गद्य ग्रं.२२००० कागज ...............वि. १६मी ग्रं.४६४० जगत्त्रयमतिक्रम्य संपूर्ण कागज वि.१६मी २६ : (२६) दुविहोवक्कमकालो सामा : पद्य गाथा-१४३२..(१३.५४५.२). गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. गा. ११६३ ग्रं. १४35 १००६९ ओघनियुक्ति वृत्तिसह : मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी :१३४ ग्रन्थान-८३८५. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९० ना टिप्पण जेवू चित्र छे..(१३.५४५.२) गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. ओघनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा. गा. ११६३ ग्रं. दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य 436 Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कळ १४३२ गं.७000 दोणाचार्य गद्य सं. संपूर्ण जीर्ण कागज (१३.५४५:२... जिनप्रभसरि गं. ५४८ ओघनियुक्ति-वृत्ति १००७० यतिप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति पगामसज्झाय-वृत्ति १००७१: पाक्षिकसूत्र तथा पाक्षिकक्षामणक .(पे.) पाक्षिकसूत्र (पे.२) क्षामणकसूत्र १००७२ दशवैकालिकसूत्र ....... वि. १६मी..... ....... वि. १३६४ ....... वि. १६मी तित्थडकरे य तित्थे .. श्रेष्ठ कागज .................... : संयुक्त प+ग खामणा पण साथे छे... (१३.५४५.२). (पे.पू. ४) (प.पू.४) : प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छे.. (१३.५४५.२) कागज (२४) संपूर्ण कागज : वि.१६मी धम्मो मङगलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग ..........: वि. १६मी... १० गा.४४० ग्रं.४४६............ सिद्धगतिमुवगयाणं पद्य कागज वि. १६मी..... १०१. (१००... ग्रं.८४०० गद्य १००७३ : दशवकालिकसूत्र नियुक्ति दशकालिकसूत्र-नियुक्ति १००४ दशवैकालिकसूत्र चूर्णि दशवैकालिकसूत्र-चूर्णी :भद्रबाहस्वामी जीण संपूर्ण गाथा-४४४., (१३.५४५.२) गाथा संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे. ग्रन्थान-७२७०...(१३.५४५.२)... हस्तप्रतोमा ग्रन्थान ७००० थी ८४०० सुधी मळे छे. समान कृति हशे? ग्रन्थान-३०००...(१३.५४५.२) हारिभद्री बृहद्वृत्तिना मूल सूत्र व्याख्याभागनो श्रेष्ठ कागज १००७५ दशवैकालिकसूत्र टीका दशवैकालिकसूत्र-लघुवृत्ति संपूर्ण सं. । वि. १४९९ ...३४ :वि. १२२० जयति विजितान्यतेजाः (३५) गद्य सुमतिसूरि ग्रं.२६५० उद्वार १००७६. पिण्डनियुक्ति श्रेष्ठ भदबाहस्वामी संपूर्ण... प्रा. संपूर्ण कागज गा.६९७ कागज ...वि. १६मी..... १३. पिण्डे उग्गम उपायण वि. १६मी ११० पद्य : १००७७ : पिण्डनियुक्ति सटीक मध्यम (990) (१३.५४५:२... गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवू चित्र छे.. :(१३.५४५.२) गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. ग्रन्थान ७००० थी ७५०० सुधी मळे छे. प्रथम पत्रमा समवसरणचें चित्र छे..(१३.५४५.२): गा.६९७ : पिण्डे उग्गम उप्पायण पद्य ....... पिण्डनियुक्ति पिण्डनियुक्ति-बृहद्धत्ति १००७८: उत्तराध्ययनसूत्र भद्रबाहस्वामी मलयगिरिसूरि प्रा.... सं... संपूर्ण ग्र.७२५० मध्यम कागज वि.१६.मी :34 (३५) संयुक्त प+ग सुधर्मास्वामी प्रा. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य । जीण संपूर्ण । अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ कागज गा. ५९६ ग्रं.६०७ कागज ........ .वि. १६मी..... ११ (१२).... 19००७९. उत्तराध्ययनसूत्र नियुक्ति उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति १००८० उत्तराध्ययनसूत्र चूर्णि ........गाथा-५६६....१३:५४५.२.... भद्रबाहस्वामा पद्य संपूर्ण... वि. १६मी./७४. (७४)............. ग्रन्थान-५८५०.. (१३.५४५.२). 437 Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य उत्तराध्ययनसूत्र-चूर्णि प्रा. ग्रं.५८५५ गद्य गोपालिक महत्तर शिष्य १००८१ उत्तराध्ययनसूत्र पाइयटीकासह मध्यम संपूर्ण कागज वि.१६मी २९२ (२९१) पहेला अने बीजा पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणना परेला अनेर जेवां चित्रो छे. पत्र रजु उर्जु १८७९ २०७४ डबल छे अने २०४-२०५ भेगां छे.. (१३.५४५.२) उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी प्रा. अध्याय ३६ ग्रं. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग २०९५ :शान्तिसूरि वादिवेताल सं.प्रा. :श्लोक १३३४५ :शिवदाः सन्तु तीथेश :पद्य मल साथे ग्रन्थाग-१८000 % e .. . . . . .. . . . . . .i s ... कागज संपूर्ण वि.१५७४ Quint १२७ उत्तराध्ययनसूत्र-बृहद्वृत्ति २... अडगविद्या प्रकीर्णक अगविज्जा पइण्णय १००८३ ऋषिभाषितसूत्र (१२७...... (१३.५४५.२. गं. ९००० मध्यम कागज (१३.५४५.२ अध्याय ४५ वि.१६मी (१३) : सोयन्वमेव वदती सोयव : वि. १६मी.. सावज्जजोगविरई पद्य उक्कित १००८४ चतुःशरणप्रकीर्णक व अवचूरि (.9) चतुःशरणप्रकीर्णक (१२) वीरभद्र गा.६३ (प.२) चतुशरणप्रकीर्णक-अवचरि वि. १५७३ (११) (१३.५४५.२). (पे.पृ. १-२) कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे] (प.पू. २.१०. (१३.५४५.२) (पे.पृ. १-२) [कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे.] (पे.पृ.२-१०) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक व अवचूरि मध्यम (पे.१) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत:वीरभद्र :१० देसिक्कदेसविरओ सम्मपद्य गा.७१ श्लोक ८५० नत्वा वीरजिनं वक्ष्य पद्य (ये.२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-भुवनतुङ्गसूरि अवचूरि (महेन्द्रसूरिशिष १००८६ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक व अवचूरि... मध्यम (4.9) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र कागजवि .१६मी :गा. १७२ ग्रं. १७१ :पद्य नमिऊण महाइसयं महाण भृ धातुर्धारणे (पे.२) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-अवचूरि १००८७/ संस्तारकप्रकीर्णक आदि (2.9) संस्तारकप्रकीर्णक (१३.५४५.२). (पे.प्र.१-३) क्र.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे... प.पू. ४-६). (१३.५४५.२) (पे.पृ. १-२) मध्यम वि. १६मी कागज :गा. १२४ गद्य (६) : पद्य :काऊण नमोक्कारं :जिणवर (मे.२) संस्तारकप्रकीर्णक-अवचूरि गद्य ...............(पे.पू. ३-५). 438 Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम १००८८ तन्दूलवैचारिक- चन्द्रवेध्यक- देवेन्द्रस्तव गणिविद्या महाप्रत्याख्यानवीरस्तवअजीवकल्पप्रकीर्णक (पे. १) तन्दुलवैचारिक प्रकीर्णक (पे. २) चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक (पे. ३) देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक (पे.४) गणिविद्याप्रकीर्णक (पे. ५) महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.६) वीरजिनस्तव (पे.७) अजीवकल्पप्रकीर्णक १००८९: गच्छाचारप्रकीर्णक १००९० मरणसमाधिप्रकीर्णक मरणसमाधि प्रकीर्णक आराधनापताका १००९१ १००९२ तीर्थोद्गालिप्रकीर्णक आदि (पे. १) तीर्थोद्गालिक प्रकीर्णक (पे. २) द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी १००९३ ज्योतिष्करण्डकसूत्र वृत्तिसहित ज्योतिष्करण्डकसूत्र ज्योतिष्करण्डकसूत्र वृत्ति १००९४ सिद्धप्राभृतप्रकरण व वृत्ति (पे. १) सिद्धप्राभूतसूत्र (पे. २) सिद्धप्राभृतसूत्र- वृत्ति स्थिति कर्ता मध्यम ऋषिपालित जिनप्रभसूरि मध्यम मध्यम मध्यम वीरभद्र मध्यम जीर्ण पादलिप्तसूर मलयगिरिसूरि मध्यम पूर्णता भाषा संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. सं. प्रा. संपूर्ण प्रा संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण कागज गा. ३४५ गा. १८७४ गा. ३८० गा. ८६ गा. १४३ श्लोक २५ गा. ४५ कागज गा. १३७ कागज गा. ६६१ कागज गा. ९९० कागज गा. १२३३ ग्रं. १५६५ गा. २२५ ग्रं. २०० कागज ग्रं. ४०५ ग्रं. ५००० कागज गा. १२१ ग्रं. ८१५ रचना वर्ष वि.१६मी वि. १६मी वि. १६मी वि. १६मी वि. १०७८ वि. १५७४ वि.१६मी वि. १५७४ 439 आदिवाक्य २० आहारे उबहिम्मि अ ३ नमिऊण महवीरं तिय १३ तिहुअणसरारविन्दं निज्जरियजरामरणं पद्य जहमत्थगच्छयाणं विगसि पद्य. अमरनरवन्दिए वन्दिऊण. पद्य बोच्छं बलाबलविहिं एस करेमि पणामं तित्थ २५ नियसुचरियगुणमाहप्प २७ जयइ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी ससिपायनिम्मलतिहु पुखरवरदीवढं परि झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (२१) पद्य पद्य पद्य पद्य (3) पद्य (93) पद्य (२६) पद्य पद्य पद्य (198) ७४ कातॄण णमोक्कारं जिण स्पष्टं चराचरं विश्व १५. गद्य (१५) पद्य तिहुयण पणए तिहुयण सकलभुवनेशभूतान्निखिल गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (१३.५४५.२) (पे. पृ. १-२०) . (पे. पृ. १-२०) (पे. पृ. १-२० ) [ कृ. वि. गाथा- ३०० थी ३११ 3 मळे छे.] (पे.पू. १-२०) (पे.पू. १-२०) (पे.पू. १-२०) (पे.पू. १-२०) गाथा-१३६., (१३.५x५.२) गाथा-६५९., (१३.५४५.२) गाथा - ६५२ थी ६६१ सुधी मळे छे. गाथा-९९३., (१३.५४५.२) 'सम्मं पणमि नरिन्द देविंद थी प्रारम्भ थती अज्ञातकृत ९३२ गाथानी आज नामनी अन्य कृति पण मळे छे. ६ (१३.५४५.२) (पे. पृ. १-२३) पे.वि.: गाथा १२५३. (पे.पू. २३-२७) पे. वि. गथा-२२३. ग्रन्थाग्र- ५४३७ (१३.५४५.२) (१३.५४५.२) (पे.पू. १-३) (पे. पू. ३-१५) (कृ.वि. ससूत्र ग्रन्थाग्र- ९५०. Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य माध्यम कागज । वि.१६मी (१३९) १००९५ वसुदेवहिण्डी प्रथमखण्ड वसुदेवहिण्डी प्रतिपूर्ण .... प्रा. १३९ णमो विणयपणयसुरिन्द /अग्गेणियपूच्चनिस्संद.. श्लोक-११०००.. (१३.५४५.२). दण्डकछन्दोमयी सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण जीर्ण १००९६ : वसुदेवहिण्डी मध्यमखण्ड प्रतिपूर्ण :कागज वि. १६मी :१७६ : (१७५) :श्लोक-१९०००. पत्र ६१-६२ अने ७२-७३ भेगां प्रा. ग 910000 वसुदेवहिण्डी-मध्यमखण्ड 1१००९७/ योगविधियन्त्र धर्मसेनगणि महत्तर - जीर्ण भाषा- प्राकृत अने पैशाचि छे. (१३.५४५.२) संपूर्ण कागज ..........वि. १६मी संपूर्ण कागज । वि.१६मी (१३.५४५.२) १००९८ आचारागादि आगमिक टीकाकारादि, आद्यन्तपाठ व ग्रन्थमानादिसङ्ग्रह १००९९ : अभिधानचिन्तामणिनाममाला मध्यम संपूर्ण वि. १४८५.. (१३.५४५.२) हेमचन्द्रसूरि अध्याय ६कांड ग्रं. प्रणिपत्यार्हतः पद्य :१o१०० न्यायसारप्रकरण टिप्पणीसहित कागज १४७४ जीर्ण :भासर्वज्ञ अपूर्ण न्यायसारप्रकरण न्यायसारप्रकरण-टिप्पणी १०१०१ : तर्कपरिभाषा गद्य (१२)......(१३.५४५.२) मध्यम संपूर्ण कागज ..........वि. १५मी. केशवमिश्र मध्यम संपूर्ण कागज ...वि. १५भी..... (७१) ............ १०१०२ किरणावलि टीका किरणावली-टीका १०१०३ षट्पञ्चाशिका दिवाकर जीर्ण संपूर्ण कागज ............ वि. १५मी (३) । (१३.५४५.२ (१३.५४५) पथयशा जीर्ण प्रतिपूर्ण कागज वि. १६मी (९९) :(१२.२४५) १०१०४ उत्तराध्ययनसूत्र सटीक त्रयोदशअध्यययनपर्यन्त-सुखबोधावृत्ति उत्तराध्ययनसूत्र सुधमोस्वामी सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य :संयुक्त प+ग : अध्याय ३६ ग्रं. २०९५. 440 Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार गद्य (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य सं..प्रा.,अपभ्रं. . १२००० वि. ११२९ प्रणम्य विघ्नसघात : संपूर्ण वि. १४९६ : २३.. सं. सर्ग६ ग्रं. १८०८ वि. १४८४ विजयतां जिनवाक्यसुधा ने मिचन्द्रसुरि उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधावृत्ति १०१०५ गुणवर्माचरित्र पद्य गुणवर्माचरित्र कागज (२१) माणिक्यसुन्दरसूरि पद्य सर्ग-4?, (११.७४५) अं.वाक्य-गुणवर्मगुरूर्योग्यं. /विशिष्ट रचना प्रशस्ति पत्र १४४मुं डबल छे अने पत्र १५७म नथी., (१२४४.७) १०१०६ : भगवतीसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज । वि. १६०८ १७५ (१७६) प्रा. गं. १६००० गद्य सुधर्मास्वामी मध्यम नमो अरिहन्ताण. ३७. १०१०७ : स्यादिसमुच्चय संपूर्ण कागज वि.१५मी । (३७)..............(१२.२४४.५). अमरचन्द्रसरि गं. १२६७ १०१०८: शिशुपालवधमहाकाव्य सटीक :मध्यम अपूर्ण कागज वि. १६मी प्रति पाणीथी भीजायेली छे., (१२४४.५) पञ्चपाठ शिशुपालवध संपूर्ण कागज वि.१५मी ग्रन्थान-४१७५., (१२४४.५) गा.५४४ गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. नमिऊण जिणवरिन्दे हेयोपदेयार्थोपदेश ग्रं.४०६१ शिशुपालवधमहाकाव्य-टीका . १०१०९ उपदेशमालाप्रकरण मध्यम हेयोपादेयाटीकासहित उपदेशमाला धर्मदास गणि उपदेशमालाप्रकरण-हेयोपादेया टीका-: सिद्धर्षि गणि कथा रहित १०११० नवतत्त्वप्रकरण बालावबोधसहित नवतत्त्वप्रकरण.... नवतत्त्वप्रकरण-बालावबोध १०१११ कर्मविपाक प्रथम कर्मग्रन्थ वृत्तिसह श्रेष्ठ कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गर्गर्षि कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ-वृत्ति परमानन्दसूरि १०११२ : सप्तपदार्थीटीका कणपोटली : मध्यम श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ..........वि. १५मी. (१०) (१२.५४४.५) गा. ४९ जीवाजीवा पनपावा पद्य गद्य संपर्ण कागज वि.१५मी १२ पत्र जूं नथी... (१२४४.५). गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे. (१३) ववगयकम्मकलड़कं वीरं पद्य निःशेषकर्मोदयमेघजाल गद्य (१३) संपूर्ण कागज वि. १५१५ १२ प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पत्र ३जु नथी.. (१२४४.२) सप्तपदार्थी-कणपोटली टीका १०११३ सप्तपदार्थी श्रेष्ट .......... वि. १६मी .. (१२xx.) :भावविश्वेश्वर 441 Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा १०११४सड़ग्रहणीप्रकरण श्रेष्ट : (१२४४.७) श्रीचन्द्रसूरि मलधारि (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार संपूर्ण कागज । वि.१६मी १८ (१९) गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव: पद्य कागज ....वि. १६मी.. ग्रं. ५५० ग्रं.२४४ सं. मारुगूर्जर संपूर्ण कागज वि.१६मी प्रा. गा.२५०० ग्रं. जयइ जगजीवजोणी पद्य 3900 वियाणओ संपूर्ण २४) १०११५ शब्दसञ्चय आदि (पे.१) शब्दसञ्चय (ये.२) स्यादिप्रक्रम (ये.३) आक्तिक १०११६ : आवश्यकसूत्रनियुक्ति टिप्पणी सहित आवश्यकसूत्र-नियुक्ति अमरचन्द्रसुरि (११.७४४.५). (प.पू. १-99) (ये.पू. ११-१६) (प.पू. १६-२३). ग्रन्थान-२५५०..(११.४४.७) आनुं अने नंदिसूत्रनु आदिवाक्य समान छे. जीर्ण :५३ भद्रबाहस्वामी संपूर्ण कागज वि. १५२० (८२) श्लोक-४०६०. नाममा 'लघुवृत्ति थी अहीं शुं ग्रहण करवं?..(११.५४४.७.. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. गा. ५४४ ग्रं. ४०६१ नमिऊण जिणवरिन्दे हेयोपदेयार्थोपदेश पद्य गद्य आवश्यकसूत्र-नियुक्ति-टिप्पणी १०११७ उपदेशमालाप्रकरण लघुवृत्ति सह । जीर्ण हेयोपादेयावृत्तिसह.. उपदेशमाला धर्मदास गणि उपदेशमालाप्रकरण-हेयोपादेया टीका- सिद्धर्षि गणि कथा रहित १०११८ कल्पसूत्रसन्देहविषौषधिटीका श्रेष्ठ कल्पसूत्र-सन्देहविषौषधिवृत्ति जिनप्रभसूरि १०११९ महीपालचरित्र पद्य टिप्पणीसहित ... महिपालचरित्र वीरदेवगणि कागज वि.१५७१ (६०) (१२४४.७) गय वि. १३६४ वि. १६मी ... कागज ग्रन्थान-१८००.. (११.५४४.७) (५७) पद्य गा. १८१६ ग्रं. २२०० कागज वि. १५मी ९९ नमो अरिहन्ताणं... (900) संयुक्त प+ग (११.५४५) भद्रबाहस्वामी ग्र.१२८० महिपालचरित्र-टिप्पणी १०१२० कल्पसूत्र टिप्पणी सहित कल्पसूत्र कल्पसूत्र-टिप्पणी १०१२१ मेघदूतमहाकाव्य टिप्पणीसहित मेघदूतमहाकाव्य मेघदूतमहाकाव्य-टिप्पण वकचूलरास - वि. १६मी (३७) ... १.२४५.२) कालिदास ग्र.२००० पद्य संपूर्ण कागजवि . १६मी. ग्रं. १३५ (११.२४४.५ मारुगूर्जर Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज .......... वि. १६मी ४ प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा संपूर्ण .. सं... संपूर्ण...... १०१२३ चन्द्रप्रभजिनचरित्रविषमपदविवृति .. चन्द्रप्रभचरित्र-विषमपदविवृति १०१२४ जातकाभरण (११४४.५) जीर्ण जिनेश्वरसूरि श्रेष्ठ कागज.. ...........वि. २०मी..... ४...... (११४५). श्रेष्ठ कागज २० (११.२४५) १०१२५ रोहिणियारास रोहिणीयारास १०१२६ : कालिकाचार्यकथा ऋषभदास जीर्ण संपूर्ण मारुगूर्जर, संपूर्ण वि. १८मी :वि. १६४४ वि. १६मी. कागज (११.२४४.७) गा.८४ अतिथे धारावासपर पद्य १०१२७ धर्मपरीक्षा : संपणे .वि. १६मी.....४३ (88] पत्र ४) नथी...(११४४.५..... :अमितगति कागज श्लोक १७३९ कागज १०१२८ : योगविधियन्त्र मध्यम संपूर्ण वि. १७मी (११X४.५) १०१२९ : सूत्रकृताङ्गसूत्र संपूर्ण कागज (३९) मध्यम सुधर्मास्वामी .......... (११४४.७) प्रा. ग्र.२२०० । कागज बुज्झिज्ज तिउटेज ..वि. १७मी.... ११४. १०१३०. जीवाभिगमउपाङ्गसूत्र संपूर्ण प्रति पाणीमां भीजाईने चोंटी गई छे., (११४४.५): :जीवाभिगमसूत्र प्रा. :गं.४७०० (११५)........ गद्य । (२१) १०१३१ : कालिकाचार्यकथा कागज वि. १७मी २० (१०.७X४.५) संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण १०१३२ अन्तकृशाङ्गसूत्र कागज (१०.७X४.२) सुधर्मास्वामी ग्र.८९० । वि. १६मी...१५ । तेणं कालेणं तेणं वि. १९मी.... :संपण कागज (१०.७४४.७) (पे. पू.?). ऋषभदास जिनहर्ष १०१३३ : गौतमपृच्छास्तवन आदि (पे.१) अवन्तिसूकुमाल स्तवन गौतमपृच्छास्तवन (पे.२) अवन्तिसुकुमालना ढालियां... (पे.३) चोवीसजिनस्तवन (पे.४) जिनस्तवन .. (पे.५) वैराग्यसज्याय १०१३४ बारभावनावेलि वि. १६७८ :वि. १७४१ : वि. १६५१ आनन्दविजय गा.२९ .... मारुगूजेर गा.७७ मारुगूर्जर गा.१०५ मारुगूर्जर मारुगूर्जर गा.१० मारुगूजेरगा . १० संपूर्ण कागज सकलचन्द्र SSSV (पे.पू.... (पे.पू. (पे.पू.) (पे.पू. ?.. (१०.७४४.७) मालमनि मध्यम ...: वि. १७७३७ 443 Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम १०१३५ कमलावतीरास कमलावतीसज्झाय १०१३६ अनाथीरुषिचोपई अनाथीमुनि चउपड़ १०१३७ | जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङगसूत्रचूर्णि जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र - चूर्णी १०१३८ | उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययन सूत्र - सुखबोधावृत्ति १०१३९ | चतुःशरणप्रकीर्णकावचूरि चतुःशरणप्रकीर्णक-अवचूरि १०१४० संस्तारकप्रकीर्णक आदि (पे. १) संस्तारकप्रकीर्णक (पे. २) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् नवकार बालावबोधसहित नवकार नवकार बालावबोध १०१४१ १०१४२ कर्मग्रन्थ १०१४३ कर्मग्रन्थ सङ्क्षिप्त बालावबोध सहित कर्मग्रन्थषट्क कर्मग्रन्थ- बालावबोध १०१४४ समयसारप्रकरण सस्तबक स्थिति कर्ता यशः सोम जीर्ण विजयभद्र मध्यम श्रेष्ठ श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी नेमिचन्द्रसूरि मध्यम मध्यम वीरभद्र मध्यम श्रेष्ठ नेमिचन्द्र (दिगम्बर) मध्यम देवेन्द्रसूरि श्रेष्ठ पूर्णता भाषा मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. प्रा. अपभ्रं संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. मारुगूर्जर संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र मारुगुर्जर संपूर्ण परिमाण कागज गा. ४४ कागज गा. ६४ कागज ग्रं. १८६९ कागज अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ ग्रं. १२००० कागज कागज गा. १२४ गा. ७१ कागज कागज गा. १६१ कागज कागज रचना वर्ष वि. १७०३ वि. १७मी वि. १८मी वि. १६१४ वि. १६३९ वि. ११२९ वि.१७मी वि. १८मी वि. १६१६ वि. १८मी वि. १७मी वि. १७मी 444 आदिवाक्य ४ ५ ३३ णमिऊण विणयविरतियकर २७२ सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य प्रणम्य विघ्नसङघात ११ १७ काऊण नमोक्कारं जिणवर देसिक्कदेसविरओ सम्म २ १२ ३३ सिरिवीरजिणं वन्दिय २१ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (४) पद्य (६) पद्य (38) गद्य (२७२) संयुक्त प+ग गद्य (१२) गद्य (८) पद्य पद्य (3) गद्य (१३) पद्य (३४) पद्य गद्य (२२) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ( १०.७५४.५) गाथा - ६३., (१०1७४४.५) ग्रन्थाग्र-१८६०., (१०.७४४.५) (१०.५४४.५) ( १०.५४४.५) ( १०.२४४.५) (पे.पू. ?) (पे. पृ. 2) पे.वि.: गाथा ६७. ग्रन्थान- ३००.. [कृ. वि. गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे.] ( १०.२४४.२) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.७) १-५ देवेन्द्रसूरिना रचेला छे अने सप्ततिका कर्मग्रन्थ अन्यकृत छे. ( १०.२४४.५) Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम समयसारप्रकरण समयसारप्रकरण-टबार्थ १०१४५ : कालसप्ततिकाप्रकरण सस्तबक कालसप्ततिकाप्रकरण कालसप्ततिकाप्रकरण स्तबक १०१४६ कालसप्ततिकाप्रकरण १०१४७ नवतत्त्वप्रकरण १०१४८ नवतत्त्वप्रकरण १०१४९ ऋषिमण्डलप्रकरण आदि (पे. १) ऋषिमण्डलस्तव (पे. २) विवेकमञ्जरीप्रकरण १०१५० उपदेशमाला प्रकरण उपदेशमाला १०१५१ । उपदेशमालाप्रकरण अवचूरि उपदेशमालाप्रकरण-अवचूरि १०१५२ । शीलोपदेशमालाप्रकरण शीलोपदेशमाला १०१५३ शीलोपदेशमालाप्रकरण शीलोपदेशमाला १०१५४ शीलोपदेशमालाप्रकरण शीलोपदेशमाला १०१५५ शीलोपदेशमालाप्रकरण शीलोपदेशमाला १०१५६ योगशास्त्र आद्यप्रकाश्चतुष्टय स्थिति कर्ता देवानन्दसूरि मध्यम धर्मघोषसूरि श्रेष्ठ धर्मघोषसूरि मध्यम मध्यम मध्यम धर्मघोषसूरि आसड मध्यम धर्मदास गणि श्रेष्ठ जीर्ण जयकीर्तिसूरि मध्यम जयकीर्तिरि श्रेष्ठ जयकीर्तिसूरि श्रेष्ठ जयकीर्तिरि श्रेष्ठ पूर्णता भाषा सं. मारुगूर्जर संपूर्ण प्रा. मारुगूर्जर संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रतिपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण कागज गा. ७४ ग्रं. ९० कागज गा. ७४ ग्रं. ९० कागज गा. ४९ कागज गा. ४९ कागज गा. १६२ गा. १४४ कागज गा. ५४४ कागज कागज गा. ११६ कागज गा. ११६ कागज गा. ११६ कागज गा. ११६ कागज रचना वर्ष वि. १४६९ वि. १४६९ वि. १६७० वि.१७मी वि. १७मी वि.१८मी वि. १७मी वि. १२८८ वि. १६मी वि.१७मी वि. १७मी वि. १५४७ वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी 445 आदिवाक्य १२ ४ २ जीवाजीवा पुत्रं पावा ४ जीवाजीवा पुत्रं पावा ७ भत्तिभरनमिरसुरवर. सिद्धिपुर सत्यवाह १२ नमिऊण जिणवरिन्दे १७ २ आबाल बम्भयारिं नेमि ३ आबाल बम्भयारि नेमि ९ आबाल बम्भयारिं नेमि ६ आबाल बम्भयारिं नेमि १६ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य (१३). पद्य गद्य (8) पद्य (3) पद्य (4) पद्य पद्य पद्य (१२) पद्य (१६) गद्य (3) पद्य (3) पद्य (९) पद्य (७) पद्य (919) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (१०४४.५) गाथा - ७५., (१०.२X४.५) गाथा- ४४., (१०.२४४.२) गाथा- ४४., (९७४४.२ ) (१०.५४४.५) (पे.पू. १-४) (पे.पू. ४-७) प्रति ऊधईए करडेली छे. पत्र ५मुं नथी.. (१०.५४४.५) गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. ( १०.२४४.५) गाथा-११५. (१०.२४४.५) गाथा - ११५. (१०.२४४.५) ( १०.२४४.५) (१०४४.५) (१०४४.७) Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार योगशास्त्र हेमचन्द्रसूरि अध्याय १२प्रका नमो दुर्वाररागादिवर :१०१५७: योगशास्त्र आद्यप्रकाश युग्म मध्यम प्रतिपूर्ण कागज । वि.१८मी :(१०x४.७) हेमचन्द्रसरि अध्याय १२प्रका योगशास्त्र १०१५८ श्रावकदिनकृत्यप्रकरण श्राद्धदिनकृत्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१७मी । नमो दुर्वाररागादिवैर. । (१६)...... वीरं नमेउण तिलोयभाणु पद्य गा.३४० ग्रन्थान-३४१..(१०.२४४.५).. गाथा-३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामां मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार? समान आदिवाक्य? (१०.५४४.५) कागजवि . १७मी :२२ संपूर्ण कागजवि .१/मी (१०.२४४.५)................ श्लोक ३२ धर्माधर्मान्तरं | १०१५९ श्रावकदिनकृत्यप्रकरण अवचूरि श्राद्धदिनकृत्यप्रकरण-अवचुरि १०१६० परमसुखद्वात्रिशिका बालाबोधसहित जीर्ण परमसुखद्वात्रिंशिका जिनप्रभसूरि (आगमिक) परमसुखद्वात्रिंशिका-बालावबोथ सम्यक्त्वसप्ततिका सावरि पञ्चपाठ श्रेष्ठ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण हरिभद्रसूरि दर्शनसप्ततिकाप्रकरण-अवचूरि १०१६२ सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण बालावबोध :श्रेष्ठ मारुगजर संपूर्ण .......... वि. १७मी. (५).. गा.७० दसणसद्धिपयार पद्य ग्रं.34 संपूर्ण कागज वि. १७मी (१४) (१०.२४४.५) सह :गा.७४ रत्नशेखरसरि : मेरुसुन्दर मारुगर्जर गं. १७२७ पद्य गद्य (१३). पद्य जीर्ण संपूर्ण .........वि. १८मी गा.२२३ धर्मघोषसुरि रत्नशेखरसूरि जीर्ण सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण-बालावबोध ऋषिमण्डलप्रकरण आदि (पे.9) ऋषिमण्डलप्रकरण (पे.२) सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण १०१६४ : पार्श्वनाथचरित्र सक्षिप्त गद्य ... पार्श्वनाथचरित्र सक्षिप्त १०१६५ पार्श्वनाथचरित्र गत दशदृष्टान्त पद्य पार्श्वनाथचरित्रगत दशदृष्टान्त. १०१६६ नाभेयचरित्रस्तोत्र आदि (4.9) नाभेयजिनस्तोत्र गा.७४ पद्य .(१०x४.५. (पे.पू. १-९) पं.वि. : गाथा-२२३.. (प.पू. ९-992 पे.वि. : गाथा-७२. पत्र. ५२९ डबल छे...१०.५४४.५... कागज वि. १७मी (१७) गद्य :कागज मध्यम रलप्रभसूरि (१०.२४४.५) पद्य मध्यम संपर्ण वि. १५६७ ... २४-२(१ थी २)=२२ . श्लोक ९५७... कागजवि . १६मी ४ गा.२० नाभियजिणमुसभ 446 (१०.२४४.५) (प.पू.१-४ जिनवल्लभ Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. २) शान्तिनाथचरित्र (पे. ३) नेमिनाथस्तोत्रचरित्र १०१६७ : हरिविक्रमचरित्र पद्य हरिविक्रमचरित्र १०१६८ मलयसुन्दरीचरित्र पद्यज्ञानरत्नोपाख्यान १०१७२ मलयसुन्दरीचरित्र ज्ञानरत्नोपाख्यान १०१६९ | सम्यक्त्वरत्नमहोदधि सटीक सम्यक्त्वरत्नमहोदधि सम्यक्त्वरत्नमहोदधि-टीका १०१७० आरामनन्दनकथा पद्य आरामनन्दनकथा देवराज-वत्सराजकथा पद्य दानविषये १०१७३ वीरसेन- कुसुमश्रीकथानक पद्य अनर्थदण्डव्रतोपरि वीरसेन कुसुमश्री कथानक पराअनर्थदण्डव्रतोपर १०१७४ सौभाग्यपञ्चमीकथा पद्य १०१७५ मौनएकादशीमाहात्म्यकथा पद्य १०१७६ सुव्रतऋषिकथानक मौनएकादशीकथानक पद्य सुव्रतऋषिकथानक मौनएकादशीकथानक परा १०१७७कालिकाचार्यकथा पद्य स्थिति कर्ता जिनवल्लभ जिनवल्लभ जीर्ण जयतिलकसूरि मध्यम जयतिलकसूरि जीर्ण चन्द्रप्रभसूर जीर्ण श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ कनककशलगणि श्रेष्ठ रविसागर मध्यम श्रेष्ठ पूर्णता भाषा प्रा. प्रा. संपूर्ण संपूर्ण सं. अपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र आदिवाक्य रचना वर्ष परिमाण गा. २३ गा. १५ कागज कागज अध्याय ४ ग्रं. २४३० कागज कागज श्लोक ५३५ हस्तप्रत ग्रं. ४०० हस्तप्रत श्लोक ३४७ हस्तप्रत श्लोक १५२ हस्तप्रत श्लोक २०० हस्तप्रत गा. १५९ हस्तप्रत गा. ५७ वि. १६मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १६मी वि. १६मी वि.१६मी वि. १७मी वि. १७५९ वि. १७मी वि. १७मी 447 मयनाहि सरिसबलसिर ७५ ४५ चतुरङ्गो जयत्यर्हन ११३ १२ ११ ६ ५. ७ ५ ५ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य (७६) (४६) (११४) गद्य (१२) पद्य (११) पद्य () पद्य (4) पद्य (&) पद्य (4) पद्य (4) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पू. १-४) (पे.पू. १-४) ( १०.२४४.७) (१०.५४४.७) पत्र ७७मं नथी. (१०.५४४. ५) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) ( ९.७४४.२) (१०४४.५) प्रति स्थलाक्षरी छे. (१०.२४४.५) Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (२८) संयुक्त प+ग श्रेष्ठ हस्तपत पत्र बीजुं नथी..(१०x४.५). १०१७८ रूपसेननरेन्द्रकथा गद्य पद्य रूपसेननरेन्द्रकथा गद्य-पद्य १०१७९ आरामशोभाकथानक गद्य......... जिनसूर मध्यम संपूर्ण वि. १७१० सं. संपूर्ण......... हस्तप्रत............ वि. १६मी.. (9०x४.५ सरयर १०१८० जम्बूस्वामिचरित्रसम्बद्धकथासङ्ग्रह .. गद्य (१६)....... श्रेष्ठ हस्तप्रत वि. १७मी (१०x४.५). संपूर्ण मारुगूर्जर १०१८१: कथासङ्ग्रह गद्य मध्यम हस्तप्रत वि.१६मी (१८) (१०.५४४.५) ग्र.१४०० प्रा. संपूर्ण १०१८२ पुण्यसारकथा पद्य हस्तप्रत श्रेष्ठ शुभशील .वि. १६मी.....२४-१(१)=२३... .(१०.२४४.५). ग्र.१३११ पद्य १०१८३ सक्षिप्तकथासङ्ग्रह गद्य ... मध्यम संपूर्ण हस्तप्रत वि. १७मी..९ (१०) (१०.५४४.५) मध्यम संपूर्ण हस्तप्रत वि. १७मी :१६ (१६) (१०.५४४.५) १०१८४ वसति शयनादिदानविषयककथासङ्ग्रह गद्य कथासङ्ग्रहवसतिशयनासनादिविषयक गद्य पद्मचरित्रगत चतुर्दशउद्देश.. पउमचरियं गाथाबद्ध.. : १०१८६: वीतरागस्तोत्र प्रतिपूर्ण ... गाथा-१६९.. (१०.५४४.५)........ पद्य जीर्ण विमलसूरि. जीर्ण हेमचन्द्रसूरि हस्तप्रत..........वि. १६मी. ग्रं. १०३००वी . ५३० वि. १६मी अध्याय २० ग्रं. संपूर्ण (५) (१०.२४४.२) प्रकाश-२०. यः परात्मा परज्योत पद्य :१०१८७ : जिनस्तोत्ररत्नकोश प्रथमप्रस्ताव :श्रेष्ठ हस्तप्रत वि.१६मी : (१०.५४४.५ मुनिसुन्दरसरि श्लोक ११५० पद्य १०१८८ अजितशान्तिस्तव मध्यम हस्तप्रत अजितशान्तिस्तोत्र गा.४० पद्य :१०१८९ भक्तामरस्तोत्र सावचार नन्दिषेण जीर्ण मानतुङ्गसूरि संपूर्ण वि.१७मी (१०.२४४.५). अजियं जियसब्वभयं गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. ........वि. १७मी.....२१ (१०.२४४.५) भक्तामरप्रणतमीलिमणिपद्य अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. गद्य हस्तप्रत .............वि. १६९६..... २२. (२३).............. (१०x४.२) का.४४ भक्तामरस्तोत्र भक्तामरस्तोत्र-अवचूरि १०१९० भक्तामरस्तोत्र वालावबोधसहित .... जीर्ण संपूर्ण Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (6) क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार पद्य भाषा भक्तामरस्तोत्र का.४४ भक्तामरप्रणतमौलिमणि अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. मारुगूजेर भक्तामरस्तोत्र-बालावबोध १०१९१ कल्याणमन्दिरस्तोत्र मानतुगसूरि :मेरुसुन्दर मध्यम सिद्धसेन दिवाकर सपूर्ण वि. १८मी (१०.५४४.५) ५. कल्याणमन्दिरमुदारमव का.४४ सरि.. जीर्ण संपूर्ण वि.१८मीx :(१०.२४४.७) अपर्श गा30 जयतिवण कप्परुक्ख । ....वि. १७मी..... (१०.५४४.५. : संपूर्ण प्रा. प्रतिपूर्ण गा.३९ हस्तप्रत वि. १६मी प्रति ऊधईए खाधेली छे.. (१०.२४४.५) :अहै। सिद्धिः स्याद गद्य १०१९२: जयतिहुअणस्तोत्र अभयदेवसूरि १०१९३. शत्रुञ्जयतीर्थकल्प जीर्ण पादलिप्तसूरि १०१९४ : सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ : मध्यम सप्तमाध्यायपर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन :हेमचन्द्रसरि १०१९५ सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ जीर्ण चतुर्थाध्यायतृतीयपदपर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन हेमचन्द्रसरि १०१९६ सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास मध्यम तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो कनकप्रभसूरि लघुन्यास सिद्धहेमशब्दानुशासनपञ्चमषष्ठसप्तम मध्यम प्रतिपूर्ण वि. मी (१०.५४४.५) अई। सिद्धिा स्याद प्रतिपूर्ण वि. १५२७ ७२ (१०.२४४.५) सं. प्रतिपूर्ण :वि. १६मी :४७ :(४८) (१०.२४४.५) ध्याय अहे। सिद्धिा स्याद गद्य (३९) प्रतिपूर्ण हस्तप्रत वि. १५मी (१०.२४४.५) सिद्धहेमशब्दानुशासन हेमचन्द्रसूरि १०१९८ : सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-षष्ठ- जीर्ण सप्तमाध्याय व्युत्पत्तिदीपिकातद्धितवृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति. ....हेमचन्द्रसूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन नी लघुवृत्ति नी व्युत्पत्तिदीपिका १०१९९ । सिद्धहेमशब्दानुशासन अवचूरि गं.3300 प्रणम्य परमात्मान गद्य मध्यम प्रतिपूर्ण कागज वि. १६मी ४३ (४३) पत्र ३७मुं नथी., (१०.५४४.५) 449 Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रत प्रकार । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता गद्य द्वितीयाध्याय प्रथमपादपर्यन्त दीपिकावृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन-अवचूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-दीपिका टीका १०२०० सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति : मध्यम अवचूरि-द्वितीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासननी लघुवृत्ति अवचूरि १०२०१ हेमलिङ्गानुशासनस्वोपज्ञविवरणउद्धा श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण :कागज वि. १५मी १७ (१८) :(१०.२४४.५) सर्वज्ञं सर्वदेवार्च गद्य संपूर्ण कागज वि. १५मी २१ (२२) (१०.२४४.५) गद्य श्रेष्ठ कागज ........वि. १५मी. हेमचन्दसरि ग्र.३३८४ पद्य हैमलिङगानुशासनना विवरणनो उद्धार १०२०२ लिङगानुशासन सावचूरि पञ्चपाठ.. हेमलिङगानुशासन हैमलिङ्गानुशासन-अवचूरि । १०२०३पाणिनिव्याकरणसूत्रपाठ... पाणिनिव्याकरण १०२०४ सारस्वतव्याकरण मध्यम संपूर्ण गद्य .(२८). कागज..............वि. १७मी... (१०x४.२० ........... पाणिनि गद्य मध्यम संपूर्ण कागज .......... वि. १७मी .. (१०.२४४.५) १०२०५: सारस्वतव्याकरण उत्तरार्द्ध अनुभूतिस्वरुप श्रेष्ठ अनुभूतिस्वरुप जीर्ण कागज ............ वि. १७७९ ५३-२९(१ थी २९)=२४ । (२४)......... (१०.२४४.५). सारस्वतव्याकरण संपूर्ण सं. अपूर्ण १०२०६ सारस्वतव्याकरण टीका त्रुटक अपूर्ण : कागज वि. १७मी :१०१-२(१थी २)-९९ (९१) पत्र ६४,६५,७४,८६थी९२ अने ९७थी१०० नथी., (१०.५४४.२).. सारस्वतव्याकरण-टीका सारस्वतधातुपाठ सावरि त्रिपाठ. वि. १७मी श्रेष्ठ अनभतिस्वरुप (99).............. (१०.२४४.५ सारस्वतधातपाठ सारस्वतधातपाठ-अवचरि १०२०८।अनिटकारिका ......वि. १७मी.. (१०x४.५) :१०२०९: क्रियाकलाप संपूर्ण कागज प्रति पाणीथी भींजायेली छे., (१०.५४४.५) ....... वि. १६मी.....६ 450 Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार गद्य भाषा :विजयानन्द अपूर्ण कागज वि. १७मी :(१०.२४४.२) १०२१०: अभिधानचिन्तामणिनाममाला अपूर्ण अभिधानचिन्तामणिनाममाला जीर्ण हेमचन्द्रसूरि सं. प्रणिपत्यार्हतः पद्य अध्याय ६कांड ग्रं. २६३० R १०२११ अभिधानचिन्तामणि स्वोपज्ञ टीका सह श्रेष्ठ, अभिधानचिन्तामणिनाममाला हेमचन्द्रसूरि कागज वि. १७मी अध्याय ६कांड ग्रं.: २६३० १९३. प्रणिपत्याहेत (१९४).. ........... पद्य पत्र २७, डबल छे...(१०.५४४.५). सं. गं १0000 धर्मतीर्थकृतां वाचं हेमचन्द्रसूरि जीर्ण उभय ग्रन्थान-१००००. टीका ग्रन्थान-४६८५. (१०.२४४.७) संपूर्ण कागज (५८) अभिधानचिन्तामणिनाममाला-टीका अभिधानचिन्तामणि टिप्पणीसह पञ्चपाठ अभिधानचिन्तामणिनाममाला हेमचन्द्रसुरि : सं. प्राणपत्याहेता अध्याय ६काडग्र. :२६३० अभिधानचिन्तामणिनाममाला-टिप्पण १०२१३ : अनेकार्थतिलक : मध्यम कागज महीप ग्र.९५० कागज संपूर्ण (७४) .... . (१०.२४४.५) ग्रं.३३५७. : कागज प्रतिपूर्ण (69) (१०.२४४.५) काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसहजीर्ण कविशिक्षा अमरचन्द्रसूरि कविशिक्षा-काव्यकल्पलता टीका...... अमरचन्द्रसूरि रघुवंशमहाकाव्य सटीक तृतीयसर्गथी मध्यम सप्तमसर्ग पर्यन्त रघुवंशमहाकाव्य :कालिदास रघुवंशमहाकाव्य-टीका : मेघदूतमहाकाव्य सटीक मेघदुतमहाकाव्य कालिदास मेघदूतमहाकाव्य-टीका १०२१७ : कुमारविहारशतक.. वागर्थाविच सम्पती पद्य गद्य श्रेष्ट सपूर्ण (१०.५४४.५) (४०) पद्य गद्य सपण गा.११६ :१०२१८: सूक्तावली संपूर्ण कागज (४१ (१०.५४४.२) Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतिपूर्ण कागज वि. १७मी क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार (२०) :२० (१०.२४४.५) गद्य श्रेष्ठ.. कागज ............वि. १७मी..... १५.... १०२१९ तार्किकरक्षाव्याख्यानसारसङ्ग्रह श्रेष्ठ प्रथमपरिच्छेद टिप्पणीसहित तार्किकरक्षाव्याख्यानसारसग्रह वरदराज तार्किकरक्षाव्याख्यानसारसड़न-टिप्पणी १०२२० तर्कपरिभाषा केशवमिश्र १०२२१ तर्कपरिभाषा प्रकाशिकाव्याख्यासहित श्रेष्ठ तर्कपरिभाषा केशव मिश्र तर्कपरिभाषा-प्रकाशिकाव्याख्या चिनिभट्ट षट्पञ्चाशिका वृत्तिसहित श्रेष्ठ षटपञ्चाशिका पृथयशा कागज .....वि. १७मी ४१ (४२)............... (१०.२४४.५. २७२० गद्य .१०.५४४.५) पद्य पटपञ्चाशिका-वत्ति उत्पल भटट गद्य १०२२३: भावाध्याय अपूर्ण श्रेष्ठ अपूर्ण कागज ........... वि. १९मी .१०.२४४.५ भावाध्याय १०२२४ : बाहुबलिस्वाध्याय श्रेष्ठ संपूर्ण वि.१९मी (१०.५४४.५) लब्धिविजय गा.२९ मारुगुर्जर १०२२५ जम्बूस्वामिगीत छन्द :कागज वि.१६४१. (१०.५४४.२). १०२२६ श्रीपालनृपरास ..... श्रेष्ठ संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगर्जर संपूर्ण वि. १७८० (१०.५४४.२) जिनहर्ष वि.१७४२ १०२२७ इलाकुमारचोपाई श्रेष्ठ कागज वि. १७६८ (१३) (१०x४.७) :ज्ञानसागरसरि मारुगूर्जर वि.१७२१ पद्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १७मी.. १०.२४४.५) १०२२८ शाश्वतजिनचैत्यवन्दनसूत्र सार्थ शाश्वतजिनचैत्यवन्दनसूत्र शाश्वतजिनचैत्यवन्दनसूत्र-अर्थ १०२२९ नेमिजिनवरस्तवन नेमिनाथजिनवरस्तवन १०२३० वीरजिनवीनतिस्तवन . श्रेष्ठ कागज मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण .9X४.७) ऋषभदास गा.७१ ..वि. १७९९. वि. १६६८ वि. १६९८.... पद्य ( ul कागज _ o x४.५) 452 Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य भाषा नगा :(१०.२४४.७) वीरजिनविनन्तिस्तवन १०२३१: चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन : चिन्तामणि पार्श्वनाथस्तवन । १०२३२: सम्यक्त्वस्वाध्याय जीर्ण (१०x४.५) गा.१९ श्रेष्ठ :जिनहर्ष वि. १७४१.. १०२३३ : अवन्तिसुकुमाल स्वाध्याय (पे.१) अवन्तिसुकुमालना ढाळियां (पे.२) पर्युषणपर्व स्तवन १०२३४. अवन्तिसुकुमालनां ढालिया. अवन्तिसुकुमालना ढाळियां :१०२३५ : पृथ्वीचन्द्रकुमाररास (१०.२४४.५) (प.पू. १-८) (पे.पृ.८) (१०.२४४.५) वीरविजय जीर्ण संपूर्ण :जिनहर्ष मध्यम (१०x४.७) देवचन्द्र (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाकर मारुगूर्जर संपूर्ण :कागज वि. १८मी मारुगूर्जर गा.१४ संपूर्ण कागज वि. १६०२ मारुगूर्जर संपूर्ण हस्तप्रत ...वि. १९मी... मारुगूजेर गा.१०५ मारुगूर्जर गा.४ कागज वि. १८१२... मारुगुजेर गा.१०५ । वि. १७४१ संपूर्ण कागज : वि. १७५६ ... १२ मारुगूर्जर गा. १७४. वि. १६९६.... संपूर्ण कागज वि. १७मी .. मारुगुर्जर गा,८१ : वि.१४१२ संपूर्ण कागज .वि. १७६६..... १८... मारुगूर्जर गा.३०२ वि. १७४२... संपूर्ण कागज वि. १८मी २१ मारुगूर्जर संपूर्ण कागज वि. १५९५ . मारुगुर्जर गा.१८५ मारुगूजेर... गा. ६४ संपूर्ण कागज मारुगर्जर गा.३६७ संपूर्ण । कागज ......वि.१७मी... मारुगूजेरगा .३६ संपूर्ण कागज वि. १७मी मारुगूर्जर......गा. ३४९....... ...वि. १५३४ संपूर्ण .....कागज .. वि. १७मी ...२ १०२३६: गौतमस्वामिरास जीर्ण विनयप्रभ (१०x४.२) १०२३७. श्रीपालरास श्रेष्ठ गाथा-२८२...(१०.२४४.५). :श्रीपालनपरास जिनहीं :१०२३८: शाम्बप्रद्युम्नरास श्रेष्ठ (१०.२४४.७) सकलचन्द्र :वि. १६५९. श्रेष्ठ (१०.२४.५) (प.पू. 9-90) १०२३९: बारभावनारास व अनाथीमुनिचउपई (पे.१) बारभावनारास (पे.२) अनाथीमुनि चउपइ. :१०२४३ पुरन्दरकथारास पद्य (पे.पू. १७-२१). (१०.५४४.५) श्रेष्ठ वि.१८मी (१४) मालदेव पद्य १०२४७. अनाथीकुलक..... मध्यम (१६) ............(१०.२४४.२). पद्य श्रेष्ठ (१६) (१०.५४४.५) १०२४९ : सम्यक्त्ववारव्रतकुलक सम्यक्त्व बारव्रतकुलक १०२५१ . दानशीलतपभावनाकुलक मध्यम (१०.५४४.७) 453 Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रा. गा.२२ १०२५२ : साधुसामाचारीकुलक कागज : वि.१७मी (२) सोमसुन्दरसूरि गा.४६. कागज क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति प्रकार पद्य (१०.२४४.५). पद्य (२२) (१०.५४.५) गद्य (३६)................(१०.५४४.५). ........... गद्य (१०२) प्रति पाणीमां भीजाईने चोटी गयेल छे.. (१०.२४४.७) ਸੱਸ वि.१७मी १०२५६ अनेकविचारसङ्ग्रह अनेक विचार सड़ग्रह १०२५७ : विचारामृतसङ्ग्रह कागज जीर्ण कुलमण्डनसुरि । वि. १४६३.... :वि.१४४३ ग्र.२२०० १०२६२ सूत्रकृताङ्गसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१७मी ग्रं.२२०० संपूर्ण कागज पत्र १४४मुं डबल छे...(१०.५४४.७). कल्पसूत्र ग्रं. १२८० सुधमोस्वामी (१०२७५ कल्पसूत्र किरणावलीटीकासह त्रिपाठ मध्यम भद्रबाहस्वामी कल्पसूत्र-किरणावलीटीका धर्मसागर १०२७६ । कल्पान्तर्वाच्यबालावबोध कल्पसूत्र-अन्तर्वाच्य ना बालाचबोध १०२७७ कल्पसूत्रान्तवाच्य मध्यम :कल्पसत्र-अन्तर्वाच्य १०२७९। साधुपाक्षिकअतिचार जीर्ण बुज्झिज्ज तिउद्देज्ज वि. १६९०.....३२२. नमो अरिहन्ताणं... वि. १६२८ ..वि. १७मी (३२२. संयुक्त प+ग गद्य मध्यम संपूर्ण कागज (७६) १०.२४४.५.. ............... मारुगूर्जर गय संपूर्ण कागज वि. १५५०...। ६५.१(१)=६४...... (६६) पत्र ४३९ नथी..(१०.२४४.५. प्रा..सं.. गय. कागज .......... वि. १७मी ... (९.७४४.२) संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण प्रा. कागज ....... वि. १६मी. (१०x४.५) गा.१३७ कयपवयणप्पणामा... १०२८१ श्राद्धजीतकल्पसूत्र सावरि पञ्चपाठ जीर्ण श्राद्धजीतकल्पसूत्र धर्मघोषसूरि श्राद्धजीतकल्पसूत्र-अवचूरि १०२८५ प्रक्रियाकौमुदी संपूर्ण कागज वि. १८मी.. १६३. १०.२४४.५ (१६३..... रामचन्द्राचार्य १०२८९ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १७मी १६१ (१६१) ग्रन्थान-५२००. पत्र ३४९.१०३मुं,१४२,१४३९ डबल छे तथा १३०मुं नथी..(१०x४.५) ग्र. ५००० सुधर्मास्वामी मध्यम तेणं कालेणं तेणं. :४५-३(१ थी ३)=४२ १०२९९ रत्नपालरास संपूर्ण कागज ........... वि. १८१२ (४५) (९.२४४.२).. 454 Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य (१८) मोहनविजय वि. १७६० वि. १८मी :१०३००: नलायनउद्वाररास अपर्ण श्रेष्ठ कागज अपूर्ण., (९.२-९.५४४.२) नलायनउद्धाररास :१०३०४ : वैराग्यसज्झाय कागज वि. १८१६ (९.२४४.२) नयसुन्दर. मध्यम रङ्गविजय मध्यम. विनयविजय .१०३०५. शत्रुञ्जयमण्डन ऋषभदेवविनती कागज मारुगूर्जर अपूर्ण मारुगूर्जर.. संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण : मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगूजेर संपूर्ण ............वि. १९मी.....३. (९४४:२.................. गा.५८ १०३०७:भक्तामरस्तोत्र रागमाला श्रेष्ठ कागज वि. १८८० (८.५४४.२) :-दवविजय वि.१७३० :१०३०८। रमलशास्त्र कागज वि. १९मी पत्र ५६-५७ भेगा छे.. (७.७४४.५) १०३०९ आचारागसूत्र मध्यम कागज वि. १६मी ग्रन्थान-२५५४. प्रतिना वचमानां बधां पानां एक बाजुथी खवाई गयां छे., (१३.५४५.२) सयक्तप+ग सुधर्मास्वामी जीर्ण ग्र.२६४४ सूय में आउसं तेणं कागजवि . १५६७९२ १०३१०: ज्ञाताधर्मकथागसूत्र संपूर्ण : (९३) प्रथम पत्रमा समवसरण सुन्दर चित्र छे., (१३.५४५.२) ग्रं. ५००० तेणं कालेणं तेणं सुधर्मास्वामी मध्यम प्रा. संपूर्ण १०३११: ज्ञाताधर्मकथागसूत्र कागज वि. १५४९ ३६ (४७) प्रतिना अंतमा २१ श्लोकनी विस्तृत प्रशस्ति छे.. ग्रे. ५००० तेणं कालेणं तेणं १०३१२ उपासकदशाङ्गसूत्र सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी संपूर्ण वि. १मी कागज ग्रं.८१२ २३ तेणं कालेणं तेणं प्रा. (१३.५४५) पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां 'सप्तमाग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. गाथा-६०६..(१३.५४५.२ १०३१३: उत्तराध्ययनसत्रनियंक्ति संपर्ण कागज .............वि. १६मी. उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहस्वामी गा. ५९६ ग्र.६०७............ जीर्ण कागज प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छ...(१३.५४५).. :१०३१४ : वृहत्कल्पसूत्र बृहत कल्पसूत्र १०३१५ वृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य वृत्तिसहित प्रथमखण्ड णो कप्पड णिग्गनशाण ........... वि. १६मी .. अध्याय ६उद्दे..... वि. १५०८ भद्रबाहस्वामी जीर्ण प्रतिपर्ण कागज २०७ प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे., (१३.५४५.२) 455 Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रा. अध्याय ६उद्दे. णो कप्पइणिग्गन्थाण बृहत् कल्पसूत्र बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य । आ. प्रा. गा.६६०० काऊण नमोक्कारं तित्थ पद्य भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति जीर्ण बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति सं.प्रा. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद गद्य क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मां परिपूरित. प्रतिपूर्ण कागज वि. १६मी १३६ : (१३६) श्लोक-१०,०००., (१३.५४५.२) १०३१६ बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड बृहत् कल्पसूत्र बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य अध्याय ६उद्दे. णो कपडणिग्गन्थाण भद्रबाहस्वामी भद्रबाहुस्वामी सङ्घदास गणि गा.६६०० काऊण नमोक्कारं तित्थ : पद्य समाश्रमण बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति सं.प्रा. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद गद्य क्षेमकीर्तिरि वडे सं. १३३२ मा परिपूरित. मलयगिरिसूरि. क्षेमकीर्ति जीर्ण प्रतिअपूर्ण कागज वि.१६मी (४२) (93.५४५.२) बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्यवृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण बृहत् कल्पसूत्र बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति... बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य अध्याय ६७६. णो कप्पइ णिग्गन्थाण प्रा. गा.६६०० काऊण नमोक्कारं तित्थ पद्य भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण मलयगिरिसूरि, क्षेमकीर्ति जीर्ण बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति सं.प्रा. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद गद्य क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मा परिपूरित. प्रतिपूर्ण कागज वि.१६मी ७७ (७८) पत्र पमुं डबल छे. /ग्रन्थान - ५५५१., (१३.५४५.२) १०३१८ बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड बृहत् कल्पसूत्र बृहत् कल्पसूत्र-नियुक्ति बृहत् कल्पसूत्र-लघुभाष्य अध्याय ६उ६. णो कपडणिग्गन्थाण भद्रबाहुस्वामी प्रा.. भद्रबाहुस्वामी सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण मलयगिरिसूरि..........सं. :गा.६६०० काऊण नमोक्कारं तित्थ पद्य बृहत् कल्पसूत्र-वृत्ति .................. प्रकटीकृतनिःश्रेयसपद गद्य क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मा परिपूरित. 456 Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार क्षेमकीर्ति जीर्ण १०३१९ व्यवहारसूत्र कागज वि. १६मी (७) ग्रन्थान-५००..(१३.५४५) भद्रबाहुस्वामी १०३२०व्यवहारसूत्र वि. १६मी जे भिक्खू मासियं ८ जे भिक्खू मासियं ........... ग्रन्थान ५०० छे...(१३.५४५) ग्रं.६८८ :कागज ग्रं.६८८ कागज गा.८१२ भद्रबाहस्वामी १०३२१ : निशीथसूत्र...... वि.१क्ष्मी संपूर्ण प्रा. भद्रबाहस्वामी जे मिक्ख हत्थकम्म (१३)...............(१३.५४५).................. पद्य (१३५) (१३.५४५.५) पद्य (पे.पृ.१-१२३) मध्यम प्रतिपूर्ण कागज वि.१हमी निशीथसूत्र चूर्णि द्वितीयखण्ड (पे.१) निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि १3५ प्रा. णमिऊण रहन्ता] सिद्ध जिनदास गणि क्षमाश्रमण श्रीचन्द्रसूरि श्लोक २८००० ग्रं. १७८८४ श्लोक ११०० वि. ११४ प्रणम्य वीर सुरवन्द पद्य (पे.पृ. १२३-१३५) (पे.२) निशीथसूत्र-विशेषचूर्णीनी विंशोदेशकव्याख्या जीतकल्पवृत्तिसहितआदि १०३२३ मध्यम संपूर्ण कागज :वि.१६मी (३४) (पे.१) जीतकल्पसूत्र प्रा. गा. १०५ ग्रं. १३०: कयपवयणप्पणामो वोच्छं: पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण पत्र २०, डबल छे. वृत्ति रचना संवत १२०० आपेल छे., (१३.५४५.५) (पे.पृ. १-३१) [कृ.वि. : हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने आबकजीतकल्पमां घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे] ग्रं.१८०० . वि. १२७४ गद्य तिलकसूरि तिलकसूरि वन्दे वीरें तपोवीरें सिरिवीरजिणं नमिउं गा.३८ ..(पे.पू. ३१-३३) क वि. : प्रायश्चित्त] जीतकल्पसूत्र-वृत्ति (प.२) श्रावकसामाचारीप्रकरण आद्धलघुजीतकल्प-वृति दशकालिकसूत्रनियुक्ति दशवैकालिकसूत्र-नियुक्ति १०३२५. तपोयन्त्रविचार तिलकसरि जीर्ण संपर्ण कागज वि. १६मी भद्रबाहस्वामी गा. ४४०.४४६ :सिद्धगतिमवगयाणं गाथा-४४२., (१३.५४५.२) गाथा संख्यामां थोडुक वैविध्य मळे छे. (१३४५.२) संपण कागज वि.१६मी १०३२६ : आलोचनाविधि आदि संपूर्ण कागज वि.१६मी (१३.५४५.२) संपूर्ण वि.१६मी (१०) १०३२७ । पिण्डविशुद्धिप्रकरणदीपिका पिण्डविशुद्धिप्रकरण-दीपिकावृत्ति ..... १०३२८ कर्मग्रन्थपञ्चकावचूरि. उदयप्रभसार . (१३.५४५.५) यशोदेवसूरि कृत टीका आधारित.... ..........(१३.५४५.५). :संपण वि.१२९५ तं नमत श्रीवीरं .............वि. १४८६....३३ :कागज 457 Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता सं. कर्मग्रन्थषटक-अवचूरि १०३२९ सग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित सङग्रहणीप्रकरण सड़ग्रहणीप्रकरण-टीका १०३३० बोलविचार संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति प्रकार ग्रं.३१०० वि. १४५९ गद्य कागज वि.१५मी (४०) ...(१३४५)... गा.२७३. निमिउं अरहन्ताइ लिइभव पद्य. ग्र.३५०० : अत्यद्भुतं योगिभि गद्य कागज वि. १६मी (१३४५.५). गुणरलसूरि मध्यम श्रीचन्द्रसूरि मलधारि देवभद्रसूरि जीर्ण संपूर्ण मारुगूर्जर १०३३१ उपदेशरहस्यषट्त्रिशिका जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१६मी पाचन्द्र मारुगूर्जर :१०३३२ वसुधारा.. मध्यम संपूर्ण वि. १६मी... (१३.५४५:२१ दण्डकछन्दोमयी (१३४५.५). :१०३३३: सारस्वतव्याकरण मध्यम संपूर्ण कागज ...वि. १६मी. १५ अनुभूतिस्वरुप जीर्ण कालिदास संपूर्ण कागज वि.१७मी । १०३३४ रघुवंशकाव्य टिप्पणीसहित रघुवंशमहाकाव्य (१३४५.५) ६२-१(१)-६१ वागथोविव सम्पृक्ती (६२) पद्य रघुवंशमहाकाव्य-टिप्पण १०३३५ : सार्धशतकप्रकरण वृत्तिसहित सं. गद्य जीर्ण : कागज वि. १६मी :३७ :(३८) प्रति प्रथम खरडा जेवी होय तेवी लागे छे., (१२.५४५) गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण जिनवल्लभ गा. १६४ सयलन्तरायवीरं वन्दिय पद्य ग्रं.३७०० वि.११०१ गद्य सूचीपत्रोमां बन्ने कर्ताओना नामवाली, समान रचनासंवतवाली स्वतन्त्र प्रतो मळे छे. सुक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-वृत्ति चक्रेश्वरसूरि. धनेश्वरसूरि १०३३६ : लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसहित: मध्यम लघुक्षत्रसमासप्रकरण रलशेखरसुरि कागजवि . १६मी :(४१) (१२४५.२) गा.२६२ पद्य टिप्पणी युक्त वीरं जयसेहरय पट्ठि दयासिह मारुगुर्जर लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-बालावबोध १०३३७ : विपाकसूत्र मध्यम संपर्ण कागज ... वि. १५मी. (१२.५४४.७) सुधर्मास्वामी तेणं कालेणं तेणं १०३३८ बारव्रतालापकादि मध्यम मंपण वि. १५मी ... (१२.५४४.७) Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज वि. १६मी २५ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (२६) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता १०३३९ : उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ मध्यम संपूर्ण अवचूरि अपूर्ण छे, पत्र ५ मुंडबल छे.. (१२.२४५) गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. धर्मदास गणि प्रा..... गा. ५४४ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य उपदेशमाला उपदेशमालाप्रकरण-अवचूरि १०३४० तिहत्तरबोल प्रश्नोत्तर . ................... सं. जीर्ण कागज .८०१ ......... वि. १५९..... १८... । (१९)................(१२.२४४.५).. संपूर्ण : मारुगुर्जर संपूर्ण :प्रा. १०३४१ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह जीर्ण लघुक्षेत्रसमासप्रकरण रत्नशेखरसूरि (३४) कागज गा. २६२ वि.१५५३३४ वीरं जयसेहरय ਧਵਨ (१२.२४५) टिप्पणी युक्त लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-वृत्ति १०३४२ निशीथचूर्णि द्वितीयखण्ड अपूर्ण .. निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि रत्नशेखरसूरि जीर्ण प्रतिअपूर्ण वि. मी (१९).........--- १२.२४५) णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध जिनदास गणि क्षमाश्रमण श्लोक २८००० गं. १७८८४ १०३४३ उत्तराध्ययनसूत्र श्रेष्ठ संपण कागज वि. १५८३.. (९०) १२.२४४.७ सुधर्मास्वामी संयुक्त प+ग संपूर्ण (६४) अध्याय ३६ ग्रं. सजोगाविष्पमुक्कस्य २०९५ कागज - वि. १५७८ ... ६३ .४३०० श्रीवर्द्धमानमानम्य कागज ........... वि. १५३०.. :ग्रन्थान-३४३५., (१२४५) १०३४४ औपपातिकोपाङ्गसूत्रवृत्ति औपपातिकोपागसूत्र-टीका १०३४५ : कालग्रहणादि विधि कालग्रहणादिविधि १०३४६. : उपधानविधि जीर्ण अभयदेवसूरि जीर्ण गद्य .सं. संपूर्ण (१२४४.५) सं.प्रा. कागज ............वि. १६मी (१२.२४४.५..... संपूर्ण सं.,प्रा. संपूर्ण कागज . वि. १६मी (१२४४.५) सं. प्रतिपूर्ण कागज १०३४७ प्रतिष्ठालक्षण प्रतिष्ठाविधि प्रतिष्ठालक्षण-प्रतिष्ठाविधि १०३४८ चैत्यवन्दन प्रत्याख्यान । आवकप्रतिक्रमणसूत्र वृत्ति आवश्यकसूत्र-लघुवृत्ति १०३४९ : त्रिशतीगणितपाटी वि. १५मी ग्रन्थान-७५०., (१२४४.५) : तिलकसरि श्लोक १२३२५ यो मन्दरागेण न वि. १२९६ वि. १५मी मध्यम संपणं कागज १२.२४४. श्रीधराचार्य 459 Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम १०३५० भगवती सूत्र मध्यम सुधर्मास्वामी १०३५१ | उपदेशमालाप्रकरण कर्णिकावृत्तिसहित मध्यम उपदेशमाला उपदेशमालाप्रकरण-कर्णिकावृत्ति १०३५२ आवश्यक सूत्र शिष्यहितावृत्ति सह प्रथमखण्ड आवश्यकसूत्र आवश्यक सूत्र - शिष्यहितावृत्ति १०३५३ आवश्यक सूत्र शिष्यहितावृत्ति सह द्वितीयखण्ड आवश्यक सूत्र आवश्यक सूत्र - शिष्यहितावृत्ति १०३५४ सूत्रकृताङ्गसूत्र १०३५५ भगवती सूत्र १०३५६ बृहत्सङग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण बृहत सङ्ग्रहणीप्रकरण- टीका १०३५७ बृहत्कल्पसूत्र सङ्क्षिप्त अर्थबृहट्टीकानुसारी बृहत् कल्पसूत्र- बृहट्टीकानुसारी सक्षिप्त अर्थ १०३५८ दशाश्रुतस्कन्ध स्थिति कर्ता १०३५९ | निरयाबलिकोपाङगसूत्र निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र धर्मदास गणि उदयप्रभसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी हरिभद्रसूरि मध्यम सुधर्मास्वामी मध्यम सुधर्मास्वामी जीर्ण जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण मलयगिरिसूरि मध्यम सौभाग्यसागरसूरि मध्यम भद्रबाहुस्वामी मध्यम पूर्णता भाषा संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. प्रतिपूर्ण प्रा. सं.प्रा. प्रतिपूर्ण प्रा. सं.प्रा. पूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं.. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण कागज ग्रं. १६००० कागज गा. ५४४ ग्रं. १२२७४ कागज ग्रं. २२००० कागज ग्रं. २२००० कागज ग्रं. २२०० कागज ग्रं. १६००० कागज गा. ५७९ ग्रं. ५००० कागज कागज ग्रं. २०२६ कागज ग्रं. ११०० रचना वर्ष वि. १५९७ वि. १५४७ वि. १२९९ वि. १५९० वि. १५९२ वि. १५९९ वि. १६मी वि. १६मी वि. १६ मी वि.१६मी वि. १६मी 460 आदिवाक्य ३२० नमो अरिहन्ताणं.. २५५ नमिऊण जिणवरिन्दे अर्हस्तनोतु भुवना १५३ प्रणिपत्य जिनवरेन् २१४ प्रणिपत्य जिनवरेन ४७ बुज्झिज्ज तिउटटेज्ज ३४५ नमो अरिहन्ताणं. ७५ नियट्ठवियअट्ठकम्मं १३ २१ नमो अरहन्ताणं. २१ तेणं कालेणं तेणं क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (३२० ) गद्य (२५५) पद्य गद्य संयुक्त प+ग गद्य (२१४) संयुक्त प+ग गद्य (४८) (३४५) गद्य (७६) पद्य गद्य (१३) गद्य i (22) (२२) गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (१२४५) ग्रन्थाग्र- १२०१२ (१२४४.७ ) गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (११.७४४.७) क्रमांक १०३५२ अने १०३५३ ना ग्रं. २२००० छे. १०३५३मां पत्र ३६-३७ भेगा छे. (११.७४४.७) (११.७४४.५) ग्रन्थाग्र-१५७५२. पत्र ४६ मुं डबल छे., ( १२४४.५) (११.७४४.५) गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे. (११.७५४.५) (११.७४४.७) ग्रन्थाग्र - ११०९, (११.७४४.७) Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता जीर्ण संपूर्ण ..... कागज कति प्रकार (१९) गद्य १०३६० जम्बूढीप्रज्ञप्तिउपागसूत्रचूर्णि जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी ग्रन्थान-१८२३., (११.७४४.५) प्रा. :.१८६९ .: वि. १६मी. १८ णमिऊण विणयविरतियकर वि.१६मी नमिऊण जुगाइजिणं अपूर्ण (६४) १०३६१: प्रवचनसारोद्धारप्रकरण प्रवचनसारोद्धार १२X४.७) नेमिचन्द्रसूरि गा. १५९९ ग्रं. पद्य २००० वोच १०३६२: मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह मध्यम संपूर्ण कागज :वि.१.मी (५०) मारुगजेरगा 35 पाचन्द्र मारुगुजेर गा.३७ प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे.. (११.७४५.२) (पे.पू.१-२) (प.पू. २-४). (प.पू. ४-६) (पे.पू. ६-८ (पे.पृ.८-१०) :गा.४१ मारुगुजेर मारुगुर्जर मारुगूर्जर गा.४१ गा.४० पद्य पाश्वेचन्द्र मारुगजर गा. ५६ (प.पू. १०-१४2. (पे.पृ. १४-२०) (पे.पृ. २०-२४) मारुगूर्जर (4.9) मुहपत्तिछत्रीसी पार्श्वचन्द्र (पे.२) पाखीछत्रीसी (पे.३) उपदेशरलकोष :पायचन्द्र (पे.४) चारित्रमनोरथमाला पाश्वचन्द्र (पे.५) सिद्धान्तआराधना पाचचन्द्र एकोनचत्वारिंशतिका । (पे.६) साधुवन्दना... (पे.७) आलापकसङ्ग्रह (पे.८) पाश्चचन्द्र सङ्ख्यातासख्यातानन्तविचारगाथाबालावबोध (पं.९) सातनयनो विचार (पे.१०) एषणाशतक............ पार्श्वचन्द्र (पे.११) ब्रह्मचर्यदशसमाधिस्थानकुलक पार्श्वचन्द्र (पे.१२) आगमषदिवशिका (पे.१३) स्थापनाद्विपञ्चाशिका .....पार्श्वचन्द्र (पे.१४) सद्दहणास्वरुप (पे.१५) औदयिकतिथिविचार (पे.१६) जिनप्रतिमादिअधिकार .. स्थानाङ्गसूत्र सुधर्मास्वामी :पाश्वेचन्द मारुगर्जर गद्य मारुगूर्जर मारुगूर्जर मारुगुर्जर गा.१०१ गा.४२ गा.३६ गा. ५२ पाश्चन्द्र पद्य मारुगूजेर मारुगूजेर मारुगुर्जर मारुगुर्जर (प.पू. २४-२५). (पे.पू. २८-३२ (पे.पू. ३२-३४) (पे.पू. ३४-३६) (प.पू. ३६-३७). (पे.पू. ३८-४३) (प.पू.४३-४५) (पे.पू. ४६-५०). (११.७४४.७) मध्यम संपूर्ण ग्र.३३०० ......... वि. १६मी. सुर्य मे आउसं तेणं 461 . Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति प्रकार । १०३६४ समवायाङ्गसूत्र माध्यम संपूर्ण कागज वि. १६६७.३४. (१२४४.५) ग्रं. १६६७ १०३६५. विषाकसूत्र..... सुधर्मास्वामी मध्यम कागज ग्रं. १३१६ । (२७)...............(१२४४.५ प्रा... संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ श्यामाचार्य वि. १५८७...:२६. तेणं कालेणं तेणं वि. १६मी १६३ नमो अरिहन्ताणं नमो कागज १०३६६ प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र प्रज्ञापनासूत्र । (११.७४५). (१६३)........ गद्य अध्याय ३६प्रज् गं.७८८७ प्रज्ञापना-३६. : मध्यम प्रतिपूर्ण कागज वि.१७मी :८३ :८३) (११.७X४.७) १०३६७ निशीथसूत्र लघुवृत्ति-विशेषचूर्णिमान्थी उद्धृत प्रथमखण्ड निशीथसूत्र-लघुवृत्ति ६८ उत्तराध्ययनसूत्रदीपिका उत्तराध्ययनसूत्र-दीपिकाटीका पावचन्द्रशिष्य प्रा. विशेष चूर्णि मां थी उद्धृत. श्रेष्ठ संपूर्ण कागज . वि. १६मी .. : १३६ (१२४४.५) ग्र.८६७० :श्रीउत्तराध्ययनस्य गद्य (१३६). गद्य (४३) : पद्य आवश्यकनियक्ति श्रेष्ठ वि. १६मी संपूर्ण : प्रा. (१२४४.५) आनुं अने नंदिसूत्रन आदिवाक्य समान छे. आवश्यकसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहुस्वामी ४२ :जयइ जगजीवजोणी वियाणओ गा.२५०० ग्रं. ३१०० जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १६मी ५५ :/११.७X४.५) हेमचन्द्रसूरि मलधारी सं. ग्रं. ४६४० जगत्रयमतिक्रम्य गय १०३७० आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्या टिप्पनक आवश्यकसूत्रना शिष्यहितावृत्तिनुं प्रदेशव्याख्या टिप्पण १०३७१ : शीलोपदेशमालाप्रकरण शीलतरङिगणीवृत्तिसहित ...... शीलोपदेशमाला शीलोपदेशमाला-शीलतरङ्गिणीवृत्ति :जीर्ण :कागज :वि. १५३४ :११० : (११०) :१२४ प्रा. :आबालबम्भयारिनेमि पद्य जयकीर्तिसूरि सोमतिलकसूरि :गा.११६ ग्रं. १२९४ वि. १२९४ गद्य जीर्ण संपूर्ण कागज............ वि. १६मी....७ (८). गद्य सोमतिलकसूरिनु आचार्य पदवी पहेलानुं नाम विद्यातिलक हतुं. (१२४४.५). देवभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारिणी. मूलगाथा-२७९.. (१२४४.५). । १०३७२. सग्रहणीप्रकरण अवचूरि सग्रहणीप्रकरण-अवचुरि । १०३७३/सङ्ग्रहणीप्रकरण सस्तवक सङ्ग्रहणीप्रकरण सङग्रहणीप्रकरण-स्तबक ग्र.७०० कागज वि.१५२१ (२७) मध्यम संपूर्ण श्रीचन्द्रसूरि मलधारि : प्रा. मारुगर्जर गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव: पद्य ग्रं.४५१ 462 Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति कर्ता १०३७४ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसहित मध्यम लघुक्षेत्रसमासप्रकरण लघुक्षेत्र समासप्रकरण - बालावबोध १०३७५ : सम्यक्त्वविचारस्तवन सस्तबक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम पञ्चपाठ सम्यक्त्वविचारस्तवन सम्यक्त्वविचारस्तवन- स्तबक १०३८२ १०३७६ | योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्क अवचूरि जीर्ण योगशास्त्र - आयप्रकाशचतुष्क अवचूरि १०३७७ | भक्तामरस्तोत्र वृत्तिसहित १०३७८ बलिनरेन्द्रकथा भवभावनावृत्तिगता भवभावनाप्रकरणनी वृत्तिनो हिस्सोबलिनरेन्द्रकथा १०३७९ महावीरचरित्र टिप्पणीसहित १०३८३ भक्तामर स्तोत्र भक्तामर स्तोत्र - टीका महावीरस्वामिचरित्र महावीरस्वामिचरित्र टिप्पणी १०३८० सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुन्यास तृतीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्तचतुष्कवृत्तिलघुन्यास सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्तिनो लघुन्यास १०३८१ स्यादिसमुच्चय शब्दसञ्चय रत्नशेखरसूरि शब्दसञ्चय दयासिंह जीर्ण मध्यम जिनवल्लभ मध्यम कनकप्रभसूरि जीर्ण अमरचन्द्रसूरि जीर्ण पूर्णता जीर्ण मानतुङ्गसूि गुणाकरसूरि रुद्रल्लीय सं. मध्यम हेमचन्द्रसूरि मलधारी मध्यम भाषा संपूर्ण प्रा. मारुगूर्जर संपूर्ण प्रा. मारुगूर्जर प्रतिपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. प्रतिपूर्ण संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार आदिवाक्य परिमाण कागज गा. २६२ कागज गा. २५ कागज कागज का ४४ ग्रं. १५२६ कागज कागज गा. ४४ कागज कागज ग्रं. १२६७ कागज ग्रं. ५५० कागज रचना वर्ष वि. १६०४ वि.१७मी वि. १६मी वि. १६मी वि. १४२६ वि. १७मी वि. १६मी वि. १५०९ वि. १४९५ वि. १५मी वि. १६मी 463 ३९ वीरं जयसेहरय पइट्ठिअ १ २० २२ भक्तामरप्रणतमौलिमणि १७ २ ५२ १९ ic क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी १२ झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (३९) पद्य गद्य (3) दुरियरयसमीरं मोहपङ्कपद्य पद्य गद्य (29) गद्य (२३) : पद्य गद्य (१८) गद्य गद्य (५३) गद्य (१९) (8). (१३) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (११.७४४.५) टिप्पणी युक्त (११.७४४.७) (१२४४.५) ( १२४४.७) अमुक प्रतोमां ४८ काव्य पण छे. (१२४४.७) (११.७४४.५) गाथा- ४८१६., (११७४४. ५) (११.७४४.५) (१२४४.५) ( १२४४.७) Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष । कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य सं. ग्रं. ५५० कागज संपूर्ण वि. १५२८ (२८) पर वृत्तिनुं नाम सुकविह्रदयानन्दिनी छे..(१२४४.७) छन्दोविषयक ग्रन्थ. कागज ............ वि. १५०१ .. गद्य (४३) ......... (१२४४.५). ग्र.334 गद्य कागज वि.१५१९ (१५) (११.७४४.७) .......... १०३८४ : वृत्तरत्नाकर वृत्तिसहित मध्यम वृत्तरत्नाकर :कदार भटट वृत्तरत्नाकर-सुकविद्दयानन्दिनी टीका सोलण काव्यकल्पलता-कविशिक्षावृत्तिसह जीर्ण कविशिक्षा अमरचन्द्रसुरि कविशिक्षा-काव्यकल्पलता टीका अमरचन्द्रसूरि |१०३८६ : विद्यगोष्टी मध्यम मुनिसुन्दरसरि १०३८७ न्यायसारप्रकरण टिप्पणीसहित मध्यम न्यायसारप्रकरण भासर्वज्ञ न्यायसारप्रकरण-टिप्पणी । १०३८८ नलायन-कुवेरपुराण श्रेष्ठ नलायन - कुबेरपुराण माणिक्यदेव १०३८९ किरातार्जुनीयमाहाकाव्य सावरि । : मध्यम पञ्चपाठ ग्रं.८७५ : वि. १४५५ । वि.१५०७ कागज (९). ११.७X४.५) गद्य संपूर्ण कागज वि. १६मी. (१२७).......... (१२४४.७) ग्र.४७२४ संपूर्ण :कागज वि. १५०१ पत्र २६९ डबल छे., (११.७४४.७) भारवि पद्य गद्य जीर्ण वि. १६.मी :३१ (३२)...............(१२४४.५)...................... :किरातार्जुनीयमहाकाव्य किरातार्जुनीयमहाकाव्य-अवचूरि १०३९१: हैमअनेकार्थनाममाला अनेकार्थसड़ग्रह १०३९२ चन्द्रप्रज्ञप्तिउपागसूत्र चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र हेमचन्द्रसरि ध्यात्वाताकतका -- मध्यम संपूर्ण कागज वि.१६मी ग्रन्थान-२०५४., (११.७४४.५) ग्रं. १८३१ जयति गद्य नवनलिणिकुवलयविय १०३९३ कल्याणमन्दिरस्तोत्र सावचूरिक : मध्यम संपूर्ण कागज वि.१६मी (५) प्रति एक खूणेथी खवाई गई छे., (११.७४४.५) पञ्चपाठ कल्याणमन्दिरस्तोत्र का.४४ कल्याणमन्दिरमुदारमव पद्य सिद्धसेन दिवाकर सुरि कल्याणमन्दिरस्तोत्र-अवचूरि | १०३९४ राजप्रश्नीयोपागसूत्र गद्य (४२) जीर्ण वि.१६०३ ११.७४४.२) 464 Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कृति प्रकार प्रा. संपूर्ण जीर्ण अष्टभाषामय,पचपाठ ग्रन्थान-२५५४.. (१२४४.५) ४९ (४९) संयुक्तप+ग ग्रं.२०७२ नमो अरिहन्ताणं नमो कागज वि. १५९७ .. I. २६४४... सुयं मे आउसं तेणं काग कागज ......वि. १६मी. ९५ .५७७८. वि. १४६६ कागज वि. १५मी ५१ ............. मध्यम संपूर्ण (११.७४४.५) संपूर्ण (११.७४५) :१०३९५: आचारागसूत्र सुधर्मास्वामी १०३९६ : क्रियारत्नसमुच्चय गुणरत्नसूरि १०३९७ : सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्तिअवचूर्णि जीर्ण का तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्तचतुष्कवृत्ति अवचूर्णि सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्तिनी अवचूणि १०३९८ : विपाकसूत्र सधर्मास्वामी १०३९९. विवेकमञ्जरीप्रकरण जीर्ण संपूर्ण वि. १६०१ (३६) :११.५४५) ग्रं. १३१६ तेणं कालेणं तेणं : मध्यम :संपणं कागज (८). (११.७X४.५ वि. १७मी.... वि. १२८८. आसद्ध सिदिपर जीर्ण प्रतिपर्ण वि. १५मी ७५ (७६) (११.७४४.५) प्रिया हियालय पद्य हषे कवि विद्याधर गया १०४०० नैषधचरितमहाकाव्य विद्याधरीटीका सहित सप्तमसर्गपर्यन्त नषधचरितमहाकाव्य नैषधचरितमहाकाव्य साहित्यविद्याधरीटीका १०४०१ ० हैमअनेकार्थनाममाला अनेकार्थसड़ग्रह १०४०२ चन्द्रप्रज्ञप्तिउपागसूत्र टीका चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति .........वि. १४६६..... ५५... ध्यात्वार्हतः कतैका ५५................(११.७४४.७). हेमचन्द्रसरि गं. १८२७ संपूर्ण कागज वि.१५९८ ११६ :1998) (१२४४.५) मलयगिरिसरि ग्रं. ९५०० मुक्ताफलमिव करतलकलित संपूर्ण कागज वि.१६मी १०४०३ दशवैकालिकसूत्र बृहद्वृत्ति दशवैकालिकसूत्र-बृहद्वृत्ति १०४०४: कामदेवकथा गद्य मध्यम हरिभद्रसरि ८१ (८१) जयति विजितान्यतेजाः गद्य ग्र.७५५० (१२४४.५) वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे. (११.७४४) संपर्ण कागज (१८) जीर्ण मेरुतुगसुरि जीर्ण ग्र.७४८ ...वि. १६मी... वि. १४६९... - वि. १६मी .. 465 १०४०५ वाग्भटालड़कार सटीक संपूर्ण कागज (२३). (११.५४४.५) Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य गद्य सं. प्रतिपूर्ण (६)................ श्लोक-१७१.११.०४४...... संपूर्ण कागज .....वि. १५मी.. अध्याय १२प्रका कागज वि. १६०३ ग्रं.२६४४ कागज वि.१७मी ग्रन्थान-२५५४., (११.५४४.२). संयुक्त प+ग संपूर्ण नमो दुर्वाररागादिवर. ४४ सुयं मे आउसं तेणं :१२३ सुर्य में आउसं तेणं इह हि रागद्वेषमोहा.... (११.७X४.५) ग्रं.२६४४ सयुक्त प+ग :गया संपूर्ण १८३ वाग्भटालङकार वाग्भट (दिगम्बर) वाग्मटालड़कार-टीका जिनवर्धनसुरि १०४०६ । योगशास्त्र पञ्चमप्रकाश, जीर्ण योगशास्त्र हेमचन्द्रसूरि १०४०७ आचारागसूत्र जीर्ण सुधर्मास्वामी १०४०८ आचारागसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ मध्यम आचाराडगसत्र सुधर्मास्वामी आचारागसूत्र-अवचुरि १०४०९ | आचारागसूत्र दीपिका जीर्ण आचारागसूत्र-दीपिका टीका जिनहंससार १०४१० सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति श्रेष्ठ सूत्रकृतागसूत्र-वृत्ति शीलाबकाचाये १०४११ सूत्रकृताङ्गसूत्र प्रथमश्रुतस्कन्धपर्याय मध्यम सूत्रकृताडगसूत्रपर्याय १०४१२ समवायाङ्गसूत्रवृत्ति श्रेष्ठ समवायाङ्गसूत्र-वृत्ति अभयदेवसूरि ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रवृत्ति मध्यम ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-वृत्ति अभयदेवसूरि १०४१४ अन्तकृदशाङ्गसूत्र मध्यम वि. १५८७ वि. १५७३. । वि. १७मी शासनाधीश्वरो जीयाद गद्य कागज ग्रं. १०५०० कागज. ग्रं. १२८५३ कागज (११.५४४.७) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रन्थान-१३८५३...११.५४४.५.. संपूर्ण १२९ स्वपरसमयार्थसूचक (१२९....... गद्य (२७) वि.१६२७ (११.२४४.५) प्रतिपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण गद्य कागज ग्रन्थाग-३७५०.. (११.५४४.५). वर्द्धमानमानम्य सम गद्य १०४१३ संपूर्ण ग्रं.३५७५ कागज ग्र.४३६६ वि. १५९८ वि. ११२० वि. १६मी. वि. ११२० वि. १५५४ ८९ नत्वा श्रीमन्महावीरं संपूर्ण .८..............: ग्रन्थाग-३८००...(११.७४४.७). गद्य (२०) ग्रन्थान-१९०. प्रति चोटी जवाथी अक्षरो उखडी गया छे.. (११.७४.५) कागज १९ सुधास्वामी गं.