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ग्रंथांक
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र
क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल
डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
झे.पत्र/झे.पत्र)
कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
कति प्रकार
(पे.४) महादण्डकप्रकरण
(प.पू. १२५-१४१) पे.वि.: अपूर्ण. गाथा-२७४. त्रुटित. झेरोक्ष पत्र-३४ पर कृति पूर्ण हुई है. प्रारंभिक भाग अस्पष्ट है..
महादण्डकप्रकरण (पे.५) प्राचीन शतक कर्मग्रन्थ
शिवशर्मसरि
प्रा.
:पद्य
शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (पे.६) उपदेशमाला
अरन्ते भगवन्ते अण .. . ... ... .. ... R नमिऊण जिणवरिन्दे
धर्मदास गणि
प्रा.
गा.५४४
पद्य
प्रा.
गा.८६
निच्छिन्नमोहपासं
पद्य
(पे.७) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण : जिनवल्लभ प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति (पे.८) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् वीरभद्र
गा.७१
देसिक्कदेसविरओ सम्मपद्य
(ये. पृ. १४२०-१४८) पं.वि. : अपूर्ण. गाथा-९८ तक है. पत्र 9819 व १४९ नहीं है. झेरोक्ष पत्र ३५-३८. बीच में दूसरी कृति भी है. कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे. (पे.पृ. १५०-१८१) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-४७३ तक है. बीच व अन्त के कुछ पत्र नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र३९-५०. पेटांक- आगमिकवस्तुविचारसार वाली प्रत से ये अलग प्रत के पत्र हैं. [कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे] (पे.पृ. १८२०-१८८B) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र४९-१४. [कृ.वि.: गाथा १०४ सुधी मळे छे] (पे.पृ. २०३-२१९) पं.वि. : अपूर्ण. गाथा-६४. पत्रक्रम अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र-६५-६६, ७१७२ व७३-७४ पर है. प्रारंभ पत्र-७२ व अन्त पत्र ६६ है. [कृ.वि. : गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे.] (पे.पृ. १९१-१९६) पे.वि. : गाथा-१७. झेरोक्ष पत्र अन्तर्गत कृति कहाँ से कहाँ तक है उसका स्पष्टीकरण नहीं हो सका है. [कृ.वि. : गाथा १०५ सुधी मळे छे] (पे.पृ. १८८-१९२) पं.वि. : अपूर्ण. गाथा-१७. पत्र १९० की गाथाएँ २० से ३३ नहीं है. झेरोक्ष पत्र५३-५४. [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे] (पे.पृ. १९२-१९६) पे.वि. : गाथा-६९. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१४-१७. कृ.वि. : अन्त वाक्यसंकलिय सिरिमहिंदसूरीहिं० पाढंतु नो विवुहा]. (पे.पृ. १९६-१९७) पे.वि.: गाथा-३३. संपूर्ण.
(पे.९) पिण्डविशुद्धिप्रकरण
जिनवल्लभ
गा.१०४
देविन्दविन्दवन्दियपय
गा.५८
नमिऊण जिणवरिन्दे
पद्य
(पे.१०) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ
महेन्द्रसिंहसूरि
प्रा.
गा.७०
नमिऊण वद्धमाणं अणुसर
पद्य
(पे.११) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-भाष्य-१
(पे.१२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय
बन्धेविसत्तरसयं
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