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ग्रंथांक
२६०१
२६०६
२६२१
२६०३ विनयभुजङ्गमयूरि विनयभुजङ्गमयूरी जयन्तविजयमहाकाव्य
२६३९
२६४६
२६५२
प्रत नाम
(पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम
२६५७
स्वोपज्ञ टीका
पौषधविधिप्रकरण सह टीका
पौषधविधिप्रकरण पौषधविधिप्रकरण- टीका
मुग्धावबोध अक्तिकादि (पे. 9) मुग्धावबोध अक्तिक
(पे. २) समासप्रकरण
अजितशान्तिस्तव छन्दशास्त्र सह
विवरण त्रिपाठ अजितशान्तिस्तोत्र
अजितशान्तिस्तोत्र- छन्दशास्त्र विवरण काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल
कविशिक्षा काव्यकल्पलता वृत्तिनी काव्यकल्पलता परिमल टीका वाग्भटालङ्कार सह टीका वाग्भटालहकार वाग्मटालङ्कार टीका
नरनारायणानन्दमहाकाव्य
नरनारयणानन्दमहाकाव्य
२६५८ तिलकमञ्जरीकथासार पद्यबन्ध
स्थिति
कर्ता
श्रेष्ठ
जिनवल्लभ जिनचन्द्रसूरि
श्रेष्ठ
अमृतसागर गणि
श्रेष्ठ
अभयदेवसूर
मध्यम कुलमण्डनसूरि
श्रेष्ठ
नन्दिषेण
मध्यम
अमरचन्द्रसूरि
श्रेष्ठ
वाग्भट (दिगम्बर) सिंहदेवगण
श्रेष्ठ
वस्तुपाल
श्रेष्ठ
पूर्णता
भाषा
संपूर्ण
प्रा.
सं. संपूर्ण
सं.
संपूर्ण
संपूर्ण
सं. मारुगूर्जर
सं.
संपूर्ण
प्रा.
सं.
अपूर्ण
सं.
संपर्ण
सं.
सं.
संपूर्ण
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार
प्रतिलेखन वर्ष पत्र
रचना वर्ष
सं.
संपूर्ण
परिमाण
कागज
ग्रं. ३५५५
कागज
कागज
श्लोक २२२०
कागज
कागज
गा. ४०
कागज
कागज
कागज
श्लोक १२५० : कागज
वि. १६५५
वि. १६१७
वि. २०मी
वि. १४६८
वि. १७मी वि. १४५०
वि. १७मी
वि. १७मी
वि. १७मी
वि. १४७७
वि. १४७४
342
आदिवाक्य
६८
3
५२
१२
३
अजियं जियसव्वभयं
९२
श्रीशारदां हृदि
४०
२५
: १९
क्लिन / ओरिजिनल
डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार
(६९)
पद्य
गद्य
(8)
गद्य
(५२)
पद्य
(8)
गद्य
(४)
पद्य
गद्य
(९२)
गद्य
(२८)
गद्य
(१८)
पद्य
(१४)
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष
सं १६६५मां युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरिना राज्यमां श्री जयसोममहोपाध्यायना शिष्य वाचक गुणविनय गणिए शोधेली प्रति.
अतिशुद्ध (११.२४५)
(११.२४४.७)
प्रतिचारेबाजु सहेज पाणीथी भींजायेली छे., (११.७४५)
( १०.२४४. २)
(पे.पू. १-१०)
(पे.पू. १०-१२)
शुभविजयशिष्य वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमां मूकेली
प्रति, (१०.२४४.२)
गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे.
अपूर्ण, (१०. २x४. २)
प्रति शुद्ध छे. (१०. २४४-४.२ )
कर्तामा वसंतपालनुं पण नाम आपेल छे., (१०.19×४.५)
( १०.२४४.५)