८९० तेर्ण कालेणं तेणं 1 १०४१५ अनुत्तरोपपातिकदशाङगसूत्र... मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५५४. ५. .............. ग्रं. १९२ तेणं कालेणं तेणं सुधमास्वामी जीर्ण संपूर्ण वि. १६मी... २ (८३)..............ग्रन्थान-५६३०.. (११.५४४-५).. अभयदेवसूरि गं.४६३० १०४१६ । प्रश्नव्याकरणागसूत्रवृत्ति प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्ति १०४१७। विपाकसूत्रवृत्ति विपाकसूत्र-वृत्ति मध्यम वि.१६मी (११.७४४.५) संपूर्ण सं. :(१०).. गद्य ............. अभयदेवसूरि ग्रं.९०० नत्वा श्रीवर्दमाना 466 Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष কী क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार (४८). (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज वि. १६मी ४८ ग्रं.२२०० नमो अरिहन्ताणं... कागज वि. १५५३ श्रेष्ठ ग्रन्थान-२१७०...(११:५४४.५) १०४१८ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र १०४१९ निरयावलिकोपाङ्गसूत्र संपूर्ण प्रा. ... संपूर्ण श्रेष्ठ (२१) आ प्रति लखावनार आविका बाई धीमाईए कमलसंयमोपाध्यायने वहोवरावेली छे.. (११.७४४.७) प्रा....... गं. ११०० गद्य जीर्ण संपूर्ण कागज (२६) ग्रन्थान-११०९.. (११.७४४.५) गं ११०० तेणं कालेणं तेणं वि. १६०२ २५ तेणं कालेणं तेणं .वि. १५९८ .... वि. १२२८ पार्श्वनाथं नमस्कृत गद्य :१०४२१ मध्यम संपूर्ण (90) निरयावलिकादिपञ्चोपाड़गसूत्र १०४२० : निरयावलिकोपाङ्गसूत्र निरयावलिकादिपञ्चोपाङगसूत्र निरयावलिकोपाङ्गसूत्र वृत्ति निरयावलिकादिपञ्चोपागसूत्र-वृत्ति १०४२२ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपागसूत्र जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र १०४२३ : निशीथसूत्र ग्रन्थान-८००....१9.19४४.५... श्रीचन्द्रसूरि ग्र.६४० गद्य जीर्ण संपूर्ण कागज विमी ५५ (५६) ग्रन्थान-४१५०., (११.७४४.५) नमो अरहन्ताणं. संपूर्ण ग्रं.४१४६ कागज गा.८१२ वि.१क्ष्मी (११.७४४.५) भद्रबाहस्वामी जे भिक्खू हत्थकम्म पद्य १०४२४ : महानिशीथसूत्र श्रेष्ट कागज वि. १६मी (७१) (११.५४४.५) संपूर्ण प्रा. अध्याय ८ ग्रं. ॐनमो तित्थस्स... अध्ययन-८ १०४२५: महानिशीथसूत्रगत आलापक संपूर्ण कागजवि .१६मी .......--- ५ (90) (११.५४४.५) --- संपण कागज. १६ ११.२४४.५ वि. १६मी गा. ५९६ ग्रं.६०७: कागज वि. १६मी संपणं (१२४४.५) १०४२७. उत्तराध्ययनसूत्र नियुक्ति उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति १०४२८: चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ (पे.१) चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)टीका चतुःशरणप्रकीर्णक (पे. पृ.? दक्कडगरहा चतुःशरणप्रकीर्णक-टीका 467 Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. २) आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.) टीका आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत टीका (पे.३) भक्तपरिज्ञा सह (सं.) टीका भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक- टीका (पे.४) संस्तारकप्रकीर्णक सह (सं.) टीका संस्तारकप्रकीर्णक संस्तारकप्रकीर्णक- टीका १०४२९ तत्त्वचिन्तामणि प्रथमखण्ड तत्त्वचिन्तामणी १०४३० कातन्त्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्तिसहित प्रथमवृत्ति कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्ति १०४३१ कातन्त्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्तिसहित आख्यातवृत्ति कातन्त्रव्याकरण - दौर्गसिंहीवृत्ति | १०४३२ | शावरभाष्य चतुर्थाध्याय शावरभाष्य १०४३३ दशवैकालिकसूत्रादि 1 (पे. 9) दशवैकालिकसूत्र (पे. २) पाक्षिकसूत्र (पे. ३) साधुप्रतिक्रमणसूत्र (पे.४) क्षामणकसूत्र १०४३४ | सन्देहविषौषधि कल्पसूत्रवृत्ति उत्तरार्ध स्थिति कर्ता वीरभद्र वीरभद्र जीर्ण गड़गेश्वर मिश्र मध्यम दुर्गसिंह मध्यम दुर्गसिंह जीर्ण मध्यम शय्यम्भव जीर्ण पूर्णता भाषा प्रा. सं. प्रा. सं. प्रा. सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. अपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रतिपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र आदिवाक्य रचना वर्ष परिमाण गा. ७१ गा. १७२ ग्रं. १७१ गा. १२४ कागज ग्रं. २८११ कागज कागज कागज कागज ग्रं. ७०० ग्रं. ३५० गा. ५३ कागज वि. १६मी वि.१६मी वि. १४७० वि.१६मी वि. १६मी वि. १६०१ 468 देसिक्कदेसविरओ सम्म नमिऊण महाइसयं महाणु काऊण नमोक्कारं जिणवर ४६ ३७-१ (१) ३६ देवदेवं प्रणम्यादौ ३९ देवदेवं प्रणम्यादी ५० अथातो धर्मजिज्ञासा १८-१(१) १७ धम्मो मगलमुक्किट्ठ तित्थङ्करे य तिथे १० क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य पद्य गद्य पद्य गद्य (82) गद्य (80) गद्य (५१) गद्य (१९) संयुक्त प+ग संयुक्त प+ग पद्य (99) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. ?) कृ. वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे.. (पे. पृ. 2) कृ.वि. गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे. (पे. पृ. ?) (११.७५४.५) (११.५४४.५) (११.५४४.५) ग्रन्थाग्र-१३००., (११.५४४.७) (११.२४४.७) (पे.पू. २-१२). (पे.पू. १२-१६) (पे. पृ. १७-१८) (कृ.वि.अ. वा. खमामि सव्वस्स अहियंपि ] (पे.पू. १८) (११.५४४.७) Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम कल्पसूत्र-सन्देहविषौषधिवृत्ति १०४३५ : आचाराङ्गसूत्र- श्रुतस्कन्ध-२ अध्ययन१५ व श्रुतस्कन्ध-१ अध्ययन- ९ रा १०४३६ षट्पञ्चाशिका टिप्पणीसहित षट्पञ्चाशिका षट्पञ्चाशिका-टिप्पणी प्रत्याख्यानभाष्य अवचूरि प्रत्याख्यानभाष्य- अवचूरि १०४३८ बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण १०४३७ १०४३९ सङ्ग्रहणीप्रकरण बालावबोधसहित सङ्ग्रहणीप्रकरण सङ्ग्रहणीप्रकरण-बालावबोध १०४४० अनेकबोलविचार अनेक बोल विचार १०४४१अनेक बोलविचार अनेक बोल विचार १०४४२ सामुद्रतिलक-नरलक्षणशास्त्र तृतीय अधिकार पर्यन्त सामुद्रतिलक-नरलक्षणशास्त्र १०४४३ सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति द्वितीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त सिद्ध हेमशब्दानुशासन- लघुवृत्ति १०४४४ सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति द्वितीयाध्यायतृतीय पादथी तृतीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन- लघुवृत्ति स्थिति कर्ता जिनप्रभसूरि जीर्ण सुधर्मास्वामी मध्यम पृथुयशा मध्यम मध्यम जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ श्रीचन्द्रसूरि मलधारि दयासिंह मध्यम मध्यम श्रेष्ठ दुर्लभराज जीर्ण हेमचन्द्रसूरि मध्यम हेमचन्द्रसूरि पूर्णता भाषा सं. प्रतिपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर पूर्ण मारुगुर्जर प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण सं. प्रतिपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण ग्रं. २१६८ कागज ग्रं. २६४४ कागज कागज कागज गा. ५७९ कागज गा. २७३ ग्रं. १७५७ कागज कागज कागज कागज ग्रं. ३३०० कागज ग्रं. ३३०० रचना वर्ष वि. १३६४ वि.१६मी वि. १५४१ वि. १६मी वि. १४७९ वि. १५५७ वि.१६मी वि. १६मी वि. १६मी वि. १५ मी वि. १५ मी 469 आदिवाक्य ५ सुर्य मे आउस तेणं ५ ३ १२ (१३) नियट्ठवियअट्ठकम्मं पद्य १५ १८ ३३ (38) नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य गद्य (१६) १४ १६ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (६) प्रणम्य परमात्मानं १८ संयुक्त प+ग (4) पद्य प्रणम्य परमात्मानं गद्य (4) गद्य गद्य (१९) गद्य (94) (१७) गद्य (१९) गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (११.५४४.७) (११.२४५) (११.२४४.५) गाथा-५२०. ग्रन्थाग्र-६५० (११.२४४.५) गाथा ३६६ थी ३८० बच्चे पण मळे छे. (११.२४४.५) (११.२४४.७) (११.५४४.५) प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे., (११.२४४.५) (११.२४४.५) प्रति पाणीथी भीजायेली छे, (११.२४४.७) Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण आदिवाक्य : क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (७९) रचना वर्ष वि. १६मी १०४४५ स्थानाड्गसूत्र मध्यम संपूर्ण कागज ११८ पत्र ६७-६८ भेगां अने ८७मुंडबल छे.. (११४४.५. सुधर्मास्वामी प्रा. सुर्य में आउसं तेणं ग्रं.३३०० कागज १०४४६ भगवतीसत्रगत चमराधिकार मध्यम प्रतिपूर्ण वि.१७मी ८)............... .१०.७४४.५). ................ भगवतीसत्र-हिस्सा सुधर्मास्वामी :१०४४७ उपासकदशागसूत्र मध्यम संपूर्ण प्रा. कागजवि . १७मी ग्रं.८१२ १८ तेणं कालेणं तेणं ............ सुधर्मास्वामी प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थई छे.. (११४४.७). पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. प्रति एक बाजुथी पाणीमां भीजाई छे.. (१०.७४४.५) १०४४८प्रश्नव्याकरणाड्गसुत्र श्रेष्ट कागज वि.१७मी :३० (३१) प्रश्नव्याकरणसत्र सुधर्मास्वामी ग्रं. १३५० नमो अरहन्ताणं। जम्बू गद्य प्रा. संपूर्ण १०४४९, विपाकसूत्र कागज वि.१७मी ३५ । (३६). ग्रन्थान-१२५०., (१०.५४४.५). सुधर्मास्वामी गं. १३१६ : तेणं कालेणं तेणं १०४५० राजप्रश्नीयोपाड़गसूत्र संपूर्ण कागज १६०९४१ ग्रं. २०७९ नमो अरिहन्ताणं नमो. ग्रन्थाग-२१७९...(११४४.५).... अष्टभाषामय.पंचपाठ ग्रन्थान-४४५४. पत्र ४१ ना बे पानां वधारे छे. पत्र ६५९ डबल छ.. (११४४.५) १०४५१ जम्बूद्वीप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१७मी १३६ (१३७) ग्रं.४१४६ गद्य : मध्यम संपूर्ण :कागज (89) ग्रन्थाग-३०४१., (१०.19४४.७).. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र १०४५२ सन्देहविषौषधि-कल्पसूत्रवृत्ति ........ कल्पसूत्र-सन्देहविषौषधिवृत्ति १०४५३ साधुश्रावकषडावश्यकसूत्रादि ... जिनप्रभसूरि नमो अरहन्तार्ण.. ..वि. १५९३.२० ग्रं.२१६८ वि. १३६४ कागज...........: वि. १७मी... :मध्यम संपूर्ण ३६).................प्रति.एक बाजुथी उंदरे करडेली छे..(११४४.५)... प्रा.सं.मारुगू र्जर । १०४५४ उत्तराध्ययनसूत्र मध्यम संपूर्ण कागज । वि. १७मी (१०.७४४.७) (५७) संयुक्त प+ग सुधर्मास्वामी : प्रा. अध्याय ३६. सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य २०२५ जीर्ण कागज वि. १६०१ (१०.७४४.७) १०४५५ चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति तथा आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकवृत्ति (4.9) चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति ..... (पे. पृ. १२) 470 Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम चतुःशरणप्रकीर्णक- टीका (पे. २) आतुरप्रत्याख्यानसूत्रवृत्ति आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक लघु-टीका १०४५६ आचाराङ्गसूत्र १०४५७ आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति आचाराङगसूत्र-नियुक्ति १०४५८ : सूत्रकृतागसूत्र १०४५९ सुत्रकृतागसूत्र नियुक्ति सुत्रकृताङ्गसूत्र-निर्युक्ति १०४६० सुत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति तथा वृत्ति (पे. 9) सूत्रकृताङगसूत्र-निर्युक्ति (पे. २) सूत्रकृतागसूत्र- वृत्ति १०४६१ | स्थानाङ्गसूत्र वृत्ति स्थानाङगसूत्र-वृत्ति १०४६२ समवायाङ्गसूत्र वृत्ति समवायाङ्गसूत्र-वृत्ति १०४६३ भगवतीसूत्र १०४६४ भगवती सूत्र १०४६५ भगवती सूत्र १०४६६ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र अर्थसहित स्थिति कर्ता मध्यम सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ भद्रबाहस्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी मध्यम भद्रबाहुस्वामी श्रेष्ठ भद्रबाहस्वामी शीलाड़काचार्य मध्यम अभयदेवसूरि मध्यम अभयदेवसूरि जीर्ण सुधर्मास्वामी मध्यम सुधर्मास्वामी मध्यम सुधर्मास्वामी जीर्ण पूर्णता भाषा सं. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण संपूर्ण संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष परिमाण कागज ग्रं. २६४४ कागज गा. ३६५ ग्रं. ४७० कागज ग्रं. २२०० कागज गा. २०८ कागज गा. २०८ ग्रं. १२८५३ कागज ग्रं. १४२५० कागज ग्रं. ३५०५ कागज ग्रं. १६००० कागज ग्रं. १६००० कागज ग्रं. १६००० कागज वि.१७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १६मी वि. १५२७ वि. १६१३ वि. ११२० वि.१७मी वि. ११२० वि. १७मी वि. १६२२ वि. १५०३ वि. १७मी 471 आदिवाक्य ९० सूर्य मे आउ तेणं वन्दित्तु सव्वसिद्धे ८५ बुज्झिज्ज तिउटेज्ज ३ तित्थयरे य जिणवरे २३६ तित्थयरे य जिणवरे स्वपरसमयार्थसूचक २९७ श्रीवीरं जिननाथ ८१ वर्द्धमानमानम्य सम ४२१ नमो अरिहन्ताणं... ४७१ नमो अरिहन्ताणं... २९१ नमो अरिहन्ताणं. १९३ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य गद्य (९१) संयुक्त प+ग पद्य (८५) (8) पद्य (२३७) पद्य गद्य (२९८) गद्य गद्य (४२२) गद्य (४६१) गद्य (२०२) गद्य (१०४) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे. पृ. १२) ग्रन्थाग्र-२५५४. प्रति बन्ने बाजुथी उंदरे करडेली छे पत्र ७७-७८ भेगां छे., (१०.५४४.२ ) गाथा - ३६८. प्रतिनी एक बाजुनी किनारी उंदरे करडेली छे. , (१०७X४.५) (१०.५४४.५) गाथा - २०५. (१०.७४४.५) (१०.५४४.५) (पे.पू. १-५) (पे.पू. ६-२३६) पे.वि. ग्रन्थाग्र- १२८५०. ग्रन्थाग्र - १४०००., (१०.७५४.५) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रन्थाग्र- ३९७८. (१०.५४४. २) ग्रन्थान-१५७५० पत्र ८५-८६ भेगां अने २८६मुं डबल छे.. (१०.५४४.५) पत्र १०७मुं १३३मुं १५९मुं डहल अने १५६- १५७, ३०३-३०४, ३८८-३८९ भेगां छे. (१० ७४४.५) (१०.५४४.५) ग्रन्थाग्र - ६५००., (१०.५४४.५) Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य सुधर्मास्वामी ग्रं. ५००० तेणं कालेणं तेणं ज्ञाताधर्मकथागसूत्र ज्ञाताधर्मकथाड़गसूत्र-अर्थ १०४६७। ज्ञाताधर्मकथागसूत्र प्रा. मारुगूर्जर गद्य अपूर्ण प्रा. मध्यम सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी ।१०४६८ उपासकदशाङगसूत्र संपूर्ण कागज :१०४६९: उपासकदशाड़गसूत्र मध्यम संपूर्ण :कागज १८ सुधर्मास्वामी प्रा. १०४७० औपपातिकोपाङ्गसूत्र जीर्ण सुधर्मास्वामी ग११६/ :मध्यम 1(५०) १०४७१/चन्द्रप्रज्ञप्तिउपागसूत्र.. चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र मध्यम १०४७२ चन्द्रप्रज्ञप्तिउपागंसूत्र टीका. चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति कागज.. ...........वि. १५५२.....९३-२(१ थी २)-९१......(९३).............. (१०.५४४.५). ग्रं. ५००० तेणं कालेणं तेणं वि. १६मी २५ । (२५)......... । (१०.७४४-५)... ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. वि.१६मी प्रति पाणीथीं भीजाएली छ.१०.५४४.५). ग्र.८१२ तेणं कालेणं तेणं पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. कागज ..वि. १६मी ............ । (३१) । पत्र २५मु डबल छे., (१०.५४४.५) तेणं कालेणं तेणं... कागज वि. १६मी ४९ ग्रन्थान-२३००.. (१०.५४४.५) ग्रं. १८३१ जयति गद्य नवनलिणिकुवलयविय कागज वि.१५०३ १५६ (१५६). ग्रं. ९५०० मुक्ताफलमिव गद्य करतलकलित कागज....... वि. १५०३ ... (89) ......... ग्रन्थान-१८५४.. (१०.५४४.५). ग्रं.२२०० नमो अरिहन्ताण... गद्य कागज वि. १६मी श्लोक-१५००...(१०.५४४.५).. ग्रं.९१२५ यथास्थितं जगत्सर्व कागज वि.१६मी ग्रन्थान-११०९.. (१०.५४४.५). गं. ११०० तेणं कालेणं तेणं वि. १६मी ग्रन्थान-१४००., (१०.५४४.५). ग्रं.२००५ नाणं पञ्चविहं पण्णत वि.१७मी (१०.२४४.५.. ग्रं.२०९६ नमो अरहन्ताण... कागज वि. १७मी ३० ..............(१०.५५७.५ मलयगिरिसूरि मध्यम जीर्ण संपूर्ण १०४७३ सूर्यप्रज्ञप्तिउपागसूत्र......... । सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र १०४७४ सूर्यप्रज्ञप्तिउपागंसूत्र वृत्ति सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति १०४७५ निरयावलिकोपाङ्गसूत्र । निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र १०४७६ अनुयोगद्वारसूत्र गद्य मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण (२३) संपर्ण कागज ५३. आर्यरक्षितसूरि :१०४७७ दशाभूतस्कन्धसुत्र संपूर्ण कागज :४१ :दशाभूतस्कन्ध भद्रबाहुस्वामी मध्यम १०४७८ कल्पसूत्र-बारसा त्रुटक त्रुटक 472 Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार संयुक्त प+ग (१७) कल्पसत्र ग्रं. १२८० नमो अरिहन्ताणं... भद्रबाहस्वामी श्रेष्ठ :१०४७९:कल्पान्तवाच्य कागज वि. १६मी :१७ :(१०.५४४.५) कल्पसत्र-अन्तर्वाच्य : संपूर्ण प्रा.सं. संपूर्ण १०४८० निशीथसूत्र जीर्ण कागज वि.१६मी (१७) ग्रन्थान-८१५.. (१०.५४४.५). भद्रबाहुस्वामी गा.८१२ पद्य १०४८१ : निशीथसूत्र ......... मध्यम । कागज ...... वि. १६मी जे भिक्खू हत्थकम्म २१ जे भिक्खू हत्थकम्म (२१) ग्रन्थान-८१५.१०.५४४.५). संपूर्ण प्रा... संपूर्ण भद्रबाहुस्वामी गा..८१२ पद्य :१०४८२ जीतकल्पसूत्र कागज वि.१६मी प्रा. गा. १०५.१३० कयपवयणप्पणामो वोच्छं: पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण गाथा-१०४..(१०x४.५) हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी बखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. (१०.५४४.२. संपूर्ण कागज ...........वि.१६मा..... (६..... १०४८३. श्राद्धजीतकल्प आद्धजीतकल्पसूत्र १०४८४ आवश्यकनियुक्ति दीपिका :श्रेष्ठ धर्मघोषसूरि जीर्ण पद्य संपूर्ण वि. १५०६ १७६ (१७६) :प्रति पाणीमां भीजाई जवाथी सहेज चोटी गई छे., (१०.५४४.५) श्रीआवश्यकसत्र गद्य आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनी दीपिका टीका: माणिक्यशेखरसूरि आवश्यकनियुक्ति अवचूर्णि : मध्यम १०४८५ संपूर्ण कागज : वि. १६मी १३१ (१३१) प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे., (१०.२४४.५ सं. ग्र. ९००५ :गद्य संपूर्ण (४३) वि. १४४० जयति इन्द्रियविषय वि. १६मी..४३ वि. १४४०.... वि.१६मी पत्र २३, डहल छ., (१०.२४४.५) नियुक्तिनी अवचूरि?.... (१०.२४४.५) सपूर्ण ५८ आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनी अवचूर्णीज्ञानसागरसूरि १०४८६ / आवश्यकसूत्रावचूरि. जीर्ण आवश्यकसूत्र-अवचूरि :ज्ञानसागरसरि १०४८७ श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र वृत्तिसह वन्दारुवृत्ति आवकषडावश्यकसूत्र आवकषडावश्यकसूत्र-वन्दारु वृत्ति : देवेन्टसरि ओघनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी प्रा.सं. गं. go मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर? नमा अरहन्ताण नमा संयुक्त प+ग वृन्दारुवन्दारक (१६) दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य संपूर्ण कागज गाथा-११६५. ग्रन्थान-१५००...१०.२४४.५ गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. प्रा. । १०४८९ ओघनियुक्ति गा. ११६३ग्रं. १४३२ कागज .....: वि. १६मी 473 ' भ्रष्ट संपूर्ण ५३ (५४) गाथा-११६५, ग्रन्थान-१५००., (१०.५४४.७) Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भद्रबाहुस्वामी गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र : क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गा.११६३ . दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य १४३२ कागज वि.१६वी २३...... (२४) गा.११६३ ग्रं. दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य १४३२ कागज ... वि. १४८६... १८. (१९). :गा.११६३ग्रं. दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य १०४९० ओघनियुक्ति जीर्ण भद्रबाहुस्वामी गाथा-११८४.. (१०.५४४.५)..... गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. १०४९१ ओघनियुक्ति संपूर्ण गाथा-११६४...(१०.५४४.५.. गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहस्वामी मध्यम संपूर्ण : कागज वि. १४६३. वि.१४३९ (२४) ज्ञानसागरसूरि गय १०४९२ ओघनियुक्ति अवचूर्णि ओघनियुक्ति-अवचूरि १०४९३ : ओघनियुक्ति अवचूर्णि | ओघनियुक्ति-अवचूरि १०४९४ दशवैकालिकसूत्र (१०.२४४.५ द्रोणाचार्यवृत्यानुसारिणी. (१०.५४४.५) द्रोणाचार्यवृत्यानुसारिणी. श्रेष्ठ संपर्ण कागज ज्ञानसागरसूरि मध्यम संपूर्ण कागज शय्यम्भवसरि (१) सयुक्त प+ग १०४९५ दशवैकालिकसूत्र संपूर्ण कागज ग्रं.७०० प्रकान्तीयमावश्यकान वि. १६मी (80) वि. १४३९ प्रकान्तोयमावश्यकानु गद्य वि. १५मी. धम्मो मङगलमुक्किट्ठ वि. १७मी १४ धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग वि.१६मी :३० धम्मो मङगलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग वि.१५५१. : ૨૨ । (२२) : धम्मो मङगलमुक्किटठ : संयक्त प+ग वि. १६मी (१५) (१०.२४४.५) १०४९६ दशवकालिकसूत्र कागज :(39) श्रेष्ठ शय्यम्भवसूरि जीर्ण शय्यम्भवसूरि जीर्ण :शय्यम्भवसरि (१०.२४४.५) संपूर्ण प्रा. संपूर्ण गं.900 | १०४९७ दशवैकालिकसूत्र... कागज १०.२४४.५) जीण संपूर्ण कागज 1(१०) ग्रन्थान-१५०..(१०.२४४.५) ग्र.७०० १०४९८ दशवैकालिकसूत्र षड्जीवनिकायाध्ययनपर्यन्त दशवकालिकसूत्र १०४९९ : दशवकालिकसूत्र सस्तबक पञ्चपाठ दशवकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-स्तबक १०५०० उत्तराध्ययनसूत्र शय्यम्भवसूरि मध्यम संपर्ण वि.१६.मी प्रति उंदरे करडेली छे..(१०.५४४.७) :शय्यम्भवसरि ग्र.७00 धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग ८३) धम्मो मङगलमुक्किट्ठ संयुक्त प+ग गद्य (७०) सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग मारुगर्जर संपूर्ण वि. १६मी.. (१०.२४४.५) सुधर्मास्वामी प्रा. अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ 474 Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम १०५०१ उत्तराध्ययनसूत्र १०५०२ : उत्तराध्ययनसूत्र १०५०३ : उत्तराध्ययनसूत्र १०५०४ : उत्तराध्ययनसूत्र १०५०५ उत्तराध्ययनसूत्र तथा चारित्रमनोरथमाला (पे. १) उत्तराध्ययनसूत्र (पे. २) चारित्रमनोरथमाला १०५०६ उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित उत्तराध्ययन सूत्र उत्तराध्ययन सूत्र - सुखबोधावृत्ति १०५०७ उत्तराध्ययनसूत्र दीपिका उत्तराध्ययन सूत्र- दीपिकाटीका १०५०८ | उत्तराध्ययनसूत्र अर्थसहित पञ्चपाठ १०५०९ त्रुटक उत्तराध्ययन सूत्र उत्तराध्ययन सूत्र - अर्थ उत्तराध्ययनसूत्र अवचूरि स्थिति कर्ता मध्यम सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी जीर्ण सुधर्मास्वामी मध्यम सुधर्मास्वामी जीर्ण सुधर्मास्वामी धनेश्वरसूरि मध्यम सुधर्मास्वामी नेमिचन्द्रसूरि मध्यम श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी मध्यम पूर्णता भाषा संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. सं. प्रा. अपभ्रं संपूर्ण सं. अपूर्ण प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार आदिवाक्य मारुगुर्जर संपूर्ण परिमाण कागज अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ कागज अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ कागज अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ कागज अध्याय ३६ ग्रॅ. २०९५ कागज अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ गा. ३० कागज अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ ग्रं. १२००० कागज ग्रं. ८६७० कागज अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ कागज रचना वर्ष वि.१६मी वि. १५१७ वि. १६मी वि. १६मी वि. १६मी वि. १६मी वि. ११२९ वि. १६मी वि.१६मी वि. १६मी 475 ८९ सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य ४७ सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य ९३ सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य ४९ सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य २४ सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य २७६ सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य प्रणम्य विघ्नसङ्घात १२८ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी ५३ झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (८९) संयुक्त प+ग (४८) संयुक्त प+ग (९३) संयुक्त प+ग (५०) संयुक्त प+ग (२४) संयुक्त प+ग पद्य (२७६). संयुक्त प+ग गद्य (१२८) श्रीउत्तराध्ययनस्य गद्य १५३-८२ (१ थी ८२ ) =७१ (५०) सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य संयुक्त प+ग गद्य (५३) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( १०.२४४.५) प्रति पाणीथी भींजायेली छे. (१०.५४४.५) ( १०.२४४.५) ग्रन्थाग्र-२२००. पत्र ३४मुं डबल छे.. (१०.५४४.५) ( १०.२४४.५) (पे. पृ. १-२४) (पे. पृ. १-२४) (१०.५४४.५) (१०.५४४.५) (१०,२४४.५) ( १०.२४४.५) Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार गद्य आदिवाक्य सं. सञ्जोगा. संयोगान्मा उत्तराध्ययनसूत्र-अवचुरि १०५१० : चतुःशरणप्रकीर्णक मध्यम संपूर्ण कागज वि.१६मी (४) वीरभद्र (१०.२४४.५) गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. गा.६३ पद्य सावज्जजोगविरई उक्कित १०५११ चतुःशरणप्रकीर्णक जीर्ण कागज वि .१६मी (१०x४.५) गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. वीरभद्र ४-१(१)-३. सावज्जजोगविरई उक्कित :गा.६३ पद्य संपूर्ण १०५१२/ चतुःशरणप्रकीर्णक सावचूरि पञ्चपाठ चतुःशरणप्रकीर्णक मध्यम वीरभद्र कागजवि . १६मी गा.६३ (१०.५४४.५) गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. सावज्जजोगविरई उक्कित चतुःशरणप्रकीर्णक-अवचूरि १०५१३ | आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक । वि. १६मी. (१०.२४४.५) गा १२० १०५१४ । आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक संपूर्ण वि. १६मी.... (१०.२४४.५) गा.१२० (१०.२४४.५) गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे. प्रति पाणीथी भीजायेली छे..(१०.५४४.५) प्रा. १०५१५ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक :जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१६०८ (१५) बालावबोधवातिकसह आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् .. वीरभद्र गा.७१ देसिक्कदेसविरओ सम्म पद्य आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत- : समरचन्द्रसूरि मारुगूर्जर ग्रं. १६०८ गद्य बालावबोध १०५१६ / संस्तारकप्रकीर्णक विवरणसहित मध्यम कागज (२४) संस्तारकप्रकीर्णक गा. १२४ काऊण नमोक्कार ! पद्य जिणवर संस्तारकप्रकीर्णक-विवरण भुवनतुङ्गसूरि ग्रं. १२०९ शमित निःशेषकर्मणे गद्य (महेन्द्रसरिशिष १०५१७ संस्तारकप्रकीर्णक - अपूर्ण ............. श्रेष्ठ .... ................ अपूर्ण ........ कागज ............वि संस्तारकप्रकीर्णक गा. १२४ काऊण नमोक्कारं पद्य जिणवर १०५१८ संस्तारकप्रकीर्णक संपूर्ण कागज ........... वि. १६२२६ 476 ...........: गाथा-५५.. ८) प्रति पाणीथी भीजायेली छे.,(१०.२४४.५) Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता ग्रंथांक :प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता गा.१२४ पद्य काऊण नमोक्कार जिणवर १०५१९ : गणिविद्याप्रकीर्णक संपूर्ण कागज वि. १६मी (२) :(१०.५४४.५) प्रा. गा.८६ वोच्छ बलाबलविहि... पद्य संपूर्ण कागज वि.१.मी (१०.५४४.७) १०५२० संस्तारकप्रकीर्णक आदि (पे.१) संस्तारकप्रकीर्णक गा. १२४ (पे.पृ. १-१६) काऊण नमोक्कार जिणवर अरहन्ता मड़गलं मज्झ नमिऊण महाइसयं पद्य (पे.२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.३) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र गा.१७२ ग्र. १७१ (पे.प्र.9-१६) (पे.पृ. १-१६) [कृ.वि. : गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे. महाणु १०५२१: सूत्रकृतागसूत्र श्रेष्ठ संपणे कागज वि. १५४६ (५४) :(१०.२४४.५) :५४ बज्जि तिउटटेज्ज सुधर्मास्वामी गं.२२०० जीर्ण १०५२२. सूत्रकृताङ्गसूत्र : संपूर्ण कागज :वि.१६मी :/१०.२४.५ सुधमोस्वामी ग्र.२२०० बज्झिज्ज तिउटटेज्ज मध्यम १०५२३ : सूत्रकृतागसूत्र संपूर्ण कागज वि.१मी ८७ (८७)............. :१०x४.५ सुधास्वामी गं. २२०० बुज्झिज्ज तिउट्टेज्ज ११ अपूर्ण कागज वि.१७मी (99) (१०.२४४.५) १०५२४ सूत्रकृताङ्गसूत्र वार्तिक (वालावबोध) मध्यम अपूर्ण सूत्रकृताङ्गसूत्र-बालावबोध १०५२५ स्थानागसूत्र : मध्यम मारुगुजेर संपूर्ण कागज ग्रं.3300 । (900)...........प्रति उंदरे करडेली छे.. (१०.२४४.७) सुधर्मास्वामी श्रेष्ट . वि. १५९७.....९९ सुर्य मे आउसं तेणं वि.१६मी १०५२६ स्थानाडगसूत्र संपूर्ण २७८ प्रथम पत्रमा समवसरण सुन्दर चित्र छे.. (१०.२४४.५) सुधर्मास्वामी सुर्य मे आउसं तेणं १०५२७:स्थानाड्गसत्र नाबाल :संपण ...वि. १६मी.....५६... (१०.२४४.५). स्थानाडगसूत्रना बोल मारुगजेर :१०५२८: समवायाड़गसूत्र :श्रेष्ठ :सपूर्ण ... वि. १६मी (२९) ... (१०.२४४.५) सधमोस्वामी १०५२९ : समवायागसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी । ४७ ........ (१०.२४४.५) 477 Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य सुधर्मास्वामी प्रा. गं. १६६७ १०५३० : समवायाङ्गसूत्र कागज वि. १६०७ .४१ (४२) प्रति उंदरे करडेली छे..(१०.२४४.५) ग्रं. १६६७ १०५३१ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र कागज वि. १७मी (११०).....प्रति उंदरे करडेली छे..(१०.५४४.५) १११ तेणं कालेणं तेणं ग्रं. ५००० १०५३२ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र.. सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी मध्यम सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी कागज ९० (९१)...............(१०.२४४.५. .................. ग्र.५००० तेणं कालेणं तेणं १०५३३ : ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र कागज वि.१७मी :१५६ : (१६०) (१०.२४४.५) ............. ग्रं. ५००० १०५३४ उपासकदशाडगसत्र श्रेष्ठ कागजवि .१६मी तेणं कालेणं तेणं ३१ तेणं कालेणं तेणं संपूर्ण प्रा. (३१) सुधर्मास्वामी ग्र.८१२ १०५३५ उपासकदशाङ्गसूत्र मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५९७ (२५) सुधर्मास्वामी ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं १०५३६ उपासकदशाङ्गसूत्र संपूर्ण श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी कागज ......... वि. १६मी ग्रं.८१२ :२९ तेर्ण कालेणं तेणं ............ ग्रन्थान-९१२...(१०x४.५). पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. ग्रन्थान-८५२. प्रति उंदरे करडेली छे.. (१०.२४४.५) पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. ग्रन्थान-८५०., (१०.२४४.५)..... पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. , (१०.२४४.२) पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. ग्रन्थान-८४६. पत्र पमुंडबल छे अने १७मुं नथी., (१०.२४४.५). १०५३७ उपासकदशाङ्गसूत्र.. (२५) श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी संपूर्ण :प्रा. कागजवि . १६मी ग्रं.८१२ २५ तेणं कालेणं तेणं १०५३८ : उपासकदशागसूत्र टीका श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी २० (२०) अभयदेवसूरि ग्रं. ९०० श्रीवर्दमानमानम्य गद्य - उपासकदशाङ्गसूत्र-वृत्ति :१०५३९/अन्तकदशाङगसत्र मध्यम कागज वि.१६मी (१०.२४४.७) ग्र.८९० तेर्ण कालेणं तेणं १०५४० अन्तकृदशाङ्गसूत्र सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी कागज वि. १६मी. ग्रन्थान-१९०..(१०.५४४.५) ग्रं.८९० तेणं कालेणं तेणं 478 Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता १०५४१ : अनुत्तरोपपातिकदशाङ्गसूत्र .. श्रेष्ठ : सुधमोस्वामी ग्रन्थान-१९७..(१०.५४४.२) संपूर्ण प्रा.. कागज ग्रं. १९२ .... वि. १६मी १०५४२ अनुत्तरोपपातिकदशाङगसूत्र संपूर्ण कागज ग्रं.१९२ ग्रन्थान-२००.....१०.२४४.५). सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी संपूर्ण कागज १०५४३ प्रश्नव्याकरणागसूत्र : प्रश्नव्याकरणसूत्र १०५४४: विपाकसूत्र ................. तेणं कालेणं तेणं ....वि. १६मी.....५. तेणं कालेणं तेणं वि. १५६३३५ नमो अरहन्ताणं। जम्बूगर वि. १५६४ ।३९ . तेणं कालेणं तेणं (१०.५४४.५) ग्र.१३५० जीर्ण संपूर्ण कागज (१०.२४४.२) सुधर्मास्वामी प्रा. ग्र.१३१६ : संपर्ण १०५४५.: विपाकसूत्र........ कागज वि. १७मी :३७. :/१०.५४४.५) सुधर्मास्वामी ग्रं. १३१६ १०५४६ : औपपातिकोपाङ्गसूत्र श्रेष्ठ संपर्ण कागज वि. १७मी तेणं कालेणं तेणं ८१ तेणं कालेणं तेणं ग्रन्थान-१२१२.. (१०.२४४.७) ग्र.११६७ सुधर्मास्वामी जीर्ण १०५४७ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र कागज वि.१७मी ५७ संपूर्ण प्रा. संपूर्ण ग्रं. २०७९ कागज ग्रन्थान-२१००.. (१०.२४४.५) अष्ट्रभाषामय पंचपाठ ग्रन्थान-२२५०...(१०.२४४.५).. :अष्टभाषामय,पंचपाठ १०५४८ राजप्रश्नीयोपाङगसूत्र मध्यम नमो अरिहन्ताणं नमो .वि. १७मी.....४७ (३३) नमो अरिहन्ताणं नमो : । वि. १७मी ग्रं.२०७९. मध्यम संपूर्ण कागज (90X४.५) पदमसुन्दर १०५४९ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र अन्तर्गत नाट्यपदभजिका राजप्रश्नीयोपाङ्ग अन्तर्गत नाट्यपदभज्जिका १०५५० प्रज्ञापनोपागसूत्र प्रज्ञापनासूत्र मध्यम ग्रन्थान-७८८०..(१०.२४४.७) वि. १६मी....:२१३ नमो अरिहन्ताणं नमो श्यामाचार्य अध्याय ३६प्रज प्रजापना-3६.. ग्रं.७८८७ । १०५५१ : कल्पसूत्र-बारसा सपूर्ण कागज विलमी ६६ (१०x४.७) कल्पसत्र भद्रबाहस्वामा गं. १२८० नमो अरिहन्ताणं. सयक्तप+ग :श्रेष्ठ कागज :/ox४.५ -सपूर्ण प्रा.सं 1.१०५५२. कल्पान्तर्वाच्य त्रुटक. कल्पसूत्र-अन्तर्वाच्य १०५५३ : चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोधसहित चतुःशरणप्रकीर्णक संपूर्ण कागज वि.१६०३ मध्यम : वीरभद्र (१०.२४४.५) गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. प्रा.... गा.६३ सावज्जजोगविरई :पद्य 479 Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार उक्कित मारुगूर्जर गय । मध्यम संपूर्ण ...वि. १७मी कागज. :गा.७१ :देसिक्कदेसविरओ सम्म: पद्य चतुःशरणप्रकीर्णक-बालावबोध १०५५४ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक... आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् ... १०५५५ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत १०५५६ भक्तपरिज्ञा आदि (2.9) भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक वीरभद्र जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१०मी देसिक्कदेसविरओ सम्म: पद्य वीरभद्र मध्यम वीरभद्र :गा. ७१.. कागज गा. १७२ ग्रं. १७१ वि.१५५४ ।७२ नमिऊण महाइसयंपद्य महाण गाथा-८१...(१०४४.५... गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे. गाथा-६५..