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ग्रंथांक
८४२
८५४
८५७
८६५
८७२
८७३
८८४
८८८
८९३
प्रत नाम
(पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम
सम्यक्त्वप्रकरण-वृत्ति
आचाराङ्गसूत्र चूर्णि
आचाराङ्गसूत्र-चूर्णी भगवतीसूत्रचूर्ण
भगवती सूत्र - चूर्णी जीतकल्पसूत्र सह वृत्ति जीतकल्पसूत्र
कल्पसूत्रवृत्ति
शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य
राजहंसकथा नियमभङ्गे
हस्तकाण्ड
(पे. १) हस्तकाण्ड लक्षणविषयक
(पे. २) पञ्चवर्गव्याख्या नव्यकर्मग्रन्थपञ्चकावचूरि कर्मग्रन्थषट्क- अवचूरि उपदेशमालापर्याय छायारूप उपदेशमाला छाया उपदेशमालापर्याय छायारूप
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य परिशिष्टपर्व
स्थिति
कर्ता
चक्रेश्वरसूरि तिलकाचार्य
मध्यम
जीर्ण
श्रेष्ठ
जिनभद्र गणि
क्षमाश्रमण
तिलकसूरि
श्रेष्ठ
माणिक्यचन्द्रसूरि
मध्यम
मध्यम पार्श्वचन्द्र
जीर्ण
गुणरत्नसूर जीर्ण
जीर्ण
पूर्णता
भाषा
सं.
संपूर्ण
प्रा. सं.
संपूर्ण
प्रा.
संपूर्ण
प्रा.
सं. संपूर्ण
सं. संपूर्ण
सं.
संपूर्ण
सं.
संपूर्ण
सं.
संपूर्ण
प्रतिपूर्ण
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार
प्रतिलेखन वर्ष पत्र
रचना वर्ष
परिमाण
कागज
ग्रं. ८३००
कागज
श्लोक ३०००
कागज
गा. १०५ ग्रं. १३०
ग्रं. १८००
कागज
श्लोक ५५७४
कागज
श्लोक २१०
कागज
श्लोक ९९
कागज
ग्रं. ३१००
कागज
कागज
वि. १४७५
वि. १२७४ वि. १४५०
वि. १४८०
वि. १४५९
317
आदिवाक्य
१०६
मङगलादीणि सत्थाणि
३५
३५
कयपवयणप्पणामों वोच्छं
वन्दे वीरं तपोवीरं
१७१
तेपि ब्रह्मादयो यस्य
१०
वयस्य! विश्रुतो राज
४
२५
२८
१२१
क्लिन / ओरिजिनल
डीवीडी (डीवीडी
झे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार
गद्य
(१०६)
गद्य
पद्य
(३६)
पद्य
गद्य
(१२४)
पद्य
पद्य
(५)
पद्य
गद्य
(१९)
गद्य
(२०)
पद्य
(१२३)
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
पाद्रावास्तव्य लेखकेन लिखितम् ग्रन्थाग्र- ८६००., (१३.५४५)
(१३४४.५)
(१२.५४५)
हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे.
जयमंगलपाठकने आपेली प्रति पत्र १२२ थी १७१ सुधीमा उधईए मोटु काणुं पाड्यु छे., (१२४३.५)
हारिजगच्छे महेन्द्रसूरिए लखेली प्रति प्रति पाणीथी भींजायेली छे. (११.७४३.७)
(११.७४३.५)
(पे. पू. १-४) पे. वि. ग्रन्थाग्र- १००.
(पे. पृ. ४) पे.वि.: अपूर्ण.
(११.२४४.५)
(११.२४४.५)
जयशेखरसूरि कृत अवचूरिमांथी उद्धरेला पर्याय..
ग्रन्थाग्र-३४९२. पाणीमां भींजायेली छे. पत्र १२२ मुं डबल., ( ११.२४४.५)