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ग्रंथांक
स्थिति
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
पूर्णता भाषा
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कृति प्रकार पद्य
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
भगवतीसूत्र-चूर्णी भगवतीसूत्र अवचूर्णि
श्लोक ३००० कागज
६५३२
मध्यम
संपूर्ण
वि. १५मी
(५०)
(१२.७४४.७)
१५५-१०६(१थी १०६)=४९.
ग्र.3000
श्रेष्ठ
कागज
..........वि. १४९५.... १३३...
.(१३४)..
१२.७४४.00
संपूर्ण प्रा.,सं. संपूर्ण
गं.८300
: मळगलादीणि सत्थाणि
गद्य
श्रेष्ठ
कागज
वि. १४९४
१६३
(१६३.. ...........। (१२.७४४.७)
..........
भगवतीसूत्र-अवचूर्णि ६५३३. आचाराङग सूत्र चूर्णि
आचाराङ्गसूत्र-चूर्णी | ६५३४ सत्रकताका
। सूत्रकृन्ताङ्ग सूत्र चूर्णि
सूत्रकृताङगसूत्र-चूर्णी ६५३५ । अनुयोगद्वारसूत्रटीका
अनुयोगद्वारसूत्र-वृत्ति ६५३६ अनुयोगद्वारसूत्र चूर्णि
अनुयोगद्वारसूत्र-चूर्णी
:प्रा..सं.
श्लोक २५००
णमोअरहन्ताण.
कागज
वि.१४९४
xx
(१४५)
(१२.७X४.७
संपूर्ण हेमचन्द्रसरि मलघारी : सं
गं.५८८८
सम्यक्सरेन्द्रकत
रचना स्थल धवलक्ककनगर
संपूर्ण
कागज
(२७)
(१२.७X४.७)
.वि. १४९५.....२६ वि.मी किञ्चि पञ्चविहायार
जिनदास गणि
ग्र.२२६८
गद्य
६५३७
मध्यम
:वि. १४९४
व्यवहारसूत्रचूर्णि व्यवहारसूत्र-चूर्णी
संपूर्ण प्रा.
१५८ उक्तः कल्पः अधुना
(१५७) गद्य
ग्रन्थान-१०,३६०., (१२.७४४.७) परिमाण-उद्देशक-१०.
अध्याय १० ग्रं. १२०००
श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागज
वि.१४९३
१२१
(१२७)
। (१२.७४४.७)
मलयगिरिसूरि
ग्र.९१२५
यथास्थितं जगत्सर्व
गद्य
६५३८.. । सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रवृत्ति
सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-वृत्ति दशवैकालिकसूत्रबृत्ति दशवैकालिकसूत्र-बृहद्वृत्ति
मध्यम
संपूर्ण
कागज
वि. १४१
९१
ग्रं.७५५०.......
हरिभद्रसरि जीर्ण
जयति विजितान्यतेजाः ! १४
निशीथसूत्र
संपूर्ण
कागज
वि.१५मी
(99४)
भद्रबाहस्वामी
गा.८१२
जे भिक्खू हत्थकम्म
(१२.७४४.७) :वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे. पत्र ३२,३३ भेगा छे...(१२.७४४.७) (प.प्र. १-१४) (प.पू. १४-१४६).. पत्र ३२-३३ भेगां अने ६४,७४९ तेमज ७८मुं डबल छे..(१२.७४४.७) (पे.पृ. १-४५६)
(पे.२) निशीथसूत्र-लघुभाष्य निशीथसूत्र चूर्णि
मध्यम
संपूर्ण
कागज
वि. १४८५
(४७४)
(पे.१) निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि
जिनदास गणि
णमिऊण रहन्तार्ण सिद्ध
: पद्य
:क्षमाश्रमण
श्लोक २८००० ग्रं. १७८८४ श्लोक ११००
श्रीचन्द्रसुरि
वि. ११७४
प्रणम्य वीर सुरवन्द
पद्य
(पे.२) निशीथसूत्र-विशेषचूर्णीनी विंशोद्देशकव्याख्या
(पे.पृ. ४५६-४७२)
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