(१०x४.७) गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे... पत्र-११ थी २२ नथी..(१०x४.५) (पे.पृ. १-७) पं.वि. : गाथा-१७३. [कृ.वि. : गाथा :१७१ थी १७३ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ७-१०) पे.वि. : किञ्चिद् अपूर्ण. [कृ.वि.: गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे] (प.पू. २३-२32.पे.वि... गाथा-१७५. (पे.पृ. २९-४०) पे.वि. : गाथा-३००. [कृ.वि. : गाथा-३०० थी ३११ मळे छे. (पे.पू. ४०-४५) पे.वि. : गाथा-१४४. (प.पू. ४६-४८) (पे.२) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकवृहत वीरभद्र गा.७१ देसिक्कदेसविरओ सम्म : पद्य (पे.३) चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक (पे.४) देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक गा. १७४ गा.३८० ऋषिपालित (ये.५) महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (पे.६) वीरजिनस्तव :गा. १४३ गा. ४३ :जहमत्थगच्छयाणं विगसि पद्य अमरनरवन्दिए पद्य वन्दिऊण. एस करेमि पणामं तित्थ: पद्य नमिऊण जिणं पद्य जयजीवबन्ध आहारे उवहिम्मि अ...... तिहुअणसरारविन्दं पद्य गा.४५ पद्य.. .(.92. अजीवकल्पप्रकीर्णक (पे.८) मरणसमाधि प्रकीर्णक गा.६६१ (प.पू. ४८-७२) (कृ.वि. : गाथा-६५२ थी ६६१ सुधी मळे छे] प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे.पत्र १४५मुं डबल छे..(१०x४.५) कागज वि.१०मी २०८ १०५५७ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्तिसह श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र श्रावकप्रतिक्रमणसत्र-अर्थदीपिकावत्ति :गा.५० वन्दित्तु सच्चसिद्धेपद्य रत्नशेखरसरि गंE४४ वि.१४९६ वि.१६मी १०५५८ स्थानागसूत्र श्रेष्ठ कागज १०६ ग्रन्थान-४७५१. प्रति एक बाजुथी उंदरे घणी ज करडेली छे...(१०x४.५). ग्रं.३३०० सुधर्मास्वामी जीर्ण १०५५९ जाताधमकथाङ्गसत्र संपर्ण वि.१७मी सुयं में आउसं तेणं १३१ :तेर्ण कालेणं तेणं (qox४.७) :सुधर्मास्वामी गं. ५000 480 Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता १०५६० औपपातिकोपाङ्गसूत्र कागज (१०x४.५) जीर्ण सुधर्मास्वामी संपूर्ण प्रा... ग्र.११६७ वि. १६०१.४८ तेणं कालेणं तेणं ....वि. १७मी..... १०९... १०५६१ जीवाभिगमोपाङ्गसूत्र : मध्यम संपूर्ण .कागज ९.५४४.५. जीवाभिगमसूत्र गं.४७०० श्रेष्ठ अपूर्ण कागज वि. १६६५ (९.५४४.७) १०५६२ । ओघनियुक्ति सटीक त्रिपाठ ओघनियुक्ति । १८१-३(१ थी ३)=१७८ .. दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य भद्रबाहुस्वामी गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. गा. ११६३ ग्रं. १४३२ टोणाचार्य ग्र.७000 ओधनियुक्ति-वृत्ति १०५६३ एकविंशतिस्थानप्रकरण अपूर्ण कागज ।वि. १६७२ ५ (९.७४४.२) सिद्धसेनसूरि गा.६६ -१(१)-४...... चवण विमाणा नयरी जणया :जीर्ण :संपूर्ण वि. १५१६.. :१०५६४ : प्रवचनसारोद्धारप्रकरण प्रवचनसारोद्धार कागज गा. १५९९ ग्रं. नेमिचन्द्रसूरि २००० नमिऊण जगाइजिणं वोच २१०-९(१थी ९)=२०१ १०५६५ कर्मग्रन्थषटकावचूरि श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६६१ ग्रन्थान-५६७०, रचना संवत १४८६ आपेल छे. पत्र १३मुं नथी., (१०.२४४.५) :ग्रं.३१०० वि. १४५९. कर्मग्रन्थषटक-अवचूरि जीवविचारप्रकरण गुणरलसूरि जीर्ण १०५६६ संपर्ण कागज .... वि. १७मी.. (९.७४४.५). शान्तिसूरि गा. ५१ भवणपर्डवं वीर नमिरूण पद्य १०५६७ नवतत्त्वप्रकरण मध्यम संपणं कागज वि०मी. (९.७४४.५) जीवाजीवा पुन्नं पावा। वि०मी 12 १०५६८: देववन्दन तथा गुरुवन्दन भाष्य मध्यम प्रतिपूर्ण कागज (९.५४४.२ भाष्यत्रय देवेन्द्रसूरि : १०५६९ : षट्प्राभूत जीर्ण संपर्ण वि. १६०४....२३..... :(१०x४.५) कन्दकन्दाचार्य :१०५७०: उपदेशमालाप्रकरण मध्यम कागज उपदेशमाला धर्मदास गणि गा. ५४४ कागज वि. १५८६.४४ नमिऊण जिणवरिन्दे वि. मी प्रति पाणीथी भीजायेली छे., (१०x४.५) गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (९.७४४.५) सपूर्ण :१०५७१: दान-शील-तप-भावनाकु दानशीलतपभावनाकुलक चतुष्टय मध्यम । देवेन्द्रसुरि 481 Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार मध्यम कागज वि.१७मी. (१०४४.५) १०५७२/ गीतमकुलक सस्तवक : गौतमकलक गा.२० गौतमकुलक-स्तबक १०५७३: योगशास्त्र प्रथमप्रकाश संपूर्ण प्रा. मारुगूर्जर प्रतिपूर्ण कागज १०.२४४.५) योगशास्त्र मध्यम हेमचन्द्रसूरि जीर्ण कमलकीर्तिदेव वि.१७मी अध्याय १२मका नमो दुर्वाररागादिवैर कागज ...........वि. १७मी..... ३६.. १०५७४ तत्त्वसार वृत्तिसहित - अपूर्ण .१०.२४४.५ तत्वसार तत्त्वसार-वृत्ति १०५७५ उपदेशरत्नकोश मारुगूर्जर संपूर्ण मध्यम :कागज : वि. १७मी गाथा-४१/पार्श्वचन्द्रकृत मा.गु. कृति लागे छे. गाथा संख्या परथी., (१०.२४४.५) गा.४१ पद्य संपूर्ण । उपदेशरलकोष 1१०५७६ जीवविचारप्रकरण बालावबोधसहित जीवविचारप्रकरण जीवविचारप्रकरण-बालावबोध :१०५७७: नवतत्त्चप्रकरण पत्र ९ नथी..(१०.२४४.५). जीर्ण शान्तिसूरि कागज ............वि. १६मी : गा.५१ i.... . भुवणपईवं वीरं नमिऊण: पद्य मारुगर्जर गद्य मध्यम संपूर्ण कागज वि.१६मी :४ जीवाजीवा पुनं पावा गाथा-४४.. (१०.२४४.५) गा.४९ पद्य १०५७८: नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि कागज वि. १६मी... १०.२४४.५) नवतत्त्वप्रकरण गा.४९ जीवाजीवा पुग्नं पावा पद्य गद्य नवतत्त्वप्रकरण-अवचूरि १०५७९ : सङ्ग्रहणीप्रकरणयन्त्र कागज ..... वि. १६मी .१०.२४४.५). १०५८० सड़ग्रहणीप्रकरण कागज .वि...१६मी गाथा-३१२. (१०.२४४.५)...... श्रीचन्द्रसरि मलधारि गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव: पद्य । मध्यम संपूर्ण कागज वि. १७मी प्रति उंदरे करडेली छ... (१०.२४४.५). : १०५८१: सड़ग्रहणीप्रकरण अवचूरि सड़ग्रहणीप्रकरण-अवचूरि १०५८२ : सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि सड़ग्रहणीप्रकरण-अवचूरि | १०५८३ सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक श्रेष्ठ संपूर्ण :कागज .........वि. १६मी.....१६..... देवभवृत्त्यनुसारिणी..(१०.५४४.५... संपूर्ण कागज .......... वि. १४७१ ४५ ... (१०.५४४.५) 482 Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा प्रा. सड़ग्रहणीप्रकरण सड़ग्रहणीप्रकरण-टीका १०५८४ सग्रहणीप्रकरण सं. श्रीचन्द्रसूरि मलधारि देवभद्रसूरि मध्यम श्रीचन्द्रसूरि मलधारि (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार गा. २७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य ग्रं.३५०० अत्यद्भुतं योगिभि... गद्य । कागज. वि. १७मी... गा.२७३ नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य । कागज १.मी 93 गा.२६२ वीरं जयसेहरय पइटित संपूर्ण गाथा-२७७...१०.५४४.५). १०५८५ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण श्रेष्ठ संपूर्ण प्रा. (१०.२४४.५) टिप्पणी युक्त रत्नशेखरसूरि पद्य ध्यम अपूर्ण कागज १०५८६: लघुक्षेत्रसमासप्रकरण अपूर्ण . लघुक्षेत्रसमासप्रकरण :(१०.२४४.५) टिप्पणी युक्त रत्नशेखरसूरि प्रा. गा.२६२ वीर जयसेहरय पइटिठ १०५८७: नव्यवृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५३४ गाथा-३८७. प्रति पाणीमां भीजाईने एक बाजुथी खराब थई गई छे. पत्र १६मुं नथी., (१०.२४४.५) । :सिरिनिलयं सोमतिलकसरि मध्यम गा..३८६. कागज १०५८८ नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि संपूर्ण १६मी (१०.२४४.५) सोमतिलकसूरि गा.३८६ सिरिनिलयं संपर्ण नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-अवचूरि नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण अवचूरि.. नव्यबहोत्रसमासप्रकरण-अवचूरि १०५९० नव्यकर्मग्रन्थषट्क सावचूर्णि कर्मग्रन्थषट्क वि. १६मी..... २३...... (१०.२४४.५ लोक १०३६ : गुणरलसूरि जीर्ण देवेन्द्रसूरि कागज .........वि. १५२८ ९४-२(१ थी २)=९२ .... (६०)... सिरिवीरजिणं वन्दिय : पद्य प्रतिलेखन पुष्पिका.. (१०.५४४.५) १-५ देवेन्द्रसूरिना रचेला छे अने सप्ततिका कर्मग्रन्थ अन्यकृत् छे. गद्य कर्मग्रन्थषट्क-अवचूरि १०५९१ कर्मग्रन्थषट्क मध्यम देवेन्द्रसूरि सिरिवीरजिर्ण बन्दिय (१०.५४४.५) १-५ देवेन्द्रसूरिना रचेला छे अने सप्ततिका कर्मग्रन्थ अन्यकृत छे. (१०x४.५) १०५९२: देववन्दनादिभाष्यत्रय जीर्ण . वि. १६मी .... भाध्यत्रय देवेन्द्रसरि जीर्ण :.१०५९३ । देववन्दनादिभाष्यत्रय सावचूरि संपूर्ण कागज (१०.२४४.५) ..... वि. १४६४ 483 Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार पञ्चपाठ भाष्यत्रय देवेन्द्रसूरि पद्य गद्य :कागज वि.१६मी. (१०.२४४.५) ग्रं.८५० गद्य भाष्यत्रय-अवचूरि १०५९५ देववन्दनादिभाष्यत्रय अवचूरि देववन्दनादिभाष्यत्रय-अवचूरि १०५९६ : पञ्चनिन्थसङ्ग्रहणीप्रकरण पञ्चनिन्थसड़ग्रहणीप्रकरण १०५९७, कालसप्ततिकाप्रकरण ...........वि. १७१९.. कागज. ग्रं. १३० A.(१०x४.५................... श्रेष्ठ सोमसुन्दरसूरि जीर्ण अभयदेवसूरि श्रेष्ठ धर्मघोषसूरि जीर्ण देवेन्द्रसूरि मध्यम कागज वि. १७मी (१०.२४४.५) :गा.७४ ग्र.९० कागज 1 १०५९८ सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण (१०.२४४.२ गा.५० 1१०५९९. कालचक्रविचारप्रकरण.......... संपूर्ण (१०.२४४.५. कागज........ गा.८५ कागज मध्यम संपूर्ण (१०.२४४.५) वि. १६४६ सिद्धं सिद्धत्थसुयं .वि. १६मी... :वि. १२६७ वि. १६मी अहीपणमित्त सुरिन्द.. वि. १६मी.. दसणसुद्धिपयासं . वि. १५४७...२५ नमिऊण जिणवरिन्दे प्रा.. पद्य गा..३२. कागज संपूर्ण (१०.२४४.५). गा.७० पद्य श्रेष्ठ हरिभद्रसूरि जीर्ण धर्मदास गणि श्रेष्ठ कागज.. गा. ५४४ संपूर्ण कागज :वि.१६मी १०६००/लोकनालिकाप्रकरण लोकनालिकाद्वात्रिंशिका. | १०६०१ सम्यक्त्वसप्ततिकाप्रकरण दर्शनसप्ततिकाप्रकरण १०६०२ उपदेशमालाप्रकरण उपदेशमाला । १०६०३ उपदेशमालाप्रकरण उपदेशमाला १०६०४ उपदेशमालाप्रकरण उपदेशमाला १०६०५. उपदेशमालाप्रकरण.. उपदेशमाला १०६१० पुष्पमालाप्रकरण आदि (2.9) पुष्पमालाप्रकरण नमिऊण जिणवरिन्दे धर्मदास गणि मध्यम प्रा.. संपूर्ण धर्मदास गणि नमिऊण जिणवरिन्दे १०.५४४.५. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (१०.२४४.५) गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. : (१०.२४४.५) गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (१०.५४४.५.. गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (१०.२४४.५) (पे.पृ. १-१३) गा. ५४४. :कागज गा. ५४४ कागज... गा. ५४४ कागज पद्य संपूर्ण .वि. १६मी ર૬ मध्यम धर्मदास गणि प्रा. नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य मध्यम वि.१६मी संपूर्ण प्रा. १४ सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी गा. ५०५ 484 Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार : पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृिति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पे.२) चतुःशरणप्रकीर्णक वीरभद्र सावज्जजोगविरई उक्कित गा.२२ (पे.३) कर्मकुलक १०६१६ : ऋषिमण्डलप्रकरण संपूर्ण :कागज वि.१मी १० मध्यम धर्मघोषसूरि (पे.पृ.३-१४) [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे] (प.पू. १४९)..... (१०.२४४.५) संकळाएल प्रतोमा अमुक प्रतोमा १६१, १६२ गाथाओ छे, तो अमुक प्रतोमा २०८ थी २२६ सुधीनी गाथाओ छे. गाथा-२२६...(१०.२४४.५ गा.२१० ग्रं.२५४ १०६१७ऋषिमण्डलप्रकरण श्रेष्ठ :अपण वि. १६६५ । १२-१(१)-११ धर्मघोषसूरि गा.२२३ १०६१८: विवेकमञ्जरीप्रकरण -- ------------- ----- संपूर्ण कागज (१०.२४४.५) वि.१६मी वि.१२८८ प्रा. गा.१४४ सिद्धिपुर सत्थवाह जीर्ण संपूर्ण कागज १०६१९: प्रव्रज्याविधानप्रकरण प्रव्रज्याविधानकुलक वि.१६मी गाथा-३५., (१०.२४४.५) गाथा-२४ थी ३५ सुधी मळे छे. प्रा. गा.३० संसारविसमसायरभवजल: संपण कागज उदयप्रभसार ..वि. १६मी.... वि.१२९५ तं नमत श्रीवीरं वि. १६मी (१०.५४४.५.. यशोदेवसूरि कृत टीका आधारित. (१०.५४४.५) ਸE+ संपूर्ण कागज :१०६२०: पिण्डविशुद्धिप्रकरणदीपिका पिण्डविशुद्धिप्रकरण-दीपिकावृत्ति ..... १०६२५: इन्द्रियपराजयशतक तथा भववैराग्यशतक (पे.१) इन्द्रियपराजयशतक (पे.२) भववैराग्यशतक १०६२७: सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण रलशेखरसूरि १०६२८: षष्टिशतकप्रकरण बालावबोधसहित : मध्यम पष्टेिशतकप्रकरण जिनवल्लभ षष्टेिशतकप्रकरण-बालावबोध : सोमसन्दरसरि १०६३६ चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र पद्य : सोनन्दसरि (पे.पू. १८ (पे.पू. १-42. (१०x४.५) वि.१६मी संपूर्ण :कागज (१०.५४४.५) : मारुगजेर ग्रं.१४९६ : सपूर्ण वि. १६मी..... १९ जीर्णप्राय, (१०.५४४.७) श्लोक ६१४१ : १०६३९ महीपालचरित्र संपर्ण कागज वि. १६मी (१०.५४४.५ महिपालचरित्र वीरदेवगणि गा. १८१६ ग्रं. 485 Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता মাখা परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार २२०० १०६४० शालिभद्रचरित्र पद्य जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १५२१ ग्रन्थान-१२२४. प्रति पाणीथी भींजायेली छे., (१०.५४४.५) श्रीदानधर्मकल्पद्र पच शालिभद्रचरित्र-पद्य १०६४१ मलयसुन्दरीचरित्र पद्य धर्मकुमार मध्यम ग्रं. १२४२ :कागज वि. १३३४ : वि. १५मी संपूर्ण :२९ प्रति पाणीथी भीजायेली अने एक बाजुथी उंदरे :करडेली छे..(१०.५४४.५) मलयसुन्दरीचरित्र-ज्ञानरलोपाख्यान जयतिलकसूरि अध्याय ४. चतुरङ्गो जयत्यर्हन २४30 संपूर्ण कागज वि.१४८२ ११ (१०.५४४.५) १०६४४ स्थूलभद्रस्वामिचरित्र पद्य स्थूलभद्रस्वामिचरित्र १०६४९ । कथासङ्ग्रह गद्य-पद्य कथासङ्ग्रह गद्य पद्य जीर्ण जयानन्दसूरि मध्यम कागज ............ वि. १६मी. (१०.२४४.५... सं.प्रा. सयुक्त प+ग १०६५० भयहरस्तोत्र व स्नातस्या-वीरस्तुति (पे.१) भयहरस्तोत्र जीर्ण आ संग्रहमा वल्लभईप्रबन्ध, मदनवर्मप्रबन्ध वगेरे ऐतिहासिक प्रबन्धो पण छे. (१०.२४४.५ (प.पू. १) [कृ.वि. : गाथा २१ थी २४ मळे छे] अपूर्ण कागज ............ वि. १६मी .. गा.२३ मानतुङ्गसूरि पद्य नमिऊण पणयसुरगणचूडामण स्नातस्या प्रतिमस्य का. .. (ये.२स्नातस्या-वीरस्तुति १०६५१ : अजितशान्तिस्तव बालावबोधसहित अजितशान्तिस्तोत्र संपूर्ण कागज वि.१६मी ८).. बालचन्द्रसूरि मध्यम नन्दिषेण मेरुसुन्दर (मे.पू. 22. (१०.२४४.५) गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. गा.४० पद्य गद्य अजितशान्तिस्तोत्र-बालावबोध अजियं जियसब्वभयं अजिय० अजितनाथ बीजस मारुगूर्जर भक्तामरस्तोत्र सटीक त्रिपाठ संपर्ण कागज । वि.१७मी ११-१(१)-१० भक्तामरप्रणतमीलिमणि पत्र ४) नथी., (१०x४.५)......... अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. भक्तामरस्तोत्र मानतुड़गसुरि का.४४ पद्य भक्तामरस्तोत्र-टीका गणसन्दर भक्तामरस्तोत्र वालावबोधसहित मध्यम संपर्ण .. वि.१७मी १३ भक्तामरप्रणतमीलिमणि :पद्य (१०.५४४.५). अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. भक्तामरस्तोत्र मानतुगसुरि का.४४ भक्तामरस्तोत्र-बालावबोध :१०६५४ कल्याणमन्दिरस्तोत्र वि.१७मी जीर्णप्राय १०x४.२० : सिद्धसेन दिवाकर का.४४ कल्याणमन्दिरमुदारमव : पद्य 486 Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झी.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पष्ठ. पेटा विशेष ক परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य सुरि : मध्यम :सिद्धसेन दिवाकर संपूर्ण कागजवि .१७मी १०६५५ कल्याणमन्दिरस्तोत्र वृत्तिसहित कल्याणमन्दिरस्तोत्र :(90X४.२ का.४४ कल्याणमन्दिरमुदारमब पद्य गणरत्नसूरि मध्यम संपूर्ण ... कागज वि.१७८४ (१०.२४४.५) ४ ॐहीं भो भो भव्य ............ कल्याणमन्दिरस्तोत्र-टीका बृहत्शान्तिस्तोत्र बृहत् शान्तिस्तव १०६५८ जयतिहुयणस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ जयतिहअणस्तोत्र :जयतिहअणस्तोत्र-अवचूरि १०६६०: वीतरागस्तोत्र संपूर्ण कागज जीर्ण अभयदेवसूरि जीर्णप्राय ..(९.७४४.५ अपभ्र जयतिवण कप्परुक्ख संपूर्ण कागज .वि. १७मी श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि (१०.२४४.५) :प्रकाश-२०. यः परात्मा परज्योत पद्य अध्याय २० ग्रं. १८७ १०६६१ वीतरागस्तोत्र संपूर्ण वि.१४मी कागज अध्याय २० ग्रं. (१०.५४४.५). प्रकाश-२०. हेमचन्द्रसूरि यः परात्मा परज्योत १८७ संपूर्ण कागज.............वि. १५३५.......... जीर्णप्राय (१०४४.५). १०६६२ : वीतरागस्तवावचूरि वीतरागस्तोत्र-अवचूरि १०६६३: वीतरागस्तवावरि वीतरागस्तोत्र-अवचूरि १०६६४ ऋषभपञ्चाशिका संपूर्ण कागज विमी (१०.२४४.५) संपूर्ण कागज वि१६मी २ (१०.२४४.५) धनपाल गा.५० जय जन्तुकप्पपायव! १०६६५ : भावारिवारणस्तोत्र मध्यम संपूर्ण कागज (90xx.५] ......वि.१६मी :जिनवल्लभ सं.प्रा. का.30 भावारिवारणनिवारणदारु: पद्य १०६६६ : भावारिवारणस्तोत्र सटीक :श्रेष्ठ संपणे कागज वि. मी 1१७ (१२) (१०.२४४.५) भावारिवारणस्तोत्र जिनवल्लभ भावारिवारणनिवारणदारु: पद्य भावारिवारणस्तोत्र-टीका स्वयम्भूस्तोत्र-चतुर्विशतिजिनस्तवन स्वयम्भस्तोत्र मेरुसुन्दर मध्यम .१क्ष्मी समन्तभद्र स्वयम्भुवा भूतहितेन .. Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज वि. १६मी : (१०.२४४.५) का. ९६ :भव्याम्भोजविबोधनक पद्य कागज वि.१६मी :१९ (१४) (१०.५४४.५) गद्य अर्ह । सिद्धिः स्याद ३२ कागज वि. १५३४ प्रति पाणीथी भींजायेली छे., (१०.५४४.५) कागज । वि.१६मी (१०.२४४.५) १०६६९ शोभनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ मध्यम संपूर्ण शोभनस्तुति शोभन शोभनस्तुति-अवचूरि १०६७० सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ जीर्ण संपूर्ण अष्टमाध्यायपर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन हेमचन्द्रसूरि १०६७१ सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ मध्यम प्रतिपूर्ण तृतीयाध्याय तृतीय पादथी चतुर्थाध्यायपर्यन्त अवचूरिआख्यातवृत्ति अवचूरि सिद्धहेमद्वितीय तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन-अवचूरि १०६७२ सिद्धहेमशब्दानुशासन बालावबोध सह जीर्ण प्रतिपूर्ण चताध्याय पर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन सिद्धहेमशब्दानुशासन-बालावबोध मारुगर्जर :१०६७३ प्राकृतप्रबोध-सिद्धहेमशब्दानुशासन : मध्यम संपूर्ण अष्टमाध्यायवृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमनरचन्द्रसूरि मलधारी सं. अध्याय प्राकृतव्याकरण प्राकृतप्रबोधवृत्ति 1.१०६७४ कातन्त्रव्याकरण कृत्ति. मध्यम प्रतिपूर्ण. कातन्त्रव्याकरण-दौगसिंहीवृत्ति दुर्गसिंह १०६७७ कातन्त्रलिङ्गानुशासन गोत्मज १०६७८ कविकल्पद्रमधातुपाठ पद्य कविकल्पद्रुमधातुपाठ पद्य बोपदेव १०६७९ कविकल्पद्रुमधातुपाठ पद्य ...... मध्यम बोपदेव हमचन्द्र :अर्ह। सिद्धिः स्याद गद्य ................... कागज :वि.१६१३ प्रति पाणीथी भींजायेली छे..(१०.२४४.५) गद्य कागज..............वि. १४७०......५२ देवदेवं प्रणम्यादी (१२). १०.५४४.५. गद्य मध्यम संपूर्ण कागज वि.१७मी प्रति पाणीथी भींजायेली छे..(१०x४.२) कागज वि.१६४२ : (१०x४.५) ग्रं.४०० कागज ............वि. १६४२. ग्रं. ४०० (१२) .............(१०.२४४.५). ........... 488 Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य कागज वि. १८मी. प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा कृति प्रकार १०६८० दशबलकारिकाधातुपाठ जीर्ण संपूर्ण ...(९.७४४-२) श्लोक ४० पद्य १०६८१ न्यायार्थमञ्जूषा मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी २० (१४) १-२-३-४-५-८ प्रति पाणीथी भीजायेली छे.. (१०.५४४.५) हेमरंसगणि श्लोक १०९२ मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६६५२०२ (१०.५४४.५) गं. १८२७ १०६८२: हेमअनेकार्थनाममाला अनेकार्थकरवाकरवृत्तिसह अनेकार्थसड़ग्रह अनेकार्थसङ्ग्रह अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका :१०६८४: वृत्तरत्नाकर हेमचन्द्रसूरि महेन्द्रसिहसूरि ध्यात्वार्हतः कृतैका परमात्मानमानम्य निजा ग्र. १०००० श्रेष्ठ संपणे कागज वि. १७१० (१०.५४.५ :केदार भटट छन्दोविषयक ग्रन्थ १०६८५. वृत्तरत्नाकर : जीर्ण : सपूर्ण .वि. १६मी.... केदार भटट :मध्यम संपूर्ण तमी !३२ बैं १०६८६ सम्बन्धोद्योत आदि (4.9) षट्कारक-सम्बन्धउद्योत टीका (पे.२) वृत्तरत्नाकर (पे.३) नन्दितादवछन्दशास्त्र १०६८७. वाग्भटालङ्कार. (१०.५४४.५ छन्दोविषयक ग्रन्थ. (१०.२४४) (प.पू. १-२०) (पे.पृ. २१-२७) [कृ.वि. छन्दोविषयक ग्रन्थ] (पे.पू. २७-३२) पे.वि.: गाथा-९४. (१०x४.२) :केदार भटट नन्दिताढ्य जीर्ण संपूर्ण कागज..............वि. १७४२................ :वाग्भट (दिगम्बर) १०६८८ वाग्भटालङ्कार वृत्ति - अपूर्ण जीर्ण वि.१६मी पत्र रजुं ३जुं ४१०९ अने ११मुं नथी., (१०.२४४.५) प्रतिपर्ण वि. १६मी ग्रन्थान-७००...(१०.२४४.५). वाग्भटालड़कार-वृत्ति १०६९२ : कुमारसम्भवमहाकाव्य सप्तमसर्गपर्यन्त जीर्ण कमारसम्भव कालिदास :१०६९७ : मेघदूतमहाकाव्य टीका जीर्ण । मेघदूतमहाकाव्य-टीका स्थिरदेवकवि १०६९८: वासवदत्ताकथा वासवदत्ता सुबन्धु :वि.१७मी (१०.५४४.५) जीर्ण सपूर्ण प्रति पाणीथी भींजायेली छे..(१०.२४४.५) 489 Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति प्रत प्रकार प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पूर्णता भाषा संपूर्ण सं. कर्ता परिमाण रचना वर्ष कागज ........... वि. १६मी आदिवाक्य १८ | १०६९९ कीर्तिकौमुदीमहाकाव्य....... जीर्ण (१०.५४४.५) सोमेश्वर भटट पय मध्यम संपूर्ण ... वि. १४८७... १०७०० सूर्यशतक सावचूरि पञ्चपाठ..... सूर्यशतक १८... : (१०.२४४.५) कागज का. १०० ग्रं. मयूर पद्य हेमसमुद्रगणि सूर्यशतक-अवचूरि १०७०१ भावशतक मध्यम कागज ....... वि. १६मी ४ का.१००..(१०.२४४.५)................. नागराज श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी बाणभटट श्लोक १०४ श्लोक १४ पद्य १०७०२ चण्डिकाशतक आदि (पे.9) चण्डिकाशतक (पे.२) महेश्वरस्तवन बोधप्रदीपपञ्चाशिका आदि.. (1.9) बोधप्रदीपपञ्चाशिका (पे.२) सद्बोधचन्द्रोदयपञ्चाशिका (ये.३) चित्ताधारपञ्चाशिका १०७०४ : जिनशतकमहाकाव्य सटीक पञ्चपाठ जिनशतकमहाकाव्य पत्र ५९ नथी..(१०.२४४.५). प.पू. १-६) प.पू..१.62.. (१०.५४४.५). (प.पू.१-४).कृ.वि. : काव्य-५१] श्रेष्ठ चूडात्तसितचारुचन्द पद्य योगीन्द्र विमलसूरि श्रेष्ठ कागज ....... वि. १६मी .. का.५० i............ का. ५० का. ५२ कागज का. १०० ग्रं. पद्य (पे.पू. १-४). : (१०.२४४.५) पद्य संपूर्ण वि. १६मी १०.५४४.५) जिनशतकमहाकाव्य-टीका लघुचाणक्यनीतिशास्त्र बालावबोध सहित लघुचाणक्यनीतिशास्त्र लघुचाणक्यनीतिशास्त्र-बालावबोध रत्नाकरावतारिकाप्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारलघुवृत्ति टिप्पणीसहित प्रमाणनयतत्वालोकालड़काररनाकरावतारिका टीका रनाकरावतारिका-टिप्पणी मारुगुर्जर संपूर्ण मध्यम वि.१६मी ग्रन्थान-५००१. प्रति पाणीथी भींजायेली अने उंदरे करडेली छे.. (१०.२४४.५) रत्नप्रभसूरि :ग्र.५००० 490 Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज वि. १६मी ४१ क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता मध्यम प्रति पाणीथी भीजायेली छे.. (१०.२४४.५) हेमचन्द्रसूरि. मल्लिषेणाचार्य का.३२ श्लोक २८०० सं. वि. १३४९ मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी ग्रन्थाग्र-३०००. प्रति ऊघईए खाधेली होवाथी एने निवेसरथी सारी रीते सांधेली छे...(१०.५४४.५)..... १०७०७ स्याद्वादमञ्जरी अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका सटीक अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका ... अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका स्याद्वादमञ्जरी टीका १०७०८ स्याद्वादमञ्जरी अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका सटीक अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका ...... अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका स्याद्वादमञ्जरी टीका १०७०९ : अनेकान्तवादप्रवेश अनेकान्तवादप्रवेशप्रकरण १०७१० पदार्थतत्त्वनिर्णय प्रथमखण्ड पदार्थतत्त्वनिर्णय :१०७११: पदार्थतत्त्वनिर्णय द्वितीयखण्ड हेमचन्द्रसरि मल्लिषेणाचार्य का..३२ : श्लोक २८०० वि.१३४९ जीर्ण संपूर्ण कागज । वि. १५मी .. १०.५४४.५ हरिभद्रसरि :.७३० श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण कागज वि.१.मी । प्रति एक बाजुथी ऊघईए खाधेली छे (१०.५४४.५) आनन्दभवन :श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण कागज वि.१६मी प्रति एक बाजुथी ऊधईए खाधेली छे., (१०.५४४.५) आनन्दभुवन पदार्थतत्त्वनिर्णय १०७१२: पदार्थतत्त्वनिर्णय मिताक्षरीव्याख्या श्रेष्ठ संपूर्ण कागज :वि. १४७६ प्रति एक बाजुथी ऊघईए खाधेली छे.. (१०.२४४.५ १०.२४४.५). पदार्थतत्त्वनिर्णय-मिताक्षरी व्याख्या १०७१३. तत्त्वचिन्तामणि द्वितीयपरिच्छेद .... मध्यम तत्त्वचिन्तामणी गडगेश्वर मिश्र १०७१४ तत्त्वचिन्तामणि आलोकटीका मध्यम प्रथमपरिच्छेद तत्त्वचिन्तामणी-आलोक टीका ....... :जयदेव १०७१६. न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण प्रतिपूर्ण ........कागज..............वि. १७मी.....४७....... ग्र.२८११ प्रतिपूर्ण कागज वि. १७मी पत्र २६, डबल छ., (१०.२४४.५) मध्यम .....वि. १६मी । प्रति पाणीथी भीजायेली छ...(१०.२४४.५). उदयनाचार्य १०७१८ : न्यायलीलावती जीर्ण वि. १४८३ (१०.५४४.५) श्रीवल्लभोपाध्याय सं 491 Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम १०७१९ शशधरप्रकरण १०७२० | साख्यकारिका भाष्यसहित पञ्चपाठ साङ्ख्यसप्ततिका साङ्ख्यसप्ततिका-भाष्य १०७२१ किरणावलीटीका किरणावली- स्वोपज्ञटीका १०७२२ मेघमाला १०७२५ १०७२३ ज्योतिषरत्नमाला १०७२४ भुवनदीपक वृत्तिसहित भुवनदीपक भुवनदीपक-वृत्ति विवाहपटल १०७२६ लघुजातक सटीक लघुजातक लघुजातक - टीका १०७२७ गणितसार १०७२८ गणितसार १०७३० शतश्लोकी बालावबोधसहित शतश्लोकी शतश्लोकी - बालावबोध १०७३१ | त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य अष्टमपर्व नेमिनाथचरित्र स्थिति कर्ता जीर्ण शशधर शर्मा मध्यम ईश्वरकृष्ण, कपिल गौडपाद मध्यम उदयनाचार्य जीर्ण जीर्ण श्रीपति मध्यम पद्मप्रभसुरि सिंहतिलकसूरि श्रेष्ठ मध्यम श्रेष्ठ श्रीधराचार्य जीर्ण श्रीधराचार्य मध्यम बोपदेव मध्यम पूर्णता भाषा संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. अपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. मारुगूर्जर प्रतिपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण कागज कागज का. ७० कागज कागज श्लोक ४९५ कागज कागज श्लोक १८७ कागज कागज कागज कागज कागज कागज रचना वर्ष वि. १६मी वि. १६४२ वि.१६मी वि. १६मी वि. १५९३ वि. १६मी वि. १८मी वि. १८मी वि. १६मी वि. १६मी वि. १५९२ वि. १५४६ 492 आदिवाक्य ४३ १० दुःखत्रयाभिघाताज्जि ३२ १८ ३३ १० १४-३ (१ थी ३) -११ २३ ११ १७२ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य गद्य गद्य पद्य पद्य गद्य गद्य पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (१०.५४४.५) (१०.५४४.५) कर्तानाममां कपिल ऋषि पण आवे छे. प्रति पाणीथी भींजायेली छे. (१०.५४४.५) ( १०.२४४.५) (१०.५४४.५) ( १०.५४४.२) प्रश्नज्योतिष ग्रन्थ. (९.५४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.५४४.५) (१०.५४४.५) (९.७४४.५) वैद्यक ग्रन्थ श्लोक-४७१९ पत्र ५८मुं डबल छे. (११.२x४.७) Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता सर्ग १० पर्व-१०. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य १०७३२ : पञ्चसङ्ग्रहसूत्र.. हेमचन्द्रसूरि जीर्ण : संपूर्ण कागज वि. १५९३२८ :(११४४.७) अमितगति जीर्ण संपूर्ण कागज .वि. १०२३ ....... वि. १६मी प्रति एख बाजुथी उंदरे करडेली छे., (११४४.७) जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १६वी (४) :(११४४.७) १०७३३: पुष्पमालाप्रकरणावचूरि पुष्पमालाप्रकरण-अवचूरि १०७३४ शीलोपदेशमालाप्रकरण व गौतमपृच्छाप्रकरण (पे.) शीलोपदेशमाला (पे.२) गौतमपृच्छा प्रकरण :जयकीतिसार आ. आबालबम्भयारि नेमि .गा.११६. गा. ५३ प्रा. नमिऊण तित्थनाहं जाण पद्य (पे.पू. १-२) पे.वि. : गाथा-१०७. (पे.प्र. २-३) कृ.वि.: गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे. (११४४.५) अपूर्ण कागज वि. १५मी १०७३५ प्रतिक्रमणगर्भहतु - अपूर्ण प्रतिक्रमणगर्भहेत. १०७३६ : उपधानविधि आदि उपधानविधि-आदि १०७३७. योगविधियन्त्र कागज वि.१७मी भाषा-प्रा., मा.गु.. (१०.५४४.५) संपूर्ण प्रा..सं. संपूर्ण कागज ............. वि. १७मी. (१०.७४४.५... .............. प्रतिपूर्ण कागजवि . १५मी प्रति एक बाजुथी उंदरे करडेली छे.. (११४४.५) प्रणम्य परमात्मान ग्रं.३३००. कागज :प्रतिपर्ण :वि.१मी ११ १०७४१ सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ मध्यम लघुवृत्ति पञ्चमाध्याय कृवृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति हेमचन्द्रसरि :१०७४२ : कुमारसम्भवमहाकाव्य सप्तमसर्गपर्यन्त: मध्यम कमारसम्भव कालिदास १०७४४: मोक्षशास्त्र-विश्वतत्वप्रकाश टिप्पणी मध्यम सहित मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश :भावसेन मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश-टिप्पण १०७४५ पदार्थरत्नमञ्जूषा टिप्पणी सहित जीर्ण पदार्थरत्नमञ्जूषा कृष्ण पण्डित संपूर्ण कागज वि. १६मी (११४४.७) कागज वि. १५वी. श्लोक ३१८ ग्रं. नमामः संसारोरूमिहिर पदार्थरत्नमञ्जूषा-टिप्पणी 493 Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य १०७४९ रत्नकोश जीर्ण संपूर्ण कागज ........... वि. १६मी प्रति चोंटी गई छे..(१०.७४४.७) सं. १०७७७ एषणाशतक जीर्ण संपूर्ण मारुगुर्जर गाथा-१०४. अतिजीर्ण..(१०.२४४.५). कागज गा. १०१ .... वि. १६मी. पद्य पार्श्वचन्द्र जीर्ण १०७७८ एषणाशतक कागज .........वि. १६मी.. (१०.२४४.२) संपूर्ण मारुगूर्जर गा. १०१ पायचन्द्र जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १६मी गद्य गय (१०.२४४.५) (पे.पू. १-४) प.पू. १.४. (प.पू. १-४) प्रति पाणीथी भींजायेली छे..(१०.५४४.५) गया मध्यम संपूर्ण कागज वि. १७मी १०७७९: पाक्षिकविचार आदि (2.9) पाक्षिकविचार (पे.२) स्थापनाचार्यविचार .. (पे.३) मुखवस्त्रिकाविचार महावीरजिनस्तवनसरहणाविचारगर्भित व शवेश्वरपार्श्वनाथस्तवन (ये.१) महावीरस्तवन सदहणाविचारगर्भित (पे.२) शद्धेश्वरपार्श्वनाथस्तवन १०७९० नेमिनाथचन्द्राउलास्तवन पार्श्वचन्द्र मारुगुर्जर :गा.७० वि. १६०७ पद्य (ये.पृ.) पाश्वेचन्द्र गा.१७ : वि.१६०७ पद्य (प.पू.) (१०.२४४.५) श्रेष्ठ कागज :८-१(१)-७ गा.७३ ज्ञानसागरसूरि जीर्ण वि. १६६६ वि. १६५५ वि. १६मी कागज शान्तिमन्दिरशिष्य मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण १०७९१ : थम्भणपासविवाहलं आदि (पे.9) थम्भणपासविवाहलू (पे.२) जीराउलागीतछन्द १०७९२ : जिनअन्तरढाल गा.३२ जीर्णप्राय..(१०.५४४.५). (प.पू..१.२.. (प.पू. १-२). (९.७४४.५) गा.४ पद्य मध्यम कागज १७मी समरसिर गा.६७ पद्य १०७९३ किरियाठाणसज्जयाय आदि मध्यम कागज मारुगर्जर ग्रं. १२० पद्य मारुगर्जर (पे.) किरियाठाण सज्झाय... समरसिह (ये.२) आराधना समरसिंह (पे.३) पञ्चविंशतिभावनास्वाध्याय ... समरसिंह १०७९४/ कमलावतीसज्झाय :विजयभद्र पद्य पद्य (१०.२४४.५) (प.पू.१-३2. (प.पू. ३-४ (पे.पृ. ४-७) (१०x४.५ श्रेष्ठ मारुगुर्जर गं. ११५ संपूर्ण कागज माजर.....: गा.४४ वि.१६मी पद्य .. ........ 494 Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम १०७९५ कृष्णावारमासा कृष्णबारमासा १०७९६ अमरसत्तरी १०७९७ आवश्यकद्विपञ्चाशिका आवश्यक द्विपञ्चाशिका १०७९८ प्रत्याख्यानचतुःसप्ततिका प्रत्याख्यानचतुस्सप्ततिका १०७९९ : साधुगुणरत्नसमुच्चयऔपपातिकसूत्रानुसा साधुगुणरत्नसमुच्चय १०८०० रात्रिभोजनरास १०८०१ | उपदेशसाररत्नस्वाध्याय आदि (पे. १) उपदेशसाररत्नस्वाध्याय (पे. २) संस्तारकप्रकीर्णक (पे.३) जिनप्रतिमास्थापनरास १०८०३ सुरसेनकुमररास सुरसेनकुमार १०८१९ : संवरकुलक १०८२० नन्दिसूत्र नन्दी सूत्र १०९८९ कर्मप्रकृतिद्वात्रिंशिका १०९९४ बन्धोदयसत्ताप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ बन्धोदयसत्ताप्रकरण स्थिति कर्ता जीर्ण ब्रह्मानन्द मध्यम पार्श्वचन्द्र जीर्ण जीर्ण समरसिंह मध्यम समरसिंह श्रेष्ठ धर्मसमुद्र जीर्ण समरसिंह पार्श्वचन्द्र श्रेष्ठ हर्षराज मध्यम मध्यम देववाचक मध्यम मध्यम विजयविमल गणि पूर्णता भाषा संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर प्रा. मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार आदिवाक्य संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. परिमाण कागज गा. ८७ कागज गा. ७५ कागज गा. ५२ कागज गा. ७४ कागज गा. ३९८ कागज गा. २५६ कागज गा. ६१ गा. १२४ गा. ४३ कागज गा. ८८१ कागज गा. २७ कागज ग्रं. ७०० कागज गा. २९ कागज गा. २४ रचना वर्ष वि. १७८३ वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १५९२. वि.१७मी वि. १६मी वि.१७मी २५ वि. १६५२ वि. १६१३ वि. १६मी वि.१६मी वि. १७मी वि. १७मी ३ 495 3 ५ ११ काऊण नमोक्कारं जिणवर ३६ २ १८ जयइ जगजीवजोणीवियाणओ २ ५. क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य संयुक्त प+ग पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष पत्र रजुं नथी. जीर्णप्राय (१०४४.५) (९.५४४.५) जीर्णप्राय (१०४४.५) जीर्णप्राय (१०.२x४.५) (१०४४.५) ( १०.२४४.५) (१०,५४४.५) (पे.पू. १-३) (पे.पू. ३-७) (पे.पू. ३-७) पत्र २ थी ८ नथी. (१०.५४४.५) (१०४४.७). ग्रन्थाग्र-५००., (१०४५) आनुं अने आवश्यकनिर्युक्तिनुं आदिवाक्य समान छें ( १०.२४४.२ ) ( १०.२४४.५) Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार ग्र.४११ गद्य : मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी :आ प्रति रिक्तलिपिचित्रमय छे., (१०.५४४.५) बन्धोदयसत्ताप्रकरण-अवचूरि ११०१४ शाश्वतजिनभवनसङ्ख्या सावचूरि पञ्चपाठ शाश्वतजिनभवनसङ्ख्या शाश्वतजिनभवनसडख्या-अवचरि ११०१७ श्रावकव्रतभड़गप्रकरण सावचूरि देवेन्द्रसूरि प्रा. :गा. २५ गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी : (१०.५४४.५) पञ्चपाठ श्रावकव्रतभडगप्रकरण गा.४१ श्रावकवतभडगप्रकरण-अवचरि ११०१९ ज्ञानपञ्चकभेदसख्यास्तव श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१५३१ (१०.२४४.५) ............ जिनकीर्तिसरि श्लोक १३ पद्य ११०२० ज्ञानपञ्चकविवरणप्रकरण.. संपूर्ण कागज वि. १७मी. .(१०.२४४.५. पद्य गा.२६ कागज ......... गा.७3 वि.१५१९. (१०x४.