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१७.
पाताखेत
१८. पातासंपा
१९. पातासंपाजी २०. पाताहे
२१. पृ. २२. पे.
२३. पे. पत्र
२४. पे. पृ.
२५. पे.वि.
२६. प्रत
२७. प्रा. २८. भांका
२९. भांता
३०. र. सं.
३१. लिंता
३२. ले.सं.
३३. वताकान्ति
३४. वताहंस
३५. वि.
३६. सं.
पाटण ताडपत्रीय खेतरवसीय के पाडा का भंडार
पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का भंडार
पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का जीर्ण त्रुटक भंडार पाटण ताडपत्रीय हेमचंद्राचार्य संघ भंडार
पृष्ठ संख्या
पेटांक
पेटांक पत्र संख्या
पेटांक पृष्ठ संख्या
पेटांक विशेष
एक या एकाधिक कृति रचनाओं को व्यवस्थित लिपिबद्ध करके लोकभोग्य की दृष्टि से तैयार की हुई वस्तु प्रत या प्रति कहलाती हैं। इसे विविध संसाधनों के द्वारा तैयार की जाती है। इसे आवश्यकतानुसार विविध साधनों पर तैयार की जाती है जैसे कि तालपत्र पर लिखी प्रति को तालपत्र अथवा ताडपत्र, भोजपत्र पर लिखी प्रत को भोजपत्रीय प्रति काजग पर लिखी प्रत को कागद या सीधे प्रत भी कहते हैं। इसी प्रकार अन्य भी इसके साधन है। प्रतियाँ कालक्रमानुसार विविध शैलियों में लिखी जाने की परंपरा रही है। जैसे- गंडी, कच्छली, मुष्टिका आदि ।
प्राकृत
भांडारकर इन्स्टीट्यूट पूणे कागजीय ग्रंथ भंडार
भांडारकर इन्स्टीट्यूट पूणे ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार रचना संवत् (विक्रम)
लिमडी ताडपत्रीय एवं कागजीय ग्रंथ भंडार लेखन संवत् (विक्रम)
वडोदरा ताडपत्रीय कान्तिविजयजी का भंडार
वडोदरा ताडपत्रीय हंसविजयजी का भंडार विक्रमसंवत् संस्कृत भाषा