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(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रतिलेखन वर्ष पत्र
स्थिति
पूर्णता
प्रत प्रकार
ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
। क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार
कता
भाषा
परिमाण
रचना वर्ष
आदिवाक्य
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष महावीरना समवसरणनुं भाववाही चंगम सुमधुर चित्र छे.. (१३.५४५.२).
गं.४300
श्रीवडेमानमानम्य
अभयदेवसूरि : मध्यम
संपूर्ण
: गद्य
(३४)
कागज
वि.१६मी
:२४
औपपातिकोपाड़गसूत्र-टीका १००१२ राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र.............
राजप्रश्नीयोपागसूत्र १००१३ राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र वृत्ति
गं.२०७९
: नमो अरिहन्ताणं नमो
मध्यम
संपूर्ण
कागज
। वि. १५३१
६५
(६५)
(१३.५४५.२. अष्टभाषामय पंचपाठ ग्रन्थान-३६५०. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र टुं डबल छे.. (१३.५४५.२)
: ग्रं. 3900
प्रणमत वीरजिनेश्वर
राजप्रश्नीयोपाड़गसूत्र-
वृत्ति १००१४ : जीवाभिगमउपाङ्गसूत्र
म लयगिरिसूरि
मध्यम
गद्य (८८)
संपूर्ण
:कागज
वि. १६मी
:प्रथम पत्रमा क्र. १००००ना टिप्पण प्रमाणेनुं चित्र : छे..(१३.५४५.२)
:
.४1900
जीवाभिगमसूत्र प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्र
गद्य.. (१४२)
१००१५
जीर्ण
संपूर्ण
कागज
वि.१५७१
१४१
प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. पत्र १२३९ डबल छे.. (१३.५४५.२ प्रज्ञापना-३६
प्रज्ञापनासूत्र
श्यामाचार्य
नमो अरिहन्ताणं नमो
गद्य
: अध्याय ३६प्रज
ग्रं.७८८७ कागज
१००१६ : प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्र वृत्ति
मध्यम
संपूर्ण
: वि.१५७१
:२४७
(२४८)
: प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणना जेबु चित्र
छे. पत्र २६मुं डबल छे., (१३.५४५.२)
मलयगिरिसूरि
गं. १६000
जयति नमदमरमकूटप्रति गद्य
:जीणं
प्रज्ञापनासूत्र-बृहवृत्ति १००१७ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपागसूत्र
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र १००१८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र चूर्णि
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी
६९ नमो अरहन्ताण...
(१३.५४५.२)
कागज
.........वि. १६मी ग्रं.४१४६ कागज .............वि. १५७३. ग्रं. १८६९
(६९). गद्य (२९.............
जीर्ण
संपूर्ण
२८
गद्य
णमिऊण विणयविरतियकर ....
श्रेष्ठ
वि.१६मी
:३०
ग्रन्थान-२०००., (१३.५४५.२)
१००१९/ चन्द्रप्रज्ञप्तिउपागसूत्र
चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र
कागज :ग्रं. १८३१
(३०) : गद्य
जयति नवनलिणिकुवलयविय ३४
१००२० चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र
मध्यम
संपूर्ण
कागज
वि. १६मी
(३५)
ग्रन्थान-१८५४. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे...(१३.५४५.२)...
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