५) पद्य मध्यम हरिभद्रसूरि जीर्ण जिनप्रभसूरि श्रेष्ठ रत्नसिहसूरि रलसिंहसरि. रलसिंहसूरि ११०२५ पिण्डालोचनाविधानप्रकरण पिण्डालोचनाविधानप्रकरण ११०२६ आगमतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका आदि (पे.) आगमतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका (पे.२) संवेगामृतभावना .... (ये.३) संवेगामृतपद्धति संपूर्ण वि. १६मी कागज श्लोक २४ पद्य श्लोक २५ प श्लोक ४३ शिष्याः श्रीधर्मसूरी पद्य ११०२७/तत्त्वसार आदि कागज .... वि.१७मी (१०.२४४.५) (प.पू. 9). प.पू..?. (ये.प्र. ?) .वि. : श्लोक-४० के बाद "अयं अन्यकृतः" ऐसा लिखा हुआ है.]. (१०.२४४.५ (पे.पू.... (प.पू. १).. (प.पू.. गाथा-१०२....९.२४३.५). :(प.१) तत्त्वसार :देवसेन (दिगम्बर) गा.७४ पद्य लोक४ लोक२७ परमानन्दसम्पन्न... (पे.२) मृत्युमहोत्सव (पे.३) परमानन्दपञ्चविंशतिका ११०२९. पञ्चलिडिगप्रकरण पञ्चलिङ्गीप्रकरण ११०३० चैत्यवन्दनकविधिप्रकरण संपूर्ण कागज अष्ट वि.१५मी :जिनेश्वरसार गा.१०१ उत्सम संवेगो विय पद्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज. ........... वि. १६५८ ...१ (१०x४-२) .......... गा.३५ ११०३२ देववन्दनादिभाष्यत्रयावचूरि .........श्रेष्ठ संपूर्ण कागज..............वि. १६७५............ (१०.२४४.५). 496 Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ग्रं.८५० गद्य संपूर्ण कागज वि. १६मी :(१०.२४४.५) (पे.पू. १-32. गा.१३ उरालिविउबातेयकम्म देववन्दनादिभाष्यत्रय-अवचूरि......सोमसुन्दरसूरि ११०३४: पुद्गलपरावर्तस्वरूपप्रकरण सटीक मध्यम (पे.9) पुद्गलपरावर्तस्वरुपप्रकरण ... पुदगलपरावर्तस्वरुपप्रकरण-टीका . (पे.२) पुद्गलपरावर्तस्वरूपविषयकप्रकीर्णगाथा ११०३९ चतुर्दशगुणस्थानकमय महावीरस्तव श्रेष्ठ (पे.पृ.१-३) वि. मी -अपूर्ण (१०x४.२) संपणं कागज वि.१७मी 1(९.२४४.५) गा.२६ संपूर्ण कागज । वि.१६मी (१०.२४४.५) :११०४१जीवस्वरूपस्थापनाकलक :जीवस्वरुपस्थापनाकुलक :११०४२ सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा विवरणसह सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथाविवरण मोक्षोपदेशपञ्चाशिका आदि (पे.१) मोक्षोपदेशपञ्चाशिका (पे.२) द्वादशभावना ११०४९ औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक (१०.२४४.५) मुनिचन्द्रसूरि श्लोक ५१ शुद्धध्यानलवित्रण गा.१४ (पे.पू. १) (पे.पू. १) पे.वि. : गाथा-१४. । (१०.५४४.५ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज ........... वि. १७मी.....१ मध्यम संपूर्ण कागज वि. मी (१०.२४४.२) धर्मसागर मा ११०५० औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक सावचूरि त्रिपाठ औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक..... औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक अवचूरि ११०५२. प्रवज्याविधानकुलक प्रव्रज्याविधानकुलक संपूर्ण कागज जिर्णप्राय..(१०.५४४.५ गाथा-२४थी ३५ सुधी मळे छे. :प्रा. गा.३० ससारविसमसायरभवजल: पद्य ११०५३ : साधुसाध्वीयोग्यनियमकुलक संपूर्ण कागज (१०.५४४.५) ........वि. १५९६ ..३ 497 Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार गा.४६ पद्य साधुसामाचारीकुलक : ११०५४ : शीलकुलक सोमसुन्दरसूरि मध्यम प्रा. संपूर्ण कागज वि.१६मी (१०.२४४.५). :जस्स न भिन्न हियर्य.. पद्य गा..३. कागज ११०५५ सम्यक्त्वकुलक सस्तबक सावचूरि श्रेष्ठ संपूर्ण वि. १६४४ सम्यक्त्वपंचविंशतिका अथवा सम्यक्त्वस्तव तरीके पण ओळखाय छे...(१०.२४४.५). त्रिपाठ :गा.२५ पद्य मारुगुर्जर गद्य .......................... ११०५६ मध्यम संपूर्ण कागज वि.१७मी 19ox४.५) सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका-स्तबक सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका-अवचूरि सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सावचूरि पञ्चपाठ सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका-अवचूरि सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सावरि गा.२५ पद्य ११०५७ संपूर्ण कागज वि.१६९२ (१०.२४४.५) पञ्चपाठ गा.२५ पद्य स गद्य जीर्ण संपूर्ण कागज वि.१६मी गा.२५. पद्य जीर्णप्राय., (१०x४.२) (पे.पू. १). (पे.पू.2. (१०.२४४.५) प्रा. गा. सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका-अवचूरि ११०५८ सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका आदि (पे.9) सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका (पे.२) वैराग्यकुलक.. ११०६० : गुरुगुणपत्रिशत्यटिशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिशिकाकुलक.. गुरुगुणषट्त्रिशत्पत्रिशिका-अवचूरि ११०६१ : गुरुगणपट्विशिकाकुलक सावचूरि पद्य : श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१६मी रत्नशेखरसूरि गा.४० श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी (१०.२४४.२) पञ्चपाठ गुरुगुणषट्त्रिंशत्वटिवशिकाकुलक.......रलशे गुरुगुणषट्त्रिंशत्वबिशिका-अवचूरि ११०६२ गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण व्याख्यासहित मध्यम संपूर्ण कागज वि.१६मी (१०.२४४.५० 498 Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्षआदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार पद्य परिमाण प्रा. 13. गुरुगुणषट्त्रिशिकानवकप्रकरण गुरुगुणपट्विशिकानवकप्रकरण-व्याख्या ११०६३ अन्नायउञ्छ कुलक... अन्नायउञ्छकुलक ११०६५ श्रावकव्रतभङ्गविकल्पकुलक मध्यम संपूर्ण ...वि. १६मी.... १०.५४४.५) कागज गा.२५४ कागज गा.१२ श्रेष्ठ संपूर्ण .. वि.१६मी (९.७X४.२ रत्नशेखरसूरि मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी गाथा-२६..(१०.२४४.५). गा.२५ :११०६६: मिथ्यात्वकुलक सावचूरि पञ्चपाठ मिथ्यात्वकुलक मिथ्यात्वकुलक-अवचूरि ११०६७ : गुरुस्थितिकुलक संपूर्ण वि.१७मी (९.७X४.२ कागज गा.२५ । कागज गा. १३ जीर्ण संपूर्ण . वि. १७मी... गाथा-११..(१०x४.५), ११०६९ ईर्यापथिकीकुलक सस्तबक पञ्चपाठ ईर्यापथिकीकुलक ईर्यापथिकीकुलक-स्तवक ११०७१ गुणानुरागकुलक मारुगूजेर संपूर्ण .श्रष्ट कागज गा.२८ ...वि. १७मी..... (१०x४.५) प्रा. सोमसुन्दरसूरि श्रेष्ठ 1११०७२ : योगानुष्ठानविधिकुलक संपूर्ण कागज वि.१९मी २ १०x४.२) गा.३० ११०७३: पुण्यलाभकुलक श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०x४.५ गा.१६ सपण कागज ...वि. १७मी... (१०.२४४.२ गा.१० सम्पुण्ण इन्द्रिय मारुगजेर जिनकीर्तिसरि ११०७५: पुण्यकुलक सावचूरि पञ्चपाठ. पुण्यकुलक पुण्यकुलक-अवचूरि पुण्यकुलक सस्तबक पुण्यकुलक पुण्यकुलक-स्तबक ११०७८ यतिविचारकुलक सावचूरि पञ्चपाठ... श्रेष्ठ यतिविचारकुलक .....वि. १८मी गाथा-११...(१०.२४४.२... संपूर्ण कागज गा.१० मारुगूर्जर ...कागज प्रा............ गा. २३ सम्पुण्ण इन्दियत्तं. सम्पुण्णं इन्दियत्तं संपूर्ण ..........वि. १५२३.... :/१०.३४४.५) 499 Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम यतिविचारकुलक- अवचूरि ११०७९ स्थितिस्थानकुलक ११०८१ | सामायिकपौषधफलकुलक सामायिकपौषधकुलक ११०८२ | जीवदाकुलक आदि (पे. १) जीवदयाकुलक (पे. २) सर्वज्ञस्तुति 1. (पे.३) श्रावकदिनकृत्यकुलक (पे. ४) साधुसामाचारीकुलक (पे. ५) मङ्गलकुलक ११०८३ संयममञ्जरी आदि (पे. १) संयममञ्जरीप्रकरण (पे. २) पुण्यफलकुलक ११०८४ | देहस्वरूपकुलक देहस्वरुपकुलक ११०८५ | आत्मानुशासन ११०८६ साधारणजिनस्तवन आदि (पे. १) साधारणजिनस्तवन (पे. २) पुण्यकुलक (पे. ३) हितोपदेशकुलक ११०९० सट्ठिसयप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ षष्टिशतप्रकरण षष्टिशतप्रकरण-अवचूरि ११०९४ चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या आदि (पे. १) चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या चत्तारिअट्ठगाथाविवरणकुलक स्थिति कर्ता मध्यम जिनदत्तसूरि मध्यम जिनकीर्तिसूरि मध्यम श्रेष्ठ महेश्वरसूरि जिनकीर्तिसूरि जीर्ण श्रेष्ठ पार्श्वनाग (दिगम्बर) जीर्ण मध्यम नेमिचन्द्र भण्डारी मध्यम पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. मारुगूर्जर प्रा. मारुगुर्जर प्रा. प्रा. मारुगुर्जर प्रा. मारुगुर्जर संपूर्ण अपभ्रं प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण संपूर्ण प्रा. प्रा. प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. परिमाण कागज गा. १७ कागज गा. १६ कागज कागज गा. ३५. गा. १६ कागज गा. २३ कागज श्लोक ७७ कागज गा. १२ गा. १० गा. ८. कागज गा. १६० कागज गा. १२ वि. १७मी वि. १६वी वि. १६ मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १०४२ वि. १७मी वि. १६मी वि. १७मी 500 आदिवाक्य १ छत्तीसदिणसहस्सा बास १ ६२ सकलत्रिभुवनतिलकं नमिऊण नमिरतियसिन्द पद्य पद्य १ सम्पुण्ण इन्दियत्तं. क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य ४ पद्य (2) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य गद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ( ९.७५४.२) (१०४४.५) (१०-२४४.५) (पे.पृ. १). (पे.पू. १) (पे. पृ. १). (पे.पू. १) (पे.पृ. १) ( १०.२४४.५) (पे.पृ. १). (पे.पू. १) जीर्णप्राय. (१०.२४४.५). गर्भवासनो अधिकार. श्लोक-१००., (९.७५४.५) परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे. जीर्णप्राय. (१०x४.२) (पे.पू. १) (पे.पू. १).. (पे.पृ. १) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) (पे. प्र. १) Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता धर्मघोषसूरि गा.२२३ (प.पू.१) :(१०.२४४.५) श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी (पे.२) ऋषिमण्डलप्रकरण ११०९५ चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या व विचारसङ्ग्रह (4.१) चत्तारिअट्ठगाथाविवरणकुलक. (पे.२) विचारसग्रह (पे.३) घण्टाकर्णमन्त्रस्तोत्र ११०९८ सामाचारीशतक बीजक : गा.१२ (प.पू.2... (पे.पू...... (प.पू. १).पे.वि. : श्लोक-३. (१०x४.२) लोक४ घण्टाकणों महावीरस... पद्य कागज वि. १०मी । सामाचारीशतक-बीजक संपूर्ण मारुगर्जर संपूर्ण कागज वि. १८मी आर्या-२९..(१०x४.५) सं का / ११०९९ : प्रश्नोत्तरमाला प्रश्नोत्तररत्नमालिका ११११६ सिद्धान्तगतअनेकविचारसङ्ग्रह. काखल नालडिक्रयते कागज । वि. १६मी... :/१०.५४४.५ संपूर्ण प्रा.,सं. संपूर्ण ११११८ चन्द्रसूर्यमण्डलविचारादि कागज वि. १६मी (१०.२४४.५) १११४९ । गुरुप्रदक्षिणाकुलक : संपूर्ण ..... वि. १५९७.. (९.५४४.५). गा, १४ संपूर्ण कागज :१११५१: महासता-सतीकुलक आदि (पे.१) महासतीकुलस्वाध्याय ............वि. १७मी..... ८-१(१)-७. स्थूलाक्षर में लिखित...(१०.२४४.२). (पे. पृ.२०-३) पे.वि. : अपूर्ण. प्रथम पत्र की गाथा १ से ४ नहीं है. महासता-सतीकुलक भरहेसर बाहुबली अभयकु (पं.२) सोमसुन्दरसूरीणांस्तुति सोमसुन्दरसूरिस्तुति (प. पू. ३०-४B कृ.वि.: भाषा? मारुगूजर सिरितपगछनायग भवणताय मारुगजेर तित्थङकरचउवीसजिण पद्य (पे.३) श्रावकक्रियाकुलक (पे.४) नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति .. (पे.५) विशाललोचन वीरस्तुति (पे.६) चउक्कसाय १११५२ उपदेशमाला बालावबोध सह नमोस्तु वर्धमानाय... विशाललोचनदल. चउक्कसाय. (प.पू. ४B-GA) कि.वि.: भाषा?] (पे.पू. 84-GB) (प.पू.88-4A (पे.पू. ८०-८B) अन्तिम एक पत्र नथी..(१०x४.७) ७१ वि.१७मी 501 Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम उपदेशमाला उपदेशमालाप्रकरण- बालावबोध १११५३ मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरिरत्नसिंहरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह (पे. 9) मोक्षोपदेशपञ्चाशत् मोक्षोपदेशपञ्चाशिका (पे.२) शुद्धधर्मयोग्यजीवोपदेशपञ्चाशिका जीवोपदेशपञ्चाशिका (पे.३) उपदेशकुलक (पे.४) हितोपदेशकुलक ६. (पे.५) हितोपदेशकुलक (पे. ६) विषयानुशासनाङ्कुश (पे ७) सामान्यगुणोपदेशकुलक उपदेशरसायन (पे.८) धर्मोपदेशकुलक (पे.९) सम्यक्त्वोपायविधि (पे. १०) शुभभावना उपदेश (पे. ११) उपदेशामृतप्रकरण (पे. १२) धर्मोपदेशकुलक (पे. १३) रत्नत्रयकुलक (पे. १४) प्राभातिक जीवानुशासन (पे. १५) मुनिचन्द्रसूरिस्तुति (पे. १६) मुनिचन्द्रसूरि विरह 1 (पे. १७) प्राभातिक स्तुति (पे. १८) श्रवकव्रत स्थिति कर्ता धर्मदास गणि श्रेष्ठ मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूर मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि वादिदेवसूरि वादिदेवसूरि वादिदेवसूरि मुनिचन्द्रसूरि देवसूरि-शिष्य पूर्णता भाषा प्रा. मारुगूर्जर संपूर्ण सं. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. अपभ्रं प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष सं. प्रा. परिमाण गा. ५४४ कागज श्लोक ५१ गा. ५० गा. २५ गा. २५ गा. २५ गा. २५ गा. २५ गा. २५ गा. २९ गा. ३३ गा. ३२ का. १० गा. ३१ गा. २३ गा. २५ गा. ५५ का. ९ गा. ५७ वि. १९७९ 502 आदिवाक्य नमिऊण जिणवरिन्दे ५१ शुद्धयानलवित्रेण निद्दालीयविसमसरं भुवणजणवन्दणिज्जं. भुवणजणवन्दणिज्जं. सुभावणावसाओ सोयपिसा वरहेमसमसरीरो वीरो लद्धत्तममाणुसत्तणमि चन्दद्धसमनिडाल तिहुअणपणमियचलणं पणमि ना चरणु सम्मतु निव्वाणगमणकल्लाणवास क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य पद्य जिणिन्दचन्दाणकमार निसुणन्तु खणं परि सुणेह भो भव्वजणा पद्य पद्य भो भव्वा सवणञ्जलीहिं पद्य विसमो विसयविसद्मो पद्य येन प्रभातसमये तिहुअणकयबहुमाणे (३५) पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (१०x४. ५) लेखन स्थल लिम्बडी (पे. पू. १-२ ). (पे. पृ. २-४) (पे.पू. ४-५) (पे.पू. ४-५) (पे.पू. ५.६) (पे.पू. ६ट्टू) (पे. पृ. ६-७) (पे.पू. ७मुं) (पे.पू. ७-८) (पे.पू. ८-९) पे.वि. गाथा-३३. (पे.पू. ९-१०) (पे.पू. १०.मु) (पे.पू. १०-११) (पे.पू. ११-१२) (पे.पू. १२.मुं.) (पे.पृ. १२-१४) (पे.पू. १४मुं) (पे.पृ. १४-१६) Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रणता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पे.१९) सिद्धान्तसारोद्धार प्रकरण चक्रेश्वरसरि गा.२१३ (प.पृ. १६-२१) अइविसमरागकेसरि नरिन सव्वविरएहिजे हिंसा (पे.२०) पौषधविधिप्रकरण चक्रेश्वरसूरि प्रा.,मारुगुर्जर गा. ९२ : पद्य (पे.पृ.२१-२५) पे.वि. : उपधान पौषधविधि सहित. (पे.पू. २६-२९) पे.वि. : श्लोक-१२०... (पे..पू. २९-३2......... गा.११९ धम्माधम्मवर जिय गा. ७५. वि. ११५५ पद्य सिद्धो बुद्धो अणन्तो नो वन्दिय तिजयसरन्ने पञ्चसमा पन्नत्ता (पे...३१-३२) पे.वि. : ग्रन्थान श्लोक-00. (4.पृ.३२-३३) पे.वि. : ग्रन्थ श्लोक-५३. ग्र. (पे.२१) पदार्थस्थापना प्रकरण च क्रेश्वरसूरि (पे.२२) सूक्ष्मार्थसत्तरि सूक्ष्मार्थसप्ततिका चक्रेश्वरसूरि (पे.२३) चरणकरणमूलोत्तरगुणप्रकरण चक्रेश्वरसूरि (पे.२४) सभापञ्चकप्रकरण चक्रेश्वरसूरि देवोपत्तिस्वरूपप्रकरण (पे.२५) सूक्ष्मार्थसप्ततिका-टिप्पण चक्रेश्वरसूरि (पे.२६) आत्मतत्त्वचिन्ताभावनाचुलिका रत्नसिंहसूरि (पे.२७) आत्मानुशास्तिपञ्चविंशतिका ... रत्नसिंहसरि. (पे.२८) आत्मविज्ञप्ति रत्नसिंहसूरि 43 श्लोक २४ IEEEEE (प.पू. ३३-३६) (पे.पू. ३६मुं).. (पे.पू. ३६-३७)... (पे.पृ. ३७मुं) श्लोक २५ गा.३० पद्य गा. ५६ पद्य (प.२९) आत्मानुशासनकुलक (पं.३०) आत्महितकुलक (पे.३१) मनोनिग्रहभावनाकुलक (पे.३२) धर्माचार्यबहुमानप्रकरण (पे.३३) पर्यन्ताराधनाकुलक... (पे.३४) उपदेशकुलक (पे.३५) संवेगामृतपद्धति रत्नसिंहसूरि रत्नसिंहसूरि रिलसिंहसरि. रत्नसिंहसूरि रलसिंहसूरि रलसिंहसूरि. रत्नसिंहसूरि नत्वा जिनं समीचीनं कल्याणशस्यपायोदन्दुर.. प्राकृतः संस्कृतो जयजयभुवणदिवायर तिह सिरिधम्मसूरिसुगरूँ... नियगुरुपायपसाया नाउं: पद्य सिरिधम्मसूरिपहुणो पद्य नमिऊं गुरुपयपउमं सुहिओ वा दुहिओ वा ... चिन्तसु उवायमेयं शिष्याः श्रीधर्मसूरी गा. ३२. गा.४४ गा.३४ गा.१६ पद्य गा..२६. श्लोक ४३ (पे.पू. ३०-३९) रचना स्थल अणहिल्लवाडन (पे.पू. ३९-४०) (पे.पू. ४०-४१). (पे.पू. ४१-४२) (पे.पू. ४२मुं) (पे.पू. ४२-४३). (प.पू. ४३-४४) [कृ.वि. श्लोक-४० के बाद 'अयं अन्यकृतः ऐसा लिखा हुआ है.] (प.पू.४४-४६) (पे...४६-५०.. (पे.पू. ५०-५१) (१०x४.५) पय गा. १२२ रत्नसिंहसूरि रलसिंहसरि गा.१५० (पे.३६) संवेगामृतपद्धति (पे.३७) संवेगरलमाला (पे.३८) आवकवर्षाभिग्रह ११२१८ : लघुकथासङ्ग्रह शिष्याः श्रीधर्मसूरी भावम्मि समाही पुण.. वर्षा चतुर्मासकाभि ४-१(१)=३. ....... वि. १७मी ११२२१ : विविधकथासङ्ग्रह कागज ......वि. १६मी २० प्रति पाणीथी भींजायेली छे.पत्र १०मुंडबाल छे..: 503 Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र प्रत प्रकार ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (१०.५४४.५) । मध्यम FEEEEEEEE (२).. पद्य (१०.५४५.२) प.पू.) देवसुरि वादिदेवसूरि श्रेष्ठ वज्रस्वामि कागज.. वि.२०मी. गा.३६ ग्रं.३९.. :धरणोरगेन्द्रसुरपति श्लोक कागज.............वि. २०मी. का.११ स्वणोष्टाग्रसहस्र, (पे.पू. १) का.५ (पे.पृ. १) (पे.पू.? (पे.पू..?.... :(११४४.५) का.७ : विजयप्रभस्वामि मध्यम कागज वि.१५मी (२) महीमेरु श्लोक ५३ ६८ : पार्श्वनाथ-धरणोरगेन्द्रस्तव आदि .... (2.9) धरणोरगेन्द्रस्तव (पे.२) कुरुकुल्लास्तव गौतमस्वामिस्तवन आदि (ये.9) गौतमस्वामि स्तवन (ये.२) गौतमस्वामिस्तवन (पे.३) देवपत्तनजिनस्तवन ११२८० जिनस्तुतिगर्भितक्रियागुप्त पञ्चविंशतिका जिनस्तुतिगर्भित क्रियागुप्त पञ्चविंशतिका पार्श्वनाथस्तोत्र स्वोपज्ञटीकासहित पञ्चपाठ यमकमय पार्श्वनाथ यमकमय स्तोत्र पार्श्वनाथ यमकमय स्तोत्र-स्वोपज्ञ टीका ११२८६ पञ्चजिनस्तव हारवन्ध सावचूरि पञ्चजिनस्तव हारबन्ध पञ्चजिनस्तव हारबन्ध-अवचूरि.. ११२९० चतुर्विशतिजिनस्तुति ११२८१ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १६मी (११X४.५० पुण्यरत्नसूरि :पुण्यरलसूरि श्लोक १५. श्लोक १५ मध्यम कागज .........वि. १६मी (११.२४४.७) कुलमण्डनसूरि ... श्लोक २३ गरीयोगणश्रेण्य... संपूर्ण (११४५) श्रेष्ठ श्रीपाल कविचक्रवर्ती कागज...........वि. २०मी... श्लोक २९ श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.२०मी :(११४५) ११२९१ द्वात्रिंशदलकमलबन्धमय महावीरस्तवन उदयधमे श्रेष्ठ श्लोक १८ कागजवि . १९०८ ११२९३ परमेष्ठिअष्टक आदि (३) सूचिपत्र में मुद्रण दोष से प्रत क्रमांक-१११९३ दिया है., (११४५) (प.पू. १) पे.वि.: गाथा-६. (.9) पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन स.प्रा. श्लोक८ : परमेष्ठि नमस्कारपद्य 504 Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष श्लोक १८ पद्य (प.पू.) पै.वि. : गाथा-१७. श्लोक33 श्रीपाच पात गा.८ ॐनमो भगवते पार्श्व पद्य (पे.पू.३... : मध्यम संपण कागज १६मी ५६ गा. १५४ .१८० (पे.२) जैनरक्षास्तोत्र (पे.३) अष्टोत्तरशतनामगर्भित पाचस्तोत्र पार्श्वनाथस्तोत्र अष्टोत्तरशतनामगर्भित (पे.४) पार्श्वनाथस्तोत्र मन्त्रगर्मित दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति आदि (4.9) दशाश्रुतस्कन्ध-नियुक्ति भद्रबाहस्वामी (2.२ दशाश्रुतस्कन्ध-चूर्णी (पे.३) दशाश्रुतस्कन्ध भद्रबाहस्वामी अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि मध्यम (पे.2) अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन ... (पे.२) वीरजिनस्तवन विविधचित्रबद्ध । जिनप्रभसूरि (पे.३) अजितनाथस्तवन यमकबन्ध... : जिनप्रभसूरि (पे.४) क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विशतिका । सागरचन्द्र विविध छन्दोमयी वन्दामि भद्दबाई मडगलादीणि सत्थाणि :गद्य ग्रं.२०१६ नमो अरहन्ताणं. कागज स..प्रा..अपर्भ. श्लोक १ चित्र स्तोष्ये श्लोक २८ श्लोक २१ विश्वेश्वरं मथितमन्म पद्य श्लोक २५ (१२४४.५) (पे.पू. १-३). (पे.पू. ३-३३).पे.वि. : ग्रन्थाग-२२२५. (प.पू. ३४-५६) (११.७X४.५) (पे.पू.22. (पे.पू. १-२) [कृ.वि. : मुहूर्तराजान्तर्गत] (प.पू. २-३) (पे.प्र.३-४) [कृ.वि. : अन्तवाक्य-सागरचन्द्र इत्यभिध० नानावृत्तनिवेशपेशलतरैर्युक्ताक्रियागुप्तकैः] (पे.पू. ४-4) (पे.पू. ५-६) (प.पू.६... (प.पू.६-०.. (पे.प्र. ) (पे.पृ. ७-८) [कृ.वि. : दण्डक-२५] सिद्धसूरि श्लोक २२ रत्नप्रभसरि FFEEE EEEEE : जिनप्रभसरि श्लोक 10 EEEEEE जिनप्रभसूरि श्लोक ३४ श्लोक८ इन्द्रभूति वसुभूति का. २५ (पे.५) लघुअजितशान्तिस्तव (पे.६) नेमिनाथस्तवन (प.७) व्याश्रयमय वीरस्तवन (प.८) समवसरणस्तवन (पे.९) गौतमाष्टक (पे.१०) चतुर्विंशतिजिननमस्कार दण्डक छन्दोमय (पे.१9) वीरजिनस्तव नेमिव्यक्षरस्तव सावचूरि नेमिदव्यक्षरस्तव नेमिव्यक्षरस्तव-अवचूरि. :ज्ञानसार व हिंसाष्टक सह स्वोपज्ञ दवाथ जिनप्रभसरि श्लोक२५ (पे.प.८-९) कागज (११.५४४.५ नम अक्षरद्य. वि. १८६९५६ (१०.५४५) 505 Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (प. पृ.१-४५) अध्याय ३२ कृ.वि.:३२ अष्टक (पे.१) ज्ञानसार अष्टक सह (मा.ग.)स्वोपज्ञ टबार्थ. ज्ञानसार अष्टक ज्ञानसार अष्टक-टबार्थ (पे.२) हिंसाष्टक हिंसाष्टक-स्वोपज्ञ टीका ११५०२ आडकनां पलाखां गद्य यशोविजयजी गणिसं. यशोविजयजी गणि मारुगुर्जर हरिभद्रसरि हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ ऐन्द्रश्रीसुखमग्नेन ऐन्द्रवृन्दनतं नत्वा अविधायापि हि हिंसा अपारावारावारसंसारतल १८-१(१)-१७ मापद्य....... पद्य संपूर्ण वि. १८४१ (१२)................(१०x४.५). ................. आडकना पलारवां मारुगर्जर ११५०३ आड़कना घडिया मध्यम कागज वि. १९मी (oxx संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण ११६०८ लुम्पकलोपकतपगच्छजयोत्पत्तिवर्णनरा श्रेष्ठ कागज वि. १८७८ (९.७४५) मारुगुर्जर उत्तमविजय श्रेष्ठ : शिवलक्ष्मी (१०.५४५)... ११६६६ : आदी नेमिजिनं स्तोत्र (2.9) आदी नेमिजिन स्तोत्र (पे.२) पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन .. (पे.३) सिद्धाचलमण्डन ऋषभजिनस्तवन ११६८३ सीमन्धरजिनस्तुति सटीक आदि 444 ग्रं. १६० कागज............. वि. १९मी का.९ श्लोक ८ श्लोक १४ प्रा. आदौ नेमिजिनं.. परमेष्ठि नमस्कार सिद्धाचलश्रीललना... (पे.पू. १)................ (ये.पृ. १) [कृ.वि. : आदिनाथ स्तवन यमकमय] पद्य श्रेष्ठ कागज वि. १९६४ (३) :महीमण्डनं पण्ण आदिः महीमंडनं पुण्णं, आदिः नामेथं संबवंत.. (१०.५४४.७) ये.पृ.१३2. (पे.पृ. १-३). (१०.५४४.५). (4.9) सीमन्धरजिनस्तुति (पे.२) पञ्चकल्याणकस्तुति ११७२६ । साधु-श्रावकसामाचारी साधुश्रावकसामाचारी ११७२९ सामाचारी नाभेयं सम्भवन्त... कागज वि.१५०१ प्रा.सं आयारमयं वीरं संपर्ण वि. १६मी. (१०.२४४.५). :आयारविहीनिलओ..... मध्यम संपूर्ण कागज वि. १९मी (१०.५४४.५) १२००४ यशोविजयोपाध्यायपत्र शास्त्रीयविचारगर्भित मारुगर्जर Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कृति प्रकार (१०.५४४.५) नागराज (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य संपूर्ण कागज वि. १७मी ...५ ............. संपूर्ण । कागज ...........वि. १६मी.... सं.,मारुगूर्जर वि. १४५० संपूर्ण कागज वि. १७५० १६ .. सं. मारुगूर्जर संपूर्ण कागज वि. १६मी १२ सं. का.१०४ पद्य (६)................ कर्ता देवसुन्दरसूरि शिष्य.(१०.५४४.५).. मध्यम (१२) (९.७४४.५) (११) जीर्णप्राय, (१०.५४४.५) सं. गद्य संपूर्ण वि.१७मी जीर्णप्राय, (१०.२४४.२) :१२००७ भावशतक-नागराजशतक श्रेष्ठ भावशतक | १२००९ मुग्धावबोध औक्तिक श्रेष्ठ कुलमण्डनसूरि १२०१० उक्तिरत्नाकर साधुसुन्दर १२०१२: परम्पराप्रामाण्य आदि जीर्ण अनेकविचारसग्रह परम्पराप्रामाण्य आदि अनेकविचारसग्रह १२०१४ छन्दोरूपक टिप्पणीसहित ! जीर्ण प्राकृतपिङ्गलान्तर्गत प्राकृत पैङगलनो हिस्सो छन्दोरूपक पिङ्गलाचार्य. प्राकृत पैगलनो हिस्सो छन्दोरूपक दिपण १२०१७ चतुरर्थगर्भितएकवृत्तमयीस्तुति स्वोपज्ञविवरणसहित त्रिपाठ कमलबन्धरूप एकवृत्तमयीस्तुति चतुरर्थगर्भित#... एकवृत्तमयीस्तुति चतुरर्थगर्भित-स्वोपज्ञ विवरण १२०५० पञ्चाख्यानगतसुभाषित अपन.. वि.१/मी प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थई छे. कर्तानाम? (१०.२४४.२ SED संपर्ण कागज वि. १९मी (१०.२X४.५) १२०५१ आर्यास्वरूप भ्रष्ट संपूर्ण कागज वि.१०मी ............ (१०.५४४.५/ कागज १२१२४ प्रकरणसङ्ग्रह आदि (पे.१) वीरजन्मोत्सव (पे.२) वीतरागस्तोत्र संपूर्ण मारुगजेर ............वि. १५मी..... १६१ ....)............... पत्र २३९ नथी...(९:२४४.७...... (प.प्र.१-२) (पे.पृ.३-११) [कृ.वि. : प्रकाश-२०] हेमचन्द्रसरि सं. अध्याय २० ग्रं. यः परात्मा परमज्यात १८७ 507 Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (पे. पू. १२-४२) (पे.३) योगशास्त्र प्रकाश५-१२ योगशास्त्र (पे.४) बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण हेमचन्द्रसूरि : नमो दुर्वाररागादिवैर अध्याय १२प्रका गा.३७८ पद्य (पे.५) भक्तामरस्तोत्र मानतुङ्गसूरि का.४४ भक्तामरप्रणतमौलिमणि पद्य (पे.पृ. ४३-६१) पे.वि. : गाथा-३०८. [कृ.वि. : गाथा २७१ थी ३८३ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ४२-६५) पे.वि. : का.४४. [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे] (ये.पृ. ६५-६९) पे.वि. : का.४४. (पे.६) कल्याणमन्दिरस्तोत्र सिद्धसेन दिवाकर का.४४ कल्याणमन्दिरमुदारमव :पद्य सरि का.२५ पद्य का.१६ रत्नाकरसूरि जयतिलकसूरि जयतिलकसूरि जयतिलकसूरि का.९ (पे.) रत्नाकरपच्चीशी (प.८) पाश्वनाथस्तवन मन्त्राधिराज (पे.९) शान्तिनाथस्तवन (पे.१०) महावीरस्तवन (2.99) प्रभातकुलक (ये.१२) भयहरस्तोत्र पद्य का.१० पद्य श्लोक १३ पद्य (मे.पू. ६९-७१) पे.वि. : का.२५. (प.पू.७१-७२) (4.पू. ७२) (पे.पू. ७२-७३).. (प.पू.७३-७४/... (ये.पृ. ७४९) ये.वि. : अपुर्ण.कृ.वि. : गाथा २१ थी.२४ मळे छे.. (ये.पृ. ७५-७६) (प.पृ. ७६-७२) मानतुङ्गसूरि गा.२३ :प्रातरेव समुत्थाय । नमिऊण पणयसुरगणचूडामण कः खलु नालड़िक्रयते जयइ जगजीवजोणी.... पद्य विमलसार का.२८ गा.५० : पद्य पद्य देववाचक (पे.१३) प्रश्नोत्तररलमालिका (ये.१४) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (ये.१५) अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण गा.४० अजिर्य जियसब्बभयं पद्य गा.८. :का.२७ सोम BEEFFFFFERE गमअवयारि सोहम्मसुर पद्य जनेन येन क्रियते । पद्य पद्य श्लोक (पे.१६) लघुअजितशान्तिस्तव ... (पे. १७) चतुर्विंशतिजिनस्तुति ..... (पे.१८) सिद्धाचलस्तुति (ये.१९) महावीरस्तुति (पे.२०) सप्ततिशतजिनस्तुति (ये.२१) नन्दीश्वरस्तुति (पे.२२) आदीश्वरस्तुति (मे.२३) पञ्चतीर्थीस्तुति ... (पे.२४) पाक्षिकसूत्र का.४ (पे.प्र. ७९-८३) पे.वि.: गाथा-४७.कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] (मे.पू..43:452 पे.वि... गाथा-९.. (प.पू.८४-८६). (प.पू. ८६ ये...45-492 (पे.पू. ८७) (पे.पृ.८७ (पे.पू. ८) पे.वि..: अपूर्ण... (पे.पू. ८९म) मे.वि. : त्रुटक.. .पू. ८९-१०४). का.४ का.४ पद्य गा.x पद्य संयुक्त प+ ग ग्रं.३५० :तित्थडकरे य तित्थे ये 508 Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाकर क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष का प्रा. प्रा. ग्रं.५० इच्छामि पडिक्कमिट (पे.२५) क्षामणकसूत्र (पे.२६) पगामसज्झाय (पे.२७) लघुपाक्षिकअतिचार ... (पे.२८) एकविंशतिस्थानप्रकरण (4.पू.८९-१०४) (पे.पू. १०४-१०८) (पे.पू. १०८-१०९ (पे.पृ. ११०-११३) पे.वि. : गाथा-६४. मारुगर्जर सिद्धसेनसूरि चवण विमाणा नयरी जणया प्रा.मारुगुर्जर मारुगुर्जर मानदेवसरि स गा.१७ शान्ति शान्तिनिशान गा.१४ तिजयपहत्त. (पे.२९) श्रावकआराधनाप्रकरण (पे.३०) बोलसङ्ग्रह (पे.३१) लघुशान्तिस्तोत्र (पे.३२) तिजयपहुत्तस्तोत्र (पे.३३) कलिकुण्डपार्श्वनाथमन्त्र .. (पे.३४) शडखेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र... (पे.३५) बृहत् शान्तिस्तोत्र (पं.३६) गुरुपरम्परास्तुति .(१.३७) साधुगुणकुलक (पे.३८) इगुणतीसीभावना (पे.३९) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.४०) कयवन्नाविवाहलुं (पे.पृ. ११४-११७) (पे.प्र. 999-११९) (प.. ११९-१२०० मे.वि. : आर्या-१७.... (पे.पू. १२०-१२१) पे.वि. : श्लोक-१४.... (पे.पू. १२१).. (पे.पू. १२१म.. (प.पू. १२१-१२३). (प.पू. १२३-१२१). (पं.पू. १२५:१२६... (पे.पू. १२६-१२८). (पे.पू. १२८-१२९) (पे.पृ. १२९-१३१) [कृ.वि. : भाषा-अपभ्रंश प्रधान शान्तिसूरि वादिवेताल भो भो भव्याः श्रुणुत पद्य गा..२४ गा.२९ पद्य पद्य अपभ्र का.९ श्रीपार्श्वनाथ भवतोय मारुगूर्जर मारुगजर मारुगूर्जर मारुगूर्जर...गा..१५. : मारुगजेर श्लोक ७३ मारुगर्जर गा.४१ (प.४१) नेमिनाथ धवल (पे.४२) आर्द्रकुमारधवल (पे.४३) शबरीभास (पे.४४) बुद्धिरास... (पे.४५) जीराउलारास (पे.४६) नेमिनाथधूल-धवल. (पे.४७) धर्मप्रभगुरुविवाहलु (पे.४८) धर्मप्रभसूरिधुल-धवल (पे.४) सकलाईतस्तोत्र (पे.५०) नन्दीश्वरस्तवन गा.७ मारुगूर्जर मारुगूर्जर मारुगुर्जर (प.पू. १३१) (प.पू. १३१-१३५)... (4...१३५-१३७ (प.पू. १३७-१४२) मे.वि. गाथा-५७... (पे.पू. १४२-१४६) पे.वि. : कडी-७. (पे.पू. १४६-१४४७). पं.वि. : कडी-७... (4.पू. १४७ (पे.पृ. १४-१४८) (प.पू. १४८-१५०० पे.वि. : श्लोक-२४. (पे.पृ. १५०-१५१) पे.वि. गाथा-११. [कृ.वि. : भाषा अपभ्रंश प्रधान मारूगूर्जर). श्लोक २४.२६. सकलार्हत्प्रतिष्ठान अपी . गा.११ Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. ५१) महावीरविनती (पे. ५२) सीमन्धरजिनस्तवन (पे. ५३) धर्मप्रभगुरुगुणमाल (पे.५४) दाङ्गडउ (पे. ५५) दशपच्चक्खाण (पे. ५६) नवखण्डापार्श्वनाथवीनती (पे.५७) कुसुमाञ्जली १२१३२ शत्रुञ्जयचैत्यपरिपाटी १२१३३ | आदिजिनस्तुत्यादिसङ्ग्रह (पे. १) शत्रुंजयआदिस्तुतिसग्रह आदिजिनस्तुति-शत्रुञ्जयमण्डन (पे. २) पार्श्वजिनस्तुति (पे.३) सामान्य जिनस्तुति सामान्यजिन स्तुति १२१३४ | गिरिनारतीर्थकल्प १२१३६ | गिरिनारमहातीर्थमण्डन नेमिजिनस्तवन तथा पार्श्वनाथपञ्चविंशिका (पे. १) नेमिनाथजिनस्तवन गिरिनारमहातीर्थमण्डन # (पे. २) स्तम्भनपार्श्वनाथस्तव १२१३७ पुण्डरीकस्तव स्थिति कर्ता शान्तिसूरि मध्यम जीर्ण मध्यम सरस्वती जीर्ण सोमसुन्दरसूरि देवसुन्दर सुरि मध्यम लक्ष्मीसागरसूरि पूर्णता भाषा मारुगुर्जर अपभ्रं मारुगुर्जर अपभ्रं. प्रा. मारुगूर्जर मारुगूर्जर संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष सं. संपूर्ण सं. परिमाण गा. ८ गा. १८ गा. २९ गा. ८ कागज का. २६ कागज श्लोक ४ श्लोक ४ कागज का. २३ कागज का. १७ का. २५ कागज का. ११ वि.१६मी वि. १६मी वि. १७मी वि. १६मी वि. १५३४ 510 आदिवाक्य पद्य पद्य जहिं जिणधम्मु न जाणि पद्य नम्रन्द्रमण्डलमणीमय १ शैले शत्रुञ्जयाख्ये मायातुङ्गी निरासे. १ श्रीमद्रेवतकाभिधान स्फुरत्केवलज्ञान.. १ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार श्रीशत्रुञ्जजयशैलराज गद्य पद्य पद्य (२) पद्य (२) पद्य पद्य पद्य (2) पद्य (२) पद्य पद्य (२) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. १५१-१५२) (पे.पू. १५२-१५४) पे.वि. कडी-८. (पे.पू. १५४-१५५) (पे. पृ. १५५-१५७) पे. वि. गाथा-३१. कृ. वि. भावनाकुलक भाषा अपभ्रंश, गाथा-२१ नुं पण समान आदिवाक्य छे.] (पे.पू. १५७-१६०) (पे. पृ. १६०) (कृ.वि. भाषा-अपभ्रंश प्रधान मागूर्जर] (पे. पृ. १६१मुं) [कृ.वि. भाषा-अपभ्रंश प्रधान मारूगूर्जर ] (१०.५४४.५) जीर्णप्राय (९.७x४) (पे. पृ. १) (पे.पू. १).. (पे. प्र. १) ( १०.२५४. ५) जीर्णप्राय, आदिः श्रीमदैवताभिधान. आदिः स्फुरत्केवलज्ञानचारु, (१०.२x४.२) (पे.पू. १) (पे. पृ. १) (१०x४. ५) Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा (१०.५४४.५) संपूर्ण सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कागज .......... वि. १६मी ............ महाभाग्यसौभाग्य... ............वि. १६मी.....१ जय श्रीमन्नाभिप्रभवः ......... कागज वि. १५०८१ गा.२३ नमिऊण पणयसुरगणचूडामण पद्य .जीर्ण संपूर्ण कागज १२१४३ : कुल्पपाकमण्डनयुगादिजिनस्तवन मध्यम युगादिजिनस्तवन कुल्पपाकमण्डन ..... भूवनसुन्दरसूरि १२१४५ इलदुर्गमण्डनयुगादिजिनस्तवन ....... युगादिजिनस्तवन इलदुर्गमण्डन ..... मुनिसुन्दरसूरि १२१५० भयहरस्तोत्र सटीक पञ्चपाठ श्रेष्ठ भयहरस्तोत्र मानतुङ्गसूरि जीर्णप्राय..(१०x४.५). का.२४ संपूर्ण (१०.२४४.५) गाथा २१थी २४ मळे छे. १२१५७ मध्यम संपूर्ण कागज वि.१०मी (१०x४.५ भयहरस्तोत्र-टीका बृहदअजितशान्तिस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ बृहत् अजितशान्तिस्तवन बृहत अजितशान्तिस्तवन-टीका कल्याणमन्दिरस्तोत्र आदि (पे.१) कल्याणमन्दिरस्तोत्र जयशेखरसूरि का.१७ सकलसुखनिवहदानाय.... संपण कागज वि (१०x४.५) (पे.पृ. १-३) सिद्धसेन दिवाकर का.४४ कल्याणमन्दिरमुदारमव का.९ देवाधिदेवं कृतम् पद्य (पे.पृ.३) १२१७४ संपूर्ण कागजवि . १७मी (१०४४.५) प्रा.......... गा. १० दोसावहारदक्ख (पे.२) रावणपाश्वनाथाष्टक कल्याणसागरसरि अलवरपुरमण्डन नवग्रहगर्भितपार्वजिनस्तवन सावचूरि जीर्ण त्रिपाठ नवग्रहस्तुतिगर्भितपार्श्वनाथस्तुति ......... जिनप्रभसूरि. नवग्रहस्तुतिगर्भितपार्श्वनाथस्तुति अवचुरि १२१८१ : चत्तारि-अट्ठ गाथा विवरण श्रेष्ठ चत्तारिअठ्ठदसदोयसूत्र-विवरण....... विनयविजय...... १२१८८ चतुर्विशतिजिनस्तुतयः मध्यम चतुर्विशतिजिनस्तुति : जिनप्रभसरि चतुर्विशतिजिनस्तुतयः तथा सामायिक जीर्ण वत्रीसदोष सज्झाय (पे.१) चतुर्विंशतिजिनस्तुति .........जिनप्रभसूरि संपूर्ण कागज 190X४.२) .... वि. १८मी संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०.२४४.५) का.२९ ऋषम नमसरासरशेखर संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०x४.२) सं. का.२९ ऋषभ नम्रसुरासुरशेखर : पद्य .. १) 511 Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य (२)... पद्य गा.२९ मारुगूर्जर संपूर्ण (पे.पू. १)... (१०.२४४.५).. मध्यम कागज : वि.१७मी का. २९.... ऋषभ नम्रसुरासुरशेखर संपूर्ण कागज वि. १७मी का.२८. (१०.५४४.५) का.२७ जनेन येन क्रियते जिनप्रभसूरि श्रेष्ठ सोमप्रभसूरि मध्यम सोमप्रभसूरि जीर्ण कागज. वि. १७मी (१०.२४४.२. ................ का.२७ जनेन येन क्रियते कागज वि.१७मी (१०.२४४.५) :सोमप्रभसरि का.२७ :जनेन येन क्रियते गद्य जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १७मी अतिजीर्ण., (१०.२४४.५) सोमप्रभसूरि का.२७ :जनेन येन क्रियते (पे.पू.१) मे.वि. : का.२८. का.४ 4.... (पे.२) सामायिक बत्रीसदोष सज्झाय १२१९० चतुर्विशतिजिनस्तुतयः . चतुर्विंशतिजिनस्तुति १२१९२ चतुर्विशतिजिनस्तुतयः चतुर्विशतिजिनस्तुति चतुर्विशतिजिनस्तुतयः . चतुर्विशतिजिनस्तुति १२१९४ चतुर्विशतिजिनस्तुतयः टिप्पणीसहित चतुर्विंशतिजिनस्तुति चतुर्विंशतिजिनस्तुति-टिप्पण १२१९५ चतुर्विशतिजिनस्तुतयः तथा पार्श्वनाथस्तुति (4.9) चतुर्विशतिजिनस्तुति (पे.