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ग्रंथांक
स्थिति
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा
परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
सुधी मळे छे]
आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति (पे.५) आत्मानुशासन
पार्श्वनाग (दिगम्बर): सं.
श्लोक ७७
वि. १०४२
सकलत्रिभुवनतिलक
पद्य
(प.पृ.२५३-२५८) [कृ.वि. : परिमाण आर्या
रूपे आप्यु छे] (प.पृ.२५८-२६२)
देववाचक
प्रा.
गा.५०
जयइ जगजीवजोणी...
(पे.६) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (पे.७) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण
प्रा.
गा.८६
नमिउण सजल जलहर
पद्य
जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण
(पे.८) आतुरप्रत्याख्यान लघु
गा.६०
पे.पू. २६२-२६५) पे.वि. : त्रुटित. [कृ.वि. गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्यक्षेत्रसमासनो संक्षेप छ.] .. (पे.पृ. ३२३-३२५) पे.वि. : त्रुटित. [कृ.वि. : गाथा परिमाणमा ४० थी ९४ सुधीनुं वैविध्य जोवा मळे छे. आनी साथे संकळाएल केटलीक प्रतो वीरभद्र गणि वाला आउर पच्चक्खाणनी अगर 'अरहन्ता मंगलं मज्झ..."आदिवाक्यवाला के पछी 'कुससत्थरे निसन्नो..."वाला आदिवाक्य वाला आउर पच्चक्खाणनी पण होई शके (महावीर जैन विद्यालयथी आ बन्ने छपाया छे)] (पे.पृ. ३२५-३२६) [कृ.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे] (पे..पू.३२८-३२९) पं.वि. : का.१...
(पे.९) चतुःशरणप्रकीर्णक
वीरभद्र
गा.६३
सावज्जजोगविरई उक्कित
पद्य
(पे.१०) पद्मावत्यष्टक. पदमावतीमन्त्रस्तव
लोक १२
गा.२४
श्लोक८
(4.99) पञ्चमी स्तोत्र (पे.१२) धर्मसूरिस्तुति (पे.१३) सर्वजिनकल्याणकस्तोत्र (पे.१४) जीवोपालम्भकुलक (पे.१५) गुरुगुणकुलक. (पे.१६) धर्मोपदेशकुलक (पे.१७) श्रावकधर्मकुलक
श्रीमदगीर्वाणचक्र विगयमयमयणमुणिवइपणिवइ जय तियणसूरिमण्डण पुरन्दरपुरस्पर्धि धम्मोवएसजुतं गुरुवियणविहुरेण वि जम्मजरामरणजले नाणा निसाविरामे परिभावयाम
गा.२५
(पे.पू. ३२९)........ (पे.पू. ३२.३३१... (पे.पू. ३३१-३३२). (पे.पू. ३३२-३३३)... (पे.पू. ३३३.३३४.... (प.पू. ३३४-३३५). (पे.पू. ३३५-३३७).
गा.२४
गा.२२
:पद्य
गा.२१