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स्थिति
ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र
क्लिन/ओरिजिनल
डीवीडी (डीवीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
झे.पत्र/झे.पत्र)
कति प्रकार संपूर्ण ताडपत्र
२४४-१(१)-२४३ ३१/५०(१२३)
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
परिशिष्ट पर्व सचित्र
श्रेष्ठ
(जुनो नं.२७०)विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. /हेमचंद्राचार्य-कुमारपाळ-भूपालदेवी अने बे साधुओनी मूर्तिओ चितरेली छे...(१७४२)..
परिशिष्टपर्व
हेमचन्द्रसूरि
सर्ग १३ श्लोक
श्रीमते वीरनाथाय
पद्य
3400
श्रेष्ठ
अपूर्ण
ताडपत्र
आवश्यकचूर्णी आवश्यकसूत्र-चूर्णी
| ३२/५०(१४०) गद्य
(जुनो नं. २७८)अपूर्ण, (१७४२.२). नियुक्ति ऊपर पण.
प्रा.
ग्रं.१८०००
जिनदास गणि क्षमाश्रमण
काऊण नमोक्कारं तिथयर
अनेकार्थसड़ग्रह ..
श्रेष्ठ
संपर्ण
१३१ ध्यात्वार्हता कतैका
३२/५०(७८)......
(जुनो.नं. १३९).
:हेमचन्द्रसरि
गं. १८२७
८२-२ सिद्धहेमलघुवृत्ति आख्यात
श्रेष्ठ
प्रतिपर्ण
ताडपत्र
३२/५०(७०)
(जुनो नं. ३३)पत्र १२४ उपर अंको लखेला छे. बाकीना ७ पाना उपर अंको नथी,आ साथे अनेकार्थना १६ पाना अने ४ पाना कोई बीजा ग्रंथना छे.
ग्रं. 3300
प्रणम्य परमात्मानं
हेमचन्द्रसूरि :श्रेष्ठ
60
ताडपत्र
(जुनो नं.७४)ग्रन्थान-५०५०...
। सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका षष्ठ पाद ..... कातन्त्रव्याकरणनी दुर्गसिंहवृत्तिनुं पञ्जिकाविवरण कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका अष्टम पाद
१०७-१(9)=१०६... प्रणम्य सर्वकार
: त्रिलोचनदास
गद्य
८३-२
श्रेष्ठ
प्रतिपूर्ण
ताडपत्र
१८८
(७८)
ताङपत्र मूल पत्रांक-१ का पाठ पाद-६ के प्रारंभिक पाठ से मिलता है. पत्रांक-२ से पाठ में भिन्नता मिलती है.
:त्रिलोचनदास
प्रणम्य सर्वेकत्तार
गद्य
कातन्त्रव्याकरणनी दुर्गसिंहवृत्तिनुं पञ्जिकाविवरण दशवैकालिकटीका
श्रेष्ठ
वि.१३२६
३३९
३२/५०(१२१)
ग्रं.७५५०
जयति विजितान्यतेजाः गद्य
हरिभद्रसूरि :श्रेष्ठ
(जुनो नं.२०४)पत्र १०२ नो टुकडो छे. (१९.५४१.७) लेखन स्थल : सरलपुर-अण.पाटके वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे. (जुनो नं. १०१)पत्र ३३३नो टुकडो छे.१ थी ३५ सुधीना पत्रनी कोरो खरी गई छे..(१५४२), पर्व-१०.
८५
प्रतिपूर्ण
दशवकालिकसूत्र-बृहद्धति त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र दशम पर्व (श्रीमहावीर चरित्र) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य
ताडपत्र
३२/५०(१६८)
हेमचन्द्रसूरि
सं.
सर्ग १०
पद्य