२) पार्श्वनाथस्तुति हर्षपुरीय, १२१९६ चतुर्विशतिजिनस्तुति यमकालड़कारमयी चतुर्विशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी १२१९७ चतुर्विशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी सावचूरि .. चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी# चतुर्विशतिजिनस्तुति यमकालकारमयी-अवचरि.. १२१९८ चतुर्विशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी सावचूरि... चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी चतुर्विंशतिजिनस्तुति :जीर्ण संपूर्ण :कागज वि.१७मी (२) जीर्णप्राय..(१०x४.५) का.२७ यत्राखिल श्रीश्रितपाद पद्य : मध्यम संपूर्ण कागज वि.१७मी १०.२४४.५) का.२७ यत्राखिलश्रीश्रितपाद पद्य : गद्य जीर्ण अपूर्ण कागज वि.१७वी (१०.२४४.५) का.२७ यत्राखिलश्रीश्रितपादपद्य गद्य 512 Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य कृति प्रकार संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०x४.५) जय वृषभजिनाभिष्ट्रयसे पद्य गा.२८.. :कागज संपूर्ण :वि. १७मी (१०.२४४.५) गा. २८ जय वृषभजिनाभिष्ट्रयसे. संपूर्ण कागज :(१०.२४४.२) यमकालङ्कारमयी-अवचूरि.... १२२०२ चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः श्रेष्ठ चतुर्विशतिजिनस्तुति................ धर्मघोषसुरि १२२०३ : चतुर्विशतिजिनस्तुतयः सावचूरि जीर्ण पञ्चपाठ....... चतुर्विशतिजिनस्तुति धर्मघोषसूरि चतुर्विशतिजिनस्तुति-अवचूरि चतुर्विशतिजिनस्तुतयः : मध्यम चतुर्विशतिजिनस्तुति धर्मघोषसरि १२२०५ चतुर्विशतिजिनस्तुतयः आदि (पे.१) चतुर्विंशतिजिनस्तुति (पे.२) चतुर्विंशतिजिनस्तुति १२२०६ चतुर्विशतिजिनस्तवन लक्ष्मीसागरसूरि १२२०७ चतुर्विंशतिजिनस्तवन सोमसुन्दरसूरि गा.२८ जय वृषभजिनाभिष्ट्रयसे श्रेष्ठ संपणे कागज वि.१०मी का.. (१०.२४४.५) (पे.पू. १-२2. (पे.पू. २४) (१०.२४४.५) मारुगजेर गा.२७ अष्ट संपूर्ण कागज वि. १०मी मध्यम का.२६ कागज का.२५ वि.१७मी संपूर्ण ..... सं. (१०x४.५) सकलनाकिनिकायनमस्कृ :कागज :(१०.२४४.५) :संपूर्ण सं. संपूर्ण का.९ ...........वि. १९मी....१ आदी नेमिजिन.. :वि. १८मी कागज :(१०x४.५) मारुगर्जर (प.प. ) मारुगर्जर १२२१७. चतुर्विशतिजिनस्तोत्र श्रेष्ठ आदौ नेमिजिन स्तोत्र :शिवलक्ष्मी १२२२० प्रत्याख्यानागार, चोरासी गच्छना नाम: मध्यम तथा ऋषभदेवस्तोत्राष्टक (पे.१) प्रत्याख्यानागार (पे.२) चोरासी गच्छना नाम (पे.३) ऋषभदेवस्तोत्राष्टक २२२७ : ऋषभकुन्तलपञ्चविंशतिका ऋषभजिनकन्तलपञ्चविंशतिकास्तवन :सोमसुन्दरसरि परमानन्दस्तोत्रपञ्चविंशतिका परमानन्दपञ्चविंशतिका १२२२९. परमानन्दस्तोत्रपञ्चविंशतिका । मध्यम का.८ नरेन्द्रनाभिनन्दनं (प.प. ) संपर्ण कागज व.१६मा २-११-१ (१०.२४४.५) ॐकारासकलत्रिलोक संपर्ण वि.१८मी १ (१०४४.५) कागज श्लोक २७ परमानन्दसम्पन्न... संपूर्ण ...कागज..............वि. १८वी.....१ परिमाण-श्लोक-२५...(१०x४.५) Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार श्लोक २७ परमानन्दसम्पन्न... पद्य (२) जीर्ण संपूर्ण वि.१८मी :(१०x४.५) परमानन्दपञ्चविंशतिका १२२३१ रत्नाकरपञ्चविंशतिका तथा सीमन्धरजिनस्तवन (पे.१) रत्नाकरपच्चीशी (पे.२) चतुर्विंशतिजिनस्तुति ...... महादेवरात्रिशिका महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका । रत्नाकरसूरि का.२५ जिनप्रभसूरि जिनर्षभ प्रीणित... ENA /.पू..३. (१०.५४४.५) १२२३७ मध्यम वि. १८मी हेमचन्द्रसूरि श्लोक ३५ ग्रं.३५ प्रशान्त दर्शनं CENE श्रेष्ठ कागज श्लोक-४४.. १२२३८: महादेवस्तवन महादेवस्तोत्रदात्रिशिका हेमचन्द्रसूरि श्लोक ३५ ग्रं.३५ प्रशान्त दर्शनं १२२३९ : पुण्डरीकपूजाविधि कागज वि.१८मी : (१०x४.२) १२२४० पुण्डरीकपूजाविधि श्रेष्ठ कागज........... वि. १७मी .. (१०x४.२) जीर्ण कागज वि. १६मी (१०.२४४.५) का.९ पद्य कागज वि. १८मी (8.७४४.५ कागज वि.१८५० (१०x४.५) १२२४४ उक्तित्रय-समासषटक-पटप्रत्ययमय जिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ देवाप्रभोस्तोत्र . .. जयानन्दसूरि देवाप्रभोस्तोत्र-अवचूरि ४६. साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ जीर्ण देवाप्रभोस्तोत्र जयानन्दसरि देवाप्रभोस्तोत्र-अवचूरि :१२२४७ साधारणजिनस्तवन श्रेष्ठ देवाप्रभोस्तोत्र १२२४८ साधारणरजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ देवाप्रभोस्तोत्र जयानन्दसूरि देवाप्रभोस्तोत्र-अवचूरि १२२५० साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ : श्रेष्ठ आदि (पे.9) साधारणजिनस्तोत्र सह जयानन्दसरि श्रेष्ठ कागज वि. १६६५ (१०.२४४.२) पद्य :वि. १०मी (१०.२४४.५) (पे... . Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाकर क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष देवाः प्रभो.... पद्य .९..... गद्य (प.पृ.१) (सं.)अवचरि देवाप्रभोस्तोत्र :जयानन्दसरि देवा प्रभोस्तोत्र-अवचूरि (पे.२) साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.) टिप्पणी साधारणजिनस्तोत्र सोमप्रभसूरि साधारणजिनस्तोत्र-टिप्पण साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ: जीर्ण श्रीमान् धर्म.. सपूर्ण कागज :वि.१७मी (१०.५४४.५) आदि पि. पृ.१) का.९ देवाः प्रभो का.८ श्रीमान धर्म १२२५६ :संपणं वि. १०मी कागज का.९ श्लोक देवाः प्रभो (प.पू. १) (१०x४.२) (प.पू.... (4.4.22.पे.वि... श्लोक-६ (१०x४.२) जयश्रीजिनकल्याण. संपूर्ण कागज वि. १६८४ श्लोक जयश्रीजिनकल्याण... (पे.१) साधारणजिनस्तोत्र सह (सं. अवचूरि देवाप्रभोस्तोत्र जयानन्दसूरि देवा प्रभोस्तोत्र-अवचूरि (पे.२) साधारणजिनस्तोत्र सोमप्रभसूरि साधारणजिनस्तवन आदि मध्यम (पे.) देवाप्रभोस्तोत्र जयानन्दसूरि. (पे.२) साधारणजिनस्तव मुनिसुन्दरसरि. १२२५७ । साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ मध्यम साधारणजिनस्तव मुनिसुन्दरसूरि साधारणजिनस्तव-अवचूरि १२२५९। साधारणजिनस्तुति सटीक त्रिपाठश्रेष्ठ साधारणजिनस्तव ___ मुनिसुन्दरसुरि साधारणजिनस्तक्-टीका चतुर्विशतिजिनस्तव सावचूरि त्रिपाठ श्रेष्ठ चतुर्विशतिजिनस्तुति : जिनप्रभसरि चतुर्विशतिजिनस्तुति-अवचुरि साधारणजिनस्तोत्र तथा ८४ आशातनाकाव्य (पे.१) चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र संपूर्ण वि.१४मी (१०x४.५ श्लोक :जयश्रीजिनकल्याण.. संपणं वि.१/मी मध्यम संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०.२४४.५) :धर्मशेखर (पं.पृ.१) 515 Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार का.४ पद्य कागज वि.१८मी (६) श्लोक १११ पद्य का .९ कमलोदयमङ्गलकीर्तिक पद्य म ध्यम (पे.२) चोरासी आशातना काव्य १२२७१ अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय आदि (2.9) अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय (पे.२) गोडीपार्श्वनाथस्तुति संपूर्ण (प.पू. १). (९.५४४.२) (प.पू..?.. (पे.पृ. ?) वि. १८मी (१०x४.५) श्लोक 33 श्रीपाश्वः पातु संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०x४........... १ श्रीपार्श्वः पातु श्लोक ३३ संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०.२४४.५) गा.२८ महन्ति जे भावजुया..... श्रीनेमिः पञ्चरूप... १ प.पू..... (प.पू..... संपूर्ण वि.१७मी (१०x४.५ कागज का.२४ जय श्रीविलासालयं.... १ संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०.२४४.५) १२२७२ अष्टोत्तरशतनामगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र श्रेष्ठ पार्श्वनाथस्तोत्र अष्टोत्तरशतनामगर्भित १२२७३. अष्टोत्तरशतनामभित पाश्चनाथस्तोत्र मध्यम पार्श्वनाथस्तोत्र अष्टोत्तरशतनामगर्भित १२२८२ विविधतीर्थस्तुति मध्यम तीर्थमालाचतुर्विशतिकास्तुति तथा ज्ञानपञ्चमीस्तुति (2.9) विविधतीर्थस्तुति .. (पे.२) पञ्चमीस्तुति १२२८५ महावीरमङ्गलशब्दार्थवाचकस्तवन ... मध्यम मुनिसुन्दरसूरि. १२२८८ हरिशब्दार्थगर्भितजिनस्तवन मध्यम टिप्पणीसहित तथा गोशब्दार्थकाव्य सटिप्पणी (पे.) हरिशब्दार्थगर्भित जिनस्तवन सह (सं.)टिप्पणी जिनस्तवन हरिशब्दार्थगर्भित :विशालराज जिनस्तवन हरिशब्दार्थगर्भित-टिप्पणी (ये.२) गोशब्दार्थकाव्य सह (सं.) टिप्पणी गोशब्दार्थकाव्य गोशब्दार्थकाव्य-टिप्पणी १२२९३ अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय सावचूरि पञ्चपाठ :/पे. पृ.१) :का. १० इन्द्रभान (प.पू. १) :गोश्रावः किमयं... : पद्य वि. १७मी (१०x४.५) 516 Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कता का.९ मानेनानूनमानेन... पद्य सं. सं. गद्य १२२९४ संपूर्ण S वि. १६मी :(१०.५४४.५) सं. संपूर्ण वि.१५मी (१०.५४४.५) श्रीवर्द्धमानशिष्या अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमयशाली आगमिक अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमयअवचूरि युष्मदस्मद्रूपगर्भितस्तोत्रसङ्ग्रह सटीक श्रेष्ठ पञ्जपाठ अष्टादशस्तवी अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् सोमसुन्दरसूरि रूपगर्मित स्तोत्रसग्रह युष्मदस्मद्रूपगर्भित-टीका सोमदेव गणि अनुबन्धफलगर्भा गौतमस्तुति सावचूरि श्रेष्ठ पञ्चपाठ गीतमस्तुति अनुबन्धफलगभित गौतमस्तुति अनुबन्धफलगर्मित-अवचूरि भाषाष्टकमयसीमन्धरस्तव सावचूरि जीर्ण पञ्चपाठ सीमन्धरस्तव भाषाष्टकमय जिनहर्ष गणि सीमन्धरस्तव भाषाष्टकमय-अवचरि भाषाष्टकमयसीमन्धरस्तव सावचूरि श्रेष्ठ पञ्चपाठ सीमन्धरस्तव भाषाष्टकमय जिनहर्ष गणि सीमन्चरस्तव भाषाष्टकमय-अवचरि साधारणजिनस्तवन मध्यम एकद्विबहुवचनतुल्य सावचूरि पञ्चपाठ संपूर्ण कागज वि.१८मी (१०.२४४.५) सं. प्रा. अपर्थ. का.२७ श्रीसर्वज्ञसमग्रसौखपद्य अष्टभाषायक्त. संपूर्ण वि. १७४५ ९.७४४.५) सं प्रा. अपर्थ. का.२७ श्रीसर्वज्ञसमग्रसौख पद्य अष्ट्रभाषायुक्त सपूर्ण कागज वि. १५मी :(१०.५४४.५) आदि (पे. पृ. १) धर्मघोषसरि :का.४ श्रस्ताशर्मावृतसुमहि : पद्य (पे.१) एकद्विबहुवचनतुल्य साधारणजिनस्तवन सह (सं. अवचूरि साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य-अवचुरि 517 Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष বা परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार (पे. पृ.१) का. १ पद्य गद्य (१०x४.२ (ये.२) तीर्थराजपदपदमसेवा सह (सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि तीर्थराजपदपद्मसेवास्तुति सोमतिलकसूरि तीर्थराजपदपद्मसेवास्तुति-स्वोपज्ञ सोमतिलकसूरि अवचूरि शाकभोज्यादिनामगर्भितजिनस्तोत्र .. जीर्ण जिनस्तोत्र शाकभोज्यादिनामगर्भित# ... १२३०७ खाद्यपदार्थनामगर्भित राणकपुरमण्डनआदिजिनस्तवन आदिजिनस्तवन खाद्यपदार्थनामगर्भित जिनसागर राणकपुरमण्डन :१२३०८: पाश्वनाथयमकमयस्तव सटीक पदमनन्दि कागज ............. वि. १६मी. १ का.१२ :आम्बा रायण शेलडी.... :पद्य कागज वि. १७मी (२) श्रेष्ठ (१०.२४४.२) श्लोक ११ श्रीसधे बरसाकर... पद्य :श्रेष्ठ ...........वि. १७मी (१०.२४४.५) पाश्वनाथयमकमयस्तव लक्ष्मीमहस्तत्यसत पार्श्वनाथयमकमयस्तव-टीका गद्य १२३०९: पाश्वनाथयमकमयस्तव सटीक संपूर्ण .वि.१८मी (१०.२४४.५) पदमनन्द लक्ष्मीर्महस्तत्यसत. पद्य मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी (१०.२४४.५) पाश्वनाथयमकमयस्तव पार्श्वनाथयमकमयस्तक्-टीका १२३१० अजितनाथस्तवन सावरि पञ्चपाठ यमकबन्ध आदि (पे.) अजितनाथस्तवन यमकबन्ध सह (सं.अवचूरि पंचपाठ अजितनाथस्तवन यमकबन्ध अजितनाथस्तवन यमकबन्ध-अवचूरि (ये.२) साधारणजिनस्तवन (ये. पृ. १) जिनप्रभसूरि श्लोक २१ :विश्वेश्वर मथितमन्म :पद्य :का.९ पद्य शान्तो वेशः समसुखकला १२३११ महावीरस्तव यमकवन्ध.. कागज............ वि का.१४ (१०४४.५............ कलशकलशरादिप्रोल्लस.: पद्य १२३१२ नेमिस्तुति सावचूरि विविधछन्दोबद्ध मध्यम संपूर्ण कागजवि .१६मी १ (१०.५४४.५) 518 Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १२३१३ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम नेमिनाथस्तुति विविधछन्दोबद्ध नेमिस्तुति विविधछन्दोबद्ध - अवचूरि हारबद्ध पञ्चजिनस्तवन पञ्चजिनस्तव हारबन्ध १२३१४ हारबद्ध पञ्चजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ आदि (पे. १) पंचजिनस्तवन हारबद्ध सह (सं.) अवचूरि पञ्चजिनस्तव हारबन्ध पञ्चजिनस्तव हारबन्ध-अवचूरि (पे. २) पद्मानन्दमहाकाव्यपञ्चवर्गपरिहारसाधारणजिनस्तवन # १२३१६ विविधचित्रमयवर्धमानजिनस्तोत्र वीरजिनस्तवन विविधचित्रबद्ध वीरजिनस्तवन विविधचित्रबद्ध-अवचूरि १२३१७ अष्टादशचक्रवद्धवीरस्तव सावचूरि पञ्चपाठ वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध-अवचूरि १२३१८ ऋषभदेवाज्ञास्तव नयगमस्तव १२३१९ नेमिजिनस्तोत्र नेमिनाथजिनस्तोत्र १२३२० नेमिस्तवन स्वोपज्ञावचूरिसहित पञ्चपाठ नेमिनाथस्तवन नेमिनाथस्तवन- स्वोपज्ञ अवचूरि स्थिति कर्ता शिवलक्ष्मी मध्यम कुलमण्डनसूरि मध्यम कुलमण्डनसूरिं मध्यम जिनप्रभसूरि जीर्ण कुलमण्डनसूरि मध्यम जिनप्रभसूरि श्रेष्ठ विजयसिंह सूरि श्रेष्ठ महीसागर महीसागर पूर्णता भाषा सं. सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र आदिवाक्य प्रत प्रकार रचना वर्ष परिमाण का. ४६ कागज श्लोक २३ कागज श्लोक २३ श्लोक ८ कागज श्लोक २८ कागज का. २१ कागज गा. ११ कागज का. २४ कागज श्लोक १३ वि. १९मी वि. १४८९ वि.१६मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १६मी वि. १७मी 519 श्रीशैवेयं शिवश्रीदं गरीयोगुणश्रेण्य... १ गयोगुणश्रेण्य. संसारसारं शैवश्री..... १ चित्र: स्तोष्ये १ विश्वसिद्धरजश्छिदे १ नयगमभङ्गपहाणा विराहि १ १ मिस्समाहितधिया. श्रीशैवेयममेयश्री. क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य पद्य पद्य गद्य पद्य पद्य गद्य पद्य गद्य पद्य पद्य पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) (पे. पृ. १) (पे. पृ. १) का. २७. (१०.५४.५) मुहूर्तराजान्तर्गत अतिजीर्ण, (१०x४.५) (१०४४.२ ) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य १२३२१ पाश्वनाथस्तोत्र माध्यम कागज वि. १८मी (१०.२४४.५) संपूर्ण सं. का.१६ : कस्तुरीतिलकं भुवः पद्य धर्मघोषसूरि मध्यम धर्मघोषसरि मध्यम संपूर्ण कागज .....वि. १६मी (१०x४.५.. का.१६ कस्तुरीतिलकं भुवः पद्य संपूर्ण कागज वि. १७मी (१०.२४४.२) १२३२२ पार्श्वजिनस्तवन पार्श्वनाथस्तोत्र स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र हरिशब्दार्थगर्भित आदि (पे.१) स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र हरिशब्दार्थगर्भित (ये.२) चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन नयचन्द्रसूरि स. का.९ वि. १२५७ सेढीतटस्तम्भनकप्रतिपद्य (ये.पृ. १) मारुगूर्जर गा.७ नमूं देवनागेन्द्र पद्य (पे.पृ. 9) [कृ.वि. : आदिःचउदहपुरवमांहि जु सारु (९.७४४.५). संपूर्ण कागज वि. १९मी गा.११ किंकपरमयंसधारस पद्य संपूर्ण कागज वि.१७मी 18.५४४.२... संपूर्ण वि. १९मी कागज गा.११ । किं कर्पूरमयं सुधारस. १ किं कर्पूरमयं सुधारस (१०.२४४.५ पद्य संपूर्ण कागज वि. १७८८ (९.७४४.२) :गा.११ : किं कर्पूरमयं सुधारस पद्य संपूर्ण कागज वि. १८मी (९.५४४.२० : १२३२४ : चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पाश्चजिनस्तोत्र : मध्यम चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र | १२३२५. चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तोत्र .. चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र १ १२३२६ चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तोत्र चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र १२३२७ चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तोत्र मध्यम चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र १२३२८ चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तोत्र तथा मध्यम अङ्गस्फुरणविचार (पे.१) चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.२) अङ्गस्फुरणविचार १२३२९ । पाश्चनाथस्तवन आदि (4.9) पार्श्वनाथसमस्यामयस्तोत्र (पे.२) जीरापल्लिस्तवन । १२३३० स्तम्भनपार्श्वनाथस्तव देवसन्दरसरि । १२३३१ शखेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र गा.११ किं कर्पूरमयं सुधारस पद्य (पे.पृ. १) श्लोक १० कागज (पे.पू. १). (१०.२४४.५). (म.पू. १).पे.वि. : का.१३. श्रीवल्लभाषाध्याय का.१२ :श्रीपाश्र्वनाथजिनर्प गा.१५. (प.पू...) :जीर्ण :कागज वि.१७मी (१०.५४४-५). का.२५ स्फुरत्फवलज्ञान.. जीण कागज वि. १७९३१ (१०x४.५). 520 Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम शङ्खश्वरपार्श्वनाथस्तवन १२३३२ पार्श्वनाथमन्त्राधिराजस्तव आदि (पे. 9) पार्श्वनाथमन्त्राधिराजस्तव (पे. २) धरणोरगेन्द्रस्तव (पे. ३) पार्श्वनाथस्तोत्र मन्त्रगर्मित १२३३३. गोडीपार्श्वनाथस्तुति आदि (पे. १) गोडीपार्श्वनाथस्तुति 1. (पे. २) गोडीपार्श्वनाथस्तव (पे.३) ऋषभगीत १२३३४ धरणोरगेन्द्रस्तव १२३३५ चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन आदि (पे. 9) चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन (पे. २) कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन १२३३६ कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन मन्त्राम्नायसहित कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन १२३३७ : नवखण्डापार्श्वनाथस्तवन १२३३८ शाश्वतजिनचैत्यवन्दनविधि जगचिन्तामणिचैत्यवन्दन शाश्वतजिनचैत्यवन्दनविधि १२३३९ | शान्तिनाथस्तोत्र १२३४० पञ्चपरमेष्ठिस्तोत्र तथा गौतमाष्टक (पे. १) पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन स्थिति कर्ता मध्यम देवसूरि मध्यम लीम्बो श्रेष्ठ देवसूरि जीर्ण मुनिचन्द्रसूरि जीर्ण मुनिचन्द्रसूरि श्रेष्ठ हेमविमलसूरिशिष्य श्रेष्ठ गौतमस्वामि मध्यम जीर्ण पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. सं. सं. संपूर्ण सं. मारुगूर्जर संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण अपभ्रं संपूर्ण सं. संपूर्ण सं.प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य सौभाग्यभाग्या परिमाण का १४ कागज का. ११ गा. ३६ ग्रं. ३९ गा. ८ कागज का. ९ का. ५ गा. ८ कागज गा. ३६ ग्रं. ३९ कागज श्लोक ३० श्लोक १० कागज श्लोक १० कागज का. २६ कागज गा. ९ कागज का. १३ कागज श्लोक ८ वि.१६मी वि. १७मी वि. १९मी वि. १७मी वि. १८मी वि. १७मी वि. १९मी वि. १८मी वि. १६५४ 521 १ पद्य नत्वोपासितचरणं. धरणोरगेन्द्रसुरपति ॐनमो भगवते पार्श्व पद्य पद्य १ श्रीमरुमण्डलसार कमलोदयमङ्गलकीर्तिक पद्य १ धरणोरगेन्द्रसुरपति १ जगदगुरु जगद्देवं.. नमामि श्रीपार्श्व १ नमामि श्रीपार्श्व १ कं १ जगचिन्तामणि जगनाह... १ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी सकलदेवनरेश्वरवन्दित झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य १ विपुलमङ्गलमण्डलदाय पद्य परमेष्ठि नमस्कारं पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( १०.२४४.५) (पे. पृ. १) पे. वि. आर्या- ११. (पे.पू. १) पे.वि.: श्लोक-३९. (पे.पू. १) पे.वि.: श्लोक- ९. (९.७४४.५) (पे. पृ. १) (पे.पू. १) (पे.पू. १) गाथा - ३८, (१०.२४४.५) ( १०.२४४.५) . (पे.पू. १) ... (पे.पू. १) ( १०.२४४.५) (१०.२४४.५) (९.७५४.७) ( ९.५४४.२) ( १०.२४४.२ ) (पे.पू. १) Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र E स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य श्लोक इन्द्रभूति वसुभूति ..... (प.पू. १) पं.वि. : का.९. (१०.५४४.५) श्रेष्ठ संपूर्ण वि. १४८५ कागज का. १२ ...... श्रीसिद्धार्थनरेशवंश... पद्य जीर्ण १ (९.५४४.२) (पे.२) गौतमाष्टक १२३४१ : जिनेन्द्रस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ.... | जिनेन्द्रस्तोत्र जिनेन्द्रस्तोत्र-अवचूरि १२३४२ प्रकीर्णकस्तुति श्लोकसङ्ग्रह ..... प्रकीर्णस्तुति श्लोकसङ्ग्रह १२३४३ : महावीरस्तुति-विविधछन्दोबद्ध क्रियागुप्त महावीरस्तुति विविधछन्दोबद्ध क्रियागुप्ता १२३४४ अजितशान्ति नमस्कार कागजवि . १७मी श्लोक कागज वि. १६मी मध्यम संपूर्ण (१०.५४४.५) सागरचन्द्र का.२५ जगति जडिमभाजि... पद्य मध्यम कागज वि. १७मी (१०.२४४.५ अपर्श वज़सेनसुरिशिष्य ... जीर्ण १२३४५ संपूर्ण कागज वि.१५मी (१०.२४४.५) (पे.प्र. ) :जिनप्रभसूरि :विश्वेश्वर मथितमन्म :पद्य अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकमय तथा वीरस्तव सटिप्पणी.. (ये.१) अजितनाथस्तवन सह (सं.)अवचूरि अजितनाथस्तवन यमकबन्ध अजितनाथस्तवन यमकबन्ध-अवचूरि (मे.२) वीरस्तव सह (सं.)टिप्पणी ... वीरजिनस्तव वीरजिनस्तक-टिप्पणी महावीरस्तोत्र सटीक महावीरस्तोत्र (प. पृ.)... | जिनप्रभसूरि का.१५ :पद्य पद्य श्रेष्ठ (१०.५४४.५) पाश्वेचन्द्र कल्याणमालामणिसंविधान् पद्य भावप्रभसरि मध्यम । वि. १६मी. महावीरस्तोत्र-टीका १२३४७ वर्धमानस्तवन जयकेसरीसूरि १२३४८ पेथडकारितप्रासादसम्बद्धयुगादिदेवस्त जीर्ण :का.१३ आनन्दमेदुरसुरेश्वर.. पद्य । संपूर्ण कागज वि.१६मी (१०.५४४.५) 522 Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम युगादिजिनस्तवन पेथडकारितप्रासादसम्बद्ध# १२३४९ अतीत-अनागत- वर्तमानचतुर्विंशतिका विहरमान जिननामगर्भित स्तुति १२३५० नेमिनाथस्तवन १२३५१: ऋषभदेवस्तवन १२३५२ पार्श्वनाथस्तोत्र आदि अपूर्ण (पे. १) पार्श्वनाथस्तोत्र ६. (पे. २) पार्श्वनाथस्तोत्र १२३५३ महावीरस्तोत्र १२३५४ नन्दिस्तुति व्याख्यासहित त्रिपाठ तथा नन्दिस्तव (पे. १) नन्दिस्तुति सह (सं.) व्याख्या नन्दिस्तुति नन्दिस्तुति - व्याख्या (पे. २) नन्दिस्तव १२३५५ नन्दिस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ तथा नन्दिस्तव (पे. १) नन्दिस्तुति सह (सं.) अवचूरि नन्दिस्तुति नन्दिस्तुति- अवचूरि (पे. २) नन्दिस्तव १२३५६ नेमिनाथस्तवन १२३५७ पार्श्वनाथजिनयमकमयस्तोत्र तथा स्थिति कर्ता सोमतिलकसूरि जीर्ण धर्मघोषसूरि मध्यम ऋषिवर्धनसूरि मध्यम कमलकलशसुरि मध्यम बिल्हण आहलाद मन्त्री जीर्ण श्रेष्ठ गुणसौभाग्य मध्यम श्रेष्ठ अमरहर्ष मध्यम पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण प्रत प्रकार (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र आदिवाक्य श्रीनाभिसम्भव विभो ... रचना वर्ष परिमाण का. ३२ कागज गा. १२ कागज का. ११ कागज का. २५ कागज का. ९ का १० कागज गा. २१ कागज गा. ५. कागज गा. ५ कागज का. २६ कागज वि. १७मी वि.१८मी वि. १८मी वि. १५मी वि. १६मी वि. १७मी वि. १८०८ वि. १९मी वि.१७मी 523 १ देविन्दवन्दियपए... १ समुल्लसद्भक्तिसुरा... १ पवित्रमन्त्रशिवसौध १ श्रीपार्श्वनाथ भवतोय श्रीपार्श्वनाथ भावतो १ जइज्जा समणे भगवं १ ओमिति नमो भगवओ १ ओमिति नमो भगवओ १ विमलकीर्तिवधूकुल १ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य गद्य पद्य पद्य गद्य परा पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( १०.२४४.२ ) (१०४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.२४३.२ ) (पे. पू. १) पे.वि. अपूर्ण. (पे.पू. १) (९x४) ( ९.७४४. २) (पे. पू. १) पे. वि. मूलभाषा संस्कृत ? (पे.पू. १) ( ९.७४४.२) (पे. पू. १) पे.वि. मूलभाषा संस्कृत? पंचपाठ (पे.पू. १) ( १०.२४४.२) ( १०.२४४.५) Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष : पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य का.१४ पद्य जिनवरेन्द्र वरेन्द्र श्रीपार्श्वनाथजिनपं...... पद्य का..१२. : कागजवि . १७मी (प.पू. १). (मे.पू.. (९.७४४.५) (पे. पृ.२) पे.वि. : मूलश्लोक-६. श्लोक ५. जयश्रीजिनकल्याण..... पद्य. (पे. पृ.२) श्लोक २ नो बहिन!रगेन्द्र गद्य : पद्य श्लोक ७ प्रणमदमरवरकर... (प.पू. २) पार्श्वनाथजिनसमस्यामयस्तोत्र (4.9) पार्श्वनाथयमकमयस्तोत्र श्रीवल्लभोपाध्याय (पे.२) पार्श्वनाथसमस्यामयस्तोत्र .. श्रीवल्लभोपाध्याय १२३५८ साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठ : मध्यम संपूर्ण आदि.. (4.9) साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.) टीका साधारणजिनस्तव मुनिसुन्दरसूरिसं. साधारणजिनस्तव-टीका (पे.२) शंखेश्वरपार्श्वजिनस्तोत्र सह (सं.)टीका शड़खेश्वरपार्श्वजिनस्तुति शखेश्वरपार्श्वजिनस्तुति-टीका (पे.३) पार्श्वजिनस्तोत्र एकस्वरचित्रबद्ध (पे.४) पार्श्वनाथस्तोत्र मारुगूजर सर्वलघुएकस्वरचित्रशब्दमय १२३५९ साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ मध्यम आदि (पे.१) साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि चतुर्विंशतिजिनस्तुति :जिनप्रभसरि चतुर्विशतिजिनस्तुति-अवचूरि (ये.२) पार्श्वनाथस्तवन (4.३) महावीरस्तवन (पे.४) रत्नाकरपच्चीशी १२३६० चतुर्विशतिजिनस्तुति आदि : मध्यम (4.9) चतुर्विशतिजिनस्तुति (पे.२) शत्रुञ्जयमण्डन ऋषभजिनस्तुति । उदयप्रभसूरि..... गा.२ सकलकर्मखलदलन... :पद्य (ये.पृ.२) वि. १६मी (९.५४४.५) (प. पृ.१) का.८ जिनर्षभ प्रीणित.. पथ गद्य श्लोक श्रीपाच भावतः श्रीवर्धमान परिपूरित का.93 पद्य (प.पू. १) (पे.पू. १). (पे.पृ. 92. .१०.२४४.५) (प.पू. १-२... कागज का.४ नाभेयाजितवासपूज्य :आनन्दानम्रकम्रत्रिदश : : पद्य :श्लोक ४ ......... 524 Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार पद्य का.२४ जय श्रीविलासालयं.... (पे.पृ.२) १२३६१ जीर्ण कागज वि. १०मी का.४ प्रणतसरनरेन्ट iiiiiiii (९.७४४.५) (पे.पू. १). (पे.पू. (पे.पू. १) श्लोक आनन्दानम्रकमात्रदश का.४ का.४ विभुमशिश्रयददभुत. शीतरुचिकिरणा. श्रीमदीरजिनोदित (4.2.2) .(पे...2 का.१ मारुगजेर का.१ मनवाञ्छितपरणकल्पतरू मनिसन्दरसरि श्लोक जयश्रीजिनकल्याण (पे.पू. १). (प.पू. १) (पे.पृ. 92.. (९.२४४) EEEEEEEEEEEEE श्लोक ५ आदिनाथ जगन्नाथ. संपण कागज वि.१८मी का.७ वरसंवरसंवर.. वरमुत्तियहार (पे.३) मुनिसुन्दरसूरि महावीरमङगलशब्दार्थवाचकस्तवन महावीरस्तुति आदि (पे.१) महावीरस्तुति (पे.२) शत्रुञ्जयमण्डन ऋषभजिनस्तुति : उदयप्रभसूरि (पे.३) महावीरस्तुति (पे.४) महावीरस्तुति (पे.५) वीरजिनस्तुति (पे.६) पार्श्वनाथस्तुति (पे.७) साधारणजिनस्तव (पे.८) ऋषभजिनस्तोत्र शत्रुञ्जयमण्डन । यमकमयपाश्चनाथस्तव आदि (पे.१) पार्श्वनाथ यमकमय स्तव (पे.२) आदिजिनस्तुति अर्बुदाचलमण्डन (पे.३) पञ्चमीस्तुति (पे.४) वीरजिनस्तुति नन्दीश्वर-पुण्डरीक-गौतम :श्रेष्ठ सर्वसिद्धसिद्धचक्र-सीमन्धरजिनस्तुति आदि (पे.१) नन्दीश्वर-पुण्डरीक-गौतमसर्वसिद्ध-सिद्धचक्र-सीमन्धरजिनस्तुति (पे.२) नन्दीश्वर-पुण्डरीक-गौतमसर्वसिद्ध-सिद्धचक्र-सीमन्धरजिनस्तुति (पे.३) गौतमस्वामिस्तोत्र जिनप्रभसरि चतुर्विशतिजिनस्तुति आदि .(पे.) चतुर्विंशतिजिनस्तुति जनप्रभस (पे.२) जिनस्तुति (पे.३) बागडोदमण्डन चन्द्रप्रभयुगादीशजिनयुगलस्तुति (प.पू.) सं. पञ्चानन्तक का.४ का.४ का.४ कागज (प.पू. 9. (पे.पू. १) (प.पू. १) (१०x४.२) यविघनमनादेव... पद्य संपूर्ण वि.१६मी :श्लोक ९ : जयर्षभ विभो वध... पद्य (पे.पृ. १) का.८ सुकरसुकरमो मां... (पे.पृ. १) श्लोक ९ ॐनमस्त्रिजगन्नेतु.. पद्य संप (पे.पू. १) (१०x४.५) (पे..22. का.x जिनर्षभ प्रीणित. चैत्यद्रुमः कुसुम धर्म कर्तुमहो महो (पे.पू. १) का.४ (पे.प्र. ) 525 Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.४) चन्द्रप्रमस्वामिमहामन्त्रमयस्तवन # (पे. ५) शङ्खश्वरपार्श्वजिनस्तवन १२३६५ द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि (पे. 9) द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक (पे.२) विहरमानजिनपञ्चकल्याणकस्तव (पे.३) शङ्खेश्वरपार्श्वनाथस्तवन (पे.४) जैनागमस्तव (पे. ५) महावीरस्तोत्र (पे.६) वीरजिनस्तुति (पे.७) पञ्चजिनस्तुति (पे.८) आदिस्तव (पे.९) आदिस्तव (पे. १०) नाभेयस्तव क्रियागुप्त यमकादिमय# १२३६६ पार्श्वनाथलघुस्तवन आदि (पे. 9) पार्श्वनाथलघुस्तवन (पे. २) स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तवन (पे.३) शान्तिस्तवन (पे.४) सम्भवस्तोत्र (पे. ५) पार्श्वनाथस्तवन (पे. ६) पार्श्वनाथस्तोत्र १२३६७ | पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि (पे. 9) पार्श्वनाथशर्मस्तव (पे. २) स्तम्भनपार्श्वनाथ शृङ्खलालङ्कारमय स्तवन # (पे.३) वीरजिनस्तुति (पे. ४) सामान्यजिनस्तुति स्थिति कर्ता श्रेष्ठ नभद्र आनन्दविमलसूरि मुनिचन्द्रसूरि जिनप्रभसरि नयप्रम जीर्ण मेरुसुन्दर मेरुसुन्दर मेरुसुन्दर मेरुसुन्दर मेरुसुन्दर मेरुसुन्दर जीर्ण पूर्णता भाषा सं. --------- ....... संपूर्ण संपूर्ण अपभ्रं. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष परिमाण श्लोक ५ कागज गा. २१ का. २२ का. १० का. ४६ गा. २१ का. ४ का. ४ श्लोक ५ श्लोक ५ श्लोक १३ कागज गा. ८ गा. ५. गा. ३ गा. ३ गा. ५ श्लोक ७ कागज का. ११ का. ८ गा. ४ गा. ४ वि.१८मी वि. १७मी वि. १६मी 526 आदिवाक्य ॐचन्द्रप्रभ प्रभाधी ॐनमः पार्श्वनाथाय.. ७ नमिऊण जिणगाणं. श्रेयांस्यवाप्ता समस्तकल्याणनिधान. नत्वा गुरुभ्यः श्रुत जइज्जा समणे भगवं यदङ्घ्रिनमनादेव.... १ १ शर्म प्रयच्छ सुदशर्म स्तवीमि तं पार्श्व... अमहेलं अमहेलं. समहिय समहिय. क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे.पृ. १) (पे.पू. १) ( ९.५४४.२) (पे.पू. ७) (पे.पू. ७) (पे.पू. ७). (पे.पू. ७). (पे.पू. ७) (पे.पू. ७) (पे.पू. ७). (पे.पू. ७) (पे.पृ. ७). (पे.पू. ७) ( १०.५४४.५) (पे.पू. १).. (पे.पू. १).. (पे.पू. १) (पे.पृ. १).. (पे.पू. १). (पे.पू. १) ( १०.२४४.२) (पे.पू. १) (पे.पू. १) (पे.पू. १).. (पे. पृ. १). Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष का.४ का.४ का.४ पद्य एगे जे अरविन्दचन्द.. नताशेषलेखं. नमत त्रिभुवनसार....... निहतभवनिवासं. निष्ठरकमठमहासुर..... शश्वच्छासनवैरिदानव.. (4.पू.) (प.पू.)... (पे.पू. 22... (प.पू. १) (प.पू.१) (पे.पृ. १) गा.४ पद्य का.४ पद्य सिद्धान्तरुचि का.१७ पद्य मध्यम संपूर्ण कागज :वि. १६मी (१०.२४४.५) का.४ राज्यं राजिमति... पद्य (प.पृ. १) का.४ श्रीनेमिः पञ्चरूप... रुचितरुचिमहा... (प.पू.) (पे.पृ.१) का.४ (पे.५) सर्वजिनस्तुति (पे.६) वीरजिनस्तुति (पे.७) वीरजिनस्तुति (पे.८) पार्श्वनाथस्तुति (पे.९) पार्श्वनाथस्तुति (पे.१०) पार्श्वनाथस्तवन क्रियागुप्त जयराजपुरीश नेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति आदि (पे.१) नेमिनाथस्तुति श्रीनेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप (पे.२) पञ्चमीस्तुति (पे.३) जिनस्तुति उद्दामदण्डकछन्दोमयी (पे.४) गिरिनारगिरिस्तुति (पे.५) पार्श्वनाथस्तुति (पे.६) जिनराजस्तुति दण्डकछन्दोमयी पार्श्वजिनस्तुति तथा साधारणजिनस्तुति (पे.१) पार्श्वनाथस्तुति दण्डकछन्दोमयी (पे.२) जिनस्तुति उद्दामदण्डकछन्दोमयी १२३७० मङ्गलाष्टक आदि (पे.9) मङ्गलाष्टक (पे.२) चतुर्विंशतिजिनस्तुति (4.३) स्नातस्या-वीरस्तुति (पे.४) साधारणजिनस्तुति १२३७१ : साधारणजिनस्तवन आदि का.४ का.१ स श्रीतीर्थराजः पद.. (4..... (प.पू.१) (पे.पू.१). (१०x४.२) जीर्ण संपूर्ण कागज -१६मी का.४ :चिदानन्दकल्याणवल्ली : पद्य (प.पृ.१) सं. का.४ रुचितरुचिमहा... : पद्य (पे.पृ.१) संपूर्ण कागज (१०.५४४.५) (प.प्र.9).. सोमप्रभसरि बालचन्द्रसूरि यत्राखिलश्रीश्रितपाद जनेन येन क्रियते स्नातस्या प्रतिमस्य गर्ने जन्मनि दीक्षा १ (प.प्र. ) (पे.प्र.१) (१०x४.५) संपूर्ण कागजवि . १५मी 527 Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. १) साधारणजिनस्तवन (पे. २) नेमिनाथजिनस्तवन (पे.३) साधारण जिनस्तवन (पे. ४) वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध १२३७२ | नेमिनाथस्तवन आदि (पे. 9) नेमिनाथस्तवन (पे. २) वीरस्तवन १२३७३ | पञ्चतीर्थङ्करस्तुति आदि (पे. 9) पञ्चतीर्थङ्करस्तुति (पे. २) मङ्गलशब्दार्थमयस्तवन (पे. ३) युगादिदेवस्तवन 1 (पे. ४) साधारण जिनकल्याणकस्तुति (पे. ५) महावीरस्तुति १२३७४ परमात्मद्वात्रिंशिका आदि (पे. 9) परमात्मद्वात्रिंशिका (पे. २) चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र (पे.३) गीतमस्वामिस्तोत्र (पे.४) वीतरागस्तवन | १२३७५ लघुशान्तिस्तव आदि (पे. १) लघुशान्तिस्तोत्र (पे. २) पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन (पे.३) पञ्चपरमेष्ठिस्तव (पे. ४) घण्टाकर्णमन्त्रस्तोत्र (पे. ५) गौतमनमस्कार १२३७६ | लघुशान्तिस्तोत्र सस्तबक लघुशान्तिस्तोत्र लघुशान्तिस्तोत्र-टबार्थ १२३७७ स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र आदि स्थिति कर्ता देवसुन्दरसूरि कुलमण्डनसरि जीर्ण श्रेष्ठ सोमसुन्दरसूरि सोमसुन्दरसूरि सोमसुन्दरसूरि सोमसुन्दरसूरि जीर्ण जिनप्रभसूरि जैत्रसूर मध्यम मानदेवसूरि जिनप्रभसूर जीर्ण मानदेवसूरि श्रेष्ठ पूर्णता भाषा सं. सं. सं. सं. संपूर्ण सं.प्रा. संपूर्ण सं. सं. सं. सं. संपूर्ण सं. प्रा. सं. संपूर्ण सं. सं.प्रा. सं. सं. पूर्ण सं. मारुगुर्जर संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष परिमाण का. ११ का. १५ का. ६ का. २१ कागज का. १२ श्लोक ११ कागज श्लोक ९ श्लोक ६ श्लोक ६ का. ४ का. ४ कागज का. ३३ गा. १३ श्लोक ९ का. ८ कागज गा. १७ श्लोक ८. श्लोक ५ श्लोक ४ कागज गा. १७ : कागज वि. १५मी वि. १६मी वि. १६मी वि. १६मी वि.१७मी वि. १७मी 528 आदिवाक्य कलामवन्तं सकलाधरन्तं श्रीनेमिस्वामिन नौमि प्रातिहार्य कलिताशशोभ विश्वसिद्धरजश्छिदे. श्रीरवताचल मुकुटाय सरभसनृत्य सुरयुवति. १ जय श्रीऋऋषभ श्रेयः जय श्रीजिनकल्या.. श्रेयसां पद जिने सर्वे लोकागम... चिररुचिररुचस्ते. १ सत्वेषु मैत्रीं गुणि थोस्सामि जिणवरिन्दे ॐनमस्त्रिजगन्नेतु.. शान्तं शिवं शिवपदस्य १ शान्ति शान्तिनिशान् परमेष्ठि नमस्कारं स्वश्रियः श्रीमदर्ह घण्टाकर्णो महावीरा. २ शान्ति शान्तिनिशान् १ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे.पृ. १). (पे.पू. १) (पे.पू. १). (पे.पू. १) (९.७४४.२) (पे.पू. १).. (पे.पू. १). (१०४४.५) (पे.पू. १).. (पे.पू. १) (पे.पू. १) (पे.पृ. १). (पे.पृ. १). (१०x४.२) (पे.पू. १).. (पे.पू. १). (पे.पू. १) (पे.पृ. १). (९.७४४.२) (पे.पू. १) (पे.पू. १). (पे.पृ. १) (पे.पू. १) (पे.पृ. १). (१०x४.२) ( १०.२४४.५) Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता का.११ श्रीस्तम्भनं पाश्वे पद्य सं. का.७ पद्य का.९ स जय जय जगदानन्दन... श्रीऋषभवर्धमानी. विजयाजितशत्रुनन्दन.. का.८ श्रेष्ठ संपण कागज वि. मी श्लोक ३२ (पे.१) स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र जिनसोमसूरि (पे.२) महावीरस्तोत्र जिनसोमसूरि (पे.३) ऋषभ-वर्धमानस्तव जिनसोमसूरि. (पे.४) अजितनाथस्तव तारणदुर्गमण्डन : जिनसोमसुरि कल्याणकस्तोत्र आदि (पे.१) कल्याणकस्तोत्र आसराज (पे.२) गिरिनारस्तवन (पे.३) अर्बुदाद्रिजिनस्तवन ... (पे.४) बहतीर्थस्तवन (पे.