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ग्रंथांक
स्थिति
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
भाषा
मेरुतुगसूरि
सं.
वि. १४४४
मध्यम
प्रतिपूर्ण
कागज
:वि. १४६९११
(११)
ग्रन्थान-७६७., (१२.७४४.१)
मेरुतुङ्गसरि
वि.१४४४
गद्य
(आख्यातवृत्तिण्डिका) कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्तिनो टिप्पनक कातन्त्रव्याकरण कृवृत्ति स्वोपज्ञ वालावबोधवृत्ति टिप्पनक (कृत्तिढुण्ढिका) कातन्त्रव्याकरण-बालावबोधवृत्तिनो टिप्पनक काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल कविशिक्षा-काव्यकल्पलता वृत्तिनी काव्यकल्पलता परिमल टीका देववन्दनादिभाष्यत्रय व सङ्ग्रहणीप्रकरण (पे.१) देववन्दनादिभाष्य
कागज
(१२.२४५.५)
:जीर्ण अमरचन्द्रसूरि
संपूर्ण सं.
(४०).............. गद्य
श्रीशारदा हदि
जीर्ण
संपूर्ण
सूचिपत्र में पत्रांक १० का उल्लेख है., (१२४४.२) (पे.पृ. १-३) पे.वि. : देवेन्द्रसूरि कृतथी जुदी.
कृ.वि. : देवेन्द्रसूरि कृतथी अन्य. (गद्य?) (पे.पू.३-3) पे.वि. : गाथा-२८३.. गाथा-२८.. (१२४४.५)
प्रा.
गा.२७३
(पे.२) सङ्ग्रहणीप्रकरण चैत्यवन्दनकुलक वृत्तिसहित... चैत्यवन्दनकुलक
श्रीचन्द्रसूरि मलधारि श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागज
:जिनदत्तसूरि
:गा.३०
नमिउं अरहन्ताइ ठिइभव : पद्य
(८७) नमिऊणमणन्तगुणं चउवयण श्रेयांसि बहुविघ्ना
ग्रं.४४००वि . १३८३
गद्य
चैत्यवन्दनकुलक-विवृत्ति कथासहित प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह
जिनकुशलसूरि श्रेष्ट
१०२२
संपूर्ण
कागज
पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही
है.. (१२४४.५) .. .(प.पू. २-५)....
(4...६-०. (पे.पू. ७) (पे.प्र.८) कृ.वि. : आ नामथी त्रण स्तोत्रो मळे ।
:प्रा.स.
नमो अरहन्ताणं नमो
संयक्त प+ग
:अप
श्लाक७५
(पे.१) श्रावकषडावश्यकसूत्र .(१.२. चतुर्विंशतिजिननमस्कार (पे.३) चतुर्विंशतिजिनस्तुति (पे.४) आदिनाथ, शान्तिनाथ,
सोमप्रभसरि
का.२७
जनेन येन क्रियते।
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