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ग्रंथांक
स्थिति
पूर्णता
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कृति प्रकार गद्य
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
भाषा
हेमचन्द्रसूरि
ग्रं.३०००
छन्दोनुशासन-छन्दश्चूडामणिवृत्ति छन्दोनुशासन-टिप्पण आचाराङ्गसूत्र
गद्य
सं. संपूर्ण
९९८६
जीर्ण
कागज
वि. १६मी
४८
(४८)
ग्रन्थान-२५५४. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे..(१३.५४५.२)
सुधर्मास्वामी
संयक्त पग
:जीर्ण
: संपूर्ण
:(१३.५४५.२)
भद्रबाहस्वामी
ग्रं.२६४४. :कागज
:वि.१६मी गा.३६५ ग्रं. ४७०
.वि. १५७४.
पद्य
कागज
६९९८७ आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति
आचारागसूत्र-नियुक्ति आचारागसूत्र चूर्णि आचाराङ्गसूत्र-चूर्णी आचाराङ्गसूत्र वृत्ति आचारागसूत्र-वृत्ति
(१५)
सुयं मे आउसं तेणं... ७ वन्दित्तु सब्वसिद्धे ११४ मङगलादीणि सत्थाणि २१९ जयति समस्तवस्तु
संपूर्ण प्रा..सं. संपूर्ण
....(१३.५४५:२..
ग्र.८300
कागज
(२२०)
वि. १६मी :शक. ७९८
शीलाड़काचार्य
ग्रं. १२०००
गद्य
९९९०
सूत्रकृताङ्गसूत्र आदि
मध्यम
संपूर्ण
कागज
वि.१६मी
:(१३.५४५.२) प्रथमश्रुतस्कन्ध टीका ग्रन्थान-९६६१. बाहरी साधु सहायेन कृता टीका. प्रथम पत्रमा आचार्य व्याख्यान आपे छे अने चतुर्विध संघ श्रवण करे छे ते भावने सूचवतुं सुन्दर चित्र छे...(१३-५४५.२)... (प.पू.१-४४)............. (प.पू.४४-४९). (१३.५४५.२).
ग२२००
सुधर्मास्वामी भद्रबाहुस्वामी जीर्ण
बुज्झिज्ज तिउद्देज्ज तित्थयरे य जिणवरे
गा.२०८
(4.१) सूत्रकृतागसूत्र (प.२) सूत्रकृतागसूत्र-नियुक्ति सूत्रकृतागसूत्र चूर्णि सूत्रकृताङ्गसूत्र-चूर्णी सूत्रकृतागसूत्र वृत्ति
:पय
:संपणं
कागज
वि. १६मी
१५१
। (१५२).
प्रा.सं
श्लोक ९५००
........
णमोअरहन्ताण...
:पद्य
९९९२
जीर्ण
संपूर्ण
कागज
वि.१६मी
२२९
(२२९)
: प्रथम पत्रमा क्रमांक १९९०ना टिप्पणमा जणीव्या प्रमाणेनुं चित्र छे..(१३.५४५.२)
शीलाडकाचार्य
गं. १२८५३
स्वपरसमयाथसचक
गद्य
जीर्ण
संपूर्ण
कागज
A
:४१
सूत्रकृतागसूत्र-वृत्ति । सूत्रकृतागसूत्र वृत्ति सूत्रकृताङ्गसूत्र-वृत्ति स्थानागसूत्र
(२४२) गद्य
(१३.५४५.२)
.............
शीलाड़काचार्य
ग्रं. १२८५३
स्वपरसमयाथसूचक
९९९४
मध्यम
संपूर्ण
कागज
:वि.१६मी
(७०)
प्रथम पत्रमा समवसरण सुन्दर चित्र छे..
(१३.५४५.२०
सुधर्मास्वामी
ग्रं. 3३००
सर्य मे आउसं तेणं
९९९६ समवायाङ्गसुत्र
मध्यम
कागज
(२७)............
(१३.५४५.२)
----------.वि. १६मी ... २७
सुधर्मास्वामी
ग्रं. १६७
427