५) स्तम्भनपार्श्वजिनस्तवन पाश्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि (पे.१) पाश्चजिनस्तव सह (सं.)अवचूरि श्लोक 'EEEEEEEE (4.पू.) (प.पू.).... (प.पू.... (पे.पू. १) (१०.२४४.५) (प.पू... (प.पू.) (पे.पू. १) (पे.पू. 2).. (पे.पू. १) (१०.५४४.५) तिधिक्रमाज्जिनेन्द्र श्रीउज्जयन्तशलेश. अर्बुदाद्री युगादीशं कुल्पपाके युगादीशं..... स्तुवे श्रीस्तम्भनाम ७-१(१)-६ श्लोक ५ श्लोक श्लोक संपूर्ण कागज वि.१४८३ (पे. पृ.२जु) ये.वि. : पंचपाठ, त्रुटक. पत्र त्रुटक नी चरमजिन कल्याणा (पे.प्र.रज) ये.वि. : पंचपाठ./ पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त-अवचूरि (पे.२) वीरस्तव क्रियागुप्त सह (सं. अवचरि वीरजिनस्तव क्रियागुप्त वीरजिनस्तव क्रियागुप्त-अवचूरि. (पे.३) कल्याणमन्दिरस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि कल्याणमन्दिरस्तोत्र पे. पृ.२-४) पे.वि. : पंचपाठ. सिद्धसेन दिवाकर का.४४ कल्याणमन्दिरमदारमव :ज्ञानसागरसरि (प.पृ.४-५) कल्याणमन्दिरस्तोत्र-अवचूरि (पे.४) भक्तामरस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पंचपाठ भक्तामरस्तोत्र भक्तामरस्तोत्र-अवचूरि भक्तामरप्रणतमौलिमणि कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. 529 Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रत प्रकार । क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ला (पे. पृ. ५-७) पे.वि. : पंचपाठ, गाथा-४०. अजियं जियसब्बभयं गा. ४० ............ पद्य... (ये.५) अजितशान्तिस्तोत्र सह (सं. अवचूरि अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण अजितशान्तिस्तोत्र-अवचूरि (4.5) नमिऊणस्तोत्र सह सं.अवचरि.. भयहरस्तोत्र मानतुङ्गसूरि कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. गद्य (से..पू.म.पे.वि. : अपूर्ण. पंचपाठ.. कृ.वि.: गाथा २१थी २४ मळे छे. :गा.२३ पद्य नमिऊण पणयसुरगणचूडामण कागज वि.१७२७ श्लोक८3 पद्य श्लोक८ परमेष्क्षि नमस्कार पद्य :पद्य भयहरस्तोत्र-अवचूरि १२३८० ऋषिमण्डलस्तोत्र आदि (2.9) ऋषिमण्डलस्तोत्र (पे.२) पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन (पे.३) मन्त्रस्नानस्तोत्र (ये.४) त्रिपुरान्यास जैनागमस्तव सटीक पञ्चपाठ आदि (4.92 जैनागमस्तव सह (सं. टीका जैनागमस्तव .. जैनागमस्तव-टीका (पे.२) सुरिगुणस्वरूपगाथा सह (सं.)टीका 18:४४.२ (प.पू. २) (पे.पू. २). प.पू..२.. (पे.पृ.२). (१०.५४४.५) (पे........पे.वि.....पंचपाठ.. गद्य मध्यम ............ वि. १५१८ ... जिनप्रभसरि :नत्वा गुरुभ्यः श्रुत पद्य विशालराजशिष्य गद्य (पे. पृ.३) सरिगणस्वरूपगाथा गद्य सूरिगुणस्वरूपगाथा-टीका : जिनागमस्तवन मध्यम कागज (१०.२४४.२) जनागमस्तन जिनप्रभसरि पद्य १२३८३ सिद्धान्तस्तव सावचूरि पञ्चपाठ वि.१६मा नत्वा गुरुभ्यः श्रुत २-१(१)-१ नत्वा गुरुभ्यः श्रुत...... । (१०.२४४.५) जैनागमस्तव जिनप्रभसरि :पद्य जैनागमस्तव-टीका विशालराजशिष्य गद्य मध्यम संपूर्ण वि. 98103 (१०४४.५) नारगपुरमण्डन पाश्चजिनस्तवन आदि (पे.१) पार्श्वनाथस्तवन .......... विजयदेवसूरि मारुगूर्जर :गा.११ .............. .पृ.२). Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पित नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता नारङगपुरमण्डन# (पे.२) वीरदेवसूरि का.३५ श्रियां परं धाम गिरा : पद्य (प.पू.२) समवसरणस्थितचतुर्मुखमहावीरस्तव महावीरशब्दगर्भित# (पे.३) सीमन्धरस्तुति १२३८५. कल्याणकस्तुति पद्य (पे.पू.२) :(१०x४.५) संपर्ण सं का संपूर्ण का.४ कोटाकोट्यतर... कागज ............वि. १६मी..... श्रीमल्लिजन्मव्रतकेव कागज वि.१७२२१ श्लोक८ यदस्मिन् परस्मिनभवे : का.९ वृषभवद् वृषभ का.७ सिद्धमपारसुबुद्धि (९.५४४.२) १२३८८ चतुःशरण आदि (4.2) चतुःशरण (पे.२) चतुर्विशतिजिनस्तवन (पे.३) वीरजिनस्तवन (पे.४) केटलाक दर्दोनां औषध १२३९१ शास्वतजिनभवनस्तवन आनन्दमुनि (प.प्र. ) (पे.पृ.१) (पे.पू.१) (पे.पू.).. (१०x४.२) मारुगजर संपूर्ण कागज वि. १७वी अपभ्र. गा.१५ कल्लाणपरम्परकारगाणि: पद्य संपूर्ण... .१२५०२. तपागच्छ पटावली तपागच्छ पट्टावलि कागज.............वि. १६८५........... (१०.७४४.२) पट्टावलिमा ऐतिहासिक उल्लेखोनुं विशेष वर्णन | १२५१० मुद्राविधि संपूर्ण कागज ....... वि. १९५३ . (१०.५४४.५) ६.१२६५७. उत्सर्गापवादषडभगीविचार .......... मध्यम संपूर्ण कागज .............वि. २०वी....३ (१०.७४५.२). १२६७७ नयस्तव स्वोपज्ञवृत्तिसहित श्रेष्ठ संपूर्ण : वि.२०मी (१६) (११.२४५.२) नयप्रकाशस्तव श्लोक.ko वि.१६३३तस्मै नमः श्रीजिनशास. : वि १६193प्रमाणवाक्य नयवाक्य नयप्रकाशस्तव-स्वोपज्ञ टीका १२७३७ : पाणकविचार जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १८मी (१०.५४४.५) संपूर्ण कागज वि.१५मी १२७५५ अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है.. (१०.२४४.२) Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य नमस्कारपूर्वकं अहं नमस्कारपूर्वकं अहं....... वाणियगामे जियसत्तुरा महुरेहिं निउणेहि गद्य गद्य (पे.पृ. 94) (पे.पू. 94-9B (पे.प्र. 98) (ये.पू. २०-२०) अभयदेवसूरि पण्णवण वेयरागे कप्प गद्य (पं.पृ. ३०-४A) गा.४५ हरि गा.५२ :कालग्रहणमनधायेन विधे: गद्य अरिहन्ते वन्दित्ता पद्य नमिऊण जिणं वीरं ठिया: पद्य सुत्तत्थतदुभयविसार. पद्य गुरुः शिष्यं वाम गद्य राजगृहम्पुरे धनसार्थ गद्य सुभाषितादिसड़ग्रह (पे.9) सामान्य व्रतोच्चारण विधि (पे.२) श्रावक की ११ प्रतिमा वर्णन.. (पे.३) उत्सर्पिणी अवसर्पिणी प्रमाण (पे.४) ज्ञाताधर्मकथागोपनयसग्रहणी (पे.५) भगवतीसूत्रनी टीकानो हिस्सो मूलाकोद्देशकसङ्ग्रहणी .(पे.६) अनध्याय विधि (मे.19) ओघनिर्युक्त्युद्धार (ये.८) स्थितास्थितकल्प विधि (पे.१) प्रव्रज्याविधि (पे.१०) उत्थापना विधि (मे.११) नन्दिविधि (पे.१२) विविध योगविधिसंग्रह विविधयोगविधिसङ्ग्रह (पे.१३) दृष्टान्तकथासंग्रह विविध विषयक विविधकथासङ्ग्रह (पे.१४) शय्यान्तरपिण्डविचारणा (पे.१५) राजपिण्ड आदि विचार :/पे.१६) औपदेशिक श्लोक औपदेशिक श्लोकसङ्ग्रह (ये.१७) विविध विषयक औपदेशिक श्लोकसंग्रह विविध विषयक प्रक्रमसङ्ग्रह १२८३७ कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि /पे.पृ. ४०-४B... (पे.पृ. 44-4) (प.प्र. ९०-९B) (प.पू. 994-99AL (प.पू. 994-995/ (पे.पू. 998-१२B (पे. पृ. १२8-१६B प्रा.सं सुत्ते अत्थे भोयणे गद्य (पे. पृ. 984-१९४) सागारि उत्ति कोपुण.... गद्य जो मुद्धा अहिसित्तो गद्य (प.पू. २०4-२१.. (पे.पू. २१०-२६० (पे. पृ.२९०-३१) :(पे. पृ.३१७-६५) श्रेष्ठ संपर्ण कागज वि.१५मी २७६ पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वती एम वे अतिसुन्दर चित्रो छे.. (९.२४२.५) Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता प. पृ. १-२४७) गद्य सिद्धो वर्णसमाम्नायः देवदेवं प्रणम्यादी (पे. पृ. २४८-२७६) गद्य . .. गद्य संपूर्ण कागज वि. १४९३२७९ (११२) :(८.७४२.७) (प. पृ. १-२६०) :/.9) कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहवृत्ति सहित टिप्पणी सहित..... कातन्त्रव्याकरण शर्ववर्मदेव कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्ति ...... दुर्गसिंह कातन्त्रव्याकरणना दुर्गसिंहीवृत्तिनी टिप्पणी (पे.२) कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठन विवरण १२८३८ : कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि (पे.१) कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित टिप्पणी सहित कातन्त्रव्याकरण कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्ति दुर्गसिंह कातन्त्रव्याकरणना दुर्गसिंहीवृत्तिनी टिप्पणी (पे.२) कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठ नुं विवरण १२८३९ कातन्त्रव्याकरण दोगसिंहीवृत्ति कृवृत्ति टिप्पणीसहित त्रुटक.... कातन्त्रव्याकरण कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिहीवृत्ति दुर्गसिंह कातन्त्रव्याकरणना दुर्गसिंहीवृत्तिनी :शर्ववर्मदेव गद्य सिटो वर्णसमाम्नाया देवदेवं प्रणम्यादी गद्य (ये. पृ.२६१-२७९) 4. त्रुटक कागज वि. १५मी १०१-७६(१ थी ७६)=२५ : (१०) (८.७४२.७) :शर्वदमद सिद्धो वर्णसमाम्नायः देवदेवं प्रणम्यादौ 533 Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम टिप्पणी १२९२७ नैषधीयमहाकाव्य सटीक नैषधचरितमहाकाव्य नैषधचरितमहाकाव्य - टीका १२९५८ | काव्यकल्पलतावृत्तिमकरन्द कविशिक्षा - काव्यकल्पलता टीकानी काव्यकल्पलतामकरन्द टीका १३०३७ कुमतकदलीकृपाणिकाचउपईलुङ्कानी हुण्डी कुमतकदलीकृपाणिकाचउपई लुङकानी हुण्डी १३०५१ | अभिधानचिन्तामणिनाममाला व्युत्पत्तिरत्नाकर टीकासह अभिधानचिन्तामणिनाममाला अभिधानचिन्तामणिनाममालाव्युत्पत्तिरत्नाकर टीका पञ्चपाठ गौतमस्तुति अनुबन्धफलगर्भित गौतमस्तुति अनुबन्धफलगर्भित टीप्पणी स्थिति कर्ता १३१७१ वीरजिन, भारती सरस्वति आदि श्रेष्ठ हर्ष कवि गदाधर श्रेष्ठ शुभशील श्रेष्ठ मध्यम हेमचन्द्रसूरि १३१५० कामदुधाक्षीरसागर १३१५१ वर्णमर्कटी-वर्णपताकादिविचार | १३१६० | कुवलयानन्दकारिका टिप्पनकसह कुवलयानन्दकारिका कुवलयानन्दकारिका-टिप्पण १३१६४ अनुबन्धफलगर्भित गौतमस्तुति सटीक श्रेष्ठ देवसागर श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ अप्पय दीक्षित श्रेष्ठ पूर्णता भाषा संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष सं. सं. संपूर्ण परिमाण कागज कागज कागज श्लोक ११३५ कागज अध्याय ६ कांड ग्रं. २६३० कागज कागज कागज कागज श्लोक ११ : कागज वि. १८०९ वि. १७२९ वि. १६६५ वि. १९मी वि. १८०२ वि. १९मी वि. १९मी वि. १८मी वि. १६मी वि. १९मी 534 आदिवाक्य ३४२ प्रिया हियालड़ध्य ६४ २८ ४८१ प्रणिपत्यार्हतः १२ १ श्रीवर्द्धमानशिष्या क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य गद्य (६०) गद्य (२०) पद्य (३२२) पद्य गद्य (8) (2) गद्य (90) पद्य गद्य (२) पद्य गद्य (८) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ( १०.२४४.७) पत्र ५४ थी ५७ नथी., (१०४४.५) (९.५४४.२) (९.७४४.२) ( १०.५४४.७) छन्दोविषयक ग्रन्थ (१०-२४४.५) छन्दोविषयक ग्रन्थ. (१०:२४४.७) ( १०.५४४.५) (१०,५४४.५) Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ॐ कता कृति प्रकार :रत्नसिंह श्लोक८ रत्नासिर श्लोक८ :41 Aiiiii तुभ्यं नमः शुभ सुज पद्य नमस्तस्तदानन्द पद्य ॐकारस्फाररूपं परमपद : पद्य (प.पू. 9A/ (पे.पू. RA (पे.पू. १B-RA) (प. पू. २५-२६) पे.वि. : श्लोक-१२. श्लोक १३ श्लोक १३ : पद्य . गद्य स्तोत्रसङ्ग्रह (पे.१) वीरजिनस्तोत्र-जैत्रपुरमण्डन । (पे.२) सर्वजिनस्तोत्र (पे.३) वीतरागस्तवन (पे.४) पद्मावतीदेवीस्तोत्रमहामन्त्रमय पदमावतीमन्त्रस्तव (पे.५) ज्वालामालिनीस्तोत्र (पे.६) शास्वताशास्वतचैत्यस्तवन (पे.७) शाश्वताशाश्वतजिनचैत्यवन्दन... (पे.८) चिन्तामणि पार्श्वनाथस्तोत्र.. चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.१) गौतमस्वामिस्तोत्र गौतमस्वामि स्तवन : वज्रस्वामि (पे.१०) भारतीस्तोत्र (पे.११) सरस्वतीस्तोत्रमन्त्रयुक्त.... अनुभूतसिद्धसारस्वतस्तव बप्पभट्टसूरि श्रीमदगीर्वाणचक्र ॐ नमो भगवते श्री सदभक्त्या देवलोके नित्ये श्रीभवनाधिवास. श्लोक (पे.पू. २४-३B) (प.पृ.३०-४) (प.पू. ४A-४B) पे.वि. : श्लोक-१५.. (ये. पू. ४B-4A) स्लोक १३ पद्य गा.११ किं कर्पूरमयं सुधारस (प...44-44/.पे.वि. : श्लोक-१२..... का.११ स्वर्णाष्टाग्रसहस्र राजते श्रीमती देवता श्लोक पद्य (प.पू.६A-६8) ./प. पू.६8-9A/ श्लोक १३ कलमरालविहङ्गमवाहन: पद्य पद्य (पे.१२) बृहद्ग्रहशान्तिस्तोत्र (पे.१३) महावीरजिनस्तोत्र भद्रबाहुस्वामी यशोविजयजी गणि श्लोक २८ श्लोक ११ जगद्गुरुं नमस्कृत्यं ऐन्द्र ज्योतिः पद्य (पे.पृ. 94-9B) (पे.प्र. 68-2A) पे.वि. : प्रतिलेखकऋद्धिविजयजी. (प. पू.CA-८B) (पे.१४) शान्तिस्तव शान्तिजिनस्तव (पे.१५) गौतमस्वामिस्तोत्र श्लोक स सुरराजसमाजनतालि ॐनमस्त्रिजगन्नेतु.. जिनप्रभसरि श्लोक ९ (पे.पू. 48-९) पे.वि.: प्रतिलेखकऋद्धिविजयजी. वि.१९मी ९-१(१)-८. प्रथम पत्र नथी..(१०.२४४.५) १३१७९ कातन्त्रविभ्रम सटीक त्रिपाठ कातन्त्रविभ्रमसत्र कातन्त्रविभ्रमसूत्र-टीका :१३१८०: आख्यातविवेक १९मी रघुनाथ शिरोमणि आख्यातस्य यन्नोवाच्य Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष: पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार कागज :(१०x४.५) संपूर्ण मारुगूर्जर वि. १८३९ वि. १७८२. वि. १९मी.. पद्य (३०) संपूर्ण :कागज (१०.२४४.५) मध्यम कागज ............वि. १६मी... ...............(१०.२४४.५.. ............. मध्यम संपूर्ण कागज । वि.१७मी (९.७४४.५).. कागज वि. १८मी (१०.२४४.२. गद्य संपूर्ण कागज ............ वि. १९मी... .......... 18:५४५)..... कागज वि. १५मी (२) भट्टाचार्य १३१९५ सदेवच्छ-सावलिड़गाचोपाई श्रेष्ठ नित्यलाभ १३१९६: काव्यालोक श्रेष्ठ हरिप्रसाद १३२०५ चम्पक श्रेष्ठिकथा-अनुकम्पादाने गद्य चम्पकश्रेष्ठीकथा-अनुकम्पादाने-गद्य :१३२०६:करकडूनृपकथा गद्य करकण्डूनृपकथा-गद्य..... १३२०७ पापबुद्धिनृप-धर्मबुद्धिमन्त्रिकथा गद्य.. पापबुद्धिनृप-धर्मबुद्धिमन्त्रिकथा-गद्य १३२१६ पथ्यापथ्यविनिश्चय-अपूर्ण ....... श्रेष्ठ पथ्यापथ्यविनिश्चय १३३०५ चारित्रमनोरथमाला आदि मध्यम (पे.9) चारित्रमनोरथमाला. .......... धनेश्वरसूरि (ये.२) करहेटक पार्श्वनाथस्तवन .... १३३२० यन्त्रचिन्तामणिमहाकल्प श्रेष्ठ दामोदर १३४९६/ वृत्तरत्नाकर सटीक श्रेष्ठ केदार भटट वृत्तरत्नाकर-टीका १३५०७: न्यायतत्त्वचिन्तामणि तत्त्वचिन्तामणी गड़गेश्वर मिश्र १३५७६ : सिद्धपञ्चाशिका सावचूरि पञ्चपाठ... श्रेष्ठ सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण । देवेन्द्रसूरि सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण-अवचूरि । १३५८० हस्तसञ्जीवनी हस्तचित्रसह ...... .: श्रेष्ठ हस्तसञ्जीवनी मेघविजय प्रा..सं. गा.३०.. पद्य (१०.५४४.५) प.पू. 9) (पे.पू. १). (१०x४.५) पद्य कागज वि. १९मी । (३८). कागज वि.१७७८ (१०.२४४.७) छन्दोविषयक ग्रन्थ. वत्तरत्नाकर सोमचन्द्र श्रेष्ठ गद्य (४३) कागज एक खुणेथी बळी गई छे., (१०.२४४.२).. वि. १६३४ ग्र.२८११ कागज.............वि. १९मी... गा.५० संपूर्ण (४). ...............(१०.२४४.२). पद्य ............ सिद्ध सिद्धत्थसुय .... कागज वि. १८७७... श्लोक ५२५..... (१५). पद्य प्रति ऊधईए.करडेली छ../सचित्र...(१०x४.५.... 536 Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य कागज । वि. १७१९ : ४२ श्लोक १६०० :वि.१६८६ कागज ....वि. १९मी.....७ कति प्रकार १३५९० गाथासहरी मध्यम (३०) (१०.२४४.५) समयसुन्दरजी संपूर्ण प्रा... संपूर्ण श्रेष्ठ (oxx.५) | १३६२१ वृद्धचाणाक्यराजनीति वृद्धचाणक्य-राजनीतिशास्त्र १३६४३, न्यायप्रदीप टिप्पण सह न्यायप्रदीप श्रेष्ठ संपणं नत्वा श्रीविश्वनाथं गद्य गोपीकान्त वेणीदत्त याज्ञिक श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.२०मी श्लोक-१९९.. (१०४४.७) न्यायप्रदीप-टिप्पण १३६४६ : मौनएकादशीकथा पद्य मौनएकादशीमाहात्म्यकथा पद्य ६.१३६८७ : सिद्धान्तविचार :रविसागर प्रलोक२०० श्रेष्ठ कागज वि. १९मी.....२४ । पत्र २३९ नथी., (१०.२४४.७) संपूर्ण मारुगूजेर.सं. प्रा. श्रेष्ट संपूर्ण.... कागज :वि.१९मी (१०.२४४.७) संपूर्ण कागज वि. १७६७ (१०.२४४.७) (पे.पृ. ) रिलशेखरसूरि रिलशेखरसूरि. १३६९१ आदिनाथवर्णन-अपूर्ण आदिनाथवर्णन १३६९८: गुणस्थानकक्रमारोह स्वोपज्ञटीकासह आदि (पे.१) गुणस्थानकक्रमारोह सह (सं.)स्वोपन टीका गुणस्थानकक्रमारोह गुणस्थानकक्रमारोह-टीका (पे.२) प्रकृतिबन्ध महावीरचरित्र सटीक महावीरस्वामिचरित्र महावीरस्वामिचरित्र-टीका १३७३९ : विज्जालय सटीक विद्यालय विद्यालय-टीका १३८९६ : चौत्रीस अतिशय, पान्त्रिस वाणीगुण (9ox४.५) 19ii दरियरयसमीर मोहपडक:पद्य कागज (१०.२४४.२ - वि. १० श्रेष्ठ कागज (९.२४४.७) वि.२०मी 537 Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम वर्णन चोत्रीस अतिशय पान्त्रीस वाणीगुण वर्णन १३९२४ | धर्मरत्नकरण्डक सटीक धर्मरत्नकरण्डक धर्मरत्नकरण्डक - टीका १३९३५ मङगलवाद १३९३७ मङगलवाद १३९४० | व्युत्पत्तिरत्नाकर अभिधानचिन्तामणिनाममालाव्युत्पत्तिरत्नाकर टीका १३९४१ सुभाषित सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह १३९६४ पौषधविधिप्रकरण वृत्तिसह पौषधविधिप्रकरण पौषधविधिप्रकरण- टीका १३९७७ अनेकार्थध्वनिमञ्जरी १३९७९ छन्दःकोश सटीक अपूर्ण छन्दःकोश छन्दःकोश-टीका १४००५ खरतरगच्छगुर्वावली १४००९ पार्श्वनाथस्तोत्र विधिसह पार्श्वनाथस्तोत्र विधि १४०१३ | समवायाङगसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ स्थिति कर्ता श्रेष्ठ वर्द्धमानसूरि श्रेष्ठ श्रेष्ठ जीर्ण देवसागर श्रेष्ठ श्रेष्ठ जिनवल्लभ मध्यम क्षपणक श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ पूर्णता भाषा मारुगूर्जर संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपर्ण सं. संपूर्ण प्रा. मारुगू संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार रचना वर्ष आदिवाक्य संपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण परिमाण कागज श्लोक १०००० कागज कागज कागज कागज कागज ग्रं. ३५५५ कागज कागज कागज कागज कागज वि. १८८० वि. १९मी वि. १९मी वि. १८०९ वि. १९मी वि. १७मी वि. १६१७ वि. १९मी वि.१७मी वि. २०मी वि. २०मी वि. १७मी 538 २११ २ १ ११५ ११ ६८ ६-१(१) ५ १० २२ १ १०३ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार (983) पद्य गद्य (2) (२) (1969) गद्य (१२) पद्य (४६) पद्य गद्य (४) (७) गद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ( १०.२४४.५) (१०४४.५) (१०x४.५) पत्र-५७+५८-११५, (१०४४.२) ( १०.२४४.२) विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे. ( १०.२४४.२) प्रथम पत्र नथी. (१०.५०४.५) प्रति घणी सारी छे. (१०.२४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.७ ) ( १०.२४४.५) Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष सुधमोस्वामी ग्रं. १६६७ श्रेष्ठ महेन्द्रसिंहसरि कागज..............वि. १७४३..... १४... (१०.२४४.५) समवायागसूत्र समवायाङ्गसूत्र-अवचूरि १४०२३ । अष्टोत्तरीस्तवन सटीक अष्टोत्तरीस्तवन अष्टोत्तरीस्तवन-टीका १४०२४. तपोटमतकुट्टन तपोटमतकुटनशत १४०२६ यतिजितकल्प वृत्तिसह जीतकल्पसूत्र संपूर्ण श्रेष्ठ जिनप्रभसूरि ------ जीर्ण कागज ............वि. १८५४.... श्लोक ११० :निर्लोठितशठकमठं ..(१०.५४४.२. संपूर्ण कागज वि.१६२६ प्रा. गा. १०५ ग्रं. १३० कयपवयणप्पणामो वोच्छं: पद्य जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण (१०.५४४.५) हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी बखत परस्पर :अस्पष्टताओ रहेल छे. तिलकसरि ग्रं. १८०० बन्दे वीरं तपोवीरं गद्य :वि. १२७४ वि.१८१५ श्रेष्ठ संपणं कागज स्तबकरूपे लखेलो महत्त्वनो ग्रन्थ..(१०.५४४.७) जीतकल्पसूत्र-वृत्ति १४०९४ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सावचूरि .... तत्त्वार्थाधिगमसूत्र तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-अवचरि वसुधारा .२३ सम्यग्दर्शनज्ञानचारि उमास्वाति अध्याय १० संपूर्ण कागज वि.१६१४ पत्र ३जुं नथी. जिनचन्द्रसूरि हस्ताक्षर /. (१०.५४४.२) :दण्डकछन्दोमयी कागज. 190xx.100 संपूर्ण मारुगूजेर .............वि. १९मी..... १४....... श्लोक ११३५ संपूर्ण कागज वि.१९म १४१४९. कुमतिकदलीकृपाणिकाचोपाई......... श्रेष्ठ, कुमतकदलीकृपाणिकाचउपई लड़कानी हण्डी १४२२३ : दीक्षाप्रतिष्ठामुहूर्त-मुहूर्तराजान्तर्गत श्रेष्ठ दीक्षाप्रतिष्ठामुहूर्त-मुहूर्तराजान्तर्गत १४२३४ छन्दना आठ गणनो विचार सस्तवक.. छन्दना आठ गणनो विचार छन्दना आठ गणनो विचार-टबार्थ १४२४१ कथासङ्ग्रह श्लोक ३५ संपणं कागज मारुगजेर संपूर्ण कागज :वि.१९मी निशीथशास्त्रोक्त कथात्रिक देवचन्द्रजी लिखित., (९.२४ कथासङ्ग्रह गद्य गं १४oo 539 Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता भाषा संपूर्ण क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य श्रेष्ठ कागज वि. १८८३ १४२४७चन्द्रप्रभस्तोत्र आदि (2.9) चन्द्रप्रभस्तोत्र (पे.२) शडखेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र १४३१८ श्रावकविधिप्रकाश (९-७४४.२) (पे.पू. १) पे.पू. १). (१०.५४५) श्रेष्ठ कागज मारुगजर क्षमाकल्याण श्रेष्ठ सुधाकलश वि. १९मी वि. १८३८ ....वि. १८५३... कागज..... लोक ५० १४३३२ । एकाक्षरनाममाला आदि.......... (4.9) एकाक्षरीनाममाला (पे.२) एकाक्षरीनाममाला (पे.३) लघुउपसर्गप्रदीपिका चाम्पात देवसिङ्घ छप्पा सवैया .. FEEPREE .(१०x४.७.... (पे.पू. २.... (पे.पू.२).... (पे.पू....कि.वि. विविधछन्दोबद्ध-क्रियागुप्ता (९.७४४.७) परिमाण- सवैया-१२ (१०.२४५) १४333 श्रेष्ठ श्लोक ३५ श्लोक २३ कागज वि. १९मी गा. १२ कागज ............वि. १९मी.. गद्दकवि | १४३३६ श्रावकव्रतभङगदेवकुलिका ......... श्रेष्ठ १४४३३ श्रावकाराधना श्रेष्ठ संपूर्ण (१०.२४४.२) : समयसुन्दरजी गणि श्रेष्ठ कागज वि. १९मी श्लोक २११......वि.१६६७.. कागज वि. १९मी संपूर्ण : (९.५४४.२० (पे. पृ. ५). १४४३६ षड्भाषामयपार्श्वनाथस्तव सटीक आदि (पे.१) पानाथस्तव सह (सं.)टीका पाश्र्वनाथस्तव षड़भाषामय पाश्वनाथस्तव पडभाषामय-टीका (ये.२) ऋषभदेवस्तव (पे.३) अज्ञात कृतिओ विगत नथी १४५०१ नमुत्थुणं कल्प आदि (पे.१) नमुत्थुणं कल्प (पे.२) मन्त्रसग्रह १४५०८ स्वरोदयवार्ता वि.२०मी (प.पू. ५).. (मे.पू. ५). .१०.२४४.५). (ये.पृ.३... (ये.पृ.३... .१०.२४४.५. जिनदत्तसूरि संपूर्ण :कागज .............वि. १९मी गद्य टेस्टीङ्ग आदिवाक्य... २८ 1 १४५४४ द्रव्यकिरणावली श्रेष्ट संपूर्ण कागजवि .१७८८ (९.७४४.२) 540 Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कता क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गद्य भाषा कागज वि. १७४२ ९.५४४.२ कागज वि.१७३७ ४२९-१(१)-४२८ (२८४) (९.७X४.२ वि. १६८० श्रीदं स्तात्परम श्रीमान स श्रीसमति :वि. १६८0 किरणावली-स्वोपज्ञटीका :उदयनाचार्य सं. १४५४८: चन्द्रधवल-धर्मदत्तकथा सस्तबक : जीर्ण : संपूर्ण चन्द्रधवल-धर्मदत्तकथा माणिक्यसुन्दरसूरि. चन्द्रधवल-थर्मदत्तकथा-टबार्थ मारुगजेर १४५५५: धातुरत्नाकर श्रेष्ठ संपूर्ण स्वोपनक्रियाकलापनाम्नीवृत्तिसह धातुरनाकर साधुसुन्दरगणि धातुरत्नाकर-स्वोपज्ञ क्रियाकलापवृत्ति :साधुसुन्दरगणि १४७९० उत्तराध्ययनसूत्र बृहद्धत्ति-पाइयटीका श्रेष्ठ संपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्र-बृहवृत्ति ..... शान्तिसूरि वादिवेतालसं.,प्रा. .१४७९१ . आवश्यकसूत्र बृहद्वृत्ति-शिष्यहिता.. श्रेष्ठ आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति हरिभद्रसूरि सं.,प्रा. .१४७९२ . सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति सूत्रकृताङगसूत्र-वृत्ति शीलाडकाचार्य १४७९३ : भगवतीसूत्रवृत्ति श्रेष्ठ : संपूर्ण भगवतीसूत्र-टीका अभयदेवसूरि :१४७९४ : भगवतीसूत्र सटीक पञ्चपाठ श्रेष्ठ संपूर्ण वि.१६मी २३४ (२३७) (१४.५४५.५ श्लोक १33४५ शिवदाः सन्तु तीथेश पद्य मल साथै ग्रन्थान-१८०००. संपूर्ण कागज :वि.१४७३ ग्रं.२२००० प्रणिपत्य जिनवरेन श्रेष्ट संपूर्ण वि. १६मी १४६ कागज ग्रं. १२८५३.. कागज .(३१७).. .... ग्रन्थान-२२०००. पत्र १६४९ नथी...(१४.५४५.५).. गद्य (१४८) ........ ग्रन्थान-१३८५०...(१४४५.५). गद्य (३३१) (१३.५४५.२) स्वपरसमयार्थसचक वि. १५८५... ३२९ सर्वज्ञमीश्वरमनन्त .............. गं १८६१६ वि. ११२८ :वि. १६२० कागज २९२ : (२९७) मूल ग्रन्थान-१५७५०. पत्र २३०मुंडबल छे., (१३.५४५) भगवतीसूत्र भगवतीसुत्र-टीका १४७९५ : भगवतीसूत्र सटीक मूल सुधर्मास्वामी अभयदेवसूरि ........ ग्रे. १६००० ग्रं. १८६१६ नमो अरिहन्ताणं. सर्वज्ञमीश्वरमनन्त २८३ गद्य वि. ११२८ वि. १५८५ :श्रेष्ठ संपूर्ण कागज (२८७) : मूल ग्रन्थान-१५७५२. प्रथम पत्रमा समवसरणन चित्र छे., (१३.२४५) सुधर्मास्वामी अभयदेवसूरि गद्य मध्यम संपणं कागज भगवतीसूत्र भगवतीसत्र-टीका .१४७९६ स्थानाङ्गसूत्रवृत्ति स्थानाङ्गसूत्र-वृत्ति १४७९७ दशवकालिकसूत्रसटीक दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-बृहद्वृत्ति अभयदेवसूरि श्रेष्ठ ग्रं. १६००० नमो अरिहन्ताणं. गं. १८६१६ : वि. ११२८ सर्वज्ञमीश्वरमनन्त ...वि. १६मी.....२५४. ग्रं. १४२५०..........वि. ११२०.. श्रीवीर जिननाथ कागज .... वि.१४७३ ९ ८ ग्रं. ७00 धम्मो मङगलमुक्कि .७५५० जयति विजितान्यतेजाः (२७०). गद्य (१००) संयुक्त प+ग गद्य ...... १३.५४५.५) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रन्थान-७५५०. पत्र ४२मुं डबल छे., (१४.५४५.५): संपूर्ण शय्यम्भवसूरि : हरिभद्रसरि ............... वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे. Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिति पूर्णता ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रत प्रकार (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य : क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार (५२४) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा १४७९९ गोमटसार त्रुटक अपूर्ण अपूर्ण कागज वि.१७मी ९३९ पत्र १थी २३, ४०४ थी ५०४,५४३ थी ५५५, ६०४ थी ६०७, ६६७ थी ७२९ अने ९०९मुं नथी., दिगम्बर ग्रन्थ. : (१२.५४६) संपूर्ण कागजवि . १८मी ९६ गोमटसार १४८०१ : आश्रव-बन्ध-उदय-उदीरणा-सत्ता- :जीर्ण भावत्रिभङ्गीविषयकयन्त्रो आश्रव, बन्ध, उदय, उदीरणा, सत्ता, भाव, त्रिभडगीविषयक यन्त्रो कालग्रहणविचार.. संपूर्ण (११.२४५.२). सं.प्रा. संपूर्ण (४) पद्य (१०) पद्य १४८०६ रसाउलओ-गाथाकोष श्रेष्ठ :गा.१४३ कागज गा.३५३ (११४४.७) दिपणी मनिचन्द्र श्रेष्ठ संपर्ण कागज । वि. १८मी (७.२४४.५) १४८३६ सत्तररिसयजिनस्तवन सत्तररिसय जिनस्तवन मारुगुर्जर गा.६५ पद्य विशालसुन्दरसूरिशिष्य श्रेष्ठ अभयदेवसूरि संपूर्ण कागज :(२००) १४८४२ भगवतीसूत्र वृत्ति भगवतीसूत्र-टीका १४८४३ : विशेषावश्यकमहाभाष्यवृत्तिसह (१३.५४५.५) :वि.१६मी वि. ११२८ वि. १५८५ ग्रं. १८६१६ ... कागज २०० सर्वज्ञमीश्वरमनन्त ३९६ गद्य संपूर्ण (३९५) पत्र ३७८मुं डबल छे. प्रथम पत्रमा चित्र छे.मूल : अने टीकार्नु परिमाण २८००० श्लोक प्रमाण छे.. (१३.५४५.२ विशेषावश्यकमहाभाष्य जिनभद्र गणि प्रा. :गा.४१४ पद्य क्षमाश्रमण श्रीसिद्धार्थनरेन्द गद्य विशेषावश्यकमहाभाष्य-शिष्यहिता वृत्ति हेमचन्द्रसूरि मलधारी सं. १४८४४ प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्रवृत्ति मध्यम संपूर्ण ग्रं.२८०००वि . ११७५ कागज वि. १५८५ (८७) ग्रन्थान-४१३०. प्रथम पत्रमा पांच आश्रव ने पांच संवरने सूचवतुं सुन्दर चित्र लागे छे., (१३.५४५.२-५२.२) ग्रं.४६३०............. गद्य प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्ति ...... :अभयदेवसूरि १४८४५ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णी श्रेष्ठ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी....... संपूर्ण ३२ ग्रन्थान-१८६०.. (१३.५४५.२).. कागज वि. १५०२ ग्रं. १८६९......... 542 Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति प्रकार संपूर्ण कागज (७५) ग्रन्थान-४४५४ (मूल साथे?)..(१३.५४५.२) १४८४६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णीसूत्र जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी ग्रे. १८६९ विणयविरतियकर : वि. १५०२ णमिऊण विणयविरतियकर .:.वि.१६मी...६१ सुर्य मे आउसं तेणं. वि.१५७१ ।२३ नमो अरहन्ताणं। जम्बू :१४८४७ - स्थानाडगसूत्र. कागज (६२). ग्रन्थाग-३७७०...(१३.५४५:२.... ग्रं.३३०० श्रेष्ठ : सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ संपूर्ण कागज (२४) श्लोक-१३३९..(१३.५४५.२) प्रा... :ग्रं. १३५० गर संपूर्ण कागज ! वि.१५७२ (२०) ग्रन्थान-११०९.. (१३.५४५.५) १४८४८ प्रश्नव्याकरणागसूत्र प्रश्नव्याकरणसूत्र १४८४९ : निरयावलिकासूत्र निरयावलिकादिपञ्चोपागसूत्र १४८५१: आचारागसूत्रचूर्णि आचारागसूत्र-चूणी १४८५२ उत्तराध्ययनसूत्रबृहद्वृत्ति पाईयटीका ग्र.११०० तेणं कालेणं तेणं गद्य (१२८.......... प्रा. संपूर्ण प्रा.स. संपूर्ण कागज ग्रं.८३०० कागज ...वि. १५८०..... १२८ मङगलादीणि सत्थाणि गद्य जीर्ण ! वि. १५३८ ३३१ (३३१) ... श्लोक १३३४५. पद्य उत्तराध्ययनसूत्र-बृहदवृत्ति १४८५३ : निशीथसूत्रचूर्णि शान्तिसूरि वादिवेताल श्रेष्ठ सं..प्रा.. संपूर्ण शिवदाः सन्तु तीर्थेश :वि. १५६३४५१ पत्र १०७-१०८ भेगा छे. अने २१४९ पत्र डबल छे...(१३४५.२) मूल साथे ग्रन्थान-१८०००. पत्र १७३ थी १९१ सुधीना पत्रांको लेखकना प्रमादथी छुटी गया छे. पण सम्बन्ध तूटतो नथी.. (१२.9X4) कागज निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि मिऊण रहन्ताणं सिद्ध पद्य जिनदास गणि क्षमाश्रमण श्रेष्ठ प्रा. .......... संपूर्ण श्लोक २८००० ग्रं.१७८८४ कागज १४८५४ जीवाभिगम सूत्र वृत्ति । वि. १५७२ २३८ । (२३७) प्रथम पृष्ठमां समोवसरणनुं चित्र छे.. (१३.२४५.२) मलयगिरिसरि गं. १४००० गद्य जीवाभिगमसूत्र-वृत्ति १४८५५. अनुयोगद्वारसूत्रचूर्णि... अनुयोगद्वारसूत्र-चूर्णी संपूर्ण (१३.७४५.२.. वि. १५८५२७ वि.७मी किञ्चि पञ्चविहायार (२९). गद्य जिनदास गणि ग्रं.२२६८ क्षमाश्रमण कागज वि. १६मी ११०३ १४८५६ : ओघनियुक्ति सटीक ओघनियुक्ति श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी (१०४) पद्य ग्रन्थान-८२२५..(१३.२४५.७).. गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. प्रा. दुविहोवक्कमकालो सामा गा. ११६३ ग्रं. १४३२ 543 Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति प्रकार द्रोणाचार्य सं. गं.9000 ओघनियुक्ति-वृत्ति ओघनियुक्ति सटीक ओघनियुक्ति मध्यम संपूर्ण कागज : वि.१५७० १४६ (१६९) दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य ग्रन्थान-८३८५...(१३.५४५.२.... गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहुस्वामी गा. ११६३ ग्रं. १४३२ द्रोणाचार्य गं.9000 ओघनियुक्ति-वृत्ति ओघनियुक्तिमूल ओघनियुक्ति माध्यम वि. १६मी गद्य २३ (२४) दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य आ प्रतमा गाथा ११६४ आपेल छे., (१३.५४५.२).. गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहुस्वामी गा.११६३. १४३२ ..... मध्यम कागज भद्रबाहस्वामी गा.६९७ :पिण्डे उम्गम उपायण पद्य (१३२). मध्यम संपूर्ण १४८५९ पिण्डनियुक्ति पिण्डनियुक्ति १४८६० पिण्डनियुक्ति सटीक पिण्डनियुक्ति पिण्डनियुक्ति-बृहत्ति निरयावलिकासूत्र वृत्ति कागज ..१.१६मा १२९ पिण्डे उग्गम उप्पायण .१३.५४५:२) गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. टीका ग्रन्थान-9000., (१३.५४५.२) गाथा ६९७ थी ७२० सुधी मळे छे.. ग्रन्थान ७००० थी ७५०० सुधी मळे छे. ग्रन्थान-६५०. प्रथम पत्रमा सूचना भावने दर्शावतुं गा.६९७ भद्रबाहुस्वामी मलयगिरिसूरि मध्यम गं.७२५० गद्य संपूर्ण कागज : वि. १५७१ (१३) चित्र छे..(१३.५४५.२)... ग्र.६४० पाश्चेनाथं नमस्कृत वि.१२२८ वि. १६मी निरयावलिकादिपञ्चोपाड़गसूत्र-वृत्ति १४८६२ सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति सूत्रकृताङ्गसूत्र-नियुक्ति :१४८६३ पञ्चकल्पभाष्य पञ्चकल्पसूत्र-महाभाष्य (१२.७४५) कागज गा.२०८ श्रीचन्द्रसूरि जीर्ण भद्रबाहस्वामी श्रेष्ठ सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण जीर्ण संपूर्ण प्रा.. संपूर्ण गद्य (७) पद्य (४०) : पद्य कागज तित्थयरे य जिणबरे ४१ वन्दामि भद्दबाहुं वि.१६मी ...ग्रन्थाग-३७३५: पृष्ठ ४१....(१३४५).. प्रा. गा.२५७४ ग्रं. १४८६४ उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति संपूर्ण कागज । वि. १६मी ११ । (१२) प्रथम पत्रमा महावीरस्वामीनुचित्र छे. गाथा संख्या ७०० आपेल छे...(१३४५.२).. भद्रबाहस्वामी गा.५९६ .६०७ श्रेष्ट : वि.१५०५ :१३३ ग्रन्थान-८८०..पत्र ६७९ डबल.छ...(१३४५). उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति १४८६५ : अङ्गविज्जा अड्गविज्जा पइण्णय. १४८६६ आवश्यकसूत्रबृहद्वृत्ति (शिष्यहिता) ग्रं. ९००० श्रेष्ठ संपूर्ण कागज : वि. १६६७ ३२५ परिमाण श्लोक संख्या २२००० आपेल छे., (१२.७४५.२) आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति हरिभद्रसूरि ..... स.प्रा. ग्रं.२२००० प्रणिपत्य जिनवरेन गद्य 544 Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर) पेटा नाम कृति नाम १४८६७ योगशास्त्रस्वोपज्ञवृत्तिसह योगशास्त्र योगशास्त्र स्वोपज्ञ वृत्ति १४८६८ पाक्षिकसूत्रवृत्तिसह १४८७० पाक्षिकसूत्र पाक्षिकसूत्र- वृत्ति १४८६९ पाक्षिकसूत्रमूल पाक्षिकसूत्र कुमारपालप्रबन्ध १४८७१ पुष्पमालाप्रकरणसटीक पुष्पमालाप्रकरण पुष्पमालाप्रकरण- टीका १४८७२ निशीथसूत्र १४८७३ निशीथसूत्रभाष्य निशीथसूत्र-भाष्य १४८७४ | धर्मरत्नप्रकरण सह बृहद्वृत्ति धर्मरत्नप्रकरण धर्मरत्नप्रकरण- बृहद्वृत्ति १४८७५ ओघनियुक्तिसटीक ओघनियुक्ति ओघनियुक्ति-वृत्ति स्थिति कर्ता श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि मध्यम यशोदेवसूरि जीर्ण श्रेष्ठ जिनमण्डनगणि मध्यम हेमचन्द्रसूरि मलघारी साधुसोमगणि श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी जीर्ण मध्यम शान्तिसूरि देवेन्द्रसूरि श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी द्रोणाचार्य पूर्णता भाषा संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. सं. संपूर्ण प्रा. सं. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण कागज अध्याय १२ प्रका ग्रं. १२००० कागज ग्रं. ३५० श्लोक २७०० कागज ग्रं. ३५० कागज कागज गा. ५०५ ग्रं. १५१२ कागज गा. ८१२ कागज गा. ६४३९ ग्रं. ८४०० कागज गा. १४५ ग्रं. ९७०० कागज गा. ११६३ ग्रं. १४३२ ग्रं. ७००० रचना वर्ष वि. १५४९ वि. १५६३ वि. ११८० वि. १६मी वि. १५४८ वि. १४९१ वि. १५४९ वि. १६मी वि. १५३८ वि.१६मी वि. १६३१ 545 आदिवाक्य २१४ नमो दुर्वाररागादिवैर प्रणम्य सिद्धाद्भुत ७७ तित्थङ्करे य तित्थे शिवशमैकनिमित्तं ८ तित्थड़करे य तित्थे ६८. ९८ १६ जे भिक्खू हत्थकम्मं १५५ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी १५४ झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार दुविहोवक्कमकालो सामा गद्य (९९) सिद्धमकम्ममविग्गहमकल पद्य (७६) संयुक्त प+ग पद्य (8)... संयुक्त प+ग (७२) गद्य (१७) पद्य णवबम्भचेरमइओ अटठारस १७८ नमिउण सयल गुणरयणकुल सज्ज्ञानलोचनविलोकित गद्य (१५७) पद्य (8) पद्य पद्य गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण श्लोक संख्या १२००० आपेल छे.. (१३४५.