________________
ग्रंथांक
स्थिति
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
पूर्णता भाषा
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी-
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
२१९
: मध्यम
अपूर्ण
कागज
५७
कृति प्रकार (५८) गद्य
। (९.७४४.२)
ग्रं.४३००
श्रीवर्दमानमानम्य
अभयदेवसूरि जीर्ण अभयदेवसूरि
संपूर्ण
कागज
(९९) गद्य
ग्रन्थान-३१२५...१०.२४४.२..
गं.४300
श्रीवर्द्धमानमानम्य
मध्यम
संपूर्ण
कागज
। (५६)
ग्र.२०७२
नमो अरिहन्ताणं नमो
औपपातिकउपागसूत्रवृत्ति
औपपातिकोपाङ्गसूत्र-टीका .. १२२२.... औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति ..
औपपातिकोपाङ्गसूत्र-टीका .. २२७ राजप्रश्नीयसूत्र
राजप्रश्नीयोपागसूत्र राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्रवृत्ति राजप्रश्नीयोपाड़गसूत्र-वृत्ति कल्पबृहद्भाष्य बृहत् कल्पसूत्र-बृहद्भाष्य यतिजीतकल्पसूत्र सह वृत्ति यतिजीतकल्पसूत्र नव्य
(१०.२४४.२) अष्टभाषामय,पंचपाठ ग्रन्थान-३७५०. प्रति सांधेली छे.. (१०.२४४.२)
मध्यम
संपूर्ण
कागज
(७६)
मलयगिरिसूरि
ग्र.3900
प्रणमत वीरजिनेश्वर
गद्य
जीर्ण
अपूर्ण
कागज
.(१४१)..
:(१०.२४४.२)
पद्य
जीण
कागज
१५७
(१०६) पद्य
सोमसूरि
गा.333
कयपवयणप्पणामो बुच्छं
(१०.२४४.२) जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी.
यतिजीतकल्पसूत्र नव्य-वृत्ति
साधुरलसूरि
श्लोक १७००
वि. १४५६
जयति महोदयशाली भास्व
(१०.२४४.५)
प्रा.
पद्य
: संपूर्ण
(२८)
श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि-त्रुटक जीर्ण आवकप्रतिक्रमणसूत्र आवकप्रतिक्रमणसत्र-चूर्णि
.....विजयसिंहसूरि श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र चूर्णि सहित मध्यम आवकप्रतिक्रमणसूत्र आवकप्रतिक्रमणसूत्र-चूर्णि
विजयसिंहसरि ओघनियुक्ति अवचूरि ओघनियुक्ति-अवचुरि
जानसागरसरि दशवैकालिकसूत्र अवचूरि
अष्ट दशवैकालिकसूत्र-अवचुरि चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णक सह :जीर्ण बीजक (पे.१) चतुःशरणप्रकीर्णक
कागज गा.५०
वन्दित्तु सब्बसिद्धे श्लोक ४५९०.. वि. ११८३.... सिद्ध सिद्धत्थसुर्य कागज
वि. १५९४ ४१ गा.५०
वन्दित्तु सव्वसिद्धे श्लोक ४५९० : वि.११८३ . ......... ..........
सिद्ध सिद्धत्थसूर्य कागज
वि. १५०५ : ५४.. :वि. १४३९ प्रकान्तोयमावश्यकानु
प्रा.
संपूर्ण
(३८)
संपूर्ण
गद्य (२२)..
शाके १३७०मां लखेली प्रति..(१०.२४४.२) द्रोणाचार्यवृत्यानुसारिणी. (१०.२४४.२). सुमतिटीकानुसारिणी. (१०.२४४.५)
गद्य
संपूर्ण
वि. १५३८
२५९
(१७४)
पद्य
सावज्जजोगविरई । उक्कित
(पे.पृ. १-४) [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी :मळे छे.]