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ग्रंथांक
स्थिति
प्रित नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
कति प्रकार
१३९
काव्यानुशासन अलङ्कारतिलक टीका सह
(पाताहेस) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र
क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल
डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष अपूर्ण ताडपत्र
१८७
८/१७(५४) (जुनो नं. ६२(०१))आ नाम उपर संघभंडारमा
२६२नं. मां. १८५ पत्र लखेला छे. गा. के.नं. ११२मां १८७ पत्रनो ग्रंथ छे. पण त्यां तेनुं नाम
अलंकार चूडामणि लखेलुं छे..(१२४२) यथा च कर्पूरधूलि...
गद्य
काव्यानुशासनसूत्र-अलङ्कारतिलक टीका
वाग्भट (दिगम्बर).
नागानन्दनाटक
संपूर्ण
ताडपत्र
: वि. १२५८
८/१७(१८)
जुनो नं. ६७(१०)). (१२४१.५) लेखन स्थल : अणहिलपाटक
हर्ष कवि श्रेष्ठ
:प्रा.स.
अपूर्ण
काव्यादर्श काव्यप्रकाश सड़केत
ताडपत्र
२२२-१००(१ थी १००)=१२२८/१७(३०)
(जुनो नं. ६७(०१))उल्लास ४-६ त्रुटित. गायकवाड केटलॉगर्मा पत्र १०१-१७९+२२०-२२२ आप्या छे.. (१६७४२)
काव्यादर्श
पदार्थकुमुदवातसमु....
सोमेश्वर भट्ट :काव्यमीमांसा त्रयोदश अध्याय पर्यन्त, श्रेष्ठ : अपूर्ण
सं. :अपूर्ण
ताडपत्र
८/१७(२२)
राजशेखर
गा.93
गा.२७
(पे.१) काव्यमीमांसा (पे.२) महावीरपञ्चकल्याणकस्तोत्र (पे.३दुःख-सुखविपाककुलक... (ये.४) कुलक (4.4) कन्दजातिकुलक खण्डनटीका परिच्छेद
:(जुनो नं. ५८(१०-१४))गायकवाड केटलॉगमा पत्र
५०+९ आप्या छे. प्रतमां काव्यमीमांसा सिवायनी बीजी कृतिओ नथी. (प.पू. १-५०) पे.वि. : त्रुटित. (पे.पू. १-३) पे.वि. : गाथा-११.. (पे.पू. ३:52.पे.वि....गाथा-२५.. (पे.पू. ६-७) पे.वि. : गाथा-५. (पे.पृ.७-८). (जुनो नं. ५७(०४)१)आदिवाक्यप्रमाणतदाभासनिरूक्त्या द्वैततद्विरोधं परिहत्याधुना..../(२)अन्तवाक्य-इति... चतुर्थ परिच्छेदः..(१३.५४२)......
ओहिन्नाणमुणियतित्थेस पद्य अणवस्यकम्म-जललहरिहीर. पद्य इयमच्छरयभूयं पुन सव्वा य कन्दजाई सूरण.....पथ ४५२-३०३(१ थी ३०३)=१४९ ८/१७(६४)
गा.५
गा.७
१४३
प्रतिपूर्ण
ताडपत्र
..
.
............
१४४
जीर्ण
ताडपत्र
८/१७(२६)
खण्डनखण्डखाद्य-शिष्यहितैषिणीवृत्ति धर्मोत्तरटिप्पनक तृतीय परिच्छेद
प्रतिपूर्ण पर्यन्त न्यायविन्दुनी-टीकार्नु-धर्मोत्तरटिप्पनक... मल्लवादी ..................... ग्रं. १३०० ................
(जुनो नं. ५८(०९))गायकवाड केटलॉगमा पत्र ३८३आप्या छे...(१२४१.७).
प्रणिपत्य जिना [धीशा ...... गद्य
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