५) आ प्रतमां संपूर्ण परिमाण श्लोक सं. ३१०० आपेल छे (१२ 1984) (१२.७४५) ( १२.७४५) (१२.७४५) (१३४५.२) ( १२.७४५.२) प्रति उंदरडे करडेली छे.. (१२७४५) ग्रन्थाग्र-८३८५ (१२.२४५) गाथा - ११४० थी ११९० सुधी मळे छे. Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (८) आदिवाक्य संपूर्ण कागज । वि. १५७३ गा.११६ :आबाल बम्भयारि नेमि पद्य पच १४८७६ शीलोपदेशमाला,धर्मलक्ष्मीमहत्तराभास मध्यम (ये.) शीलोपदेशमाला... जयकीर्तिसूरि (पे.२) धर्मलक्ष्मीमहत्तराभास..... आनन्द १४८७७ योगशत अपूर्ण वैद्यक ग्रन्थ योगशत वैद्यकग्रन्थ १४८७८ कुमारसम्भवमहाकाव्य सावरि जीर्ण पञ्चपाठ सप्तमसर्गपर्यन्त मारुगूर्जर संपूर्ण (१२४४.५) (पे.पू. १-७) (पे.पू. ..वि.: गाथा-१३-१७.. । (१२.५४५ आर्या-२३ :(१२.५४४.७) जीर्ण :कागज वि. १७मी (२४). प्रतिपूर्ण कागज वि.१६मी (३९) कालिदास कुमारसम्भव कुमारसम्भव-अवचरी ओघनियुक्ति गद्य १४८७९ वि.१६३० (२८) गाथा ११६५ आपेल छ..(१२.२४५) गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहुस्वामी गा. ११६३ग्रं. दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य १४२ घडावश्यकसुत्रसस्तबक कागज । वि. १६मी. : (१३४४.७) (१२) नमो अरहन्तार्ण नमो. : संयुक्त प+ग श्रावकषडावश्यकसूत्र ------------ श्रेष्ठ संपूर्ण प्रा.सं. मारुगर्जर श्रेष्ठ संपूर्ण शान्तिसूरि वादिवेताल सं.प्रा. जीर्ण कागज श्रावकषडावश्यकसूत्र-स्तबक. उत्तराध्ययनसूत्रवृहद्वृत्ति पाइयटीका उत्तराध्ययनसूत्र-बृहवृत्ति चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र... वि. १६मी ५०५ : शिवदाः सन्तु तीर्थेश लोक १३३४५ पद्य (१२.७४४.७) मूल साथे ग्रन्थान-१८०००. श्लोक संख्या १८५४ छे.(१२.५४५).. | १४८९० संपूर्ण कागज वि.१५५७ ४८ प्रा. ग्रं. १८३१ :गद्य जयति नवनलिणिकुवलयविय १५० मध्यम संपर्ण वि.१६मी । (१२.५४४.७) | १४८९२ उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णी उत्तराध्ययनसूत्र-चूर्णि कागज ग्रं. ५८५५ गद्य गापालिक महत्तर शिष्य मध्यम संपर्ण कागज वि.१४९८ (PE) .... पत्र ३२ मुं नथी..(१२.२४५). १४८९४ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूीसह. श्रावकप्रतिक्रमणसत्र श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-चूर्णि गा.५० विजयसिहसूरि । १४८९५ कल्पसूत्र मध्यम संपूर्ण ग्रन्थान-१२३६...(१२.२४५) भद्रबाहस्वामी जीर्ण श्लोक ४५९० : वि.११८३ : सिद्धं सिद्धत्थसुर्य कागज ......वि. १६मी....... ग्रं. १२८० नमो अरिहन्ताणं.. वि. १७मी ९५ 546 | १४८९६ ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण ......... संपूर्ण कागज सयुक्त प+ग (९५) ............. (१२४५) Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष क्रति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ज्ञानाणेवसारोद्धार ग्रं. ६२२ शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर) ........ गद्य जीर्ण संपूर्ण वि.१.मी १०३ (१०७) पत्र १२-१३ भेगा छे..(१२४४.७) श्लोक 1929 पद्य ज्ञानार्णवसारोद्धार-टिप्पणी भवभावनाप्रकरणसक्षिप्तवृत्तिसह भवभावनाप्रकरण-सडिक्षप्तवृत्ति १४८९८ : विपाकसूत्रवृत्ति विपाकसूत्र-वृत्ति :१४८९९ : विक्रमचरित्र :श्रेष्ठ : संपूर्ण कागज वि. १६मी (१२४४.७) (२१) गद्य अभयदेवसूरि २२ नत्वा श्रीवर्द्धमाना २०० गं. ९०० श्रेष्ठ : संपूर्ण कागज वि. १५६२ :पत्र ११२ मुंडबल अने छेल्लुं पत्र जीर्ण छे., श्लोक ६०२० रामचन्द्रसुरि श्रेष्ठ १४९००: विवेकविलास संपूर्ण कागज । (१२४४.५) :जिनदत्तसार वि. १४९० वि. १४५६...५० .वि. १४९३... वि. १६०७ २२ तेणं कालेणं तेणं १४९०१ : उपासकदशाङ्गसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज सुधर्मास्वामी ग्रं.८१२ (१२४४.५) पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां 'सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. प्रति शुद्ध छे.. (१३४४.७) प्रस्ताव-८./विशिष्ट रचना प्रशस्ति. श्रेष्ठ कागज १४९०३ : उपमितिभवप्रपञ्चकथा उपमितिभवप्रपञ्चा कथा वि. १५७३......२२८. वि.९६२ नमो निनाशिताशेषमहा सिद्धषि गणि सं. अध्याय ८ ग्रे. १६००० कागज संपूर्ण वि. १५४९ : १२३ : (१२३) : पत्र ९४ मुंनी ..(१२.४५) १४९०५ : श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रसटीक श्रेष्ठ अर्थदीपिकावृत्ति आवकप्रतिक्रमणसूत्र श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-अर्थदीपिकावृत्ति रिलशेखरसूरि.. पञ्चाङ्गीवृत्ति जीर्ण गा.५० वन्दित्तु सम्वसिद्धे ग्रं.EE४४ .वि. १४९E कागज वि. १५३८ १०७ (पे.१) उपासकदशागसूत्र-वृत्ति (पे.२) अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र-अभयदेवीय ग्र.९०० अभयदेवसूरि अभयदेवसूरि प्रथम पृष्टमां समोवसरणनुं चित्र छे. अने १२ तथा४मुं डबल छे..(१३४५.२) (पे.पू. १-१५) (प.पृ. १५-१९) श्रीवर्द्धमानमानम्य अथान्तकृद्दशासु किम ग्रं. १३५६ गद्य वृत्ति अभयदेवसूरि ग्र.१०५ अथानुत्तरौपपातिकदशा । : गद्य (पं.पू. १९-२१) (पे.३) अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्रवृत्ति 547 Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य गद्य (पे.४) प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्ति ...... (पे.५) विपाकसूत्र-वृत्ति १४९०७ यतिजीतकल्पसूत्रसटीक .. यतिजीतकल्पसूत्र नव्य अभयदेवसूरि अभयदेवसूरि जीर्ण सोमसूरि ग्रं. ४६३० ग्रं.९०० कागजवि . १५३८ गा.३३३ नत्वा श्रीवर्द्धमाना : गद्य १११ कयपवयणप्पणामो वृच्छं: पद्य (प.पू. २१-९२) (पे.पू. १२-१०७) (१३४५:२.. जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित प्रथम २३. गाथाओ जीतकल्पनी सरखी, यतिजीतकल्पसूत्र नव्य-वृत्ति साधुरत्नसूरि श्लोक ५७००वि . १४५६ जयति महोदयशाली पद्य भास्व १४९१० जीतकल्पचूर्णी जीर्ण कागज वि. १५३८ (१२.७४५)....................... जीतकल्पसत्र-चणी सिद्रसेनसरि गं.११०० मध्यम संपूर्ण कागज वि.१५६४ २१ : सिद्धत्थसिद्धसासण २१५ जयति नवनलिणिकुवलयविय १४९१५ चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र सटीक.. चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र गद्य (२१६) गद्य (१३४५)................ ग्रं. १८३१ चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति मलयगिरिसूरि ग्रं. ९५०० :गद्य मुक्ताफलमिव करतलकलित संपूर्ण कागज वि.१६.मी :४५ -१८६०...(१२.५४५). जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णी जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी ग्रं. १८६९ णमिऊण विणयविरतियकर १४९१७ उपदेशरत्नाकरस्वोपज्ञटीकासह : श्रेष्ठ संपूर्ण कागज :वि. १५४४ :१४५ (१३४) :पत्र३१-३२ भेगा अने ११२ मुंडबल छे./. १२.७४५ उपदेशरत्नाकर गद्य उपदेशरलाकर-स्वोपज्ञटीका ... १४९२०: पञ्चकल्पभाष्य पञ्चकल्पसूत्र-महाभाष्य मुनिसुन्दरसूरि मुनिसुन्दरसरि मध्यम सधदास गणि क्षमाश्रमण नं.७६७५. कागज गा.२५७४ ग्रं. वि.१५३८ :(१२.७४५) :४९ वन्दामि भद्दबाहुं (५०) पद्य ३१२५ १४९२१ : पञ्चकल्पचूर्णि जीर्ण पञ्चकल्पसत्र-चणी : कागज............: वि. १५३८.....६४ मड़गलादीणि सत्थाणि कागज वि. १५४९ (६७). ................(१२.७४५:२... गद्य (६६) ............ (१२.७४५) १४९२२ पञ्चकल्पभाष्य जीर्ण संपूर्ण पञ्चकल्पसत्र पञ्चकल्पसत्र-महाभाष्य सङघदास गणि प्रा. गा.२५७४ ग्रं. वन्दामि भद्दबाईपद्य 548 Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा कृति प्रकार क्षमाश्रमण श्रेष्ठ ३१२५ कागजवि . १६मी १४९२३ : गुरुतत्त्वसिद्धि संपूर्ण (९) :(१२.७४५.२) स..प्रा. कागज :मल ग्रन्थान-५३६वटीका ग्रन्थाग-109qa/ गा iqo १४९२४ सम्यक्त्वसप्ततिकावृत्ति सह ... दर्शनसप्ततिकाप्रकरण दर्शनसप्ततिकाप्रकरण-टीका १४९२६ । दशवैकालिकसूत्रवृत्ति दशवैकालिकसूत्र-टीका १४९२७ दशवकालिकसूत्र चूर्णि दशवैकालिकसूत्र-चूर्णि :श्रेष्ठ हरिभद्रसूरि सङ्घतिलकसूरि जीर्ण तिलकसूरि कागज (१२.७४५) गं(9000 वि.१५४९ ।१४९ (१४९) दंसणसुद्धिपयासं पद्य सच्चामीकरबन्धुरोद्धगद्य.. वे.१६मी १८४ वि.१3०४ अहेन्तः प्रथयन्तु १९२. (१९२० णमो अरहन्ताणं० गद्य मडगल । वि. १५३८. १९८ शक. ७९८ जयति समस्तवस्तु सपूर्ण कागज प्रा. ग्रं.७९७० संपूर्ण . कागज १४९२८ आचाराङ्गसूत्रवृत्ति आचारागसूत्र-वृत्ति शीलाड़काचार्य ग्रं. १२००० :प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छ.. (१२.७४५) : प्रथमश्रुतस्कन्ध टीका ग्रन्थान-९६६१. वाहरी साधु : सहायेन कृता टीका. पत्र ४९९ डबल तथा पत्र ८७ मुंत्रण छे.. (१२.७४५.२)... १४९३२ आचाराङ्गसूत्रवृत्तिचूर्णि जीर्ण संपूर्ण कागज वि. १५३८ १३१ (१३९) प्रा.स.... प्र.८३०० मडगलादीणि सत्थाणि :गद्य १४९३५ संपूर्ण कागज (७) : (११४४.७) आचारागसूत्र-चूणी सारावलि प्रकीर्णक, आचारागसूत्र चूलिका (पे.१) सारावली प्रकीर्णक प्रा. गा.११६ आरम्भेसु नियत्ता पद्य (पे.पृ. १-४) [कृ.वि. : खंभात सूचिपत्र भाग-२ में कर्ता-जिनयश का उल्लेख है] (पे. पृ. ४-६) पे.वि. : आचारांगसूत्र :चुलिकागाथा-८७. (पे.२) आचारांगसूत्र चूलिका आचार्यचूलिका सिद्धान्त जिनमुनि प्रा. :गा.८७ तं नमह रिसहनाई पद्य केवल १४९३८ : सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि जीर्ण संपूर्ण वि.१५३८ १५५ (१५६) प्रति चोटेली छे.प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छ.. (१२.19४५.२) :प्रा..सं लोक९५०० सूत्रकृताङ्गसूत्र-चूर्णी १४९५४ चतुर्विशतिजिनप्रबन्ध.. णमो अरहन्ताणं.. ६१-१(१)-६० संपूर्ण कागज वि. १५मी (99XX) 549 Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम १४९५८ भरतनटादिकथाओ औत्पत्तिक्यादिबुद्धिविषये १४९६५ स्थम्भनपार्श्वनाथप्रबन्ध स्तम्भनपार्श्वनाथ प्रबन्ध १४९७१ प्रश्नोत्तररत्नमालाप्रकरणवृत्ति सह आदि (पे. १) प्रश्नोत्तररत्नमालिका सह (सं.) टीका १४९७३ विवेकधैर्याश्रय १४९८२ सुभाषित सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह १४९८४ | सङ्ग्रहणी प्रकरण आदि (पे. १) सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे. २) पिण्डविशुद्धिप्रकरण स्थिति कर्ता 1. (पे.३) शीलोपदेशमाला (पे. ४) उपदेशकन्दली (पे. ५) विवेकमञ्जरीप्रकरण १४९८५ अव्यय सावचूरि पञ्चपाठ राजशेखरसूरि श्रेष्ठ प्रश्नोत्तररत्नमालिका प्रश्नोत्तररत्नमालिका -वृत्ति (पे. २) नवग्रहस्तुतिगर्भितपार्श्वनाथस्तुति जिनप्रभसूरि (पे.३) आदिजिनस्तवन अभयदेवसूरि श्रेष्ठ रघुनाथ श्रेष्ठ श्रेष्ठ मेरुतुङ्गसूरि श्रेष्ठ विमलसरि श्रेष्ठ श्रीचन्द्रसूरि मलधारि जिनवल्लभ जयकीर्तिसुरि आसड आसड श्रेष्ठ पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. अपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. प्रा. अपभ्रं संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. प्रा. मारुगू र्जर संपूर्ण प्रा. प्रा. (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण परिमाण श्लोक ३८०० कागज कागज कागज का. २८ गा. १० कागज कागज कागज गा. २७३ गा. १०४ गा. ११६ गा. १२५ गा. १४४ कागज रचना वर्ष वि. १४०५ वि. १५मी बि. १४२४ वि. १४०१ वि.१५मी वि.१६मी वि.१६मी वि. १५०४ वि. १२८८ वि. १५०४ 550 आदिवाक्य २८ ९३ १७ कः खलु नालङिक्रयते दोसावहारदक्खो. १६ १७ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य आबाल बम्भयारि नेमि तिहुयणमङ्गलतिलयं सिद्धिपुर सत्थवाहं १ མ ཐ ཐ བ བ རྩ བཉྩ བླ་བླཟླབླ་ (२०) (१७) नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव पद्य देविन्दविन्दवन्दियपय प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष ७ ८ ११मुं अने १२ नथी. (११७२.७) पत्र २२,२४,२५,२८,२९,३२,३३,४३,५६,८२,८४ नथी., (१०४३.५) (७.७४३.५-३.७) (पे. पृ. १-७) (पे.पू. ७). (पे.पृ. ८).. पत्र बीजुं नथी. (८४३.५) पत्र १४ मुं डबल छे.. (१२.२४४.५) विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे. सूचीपत्रमां पत्र संख्या ६५-८१ लखी छे., (१२४४.५) (पे.पू. ६५-६९) (पे. पृ. ७०-७२) पे.वि. गाथा- १०४ [कृ.वि. गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे. पृ. ७३-७५) (पे. पृ. ७६-७८) पे.वि.: गाथा - १२५. (पे.पू. ७९-८१) ( १२४४. ५) Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता अव्यय श्लोक १४० पद्य गद्य (२३). (११.७४४.५) का.४४ पद्य अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. कागज ........... वि. १६मी.....२२. भक्तामरप्रणतमौलिमणि ग्रं. १५२६ वि. १४२६ । कागज..............वि. १६मी... नमो अरहन्ताणं नमो (८) संयक्तप+ग .(१२४४.२.... ................ कागज.. .वि. १६मी.... (२).. (११.२४४.५) पद्य वि. १५मी .. श्लोक १९६ कागज ग्रं.८८१२ कागज (१६९) ग्रन्थान-९०२४. प्रति शुद्ध छे.. (११.७४५) अव्यय-अवचूरि भक्तामरस्तोत्र सटीक श्रेष्ठ भक्तामरस्तोत्र मानतुङ्गसूरि भक्तामरस्तात्र-टीका गुणाकरसूरि रुद्रल्लीय सं. षडावश्यकसूत्र सावचूरि मध्यम.. संपूर्ण आवकषडावश्यकसूत्र आवकषडावश्यकसूत्र-अवचूरि १५०२५. हैमविभ्रमवृत्ति हैमविभ्रमसूत्र-वृत्ति : जिनप्रभसरि :१५०३२ : शत्रुञ्जयमाहात्म्य जीर्ण :संपूर्ण धनेश्वरसरि १५०३४ अजितशान्तिस्तव प्राकृत संस्कृत श्रेष्ठ संपूर्ण अवचूरि सह. अजितशान्तिस्तोत्र नन्दिषेण अजितशान्तिस्तोत्र-अवचूरि ५०४६. विद्यालय-विज्जालय टिप्पणीसहित ......श्रेष्ठ, विद्यालय विद्यालय-टिप्पणी १५०६८ हेतुगर्भप्रतिक्रमणविधि संपूर्ण प्रतिक्रमणगर्भहेतु जयचन्द्रगणि .१५२३१ सुभाषित :श्रेष्ठ रत्नशेखरसरि वि. १६मी (१२४४.५) प्रा. गा.४० अजिर्य जियसलभयं : पद्य गाथा संख्या ३८ थी४७ सुधी मळे छे. :संपणे कागज .........: वि. १६मी ....१६. जयवल्लभ गा.goo मध्यम कागज .: वि. १६मी... ११ :संपणे कागज (१०.५४४.७) १५२४६ : सवादसुन्दर :श्रेष्ठ :संपर्ण कागज वि.१५५४ श्लोक ३३३ पद्य (१०.५४४.५) शारदा-लक्ष्मी, गांगेय-गुंजा आदि अनेक संवादोनो सड़ग्रह. १५२५२ संपूर्ण कागज दशवैकालिकसूत्र सटीक अपूर्ण .......श्रेष्ट दशवैकालिकसूत्र.. : शय्यम्भवसूरि ...वि. १७मी.....४३ (१०x४.५) प्रा. ग्रं.७०० धम्मो मड़गलमुक्कि संयुक्त प+ग 551 Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति प्रकार समयसुन्दरजी श्रेष्ठ संपूर्ण .. कागज वि. १७२५ (२) (१०x४.५) दशवकालिकसूत्र-टीका १५२५३ धर्मपरीक्षास्वोपज्ञटीकासहित त्रिपाठ धर्मपरीक्षा...... धर्मपरीक्षा-स्वोपज्ञ टीका १५२६१ नन्दिअढछन्दशास्त्र नन्दितायछन्दशास्त्र १५२६९ षष्टिशतप्रकरण यशोविजयजी गणि... यशोविजयजी गणि श्रेष्ठ श्लोक ५५५० पद्य संपूर्ण कागज वि.१६मी गाथा-९४.. (११४४.५)... नन्दिताढ्य... गा.९३ कागज वि.१६मी गाथा-१६१...(१०.७४४.५). संपूर्ण प्रा. संपूर्ण गा.१६० नेमिचन्द्र भण्डारी श्रेष्ठ जिनहर्ष श्रेष्ठ .वि. १६मी.....२२-१(१)=२१..... (११). १५२७० रत्नशेखरी कथा रलशेखरनपतिकथानक १५३०१ भावविषयककथासङ्ग्रह प्रथम पत्र नथी...(2019४४.५). संपूर्ण कागज........... वि. १५मी ..... ..... (१०.५४४.५). श्रेष्ट संपूर्ण कागज वि. १७मी (१३). (१०.५४४.५) श्लोक ५०१ पद्य जिनप्रभसूरि कनक कुशल श्लोक १६५२ पद्य संपूर्ण कागज :वि. १७मी मूल रचना संवत १५०७ लखेल छे...(१०.२४४.५). उदयधमे गा.१२४ पद्य १५३०६ चतुर्विशतिजिनस्तुतिसटीक चतुर्विंशतिजिनस्तुति चतुर्विंशतिजिनस्तुति-टीका १५३१०: वाक्यप्रकाशौक्तिकसटीक वाक्यप्रकाशऔक्तिक वाक्यप्रकाशऔक्तिक-टीका १५३१८ तपोटमतकटनशतक तपोटमतकुटनशत १५३३२ देवाःप्रभोस्तोत्र सावरिपञ्चपाठ देवाप्रभोस्तोत्र देवाप्रभोस्तोत्र-अवचूरि १५३६० पार्श्वनाथस्तव हर्षकुलगणि :वि. १५og कागज वि.१६मी (१०.५४४.५) श्लोक ११० नलठितशठकमत श्रेष्ठ जिनप्रभसूरि श्रेष्ठ जयानन्दसूरि कागज । वि. १६१६. :/१०x४.२ का.९ पद्य गया मध्यम (१०x४.५. संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण कागज. ...........वि. १७मी गा.२० कागज वि. १७मी पद्य | १५३६१ महावीरस्तव श्रेष्ठ (१०x४.२) गा.२१ पद्य (१५३७७ आचारागसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ श्रेष्ठ संपूर्ण .. :कागज वि. १५८४. ८९ (६०) (१०.५४४.५) 552 Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक १५३९७ प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम आचाराङ्गसूत्र आचारागसूत्र - अवचूरि कथासङग्रह १५४१९ भगवती सूत्र बीजक भगवती सूत्र - बीजक १५४२९ समवायाङ्गसूत्रवृत्ति समवायागसूत्र-वृत्ति १५५०२ षोडशकप्रकरण (पे.१) (पे. २) षोडशकप्रकरण-वृत्ति १५५३५ : चैत्यवन्दनस्तोत्रद्वय (पे. १) चैत्यवन्दनस्तोत्र (पे. २) चैत्यवन्दनस्तोत्र १५६०३ | ब्रह्मचर्यदशसमाधिस्थानकुलक ब्रह्मचर्यदशसमाधिस्थानकुलक १५६१७ आत्मप्रतिबोध १५७१५ महावीरचरित्रस्तुति महावीरस्वामिचरित्र १५७१६ अष्टादशजिनस्तोत्रसावचूरि अस्मद्गर्भित अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् स्थिति कर्ता सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ अभयदेवसूरि श्रेष्ठ हरिभद्रसूरि यशोभद्रसूरि श्रेष्ठ श्रेष्ठ पार्श्वचन्द्र श्रेष्ठ नयनसुन्दरवाचक मध्यम जिनवल्लभ श्रेष्ठ सोमसुन्दरसूरि पूर्णता भाषा प्रा. सं. संपूर्ण संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण प्रा. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र आदिवाक्य प्रत प्रकार रचना वर्ष सं. परिमाण ग्रं. २६४४ कागज कागज कागज ग्रं. ३५७५ कागज श्लोक २९६ ग्रं. १५०० कागज श्लोक १० श्लोक २४ कागज गा. ४२ कागज गा. ८२ कागज गा. ४४ कागज वि. १७मी वि. १७६२ वि.१७मी वि. ११२० वि. १ ८मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १७मी वि. १६मी 553 सूर्य मे आउ तेणं इह हि रागद्वेषमोहा १८ १८ ८३ वर्द्धमानमानम्य सम २२ Oc 3 ५ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार संयुक्त प+ग गद्य ४ (९) गद्य (६) पद्य (3) दुरियरयसमीरं मोहपक पद्य (4) गद्य (३५). पद्य गद्य (4) पद्य पद्य (8) : पद्य पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( १०.२४४.२) ग्रं. ४९०. संवत- नेत्ररसमुनिशशिवर्षे. शारदाबेन चिमनभाई रिसर्च इंस्टिट्यूट से प्रकाशित सूचिपत्र में भाषा प्राकृत का उल्लेख है... ( १०.२४४.५) शारदाबेन चिमनभाई रिसर्च सेंटर-अहमदाबाद से प्रकाशित सूचिपत्र में भाषा प्राकृत का उल्लेख है परंतु प्रत में भाषा संस्कृत है. ग्रन्थाग्र- ३७७५ प्रति शुद्ध करेल छे. झेरोक्स लीस्ट मां नथी., (१०.५४४.५) ( १०.२४४.७ ) (पे.पू. १-१६) (पे.पू. १६-२२) (९.५४४.२) (पे.पू. ४) (पे. पृ. ४) (१०,२४४.५) (१०४४.५) ( १०.२४४.५) ( १०.२४४.५) Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य गद्य रूपगर्भित अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूपगर्मित-अवचूरि १५७२१, उपशमकुलक कागज .....वि. १६मी (१०:२४४.५) गा. १० अपनं संपूर्ण कागज वि. १८मी :/१०.५४४.५ १५७२३ पडिलेहणाकुलक सस्तबक पडिलेहणाकुलक पडिलेहणाकुलक-स्तबक १५७८६ चतुर्विशतिजिनस्तुति श्रेष्ठ विजयविमल गणि वानर्षि गा.३४ मारुगूर्जर संपूर्ण मध्यम कागज ! वि.१०मी (९.५४४.२) धर्मघोषसरि जय वृषभजिनाभिष्ट्रयसे संपूर्ण वि.१६मी. .(१३) पद्य १५८०९ सिद्धदण्डिकाविचारआदि... (4.9) सिद्धदण्डिकाविचार (ये.२) भगवतीसूत्रनी टीकानो हिस्सो पुद्गलषद्विशिका-अवचूरि (ये.३) वनस्पतिसप्ततिकाप्रकरण (१०.५४४.५ (पे.पू. १-२) (प.पृ. २३) गद्य (पे.पृ. ३-४) अवचरि गद्य (पे.४) भयस्थितिस्तव-अवचूरि (पे.५) निगोददिबशिका-टीका ... (पे.६) अल्पबहुत्व-अवचूरि ... (पे.) कायस्थितिप्रकरण-अवचूरि. (पे.८) भाष्यत्रय-अवचूरि मगल्यस्तोत्र /पे ) गद्य गद्य (पे...३::. (पे.पू.५६) (पे.पू.६-२) प.पू.५-2. (पे.पू. ८-१२). (१०.५४४.५. (प.पू.१-22. (प.पू. २२). श्रेष्ठ धर्मसरि श्लोक १४ गा.८ पद्य (पे.२) सदभक्त्यास्तोत्र (पे.३) चत्तारिअठ्ठदसदोयसूत्र-वृत्ति देवेन्द्रसूरि श्रेष्ठ कागज वि. १६मी. कर्ता देवेन्द्रसूरिथी अन्य..(१०.५४४). प्रत्याख्यानभाष्य गा.५७ पथ :१५८२४ : पाशाकेवली १०मी (१०.२४४.५ श्रेष्ठ गर्गर्षि पासाकेवली Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा । कागज वि. १८मी...३... श्रेष्ठ :विनयदेवसूरि विनयदेवसूरि श्रेष्ठ संपूर्ण मारुगूजेर :गा. ९२ मारुगूर्जर... गा.३१ संपूर्ण कागज (१०.५४४.२) (पे.पू. १-२) (पे.पू. २:32.. (१०.२४४.५) 05 वि. १६मी (प.प्र. 9A-9B) मन्नह जिणाण आणमिच्छं: पद्य :मारुगजर i(प.प्र.२B) १६११६ : प्रथमआश्रवद्वारकुलक आदि (पे.१) प्रथमआश्रवद्वार कुलक (पे.२) बाणुजिननामस्तवन .... १६१४० श्रावकदिनकृत्यकुलक सह टवार्थ व महावीरस्तुति (पे.१) आवकदिनकृत्यकुलक मन्नहजिणाणं सज्झाय मन्नहजिणाणं सज्झाय-टबार्थ (पे.२) वीरजिनस्तुति महावीरस्तुति... १६१६० द्वादशार नयचक्र की न्यायागमानुसारिणी टीका द्वादशार नयचक्र-न्यायागमानुसारिणी टीका : सामुद्रिकशास्त्रसस्तबक सामुद्रिकशास्त्र सामुद्रिकशास्त्र-स्तबक १६१६८ । सामुद्रिकशास्त्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज । वि. १७१४ ४७५ (३१६) अन्त के कुछ पत्र नहीं है..(१०.५४४.७) सिहसूरि क्षमाश्रमण गं. १८००० जयति नयचक्रनिजित गद्य श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि. १७९१ . २८ (२८ श्लोक १८ मारुगुर्जर श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१७मी : (१०.२४४.५) श्लोक १८ १६१७८: देववन्दनादिभाष्य गद्य अवचूरि :श्रेष्ट संपूर्ण कागज :वि.१६मी : देवेन्द्रसूरिथी अन्य. कर्ता छे..(१०x४.५) पञ्चपाठ । देवेन्द्रसूरि कृतथी अन्य. (गद्य?) संपूर्ण :वि. १४७६ (१०.५४४.५) देववन्दनादिभाष्य देववन्दनादिभाष्य-अवचूरि चतुर्विशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ. (पे.१) चतुर्विशतिजिनस्तुति सह अवचरि चतुर्विंशतिजिनस्तुति चतुर्विशतिजिनस्तुति-अवचूरि ...... (प.पृ. १-३) नमेन्द्रमौलिगलितो 555 Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार (पे. पृ. ३-६).... : समन्तभद्र : स्वयम्भुवा भूतहितेन (पे.२) स्वयम्भुस्तोत्र सह अवचुरि स्वयम्भूस्तोत्र स्वयम्भूस्तोत्र-अवचूरि (पे.३) नवतत्त्वप्रकरण | DEEP गा.२१ पद्य (पे.पृ.६) पे.वि. : गाथा-२७. अति सूक्ष्माक्षरी प्रति. :गा.५० :सिद्ध सिद्धत्थसूय. संपूर्ण कागजवि . १६मी (ये.पृ.६) पे.वि. : अपूर्ण गाथा ४ तक है. (१०.५४४.५) :(पे. पृ. अ-२अ) पे.वि. : सचित्र षट्चक्र. श्लोक २८ मानवा जिनवर त्वयि हे मानगजसिंह पूजोत्क पद्य पद्य (पे. . अ) श्लोक ५ श्रीनाभिजात समत. पद्य (मे.४) सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण.. देवेन्द्रसूरि १८५ जिनस्तोत्रद्वय सावचूरि पञ्चपाठ श्रेष्ठ (ये.) यमकमय सर्वजिनस्तोत्र सह अवचूरि सर्वजिनस्तोत्र-आदिमध्यान्त यमकमय हर्षवर्द्धन गणि सर्वजिनस्तोत्र-आदिमध्यान्त यमकमयअवचूरि (प.२) सर्वजिनस्तोत्र सह अवचरि.. सर्वजिनस्तोत्र सर्वजिनस्तोत्र-अवचूरि कल्पकिरणावलिसटीक त्रिपाठ श्रेष्ठ कल्पसूत्र भद्रबाहस्वामी कल्पसूत्र-किरणावलीटीका धर्मसागर १६३५४. चिन्तामणि प्रथम परिच्छेद ... तत्वचिन्तामणी गड़गेश्वर मिश्र । १६३५५ चिन्तामणि द्वितीय परिच्छेद तत्त्वचिन्तामणी गड़गेश्वर मिश्र १६३६१ शान्तिनाथचरित्र श्रेष्ठ श्रीऋषभपक्षे हे श्री कागज वि.१६९० :२१३ पद्य (9४४) संयुक्त प+ग (१०.२४४.५) प्रा. ग्रं. १२८० नमो अरिहन्तार्ण... ' :गद्य वि. १६२८ ....... वि. १७०४ प्रतिपूर्ण कागज (१०.२४४.५) ' गं.२८११ श्रेष्ठ प्रतिपूर्ण कागज वि. १७०४ ६७ । (१०.२४४.५) :ग्रं.२८११ संपूर्ण कागज वि. १६६३ १८१ (१२२) पत्र १२४मुं डबल छे.तथा पत्र१३०मुं नथी.. ६.(१०.५४४.५) अजितप्रभसूरि वि. १३०७ अयोरलाकरोद्भूता पद्य अध्याय ६प्रस्त श्लोक १६३३.. कागज गा. ११६३ग्रं. वि. १५०६ (६१) १६४०५ ओघनियुक्ति दीपिकाटीका सह ओघनियुक्ति (१०.५४४.५) गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहुस्वामी दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य १४३२ 556 Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा कति प्रकार श्लोक ५८०० पद्य ओघनियुक्ति-दीपिकाटीका.... १६४१३ : विचाररत्नाकरसवीजक माणिक्यशेखरसूरि श्रेष्ठ सं. संपूर्ण कागज :वि. १६९० :२३३ उपा.विनयविजयजीए स्वहस्ते लिखितप्रति प्रथमादर्श., (१०.२४४.५) विचाररत्नाकर कीर्तिविजयगणि संपण कागज (१०.५४४.५) विचाररत्नाकर-बीजक चन्द्रलेखाकथा आदि (पे.१) चन्द्रलेखाकथा .12.22. मृगसुन्दरीकथा (पे.३) रणशूरकथा स्वप्नचिन्तामणि श्लोक १४७ DEEEEEEE (प.पू. १-२) (प.पू. २-३2. (पे.पू. ३-५)... (१०.२४४.५) (पे.पू. १-९. (प.पू.९-१०) (१०.५४४.२) (4.22. जगदेव लोक३१३ श्लोक ४२ कागज श्रेष्ठ (पे.२) स्वप्नाध्याय १६४८७: वनस्पतिसप्ततिका वनस्पतिसप्ततिकाप्रकरण १६५०६: योगविधि संपूर्ण मनिचन्द्रसरि श्रेष्ठ कागज (१०.२४४.५), संपूर्ण प्रा.,सं. श्रेष्ठ संपूर्ण कागज :वि ........... प्रा.,सं. १६५०७. उपधानविधिआदि उपधानविधि-आदि सार्धशतकप्रकरण सटीक सूक्ष्माथेविचारसारप्रकरण संपूर्ण कागज मध्यम जिनवल्लभ (१०.५४४.५) गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे गा.१६४ सयलन्तरायवीरं वन्दिय सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-वृत्ति ग्रं.३७०० वि. ११७१ चक्रेश्वरसूरि, धनेश्वरसूरि मध्यम सूचीपत्रोमां बन्ने कर्ताओना नामवाली, समान रचनासंबतवाली स्वतन्त्र प्रतो मळे छे. (१०४४.५) :१६५४२ प्रबोधचिन्तामणि : सपूर्ण कागज वि. १७३० :जयशेखरसरि श्लोक १९७६ 1:१६५५९. अष्टोत्तरीस्नात्रविधि :संपण कागज (QoX४.२ प्रा..सं श्रेष्ठ संपूर्ण कागज 3) :(१०.२४४.५) १६६२३ : तत्त्वार्थसूत्र स्वोपज्ञभाष्य सह . तत्त्वार्थाधिगमसूत्र उमास्वाति अध्याय १० सम्यग्दर्शनज्ञानचारि 557 Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम EE क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य सम्यग्दर्शनशुद्धं कृति प्रकार गद्य (२६). संपूर्ण कागज :३७ (१०.५४४.५). श्लोक १३५१ पच गद्य तत्वार्थाधिगमसूत्र-भाष्य उमास्वाति १६६३० । अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक टिप्पणी सह श्रेष्ठ अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक... : कालिदास अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक-टिप्पणी ..अज्ञात शीलोपदेशमाला प्रकरण श्रेष्ठ शीलोपदेशमाला जयकीर्तिसूरि १६६५७: विवेकमञ्जरी प्रकरण श्रेष्ठ विवेकमजरीप्रकरण आसड १६६७० शशधरप्रकरण. श्रेष्ठ शशधर शर्मा संपूर्ण कागज (6) (१०.५४४.५). गा.११६ आबाल चम्भयारिनेमि कागज वि.१५८९ संपूर्ण प्रा. रचना संवत-१२७८., (१०.२४४.५). गा.१४४ वि. १२८८ सत्थवा पद्य संपूर्ण :कागज वि. १५४१.. (२१) (१०.५४४.५. पद्य :१६७२५ : ध्यानस्वरुप श्रेष्ठ कागज (१०.२४४.२) गा. ३०० ग्रं. २७५. वि. १६९६.... भावविजयजी जीर्ण सुधर्मास्वामी संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण प्रा. संपूर्ण ध्यानस्वरूपनिरूपणप्रबन्ध १६७३४ औपपातिकोपागसूत्र अपूर्ण औपपातिकोपाङ्गसूत्र १६७३६ औपपातिकोपागसूत्र . कागज (१०.५४४.२) तेणं कालेणं तेणं ग्रं. ११६७ कागज श्रेष्ठ .... वि. १५८५.... ३४ तेणं कालेणं तेणं । (२४)........... .(१०.५४४.२. .................. गं. ११६७ कागज ८३ (५४) .............: ग्रन्थान-४३००..(१०.२-१२४४.२) सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी अभयदेवसूरि मध्यम गं. ११६७ तेणं कालेणं तेणंश्रीवर्तमानमानम्य ग्र.४300 कागज (५६)..... (१०.५४४.५) ग्रं. ११६७ १६७३७ औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ औपपातिकोपाड़गसूत्र औपपातिकोपागसूत्र-टीका १६७३८ औपपातिकोपाग सटीक पञ्चपाठ औपपातिकोपाडगसूत्र औपपातिकोपागसूत्र-टीका . तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्य-वृत्ति तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-स्वोपज्ञभाष्य नी। टीका १६७७२ वीतरागस्तोत्र सावरि पञ्चपाठ. वीतरागस्तोत्र ग्र.४300 सुधर्मास्वामी अभयदेवसूरि श्रेष्ठ सिद्धसेन तेणं कालेणं तेणं श्रीवर्द्धमानमानम्य २८२ वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ कागज वि. १६५४ गद्य (१९०)... गद्य चित्र पृष्ठिका सह, (१०.५४४.५) ... वृत्ति भाष्य उपर पण छे. ग्रं.२२२८२ श्रेष्ठ कागज (७)... मूल ग्रन्थान-१८६...१९:२४४:५).. प्रकाश-२०. हेमचन्द्रसूरि अध्याय २० ग्रं. यः परात्मा परज्योत पद्य १८७ 558 Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम वीतरागस्तोत्र- अवचूरि १६७७३ वीतरागस्तोत्र सावचूरि वीतरागस्तोत्र वीतरागस्तोत्र - अवचूरि १६७९४ प्रशस्तपादभाष्य- द्रव्यपदार्थ, न्यायावतारादि सङ्ग्रह (पे. १) प्रशस्तपादवैशेषिकभाष्येद्रव्यपदार्थ वैशेषिकदर्शन-पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका (पे. २) न्यायावतारसूत्र (पे.३) विषमपादपञ्जिका (पे.४) उपाधिप्रकरण १६८९४ सन्मतितर्कप्रकरणतत्वबोधविधायिनी १७१०० टीका सह सन्मतितर्कप्रकरण सन्मतितर्कप्रकरण तत्वबोधविधायिनीवृत्ति १७०८२ गजाष्टकादिसप्तदशाष्टक १७०८७ चतुर्विंशतिजिनस्तुति (पे. १) चतुर्विंशतिजिनस्तव (पे. २) महावीर जिनस्तुति समयसार प्रकरण समयसारप्रकरण १७१२५ जिनशतक सावचूरि पञ्चपाठ स्थिति कर्ता प्रभानन्दसूरि श्रेष्ठ हेमचन्द्रसूरि विशालराजशिष्य श्रेष्ठ प्रशस्तपादाचार्य सिद्धसेन दिवाकर सुरि चिनभट्ट उदयनाचार्य श्रेष्ठ सिद्धसेन दिवाकर सुरि अभयदेवसूरि श्रेष्ठ श्रेष्ठ जयकीर्त्ति-शिष्य जयकेसरसूरि श्रेष्ठ देवानन्दसूरि श्रेष्ठ पूर्णता भाषा सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. सं. सं. सं. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र आदिवाक्य प्रत प्रकार रचना वर्ष परिमाण ग्रं. ६२५ कागज अध्याय २० ग्रं. १८७ ग्रं. ६२५ कागज श्लोक ७७७ श्लोक ३२ कागज ग्रं. २५००० कागज कागज अध्याय २४स्तब श्लोक १७ कागज कागज वि. १५२२ वि. १५१२. वि. १७३४ वि. १७५४ वि. १५०३. वि. १४६९ 559 यः किल परात्मा स... ७ यः परात्मा परज्योत जयति श्रीजिनो वीरः १४ प्रणम्य हेतुमीश्वरं प्रमाणं स्वपराभासि विघ्नान्धकार भास्वन् उपाधिस्तु साधनाव्याप ५०४ सिद्ध सिद्धट्ठाणं ६ ४ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी ६ झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार गद्य (८) परा गद्य (90) पद्य पद्य गद्य पद्य गद्य १५ (१६) कल्याणकोटि समसेवित पद्य श्रीवीतरागसमयेस्तदीय पद्य (७) पद्य (७) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष ( १०.२४४.५) लेखन स्थल अणहिल्लपुरपत्तन प्रकाश २०. (पे. पृ. १५) (पे.पू. ५-६) (पे. पृ. ६-९) (कृ.वि. कर्ता-जालपिदि भट्टाचार्यशिष्य - विष्णु ? 1. (पे.पू. ९-१४) पत्र १८५-१८६, २६१, ४७९ डबल छे., (९.७४४.५) ( १०.२x४.२) (१०.५४४.५) (पे.पू. १-१५) (पे.पू. १५) दिगंबरीय (१०.५४४.५) ( १०.२४४.५) Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम स्थिति कर्ता क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य जिनशतकमहाकाव्य जम्बू पद्य का. १०० ग्रं. ५०० गद्य जिनशतकमहाकाव्य-अवचूरि १८०: नवकारबालावबोध : मध्यम कागज .१०.२४४.५) नवकार-बालावबोध मारुगर्जर संपूर्ण कागज : (१०x४.५) BE: पंचपाठ कागजवि . १४९७ (१०.५४४.५) श्लोक५० संपूर्ण कागज ग्रन्थान-२७५, गाथा-१६३...(१०.२४४-५).. वि. १६९६... वि. १६९६ ... मारुगजर ! गा. ३०० ग्रं. २७५ कागज संपूर्ण (१०x४.५) प्रा.,सं.,अपभ्रं. का. ३० प्राकृत आदि छ भाषाओ. लब्धिस्तोत्र सावचूरि श्रेष्ठ लब्धिस्तोत्र लब्धिस्तोत्र-अवचूरि एकाक्षरनाममाला एकाक्षरीनाममाला सुधाकलश १७३१९ ध्यानस्वरूपरास श्रेष्ठ ध्यानस्वरूपनिरूपणप्रबन्ध भावविजयजी षड्भाषागर्भित-ऋषभ, शान्ति, नेमि, श्रेष्ठ पार्च, महावीर पञ्चक स्तोत्र टिप्पणी सह आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनपञ्चक षड़भाषामय स्तवनपञ्चक आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर पञ्चक स्तोत्र टिप्पणी १७५३८ अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ छन्द अन्तरीक्ष पार्श्वनाथ छन्द भावविजयजी १७६८९ ज्ञानसार बालावबोध सह श्रेष्ठ ज्ञानसार अष्टक यशोविजयजी गणि ज्ञानसार अष्टक-बालावबोधार्थ 1 १७७१७ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति-वन्दारुवृत्ति । श्रावकषडावश्यकसूत्र-वन्दारु वृत्ति देवेन्द्रसूरि | १७९५८ उपदेश कुलक सस्तबक आदि ......जीर्ण संपूर्ण :कागज वि.१1०७५ (१०x४.५) :गा. ५१ पद्य मारुगुर्जर संपूर्ण कागज (४३) (९.२४४.२) ३२ अष्टक.. अध्याय ३२ ऐन्द्रश्रीसुखमग्नेन मारुगुर्जर संपूर्ण मध्यम कागज वि.१८५० : १०४ (११X४.७) गं. go :वृन्दारुवन्दारक मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर? :(११४५) कागज वि. १९मी.८ 560 Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता पि. पृ.१-४) (पे. पृ.४-५) (पे.१) उपदेश कुलक सह (मा.ग. स्तबक उपदेश कुलक उपदेश कुलक-टबार्थ (पे.२) नियाण कुलक सह (मा.ग.)स्तबक नियाण कुलक नियाण कुलक-स्तबक (पे.३) सज्जनचित्तवल्लभ सह (मा.गु.)स्तबक सज्जनचित्तवल्लभ सज्जनचित्तवल्लभ-स्तबक दान शील तप भावना स्वाध्याय सस्तवक मारुगर्जर (प.पृ.५-८) : मल्लिषेणाचार्य मारुगूजेर संपूर्ण १८१३६ : मध्यम कागज :वि. १७मी :(१०.२४४.२) :दान शील तप भावना स्वाध्याय :अशोकमान गा.४७ देवाहिदेवं नमिरुण मारुगर्जर मध्यम संपूर्ण कागज (१०.५४४.५) मारुगर्जर श्रेष्ठ संपूर्ण कागज.......... वि. १९४४.३७ (१०.७X५.२ दान शील तप भावना स्वाध्याय-स्तबक १८१८१ : संवरकुलक सस्तबक संवरकुलक संवरकुलक-स्तबक १८२२४ : आप्तमीमांसा सटीक आप्तमीमांसा आप्तमीमांसा-टीका १८७०५ दर्शनकुलक सावचूरि पञ्चपाठ अपूर्ण दर्शनकुलक दर्शनकुलक-अवचूरि १८७८९ कातन्त्रव्याकरण वृत्ति वसुनन्दी (दिगम्बर) श्रेष्ठ प वि.१७मी मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५०५ पत्र ११मुं.२७मुं.३४, डबल छे. पत्र ३८मुं.३९मुं तथा ४७मुं तथा ६२थी ७१ पत्र नथी., (११४४.५) देवदेवं प्रणम्यादी कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवत्ति १९५०७ : देववन्दनादि भाष्यत्रयावचूरि जीर्ण कागज १० .............(१०.५४४.५). वि. १६मी 561 Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य सं. गद्य देववन्दनादिभाष्य-अवचूरि २०६३८: शान्तिनाथचरित्र श्रेष्ठ शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध ............ मुनिदेवसुरि........ संपूर्ण कागज (५५). .... : मुद्रित सूचीपत्रमा विगत नथी. श्लोक ५०५५........वि. १३२२.... वेश्मरत्ननिशारत्ननभो.... पद्य ... पद्य ................ विशिष्ट रचना प्रशस्ति.. 562 Page #580 --------------------------------------------------------------------------