________________
स्थिति
ग्रंथांक: प्रत नाम ।
(पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम
(भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र
क्लिन/ओरिजिनल
डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
झे.पत्र/.पत्र)
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
कति प्रकार
(पे.२) नवतत्त्वविचारसारोद्धार सह वृत्ति
(प.पू.४२०-५५8) पे.वि.: अपूर्ण. पत्रांक३७०-४२B का झेरोक्ष पत्र नहीं है अर्थात् ३७-४२ के एक भाग का संपूर्ण झेरोक्ष नहीं है
:अरहन्ता भगवन्तो सच
:5FERE
गा.४
गुरुचित्ता. वित्थरिय धम्मघोसं
(पे.पू. ५५०/(पे.पू. ५६A-५८B) पे.वि. : सूचीपत्र नं.१-१३८२. (पे.प्र.५८B-६१)
मा.१२
नवतत्त्वविचारसारोद्धार नवतत्त्वविचारसारोद्धार-वृत्ति .... (पे.३) गुरुस्तुति (पे.४) परिग्रहप्रमाण (पे.५) कलश महावीरकलश (पे.६) महावीरजिन परिग्रहप्रमाण (पे.५) जिनजन्माभिषेक .... (पे.) गुरुस्तुति (पे.९) अष्टादश दोषरहित पुरुष संसारस्वामिश्लोक (पे.१०) संसारनिस्तारक गुरुगुण श्लोक (पे.११) गुरुस्तुति व यतिस्तुति
गा.३२ गा.१८
भुवणमण्डण लच्छिआ. श्रीसिद्धार्थनरेन्द नमिवि चउवीसजिणजणिय नरसुरअसुर नमंसिय अज्ञानारतिमानलोभरतयः
(पे.प्र. ६५A-६६७) (पे.पू. ६६०-६८०) पे.वि. सूचीपत्रांक-१-३७१... (पे.पू. ६८०-६९०) पे.वि. : सूचीपत्रांक-३-४२४.. (पे.पृ. ६९०)
गा.११.
पद्य
श्लोक १
:पय
श्लोक २
त्रित्रेधाव्रतषट्कपा
(पे.पृ. ६९B-30Aपे.वि. : सूचिपत्र नं.-१३६५./सुचिपत्र नं.-१२९०. (पे. पृ. 1904-७१B) पे.वि. : गाथा-२१. गाथांक-१७ का दो बार क्रम दिया गया है. दोनो स्तुतियों की गाथा क्रमशः है. गुरुस्तुति-१-९ गाथा तथा यतिस्तुति-१०-२१ गाथा.
:गा.२३
गम्भीरो महविओ....
पद्य पद्य
गा.५
गुरुस्तुतिकुलक (पे.१२) पौषधविधिप्रकरण.... (पे.१३) मनहजिणाणं सज्झाय (पे.१४) प्रश्नोत्तररलमालिका.... विमलसार (पे.१५) धर्मलक्षणप्रकरण
:विमलसरि (ये.१६) चतुःशरणप्रकीर्णक
वीरभद्र
क्षमाश्रमणं दत्वा : मन्नह जिणाण आणमिच्छं
कः खलु नालक्रियते धर्मार्थ क्लिश्यते सावज्जजोगविरई उक्कित
पद्य पद्य
का.२८ श्लोक २२ गा.६३
पद्य
(पे.प्र.७१B-७३०) (पे.प्र.७३-७४A) पे.वि. : गाथा-७. सूचिपत्र नं.-१२११. (पे.पू. ७४-७६B) पे.वि. : सूचिपत्र नं.-११९१. (पे.पू. 984-७८) पे.वि. : सचिपत्र नं.-९४४. (प.पू. ७८8-७९8) पे.वि. : गाथा-१०. प्रारंभ में चार मंगल गाथा के साथ वीरभद्रगणि कृत चतुःशरण की छूटक गाथाएँ संकलित है. दोनो का गाथाक्रम क्रमश: है. कि.वि. : गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे]
पद्य