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________________ कति प्रकार :७१ जीर्ण :ताडपत्र (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार ग्रंथांकपत नाम स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल (पेटा नंबर). पेटा नाम डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति नाम कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष सूक्तसङ्ग्रह संपूर्ण ताडपत्र ७८ ५८/६०(३१) (जुनो नं. ३२४)अपूर्ण. अन्तिम बे पत्रो अवाच्य छे. श्लोक-७०५ थी पण बधारे छे. /एक बाजुनी कोरो खरी गई छे. झेरोक्ष पत्र-८ नथी..(१३४२).. जयतिसरोरुहवसतिनिगम पद्य कौटिल्य अर्थशास्त्र/टीका जीर्ण संपर्ण ८२ ५८/६०(३०) (जुनो नं. २९२)अधिकरण पहेलो ने बीजाअधिकरणना अध्याय २ सुधी..(१३४२.२). (पे.9) कौटिल्यअर्थशास्त्र काटिल्यसं. (पे...६४) (ये.२) कौटिल्यअर्थशास्त्र-टीका (पे.पृ. १८) [कृ.वि. ....कौटिल्यराजसिद्धान्तटीकायां.... बृहत्सग्रहणी आदि वि.१२७२ :२३९ ५८/६०(४४) (जुनो नं.२९९)प्रति० वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है...(१३४१.५). (2.9) बृहत्सग्रहणीप्रकरण गा.५३४ (प.पू. ?) (ये.२) कालचक्र गा.३४ (पे.पृ.?) [कृ.वि. : अन्त वाक्य- ...सूरीहि संकलिया) (पे.३) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण :जिनभद्र गणि प्रा. गा.८६ नमिउण सजल जलहर पद्य (पे.पृ.) [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे] .(पे.) प्रवचनसन्दोह गा. ३५५. सारस्सयमाइच्चा विण्ह (पे.पू.?). (पे.५) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण जिनवल्लभ गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं (पे.पृ. ?) [कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे] प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति .. (ये.६) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.पृ.?)[कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे.] कर्मग्रन्थ (पे.७) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय बन्धेविसोत्तरसयं (पे.यू. ?) कर्मग्रन्थ-भाष्य प्रथम (2.2) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रर्षि महत्तर प्रा. गा.९१ सिद्धपएहि महत्थं (पे.पृ. ?) [कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार। गाथाओं ८३थी ९१ सुधी मळे छे] (ये.२) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ : शिवशर्मसूरि प्रा. :गा.१११ अरहन्ते भगवन्ते अणु पद्य (पे.पृ.?) पे.वि. : गाथा-990. [कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे.] (पे.१०) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम ....गर्षि ....... प्रा.. गा. १६७ व वगयकम्मकलङ्क वीरं पद्य पे.पृ.?) पं.वि. : गाथा-१६८. [कृ.वि. : गाथा प्रा. क्षमाश्रमण गा.५८८ पच 250
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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