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(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
स्थिति
प्रत प्रकार
प्रतिलेखन वर्ष: पत्र
ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी-
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
परिमाण
रचना वर्ष
आदिवाक्य
कति प्रकार
प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी.
यतिजीतकल्पसूत्र नव्य-वृत्ति
साधुरत्नसूरि
श्लोक ५७००वि . १४५६
जयति महोदयशाली
पद्य
भास्व
१००६२ श्राद्धजीतकल्पसूत्र
मध्यम
कागज
वि. १५७
(५)
गाथा-१४२...(१३.५४५.२)...
धर्मघोषसरि
गा.१३७
:कयपवयणप्पणामो...
पद्य
मध्यम
संपूर्ण
कागज
वि. १५७३
1(४०)
। (१३.५४५.२). ..................
१००६३ श्राद्धजीतकल्पसूत्र वृत्ति
श्राद्धजीतकल्पसूत्र-वृत्ति १००६४ : आवश्यकसूत्रनियुक्ति
सोमतिलकसूरि
गं.२६४७
गद्य
श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागज
वि. १६मी
प्रथम क्र.९९९०ना टिप्पण जेवू चित्र छे., (१३:५४५:२). आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे.
A
आवश्यकसूत्र-नियुक्ति
भद्रबाहुस्वामी
पद्य
गा.२५०० ग्रं. ३१००
मध्यम
संपूर्ण
कागज
वि.१५७४
१००६५ आवश्यकसूत्रचूर्णि
आवश्यकसूत्र-चूर्णी
जयइ जगजीवजोणी वियाणओ २६१ काऊण नमोक्कार तिथयर ३७०
। (२६२).
(१३.५४५.२) नियुक्ति ऊपर पण.
प्रा.
ग्रं. १८०००
जिनदास गणि क्षमाश्रमण
गद्य
श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागज
वि.१६मी
(३७०)
१००६६ आवश्यकसूत्रनियुक्ति-भाष्य
शिष्यहितावृत्तिसह आवश्यकसूत्र-नियुक्ति
ग्रन्थान-२२०००. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं चित्र छे. पत्र २८४म.डबल छे...(१३.५४५२). आनुं अने नंदिसूत्रनु आदिवाक्य समान छे.
भद्रबाहस्वामी
प्रा.
पद्य
गा.२५०० ग्रं. ३१००
जयइ जगजीवजोणी वियाणओं
सं.प्रा.
:प्रणिपत्य जिनवरेन
आवश्यकसूत्र-भाष्य आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति
हरिभद्रसूरि १००६७ : आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्याटिप्पनक: मध्यम
आवश्यकसूत्रना शिष्यहितावृत्तिनुं हेमचन्द्रसूरि मलधारी
प्रदेशव्याख्या टिप्पण | १००६८ ओघनियुक्ति
मध्यम भद्रबाहुस्वामी
संपूर्ण
पद्य गद्य (६१). गद्य
ग्रं.२२००० कागज
...............वि. १६मी ग्रं.४६४०
जगत्त्रयमतिक्रम्य
संपूर्ण
कागज
वि.१६मी
२६
: (२६) दुविहोवक्कमकालो सामा : पद्य
गाथा-१४३२..(१३.५४५.२). गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे.
गा. ११६३ ग्रं. १४35
१००६९
ओघनियुक्ति वृत्तिसह
: मध्यम
संपूर्ण
कागज
वि. १६मी
:१३४
ग्रन्थान-८३८५. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९० ना टिप्पण जेवू चित्र छे..(१३.५४५.२) गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे.
ओघनियुक्ति
भद्रबाहुस्वामी
प्रा.
गा. ११६३ ग्रं.
दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य
436